Incest पापा प्लीज……..

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पापा प्लीज……..
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UPDATE-2
तभी कालिया "जल्दी लो उसके पास…." कहते हुए लगभग चीख पड़ा…और पलक झपकते ही कालिया की गाड़ी सड़क के बीचोंबीच पहुँच चुकी एस.पी. के बेटी की बगल में जा कर रूकी…

एस.पी.की बेटी डर से लगभग चीखती हुई रूकी और जबतक कुछ समझती, कालिया उसकी बांह पकड़ अंदर खींच लिया और फिर उससे भी दुगुनी गति से गाड़ी चल पड़ी…

पीछे कांस्टेबल और ड्राइवर कुछ समझ के चिल्लाता, तब तक कालिया दूर जा चुका था…जवान ऐन मौके पर नदारद हो गया था जो कम से कम फायरिंग भी करके रोकने की कोशिश करता… ये खबर जैसे ही एस.पी. को लगी, वो तो सर पकड़ कर बैठ गया कि ये क्या मुसीबत आ गई मेरी बेटी के साथ…पर ये सोचने का नहीं, कुछ करने का वक्त था…

उसने अपने दिल को संभाला और फौरन एक्शन में आ गया…आधे घंटे में शहर क्या; पूरे डिस्ट्रिक के बॉर्डर को सील कर दिया…और पूरे जिले के पुलिस को कुत्ते के माफिक दौड़ा दिया….

पर असली कुत्ता और इस बनावटी कुत्ते में कुछ तो फर्क होता है… गाड़ी में ही कालिया ने उसके मुंह पर टेप चिपका के हाथ बाँध दिया और उसे हल्की नशे की दवा सूंघा दिया, जिसे सूंघते ही वो बेहोश हो लुढ़क पड़ी…

कालिया के साथी ड्राइवर को तुरंत फोन आ गइ कि पूरे शहर के साथ साथ जिलों को भी सील कर दिया गया है और सभी लफंगों को पागल की तरह पीट पीट कर पूछताछ कर रहा है एस.पी….

कालिया चौकन्ना हो गया और वो पाँच मिनट में ही किसी से सम्पर्क किया और बाहर निकलने के लिए पता कर लिया…हर जगह दो रास्ते होते ही हैं ये सिर्फ कहावत ही नहीं बल्कि सच्चाई है….

सो उसने दूसरे रास्ते अपनाए जो कि बिल्कुल साफ और सुरक्षित थी…आगे से कच्ची सड़क जंगल से हो के निकलती थी और सीधे बॉर्डर से 5 किमी दूर मेन रोड पर मिलती थी…

पर एक दिक्कत थी कि उस रास्ते में 4 व्हीलर नहीं जा पाती थी…और ये कालिया को फायदे ही पहुँचाती…उसने एक बाइक मंगवायी और गाड़ी चेंज कर कर दी…

4 व्हीलर को सलीके से वापस भेज दिया और बाइक पर खुद लड़की के पीछे बैठा, लड़की बीच में और एक दूसरा साथी बाइक चला रहा था…

लड़की पूरी तरह बेहोश थी तो उस पूरी मजबूती से पकड़ना पड़ रहा था…इसी मजबूत पकड़ में कालिया का हाथ अचानक से उस लड़की की चुची पर पकड़ बना लिया…

कालिया सन्न रह गया…हालांकि इससे पहले भी वो कई बार ना जाने कितनी रंडिया चोद चुका था पर इस पल की बात ही कुछ और थी…

वो दुनिया से बेखबर हो चुका था और अपने सीने पर लड़की की लुढ़की सर को एक टक से निहारने लगा…अंधेरे की वजह से चेहरा तो नहीं दिख रहा था पर बनावट जरूर पता चल रही थी…

एकदम किसी हिरोइन माफिक ना गोल, ना लम्बी बनावट.. और फिर वो इन चांद जैसे बनावट को देखते देखते काफी निकट अपना चेहरा कर लिया…

कालिया के चेहरे पर लड़की की गर्म साँसे अब पड़ रही थी और वो इन साँसों में ही मदहोश होने लगी…इन्हीं मदहोशी में कालिया के अंदर मर्द जाग गया और उसके हाथ उसकी चुची को मसलने लगा….

कड़क हाथों की मसाज पाते ही फूल सी लड़की दर्द से कुनमुना गई पर होश में नहीं आ पाई…ये देख कालिया होश में आ तुरंत अपने हाथ रोक दिए…

और फिर उसकी चुची पर हाथ चला उसकी कसावट मापने लगा…एकदम कड़क और सुडौल चुची थी…निप्पल भी मध्यम आकार की थी…कालिया तुरंत भांप गया कि ये कली तो बिल्कुल ही अनछुई है…

इस दौरान कालिया का लण्ड कब अकड़ के तोप बन गया, उसे मालूम ही नहीं चला और वो तोप लड़की की गांड़ में सलवार को भेद कर जाने के लिए तड़पने लगा…

वो किसी तरह कंट्रोल करने की कोशिश कर रहा था…बाइक पर कुछ करता तो बैलेंस बिगड़ सकती थी और लेने के देने पड़ जाते…उसने लण्ड से मन हटाने के लिए बार फिर उसकी चुची सहलाने लगा और उसके चेहरे देखने लगा….

वो एक बार फिर मदहोश होता गया और उसके होंठ उसके गालों से रगड़ खाने लगी…और अगले ही पल मुंह पर चिपकी टेप को दांतों तले दबा वो हटाने लगा…और वो फिर अपने होंठों से उसके चेहरे को मापने लगा…

उसके होंठ जब लड़की की नर्म और रसीले होंठों पर पड़ी तो कालिया के अंदर भूचाल सा आ गया…आज दूसरी बार लड़की सामने आई थी पर कल जहाँ लड़की नहीं, उसके सूटकेस दिख रहे थे और आज मार्केट में खुद बचने के टेंशन में लड़की की खुबसूरती निहार नहीं पाया था…

पर इस वक्त वो सब भुला इस हूर की परी को बस अंधेरे में भी साफ साफ देख रहा था…

"कालिया भाई, मेन रोड आने वाली है…अपने आदमी से सम्पर्क कर लूँ कि वो पहुँचा या नहीं…" तभी बाइक वाला साथी बोला…

जिससे कालिया स्वर्ग की सुंदरता से बाहर आते हुए बोला,"हाँ, इधर ही रोक कर पता कर लो…" कालिया के बोलते ही बाइक रूकी और वो फोन पर बात करने लगा…

सब ठीक ठाक थी और आगे आदमी तैयार भी था तो फिर से चल दिया…अब कालिया के पास और ज्यादा वक्त नहीं था कि और इस दुनिया में खो के रहे…

सो वो मुस्कुराते हुए अंधेरे में ही उलके होंठों को चूमा और वापस अपनी वर्तमान में पहुँचने की कोशिश करने लगा…पर उसका दिल नहीं मान रहा था…

तभी अचानक से कालिया के दिमाग ने कुछ कह डाला जिससे वो शर्म से मरने लगा…क्या जो तुम कर रहे वो सही है…एक मजबूर लड़की जिसका तुमने किडनैप कर लिया उसकी इज्जत भी लोगे क्या?

बचने के लिए इसे तुम उठाए और इसी का शिकार करोगे…ये तो जीतेजी मर जाएगी..इसके माध्यम से बचना चाहते तो ठीक है…इसके बाप से सम्पर्क करना और केस नहीं करने को कह बच जाना और शायद मजबूर हो एस.पी. मान भी जाए पर इसके साथ ऐसी हरकत कर रहे ये सही नहीं है…

वो इसी तरह की बातें सुन खून के घूंट पी कर रह गया और सर को झटकते हुए ऐसी हरकत ना करने की ठान ली और फिर वापस इस दुनिया में गया…अब वो एक ही बात सोचने लगा कि किसी भी तरह इसे किसी तरह की दिक्कत नहीं होने दूंगा और इसके बाप को किसी तरह मनाने की कोशिश करूंगा कि वो केस ना करे…

हां नहीं माना तो देखा जाएगा पर इसके साथ कुछ भी गलत नहीं करूंगा…चाहे एस.पी. को ही क्यों ना उठाना पड़े…अजीब थी एक ही दिन में कालिया एस.पी. को उठाने की सोचने लग गया… कुछ ही देर में कालिया मेन रोड के किनारे पहुंच गया…उसने बाइक से उतरा और लड़की को एक फूल की माफिक गोद में उठा लिया…और सामने खड़ी गाड़ी की तरफ तेजी से बढ़ गया…तब तक बाइक वाला भी तेजी से मेन रोड पर बाइक चढ़ा फुर्र हो गया…

कालिया बड़ी सावधानी से उसे सीट पर लिटा दिया और खुद भी अंदर चला गया…और चल पड़ा…अब रात भी बीत रही थी चौकसी तेज होने की आशंका थी…कालिया उसे किसी जगह रूकने को बोला…

करीब 1 घंटे में वो अपने ठिकाने तक पहुँच गया…फिर लड़की को सुला दिया और उसके हाथ पांव अच्छे से बांधा और खुद भी सोने की करने लग गया…पर सामने ऐसी लड़की हो जो उसके दिल को घायल कर रही हो तो भला नींद कैसे आ सकती है…

वो रात भर उसे निहारने में जगा ही रह गया…सुबह में करीब चार बजे वो उठा और वहां से निकलने की सोची…वो दूसरी ओर सो रहे साथी को जगाया और चलने बोला…

"आहहहह…मम्मी…मैं कहाँ हूँ…" तभी कालिया के कानों में लड़की की सुरीली कराह सुनाई पड़ा..वो आवाज सुनते ही उसकी तरफ फौरन पलटा…

लड़की कालिया को देखते ही चीख पड़ी…रात के अंधेरे में काला आदमी और भयानक लगता है…वो डर के मारे चीख पड़ी थी…कालिया तुरंत ही नीचे झुक अपने हाथ उसके मुँह पर रख दी जिससे उसकी आवाजें घुट कर रह गई….

इससे वो लड़की छटपटाती हुई और चिल्लाने की कोशिश करती रोने लग गई…उसे रोते देख कालिया अंदर ही अंदर घुटन महसूस कर रहा था पर ऐसी स्थिति में उस पर रहम करना खुद पर कुल्हाड़ी चलाने के बराबर थी…

"ऐ रोना बंद कर नहीं तो…यहीं पे ये…ये..देख रही है ना सीधा तेरे अंदर डाल दूंगा…समझी ना…"कालिया ना चाहते हुए भी उसे डराने के लिए अपने बंदूक उसकी आँखों के आगे लहराते हुए गुर्राया…

ये सुनते ही लड़की के और डर से बुरा हाल हो गया और वो बच्चों की तरह हल्की आवाज में सिसकने लगी…ये देख कालिया कुछ हल्का हुआ पर एक डर थी कि अगर बाहर ये शोर कर दी तो मुश्किल हो जाएगी…

कालिया," देख, ये रोना-धोना बंद करो…नहीं तो मुझे फिर से तुम्हें बेहोश करना पड़ेगा…अब हम यहां से निकलेंगे तो तुम जैसे चलना चाहोगी पसंद तुम्हारी…"कालिया थोड़ा कड़क बनने की कोशिश कर रहा था पर उसकी मासूम भरी चेहरे के सामने बन नहीं पाया…

लड़की अब थोड़ी चुप हो गई और एकटक उसकी तरफ देखने लगी…ये देख कालिया उसके पांव खोल दिए और उसकी बांह पकड़ कर बेड पर बिठा दिया…इस बार लड़की नहीं चिल्लाई…

"तुम मुझे क्यों लाए हो ?"लड़की बैठते ही कालिया से सवाल कर गई…शायद भांप ली थी कि अगर वो शांत रही हो उसे कुछ नहीं करेगा ये…तो वो जानने की कोशिश कर रहा था…

कालिया सवाल सुन ऱूक सा गया और उसकी तरफ देखने लगा…कुछ देर चुप रहाऔर फिर बोला,"मुझे तुमसे कोई दुश्मनी नहीं है पर तेरा एस.पी. बाप…." कालिया "बाप" से आगे कुछ बोलता कि बीच में ही लड़की गुस्से से बोल पड़ी..

"ऐ…पापा हैं वो मेरे…और वो तुम्हारे जैसे गंदे काम नहीं करते…समाजसेवी हैं वे, इज्जत करना सीखो…" लड़की की बातों से कालिया को हंसी छूट गई…

"हा..हा…हा…ओके…तुम्हारे पापा मेरे पीछे पड़ गए हैं…अगर ऐसा रहा तो मैं किधर रहूँगा बताओ तुम ही…हर वक्त मेरे को टेंशन होता रहता है और परसों से भागता ही रहता हूँ…" कालिया की बातों से लड़की चौंक पड़ी…

"कल से…मतलब मेरा सूटकेस तुमने ही छीना था….फिर तो ठीक हो रहा है…मैं तो अब पापा को बोलूंगी कि पापा इसे जेल मत भेजो…सीधा एनकाउन्टर कर दो…इसी ने मुझे उठाया था…देख लेना अब तुम तो गए…"लड़की तुरंत समझ गई कि यही वो चोर था तो अपने अंदर का गुस्सा बाहर करने लगी…

कालिया उसकी बातों से थोड़ा मुस्कुराया और उठ कर उसकी बांह पकड़ बाहर की तरफ चल दिया…वो ज्यादा देर नहीं करना चाहता था…

"ओए..अब मुझे कहां ले जा रहे हो..मुझे घर जाना है…"लड़की ना चाहते भी खिंचती हुई चलती बोली…जिसे सुन कालिया को थोड़ा गुस्सा आ गया…

कालिया,"ज्यादा चपर चपर की ना तो तू कभी घर का मुँह नहीं देख पाएगी…चुपचाप चल तेरे पापा जब तक मेरे केस को खत्म नहीं करेंगा तू मेरे साथ ही रहेगी…समझी ना..चल अब."

लड़की का सारा गुस्सा यूँ हवा हो गई और रोनी सूरत बनाती हुई चलने लगी…गाड़ी में उस लड़की को बिठा कालिया उसके बगल में बैठा और चल पड़ा…अब धीरे धीरे धूप भी लाल रोशनी पड़ने लग गई थी जमीं पर…

लड़की को ऐसे मुंह बना देख कालिया कुछ मायूस सा हो गया…क्योंकि वो बोलते वक्त काफी हसीन लगती थी…वो खुद पर गुस्सा भी हो रहा था कि क्यों डांट दिया…खैर सुबह की वक्त थीतो सड़के सुनसान थी…जिसमें गाड़ी पूरी रफ्तार से बढ़े जा रही थी…
kayaa likhaa he bro... shandaar
 
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UPDATE-3
कुछ देर बाद ही लड़की एक बार फिर बोल पड़ी,"मुझे बाथरूम लगी है…" कालिया चौंक सा गया…वो सोचने लगा कि सच कह रही है या फिर नाटक है इसकी…भागने की…

कालिया कुछ सोचते हुए बोला,"गाड़ी अब 3 घंटे बाद अपनी जगह पर ही रूकेगी…तब तक रोक के रखो…" ये सुनते ही लड़की भड़क पड़ी…

"नहीं, मुझे अभी जाना है…ड्राइवर गाड़ी रोको…अगर नहीं गई तो गड़बड़ हो जाएगी…" कालिया उसके बोलते हुए को देख पागल सा हो रहा था…उसे उसकी बोलने के वक्त की एक्सपरेशन काफी अच्छी लगने लगी थी…

"गाड़ी नहीं रूकेगी…जो भी गड़बड़ करनी हो गाड़ी में ही कर लो…तुम्हारी मरजी…"कालिया थोड़ा मुस्कुराते हुए उसकी तरफ टेढ़ी निगाहों से बोला…ऐसे करते लड़की का पारा और चढ़ गया…

"ठीक है…तुम्हें लग रहा है मैं बाथरूम के बहाने भाग जाऊंगी…ओके…हाथ खोलो मेरा…मैं पीछे जा के करती हूँ…" लड़की थोड़ा रूखा सा हो बोली…

"ओए…गाड़ी में मत करना…नहीं तो 070 धुलाई के और 0700 का परफ्यूम छिड़कना पड़ेगा मुझे…मालिक इसके लिए फूटी कौड़ी भी नहीं देगा…"ये सुनते ही ड्राइवर चिल्लाता हुआ चीख पड़ा…

ये सुनते ही कालिया की हंसी निकल पड़ी और लड़की भी हल्की हंसी हंस पड़ी शायद उसकी अपनी सफल होती योजना पर…लड़की को पहली दफा हंसता देख कालिया की तो जान ही निकल गई…यार इसके अंदर और कहाँ कहाँ खूबसूरती छिपी हुई है… कालिया उसे समझाने की कोशिश के लब्जों में बोला,"हमसे ले लेना यार..मौं हूँ ना.."

"ना..ना…भाई…मुझे पता है आप तब तक दर्शन नहीं दोगे जब तक मामला खत्म नहीं हो जाता…और कितना दिन लगेगा पता नहीं…तब तक ऐसे ही नहीं रह सकता.."ड्राइवर साफ इंकार कर दिया…

"अच्छा चल, तो कोई जुगाड़ कर दे इसकी…पर ध्यान से येएएए कुछ ज्यादा दिमाग चलाना चाह रही है…" कालिया लड़की की तरफ नजर करते हुए बोला…

लड़की उसकी बात सुन गुस्से से तुनक कर मुँह फिरा ली…जिसे देख कालिया मुस्कुरा कर रह गया…

"ठीक है भाई, पास ही में एक छोटी सी झील है जो सुनसान है और वो इलाका कुछ सुनसान भी हैं तो उधर कोई डर भी नहीं है…"ड्राइवर का ये जिला था तो वो बखूबी जानता था इस इलाके को और दो नम्बरी काम में ये ज्यादा दिलचस्पी लेता था जिससे पैसे भी मनमानी और कभी कभी पार्टी साटी भी मिल ही जाती थी…

कालिया उसकी बात सुन हामी भर दिया…तभी लड़की बीच में एक बार फिर बोली,"सुनसान इलाका..नहीं नहीं मुझे उधर नहीं जाना….मुझे यहीं उ…."

"चुपऽ…."कालिया उसकी इस नौटंकी से जोर से डपटता हुआ गरजा कि लड़की दो हाथ पीछे डर से हो रोने लग गई…कालिया ये देख अपना सर पीट लिया…वहाँ पहुँचते ही कालिया हिदायत से दूसरी ओर जाने बोला…

लड़की थोड़ी डर सी गई और इस जगह कुछ चाह कर भी नहीं कर सकती थी…अगर चिल्लाती भी तो इस सुनसान में कौन सुनता जहाँ आते वक्त एक भी व्यक्ति नहीं मिला था..

वो चुपचाप वापस आ गाड़ी में बैठ गई…कालिया भी बिना कुछ कहे बैठ गया…हाँ इस दौरान कालिया उसके जिस्म को बारीकी से जरूर ताड़ रहा था…

वो लड़की बस चुपचाप बैठी रो रही थी…ये देख कालिया थोड़ा भावुक सा हो गया…वो उसे किसी तरह की कोई तकलीफ नहीं पहुँचाना चाहता था…पर हो नहीं पाता था…

"तुम्हारा नाम क्या है…?" कालिया ने उसे चुप करवाने के ख्याल से बात को बदल कर उसे भुलाना चाहता था…शायद कालिया उसका दिवाना हो गया था…

वो लड़की अपनी आंखों से उसकी तरफ आंसू बहाती उसकी तरफ देखने लगी पर बोली कुछ नहीं…कालिया उससे ज्यादा देर तक नहीं नजर मिला पाया…वो अंदर से हिल सा गया और पछताने सा लगा कि शाला ये मैंने क्या कर दिया..

कालिया,"वो तुम्हारे सूटकेस में ये एक पेपर था जो मेरे काम का नहीं है…" कालिया अब बात को दूसरी ओर मोड़ते हुए अपनी पॉकेट से निकाल कर उसकी ओर बढ़ाते हुए कहा…

लड़की कभी उसकी ओर देखती तो कभी उस पेपर की तरफ…फिर अपने आंसू एक हाथ से पोंछती गुस्से से भर उसके हाथ से पेपर झपट ली…और फिर सारे पेपर उलट पलट कर देखने लगी…

"सारे तो हैं ना…"कालिया जब उसके हाथों को पेपर पलटते रहा था…जब सारे देख ली तभी कालिया अपने सवाल रख दिए…उसके सवाल सुन लड़की गुस्से से उसके तरफ पलट गई…

"मुझे पापा के पास जाना है…"लड़की रौबदार आवाजें करती हुई बोली…पर कालिया को इसमें भी उसकी सुरीली स्वर ही सुनाई दी…वो थोड़ा सा सीरीयस हो गया…

"ठीक है…हम पहुँचते ही तुम्हारे पापा से अपने आदमी को बात करने कह दूँगा…अगर वो मान गए तो तुम्हें पहुँचा दूंगा आज ही…"कालिया के बोलते ही लड़की एक बार फिर बरस पड़ी….

"शाले तुम हो ही घोंच्चू….जो भी करता है गलत ही करता है…तुम्हे लगता है मेरे पापा मान जाएंगे…कभी नहीं…वे एस.पी. हैं कोई हवलदार नहीं…तुम अगर मुझे उठाने से पहले ही सरेंडर कर माफी मांग लेते तो शायद तुम्हें कम सजा देते…पर तुम तो एक और गलती कर बैठे…" लड़की बोले जा रही थी और कालिया बक-सा बना सुना जा रहा था…

"अब तो वो यही सोचेंगे कि अगर आज तुम्हारी बात मान लेंगे तो तुम इस घिनौने काम में आगे ही बढ़ोगे और इससे भी बड़ी कांड करोगे…उन्हें मुजरिम खत्म करना होता है ना कि बढ़ाना…अब भी वक्त है मुझे वापस ले चलो…कम से कम उम्र कैद नहीं होगी इसकी गारंटी मैं देती हूँ…वरना एनकाउंटर तो फिक्स है…."कालिया को उसकी सच्चाई से परदा हटा कर भविष्य बताती हुई बोली…

कालिया कुछ सोच में पड़ गया पर वो जेल में जाना नहीं चाहता था…उसे सोचते हुए देख लड़की को लगा कि तीर सही निशाने पर लगी है…वो एक दो और बात बोलने लग गई…

"हम्म्म्म…देखो तुम कह तो सही रही है पर अब मुझसे ये नहीं हो पाएगा…मुझे उसी वक्त सरेंडर कर देना था पर उस वक्त कोई तुम्हारी तरह कोई बताया नहीं था…अब कर ही दिया हूँ तो अंजाम जो हो देखा जाएगा…ज्यादा दिन के सिए जेल नहीं जाऊंगा भले ही मारा जाऊं…"कालिया बोला..

लड़की उसकी बात सुन उसकी तरफ देखने लगी…पर बोली कुछ नहीं…वो भी समझ गई कि ये नहीं मानेगा…वो अपने इस खेल को खेलेगा ही…वो चुप हो बैठ गई और वो बस ये सोचने लगी कि उसे कितने दिन तक ये झेलना होगा और अगर पापा नहीं पहुँच पाए उस तक तो ये कुछ मेरे साथ….

ये सोचते ही वो कांप सी गई…वो अब दूसरा तरीका अपनाने की सोच रही थी…वो किस रूट से जा रही थी ये गौर से देख रही थी…रास्ते में कोई ऐसी चीज देखने की कोशिश करती जो पहचान के लिए काफी हो…

वो यहां नई आई थी तो पता तो था नहीं कि इस वक्त वे कहाँ है…बस सुनसान सड़के ही थी…वो बस हर पहचान चिन्ह को याद करती जाती और वहां पहुंचने पर किसी तरह पापा से कॉन्टैक्ट कर उन्हें सारा कहानी सुना देती ताकि पापा जल्द उसे छुड़ा लेते… करीब दो घंटे के बाद कालिया एक स्थान पर रूका और उस ड्राइवर से फोन से किसी को फोन किया…कालिया किससे बात किया वो तो मालूम नहीं चल रहा था लड़की को पर क्या बात कर रहा था वो अच्छी तरह समझ रही थी….

वो किसी पुराने दोस्त को फोन किया था और पहले तो हाल-चाल सुनाया और सुना…फिर वो अपनी स्थिति बताते हुए कोई सुरक्षित जगह की व्यवस्था करने कहा जहाँ वो लड़की को रख सके…

कुछ ही देर में बात खत्म कर कालिया ड्राइवर को किसी नदी किनारे चलने कहा…ड्राइवर भी थोड़ा हिचका क्योंकि नदी किनारे वो अच्छी तरह जानता था इस तरफ तो कुछ भी नहीं है और है भी तो नदी से एक किमी पहले ही तक सारे गांव है…

और नदी के उस पार सिर्फ घने जंगल है जहां कोई जाता वाता नहीं है और ना ही नदी पार करने का कोई साधन है…पर वो बिना कोई सवाल किए चल पड़ा…

अपने दोस्त के बताए रास्ते को कालिया ड्राइवर से कह दिया कि किस होकर चलना है ताकि रास्ते में कोई गांव ना पड़े और ना कोई देखे…आधे घंटे में सही सलामत वो नदी तट पर पहुँच गया था…

कालिया उस ड्राइवर को समझा दिया कि अब वो चुपचाप मुझे भूल कर अपने काम में लग जाना है…और कभी पुलिस उस तक पहुँच भी गई तो बस मेन रोड पर उतारने की बात कह देना जहां से हम मेन रोड छोड़े थे..

ड्राइवर उसकी बात सुना तो जरूर पर उसका ध्यान सिर्फ इसी बात पर अटका था कि अब ये जाएंगे कहाँ और रहेंगे कहाँ? इधर तो कोई आदमी भी नहीं दिख रहा है और इतनी चौड़ी नदी में भी कोई नजर नहीं आ रहा तो ये जाएगा कहाँ…

कालिया,"ऐ लड़की , तैरना आता है?"

लड़की पहले तो मुंह बना कभी नदी की तरफ तो कभी कालिया की तरफ देखने लगी..फिर बोली,"पागल हो क्या? इतनी बड़ी नदी तैर कर पार करोगे…आधे भी नहीं जा पाओगे…और मैं तो इधर ही गटक हो जाउंगी…नई नई सिखी हूँ…मुझे नहीं मरना…"

लड़की की बात से कालिया मुस्कुरा पड़ा और बोला,"चलो अच्छा है…भागने की सोचोगी भी नहीं अगर सच में नई नई तैरना सिखी हो तो…" उसकी बात से लड़की थोड़ी मायूस हो गई कि अगर सच में उस तरफ गई तो भागना तो नामुमकिन है…बस पापा ही कुछ कर सकते हैं…

कोई पांच मिनट बाद नदी के बीचों बीच कुछ नजर आई तो ड्राइवर आँखें फाड़े उसे देखने लगा…उस घने जंगल की तरफ से एक बोट…अजीब है..वो ऐसा जंगल है जहाँ आज तक कोई गया नहीं है…ना लोकल लोग और ना सरकार की तरफ से…

कुछ ही देर में वो छोटी सी बोट किनारे पर आ पहुँची और उसमें से बिल्कुल खतरनाक टाइप का डाकू जैसा दिखने वाला आदमी कालिया की तरफ हंसते हुए हाय बोला….कालिया भी हंस के हाय बोला और लड़की को चलने बोला…

लड़की मुकुर रही थी उधर जाने से…तभी कालिया आगे बढ़ा और लड़की की बाजू एक हाथ से जकड़ा और दूसरा हाथ लड़की की चूतड़ पर लगा झटके से कंधे पर उठा लिया और ड्राइवर को बाय बोल बोट की तरफ चल दिया…

लड़की कालिया की पीठ पर लगातार घूंसे बरसा रही थी और पैर चला रही था पर कालिया को ये सब बस एक छुअन महसूस हो रही थी…कुछ ही पल में बोट नदी में कुछ दूर तक निकल गई थी तो लड़की शांत हो गई और रोने लगी…अब कुछ चाह कर भी नहीं कर सकती थी…

तो कालिया उसे नीचे उतार दिया…लड़की नीचे उतरते ही धम्म से बैठ गई और बस रोए जा रही थी…कालिया को उसका रोना बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था…वो भी उसी के पास बैठ गया…

कालिया,"हाँ तो रत्ना भाई, और सब कैसा चल रहा है?" ये कालिया का बचपन का साथी था जो आज से दस साल पहले एक मर्डर करके भागा था तो आज तक गायब ही था…उसके बाद तो वो मुजरिम की दुनिया का बेताज बादशाह था…पर हाँ जहाँ कालिया मर्डर करने से हिचकता था वहीं ये रत्ना डाकू निर्दोष को मर्डर करने से डरता था…

सुपारी पर काम करवाता था पर वजह जानने के बाद…इससे उसे एक बात का काफी फायदा हुआ…कहीं भी गलत काम कोई बदमाश ही करता था तो कोई ना कोई उसके नाम का सुपारी दे डालता था और रत्ना उसका काम तमाम भी कर देता था…

मतलब दूसरा बादशाह बनने से पहले खत्म और पुलिस को भी इस नई परेशानी से निजात…पुलिस भी जानती थी कि ये काम फरार रत्ना का है पर वो भी केस दर्ज कर उसे दो चार इधर उधर घूम फिर कर खोजने की कोशिश करता और फिर बैठ जाता….

बैठने की वजह सिर्फ ये थी कि रत्ना किधर रहता ये मालूम ही नहीं चलती…और साथ में पुलिस का काम भी हल्का हो जाता था…और पैसे का इंतजाम रत्ना डाकू बड़े बड़े कारोबारी,नेता जैसे लोगों से करता था जिनका ब्लैक मनी एक समंदर की तरह हो…

इसके लिए वो अपहरण कर लेता था उसके फैमिली मेंबर को…मतलब साफ सुथरी छवि में खतरनाक डाकू…शब्दों का ताल मेल बड़ी अजीब है यहाँ पर पर सच्चाई तो यही है…

रत्ना,"एकदम झक्कास है दोस्त…बस तुम्हारी याद कभी कभी नींद खराब कर देती थी तो आज से वो भी खत्म…" और फिर रत्ना कहते हुए हँस पड़ा जिसके साथ कालिया भी हँस पड़ा…

रत्ना,"अच्छा यार, ये तो बता ये कौन है और इसे क्यों उठाया..पता है तुम जैसे ही बोला ना कि लड़की उठा लिया तो मैं तो सदमे में जाते जाते रह गया…शाला ये सिर्फ पॉकेटमारी तक रहने वाला दोस्त किडनैप का कैसे कर लिया…" रत्ना की बात सुनते ही कालिया जोर से हँस पड़ा और हंसते हुए बोला,"यार जब मुसीबत आती है ना तो सब कुछ करने की हिम्मत आ जाती है…और मेरी मुसीबत तब आई जब इसका सूटकेस गायब किया…"

"मतलब…."रत्ना आश्चर्य से कालिया की तरफ देखने लगा…बोट अपनी गति से हिचकोले खाती बढ़ रही थी…

"मतलब ये एस.पी. की बेटी है और मुझे मालूम नहीं था…ये नई नई आई है शहर में..बस इसका बाप तब से…"कालिया इतना ही बोल सका कि लड़की सामने से चिल्ला पड़ी…

"ऐ…तुम्हें समझ नहीं आती है…मेरे पापा हैं…बार बार पता नहीं बेशर्मों की तरह…." लड़की अब रोना बंद कर दी थी…अब रोने से भी क्या फायदा? बस स्थिति को संतुलन कर उसकी रंग में रंग जानी थी ताकि प्रेशर की बजाए कुछ सटीक तरीके मिल जाए मुसीबत से निकलने की…

उसकी बात सुनते ही कालिया और रत्ना दोनों की हंसी निकल पड़ी…कालिया तो कुछ वाकिफ हो ही गया था पर रत्ना के लिए ये बड़ी अजीब लड़की दिखी…वो भी कायल हो गया इसकी हिम्मत से…

"यार ये तो तीखी मिर्ची है…"रत्ना उसकी तरफ देखते हुए बड़े ही प्यार से बोला…जिससे लड़की तुनक के मुंह फेरती पानी की तरफ निहारने लगी…

कालिया,"हाँ यार, इसके तेवर जितने तेज हैं उतनी ही खूबसूरती भी…कसम से…बड़े बड़े सुंदर बाल..,बड़ी बड़ी आँखें,सुराही के माफिक गर्दन, पतली कमर, सुडौल और बड़ी बड़ी छातीईई..ई..ई..ई..ई…"

कालिया के मुख से अंतिम शब्द निकलते ही वो किकिया सा गया…क्योंकि ये शब्द सुनते ही लड़की आंख पीली करती उसकी तरफ देखने लगी…एक पल तो रत्ना भी चौंक गया पर तुरंत ही वो ठहाके लगाने लगा…

जिससे कालिया किसी बच्चे की तरह कान पकड़ दांतों तले जीभ दबा माफी मांगते मुस्कुराने लगा…ये देख लड़की की भी हंसी निकल आती पर किसी तरह उसे अंदर ही रख दी पर अपनी नजरें दूसरी तरफ कर हल्की मुस्कान जरूर बिखेड़ दी…
 
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Adbhut lekhan kaushal...
aik alag hee level thaa is update mein...
thrill continues... with a definite n strong plot... aesa laga raha he jesse kissi mann moh lene walee kathaa kee buniyaad rakhee ja rahee ho....
yaara... keval itna hee kahun gaaa... please continue.... dying to read more.... :yourock:
 

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