UPDATE-6
लड़की आगे बोली," वो दरअसल शॉर्टस में सहज नहीं लग रही हूँ तो सोची अगर तुम लोगों के पास कोई जींस,पैंट हुई तो प्लीज…" लड़की पूरी बात ना बोल पाई कि उनमें से एक लड़की बोल पड़ी…
"ओह सॉरी, अगर होती तो हम पहले ही दे देते… यहाँ सिर्फ छोटे छोटे ड्रेसेज ही हैं हमारे… अच्छा दिखाओ तो…जरा देखे तो इनमें तुम क्यों नहीं सहज लग रही हो…" अंतिम शब्द बोलने के साथ वो हल्की मुस्कुरा पड़ी और वो अंदर आने के लिए गेट पर हल्की दबाव दी…
"नहीं तुमलोग हंसोगी तो मुझे शर्म आएगी…प्लीज मैं अंदर ही रहना चाहूंगी…तब तक तुम मेरे कपड़े सुखाने की व्यवस्था कर दो…" लड़की मुस्कुराते हुए बोली जिसे वो दोनों तुरंत ताड़ गई कि इसका मूड अब थोड़ी ठीक है तो वो हंसती हुई प्लीज कह अंदर आने की जबरदस्ती दिखा दी…
ज्यादा उसे रोक नहीं पाई और वो अंदर दाखिल हो गई…जैसे ही उसकी नजर पड़ी उसकी आंखें फटी की फटी रह गई… वो लगातार ऊपर से नीचे निहारे जा रही थी… उसे ऐसे घूरते देख वो शर्म से लाल होती जा रही थी और हंसती जा रही थी…
दोनों उसे चारों तरफ घूर घूर कर निहारे जा रही थी… जब दोनों कुछ देर तक इसी तरह घूरती रही तो वो ज्यादा सहन नहीं कर सकी और आगे बढ़ एक का हाथ पकड़ ली और बोली…
"प्लीज, मुझे शर्म आ रही है… ऐसे घूरना बंद करो और मेरे कपड़े सूखने डाल दो…ताकि मैं जल्दी से वो ड्रेस पहन लूंगी…" लड़की की बात सुन वो थोड़ी बनावटी गुस्से में बोली…
"अजीब हो यार तुम… मॉडल को मैं इतने दिन से सिर्फ टीवी पर देख देख पक गई हूँ… आज पहली बार सामने देख रही हूँ तो तुम देखने नहीं देती…" इसकी बात खत्म होते ही दूसरी लड़की उसे पीछे से बांहों में जकड़ती हुई बोली…
"..और कसम से…आज तक हम लोग ना जाने कितने ड्रेस पहन ली कि किसी में हम मॉडल की तरह दिखूं पर नहीं… और ना ही कोई दोस्त… कसम से, काफी खूबसूरत लग रही हो… प्लीज यही पहने रहो जब तक यहां रहो हम दोनों के लिए… "पीछे की लड़की की बात खत्म होते ही आगे वाली लड़की घुटने पर हो ली…
और प्रपोज के स्टाइल में हो बोली," आई लव यू डियर..डू यू लव मी..?" और ये देखते ही हंसे बिना नहीं रह सकी और शर्म से अपनी आंखें बंद कर ली.. इस हंसी में पीछे वाली लड़की भी साथ हो ली…
"एक्सपेट कर लो मिस…. ऐ, तुम्हारा नाम क्या है?" पीछे वाली लड़की उसके कानों में बोलती हुई पूछी जिसे सुन उसके मुख से अपने आप "पुष्पा " निकल गई, पर उसकी आंखें अभी भी बंद ही थी खुशी और शर्म से…
"वॉव…पुष्पा…मैं डॉली और ये रिंकी…हाँ कह दो रिंकी को… लड़की काफी अच्छी है बस कुछ काम बुरी है… पर तुमसे काफी प्यार करेगी… ये मैं दावे से कहती हूँ… आज तक कभी लड़के को आई लव यू नहीं बोली है ये…"डॉली आगे की बात खत्म कर पुष्पा के गर्दन पर हल्की किस चिपका दी… पुष्पा जब अपनी आंखें खोली तो सामने रिंकी उसी तरह बैठी उसके हां के इंतजार में बैठी थी… जिसे देख उसकी हंसी निकल पड़ी और वो बोली,"प्लीज यार, अब और मत सताओ नहीं तो मैं मर जाऊंगी… तुम लोग इतनी अच्छी फ्रेडली हो मैं सोच भी नहीं सकती…"
रिंकी,"नो, मैं फ्रेंड नहीं हूं तुम्हारी …दिवानी हूँ और लवर बनना चाहती हूं… फ्रेंड तो डॉली है… और हां नहीं की तो मैं मर जाऊंगी प्लीज…" पुष्पा की तो हंसी रूक ही नहीं रही थी…रिंकी के हाथ पुष्पा की ओर बढ़ी थी…
डॉली,"यस माई डिअर फ्रेंड, अब हां भी कह दो…प्लीज" दोनों की ऐसी बातें सुन वो खुद को रोक नहीं पाई और पुष्पा बोली,"पहले मेरे कपड़े सुखने दे आओ…"
पुष्पा के बोलते ही डॉली बोली,"उफ्फ्फ्फ… ओके तुम हाँ कहो और मैं उधर गई…जल्दी करो…" पुष्पा उसकी बात सुन रिंकी की तरफ देखी जो मुस्कुरा रही थी… पुष्पा ने अपने हाथ उसके हाथ में रखती हुई मुस्कुराई और बोली,"आई लव यू टू रिंकी…"
पुष्पा को भला क्या दिक्कत होती… इतनी हंसमुख फ्रेंड जो मिल गई थी… और ये अगर सच में अच्छी फ्रेंड हुई तो जरूरत पड़ने पर काम भी आ सकती है…
पुष्पा के हां कहते ही डॉली कपड़े लेने बाथरूम की तरफ निकल गई जबकि रिंकी खुशी से उठती हुई पुष्पा से "थैंक्स.." कहती लिपट गई.. पुष्पा रिंकी की हर हरकत पर हंसे बिना नहीं रह सकती थी…
कुछ पल गले मिलने के बाद रिंकी थोड़ी सी पीछे हटी और बोली,"डिअर पुष्पा, अब मेरी गर्लफ्रेंड बनी हो तो कुछ हक तो बनता है ना…" रिंकी की बात सुन पुष्पा जब तक उसकी बात समझने की कोशिश करती तब तक रिंकी अपने होंठ पुष्पा के होंठ से चिपका दी….
पुष्पा की शरीर में तो मानों करंट लग गई… आज पहली बार किसी के होंठ उसके होंठ को टच की थी… वो बदहवास सी रह गई… जबकि रिंकी पुष्पा के अनछुई होंठो से रस चूसनी शुरू कर दी थी…
रिंकी हर पैंतरा जानती थी इस खेल में… जबकि पुष्पा बिल्कुल नादान… कुछ ही पलों में पुष्पा हार सी गई और खुद को रिंकी की बांहों में सौंप दी… रिंकी अपनी प्रेमिका को प्यार किए जा रही थी होठों से…
मदहोश हो चुकी पुष्पा को रिंकी ने कब उसे बेड पर लिटा दी, पुष्पा को मालूम नहीं… वो बस रिंकी की चुसाई में खोई थी… और वो अब रिंकी का भरपूर साथ भी दे रही थी… तभी पुष्पा चिहुंक सी गई….
रिंकी ने अपने हाथ उसकी चुची पर जो रख दी थी… पुष्पा ने तेजी से अपने हाथ बढ़ा उसके हाथ को पकड़ कर हटाने की कोशिश करने लगी और वो खुद को बेड पर लेटी पा सोच में पड़ गई कि वो बेड पर कब आई…
रिंकी को समझते देर नहीं लगी कि ये अभी तक अनछुई कुंवारी है… वो और गहरी और मदहोशी वाली किस करने लगी और अपने हाथ को पुष्पा की चुची से हटाने की बजाए और जोर से पकड़ बना दी…
पुष्पा छटपटाने लगी पर रिंकी से खुद को अलग नहीं कर पा रही थी…रिंकी के हाथ अब पुष्पा की चुची को हौले हौले मसलने लगी थी… पुष्पा बार बार छूटने की कोशिश कर रही थी… आखिर कब तक कोशिश करती… उसकी चूत जो मानने को तैयार नहीं थी… चूत से पानी रिसनी शुरू हो गई थी…
पुष्पा विरोध करना छोड़ अपने दोनों हाथ बाहर कर रिंकी की पीठ पर रख दी… नीचे पुष्पा प्रेमिका की तरह पड़ी थी और ऊपर रिंकी किसी प्रेमी की तरह चढ़ प्यार की बारिश कर रही थी… पुष्पा अब गरम हो चुकी थी तो उसने भी रिंकी की जीभ को चखने की कोशिश की…
रिंकी को जैसे ही ये महसूस हुई तो उसने झट से अपनी पूरी जीभ पुष्पा के मुंह में उतार दी और अपनी नई प्रेमिका को चूसने के लिए छोड़ दी…पुष्पा रिंकी की हरकत से शर्मा गई और नहीं चूसना चाहती थी पर रिंकी ने उसे पीछे हटने ही नहीं दी, जब तक कि वो स्वाद चखना शुरू नहीं कर दी…
पुष्पा को अंततः चूसनी ही पड़ी और पल भर में ही वो बड़े चाव से चटखारे लेनी शुरू कर दी… रिंकी बस यूं शांत रह अपनी जीभ चूसवाती रही और हौले हौले पुष्पा की चुची दबाती भी रही…और तभी दोनों के कानों में डॉली की आवाज पड़ी…वो तब तक कपड़े बाहर रख आ गई थी…
"डॉर्लिंग ,मैं भी हूं…"डॉली पुष्पा के बगल में पेट के बल लेटी सीधे पुष्पा के कानों में बोली… ये सुनते ही पुष्पा स्मूच रोक दी और बिना डॉली की तरफ देखे शर्माती हुई अपनी आंखों पर दोनों हाथों से पर्दा डाल मुस्कुराने लगी…
"ओए, ये मेरी गर्लफ्रेंड है…तेरी नहीं..चल जा अपना काम कर… " रिंकी ने अपने होंठों पर लगे प्याररस को पोंछती हुई बोली… ये सुनते ही डॉली तेजी से रिंकी के कान मरोड़ती हुई बोली,"शाली, और वक्त तो दोस्त का वास्ता दे हर काम में साथ कर लेती हो… तो अब क्यों नाटक कर रही हो… मैं कुछ नहीं सुनने वाली… हर चीज पर जब हम दोनों का बराबर हक है तो इस पर भी ये नियम लागू होगी तो होगी…."
अपनी बात कहती हुई डॉली आगे खिसक पुष्पा के चेहरे केे बिल्कुल समीप अपने चेहरे लाई और हाथों से पुष्पा को बेनकाब करने की कोशिश करने लगी… इस पर रिंकी हंसे बिना नहीं रह सकी और बिना कुछ कहे पुष्पा के शरीर से हट बगल में लुढ़क कर दोनों को देखने लगी…
डॉली जितनी जोर से पुष्पा के हाथ हटाती, पुष्पा उतनी ही ताकत से हाथों को चेहरे पर कस लेती… उसे देख रिंकी बीच बीच में चुटकी लिए जा रही थी… पुष्पा अपना चेहरा डॉली के किस की डर से नहीं ढ़ंकी थी, बल्कि वो तो शर्म से गड़ी जा रही थी…
काफी कोशिश के बाद भी रिंकी डॉली को नाकामयाब होती देखी तो वो रह नहीं पाई और अपने हाथ बढ़ा पुष्पा के कमर पर हल्की गुदगुदी बना दी… इससे पुष्पा उछल पड़ी और उसके दोनों हाथ गोली की रफ्तार से नीचे कमर की तरफ बढ़ गई…बस डॉली इसी पल का इंतजार कर रही थी…
वो तड़के ही पुष्पा के लबों पर टूट पड़ी… पुष्पा को किस से परहेज तो थी नहीं जो अब विरोध करती… एक से दो भली… यही सोच वो तुरंत ही डॉली को भी सपोर्ट करने लगी और डॉली किसी हवसी की तरह लगातार पुष्पा के होंठ को चूसती तो कभी हल्के से काटती… पुष्पा भी अब थोड़ी थोड़ी मस्ती में डूबकी लगाने लगी थी… कुछ देर तक दोनों स्मूच करती रही… पुष्पा के लिए ये बिल्कुल अनोखे पल थे… जिंदगी की पहली किस लड़कियों के संग… पुष्पा अपनी आँख बंद की किस में पूरी तरह लीन थी… तभी पुष्पा जोर से उछलती हुई डॉली को झटके देती उठ बैठी…
डॉली गिरते गिरते बची बेड से… वो सोच में पड़ गई आखिर क्या हो गया इसे अचानक… सामने रिंकी खड़ी जोर से हंस रही थी… उसे समझते देर नहीं लगी कि रिंकी जरूर कुछ की है… वो रिंकी की ओर देखती हुई बोली,"कमीनी मैं तुझे डिस्टर्ब की थी जो मुझे कर दी…रूक बताती हूँ…"
डॉली,"ऐ मुझे थोड़े ही पता था कि इसके गहने छुऩे पर ये ऐसे भड़केगी… मैं तो और डबल इंज्वाय करने की सोच नीचे बस हाथ ही तो रखी थी… ही.. ही… ही.. "
रिंकी की बात सुन डॉली भी हंस पड़ी और एक दो गाली रिंकी को तोहफे में दे डाली… फिर वापस पुष्पा के बगल में बैठ गई और उसकी तरफ देखने लगी… पुष्पा जोर जोर से सांस लेती हुई शर्म से सर झुकाए मुस्कुरा रही थी… वो शर्मीली थी नहीं पर आज ये दोनों उसे शर्म की दुनिया से वाकिफ करवा दी थी…
डॉली उसे मुस्कुराते भांप पुनः मजे करने की सोच उसके कंधे पर हाथ रख चेहरा अपनी तरफ करनी चाही… पुष्पा चेहरा घुमाना नहीं चाहती थी अब… रिंकी बस हंसने में लगी हुई थी जबकि डॉली को संतुष्टि नहीं मिली थी… जब डॉली थोड़ी जोर दी तो पुष्पा उसके हाथ पकड़ ली और बोली…
पुष्पा,"प्लीज डॉली, अब नहीं होगी हमसे… बाद में कर लेना…" पुष्पा की बातो में रिक्वेस्ट थी पर कोई नाराजगी नहीं थी… चेहरे पर उसकी खुशी साफ झलक रही थी… डॉली उसकी बात को तुरंत काटती हुई पूछी,"क्यों यार, रिंकी की प्यास तो बुझा दी और मुझे प्यासी छोड़ देगी…प्लीज.."
फिर डॉली रिंकी की तरफ देखती हुई बोली,"और तुम … देखना है तो शांति से बैठ के देखो वर्ना गेट उस तरफ है…समझी.." रिंकी भी पीछे कहां रहने वाली थी… वो आगे बढ़ पुष्पा के दूसरी तरफ से बैठी और पुष्पा को बांहों में जकड़ बेड पर वापस पलट गई जिससे डॉली भी साथ ही पसर गई…बीच में एक नाजुक सी फूल और दोनों तरफ दो भंवरे लिपटी…
रिंकी,"साली, मेरी गर्लफ्रेंड और हम ही को बाहर जाने कहती है… अब तुम्हें करना है तो करो वर्ना बाहर जाओ…" दोनों की बात सुन पुष्पा बीच में खुद पर होने वाली कहर को याद कर कांपती सी बोली…
पुष्पा,"हे प्लीज, मेरी बात सुनो… पहले मुझे भूख लगी है… मुझे खाना है… " पुष्पा की बात सुनते ही दोनों के मुख से एक साथ सॉरी निकली और दोनों पुष्पा से अलग हो गई और बाहर किचन की तरफ निकल गई… पुष्पा कुछ राहत की सांस ली पर इसमें उसकी सहमति तनिक नहीं थी… वो खुद मजे चाहती थी पर पेट की आग के सामने हार गई… आज उसे सबसे हसीं जिंदगी की महक जो लग गई थी…
दोनों के बाहर निकलते ही पुष्पा ऩठके खड़ी हो गई… बेचारी उसकी पूरी बूर रस से सरोबार हो चुकी थी… इस बार वो मैदान में आती तो उन दोनों को मालूम पड़ जाती कि मैं पेन्टी नहीं पहनी हूं और मस्ती में पानी छोड़ रही हूँ… वो यही सोच के मुस्कुराती हुई बाथरूम में घुस गई…
खुद को फ्रेश की और बाहर निकल आई… ठीक उसी वक्त वो दोनों भी हाजिर हो गई… नजर मिलते ही मुस्कुराए बिना रह ना सकी… पुष्पा आगे बढ़ते हुए दोनों से सवाल कर गई,"तुम लोग का घर कहाँ है..?"
रिंकी,"डॉर्लिंग, हम दोनों का घर यहाँ नहीं है… पड़ोसी जिले से हैं…"रिंकी बस उतनी ही बताई जितनी पुष्पा पूछी… पुष्पा मन में सोच रही थी कि दिखने में और स्वभाव से ये ऐसी लगती नहीं है फिर ये सब कैसे करती है… वो इस बात को जानने की उत्सुक हो गई….
पुष्पा,"..तो इधर कैसे आ पहुँची और ये सब क्यों कर रही.." पुष्पा खाना शुरू कर दी जबकि वो दोनों वापस बेड पर आ बैठ गई… रिंकी बैठते हुए बोली,"वो सब बेकार की और बीती हुई कहानी है तो उसे मत पूछो… बस इतना समझ लो मुझे शुरू से मस्ती करने की आदत थी जबकि इसे मजबूरी में करनी पड़ी…"
पुष्पा एक बारगी तो चौंक सी गई… आजतक तो मजबूरी की कहानी काफी सुनी थी पर आदत इतने गंदे काम की… वो पलट के रिंकी की तरफ देखने लग गई… रिंकी आगे बोली,"हमदोनों बचपन से ही बेस्ट फ्रेंड हैं… दो साल पहले डॉली के पापा का एक एक्सीडेंट में देहांत हो गया और इस सदमे से आंटी जी मतलब इसकी मम्मी गंभीर बीमारी से ग्रसित हो गई… "
"तो फैमिली की पूरी जिम्मेदारी इस पर आ गई… तो ये जॉब के लिए चक्कर लगाने लगी… जहाँ जाती जॉब तो मिल जाती पर पाँ दस दिन में ही इसे असलियत मालूम पड़ जाती कि जॉब क्यों मिली इतनी आसानी से… बस फिर जॉब छोड़ देती…" रिंकी कही जा रही थी और पुष्पा खाते हुए सुन रही थी गौर से…
रिंकी,"उधर मैं शुरू से ही लड़के से अफेयर करती, मस्ती भी करती कुछ से फिर बॉय बॉय कह देती… बस एक दिन पता नहीं कैसे मैं खुद ब खुद इसके साथ जॉब के लिए निकल पड़ी और जॉब ले ली…दो दिन में हम दोनों को ऑफर मिल गई… रात भर मैं सोचती रही और अगले सुबह डॉली से बात कर हम दोनों हाँ कर दी… कुछ दिन तक तो शहर में ही की जिसमें एक दो घंटे लगते…पर अब दिन के हिसाब से काम करती हूँ… बस यही है कहानी…"
पुष्पा तब तक खाना खा ली और हाथ मुँह धो ली…डॉली बर्तन हटा दी और वापस आ पुष्पा के पास आ गई… पुष्पा डॉली के मंसूबे को समझते देर ना की वो पीछे हटती बोली,"प्लीज डॉली, अभी खाना खाई हूँ कुछ देर रेस्ट करने दो…"
तभी रिंकी पुृष्पा के ठीक पीछे आई और सीधे उसके दोनों चुची को जोर से जकड़त ली जिससे पुष्पा हंसती हुई जोर से चीख पड़ी…
रिंकी,"साली, अब हर वक्त नाटक करने की कोशिश करती है… पर हम इस नाटक को मानने वाले नहीं है… जब तक यहाँ हो तब तक मस्त करोगी हमें…बाद में सोची जाऑगी… समझी माई डिअर पुष्पा…" तब तक डॉली भी आगे से आ पुष्पा को जकड़ उसके होंठ के लिए बढ़ने लगी…
पुष्पा,"नहीं… नाटक नहीं कर रही… कुछ देर रेस्ट कर लेती फिर जो मन हो करना मैं मना नहीं करूँगी… बिलीव मी…"पुष्पा की बात सुन दोनों शांत पड़ गए… फिर रिंकी बोली,"पक्का ना…बाद में नाटक नहीं ना करेगी…"
ये सुनते ही पुष्पा गर्दन पीछे की तरफ की और रिंकी के होंठों पर एक छोटी चुंबन जड़ती हुई बोली,"प्रॉमिश…"जिस पर रिंकी मुस्कुराए बिना ना रह सकी…तभी डॉली बोली,"ठीक है पर हम जो करेंगे वो तो करने दोगी ना…"
पुष्पा हंसती हुई डॉली के होंठ चूमी और बोली,"हाँ बाबा, जो मरजी करना…सीख भी तो लूंगी ना कुछ…अब खुश…"
रिंकी,"हाँ मेरी सोन परी…खुश…अब तुम रेस्ट करो… नाइट में फुरस्त मिलते ही आ धमकूंगी…बस किल्ली खोलने में देर मत करना…" और फिर दोनों हंसती हुई बाहर निकल गई और पुष्पा रेस्ट करने बेड पर पसर गई…. शहर में एस.पी. परेशान कि अभी तक कोई कॉन्टेक्ट क्यों नहीं कर रहा है… आखिर मेरी बेटी किडनैप करने का मकसद क्या हो सकता है… उसे अब थोड़ी मायूसी जरूर होने लगी थी…
उसकी बीवी तो रो रोकर बुरा हाल कर ली थी… तुरंत ही बेहोश हो जाती… उसकी देखभाल में एक डॉक्टर तो 24 घंटे मौजूद रहते थे… रात में करीब 07 बजे एस.पी. के घर के फोन पर अचानक रिंग बजी…