Incest तीनो की संमति से .....

I am here only for sex stories No personal contact
316
102
43
मेरी आँखें मस्ती से बंद हो रही थीं, और मेरे हाथ दीदी के सिर पर उसके बालों को सहला रहे थे। जीजू टायलेट में नहा रहे थे। वैसे भी हम सभी काफ़ी ड्रंक हो चुके थे। मुझसे रहा ना गया तो मैं खड़ा हो गया और अपने सामने बैठी अपनी बड़ी बहन के सिर को दोनों हाथों से पकड़कर अपना पूरा लण्ड दीदी के मुँह में घुसेड़ दिया, और उसको मुँह में ही चोदने लगा।

मैं दीदी की इतनी तेज मुँह में चुदाई करने लगा कि उसके मुँह से “ऊरल, ऊओरल ऊल, ककरूंवल, ल्ल…” की आवाजें निकलने लगी।

फिर एकदम से मैंने अपना लण्ड दीदी के मुँह से निकाल लिया और उसके मुँह के करीब थोड़ा झुक गया। मेरा लण्ड चूसने के लिए उसके खुले मुँह में मैंने अपने थूक की लार छोड़ दी, मेरा थूक सीधा दीदी के मुँह में जा रहा था, मैं थोड़ा और झुका और धीरे-धीरे दीदी के होंठों के आस-पास और गालों पे लगा अपने लण्ड का जूस और उसके थूक का मिक्चर चाटने लगा, जो कि मेरा लण्ड चूसने से दीदी के होंठ और गालों पे फैला था। उसके बाद मैंने अपने होंठ दीदी के होंठों पे रख दिए और स्मूच करने लगा।

शायद दीदी इसके लिए पहले से ही तैयार थी, उसने झट से अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी और मैं उसकी जीभ को चूसने लगा। करीब 5 मिनट के बाद हमारे मुँह का लाक खुला तो दीदी बोली-“सारी दीपू, मैंने तुम्हें बहुत तरसाया, बहुत तडपाया ना… काश, मैं उस वक़्त तुम्हें समझ जाती…”

मैं कुछ नहीं बोला, बस दीदी की नाइटी के गले के अंदर हाथ डालकर उसकी चूचियां दबाना शुरू कर दिया, आज भी दीदी की चूचियां वैसे ही सख़्त थीं। पता नहीं जीजू ने कभी उनको दबाया भी था या नहीं? निप्पल्स भी वैसी ही टाइट थे। मैं एक चूची को बाहर निकालकर उसको चूसने लगा।

दीदी मेरे गले में अपनी दोनों बांहें डालकर प्यार से कहने लगी-“दीपू, कुछ बोलो भी… अपनी दीदी को माफ़ नहीं करोगे क्या? आई एम रियली सारी मेरे बच्चे, अब तुम जैसा कहोगे वैसा ही करूँगी…”

तबी मुझे लगा कि शायद जीजू टायलेट से आ रहे हैं तो मैं खड़ा हो गया। और दीदी ने फिर से मेरा लण्ड अपने मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया। दीदी मेरा लण्ड चूसे जा रही थी और मैंने अपना मुँह ऊपर छत की तरफ करके आँखें बंद कर ली थी।

तभी जीजू टायलेट से आते हुए बोले-“यार तुम लोग अभी तक यहीं पे फँसे हुए हो? इस माल को अपना लण्ड चुसवा रहे हो। मैंने तो सोचा था कि अब तक तो इस साली कुतिया की टांगें एक बार खोलकर उसकी चूत में अपना लण्ड डालकर एक सेशन भी कर लिया होगा…”

फिर दीदी ने उनको आते देखकर मेरा लण्ड छोड़कर उनका लण्ड पकड़ लिया और उसे चूमने चाटने लगी।

कुछ ही देर में फिर हम दोनों दीदी के आगे खड़े अपने खड़े लण्ड चुसवा रहे थे। जीजू इस बार बहुत उत्तेजित हो गये और उन्होंने दीदी को कंधों से पकड़कर सीधा पीछे की तरफ बेड पे लिटा दिया, उसकी नाइटी को खोल दिया और दीदी की चूचियां चूसने लगे। फिर अचानक मुझे ऐसे ही खड़ा देखा तो बोले-“दीपक यार, तुम भी बहुल ढीले हो, खुलकर रेस्पॉन्स नहीं दे रहे हो…” फिर उन्होंने दीदी की नाइटी उतार दी और उसे सीधा बेड पे लेटने को कहा, और मुझे लण्ड से पकड़कर बेड के ऊपर खींचने लगे।

अब हम तीनों बेड पे थे। दीदी खाली पैंटी में सीधी लेटी हुई थी, उसका गोरा बे-दाग बदन देखकर मेरे होश उड़ गये। जिसे मैं बरसों से पाने के लिये तरस रहा था, आज मेरे सामने थी। उसकी गोल-गोल चूचियां पतले जिश्म पे अलग ही नज़र आ रही थीं। जीजू ने मुझे दीदी की टाँगों के सामने बिठा दिया और खुद दाईं साइड पे बैठ गये। फिर जीजू ने दीदी की स्काइ ब्लू कलर की प्री-कम से भीगी पैंटी को उतारकर चूमा और बोले-“वाह… मेरी जान, आज बहुत गरम लग रही हो, कितनी गाढ़ी मलाई निकल रही है तुम्हारी चूत से…”

फिर उन्होंने दीदी की टांगें थोड़ा मोड़ करके मेरे सामने फैला दी और मुझे घुटनों के बल बिठाकर मेरे लण्ड की पोज़ीशन दीदी की चूत के सामने सेट करने लगे। फिर उन्होंने दीदी की कमर को नीचे अपने हाथ डालकर थोड़ा ऊपर उठाया और मेरे लण्ड को पकड़कर उसमें डालने की कोशिश करने लगे।

तो मैंने कहा-“जीजू, आप रहने दो, मैं कर लेता हूँ…”

वो खुश होते हुए बोले-“दैटस लाईक आ गुड बाय, यह बात हुई ना…” फिर वो अपने काम यानी दीदी की चूचियों को चूसने में जुट गये।

मैं दीदी की चूत की तरफ देखे जा रहा था, उसकी चूत चुदी हुई नहीं लग रही थी। दीदी की चूत का रंग गोरे से थोड़ा लाल ज़रूर हो गया था, लेकिन काला नहीं पड़ा था। मैंने दो सालों में जिसकी भी चुदाई की थी, वोही चूत काली पड़ गई थी। लेकिन दीदी की सॉफ सुथरी चूत देखकर मेरा दिल उसको चाटने के लिये तरस रहा था। लेकिन क्या करता, जीजू तो मुझे दीदी को चोदने के लिए तैयार कर चुके थे। फिर मैंने एक तकिया दीदी की कमर के नीचे रखा और उसी स्टाइल में दीदी की पोज़ीशन बना ली, जिस स्टाइल में दीदी को चोदने की कोशिश दो साल पहले कर चुका था।


मैंने दीदी की दोनों टाँगों को दोनों साइड पे फैला दिया, फिर अपने लण्ड की पोज़ीशन दीदी की चूत पे सेट करके जोरदार झटका मारा।

तो दीदी के मुँह से एकदम-“आह्ह… उउउच…” निकल गया। मेरा मोटा लण्ड दीदी की चूत को क्रश करता हुआ उसके अंदर गया चुका था। भीगी होने के वाबजूद भी मुझे दीदी की चूत काफ़ी टाइट लग रही थी। मैंने दीदी की कमर को अपने दोनों हाथों से दोनों तरफ से पकड़कर जोर-जोर से चुदाई शुरू कर दी।
 
I am here only for sex stories No personal contact
316
102
43
इतने में मम्मी चहकती हुई बोली-‘बेटी, तुम आज स्कूल नहीं गई?’ ‘आज तो छुट्टी है।’ मैंने यह कहकर मम्मी की ओर देखा। आज उसने गुलाबी साड़ी बांध रखी थी। मम्मी पर गुलाबी कपड़े बहुत ही खिलते थे। उसका रूप उनमें और अधिक दमक उठता था। मुझे जहां तक मालूम था, मम्मी सजती-संवरती तभी थी, जब कुशाग्र अंकल घर पर होते थे या आने वाले होते थे।
वैसे तो सजना-संवरना मम्मी के जीवन का एक अभिन्न हिस्सा था। लेकिन उस दिन वह विशेष रूप से साज-श्रृंगार करती थी, जब कुशाग्र अंकल घर पर होते। मैं अचानक ही बोल पड़ी तो कुशाग्र अंकल आज आने वाले हैं?’ मेरी समझ में यह नहीं आ रहा कि मम्मी पापा के लिए क्यों नहीं सजती-संवरती है? शायद मां के सपनों के राजकुमार पापा नहीं हैं, कुशाग्र अंकल ही हैं।

वैसे यह कड़वा सच भी है। कुशाग्र अंकल पापा से अधिक सुन्दर और स्मार्ट हैं। अपने आप को हमेशा ही सुन्दर बनाकर रखते हैं। कपड़े ढंग के पहनते हैं और पापा, पापा तो बिलकुल ही ढीले-ढाले व्यक्ति हैं। एक ही कपड़े को दो-दो रोज तक पहने रहते हैं। शेव तभी बनाते हैं, जब खुजली होने लगती है या उन्हें कोई टोक देता है। मां को तो चुस्त और खूबसूरत पुरुष चाहिए। कुशाग्र अंकल चुस्त भी हैं और सुन्दर भी हैं।’

इसी बीच मां ने मुझे टोक दिया-‘यह लड़की तो हमेशा ही कुछ-न-कुछ सोचती ही रहती है। जा, अपनी सहेली रचना से मिल आ। वह तुम्हें कल याद कर रही थी।’

मैं अवाक रह गई-‘मां, मुझ पर आज इतनी मेहरबान क्यों है? अचानक ही मुझे रचना के घर क्यों भेजने लगी? आखिर माजरा क्या है?’ एक साथ मेरे मस्तिष्क में न जाने कितने ही सवाल उमड़ने-घुमड़ने लगे, लेकिन मुझमें यह पूछने की हिम्मत ही नहीं थी, कि तुम मुझे जबर्दस्ती रचना के घर क्यों भेज रही हो? आखिर तुम्हारा इसमें क्या स्वार्थ है? खैर रचना से मिलने के लिए तो बेताब मैं भी थी। मैं पैदल ही उसके घर चल दी।

रचना का घर हमारे घर से पैदल कोई दस-पन्द्रह मिनट का रास्ता था। मैं माधरी के घर पहुंची तो दरवाजा खुला हुआ था। मैं बिना आवाज दिए ही अन्दर चली गई। घर में उसकी मां के सिवा कोई नहीं था। रचना का भाई देवगन भी नहीं था।

मुझ पर उसकी मां की नजर पड़ी तो वह बोली-‘अन्दर आ जा काजोल, काफी दिनों बाद आई है। रचना और देवगन तो अपनी नानी के घर गए हैं, कल सुबह तक आ जाने की उम्मीद है। खडी क्यों है? आ बैठ तो सही।’

मैं उसकी मां के साथ बैठकर भला क्या बात करती। दो-तीन मिनट तक खड़ी रही, फिर बोली-आण्टी, मैं जा रही हूं, रचना आए तो कह देना मैं आई थी।’ यह कहकर मैं दरवाजे से होते हुए बाहर आ गई।

रचना हमउम्र थी, लेकिन उसका भाई देवगन मुझसे एक साल छोटा था। वैसे वह देखने में छोटा नहीं लगता था। देवगन बहुत शरारती भी था। वह केवल शरारती ही नहीं था, बहुत सुन्दर और स्मार्ट भी था। मेरी उम्र यही कोई पन्द्रह-सोलह की थी। देवगन पन्द्रह का था। जीन्स की पैंट और टी-शर्ट में वह किसी राजकुमार से कम सुन्दर नहीं लगता था।

मैं यही सब सोचती हुई अपने घर आई तो दरवाजा धक्का देते ही खुल गया। मैं बरामदे से होते हुए मम्मी के बेडरूम के सामने आई तो किसी मर्दाने आवाज को सुनते ही ठिठक गई-पापा तो घर पर हैं नहीं। दो दिनों के लिए बाहर गए हैं।

फिर यह मर्दानी आवाज कहां से आ रही है और यह आवाज किसकी हो सकती है?’ मैं वहीं खड़ी होकर सोचने लगी, कि यह आवाज कहां से आ रही है। यह आवाज मम्मी के बेडरूम से आ रही थी। मैंने सोचा, ‘शायद पापा आ गए हैं, लेकिन वह तो ऑफिस के काम से गए हैं। काम बीच में ही छोडकर कैसे आ सकते हैं?’

मैं यह सोचते-सोचते दबे पांव मम्मी के बेडरूम की ओर बढ़ गई। दरवाजे के नजदीक आकर खिड़की की ओर देखा तो खिड़की बंद थी। मैं अन्दर झांकना चाहती थी। मेरे मन में वैसे कोई दुर्भावना नहीं थी। मैं तो यह देखने के लिए बेचैन थी, कि कहीं पापा तो नहीं आ गए हैं। तभी मेरी निगाह दरवाजे के गोल छेद पर पड़ी। मैं एक आंख बंद कर दूसरी आंख से उस छोटे से गोल छेद में झांकने लगी।

अन्दर का नजार देखकर मुझे अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हुआ। मैंने अपनी आंखें मलकर फिर उस गोल छेद से झांका तो वही दृश्य नजर आया। इस बार अविश्वास करने का कोई सवाल ही नहीं था। कुशाग्र अंकल बिल्कुल ही निर्वस्त्र थे और मम्मी चड्डी-बनियान में थी। इस मुद्रा में दोनों ही बहुत खुश थे। एक-दूसरे की आंखों में आंखें डाले यूं बैठे थे जैसे एक-दूसरे को सम्मोहित कर रहे हों।

इतने में मम्मी ने कुशाग्र अंकल के पेट में गुदगुदी की। वह अनायास ही हंसने लगे और हंसते-हंसते ही उन्होंने मम्मी को अपनी गोद में उठाकर बिठा लिया। मम्मी उनके गले में बांहें डालते हुए बोली-‘तुम्हारी बांहों का स्पर्श बड़ा ही उत्तेजक है। दिगम्बर ने तो मुझे कभी ऐसा आनंद दिया ही नहीं।’

‘तुम्हारा पति दिगम्बर कोई मर्द थोड़े ही है, वह तो भोदू है। न जाने कैसे उसके साथ तुम रहती हो।’ कुशाग्र अंकल यह कहकर हंसने लगे।

‘दिगम्बर तो एक खम्भा है, जिसकी आड़ में मैं तुम्हारे साथ रहती हूं। दिगम्बर जैसे पति को उंगलियों पर नचाना मुझे खूब आता है।’ मम्मी यह कहते-कहते काफी आक्रामक हो गई और उसने कुशाग्र अंकल के गाल को दांतों से काट लिया। कुशाग्र अंकल भी कहीं चूकने वाले थे।

एक हल्की-सी सीत्कार लेते हुए उन्होंने मम्मी को बांहों में समेट लिया, फिर उसके होंठों को जोर से भींच लिया-‘अब कैसा लग रहा है?’ ‘कैसा क्या लग रहा है। अच्छा लग रहा है। क्या तुम्हें नहीं पता, स्त्रियां दर्द से मिठास चूसती हैं।’ मम्मी के शब्द यह कहते-कहते लड़खड़ा गए।

उसकी आंखें बंद हो गई। दोनों एक-दूसरे के होंठ ऐसे चूस रहे थे जैसे लॉलीपाप या आईस्क्रीम चाट रहे हों। तभी कुशाग्र अंकल ने मम्मी को एक हल्की-सी थपकी लगाई। इस थपकी के जवाब में मम्मी ने भी उनकी पीठ पर एक हल्की-सी चिकोटी काट दी।

सेक्स का इतना जीवन्त और उत्तेजक दृश्य मैंने पहली बार ही देखा था। मेरा रोम-रोम रोमांचित हो उठा। मेरे कपड़े पसीने से नहा गए। मुझे इस खेल को देखने में आनंद भी आ रहा था और घृणा भी हो रही थी। घृणा इसलिए हो रही थी, क्योंकि यह खेल मेरी मम्मी किसी दूसरे मर्द के साथ खेल रही थी।पापा के साथ वह खेल में शामिल होती तो शायद मुझे घृणा न होती या मैं इतनी देर तक यहां न खड़ी होती।

इतने में ही मैंने देखा, दोनों एक-दूसरे से थक-हार कर ऐसे दूर-दूर बैठे हांफ रहे हैं, मानों दो शिकारी कुत्ते बराबर की कुश्ती लड़ते-लड़ते थक गए हों और पुनः लड़ने के लिए सुस्ता रहे हों। तभी मम्मी ने हाथ का इशारा करते हुए कहा-‘आओ यहां मेरे पास…आज तो होंठ ऐसे चूस रहे थे जैसे कोई आईस्क्रीम चूसता हो।’

‘क्या तुम इस मामले में पीछे थी?’ कुशाग्र अंकल यह कहकर जाने के लिए उठ खड़े हुए। मम्मी ने उनका हाथ झुककर पकड़ लिया-क्यों, दिल भर गया?’ ‘अब बस भी करो। काजोल कहीं आ गई तो मुश्किल हो जाएगी।’

कुशाग्र अंकल की आवाज में थकान थी, लेकिन मम्मी के चेहरे पर थकान की शिकन तक भी नहीं थी। उसकी आंखों में तो अभी यौन-आमंत्रण हिलोरें मार रहा था। उसने कुशाग्र अंकल को खींचकर पलंग पर बिठा दिया-‘काजोल अपनी सहेली के घर गई है।

वह अभी नहीं आने वाली…’ मेरे शरीर में एक सिहरन-सी दौड़ गई। ‘तुम भी…।’ कुशाग्र अंकल ने यह कहते-कहते मम्मी को बांहों में भींच लिया-‘लगता है अब कल वाले आसन का इस्तेमाल करना पड़ेगा।’ ‘करों न, मना किसने किया है।’ मम्मी यह कहते-कहते हंसने लगी। अंकल ने उसको पलंग पर पटक दिया। मम्मी का पूरा शरीर पलंग पर मचल रहा था। अंकल ने हाथ बढ़ाकर टेपरिकार्डर ऑन कर दिया संगीत की धुन बड़ी ही उत्तेजक और दिलकश थी।

तभी अचानक ही मुझे छींक आ गई। सारा गुड़-गोबर हो गया। मैं हड़बड़ा कर अपने कमरे की ओर भागती चली गई और पलंग पर निढाल पड़ गई। मुझे अपने आप पर बहुत ही खीझ आ रही थी-‘इस नासपीटी छींक को क्या अभी ही आना था। सारा खेल बिगाड़ दिया।

इतने में दरवाजा खुलने की ‘भडाम’ की आवाज हई। मैं फटाफट पलंग से उठकर कपडे बदलने लगी. ताकि मम्मी यह समझे कि मैं माधरी के घर से अभी-अभी आ रही हैं। इसी बीच मम्मी मेरे कमरे में दाखिल हई। मैंने देखा, वह काफी भयभीत थी। वह मेरे करीब आकर बोली-‘कब आई?’

‘अभी चली ही तो आ रही हूं।’

‘रचना घर पर ही थी?’
 
I am here only for sex stories No personal contact
316
102
43
सोरी उपरवाला एपिसोड एक नयी कहानी का लिखा हुआ था

कैसा लगा बस आप की राय के लिए यहाँ पोस्ट किया है
 
I am here only for sex stories No personal contact
316
102
43
17

दीदी ने अपना सर पीछे की तरफ सरकाकर आँखें बंद करके चैन की लंबी सांस ली। जीजू दीदी की चूचियों पे झुके उन्हें चूसने में मस्त थे, फिर टेढ़ी आँख से मुझे दीदी की चूत में चोदते देखने लगे। मेरा लण्ड पूरी तेजी से दीदी की चूत के अंदर-बाहर आ जा रहा था, में अपना 8-10 साल पुराना गुस्सा निकाल रहा था। इस जिश्म के लिए मैं 4-5 साल तड़पा था। चोदते-चोदते मुझे जब भी दीदी की डाँट का ख्याल आता तो मेरा गुस्सा और भड़क जाता और मैं अपना पूरा लण्ड बाहर निकालकर उसे जोरदार झटके से चूत के निशाने पे हिट करता, और जोर से झटका मारता तो दीदी का सारा जिश्म हिल जाता।

कई बार तो दीदी का सर बेडरेस्ट से जा टकराता लेकिन मुझे उस बात से कोई फरक नहीं पड़ता था। अगले ही पल मैं जल्दी से भूखे शेर की तरह दीदी की कमर पे चिपके अपने हाथों से दीदी के सारे जिश्म को नीचे खींच लेता, और फिर से जोरदार चुदाई शुरू कर देता। दिल कर रहा था कि दीदी की चूत का ऐसा हाल कर दूं कि उसे हमेशा याद रहे।

जोरदार झटकों के लगने से दीदी के मुँह से-“अया… अया… उम्म्म… उम्म…” की आवाजें की सिसकन हो रही थी।

मेरा लण्ड तेजी से दीदी की चूत को ड्रिल कर रहा था जिससे मेरे लण्ड के पीछे वाली साइड और दीदी की चूत के आस-पास एक सफेद कलर का झाग जमा होने लगा था। जीजू दीदी की चूचियों को किस करते-करते नीचे मेरे लण्ड और दीदी की चूत की तरफ आ गये, जीजू ने उस सफेद झाग को अपनी उंगली से सॉफ किया और अपने अंगूठे और पहली उंगली से उसकी गांड टाइप चिपचिपाहट देखने लगे। फिर उन्होंने वोही सफेद झाग थोड़ा और अपनी उंगली पे लगाया और अपनी उंगली दीदी के मुँह में डाल दी। दीदी ने भी कोई विरोध किये बगैर उसे चाट गई| ये देख कर मै और भी उत्तेजित हो गया जैसे खून का दबाव मेरे लंड में उंचाई तक पहोच गया हो|

मैंने चुदाई की स्पीड और तेज कर दी। मैं दीदी पे अब तक का सारा गुस्सा निकाल रहा था। और दीदी की चूत से अपना लौड़ा बाहर निकलकर ऐसे हिट करता जैसे कोई सांड़ किसी इंसान को पीछे हटकरके अपने सर से हिट करता है। मेरे अंदर लण्ड के पीछे जलन हो रही थी कि कब मैं अपना सारा गरम पानी निकालकर दीदी के अंदर छोड़ दूं। लेकिन इतना तेज चोदने के वाबजूद अभी भी मेरा बहनचोद लण्ड पानी छोड़ने के आस-पास भी नहीं था। दूज डिले स्प्रे ने अपना अच्छा असर दिखाया था।

उधर जीजू कभी दीदी के धाईओ को दबाने लगते, और कभी किसिंग करते-करते दीदी को स्मूच करने लगते। मैं अपना पूरा जोर लगा रहा था कि मेरे लण्ड से पानी निकल जाए, और ऐसा लग भी रहा था कि थोड़ा और तेज दीदी की चूत पर धक्के मारने से मेरे लण्ड का पानी निकल जाएगा। उसी चक्कर में दीदी को चोदने की मेरी स्पीड और तेज होती गई, इतना तेज करने से मेरे लण्ड की स्किन जलने जैसी लग रही थी। लेकिन साली दीदी को कोई कहा फर्क पड़ रहा था वो तो अपनी गांड को उठाये जा रही थी और लंड को पूरा निगल ने की पूरी कोशिश में थी उसकी आँखे बांध थी पर उसकी गांड मस्त उछल रही थी| मेरे लंड को पूरा सन्मान मिल रहा था उसकी चूत के द्वारा|
अब दीदी भी नीचे से अपनी गाण्ड उचका-उचका के चुदवा रही थी और पूरा मज़ा ले रही थी-“आह्ह… आह्ह… आह्ह… आह्ह… आह्ह… दीपूउउ, चोद ले अपनी दीदी को… अगर मुझे पहले पता होता की तुझसे चुदवाने में इतना मज़ा आयेगा तो कब का चुदवा लिया होता। हाईई मर गई मेरे दीपू राजा… उस दिन क्यों नहीं मेरा बलात्कार कर दिया… हाए नहीं, अपना ये लण्ड मेरी चूत में डालकर मेरी चूत फाड़ दी…”ये सुन के मेरा लंड उसकी चूत को और ज्यादा चिर के अपनी जगह बनाने लग गया| जैसी दीदी की आवाजें अब और तेज हो गई थीं, और तभी दीदी ने अपनी चूची चूसते जीजू को बालों से पकड़कर जोर से नोंच लिया, फिर दीदी की कमर ऊपर उठी और 3-4 झटके खाने के बाद “आआह्ह… ऊप्प…” की आवाज़ के साथ ही उसका शरीर एक जोरदार थरथरात के साथ ही कमर घूमी और ढीली पड़ गई।
 
I am here only for sex stories No personal contact
316
102
43
18

जीजू मेरी तरफ देखने लगे लेकिन मेरे लण्ड से पानी अभी नहीं निकला था। मुझे पता था कि दीदी झड़ चुकी हैं, मैं फिर भी दीदी की तेजी से चुदाई करता रहा। लेकिन दीदी मृत शरीर की तरह पड़ी कोई रेस्पॉन्स नहीं दे रही थी, इसलिए मैं थोड़ा धीरे हो गया और फिर रुक गया। मैंने अपना लण्ड दीदी की चूत से बाहर निकाल लिया, मेरा लण्ड दीदी के चूत जूस से पूरा भीगा हुआ था। मेरी और दीदी दोनों की सांस फूली हुई थी और मुझे काफ़ी प्यास भी लग चुकी थी। मैं टेबल से पानी उठाकर पीने लगा।

जीजू भी मेरे पास आ गये और पेग बनाते मुझे बोले-“दीपक रुक क्यों गया यार, चोदता रह… जब तक तुम डिस्चार्ज नहीं होते लगे रहो…”

मैं अपनी सांसें कंट्रोल करता हुआ बोला-“जीजू, अब आपकी बारी है, लगता है दीदी को भी ब्रेक चाहिये…”

दीदी भी उठकर बेड पे बैठ गई। फिर कुछ देर हम बातें करते रहे और पेग लगाते रहे। मैंने और जीजू ने अपना गिलास खाली कर दिया था, लेकिन दीदी का गिलास भरा पड़ा था। फिर दीदी उठी, अपना पेग उठाया और आधा गिलास ड्रिंक अपने मुँह में भर ली, फिर जीजू को अपने होंठ पे इशारा करके किस करने के लिए कहा।

जीजू ने दीदी के दोनों होंठ अपने मुँह में लेकर लाक कर लिया। अब दीदी ने अपने फूले हुए गालों वाले मुँह में भरी सारी व्हिस्की जीजू के मुँह में ट्रांसफर कर दी, और 1-2 मिनट तक वो दोनों एक दूसरे की जीभ चूसते रहे, स्मूच करते रहे। दीदी साथ में एक हाथ से जीजू का लण्ड भी हिलाने लगी थी और जीजू भी दीदी की चूचियों को दबाकर मस्त हो रहे थे।

फिर कुछ देर के बाद दीदी ने स्माइल के साथ मेरी तरफ देखा और अपना बाकी आधा भरा व्हिस्की का गिलास उठाया और अपनी एक टांग बेड पे रखकर अपनी चूत के आगे गिलास करके अपनी चूत को गिलास के किनारों से सॉफ कर दिया, चूत ज्यूस गिलास के किनारों पे रेंग रहे थे, फिर दीदी ने व्हिस्की के गिलास के अंदर अपना हाथ डालकर व्हिस्की और चूत रस को मिक्स कर दिया। अब ठीक पहले की तरह व्हिस्की का सारा गिलास खाली करके सारी ड्रिंक अपने मुँह में भर ली और मुझे अपने होंठों की तरफ इशारा करके किस करने को बोली।

मैंने भी जीजू की तरह ही दीदी के बंद दोनों होंठों को अपने मुँह में ले लिया तो दीदी ने सारी ड्रिंक मेरे मुँह में भर दी। और हम दोनों का कामरस वैसे मेरा प्री कम ही खो लेकिन पि चुके|

हम दोनों बहन भाई बेशर्म हो चुके थे, अब जीजू की प्रेजेन्स का भी कोई खास असर नहीं हो रहा था। हम करीब 5 मिनट तक एक दूसरे के होंठ और जीभ चूसते रहे, साथ-साथ मैं दीदी के हाथ मेरे लण्ड से और मेरे हाथ दीदी की चूत और चूचियां पे खेल रहे थे।

दीदी कैसा रहा ??

दीपू तू तो जबरदस्त है और ये रोड का तो क्या कहना तुम्हारा क्या कहना है रमेश ?

रमेश: “अरे बिचारे का लंड अभी खाली नहीं हुआ और तेरी गुफा हार गई, लेकिन उसने तेरी मुह चुदाई अच्छी की थी| मुझे मेरे माल के लिए ऐसा ही लंड चाहिए था जो मिल गया अब मै निश्चिन्त हो गया| उसकी मा को चोदे घर में ही ऐसा प्यारा सा लंड मौजूद था और हम दोनों बहार की सोच रहे थे”

पूजा: अरे मेरी चूत में बहोत रस बाकी है ऐसे कैसे खाली हो जाती वो तो मै थक गई और हां चूत ने भी थोडा जवाब दे ही दिया पर दीपू तुम्हे चिंता करने की कोई जरुरत नहीं ये चुदाई मशीन अभी भी तेरे लंड को खाली करने को तैयार ही है ये तो चूत के लिए पहला अनुभव था ऐसा सांड का लंड लेने के लिए लेकिन अब मेरी गुफा बस दीपू के लंड की है| बस एक बार उसके लंड जैसा मेरी चूत में से भोस अपनी आकार ले ले फिर आनंद ही आनंद”

दीदी फिर से गरम हो गई लगती थी, जीजू और दीदी बिल्कुल नंगे खड़े थे लेकिन मेरे जिश्म पे अभी भी टी-शर्ट थी। फिर दीदी ने मेरी टी-शर्ट को कमर के करीब से पकड़ा और उतार दिया। अब मैं और जीजू फिर दीदी के सामने खड़े हो गये। दीदी हम दोनों के लण्ड को एक साथ मुँह में डालने की कोशिश करने लगी। जीजू का लण्ड तो मेरे लण्ड से आधा भी नहीं था और मेरा लण्ड लंबा होने के साथ-साथ काफ़ी मोटा भी था। दीदी हम दोनों के लण्ड से खेल रही थी। कुछ देर के बाद दीदी हमारे लण्ड चूसने के बाद खड़ी हो गई और मैं और जीजू दीदी के जिश्म को भूखे कुत्ते की तरह चाटने लगे। जीजू दीदी के पीछे खड़े होकर उसके कान, गर्दन, कंधे और उभरी हुई गाण्ड के गोले चूमने लगे, तो मैं पहले मुँह में मुँह डालकर स्मूच करने लगा, फिर गर्दन पे किसिंग करता नीचे आ गया, चूचियों को दोनों हाथों से पकड़कर अपने मुँह में लेकर चूसने लगा। धीरे-धीरे नीचे नाभि पे ही पहुँचा था।

तभी जीजू बोले-“पूजा बेड पे सही रहेगा, खड़े-खड़े मुश्किल हो रही है…”

अगले पल हम तीनों बेड के ऊपर थे। मैं दीदी की चूत चाटने के लिए मरा जा रहा था, लेकिन फिर भी जीजू की प्रेजेन्स मुझे थोड़ा रोक रही थी। अब मैं सोच रहा था कि दीदी को इतना मज़ा देना है कि दीदी यह सोचने के लिये मजबूर हो जाये कि काश, उसने यह मज़ा पहले ही ले लिया होता। दीदी को चोदकर आज मुझे उसे अपनी कुतिया बनाना था। इसलिये मैंने स्लो मोशन शुरू किया, दीदी के पैर के अंगूठे को किस करना शुरू कर दिया, फिर धीरे-धीरे पैर की बाकी उंगलियों को चाटने लगा, फिर टांगों पे किस करता हुआ ऊपर जांघों की तरफ जाने लगा।

दीदी की गोरी चिकनी टांगों पे मेरी तरह कोई बाल नहीं था, मैं दीदी के घुटनों को चूमता ऊपर जांघों पे आ पहुँचा था। फिर मैंने दीदी की दोनों टांगों को इकट्ठे करके अपने सामने 90° डडग्री पे ऊपर खड़ा कर दिया और चूतड़ों पे अपना मुँह घुमाने लगा, दीदी की गाण्ड के दोनों चूतड़ों को किस करता-करता फिर टांगें खोलकर दीदी की जांघों पे लगाकर उसकी चूत और मेरे लण्ड का मिक्स जूस चाटने लगा। फिर चूत के आस-पास अपनी जीभ घुमाकर सारा जूस चाट लिया और दीदी की नाभि पे अपना सलाइवा डालकर उसे अपनी जीभ से नीचे दीदी की चूत की तरफ फैला दिया।

इस बीच दीदी का एक हाथ, स्मूच कर रहे जीजू के सर के पीछे था और दूसरे हाथ से वो जीजू के लण्ड को हिला रही थी।

अब मुझसे सबर नहीं हो रहा था, मैंने दीदी की चूत के होंठों को अपने दोनों हाथों से खोला, चूत के बीच में जो रेड कलर की संतरे की फांकों जैसी चमड़ी होती है उस पे अपनी जीभ लगाकर उस पे लगा जूस चाटने लग गया।

दीदी से भी कंट्रोल नहीं हुआ तो उसने जीजू का लण्ड छोड़कर झट से अपने दोनों हाथों से मेरा सिर अपनी चूत पे दबा दिया। जैसे-जैसे मैं चूत पे अपनी जीभ फिराता, दीदी की कमर और ऊपर उठने लगी थी। फिर मैंने स्मूच करने वाले स्टाइल में दीदी की चूत को पूरा अपने मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया और अपनी जीभ को दीदी की चूत के अंदर घुसेड़ने की कोशिश करने लगा।

दीदी के मुँह से बहुत जोर से निकला-“अयाया दीपू, मेरे भाई, अब शुरू कर दो… अब रहा नहीं जाता मेरे प्यारे भैया…”

मैं दीदी की बात सुनकर बोला-“मेरी जान, मेरी छम्मकछल्लो, अब मैं तेरा भैया नहीं, अब तो मैं तेरा सैया हूँ, अब तो लण्ड डालने के लिए भैया से नहीं अपने सैंया से कह…”

दीदी-“हाँ मेरे सैंया, अब से तुम मेरे भैया भी हो, और मेरे सैंया भी। अब क्यों तड़पाते हो, डाल भी दो ना अपना ये मस्त लौड़ा मेरी चूत में…”

जीजू स्माइल करते हुये मेरी तरफ देखने लगे फिर बोले-“एक मिनट दीपक…”
तो मैं दीदी की चूत चाटता चाटता उनकी तरफ देखने लगा।

वो फिर बोले-“पूजा तुम उठो, दीपक तुम लेट जाओ सीधे…”

हम दोनों बहन भाई ने उनको फॉलो किया। मैं सीधा लेट गया और जीजू ने मेरे सर के पीछे दो तकिए रख दिए, जिससे मेरा सर ऊंचा हो गया। जीजू की प्लानिंग के हिसाब से दीदी ने अपनी टांगें मोड ली, और अपने घुटनों पे बैठकर मेरे सिर के दोनों तरफ अपनी टांगें कर ली और अपनी चूत मेरे मुँह के बिल्कुल सामने कर दी थी, दीदी के दोनों हाथ मेरे सर के पीछे थे, वो जब चाहे मेरे सर को पकड़कर अपनी चूत पे दबा सकती थी, यानी दीदी मेरे मुँह के ऊपर चढ़कर अपनी चूत चटवाने लगी थी, मेरा लण्ड किसी सख़्त डंडे की तरह खड़ा उठक बैठक कर रहा था, में दीदी की चूत चाटने में मस्त हो गया।

दीदी अपना पानी छोड़ती जा रही थी, और मैं चाटता जा रहा था। अब दीदी खुद जैसे उसको अच्छा लगता था, अपनी चूत ऊपर-नीचे करके मेरे मुँह पे रगड़ रही थी। दीदी अपनी कमर चला-चलाकर मुझे अपनी चूत चटवा रही थी-“हाए मेरे राजा, मेरे सैंया, मेरे भैया, चाटो मेरी चूत… अपनी इस रांड़ सजनी की चूत…”
और जीजू दीदी को पीछे से किस करते-करते, मेरे पेट पे हाथ फिराने लगे, कुछ देर बाद उन्होंने मेरे लण्ड को पकड़कर हिलाना शुरू कर दिया, और मुझे स्ट्रोक करने लगे फिर धीरे-धीरे मेरे लण्ड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगे, मैं चकित हो गया, मेरा शक सही निकला, जीजू ‘गे’ ही निकले थे (
वैसे ओरिजिनल कहानी में गे था पर हिंगलिश कहानी में नहीं था और मेरी इस कहानी में भी गे नहीं होगा शायद ककोल्ड हो सकता है सो माफ़ करे मैंने उसके गे पार्ट को हर जगह से एडिट कर दिया है और आपकी जानकारी के लिए मै हिंगलिश कहानी को फोलो नहीं करती पर इंग्लिश से कर रही हु हिंगलिश में पूजा दीपू के पीछे थी और यहाँ दीपू पूजा के पीछे आगे भी बहोत डिफ़रेंस आप को मिलेंगे )। उन्होंने बहुत शौक से मेरे लण्ड को चूमना चाटना शुरू कर दिया।

बाकी कल
 
I am here only for sex stories No personal contact
316
102
43
19
दीदी मेरे मुँह पे सवार हुई अपनी चूत चटवा रही थी, जीजू की तरफ उनकी पीठ थी। मैं भी जीजू को देख नहीं सकता था, क्योंकि मेरा मुँह दीदी की जांघों में फँसा हुआ था, मेरी आँखों के सामने दीदी की लाल चूत और गोरर-गोरी जांघें नज़र आ रही थीं। मैं थोड़ा ऊपर देखने की कोशिश करता तो दीदी की गोल-गोल चूचियां और गोरा पेट नज़र आता। दीदी ऊपर-नीचे होकर खुद मेरे मुँह को चोद रही थी, मुझे जीजू नज़र नहीं आते थे लेकिन मैं महसूस तो कर रहा था।

जीजू मेरा लण्ड पूरी मस्ती से अपने मुँह में लेकर चूस रहे थे। अब मुझे और टेंशन हो गई कि दीदी के साथ जीजू की गाण्ड भी मारनी पड़ेगी, मैंमें बलि का बकरा बना हुआ था। दीदी और जीजू दोनों अपना-अपना मज़ा लेते हुये मुझे अपने तरीके से चोद रहे थे। करीब 15 मिनट यही सब चलता रहा।

फिर जीजू उठे और उन्होंने दीदी को कमर से पकड़कर ऐसे ही पीछे खींच लिया मैं सीधा लेटा हुआ था और मेरे ऊपर दीदी झुकी हुई थी, दीदी के दोनों पैर मेरी कमर के आस-पास थे दीदी का मुँह मेरे मुँह के करीब था और उसके दोनों हाथ मेरे दोनों कंधों के आगे मेरे सर के आस-पास थे, जिन पे दीदी का बैलेन्स बना हुआ था। मेरी टांगों के बीच खड़े जीजू पहले दीदी की गाण्ड चाटते रहे, फिर अपने लण्ड को पकड़कर दीदी की चूत में डालते हुये जोर से झटका मारा।

तो दीदी का बैलेन्स हिल गया, और वो मेरे ऊपर गिरती-गिरती संभल गई-“उउम्म्म्म…” की आवाज़ के साथ दीदी मेरे ऊपर झुकी, अपने डोगी स्टाइल में जीजू से चुदवाने लगी थी, मेरे सामने अजीब नज़ारा था, दीदी का गोरा सेक्सी जिश्म डोगी स्टाइल में मेरे सामने जीजू से चुद रहा था, जीजू के झटकों के साथ दीदी की गोरी-गोरी चूचियां मेरे सामने आगे पीछे लहरा रही थी।

मैं अपनी बहन को चुदते हुए सॉफ देख रहा था। इसलिये मुझसे सबर नहीं हो पा रहा था, और मैं पागल हुआ जा रहा था, फिर मेरी निरें दीदी की नज़रों से टकराई तो दीदी ने स्माइल के साथ अपनी जीभ बाहर निकालकर हिलाते हुए मुझे किस करने का इशारा किया।

मैंने थोड़ा ऊपर उठकर स्मूच के लिए अपना मुँह खोल दिया, तो दीदी ने झट से अपने मुँह में इकट्ठा हुआ सलाइवा मेरे मुँह में फैंकना शुरू कर दिया।

अजीब नज़ारा था। जीजू जोर-जोर से दीदी की चुदाई कर रहे थे। मैं थोड़ा ऊपर उठकर दीदी के सर के पीछे अपना हाथ रखकर उसे स्मूच करने लगा, लेकिन जीजू के झटकों से बैलेन्स नहीं बन पा रहा था और स्मूच करते-करते हमारे दोनों बहन भाई के सर टकरा जाते थे। फिर मैं थोड़ा नीचे सरक गया और दीदी के हवा में लहराती चिकनी चूचियों से खेलने लगा, उन पे अपना मुँह फिराने लगा।

करीब 5 मिनट के अंदर ही जीजू के मुँह से जोर से आवाज़ निकली-“ऊऊऊपप्प्प्प, ऊवू…” और वो डोगी स्टाइल में झुकी दीदी की कमर के ऊपर ही झुक गये और रिलेक्स हो गयर।

मैंने अपने ऊपर डोगी स्टाइल में झुकी हुई दीदी की आँखों में देखा तो उन्होंने अपना थोड़ा सा सर हिलाते हुए मुझे अजीब सी स्माइल दी, जैसे उनका कहना हो कि जीजू का बस इतना ही टाइम होता है। अब माहौल शांत हो गया था, दीदी वैसे ही मेरे ऊपर झुकी थी, जीजू का सिकुड़ा हुआ लण्ड दीदी की चूत से बाहर आ चुका था। अब जीजू बैठ गये और फिर मेरे लण्ड को हिलाने लगे और डोगी स्टाइल में झुकी दीदी को ऐसे ही मेरे लण्ड के ऊपर बैठने को कहने लगे।

दीदी ऐसे ही झुकी हुई मेरे ऊपर बैठने लगी तो जीजू के हाथों में पकड़ा मेरा मोटा लण्ड दीदी की चूत में समाता चला गया। मैंने अपने घुटने मोड़ लिये। बैठने के बाद, दीदी ने अपने दोनों हाथ मेरे पेट पे रखे और मेरे घुटनों से अपनी पीठ सटाते हुए रिलेक्स हो गई। फिर अपने खुले सिल्की बालों को बांधने लगी। कितने आराम से बैठी थी मेरी बहन मेरे लण्ड पे, जैसे एक मासूम बच्ची अपने डैड की गोद में बैठी हो और उसे दुनियाँ की कोई खबर ना हो, कुछ पता ना हो।

मुझे यह सोचकर कितनी अच्छी फीलिंग हो रही थी कि अब मेरा सारे का सारा लण्ड पूजा दीदी की चूत के अंदर था। कितना तरसा था मैं इस पल के लिये, यह सोचते ही मुझे फिर गुस्सा आने लगा और मैंने नीचे से अपनी गाण्ड उठा-उठाकर दीदी की चूत पर जोर-जोर से धक्के मारने लगा।


मेरे जबरदस्त धक्कों से दीदी एकदम हिल गई और बोली-“उह्ह… मम्मी, मेरी फट गई भैया धीरे…”
 
I am here only for sex stories No personal contact
316
102
43
मैं-“साली भाई की लोडी, अब माँ को याद कर रही है। आज तो तेरी चूत फाड़कर रख दूंगा साली। अब तुझे मेरे इस लण्ड का पानी निकालना है। साली कुतिया, आज अगर तू मेरे इस लण्ड का पानी नहीं निकालेगी तो क्या तेरी माँ मेरे इस लण्ड का पानी निकालेगी साली मादरचोद?”

पूजा दीदी-“भैया, प्लीज़ निकाल लो… धीरे-धीरे डालो… ऐसा तो मम्मी भी नहीं ले सकती… प्लीज़्ज़ मेरे सैंया, अब मैं और नहीं ले सकती… आप चाहो तो इसको मम्मी की चूत में डाल दो…”

मैं-“साली कुतिया, उस माल की चूत में भी डालूंगा ही, साली वो कौन सी कम है। सारा दिन घर पर मेरे सामने अपनी चूची और गाण्ड हिला-हिलाकर चलती है…”

पूजा दीदी मेरे लण्ड पर उछलते हुए-“भैया, लगता है तुम्हारा दिल मेरा सैंया बनने के बाद अब माँ का सैंया बनने का है?”

मैं-“हाँ मेरी मदमस्त मस्त बहना, उस साली माँ की चूत भी तो लण्ड की प्यासी होगी? उसको भी तो लण्ड की ज़रूरत होगी? अब अगर मैं बहेनचोद बन ही गया हूँ तो फिर मादरचोद बनाने में क्या बुराई है?” और मैंने दीदी को जोर-जोर से चोदना शुरू कर दिया। मेरा लण्ड दीदी को चोदने की फीलिंग से ही और भी सख्त होता जा रहा था।

जीजू बेड के साथ पड़ी चेयर पे बैठकर पेग बनाने लगे थे।

अब दीदी भी मेरा पूरा साथ दे रही थी, वो भी ऊपर-नीचे होकर मुझे चोदने लगी थी, जीजू पेग बनाते हुये हमारी तरफ देख रहे थे। मैं थोड़ा ऊपर उठ गया और दीदी की चूचियों को मुँह में लेकर उनपे अपनी जीभ फिराने लगा।

तो दीदी के मुँह से फिर पतली सी आवाज़ में निकला-“आआह्ह… दीपू, में लील बेबी, ईई, मैंने क्यों तुम्हें इतना तंग किया?” और वो मेरे सर को अपने दोनों हाथों से पकड़कर अपनी चूचियां पे दबाने लगी। दीदी की चूचियां सख्त थीं लेकिन स्किन एकदम मुलायम थी। मैं उसकी चूचियां पे अपना सलाइवा गिराकर चाटने लगा फिर बीच-बीच में हम दोनों बहन भाई एक दूसरे को चोदना भी शुरू कर देते, करीब 10-15 मिनट यह सब चलता रहा, उसके बाद मैं सीधा लेट गया और दीदी अपनी कमर ऊपर-नीचे करके मुझे चोदने लगी। वो भी मेरे स्टाइल में ही मज़ा ले रही थी।


पहले सेकेंड में उसका पूरा जिश्म ऊपर उठता और मेरा लण्ड उसकी चूत के बाहर होता, फिर अगले सेकेंड वो जोरदारर झटका नीचे मारती तो मेरा पूरा लण्ड उसकी साफ्ट चूत को फाड़ता हुआ उसके अंदर चला जाता, वो तेजी से ऐसा करने लगी, कभी-कभी तो निशाना चूक जाता तो मेरा लण्ड उसकी चूत की जगह उसकी जांघों में से स्लिप करता पीछे निकल जाता, और कभी आगे की तरफ निकल आता तो वो खुद ही जल्दी से पकड़कर उसे अंदर डाल लेती। दीदी को पता नहीं क्या सूझा।

एक बार तो जब मेरा लण्ड स्लिप करके उसकी गाण्ड के छेद को छूता हुआ उसके पीछे की तरफ उसकी गाण्ड में चला गया तो अगले ही पल वो ऊपर उठी और मेरे लण्ड को पकड़कर अपने अंदर डालने लगी तो मुझे ऐसा लगा कि मेरा लण्ड पिस रहा है, इस बार इतना टाइट छेद था कि मेरा लण्ड आधा भी अंदर नहीं घुस पाया था, मुझे ऐसा लग रहा था कि मेरे लण्ड की स्किन फट जायेगी। मैंने दीदी की तरफ देखा तो उसके माथे पे सिकुड़न थी, लेकिन फिर भी वो मेरे लण्ड पे अपना वजन डाले जा रही थी, लेकिन लण्ड इतना मोटा था कि मुझे ऐसा लग रहा था कि मेरा लण्ड किसी लोहे के पाइप में फँस गया है।

फिर दीदी ने सिर हिलाया और धीरे से बोली-“माई गोड, नहीं जा रहा है…”
 
I am here only for sex stories No personal contact
316
102
43
20

मैं समझ गया कि दीदी झड़ने वाली थी इसलिए टाइम बढ़ाने के लिए वो मेरे लण्ड को अपनी गाण्ड में डालने की कोशिश कर रही थी, लेकिन मेरा लण्ड ज्यादा मोटा होने के कारण बहुत मुश्किल हो रही थी, बिना कोई लोशन लगाये दीदी की टाइट गाण्ड में मेरा लण्ड घुसना मुश्किल था। फिर अगले पल ही दीदी फिर ऊपर उठी और एक हाथ से मेरे लण्ड को पकड़कर अपनी चूत पे आगे पीछे घिसने लगी, ताकी मेरा सूखा हुआ लण्ड फिर से उसकी चूत के पानी से चिकना हो जाये। कुछ देर दीदी ऐसे ही करती रही, फिर मेरे लण्ड को अपनी चूत में डालते हुए ऊपर-नीचे होकर चुदवाने लगी।

जीजू ने फिर से हम सबके लिये पेग बनाकर रख दिए थे और वो अपना पेग धीरे-धीरे खतम कर रहे थे और हमारी तरफ देखकर उनका फिर मूड बन चुका था। उनका लण्ड भी अब खड़ा था, वो बैठे बैठे हमारी तरफ देखकर अपने लण्ड को हिला रहे थे।

मेरी मादरचोद बहन जो मुझसे बात नहीं करना चाहती थी, आज मेरे लण्ड की दीवानी हो चुकी थी, इसीलिए तो अपनी गाण्ड और चूत दोनों में चुदवाना चाहती थी। दीदी का मांसल जिश्म देखकर मेरा लण्ड लोहे की रोड जैसा होता जा रहा था। जब मेरे दिमाग़ में यह आया कि मेरी यही कुतिया बहन मेरे बच्चे की माँ बनेगी तो मैं आउट आज कंट्रोल हो गया और मैं चाह रहा था कि अब मैं झड़ जाऊँ, इसलिये मैंने दीदी को नीचे से अपनी कमर उठाकर जोर-जोर से चोदना शुरू कर दिया।


दीदी भी बहुत तेजी से ऊपर-नीचे होकर चुदवा रही थी। फिर दीदी ऊपर-नीचे होती मेरे ऊपर झुकी और मेरे होंठों पे अपने गुलाबी होंठ रखकर अपना मुँह लाक कर दिया। फिर उसकी जीभ मेरे मुँह में घूमने लगी। मैंने दीदी की जीभ कुछ देर अपने दांतों में दबाकर रखी फिर उसे चूसने लगा, फिर हम दोनों की जीबे आपस में खेलने लगीं, फिर दीदी ने मेरी जीभ को अपने मुँह में खींच लिया और चूसने लगी। हम दोनों बहन भाई पूरी मस्ती में लग रहे थे।

तभी दीदी-“ऊवप्प्प्प्प्प्प…” की आवाज़ के साथ झटके से ऊपर उठने लगी।

तो जीजू ने पीछे से उनके कंधे पे हाथ रखकर फिर नीचे दबा दिया। मेरे मुँह पे झुकी होने के कारण दीदी की गाण्ड का छेद पीछे से शायद सॉफ-सॉफ नज़र आ रहा था और उसी को देखते हुये जीजू ने अपने लण्ड पे थोड़ी क्रीम लगाकर दीदी की गाण्ड में घुसेड़ दिया था। लेकिन दीदी को कहा कोई असर होने वाला था जैसे एक छोटा सा लिंडा उसकी गांड में गया हो ऐसा |

अब दीदी फिर से मेरे मुँह में मुँह डालकर मेरी जीभ को अपने मुँह के अंदर खींचकर उसे चूसने लगी थी, मैं नीचे पड़ा दीदी को पंप कर रहा था और जीजू पीछे से दीदी की गाण्ड में लगे थे। दीदी हम दोनों के बीच में थी, सैंडपवच स्टाइल में हम दीदी की गाण्ड और चूत दोनों को फाड़ रहे थे। हम दोनों ने अपनी स्पीड बहुत तेज कर दी थी, मुझे लगा कि मैं अभी झड़ जाउन्गा। लेकिन तभी मेरी जीभ चूसते-चूसते दीदी ने अपने दाँत भींच लिये और दोनों हाथों से मेरे सिर को भी जोर से अपने मुँह पे दबोच लिया, फिर कुछ झटके खाने के बाद दीदी शांत हो गई।

मेरी जीभ दीदी के दांतों में दबने के कारण दर्द करने लगी थी और कट भी गई थी, इसलिये मैंने चुदाई करनी रोक दी। लेकिन जीजू अभी भी जोर-जोर से दीदी की गाण्ड में पंपिंग कर रहे थे। कुछ ही देर में जीजू को भी झटके लगे और वो भी शांत हो गई। हम तीनों रिलेक्स लेटे रहे, लेकिन मेरे लण्ड के पीछे अभी भी बहुत जलन हो रही थी, मैं लण्ड का पानी निकालने के लिये तरस रहा था। इस बार तो मैं झड़ते-झड़ते रह गया, पपछले डेढ़ घंटे में दीदी और जीजू 2-2 बार झड़ चुके थे, लेकिन मैं एक बार झड़ने के लिये भी तरस रहा था। अब मै खुद चाहता था की मेरा लंड अब हार मान ही ले | हम तीनों कुछ देर बेड पे रिलेक्स लेटे रहे, फिर उठकर बैठ गये और ड्रिंक करते हुये बातें करने लगे।

जीजू-“पूजा, आज मेरा एक और शौक पूरा हो गया। दीपू जब भी मैं ब्लू-फिल्म देखता था तो मेरा भी दिल करता था कि मैं भी किसी का लण्ड अपने मुँह में लेकर चुसूं, मैंने पूजा को यह सब बताया है, लेकिन अब तुम यह मत समझ लेना कि मैं गे हूँ, अब ऐसा दिल किया, कुछ भी हो पूजा, इस सेशन में बहुत मज़ा आया ना… क्यों दीपक?
 
I am here only for sex stories No personal contact
316
102
43
दीदी मेरी तरफ देखते हुए स्माइलिंग चेहरे के साथ बोली-“सच में स्वीट हार्ट, पहली बार इतना मज़ा आया है…” दीदी बहुत खुश नज़र आ रही थी। वो बार-बार मेरे जिश्म से छेड़-छाड़ कर रही थी, कभी मेरे गाल पे लगा कुछ पोंछने लगती, तो कभी मेरे बालों में उंगलियां डालकर उन्हें ठीक करने लगती, तो कभी मुझे कुछ खाने को कहती और कभी कुछ पीने को कहती। मुझे तो लग रहा था की दीदी आज के आज ही उसके चूत रस को खली कर देना चाहती हो | फिर मेरे लण्ड को किस करके जीजू की तरफ देखती हुई बोली-“जानू, तुम भी कुछ ऐसा करो ना कि तुम्हारा भी स्टेमिना दीपू जैसा हो जाये, देखो हम 2-2 बार झड़ चुके हैं और दीपू पहली बार भी कितनी मुश्किल से झड़ा है…”

फिर जीजू बोले-“दीपक, यार तुम्हारा लण्ड तो डिस्चार्ज होने के बाद भी वैसा है खड़ा है…”

मैंने दीदी और जीजू की तरफ देखा फिर बोला-“अरे बहनचोदो जीजू, मैं अभी डिस्चार्ज कहाँ हुआ हूँ?”

दीदी और जीजू हैरानी से एक दूसरे की तरफ देखने लगे। फिर दीदी बोली-“माई गोऽऽड, मुझे पहले ही शक था, क्योंकि मुझे ऐसा कुछ महसूस नहीं हुआ कि मेरे अंदर कुछ गिरा है, फिर मैंने सोचा क्या पता…इतनी एक्साईटमेंट में कुछ ध्यान ना रहा हो ” दीदी की आँखें फटी-फटी थीं।

जीजू मज़ाक में बोले-“मेरे बाप, हमें जल्दी बच्चा चाहिये। जल्दी से यह बता कि तू कैसे छूटेगा? दो घंटे में एक बार भी नहीं छूटा…” चूत की मा बहन एक हो गई है मेरे बाप|




फिर दीदी की तरफ देखते हुये बोले-“चलो मेरी तो बात छोड़ो, मैं तो जल्दी झड़ जाता हूँ, लेकिन ये महकता माल तुम्हारी दीदी भी तो 2-2 बार झड़ गई है…”

मैंने स्माइल दी और बोला-“जीजू, आपने मुझे व्हिस्की पिला-पिलाकर ओवर ड्रंक कर दिया है, शायद इसीलिये नहीं हो रहा है…”

फिर जीजू बोले-“चल, यह बता कि तुम्हारा फ़ेवरेट स्टाइल कौन सा है?”

मैंने कहा-“डोगी स्टाइल…”

जीजू-“इसीलिये नहीं हुआ, तुमने अपने फ़ेवरेट स्टाइल में तो पूजा को चोदा ही नहीं, फिर होता कैसे? मेरा भी डोगी फ़ेवरेट है, लेकिन मैं तो डोगी में शुरू करते ही झड़ जाता हूँ,और मेरे लंड की लम्बाई भी उतनी नहीं की माल के जड़ तक जाए } व्हिस्की थोड़ा रोक लाती है बस…”

फिर चेयर पे बैठे-बैठे दीदी को बोले-“उठो मेरी जान, मुख्य काम तो अभी बाकी है। अभी डोगी स्टाइल में अपने भाई को भी झड़वा दो…...और उसका माल का एक एक बूंद तेरी इस चूत में अरे नहीं अब तो भोस बन चुई है उसे भर दे बस.....”

हा हा मेरे राजा आपकी बात बिलकुल सही है अब ये भोस हो ही चुकी है और इस गहरे खड्डे को बस ये का लंड अपने माल से भर दे |

दीदी चेयर पे बैठे जीजू की जांघों पे अपने हाथ रखकर मेरे सामने डागी स्टाइल में झुक गई, यानी मेरे सामने घोड़ी बन गई, मेरी सबसे बड़ी कमज़ोरी है, कि कोई सेक्सी फिगर वाली लड़की डोगी स्टाइल में मेरे सामने झुकी होती है तो उसकी सुराही जैसी कमर और गाण्ड और गोल मटोल चूतड़ देखकर मैं आउट आज कंट्रोल हो जाता हूँ। दीदी अभी भी उसी स्टाइल में मेरे सामने झुकी हुई थी, तो मेरा लण्ड किसी खंबे की तरह लहराने लगा लेकिन मैंने पहले दीदी की चूत को चाटना सही समझा।

आप FunLove द्वारा निर्मित कहानी पढ़ रहे है
जीजू को भी इशारा किया की उसकी गांड को साफ़ करे जीजू हस्ते हस्ते आगे की तरफ बढे और कुछ भी देरी ना करते हुए पूजा की गांड के छेड़ को ज़रा सा चौड़ा कर के अपने मुह को सही जगह पर टिका दिया| ऐसा होने से पूजा की तो आधी जान ही निकल गई समजो शायद उसका ये सेंसिटिव पॉइंट था गांड के छेद को सही तरीके से छटा जाना |

घमासान चुदाई जारी रहेगी बने रहिये
 
I am here only for sex stories No personal contact
316
102
43
21
दीदी जीजू की जांघों पे झुकी उनके आधे खड़े लण्ड को चाटने लगी थी और मैं दीदी की वीर्य से भीगी चूत को चाटने लगा था। क्या मस्त नज़ारा था… दीदी के बड़े-बड़े चूतड़ मुझे पागल कर रहे थे, मुझसे ज्यादा देर इंतजार ना हुआ, मैं खड़ा हो गया और दीदी की चूत के सामने अपना लण्ड सेट करके दीदी की कमर को दोनों तरफ से पकड़कर दबोच लिया और जोरदार झटका मारा, तो मेरा सारा लण्ड स्लिप करता हुआ दीदी की चूत के अंदर चला गया। कमर से पकड़े हुए मैंने जोरदार तेज झटकों से दीदी की चुदाई शुरू कर दी। मैं जोर-जोर से झटका मारता तो जीजू का लण्ड चूसती दीदी का सिर जीजू की सीने से जा टकराता। अब मेरे लण्ड के पीछे जलन और बढ़ती जा रही थी, और दीदी को चोदने की मेरी स्पीड भी तेज होती जा रही थी।

जीजू अब दीदी की चूचियों से खेलने लगे थे, उनका भी मूड बन चुका था। लेकिन मेरी तेज चुदाई के कारण दीदी को अब जीजू का लण्ड चूसने का मौका नहीं मिल रहा था। दीदी ने अपने दोनों हाथों से जीजू की जांघों को कसकर पकड़ लिया ताकी उनका बैलेन्स ना बिगड़ जाये।

फिर पता नहीं जीजू ने दीदी के कान में क्या कहा कि दीदी तेजी से सिसकने लगी थी-“अया… उम्म्म… दीपू, कम ओन बेबी, फक मी हार्ड, हाँ और जोर से… और जोर से मेरे भाई…”

यह सब सुनकर मैं और भी पागल होने लगा था, और जोर से दीदी के बाल खींचकर अपनी कमर हिला-हिलाकर पीछे से दीदी की चूत मार रहा था। दीदी भी मस्ती से आहें भर रही थी की तभी दीदी के फ़ोन की रिंग बज उठी। दीदी अपना फ़ोन उठाने के लिए जाने को हुई तो मैंने दीदी के बालों को कसकर धक्के मारते हुए कहा-“साली, कहां भाग रही है? मेरे लण्ड का पानी क्या तेरी माँ निकालेगी? ये जीजू क्या कर रहे हैं, इसको बोलो ये उठाते हैं फ़ोन, तब तक मैं तुम्हारी चूत में अपना पानी निकाल लूँ…”

मेरा इतना कहना ही था की जीजू उठ गये और दीदी का फ़ोन उठाकर देखा तो फ़ोन मम्मी का था। जीजू ने दीदी को देखते हुए कहा-“पूजा, तुम्हारी मम्मी का फ़ोन…”

तो दीदी के कहने पर जीजू ने फ़ोन स्पीकर फ़ोन पर लगा दिया।

मम्मी-“पूजा, एक बात सुन… तू दीपू को बोलना की बच्चे के लिए सुबह कोशिश करे। सुबह करने से बच्चा ठहरने का चान्स ज्यादा होता है…”

पूजा दीदी-“मम्मी, आप सुबह करने की बात कर रही हैं, सुबह तक अगर बची तो ही न… मुझे नहीं लगता कि मैं सुबह तक जिंदा बच पाऊूँगी। आह्ह… दीपू ने तो अभी तक पानी नहीं छोड़ा… मेरा तो अब तक 4 बार हो चुका है, पर अब तक उसका एक बार भी नहीं छूटा। अभी भी ये मुझे घोड़ी बनाए पीछे से मेरी बजा रहा है। ओह्ह… मम्मी प्लीज़… आप इसको बोलो कि मुझपर रहम करे…”

मम्मी-“क्या बोल रही है तू पूजा? तेरा 4 बार हो गया और दीपू का एक बार भी नहीं?”

तभी फ़ोन कट हो गया। ना चाहते हुए भी मेरे मुँह से निकल गया-“ओके दीदी, मैं तम्हें हर खुशी दूंगा, तुम जैसा कहो मैं वैसा करूँगा। तुम्हें अपने बच्चों की मम्मी बनाऊूँगा। आज से तुम मेरी हो, मेरी बीवी, मेरी जान मेरी सब कुछ हो। दीदी, ऊओह्ह दीदी, अया…”

शायद मेरे दीदी कहने का असर मेरी बहन पे भी हो रहा था और वो भी चुदवाने में मेरा पूरा साथ दे रही थी-

“ऊवू दीपू मेरे भाई, फाड़ डालो मुझे आज, कम ओन माइ लीज दटल बेबी, मैं पागल हो रही हूँ, आह्ह… अया…”

मेरा पूरा जोर लग चुका था मुझे लग रहा था कि मैं झड़ने जा रहा हूँ, लेकिन फिर थक जाता, सांस कंट्रोल नहीं होती थी।

जब थोड़ा रुकता तो दीदी फिर बोलने लगती-“कम ओन मेरे बच्चे फक मी सोऽ हार्ड, अपनी बहन की सारी प्यास बुझा दो आज… अया और जोर से मेरे भाई…”

मैं अपनी सांस को कंट्रोल करते हुए रेस्पॉन्स देता-“ऊवू दीदी, मेरा होने वाला है दीदी…”

यह सुनकर वो और जोर से चीखने चिल्लाने लगती-“अयाया… ऊऊओ… अपनी बहन को जी भर के चोदो मेरे भाई…”

जब मैं थोड़ा थक जाता तो दीदी खुद आगे पीछे होकर चुदवाने लगती। दीदी की चूत और मेरा लण्ड जूस से भीग चुके थे, दीदी की चूत इतनी स्लिपरी हो गई थी कि कभी-कभी लण्ड और चूत का लुब्रीकेंट वाला पानी नीचे टपकने लगता था। दीदी की चूत ने इतना पानी छोड़ा कि उसकी दोनों जांघों पे पानी नीचे की तरफ टपक रहा था। दीदी की चूत ज्यादा स्लिपरी होने से मेरा लण्ड अंदर-बाहर आने जाने का कुछ पता नहीं चल रहा था। मैं झड़ने के बिल्कुल करीब था, लेकिन दीदी की चूत में लण्ड स्लिप होता जाता, जिससे लण्ड को कोई खास ग्रिप नहीं मिलता था।

मैं 10-15 मिनट में तेज-तेज चुदाई करता रहा, फिर थोड़ा रुक गया। मेरी सांस भी फूल गई थी, मैंने अपना लण्ड दीदी की चूत से बाहर निकाला और दीदी की जांघों पे नीचे की तरफ टपकता पानी चाटने लगा। फिर उसे अपनी जीभ से सॉफ करता हुआ उसकी चूत पे आ गया और एकदम भीगी चूत पे अपना हाथ रख दिया और अपने हाथ से सारी चूत को सॉफ कर दिया। दीदी की चूत के पानी से भीगे अपने हाथ को मैंने दीदी के मुँह में घुसेड़ दिया। दीदी भी मेरा साथ देते हुये मेरे सारे हाथ को चाटने लगी।

फिर मैंने अपने लण्ड पे लगे दीदी के चूत-रस को पोंछकर अपने मुँह में अपना हाथ डालकर चूस लिया। अब मैं झड़ने के बहुत करीब था लेकिन मैं थोड़ा और मज़ा लेना चाहता था इसलिये मैंने दीदी की ब्रा उठाई और दीदी की चूत को अच्छी तरह से पोंछ दिया। फिर अपने लण्ड को भी ठीक वैसे ही सॉफ कर दिया। अब मेरा लण्ड और दीदी की चूत दोनों सूखी थी, मेरा 10 साल पुराना बदला अब पूरा होने जा रहा था, मैंने अपने लण्ड को दीदी की चूत के निशाने पे रखा और जोरदार झटका मारा। इस बार दीदी की जोरदार चीख निकल गई। मेरा मोटा लंबा लण्ड, सूखा होने की वजह से दीदी की चूत को काटता हुआ आगे बढ़ गया था।

अब मुझे भी लगा कि जैसे मेरा लण्ड किसी कुंवारी लड़की की चूत में घुस गया हो, मैंने तेजी से चुदाई शुरू की तो दीदी झट से अपना एक हाथ अपनी चूत पे रखकर उसे सहलाने लगी। मेरा लण्ड तेजी से अंदर-बाहर आ जा रहा था, लग रहा था कि दीदी की चूत सूखी होने की वजह से अभी भी मेरा लण्ड उसकी चूत को काट रहा था। वो कभी-कभी मेरे लण्ड के पीछे हाथ रखकर हिट करने से रोकने की कोशिश करती। करीब 5-7 मिनट के अंदर फिर से दीदी की चूत बहुत पानी छोड़ चुकी थी, अब फिर स्लिपरी चूत में मेरा लण्ड एक सेकेंड में दो बार अंदर-बाहर आने जाने लगा था, मेरा लण्ड पूरा टाइट हो गया और मुझे लगा कि मैं अभी झड़ने वाला हूँ। मैंने जल्दी से अपना लण्ड बाहर निकाला और दीदी को कमर से पकड़कर घुमा दिया। उसे बेड पे बिठाकर पीछे की तरफ सीधा लिटा दिया और उसकी टांगें फैलाकर फिर से अपना लण्ड जल्दी से दीदी की चूत के अंदर घुसेड़कर चोदने लगा।

22

दीदी बहुत खुश लग रही थी और वो भी मुझे नीचे से अपनी कमर ऊपर उठाकर रेस्पॉन्स दे रही थी, मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी, मेरे चोदने से आगे पीछे तेजी से लहराती दीदी की चूचियां मुझे झड़ने में बहुत हेल्प कर रही थीं। दीदी की चूत ने इतना पानी छोड़ा कि मेरे तेजी से चुदाई करते-करते ‘पूउलछ पूल्छ छाप छाप’ की आवाजें आने लगी और पानी हम दोनों की जांघों पे फैल गया था।

दीदी का मुँह मेरे मुँह के बिल्कुल करीब था, अब दीदी दबी आवाज़ में बोली-“अया… आह्ह… एस, एस, कम ओन, कम ओन माइ बेबी, और जोर से, तेज, तेज, आऽऽ फक मी हार्डर बेबी, मेरा होने वाला है राजा…” हम दोनों बहन भाई अपनी अलग ही दुनियाँ में पहुँच गये थे।

मैं अपनी स्पीड बढ़ाता गया, अब मैंने दीदी के होंठों पे अपने होंठ रख दिए और उसकी जीभ को अपने मुँह में खींचकर चूसने लगा। बस उसी वक़्त दीदी ने मुझे अपनी दोनों बाहों में भींच लिया, शायद दीदी फिर झड़ रही थी। दीदी के गोल-गोल टाइट चूचियां मेरे सीने के नीचे दब गईं, और इसी फीलिंग ने मुझपे ऐसा असर किया कि मेरे अंदर से ‘छररर छररर’ करती जोरदार 5-6 पिचकाररयां छूटी। कुछ सेकेंड तक मेरे जिश्म को झटके लगते रहे, फिर शांत हो गया। एक महीने से भरा गरम पानी मैंने अपनी बहन की चूत के अंदर खाली कर दिया था, हम दोनों रिलेक्स थे।

मैं ऐसे ही दीदी के ऊपर पड़ा रहा फिर दबी आवाज़ में पूछा-दीदी आपका हो गया?

दीदी-“हाँ, मेरा तो तुमसे पहले ही हो गया था, तुम्हारा भी हो गया ना?”

मैंने इनकार में अपना सिर हिला दिया और मुश्कुराने लगा।

दीदी मेरे गाल पे हल्की सी चपत लगाते हुए बोली-“नाटी… मुझे पता है कि तुम्हारा भी हो गया है…”

हम दोनों बहन भाई इस सेशन में जीजू को भूल गये थे। जब मैंने जीजू की तरफ देखा तो उनकी पानी जैसी पतली वीर्य उनके हाथ पे और नीचे फर्श पे पड़ी थी और उनका लण्ड उनके हाथ में था। मेरे ख्याल से हम दोनों की चुदाई देखकर ही उन्होंने मूठ मारकर अपना काम कर लिया था। वैसे भी उनको झड़ने के लिये 2-4 मिनट ही लगते थे। मैं दीदी के ऊपर लेटा हुआ था।

दीदी ने जब जीजू की तरफ देखा तो बोली-“ऊवू मेरा सोना… उधर अकेला ही बैठा है… इधर आओ मेरा सोना…”

जीजू किसी आज्ञाकारी बच्चे की तरह कुस़ी से उठकर हम दोनों के पास आ गये। मैं बेड पे दीदी की दायें साइड पे सरक गया और जीजू दीदी के बाईं साइड की तरफ लेट गये। मुझे नींद आने लगी थी इसलिए मैं सीधा ऊपर की तरफ मुँह करके सोने लगा।

तो दीदी ने मेरा हाथ पकड़कर अपनी चूचियां पे रख लिया और बोली-“दीपू मेरे बच्चे, इधर आओ, तुम भी मेरी तरफ करवट लेकर सो जाओ, मैं सुलाती हूँ अपने दोनों बच्चों को…” फिर हम दोनों दीदी को बीच में लिटा के सो गये।

FunLove ki रचना

दीदी सोते-सोते भी कभी मुझे स्मूच करती तो कभी जीजू को, मुझे नींद आ रही थी लेकिन दीदी अभी भी मेरे लण्ड से छेड़छाड़ कर रही थी। मैं हैरान था कि दीदी इतनी गरम है तो जीजू इसे ऐसे कैसे सभालते होंगे? वैसे दीदी की इसमें कोई गलती नहीं था, हमारे परिवार में सेक्स के मामले में सब लोग एक्स्ट्रा हाट हैं। पता नहीं मुझे कब नींद आ गई और जब आँख खुली तो जीजू सो रहे थे लेकिन दीदी उठकर नहा चुकी थी उसके नंगे जिश्म पे पानी की बूँदें कितनी सेक्सी लग रही थी। मैं भी रिचार्ज हो चुका था। दीदी को देखते ही मेरा लण्ड फिर से खड़ा हो गया।

तो दीदी मेरे लण्ड पे किस करते बोली-“उम्म्म… मेरे राजा को भी भूख लग गई…” फिर दीदी ने उल्टे लेटे जीजू को उठाने की कोशिश की।

लेकिन जीजू ने बहुत ज्यादा पी रखी थी इसलिये वो नींद में ही बोले-“यार मुझे सोने दो…”

दीदी-“जान उठो, कुछ करोगे नहीं तो बच्चा कैसे पैदा होगा?”

जीजू फिर नींद में बोले-“यार तुम लोग कर लो जो करना है, मेरा सर फट रहा है मुझे सोने दे…”

जीजू उल्टे लेटे थे। मैंने जीजू की गाण्ड की तरफ देखा, फिर अपने लण्ड को पकड़कर दीदी को हाथ के इशारे से कहा-“पेल दूं जीजू की गाण्ड में अपना लौड़ा?”

तो दीदी की हँसी निकल गई और उसने अपने मुँह पे हाथ रख लिया।

दीदी को नंगे घूमते देखकर मेरे अंदर का शैतान फिर जाग गया था, और मुझे लग रहा था कि दीदी तो पहले ही चुदवाने के लिए तैयार हैं। मैंने अपने लण्ड को हिलाते हुए दीदी को टायलेट में जाने का इशारा किया। मेरी रंडी बहन अब मेरे लण्ड की दीवानी हो चुकी लगती थी, इसलिये अब मेरे इशारे भी समझने लगी थी। दीदी ने इशारे से ही मुझे जीजू की प्रेजेन्स के बारे में कहा, फिर मुझे हाथों के इशारे से ही तसल्ली देते हुए बोली-“दीपू पहले नहाने जाओगे या ऐसे ही नाश्ता करना है?”
 

Top