Incest किस्से कच्ची उम्र के.....!!!!

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किस्से कच्ची उम्र के.....!!!!

भाग 1

* दोस्तों ये कहानी सुरु होती है एक छोटे से गाँव से, इस कहानी में रिश्तों में चुदाई की किस्से भी होंगे, तो जिसे इन्सेस्ट पसंद नहीं वो ये कहानी न पढ़े, इसके किरदार के बारे में थोडा बता देती हु,

माधवी :- एक कमसिन खूबसूरत सेक्सी लड़की, बहुत ही सीधी साधी लड़की है, अपने काम से काम रखने वाली लड़की, स्कूल पढाई और परिवार यही इसकी जिंदगी है, सेक्स की दुनिया का ज्यादा कुछ पता नहीं, ❤️❤️❤️❤️

प्रभा :- माधवी की माँ उम्र 36 साल, ये भी बला की खूबसूरत और सेक्सी औरत है, पढ़ी लिखी होने के कारन रहन सहन बहुत अच्छा है,

जसवंत :- माधवी के पिता, ये किसान है, बहुत खेती होने के कारन पैसो की कोई कमी नहीं,

सागर :- माधवी का बड़ा भाई, शहर में पढता है, उम्र 19 साल, महीने में एक बार गाँव आता है सबसे मिलने के लिए, बाकि किरदार भी है, जैसे जिक्र होगा वैसे बताउंगी, तो कहानी सुरु करते है, * *

प्रभा :- माधवी कितनी देर लगाती है नहाने में, चल मुझे खाना बनाना है तेरे बाबा के लिए,

माधवी :- हो गया माँ...आ रही हु, ठीक से नहाने भी नही देती हो,

प्रभा :- आधे घंटे से अंदर है,

माधवी बहार आती है,

माधवी :- क्या माँ आप भी न.....

* लेकिन प्रभा उसकी बात सुनती भी नहीं और झट से अंदर चली जाती है,

माधवी अपने कमरे में जाके तैयार होने लगति है, *

जसवंत अपने कम निपटा के आता है, जैसे वो बाहर हॉल में आता है...

जसवंत :- प्रभा खाना हो गया क्या,

*माधवी :- बाबा माँ नहा रही है,

जसवंत :- अच्छा उसको कहना की मैं खेत के लिए निकल रहा हु, खाना लेने चंदू को भेज दूंगा,

चंदू :- - शादी शुदा जसवंत के यहाँ खेतो में कम करने वाला नोकर, उम्र 34 साल, बहुत ही चोदु किस्म का इंसान, इसकी बुरी नजर माधवी और उसकी माँ पे है, जसवंत के यहाँ सालो से काम करता है इसकी वजह से सब उसे अपने परिवार का ही समजते है,

माधवी :- ठीक है,

प्रभा जल्दी नहाके खाना बना देती है, माधवी भी तैयार होके अपना टिफिन उठाके स्कूल के लिए निकल पड़ती है,

रस्ते में अपनी दोस्त प्रियंका के घर होते हुए दोनों दोस्त स्कूल के लिए निकल पड़ते है,

प्रियंका :- -ये भी बहुत खूबसूरत है, लेकिन बहुत चंट है, ये पुरे गाँव की खबरे रखती है, ऐसे सेक्स की बातें करने में बहुत मजा आता है, लेकिन माधवी इसे हमेशा चुप करवा देती है, दोनों विपरित स्वाभाव की होने के बावजूद बहुत गहरे दोस्त

*बरसात का मौसम चारो तरफ हरियाली, ऐसे में गाँव बहुत ही खूबसूरत लगता है, स्कूल गाँव के थोडा बाहर था, गाँव से लेके स्कूल का रास्ता थोडा सुनसान ही रहता था, लेकिन स्कूल के टाइम नहीं होता था, रस्ते में कुछ मनचले लडके अपनी आखे सेकने बैठे रहते थे, वो सिर्फ दूर से देख के आहे भरते रहते थे, कोई कुछ बोलता नहीं था, *

* *माधवि और प्रियंका अपने क्लास में जाके बैठ जाती है, इस बात से अनजान की उसकी जिंदगी कुछ दिनों में पूरी बदलने वाली है,
 
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भाग 18

सागर को अपनी तरफ ऐसे देखते देख प्रभा को बड़ी शर्म सी आ रही थी, उसका दिल बहुत जोर जोर से धड़क रहा था, सागर अभी भी उसे बस देखते ही जा रहा था, प्रभा उस ड्रेस में बला की खूबसूरत लग रही थी, ऊपर से वो टॉप उसके बदन चिपक सा गया था, उसकी बड़ी बड़ी चुचिया और उसके पॉइंटेड निप्प्ल्स को देख सागर के होश उड़ गए थे,

प्रभा :- क्या हुआ, कुछ बोलेगा भी,

सागर प्रभा के ऐसे पूछने पर होश में आया,

सागर :- वाओ माँ आपको बता नहीं सकता की आप कितनी अच्छी लग रही हो इस ड्रेस में, बिलकुल कॉलेज गर्ल लग रही हो आप,

प्रभा :- कुछ भी मैंने देखा है खुदको आईने में...इतनी भी अच्छी नहीं लग रही,

सागर :- सच में ...बहुत सेक्सी और हॉट लग रही हो,

प्रभा :- चुप कर बदमाश अपनी माँ को सेक्सी बोल रहा है,

सागर उठ के उसके नजदीक जाता है,

सागर :- अरे आप दिख रहि हो ईसिलिये बोल रहा हु, आपकी फ़ोटो ले लेता हु,

प्रभा :- नहीं पागल हो गए हो क्या, माधवी या तेरे बाबा ने देख लिया तो वो क्या सोचेंगे,

सागर :- कुछ नहीं होगा...

सागर फ़ोटो लेने के लिए मोबाइल उठाता है लेकिन प्रभा आगे बढ़ के उसका हाथ पकड़ लेती है, प्रभा ने सागर का वोही हाथ पकड़ा था जिसमे मोबाइल था,

प्रभा :- देख तू ऐसा मत कर..तूने जिद्द कि ईसलिये ये ड्रेस मैंने पहनी है और तू है की....

उनदोनो में मोबाइल को लेके झपटा झपटी चल रही थी, उसीका फायदा उठाते हुए प्रभा सागर से एकदम चिपक सी गयी थी, सागर भी प्रभा को अपने इतने करीब पा के उत्तेजित हो रहा था और अपना हाथ थोडा ऊपर करके पीछे ले जा रहा था, उसने मौके का फायदा उठाते हुए प्रभा के कमर में हाथ डाल दिया, उसने ऐसा करते ही प्रभा सिर्फ उससे मोबाइल छीनने का नाटक कर रही थी, सागर भी ये सब जानता था, उसने प्रभा की कमर पकड़ के थोडा आगे हुआ और उसने अपना खड़ा लंड प्रभा की चूत पे लगा दिया,

प्रभा उसके लंड का अहसास अपनी चूत पे हो रहा था, उसकी आँखों में नशा सा उतरने लगा, सागर लगातार उसके चेहरे के हावभाव देख रहा था, सागर प्रभा का नशीला होता हुआ चेहरा देख खुश हो रहा था और अपना लंड उसकी चूत से और चिपकाने लगा, प्रभा पहली बार सागर के लंड को अपनी चूत के इतने करीब पा कर उत्तेजना से मरी जा रही थी, उसे सागर के साथ चल रहे इस खेल में बहुत मजा आ रहा था,

प्रभा :- सुन ना प्लीज मत निकाल ना फ़ोटो...प्रभा की आवाज भारी होने लगी थी,

सागर :- ठीक है आप शांत हो जाओ...आप हाथ छोडो मेरा...प्रभा ने हाथ छोड़ दिया ,

सागर :- मैं ये मोबाइल यहाँ रख देता हु, सागर ने खड़े खड़े ही मोबाइल सोफे पे फेक दिया और अपने दोनों हाथ प्रभा के कमर पे रख *दिए,

सागर :- अगर आप को किसी को नहीं दिखानी तो मैं एक काम करता हु ...फ़ोटो कंप्यूटर में दाल देता हु और मोबाइल से डिलीट कर दूंगा,

प्रभा ने देखा की सागर ने उसे कमर से जकड लिया है और उसका एक हाथ धीरे धीरे उसकी गांड की तरफ बढ़ रहा है तो वो भी अपने हाथ सागर के गले में डाल देती है और अपनी कमर आगे की और कर देती है, वो लगबघ सागर के गले से झूल रही थी,

प्रभा :- नहीं न प्लीज...माधवी देख लेगी,

सागर :- नहीं देखेगी मैं छुपा दूंगा,

प्रभा अब धीरे धीरे अपने पैर अलग कर रही थी, दोनों की हाइट सेम होने से उनके गुप्तांग एकदूसरे से एकदम परफेक्ट जगह पे छु रहे थे, सागर को ये समझ आ रहा था की प्रभा अपने पैर अलग कर रही है,

प्रभा :- देख मैंने तेरी ये बात मानी तू मेरी ये बात मान ले....वो, दोनों जानते थे की ये फ़ोटो लेने की और नहीं लेने की बहस सिर्फ और सिर्फ दिखावा थी, वो दोनों हि ईकदुसरे से ऐसे ही चिपके हुए रहना चाहते थे,

सागर :- माँ आप इतनी खूबसूरत लग रही हो इस ड्रेस में मैं ये मिस नहीं करना चाहता,

प्रभा ने अपने पैर अब लगबघ अलग कर लिए थे, सागर ने उसे कमर पकड़ रखा था और प्रभा पैर फैलाये उसके गले में झूल रही थी, वो दोनों ऐसी पोजीशन में थे जैसे सागर उसे खड़े खड़े चोद रहा हो, अगर उनके बिच ये कपडे नहीं होते तो सागर का लंड अब तक प्रभा को चूत को गहराइयो में खो गया होता,

ये सब प्रभा के बर्दास्त के बाहर हो रहा था,

प्रभा :- छोटे बच्चे जैसी जिद मत कर...

सागर :- वो तो आप कर रही हो...और सच कहु तो अगर दो चोटी बना लो तो एकदम बच्ची ही लगोगी आप...

प्रभा :- हट शैतान...बस इतना ही रह गया था अब....बोलता है की बच्ची लगूंगी...पागल कही का,

सागर :- सच में...आप इतनी क्यूट लगोगी की कोई भी आपको गोद में उठाने को तड़प उठेगा...कोई क्या मैं ही उठाऊंगा...

प्रभा :- हा हा हा...अब कुछ ज्यादा ही हो गया...तू रहने दे मुझे गोद में उठाना तेरे बस का नहीं...

सागर :- हा क्या, रुक जाओ अभी दिखाता हु...

प्रभा का ऐसा बोलना सागर ने चैलेंज की तरह लिया, और वो प्रभा को उठाने की कोशिस करने लगा, प्रभा उसे मना कर रही थी मगर सागर मान नहीं रहा था, और उस खीचा तानी में प्रभा का बैलेंस बिघाड गया और वो निचे गिरने लगी, निचे गिरते हुए उसने सागर को सहारे के लिए पकड़ा तो सागर का भी बैलेंस बिघाड गया और *प्रभा के ऊपर जा गिरा, निचे गिरते वक़्त प्रभा का स्कर्ट फॅन की हवा से ऊपर उड़ गया था, और सागर प्रभा के ऊपर होने से उसे वो दिखाई नहीं दिया,

उसका चेहरा प्रभा के चुचियो के बिच दब गया, सागर ने खुद को संभाला और कोहनी का सहारा लेके ऊपर हुआ लेकिन उठा नहीं उल्टा मौके का फायदा उठाते हुए अपना लंड प्रभा की चूत से सटा दिया, प्रभा भी इस मौके का फायदा उठाते हुए अपने पैर फैलाके अपने घुटने मोड़ लिए, प्रभा को ये पता था की इसका स्कर्ट ऊपर उठ चूका है और सागर का लंड उसकी नंगी चूत पे था,

सागर :- ओह्ह सॉरी माँ...आपको लगी तो नहीं,

प्रभा :- नहीं...पागल मैंने तुझे पहले ही कहा था..तेरे बस का नहीं...और निचे से अपनी गांड धीरे से उठाके सागर को इशारा सा दिया, सागर को वो समझ आ गया, उसने भी अपना लंड का दबाव डाला,

सागर :- आपने ठीक उठाने नहीं दिया,

प्रभा :- हा रहने दे...इतने से तेरा ये हाल हो गया आगे क्या करेगा क्या पता,

सागर :- आगे की चिंता मत करो आप...

प्रभा :- ठीक है...देखती हु, चल उठ अब...

सागर :- क्यू, रहने दो ना ऐसे ही...अच्छा लग रहा है.....सागर प्रभा की आखो में देखते हुए अपने होठ उसके ओठो के पास ले जाते हुए धीरे से और बहुत ही सेक्सी अंदाज में बोला,

प्रभा :- अह्ह्ह क्या अच्छा लग रहा है, प्रभा ने एकदम नशीले अंदाज में पूछा, मुझे इस्तरह अपने निचे दबाके,

सागर :- नहीं...ऐसे आपके करीब आके,

प्रभा :- ऐसे अपने बीवी के करीब जाना मेरे नहीं...चल उठ,

सागर :- बीवी के जब जाऊंगा तब जाऊंगा....फ़िलहाल तो मुझे आपके साथ ऐसही रहना है,

प्रभा :- कैसे रहना है....प्रभा ने अपना एक हाथ उसकी कमर पे और दूसरा उसके बालो में डाल के सहलाते हुए पूछा,

सागर :- प्रभा की आँखों देखते हुए उसके होठो एक हल्का सा किस किया....ऐसे रहना है,

सागर ने जैसे ही उसे किस किया प्रभा की आँखे बंद हो गयी, *

प्रभा :- अह्ह्ह्ह्ह स्स्स ...(अआँखे खोलते हुए) *बस ऐसे ही,

सागर ने देखा की प्रभा को कोई ऐतराज नहीं है तो उसकी हिम्मत और बढ़ गयी,

सागर ने अब प्रभा को फिरसे किस करने लगा, प्रभा भी अब इस मौके को अपने हाथ से नहीं जाने देना चाहती थी, वो भी उसे धीरे धीरे किस करने लगी, दोनों भी पिछले एक घंटे से चले आ रहे इस खेल की वजह से इतने गरम चुके थे की अब उनके लिए रुकना नहीं हों रहा था, सागर के किस करने का अंदाज प्रभा को बहुत अच्छा लग रहा था, वो धीरे धीरे एकदूसरे के होठो को चूस रहे थे, दोनों की आँखे बंद थी, प्रभा ने उसके बाल कभी उसकी पीठ को सहला रही थी, निचे से अपनी गांड उठा के सागर के लंड पे अपनी चूत रगड़ रही थी, सागर भी अब उसे किस करते हुए उसकी बड़ी बड़ी चुचिया दबाने लगा था,

सागर :- (किस करते हुए मन में) उफ्फ्फ्फ़ क्या मस्त चुचिया है अह्ह्ह्ह्ह्ह नरम नरम अह्ह्ह्ह्ह मजा आ रहा है बहुत उफ्फ्फ्फ्फ़ ....

प्रभा :- (मन में) अह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स आज कितने दिनों बाद मेरी इच्छा पूरी होगी उफ्फ्फ्फ्फ्फ आज सागर का 10 11 इंच का लंड मेरी चूत को फाड़ेगा अह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स्स् उफ्फ्फ्फ़ अब बर्दास्त नहीं हो रहा है अह्ह्ह्ह्ह

जब उनका चूमने का सिलसिला खत्म हुआ वो एकदूसरे को गले लगा लिया, उनकी सांसे बहुत जोर जोर से चल रही थी, सागर अब प्रभा को गले पे चूम रहा था, उसके कानो को धीरे से काट रहा था, प्रभा बस आँखे बाद कर के सागर के एक एक हरकत का मजा ले रही थी, उसके मुह से लगातार अह्ह्ह्ह्ह उस्स्सस्सस्स उफ्फ्फ्फ़ स्सस्सस्सस उम्म्म्म्म्म्म्म निकल, रहा था,

सागर थोडा सांस लेने के लिए रुका, उसने देखा प्रभा आँखे बंद करके जोर जोर से साँसे ले रही थी,

सागर :- स्स्स्स्स् उफ्फ्फ्फ़ ऐसे भी रहना चाहता हु मैं आपके साथ...

प्रभा ने अपनी आँखे खोली....उसकी आँखे उत्तेजना से लाल लाल हो चुकी थी,

प्रभा :- और .....प्रभा सिर्फ इतना ही कह पायी...उसकी आवाज काँप, रही थी, पूरा बदन गरम हो चूका था,

सागर प्रभा की आँखों में देखते हुए अपना हाथ निचे प्रभा की जांघो पे गया, उसने देखा की प्रभा का स्कर्ट पहले ही ऊपर था, उसने प्रभा की जांघो को सहलाते हुए अपना हाथ उसकी चूत पे ले गया, जैसे ही उसका हाथ प्रभा की चूत को छुआ प्रभा के मुह से आआआआअह्हह्हह निकल गयी और उसका मुह वैसे ही खुला रह गया, सागर ने देखा की प्रभा की चूत बहुत ज्यादा गीली थी,

उसका लंड भी बहुत देर से खड़ा था, उसे पता था की अब वो वक़्त आ चूका है जिसका सिर्फ उसे ही नहीं प्रभा को भी इन्तजार था, उन दोनों के बिचबके रिश्ते को भुला के एक नए रिश्ते का आगाज करना, सागर प्रभा की चूत को सहला रहा था, और प्रभा के चेहरे को देख रहा था, , प्रभा मदमस्त हो चुकी थी, वो आँखे बंद कर के आहे भर रही थी,

सागर ने अपना हाथ प्रभा की चूत से हटाया और अपना पैंट अंडरवियर के साथ लेटे लेटे ही निचे कर दिया, और अपनी कमर को थोडा ऊपर उठा के एक हाथ से अपना लंड प्रभा की गीली चूत पे ले गया और रगड़ने लगा, प्रभा को जैसे ही सागर के लंड का अहसास अपनी चूत पे हुआ उसकी धड़कने रुक सी गयी, जिस पल का वो बेसब्री से इन्तजार कर रही थी वो आखिर आ ही गया, उसने आँखे खोली और सागर की तरफ देखा, वो भी प्रभा को देख रहा था,

प्रभा :- अह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स्स् सागर अह्ह्ह्ह क्या हम ये सही कर रहे है,

सागर :- उम्म्म्म्म स्स्स्स्स् मुझे नहीं पता माँ क्या सही क्या गलत....बस मुझे सिर्फ इतना पता है की *मैं ये करना चाहता हु....अब मैं नहीं रुक सकता....क्या आप नहीं चाहती,

प्रभा :- अह्ह्ह स्स्स्स चाहती तो हु...वर्ना तुम्हे कब का रोक लेती....लेकिन....

सागर :- लेकिन क्या, ये गलत है हमें ये नहीं करना चाहिए ...ये वो..मुझे कुछ नहीं पता...मैं सिर्फ इतना समजता हु की आप औरत हो और मैं मर्द...बस बाकि मैं कुछ नहीं सोचना चाहता...

प्रभा :- अह्ह्ह्ह स्स्स्स्स् फिर इन्तजार किस बात का कर रहे हो, प्रभा ने बहुत ही ज्यादा सेक्सी अंदाज में कहा,

सागर ये सुनके पागल सा हो गया, उसने धीरे से अपना लंड प्रभा की चूत के मुह पे रखा और धीरे धीरे अंदर सरकाने लगा, प्रभा की चूत बहुत गीली थी, सागर को अपना लंड अंदर डालने में कोई परेशानी नहीं हों रहि थी लेकिन प्रभा को इतने मोटे और लंबे लंड से चुदने की आदत नहीं थी, उसे थोडा दर्द हो रहा था, वो अह्ह्ह्ह्ह किये जा रही थी, सागर ने आधा लंड अंदर दाल दिया था, वो थोडा रुक के प्रभा की आँखों में देख रहा था,

सागर :- अह्ह्ह्ह्ह स्स्स अह्ह्ह्ह उम्म्म्म कितना अच्छा लग रहा उफ्फ्फ्फ्फ़

प्रभा कुछ बोलने के मुड़ में नहीं थी, कई दिनों से जिस लंड से चुदने की उसकी चाहत थी आज वो पूरी हो रही थी, वो बस उसकी चूत में जाते उस लंड के बारे में ही सोच रही थी, सागर ने धीरे धीरे पूरा लंड अंदर डाल दिया था, प्रभा को दर्द भरे एक अजिबसे सुख की अनुभूति हो रही थी, सागर को प्रभा की चूत में लंड डाल के बहुत मजा आ रहा था, चूत के अंदर की गर्माहट और उसकी कसावट का मजा ले रहा था, जो मजा उसे मीना को चोदने के बाद भी नहीं आया था वो मजा उसे सिर्फ अपना लंड प्रभा की चूत में डालने भर से आ रहा था,

वो ऐसे ही थोड़ी देर पड़ा रहा और प्रभा को गर्दन पे गालो पे होठो पे बड़े ही प्यार से किस कर रहा था, प्रभा अपने हाथ सागर की गांड पे ले गयी और निचे से अपनी गांड उठा *के उसे चोदने का इशारा करने लगी, सागर को समझ आ गया की प्रभा क्या चाहती है, वो धीरे धीरे अपना लंड बाहर निकाला और फिर धीरे से वापस अंदर डाल दिया, प्रभा के मुह से हलकी सी अह्ह्ह निकली, सागर वापस उसी अंदाज में अपना लंड आगे पीछे करते हुए प्रभा को चोदने लगा, प्रभा को एक अलग ही सुख मिल रहा था, उसकी आँखे पूरी तरह से बंद भी नहीं हो रही थी और पूरी तरह से खुल भी नहीं रही थी,

सागर भी अब उस गीली चिकनी और टाइट चूत को मजे से चोद रहा था, वो दोनों अपने, इस पहले मिलन का भरपूर आनंद उठा रहे थे,

सागर की स्पीड अब बढ़ गयी थी, स्पीड के साथ साथ सागर अब उसकी चुचिया भी दबाने लग गया था, प्रभा सागर के हर धक्के के साथ अह्ह्ह्ह कर उठती,

सागर :- उफ्फ्फ्फ्फ़ अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह स्सस्सस्स माँ बहुत अच्छा लग रहा है अह्ह्ह्ह्ह्ह स्सस्सस्सस*

प्रभा :- अह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स्स् उम्म्म्म्म मुझे भी अह्ह्ह्ह्ह्ह उईईईईई माँ अह्ह्ह धीरे धीरे कर उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़

ये पहली बार था जब प्रभा कुछ बोल पा रही थी, *

सागर :- अह्ह्ह्ह्ह्ह इतना धीरे ठीक है ना,

प्रभा :- अह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स हा ठीक है उफ्फ्फ्फ्फ्फ

प्रभा अब बहुत ऊटेजित हो चुकी थी, सागर भी अब झड़ने के करीब था, मगर वो खुद को रोक रहा था, क्यू की उसे प्रभा को ऐसे ही काफी देर तक चोदने की चाह थी क्यू की उसको बहुत मजा आ रहा था,

सागर :- उफ्फ्फ्फ्फ़ अह्ह्ह्ह स्सस्सस्स*

प्रभा :- अह्ह्ह्ह्ह्ह हा हा ऐसे ही उफ्फ्फ्फ्फ्फ ऐसा लग रहा है स्सस्सस्स जैसे पहली बार मैं ये कर रही हु अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह जोर से अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह थोडा और अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह

सागर :- अह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स्स्स्स्स उफ्फ्फ्फ्फ्फ*

सागर अब बहुत तेज अपना लंड प्रभा की चूत में अंदर बाहर कर रहा था, प्रभा भी अपनी गांड उचका उचका के सागर का लंड अपनी चूत में ले रही थी, वो दोनों भी अब अपने मंजिल के करीब थे,

सागर :- अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह माँ स्स्स्स्स्स्स्स माँ, ऊम्मम्म, आपको चोदने में बहुत मजा आ रहा है अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह स्सस्सस्सस्सस्सस्सस्स

सागर उत्तेजना के मारे बोल पड़ा, प्रभा उसके मुह से चोदना सुन के सिहर सी उठी, चूत में अंदर बाहर होता मोटा लंबा लंड और सागर के मुह से ऐसी बाते उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ वो सातवे आसमान में थी, *

प्रभा :- अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह मुझे बहुत मजा आ रहा सागर उफ्फ्फ्फ्फ्फ अह्ह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स्स्स्स्स जोर से और आआआआआअ और अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्*

प्रभा झड़ चुकी थी, *

सागर :- अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह हा अह्ह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ्फ़ मेरा होने वाला है अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्

सागर ने भी आखरी धक्का प्रभा की चूत में लगाया और अपना लंड दबा के वो अंदर ही झड़ने लगा, वो फच फच प्रभा की चूत में पिचकारी मारे जा रहा था, प्रभा को सागर के लंड से निकलते गरम वीर्य का अहसास हो रहा था, सागर के लंड से उड़ती हर पिचकारी उसके चूत में वो साफ़ साफ़ महसूस कर पा रही थी,

दोनों भी जोर जोर से साँसे लेते हुए एकदूसरे को बाहो में जकड के ऐसे ही पड़े रहे, प्रभा सागर के उस मोटे लंबे लंड से चुदावाके किसी स्वर्ग सी अनुभूति हो रही थी,

वो उस पल को अपने ज़हन में हमेशा के लिए कैद करके रखना चाहती थी,

दोस्तों अभी रात सुरु हुई है, आगे आगे देखीये क्या क्या होता है, *​
 
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भाग 19

पुरे घर में अब शांति छा गयी थी, जो घर थोड़ी देर पहले अह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ स्स्स्स की सिसकियो से गूंज रहा था वो अब खत्म हो चुकी थी, सागर और प्रभा भी अब थोड़े नार्मल हो चुके थे, कुछ देर पहले जो बेशर्मी से एक दूसरे के साथ मजे कर रहे थे वो अब शर्माने लगे थे, एक अजीब सी हिचकिचाहट सी आ गयी थी दोनों के बिच, वो दोनों अलग हुए, अपने अपने कपडे ठीक किये, लेकिन वो एकदूसरे से नजर नहीं मिला पा रहे थे, प्रभा ने देखा घडी में 12 बज रहे थे,

वो उठी और बिना कुछ बोले अपने कमरे में चली गयी, सागर वही सोफे पे बैठा टीवी देखने की कोशिस कर रहा था, इस घटना के बाद प्रभा और उसका रिश्ता एकदम से बदल गया था, वो दोनों भी इस बदलाव को कैसे हैंडल करे उन्हें समझ नहीं आ रहा था, सागर के दिमाग में बार बार प्रभा के साथ की चुदाई के पल दौड़ रहे थे,

सागर :- उफ्फ्फ्फ़ सच में आज मजा आ गया, पर पता नहीं क्यू अजीब सा लग रहा है, मैं उनके साथ और भी मस्ती करना चाहता हु पर अब उनके सामने जाने की हिम्मत नहीं हो पा रही है, क्या करू, ऐसा तो तब भी नहीं लग रहा था जब ये सब हुआ नहीं था, जाऊ क्या अंदर, या अभी के लिए रुक जाऊ, समझ नहीं आ रहा यार,

उतने में प्रियंका का फ़ोन आने लगा, सागर ने उसे ये कह के टाल दिया की उसकी तबियत ठीक नहीं है,

इधर प्रभा भी बेड पे लेटे लेटे वही सोच रही थी,

प्रभा :- उम्म्म्म सच में क्या मस्त लंड है सागर का....उफ्फ्फ मजा आ गया...10 मीनट की चुदाई में इतना मजा कभी नहीं आया, लेकिन अब आगे क्या, बड़ा अजीब सा लग रहा है, जो चाहिए था वो तो मिल गया पर अब और *की चाहत हो रही है, जाऊ बाहर, नहीं नहीं बड़ा अजीब लग रहा है, वो क्यू नहीं आ रहा , शायद वो भी ऐसी ही कश्मकश में है, थोडा रुक जाती हु,

वो दोनों भी ऐसे ही एक घंटे तक अकेले अकेले सोचते रहे, नींद तो उनकी आखो से कोसो दूर थी,

सागर बहुत बेचैन हो रहा था, जवान और गरम, खून था उसका, रह रह के उबाल आ रहा था, वो हॉल में इधर से उधर चक्कर कांट रहा था, उसे एक बार फिर वासना के भूत ने जकड लिया था, आखिर उसने फैसला ले ही लिया, वो धीरे धीरे प्रभा के कमरे की तरफ बढ़ने लगा, वो दरवाजे के पास आके एक पल के लिए रुका, अंदर का लाइट जल रहा था, मतलब प्रभा सोयी नहीं थी, प्रभा कबसे दरवाजे पे अपनी आखे टिका के बैठी थी, जैसे ही उसने दरवाजे पे कुछ हलचल देखी वो झट से उठी और बाथरूम में चली गयी, सागर अभी भी दरवाजे के बाहर ही खड़ा था,

आखिर उसने हिम्मत बटोरी और दरवाजा ढकेला, उसने कमरे में कदम रखा तो देखा कोई नहीं था, तभी प्रभा बाथरूम से बाहर आयी, वो सिर्फ टॉवल में थी, उसने वो ड्रेस जानबुज के निकाल दी थी, उन दोनों की नजरे आपस में मिली, कुछ सेकेण्ड के लिए वो दोनों ऐसे ही खड़े रहे, कोई कुछ बोल ही नहीं पाया, प्रभा ने निचे देखते हुए अपने बेड के पास जाके तभी निकाले हुए कपडे देखने लगी,

प्रभा :- तू सोया नहीं अब तक...प्रभा ने उस लंबी ख़ामोशी को तोडा,

सागर ने कुछ जवाब नहीं दिया, वो चलते चलते प्रभा के पास आया, और उसने बिना सोचे उसे पीछे से हग कर लिया,

सागर :- माँ आपको ये सब बुरा तो नहीं लगा ना,

प्रभा :- ऐसा क्यू पूछ रहा है,

सागर :- बताओ ना प्लीज....

प्रभा :- अगर मैं कहु की हा बुरा लगा तो क्या करेगा,

सागर :- मैं दुबारा आपके सामने कभी नहीं आउंगा,

प्रभा पलट के उसके गालो पे हाथ लगाती हुई बड़ी ही मादकता के साथ...

प्रभा :- और अगर मैं कह की मुझे अच्छा लगा तो....

प्रभा के मुह से ये सुनके सागर ने प्रभा को कमर से पकड़ा और जोर से अपनी और खीचा...

सागर :- तो मैं ये अभी दुबारा करुंगा....ताकि आप अगली बार पूछने पे कहो की मुझे ये बहुत बहुत अच्छा लगा....

प्रभा :- सागर के गले हाथ डालते गए उसके होठो के करीब अपने होठ ले गयी....अच्छा, खुद पे इतना यकीं है,

सागर :- हा बिलकुल है.....सागर भी अपने होठ प्रभा के होठो के और भी करीब ले जाते हुए उसकी आँखों में देखते हुए कहा, और थोड़ी देर वो दोनों ऐसे ही देखते रहे...फिर सागर ने आगे बढ़ के प्रभा के होठो को अपने होठो में कैद कर लिया, और धीरे धीरे किस करने लगा प्रभा भी उसका साथ दे रही थी, सागर ने जब प्रभा के होठो को छोड़ा तो देखा प्रभा वैसे ही साँसे लेते हुए अपनी आखे बंद किये खाड़ी थी,

सागर ने धीरे से प्रभा का टॉवल खोला...प्रभा को जबतक ये समज आता तब तक उसके टॉवल की कोना सागर निकाल चूका था, वो उससे छुटने के लिए पलटी तो सागर ने टॉवल को झटके के साथ खीच लिया, जिससे प्रभा ने एक गोल चक्कर लिया और पूरी तरह से नंगी सागर के सामने खड़ी हो गयी, सागर प्रभा को स्माइल करते हुए ऊपर से निचे तक देखने लगा, प्रभा ने शरमा के अपनी चुचिया हाथो के पीछे छुपा ली और वो निचे देखने लगी,

प्रभा :- सागर...क्या कर रहा है टॉवल दे...मुझे शरम आ रही है,

सागर :- अह्ह्ह वाओ...कोई टॉवल नहीं मिलने वाला आपको आज....मुझे देखने तो दीजिये आपकी सुन्दर जिस्म को....

सागर के मुह से ऐसी बाते सुन के प्रभा रोमांचित हो उठी थी, वो पलट के कड़ी हो जाती है,

सागर धीरे धीरे उसके पास जाता है....उसको ऊपर से निचे तक देखता है, प्रभा की नंगी चिकनी गांड देख के *उसका लंड अपने असली अवतार में आने लगा था, वो धीरे से अपनी उंगलिया प्रभा के पीठ पे फेरने लगता है, प्रभा सागरके ऐसे स्पर्श से सिहर उठी थी, उसकी आखे अपने आप ही बंद हो गयी और मुह से अह्ह्ह्ह्ह स्सस्सस्स ऐसी आवाज निकल गयी,

सागर :- उफ्फ्फ्फ़ माँ सच क्या खूबसूरत जिस्म, है आपका....बहुत ही सेक्सी अह्ह्ह्ह ...सागर ने प्रभा के बालो को हटाया और अपने होठ प्रभा की पीठ पे रखे और अपना निचे ले जाके उसकी गांड की गोलाईयां सहलाने लगा,

प्रभा :- अह्ह्ह्ह्ह स्सस्सस्स *उम्म्म्म्म्म्म्म

सागर प्रभा की पीठ को हर जगह चूम रहा था और गांड को सहलाते हुए उसकी गांड के दोनों फाको के बिच धीरे धीरे अपनी बिच की उंगली थोड़ी से दाल के ऊपर से निचे तक ले जाने लगा, फिर पीठ को चूमते हुए उसकी गांड को भी चूमने लगा,

सागर :- स्सस्सस्सस अह्ह्ह्ह्ह्ह माँ बड़ा खुश नसीब हु मैं की आपके इस मादक जिस्म को ऐसे छूने का मौका मिल, रहा है....अह्ह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़

प्रभा को सागर का इसतरह से छूना अब सहन नहीं हो रहा था, उसकी धड़कने बहुत तेज चल रही थी,

प्रभा :- उफ्फ्फ्फ्फ़ स्सस्सस्सस अह्ह्ह्ह्ह उम्म्म्म्म्म्म्म करते हुए वो पलट गयी और सागर को कस के गले लगा लिया, सागर ने भी उसे अपनी बाहो में भर लिया, प्रभा आँखे बंद किये उसके पीठ पे अपने हाथ घुमा रही थी, उसे अपनी तरफ भींच रही थी, सागर भी उसे गर्दन को किस करते हुए जहा तक उसका हाथ पहुंचत है वहा तक उसका नंगा बदन सहला रहा था, कुछ देर तक ये सिलसिला युही चलता रहा, फिर वो अलग हुए और एकदूसरे की आँखों देखने लगे, फिर अपने आप ही उनके होठ एकदूसरे में खो गए, वो बड़े ही नजाकत से किस किये जा रहे थे,

किस करते हुए सागर ने प्रभा को बेड पे गिरा दिया, और खुद भी उसके ऊपर गिर गया, थोडा एडजस्ट होके वो दोनों पूरी तरह से बेड पे लेट गए लेकिन उनके होठ एकदूसरे से अलग नहीं हुए, प्रभा ने सागर को ऊपर गले से और निचे पैरों में जकड लिया था, सागर भी अपना लंड प्रभा की चूत पे रगड़ता हुआ उसके होठो को चूसे जा रहा था, जब उनका चूमने का सिलसिला खत्म हुआ तब सागर थोडा साइड में हुआ और प्रभा की चुचिया एक एक करके दबाने लगा,

सागर :- स्सस्सस्स अह्ह्ह्ह माँ कितनी मस्त है आपकी चुचिया अह्ह्हआआ उम्म्म्म्म बहुत मजा आता है दबाने में अह्ह्ह्ह्ह

प्रभा :- अह्ह्ह्ह्ह स्सस्सस्स धीरे अह्ह्ह इफ़्फ़्फ़्फ़्

सागर :- स्सस्सस्स कल आप इसी के दूध को पिने की बात कर रही थी ना, अह्ह्ह

प्रभा :- स्स्स्स्स् अह्ह्ह्ह हा...तुझे समझ आ गया था,

सागर :- अह्ह्ह उम्म्म हा...

प्रभा :- तो फिर पिया क्यू नहीं उम्म्म्म्म्म

सागर :- तो अभी पि लेता हु अह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स्स् वैसे भी आपके ये निपल्स ने तो मुझे कबका दीवाना बना रखा अहै अह्ह्ह्ह इनको तो आज चूस चूस के लाल कर दूंगा अह्ह्ह्ह्ह्ह

प्रभा :- स्स्स्स्स् उम्म्म्म्म चूस ले उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़ आऔछ्ह्ह्ह्*

सागर एक हाथ से प्रभा का एक स्तन दबा रहा था और दूसरे को दबा के उसका निप्पल चूस रहा था, प्रभा की चुचिया बहुत बड़ी थी, फिर भी जितना वो मुह में ले सकता उतना ले रहा था और जूबाण से निप्पल के साथ खेल रहा था, वो बारी बारी उसकी दोनों चुचिया चूस रहा था और मसल रहा था, प्रभा को बहुत मजा आ रहा था, वो उसके बालो में से हाथ घुमा रही थी उसका सर अपनी चुचियो पे दबा रही थी,

प्रभा :- उम्म्म्म्म्म अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स अह्ह्ह्ह सागर उफ्फ्फ्फ़ ऐसे ही उफ्फ्फ बहुत अच्छा लग रहा है अह्ह्ह्ह्ह्ह स्सस्सस्स

सागर :- उम्म्म माँ कितनी मस्त है आपकी चुचिया अह्ह्ह्ह्ह्ह स्सस्सस्सस उम्म्म्म्म

सागर ने जी भर के प्रभा की चुचियो को मसला और चूसा, सच में उसने प्रभा निप्प्ल्स को चूस चूस के लाल कर दिए थे, वो अब धीरे धीरे प्रभा के पेट को चूम रहा था, उसके चूमने में एक अलग ही अदा थी, जब भी वो अपने भीगे होठ प्रभा के पेट पे लगता प्रभा को हर बार करण्ट सा लग रहा था, सागर प्रभा की नाभि को देख रहा था, प्रभा की चिकने सपाट पेट पे वो नाभि बहुत सुन्दर लग रही थी, उसने उसे एक बार चूमा और फिर उसमे जुबान डाल के चाटने लगा, प्रभा उसके ऐसे करने से और भी उत्तेजित हो रही थी,

प्रभा :- अह्ह्ह्ह्ह सागर उम्म्म्म्म्म स्स्स्स्स् आज तू मुझे पागल करके ही छोड़ेगा,

सागर :- अह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स पागल तो मैं हो गया हु माँ आपका हुस्न देख के उफ्फ्फ्फ्फ़

सागर वापस प्रभा का के पेट को चूमते चाटते ऊपर आके उसके होठो को चूमने लगा,

सागर ने प्रभा के होठो को आजाद किया, एकदम धीमी और मादक आवाज में बोला....

सागर :- माँ...आपको याद है ना मैंने दूध और जूस दोनों पिने की बात की थी,

प्रभा उसकी आँखों में देखते हुए लंबी लंबी साँसे लेते हुए उसीके अंदाज में बोल पड़ी...

प्रभा :- हा ...ययाद है..तो पियो ना मैंने मना किया है क्या,

सागर :- लेकिन आपको मुझसे ये कहना पड़ेगा...

प्रभा :- स्स्स्स्स् कह तो दिया ना...

सागर :- ऐसे नहीं....सही से...जो करना है वो सही शब्दों में कहो...

प्रभा :- स्स्स्स्स् उम्म्म्म अपनी गर्दन दूसरी और करते हुए...मुझे शर्म आती है अह्ह्ह

सागर :- प्रभा के चीन को पकड़ के वापस सीधा करते हुए....अब कैसी शर्म, प्लीज कहो ना...

प्रभा :- बहुत हो सेक्सी अदा से उसकी आँखों में देखती है....सागर स्स्स्स्स् उम्म्म्म मेरी..अहह मेरी ..चु..चूत का जूस पियो ना.....अह्ह्ह्ह स्स्स्स्स्

सागर :- उफ्फ्फ्फ्फ़ स्सस्सस्स माँ उफ्फ्फ्फ्फ़ कितना मस्त लग रहा है आपके मुह से उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़ अह्ह्ह्ह्ह एक बार फिर कहो ना अह्ह्ह्ह

प्रभा :- स्सस्सस्सस अह्ह्ह्ह सागर प्लीज मेरी चूत को चाटो ना अह्ह्ह्ह्ह बहुत गीली हो चुकी है अह्ह्ह्ह्ह्ह

प्रभा और सागर दोनों अब बहुत खुल गए थे, वासना के उस तूफ़ान में अब बस उड़ते हुए जाना चाहते थे,

सागर :- स्सस्सस्सस उम्म्म्म्म वाओ माँ उफ्फ्फ्फ्फ्फ मजा आ गया....हा माँ अब मैं आपकी चूत को चाटूंगा उफ्फ्फ्फ्फ़ उस का स्वादिस्ट रस को पिऊंगा अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह

प्रभा :- अह्ह्ह्ह्ह स्सस्सस्स उम्म्म्म हा...तेरे लिए ही तो कब से मेरी चूत से टपक रहा है अह्ह्ह्ह्ह

प्रभा और सागर एकदूसरे से बहुत ही मादक अंदाज में बाते कर रहे थे, *

सागर उठ के प्रभा के पैरो के बिच जाके बैठ गया, प्रभा ने पहले ही घुटने मोड़ के पैर को थोडा खोल दिया था, सागर ने प्रभा के दोनों जांघो को सहलाया और प्रभा की चूत को गौर से देखने लगा, गोरी गोरी जांघो के बिच में हलके सावले रंग की चूत को देख सागर पागल सा होंगया, उसपे हलके बाल दिख रहे थे, गीली चूत बल्ब की रोशनी में चमक, रही थी, सागर धीरे से अपना हाथ आगे बढ़ाया और अपने अंगूठे से चूत की दरार में से घुमाया और चूत को थोडा सा फैलाया, सागर ने जैसे ही प्रभा की चूत को अंदर से देखा तो स्तब्ध रह गया, *

प्रभा उसके ऐसे चुने से तड़प उठी, वो अपनी चूत को थोडा ऊपर ऊपर उठाने लगी, सागर प्रभा की चूत को और थोडा सहलाने लगा....

सागर :- उफ्फ्फ्फ्फ़ माँ कितनी प्यारी है आपकी चूत स्स्स्स्स्स्स्स उम्म्म्म इतनी सुन्दर चूत मैंने आजतक नहीं देखी स्स्सस्सस्सस्सस्स जी करता है बस इसे ऐसेहिंदेखते रहु अह्ह्ह्ह्ह्ह

प्रभा :- उम्म्म्म्म्म्म्म सागर स्सस्सस्सस उफ्फ्फ्फ्फ्फ *बहुत अच्छा लग रहा है तुम्हारा ऐसे छूना आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह

सागर ने सहलाते हुए अपनी बिच की उंगली प्रभा के चूत में डालि और बाहर निकाली, उसे लेके वो प्रभा के पास गया....

सागर :- अह्ह्ह्ह ये देखो आपकी चूत का रस .....और फिर उसे प्रभा के होठोंके पास ले गया और खुद के होठ भी निचे ले गया और उसे जुबान से चाटने लगा,

सागर :- अह्ह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स्स् उम्म्म्म बहुत ही स्वादिष्ट है अह्ह्ह्ह्ह्ह

प्रभा उसकी ये हरकत देख पागल सी होने लगी थी,

प्रभा :- उम्म्म्म्म्म स्सस्सस्सस अह्ह्ह्ह्ह्ह

सागर वापस प्रभा के पैरो के बिच आके बैठ गया, और और धीरे धीरे अपना मुह चूत के पास लेके जाने लगा, प्रभा को जैसे ही उसकी साँसे अपनी चूत पे महसूस हुई वो निचे से अपनी गांड थोड़ी ऊपर करने लगी, आखिर में सागर ने प्रभा चूत को चूम ही लिया, सागर बहुत ही नजाकत से प्रभा की चूत चाट रहा था, निचे से ऊपर तक वो प्रभा की चूत जुबान से चाटने लगा, उसकी खुरदुरी जुबान का स्पर्श प्रभा बहुत एन्जॉय कर रही थी, सागर अपने अंगूठे से प्रभा की चूत दाना राग रहा था और चूत के अंदर जुबान डालने की कोशिस कर रहा था,

प्रभा :- अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह उईईईईईई माँ मर गयी अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह उफ्फ्फ्फ्फ्फ सागर्र्रर्रर्रर्रर्रर्र अह्ह्ह्ह्ह हा ऐसे ही चाटो उफ्फ्फ्फ्फ़ बहुत अच्छा लग रहा है अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्, उम्म्म्म्म्म्म्म

सागर अब धीरे धीरे प्रभा के चूत के दाने को मुह में भर के चूस रहा था, धीरे धीरे अपने दांत गड़ा रहा था,

प्रभा :- उफ्फ्फ्फ्फ़ स्सस्सस्स हाआआआआअ ऐसे ही अह्ह्ह्ह्ह काटो मत ना, अह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स्स् उम्म्म्म्म्म्म्म

सागर जी भर के प्रभा की चूत का रस चाट रहा था, प्रभा सागर के ऐसे चाटनेसे एक बार झड़ भी गयी थी, उसके चूत में पानी की बाढ़ सी आ गयी थी,

सागर :- अह्ह्ह्ह्ह्ह वाओ माँ बहुत मजा आ रहा है उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़

प्रभा :- मुझे भी अह्ह्ह्ह्ह स्सस्सस्सस उम्म्म्म्म सागर अह्ह्ह्ह्ह मैं तेरे सामने ऐसे नंगी हु और तू कपडे पहने हुए है,

सागर :- तो आप ही निकाल दो ना....

सागर बेड पे लेट गया, प्रभा उठी और अपने घुटनो पे गयी और एक हाथ बेड पे टिका दिया, दूसरे हाथ से सागर का लंड पकड़ा और दबाने लगि और सागर को किस करने लगी,

प्रभा ने सागर के शर्ट के बटन खोल दिए और उसे बड़ी ही सेक्सी अदा से उसके छाती को चूमने लगी, वो चूमते हुए निचे उसके पेट तक गयी और अपना निचला होठ उसके पेट से लगाया और वैसे ही ऊपर तक उसके बदन से रगड़ता हुआ ले गयी, सागर ने अपना एक हाथ प्रभा की गांड पे रखा और उसे सहलाने दबाने लगा, प्रभा फिरसे उसे चूमती हुई निचे गयी, उसने अपना हाथ हटाया और देखा सागर का लंड सीधा खड़ा था, वो उसे *पल भर के लिए देखा और उसने सागर की पैंट के ऊपर से ही उसे चूम लिया,

सागर :- अह्ह्ह्ह्ह्ह स्स्सस्सम ऐसे नहीं निकाल के करो ना...

प्रभा :- उसके लंड को पकड़ा और मुह में भरा फिर उसे अपने गालो पे लगा के...नहीं सीधा शब्दों में कहो...जैसे मुझसे करने को कहा था ...

सागर :- उम्म्म्म्म वो तो मैं बिल दूंगा लेकिन मुझे आपके ही मुह से सुनना है अह्ह्ह्ह

प्रभा :- उम्म्म नहीं तुम कहो...

सागर :- ठीक है लेकिन मेरे कहने के बाद आपको भी कहना पड़ेगा,

प्रभा :- ठीक है...

सागर :- अह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स माँ *मेरा लंड बाहर निकल के चूसो ना अह्ह्ह्ह्ह उम्म्म्म

प्रभा :- अह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स्स् उम्म्म्म्म एक बार और....

सागर :- अह्ह्ह्ह स्स्स्स माँ मेरा लंड को अपने इन गुलाब की पंखुड़ियों जैसे होठो से चूमो ना...अपनी जुबान से चाटो अह्ह्ह्ह्ह मुह में भरकर चूसो अह्ह्ह्ह्ह

प्रभा :- सागर अह्ह्ह्ह्ह स्सस्सस्स उम्म्म हा मैं, तेरे इस बड़े से लंड को चूमूंगी चाटूंगी चूसूंगी अह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स्स् सागर अह्ह्ह मैं तुम्हारे लंड का पानी अपने मुह में गिरना चाहती हु...गिराओगे ना,

सागर :- अह्ह्ह्ह स्स्स्स हा माँ मैं अपने लंड का पानी आपके मुह में छोड़ूंगा अह्ह्ह्ह्ह उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्*

प्रभा ने ये सुनते ही सागर की पैंट अंडरवियर के साथ निचे कर दी और निकाल फेकी, अब वो दोनों, पूरी तरह से नंगे थे, *

प्रभा ने सागर का लंड पकड़ा और उसे देखने लगी, इतने करीब से वो पहली बार सागर का लंड देख रही थी, प्रभा ने सागर के लंड की ऊपर की स्किन निचे की और थोडा दबाया....उसके गुलाबी सुपाड़े कोंदेख प्रभा के होश उड़ गए...लंड के ओपनिंग पे थोडासा प्रीकम आ रहा था, उस गुलबिं सुपाड़े पे वो प्रीकम की बून्द किसी मोती की तरह चमक रही थी,

प्रभा ने झट से निचे हुई और सागर की आखो में देखते हुए उस बून्द को जुबान से धीरे से चाट लिया,

सागर प्रभा को ऐसे मादक और मदमस्त तरीके से अपना लंड चाटते हुए देख पागल सा हो गया,

सागर :- उफ्फ्फ्फ्फ्फ स्सस्सस्सस उम्म्म्म्म वाओ माँ सच में आप बहुत ही सेक्सी हो उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़

प्रभा सागर के लंड को ऊपर से निचे तक जुबान से धीरे धीरे चाट रही थी, उसके लंड को अपने गालो पे आखो पे होठो पे लगा रही थी, प्रभा का उन्माद अब उफान पर था, वो उसे मुह में भरकर चूसने लगी,

प्रभा :- अह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स्स् कितना मस्त है सगार तुम्हारा लंड अह्ह्ह्ह्ह कितना मोटा है स्सस्सस्स पूरी तरीके से मुह में भी नहीं समां रहा अह्ह्ह्ह्ह स्सस्सस्स और तुम्हारे लंड का स्वाद भी बहुत अच्छा है अह्ह्ह्ह स्सस्सस्स उम्म्म्म्म्म*

सागर :- उम्म्म्म्म अब ये आपका ही है अह्ह्ह्ह

प्रभा :- अह्ह्ह्ह स्स्स्स्स् कबसे तड़प रही थी इस लंड को चूमने के लिए....

सागर :- सिर्फ चूमने के लिए , या और भी कुछ,

प्रभा सागर के इस सवाल का मतलब समझ गयी, अब दोनों के बिच हिचकिचाहट की कोई गुंजाईश नहीं थी,

प्रभा :- हा सागर और भी उम्म्म्म्म

सागर :- क्या माँ, सागर धीरे से पूछा,

प्रभा :- अह्ह्ह सागर उम्म्म कब से तड़प रही थी मैं इस लंड से चुदवाने के लिए स्सस्सस्स कब से तड़प रही थी इसे अपनी चूत में लेने के लिए अह्ह्ह्ह्ह

सागर :- उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़् स्सस्सस्सस कितना अच्छा लग रहा ये सारी बाते आपके मुह से सुनके उम्म्म्म्म माँ मैं भी आपको कबसे चोदने के लिए बेताब था, आपकी प्यारी सी चूत में लंड डाल के आपको कबसे चोदना चाहता था उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़

प्रभा :- उम्म्म्म्म्म अह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स्स् तो चोद न मुझे अह्ह्ह्ह्ह*

सागर :- अह्ह्ह्ह्ह आप मेरा लंड चूसना बंद करोगी तभी आपकी चूत में डालूँगा ना स्स्स्स्स्

प्रभा :- अह्ह्ह्ह्ह क्या करू उफ्फ्फ्फ्फ़ कितना भी चूसो मन ही नहीं भर रहा स्सस्सस्स

सागर :- अह्ह्ह्ह्ह बस करो ना स्स्स्स लेलो उसे अपनी चूत में अह्ह्ह्ह

प्रभा :- अह्ह्ह्ह ठीक है उम्म्म्म

प्रभा उठी और सागर के लंड को अपनी चूत के छेद पे एडजस्ट किया और धीरे धीरे उसे अपनी चूत में लेने लगी, सागर अपना लंड प्रभा की चूत जाते देख रहा था,

सागर :- उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़ स्सस्सस्सस अह्ह्ह्ह्ह कितना मस्त लग रही है आपकी चूत अह्ह्ह्ह्ह*

प्रभा ने पूरा लंड अपनी चूत की गहराई में उतार लिया था, वो आँखे बंद करके सागर के लंड का मजा ले रही थी, सागर ने हाथ बढ़ा के प्रभा की चुचिया मसलने लगा, निप्प्ल्स को चुटकी में पकड़ के दबाने लगा, जैसे ही सागर ने प्रभा के निपल्स पकडे वैसे ही प्रभा की गांड अपने आप ऊपर निचे होने लगी, प्रभा धीरे धीरे अपनी गांड ऊपर निचे करके सागर का लंड अपनी चूत में अंदर बाहर करने लगी,

प्रभा थोड़ी आखे खोलके अपना निचला ओठ दातो में दबाके बड़े मादक अंदाज में सागर की तरफ देख रही थी, सागर भी निचे से प्रभा की चूत में धक्के लगा रहा था,

प्रभा :- अह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स्स् कितना लंबा मोटा लंड है रे तेरा स्स्सस्सस्समेरि चूत का कोना कोना रगड़ रहा है अह्ह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स्स्स्स्स उम्मम्मम्मबहुत मजा आ रहा है उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़

सागर :- अह्ह्ह्ह्ह स्सस्सस्सस माँ स्स्स्स्स् उम्म्म कितनी गरम है अंदर से आपकी चूत उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़*

प्रभा सागर की और थोड़ी झुक गयी सागर ने आगे बढ़ के प्रभा के होठ अपने होठो में कैद कर लिए और अपना लंड खच खच प्रभा की चूत में डालने लगा,

प्रभा सागर के ऐसे करने से अत्यानंदित हो उठी,

प्रभा :- आआआआआआआआअ उम्मम्मम्मम्मम्मम्मम्म उईईईईई माआआआआआआआ उम्म्म्म्म्म्म्म स्सस्सस्सस्सस्स

प्रभा सागर के छाती पे सर रख के जोर जोर से सिस्कारिया ले रही थी, सागर ने प्रभा की गांड पकड़ के खाप खप खप चोदने लगा, प्रभा झड़ चुकी थी, प्रभा ने सागर को रोका और बाजु में लेट गयी,

प्रभा :- अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह सागर आज मैं ये तीसरी बार झड़ी हु उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़

सागर :- उम्म्म्म पर मेरा बाकि है अह्ह्ह

प्रभा :- उम्म्म्म्म तो डाल ना लंड चूत में अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्*

सागर ने प्रभा को उल्टा किया और उसकी कमर पकड़ के उसे अपनी और खीचा...अपना लंड प्रभा की चूत पे रखा और धीरे से अंदर डाल दिया,

सागर प्रभा की चूत में अपना लंड अंदर बाहर करने लगा...प्रभा की चिकनी मांसल गांड देख के सागर का जोश और भी बढ़ रहा था,

प्रभा :- उफ्फ्फ्फ्फ़ स्सस्सस्स कैसा लग रहा है सागर उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़मजा आ रहा है ना, अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह

सागर :- बहुत अह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स्स्स्स्स माँ उफ्फ्फ्फ्फ़ अब रोज चुदोगी ना मुझसे,

प्रभा :- अह्ह्ह्ह्ह हा रे स्स्स्स इसीलिए तो गाँव से आयी हु यहाँ अह्ह्ह्ह तेरे इस लंड से रोज चुदने के लिए अह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स धीरे चोद अह्ह्ह्ह्ह्ह फाड़ेगा क्या आज ही स्सस्सस्सस उम्म्म्म्म

सागर :- अह्ह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स उम्म्म्म्म आपकी चूत है ही कमाल की अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स्स्स्स्स*

प्रभा :- अह्ह्ह्ह्ह्ह कमाल का लंड तो तेरा है अह्ह्ह्ह्ह स्सस्सस्सस आज जैसा मजा मुझे कभी नहीं आया अह्ह्ह्ह चोद रे अह्ह्ह और तेज चोद मुझे स्स्सस्सस्सस्सस्स

ऐसे ही वो अपनी बातो से एकदूसरे को उत्तेजित करते रहे, सागर भी प्रभा को पोजीशन बदल बदल के 20 मिनट तक चोदता रहा,

सागर :- अह्ह्ह्ह्ह्ह स्सस्सस्सस उम्म्म मेरा होने वाला है उफ्फ्फ्फ्फ्फ

प्रभा :- अह्ह्ह्ह्ह स्सस्सस्सम्म्मम्मम्म हा निकाल दे अपना पानी अह्ह्ह्ह्ह*

सागर :- अह्ह्ह्ह स्स्स्स आपको पीना था ना अह्ह्ह्ह्ह्ह

प्रभा :- हाआआआआ स्सस्सस्स दे मेरे मुह में दे अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह

सागर ने अपना लंड प्रभा की चूत से निकाल के उसके मुह में दे दिया, प्रभा ने लेटे लेटे ही उसे मुह में भर लिया और चूसने लगी....अगले ही पल फच फच करके सागर प्रभा के मुह में झड़ने लगा, प्रभा बड़े ही चाव से सारा वीर्य पि गयी, सागर निढाल हो के निचे लेट गया, प्रभा उठी और उसका पूरा लंड चाट चाट के साफ़ कर दिया,

फिर वो उसकी छाती पे सर रख के सो गयी,

प्रभा :- उफ्फ्फ्फ्फ़ सागर सच में कहु...मेरी ऐसी चुदाई पहले कभी नहीं हुई....स्सस्सस्स उम्म्म्म

सागर :- उम्म्म्म मुझे भी आपकी चूत चोद के बहुत मजा आया,

सागर और प्रभा ने एक दूसरे को देखा और किस करने लगे..........
 
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भाग 20

उस रात जो सिलसिला सुरु हुआ था वो अब ख़त्म नहीं होने वाला था, रात को तो वो साथ होते ही थे मगर दिन में जब भी मौका मिलता तब भी वो दोनों एक दूसरे में खो जाते,

सागर ने प्रभा को प्रियंका के बारे में भी बता दिया था, प्रभा ने सागर को कहा की दीवाली के बाद वो माधवी और प्रियंका को कुछ दिनों के लिए शहर ले आएंगे तब सागर प्रियंका की चुदाई कर सकता है,

इस दौरान यहाँ गाँव में बहुत कुछ बदल गया था, सुमन और चंदू के बिच जो चल रहा था वो खत्म हो चूका था, सुमन चंदू को बता चुकी थी की माधवी को उसके और चंदू के बारे में पता चल चूका है लेकिन वो उसका साथ दे रही है, सुमन चंदू को माधवी और उसके बिच होने वाली हँसी मजाक के बारे में बताते रहती थी, चंदू बहुत शातिर था, वो सुमन से सारी बाते निकलवा लेता था, जब उसे लगा की माधवी भी चुदाई के लिए बेकरार है तो एक दिन जब वो टिफिन लेने आया और सुमन को एक जल्दी से चुदाई का एक राउंड लिया, जब दोनों रिलैक्स हुए तो उसने माधवी वाली बात सुमन से कही,

चंदू :- सुमन...मुझे लगता है की माधवी भी अब लंड के लिए उतावली हो रही है....उसकी चूत में भी चुलबुलाहट हो रही है,

सुमन :- हा अब जवान होती लड़कियो में ये तो होता ही है,

चंदू :- तो एक काम करो ना....उससे बात करो और अगर वो तैयार है तो मैं उसे चोद देता हु....तीनो मिलके मजे करेंगे....

इसके आगे चंदू कुछ बोल पाता सुमन ने एक जोरदार चाटा चंदू के गाल पे धर दिया, चंदू कुछ समझ ही नहीं पाया,

सुमन :- कमीने...ख़बरदार जो माधवी पे अपनी बुरी नजर डाली तो...जान से मार दूंगी...भले ही मैं अपने जिस्म के हाथो मजबूर होके तेरे निचे सो गयी मगर माधवी के बारे में कुछ मत कहना, *

चंदू :- साली तूने मुझे मारा...चंदू उसे मारने के लिए आगे बढ़ा, लेकिन सुमन ने उसका हाथ पकड़ लिया,

सुमन :- ये मत सोच के मैं तुझसे डर जाउंगी, मेरी ही गलती है की मैं तेरे साथ ये सब किया, अगर मुझे पता होता की तू हमारे घर की बेटी पे नजर गड़ाये बैठा है तो कभी तेरे साथ ऐसा नहीं करती,

चंदू :- तू ज्यादा होशियार मत बन...अगर मैंने तेरे बारे में गाव में बता दिया तो तेरी कितनी बदनामी होगी तू सोच भी नहीं सकती,

सुमन :- तेरी ऐसी धमकियों से मैं नहीं डरती...अगर मैंने ये कह दिया ना की तूने मेरे साथ जबरदास्ति करने की कोशिस की तो तू जानता है जसवंत भैया तेरा क्या हाल करेंगे..तुझे सिर्फ काम से ही नहीं तो गाँव से भी निकाल, देंगे, तेरी भलाई इसिमि है की तू अपना मुह बंद रखेगा,

चंदू जसवंत के रुतबे और गुस्से से वाकिफ था, वो सुमन से माफ़ी मागने लगा, उसके हाथ पाँव जोड़ने लगा, लेकिन सुमन ने उसकी एक बात नहीं मानी, और अपना रिश्ता वही खत्म कर दिया, सुमन ने जसवंत से कह के चंदू का घर पे आना जाना बंद करवा दिया, अब टिफिन लेने के लिये जसवंत खुद आता था, *

चंदू के पास चुप रहने के अलावा कोई चारा नहीं था, सुमन ने जब माधवी को ये बात बताई तो माधवी ने उसका साथ दिया, लेकिन सुमन ने माधवी को ये नहीं बताया की चंदू माधवी को चोदना चाहता था,

धीरे धीरे सुमन नार्मल हो गयी, लेकिन कभी कभी रात को उसे चुदने का मन जरूर करता, लेकिन वो खुद को संभाल लेती, *

दीवाली आने वाली थी, सागर को कॉलेज की छुट्टियां सुरु हो गयी थी, प्रभा और सागर गाँव जाना ही नहीं चाहते थे क्यू की वहा उन्हें मौका नहीं मिलने वाला था, जाने के दिन से पहली वाली रात को सागर ने प्रभा को खूब चोदा क्यू की अब 20 दिन तक वो गाँव में रहने वाले थे, और दोनों ने ये तय किया था की वो दोनों बिलकुल भी एकदूसरे के करीब नहीं आएंगे,

दूसरे दिन सुबह करीब 11 बजे वो दोनों गाँव के लिए निकले,

**********प्रभा*********×*

दोनों बाइक से ही जा रहे थे, 20 km तक पक्की सड़क और फिर आगे 20 km तक कच्ची सड़क थी, लगबघ एक घंटे का रास्ता था, उनके पास एक बैग थी जो सागर ने बाइक के पीछे बाँध दी थी, प्रभा के पास एक हैण्ड बैग था जो वो पकड़ के सागर के पीछे बैठी थी, *

जैसे ही शहर खत्म हुआ सागर ने प्रभा का हाथ पकड़ के अपने लंड पे रख दिया,

प्रभा :- क्या कर रहा है सागर....आने जाने वाला कोई पहचान का निकला तो क्या कहेगा...

सागर :- कुछ नहीं होता...आपको याद है एक बार आप ऐसे ही बैठी थी...

प्रभा :- हा याद है...तेरा लंड खड़ा हो गया था...और तू नालायक गड्ढे से गाड़ी जानबुज के ले जा रहा था,

सागर :- उम्म्म हा...आप भी तो गड्ढे के बहाने से मेरा लंड दबा देती थी,

प्रभा :- हा..क्या करती तेरे लंड को पकड़ने के लिए बेताब जो थी,

सागर :- हा...अब तो रोज ही पकड़ती हो चूसती हो...और अपने चूत में लेके देर तक चुदवाती रहती हो...

प्रभा :- स्स्स्स्स् हा ...क्या करू तेरा लंड है ही ऐसा...मेरा बस चले तो 24 घंटे इसे चूत में लेके पडी रहू,

सागर :- उम्म्म लेकिन अब तो 20 दिन इस लंड के लिए आपको इंतजार करना पड़ेगा,

प्रभा :- हा ना...क्या कर सकते है...

इस दौरान सागर का लंड खड़ा हो चूका था, प्रभा उसे सागर के पैंट के ऊपर से ही दबा रही थी, *

सागर :- स्स्स्स वो बाते याद आने से मेरा लंड तो एकदम खड़ा हो गया है, माँ चैन खोल के अंदर हाथ डालो ना...

प्रभा :- पागल है क्या, कुछ भी बोलता है,

सागर :- एक काम करो अपना हैण्ड बैग दे दो मैं उसे आपका हाथ ढक लेता हु,

प्रभा :- तू नहीं मानेगा ना...

प्रभा को ऐसे चलती बाइक पे ये सब करने में बड़ा मजा आ रहा था,

सागर ने प्रभा का हैण्ड बैग से प्रभा के हाथ को ढक लिया, प्रभा ने उसकी चैन खोली और अंडरवियर के इलास्टिक में से हाथ डाल के उसका लंड मुट्ठी में पकड़ लिया,

सागर :- अह्ह्ह्ह अब अच्छा लग रहा है ...

प्रभा :- हा लेकिन मेरी हालात ख़राब हो रही है उसका क्या,

सागर :- क्या हो रहा है,

प्रभा :- जैसे तुझे पता ही नहीं क्या होता है मुझे जब मैं ये तेरा मुस्टंडा लंड पकड़ती हु,

सागर :- हा पता है लेकिन आपके मुह से सुनके अच्छा लगता है,

प्रभा :- उम्म्म बदमास..

सागर :- बताओ ना क्या होता है,

प्रभा :- मेरी चूत फड़फड़ाने लगती है...चुदने को बेताब हो जाती है...तेरा क्या है घर तक पहुंचने तक तेरा तो पानी निकाल दूंगी हाथ से लेकिन मुझे तो ये लंड अपनी चूत में ना लू तब तक चैन नहीं मिलता,

सागर :- उम्म्म्म्म आपकी चूत की प्यास बढाती ही जा रही है दिन ब दिन....कल रात को ही तो जमके चुदी है फिर भी आज फिरसे फड़फड़ाने लगी है,

प्रभा :- हा ना...ऐसा लंड मिले तो कोण चुदना ना चाहे....

सागर :- तो चलो अभी आपकी इच्छा पूरी कर देता हु...

प्रभा :- चुप कर ऐसे रास्ते में कहा , कुछ भी बोलता है,

सागर :- कुछ भी नहीं सच में कह रहा हु...देखो अब अपने गाव की तरफ जाने वाली कच्ची सड़क आने वाली है...बाजु में कितनी झाड़िया है...खेत है...फटाफट एक बार की चुदाई तो हो ही सकती है,

*प्रभा की चूत तो वैसे भी गीली हो रही थी, और चुदने का मन तो उसका कर ही रहा था, उसे एक बार जसवंत ने खेतो में की चुदाई याद आने लगी, जब उसकी नयी नयी शादी हुई थी और वो जसवंत के साथ खेतो में गयी थी वहा खुले आसमान के निचे जसवंत ने खूब चुदाई की थी उसकी,

प्रभा :- अगर किसीने देख लिया तो...

सागर :- अरे माँ आप फ़िक्र मत करो मैं हु ना...

प्रभा :- फिर भी...

सागर समझ गया था की प्रभा का मन है चुदने का...

सागर :- देखो ना मेरा लंड कैसे फनफना रहा है आपकी चूत में जाने को बेताब है...

प्रभा :- हा मुझे पता है...मेरे ही हाथो में है ना...

सागर :- तो फिर *क्या ख्याल है,

प्रभा :- जैसा तू बोले...

तब उनके गाव की तरफ मुड़ने वाली कच्ची सड़क आ गयी थी, सागर ने बाइक मोड़ ली थोडा आगे जा के एक छोटा रास्ता था उस रस्ते से थोडा अंदर लेजा के एक खेत के बाजु में पेड़ के निचे बाइक खड़ी कर दी, सागर ने इधर उधर देखा दूर दूर तक कोई नजर नहीं आ रहा था, उसने देखा एक बड़ा सा पेड़ था उसके बाजु में बहुत झाड़िया थी, *

सागर :- वहा चलते है...कोई आ भी गया तो आसानी से हमें देख नहीं पायेगा,

प्रभा :- सागर मुझे बहुत डर लग रहा है...

सागर :- कोई डरने की बात नहीं है...यहाँ इस जंगल में कोण आएगा, और आप फ़िक्र मत करो मैं बराबर नजर रखूँगा.

प्रभा का दिल जोर जोर से धड़क रहा था, वो दोनों उस पेड़ के पास झाड़ियो में चले गए, प्रभा ने देखा की सच में कोई उन्हें आसानी से देख नहीं पायेगा तो वो थोडा रिलैक्स हुई,

प्रभा :- चल जल्दी से निपटा लेते है...

सागर :- इतनी भी क्या जल्दी है ....आपको भी पता है जब तक आपकी चूत का रस न चाट लू मैं आपकी चूत नहीं चोदता....सागर उसे अपनी तरफ खीच के उसकी चुचिया दबाते हुए बोला,

प्रभा :- उम्म्म्म हा पता है....मुझे भी तो तेरा लंड चूसे बगैर चैन नहीं मिलता...लेकिन जो भी करना है जल्दी से कर लेते है,

सागर :- एक बात कहूँ ....आप को अब तक कितनी बार चोद चूका हु....लेकिन हर बार ऐसे लगता है पहली बार है...

प्रभा :- हा सच में मुझे भी ऐसा ही लगता है...तुझसे चुदने का ख्याल आते ही वही पहले जैसे मेरा दिल जोर जोर से धड़कने लगता है चूत में अजीब सी हलचल होने लगती है,

सागर :- उम्म्म्म स्सस्सस्स अह्ह्ह्ह्ह्ह आपकी ऐसी बाते ही तो मुझे बहुत पसंद है....

प्रभा :- चल अब बाते बंद कर और काम सुरु कर...प्रभा वहा पेड़ के निचे पड़े एक बड़े पत्थर पे बैठ के अपनी पीठ *पेड़ से टिका के अपनी साडी ऊपर खिचके अनपे पैर फैला के *अपनी नंगी चूत सागर को दिखाती हुई बोली,

सागर प्रभा की इस अदा को पलभर देखता ही रहा,

सागर :- स्स्स्स्स् अह्ह्ह्ह्ह वाओ माँ क्या लग रहे हो आप इस पोज में स्सस्सस्स घर पे क्यू नहीं दिखाई ऐसी अदा...

प्रभा :- तू मौका कहा देता था...खुद ही मेरे सारे कपडे निकाल के फेक देता था...और छुट्टी के दिन तो पूरा दिन पूरी रात नंगा ही घुमाता था...

सागर प्रभा के पास निचे बैठ के उसकी चूत में उंगली डाल के हिलाने लगा...

सागर :- स्स्स्स्स् अह्ह्ह्ह वो तो सहूलियत के लिए था ...जब मन किया तब चोदना सुरु...उम्म्म्म्म

प्रभा :- हा स्सस्सस्स सागर उम्म्म्म सच में पिछले एक महीने में बहुत सुख दिया है तूने अह्ह्ह्ह्ह्ह

सागर अब प्रभा की चूत चाटने लगा था, प्रभा उसकी सहूलियत के हिसाब से खुद को एडजस्ट कर रही थी,

सागर आज पहली बार खुले में प्रभा के साथ चुदाई कर रहा था, आज उसके उत्तेजना का लेवल कुछ और ही था, वो अपनी जुबान प्रभा के चूत में अंदर तक डालने की कोशिस कर रहा था, वो लगातार अपनी जुबान ऊपर, निचे आगे पीछे हिला रहा था,

प्रभा :- स्सस्सस्सस सागर अह्ह्ह्ह्ह्ह उम्म्म्म आज तो तू बहुत ही मुड़ में लग रहा है स्स्स्स्स् आज तेरे चाटने से बहुत मजा आ रहा है स्स्स्स्स्

सागर :- उम्म्म्म्म स्स्स्स्स् आज आप भी तो बहुत मस्ती में हो स्सस्सस्स कितना पानी छोड़ *रही है आपकी चूत स्सस्सस्सस

सागर ने प्रभा की चूत को दोनों अंगूठे से थोडा फैलाया और अंदर के पिंक हिस्से पे जुबान रख के उसे गोल गोल घुमाने लगा,

प्रभा :- उफ्फ्फ्फ्फ़ स्स्स्स्स् सागर अह्ह्ह्ह ऐसे ही कर अह्ह्ह्ह्ह म्म्मम्म्म्मम्म बहुत मजा आ रहा है स्स्स्स्स्स्स्स अह्ह्ह्ह्ह

सागर :- स्सस्सस्स माँ मैंने ये कितनी बार कहा होगा लेकिन फिर से कहता हु स्सस्सस्स आपकी ये अंदर की गुलाबी चूत स्सस्सस्स बहुतही खूब सूरत है स्सस्सस्स

प्रभा :- स्स्स्स्स् उम्म्म्म्म्म अह्ह्ह्ह चाट ना उसे स्सस्सस्स खा ले स्स्स्स्स् इतनी *ही अच्छी लग रही है तो स्सस्सस्स

सागर अब प्रभा की चूत में एक उंगली घुसा दी और चूत के दाने को मुह में लेके चूसने लगा, प्रभा सागर का दो तरफ़ा हमला ज्यादा देर तक सह नहीं पायी, *

प्रभा :- स्स्स्स्स्स्स्स अह्ह्ह्ह्ह सागर उफ्फ्फ्फ्फ्फ हा...आ..हां...ऐसे ही मेरे राजा स्स्स्स उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़ स्सस्सस्सस्सस्स थोडा और अह्ह्ह्ह स्सस्सस्सस उम्म्म्म्म अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्

प्रभा अपनी मंजिल तक पहुंच चुकी थी, उसका जिस्म थोडा ढीला पड़ गया था,

सागर :- अह्ह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स्स् माँ आज तो बहुत पानी छोड़ा आपकी चूत ने स्सस्सस्सस्सस्स

प्रभा :- उम्म्म्म्म हा तूने जिस तरह से चाटी है मेरी चूत....उसका इनाम तो देना बनता है ना....

सागर :- उम्म्म्म्म स्स्स्स मजा आ गया उफ्फ्फ्फ्फ़....मुझे तो ऐसे खुले में बहुत मजा आ रहा है स्स्स्स इसलिए शायद ....लेकिन मैं भी तो देखु की आप क्या नया कमाल दिखाती हो....

प्रभा :- अह्ह्ह आजा ना अभी पता चल जायेगा....

सागर खड़ा हुआ और अपना लंड बाहर निकाल लिया, उसने एक बार इधर उधर देखा, उसे दूर दूर तक कोई नजर नहीं आया,

सागर :- उम्म्म्म माँ कोई नहीं है आप बिंदास रहो*

प्रभा :- उम्म्म्म अब मुझे परवा नहीं है स्सस्सस्स....प्रभा सागर का लंड पकड़ के अपने होठ और गालो से रगड़ती हुई बोली, ...अब अगर कोई आ भी गया तो उससे कहूँगी तू भी चोदले आके,

सागर :- स्स्स्स्स् उम्म्म्म मैं ऐसा होने नहीं दूंगा लेकिन....

प्रभा :- क्यू, *

सागर :- आप पे सिर्फ मेरा हक़ है स्स्स्स्स्

प्रभा ने सागर का लंड ऊपर से लेके निचे तक चाटा और मुह में लेके चूसने लगी, थोड़ी देर जुबान से लंड के सुपाड़े के साथ खेलती रही,

प्रभा :- उम्म्म्म्म स्स्स्स्स्, अह्ह्ह्ह क्यू तेरे बाबा भी तो चोदते है ना मुझे स्स्स्स्स्

सागर :- उनकी बात अलग है....उसके बाद सिर्फ मैं स्सस्सस्स

प्रभा :- फिर भी अगर मैं कहु की मुझे एकसाथ दो लंड से चुदने की इच्छा है तो,

सागर को प्रभा का ऐसी बाते करना अच्छा नह लग रहा था,

सागर :- स्स्स्स्स् बंद करो ऐसी बाते...आप पहले मेरे लंड पे ध्यान दो....जल्दी करो देर हो रही है,

प्रभा :- स्स्स्स हा रे मैं तो मजाक कर रही थी,

प्रभा फिर से सागर का लंड मुह में लेके चूसने लगी, सागर प्रभा के बाल पकड़ के धीरे धीरे प्रभा के मुह में अपना लंड आगे पीछे कर रहा था, प्रभा ने उसके लंड के बॉल्स को एक एक करके मुह में लेके चूसने लगी,

सागर :- अह्ह्ह्ह्ह्ह स्स्स उम्म्म्म्म आपके होठ और जुबान में जादू है स्सस्सस्सस बहुत मजा आ रहा है,

प्रभा सागरकि आखो में देखने लगी, उसके लंड से निकलता हुआ प्रीकम अपने होठो पे लगाने लगी, और फिर बड़ी ही सेक्सी अदा से वो जुबान से चाटने लगी, *

सागर :- स्सस्सस्स उम्म्म्म माँ क्या सेक्सी लग रही हो आप ऐसा करते हुए स्सस्सस्सस

प्रभा ने एक उंगली पे सागर के लंड से निकलता प्रीकम *लिया और उसको ऊपर उठाया वो चिपचिपा होने की वजह से उसका एक धागा सा बन गया, उसे प्रभा ने सागर की आँखों में देखते हुए जबान पे लिया और धीरे से उसे पि गयी, सागर प्रभा को ऐसे करते देख पागल सा हो उठा,

सागर :- हाय रे स्स्स्स्स् कहा छुपा रखी टी ऐसी अदाएं आपने आजतक स्स्स्स्स्स्स्स उम्म्म्म्म*

प्रभा :- स्सस्सस्स सागर उफ्फ्फ्फ्फ्फ स्स्स्स्स् अब बस हो गया अह्ह्ह्ह्ह मेरी चूत तेरा लंड मांग रही है स्स्स्स्स्स्स्स....प्रभा अपनी चूत को सहलाती हुई बोली,

सागर ने उसे उठाया और उसे किस करने लगा, *

सागर :- आप ये पेड़ को पकड़के अपनी गांड पीछे करके झुक जाओ,

प्रभा ने उसके कहे नुसार खड़ी हो गयी, सागर ने प्रभा को ऐसे कई बार चोदा था मगर आज प्रभा अपनी साडी ऊपर करके उसे अपनी गांड दिखा रही थी, उसे देख सागर को अलग ही मजा आ रहा था,

:- स्सस्सस्स आज पता नहीं क्यू आप बहुत ही अलग लग रही हो स्सस्सद् आपकी ये चिकनी गांड स्सस्सस्स उम्म्म्म्म बहुत ही सुन्दर लग रही है,

प्रभा :- स्सस्सस्स अह्ह्ह्ह आ ना जल्दी डाल दे लंड मेरी चूत में स्सस्सस्सस्सस्सस्स क्या मेरी गांड देखते हुए खड़ा है,

सागर आगे बढ़ के निचे बैठ गया और प्रभा की चिकनी गोरी गांड को चूमने लगा,

प्रभा :- स्स्स्स्स् अह्ह्ह्ह सागर क्या कर रहा है, चल, जल्दी कर स्स्स्स

सागर :- कुछ नहीं थोडा प्यार कर रहा था आपकी गांड से स्स्स्स्स्स्स्स बहुत मस्त लग रही अह्ह्ह्ह्ह

सागर फिर उठा और अपना लंड प्रभा की चूत पे लगाया और धीरे धीरे अंदर डाल दिया, प्रभा की चूत अब सागर के लंड की आदि हो गयी थी, फिर भी प्रभा को थोडा दर्द होता ही था जब सागर पहली बार अपना लंड डालता था,

सागर प्रभा की कमर पकड़ के उसे चोदने लगा, *

सागर :- उफ्फ्फ्फ्फ़ स्स्स्स माँ लगता है आज कुछ ज्यादा ही उत्तेजित हो स्सस्सस्स बड़ी चिकनी लग रही है आपकी चूत अंदर से स्सस्सस्सस मेरा लंड अंदर आराम से फिसलता चला जा रहा है....

प्रभा :- स्स्स्स्स् हा शायद....या फिर तूने स्स्स्स इतने दिन से चोद चोद के चौड़ी कर दी मेरी चूत अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह उम्म्म्म्म्म

सागर :- अह्ह्ह्ह्हज स्सस्सस्सस आपको ही तो चाहिए था स्स्स्स्स् न मेरा लंड अह्ह्ह्ह

प्रभा :- स्सस्सस्सस उम्म्म्म्म जैसे तुझे नहीं चाहिए थी मेरी चूत स्स्स्स्स् उम्म्म्म्म

सागर :- अह्ह्ह्ह्ह उम्म्म्म्म्म हा मुझे भी चाहिए थी स्स्स्स्स्स्स्स

सागर अब थोडा तेज तेज प्रभा को चोद रहा था,

प्रभा :- उफ्फ्फ्फ्फ्फ धीरे चोद रे अह्ह्ह्ह्ह स्सस्सस्सस उम्म्म्म्म्म बहुत अह्ह्ह मस्त उम्म्म्म्म चोदता है तू स्स्स्स्स्स्स्स अह्ह्ह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ्फ़

सागर :- आपकी चूत है ही ऐसी स्सस्सस्सस कण्ट्रोल नहीं होता अह्ह्ह्ह

प्रभा :- अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह उम्म्म्म अह्ह्ह्ह हा ऐसे ही स्स्स्स्स्स्स्स बड़ा दमदार है रे तेरा लंड अह्ह्ह्ह्ह उम्म्म्म्म्म

सागर अब प्रभा को बहुत तेजीसे चोद रहा था, सागर की नजर प्रभा के गांड के छेद पे पड़ी, उसने *उसकी गांड को थोडा फैलाया और गांड के छेद को सहला

सागर :- उम्म्म्म्म अह्ह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ्फ्फ *उम्म्म माँ आपकी गांड का छेद कितना छोटा है स्सस्सस्सस आज तक ध्यान नहीं दिया मैंने स्सस्सस्स

प्रभा :- अह्ह्ह्ह उम्म्म्म्म हा क्यू की मैंने कभी गांड नहीं चुदवाई स्सस्सस्स

सागर :- अह्ह्ह्ह्ह स्सस्सस्सस ह्म्म्म्म हा न उस दिन कहा था मैंने की आपकी गांड मारना है तो आपने मना किया था स्स्स्स्स्

प्रभा :- स्सस्सस्सस नहीं बहुत दर्द होता है स्सस्सस्स

सागर :- माँ उम्म्म स्स्स्स्स् अब दीवाली के बाद वापस जायेंगे ना तो प्लीज मुझे गांड चोदने देना,

प्रभा :- अह्ह्ह्ह्ह नहीं स्सस्सस्सस*

सागर :- मैं अब आपकी एक भी नहीं सुनाने वाला आआआअ कितनी प्यारी है अह्ह्ह्ह्ह्ह

सागर ने प्रभा के गांड के छेद में अपनी एक उंगली गीली करके डाल दी और आगे पीछे करने लगा, प्रभा को सागर की ये हरकत बहुत अच्छी लगी, चूत में सागर का बड़ा सा लंड और गांड में उंगली उससे उसकी उत्तेजना और भी बढ़ गयी थी,

प्रभा :- अह्ह्ह्ह्ह और अंदर डाल न उंगली स्स्स्स्स् बहुत मजा आ रहा है स्सस्सस्सस उम्म्म्म्म्म

सागर :- अह्ह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स्स् देखा माँ सिर्फ ऊँगली से इतना मजा आ रहा है तो लंड से कितना आएगा,

प्रभा :- हा रे स्सस्सस्सस उम्म्म्म जरूर लुंगी तेरा लंड अपनी गांड में अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह स्सस्सस्सस*

प्रभा के गांड चोदने के ख्याल, से सागर भी मस्ती में आ गया, वो जोर जोर से प्रभा को चोदने लगा,

सागर :- अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स माँ उफ्फ्फ्फ़ आपकी गांड मारने के ख्याल से ही बड़ा मस्त लग रहा है अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् लग रहा है अभी आपकी गांड चोद दू स्सस्सस्सस

प्रभा :- अह्ह्ह्ह्ह्ह स्सस्सस्स उम्म्म्म्म्म *अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह मन तो मेरा भी होने लगा है पर अभी नहीं अह्ह्ह्ह

सागर :- ठीक है माँ स्सस्सस्स लंड नहीं तो आज सिर्फ उंगली के ही मजे ले लो....

प्रभा :- अह्ह्ह्ह्ह उम्म्म्म सागर अह्ह्ह्ह्ह्ह थोड़ी गीली करके डाल ना अह्ह्ह्ह्ह उम्म्म्म

सागर :- अह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स्स् ठीक है स्स्स्स्स्

सागर ने अपना लंड बाहर निकाला और अपनी ऊँगली प्रभा चूत में डाली और गीली करके उसके गांड में डालने लगा, अच्छी तरह से गीली करने के बाद फिरसे अपना लंड प्रभा की चूत में डाल दिया और उसे चोदने लगा, और गांड भी उंगली से चोदने लगा,

सागर :- अब कैसा लग रहा है माँ,

प्रभा :- अह्ह्ह्ह्ह्हआआआ बहुत अच्छा स्स्स्स्स् उम्म्म्म्म चोद ना जोर से अह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ्फ्फ मेरा होने को है अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह स्सस्सस्स

सागर :- स्स्स्स्स्स्स्स उम्म्म्म्म हाय रे मेरी चुद्दकड़ माँ स्स्स्स कितना चुदवाओगी अपने बेटे के लंड से अघ्ह्हह्ह्ह्ह्ह्

प्रभा :- उम्म्म्म्म्म जब तक चुदवा सकती हु तब तक अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह उम्म्म्म्म्म

सागर :- स्सस्सस्सस अह्ह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़ ऐसे खुले में बहुत मजा आ रहा है स्स्स्स्स्स्स्स हम फिरसे करेंगे अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह

प्रभा :- हा जरूर अह्ह्ह्ह्ह्ह स्सस्सस्सस उम्म्म्म्म्म मार न जोर से धक्के मेरी चूत में स्स्स्स्स् डाल अंदर तक अपना लंबा मोटा लंड अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स्स्स्स्स उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़ मेरा हो रहा है स्स्स्स्स्स्स्स

सागर :- अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स्स्स्स्स हा उम्म्म्म्म्म्म्म

सागर प्रभा की चूत खप खप चोद रहा था, उसके दिमाग में प्रभा की गांड मारने का ख्याल था जिसके वजह से वो बहुत उत्तेजित हो गया था,

सागर :- अह्ह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स्स् माँ उफ्फ्फ्फ्फ्फ ले ले मेरा पानी निकल रहा है स्स्स्स्स्स्स्स

प्रभा पलट के निचे बैठ गयी और सागर अपने वीर्य का छिड़काव प्रभा के मुह पे और मुह के अंदर करने लगा, प्रभा ने हमेशा की तरह उसका सारा वीर्य चाट गयी, उसका लंड चूस चूस के चाट चाट के साफ़ कर दिया,

फिर दोनों ने अपने कपडे ठीक किये और बाइक पे बैठ के गाँव की तरफ निकल पड़े,
 
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भाग 21

दीवाली बहुत अच्छेसे सब ने साथ मिलके मनाई, सुमन दीवाली के लिए अपने ससुराल चली गयी थी, वो दीवाली के बाद भाई द्विज के लिए वापस आ गयी, लेकिन उसका बेटा वही अपने दादा दादी के पास रुक गया था, सागर और प्रियंका छुप छुप के मिल रहे थे मगर उनको चुदाई के मौका नहीं मिल पा रहा था,

************सुमन************

जसवंत भी बहुत दिनों से प्रभा से दूर था, इसलिए लगबघ रोज ही वो प्रभा को चोद रहा था, लेकिन प्रभा को ज्यादा मजा नहीं आता था, वो तो सिर्फ अपना पत्नी धर्म निभा रही थी, असली मजा तो उसे सिर्फ सागर के लंड से चुदने में आता था, माधवी अपनी चूत को अपने हाथो से रगड़ के ही खुश थी,

सागर ही ऐसा एक इंसान था जो तड़प रहा था, उसेज चुदाई की आदत जो पड गयी थी, वो माधवी को कह रहा था की प्रियंका को एक रात के लिए बुला ले लेकिन दीवाली का टाइम था उसके घर पे मेहमान थे, ऐसे में वो आ भी नहीं सकती थी, *

एक दो बार मौका देख के उसने प्रभा से भी बात की लेकिन प्रभा ने उसे मना कर दिया, क्यू की घर पे, माधवी सुमन के रहते ये सब करना मुमकिन नहीं था, और रात को जसवंत भी रहता था,

बेचारे सागर का हाल बहुत बुरा था, उसपे तो जैसे चुदाई का भूत सवार था, उसे तो बस चूत ही चाहिए थी, एक बार तो उसने सोचा की जाके मीना की चुदाई कर ले लेकिन उसने प्रभा से वादा किया था की वो दुबारा मीना के पास नहीं जायेगा, ऐसे में उसकी नजर पड़ी माधवी और सुमन पे पड़ी, सुमन और, चंदू के बारे में वो पहले ही सब जानता था, सुमन वैसे भी प्रभा से उम्र में बहुत छोटी थी, जवान और सेक्सी थी, सागर के मन में उसे चोदने का ख्याल आया तो वो उसे ताड़ने लगा, मस्त बड़ी बड़ी गोल चुचिया, मांसल गांड पे तो सागर फ़िदा सा हो गया, सुमन की गांड प्रभा से अच्छी थी, मस्त उभरी हुई गांड देख सागर अपना लंड मसलने लग जाता,

लेकिन जब उसकी नजर माधवी की जवानी पे पड़ी तो वो प्रभा प्रियंका और सुमन तीनो को भूल गया,

क्यू की माधवी इन तीनो से ज्यादा खूबसूरत तो थी ही, मगर जब से वो सेक्स की बातो में दिलचस्पी लेने लगी थी तो उसके हॉर्मोन्स ने कुछ ज्यादा ही काम करना सुरु कर दिया था, जिससे उसकी जवानी कुछ ज्यादा ही निखर के आ रही थी, वो इन तीनो से कई ज्यादा खूबसूरत और सेक्सी लगने लगी थी, और ये बदलाव सागर के नजरो से छुप नहीं पाया,

सागर माधवी को चोरी चोरी निहारने लगा था, जब माधवी चलती तो उसकी मटकती गांड को देख सागर का लंड खड़ा हो जाता, जब माधवी कुछ काम से इधर से उधर भागती तो उसके उछलती चुचिया देख सागर का दिल भी ऊपर निचे होने लगता, सागर उसकी चुचियो एक झलक पाने के लिए लालायित हो उठा था, *जब वो घर पे होता और माधवी उसके आस पास होती तो वो उसे ही देखता रहता, उसे छूने की कोशिस करता रहता,

किसी की समझ में ये बात आये ना आये मगर सुमन की नजर में ये बात आ चुकी थी, सागर जिस प्यासी नजरो से माधवी को देखता था वो नजर सुमन ने पह्चान ली थी, पहले तो उसने नजर अंदाज कर दिया ये सोच के की इस उम्र में सभी लड़के लड़कियो के अंगो को देखते ही है लेकिन जब उसे अहसास हुआ की सागर सिर्फ माधवी नहीं प्रभा और उसे भी उसी नजर देखता है तो सुमन चौक गयी, अब जब सागर आस पास होता तो सुमन किसी जासूस की तरह उसपे नजरे गड़ाये रहती, *

उसे पूरी तरह से यकींन तो नहीं हुआ था मगर उसे शक होने लगा था सागर की नियत पे, लेकिन जब सागर उसे देखता तो वो अंदर तक सिहर उठती, एक तो चंदू से रिश्ता तोड़ने से वो लगबग 20 25 दिन से चुदी नहीं थी, और सागर जैसा जवान लड़का उस्की चुचिया और गांड देख के लंड मसलता है ये देख के वो खुश हो रही थी, लेकिन सागर उसका भतीजा था ये सोच के वो अपने आप को संभल लेती,

लेकिन किस्मत को तो कुछ और ही मंजूर था, उस रात सागर बहुत बेचैन था, लगबघ 15 दिन गुजर गये थे उसे चूत नहीं मिली थी, उसे नींद नहीं आ रही थी, वो हॉल में बैठ के टीवी देख रहा था, लेकिन उसका मन टीवी में भी नहीं लग रहा था, प्रियंका का फ़ोन भी नहीं आया था, वो किसी भूके शेर की तरह तड़प रहा था, *वो माधवी के कमरे में झांकने की कोशिस कर रहा था, मगर दरवाजा अंदर से बंद था और उस रूम कोई खिड़की भी नहीं थी, फिर उसने अपना मोर्चा सुमन की रूम की तरफ मोड़ा लेकिन सुमन का दरवाजा भी अंदर से बंद था, वो पागलो की तरह इधर उधर घूम रहा था, ऐसे में उसने एक बार मुठ भी मार ली थी मगर उससे उसकी प्यास और भी बढ़ गयी,

उसने खुद को समझाया की बस 4 5 दिन की बात है फिर तो वो प्रभा के साथ शहर चला जाएगा फिर तो रोज ही दिन रात चुदाई कर सकता है, और प्रियंका भी तो आने वाली थी उनके साथ, और फिर वो टीवी देखने लगा,

उतने में सुमन बाथरूम जाने के लिए उठी, उसने देखा की सागर सोया नहीं था, वो बाथरूम चली गयी सागर ने उसे देखा वो मन ही मन सोचने लगा की सुमन बाथरूम में क्या क्या कर रही होगी ये ख्याल उसके मन में आते ही वो वापस से बेचैन हो उठा जिस चीज को उसने इतनी मुश्किल से कण्ट्रोल किया था वो वापस उसके दिलो दिमाग पे छाने लागी,

सुमन हॉल में आयी,

सुमन :- क्या हुआ सागर नींद नहीं आ रही क्या,

सागर :- हा बुआ...

सुमन :- क्या हुआ, किसकी याद सता रही है,

सुमन ऐसे ही बोल पड़ी,

सागर :- हा बुआ मेरी gf की याद आ रही है,

सागर ने जान बुज के बोला...उसके दिमाग में प्रभा थी, लेकिन वो सुमन से ये बात बोली क्यू की उसे बात थोड़ी आगे बढ़ानी थी,

सुमन ये सुनके थोड़ी चौकी लेकिन उसका व्यव्हार माधवी और सागर से बहुत ही दोस्ताना था इसलिए वो हँसी और सागर के बाजु वाले सोफे पे आके बैठ गयी,

सुमन :- ओह्ह्ह हो...तूने तो कभी बताया नहीं...

सागर :- अभी बता रहा हु ना....

सुमन :- ओह्ह इतनी याद आ रही है की नींद उड़ गयी....तो फ़ोन कर ले...

सागर :- किया था लेकिन बात नहीं हो पायी...

सुमन :- ह्म्म्म्म कोण है जरा मुझे भी तो बता....

सागर :- आप जानती हो ना उसे...

सुमन :- मैं जानती हु,

सुमन सोचने लगी की आखिर ये किसकी बात कर रहा है...

सागर :- अरे क्या बुआ..मैं प्रियंका की बात कर रहा हु...

सुमन :- प्रियंका, , अपनी प्रियंका, , सच में,

सागर :- हा क्यू,

सुमन :- नहीं कुछ नहीं...बड़ी प्यारी बच्ची है...मुझे तो वो बहुत पसंद है....ह्म्म्म तो मेरा सागर उसकी याद में खोया है....बेचारा....सुमन उसके गाल पकड़के खिचती हुई बोली...

सागर :- क्या बुआ...एक तो मैं पहले ही बहुत उदास हु और आप मेरा मजाक उड़ा रहे हो...मैंने कभी फूफाजी को लेके आपका मजाक उड़ाया है क्या,

सुमन :- अरे मैं तो बस ऐसे ही तेरा मुड़ ठीक करने की कोशिस कर रही थी,

सागर :- ठीक है....लेकिन सच में एक बात पुछु, , आपको भी तो फूफाजी की बहुत याद आती होगी ना,

सागर ने अपना पहला तीर चलाया...

सुमन :- आती तो है लेकिन कोई कर भी क्या सकता है, *

सागर ने देखा सुमन थोड़ी उदास हो गयी,

सागर :- उदास मत हो बुआ...बस मैं तो ऐसे ही पूछ रहा था,

सुमन ने सागर की तरफ देखा और एक स्माइल कर दी,

सागर :- ह्म्म्म दिन तो सबके साथ हँसी मजाक मस्ती में कट जाता है लेकिन रात को बहुत याद आती होगी आपको है ना,

सागर ने दूसरा तीर छोड़ा...

सुमन सागर के इस सवाल से थोडा चौकी और उसकी तरफ देखने लगी, सागर ने देखा की सुमन शायद इस सवाल से थोड़ी अचरज में पड़ गयी है तो...

सागर :- मेरा मतलब है की रात को अकेले होते हो ना...

सुमन :- हा रे सच कहता है तू...सुमन सागर के दिए स्पष्टीकरण से संतोष तो नहीं थी पर वो उस बात को आगे खीचना नहीं चाहती थी,

सागर :- जब आपको उनकी याद आती हो तो क्या करती हो....सागर ने एक और तीर छोड़ा,

सुमन :- क्या करना है, बस उनके साथ बिताये पल याद करते करते सो जाती हु,

सुमन को अब सागर पे थोडा शक होने लगा था, क्यू की उसके सवाल सीधे सीधे सेक्स से रिलेटेड बातो की तरफ इशारा कर रहे थे, और सुमन ने उसे कई बार उसे वासना भरी नजरो से देखते हुए देखा था, अब भी उसकी नजर कुछ अलग ही थी, सुमन का ये सोचना भी सही था क्यू की सागर जानबुज के ऐसी बाते कर रहा था ताकि सुमन के अंदर लगी आग को भड़का सके और फिर आसानी से सुमन की चुदाई कर सके,

सागर :- कैसे पल बुआ, जरा मुझे भी तो बताओ,

सुमन :- पागल..पति पत्नी के बिच की बात किसीको नहीं बताते..

सागर :- ऐसा क्यू,

सुमन :- ऐसाही होता है...अगर मैं तुझसे पुछु की तू और प्रियंका जब मिलते हो तुम दोनों क्या करते हो तो तुम, बताओगे क्या,

सागर :- हा क्यू नहीं...

सुमन :- अच्छा, तो बता फिर...

सागर :- करना क्या है...ढेर सारी बाते करते है...एकदूसरे को बाहो में लेते है किस करते है ...

सुमन :- बेशरम है तू...

सागर :- इसमे क्या बेशर्मी है, आप ने पूछा मैंने बताया...और आप से इतना तो फ्रेंक्लि बात कर ही सकता हु...

सुमन :- हा वो तो कर ही सकते हो...और ये तुम्हारी बाते किस तक ही है या आगे भी कुछ ....हा, , ,

*अब जाके सागर का तीर सही निशाने पे लगा था,

सागर :- आगे मतलब,

सुमन :- आगे मतलब आगे.....

सागर :- हा वही तो पूछ रहा हु,

सुमन :- वो हो मेरे भोले बाबा....मैं जो पूछ रही हु उसका मतलब तू बहुत अच्छेसे जनता है...

सागर :- हा बुआ जानता हु...लेकिन नहीं उससे आगे ज्यादा कुछ नहीं हुआ...चांस ही नहीं मिलता ना...

सागर की बातो से सुमन अब्ब थोडा हॉट होने लगी थी,

सुमन :- हा क्या , नालायक...शादी से पहले कुछ ज्यादा आगे मत जाना...

सागर :- ऐसा क्यू,

सुमन :- मतलब तुझे शादी से पहले ही.......

सागर :- हाआआआ .....मतलब नाहीईईई ...वो ..वो

सुमन :- तू न बहुत शैतान हो गया है, उसके आगे ज्यादा कुछ नहीं का क्या मतलब है हा,

सागर :- किस के आगे क्या होता है, आप तो जानती ही हो ना...सागर सुमन की आखो में देखता हुआ बोला,

सुमन ने देखा सागर अब कुछ ज्यादा ही नॉटी होता जा रहा था, और सुमन उसकी ऐसी बातो से गरम हो चली थी, 1 महीने के ऊपर हो गया था उसे चुदे,

सुमन :- हा पता तो है...पर तुम दोनों कहा तक पहुंचे,

सागर :- बस हमारी गाडी आखरी स्टेशन से पहले ही रुकी हुई है...

सुमन सब समझ गयी की सागर और प्रियंका के बिच सिर्फ चुदाई बाकी है...

सुमन :- हा क्या, फिर कब पहुंचने वाली है तुम्हारी गाडी आखरी स्टेशन तक,

सागर :- कोशिस जारी है...जल्द ही पहुंच जायेगी....

सागर अब बेशर्मी की हद से आगे बढ़ चूका था,

सुमन की चूत अब गीली होने लगी थी, उसकी चूत में चुलबुलाहट बढ़ने लगी थी, उसे अब चुदने इच्छा होने लगी थी, उसका हाथ अपने आप ही उसकी चूत की तरफ बढ़ने लगा था,

सागर उसके चहरे के बदलते भाव देख मन ही मन खुश हो रहा था, ​
 
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भाग 22

गाडी स्टेशन जैसी डबल मीनिंग वाली बातो से दोनों के बिच का माहोल थोडा गरम और खामोश सा हो गया था, सागर तो पक्का बेशर्म बना बैठा था मगर सुमन को थोड़ी शरम और हिचकिचाहट महसूस होने लगी थी,

सागर :- क्या हुआ बुआ आप एकदम से चुप क्यू हो गयी,

सुमन :- कुछ नहीं...कुछ भी तो नहीं...सोच रही थी आजकल के लडके लडकिया कितने आगे पहुंच गए है....

सागर :- बुआ क्या कर सकते है भावनाओ को दबा तो नहीं सकते...अच्छा अब आप बताओ की आप कोनसे पल याद करते हो,

सुमन :- चुप कर नालायक...और जाके सो जा..

सागर :- अरे बुआ नींद ही तो नहीं आ रही...पता नहीं आप कैसे सो जाती हो ....

सुमन :- कहा रे बस आधी रात तो करवटे बदलने में चली जाती है.....भावनाओ में बहती सुमन के मुह से अनजाने में निकल गया, .....

सागर :- ओह्ह्ह्ह मैं समझ सकता हु....

सुमन :- नहीं ...नहीं...वैसे नहीं,

सागर :- अरे बुआ रहने दो मैं समझ गया...आप को किस चीज की याद आती है....

सुमन शरम से लाल हो उठी,

सुमन :- चुप एकदम चुप...बुआ हु मैं तेरी...कैसी बाते कर रहा है मुझसे,

सागर :- हा क्या, जब आप प्रियंका और मेरी बाते कर रही थी तब कहा गयी थी आपकी ये बुआ वाली बात,

सुमन :- मैं तो बस ऐसे ही पूछ रही थी, अच्छा चल मैं जाती हु सोने...तू भी सो जा अब..

सागर :- बैठो ना थोड़ी देर...हम दोनों एक ही कश्ती में सफ़र कर रहे है...वैसे भी आप जाके आधी रात तक करवटे ही बदलते रहने वाले हो उससे अच्छा यहाँ मेरे साथ बाते करो या ऐसा करते है मैं भी चलता हु आपके साथ दोनों साथ में करवटे बदलते है...

सुमन :- नालायक बेशरम बदमाश...बोलने से पहले सोचता तो जा..

सागर :- हा हा हा मैं तो मजाक कर रहा था...

सागर ने बात को मजाक तो बना दिया मगर सुमन के मन में अपनी इच्छा का बिज बो दिया था, सुमन को भी पता था की ये कोई मजाक नहीं था...वो अब और भी गरम हो चली थी,

सुमन :- हा क्या, मुझे लगा की सच में बोल, रहा है, और एक पल के लिए तो मैंने खयालो में देख भी लिया...लेकिन अब तू मजाक ही कर रहा था तो जाने दे....सुमन ऐसे मजाक के मामले में सबकी बाप थी,

सागर :- नहीं..नहीं...अभी आप मजाक कर रही हो...मेरी खिंचाई कर रही हो...

सुमन :- नहीं तो...अगर तू कहता की चलो बुआ आज मैं आपके साथ सोता हु तो मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं होती...

सागर :- रहने दो बुआ...कितनी सारी गालिया दे दी आपने...

सुमन :- वो तो ऐसे ही...

सागर :- हा क्या अगर जो गाडी प्रियंका के साथ रुकी हुई है आ0के साथ आगे बढ़ जाती तो,

सुमन एकदम शॉक होके सागर को देखने लगी, उसे उम्मीद नहीं थी की सागर ऐसा भी कुछ बोल देगा...लेकिन अब वो फस चुकी थी क्यू की इस मजाक को उसने ही आगे बढ़ाया था,

सुमन :- तू ना सच में पागल हो गया है प्रियंका की याद में...कुछ भी बोले जा रहा है....सुमन ने बात को सँभालने की कोशिस की, और अपने आप को भी क्यू की सागर की बात सुनके न सिर्फ वो शॉक थी बल्कि उसने अपनी चूत में कई चीटिया एक साथ रेंगते महसूस की, .....चल मैं जा रही हु...ऐसा बोल के सुमन उठी और जाने लगी, लेकिन सागर ने उसका हाथ पकड़ा और खीच के अपने पास बिठा लिया,

सागर :- बुआ प्लीज बैठो ना...अब मैं कोई मजाक नहीं करूँगा,

सुमन एक तो पहले ही गरम होंरहि थी और ऊपर से सागर ने उसका हाथ पकड़ के रखा था, धीरे धीरे अब वो सागर की चालो में फसती जा रही थी,

सुमन :- अरे देख 1 बज गया है...सुमन ने उठने जैसा किया तो सागर ने जांघो पे हाथ रख दिया और उसे रोकने लगा, सुमन ने उसके हाथ पे अपना हाथ रख दिया लेकिन उसे हटाया नहीं उसे अब सागर का ऐसे छूना अच्छा लगने लगा था, सागर ने जब देखा की सुमन ने उसके घुटनो के पास जांघ पे रखा हाथ हटाया नहीं तो उसे वो एक तरह से ग्रीन सिग्नल मान बैठा,

सागर :- बस आधा घंटा और बुआ...

सुमन :- ठीक है...दूसरी कुछ बात कर...तेरी पढाई कैसे चल रही है, अच्छी है ना या प्रियंका के खयालो में खोया रहता है,

सागर :- नहीं बुआ आपको पता है ना मैं पढाई के आगे किसी भी चीज को नहीं आने देता,

सुमन :- हा पता है...और देख भी रही हु...झूठा कही का...

सागर :- नहीं सच में...मेरे रिजल्ट आएंगे तो पता चल ही जायेगा आपको...

सुमन :- ह्म्म्म्म ठीक है देखती हु....चल अब सो जा ना मेरे बच्चे...सुमन ने अपना हाथ उसके हाथ से हटाया और उसके सर से घूमते हुए गालो पे लेके आयी और गालो को हथेली में पकड़ के कहा...सुमन हमेशा ही सागर और माधवी के साथ ऐसा ही करती थी, सागर ने इस मौके का फायदा उठाया और अपना हाथ सुमन की जांघो पे थोडा आगे की तरफ खिसकाया, सुमन ने ये *बात बहुत अच्छेसे महसूस की और अब उसे सागर के इरादों के बारे में यकीन हो गया, वो सागर के गालो को हथेली पे पकड़ के वैसे ही रही और उसकी आँखों में झांकने लगी...उसे सागर की आखो में सिर्फ और सिर्फ वासना नजर आ रही थी,

उसने अपनी नजरे नीची कर ली ...उसने सागर की वासना भरी नजरो से अपनी नजर हटाने के लिए निचे देखा था लेकिन उसने निचे जो देखा उससे उसका पूरा बदन वासना से भर, उठा, सागर का लंड जो अब धीरे धीरे अपनी असली औकात में आने लगा था, सागर ने शार्ट पहना था वो थोडा टाइट था जिसमे से उसके लंड की लंबाई और मोटाई साफ़ साफ़ नजर आ रही थी, उसे, देख सुमन दंग रह गई, सुमन ने झट से अपना हाथ और नजर हटाई और सामने की तरफ देखने लगी, ये सब कुछ ही सेकंड में हुआ था लेकिन उसका असर सुमन पे बहुत गहरा हुआ था,

सुमन :- एक काम करती हु तेरे लिए केसर का दूध ले आती हु...उससे तुझे नींद आ जायेगी...सागर का हाथ अपनी जांघो हटाते हुए कहा,

सुमन ने वहा से जाने का बहाना बनाया, क्यू की उसे पता चल गया था की अब वो ज्यादा देर खुद पे काबू नहीं रख पाने वाली है, और उसे सागर के साथ कुछ नहीं करना था, एक तो वो उसका भतीजा था ऊपर से चंदू के साथ हुए वाकिये से वो बहुत परेशानी से गुजारी थी,

सागर :- लेकिन बुआ केसर वाला दूध तो सुहागरात के वक़्त देते है ना, *

सुमन :- हा देते है लेकिन आज तेरी कोई सुहागरात नहीं है...सिर्फ तुझे नींद आ जाय इसलिए बोला....

सागर :- मुझे लगा कही आपका इरादा .......

सुमन :- नहीं मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं है...लेकिन अब मुझे लगने लगा है की तेरे इरादे नेक नहीं है...

सागर :- ऐसा क्यू लग रहा है आपको,

सुमन :- जैसे तू मुझसे आज बात कर रहा है...

सागर :- रहने दो बुआ ...प्रियंका ने बताया मुझे आप माधवी और उसके साथ कैसी कैसी बाते करते हो...

सुमन :- वो तो हम औरतो के बिच की बात होती है...और हम तीनो दोस्त की तरह रहते है,

सागर :- तो मुझे भी दोस्त समझो...उससे ज्यादा भी समझ सकती हो...सागर सुमन चेहरे के हावभाव का जायजा लेते हुए बोला,

सुमन :- नहीं कोई जरुरत नहीं है...तुझे दूध चाहिए क्या या मैं जाऊ...

सागर :- बिना सुहागरात के दूध का मजा,

सुमन ऊपर ऊपर से कितनी भी दिखा रही हो की उसे सागर का ऐसे बात करना पसंद नहीं आ रहा लेकिन अंदर ही अंदर वो चाह रही थी की सागर ऐसे ही उसे, छेड़ता रहे, अब वो भी सागर की ऐसी बातो का मजा लेने लगी और उसे उसीके अंदाज में जवाब देने लगी,

सुमन :- रहने दे यहाँ बैठे बैठे सुहागरात की बाते करना और असल में सुहागरात मनाना अलग चीज है....वहा बड़े बड़े फुस हो जाते है...

सागर :- आजमा के देख लो...

सुमन :- अच्छा बच्चू मेरे साथ मनायेगा तू, रुक अभी भाभी को बताती हु...

सागर :- आपको क्या लगता है माँ क्या कहेगी,

सुमन :- तेरी पिटाई करेंगी...

सागर :- गलत....माँ कहेगी बच्चे का इतना मन है तो मना लेने दो...

सुमन :- अपने सर पे हाथ मरके...हे भगवान क्या करू मैं इसका,

सागर ऐसे लग रहा था की उसकी बातो का असर सुमन पे कुछ खास नहीं हो रहा है क्यू की सुमन सब चीजे मजाक में ले रही थी मगर सुमन सागर की बातो को मजाक इस लिए बना रही थी क्यू की उसे सागर के साथ कुछ नहीं करना था आखिर वो था तो उसका भतीजा...

सागर :- कुछ मत करो बुआ...तड़पाती रहो मुझे ऐसे ही...

सुमन :- मैं कहा तड़पा रही हु, वो तो प्रियंका तड़पा रही है तुझे....

सागर :- हा वो तो कबसे तड़पा रही है...

सुमन :- बेचारा सागर...हा हा हा

सागर :- हसलो और जोर से हसलो...

सुमन :- ठीक है नहीं हँसती....

सागर :- मजाक की बात अलग है बुआ पर एक बात कह seriuosly.....फूफाजी आपको बहुत मिस करते होंगे...

सुमन :- कहा रे...हफ्ते में एक या दो बार फ़ोन आता है उनका...और बोलता है मिस करते है...

सागर :- वो काम की वजह से....आप के जैसी सुन्दर और सेक्सी बीवी को मिस ना करने वाला कोई पागल ही होगा,

सागर के मुह अपनी तारीफ सुन के खासकर सेक्सी सुन के प्रभा गदगद हो उठी,

इसके पहले वो आगे कुछ बोल पाती कुछ खड़ खड़ की आवाज हुई सुमन अनजाने में ही छुपने की कोशिस में सागर की गोद में चली गई....उसे इस बात का अहसास नहीं था की वो सागर के साथ बैठ के बाते कर रही थी कुछ गलत काम नहीं....लेकिन जब वो चंदू से मिलती थी और ऐसा कुछ होता था वो झट से छुप जाती थी शायद उसी का असर था की आज रात में थोड़ी आवाज हुई तो झट से छुप गयी लेकिन उसका ऐसे करना सुमन को बहुत भारी पड़ा क्यू की वो सीधा सागर के आधे खड़े लंड पे जा गिरी थी, उसका हाथ सीधा सागर के लंड पे था, सागर को तो पहले कुछ समझ नहीं आया की सुमन ऐसे छुप क्यू रही है लेकिन जैसे ही सुमन का हाथ उसके लंड से टच हुआ वो 2 सेकंड में ही फनफना उठा, सुमन भी उसके लंड को छूने से अंदर तक सिहर उठी, जब उसने सागर के लंड का साइज़ को महसूस किया तो उसका कण्ट्रोल खुदपर से फटाक से चला गया, वो दोनों इस सिचुएशन को समझ पाते इसके पहले ही...

सागर :- बुआ क्या हुआ छुप क्यू रही हो,

सुमन को सागर के बात से होश आया की वो कुछ गलत नहीं कर रही है...वो उठ के बैठ गयी,

सुमन :- अरे मुझे लगा कोई आ गया...

सागर :- तो क्या हुआ...हम कुछ गलत थोड़े कर रहे है

सुमन :- कुछ नहीं...अरे मुझे लगा की तेरे साथ साथ मुझे भी डाट पड़ेगी इसलिए....

सागर को समझ आ गया था सुमन क्यू छुप रही थी, सागर ने देखा की सुमन अब लगातार उसके लंड को देख रही है, सागर को लगा की अब उसकी मंजिल दूर नहीं है,

सागर :- नहीं मैं बोल देता की मैंने आपको जबरदस्ती मेरे पास बिठा रखा है,

सुमन का मन अब चुदने का होने लगा था, सागर के लंड को छूने से उसका इरादा अब बदल गया था, अब उसे वहा से जाना नहीं था,

सुमन :- और कोई पूछता की तू इतनी रात तक क्यू जाग रहा है तो,

सागर :- मैं उन्हें बता देता जो आपको बताया....

सुमन :- इतनी हिम्मत है तुझमे,

सागर :- मेरी हिम्मत आपने देखी ही कहा है....

सुमन :- हा देख ली...मुझसे कहता है की सुहागरात मनानी है ...मुझे सेक्सी बोल रहा है...इससे पता चल गया मुझे की तुझमे बहुत हिम्मत है....वैसे तुझे मुझमे सेक्सी क्या दिखा,

सागर :- आप ऊपर से निचे तक सेक्सी हो बुआ...

सुमन :- कुछ भी बोलता है तू...

सागर :- सच में...लगता है आप खुद को आईने में देखती नहीं हो...

सुमन :- रोज देखती हु...मुझे तो कुछ नहीं लगा ऐसे...

सागर :- मैं ऐसे नहीं...नहाने के बाद की बात के रहा हु...

सुमन :- हा देखती हु...

सागर :- आप समझ नहीं रही हो...नहाने के बाद कपडे पहनने से पहले की बात कर रहा हु....

सागर सुमन की आखो में देखते हुए बोला...

सुमन सागर की बात सुन के शरमा गयी और निचे देखने लगी,

सुमन :- हा क्या, तू तो ऐसे बोल रहा है जैसे तूने मुझे देखा हो....

सागर :- देखा तो नहीं है....पर अगर देखने मिल जाय तो मुझे कोई ऐतराज नहीं होगा...सागर सुमन के करीब सरकते हुए बोला...

सुमन :- तू बहुत धीट हो गया है आजकल...कुछ भी बोल देता है...सुमन ने धीरे से एक अलग ही अंदाज में कहा, सागर ने उसकी बदली आवाज और अंदाज को बखूबी पहचान लिया था,

सागर :- सच में बुआ...अगर आप मेरी बुआ नहीं होती ना तो कबका मैं आपको भगा के ले गया होता....

सुमन :- अच्छा, और क्या करता भगा के ले जाने के बाद,

सागर :- वही करता जो करना चाहिए....

सागर सुमन के करीब गया और उसकी कमर पे हाथ रख के बोला,

सुमन सागर को अपने इतने करीब पाके मस्ती से भर उठी, उसने उसे रोक नहीं,

सुमन :- क्या, , सुमन मदहोशी में बोली,

सागर :- सबकुछ यही बता दू क्या,

सुमन :- मतलब,

सागर :- कमरे में चलते है...वहा सबकुछ डिटेल में बताता हु...सागर सुमन की कमर सहलाते हुए बोला,

सुमन :- तू मजाक कर रहा है ना,

सागर :- बिलकुल भी नहीं...सागर अपना हाथ थोडा ऊपर ले जाके सुमन की चुचियो पे रखना चाहा...लेकिन सुमन ने उसका हाथ हटाया और एकदम से उठ गयी,

सुमन :- छोड़ मुझे ...क्या कर रहा है...मैं बुआ हु तेरी,

सागर उठा और सुमन का हाथ पकड़ लिया, सुमन तो वही चाहती थी लेकिन थोडा तो नाटक करना ही था, *

सागर :- बुआ सच कहू जब से इनसब बातो के बारे में पता लगा है...मेरे दिमाग में पहला ख्याल आपका ही आया था...सागर सुमन के और भी करीब जाते हुए बोला,

सुमन :- सागर ....

सागर :- हा बुआ...आप सच में मुझे बहुत अच्छी लगती हो...आज मौका मिला है आपसे बात करने का...

सुमन :- सागर तुझे ऐसे नहि सोचना चाहिए, ऐसा नहीं हो सकता,

सागर :- मैं जनता हु बुआ....पर क्या आप मेरी एक ख्वाहिस भी पूरी नहीं करोगे,

सुमन :- क्या ,

सागर :- मैं आपको एक बार बिना कपड़ो के देखना चाहता हु...

सुमन :- नहीं पागल हो गए हों क्या, छोड़ो मेरा हाथ...

सागर :- प्लीज बुआ एक बार...

सुमन :- नहीं मतलब नहीं...

सागर :- बस एक बार...प्लीज...मैं दूर से देखूंगा..

सुमन :- सागर ये कैसे, मुझे बहुत अजीब लग रहा है...

सागर :- अगर आप सच में मुझसे प्यार करती हो तो मना मत कीजिये,

सुमन :- प्यार तो करती हु मैं तुझसे....लेकिन...

सागर :- लेकिन क्या बुआ, आपको भरोसा नहीं मुझपे, मैं आपको बिलकुल नहीं छुऊँगा...और ये बात आज रात के बाद कभी नहीं आएगी ,

सुमन :- सागर समझने किं कोशिस करो ...

सागर :- आप समझ नहीं रही हो....प्लीज बस एक बार...

सुमन :- ठीक है...लेकिन मैं सिर्फ साड़ी और ब्लाउज उतारूंगी...ब्रा पैंटी नहीं...

सागर :- चलेगा...

सुमन :- और तू मेरे बिलकुल करीब नहीं आएगा...

सागर :- हा बुआ..चलो मेरे कमरे में चलते है...

सुमन और सागर दोनों जानते थे एक बार ये खेल सुरु हो जाय तो वो अपने असली मक़ाम तक पहुंचे बिना नहीं रुकने वाला था, मन ही मन दोनों भी तो यही चाहते थे, *
 
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भाग 23

सुमन और सागर के दिल अब बहुत जोर जोर से धड़क रहे थे, सुमन ये सोच रही थी की सागर को अपना जिस्म ऐसी अदाओं के साथ दिखाएगी सागर उसे चोदे बिना नहीं छोड़ेगा, सागर ये सोच रहा था की एकबार बुआ कपडे तो उतार दे फिर उसे ऐसे गरम करूँगा की खुद ही लंड पकड़ के चूत तक लेके जायेगी,

दोनों कमरे में गए सागर ने दरवाजा बंद किया, खिड़कीया ठीक से बंद है या नहीं देखा और पर्दो को ठीक किया ताकि कोई अंदर झाँक ना सके, सागर सुमन की तरफ देखा सुमन शरम भरी मुस्कान के, साथ उसे देख रही थी,

सागर :- बुआ, थैंक यू..आज मेरी बरसो, की तम्मना पूरी होगी...

सुमन :- सागर...मुझे सच में यकीं नहीं हो रहा की मैं तेरी ऐसी इच्छा पूरी करने जा रही हु, बड़ा अजीब सा लग रहा है,

सागर :- बुआ प्लीज् अब कुछ मत सोचो...मुझसे रहा नहीं जा रहा....सागर आगे बढ़ के सुमन को पकड़ने की कोशिस करने लगा,

सुमन :- अ..ह अ..ह....पीछे रहो...तुमने कहा था की तुम मुझे नहीं छुओगे....

सागर :- सॉरी...

सुमन :- तुम, बहुत शैतान हो...यहाँ आओ इस चेयर पे बैठो....सुमन ने उसे चेयर पे बैठने को कहा...

सागर चेयर पे बैठ गया...सुमन ने इधर उधर देखा...फिर उसने अलमारी में देखा ...उसे कुछ रुमाल मिले...उसने वो उठा लिए और सागर के पास जाके उसने उसके दोनों हाथ और पाँव चेयर से बाँध दिए...

सागर :- ये क्या बुआ आपको भरोसा नहीं है ना मुझपे...

सुमन :- भरोसा है मगर इस बात को लेके मैं कोई रिस्क नहीं लेना चाहती....

सागर :- आराम से अपनी पीठ चेयर पे टिकाते हुए...ठीक है बुआ आप को जो ठीक लगे...तो अब ...

सुमन :- क्या अब...यहाँ शर्म के मारे मेरी जान निकली जा रही है...

सागर :- मेरे हाथ पाँव तो बाँध दिए है आपने अब क्या प्रॉब्लम है...

सुमन :- हा ठीक है...

सुमन थोडा पीछे हुई...उसका धड़कने बहुत तेज चल रही थी, सागर भी अब अपनी साँस रोके सुमन को देख रहा था, सुमन ने अपने साडी के पल्लू को पकड़ा और उसे उठाया और वापस रख दिया,

सुमन :- नहीं..सागर मुझसे नहीं होगा...

सागर :- बुआ मेरी तरफ देखो ...कुछ नहीं होगा..प्लीज बुआ और मत तड़पाओ...

सुमन :- ठीक है...सुमन ने हिम्मत बटोरी और अपना साड़ी का पल्लू निचे किया...उसने अपनी आखे बंद कर ली और गर्दन दूसरी तरफ करके जोर जोर से साँसे लेने लगी, सागर ने देखा हरे रंग के ब्लाउज में उसकी बड़ी बड़ी चुचिया उसकी जोर जोर से चलती साँसों के साथ ऊपर निचे हो रही थी, ऐसा लग रहा था जैसे उन्हें उस ब्लाउज में किसीने ठूस के भरा हो...सुमन ने साडी अपने नाभि के बहुत निचे बाँधी थी, *

सागर :- वाओ बुआ...क्या कमाल लग रही हो....साडी होने से पता ही नहीं चलता की आपके स्तन कितने बड़े है...और आपकी ये साडी और नाभि के बिच का पेट तो बहुत ही सेक्सी लग रहा है,

सुमन :- आखे खोलके सागर को देखा...सागर उसे लगातार ऊपर से निचे तक देख रहा था,

सुमन :- shhhhhh चुप रहो बाहर कोई सुन लेगा...

सागर :- आप मेरे नजदीक आओ फिर मैं धीरे से बात करू तो भी आपको सुनाई दे देगा....और वैसे भी बुआ मेरा कमरा सबसे अलग है...मेरे कमरे की तरफ कोई नहीं आता...और मैंने सब अछेसे बंद किया है...

सुमन थोडा आगे बढ़ी अब सागर और सुमन के बिच बस कुछ ही दुरी थी,

सुमन ने देखा की सागर रिलैक्स हो के चेयर पे पड़ा हुआ था उसका लंड ने उसके शॉर्ट्स में तम्बू बनाया हुआ था, सुमन उसे गौर से देखा उसेपे एक हल्का सा दाग दिखा उसे देख के सुमन की हँसी निकल गयी,

सागर :- क्या हुआ बुआ...क्यू हस रही हो,

सुमन :- कुछ नहीं...

सागर :- तो बुआ साडी निकाल दो ना....

सुमन किसी गुलाम की तरह सागर का हुकुम माना..उसने साडी निकाल दी और बाजू में बेड पे रख दी....लेकिन अबकी बार उसने आखे बंद नहीं की बल्कि सीधा सागर की आखो में देखते हुए अपनी नशीली अदा के साथ किया था,

सागर :- उम्म्म्म बुआ मैं बता नहीं सकता आप कितनी सेक्सी लग रही हो,

सुमन अब मद्होश हो चुकी थी, सुमन सागर की आखो में देखते हुए अपने ब्लाउज के एक एक बटन खोलने लगी,

सागर अपनी साँस रोके आनेवाले नज़ारे का इंतजार कर रहा था, सुमन ने ब्लाउज के सारे बटन खोल दिए थे, उसकी काले रंग की ब्रा में गोरे गोरे स्तन को देख सागर पागल सा होने लगा था,

सागर :- वाओ बुआ ....आपकी चुचिया तो ब्रा में भी नहीं समां रही है स्सस्सस्सस

सागर के मुह से ये चुचिया शब्द सुनके सुमन के पुरे शारीर में सुरसुरिसि दौड़ गयी,

सागर :- उफ्फ्फ्फ्फ़ ऐसे लग रहा है जैसे जबरदस्ती कैदी बना के रखा है आपने उनको, बाहर निकलने को बेताब है बेचारे....बुआ ब्लाउज तो निकाल दो...

सुमन :- सिर्फ ब्लाउज निकालूंगी...ब्रा नहीं...पता है ना...

सागर :- हा बुआ...

सुमन ने ब्लाउज निकाल के बाजु में रख दिया ,

सुमन :- सागर ...

सागर :- हा बुआ बोलो ना...

सुमन :- कुछ नहीं...

सागर :- बोलो ना...

सुमन :- सच में मेरे स्तन इतने अच्छे है, सुमन सागर के मुह से अपनी तारीफ़ सुनना चाहती थी और साथ साथ उसे और उकसाना चाहती थी,

सागर :- हा बुआ...सच में बोहोत ही मस्त है...एकदम बड़े बड़े गोल गोल...स्स्स्स लाजवाब स्स्स्स ...अब वो कितने नरम है कड़क है ये छूने के बाद ही पता चलेगा....सागर सुमन के तरफ ललचाई नजरो से, देखता हुआ बोला...

सुमन :- ह्म्म्म्म मैं सब समझ रही हु...

सागर :- समझ रही हो तो एक बार मेरे हाथ खोल दो...छूके देखता हु फिर बताता हु...

सुमन :- कोई जरुरत नहीं....

सागर :- ठीक है...लेकिन एक बार ब्रा तो खोल के दिखा दो...प्लीज...

सुमन तो यही चाहती थी मगर..अब उसे सागर के साथ ऐसे खेलने में मजा आने लगा था,

सुमन :- नहीं...अपने बिच जो तय हुआ था वही होगा...

सागर :- क्या बुआ..आपने मुझे यहाँ बाँध दिया है ये तय नहीं हुआ था...लेकिन मैं कुछ नहीं बोला...बस एक बार...मैं बस जी भर के एक बार आपकी गोरी गोरी चुचिया नंगी देख लू...आपके निप्प्ल्स का रंग देख लू कैसा है स्स्स्स्स् बस फिर आप लगे तो वापस पहन लेना...

सुमन :- सागर....चुप कर तेरे मुह से ये बाते सुनके मुझे अजीब सा लगने लगा है..

सागर :- स्स्स्स बुआ बस एक बार ...

सुमन :- बस एक बार...इसके आगे जो तय हुआ था..

सागर :- ठीक है...

सुमन ने अपने ब्रा के हुक खोले और ब्रा को अपनी चुचियो पे एक हाथ से दबा के रखा और दूसरा हाथ से ब्रा की स्ट्रिप निकाल ली..फिर दूसरे से ब्रा को पकड़ा और दूसरा हाथसे ब्रा की स्ट्रिप निकल ली, फिर सागर की आखो में देखते हुए एकं हाथ से अपनी चुचिया ढक ली और दूसरे से ब्रा निकाल के फेक दी...

सागर :- उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़ बुआ हाथ तो हटाओ....

सुमन :- नहीं मुझे शरम आ रही है...और फिर सुमन पलट गयी,

सागर के आखो के सामने सुमन की नंगी पीठ थी, एकदम चिकनी गोरी पीठ देख सागर पागल सा होने लगा, उसका लंड तो कबसे खड़ा था, वो उसे मसलना चाहता था मगर उसके हाथ बंधे हुए थे, *

सागर :- आह्ह्ह बुआ उफ्फ्फ्फ्फ़ ऐसी खुबसुरती मैंने आजतक नहीं देखी स्स्स्स्स् बुआ प्लीज पलट जाओ...

सुमन धीरे धीरे पलटी उसने सागर की आखो में देखते हुए अपना हाथ हटा लिया...अब सागर के सामने सुमन की नंगी चुचिया थी, वो उन्हें मुह खोले देखता रहा, सुमन सागर की तरफ देख रहीं थी, उसकी बोलती बंद होते देख सुमन को खुद की खूबसूरती पे गुरुर होने लगा,

सुमन :- (धीरे से सेक्सी आवाज में) कुछ बोलेगे या देखते ही रहोगे,

:- क्या बोलू ...मेरे पास शब्द नहीं है अब तारीफ करने के लिए...स्सस्सस्स बुआ आपके ये निप्प्ल्स बहुत ही मस्त है स्स्स्स्स् बुआ थोडा नजदीक आओ ना...

सुमन सागर के नजदीक गयी, वो जानबुज के अपनी चुचिया सागर के चेहरे के एकदम सामने लेके गयी,

सागर :- अह्ह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ स्स्स्स्स् मजा आ गया...मैंने जितना सोचा था उससे कई ज्यादा अच्छी है स्स्स्स्स् बुआ एक बार हाथो से थोडा ऊपर उठा के दिखाओ ना...

सुमन ने अपनी दोनों चुचियो को निचे पकड़ा और ऊपर की और उठाया...उससे अब रहा नहीं गया वो उन्हें धीरे धीरे मसलने लगी दबाने लगी,

सागर सुमन को ऐसे करता देख मदहोश हो उठा, सुमन को अब ये सब बर्दास्त के बाहर हो रहा था, वो अपने होश खो चुकी थी उसी सुरूर में वो अपने निप्प्ल्स को उंगिलयों में पकड़ के धीरे धीरे मसलने लगी,

सुमन :- स्सस्सस्सस सागर अह्ह्ह्ह्ह उम्म्म्म्म्म

सागर :- बहुत मजा आ रहा है बुआ स्स्स्स्स् अह्ह्ह्ह ऐसे ही करते रहो वाओ....आप सच में कमाल हो उफ्फ्फ्फ्फ्फ

सागर की बात सुनके सुमन थोड़ी होश में आयी,

उसने झट से अपने हाथ हटा लिए...

सागर :- क्या हुआ बुआ, बहुत मजा आ रहा था आपको ऐसे करते देख...

सुमन :- तू ना सच में मुझे पागल करके छोड़ेगा आज...

सागर :- पागल तो मैं हो चूका हु आपके इस सेक्सी बदन को देख के....वो निप्प्ल्स को मसलते हुए क्या लग रही थी आप...बुआ एक बार हाथ खोल के छूने दो ना..

सुमन :- नहीं सागर...

सागर :- प्लीज बुआ...

सुमन :- नहीं मतलब नहीं...अगर तू जिद्द करेगा तो मैं चली जाउंगी...

सागर :- ठीक है ...लेकिन क्या एक बार आपके निप्प्ल्स को मेरे होठो से छुआ सकती हो प्लीज...

सुमन :- उम्म्म तू कुछ भी बोलने लगा है अब...

सागर :- नही बुआ..बस किस करना चाहता हु...

सुमन :- ठीक है...सुमन इस ख्याल से ही मस्ती से भर उठी के सागर के होठ उसके निप्प्ल्स को छुएंगे...उसकी चूत उत्तेजना से धड़ धड़ उड़ रही थी, पैंटी तो पूरी तरह भीग चुकी थी,

सुमन थोडा आगे हुई, उसने अपने चूची को पकड़ के निप्पल सागर के होठो पे रखा सागर थोडा आगे हुआ और निप्पल को किस किया, फिर उसने सुमन की तरफ देखा सुमन वो उत्तेजना सिसकारी ले रही थी,

सागर :- (धीरे से) बुआ दूसरा भी...

सुमन ने सागर के मुह के सामने अपनी दूसरी चूची का निप्पल ले गयी, सागर बहुत चालक था उसने पहले वाले को सर चूमा...लेकिन दूसरे को पहले चूम और फिर सुमन की आखो में देखते हुए उसे मुह में ले लिया और धीरे से चूसने लगा, सुमन के पुरे शारीर में एक बिजली सी कौंधी, सागर ने जैसे ही उसका निप्पल चूसा उसकी आखे अपने आप बंद हो गयी,

सुमन :- अह्ह्ह्ह्ह्ह स्सस्सस्स सागर उम्म्म्म्म उफ्फ्फ्फ्फ़

सागर सुमन का निप्पल को जुबान से गिला करने लगा, *सुमन उसका सर पकड़ के अलग करने लगी मगर सिर्फ दिखावे के लिए,

सुमन :- अह्ह्ह्ह छोड़ दे सागर स्सस्सस्सस उम्म्म्म्म

सागर ने दो तिन मिनट तक उसे चूसता रहा ,

सागर :- उफ्फ्फ्फ़ बुआ मजा आ गया स्सस्सस्सस बहुत ही मस्त है आपके निप्पल स्स्स्स

सुमन :- बदमाश है तू...

सागर :- सॉरी बुआ कण्ट्रोल ही नहीं हुआ...

सुमन :- ह्म्म्म स्स्स्स यहाँ मेरी हालात ख़राब हो गयी उसका क्या,

सागर :- क्या हुआ अच्छा नहीं, लगा क्या,

सुमन :- नहीं ऐसे नहीं...छोड़ तू नहीं समझेगा...

सागर :- बुआ थैंक यू...सच में आप बहुत अच्छी हो...

सुमन :- रहने दे ज्यादा मस्का मत लगा..

सुमन ब्रा उठाने लगी,

सागर :- बुआ रहने दो ना..एक बार ये पेटीकोट उतार दो फिर सब साथ में पहन लेना,

सुमन ने ब्रा वापस रख दी, और पेटीकोट का नाड़ा खोलने लगी, सुमन ने नाड़ा हाथ में लिया, उसके दिमाग में एक आईडिया आया, उसने गलत टोक पकड़ के खीचा जिससे पेटीकोट खुलने की बजाय वहा एक पक्की गाँठ बन गयी,

सुमन :- उफ्फ्फ ये क्या यहाँ तो गाँठ बन गयी...

सागर :- क्या हुआ बुआ, *

सुमन :- अरे मैंने गलत टोक खिंच लिया अब ये गाठ आसानी से नहीं खुलेगी,

सागर :- तो वहा अलमारी से कैची ले लो और काट दो...

सुमन :- फिर मैं इसे कैसे पहनू, *

सागर :- तो अब,

सुमन :- तो मैं तुझे ऐसे ही उठा के दिखा देती हु,

सुमन धीरे धीरे अपणा पेटीकोट ऊपर की, तरफ खीचने लगी, सागर को उस पेटीकोट के ऊपर होते हुए देख रहा था, उसे धीरे धीरे सुमन की जांघे दिखाई दे रही थी, गोरी चिकनी जांघो को देख सागर मस्त होने लगा, जब उसने सुमन के जांघो के बिच उसकी काली निक्कर देखी तो उसकी साँस थम सी गयी, सुमन की उभरी हुई फूली हुई चूत कोंदेख सागर के होठ सुख से गए, *

सागर :- अह्ह्ह्ह्ह क्या बात है उम्म्म्म ...बुआ थोडा पास आओ ना..

सुमन फिर से आगे हुई , सागर थोडा झुका और गौर से देखने लगा, एक सास जोर से अंदर की तरफ खिची और....*

सागर :- स्सस्सस्स बुआ उफ्फ्फ्फ़ ...कितनी मस्त खुशबु आ रही है उफ्फ्फ्फ़ बुआ..ये पेटीकोट निकालो ना..ठीक से दिख नहीं रहा,

सुमन :- अरे ये गांठ बहुत पक्की है...ह्म्म्म एक काम कर इसे तू अपने दातो से थोडा ढीला कर दे...

सुमन ने पेटीकोट निचे किया और अपनी कमर को उसकी तरफ करते हुए पेटीकोट की गाँठ हात में लिया,

सागर ने देखा और अपना मुह आगे करके सुमन के कहे अनुसार गाठ खोलने लगा, जहा नाडा बांधते है वहा थोडा कट होता है, उस कट में से सुमन की पॅंटी और जांघ दिख रही थी, सागर *गाँठ खोलने के बहाने से उस कट में से सुमन की जांघ और पॅंटी को चूम रहा था, जुबान से चाट रहा था, सुमन भी तो यही चाहती थी इसीलिए उसने ऐसा किया था, *

सुमन :- स्स्स सागर क्या कर रहा है उफ्फ्फ्फ्फ्फ जल्दी कर ...

सागर :- हा बुआ बस हो गया...

सुमन ने देखा सागर ने दातो से गाँठ ढीली कर दी थी, उसने धीरे से वो खोल दी और अपना पेटीकोट निचे गिरा दिया, सुमन सागर के सामने सिर्फ निक्कर में खड़ी थी, सुमन ने पेटीकोट पैरो से निकाल दिया,

और पलट के अपनी गांड मटकाते हुए सागर से थोडा दूर गयी और वापस पलट के सागर को देखने लगी, सागर सुमन की काली निक्कर में फसी गांड को देख रहा था, सुमन की गांड कुछ ज्यादा ही मांसल थी, गोरी गोरी चिकनी गांड को देख सागर तो जैसे सातवे आसमान में पहुंच गया था, *

सुमन :- देख लो जी भर के...

सागर :- देख ही तो रहा हु.....बुआ आपकी निकर तो सामने से पूरी भीग गयी है...

सुमन ने झट से उसे हाथ से छुपा लिया,

सुमन :- मेरी निकर क्या देख रहा है जरा खुद का देख ....

सागर ने देखा उसके प्रीकम बड़ा सा दाग उसके शार्ट पे दिख रहा था,

सागर :- अब इतना सेक्सी शो चल रहा है ये तो होना ही है...बुआ अपनी निकर को नितम्ब के दरारों में डाल के एक बार मुझे दिखाओ ना....

सुमन अब उसे किसी भी चीज के लिए मना नही करने वाली थी, वो तो चाहती थी की सागर उसे और भी कुछ करने को कहे...क्यू की उसे बहुत ज्यादा मजा आ रहा था, उसने कभी भी इसतरह से अपना जिस्म किसी को नहीं दिखाया था, *

सागर के कहे नुसार सुमन ने पॅंटी को गांड के दरारों में घुसा दिया और पलट के थोडा झुक गयी,

सागर :- उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़ बुआ स्स्स्स्स् क्या लग रही है आपकी...सागर गांड कहना चाहता था मगर उसने खुद को रोक लिया,

सुमन :- अच्छा लगा,

सागर :- बहुत....बुआ सच में आप के जैसे नितम्ब दुनिया में किसी के नहीं होंगे....

सुमन :- और भी कुछ देखना चाहोगे,

सागर :- नेकी और पुच पुच...जल्दी से दिखाओ न...

सुमन सीधी हुई और उसने अपनी पॅंटी सामने से अपनी चूत के लिप्स में डाल दी और सागर की तरफ पलट गई...उसकी आँखों देखते हुए बेड पे बैठी और निचे की तरफ थोडा सा सरक गयी, फिर उसने अपने पैर फैलाये और पॅंटी को पकड़ के ऊपर खीचा, सागर ने देखा सुमन की पॅंटी उसकी चूत में कही खो सी गयी थी, भीगी भीगी चूत कमाल लग रही थी, सुमन की चूत पे बाल थे शायद बहुत दिनों से साफ़ नहीं किये थे, लेकिन सागर को वही सबसे ज्यादा पसंद आ रहा था,

सागर :- उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़ बुआ मार डालोगी क्या स्सस्सस्स कितनी खूबसूरत है बुआ आपकी चूत स्सस्सस्स आहा हा हा..और बालो की वजह से तो चार चाँद लग गए उसकी खूबसूरती पे,

सागर के मुह से चूत सुनके सुमन का रोम रोम सिहर उठा,

सुमन :- अच्छा, इतनी अच्छी लगी तुझे, तुझे बालो वाली चूत पसंद है,

सुमन अब खुलके शब्दों का प्रयोग कर रही थी क्यू की उसे अब चुदने की इच्छा बहुत तीव्र होने लगी थी, वो जल्द से जल्द सागर का लंड अपनी चूत में लेना चाहती थी,

सागर :- बालो वाली या बिना बालो वाली...मुझे तो बस आपकी चूत पसंद है बुआ स्स्स्स्स् देखो ना कैसे झटके मार रहा है मेरा *उफ्फ्फ्फ़ आप जिस अदा से अपना बदन मुझे दिखा रही हो उससे तो ऐसे लग रहा है जैसे मेरा पानी तो ऐसे ही छूट जाएगा,

सुमन :- हा हा हा..पागल कुछ भी बोलता है...

सागर :- सच में ....बुआ अब इतना दिखा ही चुकी हो तो पॅंटी निकाल दो ना...

सुमन ने कुछ नहीं बोला, वो सिर्फ सागर की तरफ देख के एक कातिल स्माइल दी और धीरे धीरे अपनी पॅंटी उतारने लगी, सुमन अब पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी, सागर उसे आखे फाड़ के देखे जा रहा था, सुमन अधलेटी उसे मुस्कुराती हुई देख रही थी,
 
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भाग 23

सुमन और सागर के दिल अब बहुत जोर जोर से धड़क रहे थे, सुमन ये सोच रही थी की सागर को अपना जिस्म ऐसी अदाओं के साथ दिखाएगी सागर उसे चोदे बिना नहीं छोड़ेगा, सागर ये सोच रहा था की एकबार बुआ कपडे तो उतार दे फिर उसे ऐसे गरम करूँगा की खुद ही लंड पकड़ के चूत तक लेके जायेगी,

दोनों कमरे में गए सागर ने दरवाजा बंद किया, खिड़कीया ठीक से बंद है या नहीं देखा और पर्दो को ठीक किया ताकि कोई अंदर झाँक ना सके, सागर सुमन की तरफ देखा सुमन शरम भरी मुस्कान के, साथ उसे देख रही थी,

सागर :- बुआ, थैंक यू..आज मेरी बरसो, की तम्मना पूरी होगी...

सुमन :- सागर...मुझे सच में यकीं नहीं हो रहा की मैं तेरी ऐसी इच्छा पूरी करने जा रही हु, बड़ा अजीब सा लग रहा है,

सागर :- बुआ प्लीज् अब कुछ मत सोचो...मुझसे रहा नहीं जा रहा....सागर आगे बढ़ के सुमन को पकड़ने की कोशिस करने लगा,

सुमन :- अ..ह अ..ह....पीछे रहो...तुमने कहा था की तुम मुझे नहीं छुओगे....

सागर :- सॉरी...

सुमन :- तुम, बहुत शैतान हो...यहाँ आओ इस चेयर पे बैठो....सुमन ने उसे चेयर पे बैठने को कहा...

सागर चेयर पे बैठ गया...सुमन ने इधर उधर देखा...फिर उसने अलमारी में देखा ...उसे कुछ रुमाल मिले...उसने वो उठा लिए और सागर के पास जाके उसने उसके दोनों हाथ और पाँव चेयर से बाँध दिए...

सागर :- ये क्या बुआ आपको भरोसा नहीं है ना मुझपे...

सुमन :- भरोसा है मगर इस बात को लेके मैं कोई रिस्क नहीं लेना चाहती....

सागर :- आराम से अपनी पीठ चेयर पे टिकाते हुए...ठीक है बुआ आप को जो ठीक लगे...तो अब ...

सुमन :- क्या अब...यहाँ शर्म के मारे मेरी जान निकली जा रही है...

सागर :- मेरे हाथ पाँव तो बाँध दिए है आपने अब क्या प्रॉब्लम है...

सुमन :- हा ठीक है...

सुमन थोडा पीछे हुई...उसका धड़कने बहुत तेज चल रही थी, सागर भी अब अपनी साँस रोके सुमन को देख रहा था, सुमन ने अपने साडी के पल्लू को पकड़ा और उसे उठाया और वापस रख दिया,

सुमन :- नहीं..सागर मुझसे नहीं होगा...

सागर :- बुआ मेरी तरफ देखो ...कुछ नहीं होगा..प्लीज बुआ और मत तड़पाओ...

सुमन :- ठीक है...सुमन ने हिम्मत बटोरी और अपना साड़ी का पल्लू निचे किया...उसने अपनी आखे बंद कर ली और गर्दन दूसरी तरफ करके जोर जोर से साँसे लेने लगी, सागर ने देखा हरे रंग के ब्लाउज में उसकी बड़ी बड़ी चुचिया उसकी जोर जोर से चलती साँसों के साथ ऊपर निचे हो रही थी, ऐसा लग रहा था जैसे उन्हें उस ब्लाउज में किसीने ठूस के भरा हो...सुमन ने साडी अपने नाभि के बहुत निचे बाँधी थी, *

सागर :- वाओ बुआ...क्या कमाल लग रही हो....साडी होने से पता ही नहीं चलता की आपके स्तन कितने बड़े है...और आपकी ये साडी और नाभि के बिच का पेट तो बहुत ही सेक्सी लग रहा है,

सुमन :- आखे खोलके सागर को देखा...सागर उसे लगातार ऊपर से निचे तक देख रहा था,

सुमन :- shhhhhh चुप रहो बाहर कोई सुन लेगा...

सागर :- आप मेरे नजदीक आओ फिर मैं धीरे से बात करू तो भी आपको सुनाई दे देगा....और वैसे भी बुआ मेरा कमरा सबसे अलग है...मेरे कमरे की तरफ कोई नहीं आता...और मैंने सब अछेसे बंद किया है...

सुमन थोडा आगे बढ़ी अब सागर और सुमन के बिच बस कुछ ही दुरी थी,

सुमन ने देखा की सागर रिलैक्स हो के चेयर पे पड़ा हुआ था उसका लंड ने उसके शॉर्ट्स में तम्बू बनाया हुआ था, सुमन उसे गौर से देखा उसेपे एक हल्का सा दाग दिखा उसे देख के सुमन की हँसी निकल गयी,

सागर :- क्या हुआ बुआ...क्यू हस रही हो,

सुमन :- कुछ नहीं...

सागर :- तो बुआ साडी निकाल दो ना....

सुमन किसी गुलाम की तरह सागर का हुकुम माना..उसने साडी निकाल दी और बाजू में बेड पे रख दी....लेकिन अबकी बार उसने आखे बंद नहीं की बल्कि सीधा सागर की आखो में देखते हुए अपनी नशीली अदा के साथ किया था,

सागर :- उम्म्म्म बुआ मैं बता नहीं सकता आप कितनी सेक्सी लग रही हो,

सुमन अब मद्होश हो चुकी थी, सुमन सागर की आखो में देखते हुए अपने ब्लाउज के एक एक बटन खोलने लगी,

सागर अपनी साँस रोके आनेवाले नज़ारे का इंतजार कर रहा था, सुमन ने ब्लाउज के सारे बटन खोल दिए थे, उसकी काले रंग की ब्रा में गोरे गोरे स्तन को देख सागर पागल सा होने लगा था,

सागर :- वाओ बुआ ....आपकी चुचिया तो ब्रा में भी नहीं समां रही है स्सस्सस्सस

सागर के मुह से ये चुचिया शब्द सुनके सुमन के पुरे शारीर में सुरसुरिसि दौड़ गयी,

सागर :- उफ्फ्फ्फ्फ़ ऐसे लग रहा है जैसे जबरदस्ती कैदी बना के रखा है आपने उनको, बाहर निकलने को बेताब है बेचारे....बुआ ब्लाउज तो निकाल दो...

सुमन :- सिर्फ ब्लाउज निकालूंगी...ब्रा नहीं...पता है ना...

सागर :- हा बुआ...

सुमन ने ब्लाउज निकाल के बाजु में रख दिया ,

सुमन :- सागर ...

सागर :- हा बुआ बोलो ना...

सुमन :- कुछ नहीं...

सागर :- बोलो ना...

सुमन :- सच में मेरे स्तन इतने अच्छे है, सुमन सागर के मुह से अपनी तारीफ़ सुनना चाहती थी और साथ साथ उसे और उकसाना चाहती थी,

सागर :- हा बुआ...सच में बोहोत ही मस्त है...एकदम बड़े बड़े गोल गोल...स्स्स्स लाजवाब स्स्स्स ...अब वो कितने नरम है कड़क है ये छूने के बाद ही पता चलेगा....सागर सुमन के तरफ ललचाई नजरो से, देखता हुआ बोला...

सुमन :- ह्म्म्म्म मैं सब समझ रही हु...

सागर :- समझ रही हो तो एक बार मेरे हाथ खोल दो...छूके देखता हु फिर बताता हु...

सुमन :- कोई जरुरत नहीं....

सागर :- ठीक है...लेकिन एक बार ब्रा तो खोल के दिखा दो...प्लीज...

सुमन तो यही चाहती थी मगर..अब उसे सागर के साथ ऐसे खेलने में मजा आने लगा था,

सुमन :- नहीं...अपने बिच जो तय हुआ था वही होगा...

सागर :- क्या बुआ..आपने मुझे यहाँ बाँध दिया है ये तय नहीं हुआ था...लेकिन मैं कुछ नहीं बोला...बस एक बार...मैं बस जी भर के एक बार आपकी गोरी गोरी चुचिया नंगी देख लू...आपके निप्प्ल्स का रंग देख लू कैसा है स्स्स्स्स् बस फिर आप लगे तो वापस पहन लेना...

सुमन :- सागर....चुप कर तेरे मुह से ये बाते सुनके मुझे अजीब सा लगने लगा है..

सागर :- स्स्स्स बुआ बस एक बार ...

सुमन :- बस एक बार...इसके आगे जो तय हुआ था..

सागर :- ठीक है...

सुमन ने अपने ब्रा के हुक खोले और ब्रा को अपनी चुचियो पे एक हाथ से दबा के रखा और दूसरा हाथ से ब्रा की स्ट्रिप निकाल ली..फिर दूसरे से ब्रा को पकड़ा और दूसरा हाथसे ब्रा की स्ट्रिप निकल ली, फिर सागर की आखो में देखते हुए एकं हाथ से अपनी चुचिया ढक ली और दूसरे से ब्रा निकाल के फेक दी...

सागर :- उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़ बुआ हाथ तो हटाओ....

सुमन :- नहीं मुझे शरम आ रही है...और फिर सुमन पलट गयी,

सागर के आखो के सामने सुमन की नंगी पीठ थी, एकदम चिकनी गोरी पीठ देख सागर पागल सा होने लगा, उसका लंड तो कबसे खड़ा था, वो उसे मसलना चाहता था मगर उसके हाथ बंधे हुए थे, *

सागर :- आह्ह्ह बुआ उफ्फ्फ्फ्फ़ ऐसी खुबसुरती मैंने आजतक नहीं देखी स्स्स्स्स् बुआ प्लीज पलट जाओ...

सुमन धीरे धीरे पलटी उसने सागर की आखो में देखते हुए अपना हाथ हटा लिया...अब सागर के सामने सुमन की नंगी चुचिया थी, वो उन्हें मुह खोले देखता रहा, सुमन सागर की तरफ देख रहीं थी, उसकी बोलती बंद होते देख सुमन को खुद की खूबसूरती पे गुरुर होने लगा,

सुमन :- (धीरे से सेक्सी आवाज में) कुछ बोलेगे या देखते ही रहोगे,

:- क्या बोलू ...मेरे पास शब्द नहीं है अब तारीफ करने के लिए...स्सस्सस्स बुआ आपके ये निप्प्ल्स बहुत ही मस्त है स्स्स्स्स् बुआ थोडा नजदीक आओ ना...

सुमन सागर के नजदीक गयी, वो जानबुज के अपनी चुचिया सागर के चेहरे के एकदम सामने लेके गयी,

सागर :- अह्ह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ स्स्स्स्स् मजा आ गया...मैंने जितना सोचा था उससे कई ज्यादा अच्छी है स्स्स्स्स् बुआ एक बार हाथो से थोडा ऊपर उठा के दिखाओ ना...

सुमन ने अपनी दोनों चुचियो को निचे पकड़ा और ऊपर की और उठाया...उससे अब रहा नहीं गया वो उन्हें धीरे धीरे मसलने लगी दबाने लगी,

सागर सुमन को ऐसे करता देख मदहोश हो उठा, सुमन को अब ये सब बर्दास्त के बाहर हो रहा था, वो अपने होश खो चुकी थी उसी सुरूर में वो अपने निप्प्ल्स को उंगिलयों में पकड़ के धीरे धीरे मसलने लगी,

सुमन :- स्सस्सस्सस सागर अह्ह्ह्ह्ह उम्म्म्म्म्म

सागर :- बहुत मजा आ रहा है बुआ स्स्स्स्स् अह्ह्ह्ह ऐसे ही करते रहो वाओ....आप सच में कमाल हो उफ्फ्फ्फ्फ्फ

सागर की बात सुनके सुमन थोड़ी होश में आयी,

उसने झट से अपने हाथ हटा लिए...

सागर :- क्या हुआ बुआ, बहुत मजा आ रहा था आपको ऐसे करते देख...

सुमन :- तू ना सच में मुझे पागल करके छोड़ेगा आज...

सागर :- पागल तो मैं हो चूका हु आपके इस सेक्सी बदन को देख के....वो निप्प्ल्स को मसलते हुए क्या लग रही थी आप...बुआ एक बार हाथ खोल के छूने दो ना..

सुमन :- नहीं सागर...

सागर :- प्लीज बुआ...

सुमन :- नहीं मतलब नहीं...अगर तू जिद्द करेगा तो मैं चली जाउंगी...

सागर :- ठीक है ...लेकिन क्या एक बार आपके निप्प्ल्स को मेरे होठो से छुआ सकती हो प्लीज...

सुमन :- उम्म्म तू कुछ भी बोलने लगा है अब...

सागर :- नही बुआ..बस किस करना चाहता हु...

सुमन :- ठीक है...सुमन इस ख्याल से ही मस्ती से भर उठी के सागर के होठ उसके निप्प्ल्स को छुएंगे...उसकी चूत उत्तेजना से धड़ धड़ उड़ रही थी, पैंटी तो पूरी तरह भीग चुकी थी,

सुमन थोडा आगे हुई, उसने अपने चूची को पकड़ के निप्पल सागर के होठो पे रखा सागर थोडा आगे हुआ और निप्पल को किस किया, फिर उसने सुमन की तरफ देखा सुमन वो उत्तेजना सिसकारी ले रही थी,

सागर :- (धीरे से) बुआ दूसरा भी...

सुमन ने सागर के मुह के सामने अपनी दूसरी चूची का निप्पल ले गयी, सागर बहुत चालक था उसने पहले वाले को सर चूमा...लेकिन दूसरे को पहले चूम और फिर सुमन की आखो में देखते हुए उसे मुह में ले लिया और धीरे से चूसने लगा, सुमन के पुरे शारीर में एक बिजली सी कौंधी, सागर ने जैसे ही उसका निप्पल चूसा उसकी आखे अपने आप बंद हो गयी,

सुमन :- अह्ह्ह्ह्ह्ह स्सस्सस्स सागर उम्म्म्म्म उफ्फ्फ्फ्फ़

सागर सुमन का निप्पल को जुबान से गिला करने लगा, *सुमन उसका सर पकड़ के अलग करने लगी मगर सिर्फ दिखावे के लिए,

सुमन :- अह्ह्ह्ह छोड़ दे सागर स्सस्सस्सस उम्म्म्म्म

सागर ने दो तिन मिनट तक उसे चूसता रहा ,

सागर :- उफ्फ्फ्फ़ बुआ मजा आ गया स्सस्सस्सस बहुत ही मस्त है आपके निप्पल स्स्स्स

सुमन :- बदमाश है तू...

सागर :- सॉरी बुआ कण्ट्रोल ही नहीं हुआ...

सुमन :- ह्म्म्म स्स्स्स यहाँ मेरी हालात ख़राब हो गयी उसका क्या,

सागर :- क्या हुआ अच्छा नहीं, लगा क्या,

सुमन :- नहीं ऐसे नहीं...छोड़ तू नहीं समझेगा...

सागर :- बुआ थैंक यू...सच में आप बहुत अच्छी हो...

सुमन :- रहने दे ज्यादा मस्का मत लगा..

सुमन ब्रा उठाने लगी,

सागर :- बुआ रहने दो ना..एक बार ये पेटीकोट उतार दो फिर सब साथ में पहन लेना,

सुमन ने ब्रा वापस रख दी, और पेटीकोट का नाड़ा खोलने लगी, सुमन ने नाड़ा हाथ में लिया, उसके दिमाग में एक आईडिया आया, उसने गलत टोक पकड़ के खीचा जिससे पेटीकोट खुलने की बजाय वहा एक पक्की गाँठ बन गयी,

सुमन :- उफ्फ्फ ये क्या यहाँ तो गाँठ बन गयी...

सागर :- क्या हुआ बुआ, *

सुमन :- अरे मैंने गलत टोक खिंच लिया अब ये गाठ आसानी से नहीं खुलेगी,

सागर :- तो वहा अलमारी से कैची ले लो और काट दो...

सुमन :- फिर मैं इसे कैसे पहनू, *

सागर :- तो अब,

सुमन :- तो मैं तुझे ऐसे ही उठा के दिखा देती हु,

सुमन धीरे धीरे अपणा पेटीकोट ऊपर की, तरफ खीचने लगी, सागर को उस पेटीकोट के ऊपर होते हुए देख रहा था, उसे धीरे धीरे सुमन की जांघे दिखाई दे रही थी, गोरी चिकनी जांघो को देख सागर मस्त होने लगा, जब उसने सुमन के जांघो के बिच उसकी काली निक्कर देखी तो उसकी साँस थम सी गयी, सुमन की उभरी हुई फूली हुई चूत कोंदेख सागर के होठ सुख से गए, *

सागर :- अह्ह्ह्ह्ह क्या बात है उम्म्म्म ...बुआ थोडा पास आओ ना..

सुमन फिर से आगे हुई , सागर थोडा झुका और गौर से देखने लगा, एक सास जोर से अंदर की तरफ खिची और....*

सागर :- स्सस्सस्स बुआ उफ्फ्फ्फ़ ...कितनी मस्त खुशबु आ रही है उफ्फ्फ्फ़ बुआ..ये पेटीकोट निकालो ना..ठीक से दिख नहीं रहा,

सुमन :- अरे ये गांठ बहुत पक्की है...ह्म्म्म एक काम कर इसे तू अपने दातो से थोडा ढीला कर दे...

सुमन ने पेटीकोट निचे किया और अपनी कमर को उसकी तरफ करते हुए पेटीकोट की गाँठ हात में लिया,

सागर ने देखा और अपना मुह आगे करके सुमन के कहे अनुसार गाठ खोलने लगा, जहा नाडा बांधते है वहा थोडा कट होता है, उस कट में से सुमन की पॅंटी और जांघ दिख रही थी, सागर *गाँठ खोलने के बहाने से उस कट में से सुमन की जांघ और पॅंटी को चूम रहा था, जुबान से चाट रहा था, सुमन भी तो यही चाहती थी इसीलिए उसने ऐसा किया था, *

सुमन :- स्स्स सागर क्या कर रहा है उफ्फ्फ्फ्फ्फ जल्दी कर ...

सागर :- हा बुआ बस हो गया...

सुमन ने देखा सागर ने दातो से गाँठ ढीली कर दी थी, उसने धीरे से वो खोल दी और अपना पेटीकोट निचे गिरा दिया, सुमन सागर के सामने सिर्फ निक्कर में खड़ी थी, सुमन ने पेटीकोट पैरो से निकाल दिया,

और पलट के अपनी गांड मटकाते हुए सागर से थोडा दूर गयी और वापस पलट के सागर को देखने लगी, सागर सुमन की काली निक्कर में फसी गांड को देख रहा था, सुमन की गांड कुछ ज्यादा ही मांसल थी, गोरी गोरी चिकनी गांड को देख सागर तो जैसे सातवे आसमान में पहुंच गया था, *

सुमन :- देख लो जी भर के...

सागर :- देख ही तो रहा हु.....बुआ आपकी निकर तो सामने से पूरी भीग गयी है...

सुमन ने झट से उसे हाथ से छुपा लिया,

सुमन :- मेरी निकर क्या देख रहा है जरा खुद का देख ....

सागर ने देखा उसके प्रीकम बड़ा सा दाग उसके शार्ट पे दिख रहा था,

सागर :- अब इतना सेक्सी शो चल रहा है ये तो होना ही है...बुआ अपनी निकर को नितम्ब के दरारों में डाल के एक बार मुझे दिखाओ ना....

सुमन अब उसे किसी भी चीज के लिए मना नही करने वाली थी, वो तो चाहती थी की सागर उसे और भी कुछ करने को कहे...क्यू की उसे बहुत ज्यादा मजा आ रहा था, उसने कभी भी इसतरह से अपना जिस्म किसी को नहीं दिखाया था, *

सागर के कहे नुसार सुमन ने पॅंटी को गांड के दरारों में घुसा दिया और पलट के थोडा झुक गयी,

सागर :- उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़ बुआ स्स्स्स्स् क्या लग रही है आपकी...सागर गांड कहना चाहता था मगर उसने खुद को रोक लिया,

सुमन :- अच्छा लगा,

सागर :- बहुत....बुआ सच में आप के जैसे नितम्ब दुनिया में किसी के नहीं होंगे....

सुमन :- और भी कुछ देखना चाहोगे,

सागर :- नेकी और पुच पुच...जल्दी से दिखाओ न...

सुमन सीधी हुई और उसने अपनी पॅंटी सामने से अपनी चूत के लिप्स में डाल दी और सागर की तरफ पलट गई...उसकी आँखों देखते हुए बेड पे बैठी और निचे की तरफ थोडा सा सरक गयी, फिर उसने अपने पैर फैलाये और पॅंटी को पकड़ के ऊपर खीचा, सागर ने देखा सुमन की पॅंटी उसकी चूत में कही खो सी गयी थी, भीगी भीगी चूत कमाल लग रही थी, सुमन की चूत पे बाल थे शायद बहुत दिनों से साफ़ नहीं किये थे, लेकिन सागर को वही सबसे ज्यादा पसंद आ रहा था,

सागर :- उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़ बुआ मार डालोगी क्या स्सस्सस्स कितनी खूबसूरत है बुआ आपकी चूत स्सस्सस्स आहा हा हा..और बालो की वजह से तो चार चाँद लग गए उसकी खूबसूरती पे,

सागर के मुह से चूत सुनके सुमन का रोम रोम सिहर उठा,

सुमन :- अच्छा, इतनी अच्छी लगी तुझे, तुझे बालो वाली चूत पसंद है,

सुमन अब खुलके शब्दों का प्रयोग कर रही थी क्यू की उसे अब चुदने की इच्छा बहुत तीव्र होने लगी थी, वो जल्द से जल्द सागर का लंड अपनी चूत में लेना चाहती थी,

सागर :- बालो वाली या बिना बालो वाली...मुझे तो बस आपकी चूत पसंद है बुआ स्स्स्स्स् देखो ना कैसे झटके मार रहा है मेरा *उफ्फ्फ्फ़ आप जिस अदा से अपना बदन मुझे दिखा रही हो उससे तो ऐसे लग रहा है जैसे मेरा पानी तो ऐसे ही छूट जाएगा,

सुमन :- हा हा हा..पागल कुछ भी बोलता है...

सागर :- सच में ....बुआ अब इतना दिखा ही चुकी हो तो पॅंटी निकाल दो ना...

सुमन ने कुछ नहीं बोला, वो सिर्फ सागर की तरफ देख के एक कातिल स्माइल दी और धीरे धीरे अपनी पॅंटी उतारने लगी, सुमन अब पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी, सागर उसे आखे फाड़ के देखे जा रहा था, सुमन अधलेटी उसे मुस्कुराती हुई देख रही थी,
 
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भाग 24

सुमन पूरी तरह से लेट गयी और एक साइड में करवट लेके अपने एक हाथ पे सर टिका दिया,

सुमन :- आखिर तूने मुझे नंगा कर ही दिया ना...

सागर :- मैंने कहा किया,

सुमन :- तूने ही तो किया है...

सागर :- मेरे तो हाथ पाँव बाँध रखे है आपने...बुआ प्लीज खोल दो ना...

सुमन :- ना बाबा ना...मैं नहीं...मैं ये रिस्क नहीं लेना चाहती...

सागर :- क्या बुआ आप भी ना...ठीक है हाथ मत खोलो...लेकिन आपको मैं जो बोलू वो करना पड़ेगा,

सुमन :- क्या, मैंने पहले ही बहुत कुछ कर दिया है अब मैं कुछ नहीं करुँगी...

सागर :- बुआ बस ये आखरी बार मान लो...

सुमन :- ठीक है...पता नहीं आज तू मुझसे क्या क्या करवाएगा...

सागर :- थोडा सीधा होके लेट जाओ और अपने पैरो को फैला के मुझे आपकी चूत दिखाओ....

सुमन ने सागर ने जैसा कहा वैसा किया, सागर

सुमन की चूत को देखने लगा,

सागर :- वाओ बुआ स्स्स्स्स् लाजवाब चूत है आपकी स्सस्सस्सस...बुआ दोनों हातो से फैलाके अंदर का हिस्सा दिखाओ ना...

सुमन थोड़ी पीछे हुई और थोडा सा बैठ के अपनी चूत को दोनों हाथो से फैलाके सागर को दिखाने लगी,

सुमन :- उम्म्म्म स्स्स्स्स् कैसी लग रही सागर,

सागर :- उफ्फ्फ्फ़ बुआ एकदम मस्त स्स्स्स्स् कितनी गीली हो रही है स्सस्सस्स

सुमन :- अब तू ये सब करवा रहा है तो गीली होना तो लाजमी है...

सागर :- बहुत गरम हो गयी हो आप...आप क्या करती हो ऐसी गरम हो जाती है तो,

सुमन :- क्या करुँगी, उंगली से रगड़ के अंदर डाल के पानी निकाल लेती हु...

सागर :- तो फिर करो न मेरे सामने स्स्स्स्स्

सुमन :- स्स्स्स्स्स्स्स अह्ह्ह्ह्ह सागर उफ्फ्फ्फ्फ़*

सागर :- क्या हुआ बुआ,

सुमन :- तूने ये बात करके मेरे अंदर की आग बहुत ज्यादा भड़का दी है...

सागर :- उसे ठंडा करने का सामान मेरे पास है बुआ...

सुमन :- स्स्स्स उम्म्म्म नहीं चाहिए अह्ह्ह मैं अपने उंगली से ही कर लुंगी...

सुमन का मन तो हो रहा था चुदने का मगर वो सागर को और तड़पाना चाहती थी, उसे ऐसे बहुत मजा आ रहा था, उसे पता था की सागर के साथ ये उसकी पहली रात है लेकिन आखरी नहीं...जिस तरह से सागर उसके आगे गिड़गिड़ा रहा है आगे वो ऐसा नहीं करेगा...क्यू कि एक बार उसने लंड अपनी चूत में ले लिया तो सागर उसकी कोई बात नहीं मानने वाला...और सुमन इस रात को दोनों के लिये कभी ना भूलने वाली रात बनाना चाहती थी,

सागर :- जैसी आपकी मर्जी...

सुमन ने एक हात से अपने चूची दबाने लगी और दूसरे हाथ से चूत को सहलाने लगी, सुमन सेक्सी आवाजे निकालती हुई सागर को देख रही थी, सागर कभी सुमन की चूत को देखता तो कभी उसके चेहरे को, सुमन अपना निचे का होठ दातो में दबा के बहुत ही सेक्सी अंदाज से सागर को देख रही थी, सुमन को ऐसे देख सागर पागल सा हो गया,

सागर :- स्स्स्स्स् बुआ उफ्फ्फ्फ़ क्या अदा है आपकी ये स्स्स्स्स् उम्म्म्म्म्म अह्ह्ह आपको ऐसे देखके मजा आ गया शह्ह्ह्ह् अह्ह्ह्ह

सुमन :- उम्म्म्म्म्म उफ्फ्फ्फ्फ्फ मजा तो मुझे आ रहा है ऐसे तेरे सामने चूत रगड़ने में अह्ह्ह्ह्ह स्सस्सस्स आअह्हह्हह्हह उम्म्म्म्म्म*

सागर :- स्सस्सस्स बुआ और भी मजा आता आपको अगर ये मुझे करने देती तो स्स्सस्सह्ह्ह्ह्ह्

सुमन :- उम्म्म्म्म अह्ह्ह्ह्ह नहीं उफ्फ्फ्फ्फ़ सागर अह्ह्ह्ह्ह तू मुझे ऐसे देख रहा है इससे मुझे ज्यादा मजा आ रहा है उफ्फ्फ्फ्फ्फ

सागर :- बुआ अह्ह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ उंगली डालो अंदर स्सस्सस्सस उम्म्म्म रगड़ो उस चूत के दाने कोणाह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् उफ्फ्फ्फ़

सुमन ने अपनी चूत में एकं उंगली घुसा दी और जोर जोर से उसे अंदर बाहर करने लगी,

सुमन :- सागर अह्ह्ह्ह्ह उम्म्म्म कैसा लग रहा मुझे ऐसे देख के अह्ह्ह्ह्ह*

सागर :- बुआ मैं बता नहीं सकता अह्ह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ्फ्फ आप सच में कमाल की हो अह्ह्ह्ह्ह्ह

सुमन :- अह्ह्ह्ह सागर उम्म्म्म्म्म अह्ह्ह्ह्ह स्सस्सस्स मेरा होने वाला है स्स्स्स्स्स्स्स उफ्फ्फ्फ्फ़ अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् माँ उम्म्म्म्म उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़

सुमन झड़ चुकीं थी वो आँखे बंद करके उस पल का मजा ले रही थी, [

सागर ने देखा सुमन की चूत जोर जोर से धड़क रही थी, सुमन की उंगली उसके रस से पूरी तरह गीली हो चुकी थी, सुमन जोर जोर से साँसे लेते हुए थोड़ी देर वहीँ लेटी रही,

सागर का हाल अब बहुत ही ज्यादा ख़राब हो चूका था,

सागर :- उफ्फ्फ्फ्फ़ बुआ कितना पानी छोड़ रही आपकी चूत स्सस्सस्सस बुआ थोडा मुझे चखा दो ना....

सुमन :- उम्म्म्म्म क्यू नहीं स्स्स्स्स् अह्ह्ह्ह

सुमन उठी और सागर के पास गयी और अपनी उंगली को चूत के रस में भिगोया और उसे सागर के मुह में डाल दी, सागर सुमन की उंगली चाटने लगा,

सागर :- अह्ह्ह्ह बुआ बहुत टेस्टी है स्सस्सस्स लेकिन ये क्या बुआ पूरा बर्तन भरा पड़ा है रस से और मुझे उंगली से चखा रही हो....

सुमन :- अच्छा, तो ले अपना मुह बर्तन को ही लगा के पि ले....

सुमन ने एक पाव सागर की जांघ पे रखा और उसका सर पकड़ के अपनी चूत पे उसका मुह रख दिया,

सागर को इसकी बिलकुल भी आशा नहीं थी, वो ख़ुशी से झूम उठा और सुमन की चूत को चाटने लगा, सागर सुमन के झांटो पे लगा रस जुबान से चाट रहा था, सुमन आँखे बंद करके *सागर की जुबान का स्पर्श का मजा ले रही थी, सागर अब उसकी चूत फाको को चूस रहा था, सागर ने सुमन की चूत को चाट चाट पूरा साफ़ कर दिया,

सागर :- अह्ह्ह्ह्ह बुआ स्सस्सस्स सच में बहुत स्वादिस्ट रस है आपकी चूत का उम्म्म्म्म्म

सुमन :- उम्म्म्म्म तू ना बहुत ही चालाक है....मुझे नंगा कर दिया मेरी चूत भी चाट ली लेकिन अपना कुछ भी नहीं दिखाया,

सागर :- तो हाथ खोल दो अभी मैं भी नंगा हो जाता हु, फिर देख लो जो देखना है,

सुमन :- तुम्हारे पास तो सिर्फ ये ही दिखाने के लिये..(सुमन सागर के लैंड पे पाँव रख के उसे सहलाती हुई बोली, ) और इसे तो मैं खुद ही देख सकती हु, इसके लिए तेरे हाथ खोलने किंक्या जरुरत है, उम्म्म्म्म देख तो जरा कितना पानी छोड़ रहा है पूरा पैंट गिला कर दिया है,

सागर :- तो देख लो मैंने कब मना किया है,

सुमन निचे बैठ गयी , वो सागर की आँखों में देखते हुए उसके लंड के ऊपर हाथ रखा और ऊपर से निचे तक सहलाने लगी, सुमन सागर के लंड का साइज़ देख के हैरान थी और खुश भी, उसके अपेक्षा से भी बड़ा निकला था सागर का लंड,

सागर :- स्स्स्स्स् बुआ उफ्फ्फ्फ़ बहुत अच्छा लगा रहा अह्ह्ह्ह स्स्स्स

सुमन :- अह्ह्ह्ह उम्म्म और भी अच्छा लगेगा रुक जरा...

सुमन ने पैंट के ऊपर से ही सागर का लंड मुठी में पकड़ा, जहा प्रीकम का दाग था वहा उंगली घुमाई,

सुमन :- स्स्स्स्स् खुशबु तो बहुत अच्छी आ रही है ...जरा देखु तो स्वाद कैसा है...सुमन उस दाग को जुबान से चाटने लगी, ...उम्म्म्म बहुत अच्छा है,

सागर :- बुआ और भी अच्छा लगेगा ...बाहर निकाल के सीधा मुह लगाके *चटोगी तो...

सुमन :- अच्छा, फिर तो ट्राय करना ही पड़ेगा,

सुमन ने सागर का शार्ट और अंडरवियर एक साथ पकड़ के निचे सरकाई , सुमन ने जैसे ही सागर के लंड को बाहर निकलने के लिए जगह दी वो एकदम से उड़ के बाहर आया, सुमन एक पल के लिए डर सी गयी,

उसने देखा सागर का लंबा मोटा लंड झटके मार रहा है, सुमन ने उसे मुठी में पकड़ा, उसने देखा सागर का पूरा लंड भीगा हुआ था, एक घंटे से चल रहा शो देख के सागर का प्रीकम ने पूरा लंड गिला गिला कर दिया था,

सुमन :- उफ्फ्फ्फ्फ़ सागर कितना बड़ा है तेरा लंड स्सस्सस्स उफ्फ्फ्फ्फ्फ लंड इतना मोटा और लंबा भी हो सकता है मैंने कभी सोचा ही नहीं....अह्ह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स्स्

सागर :- बुआ उफ्फ्फ्फ् सस्सस्सस्स बहुत देर से तड़प रहा था बाहर आने के लिये अह्ह्ह्ह्ह अब अच्छा लग रहा है,

सुमन ने सागर के लंड को दो तिन बार ऊपर निचे किया,

सुमन :- स्स्स्स्स् अह्ह्ह कितना गरम है अह्ह्ह गिला है फिर भी उफ्फ्फ्फ्फ़

सुमन ने सागर की आखो में देखते हुए उसका लंड निचे से ऊपर तक जुबान से चाटा,

सुमन :- उम्म्म्म सच में बहुत मस्त स्वाद है ,

सागर :- अह्ह्ह्ह्ह बुआ स्स्स्स्स् मुह में ले लो ना अह्ह्ह्ह

सुमन ने सागर के लंड के सुपाड़े को धीरे से अपने मुह में लिया और उसे जुबान से गोल गोल चाटने लगी,

सागर :- स्सस्सस्स बुआ उफ्फ्फ्फ्फ़ बहुत अच्छा लग रहा है स्स्स्स्स्स्स्स

सुमन ऐसे ही उसके लंड से खेलती रही,

सागर पहले से बहुत उत्तेजित था, और सुमन लंड को चूसने में महारथ हासिल थी,

सागर :- अह्ह्ह्ह्ह्ह बुआ उफ्फ्फ्फ्फ़ क्या मस्त लंड चूसती हो आप स्स्स्स्स् उफ्फ्फ्फ्फ़

सुमन :- सागर अह्ह्ह्ह्ह बहुत बड़ा लंड है तेरा मेरा मुह दर्द करने लगा है स्सस्सस्सस लेकिन मजा भी बहुत आ रहा है अह्ह्ह्ह्ह्ह

सागर :- बुआ बस थोडा और मेरा पानी निकलने वाला ही है,

सुमन ये सुनके थोडा तेजी से उसको अपने मुह में अंदर बाहर करने लगी,

सागर :- अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह बुआ उफ्फ्फ्फ्फ़ हा हा ऐसे ही उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़् अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् हो गया हो गया अह्ह्ह्ह्ह्ह्ग्गह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्

सागर सप् सप् अपने वीर्य की पिचकारी उड़ाने लगा सुमन ने सागर के लंड के सुपाड़े को पकका अपने होठो में जकड लिया वो सागर का पूरा वीर्य पि जाना चाहती थी, सागर ने सुमन का पूरा मुह वीर्य से भर दिया, जब सागर का लंड शांत हुआ सुमन ने अपना मुह हटाया, वो सागर की आँखों में बड़ी ही मादकता से देखती हुई पूरा वीर्य पि गयी,

सागर :- उफ्फ्फ्फ़ बुआ आप जैसीं सेक्सी औरत मैंने आजतक नहीं देखी....

सुमन :- स्सस्सस्सस अह्ह्ह्ह्ह कितना पानी छोड़ता है रे तू स्सस्सस्सस उम्म्म्म्म्म मजा आ गया उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़

सागर :- सच में बुआ मजा आ गया, अब तो मुझे खोल दो,

सुमन ने सागर के हाथ पाँव खोल दिए, सागर उठा और सुमन को गले लगा लिया, सुमन भी उससे चिपक गयी, *
 
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भाग 25

सुमन और सागर थोड़ी देर ऐसे ही एक दूसरे की बाहों में खड़े रहे, फिर सुमन ने उसे छोड़ने को कहा, सागर ने उसे छोड़ दिया, सुमन बेड पे रखे अपने कपडे उठाने लगी,

सागर :- बुआ क्या कर रही हो...

सुमन :- क्या मतलब, कपडे पहन रही हु,

सागर ने उसके कपडे पकड़ लिए,

सागर :- क्यू बुआ,

सुमन :- क्यू मतलब, अरे देख 2.30 बज रहे है...सोना नहीं है क्या, छोड़ जल्दी से...

सागर :- नहीं बुआ...क्या आप मुझे चोदने नही दोगी,

सागर का, ऐसे डायरेक्ट सवाल से सुमन सिहर उठी,

सुमन :- नहीं ...जितना हुआ बस है...

सागर ने उसके हाथ से झटके से कपडे छीने और उसकी तरफ बढ़ के उसे बाहों में ले लिया, सुमन उसे छुड़ने की कोशिस करने लगी, उसे हाथो से धकेलने लगी, सागर ने उसके हाथ पकडे और पीछे की दिवार पे सटा दिया, उसके होठो के पास अपने होठ लेके गया, सुमन अब हिल नहीं रही थी,

सागर :- धीरे से...बुआ चोदने दो ना प्लीज...मुझे पता है बुआ आपको भी चुदने का मन है...

सुमन :- सागर क्या बोल रहा है तू...

सागर :- हा बुआ ...देखो ना मेरा लंड झड़ने के बाद भी खड़ा है...सागर ने सुमन का हाथ पकड़ा और अपने शॉर्ट्स के अंदर डाल दिया, , सुमन ने देखा की सचमुच सागर का लंड अब भी काफी टाइट था,

सुमन :- उम्म्म्म हा रे ये तो सच में अभी भी टाइट है,

सागर :- हा बुआ बस अब वो आपकी चूत चोदके ही शांत होगा...

सुमन :- स्स्स्स्स् सागर उफ्फ्फ तो फिर चोद ना मुझे अह्ह्ह्ह बहुत प्यासी है रे मेरी चूत स्सस्सस्स अह्ह्ह्ह आज मेरी प्यास बुझा दे अपने इस लंबे मोटे लंड से अह्ह्ह्ह

सागर :- स्स्स्स बुआ आप बिलकुल फ़िक्र मत करो बुआ अह्ह्ह्ह ऐसे चोदुंगा आपको की आप हर पल बस इस चुदाई को ही याद करोगी....

सुमन :- सागर अह्ह्ह्ह*

सागर :- बुआ....

सागर ने सुमन की आखो में देखते हुए उसके होठो को अपने होटो में कैद कर लिया और चूसना सुरु कर दिया, सुमन भी उसे किस करने लगी, थोड़ी देर वो ऐसे ही किस करते रहे,

सुमन :- आह्ह सागर फालतू में इतने दिन ख़राब किये हमने स्स्स्स मुझे पता होता की तूझे मैं इतनी पसंद हु तो कबका तुझसे चुदवा लेती स्स्स्स

सागर :- कोई बात नही बुआ अब बचे दिनों में सब हिसाब बराबर कर दूंगा स्स्स्स

सुमन :- स्स्स्स हा रे उम्म्म्म्म...सागर चल निकाल कपडे स्स्स्स और सुरु हो जा...

सागर :- स्स्स हाय रे देखो तो जरा कितनी उतावली हो रही है मेरी बुआ चुदवाने के लिए...

सुमन :- क्या करू कई दिनों से लंड नही गया है चूत में स्सस्सस्स

सागर :- उम्म्म्म अभी लो मेरी *बुआ स्स्स्स्स्...पहले जरा अपने इन प्यारे से होठो से चुसके उसे टाइट तो कर दो ना...

सुमन ने सागर का टी शर्ट निकाल दिया, फिर उसे छाती पे किस करती हुई निचे गयी और फिर उसका शॉर्ट्स अंडरवियर के साथ निचे कर दिया, सागर ने उसे पैरो से निकाल के फेक दिया, सुमन ने सागर का लंड पकड़ा और उसे चूसने लगी,

सागर सुमन के बालो में उंगिलिया दाल के सहलाने लगा, सुमन ने दो, मिनट में ही उसका लंड चुसके एकदम रॉड जैसे कड़क कर दिया,

सुमन :- अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स्स् सागर उफ्फ्फ्फ्फ़ तेरा ये लंड आःह्ह्ह*

सागर :- उम्म्म्म बुआ सच में आपके होठो में जादू है स्स्स्स दो मिनट में ही खड़ा कर दिया इसे स्स्स्स

सागर ने सुमन को उठाया और वहा टेबल पे बिठा दिया, उसके पैरो को फैलाया और चूत को देखा,

वो फिर से गीली होने लगी थी,

सागर :- उम्म्म्म बुआ बड़ी रंडी है आपकी चूत स्स्स्स्स् देखो तो उसे चाट के गिला करने की जरुरत ही नही है स्स्स्स्स्

सुमन :- अह्ह्ह्ह्ह्ह सागर स्स्स्स हा रे ...तेरा लंड का जादू चल गया है उसपे स्स्स्स्स्

सागर ने अपना लंड पकड़ा और सुमन के चूत पे रगड़ने लगा, सागर अपना लंड पकड़ के सुमन के चूत के फाको में घुमा रहा था और सुमन के चेहरे को देख रहा था, सुमन अपनी आँखे बंद करके सीसीसीसीसीसी अह्ह्ह करते हुए मजे ले रही थी,

सागर :- कैसा लग रहा है मेरी जान स्स्स्स

सुमन :- बहुत अच्छा आह्ह्ह्ह्ह् क्यू तड़पा रहा है स्स्स्स डाल दे ना अंदर अह्ह्ह्ह्ह*

सागर :- आपने कितना तड़पाया है मुझे ...थोडा खुद भी तड़पने का मजा लो स्स्स्स

सुमन :- अह्ह्ह्ह मैं भी तड़प ही रही थी मेरे राजा अह्ह्ह्ह चोद ना रे जल्दी से अह्ह्ह्ह्ह

सागर भी अब बेताब हो उठा था, उसने सुमन के चूत के छेद पे अपना लंड सटाया और धीरे से थोडा अंदर डाला.... सुमन की चूत बहुत गीली थी सागर का लंड फिसलता हुआ अंदर जा रहा था, सुमन उस तगड़े लंड को अपनी चूत में जाता महसूस कर रही रही, सागर ने धीरे धीरे अपना पूरा लंड अंदर डाल दिया, सुमन को थोडा दर्द हो रहा था, उसकी चूत को सागर के लंड ने फैला सा दिया था,

सुमन :- अह्ह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ्फ़ कितना फिट बैठ गया रे अह्ह्ह्ह

सागर :- हा बुआ स्स्स्स्स् जैसे आपकी चूत के लिए ही बना है उफ्फ्फ्फ्फ़

सुमन :- स्सस्सस्स कहा रे उफ्फ्फ्फ्फ़ फाड़ दी मेरी चूत स्सस्सस्स तेरे लंड ने अह्ह्ह्ह

सागर :- स्स्स्स्स् कुछ भी क्या बुआ स्स्स्स्स् लंड से कहा फटती है चूत स्स्स्स्स्

सुमन :- अह्ह्ह्ह लेकिन तेरा लंड लंड नहीं खूंटा है अह्ह्ह्ह्ह *उफ्फ्फ्फ्फ़ इतना मोटा और लंबा लंड होता है क्या किसीका,

सागर :- अह्ह्ह्ह्ह उम्म्म्म ऐसा है तो आप तो कुछ चिल्लाई भी नही...

सुमन :- तू बाते ही करेगा क्या अह्ह्ह्ह्ह्ह सुरु कर ना मेरे राजा स्स्स्स्स्

सागर :- उफ्फ्फ्फ़ बुआ जब ऐसे बोलती हो ना एकदम रंडी लगती हो स्स्स्स्स्

सुमन :- अह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स्स् उम्म्म्म्म हा रे रंडी ही हु मैं अह्ह्ह्ह्ह्ह तेरी रंडी बुआ अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह चोद जल्दी से अह्ह्ह्ह्ह्ह

सागर सुमन की बाते सुन के जोश में आ गया और अपना लंड सुमन की चूत में आगे पीछे करने लगा, पहले तो धीरे धीरे ...फिर उसने अपनी स्पीड बढ़ा दी,

सुमन :- अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स्स् धीरे कर अह्ह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़ स्स्स्स्स् जोर से अह्ह्ह्ह्ह उईईईईई माँ मर गयी उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्

सुमन को बहुत मजा आ रहा था, सागर का हर धक्का उसे स्वर्ग में पहुंचा रहा था, सागर भी सुमन की चुचिया पकड़ के दबाते हुए उसकी चूत चोद रहा था, *

सागर :- अह्ह्ह्ह बुआ उफ्फ्फ्फ्फ्फ आपकी चूत बड़ी मस्त है अह्ह्ह्ह बिलकुल आपके जैसी अह्ह्ह्ह्ह्ह*

सुमन :- अह्ह्ह्ह्ह उम्म्म्म्म्म*

सागर :- अह्ह्ह्ह कैसे जकड रही है मेरे लंड को उफ्फ्फ्फ्फ्फ स्स्स्स्स्*

सुमन :- अह्ह्ह्ह्ह्ह स्सस्सस्स तेरा लंड है ही ऐसा अह्ह्ह्ह्ह

सागर सुमन को अब बहुत स्पीड से चोद रहा था, सुमन कुछ मिनटो में झड़ गयी थी, लेकिन अब सागर के धक्के रुकने वाले नहीं थे, सुमन भी नहीं चाहती थी की वो रुके, *

सुमन :- अह्ह्ह्ह्ह मेरे राजा अह्ह्ह्ह क्या चोदता है रे तू स्सस्सस्सस अः और और अह्ह्ह्ह बोहत बढ़िया अह्ह्ह्ह्ह उम्म्म्म्म्म्म्म ऐसे ही उफ्फ्फ्फ्फ्फ अह्ह्ह्ह्ह धीरे अह्ह्ह्ह्ह हाआआआआआआआआआआआ जोर से स्स्स्स्स्स्स्स गग्ग्ग्ग्ग्ग्ग्ग्ग अह्ह्ह्ह्ह्ह*

सागर :- अह्ह्ह्ह्ह बुआ अह्ह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स्स्स्स्स उम्म्म्म्म्म

उस पुरे कमरे में दबी हुई आवाज में सिर्फ सिस्कारिया गूंज रही थी,

सुमन ने सागर को एक पल के लिए रोका, वो टेबल के निचे उतरी और पलट के खड़ी हुई,

सागर ने पीछे से उसकी चूत में लंड डाला और फिर वापस से उसे चोदने लगा, सागर ने देखा की सुमन की गांड बहुत ही चिकनी और मांसल है,

सागर :- अह्ह्ह्ह्ह्ह बुआ उफ्फ्फ्फ्फ्फ कितनी मस्त है आपकी गांड अह्ह्ह्ह्ह स्सस्सस्स*

सुमन :- स्सस्सस्स उम्म्म्म्म हा मुझे पता है तुझे मेरी गांड बहुत पसंद है स्सस्सस्स

सागर :- स्स्स्स कैसे पता है बुआ,

सुमन :- अह्ह्ह्ह मैंने देखा है तुझे मेरी गांड को देखते हुए अह्ह्ह्ह्ह

सागर :- उम्म्म्म्म स्स्स्स्स् हा क्या, बुआ एक बात और बोलू अह्ह्ह्ह आपके गांड का छेद भी बहुत अच्छा है स्सस्सस्स

सुमन :- अह्ह्ह्ह मेरी गांड मारने का इरादा है क्या स्स्स्स्स्स्स्स

सागर :- हा बुआ अह्ह्ह्ह्ह उम्म्म्म्म्म

सुमन :- अह्ह्ह्ह्ह स्सस्सस्स पहले मेरी चूत को ठंडा कर अह्ह्ह्ह्ह फिर गांड चोदना स्स्स्स्स्स्स्स

सागर :- स्सस्सस्स उम्म्म्म्म्म ठीक है बुआ....

सागर ने ये सोचा की जोर जोर से चोद के बुआ की चूत के बारां बजा दूंगा और फिर गांड मारूँगा, सागर सुमन की कमर पकड़ के बहुत ही स्पीड से सुमन को चोद रहा था, सुमन सागर के लंड के घर्षण से पागल सी हो गयी थी, वो भी अपनी गांड पीछे करके उसका पूरा साथ दे रही थी, वो एक बार और झड़ गयी थी,

सुमन :- अह्ह्ह्ह्ह सागर उफ्फ्फ्फ्फ्फ आज तक मेरी चुदाई ऐसी कभी नहीं हुई रे अह्ह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स्स्स्स्स बड़ा मस्त चोदता है तू स्स्सस्सस्सस्सस्स

सागर :- अह्ह्ह्ह्ह बुआ उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़ मैंने भी आजतक आपके जैसी चुद्दकड़ रंडी नहीं चोदी अह्ह्ह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़

सुमन :- अह्ह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स्स्स्स्स उम्म्म्म्म्म अह्ह्ह्ह्ह मैं तीसरी बार झड़ी हु आज अह्ह्ह्ह्ह अब बस कर अह्ह्ह्ह्ह पिछले 25 मिनट से चूत चोद रहा है अह्ह्ह्ह्ह्ह स्सस्सस्स छिल गयी है मेरी चूत अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह

सागर :- अह्ह्ह्ह बुआ बस 10 *मिनट और मेरा भी हो जायेगा अह्ह्ह्ह्ह

सुमन :- अह्ह्ह्ह्ह सागर स्स्स्स्स् मुह से कगुस के कर देती हु अह्ह्ह्ह्ह

सागर :- अह्ह्ह्ह बुआ गांड में डालू क्या अह्ह्ह्ह्ह्ह

सुमन :- अह्ह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स्स् ठीक है अह्ह्ह्ह वैसे मैंने भी बहुत, दिनों से गांड नहीं चुदवाई अह्ह्ह्ह्ह्ह

सागर की तो जैसे मुराद पूरी गयी थी, उसने सुमन के गांड का छेद को अपने थूक से बहुत गिला किया, अपने लंड को भी गिला किया और, धीरे धीरे सुमन की गांड में डालने लगा, सुमन दर्द के मारे चिल्लाने लगी,

सुमन :- अह्ह्ह्ह्ह सागर नहीं उफ्फ्फ्फ्फ्फ निकाल अह्ह्ह्ह बहुत दर्द हो रहा है स्सस्सस्सस*

सागर :- बस बुआ अह्ह्ह्ह्ह थोडा सा और अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह*

सागर ने धीरे धीरे पूरा लंड सुमन की गांड में घुसा दिया, और थोड़ी देर ऐसे ही खड़ा रहा,

सागर :- अह्ह्ह्ह्ह बुआ कितना मस्त लगता है गांड में अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह स्सस्सस्स

सुमन :- अह्ह्ह्ह्ह मेरी जान निकली जा रही है और तुझे मजा आ रहा है उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़

सागर :- धीरे धीरे अपना लंड आगे पीछे करते हुए...बस बुआ अब कम हो जाएगा, फिर आपको भी गांड मराने में मजा आने लगेगा अह्ह्ह्ह्ह

सुमन :- अह्ह्ह्ह्ह हा मुझे पता है स्सस्सस्स लेकिन अह्ह्ह्ह अभी तो बोहोत दर्द हो रहा है स्सस्सस्स

सागर सुमन की कसी हुई गांड का मजा ले रहा था, धीरे धीरे लंड अंदर बाहर कर रहा था, उसके लंड से निकलता प्रीकम सुमन की गांड को गिला कर रहा था, जैसे जैसे सुमन की गांड गीली होती गयी उसका दर्द कम होता गया, सागर का लंड अब आराम से अंदर बाहर हो रहा था,

सुमन :- अह्ह्ह्ह्ह सागर उम्म्म्म्म अब ठीक लग रहा है स्सस्सस्स

सागर :- उम्म्म्म हा बुआ अब मेरा लंड आराम से अंदर बाहर हो रहा है स्सस्सस्सस

सुमन :- अह्ह्ह्ह्ह उम्म्म्म्म्म स्स्स्स्स्स्स्स अह्ह्ह्ह्ह तू तो हर चीज में एक्सपर्ट है रे अह्ह्ह्ह

सागर :- अह्ह्ह्ह्ह स्सस्सस्स नहीं बुआ गांड पहली बार चोद रहा हु अह्ह्ह्ह्ह

सुमन :- हा क्या, मतलब अब तक चूत बहुत चोदी है तूने...हा,

सागर :- स्सस्सस्सस हा बुआ दो तिन चोदी है स्सस्सस्स

सुमन :- किसकी,

सागर :- बाद में बताता हु स्स्स्स्स्स्स्स अभी तो आपकी गांड मारने दो अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह

सुमन :- अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह स्स्सस्सस्सस्सस्स चोद ना अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह बहुत मजा आ रहा है स्सस्सस्स*

सागर को भी यही चाहिए था, वो अब, थोडा स्पीड से चोद रहा था,

सुमन :- उम्म्म्म्म्म आआआआआआ उई माँ मर गयी रे अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह स्सस्सस्सस कितना मस्त चोदता है रे तू अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ऐसे ही उफ्फ्फ्फ़ अह्ह्ह्ह अह्ह्ह अह्ह्ह मजा आ रहा है उम्म्म्म्म्म्म्म

सागर :- अह्ह्ह्ह्ह्ह स्सस्सस्स बुआ स्सस्सस्स उफ्फ्फ्फ्फ़

सागर अब झड़ने वाला था वो बहुत तेज तेज झटके मारने लगा था, *

सुमन :- धीरे कर रे अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह स्सस्सस्सस उफ्फ्फ्फ्फ्फ कितनी जोर से चोद रहा है अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़

सागर :- अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह बुआ उम्म्म्म्म मेरा पानी निकलने वाला है अह्ह्ह्ह्ह्ह

सुमन :- स्सस्सस्सस हा निकाल दे पानी मेरी गांड में स्स्स्स्स्स्स्स उफ्फ्फ्फ्फ्फ भर दे मेरी गांड अपने वीर्य से अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ्फ़

सागर :- आआआआआआ बुआ उम्मम्मम्मम्मम्मम्मम्मम्मम्म*

सागर ने आखरी झटका मारा और अपना लंड सुमन की गांड में दबा के अपना वीर्य छोड़ने लगा, सागर ने सुमन की गांड अपने वीर्य से भर दी, वीर्य सुमन की गांड से निकल के उसकी चूत की तरफ बहने लगा,

सुमन :- अह्ह्ह्ह्ह्ह कितना वीर्य निकालता है रे तू अह्ह्ह्ह्ह मेरी पूरी गांड भर दी तूने स्सस्सस्सस

**जब उसका वीर्य निकलना बंद हुआ वो बेड पे जाके लेट गया, सुमन भी उसके बाजू में लेट गयी, दोनों भी इस दमदार चुदाई से तृप्त हो चुके थे, उन्हें स्वर्ग, की अनुभूति हो रही थी,

जब *दोनों नार्मल हुए सुमन उठी और सागर की छाती पे अपना सर रखा,

सुमन :- सागर उफ्फ्फ्फ़ आजतक ऐसा मजा नहीं आया रे अह्ह्ह्ह्ह

सागर :- हा बुआ मुझे भी ...लेकिन अभी तो शुरवात हुई है बुआ...

सुमन :- हा अब जितने दिन यहाँ है रोज मेरी चुदाई करना*

सागर :- हा बुआ...और कभी कभी शहर से भी आऊंगा ...

सुमन :- उम्म्म्म हा वो तो तुझे आना ही पड़ेगा,

सागर ने सुमन को अपने बाहों, में लिया और एक लंबा किस किया,

सागर :- बुआ एक बार और हो जाय,

सुमन :- नहीं ...बिलकुल नहीं...जान लेगा क्या मेरी, और टाइम भी देख कितना हो गया है...अब रात तक इन्तजार कर...

सागर :- ठीक है बुआ...

सुमन और सागर उठ के अपने कपडे पहने, सुमन ने उसे फिर से किस किया और वो अपने कमरे में चली गयी,

सागर भी अपने बेड पे लेट के नींद की आगोश में समां गया,
 
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भाग 26

4 5 दिन सागर ने सुमन की खूब चुदाई की, सुमन ने भी अपने सारे छेद सागर के लंड से खूब चुदवाये, सागर ने सुमन को इस कदर संतृष्ट कर दिया था की वो अगले दो महीने तक लंड ना मिले तो भी उसे कोई फरक नहीं पड़ने वाला था,

छुट्टियां खत्म हो चुकी थी, अब प्रभा और सागर को वापस शहर जाना था, प्रभा ने सागर से जो वादा किया था की वो प्रियंका को अपने साथ शहर ले जाने का वो प्रभा ने पूरा किया था,

प्रभा और सागर पहले ही बाइक से निकल गये और प्रियंका और माधवी उनकी स्कूल खत्म कर के शाम को बस से आने वाले थे, प्रभा ने बड़ी चालाकी से प्लान किया था, वो पहले पहुंच के सागर से चुदवाना चाहती थी, *

जैसे ही वो घर पहुंचे प्रभा सीधा सागर को कमरे में ले गयी और बीना कपडे उतारे अपनी साड़ी ऊपर करके पैर फैला के लेट गयी,

प्रभा :- सागर आ जा रे जल्दी से ठोक दे मेरी चूत स्सस्सस्सस 20 दिन से तड़प रही है तेरे लंड के लिए,

सागर ने भी अपना लंड निकाला और प्रभा की चूत में पेल दिया और खच खच चोदना सुरु कर दिया,

सागर :- उम्म्म्म अह्ह्ह्ह मैं भी तो तड़प रहा हु स्सस्सस्स

प्रभा :- स्सस्सस्सस अह्ह्ह्ह्ह्ह अब शांति मिली है उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़ चोद जोर से अह्ह्ह्ह्ह्ह और हा स्सस्सस्स

सागर प्रभा को जोर जोर से चोदता रहा, प्रभा भी अपनी गांड उचका उचका के सागर से चुदती रही, जब सागर ने अपना पानी प्रभा की चूत में छोड़ा तबतक वो दो बार झड़ चुकी थी, जब दोनों शांत हुए तब प्रभा उठी और घर की साफ़ सफाई सुरु की, सागर भी अपना कुछ काम करने लगा ,

जब दोनों के काम खत्म हुए तब फिरसे दोनों चुदाई करने लगे, सागर प्रभा की गांड चोदना चाहता था मगर प्रभा ने उसे मना कर दिया क्यू की वो पहले अपनी चूत ठंडी करना चाहती थी,

शाम को माधवी और प्रियंका पहुंच गए, चारो उस रात बाहर खाना खाने गए, और फिर सब देर रात तक साथ बैठ के बाते करते रहे, सागर ने दोपहर में ही प्रभा की खूब चुदाई की थी इसलिए वो थोडा थक गया था, उसने प्रियंका को दूसरे दिन के प्लान के बारे में बता दिया था सो प्रियंका को भीं पता था की आज रात कुछ नहीं करना, प्रभा और माधवी भी दूसरे दिन के प्लॅनके बारे में जानती थी, मगर उन तीनो को आपस में नहीं पता था की दूसरा जनता है और कोई जाहिर भी नहींकर रहा था,

दूसरे दिन सुबह सागर ने अपने प्लान पे काम करना चालु किया, सागर बाहर जाके तिन मूवी टिकिट ले आया और प्रभा कोंडे दिया और खुद कॉलेज जा रहा हु बोलकर चला गया, मूवी शो 12 का था, प्लान के मुताबिक़ प्रियंका ने तब्येत ख़राब होने का बहाना किया, दिखावे के लिए माधवी ने मूवी का प्लान कैंसिल करने को कहा लेकिन प्रियंका ने जोर देके प्रभा और माधवी को जाने को कहा, प्रभा को तो पता ही था ...फिर प्रभा और माधवी मूवी के लिए निकल गए, माधवी के दिमाग में सिर्फ ये बात चल रही थी की आज प्रियंका और सागर क्या क्या करेंगे कैसे करेंगे...प्रियंका कैसे चुदवायेगी आज सागर से, ये सोच के उसे भी उत्तेजना महसूस हो रही थी,

उसकी चूत में हलचल सी होने लगी थी, माधवी ऑटो में बैठी बार बार टाइम देख रही थी और सोच रही थी की अब क्या हो रहा होगा......

प्रभा माधवी को इतना बेचैन देख तो उसका कारण पूछा मगर माधवी ने कुछ नहीं बोल के टाल दिया, लेकिन उसके तन मन में खलबली सी मची हुई थी, एक तो उसने पहले भी सागर और प्रियंका को साथ देखा था, ऊपर से प्रियंका उसे सागर के साथ फ़ोन पे हुई बाते बताती रहती थी और अब तो वो भी सेक्स में बहुत दिलचस्पी लेने लगी थी,

प्रभा और माधवी सिनेमा हॉल में पहुंचे, वहा कुछ खास *भीड़ नहीं * थी, मूवी सुरु होने में अभी थोडा वक़्त था, वो वहा अपने लिए खाने और पिने का सामान ले रहे थे, माधवी ने गुलाबी रंग का सलवार सूट पहना था, उसमे वो बहुत ही कमाल की लग रही थी, वहा जितने भी लोग थे सभी माधवी को ही देखे जा रहे थे, एक तो शहर में आजकल लगभग सभी लडकिया जीन्स ही पहनती है , इसलिए माधवी को ऐसे पारंपरिक लिबास में देख सभी का मन उसकी और आकर्षित हो रहा था, *

प्रभा और माधवी अंदर जाके बैठ गए, *माधवी के बाजु वाली सीट पे कोई नहीं था क्यू की उसकी टिकिट तो उनके पास ही थी, प्रभा की बाजू में एक जवान लड़का बैठा हुआ था जो की अपनी गर्लफ्रेंड के साथ आया था, मूवी सुरु हो चुकी थी, सभी लोग मूवी देखने लगे, प्रभा के बाजू वाला लड़का अँधेरे का फायदा उठा रहा था, वो अपनी gf का हाथ पकड़ रहा था उसे किस कर रहा था उसकी चुचिया भी दबाना सुरु कर दिया था, वो सब सावधानी से कर रहा था मगर प्रभा को कुछ टाइम के बाद मालुम पड़ ही गया, प्रभा का ध्यान अब मूवी से हटके उन दोनों पे था, कुछ देर ऐसे ही चलता रहा, माधवी के बाजू में एक सीट छोड़ के एक 45 *48 साल का एक आदमी बैठा था, वो माधवी को तब से देखे जा रहा था जब वो बाहर थी, और अब वो उसके बाजू में एक सीट छोड़ के बैठी थी, वो मूवी कम और माधवी को ज्यादा देख रहा था, अँधेरा होने के बावजूद भी वो माधवी और उसके अंगो को देखने की कोशिस कर रहा था, लेकिन माधवी तो कुछ और ही सोच रही थी, माधवी परदे पे मूवी नहीं सागर और प्रियंका की चुदाई *देख रही थी, वो सिर्फ और सिर्फ उनके बारे में सोच रही थी और वो कल्पना को परदे पे देख रही थी, वास्तव में जो मूवी चल रही थी उसका उसे बिलकुल भी ध्यान नहीं था, वो जैसे जैसे कल्पना में सागर और प्रियंका की चुदाई देखते जा रही थी वैसे वैसे वो उत्तेजित हो रही थी, *

इनसब बातो में इंटरवल कब हुआ उसे पता ही नहीं चला, इंटरवल के बाद वो आदमी उठ के माधवी के पास आया और वहा उसके बाजू में बैठने की इजाजत मांगने लगा, उसने कहा की वो सीट थोड़ी ख़राब है, प्रभा ने देखा की वो आदमी शक्ल से शरीफ लग रहा था और बुड्ढा सा था, प्रभा ने सोचा की इतने शिष्टाचार से इजाजत मांग रहा है तो उसने भी मना नहीं किया, लेकिन वो आदमी बहुत बड़ा ठरकी था, पहले दिखावे के लिए शराफत दिखा रहा था, जैसे ही लाइट बंद हुई उसने अपनी हरकते सुरु कर दी, माधवी ने अपना हाथ बिच वाली रोड पे रखा था, उस आदमी ने पहले अपनी कोहनी माधवी के हाथ से टच की, माधवी को लगा की शायद गलती से हुआ होगा, उसने ध्यान नहीं दिया, लेकिन थोड़ी ही देर में और 2 3 बार छुवा तो माधवी को शक हुआ उसने उस आदमी की तरफ देखा वो आदमी उसकी तरफ ही देख रहा था, वो माधवी की और देख के मुस्कुराया और उसने माधवी को आँख मारी, माधवी का दिल उसकी ये हरकत देख जोर से धड़का, उसने अपना हाथ हटा लिया और मूवी देखने की कोशिस करने लगी, उस आदमी को लगा की शायद ये पंछी फसने वाला नहीं तो उसने आगे कुछ नहीं किया, लेकिन माधवी के दिमाग में अब उथल पुथल मचनी सुरु हो गयी थी,

वो उसकी अगली हरकत का इन्तजार कर रही थी, ऐसे ही 10 मिनट चले गए, लेकिन एक ठरकी इंसान कब तक चुप रहेगा, वो वापस से अपनी कोहनी को थोडा पीछे सरका के माधवी की बाह से एक दो बार टच किया, माधवी पहले ही बहुत ऊटेजित थी ऊपर से ये उसके लिए पहली बार था की कोई आदमी उसके साथ ऐसी हरकत कर रहा है, वो उस आदमी के ऐसे छूने से और भी उत्तेजित होने लगी थी, उसने फिर से तिरछी निगाहो से उस आदमी की और देखा वो भी माधवी को ही देख रहा था,

माधवी की दिल की धड़कने बहुत तेज होने लगी थी, वो आदमी ने अब अपनी कोहनी माधवी के बाह से टच करवाई और वही रहने दी और माधवी के रिएक्शन का इन्तजार करने लगा, माधवी असमंजस में थी क्या करे...उसने कोई हलचल नहीं की, इससे उस आदमी की हिम्मत बढ़ गयी, वो *अपनी कोहनी माधवी की बाह से रगड़ने लगा और धीरे धीरे माधवी की चुचियो की तरफ ले जाने लगा, माधवी को अब उसकी ऐसी हरकतों से मजा आने लगा था, वो चुपचाप बैठ के मजे ले रही थी, वो प्रभा को भी देख रही थी लेकिन प्रभा का ध्यान मूवी में और बाजू वाले लड़के की तरफ था, इधर उस आदमी ने अपनी कोहनी अब माधवी की चूची को टच करवा दिया था और धीरे से कोहनी का दबाव चूची पे डालने लगा,

माधवी को तो जैसे एक झटका सा लगा....पहली बार कोई आदमी उसकी चुचियो को छु रहा था, उसके शरीर में करंट सा दौड़ने लगा था, उसकी चूत में भी हलचल होने लगी थी, उसने उस आदमी की और देखा वो स्माइल करते हुए *माधवी कोंदेख रहा था और अपना लंड सहला रहा था, माधवी ये देख सिहर उठी, माधवी बार बार तिरछी निगाहो से उसके लंड किनौर देखने लगी, ये बात उस आदमी के समझ में आ गयी थी, उसने अपनी अपना हाथ आगे किया और फिर अपनी कोहनी सीधा माधवी के स्तन पे सामने से चिपका दी और दबाव डालने लगा, माधवी अब पूरी तराह से अपने होश खो चुकी थी,

उसका ये किसी आदमी के साथ पहली बार था, उसे डर भी बहुत लग रहा था मगर मजा भी आ रहा था, उसने अपनी चुन्नी ठीक करने के बहाने से ऊपर उठायी और उस आदमी के हाथ के ऊपर डाल दी और थोडा उसकी तरफ खिसक गयी, वो आदमी माधवी की ये हरकत देख बहुत खुश हुआ, उसे समझ आ गया की ये लड़की को मजा आ रहा है, उसने अपना फ़ोन निकाला और उसपे एक msg लिखा ""बाहर टॉयलेट में जाओ मजे करेंगे""

और माधवी को धक्का दिया और मोबाइल दिखाया, माधवी ने वो msg पढ़ा और गर्दन को ना में हिला के मना कर दिया, उस आदमी ने सोचा चलो इसको और गरम करते है ताकि ये तैयार हो जाय, वो अपनी कोहनी से धीरे धीरे माधवी की चूची दबाने लगा, माधवी के दुपट्टे की वजह से वहा क्या हो रहा है ये दिखाई नहीं दे रहा था, फिर उसने अपना हाथ बिच वाले रोड से निचे माधवी के साइड में गिरा दिया, वो सीधा माधवी की जांघो पे जा गिरा,

माधवी उत्तेजना में बहती ही जा राहींथी, उसने अपने दुपट्टे से उसका हाथ ढक लिया, वो माधवी के जांघो को सहलाने लगा दबाने लगा, माधवी को बहुत मजा आ रहा था, उस आदमी ने माधवी का कुर्ता बाजू में किया और अपना हाथ उसकी चूत की तरफ बढ़ाने लगा, माधवी का दिल अब किसी ट्रेन के इंजिन किंतरह दौड़ रहा था, उसकी चूत बहुत गीली हो चुकी थी, उससे ये सब सहन नहीं हों रहा था, उसने उस आदमी का हाथ अपनी चूत के पास पकड़ लिया, उस आदमी ने छुड़ाने की कोशिस की लेकिन माधवी ने मना कर दिया,

वो आदमी माधवी का हाथ अपने हाथो में लिए उसे सहलाने लगा, माधवी अब्ब थोडा रिलैक्स हो गयी थी, थोड़ी देर बाद उस आदमी ने माधवी हाथ पकड़ा और अपने लंड की और ले जाके अपने लंड पे रख दिया, जैसे ही माधवी का हाथ उसके लंड से छुआ माधवी ने झटके से अपना हाथ पीछे खीच लिया, माधवी को ये सब बोहोत अच्छा लग रहा था मगर अंदर से वो बहुत डर रही थी, उसने प्रभा की और देखा प्रभा मूवी देखने खो चुकी थी, उसका ध्यान बिलकुल भी माधवी की तरफ नहीं था, माधवी का हाथ अब भी उस आदमी के हाथ में था वो उसे सहला रहा था, उसने अपना दूसरा हाथ अपनी काख में से क्रॉस करते हुए माधवीबके दुप्पटे के निचे से ले जा के सीधा उसकी चूची पे रख दिया और उसे दबाने लगा,

माधवी उसकी इस हरकत से आह्ह कर उठी, उसकी अनछुई चुचियो पे उस आदमी का हाथ पड़ते ही वो सातवे आसमान में पहुंच गयी, वो आदमी भी माधवी जैसी कच्ची कलि की कड़क और विकसित होती चुचियो को मसल के मजे ले रहा था, उसने देखा की माधवी मजे से अपनी चूची मसलवा रही है तो उसने दुबारा माधवी का हाथ अपने लंड पे रख दिया,

इस बार माधवी ने अपना हाथ नहीं हटाया या हटा ही नहीं पायी, उसका हाथ किसी चुम्बक की तरह उसके लंड से चिपक सा गया, माधवी अपना हाथ बिना हिलाये उस आदमी के लंड का जायजा ले रही थी, वो आदमी अपना लंड बार बार उचका के उसे इशारे दे रहा था, मगर माधवी किसी पुतले की तरह स्तब्ध थी, उसे यकीं नहीं हो रहा था की वो किसी अनजान आदमी का लंड को छु रही है, उस आदमी ने अपना हाथ माधवी की चूची से हटा लिया था, लेकिन उसके पहले उसने खूब मसला था माधवी की चुचिया, माधवी उसके ऐसे मसलने से बहुत उत्तेजित हो चुकी थी, उसकी चूत पानी छोड़ छोड़ के परेशान हो चुकी थी, उसकी पूरी पॅंटी भीग चुकी थी,

उस आदमी ने माधवी के हाथ को पकड़ा और अपना लंड के इर्द गिर्द उसका हाथ लपेटा और 4 5 ऊपर निचे मुठ मारने जैसा किया और छोड़ दिया, माधवी भी अब जोश में आ गयी थी, वो उस आदमी के लंड को पकड़ के दबाने लगी, वो आदमी माधवी के कोमल हाथो का स्पर्श से रोमांचित हो उठा, वो *आराम से बैठ गया और अपना हाथ वापस से माधवी की जांघो पे रख दिया, और धीरे धीरे कुर्ते के निचे से माधवी की चूत की तरफ बढ़ाने लगा और माधवी के चूत को छूने की कोशिस करने लगा, लेकिन उसका हाथ ठीक से पहुंच नहीं पा रहा था,

माधवी अब खुद चाहती थी की अब वो आदमी उसकी चूत को सहलाये, वो थोडा आगे हुई और अपने पैर फैला दिए, ये देख के वो आदमी बहुत खुश हुआ, उसने अपना हाथ माधवी की चूत पे रखा और सहलाने लगा, माधवी उसके छूने से पागल सी हो उठी, उसने कई बार अपनी चूत को छुवा था मगर जो मजा आज उस आदमी के छूने से उसे आ रहा था वो कभी नही आया था, जिंदगी में पहली बार कोई आदमी उसकी चूत को सहला रहा था,

वो उसके लंड को जोर से मुठी में पकड़ने लगी,

उस आदमी दे देखा की माधवी की चूत से निकल रहा पानी की वजह से उसकी सलवार भी गीली हो चुकी थी, उसने कोशिस करके माधवी के चूत के दाने को खोज निकाला और उसे सहलाने लगा, माधवी उसकी इस हरकत से बेहद पागल हो गयी, उसकी आँखे उत्तेजना से बंद सी होने लगी, उसके मुह से सिस्कारिया निकलने को बेताब हो उठी थी, उसने अपनी दूसरे हाथ की उंगली दातो में दबा ली और अपनी सिस्कारिया दबाने लगी,

उस आदमी ने वापस से उसे वही msg दिखाया, माधवी का मन तो बहुत कर रहा था मगर डर के मारे उसने फिर से मना कर दिया, उस आदमी ने भी सोचा की अब मूवी कुछ ही देर में खत्म हो जायेगी इससे अच्छा की यही बैठे बैठे मजे कर लेते है,

उसने अपनी पैंट की झिप खोली और माधवी का हाथ झिप से अंदर डाल दिया, माधवी अब इतनी जोश में थी की उसने खुद से उसकी अंडरवियर के अंदर अपना हाथ डाला और उसका लंड पकड़ लिया, *

माधवी :- (मन ही मन) अह्ह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स्स् उफ्फ्फ्फ्फ्फ कितना अच्छा लग रहा है उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़ स्स्स्स्स्स्स्स कितना गरम है ये लंड अह्ह्ह्ह्ह्ह काश की यहाँ कोई नहीं होता तो इसका लंड देख तो लेती उम्म्म्म्म कितना कड़क है ये स्सस्सस्सस सच में मोबाइल पे कितना भी देख लो रियल का अपना ही मजा होता है स्सस्सस्सस उम्म्म्म्म्म

माधवी उस आदमी के लंड कों पकड़ के मस्त उसकी मुठ मारने लगी थी, वो आदमी माधवी के नाजुक कोमल हाथो स्पर्श से बहुत ज्यादा उत्तेजित हो चूका था, माधवी का हाल भी उससे कुछ अलग नहीं था, वो आदमी लगातार माधवी की चूत सहला रहा था, माधवी अब अपने मंजिल के बहुत करीब थी, वो अपनी चूत थोडा आगे आगे कर रही थी और उस आदमी की मुठ मार रही थी, माधवी ने अपनी आँखे बंद कर ली थी, वो आदमी बहुत तेजी से अपनी उंगली माधवी के चूत के दाने से रगड़ रहा था, आखिर वो पल आ ही गया, माधवी ने उसका हाथ पकड़ लिया और वो झड़ने लगी, कमाल का था वो आदमी उसने सिनेमा हॉल में माधवी कपड़ो के ऊपर से ही झड़ने को मजबूर कर दिया था, माधवी भी अब उसकी मुठ मार रही थी कुछ ही पल में माधवी ने भी उस आदमी का पानी निकाल दिया,

दोनों नार्मल हुए और ठीक से अपनी जगह बैठ गए,

उस आदमी ने msg लिखा और माधवी को दिखाया, उसमे उसने माधवी का फ़ोन नो माँगा था, माधवी ने उसे msg में उसका no माँगा, उसने दे दिया, माधवी ने वो अपने मोबाइल में सेव कर लिया, उस आदमी ने एक और msg लिखा और माधवी को दिखाया "तुम बहुत सेक्सी हो काश मैं तुम्हे अभी चोद सकता...मुझे फ़ोन करना मैं तुम्हे चोदना चाहता हु...बहुत मस्त चुदाई करूँगा एक बार चुदवा के देखो...बार बार चुदने को बेताब हो जाओगी, "

माधवी ने वो msg पढ़ा और उस आदमी तरफ देख के स्माइल कर दी, उस आदमी को लगा की ये लड़की जरूर फ़ोन करेगी और उससे चुदवायेगी,

मूवी अब खत्म होने में ही थी, माधवी मूवी देखने लगी, मूवी खत्म होने के बाद माधवी और प्रभा जाने लगे वो आदमी उनके पीछे ही था, माधवी ने उसे इशारे से जाने को कहा और फ़ोन करती हु कहा, वो चला गया,

इस वाकिये के बाद माधवी के दिल, दिमाग और चूत में खलबली सी मच गयी थी, और खलबली अब क्या क्या नए रंग दिखने वाली थी ये तो वक़्त ही बताएगा..............

इधर जैसे ही माधवी और प्रभा घर से निकले सागर वापस आ गया, प्रियंका उसका ही इन्तजार कर रही थी, सागर अंदर आते ही प्रियंका को गले लगा लिया और एक लंबा किस किया,

सागर :- ओह्ह प्रियंका आखिर वो दिन आ ही गया...

प्रियंका :- हा सागर ...कब से इन्तजार कर रही थी मैं....

सागर और प्रियंका के पास 3 4 घंटे थे, उस टाइम में दोनों ने जमके चुदाई की, प्रियंका के लिए ये पहली बार था, उसे डर बहुत लग रहा था मगर सागर को अब बहुत तजुर्बा हो गया था, उसने बहुत सावधानी और धीरज से प्रियंका की चुदाई की लेकिन जो दर्द पहली बार होता है वो तो प्रियंका को सहना ही पड़ा, बाद में तो वो सागर पे हावी हो गयी थी, कुल मिला के ये दिन दोनों के लिए यादगार रहा,

लेकिन *प्रियंका के साथ चुदाई के बाद सागर की सोच ही बदल गयी, उसे पता चल गया की एक कुवारी लड़की की चूत की चुदाई और चुदी हुई चूत की चुदाई में कितना अंतर होता है, उसने प्रभा और सुमन के साथ की चुदाई और प्रियंका के साथ की चुदाई की तुलना की तो उसे समझ आया की कुवारी चूत को चोदने का एक अलग ही मजा होता है, *

शाम को सब मिलके बाहर खाना खाने गए, माधवी सिनेमा हॉल में हुई घटना के बारे में ही सोच रही थी, वो अभी भी अपनी चूत और स्तन पे उस आदमी का स्पर्श महसूस कर रही थी, प्रियंका की हालात भी बहुत ख़राब थी, उसे ठीक से चलना भी नहीं हो रहा था,

सब ने खाना खाया और वापस घर आ गए, प्रभा अपने कमरे में जाके सो गयी सागर भी अपने कमरे में था, इधर माधवी प्रियंका को छेड़ रही थी उससे पूछ रही थी की क्या क्या हुआ...प्रियंका भी उसे एक एक चीज डिटेल में बता रही थी, जिसे सुनके माधवी का रोम रोम जाग उठा था, उसे भी अब चुदाई की इच्छा होने लगी थी,

दूसरे दिन प्रभा ने माधवी और प्रियंका को शौपिंग करवाई और फिर शाम को दोनों को वापस गाव भेज दिया, सागर चाहता था की प्रियंका एक रात और रुके मगर प्रियंका के घर से बार बार फ़ोन आ रहा था सो प्रभा ने उन्हें भेज दिया,

रात को खाना खाने के बाद सुमन और माधवी बाते कर रहे थे,

सुमन :- तो क्या क्या किया शहर में,

माधवी :- कुछ नहीं मूवी देखी घुमे शॉपिंग किया...

सुमन :- और प्रियंका,

माधवी :- वो भी हमारे साथ ही थी...

सुमन :- मतलब सागर और उसे अकेले में टाइम नहीं मिला,

माधवी :- ओह्ह्ह आपको पता है उनके बारे में, किसने बताया,

सुमन :- सागर ने...तुम लोगो ने तो छुपा के रखा था मुझसे...

माधवी :- नहीं ऐसा कुछ नहीं...आपको कब बताया भैया ने,

सुमन :- उस रात को जब....सुमन के मुह से निकल गया...

माधवी रात का सुनके चौक गयी, उसने सोचा कही सुमन ने चंदू की तरह सागर को भी तो नहीं फसा लिया,

माधवी :- रात को, कब,

सुमन :- माधवी तू गलत मत समझना...एयर तुझसे क्या छुपाना...5 6 दिन पहले रात को सागर और मेरे बिच....वो ..

माधवी :- बुआ...क्या बोल रही हो..भैया और आप ..मतलब की ...सच में बुआ आप ना बहुत बड़ी चुद्दकड़ बन गयी हो...माधवी और सुमन के बिच ये सब नार्मल बाते थी,

सुमन :- क्या करू माधवी...उस रात परिस्थिति ऐसी बन गयी की...लेकिन एक बात कहु...सागर भी कम चोदु नहीं है...मैं तो उसे मना कर रही थी मगर वो माना ही नहीं...और क्या बताऊ क्या चूदी हु मैं उससे अह्ह्ह्ह्ह उसका लंड तो चंदू से भी बड़ा है,

माधवी ने देखा हुआ था सागर का लंड,

माधवी :- ह्म्म्म्म लेकिन ये बात प्रियंका को मत बताना...

सुमन :- नहीं पागल है क्या...

माधवी :- चलो बुआ मैं बहुत थक गयी हु...सोने जाती हु,

माधवी अपने कमरे में बेड पे लेटे लेटे सोच रही थी, सागर ने बुआ को भी चोद दिया ...क्या उसे ये गलर् नही लगा बुआ के साथ...मतलब जो कहानी जो वीडियो मैं देखती हु वो सब सही होता है... भाई बहन माँ बेटा...सब...कही वो वहा शहर में माँ के साथ भी, नहीं नहीं ऐसा नहीं हों सकता...बुआ तो है ही रंडी..उसीने उकसाया होगा...तो क्या अगर मैं उसे उक्साउ तो क्या वो मेरी भी....ये क्या सोच रही है पागल..ऐसा मत सोच....लेकिन कहो कुछ भी...जब कोई मर्द छूता है तो बड़ा मजा आता है...माधवी की चूत गीली हो रही थी,

उसने मोबाइल निकाला और *उसमे वीडियो देखने लगी, उसने नेट पे कुतुहलवश भाई बहन के पोर्न वीडियो खोजे और देखने लगी...उन्हें देख वो बहुत उत्तेजित हो उठी, आज उसे एक अलग ही अहसास हो रहा था, वीडियो में वो कपल की जगह सागर और खुद को देख रही थी, वो इमेजिन कर रही थी की सागर और चुदाई कर रहे है, ऐसे सोचते हुए वो हद से ज्यादा उत्तेजित हो रही थी, अपनी चूत में उंगली डाल के वो अपनी चूत चोदने लगी, *

माधवी :- उफ्फ्फ्फ्फ्फ स्स्स्स आह्ह्ह्ह भैया उम्म्म्म्म चोदो ना और अह्ह्ह्ह स्स्स्स जोर से चोदो अपनी बहन को अह्ह्ह्ह्ह

ऐसे बड़बड़ाने लगी, और कुछ ही देर में वो झड़ गयी, आज बहुत दिनों बाद उसे उंगली करने में मजा आया था,

माधवी :- स्स्स्स्स् उम्म्म्म सिर्फ कल्पना में भैया से चुद्वाके ये मजा आया तो सच में कितना आएगा...प्रियंका भी तो बता रही थी की उसे कितना मजा आया चुदवाके...मुझे भी वो मजा लेना है....और उसके लिए भैया से अच्छा इंसान दूसरा कोई नहीं हो सकता...बुआ और प्रियंका कितनी तारीफ़ कर रही थी उसकी, *

माधवी का एक मन कहता की सागर को फसा ले और दूसरा कहता की ये गलत है, वो फिलहाल असमंजस में थी, लेकिन सच सिर्फ इतना ही था की माधवी अब अपनी चूत में लंड लेना चाहती थी,
 

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