Incest किस्से कच्ची उम्र के.....!!!!

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किस्से कच्ची उम्र के.....!!!!

भाग 1

* दोस्तों ये कहानी सुरु होती है एक छोटे से गाँव से, इस कहानी में रिश्तों में चुदाई की किस्से भी होंगे, तो जिसे इन्सेस्ट पसंद नहीं वो ये कहानी न पढ़े, इसके किरदार के बारे में थोडा बता देती हु,

माधवी :- एक कमसिन खूबसूरत सेक्सी लड़की, बहुत ही सीधी साधी लड़की है, अपने काम से काम रखने वाली लड़की, स्कूल पढाई और परिवार यही इसकी जिंदगी है, सेक्स की दुनिया का ज्यादा कुछ पता नहीं, ❤️❤️❤️❤️

प्रभा :- माधवी की माँ उम्र 36 साल, ये भी बला की खूबसूरत और सेक्सी औरत है, पढ़ी लिखी होने के कारन रहन सहन बहुत अच्छा है,

जसवंत :- माधवी के पिता, ये किसान है, बहुत खेती होने के कारन पैसो की कोई कमी नहीं,

सागर :- माधवी का बड़ा भाई, शहर में पढता है, उम्र 19 साल, महीने में एक बार गाँव आता है सबसे मिलने के लिए, बाकि किरदार भी है, जैसे जिक्र होगा वैसे बताउंगी, तो कहानी सुरु करते है, * *

प्रभा :- माधवी कितनी देर लगाती है नहाने में, चल मुझे खाना बनाना है तेरे बाबा के लिए,

माधवी :- हो गया माँ...आ रही हु, ठीक से नहाने भी नही देती हो,

प्रभा :- आधे घंटे से अंदर है,

माधवी बहार आती है,

माधवी :- क्या माँ आप भी न.....

* लेकिन प्रभा उसकी बात सुनती भी नहीं और झट से अंदर चली जाती है,

माधवी अपने कमरे में जाके तैयार होने लगति है, *

जसवंत अपने कम निपटा के आता है, जैसे वो बाहर हॉल में आता है...

जसवंत :- प्रभा खाना हो गया क्या,

*माधवी :- बाबा माँ नहा रही है,

जसवंत :- अच्छा उसको कहना की मैं खेत के लिए निकल रहा हु, खाना लेने चंदू को भेज दूंगा,

चंदू :- - शादी शुदा जसवंत के यहाँ खेतो में कम करने वाला नोकर, उम्र 34 साल, बहुत ही चोदु किस्म का इंसान, इसकी बुरी नजर माधवी और उसकी माँ पे है, जसवंत के यहाँ सालो से काम करता है इसकी वजह से सब उसे अपने परिवार का ही समजते है,

माधवी :- ठीक है,

प्रभा जल्दी नहाके खाना बना देती है, माधवी भी तैयार होके अपना टिफिन उठाके स्कूल के लिए निकल पड़ती है,

रस्ते में अपनी दोस्त प्रियंका के घर होते हुए दोनों दोस्त स्कूल के लिए निकल पड़ते है,

प्रियंका :- -ये भी बहुत खूबसूरत है, लेकिन बहुत चंट है, ये पुरे गाँव की खबरे रखती है, ऐसे सेक्स की बातें करने में बहुत मजा आता है, लेकिन माधवी इसे हमेशा चुप करवा देती है, दोनों विपरित स्वाभाव की होने के बावजूद बहुत गहरे दोस्त

*बरसात का मौसम चारो तरफ हरियाली, ऐसे में गाँव बहुत ही खूबसूरत लगता है, स्कूल गाँव के थोडा बाहर था, गाँव से लेके स्कूल का रास्ता थोडा सुनसान ही रहता था, लेकिन स्कूल के टाइम नहीं होता था, रस्ते में कुछ मनचले लडके अपनी आखे सेकने बैठे रहते थे, वो सिर्फ दूर से देख के आहे भरते रहते थे, कोई कुछ बोलता नहीं था, *

* *माधवि और प्रियंका अपने क्लास में जाके बैठ जाती है, इस बात से अनजान की उसकी जिंदगी कुछ दिनों में पूरी बदलने वाली है,
 
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भाग 2

इधर माधवी के घर पे.....

चंदू :- भाभी...भाभी...मालिक का टिफिन हो गया हो तो दे दीजिये,

प्रभा :- हा हा ...हो गया है ये लो,

* प्रभा टिफिन लेके चंदू को देती है, चंदू प्रभा को देखते ही रहता है, उसकी बड़ी बड़ी चुचिया चलते वक़्त ऊपर निचे होते देख चंदू का लंड खड़ा होने लगता है,

चंदू :- मन में....आय हाय उम्म्म क्या चुचिया है...मन करता है अभी दबा दू...जी भर के चुसू दबाउ अह्ह्ह काश ये मेरी बीवी होती दिन रात इसको चोदते रहता,

प्रभा :- क्या हुआ चंदू भैया , क्या सोचने लगे,

चंदू :- अ..आ..वो कुछ नहीं...ठीक है मैं निकलता हु,

* *चंदू जाने के लिए मुड़ा...लेकिन थोडा आगे जाके वापस मुद के देखा ...प्रभा अपने कमरे की तरफ जा रही थी...उसकी मटकती गांड को देख अपना लंड मसलने लगा,

चंदू :- बस एक बार ये मुझे मिल जाय...ऐसी जमके चूत और गांड मारूँगा की कभी भूल नहीं पाएगी, अभी तो इसकी बेटी भी जवान हो गयी है, बिलकुल अपनी माँ पे गयी है, दोनों चोदने मिल जाय एक बार बस....ये सोचते हुए चंदू खेतो की तरफ निकल पड़ा, *

घर पे प्रभा अपना काम निपटा के आराम करने लगती है, ''ये चंदू आजकल बहुत घूरने लग गया है, इसकी शिकायत करनी पड़ेगी इनसे, घर में जवान बेटी है, कही उसके साथ इसने ऐसा वैसा कर दिया तो, ''

ये सोच के प्रभा थोड़ी घबरा जाती है, लेकिन अगले पल जब वो खुदको आईने में देखती है तो...'' वैसे चंदू की भी कोई गलती नही है...मैं हु ही इतनी सेक्सी...लेकिन आजकल ये मुझपे ध्यान ही नहीं देते, जब नयी नयी शादी हुई थी तब ये कितनी चुदाई करते थे मेरी, जब मौका मिला वही अपना लंड मेरी चूत में पेल देते थे, कई बार सासु माँ और ससुरजी ने भी देख लिया था, लेकिन ये नहीं सुधरे, लेकिन अब देखो घर पे कोई नहीं रहता फिर भी महीने में एकाद बार चोदते है, खैर मुझे भी अब चुदाई में ज्यादा दिलचस्पी नहीं रही, चलो थोड़ी देर सो जाती हु, माधवी आ जायेगी थोड़ी देर में, * **

*माधवी का स्कूल खत्म हो चूका था, वो घर जाने के लिए निकली....लेकिन जैसे वो स्कूल के कंपाउंड में आयी उसने देखा की सागर की बाइक वहा खड़ी है,

माधवी :- प्रियंका वो देख भैया की बाइक...वो आये है शायद...चल ऑफिस में देखते है,

प्रियंका :- हा चल ...उनके साथ ही घर चलते है...मेरे पैरो में दर्द है..मैं तो ये सोच सोच के पागल हो रही थी की घर तक पैदल कैसे जाउंगी...सागर को मेरे लिए ही भेजा है भगवान् ने...

* *उनकी ये बाते चल रही थी की सागर उनके पिछेसे आ रहा था और उसने प्रियंका की बाते सुन ली,

सागर :- हा बिलकुल तेरे लिए ही भेजा है मुझे....

दोनों चौक के पीछे देखती है...

माधवी :- भैया आप यहाँ कैसे,

सागर :- अरे वो *स्कूल में कुछ काम था,

माधवी :- मुझे बता देते मैं कर देती....और आपने फ़ोन भी नहीं किया,

सागर :- क्यू मेरे ऐसे अचानक आने से तू खुश नहीं है क्या, प्रियंका को देख कैसे खुश हो रही है,

माधवी :- वो तो घर पे पैदल नहीं जाना पड़ रहा इस बात से खुश है,

सागर :- हा चलो जल्दी...देखो लग रहा है बरसात होने वाली है,

*सागर बाइक सुरु करता है, माधवी पीछे बैठती है उसके पीछे प्रियंका,

थोड़ी दूर जाते है लेकिन बरसात जोर से सुरु हो जाती है, जब तक किसी पेड़ के निचे जाते तीनो बहुत भीग जाते है,

* माधवी अपने बैग से बड़ी पॉलिथीन की बैग निकालती है और उसमे अपना और प्रियंका का बैग रख देती है,

इधर सागर की नजर भीगी हुई प्रियंका पर पड़ती है, सफ़ेद सलवार पानी से भीग के पूरी तरह उसके बदन से चिपक जाती है, जिससे उसकी अंदर पहनी सफ़ेद ब्रा साफ़ साफ़ नजर आने लगती है, प्रियंका को ये बात समज आ जाती है की सागर उसे देख रहा है, उसे मन ही मन बहुत अच्छा लगता है, वो अपनी चुन्नी ठीक करने के बहाने से उसे ऐसे एडजस्ट करती है जिससे सागर को उसकी चुचिया देखने में आसानी हो, वो बहुत दिनों से मन ही मन सागर से प्यार करती है पर दोस्त का भाई होने के कारन कुछ कहती नहीं,

सागर उसकी चुचियो की गोलाई और साइज़ देख के चौक जाता है, उसे पहली बार अहसास होता है की प्रियंका अब जवान हो गयी है, और कमाल की जवानी निखर आई है उसकी, वो पेड़ के निचे खड़े थे मगर थोड़ी फवारे उन पर पद रही थी, सागर प्रियंका के चहरे पे पड़ती बारिश की बुंदे को देखता है, उसका भीगा चेहरा देख उसे कुछ होने लगता है, उसकी उभरती जवानी और खूबसूरती सागर के मन में भर जाती है,

सागर :- वाओ प्रियंका कितनी सेक्सी लग रही है, इसके सामने तो मेरी कॉलेज की लडकिया पानी कम चाय है,

* सागर कभी उसकी चूची को तो कभी उसके चेहरे को तो कभी उसके होटो को देखता है, प्रियंका शर्मा के निचे देखते रहती है, लेकिन उसे पता होता है की सागर उसे देख रहा है,

माधवी :- भैया क्या हुआ कहा खो गए,

*ये सुनके सागर और प्रियंका दोनों संभल जाते है,

माधवी :- मैंने बैग रख दिए है अच्छे से अब चलो ये बारिस नहीं रुकने वाली,

* वो तीनो फिर से बाइक पे बैठ के घर पहुंच जाते है,
 
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भाग 3

सागर और माधवी प्रियंका को उसके घर पे छोड़ देते है, प्रियंका अपने भीगे कपडे चेंज करने बाथरूम जाती है, अपनी चुनरी निकल के बाजु में रखती है, अपने आप को देखते ही उसे अहसास होता है की उसके भीगे कपडे उसके बदन से चिपके हुए है, वो देखती है की सागर ने उसे कैसे रूप में देख लिया था, एक अजीब सी लहर उसके पुरे शारीर में दौड़ जाती है, जब वो अपने सारे कपडे निकल के नंगी होती है तो देखती है उसकी चुचिया बहुत टाइट हो चुकी है, उसके गुलाबी निप्प्ल्स एकदम तने हुए है, बारिश के मौसम की ठंडी हवाये उसके शरीर में रोंगटे खड़ी कर चुकी है,

लेकिन प्रियंका को उस ठण्ड में भी प्यारी सी गर्मी का अहसास हो रहा था, जब उसने अपने बदन को छुवा उसकी उत्तेजना और भी बढ़ गयी, वो अपनी आँखे बंद करके सोचती है की कैसे सागर उसे देख रहा था, जब से प्रियंका जवान हुई थी न जाने कितनी बार सागर के बारे में सोच के उसने अपनी चूत में उंगली डाल के उसे चोदा था, पर आज की बात कुछ और ही थी, आज उसकी चूत कुछ ज्यादा ही मस्त हो रही थी, बारिश का पानी और अपनी चूत से निकला रस दोनों मिक्स हो रहे थे, ठन्डे पानी और अपनी चूत का गरम रस उसकी चूत को आज अलग ही मजा दे रहे थे, उसने एक उंगली चूत पे घुमाते हुए दूसरे हाथ में अपना चुचियो का गुलाबी निप्पल मसलने लगी, आँखे बंद कर सागर के बारे में सोचते हुए अपनी चूत को उंगली से चोदने लगी,

प्रियंका :- अह्ह्ह स्स्स्स सागर उफ्फ्फ कब तक तड़पाओगे मुझे अह्ह्ह उम्म्म्म देखो न मेरी चूत कैसे गीली हो रही है तुम्हारी याद में अह्ह्ह्ह

आज प्रियंका की उत्तेजना उफान पर थी, उसकी चूत इतनी गीली हो चुकी थी की दो उंगलिया भी एक साथ उसकी चूत में आसानी से अंदर बाहर हो रही थी, प्रियंका जल्द ही अपनी मंजिल पर पहुंच चुकी थी,

प्रियंका हांफ़ते हुए वाही निचे बैठ गयी, आज से पहले ऐसा अहसास उसे कभी नहीं हुआ था, थोड़ी देर बाद वो नहाके और अपने कपडे चेंज करके वापस अपने कमरे में आ गयी,

* इधर सागर का हाल भी कुछ ऐसा ही था, बार बार उसे प्रियंका का वो भीगा बदन आँखों के सामने आ रहा था, बारिश की बुँदे उसके माथे से होते हुए उसके चहरे को उसके होटो को छूती उसके गले से उतरकर उसकी चुचियो की दरारों में समाती देख उसे एक अनोखा अहसास हो रहा था, उसका लंड वो नजारा देख के तबसे खड़ा था, बड़ी मुश्किल से माँ और माधवी से उसने छुपाया था, और जिस वक़्त प्रियंका सागर के बारे में सोच के चूत को उंगलियो रगड़ रही थी उसी वक़्त सागर भी प्रियंका के नाम की मुठ मार रहा था, **

* आग दोनों तरफ लग चुकी थी, लेकिन दोनों की समश्या एक ही थी*

* * * "माधवी"

सागर सोच पड़ा था की प्रियंका तक वो अपने दिल की बात कैसे पहुचाये, उसे उससे ज्यादा फिकर इस बात की थी की अगर माधवी को पता चल गया तो , , और उसने माँ बाबा को बता दिया तो उसकी खैर नहीं, क्यू की वो जानता था उसकी बहन बहुत ही सीधी थी,

* प्रियंका भी यही सोच के परेशान हो रही थी की सागर उसे पसंद करने लगा है ये बात उसे पता चल चुकी है पर माधवी को कैसे समझाएगी,

* दूसरे दिन सुबह हमेशा की तरह माधवी स्कूल जाने के लिए निकली तो सागर ने उसे रोक लिया,

सागर :- माधवी चल मैं तुझे छोड़ देता हु,

माधवी :- क्यू आप नहीं जा रहे क्या, आपका कॉलेज,

सागर :- अरे आज शुक्रवार है ....अभी फिर दो दिन छुट्टी है ....सोचा की अब सोमवार को ही जाऊंगा,

माधवी :- सच भैया, चलिए....

* *दोनों बाइक पे बैठ के प्रियंका के घर पहुंचते है, *

प्रियंका :- अरे सागर..... भैया आप गए नहीं...

* *सागर को भैया कहना उसे बहुत जान पे आ रहा था...पर दिल पे पत्थर रख के उसने पूछा,

माधवी :- हा भैया दो तिन दिन बाद जाने वाले है,

* ये सुनके प्रियंका बहुत खुश हो गयी,

वो तीनो बाइक से स्कूल पहुंचे,

सागर और प्रियंका एक दूसरे को छुप छुप के देख रहे थे, कभी कभार जब उनकी नजरे टकरा जाती तो दोनों भी एक प्यार भरी स्माइल कर देते, ये बहुत ही खूबसूरत वक़्त होता है दो प्यार करने वालो के लिए, छुप छुप के एक दूसरे को देखना, होटो पे तो खामोशी होती है पर दिल के अंदर न जाने कितने अरमान आंगडाइ ले रहे होते
 
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भाग 4

सागर उन दोनों को स्कूल छोड़ने के बाद जाने के लीये मुड़ता है, लेकिन उसे पिछे से प्रियंका के पुकारने की आवाज आती है, वो रुक जाता है, प्रियंका उसके पास आती है,

प्रियंका :- सागर ..स्कूल से लेने के लिए भी आओगे ना,

*पहले तो प्रियंका के सिर्फ सागर कहने से उसे एक अलग ही ख़ुशी मिलती है और दूसरा प्रियंका उसे स्कूल से लेने के लिए बुला रही होती है,

सागर :- हा आऊंगा ना....

प्रियंका :- ठीक है बाय...

* सागर भी उसे बाय बोलके वापस गाँव की तरफ निकल पड़ता है,

इधर प्रभा घर पे अकेली थी, जसवंत का टिफिन लेने के लिए चंदू आता है, घर के बाहर से आवाज देता है पर प्रभा अभी भी खाना बना रही होती है, चंदू थोडा अंदर जाता है, किचन में प्रभा काम कर रही थी, उसकी पीठ दरवाजे की तरफ थी, चंदू उसे देखता है, प्रभा की साडी कमर से खिसकी हुई थी, उसकी गोरी कमर को देख चंदू का लंड में हलचल होने लगाती है,

चंदू :- अह्ह्ह स्स्स साली क्या मस्त लग रही है, पसीने की बुँदो से क्या चमक रही है, साड़ी भी क्या कसके पहनती है पूरी गांड उभर के दिखती है, उम्म्म्म्म्म अह्ह्ह मेरा लंड तो पूरा खड़ा हो गया,

प्रभा को अहसास होता है की दरवाजे पे कोई खड़ा है, वो पलट के देखती है, चंदू पैजामे के ऊपर से अपना लंड मसलते हुए देख लेती है, चंदू झट से अपना हाथ हटाता है,

चंदू :- वो भाभी टिफिन.....

प्रभा :- हा बस हो ही गया, ....आप बैठो बाहर....और पलट के काम करने लगती है....लेकिन पलटते वक़्त वो चंदू के खड़े लंड को एक नजर देखने से खुद को रोक नहीं पाती,

चंदू बाहर जाके बैठ जाता है,

प्रभा :- साला कमीना...आज तो हद्द हो गयी...लगता है इसकी शिकायत करनी ही पड़ेगी, कैसे मुझे देख के लंड मसल रहा था, लेकिन उसका लंड बहुत बड़ा लग रहा था, माधवी के बाबा से भी बड़ा, उफ्फ्फ ये मैं क्या सोच रही हु, एक पराये आदमी के लंड के बारे में, ,

छी....लेकिन अगर उसका लंड बड़ा है तो है उसमे क्या, शर्म के मारे ठीक से देख नहीं पायी, लेकिन जितना देखा उससे तो काफी मोटा और लंबा लग रहा था, और उसकी बीवी भी तो बोल रही थी की जब वो उसे चोदता है तो उसकी चूत फाड़ देता है, क्यू न एक बार अच्छेसे देख लू कितना बड़ा है, चुप कर कुछ भी क्या, अरे मैं कोनसा चुदने वाली हु उससे बस एक बार देखना है और वो भी पैजामे के ऊपर से,

आखिर प्रभा का मन उसके लंड को एक बार देखने के अधीर हो उठता है, वो अपनी साडी को थोडा साइड में कर लेती है ताकि वो उसकी चुचियो को देख सके ताकि उसका लंड खड़ा हो जाय,

प्रभा :- चंदू भैया जरा यहाँ आइये...

चंदू प्रभा की आवाज सुनके अंदर जाता है,

चंदू :- जी भाभी...क्या हुआ,

प्रभा :- ये तेल खत्म हो गया है, वो बड़ी कैन से इस छोटी कैन में डाल दीजिये, *

चंदू :- जी भाभी अभी डाल देता हु, ...चंदू की वासना भरी नजर प्रभा की चुचियो पे पड़ती है जो उसकी डीप नैक ब्लाउज में से थोड़ी दिख रही थी, चंदू का लंड में फिर से तनाव आने लगता है, प्रभा तिरछी नजरो से देख के मन ही मन खुश हो रही थी, वो एक छोटी प्लेट में कैन रखती है ताकि तेल जमीन पे न गिरे, वो उसे चंदू के सामने रख देती है और खुद उसके साइड में निचे बैठ जाती है,

चंदू खड़ा होने के कारन और प्रभा थोडा निचे की तरफ झुकने से चंदू को आधे से ज्यादा चुचिया दिखने लगी थी, चंदू का लंड झटके मारने लगा था क्यू की इसकी उसने कभी उम्मीद नहीं की थी, प्रभा थोडा तिरछी नजरो से देखती है, पतले पैजामे में से चंदू का अंडर वियर साफ़ दिख रहा था, और उसके लंड का आकर भी,

प्रभा :- हा भैया अब डाल दो....धीरे से डालना...निचे गिरना नहीं चाहिए,

चंदू :- जी भाभी.....मन में..साली डाल दो तो ऐसे बोल रही है जैसे *अपनी चूत में लंड डालने को कह रही है, उम्म्म्म्म भाभी बस एक बार चूत में डालने के लिये कहदो कसम से ऐसा मजा दूंगा न अह्ह्ह्ह्ह्ह

*चंदू ये सब सोच रहा था और अपने लंड को झटके दिए जा रहा था, प्रभा उसके खड़े लंड का साइज़ देख पागल सी हो गयी थी, इतना तगड़ा लंड इतने करीब से देख के उसकी चूत गीली होने लगी थी,

प्रभा :- मन में..हाय रे क्या मस्त लंड है उफ्फ्फ्फ़ किस्मत वाली है इसकी बीवी उम्म्म्म मेरे पति का इतना बड़ा होता तो कितना मजा आता चुदने में स्सस्सस्सस

तेल की छोटी कैन भर चुकी थी मगर दोनों अपने खयाल में मस्त थे,

प्रभा का ध्यान कैन पे जाता है...

प्रभा :- बस हो गया भैया...हो गया,

चंदू बड़ी कैन अपनी जगह रख देता है,

चंदू :- और कोई काम हो तो बता दीजिये भाभी...संकोच मत कीजियेगा कभी, चंदू अपना लंड सेट करते हुए कहता है,

प्रभा उसकी बात का मतलब समझ जाती है, प्रभा काफी उत्तेजित महसूस कर रही थी, इस वजह से उसकी हरकते उसे बुरी नहीं लग रही थी,

प्रभा :- नहीं भैया अब कोई काम नहीं....आप जाओ वो टिफिन की राह देख रहे होंगे,
 
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भाग 5

थोडा संभलने के बाद सागर अंदर गया, विजय कुछ काम कर रहा था, सागर को देख के वो खुश हो जाता है,

विजय :- अरे तू कब आया, फ़ोन भी नहीं किया...

सागर :- कल ....हा अब गाओं में ही हु तो क्या फ़ोन करना इसलिए सीधा यही आ गया,

विजय :- चल आजा घर चलते है...

सागर :- नहीं यही बैठते है...

विजय :- चल ठीक है....और बता क्या हालचाल,

सागर :- मेरा छोड़ साले तू बता ये क्या चक्कर है तेरा,

विजय :- क्या चक्कर, किस बारे में बात कर रहा है,

सागर :- ये तेरी चाची वाला.....

सागर को लगा की विजय घबरा जायेगा मगर वो तो हंस रहा था,

विजय :- अच्छा वो..तूने देखा क्या,

सागर :- हा...

विजय :- देख भाई...उसे लंड की जरुरत थी मैं उसकी जरुरत पूरी कर रहा हु,

सागर :- लेकिन वो चाची है तेरी...

विजय :- हा तो क्या, चाचा उसे चोदता नहीं तो वो बेचारी क्या करे,

तू टेंशन मत ले यार...

सागर :- भाई ये गलत है लेकिन...

विजय :- सुन मेरी बात...यहाँ आ..अब मैं तुझे जो बताऊंगा उसे ध्यान से सुन....देख औरत जो होती है उसे जिंदगी में ऐशो आराम न मिले वो चल जाता है मगर उन्हें लंड ना मिले तो वो बर्दास्त नहीं कर पाती, औरतो को लंड की चाहत पहली बार तब होती है जब वो जवानी पहला कदम रखती है और दुबारा जब वो 30 35 साल के ऊपर हो जाती है, इन दोनों ही परिस्थिति में उनको चुदाई की बड़ी प्यास होती है,

पहले जवानु का उबाल उन्हें चैन से बैठने नहीं डेता, मगर उस वक़्त वो समाज के नियमो से बंधी होती है इस लिए चुपके चुपके ऐसा काम करती है, और जब वो 30 35 साल की हो जाती है तो उनका पति उनको देखता नहीं, कभी कभार चोदता है लेकिन इससे उनका पेट नहीं भरता, इसलिए वो मज़बूरी में दूसरा आदमी ढूंढती है,

और देख अगर मैं चाची को नहीं चोदता तो कोई और चोदता...इसमे मेरा भी फायदा है ना...मुझे चाची की चूत मिल जाती है चोदने को...मुठ मारने की जरुरत नहीं...क्यू की मेरी शादी को अभी 2 3 साल टाइम है, तब तक मजे करो, समझा,

सागर :- उसके आगे हाथ जोड़के...हा मेरे भाई सब समझ गया, लेकिन यार वो चाची है सगी तेरी,

विजय :- अरे मेरे भाई वही तो बता रहा हु....देख अगर वो मेरी चाची नहीं होती तो मैं उसे चोद सकता था ...मैं यही सोचता हु किं वो मेरी चाची नहीं है...वो सिर्फ एक औरत है और मैं मर्द रिश्ते तो हम कहा पैदा होते है उससे बनते है पर है तो हम औरत और मर्द ही ना, रिश्तों के नाम को निकल दिया तो क्या रहता है, औरतो के पास चूत है हमारे पास लंड उन दोनों को आपस में मिलाना है बाकि बाते जाय भाड़ में...क्यू अब हुआ न सब क्लियर,

सागर को अब भी थोडा अटपटा सा लग रहा था, पर वो और प्रवचन सुनने के मूड में नहीं था, तो उसने सिर्फ हा में गर्दन हिला दी,

सागर :- ह्म्म्म अब थोडा क्लियर हुआ है...पर एक बात बता तूने चाची को पटाया कैसे,

वीजय :- जाने दे यार बहुत लंबी कहानी है, *

सागर :- बता तो सही...

विजय :- देख मेरे चाची के रिश्ते के बारे में किसी को भी पता नहीं....तू पहला इंसान है ...लेकिन चाची और मेरे रिश्ते के पीछे और एक कहानी है..जो मैं तुझे बताना नहीं चाहता,

सागर :- बता दे यार...मैं किसी को नहीं कहूँगा,

विजय :- जा ने दे न भाई....फिर कभी,

सागर :- ठीक है भाई...जब तेरा दिल करे....लेकिन साले कमीने मस्त मजे करता है यार तू...

विजय :- हा यार वो तो है....चाची है बड़ी कमाल की...ऐसे चुदवाती है की क्या बताऊ....उसे बहुत शौक है चुदवाने का....और साली लंड के पानी के लिए इतनी भूकी है क्या बताऊ...

सागर :- हा देखा मैंने....कैसे चूस रही थी....और गांड भी क्या जबरदस्त है यार उफ्फ्फ्फ़ मेरा तो लंड खड़ा हो गया था,

विजय :- आय हाय क्या बात है मेरा शरीफ दोस्त अब बिगड़ने लगा है....(आँख मारते हुए) बोल चोदेगा क्या चाची को, मैं लगाता हु तेरी सेटिंग....बोल,

सागर :- नहीं यार कुछ भी क्या,

विजय :- शरमा मत मेरी जान....यही दिन होते है मजे करने के...

सागर के मन में तो लड्डू फूटने लगते है, लेकिन झिझक की वजह से वो नहीं नहीं बोलते रहता है,

विजय :- अरे कुछ नहीं होगा...कब तक मुठ मार के काम चलाएगा,

सागर :- लेकिन चाची मानेगी,

विजय :- तू उसकी चिंता मत कर...मैं उसे बोल दूंगा की तूने उसे मुझसे चुदवाते देख लिया है और अब वो भी तुम्हे चोदना चाहता है, वो तो है ही लंड की भूकी मान जायेगी, नहीं मानी तो बोलूंगा की उसने हमारी फ़ोटो ले ली है और चाचा को दिखाने की बात कर रहा था,

सागर :- यार कुछ गड़बड़ तो नहीं होगी,

विजय :- भाई है तू मेरा...तू जा आराम से घर...मैं तेरी सुहागरात का बंदोबस्त करता हु, तू बस 4 बजे यही तबेले में आ जाना, वैसे तो वो मेरा टाइम रहता है लेकिन आज तू मजे करना, 4 से 5 बजे तक एक घंटा मस्त चुदाई करना साली की, बाद में चाचा और उसके बच्चे आ जाते है घर पे,

सागर :- ठीक है मैं तुझे 3.30 को फ़ोन करता हु,

विजय :- ह्म्म्म ठीक है, *

सागर वहा से निकल के घर आता है, खाना खा के अपने कमरे में आराम करने लगता है, मन ही मन विजय की चाची को चोदने के बारे में सोचने लगता है, वो थोडा डरा हुआ भी था और खुश भी, जिंदगी में पहली बार वो किसी औरत को चोदने वाला था,

इधर प्रभा भी आराम कर रही थी, लेकिन आज उसे नींद नहीं आ रही थी, रह रह के उसे चंदू का लंड याद आ रहा था, जितना वो उसे याद कर रही थी उसकी चूत में आग उतनी ही भड़क रही थी, उसकी चूत गीली हो रही थी, उससे अब सहा नहीं जा रहा था, उसने अपनी साडी ऊपर खींची और चूत को उंगली से सहलाने लगी, गीली चूत को सहलाने उसकी उत्तेजना में और बढ़ोतरी हो गयी, उसने अपने पैरो को फैलाके घुटनो से मोड़ लिया और चूत में उंगली डाल के आगे पीछे करने लगी, वो उत्तेजना में ये भी भूल गयी की सागर घर पे ही है,

वो मस्ती में अपनी चूत चोदे जा रही थी, उसी वक़्त सागर अपने कमरे से निकल के प्रभा के रूम की तरफ आ रहा था, खिड़की थोड़ी खुली थी, सागर जैसे ही वहा से गुजरा उसे अपनी माँ की नंगी चूत एकदम से दिखाई पड़ी, वो वही रुक के देखने लग गया, प्रभा की आँखे बंद थी, वो चूत में उंगली ड़ाले जा रही थी, *

सागर ये सब देख के हैरान रह गया, उसे क्या करू कुछ समझ नहीं आया, जब तक वो समझ पाता की क्या करना है तब तक देर हो चुकी थी, उसकी आँखे अपनी माँ की चिकनी गोरी चूत पर टिक गयी थी, वो उसे देखे जा रहा था, उसका लंड उड़ने लगा था, उसे यकीन नहीं हो रहा था की उसकी माँ उंगली से अपनी चूत चोद रही थी, और वो भी दिन के इस समय, वो नजारा देख उसे बुखार सा आने लगा था, प्रभा अब अपनी चरम सीमा पर पहुंच चुकी थी,

सागर को ये बात समझ आ गयी वो तुरंत अपने कमरे में चला गया, बिस्तर पे धड़ाम से गिर गया और सोचने लगा, विजय शायद सही कह रहा था, औरत लंड के बिना ज्यादा दिन नहीं रह सकती, लेकिन क्या बाबा माँ को चोदते नहीं होंगे, क्या माँ भी विजय जैसे किसी और के पास.....नहीं नहीं ये नहीं हो सकता....लेकिन फिर वो उंगली से क्यू चोद रही थी अपनी चूत को, ऐसे कई सवाल उसके दिमाग में दौड़ने लगे थे,

उसकी ये तंद्रि विजय के फ़ोन से टूटी, विजय उसे बुला रहा था, उसने आता हु बोल के फोन रख दिया, आज का दिन उसके लिए बहुत अजीब था, पता नहीं और क्या क्या उसे देखने सुनने मिलाने वाला था,

यहाँ प्रियंका दिनभर सागर की यादो में खोयी हुई थी, उसका मन क्लास में बिलकुल भी नहीं था, वो तो बस स्कूल खत्म होने का इन्तजार बड़ी बेसब्री से कर रही थी,
 
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भाग 6

सागर घर से निकल के सीधा विजय के तबेले में पहुंचता है, विजय ने उसे बता दिया था की चाची उसको वही मिलेगी, सागर थोडा नर्वस था, पहली बार किसी की चुदाई करने वाला था, वो अंदर गया तो उसने देखा की चाची अंदर एक कोने में बैठी थी, उसे देख के वो उसकी तरफ आती है,

चाची :- ह्म्म्म आ गये तुम....तुम पे तो मेरी नजर बहुत दिनों से थी....चाची उसके एकदम करीब जाके उसका कालर पकड़ के अपनी तरफ खिंचती हुए कहती है,

सागर :- मतलब,

चाची :- मतलब ये की तू तो मुझे बहुत पहले से हु पसंद है...ये फ़ोटो खिंच के मुझे धमकी देने की क्या जरुरत थी, ऐसे ही आके मुझे बोल देता...खुशीसे बिछ जाती तेरे आगे, .......चाची सागर के एकदम करीब जाके अपनी भारी भरकम चुचिया उसके सीने से दबाते हुए और अपनी चूत उसके लंड के करीब दबाते हुए कहा,

सागर के हाथ भी अनायास उसकी कमर पे आ जाते है,

सागर :- (उसे कमर से पकड़ के अपनी और थोडा खिचता है) अगर मैं इतना ही पसंद था तो खुद क्यू नहीं आयी मेरे पास,

चाची :- धत्त...कोई औरत खुद चलके थोड़ी ना आती है...अपनी चूत सागर के लंड से दबा के थोडा उसके लंड का जायजा लेती है, जब उसे अहसास होता है की सागर का लंड खड़ा हो चूका है और साइज़ में काफी बड़ा है तो वो अपना एक हाथ निचे ले जाके उसे पैंट के ऊपर से पकड़ने की कोशिश करती है,

चाची :- उईई माँ मैं मर गयी....इतना बड़ा लंड, , वो थोडा पीछे हट के देखती है, बापरे मैंने आज तक इतना बड़ा लंड नहीं देखा....उफ्फ्फ्फ्फ़ आज तो, मजा आ जायेगा स्स्स्स्स् .....कितनो की चूत फाड़ी है तूने आजतक इससे,

सागर :- नहीं आज पहली बार है,

चाची :- हाय रे इतना बड़ा लंड लेके घूम रहा है और अब तक कुँवारा है....ये तो ऐसा है की किसी भी औरत ने देख लिया तो खुद चूत खोल के बैठ जायेगी इस पर अह्ह्ह मेरी तो चूत इसे छूने से ही गीली होने लगी है, उम्म्म्म्म्म मेरे राजा ....चल मेरे साथ तुझे आज जन्नत की सैर कराती हु,

चाची उसे लेके घांस के पास लेके जाती है जहा एक गद्दा डाला हुआ था, जो शायद विजय ने डाल के रखा था, वहा जाके चाची निचे बैठ जाती है, सागर के पैंट की चैन खोल के उसका लंड बाहर निकालती है,

चाची :- स्स्स्स हाय रे जालिम *कहा था तू अब तक उम्म्म्म .....चाची सागर का लंड हातो में पकड़ के हिलाने लगाती है, पहली बार किसी औरत का हाथ अपने लंड पे पाकर सागर पागल सा होने लगा था, उत्तेजना के मारे उसका लंड और भी कड़क होने लगा था, चाची तो जैसे अपने होश खो चुकी थी, वो लंड को अपनी मुठी में पकड़ने की कोशिश कर रही थी पर वो उसकी मुट्ठी में समां नहीं रहा था, वो उसे दोनों हाथो से पकड़ के उसका सुपाड़ा मुह में भर लिया,

सागर तो जैसे हवा में उड़ने लगा था, उत्तेजना के मारे उसके मुह से सिसकियो के अलावा और कुछ नहीं निकल रहा था,

चाची :- अह्ह्ह्ह सागर उम्म्म्म्म अब मुझसे बर्दास्त नहीं हो रहा, ऐसा लग रहा कब इसे अंदर लू, आजा मेरे राजा डाल दे इसे मेरी चूत में, .....चाची निचे लेट के अपनी साडी ऊपर खीच उसे अपनी चूत दिखाते हुए कहती है,

सागर घुटनो पे बैठ जाता है और उसकी चूत पे लंड रखता है पर पहली बार होने की वजह से उसे कुछ समझ नहीं आता, *

चाची :- उम्म्म हाय रे मेरे अनाड़ी बलमा....चची उसका लंड पकड़ के चूत के मुह पे रखती है.....अब इसे धीरे धीरे अंदर डाल....सागर थोडा जोर लगाता है ...उसके लंड का सुपाड़ा चाची की चूत में घुस चूका था, चूत गीली थी पर सागर का लंड बहुत मोटा था, वो थोडा और जोर लगाता है लेकिन हड़बड़ाहट में कुछ ज्यादा ही जोर लग जाता है, लंड एक झटके में ही पूरा अंदर चला जाता है, चाची की चींख निकल जाती है, उसकी आँखों से पानी निकलने लगता है,

चाची :- आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् मार डाला रे ...मर गई माँ अह्ह्ह्ह पागल कही के उफ्फ्फ्फ्फ्फ इतनी जोर से डालता है क्या कोई, अह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ उईई माँ ....चाची दर्द के मारे करहाने लगाती है,

सागर :- माफ़ करना चाची...वो गलती से हो गया....बाहर निकलू क्या,

चाची :- अह्ह्ह्ह नहीं मेरे अनाड़ी बलमा...स्स्स्स्स् अब रहने दे...पहली बार इतना मोटा लंड एक झटके में चूत लिया है तो थोडा दर्द होता ही है, उफ्फ्फ्फ्फ़ आज तो तूने मेरी चूत फड़वाने की तम्मन्ना पूरी कर दी अह्ह्ह्ह्ह अभी तेरा लंड बहुत अच्छा लग रहा है चूत में स्सस्सस्सस लेकिन किसी कुवारी लड़की को चोदेगा ना तो ध्यान से और धीरे चोदना...वरना मर जायेगी बिचारी.....

सागर :- अह्ह्ह्ह चाची मुझे भी बहुत अच्छा लग रहा है स्स्स्स...चाची अपना ब्लाउज खोलो ना...तुमारी चुचिया देखना चाहता हु, *

चाची ने ऍम ब्लाउज खोल दिया, सागर उसकी नंगी चुचिया देख बहुत खुश हो जाता है, वो उसे दोनों हातो से जोर जोर से दबाने लग गया, *

चाची :- अह्ह्ह्ह स्स्स्स इन्हे धीरे धीरे प्यार से दबाना होता है अह्ह्ह्ह उम्म्म्म फिर इसके निप्पल को मुह में लेके बारी बारी चूसना होता है ....औरतो को ये बात बहुत पसंद होती है,

सागर चाची की बात मान के उसकी चुचिया चूसने लगा, फिर चाची के कहे नुसार धीरे धीरे अपना लंड चूत में आगे पीछे करने लगा, चाची पागल सी हो रही थी, उसे आज तक इतना मजा किसीने नहीं दिया था,

सागर को भी बहुत मजा आ रहा था, वो अब थोडा फ़ास्ट फ़ास्ट चाची की चूत चोद रहा था, पांच मिनट में ही चाची झड़ चुकी थी, सागर भी अब झड़ने वाला था,

चाची :- अह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स उफ्फ्फ्फ़ सागर मेरे राजा उम्म्म्म्म्म*

सागर :- अह्ह्ह्ह चाची स्स्स्स मेरा पानी निकलने वाला है स्सस्सस्स आपके मुह में दू क्या, मैंने देखा था सुबह आपको लंड का पानी पीना बहुत पसंद है,

चाची :- अह्ह्ह्ह्ह हा दे दे अह्ह्ह्ह स्सस्सस्स

*सागर अपना लंड चाची के मुह में देता है चाची उसे चूसने लगती है, सागर अह्ह्ह उम्म्म्म करते झड़ने लगा था, चाची उसके लंड से निकलती वीर्य की पिचकारियां अपने मुह में लेने लगती है, चाची का पूरा मुह सागर के वीर्य से भर गया था, *

चाची :- उफ्फ्फ्फ्फ़ जितना दमदार तेरा लंड है उतना अच्छा वीर्य है तेरा, उम्म्म्म मजा आ गया हाय रे स्स्स्स्स्

सागर :- क्यू चाची विजय के साथ मजा नहीं आता क्या,

चाची :- अरे पागल...सब्जी रोटी और पंच पकवान में कोई फर्क होता है की नहीं, , तेरा लंड तो पंच पकवान समान है मेरी जान अह्ह्ह्ह आज लग रहा है की पहली बार चुदी हु उम्म्म्म

सागर :- अहह चाची सच में बहुत मजा आता है चुदाई में ...चलो मैं जाता हु अभी...

चाची :- अरे रुक कहा जा रहा है, एक बार और चोद मुझे स्स्स्स मन नहीं भरा मेरा ...

सागर :- लेकिन चाची मेरा लंड तो अभी छोटा है...

चाची :- तू फ़िक्र मत कर अभी 2 मिनट में खड़ा करती हु,

सागर :- एक बात पुछु, आपको अपना पति, के अलावा दूसरे मर्द से चुदवाने में बुरा नहीं लगता,

चाची :- लगता था पहले....लेकिन ये चूत की प्यास बड़ी अजीब होती है मेरे राजा....चाची सागर का लंड पकड़ के उसे जुबान से चाटती हुए कहती है,

सागर :- अह्ह्ह्ह चाची क्या मस्त चुसती हो आप अह्ह्ह्ह....चाची एक बात बताओ आपने विजय को फसाया या उसने आप को,

चाची :- अरे ये विजय बहुत हरामी किसम का लड़का है....तू उसे ऐसा वैसा मत समझ....उसने अपनी सगी बहन को नहीं छोड़ा...

सागर ये सुनके शॉक हो गया,

सागर :- क्या मतलब, ,

चाची :- उसे मत कहना मैंने तुम्हे बताया है....वो अपनी बड़ी बहन के साथ चुदाई करता था, ये देख के ही तो मैंने उसे अपनी चुदाई के लिए मजबूर किया था,

सागर :- क्या बात कर रही हो चाची,

चाची :- हा सच में मेरे राजा...अपने गाँव में तो ये नार्मल चीज है, लगबघ हर घर में भाई अपनी बहन की जवानी का मजा लेते है, कोई कोई तो अपनी माँ को भी चोदता है,

सागर :- ऐसा कैसे हो सकता है,

चाची :- क्यू नहीं हो सकता, विजय को ही लेलो अगर उसकी माँ अगर थोड़ी जवान होती ना तो वो उसको भी चोद देता, उसका क्या मेरा बेटा जवान होता तो मैं भी उससे चुदवा लेती,

सागर ये सुनके हक्का बक्का था, उसे एकदम दोपहर का नजारा याद आ गया उसके माँ की चूत का नजारा....जो चाची के चूत से कही ज्यादा सुन्दर थी, उसे वो बात याद आते ही उसका लंड फिर से खड़ा होने लगा था,
 
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भाग 7

इधर प्रभा की नींद मोबाइल बजने से खुल जाती है, लेकिन उसका फ़ोन नहीं था, वो आवाज सागर के रूम से आ रही थी, वो उठ के बाहर जाती है, सागर के कमरे में देखती है तो वहा कोई नहीं था, सिर्फ उसका मोबाइल था, वो इधर उधर देखती है मगर वो नहीं था, तब तक कॉल कट जाता है, वो देखती है फ़ोन किसका था तभी फिरसे फ़ोन बजने लगता है, वो उसे उठा लेती है, विजय का फ़ोन था मगर प्रभा आगे कुछ बोले उससे पहले उधर से विजय बोल पड़ा.....

विजय :- भाई चाची की चूत चोदने में इतना बिजी हो गया क्या, और कितना चोदेगा भाई, देखना कोई तबेले में आके तुम्हारी चुदाई लीला ना देख ले, और जल्दी निपटा ले, ये सुनके प्रभा के पैरो तले जमीन सरक जाती है, उसकी आवाज तो मानो जैसे चली गयी हो, उसे कुछ सूझता नहीं वो झट से फ़ोन कट कर देती है,

विजय की चाची, सागर, ये क्या चक्कर है, और सागर उसकी चाची को चोद रहा है, मेरी तो कुछ समझ में नहीं आ रहा....मैंने सुना तो था की वो औरत एक नंबर की चुद्दकड़ है पर सागर , , हे भगवन ये क्या है, अभी उसके तबेले में जाके देखती हु...

प्रभा वैसे ही दरवाजा बंद करके जल्दी जल्दी तबेले की तरफ निकल पड़ती है, वहा जाके वो चुपके से, देखती है पर उसे कही कुछ नजर नहीं आता, फिर वो थोडा अंदर जाती है और वो जो देखती है उसपे उसे बिलकुल विश्वास नहीं होता, सागर निचे लेटा हुआ था और चाची उसके लंड पे बैठ के खप खप उसे अपने चूत के अंदर बाहर कर रही थी, प्रभा ये देख के हैरान रह जाती है, उसे गुस्सा आने लगता है, वो आगे बढ़ के उन दोनों को रोकना चाहती है पर उसके कदम वाही रुक जाते है, क्यू की चाची अब सागर का लंड चूसने लगी थी, सागर के लंड का साइज़ देख उसका मुह खुला का खुला रह गया,

प्रभा :- बापरे इतना मोटा आउट लंबा लंड उफ्फ्फ्फ्फ़ ये तो चंदू के लंड से भी बड़ा है, यहाँ सागर अब अपने वीर्य की बरसात चाची के मुह में करने लगता है, चाची उसका वीर्य पि जाती है, और दोनों वाही गद्दे पे लेट जाते है,

उसी वक़्त माधवी स्कूल से आ जाती है,

माधवी :- माँ....ओ माँ...

प्रभा अपने आप को सँभालती है और बाहर आती है,

प्रभा :- हा क्यू चिल्ला रही है, जिन्दा हु मैं अभी...वो थोडा गुस्से में बोली,

माधवी :- गुस्सा क्यू कर रही हो, और भैया कहा है, वो हमे लेने आने वाले थे...

प्रभा :- मुझे नहीं पता वो कहा है....मुझसे मत पूछ....

माधवी :- क्या हो क्या गया तुझे, इतना क्यू उखड़ी हुई है, मुझ पे क्यू चिल्ला रही है,

प्रभा :- ज्यादा चु चपड़ मत कर...जा अपना काम कर....और हा सुन मैं आती हु थोडा बाहर जाके...

माधवी :- अब कहा, जा रही है, बाबा आते ही होंगे...

प्रभा उसे एक बार गुस्से से देखती है और बिना कुछ बोले बाहर चली जाती है, वो मन ही मन विजय की चाची को सबक शिकाने की ठान लेती है, वो उसके घर पहुंच के देखती है की उसका पति वहा बारामदे में बैठा था, उसे देख के वो थोडा सहम सी जाती है,

प्रभा :- भैया नमस्ते...मीना कहा है,

पति :- अंदर है भाभी...अरे वो सुनाती हो...प्रभा भाभी आयी है,

मीना :- अरे दीदी आओ ना अंदर...

प्रभा उसे बहुत गुस्से से देखती है और अंदर चली जाती है,

मीना :- हा दीदी चाय बनाऊ, आज कैसे मेरे घर का रास्ता भूल गयी,

प्रभा :- देख मीना...ये चिकनी चुपड़ी बाते मुझसे ना कर...इन बातो में मेरा बेटा आ सकता है मैं नहीं..

मीना ये सुनके सन्न रह जाती है...

मीना :- दीदी आप ये क्या कह रही हो,

प्रभा :- ज्यादा बन मत मैंने सब देख लिया है तबेले में तुम दोनों क्या कर रहे थे,

मीना मन ही मन सोचती है जब इसे पता चल ही गया है तो छुपाने से कोई फायदा नहीं...लेकिन अगर मैं इससे अच्छे से बात नही करुँगी तो ये मेरे पति को बता देगी...और मेरा पति मुझे काट डालेगा,

मीना :- दीदी आप पहले शांत हो जाओ...इन्होंने सुन लिया तो मेरा क़त्ल कर देंगे, और हा दीदी वो मेरे पास आया था मैंने नहीं बुलाया था उसे,

प्रभा :- मैं तुझे अछे से जानती हु...बता कब से चल रहा है ये सब,

मीणा :- दीदी सच कह रही हु...और आज पहली बार था दीदी विश्वास करो मेरा मेरे बच्चों की कसम खा के कह

*ये सुनने के बाद प्रभा थोड़ी शांत हो जाती है,

मीना :- दीदी आप फ़िक्र मत कीजिये आज के बाद ऐसा कुछ नहीं होगा, लेकिन आप इन्हें मत बताना,

प्रभा :- देख मीना ये कच्ची उम्र में लड़के बहक जाते है...मैं नहीं चाहती की मेरा बेटा इन सब बातो पे पड़ के अपनी पढाई बर्बाद कर ले, मैं उसे भी समजाऊंगी....लेकिन तुझसे बिनती है मेरी ....

मीना :- दीदी आप फ़िक्र मत करो...अब तो चाय पियेंगी,

प्रभा :- ठीक है...देख तूने अपने बच्चों की कसम खायी है,

मीना :- हा दीदी...मीना चाय बनाने लगती है, ....प्रभा भी अब शांत हो चुकी थी, ...दीदी बुरा ना मानो तो एक बात कहू,

प्रभा :- हां बोल....

मीना :- क्या मर्द बेटा पैदा किया है आपने....मेरी तो हालत ख़राब कर दी उसने आज...

प्रभा :- चुप कर छिनाल कही की....

प्रभा को गुस्सा नहीं आया ये देख वो और आगे बाते करने लगी,

मीना :- हाय दीदी सच में क्या तगड़ा लंड है उसका....मेरी चूत में तो अब तक दर्द हो रहा है,

प्रभा ये सब सुनके क्या बोले ये सोच ही रही थी के मीना आगे बोलने लगी,

मीना :- दीदी सच में मेरे पति का इतना बड़ा होता न तो दिन रात चढ़ी रहती उसपे...

प्रभा :- तू है ही एक नम्बर की छिनाल,

मीना :- अरे नहीं दीदी उसका लंड देख के तो अच्छे अच्छो की नियत डोल जाय, वो आपकी जगह काश मेरा बेटा होता....

प्रभा :- चुप कर...और ये चुदाई का भुत निचे उतार अपने सर से, पागल हो गयी है तू, तेरा बेटा होता तो भी चुदवा लेती क्या उससे,

मीना :- हा क्यू नहीं दीदी...वो सरला है ना रोज अपने बेटे का लंड लेती है,

प्रभा :- क्या कह रही तू,

मीना :- हा दीदी सच में...मैंने खुद देखा है अपनी आँखों से,

प्रभा :- जितना सुनो उतना कम है अपने गाँव के बारे में...

मीना :- अरे दीदी मेरा तो मानना है की लंड किसी का भी मिले उसे बस लेलो अपनी चूत में, लंड और चूत में कैसा रिश्ता...वो तो एक दूसरे की प्यास बुझाने के लिए बने है,

प्रभा कुछ बोल नहीं पा रही थी, वो गहरी सोच में पड़ गयी थी, मीना की बातो का असर उसपे हो चूका था, मीना ने भी जानबुज कर ये सारी बातें उससे कही थी, प्रभा चाय खत्म कर के अपने घर की धीमे कदमो से बड चली थी, लेकिन दिमाग में कई बाते एकसाथ उछलकूद कर रही थी, उसे मीना की कही हर बात याद आ रही थी, उसका जिस्म प्यासा तो था ही...लेकिन दो दिनों से उसे उस बात का अहसास कुछ ज्यादा ही होने लगा था, पहले चंदू की वजह से और अब सागर और मीना की वजह से,

इधर तबेले में.......

विजय :- और भाई मजा आया की नहीं, , कैसी रही तेरी पहली चुदाई,

सागर :- बहुत मजा आया यार....फिर कब दिलवाएगा,

विजय :- जब तू बोले....

सागर :- एक काम कर ना यार आज रात का जुगाड़ कर ना कुछ......

विजय :- ह्म्म्म क्या बात है अब तो तेरे से रहा नहीं जा रहा...रात का तो नहीं बता सकता...फिर भी तुझे फ़ोन करता हु,

सागर को एकदम से याद आता है की उसका फ़ोन वो घर पे भूल आया था, *

सागर :- अरे यार मेरा फ़ोन घर पे ही रह गया,

विजय उसे ये बता पाता की उसने फ़ोन किया था तभी उसका मोबाइल बजता है, चाची का फ़ोन था, वो विजय को प्रभा के बारे में बताती है, सब सुनने के बाद विजय सागर की तरफ मुड़ता है....

विजय :- भाई तेरी गांड लग गयी....प्रभा चाची ने तुझे और मीना चाची का चुदाई वाला खेल देख लिया...वो चाची से बात करने गयी थी उसके घर....अब तू गया बेटा...

सागर ये सुनके पसीना पसीना हो जाता है...उसे कुछ समझ नहीं आता वो क्या करे और क्या नहीं, घबराहट के मारे उसके मुह से आवाज नहीं निकलती,

विजय :- यार बहुत बड़ी प्रॉब्लम हो गई...कही चाची मेरी माँ को भी ना बता दे...

सागर :- यार अब मैं क्या करू, माँ ने बाबा को बता दिया तो वो मेरी जान ले लेंगे...

विजय :- हा यार..और मेरी भी...भाई अब तुझे कुछ करना होगा...तुझे चाची को समझाना होगा...

सागर :- मैं क्या समझाऊ यार,

विजय :- कुछ भी कर पेर पकड़ ले चाची के माफ़ी मांग कुछ भी कर यार लेकिन मेरी माँ या तेरे बाबा तक बात पहूंची ना तो बहुत बुरा होगा...

सागर :- देखता हु यार...

विजय :- तू जा घर..

सागर :- बहुत डर लग रहा है यार...

विजय :- भाई जब तक घर नहीं जाएगा तब तक ये सोल्व नहीं होगा...

सागर :- ठीक है..

सागर घर की और चल पड़ता है, उसकी बहुत फटी पड़ी थी, उसे समझ नहीं आ रहा था की क्या करे कैसे करे,
 
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भाग 8

सागर डरते डरते ही घर आता है, घर में जाते ही प्रभा उसके सामने दिखती है, माधवी भी वही हॉल में बैठ के टीवी देख रही थी, सागर प्रभा से आँख नहीं मिला पा रहा था,

माधवी :- कहा थे भैया, आप हमे लेने आने वाले थे, प्रियंका भी कितना गुस्सा कर रही थी,

सागर कुछ बोले उससे पहले प्रभा बोल पड़ती है...

प्रभा :- बहुत जरुरी काम कर रहा था वो...वो छोड़के नहीं आ सकता था...

प्रभा सागर की और गुस्से से देखते हुए बोली, सागर ने नजर उठा के एक बार देखा और वापस निचे देखने लग गया, प्रभा अभी भी उसे देख रही थी की वो कुछ बोले लेकिन सागर कुछ भी नहीं बोल रहा था, वो चुपचाप थोड़ी देर टीवी देखा और अपने कमरे में चला गया,

* *प्रभा के लिए ये थोडा अजीब था, माधवी भी कुछ समझ नहीं पा रही थी, सागर अपने कमरे में जाके सोचने लगा की माँ से कैसे बात करू, बहुत सोचने के बाद उसने निश्चय किया की वो अभी कुछ बात नहीं करेगा, नार्मल रहेगा जब माँ सामने से बात करेगी तब देखा जाएगा,

प्रभा भी यही सोच रही थी की अभी वो सागर से कुछ बात ना करे, पहेली बार है इसलिए उसे माफ़ कर देती हु,

रात को खाने के टाइम सब नार्मल हो चूका था, सागर ये देख के बहुत रिलैक्स फील कर रहा था की प्रभा नार्मल थी, *

सब अपने कमरे में जाके सोने लगे थे, लेकिन प्रभा का मूड आज कुछ और ही था, उसने अपने कमरे की लाइट बंद की और जसवंत के पास जाके लेट गयी, उसके कंधे के पास अपना सर रख के उसकी छाती पे हाथ घुमाने लगी,

जसवंत :- क्या बात है आज बड़ा प्यार आ रहा है मुझपे,

प्रभा :- मैं तो आपसे बहुत प्यार करती हु पर आप तो जैसे प्यार करना भूल ही गए हो,

जसवंत :- अरे नहीं मेरी रानी वो तो खेतो में बहुत थक जाता हु...

प्रभा :- बहाने बनाते रहो....मुझे तो लगता है आप वहा खेतो में किसी मजदुर औरत को पेलते होंगे इसलिए मुझे कई दिनों तक हाथ नहीं लगाते,

जसवंत :- पागल हो क्या, सच में थक जाता हु,

प्रभा :- चलो ना आज मेरा बहुत मन कर रहा है,

जसवंत :- नहीं आज रहने दो...कल करते है,

प्रभा :- आप लेटे रहो जो करना है मैं ही करुँगी...

जसवंत :- मेरा मन नहीं है प्रभा...नहीं होगा कुछ,

लेकिन प्रभा ये नहीं सुनती और *जसवंत का लंड बाहर निकाल के हिलाने लगती है, अभी थोडा तनाव आने लगता है फिर वो उसे मुह में लेके चूसने लगती है, बहुत कोशिश के बाद जसवंत का लंड खड़ा होता है, प्रभा उठती है और साड़ी ऊपर उठा के उसके लंड पे बैठना चाहती है लेकिन जब वो देखती है की जसवंत का लंड फिर से छोटा हो जाता है तो उसे बड़ी निराशा होती है,

प्रभा :- ह्म्म्म सच कहा आपने आज नहीं होगा....लेकिन कल जरूर करना...बहुत तड़प रही मेरी चूत

जसवंत :- ठीक है मेरी जान...अब सो जा,

जसवंत कपडे ठीक करके दूसरी तरफ करवट लेके सो जाता है, लेकिन प्रभा तो बहुत उत्तेजित हो चुकी थी, वो निचे लेट के छत की और देखने लगती है, आज का दिन बहुत अजीब था उसके लिए, उन घटनाओ के बारे में सोचती प्रभा उस पल में अटक जाती है जहा मीना सागर का लंड चूस रही थी, उसे वो पल याद आते ही अपनी चूत में चुलबुलाहट सी महसूस होती है, फिर मीना की वो बात...उसका हाथ अपने आप ही चूत के पास चला जाता है,

प्रभा :- सच में सागर का लंड तो है बहुत दमदार...मीना ने तो आज मजे कर लिये, उफ्फ्फ ये मैं क्या सोच रही हु, अपने बेटे के लंड के बारे में क्यू सोच रही हु, लेकिन ये क्या मेरी चूत तो गीली हो रही है, सच कहती है मीना चूत और लंड में कोई रिश्ता नहीं होता, साली रांड मेरे बेटे का लंड कितने मजे से चूस रही थी, और सागर भी क्या जोरदार तरीके से उसकी चूत मार रहा था....हाय रे उम्म्म्म काश मीना की जगह मैं होती.....उफ्फ्फ ये क्या हो गया है मुझे,

सागर मेरी चूत चोदे ऐसा कैसे सोच सकती हु मैं...पागल हो गयी हु मैं...लेकिन जैसे ही मैंने ये सोचा मेरी चूत में त्यों जैसे आग लग गयी है, क्या ऐसा हो सकता है की सागर मुझे चोदे, उफ्फ्फ्फ़ स्स्स्स अह्ह्ह लेकिन ये गलत है, फिर वो सरला कैसे चुदवाती है अपने बेटे से, फिर भी ये गलत है, मुझे ऐसा बिलकुल भी नहीं सोचना चाहिए, लेकिन मेरे दिमाग से सागर के लंड की तस्वीर हट ही नहीं रही है, अगर उसे पता चला की मैं उसके बारे में ये सब सोच रही हु तो क्या सोचेगा वो मेरे बारे में,

लेकिन वो भी तो विजय की चाची को मजे से चोद रहा था, अगर वो मेरे बारे में भी यही सोचता होगा तो, वो भी मुझे चोदना चाहता हो तो, उस मीना से कही ज्यादा सेक्सी हु मैं अगर वो मीना को चोद सकता है तो मुझे क्यू नहीं, वो जवान है उसे चूत की जरुरत है अगर वो उसे घर में ही मिल जाती है तो वो बाहर मुह नहीं मारेगा और मुझे भी उसके तगड़े लंड से चुदने का मजा मिलता रहेगा, प्रभा क्या सोच रही है ये गलत है....बस बहुत हो गया सही गलत मुझे नहीं पता.... मुझे अपनी चूत की प्यास बुझानी है और वो सागर के लंड से अह्ह्ह्ह स्स्स्स उम्म्म हाय रे मेरी चूत से पानी की बाढ़ आ गयी है ये सोच के उम्म्म्म असल में जब चुदवाउंगी तो कितना मजा आयेगा स्सस्सस्स*

प्रभा अब अपनी चूत को रगड़ने लगी थी, उसे अब कुछ फरक नहीं पड़ रहा था की उसका पति बाजू में सोया है और वो अपने बेटे के बारे में सोच के चूत रगड़ रही है,

प्रभा :- उफ्फ्फ्फ्फ़ कितना मजा आएगा जब उसका लंड मेरी चूत में घुसेगा अह्ह्ह्ह औऊऊऊच अह्ह्ह्ह मेरी चूत तो फट ही जायेगी अह्ह्ह्ह स्स्स्स्स् जब वो अपना लंड आगे पीछे करेगा मेरी चूत का कोना कोना रगड़ जाएगा उसके लंड से अह्ह्ह्ह्ह

प्रभा पागलो की तरह अपनी चूत सहला रही थी ....उंगली से चोद रही थी, वो इतनी उत्तेजित थी की कुछ ही मिनटो में वो अपनी मंजिल पे पहुंच गयी, उसे आज तक इतना मजा कभी नहीं आया था, वो जोर जोर, से साँसे लेते हुए वैसे ही पड़ी रही,

इधर सागर को भी नींद नहीं आ रही थी, वो दिनभर हुए बातो के बारे में सोच रहा था, लेकिन उसकी बार बार प्रभा पे आ के रुक रही थी, वो सोच रहा था की क्यू प्रभा ने उसे कुछ पूछा नहीं या कुछ कहा नहीं, आखिर वो क्या चाहती है, कही वो भी तो मेरे साथ कुछ करना *चाहती है, नहीं वो भला ऐसा क्यू चाहेगी, उनको और बाबा को देख के तो ऐसा नहीं लगता की उनमे कुछ प्रॉब्लम है, लेकिन फिर वो, दोपहर में क्यू अपनी चूत में उंगली कर रही थी,

सागर को दोपहर का वो दृश्य याद आते ही उसके लंड में हरकत होने लगी थी,

सागर :- हा यार..शायद बाबा अब माँ को नहीं चोदते...इसीलिये तो अपनी आग अपनी उंगली से शांत कर रही थी, हा यार ....क्या मस्त नजारा था वो...कितनी सुन्दर चिकनी चूत थी उनकी...किसी 25 साल की लड़की की तरह....नहीं तो उस चाची की...छोड यार उसे..माँ पे कंसन्ट्रेट कर...उफ्फ्फ्फ़ जब वो उसे सहला रही थी...अंदर का गुलाबी रंग स्सस्सस्स उम्म्म्म यार बस एक बार चोदने मिल जाय अह्ह्ह्ह हाहा मजा आ जायेगा स्स्स्स, पागल हो गया है क्या, ऐसे मत सोच उनके बारे में...माँ है वो तेरी...लेकिन चाची भी तो बता रही थी की इसमे कुछ गलत नहीं है...हा न इसमे क्या गलत है, वो अगर मेरी माँ नहीं होती तो क्या औरत नहीं होती, और, मैं उसे नहीं चोदता क्या, *

इसके आगे वो कुछ सोच पाता ...उसका मोबाइल बजने लगा..उसे लगता है की फ़ोन शायद विजय का होगा...लेकिन कोई नंबर था,

उसने फ़ोन उठाया...दो तिन बार हेलो हेलो बोलने पर भी उधर से कोई जवाब नहीं दे रहा था, उसने फ़ोन कट कर दिया,

दो मिनट बाद फिर से फ़ोन बजा..लेकिन वो उठाय इससे पहले कट हो जाता है,

सागर गुस्से में आके वापस फ़ोन करता है, वो उसे डांटने वाला होता है की उधर से एक लड़की की आवाज आती है,

सागर :- कोण बात कर रहा है,

""मैं प्रियंका""

उधर से आवाज आती है,

सागर :- प्रियंका, क्या हुआ, इस वक़्त क्यू फ़ोन किया, माधवी तो सो रही होगी...

प्रियंका :- मैंने तुमसे ही बात करने के लिए फ़ोन किया है,

सागर ये सुनके थोडा आश्चर्य होता है और थोड़ी ख़ुशी भी,

सागर :- मुझसे, क्या बात करनी है,

प्रियंका :- मुझे तुमपे बहुत गुस्सा आ रहा है...तुम हमे लेने क्यू नहीं आये,

सागर :- ओह्ह अरे वो मैं थोडा दोस्तों से बाते करने लगा और मेरे ध्यान से निकल गया, तुमने ये पूछने के लिए रात के 12 बजे फ़ोन किया है,

प्रियंका :- नहीं तो..

सागर :- फिर किस लिए,

प्रियंका :- ऐसे ही..

सागर :- ऐसे ही, सच में, तो ठीक है फिर अभी मुझे नींद आ रही है कल बात करते है...

प्रियंका :- पागल हो तुम...एक लड़की रात को एक लड़के को फ़ोन करती है..और वो भी अपने बाबा का मोबाइल चुरा के...तो वो क्या ऐसे ही,

सागर :- तुमने ही तो कहा...

प्रियंका :- तुम्हे समझ नहीं आता क्या बुद्धू..,

सागर :- क्या,

सागर सब समझ रहा था लेकिन जानबुज के उसकी खिंचाई कर रहा था,

प्रियंका :- समझो न यार...

सागर :- क्या समझू, कुछ बोलोगी तो समझूगा न...

प्रियंका :- भोले मत बनो...सब समझ आ रहा है फिर भी नाटक कर रहे हो,

सागर :- मैं कोई नाटक नहीं कर रहा हु...सच में...तुम कुछ बोल नही रही और मुझसे कहती हो की मैं भोला बन रहा हु...बुद्धू हु...

प्रियंका :- सच में तुम्हे इतनी सिंपल सी बात समज नहीं आ रही,

सागर :- कोनसी,

प्रियंका :- यही की मुझे तुमसे प्यार हो गया है.....
 
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भाग 9

सागर प्रियंका की बात सुनके बहुत खुश हो जाता है, इधर प्रियंका बहुत घबरा जाती है क्यू की हड़बड़ाहट में उसके मुह से ये बात निकल गयी थी, वो शरम के मारे कुछ बोल ही नहीं पाती,

सागर :- क्या, फिर से कहना...हेलो..प्रियंका...क्या कह रही थी तुम,

प्रियंका थोड़ी हिम्मत बटोर के आगे बोलती है....

प्रियंका :- कुछ नहीं ..कुछ नही....

सागर :- क्या कुछ नहीं....अभी तो तुमने कहा की तुम्हे मुझसे प्यार हो गया है,

प्रियंका :- वो मैं..अ..हा..मेरा मतलब है नहीं...वो...

सागर :- रहने दो कुछ बोलने की जरुरत नहीं....ये प्यार व्यार के लिए तुम अभी बहुत छोटी हो...ये उम्र नहीं है तुम्हारी ये सब करने की....

सागर अभी भी उसे छेड़े जा रहा था,

प्रियंका :- क्या, मैं अब बड़ी हो गयी हु...बच्ची नहीं रही मैं अब...और तुम्हे भी पता है ये बात..इसीलिए तो उस दिन बारिश में ....

सागर :- क्या, बारिश में क्या, क्या हुआ था,

प्रियंका :- अब ज्यादा नाटक मत करो...तुम्हे पता है मैं क्या बोल रही हु...

सागर :- नहीं सच में अभी भी तुम छोटी हो...वो बारिश में तुम्हारी उसको देख के मैं ये सोच रहा था की अभी इतनी बड़ी है आगे जाके और कितनी बड़ी होंगी..

प्रियंका :- हा क्या, ठीक है अगर तुम्हे लगता है की मैं अभी प्यार के लिए छोटी हु तो..मैं किसी और को तलाश कर लेती हु जिसे लगे की मैं अभी जवान हो गयी हु,

सागर :- जान से मार डालूँगा तुझे अगर ऐसी बात की तो....

प्रियंका :- क्यू, अभी तो तुम बोल रहे थे,

सागर :- वो तो मैं ऐसे ही मजाक कर रहा था, ...सच कहू तो मुझे भी तुम बहुत पसंद हो...

प्रियंका :- सच, ओह्ह्ह सागर...

सागर :- हा सच में...और जब से तुम्हे बारिश में भीगते हुए देखा है तबसे बस तुम्हारे ही खयालो में खोया रहता हु,

प्रियंका :- हा क्या, ऐसा क्या देख लिया तुमने,

सागर :- उम्म्म मत पूछो क्या देख लिया...तुम्हे नहीं पता की तुम बारिश में भीग के कितनी सेक्सी लग रही थी,

प्रियंका :- चुप करो..कुछ भी..

सागर :- अरे सच में...वो बारिश की बुँदे जब तुम्हारे चेहरे पे गिर के तुम्हारे गुलाबी होटो से होती हुई गर्दन से निचे तुम्हारी सीने की गहराई में खोते हुए जब मैंने देखा मेरी क्या हालत हो रही थी तुम्हे क्या पता,

प्रियंका :- मुझे पता है...मैं सब देख रही थी, और तुम्हे मुझे इस तरह देखते हुए देख के मेरी हालत भी तो ख़राब हो रही थी,

सागर :- अच्छा, क्या हो रहा था तुम्हे,

प्रियंका :- नहीं बता सकती..मुझे शरम आ रही है..

सागर :- बताओ भी अब कैसी शरम,

प्रियंका :- नहीं पहले तुम बताओ...फिर मैं बताती हु,

सागर बेड पे लेट के अपने लंड पे हाथ घुमाने लगता है, मीना को चोदने के बाद वो काफी बेशर्म हो चूका था,

सागर :- क्या बताऊ मेरी हालात के बारे में...ऐसे फ़ोन पे बताऊंगा तो तुम्हे समझ नहीं आएगा..अकेले में मिलो फिर बताऊंगा...

प्रियंका :- ठीक है कल मिलते है...कल स्कूल का हाफ डे होता है...

सागर :- लेकिन माधवी का क्या करे,

प्रियंका :- हा ये तो मैंने सोचा ही नहीं...

सागर :- तुम उसे पटा लेना कल स्कूल में...

प्रियंका :- अरे नहीं वो बहुत सीधी है..पता नहीं वो कैसे रियेक्ट करेगी...

सागर :- ठीक है सोचता हु कुछ....

प्रियंका :- ठीक है...अभी मैं रखती हु,

सागर :- ठीक है बाय....

दोनों फ़ोन रख देते है, सागर प्रियंका के खयालो में खो चूका था, उसे प्रभा वाली बात याद भी नहीं आ रही थी,

अगले दिन सुबह हमेशा की तरह ही माधवी स्कूल के लिए निकलती है, सागर उसे छोड़ने जाता है, प्रियंका के घर जब वो दोनों पहुंचते है प्रियंका बाहर ही उनका इंतजार कर रही थी, वो दोनों एक दूसरे को देख के मुस्कराते है,

माधवी :- अरे क्या हुआ तुझे, कल तो बहुत गुस्सा कर रही थी भैया पे...कहा गया तेरा गुस्सा,

प्रियंका :- रात को चला गया...

माधवी :- क्या, ऐसा क्या हो गया रात में,

सागर :- अब जाने दे ना...तू क्या मुझे उससे पिटवाना चाहती है,

माधवी :- हा..प्रियंका दे दो चार...

सागर :- हो दो ...लेकिन दो चार नहीं 20 25 दो...सागर चुपके से उसे किस का इशारा करता है, प्रियंका ये देख के शरमा जाती है, ...लेकिन अकेले में देना...यहाँ अच्छा नहीं लगेगा...

माधवी :- नहीं सबके सामने दे...

माधवी की बात सुन के दोनों हँसने लगते है,

माधवी :- अरे क्या हुआ, क्यू हंस रहे हो,

प्रियंका :- कुछ नहीं पागल चल नहीं तो देर हो जायेगी,

सागर दोनों को स्कूल छोड़ के घर वापस आता है, घर में जैसे ही उसकी नजर प्रभा पे पड़ती है उसे कल की बात याद आ जाती है, वो चुपके से अपने कमरे की और निकलने की कोशिश करता है, लेकिन प्रभा की नजर उसपे पड़ती है...

प्रभा :- सागर..यहाँ आओ जरा..

प्रभा की आवाज हमेशा की तरह ही थी, कोई गुस्सा नहीं कुछ नहीं...लेकिन सागर की फटी पड़ी थी,

वो प्रभा के पास जाता है..

सागर :- जी माँ...

प्रभा :- ये ले मैंने तेरे लिए खीर बनायी है..बता कैसी है,

सागर अभी भी अंदर से डरा हुआ था, वो खीर खाने लगता है, खाते खाते प्रभा के चेहरे के भाव पढने की कोशिश करता है...सोचता है कही ये बकरे को काटने से पहले उसे खाने पिलाने की विधि तो नहीं चल रही, वो नजरे घुमा के देखता है कही बाबा तो घर नहीं है,

प्रभा :- क्या सोच रहा है, कैसी है,

सागर :- अच्छी है...

प्रभा :- खा ले अच्छे से आज कल बहुत मेहनत कर रहा है न तू...शहर में कॉलेज और यहाँ गाँव में....

प्रभा इतना बोल के रुक जाती है, सागर एकदम शॉक होके प्रभा को देखता है, उसे लगता है अब वो गया काम से...लेकिन वो बची कुची हिम्मत जोड़ के कहता है...

सागर :- वो माँ कल...वो ...मैं..माँ ...

प्रभा समझ जाती है की वो क्या कहना चाह रहा है..

प्रभा :- हा बोल..क्या वो ये कर रहा है...वैसे कल मैं मीना से मिली..बड़ी तारीफ कर रही थी तुम्हारी..

सागर ये सुनके पसीना पसीना हो जाता है, उसके गले से आवाज नहीं निकलती,

प्रभा :- मैंने उससे कहा हा मेरा बेटा है ही तारीफ के काबिल...लेकिन एक बात कहु तुमसे उससे थोडा दूर ही रहना...वो अच्छी औरत नहीं है,

सागर स्तब्ध खड़ा बस प्रभा की बाते सुनते रहता है,

प्रभा :- अब तुम बड़े हो गए हो..अच्छे बुरे का फर्क करना सीखो...मुझे पता है तुम्हारी भी कुछ जरूरते है..लेकिन किसी गलत संगत में पड़ के गलत रास्ते पे मत चले जाना..तुम्हे कुछ लगता है तो मैं हु ना..मेरा मतलब है की तुम मुझसे बात कर सकते हो खुल के...हम गाँव में रहते है लेकिन मैं पुराने खयालो की नहीं हु...क्या समझे,

सागर प्रभा की बाते सुनके रिलैक्स हो जाता है, वो, प्रभा की तरफ देखता है प्रभा मंद मंद मुस्कुरा रही थी,

सागर :- ठीक है माँ...और सॉरी...दुबारा गलती नहीं करूँगा...

प्रभा :- ठीक है...आओ यहाँ बैठो मेरे पास...सागर खीर खत्म करके प्रभा के पास सोफे पे बैठ जाता है, प्रभा उससे कुछ ज्यादा ही सट के बैठती है...

प्रभा :- देखो मैं तुमसे फिर से कह रही हु...तुम, मुझसे किसी भी बारे में खुल के बात कर सकते हो...मैं तुम्हारी मदद कर सकती हु...प्रभा अपना पूरा मूड बना चुकी थी की आज सागर को पटा के अपनी प्यास बुझा ले,

सागर :- हा माँ..जरूर...मैं समझ गया,

प्रभा :- ह्म्म्म अच्छी बात है...

लेकिन वो आगे कुछ बोल पाती या कर पाती...चंदू की आवाज आती है...वो जसवंत का टिफिन लेने आया था, प्रभा उसे टिफिन देती है, उतने में सागर अपने कमरे में चला जाता है,
 

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