एक टूटी हुई कश्ती का मुसाफ़िर हूँ मैं हाँ निगल जाएगा एक रोज़ समुन्दर मुझको
XP 007 ADMIN :D Senior Moderator 12,182 10,232 145 Staff Member Jul 16, 2021 #291 एक टूटी हुई कश्ती का मुसाफ़िर हूँ मैं हाँ निगल जाएगा एक रोज़ समुन्दर मुझको
XP 007 ADMIN :D Senior Moderator 12,182 10,232 145 Staff Member Jul 16, 2021 #292 इससे बढ़कर मेरी तौहीन -ए-अना क्या होगी अब गदागर भी समझते हैं गदागर मुझको
XP 007 ADMIN :D Senior Moderator 12,182 10,232 145 Staff Member Jul 16, 2021 #293 ज़ख़्म चेहरे पे, लहू आँखों में, सीना छलनी, ज़िन्दगी अब तो ओढ़ा दे कोई चादर मुझको
XP 007 ADMIN :D Senior Moderator 12,182 10,232 145 Staff Member Jul 16, 2021 #294 मेरी आँखों को वो बीनाई अता कर मौला एक आँसू भी नज़र आए समुन्दर मुझको
XP 007 ADMIN :D Senior Moderator 12,182 10,232 145 Staff Member Jul 16, 2021 #295 कोई इस बात को माने कि न माने लेकिन चाँद लगता है तेरे माथे का झूमर मुझको
XP 007 ADMIN :D Senior Moderator 12,182 10,232 145 Staff Member Jul 16, 2021 #296 दुख तो ये है मेरा दुश्मन ही नहीं है कोई ये मेरे भाई हैं कहते हैं जो बाबर मुझको
XP 007 ADMIN :D Senior Moderator 12,182 10,232 145 Staff Member Jul 16, 2021 #297 मुझसे आँगन का अँधेरा भी नहीं मिट पाया, और दुनिया है कि कहती है ‘मुनव्वर’ मुझको।
XP 007 ADMIN :D Senior Moderator 12,182 10,232 145 Staff Member Jul 16, 2021 #298 लबो पर उसके कभी बददुआ नहीं होती बस एक माँ है जो कभी खफा नहीं होती
XP 007 ADMIN :D Senior Moderator 12,182 10,232 145 Staff Member Jul 16, 2021 #299 इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है माँ बहुत गुस्से में होती है तो रो देती है
XP 007 ADMIN :D Senior Moderator 12,182 10,232 145 Staff Member Jul 16, 2021 #300 इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है माँ बहुत गुस्से में होती है तो रो देती है