बैलगाड़ी

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राजू की संभोग गाथा दिन प्रतिदिन पुनरुत्थान पर पहुंच रही थी,,,राजू कभी सपने में भी नहीं देखा था कि पूरे गांव में सबसे बड़ा चुडक्कड़ वही निकलेगा जो गांव की हर एक औरत और एक हर एक लड़की की बुक में अपना लंडरुपी झंडा गाडता फिरेगा,,,, और ऐसा भी नहीं था कि राजू ही पहल करता हो,,, जब तक औरत राजू के दमदार लंड का दर्शन नहीं कर लेती तब तक राजू को ही अपनी चिकनी चुपड़ी बातों में औरतों को विश्वास में लाना पड़ता था लेकिन जैसे ही औरतें राजू के दमदार लंड का दर्शन कर लेती थी उसके बाद राजू को कुछ भी करने की जरूरत नहीं पड़ती क्योंकि औरतें खुद मचल उठती थी राजू के मोटे दमदार को अपनी बुर की गहराई में लेने के लिए,,,,और एक बार राजू के साथ चुदाई कैसे प्राप्त कर लेने के बाद राजू को दोबारा उस औरत के दोनों टांगों के बीच जाने में दिक्कत नहीं होती थी क्योंकि औरतें खुद ही उसे अपनी दोनों टांगों के बीच लाने के लिए तड़प उठती थी,,,, ऐसे ही नए-नए किस्से रोज उसकी जिंदगी से जुड़ते जा रहे थे,,,,।

अपनी मां की गैरमौजूदगी रांजु ने अपनी बुआ के साथ गांड मराई का सुख भोग चुका था,,, और झुमरी की गैर हाजरी में श्याम के साथ मिलकर जिस तरह से उसने श्याम की मां की चुदाई का सुख प्राप्त किया था वह बेहद अद्भुत था और आज की रात भी एक बार फिर से तीनों के मिलन की रात थी,,,, आज भी राजू बहाना करके रात भर श्याम के घर रुका रह गया और रात भर श्याम के साथ मिलकर उसकी मां की जबरदस्त चुदाई का सुख प्राप्त किया,,,,, और यही कार्य गुलाबी रात भर अपने बड़े भाई के साथ करती रही,,,,,,।

सुबह उसे अपनी मां को लेने के लिए हवेली के लिए निकलना था इसलिए आज भी हरिया शाम तक घर पर ही अकेला गुलाबी के साथ समय व्यतीत करने वाला था इस बात की खुशी उसके चेहरे पर साफ झलक रही थी,,,, बेल गाड़ी लेकर राजू हवेली की तरफ जाने के लिए निकल गया था उसे इस बात की खुशी थी कि आते समय वह‌झुमरी को भी साथ लेकर आएगा लेकिन वह अपने मन में सोच रहा था कि जाते समय जिस तरह का हादसा और हरकत वह अपनी मां के साथ किया था और उसकी मां जिस तरह से खुलकर उसके साथ बातें करने लगी थी अगर ऐसा ही कुछ आगे बढ़ने लगा तो आते समय अकेलापन होने की वजह से वहां किस्मत साथ दे गई तो वह अपनी मां के साथ संभोग सुख प्राप्त करने का और उस अद्भुत सुख को प्राप्त करके अपने आप को खुशनसीब समझेगा लेकिन झुमरी को भी साथ लाने की लालच उसके मन में बस गई थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें,,,,,, यही सोचता हुआ वह कच्ची सड़क पर से बैलगाड़ी को हांकता हुआ चला जा रहा था कि पीछे से उसके कानों में आवाज सुनाई दी,,,।

ओ राजू,,,, अरे रुक तो,,,,,,
( राजू को यह आवाज भलीभांति परिचित लगी वह बैल की रस्सी को खींचते हुए बैल को रुकने का संकेत दे दिया था,, और पीछे नजर घुमा कर देखा तो दूर से सोनी चली आ रही थी,,,, हाथों में फलों की टोकरी लेकर,,,, साथ में अपनी मदमस्त अल्हड़ जवानी लेकर,,, ,,,,,राजू को साफ नजर आ रहा था की टोकरी में पके हुए आम रखे हुए थे जिसे वह अपनी कमर पर टोकरी को टीका कर उसकी और बढ़ती चली आ रही थी लेकिन राजू एक बात पर गौर कर रहा था कि टोकरी में रखे हुए फलों से ज्यादा उभार उसकी छातियों में था जोकि ब्लाउज में कैद होने के बावजूद भी बड़े साफ तौर पर अपना उभार दिखा रहे थे,,,। बड़े दिनों बाद वह सोनी को देखा था,, वैसे भी सोनी का मतलब खत्म हो चुका था राजू को प्राप्त करना ही उसके साथ संभोग सुख प्राप्त करना ही उसका मकसद था जो कि उसे प्राप्त हो चुका था,,, लेकिन कभी कबार वह राजु से मुलाकात कर लेती थी,,, क्योंकि राजू के लंड की मोटाई लंबाई का सांचा जो उसकी‌ बुर में बन चुका था,,,। राजू की नजर उसकी गोरे बदन पर ही थी हालांकि राजू सोनी के खूबसूरत जिस्म को भोग चुका था लेकिन मर्द तो आखिर मर्द होता है उसकी प्यास कहां बुझने वाली है,,,, सोनी बैलगाड़ी के करीब पहुंचकर बोली,,,।


अरे राजू तो बेल गाड़ी चलाने लगा मुझे तो अपनी आंखों पर भरोसा ही नहीं हो रहा था,, कहां हो आजकल नजर नहीं आते,,


वो क्या है ना छोटी मालकिन आजकल बहुत व्यस्त रहने लगा हूं बैलगाड़ी जो चलाने लगा हुं,,।

हां वह तो देख ही रही हूं,,,, मुझे मेरे हवेली तक छोड़ दे,,,


कोई बात नहीं छोटी मालकिन मैं वहीं से जा रहा हूं तुम्हें छोड़कर भी चला जाऊंगा,,,


बहुत अच्छा,,, ले यह आन की टोकरी पकड़कर बैलगाड़ी में रख ले,,,(आम की टोकरी को राजू की तरफ आगे बढ़ाते हुए सोनी बोली तो राजू तुरंत हाथ बढ़ाकर आम की टोकरी को अपने हाथों में ले लिया और उसे बैलगाड़ी में रखते हुए बोला,,,))

छोटी मालकिन आम से ज्यादा बड़ी-बड़ी तो तुम्हारी चुचिया है,,,


तभी तुझे मेरी याद नहीं आती,,,(बैलगाड़ी में चढ़ते समय इतना बोलकर सोनी मुस्कुराने लगी)

याद तो बहुत आती है छोटी मलकिन तुम्हारा अंग अंग एकदम खरा सोना है,,, तुम्हारी चूचियां तो सच में लाजवाब है,,,।

चल झूठा लाजवाब होती तो इन्हें मसल ने के लिए जरूर मेरे पास चला आता,,,,


आने को तो मैं कभी भी आ सकता था छोटी मालकिन लेकिन क्या करूं बड़े मालिक का दर्जा लगा रहता है अगर उन्हें हम दोनों के बारे में पता चल गया तो आप तो अच्छी तरह जानती हो कि हम दोनों का क्या होगा तुम्हारा तो फिर भी कुछ नहीं होगा लेकिन मेरा क्या होगा यह तो भगवान ही जानता है,,,


इतना डरते हो बड़े भैया से,,,

नहीं करता तो नहीं हूं लेकिन तुम्हारी चुदाई करते हुए अगर तुम्हारे भैया देख लेंगे तब तो डरना हीं पड़ेगा ना,,,,,


क्यों डर लगता है,,,, हम दोनों को देख भी लिए तो क्या होगा,,,?

क्या बात करती हो छोटी मालकिन कोई भी भाई अगर अपनी बहन को एकदम नंगी किसी लड़के के साथ देखेगा तो उसके दिल पर क्या गुजरेगी वह तो आग बबूला हो जाएगा जब यह देखेगा कि उसकी बहन की बुर में जवान लड़के का नंबर पूरा घुसा हुआ है और वह उसकी बहन की चूची पकड़कर धक्के लगा रहा,,, है,,।
(राजू की यह बातें सुनकर सोनी एकदम गरम होने लगी और राजू की बात सुनकर बोली,,)

वाह राजू तेरी बात ही कुछ और है साला उदाहरण भी ऐसा देता है कि बुर से पानी निकल जाता है,,,,


तुम्हारा निकला क्या छोटी मालकिन,,?(बेल को हांकते हुए जिज्ञासा वस राजु बोला,,,)

अरे तो क्या साली चड्डी गीली हो गई,,,(साड़ी के ऊपर से ही अपनी चड्डी और उसकी यह हरकत राजू पीछे नजर घुमा कर देख लिया था जिससे पजामे के अंदर उसका लंड खड़ा होने लगा था,,,,)

हाय छोटी मालकिन तुम्हारी यही अदा तो पागल कर देती है,,,,


पर तूने जो बुर में आग लगा दिया है उसका क्या,,,?

बुझा लो,,,, वैसे छोटी मालकिन जो तुम साड़ी के अंदर पहनती हो ना चड्डी तुम पर बहुत अच्छी लगती है लेकिन गांव की कोई भी औरत चड्डी नहीं पहनती,,,,

क्यों तू गांव की सारी औरतों की साड़ी उठा उठा कर देखा है क्या,,,?

नहीं नहीं ऐसा शुभ अवसर मुझे मिला तो नहीं है लेकिन जानता जरूर हूं,,,, तुम जब सारे कपड़े उतार कर सिर्फ चड्डी में खड़ी रहती हो ना लंड की हालत खराब हो जाती है ऐसा लगता है कि लंड़ की वंश फट जाएगी,,,,


तुझे चड्डी में, मैं इतनी खूबसूरत लगती हुं,,,,

पूछो मत छोटी मालकिन चड्डी में तो तुम स्वर्ग से उतरी अप्सरा लगती हो,,,
(राजू की बात सुनकर सोनी मन ही मन बहुत खुश हो रही थी राजू पूरी तरह से उसका दीवाना हो चुका था काफी दिनों बाद मिल रहा था लेकिन फिर भी दीवानगी उसी हद की थी जैसे कि पहले,,,)

तो ले तुझे मेरी चड्डी ‌ईतनी अच्छी लगती है ना,,,, तो ले,,,(इतना कहने के साथ ही बैलगाड़ी में बैठे-बैठे ही वह साड़ी को अपनी जांघों तक खींच दीराजू पीछे पलट कर देखने लगा तो हक्का-बक्का रहेगा उसकी आंखों के सामने ही सोनी अपनी साड़ी को जांघों तक खींचकर अपनी गोल-गोल गांड को हल्के से उठाकर अपनी चड्डी को अंगुलियों का सहारा देकर उतारने लगी और देखते ही देखते राजू की आंखों के सामने ही उसकी मोटी मोटी चिकनी जांघों से होती हुई उसकी लाल रंग की चड्डी उसकी लंबी टांगों से होती हुई बाहर निकल गई राजू तो देखता ही रह गया और अपनी लाल रंग की चट्टी को अपने हाथ में लेकर अपनी साड़ी को ठीक करके,,, राजू के चेहरे पर चड्डी को फेंकते हुए बोली,,,) ले अपने पास रख लेना मेरी निशानी,,,मुझे पूरा यकीन है कि मेरी चड्डी देख देख कर तो बहुत तड़पेगा और तब तु मेरे पास जरूर आएगा,,,(सोनी ने बड़े प्यार से अपनी चडडी कोउतारकर राजू के चेहरे पर दे मारी थी राजू अपने चेहरे पर से सोने की लाल रंग की चड्डी को अपने हाथ में लेकरउसे नाक पर लगाकर उसकी खुशबू को अपने अंदर खींचने लगा,,, राजू की बातों से सोनी की बुर गीली होने लगी थी उसमें से नमकीन पानी निकलने लगा था जो कि चड्डी के आगे वाले भाग को पूरी तरह से गिला कर चुका था और उस गीलेपन में से सोनी की बुर‌की मादक खुशबू आ रही थी जिसे मां को के द्वारा अपने सीने में उतारते ही राजू के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,, लंड की नसों में रक्त का प्रवाह बड़ी तेजी से होने लगा वह गहरी सांस लेकर चड्डी की मादक खुशबू को अपने अंदर उतारते हुए बोला,,,)

हाय इसमें से तो तुम्हारी बुर की खुशबू आ रही है बाप रे तुमने तो मेरा लंड खड़ा कर दी,,,,(राजू की बात सुनकर उसकी हालत को देखकर सोनी मन ही मन खुश होने लगी,,, और बोली,,,,)


और तूने जो मेरी बुर में आग लगा दिया है उसका क्या,,,तूं तो जल्दबाजी में लग रहा है,,,, वैसे तू जा कहा रहा था,,,


अरे वही पास वाले गांव में हवेली में शादी थी वही जा रहा हूं अपनी मां को लेने,,,,


अरे वही तो मेरे भैया भी गए हुए हैं और वह भी आज आने वाले हैं राजू हवेली में इस समय कोई नहीं है सही मौका है,,,,,

क्या सच में हवेली में कोई नहीं है,,,?(राजू भी खुश होता हुआ बोला)

अरे हां कोई भी नहीं है अपनी मां को लेने जाने से पहले तू मेरी प्यास बुझा दे राजू,,,,

तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो छोटी मालकिन मेरा लंड भी बेकरार है तुम्हारी बुर में जाने के लिए,,,।
(इतना कहने के साथ ही राजू बैल को थोड़ा जोर से हांकने लगा,,, ताकि वहां जल्दी से पहुंच जाए,,,,सोनी की चड्डी अभी भी उसके एक हाथ में थी जिसे वह बार-बार अपनी नाक से लगा कर सुंघ ले रहा था यह देख कर सोनी के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगती थी,,, वाह राजू की हालत को देखते हुए बोली,,)

तुम यह चड्डी अपनी बुआ को दे देना नहीं तो अपनी मां को तुम्हारी मां तो वैसे भी बहुत खूबसूरत है उसकी गोरे बदन पर लाल रंग की चड्डी और ज्यादा खूबसूरत लगेगी,,,।
(सोनी की बात सुनकर कुछ देर के लिए तो राजू कल्पना की दुनिया में खोने लगा था और अपनी मां के बारे में कल्पना करने लगा था कि उसकी मां के लाल रंग की चड्डी पहन कर कैसी दिखेगी,,,, वहएकदम साफ तौर पर कल्पना कर पा रहा था कि उसकी मां पूरी तरह से नंगी होकर जब लाल रंग की चड्डी पहने की तो उसकी बड़ी बड़ी गांड चड्डी के अंदर और ज्यादा खूबसूरत लगेगी,,,, इस कल्पना से तो उसका लंड और ज्यादा टन टना गया,,,,,, लेकिन वह जानता था कि भले वह सोनी की चड्डी अपने साथ अपने घर पर ले कर चला जाए लेकिन वह अपनी मां को इतनी कीमती चड्डी क्या बोल कर देगा इतना तो मैं जानता ही था कि उसकी मां ने कभी चड्डी देखी भी नहीं होगी,,,, और अगर वह ले भी लेगी तो पूछेगी जरूर की लाया कहां से,,,, अब वह खरीद तो सकता नहीं था,,, और यह भी नहीं कह सकता था कि छोटी मालकिन ने उसे इनाम के तौर पर दी है,,, भला एक औरत जवान लड़के को अपनी चड्डी ईनाम के तौर पर क्यों देगी,,, इसीलिए राजू को सोनी की चड्डी अपने साथ ले जाना ठीक नहीं लग रहा था इसलिए वह बोला,,,)


नहीं नहीं छोटी मालकिनमैं तुम्हारी चड्डी अपने घर पर तो लेकर जा सकता हूं लेकिन अपनी मां को क्या बोल कर दूंगा,,,,,,

हां यह बात भी सही है,,,,, चलो कोई बात नहीं अपने पास रखे रहना जब मेरी याद आए तो मेरी चड्डी देख लेना,,,


यह तो और भी मुश्किल है मालकिन,,,


ऐसा क्यों,,,?


तुम्हारी चड्डी देखते ही मुझे तुम्हारी याद आने लगेगी तुम्हारी गोरी गोरी बड़ी बड़ी गांड तुम्हारी दूर,,,, नहीं नहीं तब तो मुझसे रहा नहीं जाएगा,,,,


अरे तब तो और भी अच्छा है तुझसे रहा नहीं जाएगा और तुझे मेरे पास आना ही पड़ेगा,,,,(उसका इतना कहना था कि बातों ही बातों में उसकी हवेली आ गई और वह बोली)
देख तो सही कितनी जल्दी हवेली आ गई,,, बस कर राजु जल्दी से चल अंदर मुझसे रहा नहीं जा रहा है,,,(इतना कहने के साथ ही वह खुद ही बेल गाड़ी पर से नीचे उतर गई और हवेली के अंदर जाने लगे राजू की जल्दी से बैलगाड़ी को वही खड़ी करके सोनी के पीछे पीछे हवेली में जाने लगा,,,,
 
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सोनी आगे आगे तरबूज जेसी गांड को मटकाते हुए हवेली में प्रवेश कर रही थी और पीछे राजू पजामे के ऊपर से ही अपने लंड को सहलाता हुआ हवेली में प्रवेश कर रहा था,,,। राजू पहली बार लाला की हवेली में प्रवेश कर रहा था हवेली को अब तक उसने बाहर से ही देखा था अंदर से कैसा दिखता है इस बारे में उसने कभी अंदाजा भी नहीं लगाया था,,इसलिए उसके तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी एक तो कुछ ही देर में वह अपने प्यासे लंड को सोनी की गोरी बुर में डालने वाला था और हवेली अंदर से कैसी नजर आती है यह देखने वाला था,,,।

आओ राजु तुम पहली बार हवेली में आ रहे हो ना,,,(हवेली के अंदर प्रवेश करते हुए सोनी बोली)



हां छोटी मालकिन,,,बाहर से तो बहुत बार देखा था लेकिन अंदर से हवेली कैसी नजर आती है आज भी पहली बार देखने जा रहा हूं,,,( और इतना कहते हुए राजू हवेली में प्रवेश कर गया और अंदर पहुंचते ही हवेली की रौनक देखकर दंग रह गया,,, राजू गोल-गोल घूम कर हवेली को देख रहा था,,,)

बाप रे यह तो महल है छोटी मालकिन,,,, तुम इतने बड़े घर में रहती हो,,,


अब क्या करूं रहना पड़ता है,,,, जमीदार के घर जो पैदा हुए हुं,,,


सच में छोटी मालकिन तुम महारानी से कम नहीं हो,,,


और ईस महारानी के महाराजा तुम हो राजू,,,,
(सोनी राजू की तरफ मुस्कुराकर देखते हुए बोली राजू सोनी के कहने का मतलब को अच्छी तरह से समझ रहा था,, राजू भ6 मुस्कुरा दिया,,,, सोनी से दोनों की बीच की दूरी बर्दाश्त नहीं हो रही थी क्योंकि काफी समय हो गया था राजू से चुदवाए और इसमौके गांव अच्छी तरह से फायदा उठा लेना चाहती थी इसलिए बिना देर किए वह राजू से बोली,,,)

राजू मेरे कमरे में चलते हैं,,,, वहीं पर मुझे सुकून मिलेगा,,,,


कहां है तुम्हारा कमरा छोटी मालकिन,,,


यह सीढ़ियों से चढ़कर बाएं तरफ वाला कमरा मेरा है,,,,


तब तो वहां तक चलने की जहमत तुम्हें नहीं उठाना होगा,,

मतलब,,!(सोनी आश्चर्य जताते हुए बोली)



मतलब की,,,(और इतना कहने के साथ ही राजू आगे बढ़ा और सोनी को तुरंत अपनी गोद में उठा लिया,,, सोनी तो एकदम घबरा गई,,,,उसे लगा कि राज्यों से नीचे गिरा देगा उसका वजन सह नहीं पाएगा लेकिन तभी उसे इस बात का एहसास हुआ कि यह राजू के लिए पहली बार नहीं था उसे गोद में उठाना वह आम के बगीचे में कहीं बाहर उसी गोद में उठाकर उसकी बुर में लंड डालकर अच्छे से चुदाई कर चुका है,, सोनी राजू के दमखम से अच्छी तरह से वाकिफ थी उसके बावजूद उन्हें बहुत दम था इसलिए सोनी मुस्कुराने लगी,,,,और राजू अपनी गोद में उठाए हुए उसे सीढ़ियां चढ़ने लगा,,,)

तुम्हें दिक्कत हो जाएगी राजू मुझे उतार दो मैं चलती हूं,,,


तुम मेरे लिए एकदम रुई के वजन के बराबर हो तुम जैसी खूबसूरत औरत को गोद में उठाना तो किस्मत की बात है और मैं अपनी इस किस्मत को खराब नहीं होने देना चाहता भला किसी का नसीब होगा जो महलों में रहने वाली महारानी को अपनी गोद में उठाकर उसके बिस्तर तक ले जाए और उसकी चुदाई करें,,,


बातों में तेरा कोई जवाब नहीं है राजू,,,, सच में मुझे भी तेरी गोद में बहुत अच्छे से सुकून मिलता है,,,,


तुम्हें मेरी गोद में सुकून मिलता है और मुझे तुम्हारी बुर में,,,,तुम नहीं जानती कि मेरा लैंड कितना तड़प रहा है तुम्हारी बुर में जाने के लिए,,,


खड़ा हो गया है क्या,,,!


तुम जैसी खूबसूरत औरत के करीब रहने पर भी अगर लगने खड़ा ना हो तो वह मर्द नहीं है,,,,तुम जब भी मेरे पास होती हो तो मेरा लंड बैठने का नाम ही नहीं लेता जब तक कि तुम्हारी बुर की शेर ना कर ले,,,



सच कहूं तो राजू मुझे भी तेरे लंड की आदत हो गई है जब तक तेरा लंड मेरी बुर की गहराई नापने लेता तब तक मुझे गहरी नींद नहीं आती मुझे चैन नहीं मिलता इतने दिनों से तो मेरे पास नहीं आया था मैं इतने दिन कैसे गुजारी हूं मैं ही जानती हूं,,,,,


तो पढ़ाना क्यों बंद कर दी पढ़ाना चालू रखना चाहिए था ना रोज हम दोनों की मुलाकात हो जाती पढ़ने के बहाने,,,


वह तो ठीक है लेकिन मैं नहीं चाहती थी कि किसी को हम दोनों के बीच शक हो और तेरा दोस्त है ना शयामवह हमेशा मुझे शक की निगाह से देखता था क्योंकि मैं तेरे पर ज्यादा ध्यान देती थी ना इसके लिए,,,, इसलिए मुझे पढ़ाई बंद करना पड़ा और वैसे भी सच कहूं तो,,,, तुम लोगों को पढ़ाने का इरादा सिर्फ तेरे करीब आने के लिए था,,,


मेरे करीब,,,(राजू उसी तरह से धीरे-धीरे सोनी को गोद में उठाए हुए सीढ़ियां चढ़ता हुआ आश्चर्य जताते हुए बोला)

हां तेरे करीब,,, क्योंकि 1 दिन में चोरी-छिपे तेरे लंड को देख ली थीजब तुम हाथ में पकड़ कर हिला हिला कर अपने दोस्तों को दिखा रहा था उस दिन से मेरी नजर तेरे पर ही थी,,,,

ओहहहहह,,,, तो तुम्हें मेरा लंड पसंद आ गया था,,


अब करती भी क्या,,, तेरा लंड था ही इतना जानदार कि मुझसे रहा नहीं गया,,,,


हाय मेरी जान अब तो मुझसे रहा नहीं जा रहा है,,,,(इतना कहते हुए राजू सीढ़ियां चढ़कर और सोनी से बोला)

कौन सा कमरा है मेरी रानी,,,,


वो,,(उंगली से दिखाते हुए) जिसका दरवाजा खुला हुआ है वही मेरा कमरा है,,,,


बस कर मेरी रानी आज तो तेरी बुर का भोसड़ा बना दूंगा,,,


तो बना देना रे रोका किसने है,,,, मैं तो कब से यही चाहती हूं कि तू अपना लंड डाल डाल कर मेरे बुर का भोसड़ा बना दे,,,,


तो आज ऐसा ही होगा मेरी छोटी मालकिन,,, आज दिखाऊंगा की असली जुदाई क्या होती है अब तक तो चोरी छुपे बगीचे में ही चुदवाती आ रही थी,,, आज तुम्हारे कमरे में तुम्हारी जमकर चुदाई करूंगा,,,,।

(राजू की बातें सुनकर सोनी मुस्कुरा रही थी साथ ही उसकी बुर में खलबली मची हुई थी उसकी बातों से ऐसा ही लग रहा था कि आज उसकी प्यास पूरी तरह से बुझ जाएगी और इसकी खुशी में सोनी की बुर पानी पानी हुए जा रही थीउत्तेजना के मारे सोनी गहरी गहरी सांसे ले रही थी और राजू की गोद में उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां ऊपर नीचे होती हुई राजू को साफ नजर आ रही थी कमरे में प्रवेश करते ही राजू नरम नरम गद्दे पर सोनी को पटक दिया,,,, बिना देरी किए अपने सारे कपड़े उतार कर नंगा हो गया,,, सोनी पीठ के बल लेटी हुई थी और हाथ का सहारा लेकर अपनी नजरों को राजू के नंगे बदन पर ऊपर से नीचे तक घुमा रही थी,,,। सोनी की आंखेंराजू के खड़े लंड को देखकर फटी की फटी रह गई थी उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि आज राजू का लंड कुछ ज्यादा ही मोटा और लंबा नजर आ रहा थाराजू उत्तेजना के मारे अपने लंड को छुए बिना ही उसे ऊपर नीचे ठुनकि मार रहा था यह देखकर सोनी की हालत खराब होने लगीउसकी पूर्व में हलचल होने लगी ,,, उसे लगने लगा कि आज राजू उसकी जमकर चुदाई करने वाला है,,,, राजू के लंड की तरफ देखते हुए सोनी बोली,,,


राजू तेरा लंड आज कुछ ज्यादा ही मोटा और लंबा नहीं लग रहा है,,,


हां मेरी छोटी मालकिन आज कुछ ज्यादा ही मस्ती में आ गया है क्योंकि आज तुम्हारे हवेली में तुम्हारे कमरे में तुम्हारी चुदाई जो करने वाला है,,,,(इतना कहते हुए आगे बढ़ा और बड़े से पलंग पर अपना घुटना रखकर सोने की दोनों टांगों के बीच बैठता हुआ अपने दोनों हाथों से उसकी टांग को पकड़कर अपनी हथेली को ऊपर की तरफ ले जाने लगा जिससे उसकी साड़ी ऊपर की तरफ सरकने लगी,,,, सोनी की सांसे ऊपर नीचे हो रही थीउसे अच्छी तरह से मालूम था कि समय ज्यादा नहीं है क्योंकि राजू को बगल वाले गांव में भी जाना था इसलिए वह कितना देर की है अपने हाथों से ही अपने ब्लाउज के बटन खोलने लगी और देखते ही देखते जब तक राजू उसकी मोटी चिकनी जांघों तक आता वह अपने हाथों से अपने ब्लाउज के सारे बटन खोल चुकी थी और अपनी बड़ी-बड़ी चूचियों को नंगी कर चुकी थी जिस पर राजू की नजर पड़ते उसके मुंह में पानी आने लगा,,,, राजू शायद सोनी को पूरी तरह से नंगी करने के मूड में बिल्कुल भी नहीं था इसलिए सोने की साड़ी को एकदम कमर तक उठा दिया था और उसकी चिकनी बुर को देखकर पानी-पानी हुआ जा रहा था साड़ी के नीचे सोनी की नंगी बुर को देखकरराजू को याद आया कि सोनी ने अपने हाथों से अपनी चड्डी उतार कर उसके मुंह पर दे मारी थी जिसे वह अपने पजामी के जेब में रख लिया था,,,, उत्तेजना के मारे अपनी हथेली को सोनी की बुर पर रखकर उसे जोर से अपनी हथेली में दबोच ते हुए बोला,,,,।


सहहहहहह आहहहहहहह मेरी रानी तुम्हारी बुर बहुत गर्म है और बहुत पानी छोड़ रही है,,,,


तू गरम में जो कर दिया है तो बुर की हालत तो खराब होगी ही होगी,,,,


चिंता मत कर मेरी रानी गर्म मैंने किया हूं तो ठंडा भी मै हीं करूंगा,,,,(और इतना कहने के साथ ही राजू बिल्कुल भी देर न करते हुए अपने पैसे होटल को सोने की दहकती हुई बुर पर रखकर उसकी मलाई को चाटना शुरू कर दिया,,,काफी दिन हो गए थे सोनी को अपनी बुर पर मर्दाना होंठों का स्पर्श महसूस किए इसलिए जैसे ही राजू के होंठों का स्पर्श उसकी बुर की गुलाबी पत्तियों कर हुआ उसे सही बिल्कुल भी सहन नहीं हुआ और वह अपने दोनों हाथों को आगे की तरफ लाकर राजू के सिर पर रख दी और उसे जोर से अपनी बुर पर दबा दी,,, और एकदम से उसके मुंह से गर्म सिसकारी फूट पड़ी,,,।

सहहहह आहहहहहहहहह राजु मेरे राजा अब सब कुछ तेरे हाथ में ही है,,,,

राजू अच्छी तरह से जानता था कि औरतों को कैसे संतुष्ट किया जाता है उनके अंगों से कैसे खेला जाता है,,, इसलिए राजू को किसी के भी दिशानिर्देश की जरूरत बिल्कुल भी नहीं की वह औरतों को खुश करने में हर एक तरह से काबिले तारीफ था जिसकी सराहना खुद औरतें भी करती थी,,,, इसीलिए सोनी अपने आपको राजू के हाथों में सौंप चुकी थी,,,, राजू देखते ही देखते अपनी जीभ की नोक को जितना हो सकता था उतना उसके गुलाबी पत्तियों के बीच के गुलाबी छेद में अंदर की तरफ डालकर उसकी मलाई को चाटना शुरू कर दिया था,,,,, औरतों की बुर की मनाई भी अजीब नशा देती है जितना नशा शराब की 4 बोतलों में नहीं होता हम इतने में से केवल औरतों के बुर की नमकीन रस में होता है जिसे अपना जीभ लगाकर चाटने का मजा ही कुछ और

होता है और उस नशे को राजू बखूबी अपने अंदर उतार रहा था जैसे-जैसे वह सोने की खूबसूरत चिकनी बुर की मलाई अपने अंदर उतारता वैसे-वैसे उसका जोश बढ़ता जा रहा था,,,,,,,।


सोनी की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी अपने बड़े भाई की गैर हाजिरी में वह राजू को अपनी हवेली लेकर आई थी सिर्फ चुदवाने के लिए,,, अगर इस बारे में उसके भाई को जरा भी भनक लग जाए तो शायद इसका अंजाम बहुत बुरा हो जिसके बारे में खुद सोनी भी कल्पना करके दहल उठती थी लेकिन क्या करें जवानी का जोश और बुर की गर्मी उसे सब कुछ जानते हुए भी इस तरह के कदम उठाने पर मजबूर कर दिया सोनी अपने ही कमरे में अपनी ही बिस्तर पर अर्धनग्न अवस्था में पीठ के बल लेटी हुई थी और गांव के जवान लड़के से अपनी बुर चटवा रही थी जिसमें दोनों को आनंद की परम अनुभूति हो रही थी,,,, सोनी की नंगी चूचियां उसकी उत्तेजना के साथ रह रहे कर उछल पड रही थी,,, बदन में अजीब सी कशमकश भरी हुई थी राजू की जीभ को अपनी बुर के अंदर महसूस करके सोनी का पूरा वजूद मचल उठ रहा था,,, उत्तेजना के मारे सोनी की ओर से कुछ ज्यादा ही पानी निकल रहा था,,, लेकिन क्या मजाल थी कि राजू मुंह से निकला हुआ नमकीन पानी की एक भी बूंद को नीचे बिस्तर पर गिरने से वह हर एक बूंद को अपनी जीभ लगाकर अपने गले के नीचे उतार लेना था मानो कि जैसे उसकी बुर से उसका मदन रस ना होकर अमृत की धार बह रही हो,,,, और जिसे अपने अंदर ग्रहण करके राजू को एक नया जीवन मिल रहा हो,,,।

राजू पूरी तरह से सोने की दोनों टांगों के बीच कब्जा जमाया हुआ था और सोनी उसका हौसला बढ़ाते हुए उसके बालों को अपने दोनों हथेली में कस के पकड़ कर उसके मुंह को बार-बार अपनी बुर पर दबा दें रही थी जोकि सोनी की तरफ से राजू के लिए पूरी तरह से खुला संदेश था कि वह उसके साथ जैसा चाहे वैसा मनमानी कर सकता है और इसी छूट को पाकर राजू एक साथ अपनी दो उंगली को उसकी पूर्व में डाल दिया था और उसे अंदर बाहर करके उसे और ज्यादा गर्म करने की कोशिश कर रहा था,,,, गुलाबी छेद में राजू की दो ऊंगली का प्रवेश सोनी के लिए असहनीय हो रहा था,,, क्योंकि वह उत्तेजना से मरी जा रही थी वह जल्द से जल्द अपनी बुर में राजू के लंड को महसूस करना चाहती थी उसके धक्के को महसूस करना चाहती थी,,,राजू तो जैसे उसे और ज्यादातर पाना चाहता था इसलिए एक हाथ की दो मिनी बुर में डाले हुए भी दूसरे हाथ के ऊपर की तरफ ले जाकर उसकी बड़ी बड़ी चूची को पकड़कर दबाना शुरू कर दिया था मानों जैसे उसके हाथों में सोनी की चूची नहीं बल्कि दशहरी आम आ गया हूं जो कि अभी अभी वह टोकरी में भरकर बैलगाड़ी में रखकर आया था और वह भी सोनी का ही दीया हुआ था,,,।चूची को जोर जोर से दबाने पर सोने की हालत और ज्यादा खराब होने लगी चारों तरफ से राजू अपनी हरकतों से सोनी को अपने काबू में अपने कब्जे में कर लिया था,,, राजू की हरकतों से सोनी पूरी तरह से मस्त हुए जा रही थी,,, विक्रम सिसकारी लेते हुए बोली।


सहहहह आहहहहहहहहह,,, राजू तूने तो मुझे पागल कर दिया है रे,,, मेरी बुर तड़प रही है तेरे लड़ने के लिए,,,आहहहहह कितना जोर से दबाता है तु,,,,ऊहहहहहहह उंगली से ही मेरी बुर फाड़ देगा क्या,,,,,


सोने की गरमा गरम बातों को सुनकर राजू पूरी तरह से मदहोश हो जा रहा था लेकिन मुंह से अपना जवाब देने के बजाय वह अपनी हरकतों से उसके हर एक बात का जवाब दे रहा था,,,,,वह कभी सोनी की बाईं चूची तो कभी दांई चूची को एक हाथ से ही दबा दबा कर टमाटर की तरह लाल कर दिया था,,,,, सोनी की तड़प देखकरराजू समझ गया था कि लोहा पूरी तरह से खराब हो चुका है लेकिन अभी इस लोहे को थोड़ा और ज्यादा गर्म करने के उद्देश्य से राजू,,, सोनी की बुर पर से अपना पकड़ ढीला करते हुए उठा और सोनी के ऊपर लेट कर उसकी चूची को मुंह में लेकर दबाना शुरू कर दिया,,,अपने ऊपर राजू को लटका हुआ देखकर सोनी अपनी दोनों टांगों को खोल दी और ऐसा करने पर राजू का लंड सोनी की बुर की ऊपरी सतह पर रगड़ खाने लगा,,,,, सोनी पागल हुए जा रही थी मदहोशी में वह अपना सर दाएं बाएं पटक रही थी वह जल्द से जल्द चाहती थी कि राजू का लंड उसकी बुर के अंदर घुस जाए,,,, लेकिन राजू था कि उसे और ज्यादा तड़पा रहा था वह दोनों हाथों से उसकी बड़ी-बड़ी चूचियों को पकड़ कर बारी-बारी से मुंह में लेकर चुस रहा था,,,, इससे सोनी की बेकरारी बढ़ती जा रही थी,,,,सोनी पूरी तरह से हैरान थी कि राजू औरतों को पूरी तरह से खुश करने का हुनर अच्छी तरह से जानता था वरना दूसरों की तरह बस धक्के मारकर साथ नहीं हो जाता था और उसकी ताकत से भी भलीभांति परिचित हो चुकी थी क्योंकि वह जानती थी कि इतने में तो दूसरा कोई होता तो पानी फेंक दिया होता जैसा कि खुद उसका बड़ा भाई,,,,

सोनी से सहा नहीं जा रहा था इसलिए अपना हाथ नीचे की तरफ लाकर राजू के लंड को पकड़ लिया और उसे अपनी गुलाबी बुर के छेद के मुहाने पर रख कर उसे अंदर डालने के लिए अपने दोनों हाथों को राजू के नितंबों पर रखकर उसे दबाने लगी,,,,,,,उसकी यह कोशिश रंग लाने लगी देखते ही देखते राजू का लंड उसकी चिकनी बुर के अंदर प्रवेश करना शुरू कर दिया,,,, और राजू भीअपने लंड को सोनी की बुर में जाने से बिल्कुल भी नहीं रोका क्योंकि वह सोने की तड़प को और ज्यादा बढ़ाना चाहता था,, गरम आहें भरते हुए अपनी कोशिश को सफल होता देखकर सोनी राजू के नितंबों को कस के पकड़ कर उसे नीचे की तरफ दबाने लगी और देखते ही देखते राजू का अंदर ने पूरी तरह से सोनी की बुर की गहराई में खो गया,,,, राजू ने बुर में लंड प्रवेश करने के बावजूद भी अपनी कमर को बिल्कुल भी नहीं हीलाया और उसे तुरंत बाहर निकाल कर सोनी के खूबसूरत चेहरे को देखने लगा कि लंड के बाहर निकल जाने पर सोनी के चेहरे का हाव भाव कैसे बदलता है,,,राजू की यह हरकत बिल्कुल वैसी ही थी जैसे किसी बच्चे के हाथ से उसका पसंदीदा खिलौना छीन लिया गया हो तो ठीक वैसा ही सोनी का भी हावभाव था,,, सोनी के चेहरे पर लंड को बाहर निकालने की तरफ साफ नजर आ रही थी वह अपनी आंखों में दया भाव लिए हुए राजू की तरफ देख रही थी कि वह ऐसा क्यों किया,,,, सोनी की आंखों को पढ़कर राजू उसके मन की बात को जान लिया था और तुरंत उसके होठों पर अपने होंठ को रखकर उसके लाल लाल होठों का रसपान करने लगा और लगातार जानबूझकर अपने लंड को उसकी बुर के ऊपरी सतह पर रगड़ खाने दिया,,,,, जिससे सोनी पूरी तरह से मचल रही थी,,,,,,,।

कुछ देर तक उसके होठों का रसपान करने के बाद राजू खड़ा हुआ और घुटनों के बल बैठकर सोनी की बाहों को पकड़कर उसे बैठा दिया और उसके सर पर अपना हाथ रख कर उसे अपने खड़े लंड की तरफ खींचने लगा सोनी उसके सारे को अच्छी तरह से समझ गई थी और अगले ही पल राजु का‌ लंड उसके मुंह के अंदर थाजिसे वह चूसना शुरू कर दी थी लंड चूसने में भी सोनी को बहुत मजा आता था और खास करके राजू के क्योंकि सही मायने में सोचने लायक राजू का ही था जो कि मुंह में जाते ही पूरा मुंह भर जाता था,,,,,राजू पूरी तरह से मस्ती के सागर में गोते लगाने लगा हुआ अपनी आंखों को बंद करके हल्की-हल्की अपनी कमर को आगे पीछे करके हिलाना शुरू कर दिया,,,,,

सोनी की बुर में आग लगी हुई थीजिसे वह जल्द से जल्द राजू के लंड से निकले फुआरे से बुझाना चाहती थी,,,, राजू की अच्छी तरह से जानता था कि गर्म लोगों पर हथोड़ा कब मारना है,,,,,,इसलिए वह तुरंत स्थिति को काबू में रहते हुए अपने लंड को सोनी के मुंह में से बाहर निकाला,,, और उसे धक्का देकर पीठ के बल लेटा दीया,,, सोनी की बुर में हलचल होने लगी क्योंकि वह समझ गई कि अब राजू का लंड उसकी बुर की सैर करने वाला है,,,, राजू गहरी गहरी सांसे ले रहा था जिससे पता चला रहा था कि सोनी के साथ उसे कितना मजा आ रहा था,,, देखते ही देखते राजू सोनी की दोनों टांगों के बीच जगह बना लिया,,,, राजू भाई जल्द से जल्द अपने लंड को सोनी की बुर में डाल देना चाहता था,,, क्योंकि गांव की औरतों को और हवेली की महारानी को चोदने में जमीन आसमान का फर्क था भले ही सभी औरतों के पास एक जेसीबी बोर होती है लेकिन हर एक औरत का चरित्र अलग-अलग होता है और मर्द हर एक औरत के चरित्र को लेकर उत्तेजित होता है और इस समय राजू के साथ भी ऐसा हो रहा था,,, वह महलों में रहने वाली सोनी को अपनी आंखों के सामने नंगी और उसे चोदने की खुशी में कुछ ज्यादा ही उत्तेजित और उत्तेजना का अनुभव महसूस कर रहा था ऐसा उत्तेजना उसे कभी-कभी महसूस होता था खास करके अपनी मां के साथ,,,।


राजू अपने दोनों हाथों से सोनी की चिकनी मोटी जांघों को पकड़कर फैलाते हुएअपने लिए अच्छी तरह से जगह बना लिया था और अपने लंड को उसके गुलाबी छेद पर रख कर एक करारा चक्कर में ही पूरा का पूरा लंड उसकी बुर की गहराई में उतार दिया था,,, काफी दिन हो गए थे राजू के लंड को अपनी बुर में लिए इसलिए सोनी को हल्का सा दर्द महसूस हुआ और उसके मुंह से आह निकल गई,,,,


क्या मेरी जान अभी भी दर्द करता है,,,


काफी दिन हो गए ना इसके लिए,,,


हाय मेरी रानी तेरी यही अदा तो मुझे पागल कर देती है,,, आज देखना में कैसे तेरी बुर का भोसड़ा बनाता हूं,,,
(इतना कहने के साथ राजू अपने मोटे तगड़े लंबे लंड को धीरे-धीरे करके अंदर बाहर करना शुरू कर दिया राजू का लंड भले ही सोनी की बुर के अंदर अपना सांचा बना चुका था लेकिन फिर भी उसकी रगड़ और पकड़ बरकरार थी,,, जिसका मजा सोनी पूरी तरह से उठा रही थी राजू अपने दोनों हाथ आगे की तरफ लाकर उसके दोनों दशहरी आम को पकड़कर जोर-जोर से दबाता हुआ अपनी कमर हिला रहा था,,,, महलों की रानी को चोदने में राजू को अद्भुत सुखी की अनुभूति होती थी,,,, सोनी अपनी दोनों टांगें छितरा कर छिनार की तरह गांव के लड़के से चुदवा

रही थी,, पूरे कमरे में फचच फचच की आवाज गूंजने लगी,,, साथ ही सोनी की गरम सिसकारियां और भी ज्यादा मादकता का रस घोल रही थी,,,,

राजू के हर एक धक्के के साथ उसका लंड सोने की बुर की गहराई नापते हुए उसके बच्चेदानी पर ठोकर मार रहा था और जब जब राजू के लंड की ठोकर सोनी को अपने बच्चेदानी पर महसूस होती थी तब तक वह उछल पड़ती थी,,, राजू के धक्के इतने तेज थे कि भारी भरकम पलंग भी हचमचा जा रही थी,,,, और इसी दमखम की तो सोनी कायल थी,,, पूरे जोश के साथ सोनी राजू के हर एक धक्के का सामना कर रही थी,,,, दोनों पसीने से तरबतर हो चुके थे आखिरकार मेहनत भी उतनी कर रहे थे,,,।

राजू के हर धक्के के साथ सोनी की आह निकल जाती थी,,,जिसकी वजह से राजू का जोश और ज्यादा बढ़ जाता था और वह दुगनी ताकत के साथ लगातार धक्के पर धक्के पेल रहा था,,, सोनी इस दौरान एक बार झड़ चुकी थी लेकिन राजू अभी भी बरकरार था टिका हुआ था क्योंकि वह चुदाई के मामले में एक मजा हुआ खिलाड़ी था,,, जो कि अपना पूरा जोहर पलंग पर दिखा रहा था,,,तकरीबन 40 मिनट की जबरदस्त चुदाई के बाद राजू की सांसे तेज होने लगी साथ ही सोनी की भी हालत खराब होने लगी थी,, क्योंकि वह दूसरी बार अपने पानी छोड़ने जा रही थी,,,दोनों की सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी राजू उसे अपनी बाहों में ले लिया था अपनी कमर की ओर जोर से हिला रहा था सोनी भी अपनी बाहों को उसके गले के घेरे में डालकर उसकी चिकनी नंगी पीठ को सहला रही थी और उसकी उत्तेजना को और ज्यादा बढ़ाने के लिए अपने दोनों हाथों को एक बार फिर से उसके नितंबों पर रखकर दबोचने लगी थी,,जिससे राजू के तन बदन में और ज्यादा आग लगने लगी और वर्कर्स्मार्ट के धक्के मारने लगा और अगले ही पल वह अपना गरम लावा सोनी की बुर में गिराना शुरू कर दिया कि तभी बाहर हवेली के दरवाजे पर हलचल होने लगी सोनी को समझते देर नहीं लगी की उसका भाई आ गया है,,,अभी वह पहली पिचकारी ही अपने बच्चेदानी पर महसूस की थी कि सोनी घबराते हुए बोली,,।


राजू लगता है भैया आ गए,,,,
 

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