“ओहो…उस वक़्त तो तुम्हारा वो उसके मुँह में कैद था…मैंने ठीक से देखा ही कहाँ !”…रिंकी ने थोड़ा शरमाते हुए कहा।
“क्या किसके मुँह में था…ठीक से बताओ न…”मैंने जानबूझकर ऐसा कहा ताकि रिंकी पूरी तरह खुलकर मेरे साथ मज़े ले सके। मुझे सेक्स के समय देसी भाषा का इस्तेमाल करना बहुत पसंद है, और दोस्तों शायद आप सब ने भी इसका तजुर्बा लिया होगा। अगर किसी ने नहीं किया तो एक बार करके देखना…लंड और भी तन जायेगा और चूत और भी गीली हो जायेगी।
खैर मैंने रिंकी को अपने गले से लगा रखा था और उससे ठिठोली कर रहा था।जब मैंने उससे खुलकर बात करने का इशारा किया तो वो जैसे छुई मुई से शरमा गई।
“धत, तुम बड़े शैतान हो…मुझे नहीं पता उसे क्या कहते हैं।” रिंकी ने अपनी आँखें मेरी आँखों में डालकर शरमाते हुए कहा।
“प्लीज रिंकी…ऐसा मत करो…बोलो ना…मैं जनता हूँ, तुम्हें सब पता है।” मैंने आँख मरते हुए उससे विनती करी।
रिंकी धीरे से मेरे कानों के पास आकर फुसफुसा कर बोल पड़ी,” तुम्हारा लंड प्रिया के मुँह में था इसलिए मैं तुम्हारे लण्ड को देख नहीं सकी थी।” यह कह कर उसने अपना मुँह मेरे सीने में छुपा लिया।
मैंने रिंकी को अपनी गोद में बिठा लिया और अपने हाथों से उसका चेहरा ऊपर उठा दिया। उसने अपनी आँखें बंद कर लीं। मैंने उसकी चूची को अपने मुँह से फिर से पकड़ लिया और चूसने लगा। उसने मुझे फिर से धक्का दिया और बिस्तर पे उसी तरह से लिटा दिया। मैं फिर वैसे ही अपनी कोहनियों पे आधा लेट सा गया। रिंकी ने बिना कुछ कहे फुर्ती से मेरे निक्कर के ऊपर से मेरे लंड पे हाथ रखा और उसकी लम्बाई-मोटाई का जायजा लेने लगी।
जैसे जैसे वो मेरे लंड का आकार महसूस कर रही थी, वैसे वैसे उसके मुँह पे चमक सी आ रही थी। उसने अब मेरा लंड अच्छी तरह से पकड़ लिया और दबा दिया। फिर उसने निकर के ऊपर से ही मेरे गोलों को भी पकड़ा जो कि उत्तेजना में आकर सख्त और गोल हो गए थे। उसने मेरे गोलों को अपनी मुट्ठी में पकड़ कर दबा दिया।
“उह्ह्हह्ह……रिंकी, जान ही ले लोगी तुम तो !”…मैं दर्द से तड़प उठा और सिसकारते हुए उससे कहने लगा।
रिंकी ने हँसते हुए मेरे गोलों को एक बार फिर दबा दिया और फिर मेरा हाथ अपनी तरफ माँगा। मैंने अपने दोनों हाथ बढ़ा दिए। उसने मुझे मेरे हाथों से खींच कर बिठा दिया और फिर एक ही झटके में मेरे बदन से मेरा टी-शर्ट अलग कर दिया। मेरे सीने पे ढेर सारे बाल थे। रिंकी ने अपनी उंगलियाँ मेरे सीने पे फिरानी शुरू कर दी और अपना मुँह मेरे सीने के करीब लाकर मेरे निप्पल को चूम लिया।
मैं सिहर गया और अपने हाथों से उसका सर पकड़ लिया। लेकिन रिंकी ने मेरी हरकतों को दरकिनार करते हुए मुझे फिर से वापस धकेल कर लिटा दिया और अब उसके हाथ मेरे निक्कर पर चलने लगे। लंड ने तो पता नहीं कब से टेंट बना रखा था। उसने एक बार और मेरे लण्ड को अपनी हथेली से पकड़ा और सहला कर उसे अपने होंठों से चूम लिया।
मैं खुश हो गया, मुझे समझ में आ गया कि इन दोनों बहनों को किसी भी मर्द को दीवाना बनाना आता है। मैं अपनी किस्मत पर फ़ख्र महसूस कर रहा था। मैं इन्हीं ख्यालों में खुश था कि तभी रिंकी ने मेरी निक्कर को खींचना शुरू करा। और फिर वही हुआ जो कल रात प्रिया के साथ हुआ था, यानि मेरा लंड अकड़ कर इतना टाइट हो गया था कि निक्कर को उसने अटका दिया था। निकर उतरने का नाम ही नहीं ले रही थी, रिंकी निक्कर को लगातार खींच रही थी लेकिन वो नीचे नहीं सरक रही थी। वो झुंझला सी उठी लेकिन कोशिश बंद नहीं की।
मुझे उस पर दया आ गई और मैंने अपने हाथों से अपने लंड को नीचे की तरफ झुका दिया। ऐसा करने से निक्कर सरक कर नीचे आ गई जिसे रिंकी ने बेरहमी से फेंक दिया मानो वो उसकी सबसे बड़ी दुश्मन हो।