Incest सौतेला बाप(completed)

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Update 94

तीनों के शरीर रंगे पड़े थे.... इसलिए उसे भी सॉफ करना ज़रूरी था, और होली के बाद अगर एक दूसरे के शरीर को रगड़कर सॉफ किया जाए, तभी उसका असली मज़ा आता है, और यहाँ तो 2 नही बल्कि 3 जिस्म थे, ऐसे में मिलने वाला मज़ा भी ज़्यादा होने वाला था..
तीनो बाथरूम में गये और सभी ने मिलकर एक दूसरे के नंगे बदन को साबुन से रगड़-2 कर धोया..
और धोते हुए जो किस्सेस और गुत्थम गुत्था चल रही थी वो भी देखते ही बनती थी..
और उसके बाद फिर से एक और राउंड चला चुदाई का... इस बार बाथरूंम में ही.... शावर के नीचे, टांगे उठा-2 कर...कभी श्वेता की चूत और कभी काव्या की... पर लंड एक ही था जो उनकी चूत की सेवा कर रहा था... नितिन का.
और वो सिलसिला बाथरूम से होता हुआ, बेडरूम तक गया और बेड पर भी भयंकर चुदाई हुई...
और अंत में फिर से एक बार तीनो झड़ने के बाद वहीं ढेर हो गये...
सिर्फ़ 2 घंटे मे उन्होने 2 बार चुदाई कर ली थी और अभी भी पूरा दिन पड़ा था...
आज की होली को वो अच्छी तरह से सेलेब्रेट करना चाहते थे..
रंगो की होली तो हर कोई खेलता है
चूत और लंड से खेली गयी होली ही असली मज़ा देती है..
और आज होली के दिन ये तीनो इसी मज़े को लेते हुए पूरा दिन चुदाई करते रहे..
शाम होते-2 काव्या के बदन का पोर-2 दुख रहा था... कल और आज में ही उसने किसी मशीन की तरह चुदाई करके शायद अपने पिछले सभी दिनों की कमी पूरी करने का प्रण सा कर लिया था... लेकिन हर बार जब भी उसकी चूत के अंदर लंड जाता तो वो एहसास उसे किसी और ही दुनिया में ले जाता... अब वो अच्छी तरह से समझ चुकी थी की क्यों चुदाई को दुनिया में सबसे अच्छे एहसास का दर्जा दिया गया है...
उसका तो मन कर रहा था की वो बस दिन रात ऐसे ही चुदाई कराती रहे पर शाम हो चुकी थी और श्वेता के मम्मी - पापा भी आने वाले थे... नितिन का लंड भी थक चुका था पर काव्या की तरह उसका मन अभी तक नही भरा था. आख़िरकार ना चाहते हुए भी 6 बजे के आस पास उसने अपने कपड़े पहने और वापिस चल दी..
रास्ते भर वो बस आज की चुदाई के बारे में सोचकर मुस्कुराती रही ... आज घर जाकर वो अपने समीर पापा से कैसे चुदाई करवाएगी, बस यही सोचे जा रही थी..
वो ये सोचती हुई गाड़ी चलाती हुई जा ही रही थी की अचानक उसकी कार के सामने एक आदमी आ गया और उसने अपनी पूरी ताक़त से ब्रेक मार दी. गनीमत ये रही की वो आदमी उसकी कार से टकराया नही..
होली की वजह से सड़क पर कोई नही था. वो झट से बाहर निकली, ये देखने के लिए की कहीं उसे कोई चोट तो नही आई..
वो आदमी होली के रंगो से रंगा हुआ था और गाड़ी के अचानक सामने आने के कारण वो अपना बेलेंस नही संभाल पाया और नीचे गिर गया.. और वहीं लेट गया. जब काव्या उसके पास पहुँची तो उसे पता चला की वो तो शराब के नशे मे धुत्त था..
उसकी उम्र करीब 35 के आस पास थी.. और टी शर्ट और पेंट पहनी हुई थी उसने. ज़्यादा शराब पीने की वजा से वो बड़बदाए जेया रहा था... पर उसकी बात काव्या को समझ नही आ रही थी..
काव्या ने उसे उठाकर किनारे की तरफ ले जाना चाहा पर वो धुत्त होकर सड़क पर पड़ा हुआ था... उसने आस पास नज़र दौड़ाई पर दूर-2 तक उसे कोई दिखाई ही नही दिया जिसे वो मदद के लिए बुला सके. अब ऐसे बीच सड़क पर उसे छोड़कर भी नही जा सकती थी वो, नही तो कोई और गाड़ी आकर उसे कुचल देती... उसने अपनी पूरी ताकत लगा कर उसे बिठाया और फिर उसके पीछे जाकर कंधों के नीचे हाथ डालकर उसे उपर उठाने की कोशिश करने लगी... और ऐसा करते हुए उसके बूब्स उसके कंधों से बुरी तरह से रगड़ खा रहे थे... अगर वो इस वक़्त होश में होता तो उसे पता चलता की वो किस एहसास को मिस कर रहा है... क्योंकि नशे की हालत में उसे ये पता भी नही चल रहा था की काव्या जैसी जवान और हॉट लड़की उसे इस वक़्त उठाने की कोशिश कर रही है और ऐसा करते हुए उसके नर्म बूब्स उसकी मसाज कर रहे है...
और तभी आगे की तरफ झुकी हुई काव्या की नज़र उसकी पेंट के उभार पर पड़ी, उसकी पेंट की जीप खुली हुई थी जिसमें से उसका काला लंड साफ़ दिखाई दे रहा था. बेशक इस वक़्त वो सोया हुआ था पर उसकी लंबाई और मोटाई का अंदाज़ा लगाया जा सकता था.
और लंड देखते ही उसकी चूत में फिर से खुजली शुरू हो गयी... उसने ग़ोर से उस आदमी को देखा जो अभी तक नशे की हालत में बड़बड़ा रहा था पर उठने मे बिल्कुल नाकाम था. अब बीच सड़क पर वो ऐसी मुसीबत में फँस जाएगी, ये उसने सोचा नही था... उपर से उसके लंड की झलक मिलने के बाद से उसके दिमाग़ में पता नही क्या-2 ख़याल आ रहे थे... उसका तो मन कर रहा था की यही के यहीं उसकी पेंट खोले और नंगी होकर उसके लंड को निगल जाए चूत के थ्रू ...
पर वहां ऐसा करना पोस्सिबल नही था..और वैसे भी वो नशे में धुत्त सा होकर पड़ा हुआ था..
उसने हिम्मत करते हुए अपना हाथ नीचे किया और उसके लंड वाले हिस्से पर लगा कर ज़ोर से दबोच लिया... उसे ऐसा लगा की कोई सोया हुआ साँप हाथ में ले लिया है उसने. उसके हाथ लगते ही थोड़ी बहुत हलचल ज़रूर हुई उसके लंड पर लेकिन उसका असर उस आदमी पर बिल्कुल नही पड़ा, वो अभी तक अपनी आँखे खोल नही पा रहा था..
और तभी दूर से आती हुई एक कार दिखाई दी उसे... और अगले ही पल उसके दिमाग़ में एक आइडिया आ गया, वो भागकर बीच सड़क पर आई और उस कार को रुकने का इशारा करने लगी..
कार उसके करीब आकर रुकी, उसमे 2 आदमी और 2 औरतें बैठी हुई थी, जो शायद कहीं से होली खेलकर वापिस जा रहे थे, उनके शरीर भी बुरी तरह से रंगे हुए थे.
काव्या ने उन्हे बताया की एक आदमी सड़क पर पड़ा है और उसे देखकर उसने कार रोकी थी, और उसे हॉस्पिटल ले जाना ज़रूरी है क्योंकि उसकी हालत ठीक नही लग रही. काव्या ने उन लोगो से कहा की अगर वो उसे उठाकर उसकी कार में बिठा दे तो वो उसे हॉस्पिटल ले जाएगी..
एक लड़की को ऐसे अंजान इंसान की मदद करते देखकर वो लोग भी काफ़ी खुश हुए, और उन्होने खुशी-2 उस आदमी को उठाकर काव्या की कार की पिछली सीट पर डाल दिया और वो चले गये... काव्या ने भी कार स्टार्ट की और आगे चल दी.
अब उसका दिमाग़ बड़ी तेज़ी से काम कर रहा था... जो वो करने जा रही थी उसमे रिस्क तो काफ़ी था पर उसमे मिलने वाले मज़े को सोचकर उसकी चूत अभी से कुलबुला रही थी..
अंधेरा होना शुरू हो गया था... वो कार को लेकर अपने पुराने स्कूल की तरफ चल दी जिसके पीछे का हिस्सा काफ़ी सुनसान सा था, और वो अच्छी तरह से जानती थी की शाम के बाद उस तरफ कोई नही जाता, और आज तो वैसे भी होली का दिन था. आधे से ज़्यादा शहर इस वक़्त होली की थकान उतार रहा होगा या टल्ली होकर घरों में पड़ा होगा..
वहाँ पहुँचकर उसने कार रोक दी और बाहर निकल आई.
ठंडी-2 हवा चल रही थी.
उसका दिल जोरों से धड़क रहा था... एक अंजान आदमी को लेकर वो ऐसे सुनसान सी जगह पर आ तो गयी थी पर उसके मन में उथल पुथल मची हुई थी... उसके अंदर से आवाज आ रही थी 'एक अच्छे घराने' की लड़की भला ऐसी हरकत करती है क्या. और उसके पास लण्डों कमी है जो वो इस तरह से सड़क पर चल रहे नशे में धुत्त इंसान को उठाकर यहाँ ले आई, उससे मज़े लेने के लिए..'
पर दिमाग़ मे चल रही इन दलीलों के उपर उस आदमी के सोए हुए लंड की तस्वीरें हावी हो रही थी. उसके दिमाग़ के कोने में बैठी शरारती लड़की बोल पड़ी 'देखा जाएगा जो होगा, ऐसे एडवेंचर का भी लुत्फ़ उठना चाहिए कभी-2...'
और उसने आगे बढ़ कर पीछे का दरवाजा खोल दिया. वो आदमी नशे की हालत में होने की वजह से सीट पर लुडक गया था. काव्या ने उसके पैर खींच कर सीट के उपर फेलाए और उसे पिछली सीट पर लंबा करके लिटा दिया... और अब उसकी टांगे काव्या की तरफ थी... और काव्या की नज़रें उसके लंड वाले हिस्से पर..
काव्या अपने होंठों पर जीभ फेरते हुए उसकी टाँगो के बीच में आई और धीरे-2 अपने हाथ से उसके लंड को पकड़ लिया और पिछली बार की तरह इस बार भी उसके लंड ने हिल कर उसे अपना एहसास करवाया..
उसकी चैन तो खुली हुई थी. काव्या ने अपना दाँया हाथ उसके अंदर डाल दिया और अपने हाथों में उसके नंगे लंड को पकड़ लिया... वो एकदम गर्म था… और काफ़ी मोटा भी..
काव्या ने उसे धीरे से खींच कर बाहर निकाल लिया और उसे सहलाने लगी... नरम सा होने की वजह से वो इधर-उधर गिर रहा था पर धीरे-2 उसमे कसाव आने लगा और एक मिनट के अंदर ही अंदर वो पूरी तरह से खड़ा भी हो गया...
और उसके विकराल रूप को देखते ही काव्या से रहा नही गया और वो हुंकारती हुई सी नीचे झुकी और अपनी गहरी साँसे उसके करीब आकर छोड़ने लगी... वो गाड़ी का दरवाजा खोल कर उसके लंड पर झुकी हुई थी, ऐसे में अगर कोई पीछे से आकर उसकी चूत में अपना लंड डाले दे तो बिल्कुल पर्फेक्ट पोज़िशन में चुद जाती, और चुदासी तो उस पर ऐसी चढ़ी हुई थी की पीछे मुड़कर भी ना देखती की कौन पैल रहा है उसे!
उस आदमी के लंड वाले हिस्से से अजीब सी गंध आ रही थी... शायद पसीने और पेशाब की मिली जुली. पर इस वक़्त वो गंध भी काव्या को उकसा रही थी... उसने अपना मुँह खोल कर अपनी थरथराती हुई जीभ उसके लंड से लगाई और उसे किसी कुल्फी की तरह चाटना शुरू कर दिया..
''हाआआआआआआअ... उम्म्म्ममममममममममममम.......''
और अगले ही पल वो भूखी बिल्ली की तरह उस माँस के लोथड़े पर टूट पड़ी और उसे एक ही झटके में मुँह के अंदर लेकर ज़ोर-2 से सक्क करने लगी...
नशे मे होने के बावजूद उस आदमी को कुछ एहसास हो रहा था और वो अपना सिर इधर-उधर घुमाते हुए फिर से बुदबुदाने लगा...
वो उस गीले लंड को अपने मुँह से निकाल कर अपने चेहरे पर, अपनी आँखो पर, अपने होंठों पर..लगाने लगी... उसके अंदर से निकल रहे प्रीकम को उसने अपने पूरे चेहरे पर क्रीम की तरह लगा लिया और उसकी भीनी खुश्बू को सूँघ कर वो पहले से ज़्यादा उत्तेजित हो गयी..
और अगले ही पल वो वापिस बाहर निकलकर खड़ी हुई और उसने एक ही झटके में अपनी टी शर्ट उतार फेंकी और अपनी ब्रा भी खोलकर वहीं ज़मीन पर फेंक दी और आनन फानन में उसने अपनी जीन्स को भी पेंटी समेत उतार दिया..
और अब वो खुले मे बिल्कुल नंगी होकर खड़ी थी..
ऐसे में अगर वहाँ कोई आ जाता तो उसे ऐसी हालत में देख कर उसके साथ क्या करता ये वो वही जानती थी. पर इस वक़्त उसके उपर जो चुदासी चढ़ी हुई थी उसके सामने उसे कुछ भी दिखाई नही दे रहा था..
और पूरी नंगी होने के बाद वो उसके उपर झुकी और उसकी पेंट को खोल कर उसने नीचे की तरफ खींच कर उसे भी निकाल दिया..
और अब वो आदमी भी नीचे से नंगा होकर पिछली सीट पर लेटा हुआ था.
वो जम्प मारकर वापिस अंदर घुसी और फिर से नीचे मुँह करके उसके लंड की कटोरी से मक्खन चाटने लगी..
घनी झान्टो के बीच उसका बुर्ज खलीफा जैसा लंड उसे बड़ा अच्छा लग रहा था... वो उसके लंड को चूमती हुई उपर तक गयी और अपनी चूत को उसके लंड वाले हिस्से पर ज़ोर से दबा दिया
 
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Update 95

अब काव्या अपनी चूत को उसके लंड के उपर लगा कर उसके उपर लेटी थी और उस आदमी का चेहरा ठीक उसके सामने था... उसके मुँह से दारू की गंदी सी स्मेल आ रही थी. पर इस वक़्त उसे वो स्मेल भी किसी नशीली खुश्बू जैसी लग रही थी... और उसके पूरे चेहरे पर रंग लगा होने के बावजूद काव्या ने धीरे से अपना चेहरा नीचे किया और अपने रसीले होंठ उसके होंठों पर रख दिए और उन्हे धीरे-2 चूसने लगी..
पहले धीरे और फिर ज़ोर से... पहले सिर्फ़ होंठ और बाद में अपनी जीभ भी अंदर घुसेड कर उससे मज़े लेने लगी... उसके चेहरे और होंठों का रंग काव्या के उपर लगता जा रहा था पर कामाग्नि में जल रही काव्या को उसकी बिल्कुल भी चिंता नही थी... वो तो अपनी रसीली चूत को उसके लंड पर रगड़ती हुई उसे चूसने में लगी थी... और वो बेवड़ा तो अपनी ही दुनिया में मदहोश सा होकर बस थोड़ा बहुत हिल डुल रहा था... शायद नशे में उसे यही लग रहा था की वो काल्पनिक दुनिया में किसी लड़की से मज़े ले रहा है पर वो ये नही जानता था की यथार्थ में उसके साथ वही हो रहा है...
उसका लंड थोड़ी देर पहले तक तो कड़क हो गया था पर मुँह से निकालने के बाद फिर से मुरझाने लगा... ऐसे मे उसे चूत के अंदर नही लिया जा सकता था. इसलिए वो घूम कर 69 की पोज़िशन में उसके लंड की तरफ आई और अपनी रसीली चूत को उसके रंगीले मुँह के उपर दबाते हुए उसके नशीले लंड को अपने मुँह में लेकर पहले की तरह ही उसकी सकिंग करने लगी..
और साथ ही साथ अपनी चूत की फांको को उसके होंठों के उपर रगदकर खुद भी मज़े लेने लगी... उसके चेहरे पर घनी मूँछे थी जो उसकी चिकनी चूत पर चुभ रही थी और उसे गुदगुदी का एहसास भी दे रही थी... वो अपनी चूत को उसके होंठों से रगड़ खिलाती हुई उसकी मूँछों पर मसलती और फिर थोड़ा और उपर लेजाकर उसकी लंबी नाक की नुकीली नोक से अपनी चूत के दाने को रगड़ती... और एक बार तो ऐसा हुआ की उसने उसकी पूरी की पूरी नाक को ही अपनी चूत के अंदर ले लिया और उससे चुदने लगी... एक तो उसकी चूत ने उसके मुँह को पूरी तरह से कवर किया हुआ था उपर से नाक से भी साँस ना मिलने की वजह से वो विचलित सा हो उठा और ज़ोर-2 से खाँसता हुआ वो अपने नशे की दुनिया से बाहर निकल आया और उसने अपने उपर लेटी हुई नंगी काव्या को धक्का देकर साइड में किया और कार से बाहर निकल आया..
भले ही वो होश में आ चुका था पर था अभी भी वो गहरे नशे में ... बाहर निकल कर वो ठीक से खड़ा भी नही हो पा रहा था... उसने कार को पकड़ा और बड़ी मुश्किल से अपने को सहारा दिया और ये जानने की कोशिश करने लगा की वो है कहाँ और उसके साथ हो क्या रहा है...
और दूसरी तरफ काव्या तो उसके होश में आने के बाद घबरा सी गयी... उसने इस बारे में सोचा भी नही था... उसकी समझ से तो वो उससे नशे की हालत मे चुदाई करवाती और उसे वहीँ छोड़कर निकल जाती पर उसे ऐसे होश में आता देख कर उसके होश उड़ गये थे और इससे पहले वो कुछ और सोच पाती उस आदमी की नज़र उसके उपर पड़ी... और वो बेचारी नंगी पुँगी सी अपनी कार की पिछली सीट पर सिकुड कर बैठ गयी...
थोड़ी देर तक दोनों के बीच सन्नाटा सा छाया रहा और फिर वो आदमी लड़खड़ाती लेकिन कड़क आवाज़ में बोला: "ऐ छोरी, ... कौन है री तू ... और ये क्या कर रही थी मेरे साथ...''
वो बड़ी मुश्किल से खड़ा हो पा रहा था और बात कर पा रहा था... उसे ऐसे बात करता देखकर वो थोड़ा नॉर्मल हुई और फिर जल्द ही उसने एक कहानी अपने दिमाग़ मे बना ली और बोली: "बड़ी जल्दी भूल गया रे तू... थोड़ी देर पहले तक तो मुझे चोदने की बातें कर रहा था... और अब काम करने की बारी आई तो पूछता है की मैं कौन हूँ ... साला बेवड़ा...''
काव्या अपने आप को एक धंधे वाली दर्शा रही थी और उस बंदे को अपना कस्टमर..
वो बेचारा हैरान परेशान सा उसे देखने लगा और अपने दिमाग़ पर ज़ोर डालते हुए सोचने लगा की उसने ऐसा कब कहा उससे ... और अगर कहा भी तो ये धंधे वाली तो लगती नही, इतनी सुन्दर ... इतनी जवान ... और साथ ही कार में भी...
वो बोला: "पर.... वो..... वो.... मुझे याद नही है... और ये कार....''
काव्या अब करीना कपूर के चमेली वाले कैरेक्टर में आ चुकी थी, वो थोड़ी उँची आवाज़ में बोली: "तुझे याद नही है तो मैं याद दिलाती हू तुझे साले .... पूरे 5 हज़ार में बात हुई थी हमारी... और ये कार मेरी है... अपनी मेहनत से चुदाई करवा कर खरीदी है ... तुझ जैसे हरामियों से चुदवा कर ...''
अपनी चूत को रगड़ती हुई बोली थी उसने ये बात....
काव्या को तो खुद भी विश्वास नही हो रहा था की वो ऐसी बेहूदा बातें और हरकतें इतने आत्मविश्वास के साथ कैसे करती चली जा रही है. अपनी चोरी पकड़े जाने के बाद वो एक रंडी जैसा बर्ताव करके बाजारू लड़कियों की तरह बिहेव कर रही थी... और ऐसा करते हुए वो अब अपने नंगेपन को भी छुपाने का प्रयत्न नही कर रही थी... बल्कि अपनी गीली चूत और कड़क मम्मे दिखाकर उसे ललचा रही थी ताकि वो जल्दी से उसे चोदने के लिए राज़ी हो जाए...
और वो हो भी रहा था... पर उस आदमी को एक ही चिंता थी... पैसों की... उसकी जेब में तो इस वक़्त एक फूटी कोड़ी भी नही थी... एक सौ का नोट था जिसका उसने अद्धा पी लिया था और वो भी नीट ... इसलिए उसकी ऐसी हालत हो रही थी...
पर दारू इंसान के दिमाग़ पर चड़ती है, उसके लंड पर नही, इसलिए नशे की हालत में होने के बावजूद, ऐसी जवान लड़की को नंगा देख कर उसका लंड खड़ा हो चुका था... और वो अंदर ही अंदर उसे चोदने के सपने भी देखने लगा. और वैसे भी, दारू पीने के बाद की चुदाई का मजा कुछ अलग ही होता है.
काव्या: "अब खड़ा क्या है, चल वापिस अंदर आ... और काम पूरा कर...''
वो अपनी चूत के उपर अपनी उंगलियाँ मसलती हुई बोली.
वो आदमी, जिसका नाम रोहित था, वो हकलाते हुए बोला : "वो... मेरे पास... पैसे नही है...''
अब भला काव्या को उसके पैसों से क्या लेना देना था... वो तो ऐसी हालत में रंगे हाथों पकड़ी गयी थी इसलिए ऐसी कहानी बनाई. वो बोली: "साले, हरामी... जब पैसे नही थे तो पहले क्यों बोला... अब मेरी चूत में आग लगा कर बोलता है की पैसे नही है...''
वो थोड़ा बहुत गुस्सा भी दिखा रही थी ताकि उसकी एक्टिंग सच लगे... और फिर थोड़ा रुक कर बोली: "चल, अब पैसे नही है तो फ्री के मज़े ले... कम से कम मेरी चूत को तो उसका हक मिले ना... ऐसे बीच में लाकर छोड़ेगा तो मैं पूरी रात सुलगती रहूंगी ''
और इतना कहते हुए उसने रोहित के लंड को पकड़ कर अपनी तरफ खींचा और उसे एक बार फिर से मुँह में लेकर चूसने लगी...
रोहित अपनी बंद हो रही आँखों को बड़ी मुश्किल से खोलने की कोशिश कर रहा था पर नशे की वजह से वो बंद हुए जा रही थी... पर उसके लंड पर काव्या का मुँह लगते ही वो पूरी तरह से खुल गयी और वो उसकी पतली कमर और चौड़ी गांड को देखता हुआ उसके मुँह की चुदाई करने लगा...
काव्या उसके लंड को चूसती हुई उसे ही देख रही थी... और उसके मासूम से चेहरे को देखकर रोहित का लंड अब पूरी तरह से खड़ा हो चुका था... उसे तो अब भी विश्वास नही हो रहा था की ये एक रंडी है... ऐसी कमसिन लड़की, जो मुश्किल से 20 साल की भी नही है, उसके मम्मे भी पूरी तरह से बाहर नही निकले है, इस धंधे मे कैसे आ गयी... और उसकी किस्मत तो देखो, पैसे ना होने के बावजूद वो उससे चुदवाने के लिए तैयार भी हो गयी..
वो अपनी किस्मत और अपने बड़े लड़ की सराहना कर रहा था, जिसकी वजह से उसे ऐसी लड़की के साथ मज़े करने को मिल रहे थे... आज सच में उसे होली का असली मजा मिल रहा था
अब उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था. काव्या ने उसकी तरफ देखते हुए कहा: "चल अब, जल्दी से घुसा दे इसे मेरी चूत में ...''
और इतना कहते हुए वो पलट कर दूसरी तरफ हो गयी, उसके पैर कार से बाहर थे और वो पिछली सीट पर घोड़ी बनकर खड़ी हो गयी..
उसकी गोल मटोल गांड देखकर रोहित तो चकरा कर रह गया... किसी की ऐसी गांड भी हो सकती है उसने तो सोचा भी नही था... एकदम चिकनी... और उसके बीच मे से झाँक रही नन्ही सी चूत की झलक जब उसे मिली तो वो ये सोचने लगा की एक रंडी होने के बावजूद इसकी चूत इतनी छोटी कैसे है... ये तो बोल रही है की इसने इतनी चुदाई करवाई है की इसने उन पैसों से कार खरीद ली है, पर इसकी चूत देख कर तो लगता है की उस कमाई से तो ये अभी तक साइकल भी नही ले पाई होगी...
पर उसे इससे क्या, एक तो फ्री में उसे ऐसी चूत मारने को मिल रही थी उपर से ऐसे सवाल पूछकर वो इस वक़्त उसका मूड खराब नही करना चाहता था... इसलिए चुपचाप उसने अपने लंड के उपर थूक लगायी और उसकी चूत पर अपना लंड टीका कर धीरे से अंदर घुसाया..
काव्या तो धड़कते दिल से एक एजनबी के मोटे लंड का इंतजार कर रही थी. और जैसे ही उसके सुपाड़े ने उसकी चूत के दरवाजे पर दस्तक दी, उसके शरीर के रोँये खड़े हो गये. वो कुछ और सोच पाती, इससे पहले ही रोहित ने एक जोरदार शॉट मार कर अपना लंड उसकी चूत के अंदर घुसेड दिया... वो पिछली सीट की लेदर सीट को पकड़ कर ज़ोर से चिल्ला पड़ी..
''आआआअहह .................. उम्म्म्मममममम ...... मरररर गयी .....''
और उसकी चूत इतनी टाइट थी की इतने जोरदार झटके के बाद भी रोहित का लंड सिर्फ़ आधा ही अंदर घुस पाया था... और वो ये सोच कर ही खुश हो गया की शायद इस रंडी ने आज से पहले मेरे जैसे मोटे लंड को अंदर नही लिया है, वरना ऐसी टाइट चूत ना होती इसकी..
अब उस बेचारे को भला कौन समझाए की इसने तो 2 दिन पहले ही चुदाई करवानी शुरू की है.... और समीर और नितिन के बाद ये उसकी जिंदगी का तीसरा लंड है जो उसके अंदर जा रहा है... और सबसे मोटा होने की वजह से ये दर्द होना भी स्वाभाविक ही है...
खैर, रोहित ने थोड़ा सा लंड बाहर खींचा और फिर से अंदर डाल दिया... और इस बार और ज़ोर से... पिछली बार आधा सफ़र तय करने के बाद इस बार वो पूरी मंज़िल तक जाना चाहता था... और पहुँच भी गया वो...इस झटके की मदद से उसके लंड के सुपाड़े ने उसकी चूत के आख़िरी सिरे को जाकर चूम लिया... और अपने लंड को उसकी चूत में फँसा कर रोहित ने एक जोरदार हुंकार भरी... जो उस सुनसान इलाक़े में गूँज कर रह गयी..
''आआआआहह ... ऊऊऊऊऊहह साआआाआली .....क्या टाइट चूत है रे तेरी... अहह मज़ा आ गया कसम से......साली रंडी'
और उसके बाद तो वो रुका ही नही... और अपने लंड को बाहर निकाल कर दुगनी तेज़ी से अंदर घुसेड़ने लगा... और ऐसा 8-10 बार करने के बाद उसकी चूत रंवा हो गयी और फिर तो उसका लंड बड़ी आसानी से अंदर बाहर जाने लगा...बिना कोई रोक टोक के..और उसके अंदर बाहर होने से जो एहसास काव्या को मिल रहा था वो उसे महसूस करती हुई एक असली रंडी की तरह चिल्लाए जा रही थी..
''आआआआआआआईइ................साले ................चोद मुझे...............आआआआआहह ऐसे ही ................. ओफफफ्फ़ ओफफफ्फ़ एसस्सस्स....... फककक मी .....फक्क मी बास्टर्ड....... फक्क मीssssssssssssssss ...''
वो गँवार रोहित भी ये सोचने लगा की शायद उसकी जिंदगी में ये पहली बार है जब वो एक अँग्रेज़ी बोलने वाली रंडी की चुदाई कर रहा है... और वो भी फ्री में ...
ये सोचते -2 वो काफ़ी उत्तेजित हो उठा और उसने अपना लंड खींच कर बाहर निकाल लिया और काव्या को भी बाहर घसीट लिया... और उसे कार की फ्रंट साइड पर ले आया... और बोनट के उपर उसे बिठाकर अपना लंड फिर से उसकी चूत में दाखिल कर दिया...
काव्या ने उसकी कमर मे अपनी टांगे लपेट कर उसके लंड को अंदर लिया और उसके कानों को चूमते हुए फिर से चीखे मारने लगी..
''ऊऊऊऊऊओह येसस्स्स्स्स्स्स्सस्स.... कितना मोटा है तेरा लंड साले ..............आहह मज़ा आ गया............. उम्म्म्म ..... ओह ....एसस्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स.... चोद .................. फ्री की चूत मिली है आज तुझे... चोद इसे......अपने लंबे लंड से चोद मुझे कुत्ते हरामी ..............''
रोहित तो उस कॉनवेंट मे पड़ी चूत को चोद कर खुशी से फूला नही समा रहा था.... उसका नशा कब का उतर चुका था और सेक्स का नशा चढ़ चुका था अब उसके उपर...
उसने काव्या को नीचे खड़ा किया और उसे घूमा कर उसकी गांड अपनी तरफ कर ली. उसे झुका कर उसे घोड़ी बनाया और एक बार फिर से उसकी चूत के अंदर अपना लंड डाल कर उसे उस सुनसान सी जगह पर खुल्ले में चोदने लगा...
उसके हर झटके से काव्या उछल कर कार के बोनट पर जा चड़ती और फिर फिसल कर नीचे आ जाती..
उसकी चूत से निकले पानी से कार के बोनट की रबिन्ग-पॉलिशिंग हो रही थी, जिसकी वजह से कार का अगला हिस्सा चमक उठा था
ऐसा करीब 10 मिनट तक चलता रहा.. रोहित उसके मम्मो को दबाकर पूरी ताक़त से उसके नंगे बदन से चिपका हुआ था और ज़ोर-2 से उसकी चूत की कुटाई अपने मूसल से कर रहा था..
और लगातार इतनी लंबी और झटको वाली चुदाई करने के बाद दोनो थक गये. काव्या के कहने पर वो फिर से वापिस कार में आ गये..
कार की सीट्स को फोल्ड करके उसने पिछली सीट पर ज़्यादा जगह बना ली और उसपर रोहित को लिटा कर खुद उल्टी होकर उसके लंड पर बैठ गयी..
और एक बार फिर से उछल-कूद भरी चुदाई शुरू हो गयी उस कार में ..
उसके मम्मे हर झटके से जोरों से हिलते जिसे काव्या सामने लगे छोटे से मिरर में सॉफ देख पा रही थी..
और वो देख कर वो काफ़ी उत्तेजित भी हो रही थी...
और आख़िरकार उसकी उत्तेजना का चर्म स्तर आ ही गया और वो ज़ोर-2 से चिल्लाती हुई उसके खड़े लंड पर झड़ने लगी..
'आआअहह उउम्म्म्मममम ऊऊऊऊऊऊऊओफफफफफफ्फ़ ...आई एम कमिंग......''
रोहित भी झड़ने के बिल्कुल करीब था..
पर उसके रस को अपनी चूत में लेकर वो कोई रिस्क नही लेना चाहती थी..
इसलिए झड़ने के बाद जब उसे लगा की रोहित भी झड़ने वाला है तो वो झट से उसके लंड से उतर गयी और अपने हाथों से उसके लंड को मसलने लगी...
और थोड़ी ही देर मे उसके लौड़े से सफेद फव्वारा निकलने लगा और उसके हाथों और पिछली सीट को गीला करने लगा..
दोनो पूरी तरह से संतुष्ट हो चुके थे.
 
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Update 96

ये सब करते-करते 8 बज चुके थे. काव्या ने जल्दी से अपने कपड़े पहने, अपनी पॉकेट से मोबाइल निकाल कर देखा, मों की 8-10 मिस्स कॉल्स थी, जो साइलेंट होने की वजह से सुन नही पाई थी वो... उन्हे फोन करके उसने आधे घंटे में आने की बात कही, साथ ही बहाना बनाकर ये भी बोल दिया की गाड़ी खराब हो गयी थी इसलिए देर हो गयी..
रोहित को गाड़ी में बिठा कर उसे वापिस मैन रोड पर उतारा. वो बेचारा समझ भी नही पाया की आख़िर में आकर ऐसी जल्दबाज़ी क्यों दिखा रही है वो. पर वो बिना कुछ बोले उसकी बातें मानता गया. आख़िर आज की होली उसे हमेशा के लिए जो याद रहने वाली थी..
और अपनी रंगीन होली मना कर वो वापिस घर आ पहुँची जहाँ उसके लिए एक सरप्राइज भी था..
और वो सरप्राइज कुछ ऐसा था.
काव्या के घर से निकलने के बाद समीर भी ऑफीस के लिए निकल गया... आज उसने अपने सारे स्टाफ के लिए होली की पार्टी रखी थी. और सभी के लिए लंच भी था वहाँ..
रश्मि को होली का ज़्यादा शोक नही था, इसलिए घर के सारे काम निपटा कर वो टीवी देखने बैठ गयी.. पर उसका मन उसमे लग ही नही रहा था... वो तो बस किसी से भी चुदवाने के बारे में सोचे जा रही थी.. पर कोई था भी तो नही ना... और ये सोचते-2 कब उसकी आँख लग गयी उसे भी पता नही चला..
करीब 2 घंटे बाद उसके घर की बेल बजी... और जब उसने दरवाजा खोला तो सामने विक्की खड़ा था..
और उसे देखते ही उसके अंदर की भूखी औरत फिर से जाग गयी...
विक्की: "नमस्ते आंटी.... एंड हैप्पी होली ...''
उसके चेहरे पर पूरा रंग लगा हुआ था... और उसने थोड़ा सा रंग आगे ले जाकर रश्मि के चेहरे पर भी लगा दिया... भले ही रश्मि को होली पसंद नही थी पर उसके मर्दाना हाथों से रंग लगवाने में उसके शरीर में अजीब सी गुदगुदी हो रही थी...
और विक्की भी साला बड़ा हरामी था... ऐसा नही था की वो पहली बार रश्मि को हाथ लगा रहा था पर होली के मौके पर ऐसे गदराये माल को रगड़ने का जो मज़ा है वो तो वही जान सकता है जो रगड़ता है... और यही विक्की के साथ भी हो रहा था इस वक़्त... उसके हाथ रंग लगाने का बहाने रश्मि के शरीर के हर हिस्से को मसल रहे थे...
चेहरे से शुरू हुआ सिलसिला धीरे-2 नीचे जाने लगा... गर्दन और फिर सीधा उसके विशालकाए मम्मों पर... और उन पर हाथ लगते ही रश्मि का छटपटाना एकदम से बंद हो गया और वो लगभग विक्की के उपर गिरती चली गयी... जैसे बोल रही हो 'ले हरामखोर ...लगा ले ..जितना रंग लगाना है मुझ पर..'
और विक्की भी अपने रंगीन हाथों को उसके मम्मों पर मसलता हुआ बड़ा उत्तेजित फील कर रहा था. उसके सूट के नीचे से उसने अपने दोनो हाथ अंदर घुसेड दिए और उसके नर्म मुलायम पेट पर रंग लगाने लगा..
ये सब ड्रॉयिंग रूम में चल रहा था... और दरवाजा तो विक्की को अंदर लेने के बाद ही बंद कर दिया था रश्मि ने... इसलिए उसे कोई चिंता नही थी..
जैसे ही विक्की के हाथ फिर से सरक कर उपर की तरफ आए, रश्मि ने अपने दोनो हाथ उपर कर दिए ताकि विक्की उसके सूट को उतार दे...
जो विक्की ने नही सोचा था वो रश्मि करने को तैयार थी...
विक्की: "आज लगता है जैसे मेरा ही इंतजार हो रहा था.... आपका पति कहाँ है ...''
वो उसके सूट को उतारता हुआ बोला..
रश्मि: "पति भी नही है और तेरी काव्या भी... अभी के लिए सिर्फ़ तू और मैं है घर पर...''
विक्की के हाथ उसकी ब्रा मे क़ैद मुम्मे मसलने में लगे थे... सफेद रंग की ब्रा को गुलाबी होने में एक मिनट ही लगा बस...
काव्या के घर पर ना होने की बात सुनकर वो थोड़ा मायूस हो गया पर रश्मि की बात सुनकर फिर से उसके चेहरे पर मुस्कान लौट आई. वो बोली: "काव्या बस एक घंटे तक आ जाएगी... तब तक मेरे साथ ही होली खेल ले... जैसी तुझे पसंद हो ...वैसी खेल ले...''
विक्की के लिए ये ऑफर भी बुरा नही था.... जब तक काव्या वापिस आएगी, तब तक उसकी माँ उसके लंड को तैयार कर सकती है... ये सोचते-2 उसने रश्मि की ब्रा भी खोलकर नीचे फेंक दी... और अब वो टॉपलेस थी. उसके गोरे मम्मे देखकर विक्की के मुँह में पानी भर गया... और उसने वो पानी उसके मोटे-2 निप्पलों पर उड़ेलना शुरू कर दिया.. उन्हे चूस-चूस्कर ...
''आआआहह..... ओह विक्की............चूसो इन्हे...........''
और पलक झपकते ही रश्मि के बाकी बचे कपड़े भी नीचे फर्श पर पड़े थे... और वो खड़ी थी पूरी नंगी हो कर विक्की के सामने...
विक्की भी उसके मांसल बदन को देखकर दंग रह गया... रिसोर्ट में भी उसने रश्मि को नंगा देखा था और उसके साथ सिर्फ़ चुदाई को छोड़ कर सब कुछ किया था... पर उस दिन वो ऐसी कयामत जैसी नही लग रही थी... शायद इसलिए की उस वक़्त काव्या भी वहां थी और अपनी कड़क बेटी के सामने तो वो थोड़ी कम ही है... पर अकेले में उसका कोई मुकाबला नही...
ये सब सोचते-2 विक्की के लंड में उबाल आना शुरू हो गया और कुछ ही देर में वो वहीं खड़ा हुआ अपनी पेंट के उपर से ही अपना लंड मसलने लगा..
रश्मि: "रूको... मेरे होते हुए तुम ये जहमत क्यो उठा रहे हो... ये काम मेरा है और मुझे ही करने दो....''
सेक्स मे रूचि रखने वाली औरतों में सबसे अच्छी यही बात होती है की वो हर काम आगे बढ़कर खुद करने में विश्वास रखती है... और उन्हे ऐसा करते देखकर उनके पार्ट्नर को जो खुशी होती है वो तो बस वही जान सकते है..
विक्की भी अपने आप को उसके हवाले छोड़ कर खड़ा हो गया और रश्मि आराम से उसके कदमो में बैठकर उसकी पेंट उतारने लगी... जीप खोलकर उसकी पेंट को नीचे खिसकाया और फिर उसके अंडरवीयर को भी... और अगले ही पल उसका अकड़ ख़ाता हुआ लंड किसी स्प्रिंग की तरह उछलकर सामने आ गया...
और उसे देखकर रश्मि ने अपने होंठों को दांतो तले दबा कर खुद ही अपना रस निचोड़कर पी गयी..
और फिर बड़े ही प्यार से उसे हाथों में लेकर अपने होंठों से लगाया और फिर आँखे बंद करते हुए एक-2 इंच करती हुई उसकी गर्म रोड को निगलने लगी.... ऐसा लग रहा था जैसे कोई आग का गोला उसके मुँह में जा रहा है...
पर उस आग के गोले में उतनी आग नही थी जितनी रश्मि के मुँह से निकल रही थी इस वक़्त... दोनो तरफ की आग की तपिश एक दूसरे को झुलसाने लगी. और दोनो के मुँह से ही मादकता से भरी सिसकारियाँ निकलने लगी...
''आआआआअहह ऊऊऊऊऊहह आंटी..............आपका मुँह तो मुझे जला कर रख देगा......''
और रश्मि उस आग के गोले की आग को अपनी लार से बुझाने में लगी हुई थी... चपड़-2 की आवाज़ें गूंजने लगी पूरे ड्रॉयिंग रूम मे... और लार की लकीर बनकर उसके मम्मों पर गिरने लगी... जिसे वो बड़े ही उत्तेजक तरीके से अपने ही हाथों से पूरी छातियों पर मल रही थी...
विक्की ने रश्मि के सिर को पकड़ा और उसे पकड़ कर धक्के मारने शुरू कर दिए... जैसे चूत मारते हुए करते हैं... वो उसके मुँह की चुदाई कर रहा था... और धक्के भी बड़े जबरदस्त वाले थे... पर रश्मि जैसी कलाकार सामने थी इसलिए उन धक्को को वो बड़े ही आराम से सहन करती हुई उसके लंड को चूसती भी जा रही थी..
विक्की ने अपनी टी शर्ट भी उतार दी. अब वो भी नंगा होकर खड़ा था उसके सामने... अपने कठोर हाथों से उसके रेशमी बालों को सहलाते हुए उसे अपना लंड चुसवाता हुआ सिसकारियाँ मार रहा था..
रश्मि की चूत में तो चींटियाँ रेंग रही थी जिन्हे वो अपनी उंगलियों से मसल कर मारती जा रही थी.... विक्की के लंड को चूसते हुए उसने अपनी स्पीड और तेज कर दी और अपनी 3-3 उंगलियाँ एक साथ अंदर बाहर करने लगी.... अपने पंजो के बल बैठी हुई रश्मि के नीचे गाड़े पानी की बूंदे टपक कर मीठे पानी का तालाब बना रही थी...
रश्मि के मुँह के आगे विक्की का लंड हार ही गया और उसने जोरदार चीखे मारते हुए अपने गन्ने का रस उसके मुँह में निकालना शुरू कर दिया...
''आआआआआआआआआअहह हह उम्म्म्मममममम..... ऑश मई तो गया......... आआआअहह''
कुछ देर तक ऐसे ही खड़ा हुआ वो कांपता रहा... उसके शरीर से ऐसे झटके निकल रहे थे जैसे तोप के गोले छोड़ने के बाद तोप हिलती रहती है कुछ देर तक.... और जब वो शांत हुआ तो अपनी प्यासी आँखो से रश्मि उसे ऐसे देख रही थी जैसे उसे खा ही जाएगी...
विक्की समझ गया की वो क्या चाहती है.... उसने रश्मि की बगल मे हाथ डालकर उसे उठाया और टेबल पर ले जाकर बिठा दिया... और उसकी चूत के उपर झुक कर उसने अपनी लंबी सी जीभ निकाली और उसकी सेवा करनी शुरू कर दी..
अपनी गर्म चूत पर उसके नर्म होंठ लगते ही वो मुस्कुरा उठी और अपनी गांड हिला कर आगे पीछे करते हुए खुद ही उसके मुँह मे अपनी चूत चुसवाने लगी...
विक्की भी उसकी चूत के निकले हुए माँस के हिस्से को अच्छी तरह से अपने मुँह में लेकर चुभला रहा था...ऐसा करते हुए वो उसके अंदर से निकलने वाला जूस भी पीता जा रहा था... लग रहा था जैसे कोई संतरे की फाँक है जो उसके मुँह में आती है और अपना रस छोड़कर फिर चली जाती है... ऐसा मीठा रस था उसका की वो लगातार चूस रहा था पर वो ख़त्म होने का नाम ही नही ले रहा था..
रश्मि भी उसके सिर पर हाथ रखकर अपनी चूत का शाही पकवान उसे खिला रही थी..
विक्की ने तो अपनी तजुर्बेकार जीभ से उसकी चूत चाट-चाट कर चमका डाली...
अपने ही रस में डूबकर और विक्की के मुंह के गीलेपन से वो बुरी तरह से पनिया गयी थी
और फिर उसने धीरे से अपनी एक उंगली भी जीभ के साथ-2 अंदर डाल दी... जीभ की पहुँच उतनी नही थी जितना अंदर उंगली जा पा रही थी. इसलिए उसे अपनी क्लिट पर आघात करते पाकर रश्मि ने अपनी गांड हवा में लहरा दी... और खुद ही उसकी उंगली को अपने अंदर घुस्वाने लगी.
''ओह विक्की...............काश इस उंगली के बदले तेरा लंड होता ......उम्म्म्मममममममममम ......''
विक्की भी उसके चेहरे को देखकर मुस्कुराया... वो जानता था की इस वक़्त कितनी खुजली मची हुई है रश्मि के अंदर उसका लंड लेने की... पर वो तो अपनी बात पर अभी तक अड़ा हुआ था...
वो बोला: "मैने पहले भी कहा था ना... जिस दिन काव्या की मिल जाएगी मुझे... उसके बाद आपकी चूत मारने में मुझे कोई प्राब्लम नही होगी...''
रश्मि: "और वो काम अगर मैं आज ही करवा दू तो???''
उसकी ये बात सुनते ही विक्की ने एक साथ अपनी 3 उंगलियाँ उसकी चूत में उतार दी और अपनी स्पीड भी बड़ा दी....
विक्की: "अगर आज आपने मेरा ये काम करवा दिया ना तो कसम से आज ही अपने इस मूसल से आपकी चूत की भरपूर सेवा करूँगा...''
रश्मि: "तो बस समझ ले की तेरा काम हो गया .... आज काव्या के आने के बाद तो पहले उसके साथ और फिर मेरे साथ वही सब करेगा जिसके लिए उपर वाले ने तुझे ये लंड दिया है....''
रश्मि ने उसके लंड को पकड़ कर ज़ोर से दबा दिया....
और विक्की भी उत्तेजना मे भर कर उसकी चूत को और तेज़ी से अपनी उंगलियों से चोदने लगा... और रश्मि ज़ोर से चिल्लाती हुई अपने बूब्स को अपने ही हाथों से दबाने लगी..
''आआआआआआआआआहह ओह विक्की .... ज़ोर से.... येसस्स्सस्स्स्सस्स ... ऐसे ही ... अहहsssssssssss.......''
और फिर तो रश्मि की आँखे ही फिर गयी... उसे पता ही नही चला की उसके साथ क्या हो रहा है... वो पीछे की तरफ लुढ़क गयी और एक के बाद एक झटको ने उसके अंदर की सारी उर्जा गाड़े पानी के रूप में बाहर निकाल दी... ऐसा लगा की जैसे उसके शरीर का सारा प्रोटीन विक्की की उंगलियों ने बाहर खींच लिया है... काश वो इस वक़्त उसकी चूत मार सकता तो जो प्रोटीन की कमी उसे महसूस हो रही है वो उसके रस को अंदर लेकर पूरी कर लेती..
पर ऐसा अभी तो हो नही सकता था... उसे काव्या का वेट करना पड़ेगा उसके लिए...
अपनी ऑर्गॅज़म से बाहर निकलने के बाद वो अपनी बोझिल आँखो से विक्की को देखते हुए बोली: "तेरी उंगलियों ने मुझे इतने मज़े दिए हैं, पता नही तेरा लंड जब अंदर जाएगा तो मेरा क्या हाल होगा...''
विक्की (मुस्कुराते हुए): "आपका हाल तो बेहाल होगा.... और वही हाल काव्या का भी होगा हा हा...''
रश्मि भी उसके लटके हुए खीरे को देखकर मुस्कुरा उठी..
अब तो सच मे उसकी चूत को उसके लंड की कमी महसूस हो रही थी.
उसने जल्दी से फोन उठाया और काव्या को मिलाया ताकि वो जान सके की वो कब तक आएगी और विक्की के लंड से चुद कर वो उसकी चुदाई का रास्ता खोलेगी.
पर काव्या तो वहाँ किसी और के लंड का मज़ा ले रही थी... कार मे बैठी हुई वो रोहित के लंड को अंदर बाहर कर रही थी..
 
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Update 97

रश्मि ने कई बार फोन किया पर उसने उठाया ही नही... उठाती भी कैसे वो... फोन को साइलेंट मोड पर करके वो अपनी चुदाई चीख-2 कर जो करवा रही थी.
रश्मि: "लगता है वो ड्राइव कर रही है....आ ही जाएगी अभी...''
उसका ध्यान अभी तक विक्की के लंबे लंड के उपर था जो अब धीरे-2 फिर से अपने असली आकार में आने लगा था..
रश्मि की मोटी छातियों की तरफ देखता हुआ विक्की बोला: "अब तो वो आने ही वाली है ... तो इसको तैयार करना अब आपकी ज़िम्मेदारी है...''
रश्मि को तो मौका चाहिए था फिर से उसके लंड को पकड़ने का. उसने विक्की को पकड़ कर अपनी जगह पर बिठाया और खुद उसके सामने आकर खड़ी हो गयी.... और उसके लंड को लेकर धीरे-2 मसलने लगी..
और ऐसा करते हुए वो बड़े ही सेक्सी तरीके से उसे देख रही थी.
और एक ही मिनट के अंदर विक्की का लंबा लौड़ा फिर से अपने 8 इंची आकार में आ गया.
और रश्मि उसे अपनी दोनो छातियों के बीच में लेकर धीरे-2 उसे बूब मसाज भी दे रही थी.
एक तो उसके मोटे-2 मम्मे और उपर से उसका सेक्सी लुक, विक्की के लंड का पारा जल्द ही फिर से बढ़ने लगा और उसने झटक कर अपने लंड को उसकी गिरफ़्त से छुड़वाया.
''आप तो मुझे एक मिनट मे फिर से झाड़ कर रख देंगी... कुछ तो काव्या के लिए रहने दो...''
वो भी मुस्कुरा उठी.
और तभी रश्मि के फोन की घंटी बज उठी, काव्या का फोन आया था... वो रोहित के साथ चुदाई करवा कर फ्री हो चुकी थी अब तक.
उसने फोन उठा कर उसे जल्द घर आने को कहा..
और फोन रखने के बाद वो विक्की के लंड को पकड़ कर उसे अपने बेडरूम के अंदर बने बाथरूम की तरफ ले गयी ताकि काव्या के आने तक वो फ्रेश हो जाए..
काव्या के आने की बात सुन कर उसके लंड में जलतरंग सी बजने लगी और वो रश्मि के पीछे-2 चलता हुआ बाथरूम में पहुँच गया.
रश्मि ने उसको शावर के नीचे ले जा कर खड़ा कर दिया और फिर दोनो ने एक दूसरे को साबुन लगा कर नहलाया.
साथ ही साथ, बीच-2 में वो दोनो एक दूसरे को चूम भी रहे थे और एक दूसरे के अंगो को सहला भी रहे थे.
ऐसा करीब 10 मिनट तक चलता रहा.
और तभी बाहर के गेट की बेल बजी, काव्या आ गयी थी.
रश्मि और विक्की जल्दी से बाहर निकले. रश्मि ने जल्द से एक चादर ओढ़ ली और भाग कर बाहर की तरफ चल दी... विक्की वहीं बेड पर नंगा होकर बैठ गया... काव्या का इंतजार करने के लिए..
रश्मि ने दरवाजा खोला तो उसके चेहरे पर आई रंगत सॉफ बता रही थी की वो अंदर क्या कर रही थी.... उसने एक चादर पहनी हुई थी बस... और पूरा चेहरा लाल सुर्ख हुआ पड़ा था, और होंठ गीले...
अब वैसे भी उन माँ बेटी के बीच कोई परदा तो रहा नही था.. काव्य समझ गयी की वो चुदाई में लगी थी और शायद बीच मे से उठ कर आ गयी थी...
पर तभी काव्या को ध्यान आया की आज पापा तो घर पर है ही नही, उनके ऑफीस मे होली की पार्टी थी और वो सुबह से ही वहां गये हुए हैं, तो इस वक़्त माँ किसके साथ मज़े ले रही है..
काव्या के चेहरे पर शरारत दौड़ गयी और बोली: "माँ ... ये क्या चल रहा है सब...''
रश्मि का चेहरा और भी लाल हो उठा और वो बोली: "तू खुद देख ले अंदर आ कर... मेरे बेडरूम में ... चल..''
काव्या के दिल में तो गुदगुदी सी होने लगी तभी से... वो भागती हुई सी अपनी माँ के बेडरूम में गयी... उसके दिल मे बस लोकेश अंकल की तस्वीर चल रही थी... क्योंकि उसके पापा के अलावा सिर्फ़ लोकेश अंकल ही उसकी माँ की मार सकते थे... पर अंदर पहुँचकर वो अश्चर्यचकित रह गयी और लगभग चिल्लाते हुए बोली, ''विक्की !!!!!!!!!!!!!!!!!!! तुम ......''
वहाँ विक्की बैठा था... पूरा नंगा.... अपने हाथ मे वही जादूगरी लॅंड लिए जिसको दिखा कर उसने काव्या को कितना तरसाया था अभी तक...
पर वो कर क्या रहा था आज उसके घर. वो पूछने ही वाली थी की विक्की बोल पड़ा, ''आओ डार्लिंग... तुम तो आई नही, मैने सोचा की मैं खुद ही आ जाऊ तुम्हारे साथ होली खेलने...''
तब तक रश्मि भी अंदर आ चुकी थी... और अंदर आते ही उसने बड़ी बेशर्मी से अपने उपर ओढ़ी हुई चादर फिर से उतार फेंकी और पूरी नंगी होकर अपनी गांड मटकाती हुई काव्या के करीब आई और बोली, ''विक्की बस अभी आया था, एक घंटा पहले. मैने सोचा की जब तक तुम आओ, मैं ही थोड़ा बहुत...''
और इतना कह कर वो शरमा सी गयी... भले ही वो खुल चुकी थी अपनी बेटी के सामने... पर किसी दूसरे के सामने भला कैसे बोलती की विक्की से मज़े ले रही थी..
काव्या अच्छी तरह से जानती थी की विक्की ने जो कसम ले रखी है की पहले वो उसकी चुदाई करेगा और उसके बाद उसकी माँ की, उस पर वो अभी तक अडिग ही होगा... रश्मि सिर्फ़ उसके लंड को चूस्कर उसे मज़ा दे रही थी... और शायद अपनी चूत को चुसवा कर खुद भी मज़े ले रही थी...
पर अब तो काव्या आ चुकी थी... भले ही वो पहले नितिन से और बाद में राह चलते एक अंजान शख्स से चुदवा कर आई थी पर चुदाई की जो खुराक उसे चढ़ चुकी थी वो एक बार फिर से उसके लंड को देख कर होने लगी..
और धीरे-2 उसका जिस्म फिर से गर्म होने लगा... और चूत भी.
काव्या ने अपनी माँ की तरफ देखा जो बड़ी आशा भरी नज़रों से उसकी तरफ देख रही थी , ताकि वो चुदाई के लिए बिना कोई नखरा किए तैयार हो जाए बस... उसके बाद उसका भी नंबर लग ही जाएगा..
अपनी माँ की याचना भरी नज़रों से ज़्यादा तो उसे अपनी चूत से निकल रहे पानी की चिंता थी,जो उसे बह-बह कर चुदवाने के लिए उकसा रहा था. पर फिर भी अपनी माँ पर एहसान जताने के लिए वो बड़े ही सेक्सी तरीके से चलती हुई अपनी माँ तक आई और उसके नंगे जिस्म पर हाथ फेरती हुई बोली : "माँ, क्या तुम चाहती हो की आज मैं विक्की के साथ करू...???''
रश्मि (धीरे से) : "उम्म्म्म ... हाँ ... मेरी बच्ची ... कर ले ना... प्लीज़, कर ले....''
वो परमिशन से ज़्यादा रिक्वेस्ट लग रही थी..
वैसे भी काव्या ने पिछले कुछ समय से जो रूप देखा था अपनी माँ का, उसके बाद ऐसा बचकाना सवाल पूछना सही नही था... पर ऐसा बोलते हुए जो उत्तेजना से भरी तपिश रश्मि के बदन से निकल रही थी, वो उसके खुद के जज्बातों को सुलगा कर उन्हे आग के शोले में बदल रही थी... जिसमे आज वो विक्की को भून कर खा लेना चाहती थी.
काव्या (अपनी माँ की आँखो में देखते हुए) : "तो चलो ... उतारो मेरे कपड़े... और कर दो मुझे भी नंगा... अपनी तरह... फिर मैं दिखाती हूँ आपको कैसे इस विक्की के लंड से असली मज़ा लेती हूँ मैं ...''
अपनी बेटी के भावना से भरे शब्दों को सुनकर रश्मि के हाथ बिजली की तेज़ी से चलने लगे और पलक झपकते ही उसने अपनी फूल सी बेटी को उसी हालत में खड़ा कर दिया जैसी वो पैदा हुई थी... एकदम नंगी.
और उसके नशीले बदन की जवानी को देखकर एक पल के लिए तो रश्मि के मुँह से भी आह निकल गयी. और उसे अपनी जवानी के दिन याद आ गये जब उसके जिस्म से भी जवानी ऐसे ही फुट-फूट कर निकला करती थी...
और उसने भावावेश में आकर अपनी बेटी को बाहों मे भर लिया और उसके लरज रहे होंठों को ज़ोर-2 से चूसने लगी..
काव्या को वैसे तो ये सब अच्छा लगा पर उसे उम्मीद नही थी की उसकी माँ ये हरकत विक्की के सामने करेगी... और जब काव्या ने विक्की की तरफ देखा तो उसकी हँसी निकल गयी, वो अवाक सा होकर, अपना मुँह खोले हुए उन दोनो माँ-बेटी की इस हरकत को देख रहा था.
कुछ देर तक चूमने के बाद रश्मि ने काव्या को छोड़ दिया और बोली : "चलो... जल्दी जाओ वहाँ....''
काव्या भी उसकी अधीरता समझ रही थी, आख़िर उसके बाद वो खुद भी तो चुदने वाली थी विक्की से.
काव्या पलटी और मटकती हुई विक्की की तरफ चल दी, जो अपने लंड को जोरों से मसल कर अपनी तरफ आ रही हुस्न की मल्लिका के स्वागत के लिए तैयार बैठा था.
काव्या ने उसकी आँखों में देखते-2 उसके लंड पर अपनी उंगलियाँ जमाई और उसे मसलना शुरू कर दिया... और साथ ही साथ उसने झुक कर अपने होंठों से उसके लंड को चूम लिया...
और फिर धीरे-२ उसकी आँखों में देखते हुए वो उसे किसी अजगर की तरह निगल गयी.
और कुछ देर तक चुभलाने के बाद जोर-२ से सक्क करने लगी.
विक्की के हाथ भी हरकत में आ गये और उसने नीचे हाथ करते हुए काव्या के लटक रहे अमरूद अपने सख़्त हाथों से मसलने शुरू कर दिए... उसकी उंगलियों की मसलन से जल्द ही वो हरे अमरूद लाल हो गये... और फिर काव्या ने उसके लंड को छोड़ते हुए उसके गीले होंठों को अपनी ब्रेस्ट पर लगा दिया और उपर मुँह करके किसी सियार की भाँति ज़ोर से चीख पड़ी...
''आआआअहह ... चूsssssस!''
विक्की तो उसके निप्पल की किसी च्यूइंग गम की तरह चबा रहा था... उसके भरे हुए स्तन को पूरा मुँह में भर कर वो उसका पूरा रस निचोड़ रहा था.
रश्मि भी बेड पर आ कर बैठ गयी और विक्की के हाथों अपनी फूल सी बच्ची का मर्दन देखते हुए अपनी चूत मसलने लगी.
 
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Update 98

काव्या को अपनी गोद में भर कर विक्की ने अपने उपर खींच लिया और पीछे की तरफ होकर वो बेड पर लेट गया. काव्या ने अपनी दोनो टांगे उसके लंड के दोनो तरफ फेला दी और धीरे से अपनी गांड नीचे करते हुए उसके लंड को अपनी चूत के दरवाजे पर लगाया...
यही वो लम्हा था जिसका विक्की ने न जाने कितने सालों से इंतजार किया था..
आज उसकी गली की वो अल्हड़ सी लड़की, जिसके पीछे वो आवारा कुत्ते की तरह घूमता था, उसे छेड़ता था, उसे चोदने के सपने देखता था, वो पूरी नंगी हो कर उसके उपर लेटी थी और उसके लंड को अंदर लेने की कोशिश कर रही थी.
विक्की की नज़रों के सामने एक मिनट के अंदर ही पहले की पूरी लाइफ घूम गयी जिसमें ना जाने कितनी बार उसने काव्या की चूत लेने की सोची थी. आज उसका वो खवाब सच होने जा रहा था, और अपने ख्वाब को सच होता देख कर वो कुछ ज़्यादा ही आवेश मे आ गया और उसने काव्या के दोनो चूतड़ों पर हाथ रखे और गुर्राया: "आज मिली है तू मुझे... इतने सालों के इंतजार के बाद... अब देख मैं तेरी चूत का क्या हाल करता हूँ ... आज तेरी चीखें ना निकलवा दी तो मेरा भी नाम विक्की नही...''
उसके हिंसक रूप को देख कर एक पल के लिए तो काव्या सहम सी गयी क्योंकि जो दबाव उसने उसकी गांड के उपर लगाया था उसे महसूस करके ही वो समझ गयी की आज उसकी कैसी चुदाई होने वाली है. पर अगले ही पल ऐसे रफ़ तरीके से चुदाई करवाने के ख़याल से ही उसमे रोमांच सा भर गया. उसने एक इंग्लीश मूवी में देखा था जब एक लड़का जबरदस्त तरीके से लड़की की चुदाई करता है, पहले तो वो लड़की बड़ा छटपटाती है पर बाद में वो जिस तरीके से उस वाइल्ड सेक्स को एंजाय करती है उसे देख कर काव्या की चूत तब पानी छोड़ गयी थी... और आज विक्की के हाथों वैसी ही चुदाई की कल्पना मात्र से ही उसकी चूत एकदम से पनिया गयी... और उसमे से पानी बाहर की तरफ गिरने लगा जो नीचे खड़े हुए लंड के उपर जाकर गिरा..
वो भी उसको उकसाने के लिए बोली: "अबे, जा ना... बड़े देखे है तेरे जैसे ... मेरी चीखे निकलवाने के लिए फौलाद का लंड चाहिए... समझा?''
बस इतना बहुत था, विक्की के अंदर के जानवर को पूरी तरह से जगाने के लिए... उसने आव देखा ना ताव और उसकी गांड को नीचे की तरफ से ज़ोर से धक्का मार कर उसने अपना खड़ा हुआ लंड एक ही झटके में पूरा का पूरा उसकी गीली चूत में उतार दिया...
ऐसा लगा जैसे कोई मूसल किसी पानी से भरे ग्लास में जाकर फंस गया हो.... क्योंकि लंड के अंदर जाने से उसकी चूत से निकल रहे पानी की छींटे छपाक की आवाज़ के साथ बाहर की तरफ उछल आये ...
और साथ ही निकली काव्या के मुँह से वो दर्द भरी और मज़े से भरपूर चीख, ''आआआआअहह! उम्म्म्म ओह विक्की ... साले जानवर .... धीरे कर कमीने....''
जिसे सुन कर पास बैठी रश्मि भी मस्ती में आकर अपनी चूत को ऐसे मसलने लगी जैसे उसे रगड कर अंदर से जिन्न निकालेगी...
पर विक्की अब कहाँ मानने वाला था.... उसने तो अपना मुँह उसके मम्मे पर लगाया और उसे चूसते हुए नीचे से उसकी चूत के अंदर अपना लंड ठोंकने लगा. काव्या का पूरा शरीर उसके तेज झटकों से बुरी तरह से हिल रहा था... ऐसे झटके तो अभी तक महसूस नही किए थे उसने एक हफ्ते की चुदाई में .... समीर के बाद नितिन ने और उसके बाद उस राह चलते आदमी ने भी उसकी चूत बड़े आराम से मारी थी... पर ये विक्की तो साला एकदम से पागल निकला... जानवरों की तरहा झटके मार रहा है... पर एक बात उसने नोट की, हर झटके से जो घर्षण उसकी चूत की अंदरुनी दीवारें महसूस कर रही थी, उसमे उसे ज्यादा आनंद मिल रहा था, तेज झटकों से उन दीवारो को मिल रही रगड़ाई भी जोर से हो रही थी, जो उसे अंदर से असली मजा दे रही थी
पर ऐसा ही तो वो खुद चाहती थी.... ऐसा ही कुछ तो काव्या ने उस इंग्लीश मूवी में देखा था, और अब ठीक वैसा ही अपने साथ होता देखकर वो खुशी से पागल हो उठी... और उसने विक्की के बालों को खींचकर अपने स्तनों से उसके मुँह को छुड़वाया ... और उसके होंठों और पूरे चेहरे को अपनी जीभ से किसी पालतू बिल्ली की तरह से चाटने लगी... और ऐसा करते हुए उसने अपने मुँह की लार से उसके चेहरे को भिगो भी डाला...
और अपने मुँह पर उसकी जीभ की पुताई करवा कर विक्की और जंगली हो उठा और उसने अपनी उंगली पीछे की तरफ लेजाकर उसकी गांड में पेल डाली... वो चिहुंक उठी .... और साथ ही साथ उसके शरीर में एक अजीब सी तरंग भी दौड़ गयी... वो ये भी समझ गयी की जब उसकी गांड की बारी आएगी तो ऐसा ही एहसास महसूस करेगी वो... पर अभी के लिए तो वो अपनी चूत के अंदर पिलाई करवा कर ही खुश थी...
काव्या ने उसके सिर को नीचे दबा कर एक बार फिर से उसके उपर उछलना कूदना शुरू कर दिया...
पर अचानक विक्की उसको गोद में लिए-2 ही खड़ा हो गया... शायद वो किसी अलग एंगल से उसको चोदना चाहता था अब... उसकी भुजाओं में इतनी ताक़त थी की काव्या को गोद में लेने के बाद भी वो उसे हवा में ही कुछ देर तक चोदता रहा... काव्या भी उसके गले में बाहें डालकर अपनी टांगे फेलाए हुए हवा मे लटकी कुतिया की तरह उसके लंड को अंदर बाहर ले रही थी...
और ऐसे ही चोदते-2 विक्की ने उसे बेड पर पटक दिया और उसे घुमा कर डोगी स्टाइल में कर दिया और फिर उसकी फेली हुई गांड को देखते-2 उसकी चूत के छेद पर एक बार फिर से अपने गीले लंड को लगाया और पहले जैसा तेज धक्का मारकर अंदर दाखिल हो गया ... घोड़ी बनी हुई काव्या का शरीर एक बार फिर से उसके सतरंगी झटके से हिल कर रह गया..
पर पिछली बार की तरह वो इस बार भी सिर्फ़ सिसकारियाँ मारकर रह गयी..
''आआआहह .... ओह येसस्स्स्स्स्स्सस्स... विकी ... चोद मुझे ..... ऐसे ही ....... ज़ोर से ............... अपने लंबे लंड से ....... अंदर तक उतर जाओ मेरी चूत के ............. अहह ... येसस्स्स्स्स्स्स्सस्स .....''
और विक्की ने फिर से अपनी रेलगाड़ी उसकी चूत की पटरी पर दौड़ा दी..
काव्या ने बेड पर बिछी चादर को पकड़कर अपना बेलेन्स बनाना चाहा पर झटके ही इतनी तेज थे की बेचारी को ढंग से झुके रहने का भी मौका नही मिल रहा था... हर झटके से वो बेड पर फ्लेट सी होकर लेट जाती और फिर वापिस अपनी गांड हवा में उभारकर घोड़ी बनती.. अगले झटके से फिर से धराशायी होकर नीचे गिर जाती... ऐसा करते-2 करीब 5 मिनट हो गये और इन 5 मिनटों में ना जाने वो कितनी बार झड़ी, वो भी नहीं जानती.
सामने उनकी चुदाई की रासलीला देख रही रश्मि से सब्र नही हो रहा था... वो सोच रही थी की ऐसे तो ये पूरा दिन लगा रहेगा फिर भी झड़ेगा नही... इसलिए विक्की को उत्तेजना के शिखर तक ले जाने के लिए वो भी मैदान में कूद पड़ी..
और अपनी बेटी की चुदाई कर रहे विक्की की बगल में जाकर उसे स्मूच करते हुए उसके बदन को सहलाने लगी...
एक तरफ काव्या की नरम चूत और दूसरी तरफ रश्मि के गर्म होंठ... वो रश्मि के होंठों को चूसता हुआ उसके मम्मे भी दबा रहा था और साथ ही साथ काव्या की चूत भी मार रहा था..
और रश्मि का आइडिया जल्द ही रंग लाया.... विक्की के लंड ने जल्द ही जवाब दे दिया और वो ज़ोर से चिल्लाया..
''आआआआआआआअहह काव्या .................आई एम कमिंग ..............''
काव्या तो करीब 3 बार झड़ चुकी थी... इसलिए उसे कोई चिंता नही थी... पर वो विक्की के रस को अपने मुँह में लेना चाहती थी, क्योंकि रिसोर्ट में जबसे उसने विक्की के लंड का रस चखा था तबसे वो उसकी दीवानी हो गयी थी. वो भी चिल्लाई..
''विक्कीईईईईईईईईईईईईईईई..... मेरे मुँह में निकालना..... प्लीज़...... मेरे मुँह में .....''
और आख़िर के 5-6 झटके जोरों से मारने के बाद एकदम से विक्की ने अपना लंड बाहर खींचा और उसी पल काव्या भी पलट कर उसके सामने बैठ गयी... और विक्की ने अपने हाथ से मसलते हुए अपना गाड़ा और मीठा रस काव्या के मासूम से चेहरे पर बिखेरना शुरू कर दिया... कुछ उसके खुले हुए मुंह में गया और बाकी उसके गालों और आँखों पर.
ऐसा लग रहा था जैसे काजू बरफी का गाड़ा घोल काव्या के चेहरे पर आ गिरा है जिसे वो धीरे-2 अपनी उंगलियों में समेट कर चाटती चली गयी..
और फिर अच्छी तरह से उसके लंड को चूसने के बाद काव्या और विक्की उसी बेड पर गिर कर अपनी साँसे संभालने की कोशिश करने लगे..
पर अपनी साँसे संभाल रहा विक्की बेचारा ये नही जानता था की रश्मि की गिद्ध जैसी नज़रें अब उसके मुरझाए हुए लंड पर आकर टिक गयी है. जिसे वो जल्द से जल्द अपने लिए तैयार करके वही करवाना चाहती थी जिसके लिए वो कब से तरस रही थी ... यानी अपनी चुदाई.
विक्की नही जानता था की उसके साथ क्या होने वाला है. वो आँखे बंद किए चुदाई के बाद की थकावट उतार ही रहा था की अचानक उसे अपने लंड पर कुछ गीला सा महसूस हुआ और जैसे ही उसने झटके से आँखे खोलकर देखा तो पाया की उसके लंड को रश्मि चाट रही है. और ऐसा करते हुए उसके चेहरे पर जो उत्तेजना और हिंसा के भाव थे वो साफ़ दर्शा रहे थे की अपनी बेटी की चुदाई देखकर उसकी क्या हालत हुई है ... और अब वो विक्की की क्या हालत करने वाली है.
अब उसके अंदर हिम्मत तो ज़रा भी नही बची थी पर बेचारा क्या करता ... मर्द था इसलिए उसको झटक कर चूसने से मना भी नही कर सकता था. उसने बेमन से उसके सिर पर हाथ रखा और उसे अपना लंड चूसते हुए देखने लगा.
वो अपनी लंबी सी जीभ निकाल कर बड़े ही आराम से उसके लंड का अगला छेद चाट रही थी और उसमे से बूँद-2 करके निकल रहा उसका वीर्य पीने मे मस्त थी.
कभी वो अपनी जीभ नीचे तक ले जाती और उसकी बॉल्स को भी चूस डालती और उन्हे निचोड़ कर ऐसे मसलती की विक्की के मुँह से कराह निकल जाती.
''आआआहह ऊऊऊऊओह आंटी .................... धीरे ............. इनको फोड़ दोगी तो मज़े कैसे लोगी?''
रश्मि मुस्कुरा दी और आराम से उसकी बॉल्स को रगड़ने लगी. पर कुछ देर बाद फिर से अपने उसी हिंसक मूड में आ कर बेदर्दी से चूसने और मसलने लगी उसे.
अब ऐसी चुदास की मारी औरतों को जितना भी समझा लो, रहेंगे ढाक के तीन पात ही. विक्की ने भी बिना कुछ बोले अपने लंड को उसके हवाले कर दिया कि कर ले जो करना है ... आख़िर वो भी देखना चाहता था की उसे इतना तरसाने के बाद वो किस हद तक मज़े दे सकती है उसे.
दूर बैठी काव्या भी अपनी माँ के इस रूप को देखकर कुछ नया सीखने का प्रयास कर रही थी. आज तक उसने जितनी बार भी लंड चूसा था ये उससे अलग था. ऐसा उसने आज तक नही देखा था.
वो थोड़ा करीब आ कर बैठ गयी ताकि आराम से अपनी माँ की लंड-चूसन की प्रक्रिया को देख सके. रश्मि ने मुस्कुरा कर काव्या को देखा और आँखो का इशारा कर के उसे और पास आने को कहा ताकि वो उसकी मदद कर सके और विक्की का लंड जल्दी खड़ा हो जाए ताकि वो भी उसके पठानी लंड का स्वाद ले सके.
काव्या को और क्या चाहिए था. नयी-2 चुदवाना सीखी लड़कियों में यही ख़ासियत होती है. उन्हे जब भी मौका मिलता है वो चुदाई का मज़ा लेने से नही चूकती ... और यहाँ तो काव्या का पसंदीदा खेल चल रहा था, लंड चुसाई का ... तो वो भला क्यों पीछे हटती.
वो भी अपनी माँ के साथ विक्की की टाँगो के पास जाकर बैठ गयी. उसने भी अपना मुँह विक्की के लंड पर लगाया और उसे चूसने लगी. नीचे से रश्मि उसकी बॉल्स को चूस रही थी. विक्की तो अपने आप को इस दुनिया का सबसे खुशकिस्मत इंसान समझ रहा था ... सैक्सी माँ-बेटियाँ दोनो इस वक़्त उसके लंड की सेवा जो कर रही थी.
और देखते ही देखते विक्की का लंड एक बार फिर से पहले की तरह लहलहाने लगा. विक्की को तो खुद भी विश्वास नही हुआ की वो इतनी जल्दी दोबारा कैसे तैयार हो गया.
पर सामने जब ऐसी हसीन चूसने वाली हो तो मुर्दे का लंड भी खड़ा कर दे ... ये तो फिर भी जवान का जीता-जागता लंड था. उसको दोबारा खड़ा कर के काव्या ने बड़े प्यार से अपनी माँ से कहा: "लो माँ, आपके लिए हथियार तैयार है. शुरू हो जाओ अब.''
रश्मि के चेहरे पर मुस्कान तैर गयी. उसने विक्की को धक्का दे कर बेड पर गिरा दिया और उसके उपर 69 की पोज़िशन में सवार हो गयी. उसे खुद की चूत को भी तो तैयार करवाना था. वो चाहती थी की उसकी चूत से निकल कर फेली हुई चिकनाई विक्की अपने मुँह से चाट कर साफ़ कर दे ताकि लंड को अंदर घुसाने में ज़्यादा तकलीफ़ हो ... जी हाँ, ज़्यादा तकलीफ़. अगर चूत ऐसी ही चिकनी रही तो लंड कब अंदर घुस जाएगा वो भी नही जान पाएगी. इसलिए वो चाहती थी की उसके लंड का एक-2 इंच वो अंदर जाता हुआ महसूस करे. इतने दिनों के इंतजार के बाद वो यादगार तरीके से चुदवा कर मजे लेना चाहती थी.
विक्की तो समझा था की अब वो सीधा उसके लंड पर चढ़ जाएगी. पर जब वो पलट कर उसका लंड चूसने लगी और अपनी चूत को उसके चेहरे पर लहराया तो वो भी बिना कोई सवाल किए अपने काम पर लग गया. क्योंकि वो पहले भी उसकी चूत को चाट चुका था और उसका स्वाद उसे काफ़ी पसंद आया था. अपनी जीभ से उसकी चूत को चाट-चाट कर वो उसमे से निकल रहा पानी पीने लगा ... और रश्मि उसके लंड को अपनी थूक से भिगो कर फिर से चुदाई के खेल के लिए तैयार करने लगी.
 
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Update 99

कुछ ही देर में विक्की ने वहां की सारी चिकनाई चाट कर सूखा दी जैसा की रश्मि चाहती थी. और फिर उसने अपनी जीभ का रुख़ उसकी गांड के छेद की तरफ किया.
विक्की की जीभ को वहां दस्तक देता देख कर रश्मि चिहुंक उठी और उसके लंड चूसने की तेज़ी और बढ़ गयी. विक्की समझ गया की ये गांड का छेद उसका वीक पॉइंट है ... उसने मन ही मन निश्चय कर लिया की वो आज उसकी गांड से ही शुरूवात करेगा. इसलिए उसने उसकी गांड के छेद की ऑयलिंग करनी शुरू कर दी अपनी जीभ से.
कुछ देर बाद उसने एक झटका दे कर रश्मि को बेड पर घोड़ी बना दिया और पीछे से अपना लंड लहरा कर उसकी चूत पर रगड़ने लगा, उसे सताने लगा, उसे तरसाने लगा.
''आआहह ... साले कुत्ते ... डाल दे अपना लंड ... मेरे अंदर ... क्यों तरसा रहा है हरामजादे?''
अपनी माँ को ऐसे एक लंड के लिए गालियां देते देख कर काव्या भी हैरान रह गयी ... पर उसने खुद को अपनी माँ की जगह रख कर देखा तो समझ गयी की वो सही है. ऐसी हालत में अगर चूत के अंदर लंड ना जाए तो गालियां ही निकलती है. पर ऐसी गालियां देने में और सुनने में चुदाई करने वालों को मज़ा ही आता है, ये शायद काव्या नही जानती थी. पर अपनी अगली चुदाई के लिए उसने ये बात सीख ली थी.
विक्की तो था ही हरामी... वो बड़ी देर तक उसकी चूत के आगे अपने लंड को घिसता रहा... उसके अंदर से निकले रस को अपने लंड के अगले सिरे पर चोपड़ता रहा... और जैसे ही वो चिकना हो गया तो उसने बिना किसी वॉर्निंग के अपनी मिसाइल का रुख़ उसकी चूत के बदले गांड के छेद पर कर दिया. और एक ही झटके में उसका फौलादी लंड रश्मि की गांड के छेद को फैलाता हुआ उसके अंदर घुसता चला गया.
दर्द और मज़े के मिश्रण से रश्मि कराह उठी, ''ऊऊऊह साले ... मादरचोद ... पीछे क्यो डाला, हरामी ... आहह ... पहले बता तो देता.''
विक्की (झटके मारते हुए): "अगर बता देता तो ये मज़ा कैसे मिलता तुझे, कुतिया?''
वो भी गाली गलोच पर आ चुका था. पर रश्मि को इस वक़्त कुछ भी सुनाई नही दे रहा था. उसके कानों में तो बस विक्की के झटकों की थापें गूँज रही थी जो उसके मांसल चूतड़ों से टकरा कर निकल रही थी.
काव्या भी विक्की के इस कदम को देखकर हैरान रह गयी. और उससे भी ज़्यादा हैरान ये देख कर रह गयी की कैसे मक्खन में छुरी की तरह विक्की का लंड उसकी माँ की गांड के अंदर घुस गया था, एक ही बार में ... पूरा का पूरा.
ये अगर उसके साथ होता तो शायद बाउंड्री पर ही लंड अटक जाता या फिर उसकी गांड को फाड़ देता. ये तो रश्मि ही थी जो इतनी आसानी से उसके लंड को गांड में झेल गयी.
और कुछ देर के झटके महसूस करने के बाद रश्मि को मज़ा मिलना शुरू हो गया... उसे तो अपनी गांड मरवाना शुरू से ही पसंद था. मज़े में भर कर वो नीचे लेट गयी. विक्की भी उसकी पीठ से चिपक कर उसके ऊपर लेट गया ... पर ना तो उसने अपना लंड उसकी गाण्ड से बाहर निकाला और ना ही झटके मारना छोड़ा.
लंड की प्रतीक्षा कर रही रश्मि की चूत हर झटके से अपना रस बाहर की तरफ उगल रही थी जो बूंदे बन कर नीचे चादर को भिगो रहा था... और ये काव्या से सहन नही हुआ... वो इतने कीमती पानी को ऐसे वेस्ट होता नही देख सकती थी... आख़िर चूत से निकले पानी का कोई विकल्प भी तो नही है... इतने कीमती खजाने को ऐसे वेस्ट होता देखना उससे गंवारा नही हुआ और वो झुक कर अपनी माँ की चूत से वो पानी पीने लगी.
पीछे से रश्मि को विक्की के झटके पड़ रहे थे और आगे से काव्या उसकी चूत को चाट रही थी. ऐसा दोहरा हमला होता देख कर रश्मि आनंद से चिल्ला उठी, ''आआआअह विक्की ... साले ... क्या कर दिया ये तूने ... आssssssह ... उम्म्म्मम उई मां! क्या मज़ा आ रहा है... ओह काव्या ... चूस बेटी... चूस अपनी माँ की चूत ... आआआह मेरी बच्ची.''
और ऐसा करते हुए रश्मि ने महसूस किया की वो झड़ने वाली है. पर आज वो विक्की के लंड को अपनी चूत में महसूस करते हुए झड़ना चाहती थी. इसलिए उसने विक्की से गुज़ारिश की, ''विक्की प्लीज़ ... अब मेरी चूत में लंड डाल दे ... मेरी चूत में प्लीज़, विक्की ... डाल ना साले ... तेरा लंड घिस नहीं जाएगा!''
आख़िर के शब्द तो उसने जैसे अपने दाँत पीस कर कहे थे क्योंकि वो शायद जान गयी थी की विक्की तो ऐसे मस्ती में उसकी गाण्ड मारने में ही लगा रहेगा. विक्की भी समझ गया की आज वो रश्मि को नाराज़ कर देगा तो आगे के लिए उसका इस घर में आना मुश्किल हो जाएगा. इसलिए उसने बात मानते हुए अपना लंड बाहर खींच लिया और रश्मि को बेड पर पीठ के बल लिटा दिया. धीरे-2 उसने अपना लंड उसकी चूत के अंदर धकेल दिया.
''आआह ... अब सही है ... अब जैसे तेरा मन करे चोद ले चोद ले ... आआआह! ओ मां ... शाबास विक्की ... और कस के!''
पास ही खाली पड़ी हुई काव्या ऐसे ही बैठ कर उनका खेल नही देखना चाहती थी. वो भी उछल कर अपनी माँ पर सवार हो गयी... और अपनी भरी हुई गांड को विक्की की तरफ करते हुए अपनी चूत वाले हिस्से से अपनी माँ की चूत के उपरी भाग की घिसाई करने लगी...
निचले हिस्से में विक्की का लंड और उपर अपनी बेटी की गर्म चूत. ऐसा कॉम्बिनेशन पा कर तो रश्मि धन्य हो गयी ... वो उछल-2 कर विक्की के लंड को अंदर लेने लगी... उछल वो इसलिए रही थी ताकि वो काव्या की चूत की रगडाई को ज़्यादा ज़ोर से अपनी चूत पर महसूस कर सके... और काव्या भी अपनी मखमली गांड को पीछे करते हुए उसके एहसास से विक्की को और उकसा रही थी.
विक्की के लिए तो एक पंथ दो काज वाली बात थी... वो धक्के तो रश्मि की चूत में मार रहा था पर काव्या के झटके से उसे ये महसूस हो रहा था जैसे वो उसकी गाण्ड मार रहा है.
और ऐसा करते-2 वो कब झड़ने के करीब पहुँच गया वो भी नही जान सका. उसे तो तब पता चला जब उसके लंड की नसों में उसे लावा आगे बढ़ता हुआ महसूस हुआ जो उसके लंड से निकल कर रश्मि की चूत में जाने वाला था.
रश्मि ने भी लंड की गर्मी को महसूस किया और वो झनझनाती हुई झड़ने लगी ... और झड़ते हुए वो किसी ऐसी बावली कुतिया की तरह चीखे मार रही थी जिसे एक साथ 10 कुत्ते मिल कर चोद रहे हो, ''आआआह विक्की ... उम्म्म्मम मज़ा आ गया ... साले ... आह ... अब निकाल दे ... मेरे मुंह में निकाल अपना रस ... आ जा ... आआआह ... उम्म्म्ममममम!''
विक्की ने अपना लंड बाहर निकाल लिया. रश्मि एक झटके से उठ कर बैठ गयी. विक्की ने अपना लम्बा लंड उसके चेहरे के सामने तान कर झड़ना शुरू कर दिया और देखते ही देखते अपने गाड़े सफ़ेद रस से उसके चेहरे को ढक दिया.
रश्मि ने ऐसी चुदाई का आनंद कई सालों से नही लिया था. आख़िर एक जवान लंड की चुदाई में जो मज़ा है उसकी तुलना वो अपनी उम्र के मर्दों से नही कर सकती थी. उसने ठान लिया कि अब ये मज़ा वो रेगुलरली लिया करेगी ... आने वाले दिनों में होने वाली चुदाई की कल्पना करते हुए वो कब सो गयी उसे भी पता नही चला.
उसकी देखा देखी विक्की और काव्या भी वही सो गये. विक्की के लंड में तो वीर्य की एक बूँद भी नही बची थी. उसे ऐसा लग रहा था जैसे उसका सारा खून भी निचोड़ लिया है इन माँ-बेटियों ने. अपने घर की चिंता भुला कर वो भी गहरी नींद में सो गया.
रश्मि की नींद उसके मोबाइल की बेल से खुली... समीर का फोन था... उसने टाइम देखा रात के 10 बजने वाले थे.
उसने फोन उठाया.
समीर: "हैल्लो माय डार्लिंग, क्या कर रही हो जानेमन?''
रश्मि : "उम्म्म... बस जी… आपका इंतजार कर रही हूँ.''
उसने अपनी चूत को मसलते हुए कहा, जो अभी तक चिपचिपा रही थी..
समीर काफ़ी मस्ती के मूड में लग रहा था... और लगता भी क्यों नही, इस वक़्त वो अपने ऑफीस से घर की तरफ आ रहा था. उसकी सेक्रेटरी रोज़ी उसकी बगल में बैठ कर उसके लंड को मसल रही थी. उसका दोस्त लोकेश इस वक़्त गाड़ी चला रहा था जो समीर के साथ ही सुबह से उसके ऑफीस में में था, होली के प्रोग्राम में. दोनो मिल कर रोज़ी की चूत को बुरी तरह से पेल चुके थे.
अब समीर उसे ले कर अपने घर जा रहा था क्योंकि पिछले कुछ दिनों में उसके घर के हालात जिस तरह से बदले थे, उसके बाद उसके मन में एक भयंकर सामूहिक चुदाई की कल्पना चल रही थी. अपनी बीबी के अलावा अपनी बेटी काव्या को भी वो चोद चुका था और उसका दोस्त लोकेश उसकी बीबी की चूत बजा चुका था. अब समीर चाहता था की इस खेल को अगले चरण तक ले जाया जाए, जिसमें सभी मिल कर एक ही बिस्तर पर जिसे चाहे चोदे और एक दूसरे के साथ मस्ती करे.
ऑफीस में पीने का अरेंजमेंट भी था, इसलिए रोज़ी ने भी काफ़ी शराब पी और उसके बाद जब उसने समीर के केबिन में चुदाई करवाई तो समीर ने उसे भी साथ ले जाने की सोची... क्योंकि वो उनके बीच तड़के जैसा काम करने वाली थी... ऐसी झक्कास लड़की को अपने घर ले जाकर अपनी बीबी और बेटी के सामने चोदना कोई मामूली बात नही थी और ऐसी हिम्मत सिर्फ़ पीने के बाद ही आ सकती है. और इसीलिए रोज़ी उनके साथ समीर के घर जा रही थी.
समीर और रश्मि फोन पर बाते कर रहे थे और रोज़ी अपना सेक्रेटरी-धर्म निभा रही थी, अपने बॉस का लंड मसलते हुए.
समीर: "बस, अब तुम्हारा इंतजार ख़त्म हुआ डार्लिंग... आ रहा हू मैं ... अब हम सब मिल कर होली मनाएँगे.''
रश्मि: "हम सब? और कौन आ रहा है?''
समीर (हंसते हुए): "लोकेश है मेरे साथ ... और हाँ, कोई और भी है.''
रश्मि की उत्सुकता बढ़ने लगी. वो बोली: "और कौन है? किसे ला रहे हो आप अपने साथ?''
उसकी चूत की फड़कन एकदम से बढ़ने लगी ... ये सोच कर की शायद एक नया लंड आ रहा है उसकी सेवा करने के लिए.
समीर: "इतनी उतावली मत बनो, डार्लिंग. जब घर आऊंगा तो देख लेना.''
रश्मि: "ओके ... मत बताओ ... वैसे यहाँ भी मेरे और काव्या के अलावा कोई और है जो आज की मस्ती में शामिल हो सकता है.''
रश्मि ने उसी सस्पेंस वाली टोन में समीर से कहा, जैसे उसने कहा था.
अब समीर के लंड में भी एक अलग तरीके का तनाव आ गया... वो सोचने लगा की शायद कोई नया माल आया है घर में. शायद रश्मि की कोई सहेली या रिश्तेदार... या फिर काव्या की कोई सहेली.
दोनों अपने-2 दिमाग़ मे अपने से विपरीत लिंग वाले के बारे में सोच रहे थे पर दोनो ही नही जानते थे की उन्हे क्या देखने को मिलेगा.
 
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Update 100

समीर ने फोन रख दिया और लोकेश से जल्दी गाड़ी चलाने को कहा. लोकेश तो पहले से ही तेज गाड़ी चला रहा था क्योंकि आज तो उसके चेहरे के आगे सिर्फ़ काव्या की ताज़ा-ताज़ा चुदी चूत घूम रही थी. आज ही जब वे दोनों रोज़ी की चुदाई एक साथ कर रहे थे, समीर ने उसे बताया था की उसने काव्या की सील तोड़ दी है. लोकेश अच्छी तरह से जानता था की काव्या की यह मंशा थी की वो लोकेश से चुदवायेगी तो सही पर वो पहली बार समीर से चुदवायेगी. अब समीर ने उसका रास्ता क्लीयर कर दिया था.
कुछ ही देर मे समीर का घर आ गया. तीनों दरवाजे तक पहुँचे और समीर ने बेल बजाई. रश्मि ने हमेशा की तरह अपना नंगा शरीर चादर से ढँका और दरवाजा खोल दिया. विक्की और काव्या अभी तक बेसूध हो कर सो रहे थे.
दरवाजे पर लोकेश और समीर के साथ रोज़ी को खड़ा देखकर रश्मि चोंक गयी. उसने सोचा की शायद आज ये दोनो किसी गस्ती को उठा लाए हैं, ग्रूप सेक्स करने के लिए. क्योंकि पहनावे से वो लड़की एक कॉल गर्ल ही लग रही थी ... पर थी वो बड़ी सुन्दर.
समीर: "रश्मि, इससे मिलो. ये है मेरी नयी सेक्रेटरी, रोज़ी.''
रश्मि: "ओहो, तो ये रोज़ी है ... मैने समझा की ... हा हा ... चलो छोड़ो ... आओ अंदर आओ.''
थोड़ी मायूसी ज़रूर हुई थी उसे क्योंकि वो तो एक नये लंड की कल्पना कर रही थी. अब उसकी नज़रें लोकेश की तरफ थी और दोनो ही एक दूसरे को देखकर मंद-2 मुस्कुरा दिए.
सभी अंदर आ गये..
अंदर आते ही समीर और लोकेश के मुँह से एक साथ निकला: "काव्या कहाँ है?''
और वो दोनो एक दूसरे को देख कर रहस्यमय ढंग से मुस्कुरा दिए. शायद ये सोच कर की जैसे हर बार वो दोनो मिल कर एक साथ मज़े लेते हैं, वैसे ही अब काव्या का मज़ा भी मिल कर लूटेंगे.
तभी जैसे समीर को कुछ याद आया. वो बोला: "और कौन है घर में ... जिसके बारे में तुम फोन पर बता रही थी.''
रश्मि: "खुद ही चल कर देख लो ... अपने बेडरूम में.''
रश्मि अभी तक उसे सस्पेंस मे रख रही थी. समीर अपने बेडरूम की तरफ चल दिया ... और उसके पीछे-2 रोज़ी और लोकेश भी... और लास्ट में रश्मि भी मटकती हुई बेडरूम की तरफ चल दी... उसने अब अपनी चादर उतार फेंकी थी और वो ऐसे ही चलती चली जा रही थी ... नंगी.
बेडरूम मे पहुँच कर समीर ने लाइट ऑन करी तो देखा की उसके बिस्तर पर उसकी बेटी काव्या नंगी सो रही है. और साथ में है एक नौजवान लड़का और वो भी पूरा नंगा... पूरे कमरे में सेक्स की महक फेली हुई थी. समीर को समझते देर नही लगी की वो लड़का कोई और नही बल्कि विक्की है, काव्या का बाय्फ्रेंड.
वो लड़की के बदले कोई लड़का निकला इस बात का समीर को बहुत अफ़सोस हुआ पर उसने उसे अपने चेहरे पर नही आने दिया. उसका ध्यान एक बार फिर से अपनी सेक्रेटरी की तरफ चला गया. आज सुबह उसकी चूत लेते हुए उसने उसकी गांड मे उंगली करी थी पर उसने वहां कुछ भी करवाने से मना कर दिया था. अब उसका निशाना था रोज़ी की गांड, जिसे वो आज किसी भी कीमत पर मारना चाहता था. और इसके लिए माहौल में पहले से ही काफ़ी गर्मी थी. देरी थी तो बस रोज़ी को उस गर्मी में पिघालने की.
उसने रोज़ी को इशारे से कपड़े उतारने को कहा और उसने बिना कुछ बोले अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिए. वोड्का का नशा उस पर अब धीरे-2 चढ़ने लगा था. रास्ते में कार में बैठ कर उसने समीर के उफनते हुए लंड पर जिस तरह अपनी थिरकती उंगलियो का कमाल दिखाया था, उसकी तरंगो से कार की सीट तक गीली हो चुकी थी. इसलिए वो अपनी चूत के चारों तरफ की घुटन को जल्द से जल्द उतार देना चाहती थी.
रश्मि तो पहले से ही नंगी खड़ी थी, पीछे की तरफ. वो आगे की तरफ आई और उसने लोकेश को चारों तरफ से अपनी गिरफ़्त में ले लिया. लोकेश की नज़रें तो बेड पर सोई हुई काव्या को आँखो से चोदने में लगी हुई थी, जिसके उभरे हुए चूतड़ देख कर उसके लंड का बुरा हाल था.
रश्मि ने पीछे से हाथ ला कर उसके लंड वाले हिस्से को टटोला और उसमे उफान मार रहे अजगर को अपनी उंगलियों में दबोच लिया. वो समझ चुकी थी की उसका लंड काव्या को देख कर खड़ा हो रहा है. वो उसके कान में फुसफुसाई: "सोच क्या रहे हो? आगे बढ़ो. देखो उसकी चूत कैसे मचल-2 कर तुम्हे बुला रही है.''
वो उसे और ज़्यादा उत्तेजित करना चाहती थी ताकि उसके कड़क लंड को अपनी चूत में ले सके. वो समझ चुकी थी की आज इस कमरे मे वासना का नंगा नाच होगा. उसे भी अपनी बेटी को लोकेश से चुदवाने में कोई प्राब्लम नही थी. ये तो वो हमाम था जिसमे आज सब नंगे थे.
समीर भी अपने कपड़े उतार कर सोफे पर जा बैठा और अपनी सेक्रेटरी को शॉर्ट हेंड पर लगा दिया, यानी लंड चुसाई पर. और वो भी बड़े चाव से अपने नाज़ुक मुँह में समीर के लंड को ले कर चाटने लगी.
रश्मि ने एक अच्छी भाभी की तरह अपने खास देवर लोकेश के कपड़े एक-2 करके उतार दिए और धीरे से धक्का दे कर उसे बेड पर लिटा दिया. वो खुद लपक कर उसकी टाँगो के बीच बैठ गयी. एक झटके में ही उसने उसके शक्तिशाली लंड को अपने मुंह में दबोच लिया. लोकेश का सिर काव्या के गद्देदार चूतड से टकराया. वो अपने पेट के बल सोई हुई थी. लोकेश को तो ऐसे लगा जैसे कोई मखमली पिल्लो आ गया है उसके सिर के नीचे... और उसकी चूत के इतने करीब आ जाने की वजह से वहां से आ रही भीनी-2 खुश्बू ने उसे पागल कर दिया.
लोकेश ने अपना सिर नीचे खिसकाया और ज़ोर लगा कर काव्या की एक टाँग उठा कर अपना मुँह उसकी जांघों के बीच खिसका दिया. उसने उसकी चूत को अपने होंठों पर लगा लिया. काव्या गहरी नींद में थी, इसलिए इतनी उथल-पुथल के बावजूद उसकी नींद नही खुली. लोकेश ने अपनी जीभ से उसकी चूत को सहलाना शुरू कर दिया.
बेड पर लेटे हुए लोकेश का लंड रश्मि चूस रही थी और उसकी बेटी ओंधी हो कर अपनी चूत के बल लोकेश के मुँह के उपर पड़ी हुई थी. अपनी चूत पर लोकेश की गर्म जीभ को महसूस करके वो धीरे-2 गरमाने लगी... भले ही वो गहरी नींद में थी पर अपनी कमर को हिला-2 कर वो अपने चूतामृत को उसके मुँह में आराम से पहुँचा रही थी.
इस बीच समीर का लंड पूरी तरह से तैयार हो चूका था, पर रोज़ी की गांड मारने से पहले वो उसकी गांड को तर कर देना चाहता था, अपनी लार से ताकि अंदर जाने में उसे कोई परेशानी ना हो.
इसलिए उसने उसे उठाया और बेड की तरफ चल दिया. बेड के अगले हिस्से में तो लोकेश एंड कंपनी ने कब्जा जमा रखा था, इसलिए वो उनके पीछे की तरफ चला गया, जहाँ विक्की आराम से सो रहा था.
समीर ने रोज़ी को घोड़ी बनाया और पीछे से उसकी चूत पर अपने होंठ लगा दिए. वो उत्तेजना से चीख उठी, ''आआआआआह ... ओह बोस्स्स ... उम्म्म ... इस्स्स्स्सस्स ... ऐसे ही ... आह!''
घोड़ी बनी रोज़ी के मुँह के ठीक सामने विक्की का मुरझाया हुआ लंड पड़ा था, जो कब उसने निगल लिया उसे भी पता नही चला. विक्की की नींद ज्यादा गहरी नही थी. अपने हथियार पर हमला होते ही वो एकदम से जाग गया ... और चोंक कर उठ बैठा.
और जब अपने चारों तरफ उसने नज़र दौड़ाई तो उसका दिमाग़ भी चकरा गया. वो तो आराम से चुदाई करने के बाद काव्या के साथ नंगा सो रहा था. फिर एकदम से ये कौन-2 आ गये है कमरे में?
उसने रश्मि को देखा जो बड़े चाव से लोकेश के लंड को चूसने में लगी थी. उसने आँखो का इशारा करके उसे बस मज़े लेने को कहा.
फिर उसने लोकेश को देखा, जिसका चेहरा तो दिख ही नही रहा था, क्योंकि उसके उपर तो काव्या अपनी चूत फेला कर सो रही थी. और फिर उसने अपने लंड को चूस रही हसीना की तरफ देखा, जिसके रेशमी बालों ने उसके चेहरे को ढका हुआ था पर उसके लटक रहे संतरों और पीछे निकले खरबूजों को देख कर वो इतना ज़रूर समझ गया की माल काफ़ी जबरदस्त था. उसके ठीक पीछे समीर को उसकी चूत चूसते हुए देख कर वो समझ गया की ज़रूर काव्या का बाप अपने साथ कोई जुगाड़ ले कर आया है... और ये दूसरा आदमी शायद लोकेश ही है, जिसके बारे में काव्या ने उसे बता रखा था.
अब उसे क्या फ़र्क पढ़ रहा था. वो तो यहां मज़े लेने के लिए ही आया था आज. ऐसे में अगर उसे एक्सट्रा मज़ा मिल रहा हो तो उसे भला क्या प्राब्लम हो सकती थी. सो वो आराम से अपने सिर के पीछे हाथ लगा कर अपने लंड की चुसाई का मज़ा लेने लगा.
और इसी बीच लोकेश ने एक जोरदार हमले से काव्या की चूत को पूरा अपने मुँह में ले लिया और दांतो से काट भी लिया. और ऐसा हमला अपनी चूत पर होता देख कर गहरी नींद में सो रही काव्या भी एकदम से उठ गयी. उसे तो ऐसा लगा की शायद सोते हुए कोई कीड़ा उसकी चूत में घुस गया है. वो छिटक कर एकदम से अलग हो गयी ... और जैसा झटका थोड़ी देर पहले विक्की को लगा था, ठीक वैसा ही काव्या को भी लगा ... एकदम से कमरे मे इतने लोग देख कर. वो घबरा सी गयी ... अपनी माँ को लोकेश अंकल का लंड चूसता देख कर और रोज़ी को विक्की का लंड चाटते देख कर वो समझने की कोशिश कर रही थी की ये क्या हो रहा है ... रोज़ी से वो मिल चुकी थी एक बार, जब वो अपने पापा के ऑफीस गयी थी. पर नंगी हो कर वो इतनी जबरदस्त निकलेगी, ये उसने नही सोचा था. और उसके प्यारे पापा इस वक़्त अपनी सेक्रेटरी की चूत चूसने में लगे थे.
लोकेश: "अब इतना हैरान होने की ज़रूरत नही है, काव्या. चलो, जल्दी से वापिस उपर आओ ... अभी तो मज़ा आना शुरू हुआ था.''
काव्या तो सुबह से यही करने में लगी हुई थी इसलिए उसे दोबारा कहने की ज़रूरत नही पड़ी. वो उछल कर अपने लोकेश अंकल के मुँह पर सवार हो गयी और अपनी चूत पहले की तरह एक बार फिर से चुसवाने लगी. आख़िरकार सेक्स से उसे उतना ही प्यार हो गया था जितना अपनी माँ से था अब तक.
समीर ने अपनी जीभ का डायरेक्शन अब रोज़ी की चूत से हटा कर उसकी गांड पर कर दिया... सुबह तो वो अपने बॉस को एक बार मना कर चुकी थी वहां किसी भी प्रकार की एंट्री के लिए. पर इस बार वो ऐसा नही करना चाहती थी. और वैसे भी माहौल इतना गर्म हो रहा था की अब उसने मन ही मन अपने दूसरे छेद का उद्घाटन करने की बात को सोचना शुरू कर ही दिया था.
और इस वक़्त उसके सामने इतना जवान लंड भी तो था, विक्की का, जिसे वो जानती नहीं थी और जो अपनी कमीनी आँखो से उसके रसीले होंठों को अपने लंड के गिर्द लिपटे हुए देख कर आहे भर रहा था.
काव्या तो लोकेश के मुँह पर अपनी चूत ऐसे घिस रही थी मानो घुड़सवारी कर रही हो. उनके बालों को पकड़ कर वो अपना मुँह उपर करते हुए जोरदार चीखो से कमरे मे संगीत का रंगारंग कार्यकर्म प्रस्तुत कर रही थी, ''ऊऊह ... आहह ... ओह ... अंकल ... सकक्क मी ...इस्स्स्स्स ... ऐसे ही ... हां जीभ से ... अंदर तक ... डालो ... आआआआईईईईईईई!''
उसने अब तक 2-3 बार लोकेश अंकल से उपर-2 के मज़े लिए थे. आज वो पूरा मज़ा लेना चाहती थी. पर उसके लंड पर तो पहले से ही उसकी माँ ने कब्जा किया हुआ था, जो लंड को चूस्कर शायद अपनी चूत के लिए तैयार कर रही थी.
काव्या खिसक कर नीचे की तरफ आ गयी... अपनी गीली चूत को लोकेश की छाती से रगड़ते हुए... उसके पेट पर मसलते हुए वो उसके लंड से आ टकराई... और अपनी माँ के चेहरे से भी.
एकदम से अपनी बेटी की मचल रही चूत को अपने चेहरे के सामने देख कर बेचारी माँ का दिल पसीज गया और उसने अपनी चुदाई कुर्बान करते हुए लोकेश के खड़े हुए लंड को धीरे से काव्या की चूत के मुहाने पर लगाया और बाकी का काम काव्या ने कर दिया, एक झटके से नीचे की तरफ होकर.
''आआआह अंकल! ... कब से तरसी हूँ इसके लिए ... अब बुझेगी मेरी प्यास!''
एक बाप को जब ये सुनना पड़े की उसकी बेटी उसके ही दोस्त से चुदवाने के लिए तरस रही है तो उसके दिल पर क्या बीती होगी इसका अंदाज़ा आप खुद लगा सकते है... पर समीर ऐसा नही था... उसे इन बातों से कोई फ़र्क नही पड़ता था... पर ये सुन कर की काव्या लोकेश के लिए कब से तरस रही थी, उसे अचंभा ज़रूर हुआ क्योंकि आज तक तो उसने यही सोचा था की वो सिर्फ़ उसके लंड के लिए तरस रही थी.
 
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Update 101

इन बातों को नज़रंदाज़ करते हुए उसने अपनी जीभ से रोज़ी के गांड के छेद की आयलिंग करनी स्टार्ट रखी. धीरे-2 रोज़ी को भी एक अजीब सी जलतरंग महसूस होने लगी थी अपनी गांड के अंदर.
रश्मि के हाथ से एक खड़ा हुआ लंड निकल गया था. वो उठी और बेड के दूसरी तरफ चल दी, जहाँ विक्की लेटा हुआ था और उसके लंड को रोज़ी घोड़ी बन कर चूस रही थी. वो उसकी तरफ आई और 69 की पोज़िशन में उसके उपर लेट गयी. और ऐसा करते ही उसका चेहरा भी रोज़ी के करीब आ पहुँचा जो विक्की के लंड को चूस रही थी... दोनो ने आँखो-2 में इशारा किया और मुस्कुरा दी... और फिर दोनो मिल कर विक्की के लंड पर जीभ चलाने लगी.
पूरे कमरे में सड़प-2 की आवाज़ें गूँज रही थी - विक्की के मुँह की आवाज जो रश्मि की रसीली चूत को चूस रहा था, रश्मि और रोज़ी के मुँह की आवाज जो उसके ओज़ार को अपनी लार और जीभ से नहला रही थी, समीर के मुँह की आवाज जो रोज़ी की संकरी गांड को अपनी गीली जीभ से भिगो कर अपने लंड के लिए तैयार कर रहा था ... और साथ में गूँज रही काव्या और लोकेश की सिसकारियाँ.
लोकेश तो एक नई-नई जवान हुई हसीना को चोद कर फूला नही समा रहा था ... एक ऐसी कच्ची कली, जो अभी कुछ दिन पहले ही चुदना सीखी हो, उसकी चूत का मज़ा अलग ही है. वो उसके उभरे नितम्बों को हाथों में भर कर, उसके मम्मों को चूसता हुआ, नीचे से दनादन धक्के मार रहा था, ''आआआआह ... ऊऊऊऊह ... इस्स्स्स्स ... आह काव्या, ... कितनी टाइट है ... उम्म्म्म ... बहुत मज़ेदार है तेरी चूत!''
लोकेश के करारे धक्को से काव्या का नन्हा जिस्म बुरी तरह से हिचकोले खा रहा था ... पर एक बात उसने नोट की थी ... भले ही इन बड़े लोगो में जवान लंड जैसा जोश नही होता पर असली मज़ा यही देते हैं ... इनका धक्के मारने का स्टाइल ... इनका चूमने और चूसने का तरीका जवान लड़को से अलग ही होता है ... आख़िर इतनी चूतें रगड़ने का एक्सपीरियन्स भी तो होता है इन के पास.
समीर अब उठ खड़ा हुआ. उसने अपने लंड पर ढेर सा थूक लगा कर उसे रोज़ी की गांड पर टिका दिया ... दर्द की कल्पना करते हुए रोज़ी ने विक्की के लंड को चूसना छोड़ दिया और वो समीर के धक्के की प्रतीक्षा करने लगी ... और वो धक्का आया भी ... तजुर्बेकार समीर ने अपनी पूरी ताकत लगा कर धक्का नही मारा. वो अपने लंड को उसकी गांड में इत्मीनान से एक-एक इंच अन्दर खिसका रहा था ... गांड मारने का सही तरीका यही है, ये वो अच्छी तरह से जानता था ... और लंड घुसाते हुए वो सामने लगे शीशे में रोज़ी के चेहरे के एक्शप्रेशन देख रहा था. उसका मुँह खुला का खुला रह गया ... ऐसा लग रहा था जैसे पीछे से उसके जिस्म में कोई मूसल दाखिल हो रहा है. दर्द और मज़े का मिला जुला मिश्रण था उसके चेहरे पर, लेकिन मुँह से कोई आवाज़ नही निकल रही थी. पूरे दो मिनट की मेहनत के बाद समीर की जांघें रोजी के चूतादों से टकरायीं ... और तब जा कर उसके मुँह से सिसकारी फूटी, ''आआआआह ... समीर सर ... ऊऊऊऊऊऊह ... उम्म्म्म ... येस्स्स्स ... मज़ा आ गया सच में ... आप सही कहते थे ... यहां का मज़ा अलग ही है ... आssssह!''
रश्मि की चूत भी अब कुलबुलाने लगी थी. वो पलट कर एक बार फिर से विक्की के लंड पर सवार हो गयी. उसकी चूत तो विक्की के लंड को पहचानती थी, इसलिए बिना किसी इंट्रोडक्षन के उसके लंड को निगल गयी ... और रश्मि उसके लंड पर कूदने लगी ... ठीक वैसे ही जैसे काव्या कूद रही थी लोकेश के लंड पर.
समीर भी अब अपनी लय में आ चुका था ... पहले हलके-हलके और फिर ज़ोरदार धक्कों से वो रोज़ी की गांड मार रहा था.
कमरे में एक साथ तीन जोड़ों के बीच घमासान चल रहा था. मर्दों के मुँह से तो ज़्यादा आवाजें नहीं निकल रही थीं पर लड़कियों ने पूरे कमरे को सर पर उठा रखा था ... तीनो में जैसे कम्पीटीशन चल रहा था की कौन धक्के खाते हुए ज्यादा चीखती है.
काव्या: "आआआआआआह येस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स अंकल ... और ज़ोर से ... आssssssह ... कमाल का चोदते हो आप, अंकल ... बिल्कुल पापा की तरह ... उन्होने भी ऐसे ही चोदा था मुझे ... आह ... सच में ... कमाल का लंड है आपका ... और पापा का भी!''
रोज़ी ने भी उसकी हाँ में हाँ मिलाई : "येस्स काव्या ... सही कहा ... सर का लंड सच में जबरदस्त है ... आई केन फील इट ... इन माई बेली! आआआआह! बड़ा जबरदस्त चोदते है ये दोनो ... आह!''
रश्मि: "इन दोनो के साथ-2 विक्की भी जबरदस्त है ... उम्म्म्म ... क्या लंड है इसका ... सुबह से इतनी मेहनत कर चुका है ... फिर भी डटा हुआ है! आह ... कितना मज़ा दे रहा है ... मन करता है सुबह शाम चुदवाउ इस से ... आह ... चोद साले ... ज़ोर से मार ... और जोर से ... हाँ ... ऐसे ... आआआआआआआह!''
और इतना कहते-2 वो झड़ने लगी ... और फिर झड़ती ही चली गयी ... काव्या और रोज़ी ने भी देर नही की ... उनका भी काम हो गया था ... और फिर तीनो गहरी साँसे लेने लगी.
अब तीनो मर्दों ने एक दूसरे को देखा और आँखो ही आँखो मे इशारा करके सबने अपने लंड एक साथ बाहर निकाल लिए. वे खड़े हो गये और उन्होंने तीनो को अपने सामने बिठा लिया. तीनों अपने-2 लंड को मुठियाने लगे ... वे तीनो समझ गयी की अब उनके उपर लंड-रस की बारिश होने वाली है ... और फिर बारिश शुरू हो गयी ... पहले लोकेश के लंड से ... उसके माल की धार सीधे काव्या के चेहरे पर गिरी ... उसकी आँखो पर ... बालों पर ... और बाकी की 2-4 पिचकारियाँ उसने रोज़ी और रश्मि की तरफ मारीं.
समीर ने भी ऐसे ही किया ... पहले अपनी सेक्रेटरी को भिगोया और फिर अपनी बेटी और बीबी को.
विक्की सबसे आख़िर मे झड़ा ... और रश्मि के चेहरे को पोतने के बाद उसने काव्या और रोज़ी को अपने गर्म माल से सज़ा दिया.
उसके बाद सभी बेड पर गिर कर सुसताने लगे.
चुदाई का ऐसा नंगा नाच आज से पहले किसी ने नही देखा था ... और अब यह चलते ही जाना था ... और चला भी.
पूरी रात सब मर्द पार्टनर्स को बदल-बदल कर चोदते रहे. पता नही कहाँ से इतनी ताकत आ रही थी सब मे. पर आज की रात को वो यादगार बना देना चाहते थे. लड़कियाँ भी मज़ा लूटने में पीछे नहीं रहीं.
और उस दिन के बाद ऐसा अक्सर होने लगा. जिसका जिसे चोदने का मन करता वो उसे चोद लेता. लड़कियाँ भी जिस से चुदवाना चाहतीं, उससे चुदवा लेती.
इस तरह काव्या, रश्मि और समीर की जिंदगियां खुशगवार हो गईं.
 

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