नई दुल्हन
हाय रे तेरी शर्म
कमरे मे जाते ही मैने देखा ढेरा जी बेसब्री से मेरा इंतजार कर रहे है बोले कहा रह गई इतनी देर मैने कहा वो नल के पास मूत रही थी तो फिसल गई पेटिकोट गंदा हो गया बदल लू इसे, तभी बोले रहने दे उसे, वैसे भी तुझे नंगा होना ही है, खामखाह गंदा करेगी, चल उतार कर इधर बैठ दैखू तो पूरे गाँव मे जिसने कहर ढाया है वो है कैसी, रानू बता रहा था तेरी नमकीन बुर का स्वाद बडा लाजवाब है, तभी मैने पेटीकोट की डोर खोल दी और मेरा जिस्म बल्ब की रोशनी मे नहा गया, गोरा बदन पतली कमर और भारी चुतड देख ढेला का मुंह खुला रह गया , बोल पड़ा सच कहते है लोग बडा जानमारू माल ले आया, क्या मस्त हुस्न है तेरा, इतने भारी गद्याये चुतड़ो मे फॅसी गाड कौन अभागा नही मारना चाहेगा, रानू सच कहता था पूरा गाँव मिलकर भी तेरी मदमस्त गॉड मे पानी नही भर पायेगा, मै शर्म से लाल थी हटो जी पूरा गाँव क्यो भरेगा मेरी गाँड मे पानी वो तो तुम्हारी छिनाल बहनियाँ शर्त हारी और चटवाना मुझे पड़ा अपनी बुर, तभी बैठे बैठे मैने अपनी दोनो टाँगे खोल दी, देखो जी कैसे उस हरामी और तुम्हारे हरामी भाई ने बेदर्दी से चाटा है, मेरी बिना झांटो की बुर खुलकर उसके सामने थी, बुर की दोनो फाँके आपस मे एकदम सटी थी छेद देखकर तो ऐसा लगता था की कैसे मूतती होगी इतने छोटे छेद से, लंड जाना तो दूर, ढेला पर जैसे लाखो बिजलियाँ सी गिर गई, उसने होश जैसे खो दिये वो एकटक बुर को देखता रहा, आपके भाई ने इस बेचारी को जबरदस्ती चियार चियार के चाटा है, तभी उन्हे होश आया उन्होने कहा तुम्हारा छोटा देवर है बच्चा है, मै तपाक से बोली बच्चा है वो सांड ये देखो मैंने बुर के होठो का फैलाया तो बुर खिल कर ढेला के सामने आ गई बुर की घुंडी और गुलाबी छेद एकदम स्पष्ट हो गये, ढेला ने देखा बुर के किनारे कुछ जादा ही लाल सुर्ख थे, देखो किस तरह उसने तुम्हारी बीबी की बुर चियारी है बेचारी लाल हो गई , ढेला से अब रहा नही गया और चपर चपर कुत्तो की तरह बुर चाटने लगा, सच मर्द कुत्ता होता है जिधर बुर नजर आयी नही लगता है चाटने, ढेला बोल पड़ा मै कुत्ता तु इस घर की कुत्तिया, ढेला जीभ तेजी से चला रहा है मै सिसकारी लेने लगी हाये चाट लो, और तेजी से, जे सच है अब तो मै इस घर की कुत्तिया हूँ, ढेला तब तो यह जानती होगी कातिक मे कुत्तीया का क्या होता है, मै शर्म से लाल होते हुये हॉ जी कुत्तिया पर कुत्ते बारी बारी से चढते है, तो आज क्या होगा जानती है, हाये आज इस कुत्तिया की बुर चोदी जायेगी, चल अब कुत्तिया बन तेरी गांड चाटनी है, तब झट मे कुत्तिया बन गई, वो मेरे पीछे आये और मेरे दोनो चुतड़ो को हाथ से फैलाते हुये मेरी गांड के भूरे छेद का दिदार करने लगे, क्या मस्त गांड है और ऐसा कहते हुये वो बुर से लेकर गांड के छेद तक जीभ से चाटने लगे, कभी कभी वो मेरी गांड का छेद कस कर फैला देते और अपनी जीभ डालने का प्रयास करते तो मेरा रोवा रोवा गनगना उठता, मै उनका अंडरवियर उतार दिया उनका 6 इंची लंड फनफना कर बाहर निकल आया, लंड उनकी तरह ही गोरा था और सुपड़ा एकदम लाल मैंने उसे पकड हिलाया तो घुंघरू सी आवाज आयी मै समझ गई इन्होने आपेरेशन कर लंड के टोपे मे घुंघरू डलवाये है हमारे समाज मे कई लड़के ऐसा करवाते है चुदाई की ठाप के साथ जब घुंघरू बजते है तब एक अलग ही आंनद आता है, मैने झट से वो प्यारा लंड मुँह मे डाल लिया और किसी बच्चे की भाँति उसे चुसने लगी, ढेला बोला बडा मस्त चुसती है कुत्तिया, और चपर चपर मेरी बुर गॉड चाटने लगा तभी उसने अपने दोनो हाथो से मेरे बुर के दोनो होठो जबदस्त तरीके से फैला कर चाटने लगा, मै दर्द से ऊई माँ हाये ऊई छोड दो फट जायेगी हाये , ऐसे ही फैला कर चाट रहा था ना मेरा भाई, जी ऊई माँ, कातिक की कुत्तिया को देखती है उस पर कौन कुत्ता चढ रहा कुत्तिया जानती है , जी नही उसका काम बस चुदवाना है जी, तभी ढेला ने एक दोरदार थप्पड मेरे चुतड़ो पर मारा, मै दर्द से बिलबिला उठी, तब कुत्तिया तेरी हिम्मत कैसे हुई मेरे भाई की शिकायत करने की, कुत्तिया की तरह तेरी टाँग उठी रहनी चाहिये थी उसके सामने, तु उसकी भौजी है, फिर चाहे बुर फटे या चिथड़ा हो और यह कहते मेरी बुर और फैला दी, मै उई माँ बोल उठी आँखो से ऑसू लूडक आये और बुर से पानी नल की भाँति निकलने लगा वो चपर चपर चाटने लगे, देवर का मतलब समझती है ना, तेरी माँ ने बताया नही, जी देवर माने दूसरा वर मतलब दूसरा पति, पति के बाद औरत पर उसे चढने का हक है, इतना जानती है कुत्तिया तो तेरी टाँग उनके सामने अपने आप क्यों नही खुली, शर्म आ रही थी जी, तभी उन्होने एक जोरदार थप्पड मारा, हरामजादी कुत्तिया हाय रे तेरी शर्म,