Incest जिन्दगी एक अनाथ की ~written by Goldybull~

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Update 86
राजगुरुं बाली महल के सामने खुली जगह पर खड़ी होकर अपना मन काल के साथ संभोग करने का बना चुकी थी ,उसमे शरम तो उसे बहुत आ रही थी ,पर काल से कही उसकी बातें कदापि योग्य नही थी ,काल ने जिस आसनी ने से उसे माफ किया था वो काल के महानता का सबूत था ,और वैसे भी काल के सिंहार बन जाने से वह सभी सिहलोक की हज़ारों शेरनियां को पतीं बनकर उन सबके साथ संभोग करने का हक रखता था ,अपने पति से चुदने में किस बात का संकोच रखना ,राजगुरुं बाली के साथ सभी शेरनियां कवारी थी सिर्फ महारानी उमा ही अपने पति सिम्बा से संभोग कर चुकी थी ,पर महारानी उमा को भी सिम्बा का साथ एक दिन का ही मिला था जिसका नतीजा दो राजकुमारियां थी ,सिम्बा को राक्षसो के राजा भुजंग ने धोके से मार दिया था ,सिम्बा जब अपने सिहलोक से अपने तपस्या के लिये बैठा था तभी भुजंग ने उसे मार दिया था ,भुजंग को अपना सबसे बड़ा शत्रु और खतरा सिम्बा से ही था ,भुजंग ने अपने इस महाबलवान शत्रु को मारकर अपने रास्ते का बहुत बड़ा खतरा मिटा दिया था ,भुजंग जानता था की सिम्बा उसे आसानी से मार सकता है ,और अगर सिम्बा सिंहार बन जाता तो उसकी ताकद के सामने अभी राक्षस पल भर नहीं टिक पाते ,भुजंग के हिसाब से सिम्बा ही सिंहार बन सकता था इसी वजह से उसने सिम्बा को मारा था ,सिम्बा के मरने से भुजंग को यकीन था कि अब किसी और में इतना दम नही है कि वो सिंहार बन सके ,पर उसकी सोच काल ने गलत साबित कर दी थी ,जिस बात का पता उसे बहुत जल्द चलने वाला था ,सिम्बा के साथ भुजंग ने उसके सभी पत्नियों को भी मार दिया था जो सिम्बा के साथ तपस्या कर रही थी ,महारानी उमा ही सिम्बा के साथ न जाने से बच गई थी ,जितनी भी शेरनियां सिहलोक में बची थी वो सभी सिम्बा की ही सन्तान थी जो उसने सभी पत्नियों से पैदा की थी महारानी उमा की शादी से पहले ,महारानी उमा भी एक दिव्य शेरनी थी जिसके विवाह से वो पहली महारानी बनी थी ,सिम्बा का विवाह उमा से स्वर्ग लोक में हुवा था,उमा का जन्म नही हुवा था उसे किसी खास वजह से त्रिशक्ति ने निर्माण किया था ,जिसके वजह से उसे सिहलोक की महारानी बना दिया था सब सिहलोक की शेरनियो ने मिलकर ,सिम्बा से पैदा हुवीं दो राजकुमारीयो को एक विशेष सेवा में त्रिशक्ति ने धरतींपर रखा था ,जिसका पता सब सिहलोक था ,
काल ने सबसे कहा कि ,में आप सबकी बात से सहमत हूं पर में पहले आप सभी के साथ विवाह करने के बाद ही राजगुरु बाली के वादे को पूरा करने में हा करूँगा ,काल की यह बात सबने मान ली ,काल ने सभी शेरनियों के साथ नरसिंह भगवान के मन्दिर में शादी कर ली ,उसने नागदन्ती और दमी नमी से भी उसी मन्दिर में शादी कर ली ,सिंहार बनने के बाद काल मे बहुत सी शक्तिया आ गई थी ,काल अपने जैसे कई रूप अब ले सकता था जिसके लिये उसे आत्मभंजन करने की भी जरूरी नही थी ,उसके हर रूप में एकसमान ताकद और शक्तिया थी काल अपने किसी भी अंश जैसे हजारो रूप बना सकता था ,काल ने इसी शक्ति से अपने हजारो सिंह मानव के रूप बनाकर सब शेरनियों से शादी कर ली जिसमें दोनो राजकुमारीयो के साथ ,महारानी उमा और राजगुरुं बाली भी शामिल थी ,सबको अपनी पत्नी का दर्जा देकर काल के साथ उसकी सभी शेरनियां महल के सामने आ गई ,काल का सिहमानव रूप उन सभी शेरनियों से विशाल था ,उसकी लम्बाई सिहमानव के रूप में 250 फिट थी काल के सामने सभी शेरनियां के मानव रूप बहुत छोटे दिख रहे थे ,काल ने सिंहार की शक्ति से अपनी लम्बाई और शरीर का आकार कम करने की कोशिश की जिसमे वो बस 90 फिट तक ही खुद को छोटा कर पाया था ,जो उन सभी शेरनियों के सामने बड़ा ही लग रहा था ,काल को अपने लंड के आकार का ही डर लग रहा था उसका लन्ड उसके शरीर के आकार में छोटा तो हुवा था पर उसकी मोटाई कम नही हुवीं थी ,उसका लन्ड दोनो राजकुमारी जो 75 फिट की थी वही ले नही पाएगी ऐसा उसे लग रहा था ,राजगुरुं तो बस 65 फिट की थी और महारानी उमा 70 फिट ,बाकी सभी शेरनियां 60 फिट की ही लंबी थी,काल को लग रहा था कि उसके साथ चुदने से सभी शेरनियां मर ना जाये ,
काल ने महल के बाहर अपनी माया से मैदान के बीचोबीच एक सुहाग की सेज सजा दी जो काल और बाली के हिसाब से लंबी चौड़ी और मजबूत थी ,उस सुहाग सेज की जैसे ही हजारो सेज सजादी थी जिसपर बाकी शेरनियां ,नागदन्ती के हजार रुप ,नमी ,दमी बैठ सके ,काल ने यह बहुत सोचसमझ के किया था ,वो राजगुरुं बाली के साथ सबके सामने संभोग भी करने वाला था वादे के मुताबिक और उन दोनों का संभोग देखकर गर्म होती सभी लड़कियों को भी संभोग सुख देकर उनको भी शांत कर सके ,
बाली सुहाग के सेजपर बैठी काल का इंतजार कर रही थी ,काल ने अपने कदम बाली के तरफ बढ़ाकर उसे पलँग के पास पहुच गया ,काल अपने मन मे इस सिहलोक ने दो बार मुझे नंगा किया है परीक्षा में नागदन्ती के सापो नऔर भेड़िये ने मिलकर आज इसका बदला में सबको नंगा करके चुकाऊंगा ,काल ने अपने एक हाथ आगे बढ़ाकर बाली के हाथ को पकड़ लिया और उसे पलँग से नीचे उतार दिया ,काल ने बाली के सभी कपड़े एक पल में उतार कर उसे नंगी कर दिया ,बाली शर्म से सबके सामने नंगी होंने से मरी जा रही थी ,काल का लन्ड बाली की मदमस्त जवानी से भड़क रहा था ,काल ने अपने भी कपड़े उतार कर खुद को नंगा कर दिया ,काल के नंगे होते ही सब शेरनियों के साथ नागदन्ती के सभी रुप ,नमी ,दमी की गांड़ फट गई काल के भीमकाय लन्ड के दर्शन से ही सबकी सांस गले मे ही अटक गई ,महारानी उमा भी काल के लंड से डर गई थीं उसके पति सिम्बा से काल का लन्ड दुगना बड़ा और मोटा था ,काल के 10फिट बड़े और 6 फिट मोटे लंड को बाली के सिवा सबने देखा लिया था ,काल ने आगे बढ़कर बाली के गांड़ को दोनो पंजो से पकड़कर उसे अपनी गोद मे उठा लिया ,बाली डर के मारे काल के गले मे बाहें ड़ालकर अपनी दोनो टाँगे उसकी कमर में जकड़ कर बैठ गई ,उसे अपनी गांड पर बहुत गर्म और विशाल चीज का आभास हो रहा था ,बाली काल से ऊंचाई में 30 फिट कम होकर भी उसके दोनो गांड़ की मटकीया काल के बड़े से पंजो में नही समा रही थी ,काल ऐसी मदमस्त गांण्ड को मसलता बाली के गलाबी होठो को चुसने लगा और नीचे से अपने विशाल लन्ड को बाली की गांण्ड की खाई में रगड़ने लगा ,अपने सामने इतने कामुक दृश्य को देखकर सबकी चुत की भड़क उठीं थी ,काल जिस तरह से बाली के गांड़ में अपने लंड को घिस रहा था तो सबको ऐसा लग रहा था कि काश बाली की जगह वो होती ,जैसे काल और बाली का होठो को चूसना बढ़ रहा था सबकी सब की हरकते बढने लगी थी ,कोई अपनी चुत को मसलने लगा था तो कोई अपने एक हाथ से अपनी चुचिया दबा रहा था ,सब इतनी काम वासना में जलने लगी थी कि अगर उनका बस चलता तो वो बाली को काल की बाहो से अलग करके खुद नंगी होकर उसके बाहो में लटक जाए ,काल भी ऐसे ही वक्क्त के इंतजार में था ,उसने अपने हजारो रूप अपने शरीर से बनाकर हर एक के पास भेज दिए ,सब काल की इस हरकत से बहुत खुश हो गए ,सबसे पहले सिंहाली उसके बाहो में समाकर उसके बाहो में कपड़े निकालकर नंगी होकर लटक गई ,उसने काल के कानों में सरगोशी भरे आवाज में कहा ,आप कैसे करेंगे यह मुझे पता नही पर में आपके असली रूप से ही संभोग करूंगी ,काल ने हसकर कहा मेने राजगुरुं बाली के पास मेरा प्रतिरूप ही भेजा है ,मुझे तुम्हारे मन की बात शादी के वक्त ही समझ गई थी ,में तुम्हे और मिहाली को अपने असली रूप से ही भोगूँगा, देखो मिहाली सो रही है मेरी माया से ,
सिंहाली ,क्यो मेरी माँ तो तुम्हे बहुत पसंद थी उन्हें नही भोगना चाहोगे अपने असली रूप से ,
काल ,महारानी उमा क्या कर रही है तुम एक बार देखो तो सही ,फिर बोलो
सिंहाली ने देखा तो उसकी माँ भी मिहाली की तरह अपने पलँग पर सो गयी थी ,सिंहाली ने काल को होठो को प्यार से चूम लिया ,एक वादा करो काल तुम मुझे या मेरी बहन को अपने असली रूप में ही हमेशा संभोग करोगे ,
काल ,में तुम दोनो बहनो को नही बल्कि तुम्हारी माँ को भी अपने असली रूप से चोदूँगा ,
सिंहाली काल के ओठो को अपने दांतों से काटती हुवीं बोलने लगी ,लगता है मेरी माँ कुछ ज्यादा ही पसन्द आ गयी है तुम्हे ,काल सिंहाली की मदमस्त गांण्ड को दबाता बोला ,पूरे सिहलोक में तुम तीनो मा बेटीयो की गांड़ ही मेरे लंड को झेल सकती हो बाकी सब की चुत में ले सकी तो ही बहुत है ,
सिंहाली,तुम हमारे सिहलोक की शेरनियों को कम समझ रहे हो काल ,सब तुम्हारे लन्ड को अपने चुत और लंड के दोनो छेद में आराम से सकती है ,तुम अपने असली रूप से ही सबको चोदना ,एक बार उनका कौमार्य भंग होने दो उनका आकार और शक्तिया दोनो बढ़ जाएगी ,जैसा उनके पति का लन्ड होगा उतनी बड़ी उनकी चुत और गांड़ का छेद हो जायगा,यही सिहलोक के शेरनियों की खास बात है , तुमको यकीन नही हैं ना राजगुरुं बाली की गांड़ जब तक तुम अपने असली रूप से उन्हें नही चोदोगे उनको कुछ फर्क नही पड़ने वाला ,हा तुम्हारा लंड बहुत बड़ा है पर अपने असली रूप में आकर जब तक तुम हम सबको नही चोद लेते किसी भी शेरनी को तुम ठंडा नहीं कर सकते ,इतना कहकर सिंहाली खुद अपने एक हाथ को नीचे करती अपनी गीली चुत पर काल के लन्ड को लगाकर तेजीसे नीचे बैठ गयी ,उसके मुह से एक भयानक चीख निकल गई उस लंड को एक ही झटके में अपने अंदर लेने से ,जिस वजह से सबका ध्यान उन दोनो पर चला गया,सिंहाली के चुत से खून की धार निकलने लगी ,उसका पूरा बदन पसीने से गिला हो गया था ,उसके शरीर का आकार तेजीसे बढ़ने लगा ,जहा पहले काल के 90 फिट के शरीर पर 75 फिट की सिंहाली लटक रही थी ,वो 225 फिट की हो गई थी ,वो अब अपने दोनो पैरों के ऊपर खड़ी थी और काल उसकी चुत में लंड होने से उसकी चुत के नीचे लन्ड के सहारे लटक रहा था ,काल का लंड उसकी चुत से फिसलकर निकल गया था ,काल का लंड उसके चुत के सामने कुछ भी नही था ,अपने सामने सिंहाली के इस विशाल रूप को देखकर काल मन मे ,बहनचोद साला इतनी बड़ी बेइज्जती ,अब सबकी गांण्ड फटे या चुत ,इनको अपने असली रूप में आकर ही चोदना होगा ,इस सिंहाली को अब दिखता हु मेरे लन्ड की ताकद ,काल ने अपना आकर वास्तविक रूप में कर लिया ,सिंहाली काल की तरफ देखकर उसे चिढ़ाने वाली हँसी में देख रही थी ,मानो वो कह रही थी ,देखा मेरी बात न मानने का नतीजा ,काल ने लपक के सिंहाली को उठाकर अपने विशाल लन्ड पर उठाकर बिठा दिया ,और उसकी गांड़ को पकड़ता एक प्रचंड धक्के के साथ उसकी चुत में अपना लन्ड जड़ तक गाड़ दिया सिंहाली के मुख से इस बार भी पहले की तरह चीख निकल गई ,उसकी चुत की पूरी गहराई नापता काल का लन्ड उसके बच्चेदानी में घुस गया था ,सिंहाली की चुत अब पूरी तरह फट चुकी थी ,काल के बाकी रूपो ने भी अपना आकर बढ़ा लिया था ,हर एक शेरनी को नंगी करते उनकी चुत में जड़ तक काल के प्रतिरूप लंड घुसा रहे थे ,पूरे वातावरण में शेरनियों की दर्दनाक चीखे गूंज रही थी,काल ने गुस्से से नागदन्ती के 1000 रुप के साथ वाले अपने महानाग के वास्तविक रूप में आकर चोद दिया था जो सिंहार कि ताकद मिलने से पहले से 100 गुना बड़ा और महाकाय बन गया था ,नमी और दमी को भी काल ने अपने अश्वमानव के सिंहार की ताकद मिलने से विशाल रूप से चोदा था ,उन सबने सिंहलोक में शादी करने से और यहीं सुहागरात मनाने से उन पर सिहलोक का शेरनियों की तरह प्रभाव पड़ गया था ,नागदन्ती के सभी 1000 रूप अपना कौमार्य भंग होने से विशाल हो गए थे नागदन्ती जो पहले बस 100 फिट की थी महानाग के 500 फिट वाले लन्ड से चुदने से वो 450 फिट की बन गयी थी उसके सभी रूप को आकार 450 फिट का हो गया था ,उसी तरह नमी और दमी दोनो भी 300 फिट अश्वमानव काल से चुद कर 290 फिट की हो गई थी ,सभी शेरनियां अपने कौमार्यभंग से 200 फिट की तो बाली 210 फिट की हो गई थी ,काल और उसके सभी रूप अब जमकर सबकी चुदाई में लग गए थे ,सिंहाली के चुत को काल ने हर पोझ में चोद लिया था ,काल सिंहाली को समयमनी में लेकर 24 घन्टो में दोनो तरफ से उसके छेद खोल चुका था सिंहाली कि गांण्ड का छेद खुलने से उसकी ऊंचाई फिर बढ़ गई थी वो अब 240 फिट तक बढ़ गई थी ,काल ने 10 बार उसकी चुत और गांड़ को अपने रस से भर दिया था ,सिंहाली को समयमनी से महल में अपने कमरे में छोड़कर काल मिहाली और महारानी उमा को भी समयमनी में 24 घण्टे चोद चुका था ,मिहाली का शरीर भी सिंहाली की तरह हो गया था ,महारानी उमा दोनो तरफ से अपने छेद में काल के लन्ड को लेकर अपना 230 फिट की हो गई थी ,काल 6 साल तक सिहलोक मे रहा दोनो राजकुमारीयो ने 6 साल में चार चार लड़कों को काल से गर्भवती होकर पैदा किया,महारानी उमा ने भी 4 लड़के पैदा किये थे ,राजगुरुं बाली ने 2 लड़के और 2 लड़कियां पैदा कर ली थी ,बाकी सभी शेरनियां ने भी बाली की तरह 2 लड़के और 2 लड़कियों को जन्म दिया था ,जहा पहले सिहलोक में बस 50 हजार शेरनियां थी वहां अब1 लाख सिंह लड़के और 1 लाख सिंह लडकिया हो गई थी ,काल ने अपने 10 हजार प्रतिरूप सिहलोक में छोड़ दिये थे ,सिहलोक में अपनी सन्तानो के ऊपर ध्यान देने और उन्हें बाप का प्यार देने के लिये ,नागदन्ती के 1000 रूपो ने भी महानाग और उसकी दिव्य शक्ति से बनी 1000 नई लडको और लड़कियों को पैदा किया थे ,जिनमे नागदन्ती की तरह ना मरने की और मारा तो दुगने होने की शक्ति के साथ महानाग की तरह ताकद और शक्ति थी ,काल ने उन सभी सन्तानो को 100 नागदन्ती के रूप और 100 महानाग के प्रतिरूप के साथ सिहलोक मे ही रहने को कह दिया ,नमी और दमी ने भी 3 ,3 लड़कों को पैदा किया था ,काल ने नमी और दमी को बच्चों के साथ अपने दो अश्वप्रति रूप के साथ मे रहने को कह दिया था ,सिंहाली और मिहाली अपने बच्चों को अपनी माँ उमा के पास छोड़ दिया ,
काल जब सिहलोक से निकलने लगा तो राजगुरुं बाली ने कहा ,आप से एक बहुत जरूरी बात कहनी है ,आप सिंहार की शक्ति का प्रयोग धरती पर जब कोई बहुत बड़ा संकट हो तभी करे ,सिंहार को आप अपना एक गुप्त हथियार की तरह ही रखे ,आप सिंहार को धरती पर अपने अंदर से निकाल कर प्रकट करने से उसके बारे में पूरी दुनिया को उसकी ताकद का आभास एक पल में हो जाएगा ,आप सिंहार की सभी शक्तियो का इस्तेमाल उसे अपने अंदर ही रखकर कर सकते है ,
काल ने बाली की बात सुनकर अपने सभी अंशो को अपने पास बुलाया और उन्हें अपने अंदर समा लिया जिसमें काल2 भी था महानाग ,कालभेड़िया ,शिवाय ,काल अश्व ,कालसुर सब काल के अंदर कुछ देर रहकर बाहर आ गए सबकी शक्तिया शक्तिया एक दुसरे के साथ मिल गई थी ,काल के हर अंश में अब सिंहार की सभी ताकद आ गई थी और सिंहार में भी सभी अंशो की शक्तियां आ गई थी ,सभी अंश काल के शरीर मे कुछ देर रहकर बाहर आ गए सिर्फ काल2 अदृष्य रूप से काल के शरीर मे समा कर सिंहार की शक्तियों को लेकर अदृश्य रूप में ही धरतींपर पर चला गया ,सिंहार काल के शरीर मे वापस समा गया ,शिवाय को छोडकर बाकी सभी अंश अपनी जगह वापस लौट गए ,काल ,शिवाय ,सिंहाली और मिहाली वापिस सुबह 6 बजे भवानीगढ़ आ गए वहां आने के बाद काल ने अपने अंदर 1 नागदन्ती को रखकर बाकी सबको अदृष्य रूप में भवानीगढ़ के मन्दिर में रक्षा के लिए छोड़ दिया ,काल ने अपने अंदर सिर्फ 1 लाख सर्प रखकर बाकी की सारी सर्पसेना को भी ,नागदन्ती के प्रतिरूपो के हवाले कर दिया था ,तभी शिवाय बोला ,काल भाई मुझे थोड़ी सर्पसेना और 1नागदन्ती मिल सकती है ,
काल हसकर ,तुम सभी अंशो में मैने पहले ही 10 लाख सर्पसेना और 20 नागदन्ती के प्रतिरूप रख दिये है ,अपने मन मे तू नागदन्ती से बात कर सकता है
शिवाय हसकर बोला ,कालभाई आज सुबह पूरे हिदुस्तान के गुंडे बदमाश डरने लगे जायँगे पर अब देखना कल की सुबह तक, आपके आशीर्वाद से ,दुनिया के हर शहर ,हर गांव का गुंडा, बदमाश कापने वाला है ,
काल ,ठीक है तू तो अब सबकी बैंड बजाकर ही मानने वाला है ,पर पहले एक काम कर मोगा और सभी भेडियमानव को पातालमे छोड़कर आ ,वो अब सेक्स करने के लिये बहुत उतावले है ,अपने कालभेड़िया के लिये एक तोहफा है इसमें ,कुछ भेड़ियेऔरत है जो उसके ही बस की है ,उसकी टांग ज्यादा मत खींच और बच्चों के लिये अपनी धरती के सभी नई टेक्नोलॉजी की चीजें वहां बनावकर आ ,में 10 बजे आने वाला हु पाताल में ,आज से हर जगह पर सभी बच्चों को एक एक पिता का बंदोबस्त सब को करने के लिये बोल देना ,
शिवाय ,ठीक है भाई आप सर्पलोक जाकर आने तक सब काम पूरे हो जाएंगे ,आज से आप और में ,अपना पूरा काम और मन लगाकर कर पायंगे ,में अब 24 घण्टे सब की बजाने वाले हु अब ,और आप बस आराम से तमाशा देखना ,शिवाय सब काम कर लेगा
काल ने शेरा को अपने साथ रखकर सिंहाली और मिहाली को प्यार से चूमकर सर्पलोक चला गया ,वहां से जाते वक्त उसने अपने 100 प्रतिरूप मन्दिर के पास छोड़ दिये गुप्त रूप से रक्षा के लिये और 10 प्रति रूपो को अलग जगह धरती पर भेज दिए ,सिंहार की ताकद आ जाने से काल पहले से लाख गुना खतरनाक और बलशाली हो गया था ।
 
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राजगुरुं बाली महल के सामने खुली जगह पर खड़ी होकर अपना मन काल के साथ संभोग करने का बना चुकी थी ,उसमे शरम तो उसे बहुत आ रही थी ,पर काल से कही उसकी बातें कदापि योग्य नही थी ,काल ने जिस आसनी ने से उसे माफ किया था वो काल के महानता का सबूत था ,और वैसे भी काल के सिंहार बन जाने से वह सभी सिहलोक की हज़ारों शेरनियां को पतीं बनकर उन सबके साथ संभोग करने का हक रखता था ,अपने पति से चुदने में किस बात का संकोच रखना ,राजगुरुं बाली के साथ सभी शेरनियां कवारी थी सिर्फ महारानी उमा ही अपने पति सिम्बा से संभोग कर चुकी थी ,पर महारानी उमा को भी सिम्बा का साथ एक दिन का ही मिला था जिसका नतीजा दो राजकुमारियां थी ,सिम्बा को राक्षसो के राजा भुजंग ने धोके से मार दिया था ,सिम्बा जब अपने सिहलोक से अपने तपस्या के लिये बैठा था तभी भुजंग ने उसे मार दिया था ,भुजंग को अपना सबसे बड़ा शत्रु और खतरा सिम्बा से ही था ,भुजंग ने अपने इस महाबलवान शत्रु को मारकर अपने रास्ते का बहुत बड़ा खतरा मिटा दिया था ,भुजंग जानता था की सिम्बा उसे आसानी से मार सकता है ,और अगर सिम्बा सिंहार बन जाता तो उसकी ताकद के सामने अभी राक्षस पल भर नहीं टिक पाते ,भुजंग के हिसाब से सिम्बा ही सिंहार बन सकता था इसी वजह से उसने सिम्बा को मारा था ,सिम्बा के मरने से भुजंग को यकीन था कि अब किसी और में इतना दम नही है कि वो सिंहार बन सके ,पर उसकी सोच काल ने गलत साबित कर दी थी ,जिस बात का पता उसे बहुत जल्द चलने वाला था ,सिम्बा के साथ भुजंग ने उसके सभी पत्नियों को भी मार दिया था जो सिम्बा के साथ तपस्या कर रही थी ,महारानी उमा ही सिम्बा के साथ न जाने से बच गई थी ,जितनी भी शेरनियां सिहलोक में बची थी वो सभी सिम्बा की ही सन्तान थी जो उसने सभी पत्नियों से पैदा की थी महारानी उमा की शादी से पहले ,महारानी उमा भी एक दिव्य शेरनी थी जिसके विवाह से वो पहली महारानी बनी थी ,सिम्बा का विवाह उमा से स्वर्ग लोक में हुवा था,उमा का जन्म नही हुवा था उसे किसी खास वजह से त्रिशक्ति ने निर्माण किया था ,जिसके वजह से उसे सिहलोक की महारानी बना दिया था सब सिहलोक की शेरनियो ने मिलकर ,सिम्बा से पैदा हुवीं दो राजकुमारीयो को एक विशेष सेवा में त्रिशक्ति ने धरतींपर रखा था ,जिसका पता सब सिहलोक था ,
काल ने सबसे कहा कि ,में आप सबकी बात से सहमत हूं पर में पहले आप सभी के साथ विवाह करने के बाद ही राजगुरु बाली के वादे को पूरा करने में हा करूँगा ,काल की यह बात सबने मान ली ,काल ने सभी शेरनियों के साथ नरसिंह भगवान के मन्दिर में शादी कर ली ,उसने नागदन्ती और दमी नमी से भी उसी मन्दिर में शादी कर ली ,सिंहार बनने के बाद काल मे बहुत सी शक्तिया आ गई थी ,काल अपने जैसे कई रूप अब ले सकता था जिसके लिये उसे आत्मभंजन करने की भी जरूरी नही थी ,उसके हर रूप में एकसमान ताकद और शक्तिया थी काल अपने किसी भी अंश जैसे हजारो रूप बना सकता था ,काल ने इसी शक्ति से अपने हजारो सिंह मानव के रूप बनाकर सब शेरनियों से शादी कर ली जिसमें दोनो राजकुमारीयो के साथ ,महारानी उमा और राजगुरुं बाली भी शामिल थी ,सबको अपनी पत्नी का दर्जा देकर काल के साथ उसकी सभी शेरनियां महल के सामने आ गई ,काल का सिहमानव रूप उन सभी शेरनियों से विशाल था ,उसकी लम्बाई सिहमानव के रूप में 250 फिट थी काल के सामने सभी शेरनियां के मानव रूप बहुत छोटे दिख रहे थे ,काल ने सिंहार की शक्ति से अपनी लम्बाई और शरीर का आकार कम करने की कोशिश की जिसमे वो बस 90 फिट तक ही खुद को छोटा कर पाया था ,जो उन सभी शेरनियों के सामने बड़ा ही लग रहा था ,काल को अपने लंड के आकार का ही डर लग रहा था उसका लन्ड उसके शरीर के आकार में छोटा तो हुवा था पर उसकी मोटाई कम नही हुवीं थी ,उसका लन्ड दोनो राजकुमारी जो 75 फिट की थी वही ले नही पाएगी ऐसा उसे लग रहा था ,राजगुरुं तो बस 65 फिट की थी और महारानी उमा 70 फिट ,बाकी सभी शेरनियां 60 फिट की ही लंबी थी,काल को लग रहा था कि उसके साथ चुदने से सभी शेरनियां मर ना जाये ,
काल ने महल के बाहर अपनी माया से मैदान के बीचोबीच एक सुहाग की सेज सजा दी जो काल और बाली के हिसाब से लंबी चौड़ी और मजबूत थी ,उस सुहाग सेज की जैसे ही हजारो सेज सजादी थी जिसपर बाकी शेरनियां ,नागदन्ती के हजार रुप ,नमी ,दमी बैठ सके ,काल ने यह बहुत सोचसमझ के किया था ,वो राजगुरुं बाली के साथ सबके सामने संभोग भी करने वाला था वादे के मुताबिक और उन दोनों का संभोग देखकर गर्म होती सभी लड़कियों को भी संभोग सुख देकर उनको भी शांत कर सके ,
बाली सुहाग के सेजपर बैठी काल का इंतजार कर रही थी ,काल ने अपने कदम बाली के तरफ बढ़ाकर उसे पलँग के पास पहुच गया ,काल अपने मन मे इस सिहलोक ने दो बार मुझे नंगा किया है परीक्षा में नागदन्ती के सापो नऔर भेड़िये ने मिलकर आज इसका बदला में सबको नंगा करके चुकाऊंगा ,काल ने अपने एक हाथ आगे बढ़ाकर बाली के हाथ को पकड़ लिया और उसे पलँग से नीचे उतार दिया ,काल ने बाली के सभी कपड़े एक पल में उतार कर उसे नंगी कर दिया ,बाली शर्म से सबके सामने नंगी होंने से मरी जा रही थी ,काल का लन्ड बाली की मदमस्त जवानी से भड़क रहा था ,काल ने अपने भी कपड़े उतार कर खुद को नंगा कर दिया ,काल के नंगे होते ही सब शेरनियों के साथ नागदन्ती के सभी रुप ,नमी ,दमी की गांड़ फट गई काल के भीमकाय लन्ड के दर्शन से ही सबकी सांस गले मे ही अटक गई ,महारानी उमा भी काल के लंड से डर गई थीं उसके पति सिम्बा से काल का लन्ड दुगना बड़ा और मोटा था ,काल के 10फिट बड़े और 6 फिट मोटे लंड को बाली के सिवा सबने देखा लिया था ,काल ने आगे बढ़कर बाली के गांड़ को दोनो पंजो से पकड़कर उसे अपनी गोद मे उठा लिया ,बाली डर के मारे काल के गले मे बाहें ड़ालकर अपनी दोनो टाँगे उसकी कमर में जकड़ कर बैठ गई ,उसे अपनी गांड पर बहुत गर्म और विशाल चीज का आभास हो रहा था ,बाली काल से ऊंचाई में 30 फिट कम होकर भी उसके दोनो गांड़ की मटकीया काल के बड़े से पंजो में नही समा रही थी ,काल ऐसी मदमस्त गांण्ड को मसलता बाली के गलाबी होठो को चुसने लगा और नीचे से अपने विशाल लन्ड को बाली की गांण्ड की खाई में रगड़ने लगा ,अपने सामने इतने कामुक दृश्य को देखकर सबकी चुत की भड़क उठीं थी ,काल जिस तरह से बाली के गांड़ में अपने लंड को घिस रहा था तो सबको ऐसा लग रहा था कि काश बाली की जगह वो होती ,जैसे काल और बाली का होठो को चूसना बढ़ रहा था सबकी सब की हरकते बढने लगी थी ,कोई अपनी चुत को मसलने लगा था तो कोई अपने एक हाथ से अपनी चुचिया दबा रहा था ,सब इतनी काम वासना में जलने लगी थी कि अगर उनका बस चलता तो वो बाली को काल की बाहो से अलग करके खुद नंगी होकर उसके बाहो में लटक जाए ,काल भी ऐसे ही वक्क्त के इंतजार में था ,उसने अपने हजारो रूप अपने शरीर से बनाकर हर एक के पास भेज दिए ,सब काल की इस हरकत से बहुत खुश हो गए ,सबसे पहले सिंहाली उसके बाहो में समाकर उसके बाहो में कपड़े निकालकर नंगी होकर लटक गई ,उसने काल के कानों में सरगोशी भरे आवाज में कहा ,आप कैसे करेंगे यह मुझे पता नही पर में आपके असली रूप से ही संभोग करूंगी ,काल ने हसकर कहा मेने राजगुरुं बाली के पास मेरा प्रतिरूप ही भेजा है ,मुझे तुम्हारे मन की बात शादी के वक्त ही समझ गई थी ,में तुम्हे और मिहाली को अपने असली रूप से ही भोगूँगा, देखो मिहाली सो रही है मेरी माया से ,
सिंहाली ,क्यो मेरी माँ तो तुम्हे बहुत पसंद थी उन्हें नही भोगना चाहोगे अपने असली रूप से ,
काल ,महारानी उमा क्या कर रही है तुम एक बार देखो तो सही ,फिर बोलो
सिंहाली ने देखा तो उसकी माँ भी मिहाली की तरह अपने पलँग पर सो गयी थी ,सिंहाली ने काल को होठो को प्यार से चूम लिया ,एक वादा करो काल तुम मुझे या मेरी बहन को अपने असली रूप में ही हमेशा संभोग करोगे ,
काल ,में तुम दोनो बहनो को नही बल्कि तुम्हारी माँ को भी अपने असली रूप से चोदूँगा ,
सिंहाली काल के ओठो को अपने दांतों से काटती हुवीं बोलने लगी ,लगता है मेरी माँ कुछ ज्यादा ही पसन्द आ गयी है तुम्हे ,काल सिंहाली की मदमस्त गांण्ड को दबाता बोला ,पूरे सिहलोक में तुम तीनो मा बेटीयो की गांड़ ही मेरे लंड को झेल सकती हो बाकी सब की चुत में ले सकी तो ही बहुत है ,
सिंहाली,तुम हमारे सिहलोक की शेरनियों को कम समझ रहे हो काल ,सब तुम्हारे लन्ड को अपने चुत और लंड के दोनो छेद में आराम से सकती है ,तुम अपने असली रूप से ही सबको चोदना ,एक बार उनका कौमार्य भंग होने दो उनका आकार और शक्तिया दोनो बढ़ जाएगी ,जैसा उनके पति का लन्ड होगा उतनी बड़ी उनकी चुत और गांड़ का छेद हो जायगा,यही सिहलोक के शेरनियों की खास बात है , तुमको यकीन नही हैं ना राजगुरुं बाली की गांड़ जब तक तुम अपने असली रूप से उन्हें नही चोदोगे उनको कुछ फर्क नही पड़ने वाला ,हा तुम्हारा लंड बहुत बड़ा है पर अपने असली रूप में आकर जब तक तुम हम सबको नही चोद लेते किसी भी शेरनी को तुम ठंडा नहीं कर सकते ,इतना कहकर सिंहाली खुद अपने एक हाथ को नीचे करती अपनी गीली चुत पर काल के लन्ड को लगाकर तेजीसे नीचे बैठ गयी ,उसके मुह से एक भयानक चीख निकल गई उस लंड को एक ही झटके में अपने अंदर लेने से ,जिस वजह से सबका ध्यान उन दोनो पर चला गया,सिंहाली के चुत से खून की धार निकलने लगी ,उसका पूरा बदन पसीने से गिला हो गया था ,उसके शरीर का आकार तेजीसे बढ़ने लगा ,जहा पहले काल के 90 फिट के शरीर पर 75 फिट की सिंहाली लटक रही थी ,वो 225 फिट की हो गई थी ,वो अब अपने दोनो पैरों के ऊपर खड़ी थी और काल उसकी चुत में लंड होने से उसकी चुत के नीचे लन्ड के सहारे लटक रहा था ,काल का लंड उसकी चुत से फिसलकर निकल गया था ,काल का लंड उसके चुत के सामने कुछ भी नही था ,अपने सामने सिंहाली के इस विशाल रूप को देखकर काल मन मे ,बहनचोद साला इतनी बड़ी बेइज्जती ,अब सबकी गांण्ड फटे या चुत ,इनको अपने असली रूप में आकर ही चोदना होगा ,इस सिंहाली को अब दिखता हु मेरे लन्ड की ताकद ,काल ने अपना आकर वास्तविक रूप में कर लिया ,सिंहाली काल की तरफ देखकर उसे चिढ़ाने वाली हँसी में देख रही थी ,मानो वो कह रही थी ,देखा मेरी बात न मानने का नतीजा ,काल ने लपक के सिंहाली को उठाकर अपने विशाल लन्ड पर उठाकर बिठा दिया ,और उसकी गांड़ को पकड़ता एक प्रचंड धक्के के साथ उसकी चुत में अपना लन्ड जड़ तक गाड़ दिया सिंहाली के मुख से इस बार भी पहले की तरह चीख निकल गई ,उसकी चुत की पूरी गहराई नापता काल का लन्ड उसके बच्चेदानी में घुस गया था ,सिंहाली की चुत अब पूरी तरह फट चुकी थी ,काल के बाकी रूपो ने भी अपना आकर बढ़ा लिया था ,हर एक शेरनी को नंगी करते उनकी चुत में जड़ तक काल के प्रतिरूप लंड घुसा रहे थे ,पूरे वातावरण में शेरनियों की दर्दनाक चीखे गूंज रही थी,काल ने गुस्से से नागदन्ती के 1000 रुप के साथ वाले अपने महानाग के वास्तविक रूप में आकर चोद दिया था जो सिंहार कि ताकद मिलने से पहले से 100 गुना बड़ा और महाकाय बन गया था ,नमी और दमी को भी काल ने अपने अश्वमानव के सिंहार की ताकद मिलने से विशाल रूप से चोदा था ,उन सबने सिंहलोक में शादी करने से और यहीं सुहागरात मनाने से उन पर सिहलोक का शेरनियों की तरह प्रभाव पड़ गया था ,नागदन्ती के सभी 1000 रूप अपना कौमार्य भंग होने से विशाल हो गए थे नागदन्ती जो पहले बस 100 फिट की थी महानाग के 500 फिट वाले लन्ड से चुदने से वो 450 फिट की बन गयी थी उसके सभी रूप को आकार 450 फिट का हो गया था ,उसी तरह नमी और दमी दोनो भी 300 फिट अश्वमानव काल से चुद कर 290 फिट की हो गई थी ,सभी शेरनियां अपने कौमार्यभंग से 200 फिट की तो बाली 210 फिट की हो गई थी ,काल और उसके सभी रूप अब जमकर सबकी चुदाई में लग गए थे ,सिंहाली के चुत को काल ने हर पोझ में चोद लिया था ,काल सिंहाली को समयमनी में लेकर 24 घन्टो में दोनो तरफ से उसके छेद खोल चुका था सिंहाली कि गांण्ड का छेद खुलने से उसकी ऊंचाई फिर बढ़ गई थी वो अब 240 फिट तक बढ़ गई थी ,काल ने 10 बार उसकी चुत और गांड़ को अपने रस से भर दिया था ,सिंहाली को समयमनी से महल में अपने कमरे में छोड़कर काल मिहाली और महारानी उमा को भी समयमनी में 24 घण्टे चोद चुका था ,मिहाली का शरीर भी सिंहाली की तरह हो गया था ,महारानी उमा दोनो तरफ से अपने छेद में काल के लन्ड को लेकर अपना 230 फिट की हो गई थी ,काल 6 साल तक सिहलोक मे रहा दोनो राजकुमारीयो ने 6 साल में चार चार लड़कों को काल से गर्भवती होकर पैदा किया,महारानी उमा ने भी 4 लड़के पैदा किये थे ,राजगुरुं बाली ने 2 लड़के और 2 लड़कियां पैदा कर ली थी ,बाकी सभी शेरनियां ने भी बाली की तरह 2 लड़के और 2 लड़कियों को जन्म दिया था ,जहा पहले सिहलोक में बस 50 हजार शेरनियां थी वहां अब1 लाख सिंह लड़के और 1 लाख सिंह लडकिया हो गई थी ,काल ने अपने 10 हजार प्रतिरूप सिहलोक में छोड़ दिये थे ,सिहलोक में अपनी सन्तानो के ऊपर ध्यान देने और उन्हें बाप का प्यार देने के लिये ,नागदन्ती के 1000 रूपो ने भी महानाग और उसकी दिव्य शक्ति से बनी 1000 नई लडको और लड़कियों को पैदा किया थे ,जिनमे नागदन्ती की तरह ना मरने की और मारा तो दुगने होने की शक्ति के साथ महानाग की तरह ताकद और शक्ति थी ,काल ने उन सभी सन्तानो को 100 नागदन्ती के रूप और 100 महानाग के प्रतिरूप के साथ सिहलोक मे ही रहने को कह दिया ,नमी और दमी ने भी 3 ,3 लड़कों को पैदा किया था ,काल ने नमी और दमी को बच्चों के साथ अपने दो अश्वप्रति रूप के साथ मे रहने को कह दिया था ,सिंहाली और मिहाली अपने बच्चों को अपनी माँ उमा के पास छोड़ दिया ,
काल जब सिहलोक से निकलने लगा तो राजगुरुं बाली ने कहा ,आप से एक बहुत जरूरी बात कहनी है ,आप सिंहार की शक्ति का प्रयोग धरती पर जब कोई बहुत बड़ा संकट हो तभी करे ,सिंहार को आप अपना एक गुप्त हथियार की तरह ही रखे ,आप सिंहार को धरती पर अपने अंदर से निकाल कर प्रकट करने से उसके बारे में पूरी दुनिया को उसकी ताकद का आभास एक पल में हो जाएगा ,आप सिंहार की सभी शक्तियो का इस्तेमाल उसे अपने अंदर ही रखकर कर सकते है ,
काल ने बाली की बात सुनकर अपने सभी अंशो को अपने पास बुलाया और उन्हें अपने अंदर समा लिया जिसमें काल2 भी था महानाग ,कालभेड़िया ,शिवाय ,काल अश्व ,कालसुर सब काल के अंदर कुछ देर रहकर बाहर आ गए सबकी शक्तिया शक्तिया एक दुसरे के साथ मिल गई थी ,काल के हर अंश में अब सिंहार की सभी ताकद आ गई थी और सिंहार में भी सभी अंशो की शक्तियां आ गई थी ,सभी अंश काल के शरीर मे कुछ देर रहकर बाहर आ गए सिर्फ काल2 अदृष्य रूप से काल के शरीर मे समा कर सिंहार की शक्तियों को लेकर अदृश्य रूप में ही धरतींपर पर चला गया ,सिंहार काल के शरीर मे वापस समा गया ,शिवाय को छोडकर बाकी सभी अंश अपनी जगह वापस लौट गए ,काल ,शिवाय ,सिंहाली और मिहाली वापिस सुबह 6 बजे भवानीगढ़ आ गए वहां आने के बाद काल ने अपने अंदर 1 नागदन्ती को रखकर बाकी सबको अदृष्य रूप में भवानीगढ़ के मन्दिर में रक्षा के लिए छोड़ दिया ,काल ने अपने अंदर सिर्फ 1 लाख सर्प रखकर बाकी की सारी सर्पसेना को भी ,नागदन्ती के प्रतिरूपो के हवाले कर दिया था ,तभी शिवाय बोला ,काल भाई मुझे थोड़ी सर्पसेना और 1नागदन्ती मिल सकती है ,
काल हसकर ,तुम सभी अंशो में मैने पहले ही 10 लाख सर्पसेना और 20 नागदन्ती के प्रतिरूप रख दिये है ,अपने मन मे तू नागदन्ती से बात कर सकता है
शिवाय हसकर बोला ,कालभाई आज सुबह पूरे हिदुस्तान के गुंडे बदमाश डरने लगे जायँगे पर अब देखना कल की सुबह तक, आपके आशीर्वाद से ,दुनिया के हर शहर ,हर गांव का गुंडा, बदमाश कापने वाला है ,
काल ,ठीक है तू तो अब सबकी बैंड बजाकर ही मानने वाला है ,पर पहले एक काम कर मोगा और सभी भेडियमानव को पातालमे छोड़कर आ ,वो अब सेक्स करने के लिये बहुत उतावले है ,अपने कालभेड़िया के लिये एक तोहफा है इसमें ,कुछ भेड़ियेऔरत है जो उसके ही बस की है ,उसकी टांग ज्यादा मत खींच और बच्चों के लिये अपनी धरती के सभी नई टेक्नोलॉजी की चीजें वहां बनावकर आ ,में 10 बजे आने वाला हु पाताल में ,आज से हर जगह पर सभी बच्चों को एक एक पिता का बंदोबस्त सब को करने के लिये बोल देना ,
शिवाय ,ठीक है भाई आप सर्पलोक जाकर आने तक सब काम पूरे हो जाएंगे ,आज से आप और में ,अपना पूरा काम और मन लगाकर कर पायंगे ,में अब 24 घण्टे सब की बजाने वाले हु अब ,और आप बस आराम से तमाशा देखना ,शिवाय सब काम कर लेगा
काल ने शेरा को अपने साथ रखकर सिंहाली और मिहाली को प्यार से चूमकर सर्पलोक चला गया ,वहां से जाते वक्त उसने अपने 100 प्रतिरूप मन्दिर के पास छोड़ दिये गुप्त रूप से रक्षा के लिये और 10 प्रति रूपो को अलग जगह धरती पर भेज दिए ,सिंहार की ताकद आ जाने से काल पहले से लाख गुना खतरनाक और बलशाली हो गया था ।
 
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Update 87
काल एक प्रतिरूप अपने अंदर भिमासुर को लेकर पाताल में आ गया था ,पहले काल कोई भी जगह जो उसे पता न हो या देखी न हो जा नही पता था ,पर सिंहार की शक्ति मिल जाने से काल किसी भी जगह पर उसका नाम लेकर ही जा सकता था ,काल सिर्फ त्रिशक्ति के निवासों को छोड़कर हर लोक में अपनी जगह खड़ा होकर आराम से देख सकता था ,कोई भी ताकद और शक्ति काल के दृष्टि और उसको नही रोक सकती सिवाय त्रिशक्ति के ताकद के अलावा ,
काल अपनी शक्कल एक असुर के रूप में बदलकर पाताल के अंधेरे में बसे काली शक्तियो के पूजा करने वाले असुरलोग में आया था जिसका नाम डरलोक था ,जिसकी वजह यह थी कि यहां के असुर इतने नीच,पापी और कुकर्म करने वाले थे कि उनसे सभी लोग डरते थे ,आज इस डरलोक मे काल भोगसूर बनकर आया था ,भोगसूर जब डरलोक के प्रवेश द्वार पर पहुंचा तो वहाँ के असरो ने उसे रोक लिया और उससे पुछने लगे, कौन है तू और किस लिये यहा आया है
भोगासूर, दोस्तो में एक असुर को बेचने आया था डरलोक में ,पहले में कालीघाटी गया था ,पर वहां पे कोहिम को किसी कालासुर ने मार दिया है ,उसने मुझे काली घाटी में आने तक नही दिया ,में पहले कोहिम के लिये नए जीव और इंसान पकड़कर लाया करता ,जिसके बदले मुझे वह मस्त असुर कन्या देता ,पर अब कालसुर ने मुझे भाव तक नही दिया ,
असुर सिपाही ,सही कहा तुमने हमे भी कोहिम के मरने का बहुत दुख है ,वो डरलोक का सच्चा दोस्त था ,उस कालसुर के आने से हमे बहुत नुकसान हुवा है ,पर तेरे पास असुर तो दिख नही रहा कही ,तू झूठ तो नही बोल रहा डरलोक में जाने के लिये ,
भोगासुर ,में झूठ क्यो बोलूंगा ,और असुर को मै अपने अंदर बन्दी बनाकर लाया हूं ,यह देखिए यह रहा असुर ,इतना कहकर ,उसने अपने अंदर से भिमासुर जो 6 साल से काल के शरीर मे मस्त सो रहा था ,उसके हाथ पांव सांप से बांधकर बाहर पटक दिया ,भिमासुर की नींद अपने आप को जमीन पर पटकने से झट से खुल गई ,अपने हाथ पांव बंधे और मुह में साँप के होने से वह डर कर अपने आप को छुड़ाने लगा ,पर मजबूत साँप की पकड़ से वह निकल नही पा रहा था ,उसकी मायावी विद्या भी कुछ काम नही कर रही थी ,भिमासुर अपने सामने असुर देख कर और काल को कही ना देख पाने से खुद को जी जान से छुड़ाने लगा था ,
सिपाही ,तू तो कमाल का मायावी है रे ,इतना बड़ा असुर अपने अंदर रख लिया तूने मानना पड़ेगा तुझे ,कितने बेचने वाला इस असुर को तू
भोगासुर ,में धन नहीं लेता बस सुंदर असुर कन्या के बदले में इसे बेचूंगा
सिपाही ,बड़ा कमीना है रे तू नाम क्या है तेरा
भोगासुर ,जी मेरा नाम भोगासुर है
सब सिपाही उसका नाम सुनकर जोर जोर से हसने लग गए,
उनमे से एक बोला ,बहुत सही नाम है तेरा ,तू इसी डरलोक में रह जा हमेशा के लिये ,तेरे जैसे भोगियों के लिये ही तो डरलोक बना है ,जा अंदर आज से तुझे कोई नही रोकेगा डरलोक में आने से ,बस हमारा भी कुछ भला करते रहना पड़ेगा तुझे ,
भोगासुर ,में आपकी बात समझ गया सरकार जब इस असुर को डरलोक में बेचूंगा तो में कन्याओं के साथ कुछ धन भी मांग लूँगा ,जो डरलोक से जाते समय आपके हवाले कर दूंगा,
सिपाही ,बहुत जल्दी समझ गया तू तो ,जा मजे कर कुछ दिन डरलोक में ,भोगासुर ने वापिस भिमासुर को अपने अंदर ले लिया और डरलोक में दाखिल हो गया ,भोगासुर ने भले हीं अपना असुर रूप बदला था ,पर दिखने में वो अभी भी बहुत सुंदर दिख रहा था ,बाकी असुर जैसा ही उसने अपने कद को 60 फिट का रखा था पर उसका शरीर काफी मजबूत और बलवान था ,डरलोक में आने के बाद उसने एक खाली जगह देख कर भिमासुर को बाहर निकाल लिया और उसे बंधन मुक्त कर दिया ,भिमासुर अपने आप को बंधन मुक्त देखकर सामने वाले असुर पर झपटने की कोशिश करने लगा पर वह अपनी जगह से हिल भी नही पा रहा था ,उसने गुस्से में कहा ,कौन है रे तू हरामी ,और में तुझे कैसे मिल गया ,में तो सो रहा था कबसे ,और तू मुझे बेचकर मेरा सौदा करेगा ,पागल में भिमासुर हु समाझा ,महाबली भिमासुर ,मुझे एक बार अपने माया से मुक्त कर तब में दिखता हु तुझे ,
भोगासुर, भिमासुर शांत हो जाओ में काल हु और हम दोनो डरलोक में एक काम से आये है ,तुमने मुझे पहचाना नही अभीतक ,और काल ने एक बार अपनी शक्कल भिमासुर को दिखा कर वापिस भोगासुर बन गया ,भिमासुर भी जान गया कि काल के सिवा कोई उसे अपने अंदर रख नही सकता और न उसकी माया को बांध सकता है ,
भिमासुर, में आपको पहचान नही पाया काल,में आपको अनजाने में सबकुछ कह गया मुझे माफ़ कर दीजिये ,
भोगासुर ,इसमें तुम्हारी कोई गलती नही है ,छोड़ो सब बातें, ,अब मेरी बात ध्यान से सुनो, हम यहा पर अबसे दोनो दोस्त है ,जो डरलोक में होने वाले मुकाबले में हिस्सा लेने वाले है,सभी पापी और काली शक्ति के पूजा करने वाले इस मुकाबले में हिस्सा लेते है ,मुझे डरलोक में घुसने के लिये ये बहाना करना पड़ा कि में तुम्हे यहा बेचने आया हु ,वरना यह लोग मुझे अंदर नही आने देते ,मुझे यहा पर कुछ बाते पता करनी है ,तुम बस मुकाबले का मजा लो बाकी में सब देख लूंगा ,तुम्हे भी लड़ने का बहुत शौक है ना ,यहा तुम्हारी हर मुराद पूरी होगी लड़ने की ,जो तुमसे भिड़े उसे एकदम बुरी मौत मारना है तुम्हे ,किसिको भी जिंदा मत छोड़ना ,सिर्फ अगर हम दोनो अगर सामने आए तो तुम लडने से पीछे हट जाना ,
भिमासुर तो खुशी से फुला नही समाया लड़ने और मुकाबले को सुनकर ,वो एकदम खुशी से ,एकदम मंजूर है मेरे भाई भोगासुर ,चलो चलते है मुकाबले में हम ,आज बहुत सालो बाद किसी पापी को मारने में बड़ा मजा आने वाला है ,
भोगासुर ,यह हुवीं ना बात चलो में तुम्हे ले चलता हूं मेरे साथ ,इतना कहकर दोनो मुकाबला जहा चल रहा था ,उस तरफ दोस्तो की तरह बाते करते चले गए ,दरअसल काल जब सिंहार बना था और सिहलोक में 6 साल रहा तो उसे राजगुरुं और महारानी उमा ने बहुत कुछ बताया था ,काल की दिव्य दृष्टि की पहचान , उसका इस्तेमाल सब उसे महारानी उमा ने ही सिखाया था ,डरलोक के बारे मे भी उसे बहुत सी बातें पता चली थी और इसी वजह से काल यहा पर आया था, (दोनो के सेक्स सिन भी आगे आने वाले है जब वो काल की मदद करने धरती पर आएगी, महारानी उमा काल की नही शिवा की खास बनने वाली है आगे चलकर )
भोगासुर और भिमासुर जब उस मुकाबले वाली जगह पर पहुचे वहां पर बहुत ही ज्यादा भीड़ थी ,हर तरफ असुर मदिरा पीते ,जोरजोर से हसते मैदान के बीचोबीच होने वाली लड़ाई का आंनद ले रहे थे ,दोनो जब वहाँ पहुंच गए तो मुकाबले में अपना नाम दर्ज कराने वो सिपाहियों की तरफ चले गये ,जहा बहुत से असुर कतार में खड़े होकर अपना नाम बताकर उसमे भाग ले रहे थे ,दोनो ने भी अपना नाम दर्ज कराकर सब असुरों के साथ मैदान के एक भाग में आकर बैठ गए ,इस जगह सिर्फ मुकाबले में हिस्सा लेने वाले असुर ही अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे ,दोनो उन सबमे आकर बैठ कर मुकाबला देखते उनकी बातें ध्यान से सुन रहे थे ,
एक असुर अपने साथ वाले से बोल रहा था ,क्या बात है आज सभी डरलोक के असुर मैदान में जमा हो गए है ,इस बार कुछ खास है क्या मुकाबले में ,
दूसरा वाला ,तूने सुना नही क्या पागल सैनिकों के मुह से इस बार मुकाबला जितने वाले असुर को राक्षस राज भुजंग की सेना में शामिल होने का मौका है ,डरलोक के असुरों का मुकाबला इस बार आपस मे नही बल्कि महाराज भुजंग के बेटे कनक की खास टुकड़ी से है ,युवराज कनक भी यहा पर आए है ,वो महाराज भुजंग के सबसे छोटे युवराज है ,अपने सभी 1000 भाइयो में वो सबसे छोटे और लाडले है ,युवराज कनक इतने बलशाली है कि वो अकेले पूरे डरलोक के सभी असुरो को एक झटके में खत्म कर सकते है ,डरलोक के महाराज पलासुर भी उनसे बहुत डरते है ,मैंने तो यह सुना है युवराज कनक हमारे महाराज की इकलौती बेटी बकुला के दीवाने है ,और इस बार वो बकुला को अपने साथ लेकर राक्षस लोक जाने वाले है ,और अंदर की बात सुन बकुला को कनक बिल्कुल पसंद नही है ,वो कनक से बहुत नफरत करती है ,इस मुकाबले में आज कनक सिर्फ बकुला को अपनी ताकद और सभी डरलोक के असुरो की उसके सामने क्या औकात है यह बताने वाला है ,कनक के इनाम का लालच ऐसा रखा है जिस वजह से सब इस बार मुकाबले में लडने आये है ,मुझे भी खुद पर इतना यकीन नही है कि में उसके आदमियों के सामने टिक पाऊंगा ,पर मेरी बीवी से मेरी जरा भी नही पटती ,उसने मुझे कायर कहा वो कहती है कि में डरपोक असुर हु ,उसे आज में मुकाबले में हिस्सा लेकर दिखाने वाला हु की में क्या चीज हु ,
पहले वाला ,अरे पागल तुझे मरने का शौक है तो अकेला मरता ना ,मुझे क्यो ले आया यहा मरने के लिए ,मुझे यह सब पहले क्यो नही बताया तूने हरामी ,
दूसरा वाला ,ही ही ही साले तूने ही तो मेरी शादी कराई थी ना ,तेरी बड़ी बहन है ना मेरी बीवी ,तेरी वजह से ही मेंनें उसके साथ शादी की ,बड़ा कहता था तु मेरी बहन बहुत बड़ी पापी है ,हर पाप कर चुकी है ,चुदाई की इतनी भुकी है कि तेरे खानदान के सब असुरो से दिन रात चुदती रहती है ,साली ने सचमुच कमाल कर दिया था मुझसे शादी होने के बाद ,एक साथ मेरे बाप ,और हम तीनो भाइयों से चुदकर भी ठंडी नही होती थी , साली खुद अपनी माया से चुत की जगह लंड बनाकर हमारे पूरे खानदान के असुरो की गांड़ मारती थी , आज तुझे भी तो पता चले गांड़ में लंड लेकर कैसा लगता है,ही ही ही ,
भिमासुर ,साला यह में क्या सुन रहा हु भाई ,आज कल की असुर औरते इतना बिगड़ गई है
भोगासुर ,यह सब हमारे इंसानों में घूमने का नतीजा है ,डरलोक के असुर धरती पर जाकर सब कुछ सिख रहे है ,अगर राक्षस राज भुजंग का आदेश नही होता कि कोई भी असुर या राक्षस किसी इंसान को नुकसान नही करेगा तो अबतक यह सब असुर धरती पर हवस का नंगा नाच करते ,
भिमासुर ,लेकिन भुजंग ने ऐसा आदेश क्यो दिया है सबको ,इंसान तो सबसे बड़े दुश्मन है राक्षस और असुरो के ,उनके जितना नुकसान तो उनके प्रजातियों का देवता तक नहीं कर सके है आजतक ,
भोगासुर ,हम यहाँ इसीलिए तो आये है भिमासुर ,बहुत से राज है जिसका पता करने में यहा पर आया हु ,युवराज कनक से हमे बहुत कुछ पता चल सकता है इसके बारे में ,आज भुजंग पे सीधा वार करने वाला हु में कनक को मारकर ,बहुत पाप कर लिये है इस कनक ने ,इसका आज इस डरलोक मे पहली बार डर क्या होता है पता चलने वाला है ,
भिमासुर, सब समझ गया भाई आज कनक की तुम जमकर बजाने वाले हो ,पर हमें भी थोड़ा मौका देना इनकी सेवा करने का ,
भोगासुर ,जरूर मेरे भाई शुरवात तुम ही करने वाले हो ,
और हुवा भी वैसा ही भिमासुर को पहले मैदान में लडने के लिए भेजा गया ,कनक के साथ आये उसके 50 राक्षस थे जिनमे बस एक ही राक्षस ने अबतक600 से ज्यादा असुरो को चुटकी में मसल दिया था ,उस राक्षस के सामने अब भिमासुर था ,जहा भिमासुर 60 फिट का था वही उसके सामने वाला राक्षस 100 फिट से ज्यादा लम्बा चौड़ा था ,जब भिमासुर उसके सामने पहुंचा तो वो राक्षस जोर से हसने लगा ,भिमासुर को देखकर उसने हसते हुवे कहा ,क्या बे मच्छर तुझे मुझसे डर नही लग रहा ,तेरे से ज्यादा बड़े और ताक़दवर असुर मेरे एक वार से मर गए ,तू तो मेरी फूक से उड़ जाएगा ,लगता है तुझे मरने की बहुत जल्द है ,में आज कम से कम 1000 असुर मार के उनकी आत्मा को अपना गुलाम बनाकर रहूंगा ,चल मेरे पास ज्यादा वक्त नही है ,तुझे मारकर दूसरे असुरो का नंबर भी तो लगाने है आज ,इतना कहकर उसने जोर से एक झापड़ भिमासुर को मार दी ,उसे लगा भिमासुर एक झापड़ से उड़ कर मर जायेगा ,उसने ऐसे ही बहुत से असुर एक झटके में मारे थे ,पर भिमासुर को झापड़ लगने के बाद भी कुछ ना होते देख और उसको अपने सामने हँसता देखकर उसे आश्चर्य हुवे जहा इससे बड़े असुर एक झापड़ में मर गए थे ,यह छोटा असुर मेरी झापड़ खाकर हिला तक नही और अपनी जगह खड़ा होकर हस रहा है ,
भिमासुर ने उसे कहा, बेटा बहुत बोलता है तू ले अब देख में तुझे दिखता हु झापड़ कैसे मारते है ,भिमासुर ने अपना आकार उस राक्षस जितना करके उसे एक झापड़ जड़ दिया ,वो राक्षस भिमासुर के एक झापड़ से उड़ता हुवा दूर जाकर गिरा ,उसका पूरा गाल फट गया था ,उस राक्षस के मुह से पूरा खून बह रहा था ,अबतक पूरे मैदान में राक्षस के झापड़ खाने के बाद भी भिमासुर को खड़ा देखकर शांति पसर गई थी ,पर जैसे ही भिमासुर ने उस राक्षस को एक झापड़ में अपनी जगह से उड़ा दिया सारे असुर खुशी से अपने असुर भाई की ताकद से ख़ुशी से झूम उठे ,वो जोर जोरसे चिल्लाने लगे ,आज यह पहला असुर था जिसने इस राक्षस को मुहतोड़ जवाब दिया था ,उन्हें बड़ी खुशी मिल रही थी उस राक्षस के ऐसा एक ही वार में जमीन पे पड़ा देखकर ,सारे असुर ही नही महाराज पलासुर और कनक भी इस असुर की ताकद से हैरान थे ,सबसे ज्यादा खुश तो बकुला हुवीं थी जो कबसे असुरों को मरते देख रही थी ,बकुला अपनी जगह से खड़ी होकर जोर जोर से तालिया बजा रही थी ,उसे कनक और उसके साथियों से बहुत ज्यादा नफरत थी ,कनक के साथी को ऐसा हाल देखकर उसे बड़ा आनंद मिल रहा था ,अपने असुरलोक के ऐसे बहादुर असुर के पराक्रम से उसे कनक को चिढ़ाने का अच्छा मौका मिल रहा था ,
कनक ,महाराज पलासुर तुम्हारे डरलोक में कोई ढंग का असुर दिखा मुझे आज ,मेरे सबसे कमजोर बन्दे से अच्छा लड़ रहा है ,पर बिचारा जल्दी मर जायेगा मेरे किसी आदमी के हाथों ,राजकुमारी बकुला की तरफ शैतानी हँसी से देखता कनक बकुला को चिढ़ा रहा था ,पलासुर भी अपने डरलोक के असुर के पराक्रम से अचंभे से हैरान था ,जिस राक्षस के सामने वो खुद खड़ा होने की हिम्मत नही कर सकता ,उस राक्षस को इसने एक झापड़ में गिरा दिया,उस कनक का डर लगने लगा था ,कही अपने राक्षस के हारने से कनक चिढ़ गया तो पूरे डरलोक को तबाह कर देगा वो एक पल में ,
इधर मैदान में भिमासुर का थप्पड़ खाने के बाद वो राक्षस अपने जगह से उठा ही नही था वो तो कबसे परलोक चला गया था ,भिमासुर अपने मन मे साला यह कही मर तो नही गया एक झापड़ से ,फिर भी मेंनें इतने जोर से मारा भी नही था ,साला इसको अच्छी तरह फोड़ना था ,पर साला यह तो बहुत जल्दी टपक गया ,चलो इसकी कसर किसी दूसरे पर उतार दूँगा ,अपने राक्षस साथी को उठता न देखकर कुछ राक्षस मैदान में आकर उसे देखने लगे तो भौचक्के हो गए अपनी साथी को मरा देखकर ,उन सबको अब अपने साथी को मारने वाले असुर पर बहुत ज्यादा गुस्सा आने लगा ,उन्होंने कनक को अपने बन्दे के मरने की बात इशारे से बता दी ,कनक ने अपने दूसरे तगडे बन्दे को अंदर लडने के लिए भेज दिया ,
बकुला हसकर बोली ,एक झापड़ में आपका आदमी मर गया था हमारे असुर के सामने यह टिक पायेगा ना हमारे असुर के सामने ही ही ही
कनक ,बकुला मेरे पास बहुत से ऐसे आदमी है जिसके एक वार से भी यह असुर नही बचेगा ,देखना तुम इस बार तुम्हारे असुर का क्या हाल होता है ,पर कनक की यह बात मुह में ही रह गई दूसरे राक्षस को तो कोई मौका भी नही दिया भिमासुर ने ,एक मुक्के में ही उसने उस राक्षस की खोपड़ी ही उड़ा दी ,भिमासुर के सामने जिसे कनक भेजता उसकी एक ही झटके मौत हो रही थी ,भिमासुर ने 10 राक्षसों को एक एक वार में ही मिटा दिया था ,बकुला इस असुर के पराक्रम से बहुत खुश थी ,उसे बहुत पसंद आने लग गया था यह असुर ,जिसने कनक के घमण्ड को आज सबके सामने तोड़ दिया था ,कनक का अगला कोई राक्षस मैदान में आता तभी भिमासुर ने चिल्ला के कहा ,एक नही तुम 10 मिलकर मुझसे लड़ो ,में तुम्हे खुद चुनौती देता हूं तुम 10 मिलकर मेरा मुकाबला करो ,कनक अपने आदमियों के लगातार मरने से चिढ़ गया था और बकुला उसे हसकर और आग में घी डाल ने का काम कर रही थी ,कनक ने अपने आदमियों को हा कहकर 10 राक्षसों को अंदर भेज दिया ,पूरा मैदान अब भिमासुर के पराक्रम से खुश था वो लगातार चिल्ला कर उसका समर्थन कर रहे थे ,भोगासुर ने सबको उसका नाम बता दिया था ,पूरे मैदान में भिमासुर के नाम के नारे लग रहे थे ,भिमासुर भी अपने नाम की गूंज से खुश हो रहा था इसी खुशी में उसने 10 राक्षसों को भी चुटकियों में मसल दिया था ,बकुला तो खुशी से अपनी जगह नाचने लगी थी ,उसने कनक को चिढ़ाकर कहा ,हमारे भिमासुर के सामने आपके आदमी तो मिटी के शेर निकल गए ,और कोई है जो हमारे भिमासुर को टककर दे सके
भिमासुर ने इस बार कनक के जख्मो पर नमक लगा दिया ,उसने 20 आदमियों को एक साथ ललकार कर सबको कुत्ते की तरह भगा भगा के मारा था ,और बाकी 30 को भी उसने मैदान में बुला लिया था ,पर जब भिमासुर ने सभी 30 राक्षसों को भी मार दिया कनक गुस्से से पागल होकर खुद मैदान में कूद गया था ,जिसकी वजह से सभी एकदम शांत हो गए थे ,सबको कनक की ताकद का पता था ,पलासुर की तो डर के मारे गांड फट गई थी ,बकुला को भी अब भिमासुर की चिन्ता होने लगी थी ,उसे भिमासुर के साथ एक लगाव हो गया था ,उसे कनक के हाथोंसे मरना पसन्द नही आने वाला था ,उसकी आँखों मे आसु आ गए थे भिमासुर कि मौत के बारे में सोच कर
कनक गुस्से से लाल पिला होकर भिमासुर को देख कर बोला ,आज तेरी मौत मेरे हाथों से लिखी थी भिमासुर ,देख कनक तुझे कैसे बुरी मौत मारता है ,
भिमासुर हसकर ,तो तू है कनक ,मुझसे लडने से पहले या मुझे मारने का ख़्वाब देखने वाले तुझे तो मेरा दोस्त ही मसल देगा ,तू पहले उसे हराकर दिखा फिर मुझसे मुकाबला कर ,करेगा मेरे दोस्त से मुकाबला या भाग जाएगा उसको देख कर हा हा हा
कनक गुस्से से कांपते हुवे बोला ,बुला तेरे दोस्त को पहले उसे मारता हु तेरे सामने फिर तेरी भी गर्दन काटकर तुझे सबक सिखा दूँगा, यही तो चाहिए था भिमासुर को ,उसने और भोगासुर कि यही तरकीब थी कि कनक को चिढ़ाकर उसे भोगासुर से लड़ने पर मजबूर कर दे ,और वैसाही हो रहा था अबतक ,सब लोगो ने भिमासुर के पराक्रम को देख लिया था ,अब सब भिमासुर के दोस्त को देखने के लिये उत्सुक थे ,जो कनक को हरा सकता है ऐसा भिमासुर को विश्वास था ,जब सबके सामने भोगासुर आया तो उसको देखकर सब खुश थे ,भोगासुर तो बहुत ज्यादा तगडा और बलवान लग रहा था ,जो अपना आकर कनक के जितना 120 फिट का बनाकर ही मैदान में आया था ,कनक भी भोगासुर के तगडे बदन से प्रभावित हो गया था ,
भिमासुर ने कहा ,यह है मेरा दोस्त भोगासुर ,कनक लड़ेगा मेरे दोस्त से
कनक हसकर ,माना तुम बहादुर हो भिमासुर पर तुम सिर्फ मेरे उन आदमियों से ही जीते हो जो मेरे सामने कुछ नही थे ,एक लाख उन जैसे आदमी मेरे सामने एक पल में टिक नही पाते ,अब तुम्हे और भोगासुर को मारकर ताकद क्या होती है और कनक अपने दुश्मन को कैसी मौत देता है तुम्हे पता चलेगा हा हा हा ।
 
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Update 88
भोगासुर ने कनक के आंखों में देखकर कहा ,क्यो कनक लड़ोगे मुझसे या नही ,
कनक ,भोगासुर शायद तुमने मेरी बातों को सुना नही जो मैने तुम्हारे दोस्त से कही थी ,में यहाँ डरलोक से बकुला को लेकर जाने ही आया था और मेरे सोमलोक के दोस्त से हेमकेतु से मिलना था मुझे ,पर आज तुम दोनो की गर्दन को भी काटकर डरलोक में लटका कर जाने की मेंनें ठान ली है ,डरलोक को इस बात का अहसास हमेशा तुम्हारी कटी खोपडिया दिलाती रहेगी कि कनक से भिड़ने का अंजाम क्या होता है ,
भोगासुर ,तुम हेमकेतु से मिलने गए नही लगता अभीतक या तुम्हे कुछ खबर नही पोहची होगी सोमलोक से की हेमकेतु मर चुका है ,
कनक ,भोगासुर तुम बहादुर हो सकते हो पर तुम पता है हेमकेतु के पास मेरी सेना की एक टुकड़ी है जो लाखो की संख्या में वीर राक्षस योद्धाओ से भरी है ,उसके सेनापति गामासुर और डोंमासुर को देखकर ही तुम यहा से भाग जाते
भोगासुर ,कनक तू नीरा बावला है बे ,अरे हेमकेतु मर गया इसका मतलब तेरी सेना भी मरी होगी ना ,इतना भी नही समझ पाया तू ,कैसे युवराज बन गया तु पगले ,
कनक हसकर ,मेरी लाखो की टुकड़ी मारी गयी और हेमकेतु भी मारा गया ,ही ही ही ,किसने मारा उन सबको तूने या तेरे दोस्तने ही ही ही ,लगता है मुझे देखकर तुम डर के मारे पगला गये हो ,हि हि ही ,
भोगासुर हसकर ,तुझे यकीन नही होता ना ,ले यह तुम्हारी राक्षस लोक की मुद्रा जो सिर्फ तेरा बाप भुजंग देता है बनाकर अपनी माया से ,अपने खास योद्धाओ को ,यह दोनो मुद्रा पहचान सकता है ना तू ,इतना कहकर भोगासुर ने दो राक्षस मुद्रा कनक के पाव के पास फेक दी जो उसने गामासुर औऱ डोंमासुर के मरने के बाद उनके शरीर से निकाल ली थी ,
अपने पाव के पास पड़ी राक्षस राजमुद्रा को कनक पहचान चुका था ,उसने खुद यह अपने दो सेनापति गामासुर और डोंमासुर को दी थी ,उसकी आंखें आश्चर्य से बड़ी हो गयी थी ,क्योकि यह मुद्रा जबतक कोई राक्षस योद्धा मरता नही उसके शरीर से नही निकल सकती ,कनक भोगासुर की तरफ जलती आंखों से देखकर बोला ,कमीने भोगासुर अब तुझे कोई नही बचा सकता मुझसे ,तूने मेरी सेनापति की हत्या करके पूरे राक्षस लोक का अपना दुश्मन बना लिया है ,तूने जरूर कोई छल से मेरी सेना और उसके सेनापतियो को मार होगा ,वरना वो तुझ जैसे कीड़े से मरते नही ,
भोगासुर हसते हुवे ,चलो तुम्हे यकीन तो हुवा मेरी बात का ,तुम जैसे भोकते हो ना उसी तरह तूम्हारे सेनापति भी थे ,मालिक ही कुत्ता होगा तो उसके गुलाम भी तो कुते होंगे ,
उन दोनों की बाते डरलोक की सारी प्रजा अपना मुह आश्चर्य से खोल कर सुन रही थी ,डरलोक में यह पहला असुर था जो कनक के सामने खड़ा होकर उसकी गांड़ सिर्फ अपनी बातों से मार चुका था ,बहुत से डरलोक के असुर पलासुर की वजह से ही काली शक्ति की पूजा करते थे,डरलोक के सिर्फ कुछ असुर ही काली शक्ति की पूजा दिल से करते थे ,ना उन्हें पलासुर पसन्द था और ना कनक ,उन्हें नफरत थी राक्षसलोक और भुजंग से ,उनके हजारो भाई बहनों को गुलाम बनकर रखता था भुजंग और उसके सभी राक्षस लोक के राक्षस ,अपनी कमजोरी और मरने के डर से वह सभी जुल्म सहते थे ,पर आज कनक को जब भोगासुर ने यह बताया कि उसने कनक की लाखों की राक्षस सेना और काली शक्ति धारक असुरो को मार दिया है ,उन्हें बहुत खुशी हो रही थी ,भिमासुर के साथ यह भोगासुर भी डरलोक के अभी असुरो को अपना मसीहा लगने लगा था ,
कनक ने भोगासुर के ऊपर अपनी तलवार से एक जोरदार वार कर दिया जो भोगासुर ने अपने हाथ से ऐसे रोक लिया मानो कोई तलवार नही खिलोना पकड़ लिया हो ,कनक अपना पूरा जोर लगाकर अपनी तलवार भोगासुर के हाथों से निकालने की कोशिश कर रहा था पर उसे कामयाबी नही मिल रही थी उसने अपने दोनो हाथो से भी जोर लगाकर देख लिया था पर भोगासुर हसते हुवे एक हाथ मे तलवार पकड़ कर कनक के मजे ले रहा था ,भोगासुर ने अपने हाथ मे पकड़ी तलवार को एक झटके कनक से छीन लिया ,जिसकी वजह से कनक जमीन के ऊपर मुह के बल गिर गया ,उसका पूरा मुह मिट्टी से भर गया था ,सारा डरलोक कनक के इस हाल पर पेट पकड़ कर हस रहा था ,कनक शर्म और गुस्से से अपने मुह की माटी को साफ करते खड़ा हुवा ,पर भोगासुर ने उसके दोनो पैर एक ही वार में घुटने के ऊपर से उसकी तलवार से काट दिए ,कनक के मुह से एक दर्दनाक चीख निकल गई ,बिना पैरों को वह जमीन पर गिरा ,दर्द से तड़प रहा था ,भोगासुर ने दो और वार करके कनक के हाथ भी उसके कंधे तक काट दिये ,कनक बिना हाथ पांव के जमीन पर पड़ा जोर जोरसे चिल्ला रहा था ,
तभी पलासुर ने खड़े होकर कहा ,रुक जाओ भोगासुर ,सैनिकों पकड़ लो इस भोगासुर और भिमासुर को ,युवराज कनक को कुछ हो गया तो पूरा डरलोक तबाह कर देंगे महाराज भुजंग ,पर पलासुर की बात सुनकर कोई भी सैनिक आगे नही बढा ,जो कनक जैसे के हाथ पांव काट सकता है ,उसकी लाखों की सेना को मार सकता है उसके सामने कोन मरने जाएगा ,सब सैनिकों को अपना आदेश न मानते देखकर ,पलासुर खुद आगे आ गया पर वो कुछ बोलता या करता उससे पहले राजकुमारी बकुला ने उसके सर को अपनी तलवार से काट दिया ,सारा डरलोक सन्न हो गया यह देखकर ,बकुला ने पलासुर की लाश पर थूक कर कहा ,पापी असुर ,तूने मेरी माँ को इस कनक के नीचे सुलाया अब मुझे भी इसकी हवस का शिकार बनना चाहता था ,पर में अपनी माँ की तरह खुदकुशी नही करने वाली थी ,तुझे और इस कनक को मारकर ही मेरी माँ का बदला पूरा करने वाली थी में ,भोगासुर में चाहती हु की में खुद इस नीच का गला काट दु ,मुझे इसे मारने का मौका चाहिए इसके बदले में तुम्हे डरलोक का राजा बना दुंगी ,
भोगासुर ,राजकुमारी बकुला आप ही इस मारिये पर जरा कुछ बाते इस कनक से जान लू बाद में आप इसको जैसे चाहे वैसे मार सकती है ,और राजा में नही मेरा दोस्त भिमासुर बनेगा इस डरलोक का और आप उनकी पत्नी
राजकुमारी बकुला भोगासुर के बातो से शर्मा गयी और भिमासुर खुश होकर भोगासुर के गले लग गया ,तुम्हे कैसे पता चला में बकुला को पसन्द करने लगा हु ,
भोगासुर ,मुझे क्या पूरे डरलोक को पता चल चुका है दोस्त जिस तरह बकुला की खुशी के लिये ,उसे हँसाने के लिये राक्षसो को मार कर उसकी तरफ देख रहे थे ,कोई भी जान लेता तुम्हारी दिल की बात को ,
तभी नीचे लेटा कनक बोला ,भोगासुर तू बहुत जल्दी मरेगा और यह भिमासुर भी मरने ,भिमासुर ने उसकी बात खत्म होने से पहले ही उसके कमर में एक लात मार दी जिसकी वजह से कनक चिल्लाते हुवे दूर जा गिरा ,
भिमासुर ,हरामी मेरे शादी के बारे में बाते चल रही है और अपने मुह से ऐसी अशुभ बात कर रहा है भड़वे
भोगासुर हसकर ,अरे मर तो नही गया कनक
भिमासुर ,नही मेंनें ज्यादा जोर से नही मारा था ,बस हल्की सी लात मारी है ,इस पापी को तो सिर्फ मेरी बकुला ही मारने वाली है
भोगासुर हसते हुवे बोला ,मेरी बकुला ,अरे पहले बकुला से पूछकर तो देख ,क्या पता तू उसे पसन्द न हो ,
बकुला हड़बड़ाहट में बोल पड़ी ,जी ऐसी कोई बात नही है मुझे भिमासुर पहली नजर में ही पसन्द आ गए थे ,
बकुला की बात सुनकर अब भिमासुर भी भोगासुर के साथ हसने लगा था बिचारी बकुला अपनी बातों से और दोनो के हसने से शर्म से लाल हो गयीं थी ,
भोगासुर ,चल जरा देख तो सही कनक जिंदा है मर गया कुछ बताने से पहले ,दोनो चलकर कनक के पास आ गए ,कनक के हालात बहुत बुरी थी ,पहले भोगासुर ने हाथ पांव काट दिये थे और भिमासुर कि हल्की लात से उसकी कमर की हड्डियां चुरा हो गयी थी ,वह दर्द से तड़प रहा था ,
भोगासुर ,देखा तेरी हल्की लात का कमाल पूरी कमर की हड्डियों को चुरा कर दिया तूने,क्यो कनक कैसा लग रहा है तुझे ,ना तेरे पास हाथ है ना पाव कैसे गर्दन काटेगा अब तू हम दोनो की ,अब समझ आया कौन कीड़ा है तुझे ,
कनक ,मेंनें तुम्हे बहुत कम आका लिया भोगासुर पर तु मुझे मार भी देगा तो भी में तुझे कुछ बताने वाला नही ,तू कर ले कोशिश ही ही ही
भोगासुर ,कनक मुझे एक ही बात पता करनी है ,तेरे बाप भुजंग ने सब असुरो और राक्षसों को धरती के इंसानो पर हमला करने या मारने से क्यों रोक रखा है ,
कनक ने अपना मुह नही खोला वो बस हस रहा था भोगासुर कि तरफ देख कर ,भोगासुर कुछ देर तक उसे देखता रहा उसने दूसरी बार भी कुछ नही कहा वो शांत ही खड़ा होकर कनक के चेहरे को देख रहा था ,कनक हसकर बोला ,क्यो भोगासुर ,तुम्हे क्या लगा में मौत की डर से सब तुम बता दूँगा ,मुझे तकलीफ़ देकर भी देख ले जितना तुझमे दम है ,पर मेरा तू मुह नही खोल सकता ,
भोगासुर ने बकुला को अपने हाथ मे पकड़ी कनक की तलवार देकर कहा ,लो बकुला इस तलवार से इसकी गर्दन काटकर मार दो ,मेरा काम हो गया ,
कनक हसकर बोला ,भोगासुर में मरके भी तुझे हरा गया ,तू हार गया भोगासुर ,तू हार गया ,
भोगासुर कनक से हसके बोला ,पगले तूने सुना नही मेंनें बकुला से क्या कहा अभी ,तेरे दिमाग मे अभीतक कुछ घुसा नही ना हां हा हा
कनक कुछ देर सोचकर हकलाते हुवे बोला ,इसका मतलब तुम मेरे मन की बात पढ़ सकते हो ,दृष्ट असुर इसे धोका देंना कहते है ,तू कायर है भोगासुर
बकुला ने आगे आकर भोगासुर से तलवार लेकर एक ही झटके में उसकी गर्दन काट दी ,कनक के मरते ही वो तलवार बकुला के शरीर मे समा गई ,बकुला और भिमासुर यह सब देख कर हैरान हो गए ,भोगासुर ने कनक के जिस्म से निकली राक्षस राजमुद्रा अपने पास रख ली ,भोगासुर ने फिर भिमासुर और बकुला की शादी बड़े धूमधाम से डरलोक में सब असुरलोग को शामिल करके करा दी ,डरलोक ने भिमासुर को अपना नया राजा मान लिया था और बकुला को महारानी ,भिमासुर उन दोनों के सुहाग रात के पहले मिलने गया ,उसने उन दोनों से विदा लेने से पहले कुछ बाते बता दी ,भिमासुर और बकुला आजसे डरलोक का नाम असुरलोग कर देना ,यहा पर जितने भी काली शक्ति धारक असुर है उन्हें सुधरने का एक मौका देना ,उसके बाद भी कोई तुम्हे काली शक्ति की साधना करतें हुवे मिला तो उसे तुम्हे जो सही लगे वो सजा देना ,आज से तुम यहा के महाराज और महारानी बनकर इसे अच्छे से सम्भालना ,तुम दोनो के बहुत से सवाल है ,जिसका उत्तर तुम्हे में देकर जाऊँगा ,कनक के साथ मे मेंनें तुम्हे लडने से मना करने की वजह थी उसके अंदर भी तुम्हारी तरह कभी न मरने और जख्मी होने की शक्ति थी ,तुम दोनो आपस मे हजारो बर्षो तक भी लड़ते रहते तो नतीजा नही निकल सकता था ,कनक के पास जो दिव्य तलवार थी वहीं उसकी सबसे बड़ी ताकद और कमजोरी थे ,कनक अपनी तलवार के वार से ही जख्मी होता या मर सकता था ,अगर उसके हाथ से कोई तलवार छीन ले और उसी तलवार से उसपे वार कर दे ,तभी उसकी तलवार का मालिक कनक पर वार करने वाला बनता ,उसका पहला मालिक में बना और दूसरी कनक को जान से मारकर बकुला बन गई है ,उस तलवार से अपने अंदर से तुम कभी मत निकलना बकुला ,जबतक वो दिव्य तलवार तुम्हारे अंदर रहेगी कोई तुम्हे कभी ना जख्मी कर सकेगा ना मार पायेगा ,मेंनें कनक को इस लिये इतना भड़काया था कि उसकी तलवार से मुझपर वो वार कर दे ,अगर वो तलवार से वार नही करता तो शायद में भी उसे हरा नही सकता था ,कनक ने यह तलवार पातालभैरवी की पूजा से प्राप्त की थी ,जिसको बहुत से गलत कामो में उसने इस्तेमाल किया था ,अब वो तलवार सही हाथो में है ,तुम अपने अंदर से तलवार निकाले बिना ही उसके जैसे कितने ही शस्त्र बना सकती हो ,कनक अपने गुस्से में यह बात भूल गया था ,लेकिन बकुला इस बात का तुम हमेशा खयाल रखना ,भिमासुर आजसे तुम हमेशा असुरलोग के राजा बनकर अपनी जिंदगी गुजारना, मुझे तुम्हारी मदद की आवश्यकता होने पर में तुम दोनो को जरूर याद करूँगा ,हमेशा सच्चाई और भले की राह पर तुम दोनो चलोगे और असुरलोग को भी अपने जैसा बना दोगे ,इस बात का मुझे पूर्ण विश्वास है ,चलो बहुत ज्ञान की बाते हो गईं में चलता हूं ,मुझे अब जरा राक्षस लोक का भी एक चक्कर लगाना है ,मेरी कभी भी जरूरत हो तो मुझे बस याद कर लेना भिमासुर में तुमसे जीवनभर के लिये जुड़ा हु ,चलो में निकलता हु ,भिमासुर ने भोगासुर के पैर छूने चाहे तो भोगासुर ने उसे गले लगा लिया और कहा ,तुम मुझसे उम्र में और मान में बड़े हो भोगासुर और रहोगे ,
भिमासुर ,और कनक की मन की बात नही बोलोगे की तुम्हे क्या पता चला उसकी मन की बात से ,या में इस काबिल नही हु ,
भोगासुर ने उसे और बकुला को कनक के मन की सारी बात बताई जो आप सबको आगे पता चल जाएगी ,उसके बाद दोनो से विदा लेकर भोगासुर वहां से चला गया ,
बकुला ,आपका दोस्त भी बहुत अच्छा असुर है ,मेंनें पहला असुर देखा है जीवन मे जो किसी ताकद का भूका न हो ,उसने तो मुझे एक दिव्य तलवार इतनी आसानी से दे दी ,
भिमासुर ,बकुला वो दोस्त नही मेरा मालिक था ,में आजीवन उसका गुलाम हु ,फिर भी उसने मेरी खुशी के लिये मेरा विवाह तुमसे कर दिया इतना ही नहि इस असुरलोग का महाराज बनाकर मुझे मुक्त भी कर दिया ,उसे ना ताकद की भूक है ना सत्ता की और सबसे बडी बात वो एक असुर नही एक इंसान है ,लेकिन दिल का भगवान
बकुला भोगासुर की असलियत जानकर हैरान हो गयी उसके मन मे पहले जो आदर था वो एक सन्मान में बदल गया ,
बकुला ,आप को खुशी देने वाले इस इंसान को आजसे में भगवान मान कर चलूंगी ,उनके ऊपर कोई भी मुश्किल आयी तो सबसे पहले उसके सामने में खड़ी रहुंगी उनकी ढाल बनकर ,
भिमासुर ,सिर्फ तुम नहीं हम दोनो रहंगे बकुला ।
 
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Update 89

भोगासुर पाताल में चला गया और शिवा सर्पलोक में जाकर धरती लोक के 1 घण्टे बाद वापिस आ गया ,उसके वापस आते ही उसके भोगासुर वाला प्रतिरूप को छोड़कर बाकी के 9 प्रति रूप भी उसमे आकर समा गए जिनको शिवाने सिहलोक से धरती पर आने के बाद कही भेजा था ,उसने अपने प्रतिरूप माही ,शांती की तीसरी लड़की पायल ,मनीषा और हेमा की दोनो लडकिया रिना और मधु ,सीमा की दोनो लड़कियां रीमा ,नेहा ,नीलम की दोनो लडकिया रोमा ,दिया और नंदिनी की बेटी जूही के पास भेजकर उन सबके हाथ अपने दिल पर स्पर्श कराकर देखा था ,नीलम और नंदिनी की बेटीयो के छोड़कर बाकी सभी लड़कियों में उसे स्पर्श करने के बाद उसके दिल ने उनको पहचान लिया था ,माही में अग्नि तत्व ,पायल जल तत्व ,रिना में पृथ्वि तत्व ,मधु में वायु तत्व ,रीमा में आकाश तत्व ,और नेहा में बिजली तत्व उसके दिल ने पहचान लिया था ,शिवा अपने कमरे में हसकर मन मे बोला अजीब रिश्ता है मेरा नेत्रा के खानदान से इनके घर की हर औरत मेरे लिये ही बनी है जैसे सबकी मा भी मेरी है और बेटिया भी ,बस मनीषा और हेमा भी मुझसे बच्चे की मांग न कर दे ,साला धरती पर जिसके साथ शादी होंनी है उनकी माँ भी मुझसे चुदने वाली हीं निकली ,कही सब मा बेटिया एक वक्त में मुझसे गर्भवती हो गयी तो बड़ी परेशानी होगी कौन किसका क्या रिश्ते में लगेगा इसका पता चलना मुश्किल होगा ,चलो बेटा शिवा इन सबको एक साथ पटाना होगा और शादी भी करनी होगी ,अच्छा हो गया मेरे पास सिंहार की ताकद है ,शिवा ने अपने 6 प्रतिरूप बनाकर उन सबकी शक्कल और अलग नाम से माही ,पायल ,रिना ,मधु ,रीमा और नेहा का दिल जीतकर उन्हें अपना बनाने का काम दे दिया ,शिवा को शिवानी की तकलीफ जल्द दूर करनी थी पर लड़कियो को अपने सच्चे प्यार का विश्वास दिलाकर उनका दिल जीतने का काम जल्दी नही होगा, उसके लिए उसके सभी प्रतिरूप को बहुत मेहनत करनी थी ,सुबह का चाय और नाश्ता करने जब वो हॉल में आया तो सब लोग आज टीवी पर ब्रेकिंग न्यूज़ देख रहे थे ,पूरे हिंदुस्तान में तहलका मचा हुवा था ,हर तरफ एक ही खबर दिखाई जा रही थी 50 शहरों में 20 हजार नामी गुंडे ,बदमाश ,फरार गुंडे ,बलात्कारी कटे हाथ पांव की हालत में मिले थे ,उनकी जुबान काटकर उन्हें अंधा बना दिया था ,उन सब के हालात सभी न्यूज़ चैनल दिखा रहे थे ,शिवाय का संदेश जो हर 50 शहरों के हॉल में लगा हुवा था ,उसे भी दिखाया जा रहा था ,पूरे हिदुस्तान में शिवाय के नाम की चर्चा हो रही थी ,शिवाय के इस कारनामे से वो गुंडों और बदमाशो के लिए एक बहुत बड़ा खतरा था, तो पुलिस और प्रशासन के लिये सिरदर्द बन चुका था,जिसके बारे में ना कोई सबूत था ,ना कोई सुराग ,आम जनता इन सब लोगो के हाल से बहुत खुश हो रही थी ,सब जगह लोक शिवाय को एक अच्छाई का मसीहा तो बुरे काम करने वालो का यमराज मान रहे थे ,आज तो उनके सॉफ्टवेयर चैलेंज के काम को भी बन्द करने का सोच लिया था सबने मिलकर इसी वजह सब लोग आराम से चाय नाश्ता करते शिवाय के बारे में बात कर रहे थे ,उन सभीके नजरो में शिवाय हीरो ही था ,शिवाय जो काल बनकर बैठा था खुशी से सबकी बाते सुन रहा था ,नेत्रा ,केतकी ,हिमांनी ,और शिवानी को पता था यह काम करने वाला शिवाय उनके बीच मौजूद है ,उन चारों ने शिवाय को शाबाशी दे दी थी बातो बातो में ,शिवा को तो सब पता ही था सबकुछ लेकिन उसने भी सबके साथ मिलकर शिवाय की दिल से तारीफ की ,शिवा कुछ देर उनसे बाते करता रहा फिर कॉलेज के बहाने से घर से निकल गया ,शिवाने अपने एक प्रतिरूप को आजसे रोज कॉलेज भेजने का सोच लिया था ,शिवा ने बाहर आकर नेत्रा को फोन करके मिलने को बुला लिया आज उसको नेत्रा से कुछ बाते करनी थी ,काल ने अपने एक प्रतिरूप को नेत्रा बनकर सबके साथ रख बिठा लिया था ,शिवा के पास जब नेत्रा पहुंच गयी तो दोनों एक शांत सी जगह पर आ गए ,शिवाने नेत्रा को केतकी से लेकर सिहलोक तक कि कहानी बता दी ,उसने यह भी बता दिया कि 6 तत्व की लडकिया कोई और नही उसकी सब चचेरी और मौसेरी बहने है ,नेत्रा कुछ देर सब सुनने के बाद शांत होकर सोचती रही और बोलने लगी ,शिवा मुझे पता है ,तुम सब जान गए होंगे ,तुम्हे जरूर पता चल चुका होगा कि सब मेरी सौतेली बहने है ,लेकिन मुझे दुख न हो इसलिए तुम उनको मेरी चचेरी और मौसेरी बहने बता रहे हो ,में नेत्रा के साथ कालनेत्री भी हु ,मुझे पता है कि तुम हवसी या शरीर के भूखे नही हो ,में ,हिमांनी ,नरगिस ,सनम और उसकी सब बहने तुम्हारे एक इशारे पर तुम्हारे साथ सोने को तैयार होने को तैयार है पर तुम कभी आंख उठाकर हमे देखते नही , तुम बस अपनी जिम्मेदारियों के चलते कुछ शादिया कर रहे हो ,ना इसमें तुमको मजा आता है ना तुम ऐसा करने की इच्छा रखते हो ,शिवा जब हम पर दुनिया की सबसे बड़ी जिम्मेदारी हो तो कुछ कड़े फैसले हमे लेने पड़ते है ,यह तुम्हारी, मेरी ,या मेरी बहनो का नही अरबो लोगो की जिंदगी का सवाल है ,अगर तुम किसी का दिल दुखने से या किसी को ठेच पोहचने वाले ख्याल से पीछे हट जाओगे तो यह ठीक बात नही होगी ,ना तुम सोते हो ,ना कभी चैन से बैठ पाते हो ,तुम्हारी उम्र सिर्फ 19 साल की है ,पर तुम अपने बराबर वाले लडको की तरह आम जिदंगी नही जी पा रहे हो ,इस बात का तुम्हे कोई गम नही है ,अपने सारे दुख दर्द दिल मे रखकर तुम सब यह कैसे कर रहे हो यह एक तो तुम जानते हो या भगवान ही जानते होंगे ,में तुम्हारी पत्नी हु ,तुम्हारी अर्धांगिनी ,तुम्हारे सुखों के साथ तुम्हारे आधे गम ,तकलीफ़ भी मुझे मिलनी चाहिये ,पर तुम सिर्फ मुझे सुख ही देते हो ,तुम्हे एक बात बता दु तुम जो भी फैसला करोगे कभी गलत नही हो सकता ,जिसे खुद पिनाकीने चुना है ,जो त्रिशक्तियो की दी हुवीं जिम्मेदारी पूरी कर रह हो वो कभी गलत नहीं कर सकता ,में खुद को खुशनसीब मानती हूं कि मुझे तुम्हारे जैसा पतीं मिला है ,में कभी तुमसे दुखी नही हो सकती ,ना होउंगी , तुम्हारे आंखों में आसु देखकर मेरा दिल खून के आसु रोता है ,तुम हसते मुस्कुराते ही अच्छे लगते हो ,कभी आसु नही बहाना ,तुम मेरे पास रहो या दूर जब भी तुम उदास या दुखी होते हो मुझे पता चल जाता है ,यह बात हमेशा याद रखना ,
आज शिवा पहली बार नेत्रा को बाहो में लेकर दिल खोलकर रोया था ,और नेत्रा उसे अपनी बाहों में लेकर प्यार से उसे समझाती रही ,ना शिवा को कोई डर था नेत्रा को कोई बात पता चल जाएगी उसके छूने से और ना ही उसे पर्वा थी ,नेत्रा की बाते सुनकर शिवा समझ गया था कि वो बस शिवा की आत्मा का वो हिस्सा है जिसे शिवा ठीक से पहचान नही पाया था ,बेचारी के साथ शादी करके भी उसने एक पल प्यार का नही बिताया था ,बाकी जिनसे भी शिवा ने शादी की थी सबको उसने दिल खोल के प्यार किया था ,शिवा ने भले ही नेत्रा के साथ बाद में सुहागरात मनाने का सोचा था उसके पीछे एक खास वजह यह थी कि शिवा सारी शक्तिया हासिल करने के बाद नेत्रा के साथ सुहागरात मनाने की सोच रहा था ,ताकि नेत्रा अपनी खास शक्ति जो किसी के भी शरीर को बस छुकर अपने अंदर स्पर्ष करनेवाली की सभी शक्तिया अपने भीतर भी पा लेती है ,उस शक्ति से नेत्रा को अपने जैसा ही ताक़दवर बनाने का सोच रहा था ,लेकिन आज उसने नेत्रा के साथ सुहाग रात मनाने का सोच लिया था ,पर जब वो दोनो वहां से निकलने लगे तो नेत्रा ने शिवा से कहा ,आप की जब सब शक्तिया पूरी मिल जाये तभी हम सुहागरात मनाएंगे ,और आपको मेरी कसम है आप मेरी बात को टालने की कोशिश भी नही करेंगे ,
शिवा मन मे बोला मुझे छुकर मेरी इच्छा जान ली पर तुम्हे कीतने दिन तक और इंतजार करना पड़ेगा में यह भी नही जानता ,खुद के बारे में सोच तो लिया होता पागल ,इसे में प्यार ,समर्पण, त्याग क्या नाम दु नेत्रा ,सचमुच औरत ताकद होती है कमजोरी नही और तुम तो मेरी सबसे बड़ी ताकद बनोगी जो में रहूं या न रहू सब कुछ आराम से संभाल सकती हो ,
शिवा ने नेत्रा को घर छोड़ कर सर्पलोक चला गया ,आज उसका मन नही लग रहा था धरती पर वो सुबह 10 बजे नेत्रा को घर छोड़ने के बाद रात को 10 बजे ही घर लौटा था ,सर्पलोक में 50 दिन रहकर मंदा के साथ गुजारे ,मंदा ने भी शिवा को प्यार से उसकी सब बातें जानकर उसे समजाति रही ,दिलासा देती रहती ,आखिर शिवा भी अपने मन को कड़ा करके घर लौट आया ,शिवा के मन में दर्द इस बात का था ,की भले उसका काम दुनिया की भलाई के लिये हो ,पर इतनी शादिया और सबको वह समय नही दे सकेगा ना कभी प्यार कर पायेगा ,एक तरह से सबके साथ यह धोका ही था ,और अगर शिवा इस परीक्षा में मारा गया ,तो सबका क्या होगा ,इनका क्या होगा ,भले ही उसने काल2 को बना लिया था ,पर यह भी तो एक धोका ही हुवा ना सबके साथ ,शिवा का दिमाग इस वजह से काम करना बंद हो गया था ,नेत्रा ने सही कहा था भले शिवा के पास बहुत शक्तिया थी पर वो 19 बरस का एक लड़का ही तो था ,जो ऐसे रस्ते पर चल रहा था जहाँ उसकी मंजिल क्या होगी यह कोई भी नही जानता था ,शिवा जिस ढंग से फैसले लेकर आगे बढ़ रहा था उसे भी अंजाम से डर लगता था ,जिंदगी भर अनाथ रहा ,प्यार करने वाले मीले पर कब तक उनका साथ रहेगा इस बात का कोई भरोसा नही था ,बच्चों का सुख मिला पर क्या भविष्य में वह कभी उनको देखेगा या नही यह भी वो नही जानता था ,सबको खोने का डर शिवा को ज्यादा सता रहा था ,उसे अपनी मौत का नही बल्कि अपनो का साथ खोने का डर लग रहा था ,सबके लिये उसने काल 2 को बना दिया था जो शिवा की जगह लेकर सबको संभाल ले ,ताकि किसी को उसके खोने या जिंदा न होने का गम न हो ,पर वो एक गुमनामी की मौत मरने जा रहा था ,जहा उसके मरने के बाद भी किसी को अहसास तक नही होता कि शिवा अब जिंदा भी नही है ,आज शिवा ने सुनीता ज्वाला निता किसी के पास नही गया ,अपने कमरे में अकेला लेटा आंखों में आसु लिये अपनी गम में डूबा था ,तभी उसके आंखों को किसीके नाजुक हातो ने पोछकर उसे अपने सीने से लगा लिया यह नेत्रा थी जो शिवा के दर्द से तड़प कर उसके कमरे में आ गयी थी ,केतकी भी बेड के पास खड़ी थी और आज मंदा भी धरती पर आ गयी थी ,शिवा के पीछे ,उसके सबसे बडी चाहने वाली तीनो प्रेमिका उसे प्यार से चुप करती रही ,तीनो को शिवा किस बात से दुखी है यह तो नही पता चला था ,पर उसके गम का कारण उस ना पूछती किसी बच्चे की तरह वो शिवा को लेकर उसके बेड पर बैठी रही थी ,मंदा को छुकर ही उसके बारे में नेत्रा सब जान गई थी ,तीनो की प्यार की छावं में शिवा कब सो गया ये उसे भी पता नही चला ,
केतकी नेत्रा के मन मे बोली ,तुम कुछ पता चला कि शिवा आज इतना क्यों दुखी है ,एक बार शिवा बलिलोक में भी कुछ दिन उदास था ,पर वहां उसके कभी आसु नही आये थे ,
नेत्रा, नही केतकी शिवा के मन की ताकद बहुत ज्यादा है में उसके मन को पूरा नही पढ़ सकती ,जरूर कुछ ऐसी बात है जो शिवा हम सबसे छुपा रहा है ,आज सुबह भी उसकी आँखों मे आसु थे ,जिसकी वजह वो बता अलग रहा था पर वो वजह थी नही उसके रोने की ,मंदा तुम्हारे साथ तो शिवा 50 दिन रहा ,तुम्हे कुछ पता चला ,
( तीनो एक दूसरे के मन मे बाते कर रही है )
मंदा ,नही नेत्रा शिवा सर्पलोक में आकर आज आपकी सुबह की मुलाकात की बात बताकर ,और सिहलोक कि सारी कहानी को बताया ,मेंनें बहुत बार उनसे सच जानना चाहा पर उन्होंने कुछ नही बताया
तीनो काफी देर तक बाते करती रही मंदा 3 बजे सर्पलोक वापिस लौट गयी ,केतकी और नेत्रा शिवा के दोनो साइड से उसे अपने बाहो में भरकर सो गयी ,दोनो के सोने के बाद शिवा ने अपनी आंखें खोल ली ,में खुद को इतना कमजोर नही कर सकता ,मेरे साथ कुछ भी हो जाये आज के बाद में कभी आसु नही बहने दूँगा ,पहले से सबको मेरे वजह से बहुत कुछ बर्दाशत करना पड़ता है ,बिचारी मंदा मेरे छोटे बच्चे को छोड़ कर मेरे पीछे धरती पर आ गयी ,मुझे खुद को मरना पड़े तो भी चलेगा पर में कभी किसी पर गम का साया भी नही आने दूँगा , शिवा केतकी और नेत्रा को अपने बाहो में भरकर फिर अपनी आंखें बंद करके सो गया ।
 
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Update 90


शिवा की नींद खुली तब सुबह के 8 बज चुके थे ,बहुत दिनों बाद शिवा इतनी देर तक सोया था ,अपने आप को आधे घण्टे में तैयार करके हॉल में आ गया ,सब लोगो का चाय नाश्ता हो चुका था ,काल ने सबको यही बताया था कि शिवा देर रात तक पढाई कर रहा था ,वो आज थोड़ा देर से आएगा ,जिसकी वजह से ज्यादा किसी ने इस बात पर ध्यान नही दिया ,शिवा ने जल्दी से नाश्ता करके सबको कॉलेज जाने का बोलकर निकल गया ,उसने नेत्रा और केतकी को मन मे कह दिया कि वो अब ठीक है ,शिवाने अपने प्रतिरूप को कॉलेज भेज दिया अपनी बाइक पर और खुद भवानीगढ़ पहुच गया ,आज वो सर्पिणी और विशाखा से मिलने आया था ,भवानी गढ़ के जंगलों में उसने सर्पिणी और विशाखा को बारी बारी समयमनी में 12 घण्टे का बिताए दोनो की चुत की आग जो 5 दिन से काल के लन्ड से न चुदने से लगी थी ,उसे बुझाया ,फिर सिंहाली और मिहाली को एक साथ उसने समयमनी में चोदकर खुश कर दिया ,सिहलोक में तो काल तीनो मा बेटियो को एक साथ चोदा करता था ,11 बजे तक उन चारों को खुश करके वो सर्पलोक पहुँच गया वहा मंदा के साथ 5 दिन बिताकर 1 घण्टा असुरलोग जाकर माया और उसकी दोनो बेटीयो की नाराजगी अपने बड़े लन्ड से मिटाकर बुझाकर उन्हें समयमनी में 24 घण्टे चोद चोद कर खुश करता रहा ,आज शिवाने अपना पूरा दिन पाताल लोक ,अश्वलोक ,सिहलोक में बिताया अपने सब बच्चों से मिलकर काल भी आज बहुत खुश हो गया था ,सिहलोक के सब बच्चे अब जवान हो गए थे ,अपने महानाग ,कालअश्व और काल सिंह से सिख कर वो हर युद्धकला में निपुण हो गए थे ,काल के सभी प्रति रूपो ने नागदन्ती ,नमी ,दमी और सिहलोक कि शेरनियों से मिलकर अपनी संख्या नए बच्चों को जन्म देकर अच्छी खासी बढा ली थी ,नागदन्ती और शेरनियां की सन्तान आपस मे ही शादी कर चुके थे जब काल सिहलोक आया था तब ,सिंहाली और मिहाली को कालने सिहलोक बुलवाकर अपने चारों बेटो और महारानी उमा से हुवे 2 बेटो की शादी बाली की 6 बेटीयो से करवा दी ,सिहलोक में सिर्फ मा बेटा,और बाप बेटी आपसे में शादी या संभोग नहीं करते ,बाकी वहां सगे भाई बहन आपसे में शादी कर सकते थे ,महारानी उमा की दो बेटियों ने भी सिंहाली और मिहाली के बड़े बेटो से शादी कर ली थी ,कुछ ही दिन में सिहलोक में संख्या बहुत बढ़ने वाली थी ,तब महारानी उमा ने काल को बता दिया कि सिहलोक की संख्या करोड़ो नही अरबो में हो गयी तब भी सिहलोक में आराम से रह सकते है ,सिहलोक में जितनी आबादी होती है उतना बड़ा वो बन जाता है ,यहा के सभी सिहमानव शाकाहरी भोजन करते थे ,जो वहां हमेशा जादू से बन जाता था ,शिवा रात के खाने पर ही घर लौटा था ,शिवा जब अभी धरती पर नही होता तो उसका प्रतिरूप सही समय पर घर आकर शिवा की कमी खलने नही देता था ,शिवाने खाना खाकर नेत्रा और केतकी को बता दिया कि आज वो गरुड़ लोक जाने वाला है ,तो वो सुबह तक आ जायेगा गरुड़ लोक से ,सुनीता, ज्वाला और निता के पास न जाते हुवे आज 11 बजे ही वो भवानीगढ़ के मन्दिर पहुँच गया था ,काल ने आकाश में देखकर लामी और कामी क्या तुम दोनो मेरे साथ गरुड़ लोक चलोगी या में अकेला ही चला जाऊं ,काल के इतना कहते ही दोनो उसके मानवरूप सामने प्रकट हो गई ,
लामी और कामी ,हम कलसे आपकी प्रतीक्षा कर रहे है काल ,आप हम दोनो के एक हाथ को पकड़ लीजिये ,
काल ने जैसे ही उन दोनों के हाथ पकड़े दोनो उसे लेकर गरुड़ लोक में एक पल में ही लेकर आ गई ,काल गरुड़ लोक को देख रहा था ,सिहलोक की तरह ही यह भी बहुत विशाल और भव्य लग रहा था ,यहा पर सभी का कद मनुष्य के समान ही था ,बस गरुड़ रूप में उनका आकर अतिविशाल हो जाता था ,लामी और कामी कद में 6 फिट की सुंदर सी लडकिया दिख रही थी ,पर उनके नाक एकदम सुंदर और अनोखी चमक से अलग ही दिखती थी ,दोनो की आंखों में मानो किसी हीरे जैसा तेज था ,लामी की आंखे एकदम गहरी नीली थी ,तो कामी की एकदम हरी ,दोनो में बस आंखों के रंगों का फरक को छोड़ दे तो कोई भी अंतर नही था ,
लामी ,काल आपको हम सीधा राजगुरुं ओमी के पास लेकर चलते है ,उन्होंने कहा था कि आप के आने पर आपको सीधा उनके पास ही लेकर आना है ,
काल ,चलिये जैसा आप कहे ,काल ने सोच लिया था कि इस बार वो सिंहलोक में की हुवीं गलती यहा बिल्कुल नही करेगा ,वह सबके साथ आदर और सम्मान से ही बात करेगा,
दोनो बहने काल को लेकर एक बहुत ही विशाल मन्दिर के सामने लेकर आयीं ,काल यह है हमारा मन्दिर और राजगुरुं इसीमे रहतीं है ,काल को लेकर दोनो उस मन्दिर में पहुच गयी जहा पर एक रचनाकारजी की मूर्ति रखी हुवीं थी और उसके आगे एक लाल कपड़ो में बहुत ही तेजस्वी औरत बैठी हुवीं थी ,काल ने पहले रचनाकार जी के मूर्ति को नमन किया,फिर बाद में जैसे ही वो राजगुरुं वामी के पैर छूने झुका वो झटसे अपनी जगह से उठकर खड़ी हो गई और गुस्से में बोली, आप यह कैसा पाप कर रहे ,आपको ऐसा करते शोभा नही देता ,
काल अपने मन मे ,साला अब मेंनें क्या पाप कर दिया ,में तो इसके पैर ही तो पड़ने वाला था ,कही यह कुछ गलत तो नही समझ गई ,बेटा काल तेरी किस्मत ही गांडू है ,
लामी और कामी पेट पकड़ कर हस रही थी और राजगुरुं ओमी गुस्से से और लाल हो गयी थी ,दोनो काल के पास हसते हुवे आकर बोली ,आप डरिये मत काल सिहलोक जैसा आपके साथ यहाँ कुछ नही होगा ,हम सबको पता है सिहलोक में आपके साथ राजगुरुं बाली ने क्या किया था और उनको क्या सजा मिली थी सिंहाली और मिहाली से ,
काल अपने मन मे ,राजगुरुं ओमी की कोई गलती नही है इसमें मेरे हवस के चलते ही बेचारी मुझसे डर गई होगी ,उसे लगा होगा कि कही में उनकी साड़ी तो नही ,,,,,,,,,,,,,
लामी ,काल राजगुरुं ओमी हम दोनो से उम्र में छोटी है ,और सिहलोक कि तरह ही आपकी गरुड़ लोक हम सब आपकी पत्निया ही बनने वाली है ,इसी वजह से वो शर्मा कर आपसे ऐसे बात कर बैठी थी, यहा कोई भी पत्नी अपने पति को अपने पैरों को नही स्पर्श करने देतीं है ,
काल मन मे चलो इस बार में ही गलत कर बैठा था ,पर यहा पर भी में राजगुरुं को नाराज कर बैठा अपनी हरकत से
राजगुरुं ओमी ,काल आप हमारी बातो का बुरा मत मानना, हमारे मुह से आपके लिये ऐसी बाते निकल गई ,
काल,राजगुरुं इसमें मेरी भी गलती है ,आप सब भूल जाइये जो हुवा था अभी और बोलिये आपने मुझे यहा पर क्यो बुलाया है
ओमी ,काल आप के पास सिंहार की ताकद आ गई है जो सबसे अच्छी बात है ,आपको इस लड़ाई में सिंहार की शक्ति बहुत काम आने वाली है ,आप को और कुछ ऐसी शक्तियो की जरूरत पड़ने वाली है जो सिंहार जैसी ही दिव्य और अनोखी हो ,आपके पास नीलमणि की अजशक्ति है ,सिंहार की विश्वशक्ति ,आपको अब जरूरत पड़ेगी रच्शक्ति की और उसीके साथ इन तीनो शक्तियो को एक करने वाली शक्ति की ,जो आपके एक महीना जो धरती के हिसाब से हो सकता है लग सकता है या गरुड़लोक के हिसाब से हजारो साल ,मुझे त्रिशक्तियो ने ऐसी अद्भुत दिव्य दृष्टी दी है जिससे में कौनसे लोक में किसके पास कोनसी दिव्य शक्ति है ,और कौनसी दिव्य शक्तियों का मालिक अभी तक कोई भी नही बना यह यही बैठकर देख सकती हूं ,आप को भुजंग को कमजोर नही समंझना चाहिये ,उसके पास त्रिशक्तियो के तीनों सबसे घातक अस्त्र है जिसकी मदद से वो आपको तीन बार आसानी से तीन बार तक मार सकता है ,उसने तीनो मा पार्वती ,मा लक्ष्मी ,मा सरस्वती की घोर तपश्चर्या करके उनकी भी दिव्य शक्तिया हासिल कर ली है ,जिसका ज्ञान ना मुझे है ना किसी और को ,जिस वजह से भुजंग एक अजेय योद्धा बन चुका है ,उसने अपनी आयु बाकी राक्षस की तरह भोग विलास में नही बल्कि तप और साधना में निकाली है ,वो अबतक का सबसे घातक और चालाक असुर है ,जिसने कभी अमर होने का वरदान नही मांगा ,उसने अपनी साधना के दम पर ही खुद की आयु अमर्याद कर ली है ,तुम्हे हर शक्ति अपने नसीब और बहादुरी ,नेक दिल होने से मिली है ,पर भुजंग को तप और साधना करने पर शक्तिया मिली है ,जिसकी ताकद हमेशा ज्यादा होती है ,सब राक्षसों ने कोई पाप करके अपने मृत्यु को बुलावा दिया है पर भुजंग ने अब तक कोई भी पाप या दुष्कर्म नही किया है ,यहा तक सिहलोक के राजा सिम्बा ने नही बल्कि उसके बेटे गोलम ने मारा था भुजंग का रूप लेकर ,गोलम भुजंग की एक बडी ताकद है जो हर बुरा काम करती है ,तुम्हे गोलम और उससे भी बलवान 1000 भुजंग के बेटो का सामना करना है ,उसके 900 बेटे अभी इतने बलवान और दिव्य शक्तियों के मालिक है कि वह तुम्हे आसानी से मार सकते है ,तुम्हारी सिंहार शक्ति का काट उन सबके पास एक त्रिशक्तियो के दिये हुवे अस्त्रों के रूप में है ,एक बाद हमेशा याद रखना की जब तुम पर कोई भी त्रिशक्तियो से प्राप्त अस्त्र चलायेगा ,तुम्हारा कोई भी कवच या शक्ति तुम्हे नही बचा सकती ,तुम उसके बेटो से जीतकर ही भुजंग तक पहुच सकते हो ,जो कि एक असम्भव कार्य होगा तुम्हारे लिये ,यह अबतक कि सबसे कठिन और असंभव परीक्षा है ,जिसके लिये तुम्हे अपने बल का नही बुद्धि का उपयोग करना होगा ,तुम्हे ऐसी शक्तिया ढूंढनी होगी जो किसिने अभी तक सोची नही होगी ,में इस काम मे तुम्हारी मदद करूंगी ,भवानीगढ़ के मन्दिर की दिव्य शक्तिं के परीक्षा में तुम्हे हर हाल में जितना होगा ,नही तो यह शक्ति भुजंग की हो जायेगी ,तुम भुजंग पर कोई भी शक्ति इस्तेमाल नही कर पाओगे इसकी सबसे बड़ी वजह है भुजंग एक पुण्यवान राक्षस है ,उसे ना तुम कभी मन्दिर में जाने से रोक सकते हो ना ,मन्दिर के रक्षक ,
काल ,राजगुरुं ओमी आप चिंता न करे ,में कोई न कोई रास्ता निकाल ही लूंगा इस भुजंग और इसके बेटो को मिटाने का ,पर भुजंग अगर पुण्यवान है तो उसके साथ लड़ने का क्या फायदा ,अगर उसे मन्दिर के चमत्कारी पत्थर की ताकद मिल भी गई तो वो कभी उनका गलत इस्तेमाल नही करेगा ना,उसके पास त्रिशक्तियो की शक्तियां है ,तीनो माता से भी शक्तिया मिली है तो उसके मन मे कोई कपट होता तो वो उनके इस्तेमाल से भी तो सबको नुकसान पहुंचा सकता था न ,
ओमी ,काल उसने अपने मन को त्रिशक्तियो के अलावा कोई भी न जान सके ऐसा भी वरदान पा लिया है ,और पिछले 1000 वर्षों से उसने फिर घोर तपस्चर्या प्रारंभ की है जिसके सफल होने पर वो क्या माँगता है ,इसका कुछ भी पता नही है ,वो सब क्यो कर रहा है इसकी वजह वही जानता है ,उसके विचार कभी नेक नही थे ,बस वो पुण्य का संचय त्रिशक्तियो से मरने के डर से कर रहा है ,भुजंग ऐसा छल कर रहा है जिसे तोड़ना किसी के लिये सम्भव नही होगा ,
काल बहुत देर तक कुछ सोचता रहा और बोला ,चलिये हम इस लड़ाई को कभी नही जीत सकते ऐसा मानकर ही इसमें उतरेंगे अब ,पराभव के साथ मौत भी होगी यह तो अब पक्का है ,पर में मरने से पहले भुजंग के सभी बेटों को मारकर ही मरूंगा ,और भुजंग कितना भी शातिर क्यो न हो उसके पुण्य के ढोंग को भी खत्म कर दूँगा मरने से पहले, ,अच्छा हुवा आपने मुझे यह सब बता दिया अब में एक राक्षस बनकर हीं इस पुण्यवान राक्षस से भिड़ने वाला हु ,
यह सब बातें तीन लोग मिलकर सुन रहे थे ,जिसे सुनकर वो अति प्रसन्न हो रहे थे ,
पहली व्यक्ति ,आप ने शिवा की बाते सुनी ,मुझे लगता है भुजंग के सामने यही सही होगा ,
दूसरा व्यक्ति ,आप बहुत जल्दी यह बात कर रहे है ,अभी शिवा जोश में है ,लेकिन जल्द उसके सामने चुनौतियों शुरू होगी ,तब समज में आएगा कि वो काबिल है या नही
पहला व्यक्ति तीसरे ,आप हम दोनो की बात सुनकर कुछ बोल भी नही रहे है बस मुस्कुरा रहे है ,इस खेल के असली करता धर्ता तो आप खुद है ,जरा हम दोनो में यह तो बता दीजिए हम दोनो में सही कौन है और कौन गलत ,
तीसरा व्यक्ति ,आप दोनो सब जानते है फिर भी मुझसे सवाल कर रहे है ,आप दोनो सही है ,यह कलियुग है यहा भगवान नही राक्षस पूजे जाते है और इसमें भी राक्षस ही जितने वाले है ,हम तीनों इसमें नही भाग ले सकते ,यह खेल शुरू हमने किया है पर इसे खत्म नियति करेगी ,जिसकी सोच सही होगी वही जीतेगा यह जान लीजिये बस ।
 
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Update 91

काल ने ओमी से पूछा ,आप बताइए मुझे आपके हिसाब से पहले क्या करना है ,
ओमी ,काल हमारे गरुड़ लोक की दो चीजें भुजंग के बेटे भोकाल के पास है ,जिसने एक बार गरुड़ लोक के महाराज मोशा के साथ हुवे युद्ध के दरम्यान उन्हें मारकर उनसे छीन ली थी ,सबसे पहले तुमको उन्ही दो चीजो को हासिल करना है ,भोकाल अभी इस समय राक्षस लोक में नही बल्कि पाताल के दैत्यलोक में है ,तुम्हे उसे मारकर या किसी दूसरे तरीके से उन दो चीजो को गरुड़ लोक में लाना होगा ,
काल ,आप अगर बता सकती है वो दो चीजें कोनसी है ,जो भोकाल से प्राप्त करनी है मुझे तो आसानी होगी
ओमी ,काल आप को भोकाल के पास से हमारे गरुड़ लोक का आत्मामनी और समय दर्पण है ,ये दोनो उसने अपने पिता को तोहफे में देने के लिये ही रखे है , भुजंग जब अपनी तपश्चर्या से वापिस आयेगा तब उसको यह दोनो चीजे देकर वो खुश करना चाहता है ,भोकाल को इन दोनों की खासियत या इस्तेमाल का तरीका नही पता ,इन दोनों चीजो को सिर्फ एक गरुड़लोक का राजा ही इस्तेमाल कर सकता है ,भोकाल को मालूम है जिस वस्तुओं को वह खुद इतना शक्तिशाली होकर समझ नही समझ पा रहा है वो कितनी खास और अमूल्य होगी ,और ऐसी वस्तुओं को जब वो अपने पिता को देगा तो वो कितना खुश होंगे उसपर इसी लिये उसने उन दोनों को अअगर यह दोनो चीजे तुम्हारे पास आ जाये तो तुम्हारी बहुत सी मुश्किल कम होगी ,आत्मा मनी के अंदर तुम अपनी आत्मा का एक अंश रखकर तुम उसे कही सुरक्षित रख कर किसी के साथ भी युद्ध करोगे तो वो तुम कभी नही मार सकेगा ,जब तक तुम्हारी आत्मा का अंश आत्मामनी में रहेगा कोई तुम्हे मार नही पायेगा ,यह आत्मा मनी खास हम गरुडो के लिये बनाई गई थी ,हम देवताओं के वाहन थे ,युद्ध मे हम पर सवार होकर ही देवता युद्ध करते थे ,अगर युद्ध मे हमपर कोई वार करता तो उसपर सवार देवताओं को हानी पोहचना आसान हो जाता ,इसी वजह से ब्रम्हाजी ने यह आत्मा मनी का निर्माण हमारे लिये किया था ,जिसकी वजह से हम युद्ध के दौरान अपनी आत्मा का अंश उसमे रख कर जब भी लड़ाई में देवताओं की मदद करने जाते तब हमें कोई भी नही मार पाता था ,हमारी इसी ताकद की मदद से हमने बहुत बार देवताओं को बहुत से युद्ध मे जीत दिलाई है ,समयदर्पन कि मदद से हम किसी भी समय मे जा सकते है ,भूतकाल या भविष्यकाल में हम समयदर्पन से जा सकते है ,समय दर्पण से हम हजारो वर्ष रहकर भी ना मर सकते है ना हमे कोई मार सकता है ,त्रिशक्तियो की शक्ति भी हमे नही मार सकती समय दर्पण में ,तुम अपनी पूरी ताकद और शक्तियो का उपयोग इस समयदर्पण में कर सकते हो ,कोई भी कार्य हम जिस तरह वास्तविक दुनिया मे कर सकते है वो तुम समयदर्पन में भी कर सकतें हो ,समयदर्पन में भले ही तुम हजारो वर्ष जाकर बिता दो पर जब तुम समयदर्पन से वापिस आ जाओगे तब उसी समय पर वापिस आ जाओगे ,इसका मतलब है समयदर्पन में हजारो साल बिताकर भी तुम अपने वापिस वास्तविक काल में सिर्फ एक सेकंड का समय बिता चुके होंगे ,यह समयदर्पन ऐसा दिव्य अस्त्र है जिसका उपयोग किसी ने भी नही किया है ,इस समयदर्पन का निर्माण त्रिशक्तियो ने देवताओं को जब विशेष शस्त्र बनाते वक्त किया था ,पर उन्होंने इस समयदर्पन को किसी के हाथ मे नही दिया ,इसको गरुड़ लोक में सुरक्षित रख दिया था ,गरुड़ लोक के राजा को उन्होंने इस समयदर्पन का मालिक बनाकर भी कभी गरुड़ लोक के राजा ने इसका इस्तेमाल नही किया ,तुम्हे एक बात और बता दु जो कोई आत्मा मनी और समय दर्पण के साथ गरुड़ लोक में आकर राजा के सिंहासन पर आकर बैठ जाएगा वो गरुड़ लोक का राजा बन जायेगा ,उसमे गरुड़ लोक के राजा की सभी शक्तिया आ जायेगी ,गरुड़ लोक में ब्रम्हाजी का लगाया कवच जिसे कोई भी नही तोड़ सकता पर अगर कोई आत्मा मनी और समय दर्पण के साथ गरुड़ लोक में आने की कोशिश करेगा तो वो रचनाकार जी के कवच को आसानी से पार कर लेगा ,सोचो अगर भुजंग के हाथ ऐसी चीजें आ गयी या उसे इस सबका पता चला तो वो क्या नही कर सकता ,वो खुद या उसके किसी बेटे को गरुड़ लोक का राजा बनाकर वो दुनिया का मालिक बन सकता है ,तुमको हर हाल में इन दो चीजो को हासिल करना होगा ,
काल ,ओमी तुम चिंता न करो में भोकाल से इन दोनों को चीजो को निकाल कर रहूंगा ,दैत्यलोक का समय कैसा है धरती के हिसाब से
ओमी ,काल दैत्यलोक मे 15 दिन का मतलब धरती का एक घण्टा होता है ,
काल ने उन तीनों की विदा लेकर सीधा दैत्यलोक के प्रवेशद्वार पर पहुंच गया ,जहा एक असुर के रूप में वह पहुच गया था ,उसे जब प्रवेश द्वार पर टोका गया तो उसने बताया कि वो युवराज कनक का सिपाही है जो एक खास सन्देश लेकर आया है राजकुमार् भोकाल के लिये ,लेकिन वो काल को दैत्यलोक में जाने ही नही दे रहे थे ,उन्होंने काल के गले पर तलवार रख कर उसे यहा से जाने के लिए कह दिया, उनको यकीन दिलाने के लिये काल ने उनको दो राक्षस मुद्रा दिखाई जो डोंमासुर और गामासुर कि थी ,उन दैत्यलोक के सिपाहियों ने जब राक्षस मुद्रा देखी तो काल को पूछा कोन हो तुम ,और क्या नाम है तुम्हारा ,और तुम एक असुर होकर यह राक्षस मुद्रा लेकर हमे दिखा रहे हो
काल बोला ,मेरा नाम भोगासुर है ,में डरलोक का असुर हु ,मुझे युवराज कनक की सेना की टुकड़ी की खबर निकलाने के लिये ,भेजा था जो उन्होंने सोमलोक में भेजी थी ,किसी खास काम के लिये ,युवराज कनक डरलोक इसी काम के लिये आये थे पर उन्हें राक्षस लोक में कुछ जरूरी काम से तुरंत वापिस जाना पड़ा था , इसीलिए वो यह काम मुझे देकर गये थे ,कुछ गड़बड़ होने पर उन्होंने तात्काल राजकुमार भोकाल से मिलने कहा था ,इसीलिए में यहा आया था ,पर लगता है आप को मेरा यकीन नही आ रहा है ,में राक्षसलोक चला जाता हूं फिर ,आपने मुझे राजकुमार् भोकाल से मिलने नही दिया यह बात उनको में बता दूँगा
काल की बाते सुनकर सब दैत्य सैनिकों की फट गई ,युवराज कनक कितना बेरहम है सबको पता था ,उसके आदमी ने अगर उसे जाकर कुछ उनके बारे में कुछ उल्टा सीधा बता दिया तो लेने के देने पड़ जाएंगे उन सबके ,वो काल को बोले ,देखो भाई हम हमारा काम कर रहे थे महाराज का आदेश था कि जब तक राजकुमार भोकाल यहा पर है किसी को भी दैत्यलोक में अंदर नही आने देना है ,पर तुम तो युवराज कनक के असुर है ,हम बस तुमसे पूछताछ कर रहे थे ,ताकि तुम हमे कोई धोका तो नही दे रहे ,तुम अंदर जा सकते हो वैसे भी तुम्हारे पास दो खास राक्षस मुद्रा है जिसकी वजह से हमें अब तुमपर कोई शंका नही है ,बस युवराज कनक से आप यहा पर जो अभी हुवा उसका कोई जिक्र न करे ,नही तो वो हम सबको जिंदा नही छोडेंगे ,हम तुम्हारी माफी मांगते है ,वैसे तुम्हारा नाम क्या है ,
काल ,जी मेरा नाम भोकासुर है
सब सिपाही नाम सुनकर हसने लगे, एक ने कहा ,बड़ा अजीब नाम है तुम्हारा है ,माफ़ करना पहली बार ऐसा नाम सुना है हम लोगो ने इसलिये हस रहे है ,
भोकासुर ,जी इसमें कोई बड़ी बात नही है ,हम सभी भाइयो के नाम ऐसे ही है
सिपाही ,क्या नाम है तुम्हारे भाइयो के
भोकासुर ,जी मेरे भाइयो के नाम भोगासुर ,ठोकासुर ,टोलासुर ,और लौड़ासुर है ,पांच भाई है हम
सभी सिपाही जोर जोरसे हसने लगे ,उन्होंने भोकासुर को दैत्य लोक में आराम से जाने दिया ,और उसे कोई परेशानी न हो इसलिए एक सिपाही उसके साथ चला आया जो सीधा उसे राजकुमार् भोकाल के पास पहुंचा सके ,
सिपाही ,बड़े अजीब नाम है तुम्हारे भाइयों के ,तुम्हारे पिता का नाम क्या है वैसे
भोकासुर ,जी उनका नाम चोदासुर था
सिपाही हसकर बोला बड़े ही मजेदार नाम है तुम सबके चलो में तुम्हे महल के सिपाहियों तक छोड़ दूंगा वो तुम्हे राजकुमार भोकाल तक ले जाएंगे
भोकासुर को उस सिपाही ने महल में लाकर वहां के सिपाहियों को उसके बारे में सब बता दिया ,भोकासुर को वहाँ छोड़कर चला गया ,भोकासुर को एक जगह खड़े करने के बाद एक ने कहा ,हम राजकुमार भोकाल के पास जाकर उनसे पुछकर आते है ,अगर उन्होंने अभी मिलने को बुलाया तो ठीक ,नही तो तुम्हें यही रुकना होगा ,जब उनकी मर्जी होगी वो तुमसे मिल लेंगे ,एक तो उनके पास जाने को सब डरते है ,कब वो किसी को मार दे पता नही चलता ,पता नही अभी वो किस मिजाज में है ,भोकासुर की किस्मत अच्छी निकली उसे भोकाल के पास बुलाया गया ,जब वह भोकाल के कमरे में पहुंचा तो उसने आदर से झुककर पहले भोकाल को सलाम किया ,जिसकी वजह से भोकाल को अभी अच्छा लगा ,उसने अपनी रौबदार आवाज में पूछा ,असुर किस लिये मिलना चाहते हो तुम हमसे और तुम कनक का नाम लेकर आये हो इसलिए मेंनें तुम्हे अभी दिया ,बोलो क्या बात है ,
भोकासुर ,राजकुमार्,मेरा नाम भोकासुर है , में युवराज के आदेश पर सोमलोक गया था ,वहां पर उन्होंने सेनापति गोमासूर और डोंमासुर के साथ एक टुकड़ी भेजी थी ,में जब वहां गया तो पता चला कि बलिलोक के राजा ने हमारी पूरी सेना को मार दिया है ,हमारा कोई भी राक्षस या असुर जीवित नही छोड़ा उन लोगो ने ,मुझे युवराज कनक ने कहा था कि वो किसी खास काम से राक्षस लोक जा रहे है ,सोमलोक में अगर कुछ गड़बड़ हुवीं तो उन्होंने मुझे आपसे मिलने को कहा था ,यह रही हमारे सेनापति की राक्षस मुद्रा ,
भोकाल सब सुनकर भड़क गया वो बोला ,किसी की इतनी हिम्मत हो गयी जिसने हमारी सेना की टुकड़ी को मार डाला ,क्या नाम है बलिलोक के राजा का
भोकासुर ,राजकुमार् में नही जानते उनके बारे में कुछ ,सोमलोक से मुझे बस इतना ही पता चला है कोई नया राजा बना है अभी बलिलोक का ,उसने अकेले ने हमारी सेना को मार दिया और सोमलोक के राजा हेमकेतु को भी मार दिया है उसने ,
भोकाल ,तुमने यह बहुत अच्छा काम किया है भोकासुर जो मेरे पास चले आये ,कितने वर्षों से किसी को तड़पा कर मारा नही है मेंनें ,आज मेरे हाथ की खुजली भी मिट जाएगी
भोकाल ने एक सैनिक को तुरंत दैत्यलोक के राजा चीमा को बुलाकर लाने को कहा ,चीमा भी दौड़ता हुवा भोकाल के सामने आ गया ,भोकाल ने उसे कहा ,सुन चीमा फौरन अपनी सेना को तैयार कर हमें बलिलोक पर आज ही आक्रमण करना है ,चीमा दैत्यलोक का राजा होकर भी भोकाल के सामने उसकी औकात एक कुते से ज्यादा नही थी ,बिना किसी सवाल के उसने भोकाल की बात मानकर अपनी सेना को तैयार करने चला गया ,
भोकासुर, राजकुमार भोकाल अगर आपकी आज्ञा हो तो में आपसे कुछ कहना चाहता हु , भोकासुर ने चीमा के जाने के बाद भोकाल से कहा जो बलिलोक जाने की लिये तैयार हो रहा था ,उसने थोड़े गुस्से में ही कहा ,बोलो क्या कहना है
भोकासुर ,मेंनें एक खास बात सुनी ही बलिलोक के राजा के बारे में सोमलोक के लोगो से
भोकाल ,क्या सुना तुमने उसके बारे में
भोकासुर ,राजकुमार मेंनें सुना है कि उसने किसी गरुड़ मानव को मारकर कुछ दिव्य हथियार हासिल किया है ,जिसकी वजह से उस पर किसी वार का असर नही होता ,हमारी सेना के राक्षस और असुर इतने ताक़दवर होकर भी उसे एक खरोच तक नहीं कर सके थे ,
भोकाल ने जब यह सुना तो उसके मन भी गरुड़ लोक के महाराज को मारकर हासिल की दो चीजो की बात आ गई उसने उन दो चीजो को एक बार भोकासुर के सामने ही निकल कर देख लिया ,भोकासुर को तो यहीं चाहिए था कि उसने वो चीजे कहा रखी है उसका पता चल जाये फिर उसके पास से उन दोनों को कैसे हासिल करना है यह बात उसे पता थी , दिमाग लगाकर उसने यह बात जान ली थी ,भोकाल उन दोनों को अपने पास ही रखता था ,
कुछ ही देर में भोकाल एक विशाल दैत्यलोक की सेना लेकर बलिलोक की और निकल पड़ा था ,सारे मायावी दैत्य को लेकर कुछ ही देर में बलिलोक के बाहर पहुँच गया था ,जहा उसके स्वागत के लिये कालभेड़िया के कुछ प्रतिरूप खड़े थे ,उसके साथ मोगा और 1000 मोगा की सेना के विशाल भेड़ियेमानव थे ,भोकासुर ने दैत्यलोक से भोकाल के निकलने के पहले ही बलिलोक से कालीनागिनो, अपने सभी बच्चे ,महानाग और कालभेडिया को मानसिक संपर्क करके सब बताकर सिहलोक भेज दिया था ,भोकाल के सामने बस कालभेड़िया के प्रतिरूप और मोगा के साथ उसकी सेना थी जो कभी नही मरती थी ,भोकासुर ने सब को इस युद्ध से दूर ही रखा था ,वो भोकाल की ताकद को कम आककर सबकी जान खतरे में नही डाल सकता था ,
भोकाल के साथ सभी दैत्यलोक की सेना इतने विशाल भेडियमानव देख कर हैरान थे ,उन्होंने आज तक इतने विशाल भेडियमानव नही देखे थे ,लेकिन भोकाल उन्हें देखकर खुश था उसे अपनी ताकद परखने का अच्छा मौका मिल गया था आज ,भोकाल ने सब भेडियमानव को देखकर पूछा ,कोंन है तुम सब जानवरो का राजा जिसने मेरी सेना को मारने की हिम्मत की है ,
मोगा जो 200 फिट का सब भेडियमानव मे छोटासा दिखता था ,वो सामने आकर बोला ,बोल कुते क्यो भोक रहा है ,मेंनें मारा था तेरी सेना को ,बोल क्या उखाड़ लेगा मेरा तू ,भाग जा यहा से वरना तुझे नंगा करके तेरी सबके सामने गांण्ड मारूंगा नही तो ,
भोकाल से ऐसी बात किसी ने नही की थी ,सारी दैत्यलोक के सेना के सामने अपना ऐसा अपमान होने पर उसने एक घातक शक्ति से मोगा पर वार कर दिया ,मोगा की एक पल में ही जलकर मौत हो गयी थी ,जिसे देखकर भोकाल जोर जोर से हसने लगा था ,पर कुछ देर में ही उसके सामने 100 मोगा खड़े हो गए जो सबके सब 2000 फिट से लंबे तगडे थे ,भोकाल भी हैरत में पड़ गया ,उसने फौरन उन 100 मोगा पर एक साथ वार कर दिया ,पर इस बार मोगा का बाल भी बाका नही हो सका ,मोगा की शक्तिया भी अब 100 गुना बढ़ गयी थी ,मोगा के सभी रूप जोर जोर से हँसकर भोकाल को चिढ़ाने लगे ,भोकाल ने अब गुस्से में भड़क कर मोगा के रूपो को खत्म करने के पीछे पड़ गया था ,उसने अपनी सभी शक्तिया का प्रयोग कर लिया था पर कोई भी शक्ति मोगा को खत्म नही कर पा रही थी इस बीच भेड़ियेमानव दैत्यलोक की सेना पर टूट पड़े थे ,उन्होंने पूरी सेना में भगदड़ मचा दी थी ,दैत्यलोक के सेना जब किसी भेडियमानव को मारती तो उसके भी 100 भेडियमानव बन जाते जो पहले से 100 गुना ताक़दवर और विशाल थे ,1000 भेडियमानव कब लाख में बदल गए पता ही नही चल रहा था ,भेडियमानव ने सारी दैत्यलोक की सेना मार दी थी ,बस भोकाल ही बच गया था उन सब मे ,जो अब 1000 मोगा के रूपो से लड़ रहा था ,जो अब उसके लिये बहुत ज्यादा भारी पड़ गए थे ,भोकासुर ने सारी दैत्यलोक की सेना के मरने के बाद सब भेडियमानव को ,कालभेड़िया के प्रतिरूप के साथ सिहलोक भेज दिया था जिसमे मोगा के 100 रूप भी चुपके से शामिल हो गए थे ,भोकासुर खुद को जख्मी बनाकर मैदान में पड़ा सब मजा देख रहा था ,उसे पता था भोकाल के पास एक त्रिशक्तियो का दिया हुवा एक कोई दिव्य शक्ति है ,जो मोगा पर आखरी वक्क्त में इस्तेमाल जरूर करेगा ,इसलिए भोकासुर मोगा के रूपो को धीरे धीरे वहाँसे कम कर रहा था ,भोकाल को भी मोगा ने बहुत चोटें पहुंचायी थी ,भोकाल मोगा के सामने खून से लतपत होकर भी हार मानने को तैयार नही था ,भोकासुर ने अब सिर्फ 50 मोगा के रूप भोकाल के सामने रखे थे ,
मोगा के एक रूप ने भोकाल से कहा ,रुक जाओ कबतक ऐसे लड़ते रहोगे मेरे साथ ,एक ही वार में सब खत्म कर देते है सब ,एक वार तुम करो मुझे मिटाने के लिये अगर में बच गया तो फिर में वार करूँगा ,बोलो क्या बोलते हो ,अगर मुझसे डर लगता हो ,तो पहला वार तुम करो ,में अपने सब रूप एक करता हु ,जरा देखु तो सही कोंन किसको मारता है ,भोकासुर ने भी बाकी के 49 मोगा के रूप को अपने अंदर ले लिया ,जिसका पता भोकाल को नही चल सका ,भोकासुर को कोई भी एक मोगा के रूप को कुर्बान करना ही पड़ना था ,जो भोकासुर के लिये दुखदायक था ,
भोकासुर के अंदर से मोगा बोला ,आप इतना दुखी मत होइये काल ,मेरे सभी रूप कुर्बानी के लिये तैयार थे ,बस एक मोगा नष्ट होगा त्रिशक्तियो के शक्ति के वजह से लेकिन आप के साथ हम अब 999 मोगा है ,आप को भी पता है कि भोकाल जब त्रिशक्तियो की कोई एक शक्ति जो उसके पास है ,वो मोगा के एक रूप को सदा के लिये नष्ट कर देगी ,मेरे एक रूप नष्ट होकर उसके मरने के बाद उसकी जगहकोई भी नए 100 रूप नही बन सकते ,आप को बहुत बड़ी लड़ाई लड़नी है ,आप ऐसे निराश मत होइए ,इस भोकाल को में ही मारूंगा ,
भोकाल ने भी अपने मन मे रचनाकार जी से प्राप्त ब्रम्हास्त्र को याद करके उसे मोगा पर छोड़ दिया जिसकी वजह से एक पल में ही मोगा का नाश हो गया ,मोगा से जितने भी रूप पैदा हुवे थे सब अलग थे ,सबकी आत्मा अलग थी ,शरीर अलग था ,जिसकी वजह से मोगा के उसी रूप का नाश हुवा जो भोकाल के सामने खड़ा था , भोकाल अपने सामने नए कोई भेडियमानव को निर्माण होता न देख कर खुशी से हस रहा था ,उसे पता था कि उसके इस वार से सामने वाला कोई शत्रु नही बच सकता ,इस भेडियमानव ने उसे बहुत कड़ी टक्कर दी थी ,उसके सभी दिव्य शक्तियों से वो बच गया था ,अगर भोकाल उसे नही मारता तो आज भोकाल की मौत पक्की थी ,भोकाल अपनी जीत की खुशी में हस रहा था कि उसके सामने एक आवाज सुनायी दी ,जब भोकाल ने अपनी आंखें खोलकर देखा तो उसके सामने वही भेडियमानव खड़ा था ,भोकाल एक डर और आश्चर्य से बोल पड़ा ,असंभव ,यह कैसे हो गया ,तुम अभी तक जिंदा हो , रचनास्त्र से मरने के बाद कभी कोई नही जीवित नही हो सकता ,
मोगा हसकर ,तेरी औकात नही है सब जानने की कुते ,मोगा ने तेजीसे आगे बढ़कर एक ही वार में भोकाल के शरीर टुकड़े कर दिए ,भोकासुर ने उसके शरीर से आत्मामनी और समय दर्पण निकाल लिया ,उसकी राक्षस मुद्रा उठाकर अपने पास रख ली ,भोकासुर अब काल के रूप आ चुका था ,उसने अपने एक प्रतिरूप के साथ अपने अंदर के सभी 49 मोगा को सिहलोक भेजकर खुद गरुड़ लोक चला गया ,सिर्फ अपने बुद्धि के बल पर आज काल ने एक मोगा की कुर्बानी दे कर 1 ब्रम्हास्त्र की शक्ति को भी चकमा दिया था ,भोकाल तो इस राज के जाने बिना नरक में पहुच गया था ।
 
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Update 92


काल ने गरुड़ लोक पहुंच कर सबको आत्मा मनी और समय दर्पण दिखाया ,तो सब हैरान हो गए ,ओमी ने काल से हैरत भर एक ही सवाल किया ,कैसे किया आपने यह सब ,में सब देख रही थी ,आपको इतना यकीन था आपकी योजना पर ,भोकाल तो बस आपकी कठपुतली बनकर ही मर गया ,
काल ,मेंनें कुछ नहीं किया ओमी जी यह सब उसके घमंड और गुस्से से ही मुमकिन हो सकता था ,
ओमी ,में समझी नही ,आप क्या कहना चाहते है
काल ,सीधी बात है ओमी जी ,भोकाल अपने भाई से मानसिक संपर्क कर सकता था ,उससे मेरे बारे में पुछकर देख लेता एक बार ,पर अपने सेना की मरने की खबर से उसने गुस्से में आकर यह नही किया ,उसको अपनी ताकद पर बहुत घमंड था कि उसके पास रचानास्त्र है ,जिससे वो किसे भी मार सकता है ,उसी घमंड में वो गलती कर गया ना ,ताकद कितनी ज्यादा है यह बात कभी मायने नही रखती बल्कि उस ताकद का सही इस्तेमाल करने की बुद्धि मायने रखती है ,अब आप ही देख लीजिए रचानास्त्र होकर भी भोकाल हार गया ना बुद्धि का सही उपयोग ना करने से
ओमी ,मुझे यकीन हो चुका है काल आप मे कुछ खास बात होगी जो आप को इतनी ताकद मिली है ,अपने दुनिया मे पहली बार ऐसा चमत्कार किया है जो कि असंभव था ,
काल हसकर ,ओमी जी मे कोई खास नही हु ,बस एक मामूली सा इंसान हु ,जिसपर भगवान की कृपा है ,उनके आशीर्वाद के बिना तो में कुछ भी नही कर पाता ,
ओमी ,काल आप के ऊपर भगवान की कृपा इसलिये है कि आप खास हो ,खुद को कभी मामूली मत समजिये ,इतनी ताकद होकर इतनी नम्रता बहुत दुर्लभ लोगो मे होती है ,
काल हसकर ,आप एक काम कीजिये यह दोनो गरुड़ लोक की धरोहर किसी काबिल हाथो में सौप दीजिए ,
ओमी ,आप से ज्यादा काबिल और सुरक्षित यह कोई नही है ,यह दोनो अब आपके ही है
काल ,नही ओमीजी मुझे गरुड़ लोक का राजा नही बनना है ,आपके यहा मुझसे भी लायक बहुत होंगे ,आप किसी एक को चुनकर उसे ही यहा का राजा बना दीजिये ,
ओमी ,गरुड़ लोक सिर्फ एक ही पुरुष था वो थे हमारे महाराज,अब आप को ही यहा पर राजा बनना होगा ,
काल कुछ सोचकर ठीक है में आपकी बात मान लेता हूं ,
ओमी ,आप को राजा बनकर यहा की सभी गरुड़ औरतो से विवाह करना होगा
काल ,कितनी औरते है यहा गरुड़ लोक में ओमी जी ,
ओमी ,यहा पर महारानी ,दोनो राजकुमारीयो के साथ मुझे पकड़कर 1000 औरते है काल, आप को सभी को अपनी पत्नी का दर्जा देना होगा ,
काल ने भी पहले सिंहासन पर बैठकर दोनो दिव्य वस्तु धारण करके गरुड़ शक्ति हासिल कर ली ,आत्मा मनी और समयदर्पन काल के शरीर मे समा गये ,काल जब सिहासन से खड़ा हुवा ,उसके रूप में बदलाव आ गया ,वो एक विशाल सूवर्ण गरुड़ में बदल गया ,उसका आकार एक फुटबाल के मैदान से भी बड़ा बन गया था ,उसके पंजे इतने बड़े और ताक़दवर थे कि उसके एक पंजे में ही वो किसी हवाईजहाज को उठा सकता था ,काल के अंदर पहले से मौजूद दिव्य शक्तियों से उसका गरुड़ रूप बहुत ही ताक़दवर बन गया था ,काल जल्द ही अपने गरुड़ मानव के रूप में आ गया ,काल का गरुड़ रूप बहुत ही सुंदर और खूबसूरत दिख रहा था ,जिसे देखकर सब गरुड़ लोक की औरते उस पर मोहित हो चुकी थी ,काल ने राज महल से बाहर आकर अपने सभी अंशो को अपने पास बुलाकर अपने अंदर विलीन कर लिया ,कुछ देर बाद उसने फिर सबको अपने शरीर से निकाल कर सबमे अपनी गरुड़ शक्ति के अंश मिलाकर उन्हें बाहर निकाल कर वापिस अपनी जगह भेज दिया ,काल2 भी गुप्त रूप से सब अंशो के साथ आकर गरुड़ शक्ति लेकर चला गया था ,
काल की जब शादी हों रही थी ,उस वक्त लामी और कामी की माँ महारानी तेजा पहली बार काल के सामने आयीं, उसका विलक्षण रूपसौन्दर्य देखकर काल उसको देखता ही रह गया ,किसी प्रकार से वह दो बेटियों की माँ नही लग रही थी ,वो लामी और कामी से भी बहुत ज्यादा सुंदर दिखती थी ,काल के जीवन मे पहली बार ऐसी कोई आयी थी ,आज तक जितनी भी लडकिया काल के जीवन मे आयी थी वो कही भी तेजा के सामने नहीं टिकती थी ,काल की नजरें उसी पर टिक गयी थी ,काल ने अपने 1000 गरुड़ मानव के प्रतिरूप बना कर सबके साथ रचनाकार मन्दिर में शादी कर ली ,तेजा काल से शादी करने के बाद वापिस महल लौट गयीं थी ,उसने शादी के दौरान एक बार भी अपनी नजरे उठाकर काल की तरफ देखा नही था ,ना उसने काल से कोई बात की थी ,सबके साथ शादी होने के बाद ,काल ने अपने प्रतिरूप के साथ 997 गरुड़ औरते के साथ सुहाग रात मनाने के लिये भेज दिया था ,महल में उसके साथ लामी ,कामी और ओमी ही एक कमरे में बैठकर बाते कर रही थी ,
लामी ,काल आपको हमारी मा के व्यवहार का बुरा लगा हो तो हम आपसे मांगते है
काल ,नही लामी इसमें माफी मांगने वाली कोई बात नही है ,
कामी ,आपसे हम अगर कुछ कहे तो आप हमारी बात मानेंगें
काल ,आप मेरी पत्नी है ,आपका पूरा हक है मुझपर ,बोलिये आप क्या कहना चाहती है ,
कामी ,हम चाहते है कि हम आपके साथ सुहागरात नही मनाने चाहते तो आप हमारी बात मान जायँगे ,
काल ,अगर तुम नही चाहती तो कोई बात नही ,हम नही मनाएंगे सुहागरात
कामी ,आप पूछेंगे नही हम ऐसा क्यों कहा रहे है
काल ,आप से ऐसा पूछना सही नहीं है ,जरूर कोई वजह होगी इसलिये आप ऐसा कर रही होंगी ,
लामी ,आप हर बात इतनी आसानी से क्यो मान जाते है ,आपको हम पर गुस्सा भी नही आ रहा है ,आप हसकर बात कर रहे हो ,आपको हमसे वजह पुछनी चाहिये ,आप हमारे पतीं है ,आपका हक है हम पर
काल ,हक तो है पर सुख देने का और दुख न पहुंचाने का ,पतीं सिर्फ अपनी खुशी के लिये पत्नी की बात का सन्मान भी न करे तो वह पतीं नही हो सकता ना
ओमी ,तुम दोनो कितना भी कुछ कर लो ,काल कभी कुछ नही पूछेंने वाले ,में ही बता देती हीं अब ,काल यह सब करने की वजह है महारानी तेजा का दुख और अकेला पन ,आपको शायद पता नही होगा पर महारानी तेजा कितने सालो से न हसि है ,ना ज्यादा किसी से बात करती है ,लामी और कामी जबसे मन्दिर के सुरक्षा में लगी है ,तबसे वह ज्यादा महल से बाहर भी नहीं आती ,हजारो साल बाद जब यह दोनो गरुड़ लोक वापिस आयी तभी वह महल से बाहर निकली है ,आपसे शादी करने के लिये भी वो आएगी या नही इस बात का हमे विश्वास नही था ,उनके दुख को देखकर हम तीनों का यहीं फैसला था कि आज आप आपका पूरा वक्क्त महारानी तेजा को दे ,उसके बाद ही हम तीनों आप के साथ सुहाग रात मनाएंगे ,लामी और कामी भले ही महारानी तेजा की बेटियां है ,पर उन्होंने इन दोनों को जन्म नही दिया है ,लामी और कामी का जन्म महारानी के बदन से दो अंश निकालकर किया गया था ,यह काम खुद रचनाकार जी ने किया था ,महाराज और महारानी दोनो एक साथ कभी नही रहते थे ,ना उन दोनों में कभी शारिरिक संबंध रहे ,महाराज बाकी सभी गरुड़ औरते के साथ शारीरिक संबंध बनाकर रखते थे ,और उन सभी को कभी महाराज से सन्ताने भी होती रही ,पर महाराज और महारानी दोनो कभी एक दूसरे के करीब नही आये ,लामी और कामी को दोनो बहुत प्यार करते थे ,जब रचनाकार जी दोनो राजकुमारीयो को धरतींपर पर भेजने गरुड़ लोक आये थे उस वक्त पहली बार महारानी आंखों में आसु देखने को मिले थे ,राजकुमारीयो के जाने के बाद से तो महारानी तेजा सबसे अलग ही हो गयी थी ,हजारो साल उन्होंने अपने कमरे ही बीता दिए है ,महाराज की जब मृत्यु की खबर उन्हें पता चली तब भी उनके चेहरे की एक रेखा तक नही हिली थी ,ना कुछ आसु निकले थे उनकी आंखों से ,महारानी तेजा हमेशा गरुड़ लोक के लिये एक पहेली ही रही ,महाराज से उनकी शादी कहा हुवीं थी यह तक किसे पता नही था ,ना महारानी तेजा गरुड़ लोक में पैदा हुवीं है ,महाराज जब उनके साथ पहली बार गरुड़ आये थे तो उन्होंने उनकी पहचान सबसे यही करायी थी कि वो गरुड़ लोक की महारानी है ,लामी और कामी के जाने के बाद एक मे ही थी जिसके साथ महारानी तेजा कभी बात करती थी वो भी जब में उनसे मिलने उनके कमरे में मिलने जाती थी उनकी पूछताछ करने के लिये ,मेंनें जब तुम्हारे बारे में उन्हें सब बताया करती तो बस शांति से सुन लेती थी ,आज भी जब मेंनें उन्हें कहा कि गरुड़ लोक की सब औरते आपसे शादी करने वाली है तब मुझे खुद को भी यकीन नही था कि वो आपसे शादी करने को तैयार हो जाएगी ,लामी और कामी ने भी धरती लोक से आने के बाद महारानी तेजा से उनके इस व्यवहार की जानने की कोशिश की पर उन्हें भी महारानी तेजा ने कुछ नही बताया ,अब आप ही एक हमारी उम्मीद हो जो उनकी इस खामोशी और अकेले पन को खत्म कर सकते हो ,आप अगर लामी और कामी के मन की बाते जान सकते हो तो आप महारानी तेजा की मन की बाते जानकर उनके परेशानी की वजह जान सकते हो ,अगर आप उनके जीवन मे खुशियां ला सको तो यह बहुत अच्छी बात होगी हमारे लिये ,
काल सब बातें सुनकर हैरान हो गया ,उसके मन मे यह बात आ रही थी शादी के वक्त महारानी के रूपसौन्दर्य में इस कदर डूब गया था कि ,उसने महारानी तेजा के मन को पढ़ने की एक बार भी कोशिश नही की थी ,काल सब बातों को याद करता हुवा उन तीनों से बोला कि ,ठीक है जैसा आप चाहती हो में महारानी तेजा के खामोशी को जानने की कोशिश करूंगा ,और उसकी वजह जानकर उसका भी हल निकल लूंगा ,तुम तीनो चिन्ता मत करो आजसे महारानी तेजा मेरी जिम्मेदारी है ,काल उन तीनों को वही छोड़कर महारानी तेजा के कमरे की और बढ़ गया ,काल जब महारानी तेजा के कमरे में पहुँचा तो उसने देखा कि महारानी तेजा ने अपने दुल्हन का लिबास उतार कर दूसरे कपड़े पहन लिए है ,उनके शरीर पर एक जेवर तक नही था सिवाय काल के पहनाए गये मंगलसूत्र और मांग में भरे सिंदूर के सिवा ,अपने बालों को खुला छोड़कर अपने कमरे की गैलेरी में खड़ी होकर चाँद की तरफ देखती खड़ी थी ,काल को तो चाँद से भी ज्यादा खूबसूरत तेजा दिख रही थी ,साधे कपड़ो में तो वो और ज्यादा सुंदर लग रही थी ,उनके खुले सुनहरे बाल हवा में लहराकर अपनी खूबसूरती और ज्यादा बिखर रहे थे ,तेजा के सुंदर चेहरे को देखता काल उसमे खोकर उसे कब तक निहारते रहा उसे ही पता नही चला ,उसकी तन्द्रा एक बहुत ही मीठी और सुरेली आवाज ने तोड़ी जो तेजा की थी ,आप खड़े क्यो है बैठ जाइए महाराज ,
काल ने तेजा की इस आवाज में सुध में आकर किसी आज्ञाकारी बच्चे की तरह एक खुर्सी पर बैठ गया जो उस कमरे में रखी हुवीं थी ,जो कमरे मे मौजूद बड़े से पलँग के पास ही थी ,महारानी तेजा जब गैलरी से चलकर कर कमरे में आ रही थी काल वापस इस हुस्न सुंदरी को निहारने लगा ,काल को ऐसा लग रहा था मानो वो कमरे में नही उसके दिल की गहराई में समाती जा रही है एक एक कदम के साथ ,इस अद्भुत ललना के रूपसौन्दर्य से काल अपना सबकुछ खोया उसके प्रेम में डूब चुका था ,वापिस उसे महारानी तेजा ने ही लाया और जो बात उसने कही थी वो जानकर काल की आंखे आश्चर्य से फट रही थी ,ऐसा ही तो कहा था महारानी तेजा ने काल से जिसकी उम्मीद भी नही थी और वो सोच भी नही सकता था कि महारानी तेजा ऐसा कुछ कहेगी ,महारानी तेजा ने काल से कहा था ,इतनी सुंदर मौत नही देखी होगी आपने कभी काल मे कोई और नही बल्कि आप की मृत्यु की वजह बनने वाली हो ,या समझ ले कि आप की मौत मेरे हाथों से होने वाली है ।
 
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Update 93

काल तेजा की बात सुनकर आश्चर्य से उसकी और देखता रहा और कुछ देर बाद हसकर बोला ,इतनी हसीन मौत देने मेरे नसीब में देने वाले भगवान का शुक्रिया अदा करु या उस मौत का यह समझ नही आ रहा ,अगर आप के हाथों से ही मौत मिलने वाली हो तो में हजार बार मरने को तैयार हूं ,कसम से इस मौत का दर्द नही बल्कि सुकून मिलेगा मुझे ,
तेजा काल की बात सुनकर ,आपको मेरी बातें मजाक लग रही है जो आप हस कर बात कर रह हो ,लेकिन यह हकीकत है ,
काल ,में आपकी बात पर नही हस रहा था न आपकी बात का में कोई मजाक बना रहा हु ,मुझे आपकी बात पर पूरा यकीन है ,में हस इसलिये रहा था कि में इतना नसीब वाला हु की आप जैसी हसीन के हाथो मेरी मौत होगी ,जिसे देखकर दिल मे उसे पाने का ख़्वाब उठ जाए, ऐसा हर कोई सोचता होगा ,वो मेरी मौत बनकर मुझे मिल गयी है ,आपके हाथों से मुझे मिलनी वाली मौत मेरे जीवन का सबसे खूबसूरत तोहफा है ,आज से पहले में खुद को हमेशा मामूली समझता था पर आपकी बात से में समझ गया की में कोई खास इंसान हु ,जिस खूबसूरती और सौंदर्य को पाने के लिये किसी भगवान का दिल हो उसके हाथों मेरी मौत होंने वाली है ,में आजसे अपने आप को दुनिया का सबसे खुशनसीब इंसान समंझने लगा हु
तेजा,अपनी मौत को देखकर हसने वाला में पहला व्यक्ति देख रही हु ,आपको जरा भी डर नही लगा यह जानकर की मेरे हाथों से आपकी मृत्यु होगी ,
काल ,में आपसे झुठ नही बोलूंगा ,में भी अपनी मौत से डरता था पहले लेकिन जब आज पता चला कि आप के हाथों से मेरी मौत होगी मेरा डर खत्म हो गया है ,किसी अनजान दुश्मन के हाथों से मरने से लाख गुना बेहतर है कि आप जैसी सौंदर्यवती के हाथों मेरी मौत हो जिसे में दिल से पंसद करता हु ,अपनी चाहत के हाथोसे मरने के भाग्य नसीब वाले को ही मिलता है और में उसमे से एक हु ,
तेजा ,और आपको लगता है कि आपको मारकर मुझे ख़ुशी मिलेगी ,आप मेरे बारे में सोच नही रहे कि मुझे कैसा लग रहा होगा ,क्या आपको मारकर में खुश रह सकती हूं ,आप आज ही मेरे पति बने है ,और में आपकी मौत हु यह जानकर मेरा हाल क्या है ,यह आप समझ नही सकते ,क्या बीतेगी मेरे दिल पर आपको मारकर ,आप जैसे अच्छे और नेक इंसान को मारना कितना कष्टदायक होगा ,कोई पत्नी अपने पति की जान कैसे ले सकती है ,पर में ऐसी पत्नी हु जो अपने पति को मारने वाली हु ,
काल ,एक बात बोलू ,जो नियति में लिखा होता है ना वही होता है ,आपके हाथों से मेरी मौत होगी ऐसा नियति चाहती होगी तो आप और में इसे रोक नही सकते ,जो बातें अटल है उसके लिये हम दुखी नही होना चाहिये ,हम दुखी होकर अपने कर्म को नही टाल सकते ,में आपसे एक विनतीं करना चाहता हु ,जब भी आप मुझे मौत दे बस एक बार मेरी तरफ हसकर देख लेना ,आपका मुस्कुराता चेहरा देखकर में मरना चाहता हु ,मेरी आपसे बस एक यही चाहत है जो में आपका पतीं होने के बाद मांग रहा हु ,और इसके बाद में कभी आपसे एक पतीं होने का हक भी नही मांगूगा ,शादी के बाद पतीं अपने पत्नी को सुहागरात के दिन कुछ न कुछ तोहफा देता है ,आपने तो पहले ही मुझे बहुत हसीन तोहफा दिया है बिना मांगे ,यह में अपने दिल से एक और तोहफा चाहता हु आपके की तरफ से ,
तेजा काल के बातो को सुनकर एक टक उसके चेहरे को देख रही थी ,काल के चेहरे पर सब सुनकर भी कोई गम की रेषा नही थी ना उसकी आँखों मे कोई दर्द दिख रहा था ,उसकी आँखों मे तेजा को सिर्फ उसके लिये प्यार दिख रहा था ,कोई और होता तो वो तेजा से नफरत करने लगता या उसे मारने की भी कोशिश करता अपनी जान बचाने के लिये ,पर काल सब सुनकर भी उसके साथ प्यार से ही पेश आ रहा था ,उसे तो खुशी हो रही थी अपनी मौत के सामने बैठकर ,तेजा को वह उसे मारने से नही रोक रहा था उल्टा उसे मारते हुवे उसके चेहरे पर मुस्कान देखना चाहता था ,क्या कोई ऐसा भी दिल रख सकता है ,तेजा अपने पलँग से उठकर काल के गोद मे बैठकर उसे अपने बाहो में भरकर काल को सर को अपने दिल से लगाकर रोने लगी ,काल उसके दिल की धड़कन को सुनता उसके बदन की आ रही महक को अपने रूह में समाता ,उसके प्यारी बाहो में उसके प्यार को महसूस कर रहा था ,जिस तरह काल को अपने सीने से लगाती तेजा रो रही थी काल को उसकी तडप ,तकलीफ़ और दर्द का अहसास हो रहा था ,काल को अपने सीने में इस कदर कसके पकड़कर रो रही थी मानो कही कोई काल को उसकी बाहो से छीन न ले,काल उसकी पीठ को प्यार से सहला कर उसे चुप करा रहा था ,पहली बार काल किसी के बाहो में होने के बावजूद न उसकी वासना भड़क रही थी न उस कुछ हो रहा था ,तेजा के दिल के पास उसके सीने से चेहरा काल को उसके अंदर के दर्द को बता रहा था जिस वजह से काल की आंखे भी न जाने कब बहने लगी थी ,यह भी कैसा प्यार और चाहत उन दोनों में थी कि एक दुसरे की बाहो में आने के बाद दोनो के आसु थमने का नाम नही ले रहे थे ,काल अपनी मौत देने वाली को बाहो में भरकर उसके गम कर रहा था और तेजा जिसको मौत देंनी है उसे अपने सीने से लगाती रो रही थी ,काफी देर बाद तेजा के मुह से दर्द भरी आवाज निकली ,यही तो नही चाहती थी में ,तुम्हे अपने से दूर रखने के लिये मेंनें तुम्हे पहली मुलाकात में ही सच बताया ताकि तुम मुझसे दूर हो जाओ ,मुझसे नफरत करो ,मेरा तिरस्कार करो ,पर तुमने मुझे एक पल के लिये भी नफरत से नही देखा ,में अपने दिल से तुम्हे चाहने लगी हु ,ना में अपने दिल से तुम्हे चाहना बन्द कर सकती हूं,ना में तुमसे मोहब्बत करना छोड़ सकती हूं ,कैसे तुम्हे मार कर में अपने हाथों अपने मोहब्बत का खून कर सकती हूं ,मेरे हाथों से तुम्हारी मौत लिखकर मेरे साथ इतनी बड़ी नाइंसाफी क्यों कर दी है भगवान ने ,ऐसा कौनसा पाप किया था मेंनें जो उसकी इतनी बड़ी सजा मुझे मिल रही है ,ना में खुद को मार सकती हूं ना में तुम्हे तुम्हे मारने के अपने कर्म से पीछे हट सकती हूं ,ऐसी कैसी विडंबना है मेरे नसीब की ,
काल ,तेजा मेंनें कहा ना जो नियति में लिखा है वही होगा तुम रो कर अपने नियति से नही भाग सकती ना अपने लिखे कर्म से बच सकोगी ,जो होंना है होकर ही रहेगा ,तुम रो मत और दुखी भी मत हो ,भगवान कभी किसीके साथ नाइंसाफी नही करते ना होने देते है ,तुम्हारे नसीब में भी कुछ अच्छा ही लिखा होगा उन्होंने ,देखो मेरा नसीब मुझे कभी यकीन ही नही था ,कि में तुम्हे अपने बाहो में लेकर तुम्हारी दिल की धड़कन को सुन सकूंगा ,आज मुझे यह मालूम चल गया ना इस दिल मे मेरे लिये कितना प्यार है ,मुझे बहुत खुशी हुवीं है, आज तुम्हारी बाहो में आकर तुम्हारे प्यार को महसूस करके यह तो पता चला कि मेरी किस्मत में तुम्हारा प्यार भी लिखा है जो तुम मुझसे छिपा रही थी ,तेजा मौत किसकी टली है भला आजतक ,क्या हम प्यार से उस घड़ी के आने तक नही रह सकते ,में तुम्हारे प्यार को अपनी दिल मे नही रूह तक महसूस करना चाहता हु ,क्या मुझे तुम्हारा प्यार मिल सकता है ,मेरे नसीब में तुम्हारा एक पल का प्यार भी बहुत है ,पर वादा करो आज के बाद तुम कभी अपनी आंखों से आसु नही बहने दोगी ,में तुम्हारे चेहरे पर मुस्कान देखना चाहता हु ना कि तुम्हारी दर्द से भरी आंखे
तेजा ने काल को अपनी बाहो से छोड़कर उसके चेहरे को पकड़ कर पूछा ,क्या आप यह जानना नही चाहते कि आप की मौत मेरे हाथो से क्यो होगी ,आप उसकी वजह नही पूछना चाहते मुझसे
काल ,नही तेजा मुझे तुमसे कोई वजह नही जाननी ,न तुम मुझे कुछ बताओगी इस बारे में ,में वादा करता हु में कभी तुम्हारे मन को भी नही पढूंगा ,में बस तुम्हारे मोहब्बत में कुछ पल बिताना चाहता हु ,मेरी मौत आने से पहले में तुम्हे जी भरकर प्यार करना चाहता हु और तुम्हारे प्यार को महसूस करना चाहता हु ,
तेजा काल की बातों से और रोने लगी ,कैसा दिल है आपका अपनी ही मौत से मोहब्बत करना चाहता है ,उसको प्यार करना चाहता है ,आप कैसे इंसान हो ,जो ऐसी ख्वाहिश रख रहा है
काल उसके आसु पोछकर बोला ,में एक इंसान ही तो हु,भगवान ने ही हमे बनाया है ,जानती हो भगवान सबसे ज्यादा प्यार इंसान से ही करते है पूरी सृष्टि में ,इसीलिए उन्होंने हम दिल दिया है और उसमे दीया है मोहब्बत नाम का अनमोल तोहफा ,वही तो में तुम्हे दे रहा हु ,बस एक बात याद रखना में कभी तुमसे नफरत नही कर पाऊंगा ,तुम कभी अपने मन मे यह बात आने नही दोगी ,
कैलास पर्वत पर अपनी आंखें बंद करके बैठे भगवान पिनाकी और उनके ही बाजू में बैठी मा गिरिजा,भगवान पिनाकी की और देखकर मा गिरिजाबोली ,पिनाकी,आपने सब कुछ सुन लिया होगा ,आपसे भला क्या छुप सकता है इस दुनिया मे ,कही शिवा सब बातें तेजा का मन रखने के लिये तो नही कह रहा है ,शिवा ने तेजा के मन से सच जान लिया होगा इसीलिये उसने कुछ पुछने और बताने से मना किया ना ,
पिनाकी ने अपनी आंखें खोलकर कहा ,नही देवी न तो काल ने तेजा का मन पढ़ा या वो उसके दिल को रखने के लिये सब कह रहा है ,काल जो भी कह रहा है वो सच ही कह रहा है ,
मा गिरिजा,आप शिवा को काल क्यो कह रहे है ,काल तो उसका ही दूसरा रूप है ना ,
भगवान पिनाकी ,में काल की बात कर रहा हु जो तेजा का पतीं है ,शिवा की नही देवी ,
मा गिरिजा हस कर पिनाकीजी से ,आप कभी कोई बात बेमतलब नही कहते ,जरूर इसमें कोई बात होगी जो सिर्फ आपको ही पता होगी ,
पिनाकीने कहा ,देवी आप से भला हमने कुछ कभी छुपाया है जो अब छुपाना चाहेंगे ,आप आदिशक्ति हो आपसे हम कभी झुठ नही बोल सकते ,
मा गिरिजा,मुझे पता है आप और बाकी त्रिशक्तिहम तीनों से नाराज है ,जब से हम तीनों ने भुजंग की तपस्या से प्रसन्न होकर उसे एक गुप्त वरदान दिया है ,जो आप तीनो को भी नही पता तबसे आप त्रिशक्तिहम से नाराज है ,
तभी उनके कानों में मा हंसिनी और माँ पद्माकी आवाज एक साथ आयी जो कबसे रचनाकारऔर विश्वेश जी के साथ यहा पर आ कर भगवान पिनाकीजी और माँ गिरिजाकी बात सुन रहे थे ,आपने बिल्कुल सही कहा है बहन यही बात सच है ,
तीनो त्रिशक्तिके चेहरे पर हँसी आ गई ,भगवान विश्वेश बोले ,हम तीनों आपसे नाराज नही देवी ,ना कभी होंगे ,हम तीनों आज अपने मुह से कह देते है आज यह बात ,आप तीनो को यकीन हो जायेगा ,
भगवान रचनाकारऔर पिनाकीने भी यही बात दोहराई ,मा पद्माने कहा ,पिनाकीमुझे एक बात पुछनी है आपसे ,क्या शिवा की मौत तेजा के हाथों से आप होने देंगे,आप कुछ करेंगे नही शिवा को बचाने के लिये ,भगवान विश्वेश और रचनाकारजी कहते है कि सिर्फ आपको ही सब पता है इस बारेमे ,वो दोनो भी सिर्फ मात्र दर्शक है इस कहानी में ,पहली बार खुद आपने इस कहानी को रचा है ,तो आप शिवा को कैसे मरने दे सकते है ,
भगवान पिनाकी,देवी नियति को हम त्रिशक्तिभी नही बदल सकते ,जो होने है उसमें बदलाव करने से सृष्टि का ही संतुलन बिगड़ सकता है ,आप को इतना ही बता सकता हु की शिवा के सही कर्म और उसकी सोच ही सबसे बड़ी ताकद होगी इस कहानी में ,आजतक बहुत से लोगो ने अपनी दिव्य शक्ति की मदद से या हमसे वरदान पाकर अपनी मौत को टालना चाहा है ,पर शिवा को अपनी बुद्धि से सिर्फ अपने दुश्मनों से नही अपने चाहने वालो के साथ भी लड़ना है ,जिसमे उसका साथ सिर्फ उसकी बुद्धि ही उसे जीत दिला सकती है ,दुनिया मे सबसे कठोर कोई है तो वह मौत होती है जो न कभी किस पर दया करती है ,ना कोई भेदभाव ,बच्चा ,बड़ा ,बूढ़ा ,जख्मी ,बीमार ,पापी ,पुण्यवान सबके लिये वह समान रूप से काम करती है ,मौत सबके सही समय पर होकर ही रहती है उसे टाला या रोका नही जा सकता ,शिवा की भी मौत उसके सही समय पर होकर रहेगी ,इसे हम नही रोक सकते ना,ही रोकने की कोशिश करने वाले है ,
भगवान पिनाकीकी बात सुनकर भगवान विश्वेश और भगवान रचनाकारअपनी पत्नियों के साथ अपने अपने लोक चले गए ,भगवान पिनाकीभी अपनी आंखें बंद करके अपने ध्यान में चले गए ,और माँ गिरिजाअपने विचारों में खो गई ।
 
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Update 94
काल के बाहो में तेजा किसी बच्चे की तरह लिपटकर उसके साथ खुर्सी पर बैठी थी ,काल ने अपने समयमनी मे उसे लेकर जाने लगा तो तेजा ने अपनी आंखें खोल दी ,आप के पास मय की बनी समयकुंजी मनी है ना ,क्या में वो मनी देख सकती हूं ,काल ने बिना बोले वो मनी तेजा के हाथ मे दे दी ,तेजा ने अपने हाथ मे वो समयकुंजी मनी को लेकर अपनी आंखें बंद कर दी उसके हाथों में वो समयकुंजी मनी एकदम चमकने लगी ,और कुछ देर बाद उस समयमनी का प्रकाश कम हो गया ,तेजा ने वो समयमनी काल के हाथ मे देकर कहा ,यह लीजिये समयकुंजी मनी अब मेंनें इसमें एक बदलाव किया है ,पहले इसमें 24 घण्टा रहने पर बाहर की दुनिया मे 1 घण्टे का समय बीत जाता था और उल्टा करने पर इसमे 1 घण्टा रहने पर बाहर 24 घण्टे बित जाते थे पर अब इसमें 24 घण्टे रहने पर बाहर की दुनिया मे सिर्फ 1मिनीट का ही समय बीत सकेगा और उल्टा करने पर बाहर की दुनिया मे 24 घण्टे खत्म होने पर इसमे 1 मिनिट का ही समय खत्म होगा ,काल तेजा की बात सुनकर हैरत में पड़ गया जिस समयमनी को सिर्फ त्रिशक्ति ही देख सकते है ,नष्ट कर सकते है उसे तेजा ने अपनी ताकद से पल में बदल दिया ,काल को बिना बोले ही तेजा ने अपनी ताकद का एक नमूना दिखा दिया था ,काल समझ गया था तेजा में उससे कही ज्यादा ताकद और शक्तिया है ,काल उसके सामने कभी खड़ा हुवा तो एक पल में काल को मिटा सकती है ,काल ने अपने हाथ मे समयमनी लेकर और अपने साथ तेजा को लेकर समयमनी में आ गया ,उसने तेजा से एक सवाल किया ,क्या आप मेरा मन भी पढ़ सकती है ,
तेजा के चेहरे पर पहली बार मुस्कान दिखी काल को जिसको देखकर काल को ऐसा लगा कि कोई इतना प्यारा कैसे हस सकता है ,तेजा की हर अदा काल के मनमंदिर में बस रही थी ,अपने दिलोदिमाग में वो इस हसीना के इस हसते सुंदर मुख को बसा रहा था ,काल को ऐसा लग रहा था वो हमेशा ऐसी ही हसती रहे और काल उसको देखता ही रहे ,तेजा के इस मोहजाल से काल उसके आवाज से बाहर आया ,आप मुझे देखकर ऐसे कहा खो जाते है ,शादी के वक्त भी आप ऐसे ही खोए से दिख रहे थे ,कमरे में आकर भी आप मुझे ऐसे ही एकटक देख रहे थे ,और अभी भी कही खो गए हो ऐसा लग रहा है ,
काल ,क्या तुमने शादी के वक्त मेरी तरफ देखा था ,में तो जान ही नही पाया ,कब देखा था तुमने मेरी तरफ ,कालने बड़ी उत्सुकता से पूछा ,तेजा ने शरमाते हुवे कहा ,जब आप मेरी मांग में सिंदूर लगा रहे थे ,आपकी तरफ तब मेंनें देखा था ,आप ने सिंदूर लगाने के बाद भी मेरे सर से हाथ नही निकाला था ,अपने मेरी मांग ही नही मेरे पूरे सर के बालों में सिंदूर भर दिया था ,तेजा की बात सुनकर ,काल को भी अब शर्म आ रही थी अपने कृत्य की उसने तेजा से कहा ,माफ कीजिए पर आपको देखकर में आपकी सुंदरता में खो सा गया ,उसकी वजह से मुझसे गलती हो गयी होगी शायद ,में आपसे माफी मांगता हूं मेरी इस हरकत के लिये ,काल की बाते सुनकर तेजा नाराजगी भरे स्वर में बोली ,मेंनें आपसे कोई शिकायत नही की इस बात की ,आज आप को मुझसे एक वादा करना होगा ,आप कभी मुझसे माफी नही मांगेगे ,काल तेजा की तरफ देखकर ,तेजा आप से माफी तो बहुत सी बातों की मांगने वाला था पर तुम मुझसे वादा मांग रही हो तो नही मांगूगा में तुमसे कभी माफी ,पहली बार तुमने कुछ मांगा है तो में तुम्हे निराश नही करूँगा ,
तेजा ,आप को में एक और बात बता देती हूं ,में आपका मन नही पढ सकती ,और आप भी कभी मेरा मन नही पढ सकते ,में आप भले ही मेरे बारे में कुछ नही पुछने वाले पर मुझे एक बात आपको बतानी है ,में अभीतक अविवाहित थी ,मेरे साथ कभी गरुड़ लोक के महाराज ने शादी नही की ,मेंरे पहले और सदा के लिये आप ही पतीं है ,मुझे मेरे जन्म से ही इस गरुड़लोक की महारानी बना दिया था ,आपसे शादी मेंनें आपको देखकर या पसन्द करके नही बल्कि जो सिंहार बनकर गरुड़ लोक भी नया राजा बनेगा उसीसे शादी करनी थी ,और आपके साथ मेंनें विवाह कर लिया है ,अगर आप सबकुछ जानना चाहते है तो में आपको बताने को तैयार हूं ,
काल ,नही तेजा मुझे नही जानना है कुछ मेंनें तुम्हे पहले ही बता दिया है ,मुझे बस इतना ही पता है कि तुम जैसी हसीन और सौंदर्य वती औरत जो दिल से भी उतनी ही खूबसूरत है वो मेरी पत्नी है ,मेरे लिये इतना ही बहुत है ,में तुम्हारे साथ जितना भी वक्क्त रहू बस तुम्हारे प्यार में ही वो वक्क्त बिताना चाहता हु ,में तुम्हे अपनी आत्मा में बसाना चाहता हु ,क्या मुझे यह मौका नही मिलेगा ,तेजा ने काल की आंखों में देखते हुवे कहा ,आप ही नही में भी आपको अपनी आत्मा में बसाना चाहती हु ,हर एक पल आपके साथ जीना चाहती हु,आपकी बाहो में खोना चाहती हु,आपकी महक को अपने अंदर हमेशा के लिये बसाना चाहती हु ,आपके बाहो में लिपटकर चैन की नींद सोना चाहती हु ,जिंदगी का हर सुख आपके साथ लेना भी चाहती हु और आपको देना भी ,
तेजा ने काल के सामने ही एक सुहाग की सेज बनाकर एक दुल्हन के लिबास में बैठ गई ,काल तेजा की बात सुनकर आंखों में प्यार लिये तेजा की हरकत देख रहा था ,तेजा एक दुल्हन के लिबास में बैठी थी जिसके रूप को देखकर काल मदहोशी के आलम में डूब गया था ,तेजा को अपने सामने देखकर काल के कदम तेजा की तरफ अपने आप चले गए ,तेजा के सुंदर से नाजुक हाथो में लाल मेहंदी ,हाथो की चूड़ियां बहुत ही ज्यादा जच रही थी ,लाल सुर्ख जोड़े में तेजा किसी चाँद की तरह चमक रही थी ,काल ने उसके चेहरे को अपने दोनो हाथो से पकड़कर ऊपर उठाया ,तेजा की नीली आंखों में देख रहा था जहाँ पर सिर्फ काल का ही अक्स दिख रहा था ,और एक समर्पण का भाव ,काल ने उसके तरफ देखकर कहा ,मेरी किस्मत इतनी हसीन होगी इसका मुझे अंदाजा भी नही था ,काल ने यह कहकर उसकी आँखों को अपने होठो से चूम लिया ,तेजा के चेहरे पर एक मनमोहक मुस्कान फैल गई थी ,तेजा ने काल के ओठो से अपने गलाबी ओठो से चूमकर कहा ,आप से मोहब्बत मिलना ही मेरी खुशनसीबी होगी ,काल के होठो को वो इतने प्यार से चूम रही थी कि काल कुछ बोलने के हालात में ही नही था वो इस अमृत की रस को पी रहा था ऐसा सुख उसके दिल मे उतरकर उसकी रूह तक जा रहा था ,जब तेजा ने अपनी नाजुक सी जीभ काल के होठो से अंदर उसके जीभ को चुसने लगी तो काल के बदन का हर एक रोया खड़ा हो गया ,तेजा के इस मुख सागर से मिलता आनंद उसे स्वर्गलोक की सैर करवा रहा था ,काल को अपने ऊपर लेकर तेजा कब पीठ के बल लेट गयी काल को समज ही नही आया ,तेजा ने अपने दोनो हाथो से काल के हाथ पकड़ कर अपने स्तनों पर रख दिये ,तेजा के नग्न स्तनों का मखमल के सा अहसास होते ही काल को भान हुवा की ना तो उसके बदन पर कोई कपड़ा है ना तेजा के ,तेजा ने अपनी शक्तियों के इस्तेमाल से दोनो को निर्वस्त्र कर दिया था ,काल अपने दोनो हाथो से उसके स्तन को प्यार से मसलता तेजा के होठो का रस पीने में लगा था ,तेजा ने जब खुद अपने होठो को अलग किया तो काल की नजर तेजा के वे गोरे गुलाबी स्तनों के ऊपर ध्यान गया,तेजा के स्तन इतने बड़े और दिलकश थे कि काल के दोनो हाथो में भी एक पूरा नही बैठ सके ,काल ने तेजा के उन्नत स्तनों पर एक गोलाकर मोटे से नीपल को अपनी दोनो अंगलियो में मसला तो तेजा के पूरे बदन में बिजली दौड़ गई ,काल ने उस निप्पल को अपने मुह में लेकर चुसने लगा ,तेजा काल की इस हरकत से मचल रही थी ,वो काल के बालों में अपनी उंगलियों को घुमाती उसे और ज्यादा अपनी छाती में दबा रही थी ,काल भी उसके निप्पल के साथ स्तन को अपने मुह में भरकर चुसने लगा ,काल ने दोनो स्तनों को अपने दांतों से हल्के से काटता और उन्हें दबाता काल ने बहुत देर तक तेजा के दोनो स्तनों का आंनद लिया ,फिर उसके सपाट पेट को चूमता नीचे आने लगा ,तेजा की नाभि के अंदर अपनी जीभ को घुमाकर उसकी नाभि को भी चुसने चाटने लगा ,तेजा के मुह से मादक सी सिसकिया निकल रही थी,काल ने जब तेजा की दोनो जांघो को अलग करके उसके चुत को देखा तो उसकी नाजुक छोटी सी चुत की सुंदरता से मोहित होकर उसने होठो से उस परी को चूम लिया, काल ने तेजा की चुत सी आती इस महक से सूंघ कर उसके नशे में अपने वजुद को भुल गया था ,काल तेजा की चुत को अपने होठो और जीभ का कमाल दिखा रहा था ,तेजा के चुत से निकल रहा पानी मजेसे पी रहा था ,काल के लगातर हमले से अपने चुत में उठ रहे तूफान से तेजा एक धनुष की तरह तन गईं,उसकी चुत में हजारो साल के कैद लावा तेजीसे बाहर निकलने लगा ,जिसकी महक और स्वाद ने काल यह बता दिया कि यह रस अब तक का सबसे अवर्णनीय है ,काल ने उस को पूरा चाट के साफ कर दिया था ,काल ने अपनी आंखें उठाकर तेजा की तरफ देखा तो उसकी आँखों मे एक निमंत्रण था अपने ऊपर आने का तेजा की कामुक नजरो से इशारा मिलते ही उसपर एकदम तेजीसे सवार हो गया ,काल के होंठों को चूसती तेजा काल के लन्ड अपनी नरम गुलाबी चुत घिसने लगी ,जैसी ही एक दो बार घिसने के बाद काल का मोटा सुपडा उसे लाल छेद से टकराया ,तेजा की चुत ने उसे अपनी अंदर किसी अजगर के तरह पूरा निगल लिया ,तेजा की चुतसे खून की एक तेज धार बहकर काल के लन्ड से होती बिस्तर पर टपक रही थी,पर तेजा की चुत काल को एकदम जकड़ के पकड़े हुवे थी ,काल ऐसी अद्भुत हरकत से स्तब्ध रह गया ,तेजा की आँखों में एक अलग ही तरह ही चमक उठ रही थी ,काल के लन्ड को अपने अंदर लेकर मानो उसे ऐसा लग रहा था कि आज वो पूरी हो गई है ,उसके अंदर के खालीपन को काल ने अपने लन्ड से पूरी तरह भर दिया था ,मानो वह कह रहा हो तुम्हे मेरी ही तलाश थी जो आज पूरी हो गयी हो ,काल के लन्ड को भी अपने लन्ड से ज्यादा गर्म चीज का अहसास तेजा की चुत दे रही थी ,काल के लन्ड पर उसकी पकड़ काल को अलग ही मजा दे रही थी ,काल ने जब उसकी चुत से अपना लन्ड निकलाने लगा तो मानो उसकी चुत सब समझ गयी थी ,उसने काल को अपनी पकड़ से थोडी हलकीं कर दी और जब वापिस काल के लन्ड ने उसमे घुसने की कोशिश की तो उसे जकड़ के अपने अंदर खीच लिया ,काल तेजा को चूमता उसकी बड़ी सी गोल गांण्ड को अपने हाथों में थामकर तेजा को अपने लन्ड के ताल पर नचाने लगा ,तेजा भी अपनी गांण्ड उठाकर उसके लन्ड को जड़ तक अंदर लेकर उसके ताल से ताल मिला रही थी ,काल लन्ड हर बार उसके गर्भाशय के अंदर तक चोट दे रहा था ,काल और तेजा दोनो एक दूसरे को अपनी ताकद आज चुत और लन्ड से दिखा रहे थे ,दोनो पसीने से लथपथ हो गए थे ,तेजा की चुत ने पहले हथियार डाल कर अपने लावे को काल के लन्ड पर उगल दिया पर साथ उसकी चुत ने काल के सुपाडे को ऐसा जकड़ कर अपने अंदर दबाया की उसके मुह से हुँकार निकल गई और अपने लन्ड से गर्म माल की पिचकारियां तेजा के गर्भ में भरने लगा ,आज पहली बार काल इतना झडा था ,दोनो संतुष्ट होकर एक दूसरे के बाहो में अपनी सा साँसे दुरस्त करने लगे ,पर जैसी ही उनकी साँस सम्भल गई दोनो एक दूसरे की तन की आग से फिर भड़क उठे ,पता नही कितनी बार काल एक ही आसन में उसकी चुत में खाली हुवा होगा न तेजा का मन भर रहा था काल के गर्म वीर्य को अपने गर्भ में सोखकर न काल का लन्ड तक रहा था ,पर काल को उसकी गांण्ड को देखने का मोह ज्यादा बर्दाशत नही हो रहा था ,कबसे वो तेजा की नरम गांण्ड को मसल रहा था ,उसके छेद को छेड़ कर उसमे अपनी उंगलिया डालकर उसकी गहराई और लचीलापन देख चुका था ,उसकी अंगलियो को चाट कर उसका स्वाद भी ले चुका था बस उसके पूरे दर्शन करने हेतु जब उसने तेजा को घोडी बनाया तो उसके सारे अरमान पूरे हो गए ,उसके सोच से भी कहीं ज्यादा खूबसूरत गांण्ड के दर्शन से उसकी सुंदरता में मोहित होकर उसे चूमने लगा ,काटने लगा ,उसके गांड़ के गुलाबी छेद को जब वो चाटने और कुरेद कर अंदर डालने लगा तो ,तेजा के मुह से ऐसी मादक सिसकिया निकलने लगी कि उसे सुन कर काल का लन्ड फटने पर आ गया ,कालने तेजी से अपने लन्ड की तड़प को उसके चुत में एक जोरदार धक्के से मिटाई ,काल किसी जंगली घोड़े की तरह इस सुंदरी की चुदाई में जुट गया ,काल तेजा के साथ चुदाई मव उससे मिलते प्रतिसाद से उसका गुलाम हो गया था ,तेजा को घोडी बनाकर उसकी चुत में अपना माल भरता अपनी मालकिन की चुत को खुश करने लगा ,मालकिन भी काल के चाहत को समझ कर अपने गांण्ड के छेद को खोंलने और बन्द करने लगी और उसे बताने लगी अब तुमको कहा से मेरे अंदर आना है ,काल ने भी उसके चुत में अपना माल भरकर उस अनोखे लाल छेद में अपने लन्ड को एक ही वार में अंदर तक उतार दिया ,तेजा के गांण्ड से भी खून के बुन्दे निकल कर काल के लन्ड का तिलक करती उसका पहली बार आने का स्वागत करने लगी ,काल के लन्ड को अपने गांण्ड के छेद की नरमी और गर्मी दिखा कर तेजा उसके लन्ड पर अपनी गांण्ड बहुत तेजीसे पटक कर खुशी का इजहार करती काल को मादक सिसकियों से भड़काने लगी ,काल भी तेजा की गांण्ड को दबादबाकर उसमे अपने लन्ड से गहरे वार करने लगा ,दोनो अपनी ही धुन में लगे रहे जब तक काल का मन नही भरा उसकी गांण्ड में अपने माल को भरता रहा और फिर उसकी गांण्ड मारता रहा ,पसीने से लथपथ दोनो के बदन को देखकर कालने कुछ देर आराम करने की सोची, वो तेजा के बगल में ही पीठ के बल लेट गया ,तेजा की नजर काल उस खूबसूरत गोरे लाल लन्ड पर गयी ,तेजा ने उसके खड़े लन्ड को पकड़ कर अपने हातो में पकड़ लिया ,उसके नाजुक से दोनो हाथो में वो लन्ड पूरा नही आ रहा था ,तेजा ने उसकी खुश्बू लेकर देखी जो उसे भी पसंद आयी और जब उसने काल के लन्ड को चाट कर देखा तो मानो काल के मुह स्व खुशी की सीत्कार निकल गई ,काल को मिलती खुशी देखकर तेजा काल के पुरे लन्ड को चाटने लगी ,उसे अब काल के लन्ड का स्वाद भा गया था ,वो जड़ से सुपाडे तक अपनी गुलाबी जीभ घुमाती ,कभी सुपाडे को थोड़ा मुह में लेकर चूसती तो ,कभी उसकी एक संतरे जैसे गोल अण्डों को मुह में लेकर उसे चुस्ती ,काल के लन्ड को चूसते हुवे उसने उसको पूरा अपने गले मे उतार लिया ,और काल की गोटिया को दोनो हाथो से दबाने लगी ,काल का लन्ड पहली बार किसिने पूरा अपने मुह में ले लिया था ,तेजा जब काल की गोटिया दबाने लगी तब काल ने उसे इस हरकत का इनाम अपने गर्म गाढ़ी सफेद मलाई पिलाकर दिया ,जो तेजा मजैसे चटकारे लगाकर पी गयी ,काल की मलाई तेजा को इतनी पंसद आयी कि वो उसके लण्डपर किसी भुकी बिल्ली की तरह टूट पड़ी काल ने भी उसका मन और पेट भरने तक अपनी मलाई थोड़ी थोड़ी देर बाद पिलाता रहा ,तेजा ने काल को आज साबित कर दिया था कि उसके लिये तेजा ही सर्वोत्तम है ,काल जैसे नर को ऐसी ही मादा संभल सकती है और ठंडा कर सकती है ,काल तेजा को अपनी बाहो में भरकर उसकी आगोश में लिपटकर सुकून से सो गया ,,दोनो आज पहली बार इतने चैन की नींद सोए होंगे ,
काल गरुड़ लोक के अनुसार 9 बजे तेजा को समयमनी में लेकर आया था जो सुबह 7 बजे ही उसके साथ बाहर आया था ,समयमनी पूरे 600 दिन एक दूसरे के साथ बिताकर आये थे तेजा और काल ,तेजा के बदन में गजब का निखार आ गया था पहले से उसके स्तन और गांण्ड का आकर विलक्षण भराव का था काल ने उसमे दिन रात की चुदाई से बहुत ज्यादा बढ़ोतरी कर दी ,काल के वीर्य को पीकर और अपने चुत में पचाकर तेजा एकदम चमकने लगी थी ,उसकी चाल में एक लचक आ गयी थी जो बहुत ज्यादा जानलेवा लगतीं थी ,काल के साथ तेजा शरीर से नही बल्कि आत्मा से भी एक हो गईं थी ,तेजा के हर अरमान ,ख्वाब ,चाहत को काल ने पूरा किया था ,जिसकी वजह से उसके चेहरे पर एक मुस्कान दिखने लगी थी ,अपनी माँ और महारानी को लामी ,कामी और ओमी ने देखा तो अपनी माँ के मुस्कान को और उनके निखार से उन्हें बहुत खुशी हुवीं ,और जिसकी वजह से यह मुमकिन हो पाया था उस काल को तीनों ने आज अपना सर्वस्व देने की सोच ली थी ।
 

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