बैलगाड़ी

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एक बार फिर राजू बाजार में कुछ देर रुक कर बैलगाड़ी लेकर आगे बढ़ गया था,,, लेकिन बाजार में उसने अपनी आंखों से और अपनी बातों से अपनी मां के साथ खूब मस्ती किया था जिसका एहसास मधु को भी थोड़ा थोड़ा हो रहा था,,,,,, खरबूजे वाली बात की तुलना अपनी मां की चुचियों से करके राजू अपने हौसले को और बड़ा चुका था,,, वह आप समझ गया था कि उसकी मां के साथ वो किसी भी तरह की बात करेगा तो उसकी मां उससे नाराज बिल्कुल भी नहीं होगी,,, राजू अपने मन में यही सोच कर खुश हो रहा था कि उसकी गंदी बातों से उसकी मां को भी मजा आता है तभी तो वह उसे रोकती नहीं है ,,बस उपर उपर से ही नाराज होने का नाटक करती है,,,,,, औरत और बाजार में दुकान के पीछे जिस तरह का नजारा उसने अपनी आंखों से देखा था उसे देख कर उसके तन बदन में अभी भी उत्तेजना की हलचल हो रही थी वह सोचा नहीं था कि उसे ऐसे माहौल में अपनी मां की नंगी गांड देखने को मिल जाएगी और उस जबरदस्त नजारे को देखकर उसके मन में पूरी तरह से माहौल बन चुका था,,,, ऐसा नहीं था कि राजू पहली बार अपनी मां की गांड देख रहा था वह कई बार अपनी मां को संपूर्ण रूप से नग्न अवस्था में देख चुका था और अपने पिताजी के साथ संभोग रत और संभोग से पहले की क्रियाकलापों को भी देख चुका था,,, लेकिन एक मर्द चाहे जितनी बार भी औरत को नग्न अवस्था में देख ले फिर भी उस औरत को नग्न,,, बिना कपड़ों के देखने की उसकी लालच कभी कम नहीं होती और यही हाल राजू का भी था क्योंकि वह भी मर्दों की जाति से अपवाद बिल्कुल भी नहीं था,,,।

अपनी मां को पेशाब मुद्रा में देखकर वह पूरी तरह से अपने बदन में उत्तेजना का अनुभव कर रहा था,,,,,, सुनहरी धूप में गोरी गोरी गांड ओर भी ज्यादा चमकते हुए अपनी आभा बिखेर रही थी,,, जिसकी चमक में खुद है राजू की आंखें चौंधिया गई थी,,,, ऐसा नहीं था कि राजू पहली बार किसी औरत की गांड को देख रहा था अब तो कुछ नहीं ना जाने कितनी औरतों की गांड को नंगी देख भी चुका था और अपने हाथों से नंगी करके चुका था और गांड चुदाई भी कर चुका था,,,, फिर भी उसे अपनी मां की नंगी गांड देखकर जो मजा मिलता था वह किसी भी औरत की गांड से ना तो देखकर और ना ही उनसे संभोग करके मिलती थी,,,,।,,,

बाजार से निकल चुके थे और दोनों के बीच एक अजीब सी खामोशी छाई हुई थी दोनों अपने अपने मन में वही सोच रहे थे जो कि कुछ देर पहले हो चुका था मधु भी दुकान के पीछे वाले भाग में जिस तरह से पेशाब करने के लिए अपनी साड़ी कमर तक उठा कर बैठी थी वह कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि कोई उसे इस हाल में देख रहा होगा,,,,‌ यह तो निश्चित तौर पर वह नहीं कह सकती थी कि उसे पेशाब करते हुए उसके बेटे ने देखा था या नहीं देखा था,,, लेकिन जिस हाल में उसने अपने बेटे को देखी थी और उसके अंजानपन को देखकर मधु को ऐसा ही लग रहा था कि जैसे ही उसके बेटे ने अनजाने में ही वहां पर आ गया था लेकिन उसे पेशाब करते हुए देखा नहीं था अपने बेटे को इतने करीब महसूस करके शर्म के मारे मधु का जो हाल हो रहा था वह बयां नहीं कर सकती थी वह एकदम शर्मसार हुए जा रही थी अपने मन में यही सोच रही थी कि अगर उसके बेटे की नजर उसकी गांड पर पड़ जाती है तो क्या होता उसे पेशाब करता हुआ देखकर उसका बेटा अपने मन में क्या सोचता,,,, बाजार में पेशाब करते समय जो हाल मधु का हुआ था उससे उसे अपनी जवानी के दिनों की बात याद आ गई थी जब उसकी शादी भी नहीं हुई थी और ऐसे ही एक दिन वह बाजार गई हुई थी और बाजार से लौटते समय खेत में झाड़ियों के पीछे इसी तरह से अपनी सलवार की डोरी खोल कर वह पेशाब करने बैठ गई थी और उसी समय एक आदमी ठीक उसके सामने आकर खड़ा हो गया था वह एकदम से घबरा गई थी लेकिन दरी बिल्कुल भी नहीं थी और तुरंत खड़ी होकर अपनी सलवार को बाद कर उस आदमी को खरी-खोटी सुनाई थी लेकिन इस तरह की हिम्मत वह अपने बेटे के सामने नहीं दिखा पाई थी,,,, अपने बेटे की मौजूदगी में तो उसमें अपनी साड़ी को नीचे कर सकने की हिम्मत नहीं थी ताकि उसकी नंगी गांड ढंक जाए,,,,,, क्योंकि उस समय उसमें शर्म और डर दोनों के भाव एक साथ भरे हुए थे,,,, उस समय अपने बेटे के यहां भाव को देखकर उसे ऐसा ही लग रहा था कि जैसे यह सब कुछ अनजाने में ही हुआ है और वह उसे पेशाब करते हुए नहीं देखा था वधू बड़े आसानी से अपने बेटे के जाल में फंस गई थी उसकी चला कि को बिल्कुल भी समझ नहीं पाई थी और राजू था कि अपनी हरकत को अंजाम देते हुए अपनी मां की नंगी गांड को भी देख लिया था और अपने खड़े लंड का दर्शन भी अपनी मां को करा दिया था जिसे देखकर उसकी मां की बुर कुलबुलाने लगी थी,,,,,,,।

बेल गाड़ी धीरे धीरे आगे बढ़ रही थी और मधु अपने बेटे की हरकत के बारे में सोचकर ‍शर्म भी महसूस कर रही थी और ना जाने क्यों उतेजीत भी हुए जा रही थी,,,। बैलगाड़ी में रखे हुए बड़े-बड़े खरबूजे को देखकर उसकी नजर अपने आप ही अपनी छातियों पर चली गई तो वह मुस्कुरा दी,,, क्योंकि जिस तरह से खुले तौर पर उसके बेटे ने सूचियों की तुलना खरबूजे के आकार को लेकर किया था इस तरह से खुलकर तो कभी उसके पति ने भी उससे यह बात नहीं कहा था लेकिन एक बात पर वह हैरान थी कि उसके बेटे को उसकी चुचियों का आकार एकदम सचोट रूप से कैसे पता है,,,, वह ऐसे ही एक खरबूजे को अपने हाथ में उठा लिया और दूसरे हाथ में दूसरे खरबूजे को और तराजू की तरह दोनों को नापने तोलने लगी,,, कभी खरबूजे की तरफ तो कभी अपनी चुचियों की तरफ देख रही थी दोनों के आकार में बिल्कुल भी अंतर नहीं था,,,, मधु मन ही मन में सोचने लगी कि उसका बेटा चोरी छुपे उसके बदन को देखता है,,, या तो ब्लाउज के ऊपर से ही चुचियों का नाप भांप गया हो,,,,।

मधु अपने मन में यही सब सोच रही थी और बैलगाड़ी धीरे-धीरे आगे बढ़ रही थी बाजार काफी दूर निकल गया था,,, एकदम दोपहर का समय हो चुका था लेकिन जगह जगह पर काले काले बादल नजर आ रहे थे लेकिन अभी तक बारिश हुई नहीं थी जो कि उन दोनों के लिए अच्छा था क्योंकि सफर काफी लंबा था ऐसे में बरसात हो जाती तो दोनों के लिए मुसीबत खड़ी हो जाती,,,,,,,, एक नजर अपने बेटे की तरफ डालकर मधु बोली,,,।

राजू तू अब बैलगाड़ी एकदम अच्छा चलाने लगा है बिल्कुल भी तकलीफ नहीं होती कितने आराम से लेकर जा रहा है,,,


मेरे पिताजी ने मुझे अच्छे से सिखा दिया है,,, तभी तो तुम्हें इतनी दूर ले जाने ले आने की जिम्मेदारी मुझे सौंप दिए हैं वरना वह खुद आ जाते,,,,,


हां राजू सही बात कह रहा है तू वरना तेरे पिताजी इस तरह की गलती बिल्कुल भी नहीं करते कि तुझे बेल गाड़ी ठीक से चलानी ना आती हो तो मुझे तेरे साथ इतनी दूर भेज दिए हो,,,
(दोनों मां-बेटे को ऐसा ही लग रहा था कि,,, राजू को बेल गाड़ी चलाने आने की वजह से उसके पिताजी ने सहज रूप से उसे दवा लेने के लिए भेज दिया था बल्कि हकीकत तो यह थी कि जैसे ही बैलगाड़ी गुलाबी और हरिया की नजरों से दूर हुआ था वैसे ही तुरंत वह दोनों घर में आते ही दरवाजा बंद करके सिटकिनी लगा दिए थे,,, और दोनों के बदन से कब कपड़े निकल कर जमीन पर गिर गए दोनों को पता ही नहीं चला,,, इसके बाद दोनों की कामलीला शुरू हो गई,,, ऐसा मौका दोनों को कहां रोज रोज मिलता था इसलिए दोनों एक दूसरे में समाने की पूरी कोशिश करने लगे और हरिया अपनी छोटी बहन की चुदाई करना शुरू कर दिया और यह सिलसिला अभी तक जारी ही था तो उन्होंने घर में दरवाजा बंद करके नंगे होने के बाद कपड़ों को हाथ तक नहीं लगाए थे और उसी तरह से ही घर का काम पूरा होता भी रहा दोनों ने खाना भी खाया और जब से भैया का लैंड खड़ा होता था तब तक वह गुलाबी की बुर में डालकर शांत हो जाता था,,,,)

अच्छा ही हुआ राजू कि तेरे पिताजी ने तुझे बेल गाड़ी चलाना सिखाती है वरना तू भी गांव के लड़कों की तरह आवारा घूमता रहता और औरतों के बारे में ना जाने कितनी गंदी गंदी बातें करता रहता,,,,।

अरे मां तुम मुझे गलत समझ रही हो,,, ऐसा बिल्कुल भी नहीं है मैं लोगों से गंदी बातें लिखता नहीं हूं लेकिन क्या है ना कि उन लोगों की बातें सुनकर मेरे दिमाग में भी ढेर सारी भावनाएं उमड़ने लगती हैं,,,, पहले देखो मैं इस तरह की बातें बिल्कुल भी नहीं करता था जबसे उन लोगों की संगत में आ गया तब से औरतों को दूसरी नजर से देखना शुरू कर दिया,,, और पहले तो मैं औरतों से बिल्कुल भी बात तक नहीं करता था ना उनकी तरफ देखता था,,,, इसमें तुम बिल्कुल भी बुरा मत मानना मैं अपनी गलती तुम्हारे सामने सभी कार्य कर रहा हूं और मैं जानता हूं कि तुम मुझे माफ कर दोगी,,,,,।

(मधु अपने बेटे की बात को सुन कर मुस्कुरा रही थी और जैसे उसकी नजर चूड़ियों की तरफ गई तो उसके मन में जो सवाल था वह उसके होंठों पर आ गया और वह राजू से बोली,,,,)

अच्छा मुझे तो सच सच बता कि तेरे पास इतने पैसे आए कहां से,,,, जो तूने मुझे चूड़ियां खरीद के दिला दिया,,, औरत और खरबूजे समोसे और जलेबियां भी खिलाया,,,।

अरे मां तुम क्या समझती हो कि कहीं में डाका डाल कर पैसे लेकर आया हूं डाकू या चोर नहीं हूं मैं मेहनत के पैसे हैं और वैसे भी मैं तुम्हें उस दिन बताया ही था ना कि लाला हमें और ज्यादा अधिक काम देने लगा है,,, और तो और मैं उसके आना आज के गोडाउन पर थोड़ा और काम कर देता हूं तो मुझे बख्शीश दे देता है यह पैसे उसी के थे,,,,,,


अरे वाह राजू तू तो अब कमाने लगा है और तेरी उम्र के लड़के जो भी अपने गांव में है मुझे नहीं लगता कि एक पैसा भी कमा कर आते हैं,,,

नहीं तो वह लोग कहीं काम नहीं करते,,,,

तब तो तू उन लड़कों में सबसे अच्छा लड़का है,,,।

(अपनी मां की बात सुनकर राजू खुश हो गया वह चाहता है तो अपनी मां को हकीकत बता सकता था कि हलाला क्यों उस पर मेहरबानी करने लगा है वह साला और उसकी बहन की काली करतूतों को अपनी मां के सामने बता देता लेकिन वह खास मकसद से उस राज को अभी बताना नहीं चाहता था वह खास मौके पर अपनी मां से उन दोनों की कामलीला को बताना चाहता था ताकि उसका भी काम बन सके,,,,।
दोनों के बीच कुछ देर के लिए फिर से खामोशी छा गई मधु अपने मन में सोचने लगी कि उसके बेटे की हरकत तो शर्मिंदगी और उत्तेजना से भरी हुई है लेकिन वह आप कमाने लगा है वह एक अब आदमी बन गया है जो अपने परिवार की जिम्मेदारी लेकर चलने लगा है इस बात की खुशी मधु के चेहरे पर साफ नजर आ रही थी लेकिन फिर उसकी हरकतों के बारे में सोच कर उसके चेहरे के भाव बदलने लगते थे वह शर्म से पानी पानी होने लगती थी उसकी बातों पर गौर करके उसकी हरकत को देखकर,,,, उसमें अपने बेटे से ज्यादा एक मर्द नजर आने लगता था,,,, क्योंकि जो कुछ भी हो कहता था जो कुछ भी हो करता था वह एक बेटा बिल्कुल भी नहीं कर सकता था और वैसे भी राजू की हरकतें एक बेटे की तरह बिल्कुल भी नहीं थी,,, एक मर्द जिस तरह से औरत को रिझाने के लिए अश्लील हरकतें करता है गंदी बातें करता है उसी तरह से राजु भी अपनी मां को रिझाने के लिए एक मर्द की तरह ही बर्ताव कर रहा था मधु अपने मन में सोच रही थी कि शायद उसका बेटा उसे अपनी मां न समझ कर एक औरत समझकर इस तरह की हरकत कर रहा है,,,,,,, रिश्तो के बीच जब मर्द और औरत का नजरिया आ जाए तो मर्यादा की डोरी टूटने में बिल्कुल भी देर नहीं लगती लेकिन इस मर्यादा की डोरी को टूटने से अभी तक मधु बचाई हुई थी लेकिन धीरे-धीरे अपने बेटे की हरकत से उसे भी आनंद आने लगा था उसकी बातें सुनकर उसे भी मजा आता था,,,,,,,, सभी राज्यों के मन में ख्याल आया कि देखो उसकी मां समोसे की दुकान के पीछे वाले वाक्ये के बारे में क्या बताती है,,, इसलिए वह बैलगाड़ी को आगे बढ़ाता हुआ बोला,,,।

वैसे मां तुम चली कहां गई थी क्या कोई चीज अच्छी लग गई थी उसे खरीदना चाहती थी क्या,,,, अगर ऐसा है तो मुझे बताई होती मैं तुम्हें कब से ढूंढ रहा था,,,,।
(अपने बेटे की यह बात सुनकर मधु एकदम सकते में आ गई क्योंकि वह उस समय पेशाब कर रही थी लेकिन अपने बेटे को झूठ बोली थी कि वह बाजार में इधर-उधर घूम रही थी क्योंकि वह ठीक अपने बेटे के सामने बैठी हुई थी इसलिए वह अपनी बात को बनाते हुए बोली)

नहीं नहीं ऐसा कुछ भी नहीं है मैं तो यूं ही बाजार में घूम रही थी काफी दिनों बाद बाजार आई थी ना इसलिए वैसे भी मुझे बाजार घूमने में बहुत मजा आता है,,,,।

ओहहहह तो कहना चाहिए था ना मैं रोज तुम्हें बाजार लेकर जाता अब तो बैलगाड़ी ही मेरे हाथों में आ गई है,,,

हां यह तो तू ठीक कह रहा है अब जब भी मेरा मन करेगा तो तुझे बाजार लेकर चली जाऊंगी अब तो उसके पैसे भी कम आने लगा है इसलिए पैसे की भी चिंता नहीं है,,


हा मा तुम पैसे की बिल्कुल भी चिंता मत करना तुम्हारे लिए तो जान हाजिर है,,,

अरे वाह तू मेरे लिए जान देने लगा कब से,,,।

अरे कब से क्या जब से इस बात का एहसास हुआ है कि मेरी मां सबसे खूबसूरत औरत है इसलिए,,,,।
(अपने बेटे के मुंह से औरत शब्द सुनकर मधु की दोनों टांगों के बीच सुरसुराहट होने लगी उसे इस बात का एहसास हो गया कि उसका बेटा उसे एक औरत के नजरिए से देखता है तभी उसकी हरकतें इतनी अश्लील होते जा रही हैं,,,,)

चल रहने दे मुझसे भी ज्यादा खूबसूरत औरत गांव भर में है,,,

तुम्हारी ।ह गलतफहमी है मा,,, तुमसे खूबसूरत गांव में तो क्या अगल-बगल के 10 गांव में तुम्हारे जैसी खूबसूरत औरत नहीं है,,,,


तुझे कैसे पता चला कि गांव में मेरे जैसी खूबसूरत औरत कोई और नहीं है तो क्या औरतों को देखता रहता है क्या,,,?

(राजू को इस बात का एहसास तो हो गया था कि उसकी मां सेवा कुछ भी कहेगा उसकी मां बुरा नहीं मानेंगे क्योंकि वह बहुत कुछ बोल चुका था गंदी से गंदी बातें कर चुका था यहां तक कि खुले शब्दों में अपनी मां की बुर में लंड डालने की बात भी कह चुका था लेकिन उसकी मां से एक शब्द तक नहीं खाई थी इसीलिए राजू इस मौके का फायदा उठाना चाहता था और अपनी बातों से अपनी मां का दिल बहलाना चाहता था औरतों की संगत में आकर राजु को इतना तो समझ में आ ही गया था कि औरतों को किस तरह की बातें अच्छी लगती हैं इसलिए वह अपनी बातों में नमक मिर्च लगाता हुआ बोला,,,)

नहीं पहले तो नहीं देखता था लेकिन जब से मेरी संगत गलत दोस्तों से पड़ गई तब से ना जाने क्यों मेरा नजरिया बदलता चला गया और मैं गांव भर में घूम-घूम कर औरतों को देखने लगा,,,

क्या देखता था औरतों में,,,(मधु उत्सुकता भरे शब्दों में बोली,,,,, एक बार फिर से राजू को माहौल बनता हुआ नजर आ रहा था,,,, बैलगाड़ी कच्चे रास्ते से आगे बढ़ती चली जा रही थी दूर दूर तक कोई नजर नहीं आ रहा था चारों तरफ हरियाली ही हरियाली नजर आ रही थी ऐसे में अपनी मां की उत्सुकता को देखकर राजू के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,, भले ही राजू अपनी मां से लाख कोशिशों के बाद भी उसे हासिल नहीं कर पाया था उसके साथ शारीरिक संबंध नहीं बना पाया था लेकिन उसे अपनी मां से इस तरह की अश्लील बातें करने में भी बेहद उत्तेजना का अनुभव होता था और उसे बहुत मजा आता था इसलिए अपने होठों पर मुस्कान लाता हुआ अपनी मां से बोला,,,)

सच कहूं तो औरतों में देखने लायक क्या नहीं है ऊपर से नीचे तक सब कुछ देखने लायक है । सर के बाल से लेकर झांट के बाल तक सब कुछ खूबसूरत ही होता है,,,।
(राजू जानबूझकर इस तरह की बात कर रहा था और अपने बेटे के मुंह से झांट शब्द सुन कर‌ वह चौंकते हुए बोली,,,)

क्या,,,,?

अगर तुम्हें बुरा लगा हो तो मैं यहीं पर बात खत्म करता हूं लेकिन जो कुछ भी हकीकत है मैं वही बता रहा हूं,,,


नहीं नहीं वह बात नहीं है तूने कहा क्या खूबसूरती के बारे में,,,
(अपनी मां की बात सुनकर राजू समझ गया था कि उसकी मां वही सुनना चाहती है जो वह बोलना चाहता है इसलिए आप अपनी बात में बिल्कुल भी मर्यादा के शब्द चलाना नहीं चाहता था वह पूरी तरह से अपने शब्दों को अश्लील कर देना चाहता था इसलिए वह बोला,,)

यही मां की औरतों का सब कुछ खूबसूरत होता है उनके सर के बाल से लेकर के उनके झां‌ट‌ के बाल तक,,,)

सर के बाल तो ठीक है लेकिन उस बाल के बारे में तुझे कैसे पता चला,,,,


अरे मां तुम भी अब मैं बड़ा हो गया हूं मुझे सब कुछ पता चलता है और वैसे भी ऐसे दोस्त मिले हैं कि अगर नहीं पता चलता हो तो फिर भी सब कुछ बता देते हैं,,,


तूने देखा है क्या वहां के बाल,,,,(मधु अपने चेहरे पर शर्म का एहसास लाते हुए बोली)

हां देखा हूं,,,


कहां देखा है,,,(थोड़ा सा मधु घबराते हुए बोली उसे इस बात का डर था कि कहीं घर में ही तो नहीं देख लिया है)


अरे अपना मुन्ना है ना वही मुझे पड़ोस के गांव लेकर गया था अपनी चाची के वहां,,,, वहीं पर मैंने उसकी चाची को देखा था,,,।

क्या वह तुझे अपनी चाची दिखाने के लिए किया था,,,


अरे नहीं मैं वह मुझे अपनी चाची दिखाने के लिए नहीं ले गया था बल्कि किसी काम से गया था,,,,

तो तूने केसे देख लिया,,,,?

अरे वहां पहुंचकर मुन्ना किसी काम से किसी दूसरे के घर चला गया और मैं वहीं बैठा रह गया मुझे बैठे-बैठे प्यास लग गई,,,, और मैं पानी लेने के लिए घर के पीछे की तरफ चला गया और वहां जाकर देखा तो मेरे होश उड़ गए,,,।

(इतना सुनकर मधु का दिल जोरो से धड़कने लगा अपने मन में सोचने लगी कि ऐसा क्या राजु ने देख लिया इसलिए उत्सुकता भरे स्वर में बोली,,)

ऐसा क्या देख लिया कि तेरे होश उड़ गए,,,


अरे मां यह पूछो कि मैंने क्या नहीं देखा,,,, मैं जैसे ही घर के पीछे पहुंचा तो मैंने देखा कि मुन्ना की चाची जो कि एकदम जवानी से भरी हुई थी वह कुए पर खड़ी थी और कुएं में बाल्टी से पानी निकाल रही थी,,,,।
(कुवे वाली बात सुनते ही मधु की आंखों के सामने अपनी बेटे के साथ कुएं से रस्सी खींचने वाली बात याद आ गई जब पहली बार वह उसका साथ देने के बहाने उसके साथ कुएं पर आया था और उसके पीछे खड़ा होकर अपने मर्दाना अंग की रगड़ को उसकी गांड पर महसूस कर आया था तभी से मधु को इस बात का एहसास हो गया था कि उसका बेटा बड़ा हो रहा है और साथ में उसका लंड भी बड़ा हो रहा है,,,,)

तो इसमें क्या हो गया कुवे से पानी निकाल रही थी तो,,,


अरे यही तो बात है वह दूसरी औरतों की तरह ही कुवे से पानी निकाल रही थी लेकिन दूसरी औरतों की तरह उसके बदन पर कपड़ा होना चाहिए था ना साड़ी पहनी होनी चाहिए लेकिन वह बिल्कुल नंगी थी एकदम नंगी उसके बदन पर कपड़े का रेशा तक नहीं था,,,)

क्या,,,,?( मधु,,एकदम से चौंकते हुए बोली)


हां मैं एकदम सच कह रहा हूं मैं पहली बार किसी औरत को बिना कपड़ों के देखा था एकदम नंगी और क्या लग रही थी मैं ठीक उसके पीछे खड़ा था थोड़ी दूरी पर पेड़ के पीछे छुप कर मैं सब कुछ देख रहा था,,,, उसकी गोरी गांड मुझे साफ नजर आ रही थी,,,, मेरा तो हालत ही खराब हो गया,,,, मैं समझ नहीं पा रहा था कि क्या करूं एक बार तो ऐसा मन हो रहा था कि वहां से चला जाऊं लेकिन पहली बार किसी औरत को नंगी देख रहा था इसलिए मेरे पैर वहीं जम से गए थे,,,, और नजरें उसी दृश्य से चिपक गई थी,,,,,,।


तुझे डर नहीं लग रहा था अगर कोई तुझे वहां देख लेता तो,,,


डर तो मुझे बहुत लग रहा था लेकिन जिस तरह का नजारा मेरी आंखों के सामने पहली बार आया था उधर से जाने का मन नहीं कर रहा था,,,,

फिर क्या हुआ,,,?(मधु के दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी और राजू अपनी मां की उत्सुकता देख कर खुश हो रहा था ऐसा किसी भी तरह का वाकया उसके साथ बिल्कुल भी नहीं हुआ था बस वह ऐसे ही मनगढ़ंत बातें अपनी मां को बता कर उसके मन को टटोल रहा था)


फिर मैं उसी तरह से रस्सी को खींच रही थी और रस्सी खींचने की वजह से उसकी बड़ी बड़ी गांड ऊपर नीचे हो रही थी मानो कि जैसे बड़े-बड़े तरबूज उसके पीछे बांध दिए गए हो,,,(गांड की जगह बड़े-बड़े तरबूज की उपमा को अपने बेटे के मुंह से सुनकर मधु को हंसी आ गई थी लेकिन वह अपने हंसी को रोक ली,,,) मेरी तो हालत खराब हो रही थी पहली बार मैं किसी औरत की नंगी गांड को देख रहा था उसकी नंगी चिकनी पीठ सब कुछ नजर आ रहा था तभी वह पानी निकाल कर मेरी तरफ घूम गई लेकिन उसने मुझे नहीं देखी थी लेकिन मैं सब कुछ देख रहा था उसकी चूचियां,,,, तुम्हारी जैसी खूबसूरत तो नहीं थी,,,( अपने बेटे के कहने का मतलब को अच्छी तरह से समझ रही थी वह सीधे-सीधे उसकी चूचियों की तुलना उस औरत से कर रहा था और उसके मुंह से यह सुनकर अच्छा लग रहा था कि उसकी तरह उसकी चूचियां नहीं थी मतलब की मधु की खुद की चूचियां बहुत खूबसूरत थी) लेकिन नारंगी से थोड़ी बड़ी बड़ी थी,,,,, उसे देख कर तो मेरी आंखें एकदम चमक गई मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करूं वह ठीक मेरे सामने खड़ी थी उसकी नजर कभी भी मेरे पर पड़ सकती थी लेकिन मैं अपने आपको पेड़ के पीछे पूरी तरह से छुपा लिया था और थोड़ी देर बाद फिर से नजर उसकी तरफ करके देखने लगा तो इस बार मेरी नजर उसकी चिकने पेट से नीचे की तरफ आई और दोनों टांगों के बीच की वह पतली लकीर मैंने जिंदगी में पहली बार देखा जिसे बुर कहते हैं,,,, घुंघराले बालों से गिरी हुई बहुत खूबसूरत लग रही थी पहली बार मुझे पता चला कि औरत की बुर के आसपास बाल होते हैं,,,,,,(अपने बेटे के मुंह से बेझिझक बुर शब्द सुनकर मधु के तन बदन में आग लग गई हो गहरी सांस लेते हुए अनजाने में ही साड़ी के ऊपर से ही अपनी हथेली को अपनी बुर पर रख दी जो कि धीरे-धीरे पानी छोड़ रही थी,,, एक बार इसी तरह की बातों से राजू ने उसका पानी निकाल दिया था और अब धीरे-धीरे उसके मदन रस की बूंदों को बुर की अंदरूनी दीवारों से बाहर निकलवा रहा था,,,, और राजू बेशर्मी की सारी हदें पार करता हुआ अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला) वरना मैं तो यही समझता था कि हम मर्दों के लंड के आसपास ही बाल होते हैं,,,,(राजू अपने शब्दों के बाण से लगातार अपनी
मां के संस्कारी और मर्यादा रूपी दीवार को गिराने की कोशिश कर रहा था धीरे-धीरे उसके शब्दों से वह मर्यादा की दीवार डहने को मजबूर होती जा रही थी,,,,,, पहले गांड और बुर और फिर लंड अपने बेटे के मुंह से इस तरह के शब्दों को सुनकर मर्यादा की मजबूत डोरी तार-तार होने पर मजबूत हो रही थी,,, मधु में इतनी हिम्मत अब नहीं बची थी कि वह अपने बेटे को इस तरह के शब्दों को कहने से रोक सके,,,, उसे अपने बेटे की इस तरह की बातें अच्छी लगने लगी थी और उत्तेजित भी हुए जा रही थी खास करके वह बात दोनों टांगों के बीच की पतली दरार,,, औरतों की बुर के बारे में उसे पतली दरार के रूप का व्याख्यान पहली बार हुआ अपने बेटे के मुंह से सुन रही थी वरना आज तक सिर्फ हुआ अपनी दोनों टांगों के बीच की उस पतली दरार को बुर ही कहती आ रही थी,,,, राजू अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,।) सच में मां मैं तो यही सोचता था किसी भी हम मर्दों को ही लंड के आसपास बाल होते लेकिन पहली बार मुन्ना की चाची को देखकर मेरा ख्याल बदल गया था और मैं पहली बार जाना था कि औरतों की बुर के आसपास भी बाहर होते हैं और पहली बार तो मैं किसी औरत की बुर देख रहा था इसलिए दूर देखकर मैं एकदम से हैरान रह गया था इससे पहले तो मैं बुर की कभी कल्पना भी नहीं कर पाता था कि बुर दिखती कैसी है,,,, सच में मां मैं पहली बार देख रहा था कि औरत की बुर केवल एक पतली दरार की तरह होती है बीच में पतली बनार और इर्द-गिर्द फूली हुई जगह मानो कि जैसे कचोरी फुल गई हो,,,।
(जिस तरह से राजू औरत के अंगों के बारे में उदाहरण दे रहा था उसे सुनकर मधु की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी वह पूरी तरह से उत्तेजना का अनुभव कर रही थी)

सच में तु पहली बार देख रहा था,,,,


हा मा मैं सच कह रहा हूं में पहली बार देख रहा था,,, इससे पहले में औरतों को केवल कपड़ों में ही देखा था,,, मैं तो तब और ज्यादा हैरान हो गया जब देखा कि मुन्ना की चाची साबुन से अपनी बुर रगड़ रगड़ कर साफ़ कर रही थी मेरे तो होश उड़ गए सच कहूं मा तो मेरा तो लंड खड़ा हो गया था,,, ठीक उस दिन की तरह जब खेत में मैंने तुम्हारे हाथ में पकड़ाया था,,,( इस बार अपने बेटे के मुंह से इस तरह की बात सुनकर वह एकदम से मदहोश हो गई,,,, राजू अपनी मां के चेहरे पर अपनी बातों का असर देखना चाहता था उसी के पीछे मुड़कर अपनी मां के चेहरे की तरफ देखा तो उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई

उसकी मां का चेहरा शर्म और उत्तेजना से एकदम लाल हो गया था,,, वह तुरंत आगे की तरफ देखने लगा क्योंकि उसकी बातों ने उसकी मां पर असर करना शुरू कर दिया था और वह भी एकदम बुरी तरह से,,,, अपनी बात को आगे बढ़ाता तब से उसे आगे गांव नजर आने लगा और वह बोला,,)

लगता है हम लोग आ गए ना,,,
(इतना सुनकर मधु आगे की तरफ देखने लगी तो गांव नजर आ रहा था और वह गहरी सांस लेते हुए बोली)

हां यही गांव है आगे चलकर बांई ओर मुड जाना,,,

और थोड़ी ही देर में बैलगाड़ी ठीक वैद्य के घर के सामने जाकर रुकी,,, बैलगाड़ी में से उतरने से पहले मधु साड़ी के ऊपर से ही अपनी बुर को टटोलकर उस का जायजा लेना चाहती थी कि उसके बेटे के शब्दों ने उसे कितनी क्षति पहुंचाई है,,, इस बार अपने बेटे की बात सुनकर वह झाड़ी नहीं थी लेकिन बुर पूरी तरह से चिपचिपी हो गई थी,,,।)
waiting........... ....
 
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वैध के घर के सामने बैलगाड़ी आकर रुक गई थी मधु अपने मन में सोचने लगी कि अच्छा हुआ कि उसकी मंजिल आ गई थी वरना उसका बेटा अपनी बातों से एक बार फिर से उसका पानी झाड़ दिया होता लेकिन अपनी बातों से वह पूरी बुर चिपचिपी कर दिया था ऐसा लग रहा था कि जैसे अभी अभी बारिश होकर बंद हो गई हो और जमीन पूरी गीली हो गई हो,,,,, राजू तुरंत बेल गाड़ी रोककर पीछे आया और अपनी मां को उतारने में मदद करने लगा,,,।


वैध के घर 10 लोग जैसे बैठे हुए थे जो दवा लेने के लिए आए थे यह बड़ा ही नामचीन वेध था,, इसीलिए तो लोग दूर-दूर से यहां दवा लेने के लिए अपना इलाज कराने के लिए आते थे,,, एक अच्छी सी साफ-सुथरी जगह देखकर,,, मधु बैठ गई थी और राजू कुछ देर तक वही अपनी मां के साथ बैठा रहा है लेकिन उसे इस तरह से बैठे हैं ना अच्छा नहीं लग रहा था इसलिए वह अपनी मां से बोला,,,।

लगता है यहां पर कुछ समय लग जाएगा मैं तब तक इधर-उधर घूम कर आता हूं,,,,


ठीक है लेकिन जल्दी आ जाना,,,

तुम चिंता मत करो मैं दूर नहीं जाऊंगा बस यही आस-पास ही हूं,,,(और इतना कहने के साथ ही राजू गांव का जायजा लेने के लिए इधर उधर घूमने लगा गांव कुछ खास बड़ा नहीं था सिर्फ इस वैद्य के वजह से गांव का नाम दूर-दूर तक माना हुआ था,,,, राजू इधर उधर घूमने लगा,,, घूमते घूमते हुए गांव के थोड़ा बाहर निकल आया ,,, गांव के बाहर बड़ा सा तालाब था और राजू बड़े से पत्थर पर बैठकर तालाब में धीरे-धीरे कंकड़ मारने लगा उसका समय गुजर नहीं रहा था वह जल्द से जल्द दवा लेकर वापस जाना चाहता था ताकि सफर में अपनी मां के साथ थोड़ी मस्ती कर सके अपनी गंदी बातों से उसका मन बहला सके,,,,,,,
राजू बड़े से पत्थर पर बैठकर पानी में कंकर मारता हुआ इधर उधर नजर दौड़ा कर देख रहा था चारों तरफ बड़ी-बड़ी साड़ियां होगी हुई थी और इस समय तालाब पर कोई भी नहीं था क्योंकि दोपहर का समय था लेकिन आसमान में रह-रहकर बादल उमड़ आते थे जो कि बारिश आने का अंदेशा दे रहे थे,,,,,, तभी झाड़ियों में थोड़ी सी हरकत हुई ऐसा लग रहा था कोई जंगली जानवर झाड़ियों के बीच में बैठा हुआ है लेकिन तभी उसके सोचने के विरुद्ध ही एक औरत जो कि लगभग 35 या 36 साल की लग रही थी वह झाड़ियों में से निकल कर बाहर आई और जैसे ही झाड़ियों से बाहर निकल कर आई राजू उसको देखकर एकदम से हक्का-बक्का रह गया क्योंकि वह औरत थोड़ा सा झुक कर और अपनी साड़ी को कमर तक उठाकर धीरे-धीरे झुक कर ही चल रही थी वह तालाब के पानी के पास आ रही थी उसकी नजर अभी तक राजू पर बिल्कुल भी नहीं पड़ी थी लेकिन राजू की नजर उस पर पड़ चुकी थी और राजू को समझते देर नहीं लगी कि वह औरत सोच करके आ रही थी,,,,,,,,।

औरत को ऐसे हालात में देखकर एक अच्छे संस्कार इंसान को वहां से हट जाना चाहिए था लेकिन राजू अब संस्कारी बिल्कुल भी नहीं था औरतों के मामले में तो खास करके वह बेशर्मी दिखाता हुआ एकदम से वहीं बैठा ही रह गया लेकिन अभी तक उस औरत की नजर उस पर पड़ी नहीं थी और वह तालाब के किनारे बैठ कर पानी का इस्तेमाल करते हुए गांड धोने लगी,,, यह देखकर राजू का लंड एकदम से खड़ा हो गया हालांकि अभी तक राजू इतनी दूर से ना तो उस औरत की गांड देख पाया था और न ही उसकी बुर लेकिन फिर भी उसके बदन की बनावट देखकर समझ गया था कि उसकी बुर कितनी जानदार होगी,,,, वह औरत निश्चिंत होकर तालाब के पानी का उपयोग कर रही थी लेकिन उसे नहीं मालूम था कि उसके सामने बड़े से पत्थर पर बैठकर एक जवान लड़का उसकी हरकत को देख रहा है और जैसे ही उस औरत की नजर राजू पर पड़ी वह एकदम से हक्की बक्की रह गई,,,,,, वह तुरंत खड़ी हो गई लेकिन खड़ी होकर जब तक अपनी साड़ी को कमर से नीचे छोड़ती राजू की नजर उसकी घुंघराले बालों से गिरी हुई बुर पर पड़ गई और उसकी बुर देखकर गर्म आहहह भरने लगा,,,, वह औरत एकदम संस्कारी थी इसलिए वह राजू की हरकत पर सिर्फ गुस्सा करके रह गई और वहां से जाने लगी,,,, राजू अपने चारों तरफ नजर दौड़ाया वहां पर कोई भी नहीं था यह स्थान एकदम सुनसान था इसलिए वह इस मौके का फायदा उठाना चाहता था वह उस औरत से बात करना चाहता था उसके मन की हालत को समझना चाहता था इसलिए तुरंत घूम कर गया और वह और झाड़ियों से बाहर निकलती से पहले ही ठीक उसके सामने जाकर खड़ा हो गया,,, और मुस्कुराते हुए बोला,,,।

नमस्ते भाभी,,,, अपनी गलती के लिए शर्मिंदा हूं,,,


तुम अगर शर्मिंदा होते तो अपनी नजर को दूसरी तरफ फेर लेते,,,,(वह घुंघट मैं अपना मुखड़ा छुपा कर बोली)

मैं माफी चाहूंगा भाभी तुम जो कुछ भी कह रही हो वह बिल्कुल सच है अगर मैं शर्मिंदा हुआ होता तो मैं अपनी नजरों को घुमा देता लेकिन मैं एक बात कहना चाहूंगा कि तुम अगर खूबसूरत ना होती तो शायद मैं ऐसा जरूर करता था कि मैंने पहली बार ऐसी खूबसूरत औरत देखा हूं,,,,।

(राजू अपनी बातों का जाल बुनना शुरू कर दिया,,,, औरतों की कमजोरी को अच्छी तरह से जानती थी लेकिन यहां पर उसका पासा पलटना हुआ नजर आ रहा था क्योंकि वह बेहद सीधी-सादी औरत थी,,,, और हो राजू की बात सुनकर एकदम से घबराते हुए बोली,,)

यह क्या कह रहे हो मुझसे इस तरह की बात करते हुए तुम्हें शर्म आनी चाहिए,,,,,,
(उसकी ऐसी बात सुनकर राजू समझ गया कि सोच समझकर कदम उठाना होगा वह अपने चारों तरफ नजर घुमा कर देखने लगा दूर-दूर तक कोई नजर नहीं आ रहा था क्योंकि यह जगह गांव से थोड़ी दूर पर थी,,, राजू बात को संभालते हुए बोला,,,)


मुझे मालूम था भाभी कि तुम्हें मेरी बात बुरी लगेगी लेकिन मैं हकीकत कहने से पीछे नहीं होता जो बात सच होती है मैं उसे कहने से डरता नहीं बने चाहे कुछ भी हो जाए मैं जानता था कि तुम मुझसे नाराज हो जाओगी मेरी बात सुनकर तुम्हें गुस्सा भी आएगा लेकिन हकीकत ‌को टाला तो नहीं जा सकता तुम खूबसूरत हो तो हो,,,,(राजू अपनी बातों को कह भी रहा था और अपनी आंखों से उसकी खूबसूरत बदन को ऊपर से नीचे तक टटोलते हुए उसके बदन का जायजा भी ले रहा था,,, तभी उसकी नजर उसके थोड़े से फटे हुए ब्लाउज पर गई ,, और उसका ब्लाउज जिस जगह से थोड़ा सा फटा हुआ था वहां से उसकी चूची का किसमिस नजर आ रहा था जिस पर नजर पड़ते ही राजू का लंड खड़ा होने लगा,,,,,, राजू उस औरत के लिए बिल्कुल अनजान था और राजू के लिए औरत बिल्कुल अनजान थी दोनों में किसी भी प्रकार की रिश्तेदारी है पहचान नहीं थी राजू उस औरत को पहली बार देख रहा था,,, शायद वह उसके पीछे आता भी नहीं लेकिन उसे साड़ी उठाकर झुके हुए चलते हुए देखकर उसकी काम इच्छा जाग गई थी,,, ऐसा नहीं था कि राजू की बातों से उसे गुस्सा आ रहा था उसे राजू की बात अच्छी भी लग रही थी क्योंकि,,,, उसे किस बात का एहसास हो रहा था कि किसी को तो वह खूबसूरत नजर आ रही है,,,,, उस औरत का रंग हल्का सा दबा हुआ था लेकिन बदन का भराव सुगठित था इसलिए वह खूबसूरत लग रही थी,,,,,, राजू अपनी बात खत्म करके कुछ देर तक नहीं खड़ा रहा लेकिन वह कुछ बोल नहीं रही थी और अपना काम करने लग गई थी वह पेड़ों से सूखी हुई लकड़ियां तोडकर इंधन जुटा रही थी ताकि खाना पका सके,,, उससे लकड़ियों का देर बांधा नहीं जा रहा था और वैसे भी आसमान में बादल देखकर वह कुछ ज्यादा ही लकड़ियां इकट्ठा कर ली थी ताकि अगर बरसात हो जाए तो दूसरे दिन के लिए इंधन के लिए इधर-उधर भटकना ना पड़े राजू उसके करीब ही खड़ा था और वह नीचे बैठकर लकड़ियां बांधने की कोशिश कर रही थी उससे ठीक से बंध नहीं रही थी इसलिए राजू बोला,,,।)

लाओ भाभी मैं बांध देता हूं तुमसे नहीं बंधेगी,,,,
(इतना कहने के साथ ही राजू उसके पास जाकर बैठ गया और उसके नानूकुर करने के बावजूद भी जबरदस्ती लकड़ियों को इकट्ठा करके बाद में लगा देखते ही देखते राजू दो गट्ठर बांध लिया था,,,, लकड़ियों के दो ढेर देखकर वह औरत को समझ में नहीं आ रहा था कि वह घर कैसे लेकर जाएगी जबकि घर उसका ठीक सामने ही था,,,, जब वह लकड़ियों को इकट्ठा करके उसे बांध रहा था तब वह औरत अपने मन में सोच रही थी कि यह जवान लड़का है कौन किसके घर आया है किसका रिश्तेदार है इससे पहले तो उसने कभी भी इसे गांव में देखी नहीं तो ही अनजान लड़का यहां क्या कर रहा है,,,, राजू को देखकर उस औरत के मन में ढेर सारे सवाल पैदा हो रहे थे और उसकी हरकत से वह थोड़ी सेहमी हुई भी थी,,, इन सब के बावजूद भी ना जाने क्यों उस औरत का राजू के प्रति अजीब सा आकर्षण होता जा रहा था राजू का भोला भाला चेहरा उसे भा रहा था,,, राजू आखरी बाोजे को कस के बांधता हुआ बोला,,,,)

अब तो ठीक है ना भाभी,,,।

हां अब ठीक है,,,,,,(इतना कहने के साथ ही वह औरत जैसे ही लकड़ी के बोझ को उठाने के लिए नीचे झुकी उसके कंधे पर से साड़ी का पल्लू नीचे गिर गया और उसकी जवानी से लबलबाती हुई चूचियां,,, आधे से ज्यादा,,, ब्लाउज में से बाहर झांकने लगी,,, ब्लाउज के ऊपरी हिस्से का बटन टूटा हुआ था इसलिए अपनी मचलती उफान मारती जवानी को खेत करने के लिए ब्लाउज में बटन का अंकुश नहीं था,,, अगर एक और बटन खुला होता तो शायद उसकी चूचियां बाहर छलक उठती,,,, राजू आंखें फाड़े उसकी मदहोश जवानी को छलकते हुए देख रहा था उसकी चुचियों को देखकर राजू समझ गया था कि चुचियों में बहुत रस भरा हुआ है,,,,,,, वह औरत को जैसे ही इस बात का आभास हुआ वह राजू की तरफ देखी तो शर्म से एकदम सहमत ही क्योंकि उसकी नजरें उसकी चुचियों पर जमी हुई थी और अपनी छातियों की तरफ देखी तो उसके होश उड़ गए,,, ब्लाउज का ऊपरी बटन टूटा हुआ था यह तो अच्छी तरह से जानती थी लेकिन झुकने पर उसकी आधे से ज्यादा चूचियां नजर आने लगेगी शायद इस बात का अंदाजा उसे बिल्कुल भी नहीं था इसलिए वह तुरंत खड़ी हो गई और अपनी साड़ी के पल्लू को ठीक करने लगी,,,,,,,।

वह औरत गांव के आखिरी छोर पर अकेले ही रहती थी उसका पति कई कई दिन तक घर नहीं वापस आता था इधर उधर काम की तलाश में जो काम मिल जाए उसे करके अपने परिवार का भरण पोषण कर रहा था,,,, राजू की नजरों से वह शर्म का अनुभव कर रही थी,,, एक जवान लड़का प्यासी नजरों से उसकी चूची को ताड़ रहा था और तालाब के किनारे उसे गांड धोते हुए देख लिया था और वह उसकी मदद करने के लिए यहां तक पहुंच गया था वह औरत समझ नहीं पा रही थी कि राजू के मन में क्या चल रहा है अभी तक कुछ नहीं उसका नाम भी नहीं पूछी थी,,, लेकिन उसकी हरकतों से कुछ ठीक नहीं लग रही थी उसकी आंखों में जवानी चखने की प्यास एकदम साफ नजर आ रही थी,,,, वह खुद हैरान थी कि उसकी नजरों से उसे शर्म भी आ रही थी और ना जाने कि उसके तन बदन में हलचल सी भी हो रही थी,,,,, देखते ही देखते अपनी साड़ी के पल्लू को ठीक करके वह वापस लकड़ियों का बोझ उठाने लगी लेकिन लकड़िया कुछ ज्यादा ही करती हो चुकी थी इसलिए वह ठीक से उठा नहीं पा रही थी यह देखकर राजू बोला,,,।

तुम रहने दो भाभी मैं उठा देता हूं तुमसे नहीं उठने वाला कुछ ज्यादा ही वजन है,,,


नहीं नहीं रहने दो मैं उठा लूंगी,,, तुम जाओ अपना काम करो,,,


अरे नहीं नहीं ऐसे कैसे मेरे होते हुए तुम लकड़ियों का इतना भारी बोझ उठाओ यह मुझसे देखा थोड़ी जाएगा,,, तुम खड़ी रहो मैं उठा देता हूं,,,,।
(राजू लकड़ियों को उठाने के लिए नीचे झुक गया था और लकड़ी उठाने की कोशिश कर रहा था लेकिन वह औरत उसे लकड़ीया उठाने नहीं दे रही थी क्योंकि वह नहीं चाहती थी कि वह लड़का उसके पीछे पीछे उसके घर तक आए क्योंकि उसका नजरिया और इरादा दोनों ठीक नहीं लग रहा था लेकिन उठाने और नहीं उठाने के चक्कर में राजू ने अनजान बनते हुए ही जानबूझकर उसकी कलाई पकड़ लिया था और जैसे ही कलाई पकड़ा दोनों की नजरें आपस में टकरा गई राजू तो पूरी तरह से खेला खाया था और औरतों को कैसे अपने बस में किया जाता है इसका उन्हें अच्छी तरह से जानता था लेकिन वह औरत इन सब से अनजान थी वह अपने पति को छोड़कर अभी तक किसी गैर मर्द से इस तरह से नजर तक नहीं मिली थी इसलिए पहली बार एक जवान लड़के से नजर मिलते ही उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी,, खास करके उसकी दोनों टांगों के बीच की स्थिति कुछ ज्यादा ही दयनीय नजर आ रही थी,,,, कुछ देर तक राजू उस औरत की कलाई को पकड़े रह गया खेतों में काम करने की वजह से उसकी कलाई मजबूत महसूस हो रही थी और राजू अपने मन ही मन सोच रहा था कि इस गठीले बदन वाली मजबूत बांहो वाली औरत को चोदने में कितना मजा आएगा,,,,, अपनी कलाई किसी गैर जवान लड़के के हाथ में पाकर उससे कुछ बोला नहीं जा रहा था वह आंखें फाड़े राजू को ही देख रही थी,,,, और राजू था कि उसकी आंखों की गहराई में उतर कर उसके दोनों टांगों के बीच की जगह पर अपना स्थान बनाना चाहता था,,,,, राजू की आंखों और उसकी हरकत ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया था वह औरत कुछ बोल नहीं पा रही थी बस वह भी एकटक राजू को ही देखे जा रही थी इसलिए राजू मुस्कुराता हुआ उसकी हाथ की कलाई को छोड़ता हुआ बोलो,,,।


मैं उठा देता हूं भाभी तुम चिंता मत करो सिर्फ मुझे बता दो कहां लेकर जाना है,,,,।
(राजू की बात सुनकर उस औरत को समझ में नहीं आ रहा था कि अपने घर पर उसे ले जाना उचित रहेगा या नहीं क्योंकि उसकी हरकतें बता रही थी कि उसका इरादा कुछ ठीक नहीं लग रहा था और वैसे भी वह गांव के आखिरी छोर पर रहती थी दूर-दूर तक कोई नजर नहीं आता था चारों तरफ से खेत ही खेत थे अगर ऐसे में यहां उसके साथ जबरदस्ती करेगा तब वह क्या कर पाएगी,,, फिर भी ना चाहते हुए भी वह बोली)
वो रहा,(उंगली के निर्देश से उसे अपना घर बताते हुए,,, जो कि थोड़ी ही दूरी पर था) वह नीम के पेड़ के नीचे,,,

ठीक है मैं पहुंचा देता हूं,,,,(इतना कहने के साथ ही राजू में लकड़ियों के ढेर का बोजा उठाकर अपने सर पर रख लिया,,, और दूसरे बोजे को एक हाथ से उठा लिया राजू की ताकत को देखकर वह औरत भी हैरान रह गई क्योंकि राजू बड़े आराम से इतने वजनदार लकड़ियों के बोझ को उठाया था ,,,, बोझ को तो उसने उठा लिया था लेकिन उस औरत की नजर ऐसी जगह पड़ी कि उसे देख कर उस औरत के होश उड़ गए,,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें,,,,,,,, क्योंकि उस औरत की मदहोश जवानी को देखकर राजू उत्तेजित हो चुका था,,, और उसकी उत्तेजना का तापमान थर्मामीटर बनकर उसका लंड नाप रहा था जो कि इस समय उत्तेजित अवस्था में था और पजामे के आगे वाले भाग में तंबू बनाया हुआ था यह देखकर उस औरत के होश उड़ गए थे उसकी दोनों टांगों के बीच की पत्नी दरार में अपने आप ही हलचल होना शुरू हो गया था,,,, एक खूबसूरत संस्कारी जवानी से भरी हुई औरत भले ही अपने आप को दुनिया की नजरों से बचा कर रखे लेकिन जब उसकी आंखों के सामने इस तरह के दृश्य नजर आ जाते हैं तो वह भी अपने आप को संभाल पाने में असमर्थ महसूस करने लग जाती है और यही उस औरत के साथ

भी हो रहा था,,,, राजू की नजर उसकी नजरों पर ना पड़ जाए इसलिए वह तुरंत अपनी नजरों को दूसरी तरफ कर ली थी लेकिन इससे पहले राजू ने उसकी नजरों के निशान को अच्छी तरह से भांप लिया था और मन ही मन खुश हो रहा था,,,,,।

राजू चाहता था कि वह औरत आगे आगे चले ताकि वह उसके बदन की बनावट को पीछे से अपनी नजरों से नाप सके और वैसे भी उसकी अनुभवी आंखों ने आंखों ही आंखों में उस औरत के बदन के बनावट का हर जगह से नाप ले लिया था,,, लेकिन वह चाहता था कि वह औरत आगे आगे चले ताकि वह उसकी मटकती हुई गांड को देख सकें,,, उसकी कसी हुई जवानी को देख सके,,,, इसलिए वह उससे बोला,,,।

भाभी तुम आगे आगे चलो,,,,,
(राजू की बात वह इंकार नहीं कर पाई और वह दो कदम आगे हो गई और चलने लगी राजू यही चाहता ही था उसकी बलखाती कमर और कमर के नीचे की तौर पर वह कामुक गड्ढा जिसको देखकर ही मर्दों का मन मचल उठता था और पीठ के बीचो बीच की गहरी लकीर ,,,,, ऐसा लगता था कि कुदरत ने अपनी कलाकारी से उसकी मदहोश जवानी को अलग-अलग हिस्सों में बांट दिया है ताकि एक साथ देखने पर कहीं मर्दों की सांस ना अटक जाए,,,, ऊंचे नीचे पगडंडी पर औरत आगे-आगे चल रही थी और उसके इस तरह से चलने पर उसकी भारी-भरकम गोल-गोल कहां पानी भरे गुब्बारों की तरह लहर मार रही थी,,,, जिसे देखकर राजू का पजामा और ज्यादा तनता चला जा रहा था,,,,। रह रहे करवा औरत ना चाहते हुए भी पीछे की तरफ देख ले रही थी और पीछे की तरफ देखने पर उसकी ज्यादातर निगाह राजू के पजामे की ओर चली जा रही थी जो कि पहले से कुछ ज्यादा ही बड़ा होता नजर आ रहा था वह अपनी मन में सोचने लगी थी बाप रे पजामे में क्या छुपाया है इस लड़के ने,,,, क्योंकि वह आज तक अपने पति के उत्तेजित अवस्था में भी पैजामा में इस तरह से तंबू नहीं देखी थी,,, इसलिए उसकी स्थिति खराब होती चली जा रही थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह अपने आप पर काबू कैसे कर पाएगी,,,, और राजू था कि कसी हुई साड़ी में उसकी गांड के दोनों फांकों को देखकर उसमें जीभ डाल कर चाटने का उसका मन कर रहा था,,,,,।

देखते ही देखते राजू उसके घर पर पहुंच गया था,,,,

लकड़ियां कहां रखना है,,,।

(वैसे तो वह औरत लकड़ियों के ढेर को घर के पीछे रख दी थी लेकिन आसमान में बादल का जमावट देखकर उसे आशंका थी कि कभी भी बारिश हो जाएगी अगर ऐसे में वहां लकड़िया बाहर रखेगी तो लकड़िया भीग जाने का डर है और फिर खाना बनाने में दिक्कत आ जाएगी इसलिए वह राजू से बोली,,,)

रुक जाओ इसे घर में रखना है,,, बारिश का कोई ठिकाना नहीं है कभी भी आ जाएगी,,,,(और इतना कहने के साथ ही लकड़ियों के पट्टी से बने दरवाजे को वहां खोलकर अंदर आ गई और राजू को भी अंदर आने के लिए बोली,,,, उस औरत का मकान एकदम कच्चा था छत घास फूस के ढेर से बनाया गया था दीवारें मिट्टी से लिपी हुई थी,,,,,, उस औरत का इशारा पाते ही राजू लकड़ियों के ढेर को घर में लेकर जाने लगा और घर के बीचो बीच पहुंचकर वह चारों तरफ नजर घुमा कर देखने लगा घर वैसे तो ठीक-ठाक ही था घर के किनारे पर चारपाई बिछी हुई थी और रस्सी पर बच्चों के भी कपड़े टंगे हुए थे जिसे देखकर समझ में आ रहा था कि इस औरत के बच्चे भी थे,,, इसलिए राजू लकड़ियों का ढेर सर पर लिए हुए ही बोला,,,)

बच्चे कहां हैं नजर नहीं आ रहे हैं,,,


होंगे यहीं कहीं खेल रहे होंगे,,

कितने हैं,,,?


दो बच्चे हैं,,,
(इतना सुनकर राजू अपने मन में सोचने लगा कि 2 बच्चे की मां हो गई है लेकिन जवानी का रस हर जगह से टपक रहा है बिल्कुल भी कोई कमी नहीं आई है,,, अपनी भावनाओं पर तो काबू कर सकने में किसी तरह से कामयाब हो जा रहा था लेकिन अपनी उत्तेजना के थर्मामीटर के पारा को काबू कर पाने में वह बिल्कुल भी समर्थ नहीं था इसलिए तो पैजामा में तंबू पूरी तरह से अपनी औकात में आ चुका था जिस पर उस औरत की नजर पड़ते ही उसकी बुर अपने आप पानी छोड़ रही थी यह कैसे हो रहा है या उसे भी नहीं पता चल रहा था शायद 20 25 दिन हो गए थे वह पति से मिली नहीं थी उसका पति काम के सिलसिले में बाहर गया हुआ था शायद इसीलिए ही पति का सुख ना मिल पाने के कारण ही 1 जवान लड़के के पैजामा में बने तंबू को देखकर वह अंदर ही अंदर उत्तेजित हुए जा रही थी,,,।


अरे भाभी मेरे सर पर से बोझ तो उठाओ मेरा सर दर्द करने लगा है,,,

अरे हां,,, मैं तो भूल ही गई,,,,(और इतना कहने के साथ ही वह औरत लकड़ियों का बोझ उठाने के लिए राजू के करीब पहुंच गई राजू की लंबाई उससे थोड़ा ज्यादा थी इसलिए वह बोझ उठाने के लिए जैसे अपना हाथ ऊपर कि उसे और करीब आना पड़ा और देखते ही देखते वह इतनी करीब आ गई कि उसकी मदमस्त पपैया जैसी तनी हुई चूची राजू की छाती पर घर्षण करने लगी उस औरत की पपाया जैसी चूची का स्पर्श अपनी छातियों पर महसूस करते ही राजू का लंड और ज्यादा कड़क हो गया,,, वह औरत अपने आप को राजू के बदन के स्पर्श से बचाना चाहती थी लेकिन लकड़ियों को उतारने के लिए उसे इतना करीब

आना बेहद जरूरी था वरना वह लकड़ियों के ढेर को हाथ का सहारा देकर उतार नहीं सकती थी,,,,,, लेकिन उसे इस बात का एहसास हो गया था कि उसकी चुचियों का स्पर्श उस लड़के की छाती पर होने लगा था और इसीलिए वह कसमसा रही थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें,,,)

अरे भाभी थोड़ा हाथ लगाओ मेरा सर और हाथ दोनों दुखने लगा है,,,।
(वह अच्छी तरह से समझ गई थी कि वह बहाना कर रहा है और ज्यादा आगे बढ़ने का वरना वह इतने आराम से बोझ उठाकर लेकर आ गया था क्या बोझ उतार नहीं सकता था लेकिन वह कर भी क्या सकती थी थोड़ा सा हां तभी उसका पहुंचना बाकी था इसलिए वह थोड़ा सा हाथ और ऊपर पहुंचाने के लिए थोड़ा सा और आगे बढ़ी और अपने पैर के पंजों के सहारे ऊपर की तरफ खड़े होने लगी ऐसा करने पर उसे अपनी दोनों टांगों के बीच कड़क चीज चूभती हुई महसूस होने लगी और उसे समझते देर नहीं लगी कि वह कड़क चुभती हुई चीज क्या है वह समझ गई कि उस लड़के का लंड उसकी दोनों टांगों के बीच स्पर्श हो रहा है ,, और पल भर में ही उसकी सांसे तेज होने लगी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें अभी तक वह लकड़ियों के ढेरों तक अपने हाथ को पहुंचा नहीं पाई थी और उस जवान लड़की के लंड को अपनी बुर पर महसूस करने लगी थी यह एहसास राजू को सातवें आसमान पर ले जा रहा था वह औरत अपने आप को बचाने की कोशिश करते हुए अपने पैरों को अपने बदन को राजू से दूर करना चाहती थी लेकिन तभी उसका पैर फिसल गया और वह अपनी स्थिति को नियंत्रण में नहीं कर पाई और सीधे राजू के ऊपर गिरी और राजू भी पीछे की तरफ कितने लगा और अगले ही पल राजू नीचे जमीन पर गिरा हुआ था और वह औरत उसके ऊपर गिरी हुई थी और इस तरह गिरने की वजह से उसकी साड़ी पीछे से एकदम उठकर कमर तक आ गई थी उसकी बड़ी बड़ी गांड दम नंगी हो गई थी इस बात का आभास उसे बिल्कुल भी नहीं था उसकी सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी राजू की मजबूत बाहों में वह पूरी तरह से समाई हुई थी राजू ने उसे अच्छे से संभाल लिया था वरना उसे भी चोट लग जाती राजू तो इस पल के लिए बेताब था उसकी आंखों में चमक नजर आ रही थी राजू उस औरत की आंखों में देखने लगा औरत भी राजू की आंखों में डूबती चली जा रही थी अपनी छातियों को राजू की मजबूत छातियों पर रगडती हुई महसूस करके उसके बदन में उत्तेजना का संचार होने लगा था,,,,,,, राजू अपनी छातियों पर उस औरत की बड़ी बड़ी चूचीयो के दबाव को अच्छी तरह से ही महसूस कर रहा था ऐसा लग रहा था कि जैसे रूई को गोल गोल करके उसका गेंद बना कर उसकी छाती पर कोई दबा रहा हो राजू को बहुत मजा आ रहा था,,,, राजू अच्छी तरह से जानता था कि उसके लिए यही अच्छा मौका था उस औरत के बदन से खेलने के लिए उसके बदन में उत्तेजना का बीज रोपने के लिए,,,, इसीलिए वह अपना दोनों हाथ उसकी चिकनी कमर पर रख दिया और फल कैसे उस पर दबाव देता हुआ बोला,,,।

ओहह भाभी क्या करती हो अभी तो तुम्हें चोट लग गई होती तो अच्छा हुआ कि तुम मेरे ऊपर गिरी हो वरना तुम अपनी हड्डीया तोड़वा लेती,,,,(इतना कहने के साथ ही उस औरत की पतली चिकनी कमर को अपने दोनों हाथों में लेकर दबा दिया था इस बात का एहसास कमर पर अनजान जवान हथेली का स्पर्श उस औरत के बदन में गर्मी पैदा कर रहा था वह राजू की बाहों में कसमसा रही थी,,,,,,, उस औरत से कुछ बोला नहीं जा रहा था वह मारे शर्म से घड़ी जा रही थी,,,, उसके गाल पल भर में लाल हो गए थे जिसे देखकर राजू समझ गया था कि यह उत्तेजित हो रही है और इसीलिए उसकी उत्तेजना का फायदा उठाते हुए राजू अपने दोनों हथेली को उसकी कमर से हटाकर,,, उसकी गांड पर रख दिया राजू को ऐसा ही था कि वह साड़ी के ऊपर से उसकी गाल को पकड़ रहा है लेकिन गिरने की वजह से उसकी साड़ी कमर तक उठ गई थी और उसकी गांड एकदम नंगी हो गई थी इसलिए उसकी गांड पर अपनी हथेली का स्पर्श पाते ही और उसकी नंगी चिकनी गांड महसूस करते ही राजू के तन बदन में उत्तेजना का संचार बड़ी तेजी से होने लगा ,,,, राजू को पूरी तरह से एहसास हो चुका था कि गिरने की वजह से उसकी साड़ी कमर तक उठ चुकी है और जैसे ही उस औरत ने राजू की हथेली को अपनी नंगी गांड पर महसूस की हुआ है एकदम से सिकुड़ गई शर्म के मारे वह पानी पानी होने लगी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें,,,, वह दोनों तरफ से पीस रही थी ऊपर से वह अपनी हथेली उसकी गांड का रखा हुआ था और नीचे से उसका खड़ा लंड पर जाने के ऊपर से ही सारी सहित उसकी बुर पर दस्तक दे रहा था एक मोटे तगड़े लंड को अपनी बुर पर दस्तक देता महसूस करके,, उस औरत में उत्तेजना परम शिखर पर पहुंचने लगी वह कसमसाने लगी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें,,,,,।

दोनों एक दूसरे की आंखों में देख रहे थे उस औरत की सांसे बड़ी तेजी से चलने लगी थी राजू अपनी दोनों हथेलियों का कमाल दिखाते हुए उसकी बड़ी-बड़ी गांड की दोनों फांकों को अपनी हथेली में लेकर जोर जोर से दबाना शुरू कर दिया,,,,,, उसकी उभरती हुई सांसो को देखकर राजू उसकी गांड को जोर-जोर से दबाता हुआ बोला,,,।


क्या हुआ भाभी,, तुम चिंता मत करो तुम्हें कुछ होने नहीं दूंगा,,,(और इतना कहने के साथ ही राजू उसकी गांड की फोटो के बीच अपनी पूरी हथेली ले जाकर अपनी उंगली को उसकी गुलाबी बुर पर रखकर दबा दिया,,, अभी तक की राजू की हरकतों की वजह से उस औरत में उत्तेजना का संचार बड़ी तेजी से हो रहा था वह भी एकदम से चुदवा‌सी हुए जा रही थी इसलिए उसकी बुर से मदन रस झड़ रहा था,,,। राजू की उंगली उसकी बुर से जैसे स्पर्श हुई ना चाहते हुए भी उस औरत के मुंह से गरमा गरम सिसकारी फूट पड़ी,,,)

सहहहससस ,,,,आहहहहहहह,,,,, यह क्या कर रहे हो,,,

कुछ नहीं भाभी देख रहा हूं कि तुम्हारी बुर बहुत पानी छोड़ रही है,,,,


तुम्हें शर्म नहीं आती इस तरह की बात करते हुए,,,(उस औरत के शब्दों में बिल्कुल भी गुस्सा नहीं था वह बड़े सहज रूप से बोल रही थी राजू समझ गया था कि वह औरत धीरे-धीरे लाइन पर आ चुकी है,,,)

तुम जैसी खूबसूरत औरत के सामने अगर मैं शर्म कर गया तो फिर मेरी मर्दानगी पर धिक्कार है,,, क्योंकि मैं जानता हूं कि तुम्हारा भी मन वही कर रहा है जो कि मेरा मन करने को कर रहा है तभी तो तुम्हारी बुर पानी छोड़ रही है,,,(इतना कहने के साथ ही राजू अपनी बीच वाली उंगली को सीधे उसकी बुर के अंदर प्रवेश करा दिया,,,,)

आरहररह,,,, यह क्या किया,,,


जो तुम चाहती थी भाभी और एक जवान औरत के साथ जो करना था वही किया हूं,,,,,(इतना कहने के साथ ही राजू अपने प्यासे होठों को उसके लाल-लाल होठों पर रखकर चुंबन करना शुरू कर दिया यह उस औरत का पहला चुंबन था जब किसी मर्द ने उसके होंठों पर होठ रखकर चुंबन किया था,,,, एकदम से सिहर उठी उसके बदन में कंपन होने लगा और राजू उसको चुंबन करते हुए उसको अपनी बाहों में भर लिया और पलट कर उसे जमीन पर कर दिया और खुद पर आ गया,,,,, उस औरत के लिए यह पल बिल्कुल भी अपने आप को काबू में करने जैसा नहीं था वह मदहोशी के भावनाओं में बहती चली जा रही थी राजू ने एक औरत पर काबू पाने के सारे हथकंडे उस औरत पर आजमा चुके थे और उसका हथकंडा काम कर रहा था,,, उसकी बुर लगातार पानी छोड़ रही थी,,,,, और वह इस मौके का पूरी तरह से फायदा उठाते हुए उस औरत का ब्लाउज का बटन खोलने लगा जो कि पहले से ही एक टूटा हुआ था ,,,, उसे ब्लाउज का बटन खोलने से वह औरत रोकते हुए बोली,,,।


यह क्या कर रहे हो कोई देख लेगा तो,,,,


कोई नहीं देखेगा वैसे भी तुम गांव के एकदम किनारे रहती हो यहां कोई आने वाला नहीं है,,,


दरवाजा खुला है,,,,।(वह औरत ने एकदम उत्तेजनात्मक स्वर में बोली,,,, जो कि उसकी तरफ से राजू को पूरी तरह से छूट मिलने का प्रमाण मिल चुका था राजू उसकी यह बात सुनकर एकदम से खुश हो गया था वह समझ गया था कि अब वह कुछ भी करेगा यह औरत कुछ भी बोलेगी नहीं बल्कि उसे मजा आ रहा था,,, इसलिए राजू उत्साहित होते हुए बोला,,)

रुक जाओ भाभी में दरवाजा बंद करके आता हूं,,,,(और इतना कहने के साथ ही राजू उठा और जाकर दरवाजे की कड़ी लगाने लगा,,,, राजू के पास ज्यादा समय नहीं था और वह औरत शर्म से पानी पानी हुए जा रही थी,,,जिंदगी में पहली बार वह किसी गैर मर्द के साथ वह जिस्मानी ताल्लुकात बनाने जा रही थी,,, इसलिए वह राजू से ठीक से नजर भी नहीं मिला पा रही थी वह उसी तरह से पीठ के बल लेटी हुई थी उसकी साड़ी जांघो तक उठी हुई थी,,,। दरवाजे की कड़ी बंद करके राजू तुरंत पलटा और एक झटके में अपना पजामा उतार कर एक तरफ रख दिया,,,, कमर के नीचे राजू पूरी तरह से नंगा हो गया था उसका मोटा तगड़ा लंबा लंड हवा में लहरा रहा था,,,, जिस पर नजर पड़ते ही वह औरत एकदम से सिहर उठी,,,,।

राजू तुरंत उसके पास आया और,,, उसकी दोनों टांगों को फैलाने लगा अभी तक राजू ने उस औरत की बुर नहीं देखा था,,, उसकी दोनों टांगों के बीच घुटनों के बल बैठकर राजू उसकी साड़ी को अपने हाथों से उसकी कमर तक उठाने लगा,,,, लेकिन उसकी साड़ी उसकी भारी-भरकम गांड के नीचे दबी हुई थी,,, यह पल उस औरत के लिए शर्म से गड़ जाने जैसा था क्योंकि वह पहली बार किसी अनजान जवान लड़के के सामने अपनी दोनों टांगे फैला रही थी उसे ठीक से जानती भी नहीं थी वह कौन है कहां से आया है कहां रहता है इस बात का उसे बिल्कुल भी ज्ञान नहीं था लेकिन फिर भी उसकी हरकतों से विवश होकर औरत उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने को तैयार हो गई थी,,,, भारी भरकम गांड के नीचे दबी साड़ी को कमर तक ले जाने के लिए खुद उस औरत ने राजू का साथ देते हुए अपनी गांड को थोड़ा सा ऊपर की तरफ उठा दी,,, राजू उसकी साड़ी को कमर तक उठा दिया और राजू की आंखों के सामने उसकी दोनों टांगों

के बीच घुंघराले बालों से गिरी हुई उसकी बुर मुझे आने लगी जिसे देखकर राजू के मुंह में पानी आने लगा उसे चाटने का अभी राजू के पास बिल्कुल भी समय नहीं था क्योंकि वह जानता था वह काफी देर से यहां पर है,,,, इसलिए उस औरत की बुर की तारीफ करते हुए उस पर हथेली रखकर जोर से दबाते हुए बोला,,,,।


वाह भाभी तुम्हारे पास कितनी खूबसूरत बुर है,,,, वाह आज तो मजा आ जाएगा और इतना कहने के साथ ही अपनी हथेली हटाकर राजू घुटनों के बल बैठ कर उसकी कमर पकड़कर उसे अपनी तरफ खींच कर उसकी आधी गांड को अपनी जांघों पर चढ़ा लिया,,, राजू की हरकत की वजह से उस औरत की सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी वह काफी उत्तेजित हो गई थी देखते ही देखते राजू अपने मोटे लंड को उसकी बुर पर रखकर हल्के से धक्का लगाया,,, बुर पहले से ही पानी पानी हो चुकी थी इसलिए अंदर जाने में बिल्कुल भी तकलीफ नहीं हुई लेकिन उस औरत को इस बात का अहसास हो गया कि राजू का लंड कुछ ज्यादा ही मोटा है,,, और इसीलिए जैसे ही लंड का सुपाड़ा बुर के अंदर प्रवेश किया उस औरत के मुंह से आह निकल गई,,,, और देखते ही देखते राजू अपना पूरा लंड धीरे-धीरे करके उस औरत की बुर में डाल दिया,,,, और उसे चोदने से पहले उसके ब्लाउज के बाकी बटन को खोलते हुए बोला,,,।

हां भाभी दो दो बच्चों की मां हो गई हो लेकिन अभी भी तुम्हारी बुर एकदम कसी हुई है,,,,(राजू के मुंह से अपनी जवानी और अपनी बुर की तारीफ सुनकर वह औरत उत्तेजना और खुशी में एकदम गदगद हो गई क्योंकि इस तरह से उसके पति ने कभी भी उसकी तारीफ नहीं किया था,,,, जैसे ही राजू के हाथों में उसकी नंगी चूचियां आई वह उन्हें जोर जोर से दबाता हुआ अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया,,,,,, थोड़ी ही देर में फच्च फच्च की आवाज से पूरा कमरा गुंजने लगा,,,, उस औरत की गर्म सिसकारी से माहौल पूरी तरह से गर्म आ चुका था उसके चेहरे को देखकर राजू समझ गया था कि उसे बहुत मजा आ रहा है राजू अपना पूरा लंड उसकी बुर की गहराई में डाल कर वापस निकाल कर फिर धक्का लगा रहा था और तगड़े तगड़े धक्के लगा रहा था हर धक्के के साथ उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां पानी भरे गुब्बारों की तरह छाती पर लौटने लगती थी जिसे राजू अपने हाथ में पकड़ कर जोर जोर से दबा रहा था,,,,, राजू अपने मन में सोच रहा था कि अगर उसके पास पर्याप्त समय होता तो इस औरत के साथ वह जी भर कर मजा लेता और रात भर इसकी चुदाई करता लेकिन उसके पास समय नहीं था,,,


कैसा लग रहा है भाभी,,,(अपने तेज धकको को जारी रखते हुए राजू बोला लेकिन उसकी बात सुनकर एकदम से शरमा गई और दूसरी तरफ मुंह फेर ली,,,, देखते ही देखते राजू के धक्के बड़े तेज होते जा रहे थे और उसकी सिसकारी भी तेज होती जा रही थी उसका बदन एकदम से अकड़ने लगा और वह कसके राजू को पकड़ ली राजू समझ गया कि उसका पानी निकलने वाला है इसलिए लगातार धक्के पर धक्का पैलने लगा ,,, और जैसे ही उसका पानी निकला राजू ने भी अपना लावा पूरी तरह से उसकी बुर में गिराना शुरू कर दिया और कसके उसे अपनी बाहों में जकड़ लिया था वह इतनी जोर से उसे अपनी बाहों में पकड़ा था कि उस औरत को लगने लगा था कि उसकी हड्डियां चटक जाएंगी लेकिन उसे बहुत मजा आ रहा था राजू तब तक अपने लंड को उसकी बुर से बाहर नहीं निकाला जब तक कि पूरा पानी उसकी बुर में गिर नहीं किया और उसके ऊपर हांफने लगा,,,,,।

राजू के पास समय बहुत कम था वह थोड़ी देर में उसके ऊपर से उठा और अपने पजामे को पहनने लगा,,,,, उस औरत को राजू के साथ संभोग करके पूरी तरह से तृप्ति का एहसास हुआ था इसलिए उसे इस तरह से पैजामा पहनता देखकर ना चाहते हुए भी उसके मुंह से निकल गया,,,,

जा रहे हो,,,


हां मुझे जाना होगा,,,


फिर कब आओगे,,,


जरूर आऊंगा तुम्हारे साथ मुझे बहुत मजा आया है इसलिए आना ही पड़ेगा,,

,,(इतना कहने के साथ ही वह घर से बाहर निकल गया और मुस्कुराता हुआ गांव की तरफ जाने लगा वह औरत उसी तरह से नीचे जमीन पर लेटी रह गई वह पूरी तरह से तृप्त हो चुकी थी थोड़ी देर में राजू गांव में पहुंच गया तो देखा उसकी मां बैलगाड़ी के पास खड़ी थी और तुरंत भागते हुए उसके पास गया और बोला,,,)

दवा ले ली,,,

हां हां अभी लेकर ही आ रही हूं और तू कहां चला गया था,,

बस ऐसे ही गांव की सैर करने गया था,,,


चल अब जल्दी कर देख बादल घेरता आ रहा है कभी भी बारिश होने लगेगी,,,

हां तुम सच कह रही हो मां हमें जल्दी निकलना पड़ेगा जल्दी से बैठो,,,।


थोड़ी देर में राजू बैलगाड़ी को गांव से बाहर ले कर आ गया वह भी जल्दी पहुंचना चाहता था क्योंकि बारिश कभी भी आ सकती थी,,,,,,,, शाम होने वाली थी और आसमान में बादल अपना रूप बदलते हुए नजर आ रहे थे किसी भी वक्त बारिश आ सकती थी,,,, बादलों को देखकर मधु को घबराहट हो रही थी क्योंकि अभी गांव बहुत दूर था अगर रास्ते में तेज बारिश आ गई तो वह लोग कहां रुकेंगे क्या करेंगे कुछ समझ में नहीं आ रहा था,,,,
 
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वैध के घर के सामने बैलगाड़ी आकर रुक गई थी मधु अपने मन में सोचने लगी कि अच्छा हुआ कि उसकी मंजिल आ गई थी वरना उसका बेटा अपनी बातों से एक बार फिर से उसका पानी झाड़ दिया होता लेकिन अपनी बातों से वह पूरी बुर चिपचिपी कर दिया था ऐसा लग रहा था कि जैसे अभी अभी बारिश होकर बंद हो गई हो और जमीन पूरी गीली हो गई हो,,,,, राजू तुरंत बेल गाड़ी रोककर पीछे आया और अपनी मां को उतारने में मदद करने लगा,,,।


वैध के घर 10 लोग जैसे बैठे हुए थे जो दवा लेने के लिए आए थे यह बड़ा ही नामचीन वेध था,, इसीलिए तो लोग दूर-दूर से यहां दवा लेने के लिए अपना इलाज कराने के लिए आते थे,,, एक अच्छी सी साफ-सुथरी जगह देखकर,,, मधु बैठ गई थी और राजू कुछ देर तक वही अपनी मां के साथ बैठा रहा है लेकिन उसे इस तरह से बैठे हैं ना अच्छा नहीं लग रहा था इसलिए वह अपनी मां से बोला,,,।

लगता है यहां पर कुछ समय लग जाएगा मैं तब तक इधर-उधर घूम कर आता हूं,,,,


ठीक है लेकिन जल्दी आ जाना,,,

तुम चिंता मत करो मैं दूर नहीं जाऊंगा बस यही आस-पास ही हूं,,,(और इतना कहने के साथ ही राजू गांव का जायजा लेने के लिए इधर उधर घूमने लगा गांव कुछ खास बड़ा नहीं था सिर्फ इस वैद्य के वजह से गांव का नाम दूर-दूर तक माना हुआ था,,,, राजू इधर उधर घूमने लगा,,, घूमते घूमते हुए गांव के थोड़ा बाहर निकल आया ,,, गांव के बाहर बड़ा सा तालाब था और राजू बड़े से पत्थर पर बैठकर तालाब में धीरे-धीरे कंकड़ मारने लगा उसका समय गुजर नहीं रहा था वह जल्द से जल्द दवा लेकर वापस जाना चाहता था ताकि सफर में अपनी मां के साथ थोड़ी मस्ती कर सके अपनी गंदी बातों से उसका मन बहला सके,,,,,,,
राजू बड़े से पत्थर पर बैठकर पानी में कंकर मारता हुआ इधर उधर नजर दौड़ा कर देख रहा था चारों तरफ बड़ी-बड़ी साड़ियां होगी हुई थी और इस समय तालाब पर कोई भी नहीं था क्योंकि दोपहर का समय था लेकिन आसमान में रह-रहकर बादल उमड़ आते थे जो कि बारिश आने का अंदेशा दे रहे थे,,,,,, तभी झाड़ियों में थोड़ी सी हरकत हुई ऐसा लग रहा था कोई जंगली जानवर झाड़ियों के बीच में बैठा हुआ है लेकिन तभी उसके सोचने के विरुद्ध ही एक औरत जो कि लगभग 35 या 36 साल की लग रही थी वह झाड़ियों में से निकल कर बाहर आई और जैसे ही झाड़ियों से बाहर निकल कर आई राजू उसको देखकर एकदम से हक्का-बक्का रह गया क्योंकि वह औरत थोड़ा सा झुक कर और अपनी साड़ी को कमर तक उठाकर धीरे-धीरे झुक कर ही चल रही थी वह तालाब के पानी के पास आ रही थी उसकी नजर अभी तक राजू पर बिल्कुल भी नहीं पड़ी थी लेकिन राजू की नजर उस पर पड़ चुकी थी और राजू को समझते देर नहीं लगी कि वह औरत सोच करके आ रही थी,,,,,,,,।

औरत को ऐसे हालात में देखकर एक अच्छे संस्कार इंसान को वहां से हट जाना चाहिए था लेकिन राजू अब संस्कारी बिल्कुल भी नहीं था औरतों के मामले में तो खास करके वह बेशर्मी दिखाता हुआ एकदम से वहीं बैठा ही रह गया लेकिन अभी तक उस औरत की नजर उस पर पड़ी नहीं थी और वह तालाब के किनारे बैठ कर पानी का इस्तेमाल करते हुए गांड धोने लगी,,, यह देखकर राजू का लंड एकदम से खड़ा हो गया हालांकि अभी तक राजू इतनी दूर से ना तो उस औरत की गांड देख पाया था और न ही उसकी बुर लेकिन फिर भी उसके बदन की बनावट देखकर समझ गया था कि उसकी बुर कितनी जानदार होगी,,,, वह औरत निश्चिंत होकर तालाब के पानी का उपयोग कर रही थी लेकिन उसे नहीं मालूम था कि उसके सामने बड़े से पत्थर पर बैठकर एक जवान लड़का उसकी हरकत को देख रहा है और जैसे ही उस औरत की नजर राजू पर पड़ी वह एकदम से हक्की बक्की रह गई,,,,,, वह तुरंत खड़ी हो गई लेकिन खड़ी होकर जब तक अपनी साड़ी को कमर से नीचे छोड़ती राजू की नजर उसकी घुंघराले बालों से गिरी हुई बुर पर पड़ गई और उसकी बुर देखकर गर्म आहहह भरने लगा,,,, वह औरत एकदम संस्कारी थी इसलिए वह राजू की हरकत पर सिर्फ गुस्सा करके रह गई और वहां से जाने लगी,,,, राजू अपने चारों तरफ नजर दौड़ाया वहां पर कोई भी नहीं था यह स्थान एकदम सुनसान था इसलिए वह इस मौके का फायदा उठाना चाहता था वह उस औरत से बात करना चाहता था उसके मन की हालत को समझना चाहता था इसलिए तुरंत घूम कर गया और वह और झाड़ियों से बाहर निकलती से पहले ही ठीक उसके सामने जाकर खड़ा हो गया,,, और मुस्कुराते हुए बोला,,,।

नमस्ते भाभी,,,, अपनी गलती के लिए शर्मिंदा हूं,,,


तुम अगर शर्मिंदा होते तो अपनी नजर को दूसरी तरफ फेर लेते,,,,(वह घुंघट मैं अपना मुखड़ा छुपा कर बोली)

मैं माफी चाहूंगा भाभी तुम जो कुछ भी कह रही हो वह बिल्कुल सच है अगर मैं शर्मिंदा हुआ होता तो मैं अपनी नजरों को घुमा देता लेकिन मैं एक बात कहना चाहूंगा कि तुम अगर खूबसूरत ना होती तो शायद मैं ऐसा जरूर करता था कि मैंने पहली बार ऐसी खूबसूरत औरत देखा हूं,,,,।

(राजू अपनी बातों का जाल बुनना शुरू कर दिया,,,, औरतों की कमजोरी को अच्छी तरह से जानती थी लेकिन यहां पर उसका पासा पलटना हुआ नजर आ रहा था क्योंकि वह बेहद सीधी-सादी औरत थी,,,, और हो राजू की बात सुनकर एकदम से घबराते हुए बोली,,)

यह क्या कह रहे हो मुझसे इस तरह की बात करते हुए तुम्हें शर्म आनी चाहिए,,,,,,
(उसकी ऐसी बात सुनकर राजू समझ गया कि सोच समझकर कदम उठाना होगा वह अपने चारों तरफ नजर घुमा कर देखने लगा दूर-दूर तक कोई नजर नहीं आ रहा था क्योंकि यह जगह गांव से थोड़ी दूर पर थी,,, राजू बात को संभालते हुए बोला,,,)


मुझे मालूम था भाभी कि तुम्हें मेरी बात बुरी लगेगी लेकिन मैं हकीकत कहने से पीछे नहीं होता जो बात सच होती है मैं उसे कहने से डरता नहीं बने चाहे कुछ भी हो जाए मैं जानता था कि तुम मुझसे नाराज हो जाओगी मेरी बात सुनकर तुम्हें गुस्सा भी आएगा लेकिन हकीकत ‌को टाला तो नहीं जा सकता तुम खूबसूरत हो तो हो,,,,(राजू अपनी बातों को कह भी रहा था और अपनी आंखों से उसकी खूबसूरत बदन को ऊपर से नीचे तक टटोलते हुए उसके बदन का जायजा भी ले रहा था,,, तभी उसकी नजर उसके थोड़े से फटे हुए ब्लाउज पर गई ,, और उसका ब्लाउज जिस जगह से थोड़ा सा फटा हुआ था वहां से उसकी चूची का किसमिस नजर आ रहा था जिस पर नजर पड़ते ही राजू का लंड खड़ा होने लगा,,,,,, राजू उस औरत के लिए बिल्कुल अनजान था और राजू के लिए औरत बिल्कुल अनजान थी दोनों में किसी भी प्रकार की रिश्तेदारी है पहचान नहीं थी राजू उस औरत को पहली बार देख रहा था,,, शायद वह उसके पीछे आता भी नहीं लेकिन उसे साड़ी उठाकर झुके हुए चलते हुए देखकर उसकी काम इच्छा जाग गई थी,,, ऐसा नहीं था कि राजू की बातों से उसे गुस्सा आ रहा था उसे राजू की बात अच्छी भी लग रही थी क्योंकि,,,, उसे किस बात का एहसास हो रहा था कि किसी को तो वह खूबसूरत नजर आ रही है,,,,, उस औरत का रंग हल्का सा दबा हुआ था लेकिन बदन का भराव सुगठित था इसलिए वह खूबसूरत लग रही थी,,,,,, राजू अपनी बात खत्म करके कुछ देर तक नहीं खड़ा रहा लेकिन वह कुछ बोल नहीं रही थी और अपना काम करने लग गई थी वह पेड़ों से सूखी हुई लकड़ियां तोडकर इंधन जुटा रही थी ताकि खाना पका सके,,, उससे लकड़ियों का देर बांधा नहीं जा रहा था और वैसे भी आसमान में बादल देखकर वह कुछ ज्यादा ही लकड़ियां इकट्ठा कर ली थी ताकि अगर बरसात हो जाए तो दूसरे दिन के लिए इंधन के लिए इधर-उधर भटकना ना पड़े राजू उसके करीब ही खड़ा था और वह नीचे बैठकर लकड़ियां बांधने की कोशिश कर रही थी उससे ठीक से बंध नहीं रही थी इसलिए राजू बोला,,,।)

लाओ भाभी मैं बांध देता हूं तुमसे नहीं बंधेगी,,,,
(इतना कहने के साथ ही राजू उसके पास जाकर बैठ गया और उसके नानूकुर करने के बावजूद भी जबरदस्ती लकड़ियों को इकट्ठा करके बाद में लगा देखते ही देखते राजू दो गट्ठर बांध लिया था,,,, लकड़ियों के दो ढेर देखकर वह औरत को समझ में नहीं आ रहा था कि वह घर कैसे लेकर जाएगी जबकि घर उसका ठीक सामने ही था,,,, जब वह लकड़ियों को इकट्ठा करके उसे बांध रहा था तब वह औरत अपने मन में सोच रही थी कि यह जवान लड़का है कौन किसके घर आया है किसका रिश्तेदार है इससे पहले तो उसने कभी भी इसे गांव में देखी नहीं तो ही अनजान लड़का यहां क्या कर रहा है,,,, राजू को देखकर उस औरत के मन में ढेर सारे सवाल पैदा हो रहे थे और उसकी हरकत से वह थोड़ी सेहमी हुई भी थी,,, इन सब के बावजूद भी ना जाने क्यों उस औरत का राजू के प्रति अजीब सा आकर्षण होता जा रहा था राजू का भोला भाला चेहरा उसे भा रहा था,,, राजू आखरी बाोजे को कस के बांधता हुआ बोला,,,,)

अब तो ठीक है ना भाभी,,,।

हां अब ठीक है,,,,,,(इतना कहने के साथ ही वह औरत जैसे ही लकड़ी के बोझ को उठाने के लिए नीचे झुकी उसके कंधे पर से साड़ी का पल्लू नीचे गिर गया और उसकी जवानी से लबलबाती हुई चूचियां,,, आधे से ज्यादा,,, ब्लाउज में से बाहर झांकने लगी,,, ब्लाउज के ऊपरी हिस्से का बटन टूटा हुआ था इसलिए अपनी मचलती उफान मारती जवानी को खेत करने के लिए ब्लाउज में बटन का अंकुश नहीं था,,, अगर एक और बटन खुला होता तो शायद उसकी चूचियां बाहर छलक उठती,,,, राजू आंखें फाड़े उसकी मदहोश जवानी को छलकते हुए देख रहा था उसकी चुचियों को देखकर राजू समझ गया था कि चुचियों में बहुत रस भरा हुआ है,,,,,,, वह औरत को जैसे ही इस बात का आभास हुआ वह राजू की तरफ देखी तो शर्म से एकदम सहमत ही क्योंकि उसकी नजरें उसकी चुचियों पर जमी हुई थी और अपनी छातियों की तरफ देखी तो उसके होश उड़ गए,,, ब्लाउज का ऊपरी बटन टूटा हुआ था यह तो अच्छी तरह से जानती थी लेकिन झुकने पर उसकी आधे से ज्यादा चूचियां नजर आने लगेगी शायद इस बात का अंदाजा उसे बिल्कुल भी नहीं था इसलिए वह तुरंत खड़ी हो गई और अपनी साड़ी के पल्लू को ठीक करने लगी,,,,,,,।

वह औरत गांव के आखिरी छोर पर अकेले ही रहती थी उसका पति कई कई दिन तक घर नहीं वापस आता था इधर उधर काम की तलाश में जो काम मिल जाए उसे करके अपने परिवार का भरण पोषण कर रहा था,,,, राजू की नजरों से वह शर्म का अनुभव कर रही थी,,, एक जवान लड़का प्यासी नजरों से उसकी चूची को ताड़ रहा था और तालाब के किनारे उसे गांड धोते हुए देख लिया था और वह उसकी मदद करने के लिए यहां तक पहुंच गया था वह औरत समझ नहीं पा रही थी कि राजू के मन में क्या चल रहा है अभी तक कुछ नहीं उसका नाम भी नहीं पूछी थी,,, लेकिन उसकी हरकतों से कुछ ठीक नहीं लग रही थी उसकी आंखों में जवानी चखने की प्यास एकदम साफ नजर आ रही थी,,,, वह खुद हैरान थी कि उसकी नजरों से उसे शर्म भी आ रही थी और ना जाने कि उसके तन बदन में हलचल सी भी हो रही थी,,,,, देखते ही देखते अपनी साड़ी के पल्लू को ठीक करके वह वापस लकड़ियों का बोझ उठाने लगी लेकिन लकड़िया कुछ ज्यादा ही करती हो चुकी थी इसलिए वह ठीक से उठा नहीं पा रही थी यह देखकर राजू बोला,,,।

तुम रहने दो भाभी मैं उठा देता हूं तुमसे नहीं उठने वाला कुछ ज्यादा ही वजन है,,,


नहीं नहीं रहने दो मैं उठा लूंगी,,, तुम जाओ अपना काम करो,,,


अरे नहीं नहीं ऐसे कैसे मेरे होते हुए तुम लकड़ियों का इतना भारी बोझ उठाओ यह मुझसे देखा थोड़ी जाएगा,,, तुम खड़ी रहो मैं उठा देता हूं,,,,।
(राजू लकड़ियों को उठाने के लिए नीचे झुक गया था और लकड़ी उठाने की कोशिश कर रहा था लेकिन वह औरत उसे लकड़ीया उठाने नहीं दे रही थी क्योंकि वह नहीं चाहती थी कि वह लड़का उसके पीछे पीछे उसके घर तक आए क्योंकि उसका नजरिया और इरादा दोनों ठीक नहीं लग रहा था लेकिन उठाने और नहीं उठाने के चक्कर में राजू ने अनजान बनते हुए ही जानबूझकर उसकी कलाई पकड़ लिया था और जैसे ही कलाई पकड़ा दोनों की नजरें आपस में टकरा गई राजू तो पूरी तरह से खेला खाया था और औरतों को कैसे अपने बस में किया जाता है इसका उन्हें अच्छी तरह से जानता था लेकिन वह औरत इन सब से अनजान थी वह अपने पति को छोड़कर अभी तक किसी गैर मर्द से इस तरह से नजर तक नहीं मिली थी इसलिए पहली बार एक जवान लड़के से नजर मिलते ही उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी,, खास करके उसकी दोनों टांगों के बीच की स्थिति कुछ ज्यादा ही दयनीय नजर आ रही थी,,,, कुछ देर तक राजू उस औरत की कलाई को पकड़े रह गया खेतों में काम करने की वजह से उसकी कलाई मजबूत महसूस हो रही थी और राजू अपने मन ही मन सोच रहा था कि इस गठीले बदन वाली मजबूत बांहो वाली औरत को चोदने में कितना मजा आएगा,,,,, अपनी कलाई किसी गैर जवान लड़के के हाथ में पाकर उससे कुछ बोला नहीं जा रहा था वह आंखें फाड़े राजू को ही देख रही थी,,,, और राजू था कि उसकी आंखों की गहराई में उतर कर उसके दोनों टांगों के बीच की जगह पर अपना स्थान बनाना चाहता था,,,,, राजू की आंखों और उसकी हरकत ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया था वह औरत कुछ बोल नहीं पा रही थी बस वह भी एकटक राजू को ही देखे जा रही थी इसलिए राजू मुस्कुराता हुआ उसकी हाथ की कलाई को छोड़ता हुआ बोलो,,,।


मैं उठा देता हूं भाभी तुम चिंता मत करो सिर्फ मुझे बता दो कहां लेकर जाना है,,,,।
(राजू की बात सुनकर उस औरत को समझ में नहीं आ रहा था कि अपने घर पर उसे ले जाना उचित रहेगा या नहीं क्योंकि उसकी हरकतें बता रही थी कि उसका इरादा कुछ ठीक नहीं लग रहा था और वैसे भी वह गांव के आखिरी छोर पर रहती थी दूर-दूर तक कोई नजर नहीं आता था चारों तरफ से खेत ही खेत थे अगर ऐसे में यहां उसके साथ जबरदस्ती करेगा तब वह क्या कर पाएगी,,, फिर भी ना चाहते हुए भी वह बोली)
वो रहा,(उंगली के निर्देश से उसे अपना घर बताते हुए,,, जो कि थोड़ी ही दूरी पर था) वह नीम के पेड़ के नीचे,,,

ठीक है मैं पहुंचा देता हूं,,,,(इतना कहने के साथ ही राजू में लकड़ियों के ढेर का बोजा उठाकर अपने सर पर रख लिया,,, और दूसरे बोजे को एक हाथ से उठा लिया राजू की ताकत को देखकर वह औरत भी हैरान रह गई क्योंकि राजू बड़े आराम से इतने वजनदार लकड़ियों के बोझ को उठाया था ,,,, बोझ को तो उसने उठा लिया था लेकिन उस औरत की नजर ऐसी जगह पड़ी कि उसे देख कर उस औरत के होश उड़ गए,,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें,,,,,,,, क्योंकि उस औरत की मदहोश जवानी को देखकर राजू उत्तेजित हो चुका था,,, और उसकी उत्तेजना का तापमान थर्मामीटर बनकर उसका लंड नाप रहा था जो कि इस समय उत्तेजित अवस्था में था और पजामे के आगे वाले भाग में तंबू बनाया हुआ था यह देखकर उस औरत के होश उड़ गए थे उसकी दोनों टांगों के बीच की पत्नी दरार में अपने आप ही हलचल होना शुरू हो गया था,,,, एक खूबसूरत संस्कारी जवानी से भरी हुई औरत भले ही अपने आप को दुनिया की नजरों से बचा कर रखे लेकिन जब उसकी आंखों के सामने इस तरह के दृश्य नजर आ जाते हैं तो वह भी अपने आप को संभाल पाने में असमर्थ महसूस करने लग जाती है और यही उस औरत के साथ

भी हो रहा था,,,, राजू की नजर उसकी नजरों पर ना पड़ जाए इसलिए वह तुरंत अपनी नजरों को दूसरी तरफ कर ली थी लेकिन इससे पहले राजू ने उसकी नजरों के निशान को अच्छी तरह से भांप लिया था और मन ही मन खुश हो रहा था,,,,,।

राजू चाहता था कि वह औरत आगे आगे चले ताकि वह उसके बदन की बनावट को पीछे से अपनी नजरों से नाप सके और वैसे भी उसकी अनुभवी आंखों ने आंखों ही आंखों में उस औरत के बदन के बनावट का हर जगह से नाप ले लिया था,,, लेकिन वह चाहता था कि वह औरत आगे आगे चले ताकि वह उसकी मटकती हुई गांड को देख सकें,,, उसकी कसी हुई जवानी को देख सके,,,, इसलिए वह उससे बोला,,,।

भाभी तुम आगे आगे चलो,,,,,
(राजू की बात वह इंकार नहीं कर पाई और वह दो कदम आगे हो गई और चलने लगी राजू यही चाहता ही था उसकी बलखाती कमर और कमर के नीचे की तौर पर वह कामुक गड्ढा जिसको देखकर ही मर्दों का मन मचल उठता था और पीठ के बीचो बीच की गहरी लकीर ,,,,, ऐसा लगता था कि कुदरत ने अपनी कलाकारी से उसकी मदहोश जवानी को अलग-अलग हिस्सों में बांट दिया है ताकि एक साथ देखने पर कहीं मर्दों की सांस ना अटक जाए,,,, ऊंचे नीचे पगडंडी पर औरत आगे-आगे चल रही थी और उसके इस तरह से चलने पर उसकी भारी-भरकम गोल-गोल कहां पानी भरे गुब्बारों की तरह लहर मार रही थी,,,, जिसे देखकर राजू का पजामा और ज्यादा तनता चला जा रहा था,,,,। रह रहे करवा औरत ना चाहते हुए भी पीछे की तरफ देख ले रही थी और पीछे की तरफ देखने पर उसकी ज्यादातर निगाह राजू के पजामे की ओर चली जा रही थी जो कि पहले से कुछ ज्यादा ही बड़ा होता नजर आ रहा था वह अपनी मन में सोचने लगी थी बाप रे पजामे में क्या छुपाया है इस लड़के ने,,,, क्योंकि वह आज तक अपने पति के उत्तेजित अवस्था में भी पैजामा में इस तरह से तंबू नहीं देखी थी,,, इसलिए उसकी स्थिति खराब होती चली जा रही थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह अपने आप पर काबू कैसे कर पाएगी,,,, और राजू था कि कसी हुई साड़ी में उसकी गांड के दोनों फांकों को देखकर उसमें जीभ डाल कर चाटने का उसका मन कर रहा था,,,,,।

देखते ही देखते राजू उसके घर पर पहुंच गया था,,,,

लकड़ियां कहां रखना है,,,।

(वैसे तो वह औरत लकड़ियों के ढेर को घर के पीछे रख दी थी लेकिन आसमान में बादल का जमावट देखकर उसे आशंका थी कि कभी भी बारिश हो जाएगी अगर ऐसे में वहां लकड़िया बाहर रखेगी तो लकड़िया भीग जाने का डर है और फिर खाना बनाने में दिक्कत आ जाएगी इसलिए वह राजू से बोली,,,)

रुक जाओ इसे घर में रखना है,,, बारिश का कोई ठिकाना नहीं है कभी भी आ जाएगी,,,,(और इतना कहने के साथ ही लकड़ियों के पट्टी से बने दरवाजे को वहां खोलकर अंदर आ गई और राजू को भी अंदर आने के लिए बोली,,,, उस औरत का मकान एकदम कच्चा था छत घास फूस के ढेर से बनाया गया था दीवारें मिट्टी से लिपी हुई थी,,,,,, उस औरत का इशारा पाते ही राजू लकड़ियों के ढेर को घर में लेकर जाने लगा और घर के बीचो बीच पहुंचकर वह चारों तरफ नजर घुमा कर देखने लगा घर वैसे तो ठीक-ठाक ही था घर के किनारे पर चारपाई बिछी हुई थी और रस्सी पर बच्चों के भी कपड़े टंगे हुए थे जिसे देखकर समझ में आ रहा था कि इस औरत के बच्चे भी थे,,, इसलिए राजू लकड़ियों का ढेर सर पर लिए हुए ही बोला,,,)

बच्चे कहां हैं नजर नहीं आ रहे हैं,,,


होंगे यहीं कहीं खेल रहे होंगे,,

कितने हैं,,,?


दो बच्चे हैं,,,
(इतना सुनकर राजू अपने मन में सोचने लगा कि 2 बच्चे की मां हो गई है लेकिन जवानी का रस हर जगह से टपक रहा है बिल्कुल भी कोई कमी नहीं आई है,,, अपनी भावनाओं पर तो काबू कर सकने में किसी तरह से कामयाब हो जा रहा था लेकिन अपनी उत्तेजना के थर्मामीटर के पारा को काबू कर पाने में वह बिल्कुल भी समर्थ नहीं था इसलिए तो पैजामा में तंबू पूरी तरह से अपनी औकात में आ चुका था जिस पर उस औरत की नजर पड़ते ही उसकी बुर अपने आप पानी छोड़ रही थी यह कैसे हो रहा है या उसे भी नहीं पता चल रहा था शायद 20 25 दिन हो गए थे वह पति से मिली नहीं थी उसका पति काम के सिलसिले में बाहर गया हुआ था शायद इसीलिए ही पति का सुख ना मिल पाने के कारण ही 1 जवान लड़के के पैजामा में बने तंबू को देखकर वह अंदर ही अंदर उत्तेजित हुए जा रही थी,,,।


अरे भाभी मेरे सर पर से बोझ तो उठाओ मेरा सर दर्द करने लगा है,,,

अरे हां,,, मैं तो भूल ही गई,,,,(और इतना कहने के साथ ही वह औरत लकड़ियों का बोझ उठाने के लिए राजू के करीब पहुंच गई राजू की लंबाई उससे थोड़ा ज्यादा थी इसलिए वह बोझ उठाने के लिए जैसे अपना हाथ ऊपर कि उसे और करीब आना पड़ा और देखते ही देखते वह इतनी करीब आ गई कि उसकी मदमस्त पपैया जैसी तनी हुई चूची राजू की छाती पर घर्षण करने लगी उस औरत की पपाया जैसी चूची का स्पर्श अपनी छातियों पर महसूस करते ही राजू का लंड और ज्यादा कड़क हो गया,,, वह औरत अपने आप को राजू के बदन के स्पर्श से बचाना चाहती थी लेकिन लकड़ियों को उतारने के लिए उसे इतना करीब

आना बेहद जरूरी था वरना वह लकड़ियों के ढेर को हाथ का सहारा देकर उतार नहीं सकती थी,,,,,, लेकिन उसे इस बात का एहसास हो गया था कि उसकी चुचियों का स्पर्श उस लड़के की छाती पर होने लगा था और इसीलिए वह कसमसा रही थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें,,,)

अरे भाभी थोड़ा हाथ लगाओ मेरा सर और हाथ दोनों दुखने लगा है,,,।
(वह अच्छी तरह से समझ गई थी कि वह बहाना कर रहा है और ज्यादा आगे बढ़ने का वरना वह इतने आराम से बोझ उठाकर लेकर आ गया था क्या बोझ उतार नहीं सकता था लेकिन वह कर भी क्या सकती थी थोड़ा सा हां तभी उसका पहुंचना बाकी था इसलिए वह थोड़ा सा हाथ और ऊपर पहुंचाने के लिए थोड़ा सा और आगे बढ़ी और अपने पैर के पंजों के सहारे ऊपर की तरफ खड़े होने लगी ऐसा करने पर उसे अपनी दोनों टांगों के बीच कड़क चीज चूभती हुई महसूस होने लगी और उसे समझते देर नहीं लगी कि वह कड़क चुभती हुई चीज क्या है वह समझ गई कि उस लड़के का लंड उसकी दोनों टांगों के बीच स्पर्श हो रहा है ,, और पल भर में ही उसकी सांसे तेज होने लगी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें अभी तक वह लकड़ियों के ढेरों तक अपने हाथ को पहुंचा नहीं पाई थी और उस जवान लड़की के लंड को अपनी बुर पर महसूस करने लगी थी यह एहसास राजू को सातवें आसमान पर ले जा रहा था वह औरत अपने आप को बचाने की कोशिश करते हुए अपने पैरों को अपने बदन को राजू से दूर करना चाहती थी लेकिन तभी उसका पैर फिसल गया और वह अपनी स्थिति को नियंत्रण में नहीं कर पाई और सीधे राजू के ऊपर गिरी और राजू भी पीछे की तरफ कितने लगा और अगले ही पल राजू नीचे जमीन पर गिरा हुआ था और वह औरत उसके ऊपर गिरी हुई थी और इस तरह गिरने की वजह से उसकी साड़ी पीछे से एकदम उठकर कमर तक आ गई थी उसकी बड़ी बड़ी गांड दम नंगी हो गई थी इस बात का आभास उसे बिल्कुल भी नहीं था उसकी सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी राजू की मजबूत बाहों में वह पूरी तरह से समाई हुई थी राजू ने उसे अच्छे से संभाल लिया था वरना उसे भी चोट लग जाती राजू तो इस पल के लिए बेताब था उसकी आंखों में चमक नजर आ रही थी राजू उस औरत की आंखों में देखने लगा औरत भी राजू की आंखों में डूबती चली जा रही थी अपनी छातियों को राजू की मजबूत छातियों पर रगडती हुई महसूस करके उसके बदन में उत्तेजना का संचार होने लगा था,,,,,,, राजू अपनी छातियों पर उस औरत की बड़ी बड़ी चूचीयो के दबाव को अच्छी तरह से ही महसूस कर रहा था ऐसा लग रहा था कि जैसे रूई को गोल गोल करके उसका गेंद बना कर उसकी छाती पर कोई दबा रहा हो राजू को बहुत मजा आ रहा था,,,, राजू अच्छी तरह से जानता था कि उसके लिए यही अच्छा मौका था उस औरत के बदन से खेलने के लिए उसके बदन में उत्तेजना का बीज रोपने के लिए,,,, इसीलिए वह अपना दोनों हाथ उसकी चिकनी कमर पर रख दिया और फल कैसे उस पर दबाव देता हुआ बोला,,,।

ओहह भाभी क्या करती हो अभी तो तुम्हें चोट लग गई होती तो अच्छा हुआ कि तुम मेरे ऊपर गिरी हो वरना तुम अपनी हड्डीया तोड़वा लेती,,,,(इतना कहने के साथ ही उस औरत की पतली चिकनी कमर को अपने दोनों हाथों में लेकर दबा दिया था इस बात का एहसास कमर पर अनजान जवान हथेली का स्पर्श उस औरत के बदन में गर्मी पैदा कर रहा था वह राजू की बाहों में कसमसा रही थी,,,,,,, उस औरत से कुछ बोला नहीं जा रहा था वह मारे शर्म से घड़ी जा रही थी,,,, उसके गाल पल भर में लाल हो गए थे जिसे देखकर राजू समझ गया था कि यह उत्तेजित हो रही है और इसीलिए उसकी उत्तेजना का फायदा उठाते हुए राजू अपने दोनों हथेली को उसकी कमर से हटाकर,,, उसकी गांड पर रख दिया राजू को ऐसा ही था कि वह साड़ी के ऊपर से उसकी गाल को पकड़ रहा है लेकिन गिरने की वजह से उसकी साड़ी कमर तक उठ गई थी और उसकी गांड एकदम नंगी हो गई थी इसलिए उसकी गांड पर अपनी हथेली का स्पर्श पाते ही और उसकी नंगी चिकनी गांड महसूस करते ही राजू के तन बदन में उत्तेजना का संचार बड़ी तेजी से होने लगा ,,,, राजू को पूरी तरह से एहसास हो चुका था कि गिरने की वजह से उसकी साड़ी कमर तक उठ चुकी है और जैसे ही उस औरत ने राजू की हथेली को अपनी नंगी गांड पर महसूस की हुआ है एकदम से सिकुड़ गई शर्म के मारे वह पानी पानी होने लगी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें,,,, वह दोनों तरफ से पीस रही थी ऊपर से वह अपनी हथेली उसकी गांड का रखा हुआ था और नीचे से उसका खड़ा लंड पर जाने के ऊपर से ही सारी सहित उसकी बुर पर दस्तक दे रहा था एक मोटे तगड़े लंड को अपनी बुर पर दस्तक देता महसूस करके,, उस औरत में उत्तेजना परम शिखर पर पहुंचने लगी वह कसमसाने लगी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें,,,,,।

दोनों एक दूसरे की आंखों में देख रहे थे उस औरत की सांसे बड़ी तेजी से चलने लगी थी राजू अपनी दोनों हथेलियों का कमाल दिखाते हुए उसकी बड़ी-बड़ी गांड की दोनों फांकों को अपनी हथेली में लेकर जोर जोर से दबाना शुरू कर दिया,,,,,, उसकी उभरती हुई सांसो को देखकर राजू उसकी गांड को जोर-जोर से दबाता हुआ बोला,,,।


क्या हुआ भाभी,, तुम चिंता मत करो तुम्हें कुछ होने नहीं दूंगा,,,(और इतना कहने के साथ ही राजू उसकी गांड की फोटो के बीच अपनी पूरी हथेली ले जाकर अपनी उंगली को उसकी गुलाबी बुर पर रखकर दबा दिया,,, अभी तक की राजू की हरकतों की वजह से उस औरत में उत्तेजना का संचार बड़ी तेजी से हो रहा था वह भी एकदम से चुदवा‌सी हुए जा रही थी इसलिए उसकी बुर से मदन रस झड़ रहा था,,,। राजू की उंगली उसकी बुर से जैसे स्पर्श हुई ना चाहते हुए भी उस औरत के मुंह से गरमा गरम सिसकारी फूट पड़ी,,,)

सहहहससस ,,,,आहहहहहहह,,,,, यह क्या कर रहे हो,,,

कुछ नहीं भाभी देख रहा हूं कि तुम्हारी बुर बहुत पानी छोड़ रही है,,,,


तुम्हें शर्म नहीं आती इस तरह की बात करते हुए,,,(उस औरत के शब्दों में बिल्कुल भी गुस्सा नहीं था वह बड़े सहज रूप से बोल रही थी राजू समझ गया था कि वह औरत धीरे-धीरे लाइन पर आ चुकी है,,,)

तुम जैसी खूबसूरत औरत के सामने अगर मैं शर्म कर गया तो फिर मेरी मर्दानगी पर धिक्कार है,,, क्योंकि मैं जानता हूं कि तुम्हारा भी मन वही कर रहा है जो कि मेरा मन करने को कर रहा है तभी तो तुम्हारी बुर पानी छोड़ रही है,,,(इतना कहने के साथ ही राजू अपनी बीच वाली उंगली को सीधे उसकी बुर के अंदर प्रवेश करा दिया,,,,)

आरहररह,,,, यह क्या किया,,,


जो तुम चाहती थी भाभी और एक जवान औरत के साथ जो करना था वही किया हूं,,,,,(इतना कहने के साथ ही राजू अपने प्यासे होठों को उसके लाल-लाल होठों पर रखकर चुंबन करना शुरू कर दिया यह उस औरत का पहला चुंबन था जब किसी मर्द ने उसके होंठों पर होठ रखकर चुंबन किया था,,,, एकदम से सिहर उठी उसके बदन में कंपन होने लगा और राजू उसको चुंबन करते हुए उसको अपनी बाहों में भर लिया और पलट कर उसे जमीन पर कर दिया और खुद पर आ गया,,,,, उस औरत के लिए यह पल बिल्कुल भी अपने आप को काबू में करने जैसा नहीं था वह मदहोशी के भावनाओं में बहती चली जा रही थी राजू ने एक औरत पर काबू पाने के सारे हथकंडे उस औरत पर आजमा चुके थे और उसका हथकंडा काम कर रहा था,,, उसकी बुर लगातार पानी छोड़ रही थी,,,,, और वह इस मौके का पूरी तरह से फायदा उठाते हुए उस औरत का ब्लाउज का बटन खोलने लगा जो कि पहले से ही एक टूटा हुआ था ,,,, उसे ब्लाउज का बटन खोलने से वह औरत रोकते हुए बोली,,,।


यह क्या कर रहे हो कोई देख लेगा तो,,,,


कोई नहीं देखेगा वैसे भी तुम गांव के एकदम किनारे रहती हो यहां कोई आने वाला नहीं है,,,


दरवाजा खुला है,,,,।(वह औरत ने एकदम उत्तेजनात्मक स्वर में बोली,,,, जो कि उसकी तरफ से राजू को पूरी तरह से छूट मिलने का प्रमाण मिल चुका था राजू उसकी यह बात सुनकर एकदम से खुश हो गया था वह समझ गया था कि अब वह कुछ भी करेगा यह औरत कुछ भी बोलेगी नहीं बल्कि उसे मजा आ रहा था,,, इसलिए राजू उत्साहित होते हुए बोला,,)

रुक जाओ भाभी में दरवाजा बंद करके आता हूं,,,,(और इतना कहने के साथ ही राजू उठा और जाकर दरवाजे की कड़ी लगाने लगा,,,, राजू के पास ज्यादा समय नहीं था और वह औरत शर्म से पानी पानी हुए जा रही थी,,,जिंदगी में पहली बार वह किसी गैर मर्द के साथ वह जिस्मानी ताल्लुकात बनाने जा रही थी,,, इसलिए वह राजू से ठीक से नजर भी नहीं मिला पा रही थी वह उसी तरह से पीठ के बल लेटी हुई थी उसकी साड़ी जांघो तक उठी हुई थी,,,। दरवाजे की कड़ी बंद करके राजू तुरंत पलटा और एक झटके में अपना पजामा उतार कर एक तरफ रख दिया,,,, कमर के नीचे राजू पूरी तरह से नंगा हो गया था उसका मोटा तगड़ा लंबा लंड हवा में लहरा रहा था,,,, जिस पर नजर पड़ते ही वह औरत एकदम से सिहर उठी,,,,।

राजू तुरंत उसके पास आया और,,, उसकी दोनों टांगों को फैलाने लगा अभी तक राजू ने उस औरत की बुर नहीं देखा था,,, उसकी दोनों टांगों के बीच घुटनों के बल बैठकर राजू उसकी साड़ी को अपने हाथों से उसकी कमर तक उठाने लगा,,,, लेकिन उसकी साड़ी उसकी भारी-भरकम गांड के नीचे दबी हुई थी,,, यह पल उस औरत के लिए शर्म से गड़ जाने जैसा था क्योंकि वह पहली बार किसी अनजान जवान लड़के के सामने अपनी दोनों टांगे फैला रही थी उसे ठीक से जानती भी नहीं थी वह कौन है कहां से आया है कहां रहता है इस बात का उसे बिल्कुल भी ज्ञान नहीं था लेकिन फिर भी उसकी हरकतों से विवश होकर औरत उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने को तैयार हो गई थी,,,, भारी भरकम गांड के नीचे दबी साड़ी को कमर तक ले जाने के लिए खुद उस औरत ने राजू का साथ देते हुए अपनी गांड को थोड़ा सा ऊपर की तरफ उठा दी,,, राजू उसकी साड़ी को कमर तक उठा दिया और राजू की आंखों के सामने उसकी दोनों टांगों

के बीच घुंघराले बालों से गिरी हुई उसकी बुर मुझे आने लगी जिसे देखकर राजू के मुंह में पानी आने लगा उसे चाटने का अभी राजू के पास बिल्कुल भी समय नहीं था क्योंकि वह जानता था वह काफी देर से यहां पर है,,,, इसलिए उस औरत की बुर की तारीफ करते हुए उस पर हथेली रखकर जोर से दबाते हुए बोला,,,,।


वाह भाभी तुम्हारे पास कितनी खूबसूरत बुर है,,,, वाह आज तो मजा आ जाएगा और इतना कहने के साथ ही अपनी हथेली हटाकर राजू घुटनों के बल बैठ कर उसकी कमर पकड़कर उसे अपनी तरफ खींच कर उसकी आधी गांड को अपनी जांघों पर चढ़ा लिया,,, राजू की हरकत की वजह से उस औरत की सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी वह काफी उत्तेजित हो गई थी देखते ही देखते राजू अपने मोटे लंड को उसकी बुर पर रखकर हल्के से धक्का लगाया,,, बुर पहले से ही पानी पानी हो चुकी थी इसलिए अंदर जाने में बिल्कुल भी तकलीफ नहीं हुई लेकिन उस औरत को इस बात का अहसास हो गया कि राजू का लंड कुछ ज्यादा ही मोटा है,,, और इसीलिए जैसे ही लंड का सुपाड़ा बुर के अंदर प्रवेश किया उस औरत के मुंह से आह निकल गई,,,, और देखते ही देखते राजू अपना पूरा लंड धीरे-धीरे करके उस औरत की बुर में डाल दिया,,,, और उसे चोदने से पहले उसके ब्लाउज के बाकी बटन को खोलते हुए बोला,,,।

हां भाभी दो दो बच्चों की मां हो गई हो लेकिन अभी भी तुम्हारी बुर एकदम कसी हुई है,,,,(राजू के मुंह से अपनी जवानी और अपनी बुर की तारीफ सुनकर वह औरत उत्तेजना और खुशी में एकदम गदगद हो गई क्योंकि इस तरह से उसके पति ने कभी भी उसकी तारीफ नहीं किया था,,,, जैसे ही राजू के हाथों में उसकी नंगी चूचियां आई वह उन्हें जोर जोर से दबाता हुआ अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया,,,,,, थोड़ी ही देर में फच्च फच्च की आवाज से पूरा कमरा गुंजने लगा,,,, उस औरत की गर्म सिसकारी से माहौल पूरी तरह से गर्म आ चुका था उसके चेहरे को देखकर राजू समझ गया था कि उसे बहुत मजा आ रहा है राजू अपना पूरा लंड उसकी बुर की गहराई में डाल कर वापस निकाल कर फिर धक्का लगा रहा था और तगड़े तगड़े धक्के लगा रहा था हर धक्के के साथ उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां पानी भरे गुब्बारों की तरह छाती पर लौटने लगती थी जिसे राजू अपने हाथ में पकड़ कर जोर जोर से दबा रहा था,,,,, राजू अपने मन में सोच रहा था कि अगर उसके पास पर्याप्त समय होता तो इस औरत के साथ वह जी भर कर मजा लेता और रात भर इसकी चुदाई करता लेकिन उसके पास समय नहीं था,,,


कैसा लग रहा है भाभी,,,(अपने तेज धकको को जारी रखते हुए राजू बोला लेकिन उसकी बात सुनकर एकदम से शरमा गई और दूसरी तरफ मुंह फेर ली,,,, देखते ही देखते राजू के धक्के बड़े तेज होते जा रहे थे और उसकी सिसकारी भी तेज होती जा रही थी उसका बदन एकदम से अकड़ने लगा और वह कसके राजू को पकड़ ली राजू समझ गया कि उसका पानी निकलने वाला है इसलिए लगातार धक्के पर धक्का पैलने लगा ,,, और जैसे ही उसका पानी निकला राजू ने भी अपना लावा पूरी तरह से उसकी बुर में गिराना शुरू कर दिया और कसके उसे अपनी बाहों में जकड़ लिया था वह इतनी जोर से उसे अपनी बाहों में पकड़ा था कि उस औरत को लगने लगा था कि उसकी हड्डियां चटक जाएंगी लेकिन उसे बहुत मजा आ रहा था राजू तब तक अपने लंड को उसकी बुर से बाहर नहीं निकाला जब तक कि पूरा पानी उसकी बुर में गिर नहीं किया और उसके ऊपर हांफने लगा,,,,,।

राजू के पास समय बहुत कम था वह थोड़ी देर में उसके ऊपर से उठा और अपने पजामे को पहनने लगा,,,,, उस औरत को राजू के साथ संभोग करके पूरी तरह से तृप्ति का एहसास हुआ था इसलिए उसे इस तरह से पैजामा पहनता देखकर ना चाहते हुए भी उसके मुंह से निकल गया,,,,

जा रहे हो,,,


हां मुझे जाना होगा,,,


फिर कब आओगे,,,


जरूर आऊंगा तुम्हारे साथ मुझे बहुत मजा आया है इसलिए आना ही पड़ेगा,,

,,(इतना कहने के साथ ही वह घर से बाहर निकल गया और मुस्कुराता हुआ गांव की तरफ जाने लगा वह औरत उसी तरह से नीचे जमीन पर लेटी रह गई वह पूरी तरह से तृप्त हो चुकी थी थोड़ी देर में राजू गांव में पहुंच गया तो देखा उसकी मां बैलगाड़ी के पास खड़ी थी और तुरंत भागते हुए उसके पास गया और बोला,,,)

दवा ले ली,,,

हां हां अभी लेकर ही आ रही हूं और तू कहां चला गया था,,

बस ऐसे ही गांव की सैर करने गया था,,,


चल अब जल्दी कर देख बादल घेरता आ रहा है कभी भी बारिश होने लगेगी,,,

हां तुम सच कह रही हो मां हमें जल्दी निकलना पड़ेगा जल्दी से बैठो,,,।


थोड़ी देर में राजू बैलगाड़ी को गांव से बाहर ले कर आ गया वह भी जल्दी पहुंचना चाहता था क्योंकि बारिश कभी भी आ सकती थी,,,,,,,, शाम होने वाली थी और आसमान में बादल अपना रूप बदलते हुए नजर आ रहे थे किसी भी वक्त बारिश आ सकती थी,,,, बादलों को देखकर मधु को घबराहट हो रही थी क्योंकि अभी गांव बहुत दूर था अगर रास्ते में तेज बारिश आ गई तो वह लोग कहां रुकेंगे क्या करेंगे कुछ समझ में नहीं आ रहा था,,,,
kab chodega esko
 
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राजू बेल गाड़ी लेकर निकल तो गया था लेकिन,,,,, उसके मन में भी डर था कि कहीं अगर बारिश हो गई तो वह क्या करेगा काफी लंबा सफर तय करना था,,,,,

बैलगाड़ी अपने रास्ते पर चल पड़ी थी ,,, राजू का कुछ देर पहले का अनुभव ताकि जबरदस्त रहा था वह कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि इस तरह से अनजान गांव में उसे एक खूबसूरत भाभी मिल जाएगी जो उसे अपनी जवानी से तृप्त करेगी,,,, राजू बैलगाड़ी को आगे बढ़ाते हुए अपने मन में ही सोच रहा था कि दो दो बच्चों की मां होने के बावजूद भी उसकी बुर कितनी कसी हुई थी,,, अगर उसके पास समय होता तो जी भर कर उसकी जवानी से खेलता,,,, राजू समझ गया था कि उसने उस औरत को पूरी तरह से तृप्त कर दिया है तभी तो वह औरत उसे दोबारा कब आओगे इस तरह से सवाल कर रही थी,,,,,,,, दूसरी गांव में जाकर यह राजू का दूसरी बार का अनुभव था पहला अनुभव वह बगल वाले गांव में अशोक चाचा की बीवी के साथ रात भर जमकर चुदाई करके ले लिया था और यह दूसरा अनुभव गांव से काफी दूर आकर मिला था दोनों अनुभव जबरदस्त था,,,,,,,, लेकिन दोनों में से राजू को यह वाला अनुभव बेहद बेहतरीन लगा था क्योंकि इसमें पहले से कुछ तय नहीं था कि ऐसा कुछ हो जाएगा,,,,,,, राजू अपने मन में बेल गाड़ी चलाते समय कैसे-कैसे क्या हुआ उसके बारे में सोच रहा था उसका तालाब के किनारे आकर पत्थर पर बैठना और फिर उस औरत का झाड़ियों में से बाहर निकलना और वह भी अपनी साड़ी को कमर तक उठाए हुए इतने से ही राजू के तन बदन में उस औरत को देखकर काम भावना जागरूक हो गई,,, और फिर उसके पीछे पीछे उसके करीब जाना और पहले ही उत्तेजना से भरे हुए उसके ब्लाउज में से झांकती उसकी चुचियों को देखें ब्लाउज के थोड़े से फटे होने की वजह से सूचियों का छोटा सा खजूर नजर आना और फिर लकड़ी उठाने के बहाने उसकी मदद करते हुए उसके घर तक पहुंचना,,,,, और उसके पास जो कुछ भी हुआ वह राजू के लिए बेहद अद्भुत और उत्तेजना आत्मकथा राजू को अपनी मर्दाना ताकत पर पूरा विश्वास था कि एक बार उस औरत को अपनी गिरफ्त में लेने के बाद उसे पूरी तरह से संतुष्ट करने के बाद ही वह छोड़ेगा और ऐसा ही हुआ था,,, वह औरत भी राजू के मर्दाना ताकत के आगे विवश हो चुके थे वरना आज तक वह किसी गैर मर्द को अपने बदन को छूने भी नहीं दी थी और एक बार उस औरत के कदम डगमगाने के बाद राजू ने उसे अच्छी तरह से संभाल लिया था और उसकी जमकर चुदाई किया था उस चुदाई से वह औरत पूरी तरह से संतुष्ट हो चुकी थी,,,,।

यही सब सोचता हुआ राजू बेल गाड़ी लेकर आगे चला जा रहा था बादलों का जमावड़ा बढ़ता जा रहा था,,, दोनों मां बेटों को पूरा यकीन हो गया था कि किसी भी वक्त बारिश पड़ सकती है इसलिए दोनों के मन में थोड़ी बहुत घबराहट थी क्योंकि सफर अभी काफी लंबा तय करना था,,,,,,। फिर भी राजू अपनी बातों से घबराहट को कम करने के लिए वह अपनी मां से बोला,,,।

क्या बोले वेद जी,,,

बोले कुछ नहीं बस दवाई दिए हैं और कहे हैं कि,,, दूध के साथ 3 बार लेना,,,,

बोले नहीं कब तक आराम हो जाएगा,,,,


दस 15 दिन लगेगा,,,, एकदम आराम हो जाएगा,,,

चलो तब तो परेशानी की कोई बात नहीं है,,,,


तुझे क्या परेशानी है,,, मेरी तबीयत को लेकर,,,


अरे कैसी बातें करते हो ना तुम्हारी तबीयत खराब हो गई तो क्या मुझे परेशानी नहीं होगी,,,,


वो कैसे,,,,?
(अपनी मां की बात सुनकर राजू समझ गया कि उसकी मां फिर से मसालेदार बातों को सुनना चाहती है इसलिए राजू बोला,,,)

देखो बात साफ है तुम मुझे बहुत खूबसूरत लगती हो तुम्हारी जैसी खूबसूरत औरत मैंने आज तक नहीं देखा अगर बीमार हो जाओगी तो,,,, जो तुम्हारा खूबसूरत बदन है ,,,अभी भी जो तुम्हारी जवानी बरकरार है धीरे-धीरे ढलने लगेगी,,(राजू जानबूझकर अपनी मां को उसकी जवानी की बात कर रहा था उसके सामने जवानी जैसे शब्दों का प्रयोग कर रहा था और यह सा सुनने में मधु को अच्छा भी लग रहा था,,,) तो तुम भी दूसरी औरतों की तरह हो जाओगी,,, तब तुम्हारे लोग वाकर से नहीं रह जाएगा जो इस समय है,,,


कैसा आकर्षण,,,?


अरे तुम्हारी जवानी का और कैसा आकर्षण,,,,

मैं कुछ समझी नहीं मैं भी तो दूसरी औरतों की तरह ही हूं फिर मेरे में ऐसा कौन सा आकर्षण है,,,(मधु को अपनी बेटी की बातें अच्छी लगने लगी थी इसलिए वह अपनी बेटी से और जानना चाहती थी अपने बारे में,,,,, वैसे भी औरतों को अपनी खूबसूरती के बारे में जितना पता होता है उससे ज्यादा मर्दों को उनकी खूबसूरती के बारे में ज्ञान होता है,,,,, राजू का दिल जोरो से उछल रहा था वह समझ गया था कि उसकी मां भी दूसरी औरतों की तरह अपनी खूबसूरती की तारीफ के साथ-साथ गंदी बातों को सुनना चाहती है और राजू को क्या चाहिए था अपनी मंजिल तक पहुंचने की यही सबसे अच्छा रास्ता भी था इसलिए वह अपनी बातों को नमक मिर्च लगाता हुआ बोला,,,)

क्या मा इतना भी नहीं समझती,,, आकर्षण का मतलब होता है तुम्हारी खूबसूरती तुम्हारी जवानी,,, तुम्हारी लाजवाब गोल गोल चूचियां जोकि ब्लाउज में कैद होने के बावजूद भी पके हुए पपाया की तरह बाहर आने के लिए मचलती रहती हैं,,,, पता है तुमको साड़ी से ढकने के बावजूद भी तुम्हारी चूची कितनी उभरकर साड़ी से बाहर आती है शायद यह तुमको पता नहीं होगा लेकिन देखने वालों के होश उड़ जाते हैं,,,(अपने बेटे की बातों को सुनकर एक बार फिर से मधु का दिल जोरो से धड़कने लगा था) तुम्हें तो शायद इस बात का अंदाजा भी नहीं होगा कि तुम्हारी चुचियों को देखकर कितने लोग तड़प जाते हैं और लोगों का मन करता है कि तुम्हारी चूची को जोर जोर से पकड़ कर दबाने उन्हें मुंह में लेकर पीएं,,,,


यह क्या कह रहा है राजू,,,,(धड़कते दिल के साथ मधु बोली,)

तुम्हें झूठ लग रहा है ना मा लेकिन मैं जो कुछ भी कह रहा हूं सच कह रहा हूं बाजार में तुम शायद जवान लड़का और मर्दों की नजरों को नहीं देखी थी वरना तुम्हें खुद ही पता चल जाता कि वह लोग तुम्हारी चूची देखकर क्या सोच रहे होंगे और सबसे बड़ा आकर्षण तो तुम्हारी गांड का है बड़ी बड़ी गांड,,,,(ऐसा बोलते हुए खुद राजू का लंड टनटना गया,,, और मधु की तो हालत खराब होने लगी उसकी बुर फिर से गीली होने लगी,,,, उसका बेटा उसके अंगों के बारे में खुले शब्दों में बात कर रहा था जिसे सुनकर मधु के तन बदन में आग लग रही थी राजू अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,) जब तुम कमर से अपनी साड़ी को कस के बांधती होना तब तुम्हारी बड़ी बड़ी गांड और भी ज्यादा बड़ी लगने लगती है ऐसा लगता है कि जैसे साड़ी के अंदर बड़े-बड़े तरबूज भर के रखी हो,,, सच में मैं तुम्हारी गांड देखकर तो किसी का भी लंड खड़ा हो जाता है,,, तुमने शायद इस बात पर भी बाजार में गौर नहीं की थी वरना तुम्हें तभी पता चल जाता कि तुम कितनी खूबसूरत हो तुम्हारे अंग तुम्हारी चूची तुम्हारी गांड कितनी आकर्षित करती है मर्दों को,,,।


बबब बाजार में क्या कह रहा था तु,,,


अरे मां यही कि बाजार में तुम्हें देखकर कितने मर्दों का लंड खड़ा हो गया था,,,।

ततत,, तुझे कैसे मालूम,,,(उत्तेजना में हक लाते हुए स्वर में बोली)

मैंने अपने कानों से सुना था तभी तो बता रहा हूं,,,


क्या सुना था तूने,,,,?(मधु धड़कते दिल के साथ आश्चर्य जताते हुए बोली,,, अपने बेटे के मुंह से अपने बारे में दूसरे मर्दों के मन में चल रही गंदी बातों को सुनने में मधु के तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी उसे सब कुछ अच्छा लग रहा था,,,, आखिरकार उसे अपने बदन पर गर्व होने लगा था कि इस उम्र में भी उसके में अभी भी पूरी जवानी बरकरार है वह किसी भी मर्द को जवान लड़के को अपनी तरफ आकर्षित कर सकती है जिसका जीता जागता सबूत उसका खुद का जवान बेटा था,,,,)

अरे मां मैंने जो अपने कानों से सुना था उसे सुनकर तो मैं भी दंग रह गया था तुम सुनोगी तो सही में मुझे तो लगता है कि तुम डर के मारे बाहर निकलना बंद कर दोगी,,,, या तो फिर अपनी बुर पर भी एक ताला लगा कर रखोगी,,,।

क्या,,,?(इस बार अपने बेटे के मुंह से ताला लगाने वाली बात पर मधु खिलखिला कर हंस दी)

हां मां में सच कह रहा हूं उन लोगों की बात ही कुछ ऐसी थी,,,

क्या कह रहे थे वह लोग,,,,


अरे बहुत गंदा बोल रहे थे तभी तो मैं तुम्हें ढूंढ रहा था कि कहां चली गई मुझे डर था कि कहीं वह लोगों के हाथ तो नहीं लग गई,,,

धत्,,,,(मधु शरमाते हुए बोली)


हां मां मैं सच कह रहा हूं लोगों की बात सुनकर मैं घबरा गया था,,,


कह क्या रहे थे वह लोग,,,,


अरे जब तुम चूड़ी खरीदने के लिए दुकान के पास जा रही थी ना तो दो-तीन आदमी वहीं पास में बैठ कर बीड़ी पी रहे थे और उनमें से तो यह कह रहा था,,,।


बाप रे कितनी खूबसूरत औरत है कसम से इसकी गांड देखकर तो मेरा लंड खड़ा हो गया,,, और तभी दूसरा बोला


यार तू सच कह रहा है इससे पहले मैंने कभी इसे बाजार में नहीं देखा कौन है यह इतनी खूबसूरत एकदम गोरी चिट्टी ऐसा लगता है कि जैसे स्वर्ग से उतरी हुई अप्सरा है और गांड देखकर कैसे मटका कर चल रही है,,,
और तीसरा बोला,,,।

कसम से यार एक रात के लिए मिल जाए तो इसकी बुर में लंड डाल डाल कर इसकी बुर का भोसड़ा बना दु रात भर इसे सोने ना दु,,, शाली की बुर एकदम गुलाबी होगी,,,, तभी दूसरे ने बोला,,,


सच कह रहा है यार शादी की बुर के बारे में सोच कर ही मेरा लैंड खड़ा हो गया है इसकी चुची देखकर से खरबूजे जैसी है गोल गोल मन करता है कि मुंह में लेकर रात भर पीता रहुं,,,, तभी पहले वाले ने बोला

शाली जिस से भी चुदवाती होगी कितना किस्मत वाला होगा,,, यार अगर यह मेरे सामने कपड़े उतार कर खड़ी हो जाए तो इसको नंगी देखकर मुझे तो लगता है कि मेरा लंड ऐसे ही पानी फेंक देगा,,,,।

बाप रे मेरे बारे में इतनी गंदी गंदी बातें ‌वह लोग कर रहे थे और तो कुछ बोल नहीं पा रहा था,,,

मेरा तो मन कर रहा था कि उन लोगों की टांग तोड़ दूं दांत तोड़ दूं लेकिन क्या करूं अगर सब लोग इकट्ठा हो जाते और पूछते तो क्या हुआ था तो मैं क्या कहता तुमको जो कुछ भी वह लोग कह रहे थे मुझे बताने में शर्म आती है और तुम्हारे बारे में इस तरह की बातें करने में मुझे बहुत गंदा लगता और सच कहूं तो अगर ऐसा कुछ हुआ होता तो दूसरे जो इकट्ठा होते वहां लोग भी तुम्हें उसी नजर से देखते जैसा कि वह तीनों देख रहे थे,,,।

थे कहां पर तीनो,,,


वहीं पर चूड़ी की दुकान के बगल में बैठे हुए थे,,,,,,

(अपने बेटे के मुंह से उन लोगों की इतनी गंदी गंदी बातें सुनकर मधु को गुस्सा भी लग रहा था और वह उत्तेजित भी हो चुकी थी उसकी बुर पूरी तरह से गीली हो चुकी थी और वह बार-बार साड़ी के ऊपर से ही अपने बुर के चिप चिपेपन को टटोल रही थी,,,, जो कुछ भी राजू ने बताया था ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था लेकिन अपनी मां के सामने स्तर की गंदी गंदी बातें करने में उसे एक अजीब सा सुख मिल रहा था वह पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था उसका लंड औकात से बाहर एकदम टनटनाकर खड़ा था,,,, कुछ देर शांत रहने के बाद मधु बोली,,)

बाप रे तब तो मेरा इस तरह से बाजार में घूमना ठीक नहीं है,,,

ठीक नहीं है अरे बिल्कुल भी ठीक नहीं है अगर सोचो बाजार में घूमते हुए अगर थोड़ा बहुत अंधेरा हो जाए तो समझ लो कि वह लोग तो तुम्हें उठा कर ले जाए खेत में और फिर तुम्हारे सारे कपड़े उतार कर तुम्हें नंगी करके तुम्हारी बुर में बारी-बारी से अपना लंड डालकर चोदे,,, तब तुम लोगों का कुछ कर भी नहीं पाओगी और वह लोग अपनी मनमानी कर के चले जाएंगे तुम्हारी जवानी का रस पीकर,,,,।
(राजू एकदम तमतमा कर उत्तेजित हो गया था अपनी मां के सामने इस तरह की से गंदी से गंदी बातें करने में उसे बहुत मजा आ रहा था और इस तरह की बातें सुनने में मधु को भी अच्छा लग रहा था वह पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी वह कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि वह अपने बेटे से इस तरह की बातें करेगी उसके मुंह से अपने बारे में इतनी गंदी-गंदी बातें सुन पाएगी लेकिन आज सब कुछ सोचने के विपरीत ही हो रहा,,, था,,, अपने बेटे की बात सुनकर वह अपने मन में कल्पना करने लगे कि अगर वाकई में उसके बेटे के कहे अनुसार ऐसा हो जाए तो वह तीनों उठाकर उसे ही सच में खेत में ले जाएंगे और बारी-बारी से उसके नंगे बदन को नोचेंगे और बारी बारी से उसकी बुर में अपना लंड डालकर उसे छोड़ देंगे जो कि आज तक किसी को भी अपने बदन को छूने नहीं देती अपने पति के सिवा,,,,, पल भर में उस तरह की कल्पना करके वह अपने बदन में झुरझुरी से महसूस करने लगी थी,,, जब जोर से बादल के गरजने की आवाज आई तब जाकर उसकी तंद्रा भंग हुई तब जाकर उसे होश आया कि वह तो बैलगाड़ी में सफर में है,,, अपने बेटे की बातों में इस कदर खो गई थी कि उसे पता ही नहीं चला था कि वह कहां पर है कहां जा रही है क्या समय हो रहा है बादलों की गर्जना की आवाज सुनते ही उसका ध्यान बैलगाड़ी से बाहर गया तो उसके होश उड़ गए चारों तरफ बादल ही बादल उमड़ रहे थे और अंधेरा छा गया था जबकि अभी शाम ढली भी नहीं थी लेकिन ऐसा लग रहा था कि जैसे रात हो रही है और बरसात पढ़ना शुरू हो गई थी वह घबराते हुए राजू से बोली,,,,,।)

अरे राजू अब क्या होगा यह तो बारिश होने लगी,,

हम यह तो बहुत तेज बारिश हो रही है और हमें तो अभी बहुत दूर जाना है पता नहीं अब क्या होगा,,,


जल्दी-जल्दी बैलगाड़ी आगे बढ़ा हो सकता है बरसात बंद हो जाए,,,

मैं भी यही सोच रहा था लेकिन बादलों को देखकर लग नहीं रहा है कि बरसात बंद होने वाली है देख नहीं रही हो कितनी तेज हवा चलने लगी है आंधी के साथ बरसात हो रही है,,,,


हाय दैया ऐसे में तो मुसीबत हो जाएगी,,,


तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो मा मैं जरूर कुछ ना कुछ करता हूं,,,(और इतना कहने के साथ ही हो बैलगाड़ी को जोर से ले जाने लगा,,,,, बादलों की गड़गड़ाहट तेज हवा और तेज बारिश होना शुरू हो गई थी दूर-दूर तक कोई नजर नहीं आ रहा था हवा इतनी तेज थी कि कुछ दिखाई नहीं दे रहा था राजू को समझ में नहीं आ रहा था कि वहां क्या करें फिर भी वह बैलगाड़ी को जल्द से जल्द जितना हो सकता था आगे बढ़ा लेना चाहता था वह जानता था कि तेज बारिश में बैल का आगे बढ़ना नामुमकिन है और अगर पानी भर गया तो बेल एक कदम भी नहीं चल पाएंगे इसलिए वह जल्द से जल्द आगे बढ़ रहा था मधु के चेहरे पर घबराहट नजर आ रही थी क्योंकि वह सोच रही थी कि अगर ऐसी तेज बारिश में रुकना पड़ गया तो कहां रुकेंगे,,,,

मन में यही सोचते सोचते राजू काफी दूर तक ऐसे ही बैलगाड़ी को लेकर आ गया था लेकिन अब धीरे-धीरे पानी भरना शुरू हो गया था तेज हवाएं अपना असर दिखा रही थी बेल गाड़ी में बैठे होने के बावजूद भी मधु पर पानी की बौछारें पड़ रही थी जिसकी वजह से उसके कपड़े गीले हो रहे थे राजू तो धीरे-धीरे गीला ही हो गया था,,, राजू समझ गया था कि बारिश इतनी जल्दी रुकने वाली नहीं

है उन्हें कहीं ना कहीं रुकना ही होगा लेकिन कहां उसे समझ में नहीं आ रहा था,,,, दूसरी तरफ वातावरण भयानक होता जा रहा था जिसे देखकर मधु भी घबरा रही थी,,,, तभी राजू की नजर एक खंडहर नुमा बड़े घर पर पड़े वह पूरी तरह से खंडार हो चुका था लेकिन उसमें बारिश से बचने का जुगाड़ नजर आ रहा था और उसे देखकर राजू के चेहरे पर मुस्कान आ गए और वहां अपनी मां को बताई भी ना जल्दी-जल्दी वहां पर पहुंच जाना चाहता था क्योंकि पानी भरना शुरू हो गया था अगर घुटनों तक पानी आ जाता तो बेल शायद आगे बढ़ने से इंकार कर देता,,,।

और थोड़ी ही देर में बादलों की गड़गड़ाहट और तेज हवाओं के साथ साथ घमासान बारिश के बीच से वह बैलगाड़ी को आगे बढ़ाता हुआ उस खंडहर के सामने पहुंच गया और खुश होता हुआ अपनी मां से बोला,,,।


चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है बारिश से बचने का जुगाड़ हो गया है,,,


कहां,,,?(मधु आश्चर्य से इधर उधर देखते हुए बोली)

यह रहा,,,(खंडहर की तरफ हाथ दिखाते हुए राजू बोला तो उस खंडार की तरफ देखकर उस खंडार की हालत को देखकर मधु घबराते हुए बोली,,,)

इस खंडहर में बाप रे बाहर से इतना भयानक लग रहा है क्या इसमें जाना ठीक रहेगा मुझे तो भूत से बहुत डर लगता है,,,


क्या बात हम भी खामखा डरती हो मैं हूं ना तुम्हें चिंता करने की जरूरत नहीं है,,,,,,।
 
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राजू बेल गाड़ी लेकर निकल तो गया था लेकिन,,,,, उसके मन में भी डर था कि कहीं अगर बारिश हो गई तो वह क्या करेगा काफी लंबा सफर तय करना था,,,,,

बैलगाड़ी अपने रास्ते पर चल पड़ी थी ,,, राजू का कुछ देर पहले का अनुभव ताकि जबरदस्त रहा था वह कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि इस तरह से अनजान गांव में उसे एक खूबसूरत भाभी मिल जाएगी जो उसे अपनी जवानी से तृप्त करेगी,,,, राजू बैलगाड़ी को आगे बढ़ाते हुए अपने मन में ही सोच रहा था कि दो दो बच्चों की मां होने के बावजूद भी उसकी बुर कितनी कसी हुई थी,,, अगर उसके पास समय होता तो जी भर कर उसकी जवानी से खेलता,,,, राजू समझ गया था कि उसने उस औरत को पूरी तरह से तृप्त कर दिया है तभी तो वह औरत उसे दोबारा कब आओगे इस तरह से सवाल कर रही थी,,,,,,,, दूसरी गांव में जाकर यह राजू का दूसरी बार का अनुभव था पहला अनुभव वह बगल वाले गांव में अशोक चाचा की बीवी के साथ रात भर जमकर चुदाई करके ले लिया था और यह दूसरा अनुभव गांव से काफी दूर आकर मिला था दोनों अनुभव जबरदस्त था,,,,,,,, लेकिन दोनों में से राजू को यह वाला अनुभव बेहद बेहतरीन लगा था क्योंकि इसमें पहले से कुछ तय नहीं था कि ऐसा कुछ हो जाएगा,,,,,,, राजू अपने मन में बेल गाड़ी चलाते समय कैसे-कैसे क्या हुआ उसके बारे में सोच रहा था उसका तालाब के किनारे आकर पत्थर पर बैठना और फिर उस औरत का झाड़ियों में से बाहर निकलना और वह भी अपनी साड़ी को कमर तक उठाए हुए इतने से ही राजू के तन बदन में उस औरत को देखकर काम भावना जागरूक हो गई,,, और फिर उसके पीछे पीछे उसके करीब जाना और पहले ही उत्तेजना से भरे हुए उसके ब्लाउज में से झांकती उसकी चुचियों को देखें ब्लाउज के थोड़े से फटे होने की वजह से सूचियों का छोटा सा खजूर नजर आना और फिर लकड़ी उठाने के बहाने उसकी मदद करते हुए उसके घर तक पहुंचना,,,,, और उसके पास जो कुछ भी हुआ वह राजू के लिए बेहद अद्भुत और उत्तेजना आत्मकथा राजू को अपनी मर्दाना ताकत पर पूरा विश्वास था कि एक बार उस औरत को अपनी गिरफ्त में लेने के बाद उसे पूरी तरह से संतुष्ट करने के बाद ही वह छोड़ेगा और ऐसा ही हुआ था,,, वह औरत भी राजू के मर्दाना ताकत के आगे विवश हो चुके थे वरना आज तक वह किसी गैर मर्द को अपने बदन को छूने भी नहीं दी थी और एक बार उस औरत के कदम डगमगाने के बाद राजू ने उसे अच्छी तरह से संभाल लिया था और उसकी जमकर चुदाई किया था उस चुदाई से वह औरत पूरी तरह से संतुष्ट हो चुकी थी,,,,।

यही सब सोचता हुआ राजू बेल गाड़ी लेकर आगे चला जा रहा था बादलों का जमावड़ा बढ़ता जा रहा था,,, दोनों मां बेटों को पूरा यकीन हो गया था कि किसी भी वक्त बारिश पड़ सकती है इसलिए दोनों के मन में थोड़ी बहुत घबराहट थी क्योंकि सफर अभी काफी लंबा तय करना था,,,,,,। फिर भी राजू अपनी बातों से घबराहट को कम करने के लिए वह अपनी मां से बोला,,,।

क्या बोले वेद जी,,,

बोले कुछ नहीं बस दवाई दिए हैं और कहे हैं कि,,, दूध के साथ 3 बार लेना,,,,

बोले नहीं कब तक आराम हो जाएगा,,,,


दस 15 दिन लगेगा,,,, एकदम आराम हो जाएगा,,,

चलो तब तो परेशानी की कोई बात नहीं है,,,,


तुझे क्या परेशानी है,,, मेरी तबीयत को लेकर,,,


अरे कैसी बातें करते हो ना तुम्हारी तबीयत खराब हो गई तो क्या मुझे परेशानी नहीं होगी,,,,


वो कैसे,,,,?
(अपनी मां की बात सुनकर राजू समझ गया कि उसकी मां फिर से मसालेदार बातों को सुनना चाहती है इसलिए राजू बोला,,,)

देखो बात साफ है तुम मुझे बहुत खूबसूरत लगती हो तुम्हारी जैसी खूबसूरत औरत मैंने आज तक नहीं देखा अगर बीमार हो जाओगी तो,,,, जो तुम्हारा खूबसूरत बदन है ,,,अभी भी जो तुम्हारी जवानी बरकरार है धीरे-धीरे ढलने लगेगी,,(राजू जानबूझकर अपनी मां को उसकी जवानी की बात कर रहा था उसके सामने जवानी जैसे शब्दों का प्रयोग कर रहा था और यह सा सुनने में मधु को अच्छा भी लग रहा था,,,) तो तुम भी दूसरी औरतों की तरह हो जाओगी,,, तब तुम्हारे लोग वाकर से नहीं रह जाएगा जो इस समय है,,,


कैसा आकर्षण,,,?


अरे तुम्हारी जवानी का और कैसा आकर्षण,,,,

मैं कुछ समझी नहीं मैं भी तो दूसरी औरतों की तरह ही हूं फिर मेरे में ऐसा कौन सा आकर्षण है,,,(मधु को अपनी बेटी की बातें अच्छी लगने लगी थी इसलिए वह अपनी बेटी से और जानना चाहती थी अपने बारे में,,,,, वैसे भी औरतों को अपनी खूबसूरती के बारे में जितना पता होता है उससे ज्यादा मर्दों को उनकी खूबसूरती के बारे में ज्ञान होता है,,,,, राजू का दिल जोरो से उछल रहा था वह समझ गया था कि उसकी मां भी दूसरी औरतों की तरह अपनी खूबसूरती की तारीफ के साथ-साथ गंदी बातों को सुनना चाहती है और राजू को क्या चाहिए था अपनी मंजिल तक पहुंचने की यही सबसे अच्छा रास्ता भी था इसलिए वह अपनी बातों को नमक मिर्च लगाता हुआ बोला,,,)

क्या मा इतना भी नहीं समझती,,, आकर्षण का मतलब होता है तुम्हारी खूबसूरती तुम्हारी जवानी,,, तुम्हारी लाजवाब गोल गोल चूचियां जोकि ब्लाउज में कैद होने के बावजूद भी पके हुए पपाया की तरह बाहर आने के लिए मचलती रहती हैं,,,, पता है तुमको साड़ी से ढकने के बावजूद भी तुम्हारी चूची कितनी उभरकर साड़ी से बाहर आती है शायद यह तुमको पता नहीं होगा लेकिन देखने वालों के होश उड़ जाते हैं,,,(अपने बेटे की बातों को सुनकर एक बार फिर से मधु का दिल जोरो से धड़कने लगा था) तुम्हें तो शायद इस बात का अंदाजा भी नहीं होगा कि तुम्हारी चुचियों को देखकर कितने लोग तड़प जाते हैं और लोगों का मन करता है कि तुम्हारी चूची को जोर जोर से पकड़ कर दबाने उन्हें मुंह में लेकर पीएं,,,,


यह क्या कह रहा है राजू,,,,(धड़कते दिल के साथ मधु बोली,)

तुम्हें झूठ लग रहा है ना मा लेकिन मैं जो कुछ भी कह रहा हूं सच कह रहा हूं बाजार में तुम शायद जवान लड़का और मर्दों की नजरों को नहीं देखी थी वरना तुम्हें खुद ही पता चल जाता कि वह लोग तुम्हारी चूची देखकर क्या सोच रहे होंगे और सबसे बड़ा आकर्षण तो तुम्हारी गांड का है बड़ी बड़ी गांड,,,,(ऐसा बोलते हुए खुद राजू का लंड टनटना गया,,, और मधु की तो हालत खराब होने लगी उसकी बुर फिर से गीली होने लगी,,,, उसका बेटा उसके अंगों के बारे में खुले शब्दों में बात कर रहा था जिसे सुनकर मधु के तन बदन में आग लग रही थी राजू अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,) जब तुम कमर से अपनी साड़ी को कस के बांधती होना तब तुम्हारी बड़ी बड़ी गांड और भी ज्यादा बड़ी लगने लगती है ऐसा लगता है कि जैसे साड़ी के अंदर बड़े-बड़े तरबूज भर के रखी हो,,, सच में मैं तुम्हारी गांड देखकर तो किसी का भी लंड खड़ा हो जाता है,,, तुमने शायद इस बात पर भी बाजार में गौर नहीं की थी वरना तुम्हें तभी पता चल जाता कि तुम कितनी खूबसूरत हो तुम्हारे अंग तुम्हारी चूची तुम्हारी गांड कितनी आकर्षित करती है मर्दों को,,,।


बबब बाजार में क्या कह रहा था तु,,,


अरे मां यही कि बाजार में तुम्हें देखकर कितने मर्दों का लंड खड़ा हो गया था,,,।

ततत,, तुझे कैसे मालूम,,,(उत्तेजना में हक लाते हुए स्वर में बोली)

मैंने अपने कानों से सुना था तभी तो बता रहा हूं,,,


क्या सुना था तूने,,,,?(मधु धड़कते दिल के साथ आश्चर्य जताते हुए बोली,,, अपने बेटे के मुंह से अपने बारे में दूसरे मर्दों के मन में चल रही गंदी बातों को सुनने में मधु के तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी उसे सब कुछ अच्छा लग रहा था,,,, आखिरकार उसे अपने बदन पर गर्व होने लगा था कि इस उम्र में भी उसके में अभी भी पूरी जवानी बरकरार है वह किसी भी मर्द को जवान लड़के को अपनी तरफ आकर्षित कर सकती है जिसका जीता जागता सबूत उसका खुद का जवान बेटा था,,,,)

अरे मां मैंने जो अपने कानों से सुना था उसे सुनकर तो मैं भी दंग रह गया था तुम सुनोगी तो सही में मुझे तो लगता है कि तुम डर के मारे बाहर निकलना बंद कर दोगी,,,, या तो फिर अपनी बुर पर भी एक ताला लगा कर रखोगी,,,।

क्या,,,?(इस बार अपने बेटे के मुंह से ताला लगाने वाली बात पर मधु खिलखिला कर हंस दी)

हां मां में सच कह रहा हूं उन लोगों की बात ही कुछ ऐसी थी,,,

क्या कह रहे थे वह लोग,,,,


अरे बहुत गंदा बोल रहे थे तभी तो मैं तुम्हें ढूंढ रहा था कि कहां चली गई मुझे डर था कि कहीं वह लोगों के हाथ तो नहीं लग गई,,,

धत्,,,,(मधु शरमाते हुए बोली)


हां मां मैं सच कह रहा हूं लोगों की बात सुनकर मैं घबरा गया था,,,


कह क्या रहे थे वह लोग,,,,


अरे जब तुम चूड़ी खरीदने के लिए दुकान के पास जा रही थी ना तो दो-तीन आदमी वहीं पास में बैठ कर बीड़ी पी रहे थे और उनमें से तो यह कह रहा था,,,।


बाप रे कितनी खूबसूरत औरत है कसम से इसकी गांड देखकर तो मेरा लंड खड़ा हो गया,,, और तभी दूसरा बोला


यार तू सच कह रहा है इससे पहले मैंने कभी इसे बाजार में नहीं देखा कौन है यह इतनी खूबसूरत एकदम गोरी चिट्टी ऐसा लगता है कि जैसे स्वर्ग से उतरी हुई अप्सरा है और गांड देखकर कैसे मटका कर चल रही है,,,
और तीसरा बोला,,,।

कसम से यार एक रात के लिए मिल जाए तो इसकी बुर में लंड डाल डाल कर इसकी बुर का भोसड़ा बना दु रात भर इसे सोने ना दु,,, शाली की बुर एकदम गुलाबी होगी,,,, तभी दूसरे ने बोला,,,


सच कह रहा है यार शादी की बुर के बारे में सोच कर ही मेरा लैंड खड़ा हो गया है इसकी चुची देखकर से खरबूजे जैसी है गोल गोल मन करता है कि मुंह में लेकर रात भर पीता रहुं,,,, तभी पहले वाले ने बोला

शाली जिस से भी चुदवाती होगी कितना किस्मत वाला होगा,,, यार अगर यह मेरे सामने कपड़े उतार कर खड़ी हो जाए तो इसको नंगी देखकर मुझे तो लगता है कि मेरा लंड ऐसे ही पानी फेंक देगा,,,,।

बाप रे मेरे बारे में इतनी गंदी गंदी बातें ‌वह लोग कर रहे थे और तो कुछ बोल नहीं पा रहा था,,,

मेरा तो मन कर रहा था कि उन लोगों की टांग तोड़ दूं दांत तोड़ दूं लेकिन क्या करूं अगर सब लोग इकट्ठा हो जाते और पूछते तो क्या हुआ था तो मैं क्या कहता तुमको जो कुछ भी वह लोग कह रहे थे मुझे बताने में शर्म आती है और तुम्हारे बारे में इस तरह की बातें करने में मुझे बहुत गंदा लगता और सच कहूं तो अगर ऐसा कुछ हुआ होता तो दूसरे जो इकट्ठा होते वहां लोग भी तुम्हें उसी नजर से देखते जैसा कि वह तीनों देख रहे थे,,,।

थे कहां पर तीनो,,,


वहीं पर चूड़ी की दुकान के बगल में बैठे हुए थे,,,,,,

(अपने बेटे के मुंह से उन लोगों की इतनी गंदी गंदी बातें सुनकर मधु को गुस्सा भी लग रहा था और वह उत्तेजित भी हो चुकी थी उसकी बुर पूरी तरह से गीली हो चुकी थी और वह बार-बार साड़ी के ऊपर से ही अपने बुर के चिप चिपेपन को टटोल रही थी,,,, जो कुछ भी राजू ने बताया था ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था लेकिन अपनी मां के सामने स्तर की गंदी गंदी बातें करने में उसे एक अजीब सा सुख मिल रहा था वह पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था उसका लंड औकात से बाहर एकदम टनटनाकर खड़ा था,,,, कुछ देर शांत रहने के बाद मधु बोली,,)

बाप रे तब तो मेरा इस तरह से बाजार में घूमना ठीक नहीं है,,,

ठीक नहीं है अरे बिल्कुल भी ठीक नहीं है अगर सोचो बाजार में घूमते हुए अगर थोड़ा बहुत अंधेरा हो जाए तो समझ लो कि वह लोग तो तुम्हें उठा कर ले जाए खेत में और फिर तुम्हारे सारे कपड़े उतार कर तुम्हें नंगी करके तुम्हारी बुर में बारी-बारी से अपना लंड डालकर चोदे,,, तब तुम लोगों का कुछ कर भी नहीं पाओगी और वह लोग अपनी मनमानी कर के चले जाएंगे तुम्हारी जवानी का रस पीकर,,,,।
(राजू एकदम तमतमा कर उत्तेजित हो गया था अपनी मां के सामने इस तरह की से गंदी से गंदी बातें करने में उसे बहुत मजा आ रहा था और इस तरह की बातें सुनने में मधु को भी अच्छा लग रहा था वह पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी वह कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि वह अपने बेटे से इस तरह की बातें करेगी उसके मुंह से अपने बारे में इतनी गंदी-गंदी बातें सुन पाएगी लेकिन आज सब कुछ सोचने के विपरीत ही हो रहा,,, था,,, अपने बेटे की बात सुनकर वह अपने मन में कल्पना करने लगे कि अगर वाकई में उसके बेटे के कहे अनुसार ऐसा हो जाए तो वह तीनों उठाकर उसे ही सच में खेत में ले जाएंगे और बारी-बारी से उसके नंगे बदन को नोचेंगे और बारी बारी से उसकी बुर में अपना लंड डालकर उसे छोड़ देंगे जो कि आज तक किसी को भी अपने बदन को छूने नहीं देती अपने पति के सिवा,,,,, पल भर में उस तरह की कल्पना करके वह अपने बदन में झुरझुरी से महसूस करने लगी थी,,, जब जोर से बादल के गरजने की आवाज आई तब जाकर उसकी तंद्रा भंग हुई तब जाकर उसे होश आया कि वह तो बैलगाड़ी में सफर में है,,, अपने बेटे की बातों में इस कदर खो गई थी कि उसे पता ही नहीं चला था कि वह कहां पर है कहां जा रही है क्या समय हो रहा है बादलों की गर्जना की आवाज सुनते ही उसका ध्यान बैलगाड़ी से बाहर गया तो उसके होश उड़ गए चारों तरफ बादल ही बादल उमड़ रहे थे और अंधेरा छा गया था जबकि अभी शाम ढली भी नहीं थी लेकिन ऐसा लग रहा था कि जैसे रात हो रही है और बरसात पढ़ना शुरू हो गई थी वह घबराते हुए राजू से बोली,,,,,।)

अरे राजू अब क्या होगा यह तो बारिश होने लगी,,

हम यह तो बहुत तेज बारिश हो रही है और हमें तो अभी बहुत दूर जाना है पता नहीं अब क्या होगा,,,


जल्दी-जल्दी बैलगाड़ी आगे बढ़ा हो सकता है बरसात बंद हो जाए,,,

मैं भी यही सोच रहा था लेकिन बादलों को देखकर लग नहीं रहा है कि बरसात बंद होने वाली है देख नहीं रही हो कितनी तेज हवा चलने लगी है आंधी के साथ बरसात हो रही है,,,,


हाय दैया ऐसे में तो मुसीबत हो जाएगी,,,


तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो मा मैं जरूर कुछ ना कुछ करता हूं,,,(और इतना कहने के साथ ही हो बैलगाड़ी को जोर से ले जाने लगा,,,,, बादलों की गड़गड़ाहट तेज हवा और तेज बारिश होना शुरू हो गई थी दूर-दूर तक कोई नजर नहीं आ रहा था हवा इतनी तेज थी कि कुछ दिखाई नहीं दे रहा था राजू को समझ में नहीं आ रहा था कि वहां क्या करें फिर भी वह बैलगाड़ी को जल्द से जल्द जितना हो सकता था आगे बढ़ा लेना चाहता था वह जानता था कि तेज बारिश में बैल का आगे बढ़ना नामुमकिन है और अगर पानी भर गया तो बेल एक कदम भी नहीं चल पाएंगे इसलिए वह जल्द से जल्द आगे बढ़ रहा था मधु के चेहरे पर घबराहट नजर आ रही थी क्योंकि वह सोच रही थी कि अगर ऐसी तेज बारिश में रुकना पड़ गया तो कहां रुकेंगे,,,,

मन में यही सोचते सोचते राजू काफी दूर तक ऐसे ही बैलगाड़ी को लेकर आ गया था लेकिन अब धीरे-धीरे पानी भरना शुरू हो गया था तेज हवाएं अपना असर दिखा रही थी बेल गाड़ी में बैठे होने के बावजूद भी मधु पर पानी की बौछारें पड़ रही थी जिसकी वजह से उसके कपड़े गीले हो रहे थे राजू तो धीरे-धीरे गीला ही हो गया था,,, राजू समझ गया था कि बारिश इतनी जल्दी रुकने वाली नहीं

है उन्हें कहीं ना कहीं रुकना ही होगा लेकिन कहां उसे समझ में नहीं आ रहा था,,,, दूसरी तरफ वातावरण भयानक होता जा रहा था जिसे देखकर मधु भी घबरा रही थी,,,, तभी राजू की नजर एक खंडहर नुमा बड़े घर पर पड़े वह पूरी तरह से खंडार हो चुका था लेकिन उसमें बारिश से बचने का जुगाड़ नजर आ रहा था और उसे देखकर राजू के चेहरे पर मुस्कान आ गए और वहां अपनी मां को बताई भी ना जल्दी-जल्दी वहां पर पहुंच जाना चाहता था क्योंकि पानी भरना शुरू हो गया था अगर घुटनों तक पानी आ जाता तो बेल शायद आगे बढ़ने से इंकार कर देता,,,।

और थोड़ी ही देर में बादलों की गड़गड़ाहट और तेज हवाओं के साथ साथ घमासान बारिश के बीच से वह बैलगाड़ी को आगे बढ़ाता हुआ उस खंडहर के सामने पहुंच गया और खुश होता हुआ अपनी मां से बोला,,,।


चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है बारिश से बचने का जुगाड़ हो गया है,,,


कहां,,,?(मधु आश्चर्य से इधर उधर देखते हुए बोली)

यह रहा,,,(खंडहर की तरफ हाथ दिखाते हुए राजू बोला तो उस खंडार की तरफ देखकर उस खंडार की हालत को देखकर मधु घबराते हुए बोली,,,)

इस खंडहर में बाप रे बाहर से इतना भयानक लग रहा है क्या इसमें जाना ठीक रहेगा मुझे तो भूत से बहुत डर लगता है,,,


क्या बात हम भी खामखा डरती हो मैं हूं ना तुम्हें चिंता करने की जरूरत नहीं है,,,,,,।
राजू बेल गाड़ी लेकर निकल तो गया था लेकिन,,,,, उसके मन में भी डर था कि कहीं अगर बारिश हो गई तो वह क्या करेगा काफी लंबा सफर तय करना था,,,,,

बैलगाड़ी अपने रास्ते पर चल पड़ी थी ,,, राजू का कुछ देर पहले का अनुभव ताकि जबरदस्त रहा था वह कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि इस तरह से अनजान गांव में उसे एक खूबसूरत भाभी मिल जाएगी जो उसे अपनी जवानी से तृप्त करेगी,,,, राजू बैलगाड़ी को आगे बढ़ाते हुए अपने मन में ही सोच रहा था कि दो दो बच्चों की मां होने के बावजूद भी उसकी बुर कितनी कसी हुई थी,,, अगर उसके पास समय होता तो जी भर कर उसकी जवानी से खेलता,,,, राजू समझ गया था कि उसने उस औरत को पूरी तरह से तृप्त कर दिया है तभी तो वह औरत उसे दोबारा कब आओगे इस तरह से सवाल कर रही थी,,,,,,,, दूसरी गांव में जाकर यह राजू का दूसरी बार का अनुभव था पहला अनुभव वह बगल वाले गांव में अशोक चाचा की बीवी के साथ रात भर जमकर चुदाई करके ले लिया था और यह दूसरा अनुभव गांव से काफी दूर आकर मिला था दोनों अनुभव जबरदस्त था,,,,,,,, लेकिन दोनों में से राजू को यह वाला अनुभव बेहद बेहतरीन लगा था क्योंकि इसमें पहले से कुछ तय नहीं था कि ऐसा कुछ हो जाएगा,,,,,,, राजू अपने मन में बेल गाड़ी चलाते समय कैसे-कैसे क्या हुआ उसके बारे में सोच रहा था उसका तालाब के किनारे आकर पत्थर पर बैठना और फिर उस औरत का झाड़ियों में से बाहर निकलना और वह भी अपनी साड़ी को कमर तक उठाए हुए इतने से ही राजू के तन बदन में उस औरत को देखकर काम भावना जागरूक हो गई,,, और फिर उसके पीछे पीछे उसके करीब जाना और पहले ही उत्तेजना से भरे हुए उसके ब्लाउज में से झांकती उसकी चुचियों को देखें ब्लाउज के थोड़े से फटे होने की वजह से सूचियों का छोटा सा खजूर नजर आना और फिर लकड़ी उठाने के बहाने उसकी मदद करते हुए उसके घर तक पहुंचना,,,,, और उसके पास जो कुछ भी हुआ वह राजू के लिए बेहद अद्भुत और उत्तेजना आत्मकथा राजू को अपनी मर्दाना ताकत पर पूरा विश्वास था कि एक बार उस औरत को अपनी गिरफ्त में लेने के बाद उसे पूरी तरह से संतुष्ट करने के बाद ही वह छोड़ेगा और ऐसा ही हुआ था,,, वह औरत भी राजू के मर्दाना ताकत के आगे विवश हो चुके थे वरना आज तक वह किसी गैर मर्द को अपने बदन को छूने भी नहीं दी थी और एक बार उस औरत के कदम डगमगाने के बाद राजू ने उसे अच्छी तरह से संभाल लिया था और उसकी जमकर चुदाई किया था उस चुदाई से वह औरत पूरी तरह से संतुष्ट हो चुकी थी,,,,।

यही सब सोचता हुआ राजू बेल गाड़ी लेकर आगे चला जा रहा था बादलों का जमावड़ा बढ़ता जा रहा था,,, दोनों मां बेटों को पूरा यकीन हो गया था कि किसी भी वक्त बारिश पड़ सकती है इसलिए दोनों के मन में थोड़ी बहुत घबराहट थी क्योंकि सफर अभी काफी लंबा तय करना था,,,,,,। फिर भी राजू अपनी बातों से घबराहट को कम करने के लिए वह अपनी मां से बोला,,,।

क्या बोले वेद जी,,,

बोले कुछ नहीं बस दवाई दिए हैं और कहे हैं कि,,, दूध के साथ 3 बार लेना,,,,

बोले नहीं कब तक आराम हो जाएगा,,,,


दस 15 दिन लगेगा,,,, एकदम आराम हो जाएगा,,,

चलो तब तो परेशानी की कोई बात नहीं है,,,,


तुझे क्या परेशानी है,,, मेरी तबीयत को लेकर,,,


अरे कैसी बातें करते हो ना तुम्हारी तबीयत खराब हो गई तो क्या मुझे परेशानी नहीं होगी,,,,


वो कैसे,,,,?
(अपनी मां की बात सुनकर राजू समझ गया कि उसकी मां फिर से मसालेदार बातों को सुनना चाहती है इसलिए राजू बोला,,,)

देखो बात साफ है तुम मुझे बहुत खूबसूरत लगती हो तुम्हारी जैसी खूबसूरत औरत मैंने आज तक नहीं देखा अगर बीमार हो जाओगी तो,,,, जो तुम्हारा खूबसूरत बदन है ,,,अभी भी जो तुम्हारी जवानी बरकरार है धीरे-धीरे ढलने लगेगी,,(राजू जानबूझकर अपनी मां को उसकी जवानी की बात कर रहा था उसके सामने जवानी जैसे शब्दों का प्रयोग कर रहा था और यह सा सुनने में मधु को अच्छा भी लग रहा था,,,) तो तुम भी दूसरी औरतों की तरह हो जाओगी,,, तब तुम्हारे लोग वाकर से नहीं रह जाएगा जो इस समय है,,,


कैसा आकर्षण,,,?


अरे तुम्हारी जवानी का और कैसा आकर्षण,,,,

मैं कुछ समझी नहीं मैं भी तो दूसरी औरतों की तरह ही हूं फिर मेरे में ऐसा कौन सा आकर्षण है,,,(मधु को अपनी बेटी की बातें अच्छी लगने लगी थी इसलिए वह अपनी बेटी से और जानना चाहती थी अपने बारे में,,,,, वैसे भी औरतों को अपनी खूबसूरती के बारे में जितना पता होता है उससे ज्यादा मर्दों को उनकी खूबसूरती के बारे में ज्ञान होता है,,,,, राजू का दिल जोरो से उछल रहा था वह समझ गया था कि उसकी मां भी दूसरी औरतों की तरह अपनी खूबसूरती की तारीफ के साथ-साथ गंदी बातों को सुनना चाहती है और राजू को क्या चाहिए था अपनी मंजिल तक पहुंचने की यही सबसे अच्छा रास्ता भी था इसलिए वह अपनी बातों को नमक मिर्च लगाता हुआ बोला,,,)

क्या मा इतना भी नहीं समझती,,, आकर्षण का मतलब होता है तुम्हारी खूबसूरती तुम्हारी जवानी,,, तुम्हारी लाजवाब गोल गोल चूचियां जोकि ब्लाउज में कैद होने के बावजूद भी पके हुए पपाया की तरह बाहर आने के लिए मचलती रहती हैं,,,, पता है तुमको साड़ी से ढकने के बावजूद भी तुम्हारी चूची कितनी उभरकर साड़ी से बाहर आती है शायद यह तुमको पता नहीं होगा लेकिन देखने वालों के होश उड़ जाते हैं,,,(अपने बेटे की बातों को सुनकर एक बार फिर से मधु का दिल जोरो से धड़कने लगा था) तुम्हें तो शायद इस बात का अंदाजा भी नहीं होगा कि तुम्हारी चुचियों को देखकर कितने लोग तड़प जाते हैं और लोगों का मन करता है कि तुम्हारी चूची को जोर जोर से पकड़ कर दबाने उन्हें मुंह में लेकर पीएं,,,,


यह क्या कह रहा है राजू,,,,(धड़कते दिल के साथ मधु बोली,)

तुम्हें झूठ लग रहा है ना मा लेकिन मैं जो कुछ भी कह रहा हूं सच कह रहा हूं बाजार में तुम शायद जवान लड़का और मर्दों की नजरों को नहीं देखी थी वरना तुम्हें खुद ही पता चल जाता कि वह लोग तुम्हारी चूची देखकर क्या सोच रहे होंगे और सबसे बड़ा आकर्षण तो तुम्हारी गांड का है बड़ी बड़ी गांड,,,,(ऐसा बोलते हुए खुद राजू का लंड टनटना गया,,, और मधु की तो हालत खराब होने लगी उसकी बुर फिर से गीली होने लगी,,,, उसका बेटा उसके अंगों के बारे में खुले शब्दों में बात कर रहा था जिसे सुनकर मधु के तन बदन में आग लग रही थी राजू अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,) जब तुम कमर से अपनी साड़ी को कस के बांधती होना तब तुम्हारी बड़ी बड़ी गांड और भी ज्यादा बड़ी लगने लगती है ऐसा लगता है कि जैसे साड़ी के अंदर बड़े-बड़े तरबूज भर के रखी हो,,, सच में मैं तुम्हारी गांड देखकर तो किसी का भी लंड खड़ा हो जाता है,,, तुमने शायद इस बात पर भी बाजार में गौर नहीं की थी वरना तुम्हें तभी पता चल जाता कि तुम कितनी खूबसूरत हो तुम्हारे अंग तुम्हारी चूची तुम्हारी गांड कितनी आकर्षित करती है मर्दों को,,,।


बबब बाजार में क्या कह रहा था तु,,,


अरे मां यही कि बाजार में तुम्हें देखकर कितने मर्दों का लंड खड़ा हो गया था,,,।

ततत,, तुझे कैसे मालूम,,,(उत्तेजना में हक लाते हुए स्वर में बोली)

मैंने अपने कानों से सुना था तभी तो बता रहा हूं,,,


क्या सुना था तूने,,,,?(मधु धड़कते दिल के साथ आश्चर्य जताते हुए बोली,,, अपने बेटे के मुंह से अपने बारे में दूसरे मर्दों के मन में चल रही गंदी बातों को सुनने में मधु के तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी उसे सब कुछ अच्छा लग रहा था,,,, आखिरकार उसे अपने बदन पर गर्व होने लगा था कि इस उम्र में भी उसके में अभी भी पूरी जवानी बरकरार है वह किसी भी मर्द को जवान लड़के को अपनी तरफ आकर्षित कर सकती है जिसका जीता जागता सबूत उसका खुद का जवान बेटा था,,,,)

अरे मां मैंने जो अपने कानों से सुना था उसे सुनकर तो मैं भी दंग रह गया था तुम सुनोगी तो सही में मुझे तो लगता है कि तुम डर के मारे बाहर निकलना बंद कर दोगी,,,, या तो फिर अपनी बुर पर भी एक ताला लगा कर रखोगी,,,।

क्या,,,?(इस बार अपने बेटे के मुंह से ताला लगाने वाली बात पर मधु खिलखिला कर हंस दी)

हां मां में सच कह रहा हूं उन लोगों की बात ही कुछ ऐसी थी,,,

क्या कह रहे थे वह लोग,,,,


अरे बहुत गंदा बोल रहे थे तभी तो मैं तुम्हें ढूंढ रहा था कि कहां चली गई मुझे डर था कि कहीं वह लोगों के हाथ तो नहीं लग गई,,,

धत्,,,,(मधु शरमाते हुए बोली)


हां मां मैं सच कह रहा हूं लोगों की बात सुनकर मैं घबरा गया था,,,


कह क्या रहे थे वह लोग,,,,


अरे जब तुम चूड़ी खरीदने के लिए दुकान के पास जा रही थी ना तो दो-तीन आदमी वहीं पास में बैठ कर बीड़ी पी रहे थे और उनमें से तो यह कह रहा था,,,।


बाप रे कितनी खूबसूरत औरत है कसम से इसकी गांड देखकर तो मेरा लंड खड़ा हो गया,,, और तभी दूसरा बोला


यार तू सच कह रहा है इससे पहले मैंने कभी इसे बाजार में नहीं देखा कौन है यह इतनी खूबसूरत एकदम गोरी चिट्टी ऐसा लगता है कि जैसे स्वर्ग से उतरी हुई अप्सरा है और गांड देखकर कैसे मटका कर चल रही है,,,
और तीसरा बोला,,,।

कसम से यार एक रात के लिए मिल जाए तो इसकी बुर में लंड डाल डाल कर इसकी बुर का भोसड़ा बना दु रात भर इसे सोने ना दु,,, शाली की बुर एकदम गुलाबी होगी,,,, तभी दूसरे ने बोला,,,


सच कह रहा है यार शादी की बुर के बारे में सोच कर ही मेरा लैंड खड़ा हो गया है इसकी चुची देखकर से खरबूजे जैसी है गोल गोल मन करता है कि मुंह में लेकर रात भर पीता रहुं,,,, तभी पहले वाले ने बोला

शाली जिस से भी चुदवाती होगी कितना किस्मत वाला होगा,,, यार अगर यह मेरे सामने कपड़े उतार कर खड़ी हो जाए तो इसको नंगी देखकर मुझे तो लगता है कि मेरा लंड ऐसे ही पानी फेंक देगा,,,,।

बाप रे मेरे बारे में इतनी गंदी गंदी बातें ‌वह लोग कर रहे थे और तो कुछ बोल नहीं पा रहा था,,,

मेरा तो मन कर रहा था कि उन लोगों की टांग तोड़ दूं दांत तोड़ दूं लेकिन क्या करूं अगर सब लोग इकट्ठा हो जाते और पूछते तो क्या हुआ था तो मैं क्या कहता तुमको जो कुछ भी वह लोग कह रहे थे मुझे बताने में शर्म आती है और तुम्हारे बारे में इस तरह की बातें करने में मुझे बहुत गंदा लगता और सच कहूं तो अगर ऐसा कुछ हुआ होता तो दूसरे जो इकट्ठा होते वहां लोग भी तुम्हें उसी नजर से देखते जैसा कि वह तीनों देख रहे थे,,,।

थे कहां पर तीनो,,,


वहीं पर चूड़ी की दुकान के बगल में बैठे हुए थे,,,,,,

(अपने बेटे के मुंह से उन लोगों की इतनी गंदी गंदी बातें सुनकर मधु को गुस्सा भी लग रहा था और वह उत्तेजित भी हो चुकी थी उसकी बुर पूरी तरह से गीली हो चुकी थी और वह बार-बार साड़ी के ऊपर से ही अपने बुर के चिप चिपेपन को टटोल रही थी,,,, जो कुछ भी राजू ने बताया था ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था लेकिन अपनी मां के सामने स्तर की गंदी गंदी बातें करने में उसे एक अजीब सा सुख मिल रहा था वह पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था उसका लंड औकात से बाहर एकदम टनटनाकर खड़ा था,,,, कुछ देर शांत रहने के बाद मधु बोली,,)

बाप रे तब तो मेरा इस तरह से बाजार में घूमना ठीक नहीं है,,,

ठीक नहीं है अरे बिल्कुल भी ठीक नहीं है अगर सोचो बाजार में घूमते हुए अगर थोड़ा बहुत अंधेरा हो जाए तो समझ लो कि वह लोग तो तुम्हें उठा कर ले जाए खेत में और फिर तुम्हारे सारे कपड़े उतार कर तुम्हें नंगी करके तुम्हारी बुर में बारी-बारी से अपना लंड डालकर चोदे,,, तब तुम लोगों का कुछ कर भी नहीं पाओगी और वह लोग अपनी मनमानी कर के चले जाएंगे तुम्हारी जवानी का रस पीकर,,,,।
(राजू एकदम तमतमा कर उत्तेजित हो गया था अपनी मां के सामने इस तरह की से गंदी से गंदी बातें करने में उसे बहुत मजा आ रहा था और इस तरह की बातें सुनने में मधु को भी अच्छा लग रहा था वह पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी वह कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि वह अपने बेटे से इस तरह की बातें करेगी उसके मुंह से अपने बारे में इतनी गंदी-गंदी बातें सुन पाएगी लेकिन आज सब कुछ सोचने के विपरीत ही हो रहा,,, था,,, अपने बेटे की बात सुनकर वह अपने मन में कल्पना करने लगे कि अगर वाकई में उसके बेटे के कहे अनुसार ऐसा हो जाए तो वह तीनों उठाकर उसे ही सच में खेत में ले जाएंगे और बारी-बारी से उसके नंगे बदन को नोचेंगे और बारी बारी से उसकी बुर में अपना लंड डालकर उसे छोड़ देंगे जो कि आज तक किसी को भी अपने बदन को छूने नहीं देती अपने पति के सिवा,,,,, पल भर में उस तरह की कल्पना करके वह अपने बदन में झुरझुरी से महसूस करने लगी थी,,, जब जोर से बादल के गरजने की आवाज आई तब जाकर उसकी तंद्रा भंग हुई तब जाकर उसे होश आया कि वह तो बैलगाड़ी में सफर में है,,, अपने बेटे की बातों में इस कदर खो गई थी कि उसे पता ही नहीं चला था कि वह कहां पर है कहां जा रही है क्या समय हो रहा है बादलों की गर्जना की आवाज सुनते ही उसका ध्यान बैलगाड़ी से बाहर गया तो उसके होश उड़ गए चारों तरफ बादल ही बादल उमड़ रहे थे और अंधेरा छा गया था जबकि अभी शाम ढली भी नहीं थी लेकिन ऐसा लग रहा था कि जैसे रात हो रही है और बरसात पढ़ना शुरू हो गई थी वह घबराते हुए राजू से बोली,,,,,।)

अरे राजू अब क्या होगा यह तो बारिश होने लगी,,

हम यह तो बहुत तेज बारिश हो रही है और हमें तो अभी बहुत दूर जाना है पता नहीं अब क्या होगा,,,


जल्दी-जल्दी बैलगाड़ी आगे बढ़ा हो सकता है बरसात बंद हो जाए,,,

मैं भी यही सोच रहा था लेकिन बादलों को देखकर लग नहीं रहा है कि बरसात बंद होने वाली है देख नहीं रही हो कितनी तेज हवा चलने लगी है आंधी के साथ बरसात हो रही है,,,,


हाय दैया ऐसे में तो मुसीबत हो जाएगी,,,


तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो मा मैं जरूर कुछ ना कुछ करता हूं,,,(और इतना कहने के साथ ही हो बैलगाड़ी को जोर से ले जाने लगा,,,,, बादलों की गड़गड़ाहट तेज हवा और तेज बारिश होना शुरू हो गई थी दूर-दूर तक कोई नजर नहीं आ रहा था हवा इतनी तेज थी कि कुछ दिखाई नहीं दे रहा था राजू को समझ में नहीं आ रहा था कि वहां क्या करें फिर भी वह बैलगाड़ी को जल्द से जल्द जितना हो सकता था आगे बढ़ा लेना चाहता था वह जानता था कि तेज बारिश में बैल का आगे बढ़ना नामुमकिन है और अगर पानी भर गया तो बेल एक कदम भी नहीं चल पाएंगे इसलिए वह जल्द से जल्द आगे बढ़ रहा था मधु के चेहरे पर घबराहट नजर आ रही थी क्योंकि वह सोच रही थी कि अगर ऐसी तेज बारिश में रुकना पड़ गया तो कहां रुकेंगे,,,,

मन में यही सोचते सोचते राजू काफी दूर तक ऐसे ही बैलगाड़ी को लेकर आ गया था लेकिन अब धीरे-धीरे पानी भरना शुरू हो गया था तेज हवाएं अपना असर दिखा रही थी बेल गाड़ी में बैठे होने के बावजूद भी मधु पर पानी की बौछारें पड़ रही थी जिसकी वजह से उसके कपड़े गीले हो रहे थे राजू तो धीरे-धीरे गीला ही हो गया था,,, राजू समझ गया था कि बारिश इतनी जल्दी रुकने वाली नहीं

है उन्हें कहीं ना कहीं रुकना ही होगा लेकिन कहां उसे समझ में नहीं आ रहा था,,,, दूसरी तरफ वातावरण भयानक होता जा रहा था जिसे देखकर मधु भी घबरा रही थी,,,, तभी राजू की नजर एक खंडहर नुमा बड़े घर पर पड़े वह पूरी तरह से खंडार हो चुका था लेकिन उसमें बारिश से बचने का जुगाड़ नजर आ रहा था और उसे देखकर राजू के चेहरे पर मुस्कान आ गए और वहां अपनी मां को बताई भी ना जल्दी-जल्दी वहां पर पहुंच जाना चाहता था क्योंकि पानी भरना शुरू हो गया था अगर घुटनों तक पानी आ जाता तो बेल शायद आगे बढ़ने से इंकार कर देता,,,।

और थोड़ी ही देर में बादलों की गड़गड़ाहट और तेज हवाओं के साथ साथ घमासान बारिश के बीच से वह बैलगाड़ी को आगे बढ़ाता हुआ उस खंडहर के सामने पहुंच गया और खुश होता हुआ अपनी मां से बोला,,,।


चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है बारिश से बचने का जुगाड़ हो गया है,,,


कहां,,,?(मधु आश्चर्य से इधर उधर देखते हुए बोली)

यह रहा,,,(खंडहर की तरफ हाथ दिखाते हुए राजू बोला तो उस खंडार की तरफ देखकर उस खंडार की हालत को देखकर मधु घबराते हुए बोली,,,)

इस खंडहर में बाप रे बाहर से इतना भयानक लग रहा है क्या इसमें जाना ठीक रहेगा मुझे तो भूत से बहुत डर लगता है,,,


क्या बात हम भी खामखा डरती हो मैं हूं ना तुम्हें चिंता करने की जरूरत नहीं है,,,,,,।
j
राजू बेल गाड़ी लेकर निकल तो गया था लेकिन,,,,, उसके मन में भी डर था कि कहीं अगर बारिश हो गई तो वह क्या करेगा काफी लंबा सफर तय करना था,,,,,

बैलगाड़ी अपने रास्ते पर चल पड़ी थी ,,, राजू का कुछ देर पहले का अनुभव ताकि जबरदस्त रहा था वह कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि इस तरह से अनजान गांव में उसे एक खूबसूरत भाभी मिल जाएगी जो उसे अपनी जवानी से तृप्त करेगी,,,, राजू बैलगाड़ी को आगे बढ़ाते हुए अपने मन में ही सोच रहा था कि दो दो बच्चों की मां होने के बावजूद भी उसकी बुर कितनी कसी हुई थी,,, अगर उसके पास समय होता तो जी भर कर उसकी जवानी से खेलता,,,, राजू समझ गया था कि उसने उस औरत को पूरी तरह से तृप्त कर दिया है तभी तो वह औरत उसे दोबारा कब आओगे इस तरह से सवाल कर रही थी,,,,,,,, दूसरी गांव में जाकर यह राजू का दूसरी बार का अनुभव था पहला अनुभव वह बगल वाले गांव में अशोक चाचा की बीवी के साथ रात भर जमकर चुदाई करके ले लिया था और यह दूसरा अनुभव गांव से काफी दूर आकर मिला था दोनों अनुभव जबरदस्त था,,,,,,,, लेकिन दोनों में से राजू को यह वाला अनुभव बेहद बेहतरीन लगा था क्योंकि इसमें पहले से कुछ तय नहीं था कि ऐसा कुछ हो जाएगा,,,,,,, राजू अपने मन में बेल गाड़ी चलाते समय कैसे-कैसे क्या हुआ उसके बारे में सोच रहा था उसका तालाब के किनारे आकर पत्थर पर बैठना और फिर उस औरत का झाड़ियों में से बाहर निकलना और वह भी अपनी साड़ी को कमर तक उठाए हुए इतने से ही राजू के तन बदन में उस औरत को देखकर काम भावना जागरूक हो गई,,, और फिर उसके पीछे पीछे उसके करीब जाना और पहले ही उत्तेजना से भरे हुए उसके ब्लाउज में से झांकती उसकी चुचियों को देखें ब्लाउज के थोड़े से फटे होने की वजह से सूचियों का छोटा सा खजूर नजर आना और फिर लकड़ी उठाने के बहाने उसकी मदद करते हुए उसके घर तक पहुंचना,,,,, और उसके पास जो कुछ भी हुआ वह राजू के लिए बेहद अद्भुत और उत्तेजना आत्मकथा राजू को अपनी मर्दाना ताकत पर पूरा विश्वास था कि एक बार उस औरत को अपनी गिरफ्त में लेने के बाद उसे पूरी तरह से संतुष्ट करने के बाद ही वह छोड़ेगा और ऐसा ही हुआ था,,, वह औरत भी राजू के मर्दाना ताकत के आगे विवश हो चुके थे वरना आज तक वह किसी गैर मर्द को अपने बदन को छूने भी नहीं दी थी और एक बार उस औरत के कदम डगमगाने के बाद राजू ने उसे अच्छी तरह से संभाल लिया था और उसकी जमकर चुदाई किया था उस चुदाई से वह औरत पूरी तरह से संतुष्ट हो चुकी थी,,,,।

यही सब सोचता हुआ राजू बेल गाड़ी लेकर आगे चला जा रहा था बादलों का जमावड़ा बढ़ता जा रहा था,,, दोनों मां बेटों को पूरा यकीन हो गया था कि किसी भी वक्त बारिश पड़ सकती है इसलिए दोनों के मन में थोड़ी बहुत घबराहट थी क्योंकि सफर अभी काफी लंबा तय करना था,,,,,,। फिर भी राजू अपनी बातों से घबराहट को कम करने के लिए वह अपनी मां से बोला,,,।

क्या बोले वेद जी,,,

बोले कुछ नहीं बस दवाई दिए हैं और कहे हैं कि,,, दूध के साथ 3 बार लेना,,,,

बोले नहीं कब तक आराम हो जाएगा,,,,


दस 15 दिन लगेगा,,,, एकदम आराम हो जाएगा,,,

चलो तब तो परेशानी की कोई बात नहीं है,,,,


तुझे क्या परेशानी है,,, मेरी तबीयत को लेकर,,,


अरे कैसी बातें करते हो ना तुम्हारी तबीयत खराब हो गई तो क्या मुझे परेशानी नहीं होगी,,,,


वो कैसे,,,,?
(अपनी मां की बात सुनकर राजू समझ गया कि उसकी मां फिर से मसालेदार बातों को सुनना चाहती है इसलिए राजू बोला,,,)

देखो बात साफ है तुम मुझे बहुत खूबसूरत लगती हो तुम्हारी जैसी खूबसूरत औरत मैंने आज तक नहीं देखा अगर बीमार हो जाओगी तो,,,, जो तुम्हारा खूबसूरत बदन है ,,,अभी भी जो तुम्हारी जवानी बरकरार है धीरे-धीरे ढलने लगेगी,,(राजू जानबूझकर अपनी मां को उसकी जवानी की बात कर रहा था उसके सामने जवानी जैसे शब्दों का प्रयोग कर रहा था और यह सा सुनने में मधु को अच्छा भी लग रहा था,,,) तो तुम भी दूसरी औरतों की तरह हो जाओगी,,, तब तुम्हारे लोग वाकर से नहीं रह जाएगा जो इस समय है,,,


कैसा आकर्षण,,,?


अरे तुम्हारी जवानी का और कैसा आकर्षण,,,,

मैं कुछ समझी नहीं मैं भी तो दूसरी औरतों की तरह ही हूं फिर मेरे में ऐसा कौन सा आकर्षण है,,,(मधु को अपनी बेटी की बातें अच्छी लगने लगी थी इसलिए वह अपनी बेटी से और जानना चाहती थी अपने बारे में,,,,, वैसे भी औरतों को अपनी खूबसूरती के बारे में जितना पता होता है उससे ज्यादा मर्दों को उनकी खूबसूरती के बारे में ज्ञान होता है,,,,, राजू का दिल जोरो से उछल रहा था वह समझ गया था कि उसकी मां भी दूसरी औरतों की तरह अपनी खूबसूरती की तारीफ के साथ-साथ गंदी बातों को सुनना चाहती है और राजू को क्या चाहिए था अपनी मंजिल तक पहुंचने की यही सबसे अच्छा रास्ता भी था इसलिए वह अपनी बातों को नमक मिर्च लगाता हुआ बोला,,,)

क्या मा इतना भी नहीं समझती,,, आकर्षण का मतलब होता है तुम्हारी खूबसूरती तुम्हारी जवानी,,, तुम्हारी लाजवाब गोल गोल चूचियां जोकि ब्लाउज में कैद होने के बावजूद भी पके हुए पपाया की तरह बाहर आने के लिए मचलती रहती हैं,,,, पता है तुमको साड़ी से ढकने के बावजूद भी तुम्हारी चूची कितनी उभरकर साड़ी से बाहर आती है शायद यह तुमको पता नहीं होगा लेकिन देखने वालों के होश उड़ जाते हैं,,,(अपने बेटे की बातों को सुनकर एक बार फिर से मधु का दिल जोरो से धड़कने लगा था) तुम्हें तो शायद इस बात का अंदाजा भी नहीं होगा कि तुम्हारी चुचियों को देखकर कितने लोग तड़प जाते हैं और लोगों का मन करता है कि तुम्हारी चूची को जोर जोर से पकड़ कर दबाने उन्हें मुंह में लेकर पीएं,,,,


यह क्या कह रहा है राजू,,,,(धड़कते दिल के साथ मधु बोली,)

तुम्हें झूठ लग रहा है ना मा लेकिन मैं जो कुछ भी कह रहा हूं सच कह रहा हूं बाजार में तुम शायद जवान लड़का और मर्दों की नजरों को नहीं देखी थी वरना तुम्हें खुद ही पता चल जाता कि वह लोग तुम्हारी चूची देखकर क्या सोच रहे होंगे और सबसे बड़ा आकर्षण तो तुम्हारी गांड का है बड़ी बड़ी गांड,,,,(ऐसा बोलते हुए खुद राजू का लंड टनटना गया,,, और मधु की तो हालत खराब होने लगी उसकी बुर फिर से गीली होने लगी,,,, उसका बेटा उसके अंगों के बारे में खुले शब्दों में बात कर रहा था जिसे सुनकर मधु के तन बदन में आग लग रही थी राजू अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,) जब तुम कमर से अपनी साड़ी को कस के बांधती होना तब तुम्हारी बड़ी बड़ी गांड और भी ज्यादा बड़ी लगने लगती है ऐसा लगता है कि जैसे साड़ी के अंदर बड़े-बड़े तरबूज भर के रखी हो,,, सच में मैं तुम्हारी गांड देखकर तो किसी का भी लंड खड़ा हो जाता है,,, तुमने शायद इस बात पर भी बाजार में गौर नहीं की थी वरना तुम्हें तभी पता चल जाता कि तुम कितनी खूबसूरत हो तुम्हारे अंग तुम्हारी चूची तुम्हारी गांड कितनी आकर्षित करती है मर्दों को,,,।


बबब बाजार में क्या कह रहा था तु,,,


अरे मां यही कि बाजार में तुम्हें देखकर कितने मर्दों का लंड खड़ा हो गया था,,,।

ततत,, तुझे कैसे मालूम,,,(उत्तेजना में हक लाते हुए स्वर में बोली)

मैंने अपने कानों से सुना था तभी तो बता रहा हूं,,,


क्या सुना था तूने,,,,?(मधु धड़कते दिल के साथ आश्चर्य जताते हुए बोली,,, अपने बेटे के मुंह से अपने बारे में दूसरे मर्दों के मन में चल रही गंदी बातों को सुनने में मधु के तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी उसे सब कुछ अच्छा लग रहा था,,,, आखिरकार उसे अपने बदन पर गर्व होने लगा था कि इस उम्र में भी उसके में अभी भी पूरी जवानी बरकरार है वह किसी भी मर्द को जवान लड़के को अपनी तरफ आकर्षित कर सकती है जिसका जीता जागता सबूत उसका खुद का जवान बेटा था,,,,)

अरे मां मैंने जो अपने कानों से सुना था उसे सुनकर तो मैं भी दंग रह गया था तुम सुनोगी तो सही में मुझे तो लगता है कि तुम डर के मारे बाहर निकलना बंद कर दोगी,,,, या तो फिर अपनी बुर पर भी एक ताला लगा कर रखोगी,,,।

क्या,,,?(इस बार अपने बेटे के मुंह से ताला लगाने वाली बात पर मधु खिलखिला कर हंस दी)

हां मां में सच कह रहा हूं उन लोगों की बात ही कुछ ऐसी थी,,,

क्या कह रहे थे वह लोग,,,,


अरे बहुत गंदा बोल रहे थे तभी तो मैं तुम्हें ढूंढ रहा था कि कहां चली गई मुझे डर था कि कहीं वह लोगों के हाथ तो नहीं लग गई,,,

धत्,,,,(मधु शरमाते हुए बोली)


हां मां मैं सच कह रहा हूं लोगों की बात सुनकर मैं घबरा गया था,,,


कह क्या रहे थे वह लोग,,,,


अरे जब तुम चूड़ी खरीदने के लिए दुकान के पास जा रही थी ना तो दो-तीन आदमी वहीं पास में बैठ कर बीड़ी पी रहे थे और उनमें से तो यह कह रहा था,,,।


बाप रे कितनी खूबसूरत औरत है कसम से इसकी गांड देखकर तो मेरा लंड खड़ा हो गया,,, और तभी दूसरा बोला


यार तू सच कह रहा है इससे पहले मैंने कभी इसे बाजार में नहीं देखा कौन है यह इतनी खूबसूरत एकदम गोरी चिट्टी ऐसा लगता है कि जैसे स्वर्ग से उतरी हुई अप्सरा है और गांड देखकर कैसे मटका कर चल रही है,,,
और तीसरा बोला,,,।

कसम से यार एक रात के लिए मिल जाए तो इसकी बुर में लंड डाल डाल कर इसकी बुर का भोसड़ा बना दु रात भर इसे सोने ना दु,,, शाली की बुर एकदम गुलाबी होगी,,,, तभी दूसरे ने बोला,,,


सच कह रहा है यार शादी की बुर के बारे में सोच कर ही मेरा लैंड खड़ा हो गया है इसकी चुची देखकर से खरबूजे जैसी है गोल गोल मन करता है कि मुंह में लेकर रात भर पीता रहुं,,,, तभी पहले वाले ने बोला

शाली जिस से भी चुदवाती होगी कितना किस्मत वाला होगा,,, यार अगर यह मेरे सामने कपड़े उतार कर खड़ी हो जाए तो इसको नंगी देखकर मुझे तो लगता है कि मेरा लंड ऐसे ही पानी फेंक देगा,,,,।

बाप रे मेरे बारे में इतनी गंदी गंदी बातें ‌वह लोग कर रहे थे और तो कुछ बोल नहीं पा रहा था,,,

मेरा तो मन कर रहा था कि उन लोगों की टांग तोड़ दूं दांत तोड़ दूं लेकिन क्या करूं अगर सब लोग इकट्ठा हो जाते और पूछते तो क्या हुआ था तो मैं क्या कहता तुमको जो कुछ भी वह लोग कह रहे थे मुझे बताने में शर्म आती है और तुम्हारे बारे में इस तरह की बातें करने में मुझे बहुत गंदा लगता और सच कहूं तो अगर ऐसा कुछ हुआ होता तो दूसरे जो इकट्ठा होते वहां लोग भी तुम्हें उसी नजर से देखते जैसा कि वह तीनों देख रहे थे,,,।

थे कहां पर तीनो,,,


वहीं पर चूड़ी की दुकान के बगल में बैठे हुए थे,,,,,,

(अपने बेटे के मुंह से उन लोगों की इतनी गंदी गंदी बातें सुनकर मधु को गुस्सा भी लग रहा था और वह उत्तेजित भी हो चुकी थी उसकी बुर पूरी तरह से गीली हो चुकी थी और वह बार-बार साड़ी के ऊपर से ही अपने बुर के चिप चिपेपन को टटोल रही थी,,,, जो कुछ भी राजू ने बताया था ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था लेकिन अपनी मां के सामने स्तर की गंदी गंदी बातें करने में उसे एक अजीब सा सुख मिल रहा था वह पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था उसका लंड औकात से बाहर एकदम टनटनाकर खड़ा था,,,, कुछ देर शांत रहने के बाद मधु बोली,,)

बाप रे तब तो मेरा इस तरह से बाजार में घूमना ठीक नहीं है,,,

ठीक नहीं है अरे बिल्कुल भी ठीक नहीं है अगर सोचो बाजार में घूमते हुए अगर थोड़ा बहुत अंधेरा हो जाए तो समझ लो कि वह लोग तो तुम्हें उठा कर ले जाए खेत में और फिर तुम्हारे सारे कपड़े उतार कर तुम्हें नंगी करके तुम्हारी बुर में बारी-बारी से अपना लंड डालकर चोदे,,, तब तुम लोगों का कुछ कर भी नहीं पाओगी और वह लोग अपनी मनमानी कर के चले जाएंगे तुम्हारी जवानी का रस पीकर,,,,।
(राजू एकदम तमतमा कर उत्तेजित हो गया था अपनी मां के सामने इस तरह की से गंदी से गंदी बातें करने में उसे बहुत मजा आ रहा था और इस तरह की बातें सुनने में मधु को भी अच्छा लग रहा था वह पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी वह कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि वह अपने बेटे से इस तरह की बातें करेगी उसके मुंह से अपने बारे में इतनी गंदी-गंदी बातें सुन पाएगी लेकिन आज सब कुछ सोचने के विपरीत ही हो रहा,,, था,,, अपने बेटे की बात सुनकर वह अपने मन में कल्पना करने लगे कि अगर वाकई में उसके बेटे के कहे अनुसार ऐसा हो जाए तो वह तीनों उठाकर उसे ही सच में खेत में ले जाएंगे और बारी-बारी से उसके नंगे बदन को नोचेंगे और बारी बारी से उसकी बुर में अपना लंड डालकर उसे छोड़ देंगे जो कि आज तक किसी को भी अपने बदन को छूने नहीं देती अपने पति के सिवा,,,,, पल भर में उस तरह की कल्पना करके वह अपने बदन में झुरझुरी से महसूस करने लगी थी,,, जब जोर से बादल के गरजने की आवाज आई तब जाकर उसकी तंद्रा भंग हुई तब जाकर उसे होश आया कि वह तो बैलगाड़ी में सफर में है,,, अपने बेटे की बातों में इस कदर खो गई थी कि उसे पता ही नहीं चला था कि वह कहां पर है कहां जा रही है क्या समय हो रहा है बादलों की गर्जना की आवाज सुनते ही उसका ध्यान बैलगाड़ी से बाहर गया तो उसके होश उड़ गए चारों तरफ बादल ही बादल उमड़ रहे थे और अंधेरा छा गया था जबकि अभी शाम ढली भी नहीं थी लेकिन ऐसा लग रहा था कि जैसे रात हो रही है और बरसात पढ़ना शुरू हो गई थी वह घबराते हुए राजू से बोली,,,,,।)

अरे राजू अब क्या होगा यह तो बारिश होने लगी,,

हम यह तो बहुत तेज बारिश हो रही है और हमें तो अभी बहुत दूर जाना है पता नहीं अब क्या होगा,,,


जल्दी-जल्दी बैलगाड़ी आगे बढ़ा हो सकता है बरसात बंद हो जाए,,,

मैं भी यही सोच रहा था लेकिन बादलों को देखकर लग नहीं रहा है कि बरसात बंद होने वाली है देख नहीं रही हो कितनी तेज हवा चलने लगी है आंधी के साथ बरसात हो रही है,,,,


हाय दैया ऐसे में तो मुसीबत हो जाएगी,,,


तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो मा मैं जरूर कुछ ना कुछ करता हूं,,,(और इतना कहने के साथ ही हो बैलगाड़ी को जोर से ले जाने लगा,,,,, बादलों की गड़गड़ाहट तेज हवा और तेज बारिश होना शुरू हो गई थी दूर-दूर तक कोई नजर नहीं आ रहा था हवा इतनी तेज थी कि कुछ दिखाई नहीं दे रहा था राजू को समझ में नहीं आ रहा था कि वहां क्या करें फिर भी वह बैलगाड़ी को जल्द से जल्द जितना हो सकता था आगे बढ़ा लेना चाहता था वह जानता था कि तेज बारिश में बैल का आगे बढ़ना नामुमकिन है और अगर पानी भर गया तो बेल एक कदम भी नहीं चल पाएंगे इसलिए वह जल्द से जल्द आगे बढ़ रहा था मधु के चेहरे पर घबराहट नजर आ रही थी क्योंकि वह सोच रही थी कि अगर ऐसी तेज बारिश में रुकना पड़ गया तो कहां रुकेंगे,,,,

मन में यही सोचते सोचते राजू काफी दूर तक ऐसे ही बैलगाड़ी को लेकर आ गया था लेकिन अब धीरे-धीरे पानी भरना शुरू हो गया था तेज हवाएं अपना असर दिखा रही थी बेल गाड़ी में बैठे होने के बावजूद भी मधु पर पानी की बौछारें पड़ रही थी जिसकी वजह से उसके कपड़े गीले हो रहे थे राजू तो धीरे-धीरे गीला ही हो गया था,,, राजू समझ गया था कि बारिश इतनी जल्दी रुकने वाली नहीं

है उन्हें कहीं ना कहीं रुकना ही होगा लेकिन कहां उसे समझ में नहीं आ रहा था,,,, दूसरी तरफ वातावरण भयानक होता जा रहा था जिसे देखकर मधु भी घबरा रही थी,,,, तभी राजू की नजर एक खंडहर नुमा बड़े घर पर पड़े वह पूरी तरह से खंडार हो चुका था लेकिन उसमें बारिश से बचने का जुगाड़ नजर आ रहा था और उसे देखकर राजू के चेहरे पर मुस्कान आ गए और वहां अपनी मां को बताई भी ना जल्दी-जल्दी वहां पर पहुंच जाना चाहता था क्योंकि पानी भरना शुरू हो गया था अगर घुटनों तक पानी आ जाता तो बेल शायद आगे बढ़ने से इंकार कर देता,,,।

और थोड़ी ही देर में बादलों की गड़गड़ाहट और तेज हवाओं के साथ साथ घमासान बारिश के बीच से वह बैलगाड़ी को आगे बढ़ाता हुआ उस खंडहर के सामने पहुंच गया और खुश होता हुआ अपनी मां से बोला,,,।


चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है बारिश से बचने का जुगाड़ हो गया है,,,


कहां,,,?(मधु आश्चर्य से इधर उधर देखते हुए बोली)

यह रहा,,,(खंडहर की तरफ हाथ दिखाते हुए राजू बोला तो उस खंडार की तरफ देखकर उस खंडार की हालत को देखकर मधु घबराते हुए बोली,,,)

इस खंडहर में बाप रे बाहर से इतना भयानक लग रहा है क्या इसमें जाना ठीक रहेगा मुझे तो भूत से बहुत डर लगता है,,,


क्या बात हम भी खामखा डरती हो मैं हूं ना तुम्हें चिंता करने की जरूरत नहीं है,,,,,,

extra large ho gyaa
 
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तूफानी बारिश में राजू धीरे-धीरे बैलगाड़ी को एक खंडहर के सामने लाकर खड़ा कर दिया था,,, हवाई बहुत तेज चल रही थी बारिश थी कि थमने का नाम नहीं ले गई थी और आसमान में बादल गरज रहे थे सब मिलाकर एकदम भयानक वातावरण हो चुका था,,, रात पूरी तरह से गहराई नहीं थे लेकिन फिर भी बादलों की वजह से ऐसा लग रहा था कि जैसे एकदम कह रही रात हो चुकी है दूर-दूर तक की तो बात छोड़ो 3 4 मीटर की दूरी पर भी कुछ ठीक से दिखाई नहीं दे रहा था,,,, हवा के साथ पानी की बौछार बेल गाड़ी के अंदर तक मधु के कपड़ों को गीला कर रही थी,,,, राजू को बारिश से बचने का खंडहर एक उचित स्थान नजर आ रहा था लेकिन खंडहर के नाम पर मधु को घबराहट हो रही थी उसे डर लग रहा था,,,,,,।

राजू अपनी मां को आराम से उतरने के लिए बोल रहा था ताकि वह खंडहर की तरफ जा सके,,, लेकिन मैं जानता था कितनी तेज बारिश में उसकी मां आराम से उतर नहीं पाएगी और भीग जाएगी,,,, इसलिए वह खुद बैलगाड़ी से जल्दी से नीचे उतरा बैलगाड़ी से नीचे उतरने पर वह भी पूरी तरह से तेज बारिश में भीग गया,,, और पीछे की तरफ जाकर अपनी मां को उतरने के लिए बोला उसकी मां उसके कंधे का सहारा लेकर बैलगाड़ी से नीचे उतरने लगी लेकिन बैलगाड़ी का पाटिया पूरी तरह से गीला होने की वजह से उस पर पैर रखते उसका पैर फिसला और वह जाकर एकदम से अपने बेटे के ऊपर गिरी लेकिन ऐसा लग रहा था कि राजू पहले से ही तैयार था वह अपनी मां को तुरंत थाम लिया लेकिन ऐसा करने से उसकी मां ठीक उसकी बाहों में आ गई थी और राजू के तन बदन में अपनी मां की बड़ी बड़ी चूची की रगड़ से एकदम उत्तेजना फैल गई और इस पल को लगाते हुए तुरंत अपने दोनों हाथों को अपनी मां के पेट से हटाकर उसकी बड़ी-बड़ी गांड पर रख दिया और राजू की हरकत उसकी मां ने भी महसूस की और वह अपने बेटे की बाहों में उसकी उत्तेजना आत्मक हरकत की वजह से एकदम से गनगना गई,,, राजू तुरंत अपनी मां को अपनी बाहों में से आजाद करते हुए बैलगाड़ी में एक कोने में रखी हुई दियासलाई की डिबिया ले लिया वह जानता था कि खंडहर के अंदर रोशनी और आग की जरूरत पड़ेगी,,,,,।
बैलगाड़ी से नीचे उतरने पर दोनों का एहसास हुआ कि पानी घुटनों तक भर चुका था राजू तुरंत अपनी मां का हाथ पकड़कर खंडार की तरफ ले जाने लगा बारिश इतनी तेज थी कि अपने आप को बचाने का उन दोनों को मौका ही नहीं मिला और दोनों पूरी तरह से बरसात में भीग गए,,,।

राजू अपनी मां का हाथ पकड़कर खंडहर के अंदर ले आया,,, खंडार के अंदर एकदम डरावना अंधेरा था,,, लेकिन राजू एकदम निडर था उसे बिल्कुल भी डर नहीं लग रहा था लेकिन मधु को घबराहट हो रही थी वह कभी भी इस तरह से कभी अनजान जगह पर रुकी नहीं थी,,,,।
खंडहर की इमारत के अंदर बरसात का पानी नहीं पहुंच रहा था दोनों अंदर एकदम सुरक्षित थे,,,, मधु को ठंड लग रही थी,,, राजू अपनी मुट्ठी में संभाल कर लाई हुई उस दियासलाई को एकदम संभाल कर ,,, अपने हाथों को साफ करके,,,, उसमें से एक तील्ली निकाला और उसे उस दियासलाई की डिबिया में खींच कर आग जलाने लगा और दूसरे प्रयास में ही दियासलाई की तिल्ली में आग लग गई और उसकी आग की रोशनी में खंडहर में उजाला फैल गया खंडहर की इमारत के अंदर काफी जगह था क्या देखकर राजू खुश होता हुआ बोला,,,।

मैं यहां पर बेल को भी लेकर आता हूं क्योंकि पानी धीरे-धीरे बढ़ रहा है ऐसे में बेल एक स्थान पर खड़े नहीं रह पाएगा और वहां कहीं चला गया तो और मुसीबत हो जाएगी,,,


हां राजू तू सच कह रहा है जा जाकर जल्दी लेकर आना,,,, मुझे इस खंडहर में डर लग रहा है,,,


डरने की कोई बात नहीं है मां मैं हूं ना मैं जल्दी से लेकर आता हूं,,,,(और इतना कहने के साथ ही राजू तुरंत खंडार में से वापस गया और बेल गाड़ी में से बेल को छुडाने लगा,,, दूसरी तरफ मधु कुछ देर पहले अपने बेटे की हरकत के बारे में सोचने लगी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि राजू के हाथों से अनजाने में हो गया या वह जानबूझकर उसकी गांड पर हाथ लगाया था,,,, लेकिन उसकी हरकत की वजह से उसके बदन में पूरी तरह से सिहरन सी दौड़ गई थी,,,, उसे अच्छी तरह से याद था कि जेसीओ बैलगाड़ी से उतरने के लिए नीचे की तरफ बनाई गई लकड़ी के पार्टी पर पैर रखी थी तुरंत पानी की वजह से उसका पैर फिसल गया था और वह अपने बेटे की बाहों में आ गई थी उसे यह भी आता था कि पहले तो उसकी बेटी की हथेली उसकी पीठ पर थी लेकिन थोड़ी ही देर में उसकी हथेली उसकी गांड पर आ गई थी उसे अब धीरे-धीरे एहसास होने लगा था कि राजू की यह हरकत जानबूझकर की गई थी वह जानबूझकर उसकी गांड पर हाथ रखा था,,,, एक बार फिर से अपने बेटे की हरकत के बारे में सोच कर के तन बदन में सिहरन सी दौड़ ने रखी थी खास करके उसकी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार में ऐसा उसे जल्दी महसूस होता नहीं था लेकिन उसे समझ में नहीं आ रहा था कि ऐसा कैसे हो गया शायद तेज बारिश का असर था जो उसके बदन में उत्तेजना भर रहा था,,,,,,, मधु अपने मन

में यही सब सोच रही थी कि तभी राजू बेल की रस्सी पकड़े आगे आगे चला रहा था और पीछे पीछे बेल शायद बेल को भी जल्द से जल्द बारिश से बचना था और थोड़ी ही देर में राजू बैल को लेकर खंडहर के अंदर आ गया था,,,।

अब ठीक है मा इसे भी थोड़ी राहत मिल जाएगी वरना यह भी तेज बारिश में ठंडे पानी में ठिठुरता रहता और अगर यह बीमार हो जाता तो हम घर कैसे जा पाते इसीलिए इसकी सुरक्षा सबसे पहले करनी जरूरी है,,,,।
(दियासलाई की तिल्ली को जलाते समय उसकी रोशनी में राजू की नजर खंडहर की इमारत के अंदर इधर उधर फेंकी हुई सूखी लकड़ियों पर चली गई थी जिसे देखकर उसे प्रसन्नता हो रही थी और वह तुरंत एक बार फिर से दियासलाई की तिल्ली को जलाकर उसकी रोशनी में जल्दी-जल्दी सूखी लकड़ियों को बटोरना शुरू कर दिया,,, थोड़ी ही देर में राजू ने ढेर सारी सुखी लकड़ियों को इकट्ठा कर लिया था,,,,, राजू को इस तरह से सूखी लकड़ियां इकट्ठा करता हुआ देखकर मधु बोली,,,)


यह तूने बहुत अच्छा किया राजू मुझे भी बहुत ठंड लग रही है और वैसे भी यहां पर थोड़ी रोशनी की जरूरत है और गर्माहट की,,,(अपनी मां की यह बात सुनकर राजू अपने मन में ही बोला इसकी क्या जरूरत है एक बार मेरी बाहों में आ जाओ और मेरे लंड को अपनी बुर में ले लो फिर देखो बिल्कुल भी ठंड नहीं लगेगी,,,,)

हा,,मा तुम सच कह रही हो वैसे भी हम दोनों पर कपड़े एकदम से भीख चुके हैं और इस गीले कपड़े में रात गुजारना बहुत मुश्किल होगा,,,,,, रुको मैं पहले इसे जलाने की कोशिश करता हूं,,,,,(इतना कहते हुए राजू ने दियासलाई की डिबिया को हाथ में लेकर उसमें से तिल्ली निकाला वैसे ही मधु बोली,,,।)

ऐसे नहीं जल पाएगा यहां पर सूखे पत्ते भी हैं उन्हें मिलाकर चलाएगा तो तुरंत आग पकड़ने का रुत में बटोरती हुं,,,
(इतना कहने के साथ ही मधु सूखे हुए पत्तों को इकट्ठा करने लगी वैसे तो खंडार के अंदर पूरी तरह से अंधेरा छाया हुआ था इसलिए कुछ नजर नहीं आ रहा था लेकिन बादलों की गड़गड़ाहट और बिजली की चमक से कुछ पल के लिए इमारत के अंदर उजाला फैल जाता था जिसकी रोशनी में वह सूखे पत्तों को इकट्ठा कर ली थी,,,। थोड़ी ही देर में सूखी लकड़ियों के साथ-साथ सूखे हुए पत्ते को भी इकट्ठा करके सूखी लकड़ियों में मिलाकर राजू दियासलाई की तिल्ली से खींचकर उस तील्ली को जला लिया और उन सूखे पत्तों को उस तील्ली के सहारे सुलगाने लगा,,, और थोड़ी ही देर में पत्ते सूखे होने की वजह से उसमें आग जलने लगी,,,,,।

ये सही हुआ,,,,(ऐसा कहते हुए मधु सूखे पत्ते को अपने हाथ में पकड़कर उस आग में डालने लगी पूरा बदन बीघा होने की वजह से उसके गीले बालों में से पानी की बूंदे टपक रही थी जिसे तिरछी नजर से राजू देख कर मस्त हो रहा था वैसे भी खूबसूरत बदन गीला होने पर और भी ज्यादा मादक और हसीन हो जाता है,,,, अपनी मां के खिले बदन को देखकर राजू को मन ही मन अपनी मां की खूबसूरती पर गर्व होने लगा था,,,, देखते ही देखते मधु और राजू मिलकर सूखे पत्तों को उस पर डाल डाल कर सूखी हुई लकड़ी को भी चलाना शुरु कर दी और देखते ही देखते लकड़ी में भी आग पकड़ ली,,,,)

अब जाकर सही पकड़ा है,,,,,(इतना कहने के साथ ही राजू अपने दोनों हाथ उस आग की तपन में गरम करने लगा,,, और मधु भी राजू की तरह ही करने लगे अपनी मां के गीले कपड़ों को देखकर राजू बोला,,,)

लाख कोशिश करने के बावजूद भी हम दोनों भीग गए,,, तुम्हारे तो सारे कपड़े गीले हो गए हैं मां,,, ऐसे ही रहोगी तो बीमार पड़ जाओगे तो वैसे ही दवा लेकर आई हो,,,,।

नहीं मैं ऐसे ही ठीक हूं आज जल रही है ना उसकी गर्मी से सही लग रहा है,,,,(मधु अपने बेटे के सामने अपनी साड़ी को उतारना नहीं चाहती थी वह जानती थी कि अगर वह अपनी साड़ी उतारेगी तो उसका बेटा उसे प्यासी नजरों से देखेगा,,, और वह अपने बदन पर अपने बेटे की घूमती प्यासी नजरों को बर्दाश्त नहीं कर पाएगी,,,, और वैसे भी अपनब बेटे के सामने साड़ी उतारने में उसे शर्म महसूस हो रही थी इसलिए वह ठंड लगने के बावजूद भी बहाना करके बैठी रह गई थी,,,, बादलों की गड़गड़ाहट लगातार जारी थी आज चलने की वजह से खंडहर में रोशनी फैल गई थी,,,, खंडहर का यह हिस्सा काफी बड़ा था,,, मुमकिन था कि जहां कोई आता जाता नहीं था बस कभी कबार मुसाफिर लोग ही यहां से गुजरा करते थे,,,,, राजू चारों तरफ अपनी नजर घुमाकर उस खंडहर का मुआयना कर रहा था चारों तरफ जगह-जगह से टूटी हुई दीवारें थी,,,,, जगह जगह पर मकड़ियों का बड़ा-बड़ा ज्यादा लगा हुआ था देखने पर ही है जगह भयानक लग रही थी लेकिन इस समय का माहौल कुछ और था राजू कभी सोचा भी नहीं था कि इस तरह से जंगल जैसी जगह के इस टूटे हुए खंडहर में अपनी खूबसूरत मां के साथ रात बिताना पड़ेगा,,,, और वह भी पानी में पूरी तरह से भीगी हुई,,,,,,।

राजू आग की तपन से अपने बदन की गर्मी को दूर करने की पूरी कोशिश करते हुए तिरछी नजरों से अपनी मां की खूबसूरती को देख रहा था बरसात के पानी में भीगा हुआ उसका बदन और भी ज्यादा खूबसूरत और मादक लग रहा था,,, जलती हुई आग की रोशनी में राजू को अपनी मां का भीगा ब्लाउज और उसमें से जाती हुई उसकी लाजवाब गोरी गोरी चूचियां और उस चूची पर पानी की बूंदे मोती के दाने की तरह चमक रही थी और उस पर कि चल रही थी जिसे देखकर राजू के मुंह के साथ-साथ उसके लंड में भी पानी आ रहा था,,,,, दोनों के बीच खामोशी छाई रही बस वातावरण में तेज हवा और तेज बारिश के साथ साथ बादलों की गड़गड़ाहट की आवाज सुनाई दे रही थी जो कि बेहद भयानक लग रही थी लेकिन अब इस भयानक माहौल में भी राजू को मदहोशी का नशा छाने लगा था,,,, राजू अपने मन में यही सोच रहा था कि शायद उसके लिए यह माहौल खुद उसकी जरूरत के मुताबिक तैयार हुआ है उसे लग रहा था आज की रात जरूर वह कामयाबी हासिल करके रहेगा वरना इस तरह के हालात कभी पैदा नहीं होते,,,,,,।

बरसात के ठंडे पानी में भीगने की वजह से और तेज चल रही हवाओं की वजह से मधु को ठंड लग रही थी हालांकि जलती हुई आग से उसे कुछ राहत जरूर मिल रही थी लेकिन भीगे हुए कपड़े में वह अपने आप को असहज महसूस कर रही थी वह भी अपने कपड़े उतार कर सुखाना चाहती थी अपने बदन से गीले कपड़ों को उतारकर सहज होना चाहती थी लेकिन अपने बेटे के सामने उसे शर्म आ रही थी वह अपने बेटे के सामने अपने कपड़े उतार कर अपने नंगे बदन क्यों अपने बेटे के सामने प्रदर्शित नहीं करना चाहती थी क्योंकि वह अपने बेटे की हरकत से अच्छी तरह से वाकिफ हो चुकी थी वह अपनी तरफ से ऐसी कोई भी हरकत नहीं करना चाहती थी जिससे उसके बेटे को और ज्यादा बढ़ावा मिले,,,,,,, किसी तरह से वह ठंड में ही आग की तपन से अपने बदन को गर्माहट देने की कोशिश कर रही थी लेकिन राजू के मन में कुछ और चल रहा था उसका लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आ चुका था अपने बेहद करीब रात के सन्नाटे के माहौल में बरसती बारिश में खूबसूरत औरत का साथ अगर वह पूरी तरह से उत्तेजना के परम शिखर पर विराजमान हो चुका था वैसे भी पहले से ही वह अपनी मां की तरफ देखकर आकर्षित था उसके बदन की बनावट उसके बदन के मरोड़ अंगों के उभार पर को देखकर वह पहले से ही एक बेटा होने के बावजूद भी एक मर्द की तरह सोचता था,,,,, वह किसी ना किसी बहाने अपनी मां को अपना टनटनाता हुआ लंड दिखाना चाहता था,,, क्योंकि सफर के दौरान जिस तरह के वार्तालाप दोनों के बीच हो रहा था और उसकी मां बिल्कुल भी उसे रोकने की कोशिश नहीं कर रही थी बल्कि और भी ज्यादा गंदी से गंदी बात सुनने की चाह रख रही थी उसे देखते हुए राजू समझ गया था कि भले ही उसकी मां शर्म और संस्कार की दीवार को लांघ कर आगे बढ़ने के लिए अपने आप को तैयार नहीं कर पा रही है लेकिन उसके मन के कोने में कहीं ना कहीं किसी और पुरुष के संसर्ग की कामना जाग रही थी और वह भी कोई गैर नहीं बल्कि अपने ही बेटे के साथ,,,, इस आभास को लिए राजू अपनी जगह से खड़ा हुआ और बोला,,,,।


मैं बेल को बांध देता हूं वरना कहीं रात को इधर उधर चला गया तो बड़ी मुश्किल हो जाएगी,,,(वह जलती हुई आग के इस बार अपनी मां के सामने सीधे-सीधे खड़ा हो गया था और उसका लंड पूरी तरह से खड़ा होने की वजह से पैजामा में तंबू बनाया हुआ था जो कि गिले पजामे की वजह से जलती हुई आग की रोशनी में लंड का अक्स उसका उभार एकदम साफ नजर आ रहा था जिस पर नजर पड़ते ही मधु के तन बदन में हलचल सी होने लगी खास करके उसकी दोनों टांगों के बीच की उस गुलाबी छेद में तो मानो जैसे उबाल आ रहा हो,,,,,, इसी सबसे वह अपने आप को बचाना चाहती थी लेकिन अनजाने में ही वह अपने बेटे के टन टन आए हुए लंड को जो कि अभी भी पजामे के अंदर था फिर भी उसके हालात को देखकर अंदर ही अंदर गनगना गई थी,,,,, राजू जानता था कि जिस तरह से वह उसकी मां की आंखों के सामने खड़ा हुआ था,,, उसकी मां की नजर जरूर उसके पजामे पर पड़ेगी और उसे देखकर उसके बदन में जरूर हलचल होगी,,, राजू खड़ा होने के साथ ही अपनी मां की नजरों को भांप गया था और अंदर ही अंदर खुश हो रहा था,,,।

वह बेल के गरीब गया और उसकी राशि को लेकर एक जगह अच्छे से बांध दिया और वह बेल भी आराम से वहीं बैठ गया क्योंकि वह भी जानता था कि शायद ऐसे हालात में बाहर निकलना ठीक नहीं है,,, वह अपनी मां के पास आया और बोला,,,।

मेरा कपड़ा पूरी तरह से गिला हो चुका है और ऐसे में मुझे अच्छा नहीं लग रहा है मुझे अपना कपड़ा उतारना ही होगा,,,
(अपने बेटे की यह बातें सुनकर मधु का दिल जोरो से धड़कने लगा क्योंकि वह इशारों ही इशारों में अपने आप को नंगा करने की बात कर रहा था क्योंकि दूसरा कपड़ा तो था ही नहीं इसलिए मधु आश्चर्य जताते हुए बोली)

कपड़ा उतार देगा तो पहनेगा क्या,,,?

अरे देख नहीं रही हो इतनी तेज हवा चल रही है जल्दी से सूख जाएगा और तब तक मैं यह कुर्ता लपेट लूंगा,,,,।

(और इतना कहने के साथ ही बिना वक्त कमाए राजू दो कदम पीछे हटकर दूसरी तरफ मुंह करके अपने कपड़े उतारने लगा वह जानता था कि जिस जगह पर वह खड़ा है जल्दी भी आप की रोशनी वहां तक भी पहुंच रही है और उसकी मां को जरूर उसका नंगा बदन दिखाई देगा,,, पहले तो राजू अपना कुर्ता उतारा कुर्ता उतारने के बाद उसके पानी को गार के उससे अपनी छाती को और बदन को पोंछने लगा ना चाहते हुए भी मधु की नजर राजू के ऊपर चली जा रही थी ,,, राजू जानबूझकर अपनी छाती को अपने कुर्ते से साफ करते हुए अपनी मां की तरफ वह करके खड़ा हो गया था और लेकिन वह अपनी मां की तरफ नहीं देख रहा था वह नीचे नजर झुका है अपनी छाती की तरफ देख रहा था वह जानता था कि जिस तरह से मर्दों की कमजोरी औरत का खूबसूरत बदन होता है उसी तरह से औरतों की भी सबसे बड़ी कमजोरी मर्दों का गठीला कसरती बदन होता है और राजू एक गठीला बदन वाला नौजवान मर्द था उसकी छाती चौड़ी थी ,,,, और यही औरतों की कमजोरी को अच्छी तरह से जानकारी ही राजू अपना पासा फेंक रहा था और उसका पासा सही लग भी रहा था,,,।

आंख की रोशनी में अपने बेटे की चौड़ी छाती को देखकर मधु के बदन में कुछ कुछ होने लगा था,,, वह पल भर में ही अपने बेटे की गठीला बदन से अपने पति के बदन की तुलना करने लगी थी जिसके मुकाबले उसके पति का बदन एकदम निर्मल और दुबला पतला था भले ही दिन रात चुदाई करता था लेकिन अपने शरीर के मामले में राजू से उसका कोई भी मुकाबला योग्य नहीं था,,,, राजू अपनी छाती को कुर्ते से साफ करने के बाद वापस दूसरी तरफ मुंह करके खड़ा हो गया था क्योंकि अब वह अगला पासा फेंकने वाला था जो कि जानता था कि उसकी मां पर यह जरूर असर करेगा राजू अपनी मां की आंखों के सामने ही नंगा होने जा रहा था ऐसा आज तक उसने पहले कभी नहीं किया था बचपन में भले ही नादानी में हुआ अपनी मां के सामने नंगा घूमता था लेकिन वह पूरा जवान मर्द हो चुका था और ऐसे हालात में एक खूबसूरत औरत के सामने एक मर्द का कपड़े उतार कर नंगा होना औरतों के तन बदन में आग लगा देता है अगर उस औरत के मन में जरा भी आकर्षण हुआ तो लेकिन राजू पक्के तौर पर यकीन करता था कि उसकी मां जरूर उसके गठीले बदन की तरफ आकर्षित होगी इसलिए वह अपनी मां के सामने नंगा होने का पासा फेंक रहा था वह धीरे से अपने दोनों हाथों की उंगलियों को अपने पजामे में फंसाया और उसे नीचे करने लगा,,, मधु ना चाहते हुए भी अपने बेटे की तरफ देख रही थी,,, राजू अपनी उंगलियों के सहारे से अपनी पहचाने को नीचे करता है इससे पहले वह एक नजर पीछे की तरफ अपनी मां की तरफ देखते हुए बोला,,,,।

मा तुम इधर मत देखना मुझे शर्म आ रही है,,,।

मैं नहीं देख रही हूं,,,(राजू की बात सुनते ही वह एकदम से घबराहट भरे स्वर में बोली हालांकि राजू ने पीछे नजर करके अपनी मां की तरफ देख लिया था कि वह उसे ही देख रही थी इसलिए मन ही मन खुश होने लगा,,,, और राजू फिर से अपनी नजर अपनी मां की तरफ से हटाकर अपनी पहचाने को नीचे करने लगा देखते ही देखते हैं उसका पहचाना उसके गोलाकार नितंबों से नीचे की तरफ आने लगा,,,, मधु का दिल जोरों से धड़क रहा था अपने बेटे की बात मानने का सवाल ही यहां पैदा नहीं हो रहा था,,,, राजू के मर्दाना गठीला बदन का आकर्षण उसे भी होने लगा था इसलिए ना चाहते हुए भी उसकी नजर अपने बेटे की तरफ चली जा रही थी,,,,,,

पजामा पूरी तरह से किला होने की वजह से राजू धीरे-धीरे उसे अपनी कमर से नीचे की तरफ ले जा रहा था मधु का दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि जैसे-जैसे पैजामा नीचे की तरफ आ रहा था वैसे वैसे रघु के गोलाकार नितंब मधु की आंखों के सामने जलती आग की रोशनी में चमक रही थी,,, गठीला कसरत ई बदन होने की वजह से नितंबों के उठाव के साथ-साथ उसमें की कसी हुई नशे भी नजर आ रही थी जिसे देखकर मधु की दोनों टांगों के बीच हलचल होने लगी थी देखते ही देख ले राजू अपनी मां की आंखों के सामने ही अपने पजामे को उतारकर एकदम नंगा हो गया मधु के सामने राजू की पीठ थी,,, मधु का दिल जोरों से धड़क रहा था वह अपने बेटे को संपूर्ण रूप से नग्न अवस्था में देख रही थी,,,,,,, मधु को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें और राजू पहली बार अपनी मां की आंखों के सामने अपने कपड़े उतार कर नंगा हो रहा था हालांकि उसका सपना तो यह था कि वह अपनी मां को चोदने से पहले अपने कपड़े उतार कर एकदम नंगा हो जाए लेकिन इस समय के हालात कुछ और थे,,,,,।

राजू अपने पजामे को उतारकर अपनी मां की तरफ देखे बिना ही पजामें से पानी को गार रहा था,,,,,, और मधु चोर नजरों से अपने बेटे के नंगे बदन को देख कर उत्तेजित हो रही थी और अपने मन में यही सोच रही थी कि काश वह भी अपने बेटे की तरह हिम्मत दिखाकर अपने बेटे की आंखों के सामने अपने कपड़े उतारकर नंगी हो जाती तो कितना मज़ा आता वह पल कैसा होता

है जब वह धीरे-धीरे अपने कपड़े अपने बेटे की आंखों के सामने उतारकर नंगी होती जिस तरह से राजू पर दीवानगी का असर छाया हुआ है उसे देखते हुए अगर वह अपनी आंखों से मेरे नंगे बदन को देख लेता तो शायद एकदम मदहोश हो जाता और उसका पानी निकल जाता,,,, जैसा कि खुद मेरा उसकी बातों से निकल गया था,,,, अनजाने में यह ख्याल अपने मन में आते ही मधु अपने आप से ही शर्म आ गई,,,,
राजू अपने पहचाने को अच्छी तरह से गार लिया था,,,, और अपनी मां की तरफ देखे बिना ही नीचे पड़ी एक सूखी लकड़ी को उठाकर इमारत की दीवार की दरार में डालकर उस पर अपना पजामा टांग दिया और कुर्ते को उठाकर एक बार उसे जोर से झाड़ कर अपनी कमर पर लपेटने लगा,,,,,, कमर पर अपने गीले कुर्ते को लपेट ते हुए राजू को इस बात का आभास था कि उसे क्या करना है,,,, वह‌ अपना अगला पासा फेंकने की तैयारी में था,,,, वह जानता था कि अब उसे क्या करना है उसे इस बात का अंदाजा था कि उसकी मां की नजर उसके ऊपर ही होगी,, और वह इसी मौके का फायदा उठाना चाहता था,,,,।

उसकी पीठ उसकी मां की तरफ थी और वह अपने नितंबों को रखते हुए कुर्ते को अपनी कमर से लपेटने लगा लेकिन आगे की तरफ से कुर्ते का भाग ऐसा रखा की कुर्ता उसके लंड के ऊपर ही हो पूरी तरह से ढका ना हो और वैसे ही वह अपनी मां की तरफ घूमिया जलती हुई आग की रोशनी में उसकी मां की आंखों के सामने जो नजारा दिखाई दिया उसे देख कर उसके बदन में सुरसुरी सी दौड़ने लगी,,, बुर की गुलाबी पत्तियां फुदकने लगी,,,, मधु को साफ नजर आ रहा था कि आगे की तरफ से उसका कुर्ता लंड के ऊपरी भाग के हिस्से पर था जिससे उसका समूचा लंड झांठ के बाल सहित नजर आ रहा था पल भर में ही मधु की सांसे दुखने की तरह चलने लगी और यही तो राजू की चाल थी वह किसी भी तरह से अपनी मां को अपने लंड का दर्शन कराना चाहता था और वह जानता था कि एक बार उसका लंड देख लेने के बाद औरत अपने आप पर काबू नहीं रख पाती,,,,, हालांकि वह पहले भी अपनी मां को अपने लंड के दर्शन करा भी चुका था और उसे उसके हाथ में पकड़ा भी चुका था लेकिन मधु उस समय अपना हौसला पस्त होने नहीं देती और किसी तरह से अपने आप को संभाल ले गई थी लेकिन इस समय मौका और दस्तूर दोनों हालात के साथ थे तेज बारिश में वैसे भी औरतों का मन पुरुष संसर्ग के लिए तड़प उठता है,,,, और इसीलिए इस समय भी मधु के तन बदन में आग लग चुकी थी यह बेहद काम भावना से लिप्त मदहोशी बढ़ा देने वाला नजारा राजू की तरफ से क्षणिक भर का था उसके बाद उसने अपनी तिरछी नजरों से अपनी मां की तरफ देख कर यह तसल्ली कर लेने के बाद कि उसकी मां उसके लंड को ही देख रही है वह खुश होता हुआ तुरंत ऊपर उठा हुआ कुर्ता आगे की तरफ करके अपने लंड को ढकने की पूरी कोशिश करने लगा इस तरह से तो उसका लंड पर्दे के पीछे छुप गया लेकिन जिस तरह से टनटनाया हुआ था उससे कुर्ता एकदम खूंटी कि तरह तंबू बना लिया था मधु पूरी तरह से मदहोश हुए जा रही थी वह चाह कर भी अपनी नजरों को अपने बेटे के दोनों टांगों के बीच से हटा नहीं पा रही थी,,,,,।

ओहहहह अब जाकर थोड़ा आराम मिला,,,,(और इतना कहने के साथ ही वह नीचे बैठ गया तब जाकर मधु की तंद्रा भंग हुई और वह होश में आई लेकिन शर्म के मारे अपने बेटे से नजर नहीं मिला पा रही थी,,,, तभी राजू मुस्कुराता हुआ अपनी मां की तरफ देख कर बोला,,,)

मेरी बात मानो तुम भी अपने कपड़े निकाल कर सुखा लो गीले कपड़ों में बीमार हो जाओगी,,,,,, और वैसे भी यहां कौन है जो तुम्हें इस हालत में देख लेगा,,,।


तू तो है ना,,,(मधु शर्माते हुए बोली,,,)

अरे मैं कोई गैर थोड़ी हूं जो मेरे आगे इतना शर्म कर रही हो मैं तो इसलिए कह रहा था कि कहीं तुम बीमार ना पड़ जाओ,,,, देखो तुम्हें ठंड भी लग रही है,,,।
(वाकई में गीले कपड़ों में मधु को ठंड लग रही थी इस बात का एहसास मधु को भी अच्छी तरह से था वह तो जलती हुई आगे के सामने उसकी तपन से थोड़ा बहुत राहत महसूस हो रही थी वरना मधु की तबीयत जरूर खराब हो जाती ,,,, मधु भी अपने बेटे की बात से सहमत थी लेकिन अपनी बेटी के सामने कपड़े उतार कर नंगी होने में उसे बहुत शर्म लग रही थी हालांकि अपने बेटे को कपड़े उतारते हुए देखकर वह भी अपने मन में यही सोच रही है कि काश वह भी अपने बेटे के सामने अपने कपड़े उतार कर नंगी हो जाती तो मजा आ जाता,,,, फिर भी वह अपने आप को संभालते हुए बोली,,,)

नहीं नहीं मैं ठीक हूं आग जल रही है ना इसलिए थोड़ी बहुत गर्मी मिल रही है और ऐसे में कपड़े भी सूख जाएंगे,,,


चलो कोई बात नहीं जैसी तुम्हारी मर्जी,,,(राजू ऐसा बोल कर अपने मन में सोचने लगा कि ऐसे बात बनने वाली नहीं और आज की रात ही उसके लिए अहम रात है अपनी इच्छाओं को पूरा करने का वह अपने मन में सोचने लगा कि कोई और जुगाड़ लगाना पड़ेगा इसलिए वह बातचीत का दौर शुरू करते हुए बोला,,,)

अच्छा मां एक बात बताओ,,, क्या पहले भी तुमने इस तरह से किसी अनजान जगह में रात गुजारी हो ऐसी तूफानी बारिश में,,,


नहीं रे ऐसा मेरे साथ कभी नहीं हुआ यह पहली बार है कि मैं कहीं रात को इस तरह से तूफानी बारिश में फंस गई हूं,,,

मैं भी पहली बार ही,,,,

अगर मुझे जरा भी अंदाजा होता कि आज इतनी तेज बारिश पड़ेगी तो मैं कभी भी दवा लेने के लिए घर से नहीं निकलती,,,,


सही कह रही हो मां,,,, लेकिन सोचो एक नया अनुभव भी तो मिल रहा है इस जंगल जैसे वीरान जगह पर तूफानी बारिश में ऐसे खंडहर में रुकने का एक अलग ही मजा है,,,


इसमें कौन सी मजा है रे,,,


मजा ही तो है मां हां मैं अगर अकेला होता या मेरे दोस्त लोग होते तो शायद कोई और बात होती लेकिन मेरे साथ इतनी खूबसूरत औरत है इसीलिए मुझे इस खंडहर में भी बहुत अच्छा लग रहा है,,,,


खूबसूरत औरत,,,, अरे बुद्धू में तेरी मां हूं,,,

वह तो एक बेटे के नजरिए से लेकिन मैं तुम्हें एक मर्द के नजरिए से देखता हूं इसलिए तुम मुझे खूबसूरत औरत नजर आती हो,,,।
( अपने बेटे की बात सुनकर मधु का दिल जोरों से धड़क रहा था,,,, अपने बेटे की बात सुनकर वो समझ गई कि उसका बेटा उसे बहुत पसंद करता है,,,,, दो दो जवान बच्चे की मां के लिए इससे बड़ी खुशी की बात और क्या हो सकती है कि ईस उम्र में भी एक जवान लड़का उसे बेहद प्यार करता है उसे चाहता है उसे पाना चाहता है,,,, लेकिन परेशानी इस बात की थी कि वह जवान लड़का खुद का उसका बेटा था,,, फिर भी वह अपने बेटे को समझाने की कोशिश करते हुए बोली,,,)

नहीं राजू यह गलत है,,,, मैं तेरी बाहों और तू मेरा बेटा है हम दोनों के बीच मां बेटे का पवित्र रिश्ता है ना कि मर्द और औरत का इसलिए तू अपनी मर्यादा मेरे अगर तेरे इरादों की भनक गांव में किसी को भी लग गई तो बदनामी हो जाएगी,,,,


कैसी बातें कर रही हो मां गांव वालों को कैसे भनक लगेगी यह तो सिर्फ हम दोनों के बीच की बात है,,,,(ऐसा कहते हुए वह बैठे हुए ही अपनी मां का ध्यान अपनी दोनों टांगों के बीच आकर्षित करने के लिए अपना हाथ अपनी दोनों टांगों के बीच ले जा करके अपने लंड को खुजाने लगा और ऐसा करने पर वास्तव में उसकी मां का ध्यान अपने बेटे की दोनों टांगों के बीच गया तो वह फिर से हैरान रह गई उसका लंड अभी भी पूरी तरह से खड़ा था जो कि एकदम साफ नजर आ रहा था जिसे छुपाने की कोशिश राजू बिल्कुल भी नहीं कर रहा था जब जब वह अपने बेटे के लंड को देख रही थी तब तक उसके बदन में सिहरन सी दौड़ने लगती थी,,, वह अपना ध्यान दूसरी तरफ केंद्रित करने को करती थी लेकिन वह ऐसा कर नहीं पा रही थी राजू अपनी बातों में उसे पूरी तरह से उलझा रहा था,,,, राजू अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,) आईने में लगता है कि तुमने कभी अपने आप को ठीक सारा से देखी नहीं हो इसीलिए तुम यह नहीं समझ पा रही हो कि तुम कितनी खूबसूरत हो,,,,
(अपने बेटे के मुंह से अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनकर मधु को बहुत अच्छा लग रहा था लेकिन फिर भी अपने बेटे को समझाते हुए बोली)

चल कोई बात नहीं मैं अगर मान भी लूं कि मैं बहुत खूबसूरत हूं लेकिन फिर भी तू मेरा बेटा है कोई गैर नहीं जो मुझसे इस तरह की बातें करता है,,,,

मुझे तुमसे इस तरह की बातें करने में बहुत अच्छा लगता है,,,,(ऐसा कहते हुए राजू जानबूझकर उसकी मां को नजर आए इस तरह से अपने लंड को बिना हाथ लगाए ही अपनी ताकत से वह अपने लंड को अपने अंदर की तरफ खींच रहा था जिससे बार-बार उसका लंड ऊपर नीचे अपना मुंह उठाता हुआ हिल रहा था जिसे देखकर खुद मधु हैरान हो रही थी वह अपने बेटे के लंड की ताकत को देखकर ही अच्छी तरह से परखने की कोशिश कर रही थी,,,, जलती हुई आग की रोशनी में उसे अपने बेटे का लंड दम साफ तौर पर दिखाई दे रहा था मोटा लंबा,,, इस तरह के लंड की उसने कभी अपने अंदर कल्पना भी नहीं की थी जिसे वह अपनी आंखों से देख कर हैरान हो रही थी,,,,,, राजू की हरकतों और उसके इरादों के साथ-साथ उसकी बातों का असर मधु पर खूब हो रहा था,,, मधु अपने बेटे के लंड की तरफ देखते हुए बोली,,,)

धत् तू पागल है तेरी तरह अगर किसी और ने मुझसे यह बात कही होती तो मैं उसकी जान ले लेती लेकिन तू मेरा बेटा है इसलिए तुझे कुछ कह नहीं रही हूं,,,।
(अपनी मां की बात सुनकर राजू हंसने लगा और से हंसता हुआ देखकर मधु भी मुस्कुराने लगी हालांकि बार-बार उसकी नजर अपने बेटे की दोनों टांगों के बीच टनटनाए हुए लंड पर चली जा रही थी,,, और अचानक ही उसके मन में यह ख्याल आया कि अगर यह लंड है उसकी बुर में चला जाए तो उसकी बुर तो फट ही जाए इतना मोटा है यह ख्याल एकाएक उसके मन में आया था इसलिए वह एकदम से शर्मा गई,,,, राजू का दिमाग बड़े जोरों से काम कर रहा था क्योंकि यह मौका जिंदगी में दोबारा मिलने वाला नहीं था और वह इस मौके का पूरी तरह से फायदा उठा लेना चाहता था अभी उसके पास बहुत समय था,,,,, अगर दूसरे दिनों की तरह सामान्य दिन होता तो अभी भी आसमान में बिक्री

हुई चांदनी में पूरा गांव नहाया हुआ होता और चारों तरफ रोशनी नजर आती लेकिन तेज बारिश और तूफान के चलते चारों तरफ अंधेरा ही अंधेरा नजर आ रहा था,,, और यह जगह एकदम जंगल में वीराने में थी इसलिए यहां पर किसी के आने का डर भी नहीं था इसीलिए राजू पूरी तरह से निश्चिंत था थोड़ी देर खामोश रहने के बाद वह अपनी मां से बोला,,,)

तुम्हें भी भूख लगी होगी ना मां,,, मुझे तो बड़े जोरों की लगी है,,,


हारे तो सच कह रहा है बाजार में समोसे के सिवा और खाए ही क्या थी मुझे भी भूख लग रही है लेकिन यहां कर क्या सकते हैं,,,


अरे भूल गई बैलगाड़ी में समोसे और जलेबियां और खरबूजे भी रखे हुए हैं,,,

तो,,,,?(मधु आश्चर्य जताते हुए बोली क्योंकि इतनी तेज बारिश में वापस वहां पर जाना ठीक नहीं था)

अरे तो क्या मैं जाकर अभी लेकर आता हूं अच्छा हुआ कि हम लोग बाजार में खरीद कर रखे थे शायद इसी पल के लिए,,,


अरे तू लेकिन जाएगा कैसे अभी भी तेज बारिश हो रही है तो फिर भीग जाएगा फिर से तेरा कुर्ता गिला हो जाएगा,,,


अरे कोई बात नहीं मैं बिना कपड़ों के जाऊंगा और वैसे भी यहां देखने वाला तुम्हारे सिवा और कोई है कहां तुम बस नजर अपनी दूसरी तरफ घुमा लेना,,,,(राजू यह बात अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां लाख चाहने पर भी अपनी नजर उसके नंगे बदन से नहीं हटा पाएगी इसलिए वह जानबूझकर बोला था,,, फिर भी इतनी तेज बारिश और बादलों की गड़गड़ाहट सुनकर मधु बोली)


नहीं नहीं रहने दे तुझे कहीं जाने की जरूरत नहीं है मुझे भूख नहीं लगी है,,,


अरे कैसी बातें कर रही हो तुम्हें भूख लगी हो और मैं तुम्हारे लिए कुछ खाने को ना लाऊं ऐसा हो सकता है भला मैं अभी गया और अभी आया तुम बस,,,(अपनी जगह पर खड़ा होता हुआ अपनी कमर पर बांधा हुआ अपना कुर्ता खोलने लगा हालांकि इस बार वह अपनी मां की तरफ पीठ करके खड़ा नहीं हुआ वह अपनी मां के सामने खड़ा था ताकि एक बार फिर से वह अपनी मां को अपना नंगा झूलता हुआ लंड दिखा सके,,,, और इसी आपाधापी में राजू बिना शर्म किए और बिना वक्त गंवाए तुरंत अपनी कमर पर बना हुआ कुर्ता खोल दिया जिससे उसका टनटनाता हुआ लंड एक बार फिर से हवा में झूलने लगा,,,,,, और जिस पर नजर पड़ते ही मधु के तन बदन में फिर से आग लग गई और इस बार वह अपने आप को संभाल नहीं पाई और एक गहरी सांस लेते हुए अपनी उत्तेजना जाहीर करते हुए हल्के से अपने होंठ की कीनारी को दांत के नीचे दबाकर काटने और यह अपनी मां की खूबसूरत हरकत को राजू अपनी आंखों में कैद कर लिया और मन ही मन एकदम से खुश होने लगा और अपने मन में सोचने लगा कि भले ही ऊपर से उसकी मां उसे रोकने की कोशिश कर रही हो लेकिन अंदर से यही चाह रही है कि दोनों के बीच कुछ ना कुछ हो जाए,,,, और इसीलिए अपनी कमर पर बंधी कुर्ते को निकालकर वह अपनी मां को थमाते हुए बोला,,,)


ये गया और आया,,,,
(राजू एक बार फिर से अपनी मां की आंखों के सामने पूरी तरह से नंगा हो गया था जलती हुई आग की रोशनी में मधु को सब कुछ साफ नजर आ रहा था अपने बेटे के गठीले और कसरती बदन को एकदम नग्न अवस्था में देखकर मधु की बुर गीली होने लगी,,,,,, वह धड़कते दिल के साथ व्याकुल नजरों से अपने बेटे की तरफ देख रही थी,, जोकी पूरी तरह से नंगा होकर इमारत के एकदम किनारे पहुंच चुका था,,, वह वही खड़ा होकर वातावरण का जायजा ले रहा था,,,बादलों की गड़गड़ाहट बहुत तेज थी रे रे कर बिजली चमक रही थी जिसकी रोशनी में कुछ क्षण के लिए सब कुछ साफ नजर आ रहा था और उसी रोशनी में वह अपनी बैलगाड़ी को भी देख रहा था,,,,, चारों तरफ तेज हवाएं चल रही थी जिससे बड़े-बड़े वृक्ष हवा की दिशा में इधर-उधर लहरा रहे थे जिसे देखकर डर भी लग रहा था लेकिन राजू हिम्मतवाला था चारों तरफ पानी भर चुका था और वह अपने मन में सोचने लगा कि अच्छा हुआ कि वह बेल को भी अंदर खंडहर में ले आया वरना इतनी तेज बारिश और बादलों की गड़गड़ाहट में उसका बेल बहक जाता और इधर उधर निकल जाता,,,,,।

मधु अपने बेटे की तरफ देख रही थी उसका नंगा बदन पीछे से आग की रोशनी में एकदम साफ नजर आ रहा था अपने बेटे को नंगा देखकर मधु की बुर कुलबुला रही थी,,, उसे बरसात की याद भी आ रही थी जब कभी भी इस तरह की बारिश या मध्यम बारिश होती थी तो रात भर वह अपने पति से जी भर कर चुदवाती थी और पहल वह खुद ही करती थी क्योंकि ऐसे बारिश के मौसम में उसका मन बहुत ज्यादा था और आज ऐसा ही कुछ हो रहा था लेकिन बड़ी मुश्किल से वह अपने आप पर काबू करे हुए थी,,, लेकिन उसे यह समझ में नहीं आ रहा था कि इस तरह से जंगल में खंडहर में इतनी तूफानी बारिश में एक नौजवान मर्दानगी से भरे हुए मर्द के करीब रहकर और वह भी एकदम नंगा फिर भी वह अपने मन पर काबू कैसे कर पा रही है,,, शायद उन दोनों के बीच का रिश्ता मधु को आगे बढ़ने से रोक रहा था लेकिन धीरे-धीरे उसके भी ईरादे पस्त होते जा रहे थे,,, अपने मन में उठ रही भावनाओं के समंदर में वह सोच रही थी कि कहीं उसकी

मर्यादा और संस्कार भी ना डुब जाएं,,,, अपने बेटे के मर्दाना ताकत से भरे हुए मोटे तगड़े लंबे लंड को देखकर और उसके कटीले बदन को देखकर अपने मन में यही सोच रही थी कि उसका बेटा पूरी तरह से जवान हो गया है और एक ताकतवर मर्द बन चुका है,,,, शायद मधु अपने बेटे की मरजानी कि उसके गठीला बदन और उसके मोटे तगड़े लंबे लंड से ही आंक रही थी और यह औरतों के तरफ से मर्दों की मर्दानगी नापने की प्राथमिकता ही थी,,,,, वह अपने विचारों में डूबी हुई थी कि तभी उसे अच्छा की आवाज सुनाई दी और वह देखी तो उसका बेटा घुटनो भर पानी में जल्दी-जल्दी आगे बढ़ता चला जा रहा था वह पूरी तरह से मंगा था उसके बदन पर बिल्कुल भी कपड़ा नहीं था ऐसे हालात में एक औरत के लिए अपने आप पर काबू कर पाना बहुत मुश्किल हो जाता है,,,, लेकिन देखना यही था कि कब तक मधु अपनी मर्यादा की डोरी को अपने हाथों से पकड़ कर रखती है,,,, क्योंकि जिस तरह के हालात उसके सामने पैसा रहे थे उसे देखते हुए कभी भी मर्यादा की डोरी टूट सकती थी,,,,

थोड़ी ही देर में राजू अंधेरे में गायब हो गया तेज हवाओं के साथ हो रही तूफानी बारिश में राजू को देख पाना मधु के लिए कठिन हुआ जा रहा था लेकिन बिजली की चमक के उजाले में वह रह-रहकर नजर आ जा रहा था तब उसे तसल्ली हो जाती थी थोड़ी देर में राजू बैलगाड़ी तक पहुंच गया था और,,,, समोसे और जलेबी का पड़ेगा और एक खरबूजा अपने हाथ में लेकर उसे सीने से लगाए वापस खंडहर की तरफ आने लगा था,,,, मधु अपने बेटे को देखने के चक्कर में अपनी जगह से खड़ी हो गई थी और उसे व्याकुल नजरों से देख रही थी तभी बिजली की चमक के उजाले में उसका बेटा उसे आधा हो नजर आया तो उसके चेहरे पर मुस्कान तैरने लगी,,,,,, वह घुटनों तक पानी में समोसे जलेबी और खरबूजा लेकर आ रहा था,,,, अपने मन में सोचने लगी कि उसके बेटे को उसकी कितनी फिक्र है कि कितनी तेज बारिश में तूफानी हवाओं में बादलों की गड़गड़ाहट को नजरअंदाज करते हुए उसके लिए खाने के लिए लेकर आ रहा था,,,,, अभी तक तो राजू अंधेरे में ठीक से नजर नहीं आ रहा था लेकिन जैसे ही वह खंडहर के अंदर प्रवेश किया वैसे ही जलती हुई आग के उजाले में मधु की नजर एक बार फिर से अपने बेटे के लंड पर चली गई जो कि चलने की वजह से ऊपर नीचे हो कर हील रहा था,,, यह नजारा मधु की बुर को पिघला देने वाला था और ऐसा हो ही रहा था उसने आज तक इतना जबरदस्त मुस्टंडा अलग नहीं देखी थी वह तो कभी भी इस तरह के लंड की कल्पना भी नहीं की थी लेकिन यह जानकर उसे गर्व हो रहा था कि सोच से भी अधिक बलवान मर्दानगी ताकत से भरा हुआ लंड उसके बेटे के पास है पानी में भीगा हुआ राजू का लंड मधु को और ज्यादा मदहोश कर रहा था,,,, राजू जल्दी भी आपके करीब आते ही अपनी मां की नजरों को देखकर मन ही मन खुश होने लगा था और एक नजर अपने लंड की तरफ डाला तो उसे शाबाशी देते हुए मन ही मन में बोला,,, वह मेरे बच्चे आज तू ने कमाल कर दिया है अगर आज मेरे मन की हो गई तो तेरी सरसों के तेल से मालिश करूंगा तेरी खूब सेवा करूंगा ताकि तू इसी तरह से औरतों की जमकर सेवा करें और मेरी वाह वाह हो जाए,,,,,,,।

अपनी मां को समोसे और जलेबी के साथ-साथ खरबूजा था मरने से पहले वह एक हाथ से जानबूझकर अपने लंड को पकड़ कर उसमें से पानी की बूंदों को झटक ने के लिए ऊपर नीचे करके अपने लंड को हिलाने लगा यह देखकर मधु की तो सांस ही अटक गई,,, पल भर में वह ऐसा सोचने लगी कि जैसे उसका बेटा उसकी बुर में डालने के लिए अपने लंड को तैयार कर रहा है,,,,,,, अपनी मां के सामने राजू एकदम बेशर्मी दिखाते हुए अपने लंड को पकड़ कर ले जा रहा था और वह भी एक बहाने से ,,, वह अपनी मां को जताना चाहता था कि उस पर लगी पानी की बूंदों को हटाना चाहता है लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं था अपनी मां को बहका रहा था उसे चुदवासी बना रहा था और उसकी यह चाल कामयाब भी होती नजर आ रही थी,,, मंत्रमुग्ध होकर मधु अपने बेटे की हरकत को देख रही थी और अंदर ही अंदर मस्त हो रही थी,,, तभी राजू बोला,,,,।

मां मेरे कुर्ते से पानी तो पोंछ दो मुझे ठंड लग रही है,,,

(अपने बेटे की बात सुनते ही मधु की सांसे तेज चलने लगी उसका दिल जोरो से धड़कने लगा,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वहां क्या करें वह अपने बेटे के नंगे बदन के बेहद करीब खड़ी थी जिसका लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आ चुका था,,,, मधु‌ अपने मन में सोचने लगी कि इतना कड़क तो मर्दों का लंड तभी होता है,,, जब वह बुर में डालने के लिए तैयार हो जाते हैं,,,, लेकिन मेरे बेटे का तो बहुत मोटा और लंबा है अगर मेरी बुर में गया तो गजब कहल ढाएगा,,, इसकी बाबूजी का तो इससे आधा और पतला ही है हाय दैया मैं तो मर जाऊंगी,,,, अपने मन में इस तरह के विचार लाते हैं मधु के गाल शर्म से लाल हो गए वह धीरे से अपने बेटे का कुर्ता हाथ में लिए उसके बेहद करीब पहुंच गई और उसके पीछे खड़ी होकर उसकी पीठ से पानी को पोछने लगी,,,।

थोड़ा नीचे कमर के पास,,,

(मधु अपने बेटे के बताए निर्देश के अनुसार कमर तक पानी को साफ करने लगी तभी राजू और आगे बढ़ते हुए बोला)
कमर के नीचे गांड से लेकर नीचे तक,,,,(राजू एकदम बेशर्मी भरे शब्दों में बोला अपने बेटे के मुंह से गांड शब्द सुनकर मधु मदहोश होने लगी और वैसे भी वह अपने बेटे की गांड को अपने हाथों से स्पर्श करना चाहती थी क्योंकि जब वह अपने कपड़े उतार कर नंगा हुआ था तो वह अपने बेटे की गांड देखकर मस्त हो गई थी,,,, देखते ही देखते मधु अपने बेटे के बताए अनुसार वहां गांड से लेकर के नीचे तक उसके पानी को पोछना शुरू कर दी,,,,,, मधु की सांसे बहुत ही भारी चल रही थी उसके लिए यह कार्य बेहद जटिल था क्योंकि इस समय उसके भी बदन में उत्तेजना जोर मार रही थी और ऐसे में उसका बेटा पूरी तरह से नंगा खड़ा था और उसका लंड अपनी औकात में था अपने बेटे की गोल-गोल नितंबों को उसके कुर्ते से पोछने पर मधु को अत्यधिक उत्तेजना का एहसास हो रहा था और उसे इस बात का भी एहसास होने लगा था कि जब उसे इतना मजा आ रहा है तो औरतों की गांड देखकर मर्दों को कितना मजा आता होगा,,,, वह अपने मन में सोचने लगी कि आज तक उसने अपने पति को जवानी से लेकर अब तक ना जाने कितनी बार नंगा देखते आ रही है लेकिन कभी भी,, उसकी नजर उसके लंड को छोड़कर और कहीं भी स्थिर हुई ही नहीं शायद उसका शरीर राजू की तरह गठीला नहीं था,,,,।)

आगे भी पोछ दो,,,,(राजू अपनी नजर पीछे घुमा कर अपनी मां की तरफ देखते हुए बोला,,,, और उसकी मां बिना कुछ बोले पीछे खड़ी होकर ही कुर्ते को उसकी चौड़ी छाती पर रखकर पानी की बूंदों को साफ करने लगी ऐसा करने से औपचारिक रूप से मधु थोड़ा आगे की तरफ आ गई थी जिससे उसका बदन राजू के बदन से रह रहे का स्पर्श होने लगा था और अपने बेटे के बदन की गर्मी अपने बदन में महसूस करके उसे उत्तेजना तो महसूस हो ही रही थी साथ में ठंड से राहत भी मिल रही थी अपने बेटे की चौड़ी छाती को साफ करते हुए उसे आनंद आ रहा था,,,, और वह अपने मन में सोच रही थी काश वह अपने आपको अपने बेटे की छाती में छुपा पाती तो कितना मजा आता,,,,।)

नीचे भी साफ करो ना मा कितना गीला हो गया है,,,,।
(अपने बेटे की बातें सुनकर वह पीछे सही अपनी नजरों को आगे की तरफ करते हुए देखी तो उसके दोनों टांगों में कंपन होने लगी राजू का लंड अभी भी पूरी तरह से खड़ा हुआ था यह स्थिति काफी देर से थी इसलिए मधु को समझ में नहीं आ रहा था कि उसके बेटे में कितना दम है कि अभी तक उसका लंड खड़ा का खड़ा है और वह अपने बेटे की बात मानते हुए छाती के नीचे से लेकर पेट तक कुर्ता घुमाने लगी,,, रह रह कर मधु का मन कर रहा था कि अपने बेटे के लंड को अपने हाथ से पकड़ ले और उस पर लगा पानी कपड़े से नहीं बल्कि अपनी हथेली से घिस घिस कर साफ करें लेकिन ऐसा करने की उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी और वो अपना हाथ धीरे-धीरे नीचे की तरफ ले जा रही थी कि तभी उसकी हथेली पर चलकर उसके लंड से इस पर सोते हुए नीचे की तरफ आ गई और ऐसा होने पर उसका लंड ऊपर नीचे करके हिलना शुरू कर दिया मानो कि जैसे कोई उसे हाथ में लेकर हिला रहा हो या देखकर और उसके लंड की स्पर्श अपनी हथेली में महसूस करके मधु की बुर पानी पानी होने लगी वह एकदम से शर्म से लाल हो गई और राजू पूरी तरह से मस्त हो गया लेकिन कुछ बोला नहीं थोड़ी देर में राजू का बदन मधु उसके कुरते से साफ कर चुकी थी और राजू बोला,,,।


बस करो मां अब ईसे बांध दो मेरी कमर पर जैसे मै बांधा था,,,,।
(राजू जानबूझकर सब कुछ अपनी मां से करवा रहा था वह एक बहाने से अपने बदन को स्पर्श अपनी मां से करवाना चाहता था ताकि उसकी मां के बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी और ऐसा हो भी रहा था राजू की बात मानते हुए मधु बिना कुछ बोले उसकी कमर से उसके कुरते को बांधने लगी बांधते बांधते मधु उसके सामने आ गई और कुर्ते की गिठान उसकी कमर पर बांधते हुए उसके लंड को ही अपनी स्थिर और प्यासी नजरों से देख रही थी,,,, राजू मन ही मन प्रसन्न हो रहा था क्योंकि उसका फेंका हुआ पासा काम कर रहा था,,,, मधु उसके कुरते को कमर पर बाद चुकी थी लेकिन लैंड खड़ा होने की वजह से कुर्ता उसके ऊपर आकर कपड़े की तरह टांगा गया था जिसे मधु खुद अपने हाथों से आगे की तरफ खींच कर उसके लंड के आगे कर दी और लंड को पर्दे के पीछे छुपाने की कोशिश करने लगी जो की पूरी तरह से नाकामयाब नजर आ रहा था क्योंकि पर्दे के पीछे होने के बावजूद भी उसके बेटे का लंड अपनी आभा पूरी तरह से बिखेर रहा था खूंटा बनकर,,, अपनी मां की गहरी चलती सांसो को देखकर राजू के तन बदन में आग लग रही थी वह समझ गया था कि उसकी मां भी चुदासी हो रही है उसे पूरा विश्वास था कि आज की रात वह अपनी और अपनी मां के बीच की मर्यादा की दीवार को गिरा कर ही रहेगा,,,)

बस हो गया अब चलो कुछ खा लेते हैं अच्छा हुआ कि मैं बाजार से यह सब ले लिया था वरना आज की रात भूखा ही रहना पड़ता,,,,।
(मधु की सांसे अभी भी ऊपर नीचे हो रही थी वह बिना कुछ बोले आग की दूसरी तरफ जा कर बैठने लगी तो राजू फिर से बोला,,,)

मां तुम खामखा परेशानी उठा रही हो मेरी बात मानो अपने कपड़े उतार दो,,, वरना परेशान हो जाओगी बीमार पड़ जाओगे और मैं नहीं चाहता कि तुम बीमार पडो,,,अगर पूरे नहीं तो अपनी साड़ी उतार कर,,, उसे सूखने के लिए धर दो ताकि बाद में आराम से पहन सको,।
(मधु अपने बेटे की बातों को सुनकर रोमांचित हो उठती थी क्योंकि ऐसा लग रहा था कि जैसे यह बात उसका बेटा नहीं बल्कि उसका कोई प्रेमी या उसका पति कर रहा हो,,, और वह भी अपने फायदे के लिए ताकि वह उसके नंगे बदन को अपनी आंखों से देख सके,,, अपने बेटे की बात से मधु भी सहमत थी इसलिए वह बोली,,,)

तू ठीक कह रहा है मुझे भी ठंडक महसूस हो रही है और अगर गिला कपड़ा पहने रहेगी तो शायद बीमार पड़ जाऊंगी,,,।
(अपनी मां की है बातें सुनकर राजू अंदर ही अंदर खुश होने लगा क्योंकि उसकी बात उसकी मां मान रही थी इसलिए वह उत्साहित होते हुए बोला)

हां तुम जल्दी से अपने कपड़े उतार कर यहां सूखने के लिए डाल दो जहां पर मैं डाला हूं और फिर आकर हम दोनों साथ में खाते हैं,,,,,,,।

लेकिन तू मेरी तरफ देखना नहीं मुझे शर्म आती है,,,

क्या मां तुम भी,,,, इसमें शर्माने वाली कौन सी बात है आखिरकार यहां पर मेरे को तुम्हारे सिवा है कौन मैं भी तो अपने सारे कपड़े उतार कर नंगा बैठा हूं क्योंकि मैं नहीं चाहता कि मैं बीमार पड़ जाऊं और फिर बैलगाड़ी चलाने लायक ना रह जाऊं फिर आमदनी कहां से होगी,,,,

नहीं फिर भी मुझे शर्म आती है,,,


क्या मां मैं तुम्हें पहले भी बता चुका हूं कि मैं तुम्हारे नंगे बदन को देख चुका हूं और उस दिन जब शादी में लेकर जा रहा था तो तुम कुएं के पास बड़े से पत्थर के पीछे बैठकर मुत रही थी,,, तो मैं अनजाने में नहीं तुम्हारे पिछवाड़े को देख लिया था,,,,(अपने बेटे के मुंह से इस तरह की बातें सुनकर वह एकदम से गनगना गई,,, और फिर अपने आप को संभालते हुए बोली,,,)

वह तो अनजाने में ना मैं जानती नहीं थी इसलिए लेकिन अभी तो कपड़े उतारुंगी तो तेरे सामने ही ना इसलिए तू मेरी तरफ देखना नहीं,,,,

चलो अच्छा ठीक है मैं नहीं देखूंगा बस अब जाओ जल्दी से आओ मुझे बड़ी भूख लगी है,,,,।

(इतना सुनकर मधु 5 कदम दूरी पर जाकर अपनी साड़ी को उतारने लगी खंडहर के इस जगह पर पांच कदमों की दूरी कोई ज्यादा दूर नहीं था जल्दी भी आप की रोशनी सब कुछ साफ नजर आ रहा था लेकिन फिर भी इतनी दूर जाकर शायद मधु को इस बात की तसल्ली हो रही थी कि वह अपने बेटे की आंखों के सामने अपने कपड़े नहीं उतार रही है जबकि राजू अपनी मां को वादा करने के बावजूद भी चोर नजरों से अपनी मां की तरफ ही देख रहा था धीरे-धीरे मधु अपनी गीले साड़ी को उतारने लगी और देखते ही देखते अपनी कमर पर बनी साड़ी को उतारकर वह केवल ब्लाउज और पेटीकोट में खड़ी हो गई और साड़ी के पानी को साड़ी को गोल गोल घुमा कर उसमें से पानी गारने लगी,,,, अपनी मां की यह अदा देख कर राजू का लंड उछल रहा था अपनी प्रियतमा से मिलने के लिए और उसकी प्रियतमा उसकी मां की दोनों टांगों के बीच गुलाबी छेद के रूप में पानी छोड़ रही थी और एक तरह से उसका पानी छोड़ना अपने प्रियतमा को अपनी तरफ आकर्षित करना था,,,,,,, राजू अपने मन में यही सोच रहा था कि काश उसकी मां अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी हो जाती तो इस खंडहर में रोनक आ जाती,,, फिर भी बरसात के पानी में भीगा हुआ उसके मां का पेटीकोट,,, की वजह से वह पेटीकोट उसकी मां के पिछवाड़े के साथ-साथ उसकी जांघों से एकदम चिपका हुआ था जिससे उधर का अंग एकदम उभरा हुआ नजर आ रहा था,,, जिसे देखकर राजू का लंड ठुनकी मार रहा था,,,,,,, और वह अपने लंड को अपनी मुट्ठी में लेकर दबाते हुए बोला,,,।

मेरी मानो तो ब्लाउज रहने दो पेटिकोट उतार दो क्योंकि वह पूरी तरह से भीगा हुआ है,,,,।
(मधु अपने बेटे की चालाकी को अच्छी तरह से समझ रही थी पेटीकोट उतारने के बाद बाकी रहता है क्या था वह तो पूरी तरह से नंगी हो जाती इसलिए वह अपनी जज्बातों पर काबू करते हुए बोली,,,)

नहीं नहीं चलेगा,,,,(इतना कहने के साथ ही वह नीचे झुक कर अपनी पेटीकोट को थोड़ा घुटनों तक उठाकर उस में से पानी गारने लगी,,, पेटिकोट को घुटनो तक उठाने की वजह से उसकी गोरी गोरी पिंडलिया आग की रोशनी में साफ नजर आ रही थी जिसे देखकर राजू का मन एकदम से चुदवासा हुआ जा रहा था,,,, थोड़ी देर में मधु अपनी साड़ी को जोर से झटक ते हुए उसी जगह पर ले जाने लगी जहां पर राजू अपने पजामे को टांगा था और वहीं पर जाकर अपनी साड़ी को भी टांग दी,,,, साड़ी को उतारने के बाद वह केवल पेटीकोट और ब्लाउज में ही थी लेकिन फिर भी अपने बेटे की आंखों के सामने इस अवस्था में आने में उसे शर्म महसूस हो रही थी वह

धीरे-धीरे सब कुछ आते हुए आगे की दूसरी तरफ पहुंच गई और अपनी नजरों को नीचे झुकाए हुए ही उसी अवस्था में नीचे बैठ गई,,, राजू यह बात अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां अपनी चुचियों के नाम से कहीं कम नापका छोटा ब्लाउज पहनती थी जिसकी वजह से उसके दोनों बड़े-बड़े कबूतर उसमें से बाहर निकलने के लिए पंख फड़फड़ा ते हुए नजर आते थे और ऐसा ही हुआ वह नीचे बैठ गई थी लेकिन उसकी दोनों चूचियां पंख फड़फड़ा कर हवा में उड़ने के लिए बेकरार थी,,,।। जलती हुई आग की रोशनी में राजू को अपनी मां की चूचियां ब्लाउज में कसी हुई एकदम साफ नजर आ रहे थे मन तो कर रहा था कि अपने हाथों से ब्लाउज को फाड़ कर उसकी दोनों चूचियों को बाहर निकाल ले और उसे मुंह में लेकर दबा दबा कर पिए,,,, लेकिन शायद इसमें अभी समय था,,,,,।

अपने बेटे के सामने मधु शर्मा से संकुचा रही थी,,, और राजू अपनी मां को शर्माता हुआ देखकर और ज्यादा उत्तेजित हो रहा था,,,, समोसे और जलेबी की पडीके को वह खोलकर दोनों जन के बीच में रख दिया था ताकि दोनों आराम से खा सके मधु को भी भूख लगी हुई थी और वह तुरंत हटा कर बढ़ाकर समोसा उठाकर खाने लगे राजू भी जलेबी लेकर खाने लगा लेकिन उसे जलेबी से ज्यादा रस अपनी मां की चुचियों से मिल रहा था जिसे देखकर वह और भी ज्यादा प्यासा होता जा रहा था बारिश था कि रुकने का नाम नहीं ले रही थी लगातार बादलों की गड़गड़ाहट के साथ तेज हवाए अपना असर दिखा रहे थे रह-रहकर ठंडी हवा का झोंका दोनों के बदन को गनगना दे रहा था,,,,,,,, तभी जैसे कुछ याद आया हो इस तरह से मधु बोली,,,,,।


अरे राजू मेरी चूड़ियां तो थी ना बैलगाड़ी में,,,

हामा तुम चिंता क्यों कर रही हो चूड़ियां सही सलामत है अगर ना भी होती तो कोई दिक्कत की बात नहीं थी मैं नई खरीद देता,,,

अरे वाह अब तो तू पैसे वाला हो गया है मुझे तो पता ही नहीं था,,, अगर तेरे पास पैसे ना होते तो शायद हम दोनों रात को भूखे ही रहते ,,,

ऐसा बिल्कुल भी नहीं होगा मां लाला मेरी जेब में है,,,


मैं तेरी बात को समझी नहीं,,,(मधु आश्चर्य जताते हुए बोली)

यूं समझ लो मां की मेरे हाथों सोने के अंडे देने वाली मुर्गी लग गई है,,,,,,,


पहेलियां क्यों बुझा रहा है ठीक ठीक बताता क्यों नहीं,,,
(अपने बदन को सिकोड़ते हुए वह बोली,,,)
 

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