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Update 94
तीनों के शरीर रंगे पड़े थे.... इसलिए उसे भी सॉफ करना ज़रूरी था, और होली के बाद अगर एक दूसरे के शरीर को रगड़कर सॉफ किया जाए, तभी उसका असली मज़ा आता है, और यहाँ तो 2 नही बल्कि 3 जिस्म थे, ऐसे में मिलने वाला मज़ा भी ज़्यादा होने वाला था..
तीनो बाथरूम में गये और सभी ने मिलकर एक दूसरे के नंगे बदन को साबुन से रगड़-2 कर धोया..
और धोते हुए जो किस्सेस और गुत्थम गुत्था चल रही थी वो भी देखते ही बनती थी..
और उसके बाद फिर से एक और राउंड चला चुदाई का... इस बार बाथरूंम में ही.... शावर के नीचे, टांगे उठा-2 कर...कभी श्वेता की चूत और कभी काव्या की... पर लंड एक ही था जो उनकी चूत की सेवा कर रहा था... नितिन का.
और वो सिलसिला बाथरूम से होता हुआ, बेडरूम तक गया और बेड पर भी भयंकर चुदाई हुई...
और अंत में फिर से एक बार तीनो झड़ने के बाद वहीं ढेर हो गये...
सिर्फ़ 2 घंटे मे उन्होने 2 बार चुदाई कर ली थी और अभी भी पूरा दिन पड़ा था...
आज की होली को वो अच्छी तरह से सेलेब्रेट करना चाहते थे..
रंगो की होली तो हर कोई खेलता है
चूत और लंड से खेली गयी होली ही असली मज़ा देती है..
और आज होली के दिन ये तीनो इसी मज़े को लेते हुए पूरा दिन चुदाई करते रहे..
शाम होते-2 काव्या के बदन का पोर-2 दुख रहा था... कल और आज में ही उसने किसी मशीन की तरह चुदाई करके शायद अपने पिछले सभी दिनों की कमी पूरी करने का प्रण सा कर लिया था... लेकिन हर बार जब भी उसकी चूत के अंदर लंड जाता तो वो एहसास उसे किसी और ही दुनिया में ले जाता... अब वो अच्छी तरह से समझ चुकी थी की क्यों चुदाई को दुनिया में सबसे अच्छे एहसास का दर्जा दिया गया है...
उसका तो मन कर रहा था की वो बस दिन रात ऐसे ही चुदाई कराती रहे पर शाम हो चुकी थी और श्वेता के मम्मी - पापा भी आने वाले थे... नितिन का लंड भी थक चुका था पर काव्या की तरह उसका मन अभी तक नही भरा था. आख़िरकार ना चाहते हुए भी 6 बजे के आस पास उसने अपने कपड़े पहने और वापिस चल दी..
रास्ते भर वो बस आज की चुदाई के बारे में सोचकर मुस्कुराती रही ... आज घर जाकर वो अपने समीर पापा से कैसे चुदाई करवाएगी, बस यही सोचे जा रही थी..
वो ये सोचती हुई गाड़ी चलाती हुई जा ही रही थी की अचानक उसकी कार के सामने एक आदमी आ गया और उसने अपनी पूरी ताक़त से ब्रेक मार दी. गनीमत ये रही की वो आदमी उसकी कार से टकराया नही..
होली की वजह से सड़क पर कोई नही था. वो झट से बाहर निकली, ये देखने के लिए की कहीं उसे कोई चोट तो नही आई..
वो आदमी होली के रंगो से रंगा हुआ था और गाड़ी के अचानक सामने आने के कारण वो अपना बेलेंस नही संभाल पाया और नीचे गिर गया.. और वहीं लेट गया. जब काव्या उसके पास पहुँची तो उसे पता चला की वो तो शराब के नशे मे धुत्त था..
उसकी उम्र करीब 35 के आस पास थी.. और टी शर्ट और पेंट पहनी हुई थी उसने. ज़्यादा शराब पीने की वजा से वो बड़बदाए जेया रहा था... पर उसकी बात काव्या को समझ नही आ रही थी..
काव्या ने उसे उठाकर किनारे की तरफ ले जाना चाहा पर वो धुत्त होकर सड़क पर पड़ा हुआ था... उसने आस पास नज़र दौड़ाई पर दूर-2 तक उसे कोई दिखाई ही नही दिया जिसे वो मदद के लिए बुला सके. अब ऐसे बीच सड़क पर उसे छोड़कर भी नही जा सकती थी वो, नही तो कोई और गाड़ी आकर उसे कुचल देती... उसने अपनी पूरी ताकत लगा कर उसे बिठाया और फिर उसके पीछे जाकर कंधों के नीचे हाथ डालकर उसे उपर उठाने की कोशिश करने लगी... और ऐसा करते हुए उसके बूब्स उसके कंधों से बुरी तरह से रगड़ खा रहे थे... अगर वो इस वक़्त होश में होता तो उसे पता चलता की वो किस एहसास को मिस कर रहा है... क्योंकि नशे की हालत में उसे ये पता भी नही चल रहा था की काव्या जैसी जवान और हॉट लड़की उसे इस वक़्त उठाने की कोशिश कर रही है और ऐसा करते हुए उसके नर्म बूब्स उसकी मसाज कर रहे है...
और तभी आगे की तरफ झुकी हुई काव्या की नज़र उसकी पेंट के उभार पर पड़ी, उसकी पेंट की जीप खुली हुई थी जिसमें से उसका काला लंड साफ़ दिखाई दे रहा था. बेशक इस वक़्त वो सोया हुआ था पर उसकी लंबाई और मोटाई का अंदाज़ा लगाया जा सकता था.
और लंड देखते ही उसकी चूत में फिर से खुजली शुरू हो गयी... उसने ग़ोर से उस आदमी को देखा जो अभी तक नशे की हालत में बड़बड़ा रहा था पर उठने मे बिल्कुल नाकाम था. अब बीच सड़क पर वो ऐसी मुसीबत में फँस जाएगी, ये उसने सोचा नही था... उपर से उसके लंड की झलक मिलने के बाद से उसके दिमाग़ में पता नही क्या-2 ख़याल आ रहे थे... उसका तो मन कर रहा था की यही के यहीं उसकी पेंट खोले और नंगी होकर उसके लंड को निगल जाए चूत के थ्रू ...
पर वहां ऐसा करना पोस्सिबल नही था..और वैसे भी वो नशे में धुत्त सा होकर पड़ा हुआ था..
उसने हिम्मत करते हुए अपना हाथ नीचे किया और उसके लंड वाले हिस्से पर लगा कर ज़ोर से दबोच लिया... उसे ऐसा लगा की कोई सोया हुआ साँप हाथ में ले लिया है उसने. उसके हाथ लगते ही थोड़ी बहुत हलचल ज़रूर हुई उसके लंड पर लेकिन उसका असर उस आदमी पर बिल्कुल नही पड़ा, वो अभी तक अपनी आँखे खोल नही पा रहा था..
और तभी दूर से आती हुई एक कार दिखाई दी उसे... और अगले ही पल उसके दिमाग़ में एक आइडिया आ गया, वो भागकर बीच सड़क पर आई और उस कार को रुकने का इशारा करने लगी..
कार उसके करीब आकर रुकी, उसमे 2 आदमी और 2 औरतें बैठी हुई थी, जो शायद कहीं से होली खेलकर वापिस जा रहे थे, उनके शरीर भी बुरी तरह से रंगे हुए थे.
काव्या ने उन्हे बताया की एक आदमी सड़क पर पड़ा है और उसे देखकर उसने कार रोकी थी, और उसे हॉस्पिटल ले जाना ज़रूरी है क्योंकि उसकी हालत ठीक नही लग रही. काव्या ने उन लोगो से कहा की अगर वो उसे उठाकर उसकी कार में बिठा दे तो वो उसे हॉस्पिटल ले जाएगी..
एक लड़की को ऐसे अंजान इंसान की मदद करते देखकर वो लोग भी काफ़ी खुश हुए, और उन्होने खुशी-2 उस आदमी को उठाकर काव्या की कार की पिछली सीट पर डाल दिया और वो चले गये... काव्या ने भी कार स्टार्ट की और आगे चल दी.
अब उसका दिमाग़ बड़ी तेज़ी से काम कर रहा था... जो वो करने जा रही थी उसमे रिस्क तो काफ़ी था पर उसमे मिलने वाले मज़े को सोचकर उसकी चूत अभी से कुलबुला रही थी..
अंधेरा होना शुरू हो गया था... वो कार को लेकर अपने पुराने स्कूल की तरफ चल दी जिसके पीछे का हिस्सा काफ़ी सुनसान सा था, और वो अच्छी तरह से जानती थी की शाम के बाद उस तरफ कोई नही जाता, और आज तो वैसे भी होली का दिन था. आधे से ज़्यादा शहर इस वक़्त होली की थकान उतार रहा होगा या टल्ली होकर घरों में पड़ा होगा..
वहाँ पहुँचकर उसने कार रोक दी और बाहर निकल आई.
ठंडी-2 हवा चल रही थी.
उसका दिल जोरों से धड़क रहा था... एक अंजान आदमी को लेकर वो ऐसे सुनसान सी जगह पर आ तो गयी थी पर उसके मन में उथल पुथल मची हुई थी... उसके अंदर से आवाज आ रही थी 'एक अच्छे घराने' की लड़की भला ऐसी हरकत करती है क्या. और उसके पास लण्डों कमी है जो वो इस तरह से सड़क पर चल रहे नशे में धुत्त इंसान को उठाकर यहाँ ले आई, उससे मज़े लेने के लिए..'
पर दिमाग़ मे चल रही इन दलीलों के उपर उस आदमी के सोए हुए लंड की तस्वीरें हावी हो रही थी. उसके दिमाग़ के कोने में बैठी शरारती लड़की बोल पड़ी 'देखा जाएगा जो होगा, ऐसे एडवेंचर का भी लुत्फ़ उठना चाहिए कभी-2...'
और उसने आगे बढ़ कर पीछे का दरवाजा खोल दिया. वो आदमी नशे की हालत में होने की वजह से सीट पर लुडक गया था. काव्या ने उसके पैर खींच कर सीट के उपर फेलाए और उसे पिछली सीट पर लंबा करके लिटा दिया... और अब उसकी टांगे काव्या की तरफ थी... और काव्या की नज़रें उसके लंड वाले हिस्से पर..
काव्या अपने होंठों पर जीभ फेरते हुए उसकी टाँगो के बीच में आई और धीरे-2 अपने हाथ से उसके लंड को पकड़ लिया और पिछली बार की तरह इस बार भी उसके लंड ने हिल कर उसे अपना एहसास करवाया..
उसकी चैन तो खुली हुई थी. काव्या ने अपना दाँया हाथ उसके अंदर डाल दिया और अपने हाथों में उसके नंगे लंड को पकड़ लिया... वो एकदम गर्म था… और काफ़ी मोटा भी..
काव्या ने उसे धीरे से खींच कर बाहर निकाल लिया और उसे सहलाने लगी... नरम सा होने की वजह से वो इधर-उधर गिर रहा था पर धीरे-2 उसमे कसाव आने लगा और एक मिनट के अंदर ही अंदर वो पूरी तरह से खड़ा भी हो गया...
और उसके विकराल रूप को देखते ही काव्या से रहा नही गया और वो हुंकारती हुई सी नीचे झुकी और अपनी गहरी साँसे उसके करीब आकर छोड़ने लगी... वो गाड़ी का दरवाजा खोल कर उसके लंड पर झुकी हुई थी, ऐसे में अगर कोई पीछे से आकर उसकी चूत में अपना लंड डाले दे तो बिल्कुल पर्फेक्ट पोज़िशन में चुद जाती, और चुदासी तो उस पर ऐसी चढ़ी हुई थी की पीछे मुड़कर भी ना देखती की कौन पैल रहा है उसे!
उस आदमी के लंड वाले हिस्से से अजीब सी गंध आ रही थी... शायद पसीने और पेशाब की मिली जुली. पर इस वक़्त वो गंध भी काव्या को उकसा रही थी... उसने अपना मुँह खोल कर अपनी थरथराती हुई जीभ उसके लंड से लगाई और उसे किसी कुल्फी की तरह चाटना शुरू कर दिया..
''हाआआआआआआअ... उम्म्म्ममममममममममममम.......''
और अगले ही पल वो भूखी बिल्ली की तरह उस माँस के लोथड़े पर टूट पड़ी और उसे एक ही झटके में मुँह के अंदर लेकर ज़ोर-2 से सक्क करने लगी...
नशे मे होने के बावजूद उस आदमी को कुछ एहसास हो रहा था और वो अपना सिर इधर-उधर घुमाते हुए फिर से बुदबुदाने लगा...
वो उस गीले लंड को अपने मुँह से निकाल कर अपने चेहरे पर, अपनी आँखो पर, अपने होंठों पर..लगाने लगी... उसके अंदर से निकल रहे प्रीकम को उसने अपने पूरे चेहरे पर क्रीम की तरह लगा लिया और उसकी भीनी खुश्बू को सूँघ कर वो पहले से ज़्यादा उत्तेजित हो गयी..
और अगले ही पल वो वापिस बाहर निकलकर खड़ी हुई और उसने एक ही झटके में अपनी टी शर्ट उतार फेंकी और अपनी ब्रा भी खोलकर वहीं ज़मीन पर फेंक दी और आनन फानन में उसने अपनी जीन्स को भी पेंटी समेत उतार दिया..
और अब वो खुले मे बिल्कुल नंगी होकर खड़ी थी..
ऐसे में अगर वहाँ कोई आ जाता तो उसे ऐसी हालत में देख कर उसके साथ क्या करता ये वो वही जानती थी. पर इस वक़्त उसके उपर जो चुदासी चढ़ी हुई थी उसके सामने उसे कुछ भी दिखाई नही दे रहा था..
और पूरी नंगी होने के बाद वो उसके उपर झुकी और उसकी पेंट को खोल कर उसने नीचे की तरफ खींच कर उसे भी निकाल दिया..
और अब वो आदमी भी नीचे से नंगा होकर पिछली सीट पर लेटा हुआ था.
वो जम्प मारकर वापिस अंदर घुसी और फिर से नीचे मुँह करके उसके लंड की कटोरी से मक्खन चाटने लगी..
घनी झान्टो के बीच उसका बुर्ज खलीफा जैसा लंड उसे बड़ा अच्छा लग रहा था... वो उसके लंड को चूमती हुई उपर तक गयी और अपनी चूत को उसके लंड वाले हिस्से पर ज़ोर से दबा दिया