भाग 8
सागर डरते डरते ही घर आता है, घर में जाते ही प्रभा उसके सामने दिखती है, माधवी भी वही हॉल में बैठ के टीवी देख रही थी, सागर प्रभा से आँख नहीं मिला पा रहा था,
माधवी :- कहा थे भैया, आप हमे लेने आने वाले थे, प्रियंका भी कितना गुस्सा कर रही थी,
सागर कुछ बोले उससे पहले प्रभा बोल पड़ती है...
प्रभा :- बहुत जरुरी काम कर रहा था वो...वो छोड़के नहीं आ सकता था...
प्रभा सागर की और गुस्से से देखते हुए बोली, सागर ने नजर उठा के एक बार देखा और वापस निचे देखने लग गया, प्रभा अभी भी उसे देख रही थी की वो कुछ बोले लेकिन सागर कुछ भी नहीं बोल रहा था, वो चुपचाप थोड़ी देर टीवी देखा और अपने कमरे में चला गया,
* *प्रभा के लिए ये थोडा अजीब था, माधवी भी कुछ समझ नहीं पा रही थी, सागर अपने कमरे में जाके सोचने लगा की माँ से कैसे बात करू, बहुत सोचने के बाद उसने निश्चय किया की वो अभी कुछ बात नहीं करेगा, नार्मल रहेगा जब माँ सामने से बात करेगी तब देखा जाएगा,
प्रभा भी यही सोच रही थी की अभी वो सागर से कुछ बात ना करे, पहेली बार है इसलिए उसे माफ़ कर देती हु,
रात को खाने के टाइम सब नार्मल हो चूका था, सागर ये देख के बहुत रिलैक्स फील कर रहा था की प्रभा नार्मल थी, *
सब अपने कमरे में जाके सोने लगे थे, लेकिन प्रभा का मूड आज कुछ और ही था, उसने अपने कमरे की लाइट बंद की और जसवंत के पास जाके लेट गयी, उसके कंधे के पास अपना सर रख के उसकी छाती पे हाथ घुमाने लगी,
जसवंत :- क्या बात है आज बड़ा प्यार आ रहा है मुझपे,
प्रभा :- मैं तो आपसे बहुत प्यार करती हु पर आप तो जैसे प्यार करना भूल ही गए हो,
जसवंत :- अरे नहीं मेरी रानी वो तो खेतो में बहुत थक जाता हु...
प्रभा :- बहाने बनाते रहो....मुझे तो लगता है आप वहा खेतो में किसी मजदुर औरत को पेलते होंगे इसलिए मुझे कई दिनों तक हाथ नहीं लगाते,
जसवंत :- पागल हो क्या, सच में थक जाता हु,
प्रभा :- चलो ना आज मेरा बहुत मन कर रहा है,
जसवंत :- नहीं आज रहने दो...कल करते है,
प्रभा :- आप लेटे रहो जो करना है मैं ही करुँगी...
जसवंत :- मेरा मन नहीं है प्रभा...नहीं होगा कुछ,
लेकिन प्रभा ये नहीं सुनती और *जसवंत का लंड बाहर निकाल के हिलाने लगती है, अभी थोडा तनाव आने लगता है फिर वो उसे मुह में लेके चूसने लगती है, बहुत कोशिश के बाद जसवंत का लंड खड़ा होता है, प्रभा उठती है और साड़ी ऊपर उठा के उसके लंड पे बैठना चाहती है लेकिन जब वो देखती है की जसवंत का लंड फिर से छोटा हो जाता है तो उसे बड़ी निराशा होती है,
प्रभा :- ह्म्म्म सच कहा आपने आज नहीं होगा....लेकिन कल जरूर करना...बहुत तड़प रही मेरी चूत
जसवंत :- ठीक है मेरी जान...अब सो जा,
जसवंत कपडे ठीक करके दूसरी तरफ करवट लेके सो जाता है, लेकिन प्रभा तो बहुत उत्तेजित हो चुकी थी, वो निचे लेट के छत की और देखने लगती है, आज का दिन बहुत अजीब था उसके लिए, उन घटनाओ के बारे में सोचती प्रभा उस पल में अटक जाती है जहा मीना सागर का लंड चूस रही थी, उसे वो पल याद आते ही अपनी चूत में चुलबुलाहट सी महसूस होती है, फिर मीना की वो बात...उसका हाथ अपने आप ही चूत के पास चला जाता है,
प्रभा :- सच में सागर का लंड तो है बहुत दमदार...मीना ने तो आज मजे कर लिये, उफ्फ्फ ये मैं क्या सोच रही हु, अपने बेटे के लंड के बारे में क्यू सोच रही हु, लेकिन ये क्या मेरी चूत तो गीली हो रही है, सच कहती है मीना चूत और लंड में कोई रिश्ता नहीं होता, साली रांड मेरे बेटे का लंड कितने मजे से चूस रही थी, और सागर भी क्या जोरदार तरीके से उसकी चूत मार रहा था....हाय रे उम्म्म्म काश मीना की जगह मैं होती.....उफ्फ्फ ये क्या हो गया है मुझे,
सागर मेरी चूत चोदे ऐसा कैसे सोच सकती हु मैं...पागल हो गयी हु मैं...लेकिन जैसे ही मैंने ये सोचा मेरी चूत में त्यों जैसे आग लग गयी है, क्या ऐसा हो सकता है की सागर मुझे चोदे, उफ्फ्फ्फ़ स्स्स्स अह्ह्ह लेकिन ये गलत है, फिर वो सरला कैसे चुदवाती है अपने बेटे से, फिर भी ये गलत है, मुझे ऐसा बिलकुल भी नहीं सोचना चाहिए, लेकिन मेरे दिमाग से सागर के लंड की तस्वीर हट ही नहीं रही है, अगर उसे पता चला की मैं उसके बारे में ये सब सोच रही हु तो क्या सोचेगा वो मेरे बारे में,
लेकिन वो भी तो विजय की चाची को मजे से चोद रहा था, अगर वो मेरे बारे में भी यही सोचता होगा तो, वो भी मुझे चोदना चाहता हो तो, उस मीना से कही ज्यादा सेक्सी हु मैं अगर वो मीना को चोद सकता है तो मुझे क्यू नहीं, वो जवान है उसे चूत की जरुरत है अगर वो उसे घर में ही मिल जाती है तो वो बाहर मुह नहीं मारेगा और मुझे भी उसके तगड़े लंड से चुदने का मजा मिलता रहेगा, प्रभा क्या सोच रही है ये गलत है....बस बहुत हो गया सही गलत मुझे नहीं पता.... मुझे अपनी चूत की प्यास बुझानी है और वो सागर के लंड से अह्ह्ह्ह स्स्स्स उम्म्म हाय रे मेरी चूत से पानी की बाढ़ आ गयी है ये सोच के उम्म्म्म असल में जब चुदवाउंगी तो कितना मजा आयेगा स्सस्सस्स*
प्रभा अब अपनी चूत को रगड़ने लगी थी, उसे अब कुछ फरक नहीं पड़ रहा था की उसका पति बाजू में सोया है और वो अपने बेटे के बारे में सोच के चूत रगड़ रही है,
प्रभा :- उफ्फ्फ्फ्फ़ कितना मजा आएगा जब उसका लंड मेरी चूत में घुसेगा अह्ह्ह्ह औऊऊऊच अह्ह्ह्ह मेरी चूत तो फट ही जायेगी अह्ह्ह्ह स्स्स्स्स् जब वो अपना लंड आगे पीछे करेगा मेरी चूत का कोना कोना रगड़ जाएगा उसके लंड से अह्ह्ह्ह्ह
प्रभा पागलो की तरह अपनी चूत सहला रही थी ....उंगली से चोद रही थी, वो इतनी उत्तेजित थी की कुछ ही मिनटो में वो अपनी मंजिल पे पहुंच गयी, उसे आज तक इतना मजा कभी नहीं आया था, वो जोर जोर, से साँसे लेते हुए वैसे ही पड़ी रही,
इधर सागर को भी नींद नहीं आ रही थी, वो दिनभर हुए बातो के बारे में सोच रहा था, लेकिन उसकी बार बार प्रभा पे आ के रुक रही थी, वो सोच रहा था की क्यू प्रभा ने उसे कुछ पूछा नहीं या कुछ कहा नहीं, आखिर वो क्या चाहती है, कही वो भी तो मेरे साथ कुछ करना *चाहती है, नहीं वो भला ऐसा क्यू चाहेगी, उनको और बाबा को देख के तो ऐसा नहीं लगता की उनमे कुछ प्रॉब्लम है, लेकिन फिर वो, दोपहर में क्यू अपनी चूत में उंगली कर रही थी,
सागर को दोपहर का वो दृश्य याद आते ही उसके लंड में हरकत होने लगी थी,
सागर :- हा यार..शायद बाबा अब माँ को नहीं चोदते...इसीलिये तो अपनी आग अपनी उंगली से शांत कर रही थी, हा यार ....क्या मस्त नजारा था वो...कितनी सुन्दर चिकनी चूत थी उनकी...किसी 25 साल की लड़की की तरह....नहीं तो उस चाची की...छोड यार उसे..माँ पे कंसन्ट्रेट कर...उफ्फ्फ्फ़ जब वो उसे सहला रही थी...अंदर का गुलाबी रंग स्सस्सस्स उम्म्म्म यार बस एक बार चोदने मिल जाय अह्ह्ह्ह हाहा मजा आ जायेगा स्स्स्स, पागल हो गया है क्या, ऐसे मत सोच उनके बारे में...माँ है वो तेरी...लेकिन चाची भी तो बता रही थी की इसमे कुछ गलत नहीं है...हा न इसमे क्या गलत है, वो अगर मेरी माँ नहीं होती तो क्या औरत नहीं होती, और, मैं उसे नहीं चोदता क्या, *
इसके आगे वो कुछ सोच पाता ...उसका मोबाइल बजने लगा..उसे लगता है की फ़ोन शायद विजय का होगा...लेकिन कोई नंबर था,
उसने फ़ोन उठाया...दो तिन बार हेलो हेलो बोलने पर भी उधर से कोई जवाब नहीं दे रहा था, उसने फ़ोन कट कर दिया,
दो मिनट बाद फिर से फ़ोन बजा..लेकिन वो उठाय इससे पहले कट हो जाता है,
सागर गुस्से में आके वापस फ़ोन करता है, वो उसे डांटने वाला होता है की उधर से एक लड़की की आवाज आती है,
सागर :- कोण बात कर रहा है,
""मैं प्रियंका""
उधर से आवाज आती है,
सागर :- प्रियंका, क्या हुआ, इस वक़्त क्यू फ़ोन किया, माधवी तो सो रही होगी...
प्रियंका :- मैंने तुमसे ही बात करने के लिए फ़ोन किया है,
सागर ये सुनके थोडा आश्चर्य होता है और थोड़ी ख़ुशी भी,
सागर :- मुझसे, क्या बात करनी है,
प्रियंका :- मुझे तुमपे बहुत गुस्सा आ रहा है...तुम हमे लेने क्यू नहीं आये,
सागर :- ओह्ह अरे वो मैं थोडा दोस्तों से बाते करने लगा और मेरे ध्यान से निकल गया, तुमने ये पूछने के लिए रात के 12 बजे फ़ोन किया है,
प्रियंका :- नहीं तो..
सागर :- फिर किस लिए,
प्रियंका :- ऐसे ही..
सागर :- ऐसे ही, सच में, तो ठीक है फिर अभी मुझे नींद आ रही है कल बात करते है...
प्रियंका :- पागल हो तुम...एक लड़की रात को एक लड़के को फ़ोन करती है..और वो भी अपने बाबा का मोबाइल चुरा के...तो वो क्या ऐसे ही,
सागर :- तुमने ही तो कहा...
प्रियंका :- तुम्हे समझ नहीं आता क्या बुद्धू..,
सागर :- क्या,
सागर सब समझ रहा था लेकिन जानबुज के उसकी खिंचाई कर रहा था,
प्रियंका :- समझो न यार...
सागर :- क्या समझू, कुछ बोलोगी तो समझूगा न...
प्रियंका :- भोले मत बनो...सब समझ आ रहा है फिर भी नाटक कर रहे हो,
सागर :- मैं कोई नाटक नहीं कर रहा हु...सच में...तुम कुछ बोल नही रही और मुझसे कहती हो की मैं भोला बन रहा हु...बुद्धू हु...
प्रियंका :- सच में तुम्हे इतनी सिंपल सी बात समज नहीं आ रही,
सागर :- कोनसी,
प्रियंका :- यही की मुझे तुमसे प्यार हो गया है.....