Incest ससुर कमीना और बहू नगीना (Completed)

455
131
28
सरला अपने फ़ोन को नीचे अपनी बुर के सामने लायी । राजीव उसे देखकर बोला: आऽऽऽऽह जाऽऽऽऽऽन क्या चिकनी दिख रही है? लगता है अभी झाँटें साफ़ की है?

सरला: अभी अभी साफ़ की है आपके बेटे के लिए। अगर मौक़ा मिला तो वो देखकर मस्त हो जाए। अब देखते हैं मौक़ा भी मिलता है या नहीं।

राजीव: अरे जान मौक़ा भी मिलेगा और मस्ती भी। आज ही शिवा से चुदवा लेना बस फिर सब ठीक हो जाएगा।

सरला: देखती हूँ क्या होता है? आप क्या अपना हिला रहे हो? आपका हाथ हिलते दिख रहा है।

राजीव ने फ़ोन लौड़े के सामने रखा और अपने लौड़े को सरला को दिखाया। सरला की बुर खुजा उठी उसके मस्त लौड़े को देख कर। वह बोली: अगर आप आसपास होते तो इसको तो मैं खा ही जाती । उफफफफ क्या मस्त दिख रहा है शैतान।

अचानक कोई आवाज़ दिया तो सरला बोली: अच्छा अब रखती हूँ। श्याम आवाज़ दे रहे हैं। बाई।

राजीव ने भी फ़ोन काटा और सोचा कि आज बस एक बार शिवा इसके हाथ चढ़ा तो बस उसे इस कामुक स्त्री से कोई नहीं बचा सकता वो मन ही मन मुस्कुरा उठा।

उधर सरला भी गरम हो गयी थी । वो शॉवर के नीचे खड़े हो कर पानी से अपना बदन ठंडा करने लगी। फिर वह तय्यार होने लगी।वो सोची कि शिवा और मालिनी शायद एक घंटे में आ जाएँगे।

शिवा को कार चलाते हुए क़रीब एक घंटे हो गए थे। वो दोनों रोमांटिक गाने सुन रहे थे और थोड़ी बहुत छेड़ छाड भी कर रहे थे।सुनसान जगह देख कर शिवा कभी उसके गाल सहला देता था तो कभी उसकी चूचि। उसकी जाँघ को तो वो सहलाए ही जा रहा था। मालिनी भी मज़े में आकर उसकी जाँघ को दबा देती थी और कभी उसके लौड़े को भी पैंट के ऊपर से सहला देती थी।

शिवा: तुमने इस बिचारे को चूसा नहीं सुबह? देखो कैसे मुँह उठाकर तुम्हारी तरफ़ लाचार सा होकर देख रहा है।

मालिनी हँसकर लौड़े को दबा कर: ये और बिचारा? ये तो मेरा प्यारा राजा है। जो मेरे ऊपर राज करता है।

दोनों हँसने लगे। तभी एक नया सा रिज़ॉर्ट की तरह का एक सुंदर सा ढाबा दिखा नाम था” लवर्ज़ ढाबा एंड रिज़ॉर्ट”।

मालिनी: बहुत ही सुंदर दिख रहा है। लगता नया नया बना है। कितनी हरियाली है, बहुत रोमांटिक जगह लगती है।

शिवा ने कार धीमी की और बोला: यार मैं थक गया हूँ। चलो ना थोड़ी देर रुकते हैं। कुछ खाते पीते हैं।

मालिनी: चलिए सच में अच्छी जगह लग रही है।

दोनों कार से उतर कर अंदर रेस्तराँ में गए। सिर्फ़ दो जोड़े बैठे थे। एक अधेड़ उम्र का जोड़ा था जो चाय पी रहे थे। दूसरी जोड़ी थोड़ी बेमेंल थी, आदमी थोड़ा मोटा सा ५०/५२ का था और लड़की थी क़रीब २०/२२ की। लड़की ज़्यादा सुन्दर नहीं थी पर जवानी तो छलक रही थी उसके टॉप और स्कर्ट से ।

शिवा: चलो यहाँ बैठते हैं। वो एक अलग सी टेबल की ओर इशारा किया। दोनों बैठ गए।

मालिनी ने देखा की वो लड़की उस बुजुर्ग से बहुत हंस हंस के बात कर रही थी।

शिवा: क्या देख रही हो? देखो बूढ़ा क्या मज़े ले रहा है छोकरी से।

मालिनी: छि ऐसा क्यों बोलते हो? हो सकता है दोनों रिश्तेदार हों?

शिवा: अरे ऐसी जगहों में लोग माल लाते हैं चोदने के लिए। ये लड़की या तो इसके ऑफ़िस में काम करती होगी जिसे वो यहाँ चोदने के लिए लाया है। और या फिर वो कोई रँडी होगी जो कि पैसों के लिए आयी होगी।

मालिनी: वाह आपको बड़ा अनुभव है? कहीं आप भी तो यहाँ किसी को नहीं लाते।

शिवा उसकी जाँघ दबाकर बोला: अरे जिसके पास ऐसा माल हो वो थूका हुआ क्यों चाटेगा?

मालिनी हँसने लगी और फिर बोली: अरे देखो उसके गले में मंगल सूत्र है। कहीं यह उसकी बीवी तो नहीं?

शिवा: वाह क्या क़िस्मत है साले की। हो सकता है जानू।

तभी उस लड़की का फ़ोन बजा और जैसे ही वो उसे उठाई वह बंद हो गया। वो बोली: ओह मेरा फ़ोन डिसचार्ज हो गया है। फिर वो अपना पर्स खोली और बोली: ओह मैं तो चार्जर लाना ही भूल गयी। अब क्या होगा?

उसका साथी बुज़ुर्ग बोला: ओह देखो रेस्तराँ वाले के पास है क्या?

वो उठी और जैसे ही शिवा के टेबल के पास से गुज़री वो रुकी और बोली: आपका और मेरा फ़ोन एक ही मेक का है। आपके पास चार्जर होगा क्या?

शिवा: है तो पर हम सिर्फ़ आधा घंटा ही रुकेंगे।

वो: ठीक है इतनी देर में मेरा थोड़ा बहुत तो चार्ज हो ही जाएगा।

शिवा: ठीक है ले जाइए ।

वो: मैं चार्जर ले जाती हूँ और थोड़ी देर में इसे वापस पहुँचा दूँगी। मैं यहीं पीछे कॉटिज नम्बर ३ में हूँ।

शिवा : ठीक है । वो चार्जर लेकर चली गयी। वो आदमी भी उसके साथ चला गया।

मालिनी उसको चिढ़ाई: वाह बस लड़की देखी और फिसल गए।

शिवा: अरे तो क्या मना कर देता। तभी वेटर उनका ऑर्डर ले आया। दोनों खाने लगे और फिर चाय पिए।

शिवा: मैं वाशरूम जा रहा हूँ। तुमको जाना है?

मालिनी: हाँ मुझे भी जाना है।

शिवा ने वेटर से पूछा : भाई वाश रूम किधर है।

वेटर: सर आपका वाश रूम वो है। मगर लेडीज़ टोयलेट को ठीक किया जा रहा है। इसलिए मैडम आप पीछे कोट्टेज नम्बर ४ में चली जाइए। वो खुला है आप उसका टोयलेट उपयोग कर लीजिए। ये कहकर उसने कोट्टेज का रास्ता भी दिखा गया।

शिवा तो चला गया male वाशरूम में। और मालिनी पीछे के रास्ते से कोट्टेज की ओर चली गयी। कोटेज नम्बर ४ में जाते हुए अचानक वो ठिठक गयी। उसे जिस कोट्टेज के पास से गुज़र रही थी, वहाँ से अजीब सी आवाज़ें सुनाई पड़ीं। वो ठिठकी और सामने खिड़की के पास खड़ी हुई और सुनने की कोशिश की । अंदर की आवाज़ से उसके चेहरे पर मुस्कान आ गयी। आवाज़ें साफ़ साफ़ चुदाई की थीं । वो मन ही मन मुस्कुराकर आगे बढ़ कर कोटेज नम्बर ४ पर पहुँची और बाथरूम में जाकर फ़्रेश हुई और फिर वापस जाने लगी। तभी उसकी निगाह उस साथ वाले कोटेज के नम्बर पर पड़ी ३ नम्बर था। वही जहाँ वो लड़की और बुज़ुर्ग ठहरे थे जिसने उसका चार्जर लिया था। इसका मतलब है कि वो लड़की उस बुज़ुर्ग से चुदवा रही थी। ओह तो शिवा सही था कि वो उसको चोदने ही लाया है ।अब वो वापस कोटेज नम्बर ४ में वापस गयी क्योंकि दोनों जुड़े हुए थे। फिर वो उसके एक कमरे में गयी जो नम्बर ३ से जुड़ा था। वहाँ एक खिड़की थी जो की बरामदे में खुलती थी। वो उसके पास आयी और खुली खिड़की से पर्दा हटाकर झाँकी और उसका मुँह खुला ही रह गया।

अंदर वो लड़की का स्कर्ट ऊपर चढ़ा हुआ था और उसका टॉप भी ऊपर था और वो पलंग के किनारे में अपनी गाँड़ हवा में लटका कर चौपाया बनी हुई थी। उसके बड़े दूध जो कि नीचे की ओर लटक रहे थे उसके दोनों पंजों में दबे थे। और वो बुज़ुर्ग जिसकी पैंट नीचे गिरी हुई थी उसे पीछे से चोद रहा था ।

उसका लौड़ा जो शिवा से थोड़ा सा ही बड़ा था उसकी बुर में अंदर बाहर हो रहा था। वो लड़की उइइइइइइइ कहकर मज़े लेकर अपनी गाँड़ पीछे करके उसका लौड़ा पूरा अंदर तक ले रही थी। फ़च फ़च की आवाज़ें गूँज रही थीं। मालिनी वहाँ से हटने ही वाली थी कि उसके पैर रुक गए जब उसके कान में ये आवाज़ पड़ी: ओह्ह्ह्ह्ह्ह पाआऽऽऽऽऽऽपा और ज़ोर से चोओओओओओदो।
 
455
131
28
मालिनी पापा शब्द से चौंकी। वो वापस आकर झाँकने लगी। वो लड़की फिर चिल्लाई: आऽऽऽऽऽऽह पापा फ़ाआऽऽऽऽऽड़ दो नाआऽऽऽऽ। आऽऽऽह क्या मज़ाआऽऽऽ देते हो आऽऽऽऽऽऽऽप।हाऽऽऽऽय्य काऽऽऽऽऽश आऽऽऽऽऽपके बेटे का भी इतना आऽऽऽऽह मस्त होओओओओओओता तो क्याआऽऽऽऽऽऽ मज़ाआऽऽऽऽ आऽऽऽऽ जाता।

आदमी: आऽऽहहह अगर उसका भी मस्त लौड़ा होता तो मुझे कैसे मजाऽऽऽऽऽऽमिलताआऽऽऽऽ। मेरी बच्चीइइइइइइइ। । ह्म्म्म्म्म्म्म्म।

लड़की: आऽऽऽह पाऽऽऽऽऽपा फाऽऽऽऽड़ दो मेरी बुर। कितना मज़ाआऽऽऽऽऽ दे रहे हो हाऽऽययय।

आदमी: आऽऽऽऽऽहहह मेरीइइइइइ रँडी और चिल्ला साऽऽऽऽऽऽऽऽली कुतियाआऽऽऽऽऽऽ। तू मेरी रँडीइइइइइइइइ है। है ना?

लड़की: हाऽऽऽऽऽऽऽऽय हाँ मैं आऽऽऽऽऽऽऽऽऽपकी रँडीइइइइइइइ हूँ। फिर वो उइइइइइइइ माँआऽऽऽऽऽ कहकर झड़ने लगी और नीचे बिस्तर पर गिर गयी। वो आदमी अभी भी उसपर चढ़ कर चोदे जा रहा था और चिल्लाया: आऽऽऽह मेरी रँडी बेटी मैं भी गया। अब वो भी उसपर गिर सा गया।

लड़की पलट कर बोली: पापा अपनी रँडी बहु को पेमेंट नहीं करेंगे?

आदमी मुस्कुराया और पर्स से पैसे निकाला और उसे दिया और बोला: लो मेरी रँडी बहु अपनी पेमेंट।

लड़की उठी और अपने कपड़े ठीक किए और पैसे किसी रँडी के माफ़िक़ अपनी ब्रा में डाल लिया। वह आदमी उसको फिर से अपनी बाँहों में खींच कर बोला: आऽऽऽँहह मेरी रँडी बहु तुम तो अब पक्की रँडी बन गयी हो। क्या चुदवाइ हो आज । मज़ा आ गया।

अब वो उठा और बाथरूम में गया। वो लड़की भी बाथरूम में घुसी। पहले वो आदमी वापस आया और तौलिए से अपना बदन पोंछा। तभी वो लड़की भी बाहर आयी। अब उसका टॉप और स्कर्ट सही था। वो आदमी अभी भी नंगा था। तभी फ़ोन बजा। उस आदमी ने अपना फ़ोन उठाया और बोला: राज का फ़ोन है।

लड़की: आप बात करो।

आदमी: हेलो बेटा क्या हाल है?

उधर: -----

आदमी: हम ठीक हैं बेटा। हाँ अपने घर पर ही हैं। और कहाँ होंगे बेटा? वो आँख मारते हुए बोला।
उधर: ----

आदमी: हाँ हाँ यही है , बुलाता हूँ किचन में होगी।

तब तक वो लड़की उसके पास आकर खड़ी हो गयी थी और उसे चूम रही थी। और फिर वो अपना हाथ उसके बॉल्ज़ और लौड़े पर ले गयी और उसको सहला रही थी। अब आदमी ने दिखाने के लिए आवाज़ लगाई: शीला बहू , राज का फ़ोन है।

लड़की आँख मारकर उसके लौड़े को सहलाते हुए फ़ोन ली: हाय जी। कैसे हैं? कब वापस आएँगे?

उधर:-----

लड़की: जल्दी वापस आइएगा । आपकी बहुत याद आती है। ये कहकर वो इस आदमी के निपल चाटने लगी। वो भी उसकी चूचि दबाने लगा ।
उधर:------

लड़की: हाँ हाँ पापा जी का पूरा ख़याल रखती हूँ। वो बिलकुल मज़े में हैं। आप उनकी बिलकुल चिंता ना करें ।मैं हूँ ना उनके लिए यहाँ। वो मुस्कुरा कर उसका लौड़ा सहलाने लगी।

उधर/ -----

लड़की: ठीक है आप अपना ख़याल रखिए और अपना पूरा काम निपटा के ही आइए। यहाँ की चिंता मत करिए। अच्छा बाई।

लड़की हँसकर : पापा मुझे कहना था कि आप वहीं रहो क्योंकि मुझे तो मेरा प्यार मिल गया है । वो उसकी छाती को चूमी और और फिर नीचे बैठी और उसके सोए हुए लौंडे को चूम ली।

उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ क्या गरम लड़की है, मालिनी सोची। अपने ससुर से क्या मज़े मार रही है।

तभी आदमी बोला: शीला तुमको चार्जर भी वापस करना है ना?

शीला: ओह सच में पापा । चलो मैं अभी देकर आती हूँ। आप तय्यार होकर आओ।

अब वहाँ से जल्दी से हटकर मालिनी कांपते हुए क़दमों से वापस आयी और उसका लाल चेहरा देखकर शिवा बोला: क्या हुआ ? बड़ी देर लगा दी?

मालिनी: बाद में कार में बैठकर बताऊँगी।

शिवा: ओह ठीक है। देखो वो लड़की भी आ गयी मेरा चार्जर ले कर। चलो अब चलते हैं। वो दोनों खड़े हुए और तभी वो लड़की आके उसको चार्जर दे कर बोली: थैंक्स।मेरा नाम शीला है। आपका?

शिवा: मैं शिवा हूँ और ये मालिनी है मेरी पत्नी। वो जो आपके साथ हैं वो कौन है?

शीला: वो मेरे ससुर जी हैं। हम पास के शहर में रहते हैं। मेरे पति विदेश में हैं और पापा मुझे यहाँ मेरा मन बदलने के लिए लाए हैं।

मालिनी सोची कि कमिनी कितना झूठ बोल रही है। अभी गाँड़ दबाकर अपने ससुर से चुदवा रही थी और अपने पति से फ़ोन पर बात करते हुए अपने ससुर का लौड़ा सहला रही थी।

मालिनी: बहुत अच्छी बात है कि आपके ससुर आपका इतना ख़याल रख रहे हैं।

शीला: हाँ जी इस मामले में मैं बहुत ख़ुश नसीब हूँ। मुझे सास और ससुर दोनों प्यार करते हैं।

मालिनी: ओह तो आपकी सास नहीं आयी?

शीला: वो एक शादी में बाहर गयीं हैं ।

मालिनी सोची कि सास नहीं है तो क्या मज़े से चुदवा रही है ससुर से । वह बोली: अच्छा लगा आपसे मिलकर।

शीला: आप चाहो तो हम फ़ोन नम्बर शेयर कर लेते हैं।

मालिनी: ठीक है मेरा नम्बर ------ है तुम मुझे अभी काल करो मैं सेव कर लेती हूँ।

शीला और मालिनी ने एक दूसरे का नमबर सेव कर लिया। तभी वहाँ शीला का ससुर भी आ गया। शीला ने उसको भी दोनों से मिलवाया। शिवा ने नोटिस किया कि वो मालिनी को चाहत भरी निगाह से देख रहा था। क्योंकि वो एक ही शहर के थे तो एक दूसरे को अपने घर आने का निमंत्रण दिए।

अब वो एक दूसरे से हाथ मिलाए और फिर शिवा और मालिनी अपनी कार में चल पड़े।

रास्ते में शिवा बोला: हाँ बताओ क्या हुआ था?

मालिनी: ये शीला अपने ससुर से चुदवा रही थी पीछे अपने कोटेज में!

शिवा हैरानी से : क्या? सच में?

मालिनी: हाँ मैंने अपनी आँखों से देखा है। और एक बात बताऊँ ? वो किसी रँडी की तरह ही चुदवा रही थी। और उसका ससुर उसे रँडी ही बोल रहा था। और जानते हो उसने उसे रँडी की तरह पाँच हज़ार रुपए भी दिए।

शिवा: हे भगवान। सुनकर भी अजीब लगता है। वो लड़की अपनी ससुर की रँडी है ? हमारा समाज कहाँ जा रहा है?

अब मालिनी को भी थोड़ा सा डर सा लगा। वो भी तो अपने ससुर के साथ फँसी हुई थी। कहीं शिवा को इसका पता लगा तो पता नहीं वो कैसे रीऐक्ट करेगा? वो बोली: हाँ बड़ा अजीब तो है। पर वो लड़की बोल रही थी कि उसका पति अक्सर बाहर रहता है और शायद उसका हथियार भी कमज़ोर है।

शिवा: ओह तब तो लड़की का बहुत ज़्यादा दोष नहीं है। बुर तो सबकी खुजाती है। और अगर पति उसकी प्यास नहीं बुझा पाए तो वो किसी से तो चुदेगी ही। और एक तरह से ठीक ही है कि वो अपने ससुर से ही चुदवा रही है। वरना बाहर किसी से चुदवाती तो बदनामी का भी डर रहता है।

मालिनी सोची कि अगर मजबूरी में चुदवा रही है तो शिवा को कोई ऐतराज़ नहीं है। ये एक बड़ी बात है पर उसके ख़ुद के साथ तो इस तरह की कोई मजबूरी नहीं है। शिवा उसे पूरे मज़े देता है और उसका हथियार भी तगड़ा है। ये बहाने तो उसके लिए नहीं चलेंगे अगर वो ससुर के साथ पकड़ी गयी। वो सोची कि उग्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ वो क्या करे? पापा को कैसे कंट्रोल करे। उनकी प्यास तो बढ़ती ही जा रही है। और सच तो ये है कि अब उसे ख़ुद को भी पापा के साथ मज़ा आता है। हे भगवान क्या करूँ। वो बोली: आपका मतलब है कि मजबूरी में अपने ससुर से चुदवाना ग़लत नहीं है।

शिवा: हाँ मेरे हिसाब से तो ठीक ही है। फिर हँसकर बोला: अरे मैं तो तुमको पूरा मज़ा और पूरी संतुष्टि देता हूँ ना? तुमको तो ज़रूरत नहीं है ना किसी से चुदावने की?

मालिनी ने झूठा ग़ुस्सा दिखाते हुए उसकी जाँघ पर एक मुक्का मारकर बोली: आप भी कुछ भी बोले जा रहे हो।
पर वो मन ही मन चिंता करने लगी कि क्या अपने ससुर के साथ वो जो भी मजबूरी में कर रही है वो सही है क्या? वो कैसे शिवा को समझाए कि पापा को दूसरी शादी से रोकना ही उसकी मजबूरी है। फिर वो सोची कि ये सच है कि ये मजबूरी तो है पर ये भी सच है कि आजकल उसको ख़ुद को भी पापा के साथ मस्ती करने में मज़ा आने लगा है। वो फ़ैसला करी कि अब वो उनसे दूर होने की कोशिश करेगी। पर पता नहीं वो उनकी दूसरी शादी को कैसे टालेगी उसे नहीं पता।

मालिनी को चिंता में डूबा देखकर शिवा बोला: क्या बात है किस चिंता में हो?

मालिनी: कुछ नहीं। तभी मालिनी का फ़ोन बजा। सरला की काल थी। वो बोली: हाय मम्मी बस आधे घंटे में पहुँचेंगे।

सरला: बहुत देर हो गयी है इसलिए फ़िक्र कर रही थी । चलो ठीक है आओ। वो फ़ोन काट दी।

जब वो घर पहुँचे तो दरवाज़ा सरला ने ही खोला।शिवा उसको देखता ही रह गया। वो बहुत सेक्सी लग रही थी । उसने मस्त गुलाबी साड़ी पहनी थी जो करीब पारदर्शी थी। और साथ ही सलीवलेस ब्लाउस से उसकी गोल गोल गोरी बाहं भी मस्त दिख रही थीं । उसने खुले गले का ब्लाउस पहना था। उसकी आधी चूचियाँ ब्लाउस और पारदर्शी साड़ी से बाहर झाँक रही थी। मालिनी उसके गले लगी और बोली: मम्मी बहुत सुंदर लग रही ही। फिर वो उससे अलग हुई और शिवा झुककर उसके पैर छुआ। सरला उसे बाँह पकड़कर उठाने लगी और शिवा के नाक में मस्त सेण्ट की ख़ुशबू आयी। अब वो उठा और उसकी निगाह चिकने पेट और गहरी नाभि पर पड़ी। सरला की बाहँ अब ऊपर हुई और उसकी मस्त गोरी चिकनी बग़ल देखकर वो मस्त होने लगा । सरला ने उसका सिर झुकाया और उसका माथा चुमी। अब शिवा की आँखें उसकी खुली अर्धनग्न छातियों पर थीं और वहाँ से आ रही मस्त और मादक करने वाली गंध उसके लौडे में हलचल मचा दी। उसे अपने आप पर शर्म आयी कि वो अपनी माँ की उम्र की सास को ऐसी निगाहों से देख रहा है। वो सरला से अलग हुआ और बोला: मम्मी जी कैसी हैं ?

सरला: बेटा मैं बिलकुल ठीक हूँ। चलो अब अंदर आओ।

वो दोनों अंदर आए। अंदर ताई जी भी बैठी थीं और बीमार सी दिख रहीं थीं । उन्होंने उनके भी पैर छुए।

फिर सब बातें करने लगे । तभी ताऊ जी भी आए और उन्होंने उनके पैर भी छुए ।शिवा ने देखा कि ताऊजी की आँखें बार बार सरला पर जा रही थी। उनकी आँखों में वासना स्पष्ट नज़र आ रही थी।
 
455
131
28
तभी मालिनी का भाई कोलेज से आया और मालिनी से लिपट कर प्यार किया। तभी ताऊ की दोनों बेटियाँ भी आयीं। स्कर्ट ब्लाउस में दोनों बहुत प्यारी लग रहीं थीं। वो सब शिवा से भी हाथ मिलाए।

राकेश जो कि मालिनी का भाई था बोला: दीदी चलो ना हमारे कमरे में बातें करेंगे।

चारु जो बड़ी थी बोली: हाँ दीदी चलो ना।

मुन्नी जो छोटी थी , मालिनी का हाथ पकड़कर उसे खिंचने लगी। मालिनी हँसकर बोली: अच्छा बाबा चलती हूँ। फिर शिवा को बोली: आप भी आइए ना ।

शिवा हँसकर : तुम जाओ मैं आता हूँ। मेरे सामने ये शर्माएँगी।

जब बच्चे चले गए तो मालिनी बोली: क्या लोगे बेटा? ठंडा या गरम?

शिवा: मम्मी जी पानी दे दीजिए।

सरला उठी और अपनी मोटी गाँड़ मटकाते हुए किचन में गयी और पानी लाकर गिलास को देती हुई अपनी साड़ी का पल्लू ठीक करने के बहाने अपनी क्लिवेज़ शिवा को अच्छे से दिखा दी। शिवा के नाक में उसके मस्त सेण्ट की गंध आइ और वो उत्तेजित होने लगा। फिर वो थोड़ी देर बातें किए और ताई जी लेटने चली गयीं। ताऊ जी भी एक फ़ोन आने से बाहर चले गए। अब सरला और शिवा ही आसपास बैठे थे। बातें करते करते वो उसकी जाँघ दबा देती थी। फिर वो बोली: बेटा, खाना लगा दूँ?

शिवा : जी मम्मी लगा दीजिए।

सरला उठी और मटकती हुई किचन में चली गयी। थोड़ी देर वह टी वी देखता रहा फिर उसे बाथरूम जाने की ज़रूरत महसूस हुई। वो ड्रॉइंग रूम से बाहर आकर इधर उधर देखा तो उसे बाथरूम दिखाई दिया। वो जब पेशाब करके बाहर आया तो वह एक कमरे के सामने से गुज़रा। उसमें से उसे कुछ अजीब सी आवाज़ें आ रही थीं । वो रुका और एक खुली खिड़की के परदे को हटा कर अंदर झाँका। अब वो चौका क्योंकि उसने देखा कि ताऊ जी मम्मी को अपने से चिपका कर खड़े थे और उनकी खुली चूचियों को चूमे जा रहे थे। मम्मी भी मज़े से उनका सिर दबा रही थी। ताऊजी मम्मी की मस्त मोटी गाँड़ भी मसल रहे थे। ताऊजी: मेरी जान आज क्या माल दिख रही हो? उफफफ बहुत ही सुंदर सजी हुई हो। क्या बात है? आख़िर क्यों इतना सेक्सी रूप धरी हो। क्या दामाद को पटाना है?

शिवा एकदम से चौंक गया। ये क्या बोल रहे हैं ताऊजी।

सरला: आप भी कुछ भी बोलते हो। क्या मैं अच्छे कपड़े नहीं पहन सकती?

श्याम उसको चूमते हुए बोला: अरे क्यों नहीं पहन सकती। क्या माल दिख रही हो?

सरला: आऽऽऽह अब छोड़ो । मुझे खाना लगाना है।

वह आख़िर बार उसकी चूचियाँ दबाया उसे छोड़ा और बोला: चलो अब खाना लगाओ।

शिवा जल्दी से वहाँ से हट गया।

सरला अब खाना लगाने लगी।

शिवा आकर सोफ़े पर बैठकर अपना खड़ा लौड़ा ऐडजस्ट किया और सोचने लगा कि ये क्या देखा मैंने? मम्मी ताऊजी से लगी हुईं हैं। क्या मालिनी को पता है? पर उसने कभी ज़िक्र नहीं किया। इसका मतलब है कि मालिनी भी मुझसे बातें छिपा लेती है? वह सोचा कि वो ख़ुद भी तो अपनी सास को ख़राब नज़र से देख रहा है। उसके लौड़े का बार बार खड़ा होना इसका सबूत था। वो अपने लौड़े पर हाथ फेरा मानो उसे तसल्ली दे रहा हो, और सोचने लगा कि उस दिन मम्मी की सहेली भी तो ऐसी ही औरत थी जो कि उसका लौड़ा ही चूस गयी थी। तो क्या सच में मम्मी चरित्रहीन है ?

तभी मालिनी और उसके कज़िन हँसते हुए कमरे में आए और चारु बोली: जीजा जी आज हम दीदी और आपके साथ मूवी देखेंगे।

शिवा: हाँ हाँ क्यों नहीं साली साहिबा। आप जो चाहेंगी वैसा ही होगा।

मालिनी: आह तेरे जीजा जी का मूड अच्छा है और कुछ भी माँग ले।

मुन्नी: जीजा जी मुझे मोबाइल दिलवाइए ना।

शिवा: बिलकुल दिलाएँगे अगर तुम एक मीठी सी पप्पी दोगी।

लाड़ प्यार में पली मुन्नी फट से आगे आयी और उसकी गोद में बैठ गयी और अपने गाल आगे करके बोली: लीजिए पप्पी।

शिवा की हालत ख़राब हो गयी। वो उसके पैंट में फँसे खड़े लौड़े पर बैठ गयी थी। अब उसे दुखने लगा था, वो जल्दी से उसकी पप्पी लिया और उसको अपनी गोद से उठाया और बोला: मालिनी इसे मोबाइल दिलवा देना। अब शिवा अपनी पैंट के ऊपर हाथ रखकर अपना इरेक्शन मालिनी से छुपाने की कोशिश किया। पर उसकी कोशिश नाकामयाब रही क्योंकि मालिनी को आभास हो गया था कि शिवा का लौड़ा शायद खड़ा है। पर क्यों? वो सोची।

मालिनी दिखाने के लिए ख़ुश होकर: जी दिलवा दूँगी। अब मुन्नी ख़ुश होकर मालिनी की गोद में बैठ कर उसको भी पप्पी दे दी।

तभी सरला आयी और बोली: चलो सब लोग खाना लग गया है।

मुन्नी: चाची, आपको पता है, जीजा जी मुझे मोबाइल दिलाएँगे। और आज हम सब मूवी भी देखने जाएँगे । हैं ना जीजा जी? वो शिवा की बाँह पकड़कर बोली।

शिवा मुस्कुराया: ज़रूर छोटी साली जी।

सब हँसने लगे। पर सरला सोच में डूब गयी। वो सोची कि ये अच्छा अवसर है अगर शिवा ना जाए तो बात आगे बढ़ सकती है। उसने एक योजना बनाई और बोली: देखो मैं तो नहीं जाऊँगी। तुम सब जाओ।

मालिनी: क्यों मम्मी आप भी चलो ना।

सरला: नहीं बेटी मैं नहीं जा सकती हूँ। तेरी ताई का भी ध्यान रखना पड़ता है। पिछले कुछ दिनों से उसकी तबियत ज़्यादा ही ख़राब है।

अब सब खाना खाने बैठे तब सरला धीरे से किचन में जाकर शिवा के फ़ोन में sms की। उसने लिखा: मुझे तुमसे बहुत ज़रूरी बातें करनी है,वो भी अकेले में। अगर तुम कुछ बहाना बना कर मूवी ना जाओ तो हम अकेले में बातें कर सकेंगे। बात इतनी सेन्सिटिव है कि अभी मैं मालिनी को भी नहीं बता सकती।

सब खाना खा रहे थे। सरला ने शिवा के फ़ोन में sms आने की आवाज़ सुनी। पर वह मस्ती में बातें कर रहा था। उसने sms की तरफ़ ध्यान नहीं दिया। सरला चाहती थी कि वो एक बार फ़ोन चेक करे। पर उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो ये काम कैसे करे? ख़ैर सबने खाना खाया और शिवा ने खाने की बहुत तारीफ़ भी की। फिर सब खाना खा कर बैठे और मस्ती करने लगे। मूवी जाने में अभी एक घण्टे थे। इसी समय में सरला चाहती थी कि किसी तरह से शिवा अपना sms पढ़ ले।

जब बहुत देर हो जाने के बाद भी वो फ़ोन चेक नहीं किया तो सरला बोली: शिवा तुम्हारा फ़ोन मैंने आज लगाया था जब तुम यहाँ आ रहे थे। पर वो लगा नहीं। तुमने अपना नम्बर बदला है क्या?

शिवा: नहीं तो, मेरा नम्बर वही है।

सरला: अच्छा मैं तुमको एक मिस्ड कॉल देती हूँ तुम देखो बजता है कि नहीं। अब वो उसे फ़ोन करी और शिवा की घंटी बजी । अब वो अपना फ़ोन उठाया और बोला: मम्मी देखो आपका नम्बर आ रहा है।

सरला: ओह फिर ठीक है। तभी वो देखी कि शिवा ने sms को नोटिस किया। उसे पढ़कर वो सवालिया नज़रों से उसे देखा। सरला ने हाँ में सिर हिलाया और बोली: बेटा थोड़ा आराम करना हो तो मेरे कमरे में आराम कर लो।

शिवा उसका इशारा समझ गया और बोला: मालिनी तुम बातें करो मैं थोड़ी देर लेट लेता हूँ।

सरला उसे लेकर अपने बेडरूम में आयी और बोली: बेटा तुमको कोई बहाना बनाना है क्योंकि मुझे तुमसे अकेले में बात करनी है। श्याम भी शाम के पहले नहीं आएँगे।

शिवा: वो तो मैंने sms में पढ़ा पर ऐसी क्या बात है जो आप मालिनी को भी नहीं बताना चाहती?

सरला: बेटा बात तुम्हारे पापा के बारे में है। प्लीज़ कोई बहाना बना लो।

शिवा हैरानी से : मेरे पापा के बारे में ? ओह, ठीक है मैं लेट जाता हूँ। बाद में मैं सिर दर्द का बहाना बना दूँगा।

सरला ख़ुश होकर: ठीक है बेटा आराम करो। वह झुक कर उसको चादर उढाई और झुकने के कारण उसके उभारों के दर्शन कर वह एक बार फिर से गरम हो गया। फिर वह बाहर चली गयी।

फिर वही हुआ जो सरला चाहती थी। ठीक समय पर शिवा ने सर दर्द का बहाना बनाया और मालिनी आख़िर में हराकर अपने कजिंस के साथ मूवी देखने चली गयी।

उनके जाने के बाद शिवा उठकर ड्रॉइंग रूम में आया और सरला से बोला: हाँ मम्मी जी अब बताइए क्या बात है वो भी पापा के बारे में?

सरला मुँह उतराके बोली: बेटा एक बहुत बड़ी समस्या आ गयी है।

शिवा: क्या समस्या आप बताइए तो सही।

सरला: बेटा तुम्हारे पापा दूसरी शादी का सोच रहे है।

शिवा: क्या ? आपसे किसने कहा?

सरला: ख़ुद तुम्हारे पापा ने।

शिवा: ओह ये तो बड़ी गड़बड़ हो जाएगी।

सरला: और भी सुनो, वो तो लड़की भी मालिनी से छोटी लाएँगे ऐसा बोले हैं !

शिवा: हे भगवान। ये पापा को क्या हो गया है?

सरला: बेटा, मुझे तो तुम दोनों की बहुत चिंता है। एक तो मालिनी की सास उससे छोटी उम्र की और दूसरी ओर उसके भी बच्चे हुए तो तुम्हारे लिए एक और सर दर्द हो जाएगा। जायदाद में वो भी बराबर का हिस्से दार हो जाएगा। घर की शांति भंग होगी वो अलग। मेरा तो सोच सोच कर सिर फटा जा रहा है। बेचारी मेरी बच्ची का क्या होगा? ये कहते हुए वो रोने लगी।

शिवा उसके रोने से हड़बड़ा गया और उठ कर उसके पास आकर बैठा और उसको दिलासा देते हुए बोला: मम्मी आप क्यों रो रही हो? हम कुछ करेंगे ना। पापा को समझाएँगे।

सरला ज़ोर से रोती हुई बोली: वो सब मैं कर चुकी हूँ वो नहीं मान रहे हैं। अब शिवा उसके हाथ को सहलाया और बोला: मम्मी रोने से कोई समस्या हल नहीं होगी। वह उसकी बाँह को सहलाया और उसकी उँगलियाँ उसके बड़े स्तन से छू गयीं। उसे जैसे बिजली का झटका लगा। उधर सरला ने रोते हुए अपना सिर उसके कंधे पर रख दिया था और उसकी साड़ी का पल्लू भी गिर गया था । अब शिवा को उसके आधे दूध जो कि ब्लाउस से बाहर थे साफ़ साफ़ दिखाई दे रहे थे और उसके लौड़े ने फिर से अपनी अकड़ दिखानी शुरू कर दी।

सरला भी अब रोते हुए बोली: क्या करूँ रोने केअलावा और क्या कर सकती हूँ?
 
455
131
28
शिवा अब सरला को अपनी ओर खींचकर बोला: मम्मी प्लीज़ चुप हो जाओ। मैं हूँ ना कुछ ना कुछ करूँगा । अब वो अपने हाथ से उसके गाल को सहला कर उसके आँसू पोंछने लगा। शिवा की नाक में उसके सेंट और उसके बदन की मादक गंध भी समा रही थी। मालिनी का बदन गठा हुआ था और सरला का मुलायम थोड़ा चरबी लिए हुए था ।वह उसको चुप कराते हुए उसके पेट पर से ले जाकर उसकी चिकनी कमर पर एक हाथ रखा और सरला को अपनी ओर खिंचा और गाल सहलाकर बोला: मम्मी पहले आप चुप हो जाओ। अब सरला की एक चूची उसकी बाँह से पूरी सट गयी थी। उसका सिर शिवा के कंधे पर था। सरला की आँखें बंद थीं। उसके होंठ खुले थे मानो कह रहे हों मुझे चूस लो।

शिवा का लौड़ा अब पूरी तरह से सख़्त हो चुका था, वह अब उसके ऊपर झुका और उसकी आँख को चूमा और बोला: मम्मी प्लीज़ रोना बंद करो। मैं कुछ ना कुछ करूँगा। फिर वह उसकी दूसरी आँख को भी चूमा । अब वो नीचे आकर उसके गाल चूमा और बोला: मेरे रहते आपको कभी आँसू नहीं बहाना पड़ेगा। फिर वह कसकर सरला को अपनी बाँह में भींच लिया और सरला भी उसकी छाती में अपना मुँह घुसा दी। अब शिवा उसकी नंगी पीठ को सहला रहा था जहाँ ब्लाउस के नाम पर एक छोटा सा पट्टा भर था। अब वो उसके कंधे को चूमने लगा। सरला भी मस्ती में आ गयी थी और उसने शिवा के पैंट में तने हुए तंबू को साफ़ साफ़ देख लिया था और अंदाज़ा कर लिया था कि इसका भी इसके बाप जैसा ही तगड़ा हथियार है। अपना हाथ सरला ने उसकी जाँघ पर रखा जो कि तंबू के काफ़ी पास ही था।

शिवा का अब अपने आप पर क़ाबू नहीं रहा और वो सरला के सिर पर हाथ रखकर उसके मुँह को ऊपर किया और अपने होंठ उसके होंठ से चिपका दिया। सरला आऽऽऽऽह नहीं नहीं बोली पर सिर्फ़ दिखावे के लिए ।शिवा अब उसके होंठ चूसने लगा। वह विरोध का नाटक करते हुए अपना मुँह घुमाई। सरला: आऽऽऽऽह बेटा ये ग़लत है । प्लीज़ छोड़ दो। आऽऽऽहहह।

शिवा उसे और ज़ोर से जकड़ के उसके होंठ और गाल चूमने लगा। सरला अब भी विरोध कर रही थी। तभी शिवा ने उसकी छातियों पर अपना मुँह घुसेडा और उनको ब्लाउस जे ऊपर से ही चूमने लगा। सरला: आऽऽऽऽऽह बेएएएएएटा ये ग़लत है। तुम मेरे दामाद हो।

शिवा उसकी दोनों चूचियों को अपने पंजों में दबाते हुए बोला: मम्मी ग़लत तो वो भो है जो अभी थोड़ी देर पहले आप ताऊ जी के साथ कर रहीं थीं । अगर वो ग़लत नहीं है तो ये भी नहीं है। वो और ज़ोर से उसकी बड़ी बड़ी चूचियाँ मसलने लगा।

सरला चौंकी और बोली: ओह तो तुमने देख लिया? देखो बेटा श्याम जी का मैं तुमको समझा सकती हूँ।

शिवा: मम्मी मुझे कुछ नहीं समझना है । मुझे बस आपकी चूचियाँ दबानी है।

सरला: उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ धीरे दबाओ ना दुखता है।

अब शिवा जोश में आकर उसकी एक चूचि को ब्लाउस के अंदर हाथ डालकर निकाल लिया और उसे दोनों हाथों से दबाने लगा। वो बोला: आऽऽऽऽऽह क्या मस्त चूची है मम्मी आपकी। मेरी मम्मी की भी ऐसी बड़ी बड़ी थीं । मैं हमेशा चाहता था कि ऐसी बड़ी बड़ी चूची दबाऊँ और चूसूँ। अब वो उसकी चूची चूसने लगा। निपल में जीभ भी रगड़ने लगा। अब सरला चिल्लाई: आऽऽऽऽऽऽह मरीइइइइइइइ । उइइइइइइ ।

शिवा अब दूसरी चूची भी ब्लाउस से बाहर निकाला और उसे भी दबाया और चूसा। सरला उसकी जाँघ दबाए जा रही थी। शिवा ने मस्ती में आकर उसका हाथ अपने तंबू पर रख दिया। सरला ने भी बिना देर किए उसे मूठ्ठी में भर लिया और उसको दबाने लगी। अब कुछ बचा नहीं था छिपाने को।
सरला: आऽऽऽऽऽह सब कुछ यहाँ ही कर लोगे क्या? चलो बेडरूम में।

शिवा उठा और उसको अपनी गोद में उठाने लगा। सरला हँसकर बोली: मैं मालनी की तरह हल्की फुलकि नहीं हूँ । मैं अच्छी ख़ासी भारी हूँ। तुम मुझे उठा नहीं पाओगे। गिर जाऊँगी तो हड्डी टूट जाएगी।

शिवा: मम्मी देखो कैसे बच्ची की तरह आपको उठा लेता हूँ। ये कहते हुए उसने उसकी टांगों के नीचे और पीठ के नीचे भी हाथ डाला और उसे आराम से उठा लिया और बोला: देखो आपको इतने आराम से उठा लिया ना। अब वो झुककर उसकी चूचि चूसने लगा। और बेडरूम की ओर बढ़ा। वहाँ पहुँचकर उसने सरला को बिस्तर पर लिटा दिया। सरला बिस्तर पर पीठ के बल लेटीं थी और उसकी चूचियाँ ब्लाउस के बाहर थी और उनपर शिवा का गीला थूक लगा हुआ था ।

वह अब अपनी क़मीज़ उतारा और फिर बेल्ट खोला और पैंट भी उतार दिया । चड्डी में से उसके लौड़े का उभार देख कर सरला की बुर गीली होने लगी। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ क्या मस्त हथियार है - वो सोची। चड्डी में सामने का हिस्सा थोड़ा सा गीला हुए जा रहा था उसके प्रीकम से।

अब वह उसके ऊपर आया और उसके होंठ चूसने लगा। सरला भी अब उसका साथ देने लगी। शिवा ने अपनी जीभ उसके मुँह में डाली और सरला उसको चूसने लगी। फिर शिवा ने अपना मुँह हटाया और खोल दिया अनुभवी सरला ने अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी जिसे शिवा चूसने लगा। शिवा के हाथ अब उसकी चूचियों पर आ गए थे । वह बोला: आऽऽऽऽऽह मम्मी कितने सॉफ़्ट और फ़र्म है आपके दूध। म्म्म्म्म्म चूसने में बहुत मज़ा आ रहा है। फिर वो उसकी चूचि चूसते हुए उनको दबाने लगा।

सरला: आऽऽऽऽऽह बेएएएएएएटा क्या माआऽर ही डालेगाआऽऽ। बहुत मज़ाआऽऽऽऽऽऽ आऽऽऽऽ रहाआऽऽऽऽ है। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ ।

शिवा अब नीचे आया और उसके चिकने पेट को चूमा और नाभि में जीभ डालकर चाटने लगा।

सरला: उइइइइइइ माँआऽऽऽऽऽ क्याआऽऽऽऽ कर रहे हो। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ ।

अब शिवा और नीचे खिसका और उसने कमर से लिपटी साड़ी को निकाल दिया । पूरी साड़ी खुल गयी थी। उसने उसे निकाल दिया।सरला ने अपनी क़मर उठाकर उसको निकालने में उसकी मदद की। पेटिकोट में वह बहुत मस्त दिख रही थी। अब उसने उसकी नाभि को जीभ से चाटा और पेटिकोट का नाड़ा खोला और उसको नीचे करने लगा। सरला ने भी पूरी बेशर्मी से अपनी क़मर उठाकर उसे निकालने में पूरी मदद की। वो आज भी पैंटी नहीं पहनी थी। उसकी जाँघें चिपकी हुईं थीं ।उसकी बुर का थोड़ा सा ऊपरी हिस्सा ही दिखाई दे रहा था। वो उसकी जाँघों को सहलाने लगा और फिर उसकी पेड़ू को सहलाया। सरला हम्म कर उठी। अब उसने जाँघों को फैलाया और सरला ने इसमे भी सहयोग किया।अब मदमस्त जाँघों के बीच कचौरी की तरह फूली हुई बुर और उसकी फाँक की ग़हरी लकीर साफ़ दिखाई पड़ रही थी और उसके लौड़े ने और प्रीकम छोड़ दिया ।

शिवा अब उसकी जाँघों को चूमने लगा और फिर उसकी बुर को भी नाक डालकर सूँघा वो बोला: मम्मी आऽऽऽह क्या मस्त गंध है आपकी बुर की। वो उसे सहलाता रहा।फिर वह उसकी फाँकों को फैलाया और वहाँ के गुलाबी हिस्से को देखा और उसमें जीभ डाला और उसे जीभ से मानो चोदने लगा। सरला: आऽऽऽऽऽऽऽह कर उठी। अब वो बोला:मम्मी मालिनी की डिलिवरी नोर्मल हुई थी या सजेरीयन ?

सरला: आह्ह्ह्ह्ह मेरे दोनों बच्चे नोर्मल हुए थे।

शिवा: इसका मतलब है कि मालिनी इसी छेद से बाहर आयी थी? ह्न्म्म्म्म्म । अब वो उसे चाटने लगा। सरला की सिसकियाँ निकलने लगी। अब उसने उसकी जाँघों को और ऊपर उठाया और उसकी गाँड़ के छेद को देखकर मस्ती से ऊँगली से सहलाया और एक ऊँगली अंदर किया । उसने देखा कि ऊँगली आसानी से अंदर चली गयी। वो अब दो ऊँगली डाला और वो भी आराम से चली गयीं। वो बोला: मम्मी जी आपकी गाँड़ बहुत मस्त है और खुली हुई है, क्या ताऊजी गाँड़ भी मारते है?

सरला: आऽऽऽंह अच्छा लग रहा है बेटा। हाँ मारते हैं। पर अभी इधर कुछ दिनों से नहीं मारी।
शिवा: क्या मालिनी के पापा भी गाँड़ मारते थे?

सरला: हाँ बेटा, वो तो मेरी गाँड़ के पीछे पागल थे। उनको मेरे चूतर बहुत पसंद थे।

शिवा: मम्मी आपके चूतर तो मुझे भी बहुत पसंद हैं । वो उनको चूमकर बोला और फिर जीभ से गाँड़ भी कुरेदने लगा। सरला: आऽऽऽऽऽहाह ।

शिवा मुँह उठाकर बोला: मम्मी मैंने भी अभी तक किसी की गाँड़ नहीं मारी है। आज आपकी मारूँगा दूसरे राउंड में ठीक है ना?

सरला: आऽऽऽह मार लेना बेटा आऽऽऽऽह अब बुर तो मार पहले हाय्य्य्य्य्य्य्य। बहुत खुजा रही है।

शिवा अब उसने उसकी क्लिट को जीभ से छेड़ा तो वो उछल पड़ी और उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ करके उसके मुँह को हटाई और बोली: वहाँ हमला किया तो एक मिनट में ठंडी पड़ जाऊँगी झड़कर।

शिवा मुस्कुराते हुए उठा और आकर उसके बग़ल में लेटा और उसकी चूचियाँ दबाकर चूसने लगा। अब सरला भी उठी और उसके ऊपर आ कर उसके निपल्ज़ को दाँत और जीभ से छेड़कर उसे मस्त कर दी फिर नीचे जाकर उसके पेट और नाभि को चूमते हुए उसकी चड्डी तक पहुँची। उसने वहाँ नाक रखी और प्रीकम को सूँघा और फिर उसकी जीभ से चाटकर मस्ती में आकर बोली: आऽऽऽंब तुम्हारी गंध भी बहुत मस्ती ले आने वाली है बेटा। अब वो उसकी चड्डी निकाली और उसका लौड़ा देखकर बोली: आऽऽऽऽहहहह क्या मस्त हथियार है उगफफ कौन ना पागल हो जाए इसको देखकर। म्म्म्म्म्म्म। कहकर वो उसको पूरी लम्बाई में चुमी और चाटी। फिर उसके एक एक बॉल को भी चूम और चाट कर मस्ती से बोली: उम्म्म्म्म्म्म बहुत मस्त है ये । पुच पुच करके उसको चुमी। अब वो अपनी जीभ लेज़ाकर उसके लौड़े के सुराख़ को चाटी और प्रीकम को खा गयी और फिर अब वो उसके सुपाडे को मुँह में लेकर चूसने लगी।

शिवा अब मस्ती में आकर बड़बड़ाया: आऽऽऽऽऽऽह मम्मी आऽऽऽऽऽहहह क्या चूसती हो आऽऽऽऽऽप। वाआऽऽऽऽऽऽऽहहह।
सरला अब उसको डीप थ्रोट दे रही थी। पहली दफ़ा शिवा ये अनुभव प्राप्त कर रहा था। वो अब कमर उछालकर अपना लौड़ा उसके मुँह को नीचे से चोदने लगा। सरला अब मज़े से उसको चूसे जा रही थी।
 
455
131
28
अब सरला उठी और आकर उसके ऊपर बैठी और उसके होंठ चूसने लगी। वो भी उसकी बड़ी बड़ी छातियाँ दबाने लगा। अब वो अपनी कमर उठाई और उसके लौड़े को पकड़कर अपनी बुर के मुँह पर रखी और नीचे दबाकर अपनी बुर में उसको अंदर करते हुए उइइइइइइइ कहकर अपनी कमर को पूरा दबा दी और लौड़े को जड़ तक अपने अंदर कर लिया। अब वह अपनी कमर उछालकर उसे चोदने लगी। शिवा भी नीचे से धक्के मारकर ह्म्म्म्म्म्म कहते हुए मस्तीसे उसका साथ देने लगा।

अब मालिनी : आऽऽऽऽऽहहह बेएएएएएटा आऽऽऽऽऽऽऽह फाऽऽऽऽऽड़ दोओओओओओओओ मेरीइइइइइइइइ बुर।

शिवा: ह्म्म्म्म्म्म मम्मी क्या मज़ा आ रहा है। सरला की कमर हिले जा रही थी। फिर वो बोली: बेटा अब मैं थक गयी हूँ। तुम ऊपर आ जाओ।

शिवा उसको अपनी बाहों में भरकर उसे लिए हुए ही पलट गया और ख़ुद ऊपर आ गया। अब वो उसकी टाँगों को अपने कंधे पर रखकर बुरी तरह से चोदने लगा । अब तो कमरा सरला की आऽऽऽऽऽह उइइइइइइइ ऊम ऊम ऊम की आवाज़ों से भर गया। पलंग की चरमराहट अब अपनी चरम सीमा पर था जो बुरी तरह से हिल रहा था। मालिनी सोची कि जवान लड़के की चुदाई अलग ही होती है। उफफफफ क्या ताक़त है इस लड़के में। फिर वह चिल्ला कर उइइइइइइइइइ मॉआऽऽऽऽ कहकर झड़ने लगी। शिवा भी ह्म्म्म्म्म कहकर झड़ने लगा। अब वह आकर उसकी बग़ल में लेट गया। अब वो सरला के गाल चूमकर बोला: मम्मी आपको पता नहीं है कि आपने आज मुझे कितना मज़ा दिया है। मेरे सालों की इच्छा थी कि मैं एक आपकी उम्र की औरत को चोदूँ। आज मैं बहुत संतुष्ट हूँ।

सरला: अच्छा वो क्यों?

शिवा: मैंने अपनी मम्मी को कई बार कपड़े बदलते हुए नंगी देखा था। उनकी बड़ी बड़ी छातियाँ और उनकी बड़ी गाँड़ मुझसे बहुत आकर्षित करतीं थीं। आज आपको चोदते समय मुझे लगा मानो मैं अपनी मम्मी को ही चोद रहा हूँ। मेरी बहुत बड़ी फ़ैंटासी को मानो आपने रीऐलिटी में बदल दिया है।
अब वो उसकी चूचि चूसने लगा। अब शिवा ने उसके बड़े बड़े चूतरों को सहलाया और बोला: मम्मी आपके चूतर तो मख्ख्नन की तरह चिकने हैं । फिर वह अपनी ऊँगली गाँड़ में घुमाने लगा। वह बोला: मम्मी मालिनी की गाँड़ में तो एक ऊँगली भी मुश्किल से जाती है। बहुत टाइट है उसकी गाँड़। मेरी हिम्मत ही नहीं होती उसकी गाँड़ मारने की।
सरला: पहली बार गाँड़ मरवाने में सच में बहुत दर्द हुआ था पर अब सब ठीक है। अब तो कुछ दिन ना मरवाओ तो गाँड़ खुजाने लगती है बेटा। आऽऽऽऽहहह क्या कर रहा है? थूक लगा कर डाल ना ऊँगली। सूखे ही घुसेडे जा रहा है अंदर?

शिवा: सारी मम्मी । फिर वो ऊँगली में थूक लगाया और गाँड़ में दो उँगलियाँ डाल दिया। सरला आऽऽऽऽह कर उठी।

शिवा: मम्मी ये पापा की दूसरी शादी का क्या अपने मालिनी को बताया है?

सरला उसके लौड़े को सहलाकर: हाँ उसे पता है। वो काफ़ी परेशान है। पर तुमको इस लिए नहीं बताई कि वो तुमको परेशान नहीं देख सकती।

शिवा गाँड़ में उँगलियाँ घुमाते हुए: ओह, ऐसा? एक बात पूँछु मम्मी अगर ग़ुस्सा ना होगी तो?

सरला: अरे पूछ ना बेटा जो भी पूछना है। वो उसके बॉल्ज़ को सहलाते हुए बोली।

शिवा:पापा ने आपको क्यों बताया कि वो दूसरी शादी करने का सोच रहे है?

सरला हड़बड़ा कर: मुझे क्या पता? ऐसा क्यों पूछा?

शिवा: मम्मी मुझे शक है कि आपके और पापा के बीच भी कुछ हो चुका है। उस दिन पार्टी में पापा जिस तरह से आपको देख रहे थे और आप भी उनको जैसी निगाहों से देख रहीं थीं, मुझे तो गड़बड़ लगी थी।

सरला: देखो बेटा, अब तुमसे ये सब करने के बाद अब मैं तुमसे झूठ नहीं बोलूँगी। वह उसके लौड़े को मुठियाते हुए बोली: हाँ मैं उनके साथ भी ये सब कर चुकी हूँ।

शिवा: ओह तो मेरा शक सही था। कितनी बार मिली हो आप पापा से ?

सरला: तीन चार बार। बस अब कुछ और ना पूछना। मुझे अजीब लग रहा है।

शिवा: ठीक है नहीं पूछूँगा । बस इतना बता दीजिए कि क्या आपने पापा से गाँड़ भी मरवायी थी? वह उसकी गाँड़ में उँगली करते हुए कहा।

सरला: हाँ मरवाई है। उनको बहुत अच्छा लगता है गाँड़ मारना। वो बताए थे।

शिवा: ओह तो ताऊजी भी मारते है क्या?

सरला: हाँ मारते हैं।

शिवा: मम्मी उस बार जब आप और ताऊजी हमारे घर आए थे और रात रुके थे पार्टी के बाद । उस दिन भी आप पापा से चुदवायी थी ना?

सरला: हाँ।

शिवा: पर ताऊ भी तो थे वहाँ । उनको तो पता होगा ना?

सरला: बेटा, तुम मुझे बहुत एम्बारस कर रहे हो।

शिवा : प्लीज़ मम्मी बताइए ना। वह अब उसकी चूचि चूसने लगा।

सरला: आऽऽँहह । हाँ श्याम को सब पता है बल्कि उस रात को हम तीनों ने साथ में ही किया था।

शिवा का लौड़ा पूरा खड़ा हो गया था। वो बोला: मतलब आप तीनों ने एक साथ सेक्स किया था? Wow। तो कैसे किया था? किसने आपकी गाँड़ मारी थी और किसने बुर? वह चूचि चूसकर दबाते हुए बोला । उसकी उँगली अभी भी गाँड़ में घुसी हुई थी।

सरला अब गरम हो चुकी थी । वो बोली: आऽऽहहह हाँ एक गाँड़ मारता था और दूसरा बुर चोदताथा। ह्ह्ह्ह्ह्ह्हाय । अब कुछ करो ना। प्लीज़ ।

शिवा भी गरम हो चुका था और उसने सरला को लुढ़का कर पेट के बल लिटाया और वो उसके मस्त चूतरों को सहलाया और दबाया । दिर वह उनको चूमने लगा। अब सरला ख़ुद ही चौपाया बन गयी और अपनी गाँड़ बाहर कर उसे चोदने का मानो आमंत्रण दी। सरला बोली: बेटा थोड़ा सा क्रीम लगा ले। और डाल दे। सच बहुत खुजा रही है।

शिवा मस्त होकर क्रीम लेकर उसकी गाँड़ में और अपने लौड़े पर लगाया और उसके चूतरों को फैलाया और अपने लौड़े को उसके छेद में लगाकर धक्का दिया। अब लौड़ा उसकी गाँड़ में धँसता चला गया। सरला आऽऽऽहहह मरीइइइइइइइ चिल्लाई।

शिवा अब मस्ती में आकर उसकी गाँड़ मारने लगा। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ क्या मज़ाआऽऽऽ आऽऽऽऽ रहाआऽऽऽऽऽ है। वह अब पिस्टन की तरह आगे पीछे होकर उसकी गाँड़ मार रहा था सरला की चीख़ें निकल रही थी। शिवा हाथ नीचे कर के उसकी चूचियाँ दबाए जा रहा था । जल्दी ही सरला भी आऽऽऽंहहह करके अपनी बुर की क्लिट मसलने लगी। फिर उसने शिवा का हाथ पकड़ा और उसे अपनी क्लिट में रगड़ने लगी। शिवा अब ख़ुद उसकी क्लिट रगड़ने लगा और गाँड़ में धक्के भी मारता रहा। जल्दी ही दोनों चिल्ला कर झड़ने लगे।

सरला पेट के बल गिर गयी और वो उसके बग़ल में लेट गया। सरला हाँफते हुए बोली: जानते हो आज तो तुमने मेरे साथ ये चुदाई की है । ये मेरे जीवन की सबसे बढ़िया चुदाई है जिसे मैं जीवन भर नहीं भूलूँगी। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ क्या ताक़त है तुममें। कितना दम में है तुम्हारी कमर में। सच में मालिनी बहुत क़िस्मत वाली है जो उसे ऐसा बढ़िया चुदक्कड पति मिला है। जितनी बढ़िया तुमने बुर चोदी उतनी ही बढ़िया गाँड़ भी मारी।

शिवा हँसकर: मम्मी अभी तो एक राउंड और होगा।

सरला: नहीं नहीं बस मैं थक गयी हूँ। और नहीं करवा सकती।

शिवा: मम्मी ये सब मूवी देखकर अब आते होंगे । चलो हम तय्यार होकर ड्रॉइंग रूम में चलते हैं। वो दोनों फिर बाथरूम में फ़्रेश होकर ड्रॉइंग रूम में पहुँचे और सरला चाय बनाकर लाई। वो इस बीच अपनी जेठानी को भी पानी और चाय उसके कमरे में दे आयी थी।

शिवा: मम्मी एक बात पूछूँ ? ग़ुस्सा मत करना।

सरला: सब कुछ तो बता दिया है । अब और क्या बताना है?

शिवा: मम्मी मालिनी और राकेश क्या श्याम ताऊ जी के बच्चें हैं।

सरला: नहीं वो मेरे पति से हैं । बल्कि यहाँ उलटा है।

शिवा चाय पीते हुए: उलटा मतलब ?

सरला:असल में चारु और मुन्नी मेरे पति की संतान हैं। ये बात मैंने कभी किसी को नहीं बतायी। यहाँ तक कि मालिनी को भी नहीं। हुआ ये था कि जब जेठानी के बच्चा नहीं हो रहा था तब उसका चेक अप करवाया था मैंने । और वो बिलकुल ठीक थी कमी ज़ेठ जी यानी श्याम जी में थी। उनके वीर्य में कुछ कमी थी। फिर मैंने अपने पति को मनाया और जेठानी को उनसे चुदाया और वो दो बच्चियों की मॉ बनी। इसलिए जेठानी के बच्चे मेरे बच्चों से छोटें है।

शिवा: ओह ये तो बड़ी अजीब बात है। ताई जी पापा जी से आपके सामने चुदतीं थीं क्या?

सरला: हाँ शुरू में वो झिझकती थीं ना। इसलिए मैं वहाँ सामने रहती थी। बाद में वो ख़ुद दोपहर को चुदवा लेती थीं।

शिवा: और आप ताऊ जी से कैसे शुरू हुई?

सरला: वो तो मेरे पति की मृत्यु के बाद श्याम मुझे पटा लिए। मैं भी प्यासी थी तो फँस गयी।

शिवा : ओह , । तभी बहुत शोर करते हुए सभी बच्चे मालिनी के साथ अंदर आए। और मूवी के बारे में उत्साह से बताने लगे।

मुन्नी भी बहुत ख़ुश होकर अपना नया मोबाइल शिवा को दिखाई और बोली: थैंक्स जीजा जी , दीदी ने आपके कहने से दिलवा दिया। और उसने शिवा के पास आके उसकी पप्पी ले ली। सब हँसने लगे। शिवा ने भी मुन्नी के गाल में एक पप्पी दे दी।

सरला ने सबके लिए चाय बनाई। सब खाते पिते बहुत बातें किए। शिवा : मालिनी कब वापस चलना है?

चारु: प्लीज़ कल चले जाइएगा ना। अभी दीदी से बहुत सी बातें करनी हैं।

सरला: और क्या बेटा। प्लीज़ एक रात के लिए रुक जाओ।

शिवा उसकी आँखों में देखा और वहाँ वासना साफ़ साफ़ दिखाई दी उसको।

वो मुस्कुराकर: ठीक है आप सब चाहते हो तो यही सही, पर हमको कल सुबह सुबह ही जाना होगा। ११ बजे तक दुकान खोलनी रहती है ना।

सब ख़ुश हो गए। मुन्नी उससे आकर लिपट गयी और बोली: थैंक्स जीजा जी। शिवा ने भी प्यार से उसके गाल सहला दिए।
 
455
131
28
मालिनी सोची कि पापा को शायद परेशानी होगी। सो वह बोली: पापा के खाने का क्या होगा?

सरला: अरे एक रात बाहर खा लेंगे। मैं उनको बोल देती हूँ।

शिवा मुस्कुराया और सोचा कि वो आपकी बात तो मान ही जाएँगे। फिर चारु और मुन्नी मालिनी को अपने कमरे में ले गए। शिवा बोला: राकेश मैं थोड़ा सैर करके आता हूँ। कोई पार्क है क्या पास में?

राकेश: जीजा जी आप चाहो तो मैं ले चलता हूँ आपको।

शिवा: हाँ हाँ चलो ना। साथ रहेगा तो अच्छा ही लगेगा।

राकेश: मैं अभी आया जूते बदलकर। वो अपने कमरे में चला गया।

सरला किचन में खाने की तय्यारी कर रही थी । शिवा उसके पास आया। वो उसको पीछे से पकड़कर उसके कंधों को चूमकर बोला: मम्मी अब रोक तो लिया है आपने , रात का प्रोग्राम बनेगा क्या।

सरला: क्यों रात को मालिनी की नहीं लोगे क्या?

शिवा: उसका पिरीयड्ज़ आया हुआ है। आज तीसरा दिन है।

सरला: तभी मेरी लेने का ख़याल आया है?

शिवा उसकी गाँड़ दबाकर और चूचि मसलकर बोला: उफफफ मम्मी क्या माल हो आप। कुछ करो ना रात की चुदाई का इंतज़ाम।

सरला: उइइइइइइ छोड़ ना बेटा। मार ही डालेगा क्या। चल कुछ सोचती हूँ। और कुछ नहीं कर पाई तो मालिनी के दूध में नींद की एक गोली डाल दूँगी। वो मज़े से सोती रहेगी और तुम आके मज़े कर लेना। ठीक है ना?

शिवा उसे चूमकर: वाह मम्मी आपका प्लान बढ़िया है। लगता है ताई जी पर भी यही प्लान आज़माती होगी।

सरला उसके लौड़े को पैंट के ऊपर से दबाकर बोली: धत्त बदमाश कंही का। शिवा हंसकर उसकी बुर को साड़ी के ऊपर से दबाकर: ठीक है मम्मी मैं और राकेश थोड़ा पार्क तक घूम कर आते हैं । आप पापा से हमारे कल आने की बात कर लेना। फिर वह बाहर आया और तभी राकेश भी आया और दोनों पार्क की ओर चल पड़े।

उधर सरला ने अपने कपड़े ठीक किए जो शिवा ने ब्लाउस और साड़ी मसलकर ख़राब कर दिए थे और बुर को खुजाकर वो सोची कि उफफफ कितना गरम ख़ून है इस लड़के का?

फिर वो राजीव को फ़ोन लगाई: नमस्ते समधी जी। कैसे हैं ?

राजीव : बहुत उदास हूँ, बहु को तुमने हज़म जो कर लिया है।

सरला हँसकर : वो दोनों तो आज रुकने का सोचे हैं। कल सुबह वापस आएँगे।

राजीव: ये तो ग़लत बात है। शाम को वापस आने की बात हुई थी। मेरे डिनर का क्या होगा?

सरला: अरे एक रात बाज़ार से ऑर्डर करके मँगा लीजिएगा ना। रात के लिए कोई छम्मक छल्लो भी बुला लीजिए। आपकी रात रंगीन कर देगी।

राजीव: तुम जानती हो मुझे रँडी में कोई दिलचस्पी नहीं है। अच्छा ये तो बताओ तुम्हारा और शिवा का कुछ हुआ? बात आगे बढ़ी कि नाहीं ?

सरला हँसते हुए: वो तो आपका सगा बेटा ही निकला ।आज ही दोपहर को उसने मेरी आगे और पीछे दोनों की ले ली।

राजीव ख़ुशी से चिल्लाया: क्या बोलती हो? हो भी गया?

सरला: आप दुनिया के इकलौते बाप होगे जो अपने बेटे की ऐसी करतूत से ख़ुश हो रहे हैं। कोई दूसरा होता तो बेटे को दस जूते मारता ।

राजीव: अरे मेरा बेटा है। मुझे उस पर गर्व है। अच्छा बताओ कुछ सीखा है वो कि नहीं की बिस्तर पर औरत को कैसे मज़ा देना है?

सरला: अरे वो तो उस्ताद हो गया है। आख़िर मेरी बेटी भी तो साथ में ट्रेनिंग दी है ना उसको?

राजीव: अच्छा बताओ कि मेरे साथ ज़्यादा मज़ा आया कि शिवा के साथ?

सरला हँसती हुई: सच बोलूँ? शिवा का जवान बदन और उसका मस्त हथियार पागल कर देने वाला है। और जानते हो जवानी का स्टेमिना कितना ज़्यादा होता है। पूरे आधे घंटे बिना रुके उसने मुझे चोदा है। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ मेरी तो जैसे बरसों की प्यास बुझा दी उसने। आपको जलन तो नहीं हो रही है?

राजीव: अरे नहीं । बल्कि गर्व हो रहा है अपने बेटे की मर्दानगी पर। फिर आज रात का क्या प्लान है?

सरला: अभी आया था किचन में। सब कुछ दबाकर बोला है कि रात को आएगा मेरे कमरे में ।

राजीव: और मालिनी उठ गयी और देखी कि शिवा नहीं है तो?

सरला: उसको तो नींद की एक गोली दे दूँगी। सुबह तक मस्त सोएगी।

राजीव: चलो बढ़िया। अब इसके बाद तुम यहाँ आना और मैं मालिनी को तुम्हारी और शिवा की चुदाई दिखाऊँगा। बस उसके बाद सब कुछ बढ़िया हो जाएगा।

सरला थोड़ा परेशान होकर: शिवा को पता चला आपके और मालिनी के बारे में तो पता नहीं वो इसे कैसे लेगा?

राजीव : अरे तुम चिंता ना करो मैं उसका पहले ही ब्रेन वाश कर दूँगा। अब उसे थोड़ी इनसेस्ट का मतलब समझाना होगा।

सरला: वो तो मैंने यहाँ ही शुरू कर दिया है। वैसे आपको बता दूँ कि आज उसने मेरे सामने कई बार बोला कि वो अपनी सगी माँ को नंगी देख चुका था और उसकी फंतसि थी किवो अपनी माँ को चोदे।

राजीव हैरानी से बोला: ओह। ऐसा क्या? ये तो नयी बात पता चली।

सरला: वो मुझसे और अपनी माँ में तुलना भी कर रहा था। ख़ासकर हमारी छातियों की।

राजीव: ओह तब तो काम आसान हो जाएगा। चलो रात में मज़े लो और कल रिपोर्ट देना। हैपी फ़किंग मेरे बेटे के साथ। फिर वो फ़ोन काट दिया।

उधर मालिनी अपनी बहनों के साथ बातें कर रही थी। बातों बातों में बात सेक्स की ओर मुड़ गयी। स्कूल में होने वाली बातों के बारे में लड़कियाँ बताने लगीं।

चारु: पता दीदी, हमारे स्कूल में कई लड़कियाँ बड़े अजीब अजीब से कपड़े पहन कर आती हैं । हमारी चाची तो हमको ऐसे कपड़े कभी पहनने ही ना दे।

मालिनी: पर स्कूल में तो यूनीफ़ॉर्म होती है ना?

चारु: शनिवार को कुछ भी पहन सकते है। कुछ लड़कियाँ तो मिनी स्कर्ट पहनकर आती हैं और लड़के अपनी पेन्सल कागच ज़मीन पर गिरा कर उनको उठाने के बहाने उनकी स्कर्ट के अंदर झाँकते है। ही ही ही । वो शर्मा कर हँसी।

मालिनी भी मज़े से आँख मटका कर: अब तू १८ की हो गयी है। बता क्यों झाँकते हैं?

चारु मस्ती में: वही देखने को झाँकते हैं जो कि जीजा जी आपकी साड़ी में देखने के लिए झाँकते हैं ।

मालिनी झूठा ग़ुस्सा दिखाकर: ठहर साली बहुत बोलना आ गया है। ये कहते हुए मारने दौड़ी। चारु चिल्लायी: चाची बचाओ ।और भाग कर किचन में सरला के पास आ गयी।

सरला हँसकर: क्या हुआ मालिनी क्यों मार रही है इसको?

मालिनी हँसकर: मम्मी ये बड़ी बदमाश हो गयी है। पर उसने शर्म के मारे उसको सब बात नहीं बताई। फिर दोनों वापस कमरे में आयीं। मालिनी: बहुत सयानी हो गयी है तो कोई बीएफ़ बनाया या नहीं?

चारु: धत्त दीदी। मैं ऐसी लड़की नहीं हूँ। पर सच में बहुत सी लड़कियों के हैं। वो सब बुरे बुरे काम भी कर चुकी हैं।

मालिनी हँसकर :ओह, कैसे बुरे काम?

चारु: दीदी आप भी ना । मैं कैसे बताऊँ। वो भी मुन्नी के सामने। देखो ना कैसे कान खोलकर सब सुन रही है।

मालिनी: अरे तो क्या हुआ। अब मुन्नी भी तो जवान हो गयी है। देखो ना इसके दूध कितने बड़े हो गए हैं। दो साल से तो ब्रा भी पहन रही है। अब कोई बच्ची थोड़ी है।

सब हँसने लगे। मुन्नी: दीदी आप भी मुझे चिढ़ा रही हैं । मैं जीजा जी से शिकायत करूँगी।

मालिनी: ज़्यादा जीजा जीजा मत कर। कहीं साली को आधी घरवाली समझ कर पकड़ लिया तो उइइइइइ कर उठेगी।

अब चारु मस्ती से बोली: तो लगता है कि जीजा जी आपको बहुत उइइइइ कराते हैं । है ना?

मालिकी: अरे शादी के बाद तो जब वो चाहें मुझसे उइइइइइ या आऽऽहहह करा सकते हैं। उनके पास तो लाइसेंस है। पर कहीं इस बेचारी मुन्नी को उन्होंने पकड़ लिया तो ये तो गयी। हा हा हा।

मुन्नी: हमारे जीजा जी बहुत अच्छें है। वो ऐसा नहीं करेंगे। हाँ चारु ज़्यादा उछल रही है। शायद इसके साथ वो ऐसा कर लेंगे ।

चारु: दीदी अगर वो मेरे साथ कुछ करेंगे तो मैं आपको बता दूँगी। आप उनको ठीक कर दीजिएगा ।

मालिनी हँसकर : अपने जीजा से ख़ुद ही निपटो तुम लोग। मुझे क्यों बीच में लाते हो। हा हा ।

इस तरह की चूहल हो रही थी। मालिनी को लगा कि दोनों कलियाँ फूल बनने को मरी जा रही हैं। अगर इनको शिवा ही फूल बनाए तो ज़्यादा अच्छा होगा बनिस्बत इसके कोई बाहर वाला इनकी मलाई खा जाए। वो उसकी बहनों को बड़े ही प्यार से जवान करेंगा। बाहर वाले का तो कोई भरोसा ही नहीं कि किस तरह से इन नादान लड़कियों को मसलेंगे।पता नहीं ये शादी के पहले हो प्रेगनेंट ही ना हो जाएँ। वो सोची कि इस बारे में शिवा बात करेगी।
 
455
131
28
उधर राकेश और शिवा में बातें हो रहीं थीं । राजेश का आख़िर साल था । अगले साल वो इंजीनियर बन जाएगा। वह अपनी पढ़ाई और नौकरी की बातें कर रहा था।



शिवा: देखो नौकरी बस ३/४ साल ही करना। फिर अपना काम शूरु करना। जो मज़ा अपने काम में है वो नौकरी में कहाँ। फिर इधर उधर की बात करके शिवा पूछा: कोई गर्ल फ़्रेंड बनायी या नहीं? देखो पार्क में क्या हो रहा है?



पार्क में रोमैन्स का माहोल था। जगह जगह लड़के लड़की चिपके हुए थे। और चूमा चाटी चल रही थी।



राकेश: नहीं जीजा जी नहीं बनाई। मुझे लड़कियों में कोई इंट्रेस्ट नहीं है।



शिवा: अरे वो क्यों? गे हो क्या?



राकेश: धत्त आप भी ना। पर मैं अभी पढ़ाई पर ध्यान दे रहा हूँ। तभी वहाँ से एक अधेड़ बहुत सुंदर थोड़ी मोटी सी औरत एक लड़के के साथ गुज़री। दोनों ने हाथ पकड़े हुए थे । शिवा ने देखा कि अब राकेश में एक अजीब सा परिवर्तन आ गया था। उसकी आँख लाल हो गयी थी और साँस भी तेज़ चलने लगी थी। वो कुछ सोचा और उस औरत और लड़के के पीछे हो लिया। राकेश भी उसके साथ चला जा रहा था। शिवा ने नोटिस किया कि राकेश की आँखें उस जोड़े से हट ही नहीं रही थी।



वो जोड़ा एक सूनी सी जगह में एक बेंच पर बैठ गए। शिवा और राकेश आगे बढ़ गए। पर थोड़ी दूर जाकर शिवा घूमकर पीछे से आया और उस जोड़े के पीछे एक पेड़ की ओट में छुप गया और राजेश को भी छुपा लिया। शिवा ने देखा कि राकेश बहुत उत्तेजित था और उसकी साँस बहुत तेज़ चल रही थी। शिवा हैरान हुआ कि इतनी देर से जवान जोड़ों को देखकर तो इसे कुछ नहीं हुआ पर इस बेमेल जोड़े को देखकर ये तो आपे से बाहर ही हुए जा रहा है।



तभी वो लड़का बोला: चाची आज आप बहुत सुंदर दिख रही हो। स्लीव्लेस ब्लाउस में आप बहुत सेक्सी दिखती हो?



औरत: चल हट बदमाश। मैं देख रही हूँ आजकल ज़्यादा ही बोलना सीख गया है। ये कहकर वो इधर उधर देखी और किसी को ना पा कर वो उसके होंठ चूम ली। अब वो लड़का भी अपनी बाँह उसके कंधे पर रखा और उसके कंधे और बाँह सहलाने लगा। शिवा ने कनख़ियों से देखा तो राकेश के पैंट में एक ज़बरदस्त तंबू बन गया था और वो उसको पकड़कर दबा रहा था ।राकेश उससे क़रीब ४/५ साल ही छोटा था।



उधर लड़के ने अपना हाथ औरत के ब्लाउस के अंदर कर दिया और उसकी चूचि दबाने लगा। वो औरत हाय्ययय करने लगी और उसका हाथ लड़के के पैंट के ऊपर उभार पर गया और वो उसको दबाने लगी। अब शाम हो चली थी थोड़ा अँधेरा भी हो रहा था। अब लड़के ने कहा: चाची अपनी साड़ी उठाओ ना। बुर सहलानी है।



वो बोली: बेटा कोई आ गया तो?



लड़का: अरे चाची कोई नहीं है यहाँ। प्लीज़ साड़ी उठाओ ना। आप ऐसा करो खड़ी हो जाओ साड़ी उठाकर। कोई आएगा तो नीचे कर लेना।



शिवा ने राकेश को देखा और वो दंग रह गया । उसकी आँखें वहीं पर जमी थीं। और उसका लौड़ा बाहर आ गया था और वो उसे मूठिया रहा था। अच्छा ख़ासा ७ इंच का मोटा और बहुत गोरा लौड़ा था। तभी वो औरत खड़ी हुई और अपनी साड़ी ऊपर करली। उसकी पीठ लड़के के सामने थी।



लड़के ने उसके बड़े बड़े गोरे मोटे चूतरों को दबाया और फिर बीच में मुँह डालकर उसको आगे झुका कर उसकी बुर चाटने लगा। वो सामने को झुक कर आऽऽऽऽह करके अपनी बुर चटवा रही थी। अब लड़के से नहीं रहा गया और वो अपने पैंट से अपना लौड़ा बाहर निकाला और उसकी बुर में पीछे से ही पेल दिया अब वो उसको चोदने लगा। शिवा ने देखा कि राकेश की हालत बहुत ख़राब हो रही थी उत्तेजना से । तभी राकेश मुट्ठी मारकर झड़ने लगा। उसका गाढ़ा वीर्य पेड़ से टकरा कर नीचे गिरने लगा।



उधर अचानक दो लड़के से आ गए और उस लड़के को और औरत को धमकाने लगे। वो औरत थर थर काँप रही थी और लड़का भी अपनी पैंट की जीप बंद कर रहा था। वो दो लड़के बोले: तुमको पुलिस में देंगे। वरना जितना पैसा और ज़ेवर है हमको दे दो। साफ़ लगता है की ये बुढ़िया तुमको फंसा कर तुम्हारी जवानी को लूट रही है। अरे छोड़ो इसे हम तुमको बढ़िया जवान माल दिलाएँगे



लड़का: आप इनको सब दे दो। वरना कहीं इन्होंने शिकायत कर दी और घर में पता चल गया तो आफ़त आ जाएगी।



औरत: हाँ हाँ सब ले लो। बस हमें जाने दो।



शिवा समझ गया था कि ये गुंडे थे और इनका काम ही यही है की पैसे लूटो ब्लैकमेल करके। वो राकेश को बोला: चलो हम इनकी मदद करते हैं। वो दोनों बाहर आए और शिवा गरज कर बोला: क्या है बे? कमिनो चलो भागो यहाँ से । वरना पुलिस तुम नहीं मैं बुलाऊँगा।



शिवा की क़द काठी देखकर वो दोनों घबरा गए और देख लूँगा कहते हुए भाग गए।



वो औरत रोने लगी और बोली: थैंक्स बेटा आज आप लोगों ने हमको बचा लिया।



लड़का: आपका बहुत बहुत धन्यवाद। सच में आप दोनों देवदूत बन कर आए हो।



शिवा: देखो हमने आप दोनों को मज़ा लेते देखा था और हम जानते हैं कि आप चाची और भतीजा हो। मैं चाहता हूँ कि आप थोड़ी देर यहाँ बैठो और हमें अपने रिश्ते के बारे में बताओ। देखो हम एक दूसरे को नहीं जानते और ना ही जानना चाहेंगे। पर अगर आपने मेरी बात नहीं मानी तो मुझे भी पुलिस को सब बताना होगा।



उन दोनों के चेहरे का रंग उड़ गया। वो सोचे कि ये क्या नई मुसीबत खड़ी हो गयी है। औरत रुआंसी होकर बोली: बेटा हमें जाने दो। हमें माफ़ कर दो।



शिवा: देखिए आप मुझे ग़लत समझ रहे हो। मैं आपको सिर्फ़ कुछ समय के लिए रोक रहा हूँ। असल में मैं एक लेखक हूँ। मैं ये समझना चाहता हूँ कि आख़िर वो क्या परिस्थिति है जिसने आप चाची और भतीजे को ये सब कुछ करने पर मजबूर कर दिया ?



राकेश हैरानी से जीजा को देख रहा था। तभी शिवा थोड़ी सख़्त आवाज़ में बोला: बैठिए आप दोनों। वो दोनों डर के बैठ गए।



शिवा: अब जल्दी से अपनी आप बीती सुना दो।



लड़का: भय्या हम एक संयुक्त परिवार में रहते है। बचपन से ही मैं अपने परिवार में सबका सेक्स देखा हूँ। पापा मम्मी का, ताया जी और ताई जी का और इन चाची और चाचा जी का भी। मैंने हमेशा ये नोटिस किया की चाची जी संतुष्ट नहीं होती थी चाचा जी से। इस लिए मैंने इनको ही निशाना बनाया। और ये भी प्यासी थीं तो आराम से मेरी बाहों में आ गयीं। बस इतनी सी ही बात है।



शिवा: नहीं तुमने अभी पूरी बात नहीं बताई है। सच सच बोलो कि तुम क्या सिर्फ़ इनको ही चोदना चाहते थे? या किसी और को भी?



लड़के ने सिर झुका कर कहा: हाँ मैं अपनी मम्मी को ही चोदना चाहता था। पर वो नहीं तो चाची ही सही।



औरत: ओह तभी ये कभी कभी मुझे करते हुए माँ माँ बोलता है।



शिवा ने राकेश को देखा जिसका चेहरा एक बार फिर से उत्तेजना से भर गया था । शिवा ने देखा कि उसके पैंट में फिर से टेंट बन गया था।



शिवा : देखो मेरा ये दोस्त कभी चुदाई नहीं देखा है। आप दोनों एक बार उसे चुदाई दिखा दो तो वो भी सीख जाएगा।



औरत इसका विरोध करते हुए बोली: ये कैसे हो सकता है?



शिवा: देखिए आपको पूरा नंगी होने की ज़रूरत नहीं है। आप जैसा कर रहे थे वैसा ही कर लो।



लड़का: चाची हमको देर हो रही है। एक बार कर लो फिर हम घर जा सकेंगे।



औरत: मुझे बड़ी शर्म आ रही है।



लड़का: प्लीज़ चाची जल्दी से कर लो। यह कहते हुए अपनी पैंट का जीप खोल कर अपना नरम लौड़ा बाहर निकाला और चाची को सामने बैठा कर उसके मुँह के पास अपना लौड़ा ले आया।चाची थोड़ा सा हिचकिचाई फिर उसे चूसने लगी। राकेश आँखें फाड़े हुए चाची को देख रहा था। अब लड़के का लौड़ा पूरा खड़ा हो गया था।उसने ब्लाउस में हाथ डालकर वो उसकी चूचियाँ मसलने लगा। अब वो चाची को खड़ा किया और उसको पहले जैसे ही झुकाया और उसकी साड़ी उठाकर उसकी बुर में लौड़ा डाल दिया। चाची: आऽऽऽऽऽऽह बेटाआऽऽऽ धीरे से। हाऽऽऽऽऽय उग्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ ।



लड़का ज़ोर ज़ोर से चोदे जा रहा था और बड़बड़ा रहा था: आऽऽऽहब माँ लो मेरा लंड आऽऽऽहब लो माँआऽऽऽ लोओओओओओ। मेंएएएएएरा लंड ।



राकेश की आँखें फटी जा रहीं थीं कि ये क्या हो रहा है। ये लड़का माँ माँ चिल्लाए जा रहा है। उफ़्फ़। अब वो फिर से अपना लौड़ा दबाने लगा।



उधर लड़का अब माँआऽऽऽऽऽ हम्म कहकर झड़ने लगा। चाची भी उइइइइइइ कहकर झड़ गयी। दोनों एक दूसरे से चिपके हुए थे। फिर वो अलग हुए और चाची ने अपनी साड़ी को नीचे किया। और अपनी साड़ी से बुर को दबाकर शायद उसने अपनी गीली बुर को साफ़ किया पेटिकोट से। लड़का भी रुमाल से अपना लौड़ा साफ़ करके उसको अंदर किया । अब वो बोला: अब हम जाएँ ?



शिवा: हाँ भाई अब जाओ। धन्यवाद ।
 

Top