बाहर हो रही हलचल की आवाज को सुनकर सोनी को सफलता देर नहीं लगी थी की उसके भैया घर पर वापस आ चुके थे,, अभी-अभी वह पहली धार को ही अपने बच्चेदानी पर महसूस कर पाई थी कि उसे खतरे का अंदेशा हो गया था और वह राजू से उसके भैया के आने की खबर सुना दी,,, राजू जो कि अभी-अभी अपने लंड से पिचकारी की धार मारना शुरू ही किया था कि वह इतना सुनते हैं एकदम सब पका गया लेकिन वह सोनी को पूरी तरह से अपनी बाहों में कैद किए हुए था और झटके पर झटके मार रहा था इस नाजुक पल पर वह अपनी भावनाओं पर काबू नहीं कर पाया था और सोने की बात सुनने के बावजूद भी वह लगातार धकके पे धक्का पेलने लगा था जब तकवह पूरी तरह से झड़ नहीं गया तब तक वह अपने लंड को सोने की दोनों में से निकाला नहीं तब तक आहट तेज होने लगी थी,,,, चरम सुख प्राप्त कर लेने के बाद राजू अपने लंड को सोनी की गुलाबी बुर में से बाहर निकलता हुआ एकदम हडबढ़ाते हुए बोला ,,,,
अब क्या करें,,,,?
राजू आज तो हम दोनों फंस गए,,, भैया शाम तक लौटने वाले थे लेकिन जल्दी आ गए,,,(वह दोनों घबराकर अभी आपस में बात ही कर रहे थे कि लाला की आवाज दोनों के कानों में पड़ी)
सोनी कहां हो,,,, दरवाजा खुला छोड़ रखी हो,,,,।
अब क्या करें छोटी मालकीन ,,,, यहां तो इस कमरे में छुपने लायक एक भी जगह नहीं है पर कमरे से बाहर निकलने का मतलब है कि मौत को दावत देना,,,,
यही तो राजू मुझे तो समझ में नहीं आ रहा है कि क्या करें,,,(सोनी घबराहट में हाथ मलते हुए बोली,,,, और साथ में अपने नंगे बदन पर साड़ी लपेट रही थी,,, सोनी एकदम फुर्ती दिखाते हुए अपने ब्लाउज के बटन लगा रही थी राजू अपने कपड़े पहन चुका था,,,,लाला की आवाज कमरे के बेहद करीब होती जा रही थी जैसे-जैसे उसकी आवाज कमरे के करीब होती जा रही थी वैसे वैसे उन दोनों के दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी,,,, लाला सोनी सोनी करता हुआ कमरे के बेहद करीब आता जा रहा था,,,, घबराहट के भाव दोनों के चेहरे पर साफ नजर आ रहे थे,,,,, खिड़की कूदकर राजू भाग भी नहीं सकता था क्योंकि दरवाजे पर ही उसकी बैलगाड़ी जो खड़ी थी और बैलगाड़ी को लाला अच्छी तरह से पहचानता था,,,,दोनों को कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था कि क्या किया जाए,,,,, दोनों मिलकर कुछ देर पहले जमाने का मजा लूट रहे थे लेकिन दरवाजे पर उन दोनों की शामत आन पड़ी थी,,, लाला की आवाज करीब होती जा रही थी सोनी तो एकदम बुत बनकर खड़ी रह गई थी,,, उसे लगने लगा था कि आज उसे भगवान भी नहीं बचा सकते आज उन दोनों की चोरी पकड़ी जाएगी कितनी बदनामी होगी उसका भाई उसके बारे में क्या सोचेगा,,, केक जमीदार की बहन गांव के मामूली लड़के के साथ शारीरिक संबंध बनाती है और वो भी अपने घर पर बुलाकर,,,,,,,,, तभी दरवाजे पर लाला आकर खड़ा हो गया,,,,।
अरे सोनी,,,,(इतना कहते ही दरवाजे पर आकर खड़ा हो गया और अपनी आंखों से जो देखा उसका उसे विश्वास नहीं हो रहा था,,,,सोनी दरवाजे की तरफ पीठ करके अपने दोनों हाथों को कमर पर रखकर किसी जमीदार की भांति खड़ी थी और अलमारी के नीचे झुक कर राजू कुछ कर रहा था उस लड़के को तो जमीदार पहचानता नहीं था लेकिन फिर भी अपनी बहन के कमरे में उस जवान लड़के को देख कर थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए लाला बोला,,,,)
यह,,, क्या हो रहा है,,,,?
(सोनी जानबूझकर अपने भाई की बात पर बिल्कुल भी ध्यान ना देते हुए राजू को निर्देश देते हुए बोली)
थोड़ा और नीचे झुक कर देखो राजू,,,, तुम्हारा हाथ वहां तक पहुंच जाएगा,,,,
(लाला को कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था कि कमरे में क्या हो रहा है वह भी खड़े होकर देखने लगा तभी राजू अंदर से कान का बड़ा सा झुमका निकालते हुए सोने की तरफ घूमते हुए बोला,,,)
मिल गया छोटी मालकिन,,,(तभी वह लाला की तरफ देख कर) प्रणाम मालिक,,,,(राजू की बातें सुनकर जानबूझकर सोनी अपने भाई की तरफ आश्चर्य से देखते हुए बोली,,)
अरे भैया आप ,,,,आप कब आए,,,
अभी अभी आ रहा हूं,,,,, लेकिन यह लड़का यहां क्या कर रहा है,,,,
अरे भैया इसका नाम राजू भाई वह हरिया है ना उनका बेटा है मैं आम के बगीचे से आम लेकर आ रही थी तो यह रास्ते में बैलगाड़ी चलाता हुआ मिल गया धूप बहुत थी तो मैं ईसकी बैलगाड़ी में यहां तक आ गई,,,,और मैं पहले से घर की सफाई कर रही थी और अलमारी के नीचे ढेर सारा कूड़ा करकट जमा हो गया था उसी को हटाने के लिए यहां पर लेकर आई तो जानते हैं क्या हुआ,,,?
क्या हुआ,,,?
अरे ओ मेरा कान का झुमका था ना बड़ा सा,,,(सोने की बात सुनकर लाला कुछ आश्चर्य से सोचते हुए) अरे भैया बताई तो थी कि कहीं मेरा झुमका गुम हो गया है ,,,मैं तो यही सोचती थी कि वह खो गया है लेकिन राजू जब आलमारी को हटा रहा था तो उसकी नजर झुमके पर पड़ गई जोकि अलमारी के पीछे फंसा हुआ था,,, उसी ने मुझे निकाल कर दिया,,,,,,,
(लाला को लगने लगा था कि सोनी जो कुछ भी कह रही थी वह एकदम सच कह रही थी क्योंकि उसकी आंखों के सामने नाटक ही कुछ इस तरह से दर्शाया गया था कि अविश्वास का तो बात ही नहीं पैदा हो रहा था,,, लाला राजु से खुश होते हुए बोला,,,)
बहुत अच्छा काम किए हो राजु,,,,
जी मालिक आप की दया है,,,,, अब इजाजत चाहता हूं,,,(इतना कहते हुए सोनी की तरफ देख कर बोला,,) छोटी मालकिन वो बैलगाड़ी में आम पडे थे,,,,)
उसे तुम अपना ईनाम समझकर रख लो राजू,,,।
(सोनी की बात से लाला भी सहमत हुआ और नमस्कार करके राजू वहां से चला गया हवेली से बाहर निकलते ही लाला सोनी को अपनी बाहों में कसने की कोशिश करने लगा तो सोनी उसे एक बहाने से हटाते हुए बोली)
थोड़ा सब्र करो भैया अभी धूल मिट्टी लगी है जाकर नहा कर आऊंगी तब,,,,
कोई बात नहीं तब तक मैं आराम कर लेता हूं इतनी दूर से आया हूं थोड़ी थकान आ गई है,,,
जी भैया आप आराम करो मैं नहा कर आती, हूं,,,।
(इतना कहते ही सोनी गुसल खाने की ओर चल दी वह बहुत खुश नजर आ रही थी क्योंकि बड़ी सफाई से उसने अपने भाई से संबंध बनाने से इंकार कर दी थी क्योंकि वह जानती थी अगर इस समय उसका भाई उसकी चुदाई करेगा तो उसको समझते देर नहीं लगेगी की कुछ देर पहले उसकी क्या राजनीति में कमरे में क्या हो रहा था,,,, और इस बात से भी पूरी तरह से प्रसन्न नजर आ रही थी कि राजू ने बड़ी चालाकी से सारा खेल बदल कर रख दिया था,,,लाला के कमरे में दाखिल होने से पहले ही राजू ने क्या करना है क्या कहना है सब कुछ सोनी को बता दिया था इसलिए तो उन दोनों का नाटक एकदम वास्तविक रूप लिए हुए था और दोनों अपनी चोरी से बच गए थे,,,,।
राजू बेल गाड़ी लेकर अपनी मां को लेने के लिए निकल गया था,,, लेकिन वहां झुमरी भी गई हुई थी झुमरी उसे बहुत खूबसूरत लगती थी और उसे पसंद भी थी जिससे वह मन ही मन में प्यार करने लगा था वह चाहता था कि वह आते समय झुमरी को भी अपने साथ लेकर आए ताकि कुछ देर तक वह झुमरी के साथ वक्त बिता सकें लेकिन एक लालच और थी उसके मन में कि अगर वह अकेले ही अपनी मां को लेकर आएगा तो हो सकता है कि सफर के दौरान उन दोनों के बीच कुछ मामला हो जाए क्योंकि उसकी मां भी खुलकर बातें कर रही थी,,,, इन सब बातों के बारे में सोचते हुए वह दूसरे गांव में हवेली पर पहुंच गया था जहां पर पहले से ही उसकी मां और गांव की कुछ औरतें तैयार थी साथ में चलने के लिए उन सब औरतों को देखकर राजू का मन उदास हो गया क्योंकि वह जानता था कि अब सफर के दौरान कुछ नहीं हो सकता बारी-बारी से सब लोग बेल गाड़ी में बैठ गई थी लेकिन झुमरी कहीं नजर नहीं आ रही थी तो वह अपनी मां से बोला,,,।
मां झुमरी भी आई थी ना वह कहां है आते समय उसकी मां बोली थी कि झुमरी को भी साथ लेकर आना,,,।
अरे हां झुमरी भी नहीं करी थी वह पानी पीने के लिए गई थी अब तक आई नहीं,,,(गांव की औरतों में से एक औरत ने राजू को बताते हुए बोली,,,)
कहां गई थी,,,?(आश्चर्य के साथ राजू बोला)
अरे मैं उसे हवेली के पीछे जाते हुए देखी थी,,,(तभी उनमें से एक औरत बोल पड़ी)
अच्छा तुम लोग बेल गाड़ी में बैठो मैं अभी उसे बुला कर लाता हूं,,,।(इतना कहने के साथ ही राजू भागता वह हवेली के पीछे जाने लगा,, राजू को ऐसा था कि झुमरी पानी पीने जाते सोच करने के लिए गई होगी इसलिए मैं जल्दबाजी में हवेली के पीछे जा रहा था कि ताकि उसे उसकी नंगी गांड की थोड़ी झलक मिल जाए,,, हवेली के आगे जितने भी सामियाना ताने गए थे सब हटाए जा रहे थे क्योंकि विवाह संपन्न हो चुका था लेकिन हवेली के पीछे सन्नाटा छाया हुआ था जंगली झाड़ियां चारों तरफ उगी हुई थी,,, कहीं भी कुंवा या हेडपंप नजर नहीं आ रहा था जिससे राज्य में अंदाजा लगा लिया था की हवेली के पीछे झुमरी पेशाब करने के लिए ही आईं थी,,,, राजू हवेली के पीछे पहुंचते ही चारों तरफ नजर घुमाकर देखने लगा लेकिन कहीं भी झुमरी नजर नहीं आ रही थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि कहां चली गई अगर पेशाब करने आई होगी तो ज्यादा दूर तो गई नहीं होगी,,,,कुछ देर तक राजू भाई खड़ा होकर चारों तरफ देखता था लेकिन कहीं कुछ भी नजर नहीं आना था चारों तरफ दूर-दूर तक सन्नाटा नजर आ रहा था कभी सोचा कहीं और गई होगी और वह हवेली के आगे की तरफ जाने लगा कि तभी उसके कानों में जोर की चीख सुनाई दी,,,जोकि पास की झाड़ियों में से ही आ रही थी उसे समझते देर नहीं लगी कि मामला कुछ गड़बड़ है,,,, और भाई तुरंत पास में पड़ा मोटा सा डंडा उठा लिया और झाड़ियों की तरफ दौड़ लगा दिया जहां से चीखने की आवाज आई थी और उसे झाड़ियों के बीच जाकर जो उसने देखा उसके होश उड़ गए दो आदमी एक दोनों हाथ को पकड़ा था और दूसरा दोनों पैर को पकड़कर लगता है उसे झाड़ियों के और अंदर ले जा रहे थे,,,, राजू को समझते देर नहीं लगी कि मामला क्या है वह पूरी तरह से क्रोध में आ गया था,,, और वहां पहुंचते ही सबसे पहले जिसने पैर पकड़ रखा था उसे मोटे डंडे से मारना शुरू कर
दिया,,,, तीन चार डंडे में तो वह आदमी नीचे गिर पर ढेर हो गया और राजू का गुस्सा देखकर दूसरे वाले की हिम्मत जवाब देने लगी,,,,राजू को अपनी आंखों के सामने देखकर झुमरी को राहत महसूस होने लगी और वह रोने लगी अभी भी वह आदमी उसका हाथ पकड़े हुए था और राजू तुरंत पूर्ति दिखाता हुआ उसके दोनों हाथ ऊपर मोटा डंडा बरसाना शुरू कर दिया वह चिल्लाता हुआ वहीं गिर गया,,,राजू का बार इतना तेज था कि वह दोनों वहीं ढेर हो गए थे दर्द से बिलबिला रहे थे और उन दोनों की परवाह किए बिना ही राजू ठंडा वहीं फेंककर झुमरी कहां पकड़कर झाड़ियों में से बाहर आ गया वह शोर-शराबा नहीं करना चाहता था क्योंकि इससे झुमरी की इज्जत खराब होने बदनामी होने का डर था वह इस राज को दोनों के बीच ही रखना चाहता था झुमरी राजू के गले लग कर रोने लगी,,,,राजू पूरी तरह से उसे दिलासा देते हुए उसकी पीठ पर हाथ रखकर उसे सांत्वना देते हुए बोला,,।)
डरने की बात नहीं है जो मेरी मैं आ गया हूं ना अब कोई कुछ नहीं करेगा,,,,
(राजू के सीने से लगाकर झुमरी फूट-फूट कर रो रही थी राजू उसे चुप कराने की कोशिश कर रहा था)
झुमरी चुप हो जाओ अगर किसी ने देख लिया तो सारा मामला उसे समझ में आ जाएगा और तुम्हारी बदनामी हो जाएगी और मैं नहीं चाहता कि तुम बदनाम हो जाओ इसलिए चुप हो जाओ,,,।
(राजू की बात से झुमरी पूरी तरह से सहमत है इसलिए अपने आंसुओं को पोछने लगी,,, झुमरी तरह से शांत हो चुकी थी राजू उसे बोला कि चलकर हाथ मुंह धो लेना ताकि किसी को कुछ भी पता ना चले कि क्या हुआ था,,,,झुमरी ने ठीक वैसा ही किया हाथ मुंह धो कर एकदम तरोताजा होकर बैलगाड़ी के पास आई तब तक राजू बैलगाड़ी पर बैठकर कमान संभाल लिया था,,,,)
अरे झुमरी कहां समय लगा दी थी,,,
कहीं नहीं चाची पानी पीने गई थी,,,(और इतना कहने के साथ ही झुमरी पर गाड़ी पर बैठ गई और राजू खुशी-खुशी बैलगाड़ी को हांकता हुआ गांव की तरफ ले जाने लगा,,, अब उसके मन में अपनी मां के साथ का यह सफर अकेले ना गुजारने का कोई भी मलाल नहीं था,,,।
अब क्या करें,,,,?
राजू आज तो हम दोनों फंस गए,,, भैया शाम तक लौटने वाले थे लेकिन जल्दी आ गए,,,(वह दोनों घबराकर अभी आपस में बात ही कर रहे थे कि लाला की आवाज दोनों के कानों में पड़ी)
सोनी कहां हो,,,, दरवाजा खुला छोड़ रखी हो,,,,।
अब क्या करें छोटी मालकीन ,,,, यहां तो इस कमरे में छुपने लायक एक भी जगह नहीं है पर कमरे से बाहर निकलने का मतलब है कि मौत को दावत देना,,,,
यही तो राजू मुझे तो समझ में नहीं आ रहा है कि क्या करें,,,(सोनी घबराहट में हाथ मलते हुए बोली,,,, और साथ में अपने नंगे बदन पर साड़ी लपेट रही थी,,, सोनी एकदम फुर्ती दिखाते हुए अपने ब्लाउज के बटन लगा रही थी राजू अपने कपड़े पहन चुका था,,,,लाला की आवाज कमरे के बेहद करीब होती जा रही थी जैसे-जैसे उसकी आवाज कमरे के करीब होती जा रही थी वैसे वैसे उन दोनों के दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी,,,, लाला सोनी सोनी करता हुआ कमरे के बेहद करीब आता जा रहा था,,,, घबराहट के भाव दोनों के चेहरे पर साफ नजर आ रहे थे,,,,, खिड़की कूदकर राजू भाग भी नहीं सकता था क्योंकि दरवाजे पर ही उसकी बैलगाड़ी जो खड़ी थी और बैलगाड़ी को लाला अच्छी तरह से पहचानता था,,,,दोनों को कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था कि क्या किया जाए,,,,, दोनों मिलकर कुछ देर पहले जमाने का मजा लूट रहे थे लेकिन दरवाजे पर उन दोनों की शामत आन पड़ी थी,,, लाला की आवाज करीब होती जा रही थी सोनी तो एकदम बुत बनकर खड़ी रह गई थी,,, उसे लगने लगा था कि आज उसे भगवान भी नहीं बचा सकते आज उन दोनों की चोरी पकड़ी जाएगी कितनी बदनामी होगी उसका भाई उसके बारे में क्या सोचेगा,,, केक जमीदार की बहन गांव के मामूली लड़के के साथ शारीरिक संबंध बनाती है और वो भी अपने घर पर बुलाकर,,,,,,,,, तभी दरवाजे पर लाला आकर खड़ा हो गया,,,,।
अरे सोनी,,,,(इतना कहते ही दरवाजे पर आकर खड़ा हो गया और अपनी आंखों से जो देखा उसका उसे विश्वास नहीं हो रहा था,,,,सोनी दरवाजे की तरफ पीठ करके अपने दोनों हाथों को कमर पर रखकर किसी जमीदार की भांति खड़ी थी और अलमारी के नीचे झुक कर राजू कुछ कर रहा था उस लड़के को तो जमीदार पहचानता नहीं था लेकिन फिर भी अपनी बहन के कमरे में उस जवान लड़के को देख कर थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए लाला बोला,,,,)
यह,,, क्या हो रहा है,,,,?
(सोनी जानबूझकर अपने भाई की बात पर बिल्कुल भी ध्यान ना देते हुए राजू को निर्देश देते हुए बोली)
थोड़ा और नीचे झुक कर देखो राजू,,,, तुम्हारा हाथ वहां तक पहुंच जाएगा,,,,
(लाला को कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था कि कमरे में क्या हो रहा है वह भी खड़े होकर देखने लगा तभी राजू अंदर से कान का बड़ा सा झुमका निकालते हुए सोने की तरफ घूमते हुए बोला,,,)
मिल गया छोटी मालकिन,,,(तभी वह लाला की तरफ देख कर) प्रणाम मालिक,,,,(राजू की बातें सुनकर जानबूझकर सोनी अपने भाई की तरफ आश्चर्य से देखते हुए बोली,,)
अरे भैया आप ,,,,आप कब आए,,,
अभी अभी आ रहा हूं,,,,, लेकिन यह लड़का यहां क्या कर रहा है,,,,
अरे भैया इसका नाम राजू भाई वह हरिया है ना उनका बेटा है मैं आम के बगीचे से आम लेकर आ रही थी तो यह रास्ते में बैलगाड़ी चलाता हुआ मिल गया धूप बहुत थी तो मैं ईसकी बैलगाड़ी में यहां तक आ गई,,,,और मैं पहले से घर की सफाई कर रही थी और अलमारी के नीचे ढेर सारा कूड़ा करकट जमा हो गया था उसी को हटाने के लिए यहां पर लेकर आई तो जानते हैं क्या हुआ,,,?
क्या हुआ,,,?
अरे ओ मेरा कान का झुमका था ना बड़ा सा,,,(सोने की बात सुनकर लाला कुछ आश्चर्य से सोचते हुए) अरे भैया बताई तो थी कि कहीं मेरा झुमका गुम हो गया है ,,,मैं तो यही सोचती थी कि वह खो गया है लेकिन राजू जब आलमारी को हटा रहा था तो उसकी नजर झुमके पर पड़ गई जोकि अलमारी के पीछे फंसा हुआ था,,, उसी ने मुझे निकाल कर दिया,,,,,,,
(लाला को लगने लगा था कि सोनी जो कुछ भी कह रही थी वह एकदम सच कह रही थी क्योंकि उसकी आंखों के सामने नाटक ही कुछ इस तरह से दर्शाया गया था कि अविश्वास का तो बात ही नहीं पैदा हो रहा था,,, लाला राजु से खुश होते हुए बोला,,,)
बहुत अच्छा काम किए हो राजु,,,,
जी मालिक आप की दया है,,,,, अब इजाजत चाहता हूं,,,(इतना कहते हुए सोनी की तरफ देख कर बोला,,) छोटी मालकिन वो बैलगाड़ी में आम पडे थे,,,,)
उसे तुम अपना ईनाम समझकर रख लो राजू,,,।
(सोनी की बात से लाला भी सहमत हुआ और नमस्कार करके राजू वहां से चला गया हवेली से बाहर निकलते ही लाला सोनी को अपनी बाहों में कसने की कोशिश करने लगा तो सोनी उसे एक बहाने से हटाते हुए बोली)
थोड़ा सब्र करो भैया अभी धूल मिट्टी लगी है जाकर नहा कर आऊंगी तब,,,,
कोई बात नहीं तब तक मैं आराम कर लेता हूं इतनी दूर से आया हूं थोड़ी थकान आ गई है,,,
जी भैया आप आराम करो मैं नहा कर आती, हूं,,,।
(इतना कहते ही सोनी गुसल खाने की ओर चल दी वह बहुत खुश नजर आ रही थी क्योंकि बड़ी सफाई से उसने अपने भाई से संबंध बनाने से इंकार कर दी थी क्योंकि वह जानती थी अगर इस समय उसका भाई उसकी चुदाई करेगा तो उसको समझते देर नहीं लगेगी की कुछ देर पहले उसकी क्या राजनीति में कमरे में क्या हो रहा था,,,, और इस बात से भी पूरी तरह से प्रसन्न नजर आ रही थी कि राजू ने बड़ी चालाकी से सारा खेल बदल कर रख दिया था,,,लाला के कमरे में दाखिल होने से पहले ही राजू ने क्या करना है क्या कहना है सब कुछ सोनी को बता दिया था इसलिए तो उन दोनों का नाटक एकदम वास्तविक रूप लिए हुए था और दोनों अपनी चोरी से बच गए थे,,,,।
राजू बेल गाड़ी लेकर अपनी मां को लेने के लिए निकल गया था,,, लेकिन वहां झुमरी भी गई हुई थी झुमरी उसे बहुत खूबसूरत लगती थी और उसे पसंद भी थी जिससे वह मन ही मन में प्यार करने लगा था वह चाहता था कि वह आते समय झुमरी को भी अपने साथ लेकर आए ताकि कुछ देर तक वह झुमरी के साथ वक्त बिता सकें लेकिन एक लालच और थी उसके मन में कि अगर वह अकेले ही अपनी मां को लेकर आएगा तो हो सकता है कि सफर के दौरान उन दोनों के बीच कुछ मामला हो जाए क्योंकि उसकी मां भी खुलकर बातें कर रही थी,,,, इन सब बातों के बारे में सोचते हुए वह दूसरे गांव में हवेली पर पहुंच गया था जहां पर पहले से ही उसकी मां और गांव की कुछ औरतें तैयार थी साथ में चलने के लिए उन सब औरतों को देखकर राजू का मन उदास हो गया क्योंकि वह जानता था कि अब सफर के दौरान कुछ नहीं हो सकता बारी-बारी से सब लोग बेल गाड़ी में बैठ गई थी लेकिन झुमरी कहीं नजर नहीं आ रही थी तो वह अपनी मां से बोला,,,।
मां झुमरी भी आई थी ना वह कहां है आते समय उसकी मां बोली थी कि झुमरी को भी साथ लेकर आना,,,।
अरे हां झुमरी भी नहीं करी थी वह पानी पीने के लिए गई थी अब तक आई नहीं,,,(गांव की औरतों में से एक औरत ने राजू को बताते हुए बोली,,,)
कहां गई थी,,,?(आश्चर्य के साथ राजू बोला)
अरे मैं उसे हवेली के पीछे जाते हुए देखी थी,,,(तभी उनमें से एक औरत बोल पड़ी)
अच्छा तुम लोग बेल गाड़ी में बैठो मैं अभी उसे बुला कर लाता हूं,,,।(इतना कहने के साथ ही राजू भागता वह हवेली के पीछे जाने लगा,, राजू को ऐसा था कि झुमरी पानी पीने जाते सोच करने के लिए गई होगी इसलिए मैं जल्दबाजी में हवेली के पीछे जा रहा था कि ताकि उसे उसकी नंगी गांड की थोड़ी झलक मिल जाए,,, हवेली के आगे जितने भी सामियाना ताने गए थे सब हटाए जा रहे थे क्योंकि विवाह संपन्न हो चुका था लेकिन हवेली के पीछे सन्नाटा छाया हुआ था जंगली झाड़ियां चारों तरफ उगी हुई थी,,, कहीं भी कुंवा या हेडपंप नजर नहीं आ रहा था जिससे राज्य में अंदाजा लगा लिया था की हवेली के पीछे झुमरी पेशाब करने के लिए ही आईं थी,,,, राजू हवेली के पीछे पहुंचते ही चारों तरफ नजर घुमाकर देखने लगा लेकिन कहीं भी झुमरी नजर नहीं आ रही थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि कहां चली गई अगर पेशाब करने आई होगी तो ज्यादा दूर तो गई नहीं होगी,,,,कुछ देर तक राजू भाई खड़ा होकर चारों तरफ देखता था लेकिन कहीं कुछ भी नजर नहीं आना था चारों तरफ दूर-दूर तक सन्नाटा नजर आ रहा था कभी सोचा कहीं और गई होगी और वह हवेली के आगे की तरफ जाने लगा कि तभी उसके कानों में जोर की चीख सुनाई दी,,,जोकि पास की झाड़ियों में से ही आ रही थी उसे समझते देर नहीं लगी कि मामला कुछ गड़बड़ है,,,, और भाई तुरंत पास में पड़ा मोटा सा डंडा उठा लिया और झाड़ियों की तरफ दौड़ लगा दिया जहां से चीखने की आवाज आई थी और उसे झाड़ियों के बीच जाकर जो उसने देखा उसके होश उड़ गए दो आदमी एक दोनों हाथ को पकड़ा था और दूसरा दोनों पैर को पकड़कर लगता है उसे झाड़ियों के और अंदर ले जा रहे थे,,,, राजू को समझते देर नहीं लगी कि मामला क्या है वह पूरी तरह से क्रोध में आ गया था,,, और वहां पहुंचते ही सबसे पहले जिसने पैर पकड़ रखा था उसे मोटे डंडे से मारना शुरू कर
दिया,,,, तीन चार डंडे में तो वह आदमी नीचे गिर पर ढेर हो गया और राजू का गुस्सा देखकर दूसरे वाले की हिम्मत जवाब देने लगी,,,,राजू को अपनी आंखों के सामने देखकर झुमरी को राहत महसूस होने लगी और वह रोने लगी अभी भी वह आदमी उसका हाथ पकड़े हुए था और राजू तुरंत पूर्ति दिखाता हुआ उसके दोनों हाथ ऊपर मोटा डंडा बरसाना शुरू कर दिया वह चिल्लाता हुआ वहीं गिर गया,,,राजू का बार इतना तेज था कि वह दोनों वहीं ढेर हो गए थे दर्द से बिलबिला रहे थे और उन दोनों की परवाह किए बिना ही राजू ठंडा वहीं फेंककर झुमरी कहां पकड़कर झाड़ियों में से बाहर आ गया वह शोर-शराबा नहीं करना चाहता था क्योंकि इससे झुमरी की इज्जत खराब होने बदनामी होने का डर था वह इस राज को दोनों के बीच ही रखना चाहता था झुमरी राजू के गले लग कर रोने लगी,,,,राजू पूरी तरह से उसे दिलासा देते हुए उसकी पीठ पर हाथ रखकर उसे सांत्वना देते हुए बोला,,।)
डरने की बात नहीं है जो मेरी मैं आ गया हूं ना अब कोई कुछ नहीं करेगा,,,,
(राजू के सीने से लगाकर झुमरी फूट-फूट कर रो रही थी राजू उसे चुप कराने की कोशिश कर रहा था)
झुमरी चुप हो जाओ अगर किसी ने देख लिया तो सारा मामला उसे समझ में आ जाएगा और तुम्हारी बदनामी हो जाएगी और मैं नहीं चाहता कि तुम बदनाम हो जाओ इसलिए चुप हो जाओ,,,।
(राजू की बात से झुमरी पूरी तरह से सहमत है इसलिए अपने आंसुओं को पोछने लगी,,, झुमरी तरह से शांत हो चुकी थी राजू उसे बोला कि चलकर हाथ मुंह धो लेना ताकि किसी को कुछ भी पता ना चले कि क्या हुआ था,,,,झुमरी ने ठीक वैसा ही किया हाथ मुंह धो कर एकदम तरोताजा होकर बैलगाड़ी के पास आई तब तक राजू बैलगाड़ी पर बैठकर कमान संभाल लिया था,,,,)
अरे झुमरी कहां समय लगा दी थी,,,
कहीं नहीं चाची पानी पीने गई थी,,,(और इतना कहने के साथ ही झुमरी पर गाड़ी पर बैठ गई और राजू खुशी-खुशी बैलगाड़ी को हांकता हुआ गांव की तरफ ले जाने लगा,,, अब उसके मन में अपनी मां के साथ का यह सफर अकेले ना गुजारने का कोई भी मलाल नहीं था,,,।