तभी मालिनी का भाई कोलेज से आया और मालिनी से लिपट कर प्यार किया। तभी ताऊ की दोनों बेटियाँ भी आयीं। स्कर्ट ब्लाउस में दोनों बहुत प्यारी लग रहीं थीं। वो सब शिवा से भी हाथ मिलाए।
राकेश जो कि मालिनी का भाई था बोला: दीदी चलो ना हमारे कमरे में बातें करेंगे।
चारु जो बड़ी थी बोली: हाँ दीदी चलो ना।
मुन्नी जो छोटी थी , मालिनी का हाथ पकड़कर उसे खिंचने लगी। मालिनी हँसकर बोली: अच्छा बाबा चलती हूँ। फिर शिवा को बोली: आप भी आइए ना ।
शिवा हँसकर : तुम जाओ मैं आता हूँ। मेरे सामने ये शर्माएँगी।
जब बच्चे चले गए तो मालिनी बोली: क्या लोगे बेटा? ठंडा या गरम?
शिवा: मम्मी जी पानी दे दीजिए।
सरला उठी और अपनी मोटी गाँड़ मटकाते हुए किचन में गयी और पानी लाकर गिलास को देती हुई अपनी साड़ी का पल्लू ठीक करने के बहाने अपनी क्लिवेज़ शिवा को अच्छे से दिखा दी। शिवा के नाक में उसके मस्त सेण्ट की गंध आइ और वो उत्तेजित होने लगा। फिर वो थोड़ी देर बातें किए और ताई जी लेटने चली गयीं। ताऊ जी भी एक फ़ोन आने से बाहर चले गए। अब सरला और शिवा ही आसपास बैठे थे। बातें करते करते वो उसकी जाँघ दबा देती थी। फिर वो बोली: बेटा, खाना लगा दूँ?
शिवा : जी मम्मी लगा दीजिए।
सरला उठी और मटकती हुई किचन में चली गयी। थोड़ी देर वह टी वी देखता रहा फिर उसे बाथरूम जाने की ज़रूरत महसूस हुई। वो ड्रॉइंग रूम से बाहर आकर इधर उधर देखा तो उसे बाथरूम दिखाई दिया। वो जब पेशाब करके बाहर आया तो वह एक कमरे के सामने से गुज़रा। उसमें से उसे कुछ अजीब सी आवाज़ें आ रही थीं । वो रुका और एक खुली खिड़की के परदे को हटा कर अंदर झाँका। अब वो चौका क्योंकि उसने देखा कि ताऊ जी मम्मी को अपने से चिपका कर खड़े थे और उनकी खुली चूचियों को चूमे जा रहे थे। मम्मी भी मज़े से उनका सिर दबा रही थी। ताऊजी मम्मी की मस्त मोटी गाँड़ भी मसल रहे थे। ताऊजी: मेरी जान आज क्या माल दिख रही हो? उफफफ बहुत ही सुंदर सजी हुई हो। क्या बात है? आख़िर क्यों इतना सेक्सी रूप धरी हो। क्या दामाद को पटाना है?
शिवा एकदम से चौंक गया। ये क्या बोल रहे हैं ताऊजी।
सरला: आप भी कुछ भी बोलते हो। क्या मैं अच्छे कपड़े नहीं पहन सकती?
श्याम उसको चूमते हुए बोला: अरे क्यों नहीं पहन सकती। क्या माल दिख रही हो?
सरला: आऽऽऽह अब छोड़ो । मुझे खाना लगाना है।
वह आख़िर बार उसकी चूचियाँ दबाया उसे छोड़ा और बोला: चलो अब खाना लगाओ।
शिवा जल्दी से वहाँ से हट गया।
सरला अब खाना लगाने लगी।
शिवा आकर सोफ़े पर बैठकर अपना खड़ा लौड़ा ऐडजस्ट किया और सोचने लगा कि ये क्या देखा मैंने? मम्मी ताऊजी से लगी हुईं हैं। क्या मालिनी को पता है? पर उसने कभी ज़िक्र नहीं किया। इसका मतलब है कि मालिनी भी मुझसे बातें छिपा लेती है? वह सोचा कि वो ख़ुद भी तो अपनी सास को ख़राब नज़र से देख रहा है। उसके लौड़े का बार बार खड़ा होना इसका सबूत था। वो अपने लौड़े पर हाथ फेरा मानो उसे तसल्ली दे रहा हो, और सोचने लगा कि उस दिन मम्मी की सहेली भी तो ऐसी ही औरत थी जो कि उसका लौड़ा ही चूस गयी थी। तो क्या सच में मम्मी चरित्रहीन है ?
तभी मालिनी और उसके कज़िन हँसते हुए कमरे में आए और चारु बोली: जीजा जी आज हम दीदी और आपके साथ मूवी देखेंगे।
शिवा: हाँ हाँ क्यों नहीं साली साहिबा। आप जो चाहेंगी वैसा ही होगा।
मालिनी: आह तेरे जीजा जी का मूड अच्छा है और कुछ भी माँग ले।
मुन्नी: जीजा जी मुझे मोबाइल दिलवाइए ना।
शिवा: बिलकुल दिलाएँगे अगर तुम एक मीठी सी पप्पी दोगी।
लाड़ प्यार में पली मुन्नी फट से आगे आयी और उसकी गोद में बैठ गयी और अपने गाल आगे करके बोली: लीजिए पप्पी।
शिवा की हालत ख़राब हो गयी। वो उसके पैंट में फँसे खड़े लौड़े पर बैठ गयी थी। अब उसे दुखने लगा था, वो जल्दी से उसकी पप्पी लिया और उसको अपनी गोद से उठाया और बोला: मालिनी इसे मोबाइल दिलवा देना। अब शिवा अपनी पैंट के ऊपर हाथ रखकर अपना इरेक्शन मालिनी से छुपाने की कोशिश किया। पर उसकी कोशिश नाकामयाब रही क्योंकि मालिनी को आभास हो गया था कि शिवा का लौड़ा शायद खड़ा है। पर क्यों? वो सोची।
मालिनी दिखाने के लिए ख़ुश होकर: जी दिलवा दूँगी। अब मुन्नी ख़ुश होकर मालिनी की गोद में बैठ कर उसको भी पप्पी दे दी।
तभी सरला आयी और बोली: चलो सब लोग खाना लग गया है।
मुन्नी: चाची, आपको पता है, जीजा जी मुझे मोबाइल दिलाएँगे। और आज हम सब मूवी भी देखने जाएँगे । हैं ना जीजा जी? वो शिवा की बाँह पकड़कर बोली।
शिवा मुस्कुराया: ज़रूर छोटी साली जी।
सब हँसने लगे। पर सरला सोच में डूब गयी। वो सोची कि ये अच्छा अवसर है अगर शिवा ना जाए तो बात आगे बढ़ सकती है। उसने एक योजना बनाई और बोली: देखो मैं तो नहीं जाऊँगी। तुम सब जाओ।
मालिनी: क्यों मम्मी आप भी चलो ना।
सरला: नहीं बेटी मैं नहीं जा सकती हूँ। तेरी ताई का भी ध्यान रखना पड़ता है। पिछले कुछ दिनों से उसकी तबियत ज़्यादा ही ख़राब है।
अब सब खाना खाने बैठे तब सरला धीरे से किचन में जाकर शिवा के फ़ोन में sms की। उसने लिखा: मुझे तुमसे बहुत ज़रूरी बातें करनी है,वो भी अकेले में। अगर तुम कुछ बहाना बना कर मूवी ना जाओ तो हम अकेले में बातें कर सकेंगे। बात इतनी सेन्सिटिव है कि अभी मैं मालिनी को भी नहीं बता सकती।
सब खाना खा रहे थे। सरला ने शिवा के फ़ोन में sms आने की आवाज़ सुनी। पर वह मस्ती में बातें कर रहा था। उसने sms की तरफ़ ध्यान नहीं दिया। सरला चाहती थी कि वो एक बार फ़ोन चेक करे। पर उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो ये काम कैसे करे? ख़ैर सबने खाना खाया और शिवा ने खाने की बहुत तारीफ़ भी की। फिर सब खाना खा कर बैठे और मस्ती करने लगे। मूवी जाने में अभी एक घण्टे थे। इसी समय में सरला चाहती थी कि किसी तरह से शिवा अपना sms पढ़ ले।
जब बहुत देर हो जाने के बाद भी वो फ़ोन चेक नहीं किया तो सरला बोली: शिवा तुम्हारा फ़ोन मैंने आज लगाया था जब तुम यहाँ आ रहे थे। पर वो लगा नहीं। तुमने अपना नम्बर बदला है क्या?
शिवा: नहीं तो, मेरा नम्बर वही है।
सरला: अच्छा मैं तुमको एक मिस्ड कॉल देती हूँ तुम देखो बजता है कि नहीं। अब वो उसे फ़ोन करी और शिवा की घंटी बजी । अब वो अपना फ़ोन उठाया और बोला: मम्मी देखो आपका नम्बर आ रहा है।
सरला: ओह फिर ठीक है। तभी वो देखी कि शिवा ने sms को नोटिस किया। उसे पढ़कर वो सवालिया नज़रों से उसे देखा। सरला ने हाँ में सिर हिलाया और बोली: बेटा थोड़ा आराम करना हो तो मेरे कमरे में आराम कर लो।
शिवा उसका इशारा समझ गया और बोला: मालिनी तुम बातें करो मैं थोड़ी देर लेट लेता हूँ।
सरला उसे लेकर अपने बेडरूम में आयी और बोली: बेटा तुमको कोई बहाना बनाना है क्योंकि मुझे तुमसे अकेले में बात करनी है। श्याम भी शाम के पहले नहीं आएँगे।
शिवा: वो तो मैंने sms में पढ़ा पर ऐसी क्या बात है जो आप मालिनी को भी नहीं बताना चाहती?
सरला: बेटा बात तुम्हारे पापा के बारे में है। प्लीज़ कोई बहाना बना लो।
शिवा हैरानी से : मेरे पापा के बारे में ? ओह, ठीक है मैं लेट जाता हूँ। बाद में मैं सिर दर्द का बहाना बना दूँगा।
सरला ख़ुश होकर: ठीक है बेटा आराम करो। वह झुक कर उसको चादर उढाई और झुकने के कारण उसके उभारों के दर्शन कर वह एक बार फिर से गरम हो गया। फिर वह बाहर चली गयी।
फिर वही हुआ जो सरला चाहती थी। ठीक समय पर शिवा ने सर दर्द का बहाना बनाया और मालिनी आख़िर में हराकर अपने कजिंस के साथ मूवी देखने चली गयी।
उनके जाने के बाद शिवा उठकर ड्रॉइंग रूम में आया और सरला से बोला: हाँ मम्मी जी अब बताइए क्या बात है वो भी पापा के बारे में?
सरला मुँह उतराके बोली: बेटा एक बहुत बड़ी समस्या आ गयी है।
शिवा: क्या समस्या आप बताइए तो सही।
सरला: बेटा तुम्हारे पापा दूसरी शादी का सोच रहे है।
शिवा: क्या ? आपसे किसने कहा?
सरला: ख़ुद तुम्हारे पापा ने।
शिवा: ओह ये तो बड़ी गड़बड़ हो जाएगी।
सरला: और भी सुनो, वो तो लड़की भी मालिनी से छोटी लाएँगे ऐसा बोले हैं !
शिवा: हे भगवान। ये पापा को क्या हो गया है?
सरला: बेटा, मुझे तो तुम दोनों की बहुत चिंता है। एक तो मालिनी की सास उससे छोटी उम्र की और दूसरी ओर उसके भी बच्चे हुए तो तुम्हारे लिए एक और सर दर्द हो जाएगा। जायदाद में वो भी बराबर का हिस्से दार हो जाएगा। घर की शांति भंग होगी वो अलग। मेरा तो सोच सोच कर सिर फटा जा रहा है। बेचारी मेरी बच्ची का क्या होगा? ये कहते हुए वो रोने लगी।
शिवा उसके रोने से हड़बड़ा गया और उठ कर उसके पास आकर बैठा और उसको दिलासा देते हुए बोला: मम्मी आप क्यों रो रही हो? हम कुछ करेंगे ना। पापा को समझाएँगे।
सरला ज़ोर से रोती हुई बोली: वो सब मैं कर चुकी हूँ वो नहीं मान रहे हैं। अब शिवा उसके हाथ को सहलाया और बोला: मम्मी रोने से कोई समस्या हल नहीं होगी। वह उसकी बाँह को सहलाया और उसकी उँगलियाँ उसके बड़े स्तन से छू गयीं। उसे जैसे बिजली का झटका लगा। उधर सरला ने रोते हुए अपना सिर उसके कंधे पर रख दिया था और उसकी साड़ी का पल्लू भी गिर गया था । अब शिवा को उसके आधे दूध जो कि ब्लाउस से बाहर थे साफ़ साफ़ दिखाई दे रहे थे और उसके लौड़े ने फिर से अपनी अकड़ दिखानी शुरू कर दी।
सरला भी अब रोते हुए बोली: क्या करूँ रोने केअलावा और क्या कर सकती हूँ?