Incest किस्से कच्ची उम्र के.....!!!!

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किस्से कच्ची उम्र के.....!!!!

भाग 1

* दोस्तों ये कहानी सुरु होती है एक छोटे से गाँव से, इस कहानी में रिश्तों में चुदाई की किस्से भी होंगे, तो जिसे इन्सेस्ट पसंद नहीं वो ये कहानी न पढ़े, इसके किरदार के बारे में थोडा बता देती हु,

माधवी :- एक कमसिन खूबसूरत सेक्सी लड़की, बहुत ही सीधी साधी लड़की है, अपने काम से काम रखने वाली लड़की, स्कूल पढाई और परिवार यही इसकी जिंदगी है, सेक्स की दुनिया का ज्यादा कुछ पता नहीं, ❤️❤️❤️❤️

प्रभा :- माधवी की माँ उम्र 36 साल, ये भी बला की खूबसूरत और सेक्सी औरत है, पढ़ी लिखी होने के कारन रहन सहन बहुत अच्छा है,

जसवंत :- माधवी के पिता, ये किसान है, बहुत खेती होने के कारन पैसो की कोई कमी नहीं,

सागर :- माधवी का बड़ा भाई, शहर में पढता है, उम्र 19 साल, महीने में एक बार गाँव आता है सबसे मिलने के लिए, बाकि किरदार भी है, जैसे जिक्र होगा वैसे बताउंगी, तो कहानी सुरु करते है, * *

प्रभा :- माधवी कितनी देर लगाती है नहाने में, चल मुझे खाना बनाना है तेरे बाबा के लिए,

माधवी :- हो गया माँ...आ रही हु, ठीक से नहाने भी नही देती हो,

प्रभा :- आधे घंटे से अंदर है,

माधवी बहार आती है,

माधवी :- क्या माँ आप भी न.....

* लेकिन प्रभा उसकी बात सुनती भी नहीं और झट से अंदर चली जाती है,

माधवी अपने कमरे में जाके तैयार होने लगति है, *

जसवंत अपने कम निपटा के आता है, जैसे वो बाहर हॉल में आता है...

जसवंत :- प्रभा खाना हो गया क्या,

*माधवी :- बाबा माँ नहा रही है,

जसवंत :- अच्छा उसको कहना की मैं खेत के लिए निकल रहा हु, खाना लेने चंदू को भेज दूंगा,

चंदू :- - शादी शुदा जसवंत के यहाँ खेतो में कम करने वाला नोकर, उम्र 34 साल, बहुत ही चोदु किस्म का इंसान, इसकी बुरी नजर माधवी और उसकी माँ पे है, जसवंत के यहाँ सालो से काम करता है इसकी वजह से सब उसे अपने परिवार का ही समजते है,

माधवी :- ठीक है,

प्रभा जल्दी नहाके खाना बना देती है, माधवी भी तैयार होके अपना टिफिन उठाके स्कूल के लिए निकल पड़ती है,

रस्ते में अपनी दोस्त प्रियंका के घर होते हुए दोनों दोस्त स्कूल के लिए निकल पड़ते है,

प्रियंका :- -ये भी बहुत खूबसूरत है, लेकिन बहुत चंट है, ये पुरे गाँव की खबरे रखती है, ऐसे सेक्स की बातें करने में बहुत मजा आता है, लेकिन माधवी इसे हमेशा चुप करवा देती है, दोनों विपरित स्वाभाव की होने के बावजूद बहुत गहरे दोस्त

*बरसात का मौसम चारो तरफ हरियाली, ऐसे में गाँव बहुत ही खूबसूरत लगता है, स्कूल गाँव के थोडा बाहर था, गाँव से लेके स्कूल का रास्ता थोडा सुनसान ही रहता था, लेकिन स्कूल के टाइम नहीं होता था, रस्ते में कुछ मनचले लडके अपनी आखे सेकने बैठे रहते थे, वो सिर्फ दूर से देख के आहे भरते रहते थे, कोई कुछ बोलता नहीं था, *

* *माधवि और प्रियंका अपने क्लास में जाके बैठ जाती है, इस बात से अनजान की उसकी जिंदगी कुछ दिनों में पूरी बदलने वाली है,
 
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भाग 10

सागर अपने कमरे आ के बेड पे लेट जाता है, वो बहुत खुश था की प्रभा ने उसे कुछ भी नहीं कहा और इस बात की ज्यादा ख़ुशी थी की उन्होंने बाबा से कुछ नहीं कहा था,

सागर :- थैंक गॉड...!!! माँ ने बाबा से कुछ नहीं कहा...लेकिन बार बार वो ये क्यू, कह रही थी की मुझसे बात करो मैं हु ना...छोड़ ना यार...मेरे लिए तो यही बहुत है की वो गुस्सा नहीं है,

इधर प्रभा वापस आके देखती है की सागर अपने कमरे में चला गया था, वो उस तरफ बढती है लेकिन अपने आप को रोक लेती है,

प्रभा :- मुझे लगता है मैं बहुत जल्दी कर रही हु, जल्दबाजी में कुछ गलत ना हो जाय...मुझे सब्र से काम लेना होगा..मुझे पहले ये देखना होगा की वो मेरे बारे में क्या सोचता है, फिर ही आगे कदम बढ़ाना होगा,

प्रभा मन ही मन कुछ सोचती है और अपने काम में लग जाती है,

थोड़ी देर बाद सागर बाइक लेके माधवी और प्रियंका को लेने निकल जाता है,

सागर माधवी और प्रियंका को स्कूल, से ले आता है,

माधवी जैसे घर पहुंचती है.... अपने कपडे चेंज करती है और बाहर आके ....

माधवी :- माँ मैं प्रियंका के घर जा रही हु....शाम तक वही रुकूँगी और रात को प्रियंका अपने यहाँ आ रही है..हमें रविवार के, लिए बहुत होमवर्क मिला है....उसकी पसंद का कुछ बना के रखना...खाना यही खाएंगे......वो किसी एक्सप्रेस के भांति एक सांस में बोल पडी....

माँ :- हा हा ठीक है मेरी माँ....ये लड़की भी ना.....

सागर ये सब सुनके बहुत खुश होता है,

सागर :- ये प्रियंका सच में बहुत चालाक है...क्या प्रोग्राम फिक्स किया है...रात को सबके सोने के बाद उससे आराम से मिल पाउँगा, शायद वो माधवी को भी बता दे...और उसे मना ले,

वो अब बेसब्री से रात का इंतज़ार कर रही था,

वो टीवी देखने लगा,

दोपहर के 3 बज रहे थे, अचानक जोरो की बारिश सुरु हो गयी, प्रभा ये देख अंदर से जल्दी में बाहर गयी और सुखाने डाले कपडे निकाल के लाने लगी, लेकिन बारिश इतनी तेज थी की कुछ ही पल में वो पूरी भीग गयी,

वो कपडे निकाल के अंदर आती है, और दरवाजे के पास रखे टेबल पर रख देती है और और अपनी साडी का पल्लू कंधे से निकाल के उससे अपना मुह पोछने लगती है, लेकिन उसकी पूरी की पूरी साडी भीग चुकी थी, ब्लाउज भी पूरा भीग चूका था, घर में वो ब्रा नहीं पहनती थी इस वजह से ब्लाउज पूरा उसके बदन से, चिपक गया था, उसकी गोरी चुचिया और काले निप्प्ल्स साफ़ दिखाई दे रहे थे, और उसका ब्लाउज भी डीप नेक था वो थोडा झुकी हुई थी जिसकी वजह से आधी चुचिया उसमे से झाँक रही थी, प्रभा अपने ही परेशानी में थी, वो इस बात से बिलकुल भी अनजान थी की सागर हॉल में बैठा टीवी देख रहा था और पिछले 3 4 मिनट से उसे,

सागर आँखे फाड़ के अपनी सेक्सी माँ को देख रहा था, बड़ी बड़ी चुचिया किसी के भी मुह में पानी आ जाय ऐसे बड़े निप्प्ल्स उफ्फ्फ्फ़ एकदम सपाट और गोरा पेट...वो किसी शहरी औरत के भांति वेल मैन्टेनेड थी,

सागर उसे ऐसे देख रहा था जैसे उसपे किसीने मोहनी वाला जादू कर दिया हो, जब प्रभा को ये अहसास होता है की सागर उसे एकटक देखे जा रहा है तो वो उसकी तरफ नजर उठा के देखती है, लेकिन सागर मदहोश हो के उसे देखे जा रहा था, प्रभा उसे अपनी तरफ ऐसे देखते हुए देख थोड़ी शरमा जाती है और अपना पल्लू ठीक कर कपडे उठा के बाथरूम में चली जाती है, उनके घर में एक ही कॉमन बाथरूम था, गाँव में अक्सर ऐसा ही रहता है,

प्रभा अंदर जाती है और बाथरूम बंद कर लेती है, वो जोर जोर से साँसे ले रही थी, ऐसा कुछ वो पहली बार महसूस कर रही थी, जब वो थोडा संभल जाती है तो अपने कपडे उतार देती है, लेकिन ये क्या वो जल्दी जल्दी में सूखे कपडे तो लाना ही भूल गयी थी, वो अपने आप को कोसती हुई वहा पड़ा एक टॉवल लपेट लेती है, *

जैसे ही बाथरूम का दरवाजा खुलने की आवाज आती है सागर उस तरफ मुड़, के देखता है, टॉवल में खुद को लपेटे हुए प्रभा को देखता है...उफ्फ्फ क्या क़यामत लग रही थी वो, लेकिन ये दृश्य सागर ज्यादा देर नहीं देख पाता...क्यू की प्रभा झट से अपने कमरे में जा के दरवाजा अंदर से बंद कर लेती है,

प्रभा :- उफ्फ्फ्फ़ ये क्या हो रहा है मुझे, किसी कुवारी लड़की की तरह क्यू पेश आ रही हु मैं, उम्म्म लेकिन सागर को देखा...कैसे मेरा बदन घूरे जा रहा था, हाय रे उम्म्म्म काश की उसके मन में कुछ हलचल हुई हो...अरे हा यार...ये तरीका सही है...उसे ऐसे ही अपना बदन दिखा दिखा के दीवाना बना देती हु...फिर खुद ही चलके आएगा मेरे पास...हा सच में ये तरकीब जरूर काम करेगी...और फिर वो अपनी अलमारी से साड़ी ब्लाउज निकाल लेती है,

इधर सागर का लंड ये सब देख के अपने उफान पर था, प्रभा जैसे ही अंदर जाती है...वो उठ के पहले तो बाहर का दरवाजा बंद कर देता है और फिर चुपके से कल वाली खिड़की के पास जाके अंदर देखने की कोशिस करता है, उसका नसिब जोरो पर था, खिड़की आज भी थोड़ी खुली हुई थी, प्रभा बेड के थोडा साइड में होने से सागर को ठीक से दिखाई नहीं पड़ता...वो थोड़ी खिड़की साइड में जाता है...अब उसे प्रभा का पिछला हिस्सा साफ दिखाई दे रहा था, प्रभा वही खड़ी थी, वो अलमारी से अपनी साडी और ब्लाउज निकाल चुकी थी, प्रभा लपेटा हुआ टॉवल निकाल फेकती है,

यहाँ सागर का दिल की धड़कन किसी ट्रेन जैसे दौड़ रही थी, उसके माँ की नंगी गांड उसके आँखों के सामने थी, उफ्फ्फ्फ़ क्या मांसल गांड थी उसकी,

सागर :- वाओ उफ्फ्फ क्या फिगर है माँ का स्स्स्स्स् उम्म्म और वो गांड की दरार उफ्फ्फ्फ़ जी कर रहा है अभी जाके उस दरार में लंड डाल दू, अह्ह्ह्ह स्स्स्स मेरा लंड तो फूल टाइट हो गया यार...

सागर अपना लंड बाहर निकाल के हिलाने लगता है,

प्रभा ब्लाउज पहन चूक थी, अब वो अपना पेटीकोट पहनने के लिए लेती है लेकिन उसका नाड़ा नहीं होता वो थोडा निचे झुक के ड्रावर से नाड़ा लेती है, उसे वो ढूंढने में थोडा टाइम लगता है...

इधर सागर की हलक सुख चुकी थी क्यू की सामने का नजारा किसी जन्नत से कम नहीं था,

निचे झुकने से प्रभा की गांड का छेद और चूत का छेद साफ दिखाई देने लगे थे, सागर ये देख के पागल सा हो जाता है,

सागर :- अह्ह्ह्ह्ह्ह उम्म्म्म स्स्स्स ऐसी चूत और गांड तो मैंने किसी पोर्न मूवी में भी नहीं देखी किसी मॉडल की अह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स्स् मेरा तो पानी निकलने वाला है अह्ह्ह्ह स्स्स्स्स्*

सागर खुद को कण्ट्रोल करने की कोशिस करता है मगर नहीं कर पाता...और फच फच करके अपने लंड का पानी वही निकालने लगता है,

जब तक उसे खयाल आता है की उसने क्या किया है तब तक बहुत देर हो गयी थी, वो अपना लंड पैंट में वापस डालता है और रुमाल से वहा गिरा पानी साफ़ करने लगता है लेकिन जल्दी जल्दी में ठीक से साफ़ नहीं कर पाता, वो देखता है की प्रभा ने साड़ी पहन ली है, वो अपने कमरे में चला जाता है, जैसे वो वहा से हटता है प्रभा को कुछ हलचल सी महसूस होती है...वो बाहर आके देखती है तो वहा कोई नहीं रहता..

प्रभा :- उफ्फ्फ ये खिड़की खुल्ली थी, कही सागर यहाँ से मुझे...वो इधर उधर देखती है...उसे सागर का वीर्य दीखता है...वो उसे उंगली पे लेती है...उसको नाक से सूँघती है..

प्रभा :- अह्ह्ह ये तो वीर्य है...जरूर सागर ने यहाँ अपना पानी निकाला है...मतलब वो मुझे देख रहा था स्स्स्स्स् उम्म्म लगता है मेरा काम जल्दी ही बन जाएगा....जरा चाट के तो देखु स्वाद कैसा है, ...वो उंगली मुह में लेके चूसती है....अपनी आँखे बंद करती है...अह्ह्ह क्या स्वाद है उफ्फ्फ्फ्फ़ स्स्स अभी तो इससे काम चला लेती हु...पर जल्द ही सीधा लंड को मुह लगा के पियूंगी.....

अपने ही खयालो में खोई प्रभा बारिश में भीगे हुए कपडे घर के आँगन में सुखाने के लिए डालने निकल पड़ती है,
 
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भाग 11

सागर अपने कमरे में अपने बिस्तर पे लेटा किसी स्वर्ग की अनुभूति कर रहा था, इतने जोरदार तरीके से झड़ने के बाद वो ऐसी अवस्था में था जैसे उसने कोई नशा किया हो,

सागर :- उफ्फ्फ मजा आ गया....मेरा इस बार यहाँ रुकना सफल हो गया...चाची को चोदने मिला...माँ के सेक्सी बदन के दर्शन और ऊपर से बोनस प्रियंका...आज रात उसके भी मजे लूटूँगा, चलो अभी सो लेता हु रात को जागना जो है,

वासना के नशे में लिप्त सागर जल्द ही नींद के आगोश में समां जाता है,

रात को प्रियंका और माधवी घर आते है, सब मिलके खाना खाते है, सागर बहुत सावधान था, प्रियंका उसे इशारे कर रही थी पर वो चुप था, क्यू की उसे पता था की प्रभा की नजर उसपे जरूर होगी, खाना खत्म हो जाने के बाद सब मिलके थोड़ी देर टीवी देखा, बारिश बंद हो गयी थी मगर मौसम को बहुत ही सुहाना कर चुकी थी, ऐसे भीगे मौसम में बहुत से अरमान प्रभा सागर और प्रियंका के मन में मचल रहे थे,

*रात के दस बज गए थे, सब अपने अपने कमरे में सोने चले गए थे, सागर ने प्रियंका को छुप के से ये बता दिया था की वो 12 के बाद उनके कमरे में आएगा, सागर अपने कमरे में कोई किताब पढ़ रहा था और 12 बजने का इंतजार कर रहा था, प्रियंका और माधवी अपनी पढाई में लगे थे, माधवी प्रियंका को कुछ समझा रही थी पर उसका मन तो कही और ही था,

*इधर प्रभा और जसवंत मौसम का मजा लेने में लगे थे, जसवंत *प्रभा से किया वादा निभा रहा था, आज वो प्रभा की चुदाई के मुड़ में था, प्रभा भी आज बहुत मुड़ में थी, उसकी प्यास आज कई गुना बढ़ गयी थी,

प्रभा और जसवंत दोनों नंगे हो के एक दूसरे के जिस्म से खेल रहे थे, जसवंत प्रभा की चुचिया दबा रहा था चूस रहा था, प्रभा भी उसका साथ दे रही थी, जसवंत को पता था प्रभा को चूत चटवाना बहुत पसंद था, वो उसी काम में लग गया,

जसवंत ने प्रभा की टांगो को घुटनो से मोड़ के फैला दिए और वो उसकी चूत में जुबान फिराने लगा, जसवंत कभी उसकी चूत की फाको को मुह लेके खिचता तो कभी चूत के दाने को हलके हलके काटता...प्रभा तो जैसे सातवे आसमान में थी, *

जसवंत :- अह्ह्ह्ह प्रभा उम्म्म तुम्हारे चूत का स्वाद आज भी वैसा ही है ....स्स्स्स और उतनी ही टाइट है

प्रभा :- अह्ह्ह स्स्स्स्स् आपको मेरी टाइट चूत पसंद है इसीलिए तो मैंने अपने दोनों बच्चे के वक़्त सिजर करवाया था ताकि मेरी चुत कि कसावट बनी रहे अह्ह्ह्ह्ह उम्म्म्म अब बस भी करो डाल दो अपना लंड मेरी चूत में अह्ह्ह्ह्ह्ह कितने दिनों बाद लंड मिलने वाला है उसे अह्ह्ह्ह

जसवंत :- हां मेरी रानी अह्ह्ह मेरा लंड भी तैयार है अब अह्ह्ह्ह*

जसवंत प्रभा की चूत पे लंड रखता है और एक ही झटके में पूरा अंदर पेल देता है, प्रभा को उसके लंड की आदत थी, और इतना बड़ा भी नहीं था वो उसे आराम से अंदर ले लेती है, अब जसवंत अपना लंड प्रभा की चूत में अंदर बाहर कर रहा था, हमेशा जसवंत का चोदना एन्जॉय करने वाली प्रभा का मुड़ आज कुछ और ही था, वो चुदवा तो अपने पति से रही थी पर इसका ध्यान पूरा अपने बेटे के लंड पे था, *

प्रभा :- (मन ही मन) अह्ह्ह्ह उम्म्म्म काश अभी इनकी जगह सागर का लंड मेरी चूत में होता स्सस्सस्सस उसका मोटा लंबा लंड स्सस्सस्स और उसके दमदार झटके अह्ह्ह्ह स्स्स्स अभी तो इनके झटको में भी पहले जैसा दम नही रहा, *

जसवंत लगातार प्रभा की चूत चोद रहा था, छप छप चप चप की आवाज निकल, रही थी, *

जसवंत :- अह्ह्ह्ह प्रभा उम्म्म्म्म्म कैसा लग रहा है, अह्ह्ह्ह मजा आ रहा है न, उफ्फ्फ्फ्फ्फ

प्रभा :- हा अह्ह्ह्ह और जोर से चोदो ना अह्ह्ह्ह्ह और आआ र जोर से उफ्फ्फ्फ्फ्फ डालो और अंदर उफ्फ्फ्फ्फ़ फाड़ दो मेरी चूत को स्स्स्स्स्स्स्स

प्रभा ये सब सागर के बारे में सोच के बोल रही थी, असलियत में उसे कुछ ख़ास मजा नहीं आ रहा था,

जसवंत :- अह्ह्ह्ह उम्म्म प्रभा उफ्फ्फ्फ़ मेरा होने वाला है अह्ह्ह्ह स्सस्सस्स

प्रभा :- उम्म्म्म स्स्स्स अह्ह्ह हा चोदो न अह्ह्ह स्स्स्स डाल दो अपना पानी मेरी चूत में स्सस्सस्सस अह्ह्ह्ह

जसवंत 8 10 धक्को के बाद झड़ने लगता है, वैसे प्रभा भी झड़ चुकी थी लेकिन उसे वो मजा नहीं आया था जो वो हमेशा महसूस करती है, या फिर उसकी प्यास कुछ ज्यादा ही बढ़ गयी थी,

जसवंत प्रभा के बाजू में लेट जाता है, प्रभा भी वैसे ही पड़ी थी,

जसवंत :- क्या बात है प्रभा, आज तुम्हे मजा नहीं आया क्या,

प्रभा :- बहुत मजा आया...ऐसा क्यू पूछ रहे हो,

जसवंत :- क्यू की झड़ने के बाद तुम मेरे लंड का रस चाटने के लिए टूट पड़ती हो उसपे लेकिन आज....

प्रभा :- अह्ह्ह्ह वो तो मैं अब थोड़ी देर बाद चाटने वाली हु... क्यू की एक बार और चुदना है मुझे अह्ह्ह्ह

जसवंत :- ओह्ह्ह ये बात है....तो हो जाओ सुरु...

प्रभा उठती है और जसवंत का लंड चाटने लगती है, थोड़ी देर बाद जसवंत का लंड फिर से खड़ा हो जाता है, प्रभा उसपे बैठ के उसे अपनी चूत में अंदर बाहर करती है,

प्रभा :- मन ही मन....क्या हो गया है मुझे, जिस लंड से इतने साल मैं अपनी चूत की खुजली मिटाती आयी हु...आज मुझे उससे चुदने में बिलकुल भी मजा नहीं आ रहा...उल्टा मेरी चूत की आग और बढ़ रही है,

प्रभा जसवंत को कहती है की वो ऊपर आके उसे पहले की तरह चोदे, जसवंत उसे फिरसे अपने निचे लिटा के चोदने लगता है, प्रभा भी अब बहुत कोशिश के बाद सागर के बारे में सोचना छोड़ चुदाई का मजा लेने लगती है, 10 15 मिनट की चुदाई के बाद दोनों झड़ जाते है, और अपने कपडे पहन के सो जाते है, कुछ ही पलो में वो गहरी नींद में सो जाते है,

यहाँ सागर के लिए एक एक पल काटना मुश्किल हो रहा था, प्रियंका को पहली बार अकेले मिलने के ख़याल से ही वो बहुत उत्तेजित था, एक दो बार तो उसने सोचा की अभी चला जाय लेकिन पकडे जाने के डर से उसने खुद को रोक लिया, आखिर उससे रहा नहीं गया...11.30 के करीब वो अपने कमरे से बाहर निकला, उसने प्रभा के कमरे का जायजा लिया वो सो रहे थे, फिर धीरे से वो माधवी के कमरे की और बढ़ा, उसने दरवाजा धीरे धकेला...वो खुला था, सागर दबे पाँव से अंदर गया प्रियंका उसका इन्तजार कर रही थी,

कमरे में एक छोटे बल्ब की रौशनी थी, उसे देख के प्रियंका भी धीरे से बेड से उठ जाती है, सागर उसके पास जाता है, माधवी सो रही थी, वो एकदूसरे को देखते है, प्रियंका उसे देख मुस्कुरा रही थी, सागर उसके करीब जाता है उसका हाथ अपने हाथो में लेता है उसे अपने इतने करीब पाके प्रियंका शरमा के निचे देखने लगती है, सागर उसकी चीन को पकड़ के उसका चेहरा ऊपर उठाता है और उसकी आँखों में देखते हुए अपने होठ उसके होठो के करीब ले जाता है, लेकिन प्रियंका अपना चेहरा दूसरी तरफ करके उसे पीछे धकेल देती है, और इशारे से कहती है क्या है, पागल हो गए हो क्या,

सागर फिर से उसके करीब जाता है,

सागर :- (धीरे से) क्या हुआ,

प्रियंका :- क्या कर रहे हो...माधवी जाग जायेगी ...

सागर :- तो मेरे कमरे में चलो...

प्रियंका :- अरे पागल हो क्या, माधवी मुझे यहाँ नहीं देखेगी तो चिल्लाना सुरुकर देगी, पुरे घर को जगा देगी, यहाँ कमसे कम जाग भी गयी तो हम उसके हाथ पैर जोड़ के मना तो लेंगे,

सागर :- क्यू तुमने उसे बताया नहीं क्या,

प्रियंका :- नहीं...उसे मैं अपने तरीके से धीरे धीरे बताउंगी...

सागर :- ठीक है....बातो बातो में सागर उसे कब कमर से पकड़ के अपनी और खीच लेता है प्रियंका को पता भी नहीं चलता, जब उसे अहसास होता है तो वो उससे छुटने की कोशिश करती है, लेकिन सागर उसे और कस के जकड लेता है,

प्रियंका :- छोडो ना प्लीज...

सागर :- अरे यार क्या कर रही हो, अब क्या मैं तुम्हे एक बार गले भी नहीं लगा सकता,

ये सुनके प्रियंका चुप हो जाती है और सागर की आँखों में देखने लगती है,

प्रियंका :- सागर...

सागर :- हा बोलो...सागर भी उसकी आँखों में देखते हुए कहता है,

प्रियंका :- सागर...i love you...

सागर :- ओह्ह्ह प्रियंका...i love you too....

और उसे कसके अपने सीने से लगा लेता है, प्रियंका भी उससे चिपक जाती है, कुछ देर तक वो दोनों एक दूसरे की बाहो में बाहे डाले वैसे ही खड़े रहते है,

प्रियंका की चुचियो का दबाव सागर अपने सीने पे महसूस कर रहा था, एक कमसिन कली उसकी बाहो में थी, उत्तेजित तो वो पहले से ही था, प्रियंका को भी उसके लंड का आभास हो रहा था, प्रियंका की हाइट सागर से कम थी, सागर का लंड प्रियंका के चूत के ऊपर वाले पेट के हिस्से से सटा हुआ था, आज पहली बार कोई मर्द उसे इस तरह से छु रहा था, उसकी साँसे तेज होने लगी थी, तेज चलती साँसों की वजह से प्रियंका की चुचियो का दबाव सागर के सीने पे पड़ रहा था, इससे सागर की बेचैनी और भी बढ़ रही थी, वो अपना लंड का दबाव धीरे से प्रियंका के पेट पे और बढ़ाता है,

इससे पहले की वो आगे कुछ बोल पाते या कर पाते माधवी थोड़ी हलचल करती है, इससे दोनों डर जाते है, वो देखते है की माधवी अभी भी सो रही थी तब उनकी जान में जान आती है,

प्रियंका :- सागर तुम जाओ...माधवी जग गयी न तो प्रॉब्लम हों जायेगी,

सागर :- अरे कुछ नहीं होगा....वो इधर उधर देखता है,

वो वहा माधवी के स्टडी टेबल के साइड में बैठते है...वो जग भी गयी तो तुम चेयर पे बैठ जाना और मैं तुम्हारे पीछे छुप जाऊँगा,

प्रियंका को ये आईडिया पसंद आता है, वो स्टडी टेबल के साइड में जाके निचे जमीन पे बैठ जाते है, और दीवार से अपनी पीठ सटा देते है,

सागर अपना एक हाथ प्रियंका के गर्दन के निचे ले जाके उसके दूसरे कंधे पे रख देता है, और दूसरे हाथ से प्रियंका का हाथ अपने हाथो में ले लेता है और अपनी उंगलिया उसकी उंगलियो में फसा देता है, प्रियंका अपना सर उसके कंधे पे रखती है और दूसरा हाथ सागर के हाथ पे रख के उसे धीरे धीरे सहलाने लगती है, प्रियंका का हाथ निचे से होता है, सागर उसे अपनी जांघो पे लंड से थोड़ी दूर रख देता है और धीरे धीरे दूसरे हाथ से उसका कन्धा सहलाने लगता है,

प्रियंका :- ओह्ह सागर मुझे यकीन नहीं हो रहा की आज मेरा सपना सच हो गया है...

सागर :- अरे यकीन तो मुझे अपनी किस्मत पे नहीं हो रहा *तुम्हारी जैसी इतनी खूबसूरत लड़की मुझसे प्यार करती है,

प्रियंका :- कुछ भी..तुम्हारे सामने मैं कुछ भी नहीं...झल्ली लगती हु..

सागर :- पागल हो तुम..मेरे सामने तुम झल्ली नहीं मैं लल्लू लगता हु...

प्रियंका ये सुनके थोडा टर्न होती है और एक प्यार भरा चाटा सागर के गाल पे मारती..प्रियंका के टर्न होने से सागर का हाथ उसकी पीठ पे आ जाता है,

प्रियंका :- चुप करो...मेरे सागर के बारे में ऐसा मत बोलो...वर्ना बहुत पिटोगे..मेरा सागर बहुत हैंडसम है...ऐसा बोलके उसी पोजीशन में वो उसे बाहो में भर लेती है और अपना सर उसकी छाती पे रख देती है, सागर उसका हाथ छोड़ के उसको अपनी बाहों में लेता है,

सागर :- अच्छा इतना प्यार करती हो मुझसे,

प्रियंका भी उसे और कसके पकड़ती है,

प्रियंका :- हा बहुत प्यार करती हु...

सागर :- सच में,

प्रियंका अपना चेहरा ऊपर उठाती है, सागर को अपने इतने करीब पाके एक नशा सा चढ़ गया था उसपे,

प्रियंका :- हा...उसकी आँखों में देखते हुए वो कहती है,

सागर भी उसकी आँखों में देखता है...और धीरे से अपना चेहरा झुका के उसके होठो के पास अपने होठ लेके जाता है, प्रियंका इस बार अपना चेहरा दूसरी तरफ नहीं बल्कि उसकी और बढ़ाती है, दो तपते प्यासे होठ आखिर एक दूसरे से जुड़ ही जाते है, प्रियंका सागर के भीगे होटो का स्पर्श अपने होठो पे पाके अंदर तक सिहर जाती है, उसकी आँखे अपने आप बंद हो जाती है, सागर भी प्रियंका के नाजुक होठो के स्पर्श से रोमांचित हो उठता है, वो धीरे से अपने होठ खोल के प्रियंका का निचला होठ धीरे धीरे चूसने लगता है, प्रियंका भी उसीका अनुकरण करती है, धीरे धीरे वो एकदूसरे को होठो को चूस रहे थे, दोनों के तन बदन उस भीगी रात में भी एक आग सी लग जाती है,

दोनों आँखे बंद कर उस पल का मजा ले रहे थे, जो किस धीरे धीरे सुरु हुआ था अब वो रफ़्तार पकड़ चूका था, दोनों अब आवेश में आके *एक दूसरे के होठ चूसने में लगे थे, सागर अब प्रियंका के मुह में जुबान डालके *उसके होठो को चूम रहा था, प्रियंका भी अब बेहिचक उसकी जुबान को चूस रही थी, थोड़ी दी बाद प्रियंका सागर के मुह में अपनी जुबान डालती है सागर उसे पागलो की तरह चूसने लगता है, ये सिलसिला कुछ देर युही चलता रहता है, जब वो थक जाते है तो जोर जोर से साँसे लेते हुए एक दूसरे की आँखों में देखते रहते है, प्रियंका शरमा के उसके बाहो में खुद का चेहरा छुपा लेती है,

दोनों भी इस प्यार भरे चुम्बन का स्वाद शायद अपनी पूरी जिंदगी नहीं भुलने वाले थे, प्रियंका के लिए ये पल बहुत ख़ास था, वो सोचती है की एक लड़की का पहला चुम्बन इससे अच्छा नहीं हो सकता, *ये पल उसकी जहन में कुछ इस तरह छप गया था की कोई लाख कोशिस कर ले उसे मिटा नहीं पायेगा,

*सागर का हाल भी कुछ ऐसा ही था, भले ही उसने कल मीना की चुदाई की हो लेकिन ये किस उसके लिए बहुत स्पेशल था,

सागर थोडा सामने की तरफ आता है प्रियंका भी बैठ जाती है, सागर उसकी कमर पे अपना हाथ रखता है और उसकी और झुकता चला जाता है, प्रियंका भी निचे निचे झुकती चली जाती है, दोनों के जिस्म वासना की आग में जलने लगे थे, प्रियंका अब पूरी तरह फर्श पर लेट चुकी थी, ठंडा फर्श उसके बदन में लगी आग को बढ़ाने का काम कर रहा था, सागर अब पूरी तरह से उसपे झुक गया था, उसका एक हाथ प्रियंका के गर्दन के निचे था और दूसरा उसके पेट पर...वो एक दूसरे को देख रहे थे, उनकी सांसे एक दूसरे के चेहरे से टकरा रही थी,

जो भी बातें हो रही थी वो अब आँखों से हो रही थी, प्रियंका का चेहरा उस धीमी रोशनी में किसी मोती की तरह चमक रहा था, सागर अब अपने होश जैसे खो चूका था, वो धीरे से अपने होठ फिर से प्रियंका के होटो पे रख देता है...............
 
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भाग 12

प्रियंका ने अपनी सहेलियों से और गाँव की दूसरी औरतो से इन सब के बारे में सिर्फ सुना था...लेकिन आज वो खुद अनुभव कर करी थी, वो बहुत उत्तेजित हो गयी थी, वो अब कुछ ज्यादा आवेग में थी, वो किस्स करते हुए टर्न हो कर सागर के कमर पे रख देती है और अपना एक पैर सागर के पैर पे रख देती है, सागर समझ जाता है उसे क्या करना है, वो उसकी कमर पे रखा हाथ धीरे से निचे ले जाके उसकी गांड को सहलाते जांघो पे ले जाता है और उसे पकड़ के अपनी और खिचता है..

और अपनी कमर आगे करके अपना लंड प्रियंका की चूत से सटा देता है, प्रियंका जैसे ही उसके लंड का स्पर्श अपनी चूत के पास महसूस करती है उसकी आह निकल जाती है, वो सागर के ओंठो को छोड़ उसका सर अपने सीने से चिपका लेती है, सागर उसके गले पे किस करने लगता है और प्रियंका की गांड जांघे पीठ को सहलता रहता है,

प्रियंका उसके बालो में हाथ घूमते हुए उससे और चिपक जाती है, सागर का लंड बहुत टाइट हो चूका था, प्रियंका खुद को थोडा एडजस्ट करके उसके लंड को अपनी चूत पे ले आती है और उसको रगड़ने लगती है, सागर ये देख के और भी जोश में आ जाता है और धीरे धीरे अपनी कमर आगे पीछे कर प्रियंका की चूत पे झटके देने लगता है, सागर अब अपना हाथ प्रियंका के टी शर्ट के अंदर ले जाता है और उसकी नंगी पीठ सहलाने लगता है, फिर अपना हाथ धीरे से निचे ले जाके उसकी नाईट पैंट में घुसा देता है, प्रियंका अह्ह्ह्ह कर उठती है, सागर उसकी पैंटी के ऊपर से ही उसकी गांड सहलाने लगता है, *

प्रियंका :- अह्ह्ह्ह सागर उम्म्म मत करो ऐसा प्लीज....

प्रियंका की बात सुनके सागर रुक जाता है मगर अपना हाथ बाहर नहीं निकालता...वो ऊपर की और देखते हुए प्रियंका को कहता है....

सागर :- क्या हुआ, तुम्हे अच्छा नही लग रहा,

प्रियंका :- बहुत अच्छा लग रहा है ...मगर...

सागर :- फिर क्या हुआ, *

प्रियंका :- ये गलत है...

सागर :- कुछ गलत नहीं है...प्यार करना कोई गलत बात नहीं....ये तो सभी करते है,

वो उसकी गांड को दबाते हुए कहता है,

प्रियंका :- अह्ह्ह्ह बदमाश हाथ निकालो अपना...

सागर :- उम्म्म ठीक है....सागर हाथ निकाल लेता है....लेकिन एक झटके में उसे उठा के अपने गोद में ले लेता है और पीछे सरक के बैठ जाता है, प्रियंका अब उसकी गोद में दोनों तरफ पैर करके बैठी थी, उसकी चूत सागर के लंड के ऊपर थी, सागर अधलेटी पोजीशन में था ,

सागर :- उसके चेहरे के साइड से उंगलिया फिराता है और उसे किस करता है, किस करते हुए वो अब प्रियंका की विकसित होती चुचिया दबाने लगता है, प्रियंका उम्र के हिसाब से उसकी चुचिया काफी बड़ी थी, सागर उन्हें बहुत प्यार से धीरे धीरे मसल रहा था, प्रियंका सागर के हाथो का स्पर्श अपनी चुचिया पे पाके पागल सी हो जाती है, सागर दोनों हाथो से उसकी दोनों चुचिया मसल रहा था,

सागर :- ओह्ह्ह प्रियंका ...बहुत सेक्सी हो तुम स्स्स्स्स् और ये तुम्हारी चुचिया अह्ह्ह्ह्ह उम्म्म्म्म प्रियंका अपना टी शर्ट उतार दो न...

प्रियंका :- नहीं पागल हो गए हो क्या अह्ह्ह्ह*

लेकिन सागर उसका टी शर्ट ऊपर कर देता है और ब्रा भी ऊपर सरका देता है....प्रियंका की गोरी चुचिया और उसके लाइट पिंक निप्प्ल्स सागर के होश उदा देती है,

प्रियंका बस अपनी आँखे बंद करके सागर की हरकतों मजा ले रही थी,

सागर :- ओह्ह्ह्ह वाओ स्स्स्स कितनी खूबसूरत है ये अह्ह्ह्ह्ह

सागर प्रियंका की चुचिया धीरे धीरे मसलने लगता है, फिर उन्हें बारी बारी चूसने लगता है, प्रियंका उसका सर अपनी चुचियो पे दबाने लगी थी, उसकी उत्तेजना अब चरम सीमा पर थी, वो अपनी चूत लगातार सागर के लंड से रगड़ रही थी,

सागर :- अह्ह्ह्ह स्स्स्स क्या हुआ मेरी जान, बहुत रगड़ रही हो...बहुत आग लग गयी क्या निचे,

प्रियंका :- अह्ह्ह्ह तुमने ही आग लगाई है और तुम ही पूछ रहे हो स्स्स्स्स्

सागर :- ह्म्म्म्म स्स्स्स तो अभी बुझा देता हु....

प्रियंका :- स्सस्सस्स कैसे बुझाओगे,

सागर :- क्यू तुमने कभी चुदाई के बारे में सुना नहीं क्या,

प्रियंका उसके मुह से चुदाई शब्द सुन के सिहर उठती है,

प्रियंका :- चुप करो बदमाश ...वो शर्मा के अपना चेहरा अपने हाथो से छुपा लेती है,

सागर :- उम्म्म्म मतलब सुना है...कभी देखी है किसीकी,

प्रियंका :- मुझे नहीं पता...

सागर प्रियंका के हाथ हटाता है,

सागर :- बोलो न...कभी देखी है,

प्रियंका अब थोडा सहज हो गयी थी,

प्रियंका :- नहीं..लेकिन सुना है..

सागर :- ह्म्म्म मतलब तुम्हे सब पता है....तो बताओ (प्रियंका का हाथ पकड़ के अपने लंड पे रखते हुए) इसे क्या कहते है, (और अपना हाथ उसकी चूत पे रखते हुए) और इसे क्या कहते है,

प्रियंका :- तुम ही बताओ मुझे शर्म आती है,

सागर :- नहीं मैं तुम्हारे मुह से सुनना चाहता हु...

प्रियंका को पहले से ही इन सब बातो में बहुत दिलचस्पी रहती है, हमेशा बिंदास रहने वाली प्रियंका पता नहीं क्यू आज उसे बहुत संकोच हो रहा था,

सागर :- बोलो न मेरी जान अह्ह्ह्ह

प्रियंका सोचती है की अब बस बहुत हो गया शरमाना अब बेशरम बनके ही मजे लेना चाहिए,

प्रियंका :- सागर का लंड दबाती है.....इसे लंड कहते है...और इसे चूत ...वो सागर हा हाथ अपनी चूत पे दबाते हुए कह देती है और सागर की आँखों में देखने लगती है,

सागर :- उफ्फ्फ्फ्फ़ स्स्स्स्स् वाओ कितना अच्छा लगा तुम्हारे मुह से सुनके स्सस्सस्स...एक बार फिर कहो ना...

प्रियंका :- जाओ अब नहीं ....

सागर :- प्रियंका....स्स्स मैं तुम्हारी चूत देखना चाहता हु, तुम्हे मेरा लंड नहीं देखना ,

प्रियंका :- नहीं मुझे नहीं देखना...और दिखाउंगी भी नहीं...

सागर उसकी चूत पैंट के ऊपर से सहला रहा था, प्रियंका की चूत इतना पानी छोड़ चुकी थी की उसकी पॅंटी और उसका नाईट पैंट दोनों भीग चूके थे,

सागर :- अह्ह्ह्ह स्स्स्स झूठी कही की स्स्स्स्स् अगर देखना नहीं है तो उसे पकड़ क्यू रखा है अह्ह्ह तुम्हे नहीं देखना तो मत देखो लेकिन मुझे देखने दो अह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स्स् कितनी गीली हो गयी है स्सस्सस्स

प्रियंका :- सागर सच कहु तो मेरा मन भी बहुत है पर यहाँ ये सब करना ठीक नहीं है...माधवी उठ गयी और हमें ऐसे देख लिया तो पता नहीं वो क्या करे,

सागर :- बस एक बार देख लेने दो प्लीज अह्ह्ह्ह्ह्ह

प्रियंका :- ठीक है लेकिन बस दूर से देखना उसे छूना मत अह्ह्ह*

सागर :- ठीक है....

प्रियंका माधवी की और देखती है वो चादर मुह पे लेके सो रही थी,

प्रियंका उठती है और सागर के बाजू में बैठ जाती है, सागर समझ जाता है उसे क्या करना है, वो उसके सामने आता है और उसकी पैंट को पॅंटी सहित उतारने लगता है, प्रियंका उसे *पूरा सहयोग देती है, सागर प्रियंका की पैंट घुटना तक ले आता है, प्रियंका उसे रोकने लगती है,

सागर :- एक पैर से पूरा निकल दो...

प्रियंका उसकी बात मान लेती है, सागर पैंट उतारने के बाद उसके पैर फैला देता है, उसकी गोरी चिकनी बिना बालो वाली चूत देख सागर के होश उड़ जाते है, वो निचे झुक के अपना चेहरा उसकी टांगो के बिच ले जाता है,

प्रियंका :- अह्ह्ह्ह सागर क्या कर रहे हो,

सागर :- इस धीमी रोशनी में ठीक से दिखाई नहीं दे रहा...

प्रियंका :- लेकिन प्लीज छूना मत...

सागर अब कुछ भी सुनने के मूड में नहीं था, वो अपना चेहरा चूत के बहुत करीब ले जाता है, प्रियंका उसकी साँसे अपने चूत पे महसूस कर पा रही थी, सागर अपना हाथ आगे बढ़ाता है और उसकी चूत के आजू बाजू के हिस्से को सहलाता है,

सागर :- अह्ह्ह्ह स्स्स्स प्रियंका उम्म्म्म क्या मस्त चूत है तुम्हारी अह्ह्ह्ह स्स्स्स्स् और क्या खुसबू आ रही है स्स्स्स्स्स्स्स*

प्रियंका :- अह्ह्ह्ह्ह सागर नहीं प्लीज हाथ हटाओ अपना

सागर :- स्स्स्स्स् अह्ह्ह्ह रुक जाओ जान स्स्स्स अभी मैं इसे हाथ से नहीं अपने होठो से छूने वाला हु स्स्स्स

प्रियंका :- अह्ह्ह्ह नहीं....

लेकिन सागर अब रुकने वाला नहीं था, और प्रियंका भी यही चाहती थी,

सागर प्रियंका के पैर पकड़ के थोडा अपनी और खिचता है प्रियंका भी अपनी गांड को थोडा ऊपर की और करती है, अब सागर के सामने प्रियंका की कोमल सी चूत थी, वो झट से अपना मुह प्रियंका की चूत से सटा देता है और उसे चूमने लगता है, प्रियंका को तो जैसे बिजली का झटका लगा हो...वो अपना मुह अपने हाथो से दबा लेती है ताकि उसकी सिसकिया माधवी सुन ना ले, सागर उसकी चूत चाटने लगता है, उसकी गीली चूत का स्वाद उसे मदहोश कर रहा था, उसकी महक उसे दीवाना बना रही थी,

सागर :- उफ्फ्फ्फ़ क्या चूत है स्सस्सस्स उम्म्म्म अह्ह्ह्ह

प्रियंका :- अह्ह्ह्ह सागर उफ्फ्फ्फ़ चाटो ना और स्स्स्स्स् कितने दिनों से इस पल, के बारे में सोच सोच के चूत में उंगली डाल के हिलाती थी अह्ह्ह्ह

सागर :- स्स्स्स अह्ह्ह हा मेरी जान उफ्फ्फ्फ़ अब तुम्हे *उंगली से अपनी चूत चोदने की जरुरत नहीं अह्ह्ह

सागर उसकी चूत के दाने को चुस्त हुआ उसकी चूत में एक उंगली डालता है,

प्रियंका :- अह्ह्ह्ह स्स्स उफ्फ्फ्फ्फ्फ सागर अह्ह्ह्ह

सागर :- (मन में) उफ्फ्फ कितनी टाइट है इसकी चूत स्स्स्स्स् मजा आएगा ये कुवारी चूत चोदने में अह्ह्ह्ह्ह

सागर प्रियंका की चूत में थोडा फ़ास्ट उंगली अंदर बाहर करने लगता है और चूत के दाने को जुबान से होटो चूसने लगता है, प्रियंका पहले ही बहुत उत्तेजित हो चुकी थी वो सागर के चूसने और उंगली के अंदर बाहर होने से कुछ पल में झड़ जाती है,

जब झड़ जाती है वो सागर को रोक उसे अपने गले लगा लेती है, *

प्रियंका :- अह्ह्ह्ह सागर उफ्फ्फ्फ्फ्फ स्स्स्स*

सागर :- क्या हुआ प्रियंका,

प्रियंका :- अह्ह्ह्ह्ह कुछ मत पूछो कुछ मत बोलो बस मुझे अपनी बाहो में ऐसे ही रहने दो,

सागर और प्रियंका थोड़ी देर ऐसे ही बैठे रहे, प्रियंका अब नार्मल हो चुकी थी,

प्रियंका :- सागर आज की रात मैं कभी भूल नहीं पाऊँगी...थैंक यू...

सागर :- हम्म इस रात को और यादगार बनाना चाहता हु...

प्रियंका :- वो ककैसे,

सागर :- तुम्हारी इस कुवारी चूत में अपना लंड डाल के उसपे हमेशा के लिए अपना नाम लिखना चाहता हु, प्रियंका मैं तुम्हे चोदना चाहता हु अभी...

प्रियंका :- अह्ह्ह सागर...मैं भी तुमसे चुदवाना चाहती हु...मगर यहाँ नहीं ...इस तरह नहीं...मैंने सुना है की पहली बार बहुत दर्द होता है, अगर मेरी चींख निकल गयी तो बहुत प्रॉब्लम हो जायेगी, और तुम्हारा लंड भी कितना बड़ा है...कही मेरी जान ही ना निकल जाय...

सागर को प्रियंका की बात में दम लगता है, और उसे मीना चाची की कही बात भी याद आती है,

सागर :- ह्म्म्म ठीक है मैं कल का दिन हु यही कुछ करते है...अब मुझसे रहा नहीं जाएगा...देखो न कैसे मेरा लंड अकड़ सा गया है, तुम तो फ्री हो गयी जरा मुझे भी फ्री करने में मदत कर दो...

प्रियंका :- हा ये मैं कर सकती हु...ऐसा बोल के प्रियंका सागर का लंड बाहर निकालती है, उस लंड को देख उसकी आँखे फटी की फटी रह जाती है, उसने जितना सोचा था उससे ज्यादा बड़ा था सागर का लंड,

प्रियंका :- बापरे कितना मोटा और लंबा है ये उफ्फ्फ्फ्फ़*

सागर :- हा तुम्हारे लिए ही है.....अह्ह्ह प्रियंका उफ्फ्फ तुम्हारे कोमल हाथो के स्पर्श से तो और भी उड़ने लगा है अह्ह्ह्ह

प्रियंका :- फ़िक्र मत करो ...अभी उस्का इलाज करती हु,

सागर :- ह्म्म्म तुम्हे पता है इसका इलाज कैसे किया जाता है...

प्रियंका :- हा पता है....

प्रियंका ऐसा बोल के उसे मुठी में पकड़ के *ऊपर निचे करने लगती है, सागर अपनी आँखे बंद कर प्रियंका की हरकतों का मजा लेने लगता है, प्रियंका अब सागर का लंड अपने मुह में लेने लगती है, सागर को जैसे ही इसका अहसास होता है वो अपनी आँखे खोल, के उसे अपना लंड चूसते हुए देखने लगता है,

सागर :- अह्ह्ह्ह स्स्स मेरी जान उफ्फ्फ्फ्फ़ तुम्हे ये भी पता है,

प्रियंका :- स्स्स्स हा मुझे सब पता है....

सागर :- उफ्फ्फ्फ़ अह्ह्ह्ह चूसो मेरी जान अह्ह्ह्ह्ह*

प्रियंका बड़ी मुश्किल से उसके लंड का टोपा अपने मुह में लेके चूस रही थी, लेकिन ये सब उसके लिए पहली बार होने के वजह से वो ठीक से नहीं कर पा रही थी,

सागर :- अह्ह्ह्ह प्रियंका उम्म्म्म बस थोड़ी देर और मेरी जान मेरा होने ही वाला है अह्ह्ह्ह्ह्ह

प्रियंका उसका लंड मुह में भर के उसकी मुठ मारने लगती है, सागर थोड़ी ही देर में झड़ जाता है, उसका वीर्य पूरा प्रियंका में मुह पे उड़ जाता है, प्रियंका अपना मुह अपने पास के रुमाल से पोंछ लेती है,

सागर :- प्रियंका उफ्फ्फ्फ्फ़ मजा आ गया....स्स्स्स एसिमि इतना मजा आया सोचो चुदाई में कितना मजा आएगा....अह्ह्ह्ह स्स्स अब तो जल्द ही चुदाई का प्रोग्राम फिक्स करना पड़ेगा,

प्रियंका :- हा सागर अह्ह्ह अब तो बिना चुदे मुझसे भी नहीं रहा जाएगा,

वो फिर से एक दूसरे को गले लगा के एक किस करते है, और सागर धीरे से दबे पाँव अपने कमरे में चला जाता है, प्रियंका भी चुपचाप अपनी जगह पे आके सो जाती है,

सागर और प्रियंका बेड पे लेटे हुए बीते पलो की यादो में खोये थे और आने वाले पलो के बारे में सोचते हुए सो जाते है.........इस बात से बेखबर की उनकी ये दो घंटो की रासलीला माधवी सोने का नाटक कर देख चुकी थी.......................
 
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भाग 13

माधवी तो तभी जाग गयी थी जब सागर और प्रियंका एक दूसरे को i love you कह रहे थे, वो प्रियंका को जानती थी की वो कैसी है मगर सागर उसका भाई भी प्रियंका से प्यार करता है ये सुन के वो हैरान थी, उसे समझ नहीं आ रहा था की वो क्या करे...गुस्सा करे खुश हो या उठ के बैठ जाय और उनकी चोरी पकड़ ले या कुछ और...वो पूरी तरह से असमंजस में थी, पहली बात तो किसी लड़का लड़की को इतने करीब पहली बार देख रही थी और ऊपर से उसकी सबसे अच्छी सहेली और उसका सगा भाई ......ये सब उसे बहुत परेशां कर रहा था,

आखिर वो चुपचाप सोने का नाटक कर सब देखने लगी, जैसे प्रियंका और सागर एक दूसरे से लिपटा चिपटी बढाती गयी वैसे माधवी की बेचैनी भी बढ़ती गयी, वो जो देख रही थी वो सेक्स तो नहीं था पर सेक्स से कुछ कम भी नहीं था, उसके लिए चुदाई मतलब सिर्फ लंड और चूत का खेल था, लेकिन प्रियंका और सागर की किसिंग और लंड चूत को टच करना उसे चाटना चूसना ये सब देख उसे भी उत्तेजना महसूस होने लगी थी,

आज पहली बार उसकी चूत में उसे कुछ हलचल महसूस हुई थी, उसका हाथ अपने आप ही अपनी चूत पे चला गया था, अपनी गीली हो चुकी चूत को सहलाने में उसे एक अलग ही मजा आ रहा था,

जैसे जैसे उन दोनों का खेल आगे बढ़ता गया वैसे वैसे माधवी भी अपनी चूत रगड़ने लगी ....और आखिर में वो पल आया जिसमे उसे लगा वो स्वर्ग में पहुंच गयी हो...हवा में उड़ने लगी हो...पांच मिनट तक उसकी चूत धड़ धड़ करती रही, उसकी चूत ऐसे धड़क रही थी जैसे दिल धड़कता है,

उसे इस बात का बिलकुल भी अंदाजा नहीं था की चूत को रगड़ने से इतना आंनद आता है,

सागर के जाने के बाद वो बहुत देर तक सोचती रही, बहुत ही अजीबो गरीब ख़याल उसके मन में आने लगे थे, सोचते सोचते वो कब सो गयी उसे भी पता नहीं चला,

सुबह जब उसकी आँख खुली तो देखा 8 बज गए थे, आज रविवार होने की वजह से माँ ने उसे उठाया नहीं था, उसने देखा प्रियंका भी सो रही है, उसने उसे जगाया,

माधवी :- प्रियंका उठ आठ बज गए है...

प्रियंका :- सोने दे ना यार...बहुत नींद आ रही है..

माधवी :- हा नींद तो तुझे आएगी ही..रात को बहुत देर तक जो जग रही थी,

प्रियंका :- हा ..नींद ही नही आ रही थी..

माधवी :- मैं उसकी बात नही कर रही...रात जो तू और भैया जो गुल खिला रहे थे उसकी बात कर रही हु....

प्रियंका को ये सुन के झटका सा लगा उसकी नींद एकदम से गायब हो गयी, वो उठ के बैठ गई और माधवी को देखने लगी, माधवी बहुत गुस्से में थी,

प्रियंका :- ये क्या बोल रही है,

माधवी :- चल ज्यादा नाटक मत कर...मैंने सब देख लिया..

प्रियंका :- देख माधवी मैं तुझे आज बताने वाली थी...

माधवी :- रहने दे...मैं सब समझ गयी की तू यहाँ सोने के लिए क्यू आयी,

प्रियंका :- वो तो मैं हमेशा आती हु...हा ये सच है की मुझे सागर से मिलना था इसलिए ...

माधवी :- चल मुझे कुछ नहीं सुनना...तू उठ और चाय नाश्ता कर के निकल यहाँ से...आज के बाद यहाँ कभी मत आना..तेरी मेरी दोस्ती खत्म...प्रियंका ये सुन के रोने जैसी सूरत हो जाती है, उसकी आँखे नम हो जाती है, माधवी ये देख जोर जोर से हँसने लगती है,

माधवी :- ये क्या तू तो सच में डर गयी...पागल मैं तो मजाक कर रही थी, मुझे तुम दोनों के रिश्ते से कोई प्रॉब्लम नहीं है...बल्कि मैं बहुत खुश हु..

प्रियंका :- साली कामिनी...डरा दिया तूने मुझे...प्रियंका माधवी की बालो को पकड़ते हुए कहती है,

माधवी :- आह्ह्ह छोड़ दे वरना माँ बाबा को बता दूंगी...प्रियंका ये सुन के छोड़ देती है,

प्रियंका :- नहीं मेरी माँ ऐसा कुछ मत करना मैं तेरे हाथ जोड़ती हु...

माधवी :- हा ऐसे ही हाथ जोड़ के रहना हमेशा वरना तू जानती है मैं क्या कर सकती हु...

प्रियंका :- हा मेरी माँ ऐसे ही रहूंगी...

माधवी :- चल अब जल्दी से उठ तैयार हो जा तुझसे बहुत बातें करनी है...

प्रियंका :- किस बारे में...

माधवी :- कल रात के बारे में...

प्रियंका :- हा मुझे भी तुझे बताना है...

दोनों ख़ुशी ख़ुशी कमर समेटने में लग जाती है,

इधर सागर अब तक सो रहा था, प्रभा अपने सुबह के काम निपटा चुकी थी, जसवंत भी अपने कामो में लगा था,

प्रियंका और माधवी चाय नाश्ता करके प्रभा की मदत करने लगती है,

उन दोनों को किचेन में काम करते देख प्रभा कहती है...

प्रभा :- आज तुम दोनों ही बनाओ खाना...मैं थोडा स्टोर रूम की सफाई कर देती हु, सागर उठा नहीं अब तक..

माधवी :- ठीक है माँ..हा अभी तक सो रहा है..प्रियंका को भेज देती हु उसे उठाने..ये सुन के प्रियंका माधवी को चुपके से जोर से चिकोटी काटती है,

प्रभा :- नहीं रहने दो मैं ही उठा देती हु उसे..तुम दोनों जल्दी से खाना बनाओ....तुम्हे पढाई भी तो करनी है,

माधवी :- वो तो हमने कल रात को ही कर ली...और प्रियंका ने तो कुछ ज्यादा ही करली..

प्रभा :- मतलब,

माधवी :- अरे माँ बहुत होशियार हो गयी है ये...सिलेबस के बाहर का भी पढने लगी है आजकल..

प्रभा :- अरे वाह...देख इसे कितनी मेहनती है सिख इससे कुछ..

माधवी :- हा मेहनती तो बहुत है, और कल रात मैंने उसे मेहनत करते हुए देखा...प्रभा को उसकी डबल मीनिंग बातो का मतलब समझ नहीं आता, वो उन दोनों को वाही किचेन में छोड़ के चली जाती है, प्रियंका माधवी का हाथ पकड़ के मरोड़ देती है,

प्रियंका :- कुत्ती कही की...इतनी जुबान कहा से आ गयी आज तेरे मुह में..कामिनी क्या बकवास कर रही थी, देख तू अभी ऐसी बाते करेगी ना मैं तुझसे कभी बात नहीं करुँगी,

माधवी :- छोड़ ना आह्ह दर्द हो रहा है...ठीक है नहीं करुँगी...लेकिन तू ही सोच अब तेरा मेरा रिश्ता ही ऐसा बन गया है...अब तेरी खिंचाई नहीं करुँगी तो किसकी करुँगी,

प्रियंका :- चुप कर...और काम कर..वो दोनों ऐसे ही हंसी मजाक करते हुए काम करने लगते है, इधर प्रभा सागर के रूम में उसे उठाने के लिए आती है, वो जानबुज के सागर को उठाने आयीं थी क्यू की उसे सागर को रिझाना जो था,

प्रभा देखती है की उसके कमरे का दरवाजा खुला था, वो चुप चाप अंदर आती है, सागर बेसुध हो के सो रहा था, प्रभा उसे देखती है, लेकिन वासना में लिप्त होने की वजह से उसकी नजर सीधे उसके लंड पे जाती हैं, सुबह जैसे सब लड़को का लंड थोडा टाइट रहता है वैसे ही सागर का लंड टाइट था, उसने उसके पैंट में तम्बू बना रखा था, प्रभा उसे देख के मचलने लगती है, वो उसके और नजदीक जाती है, उसके पैंट पे रात के वीर्य के थोड़े दाग थे,

प्रभा :- मन में..हाय स्स्स लगता है कल रात को मुठ मार के सोया है...किसके नाम से मारा होगा, मीना के या मेरे, उफ्फ्फ देखो तो सही कैसे खड़ा है अभी भी, प्रभा का मन उसे छूने के लिए ललायित हो उठा था, वो एक बार सागर को देखती है वो गहरी नींद सो रहा था, प्रभा आगे बढ़ के थोडा निचे झुकती है अपनी नाक उसके लंड के नजदीक ले जाके उसको सूँघती है,

प्रभा :- उफ्फ्फ क्या खुशबु है अह्ह्ह्ह मेरी तो चूत गीली होने लगी है अह्ह्ह..प्रभा साडी के ऊपर से ही अपनी चूत दबाती है, प्रभा से रहा नहीं जाता वो धीरे से अपने होठ उसके तम्बू बने लंड पे रख देती है, और झट से उसको चूम के खड़ी हो जाती है और सागर का रिएक्शन देखने लगती है, सागर अब भी सो रहा था, प्रभा अब थोडा हिम्मत करके लंड को उंगली से टच करती है, जैसे ही वो उसे टच करती है उसे एक झटका सा लगता है, और सागर को भी थोडा अहसास होता है, वो करवट लेके दूसरी तरफ सो जाता है,

प्रभा ये देख के डर जाती है, वो थोडा संभल जाती है और सागर को कमर से पकड़ कर हिलाते हुए उठाने लगती है, इस हड़बड़ाहट में प्रभा के साडी का पल्लू उसके छाती से सरक के हाथो पे आ जाता है, सागर करवट लेके उसकी तरफ मुद के जैसे ही आँखे खोलता है तो उसे सीधे प्रभा की ब्लाउज से झांकती उसकी चुचिया दिखाई देती है, ओ थोड़ी देर उन्हेंहि देखते रहता है, प्रभा को जब ये समज आता है की सागर उसकी चुचिया देख रहा है तो वो थोडा शरमा जाती है और अपना पल्लू ठीक करती है, *

प्रभा :- चल उठ जा देख कितने बज रहे है,

सागर :- हा उठता हु..प्रभा उसकी चद्दर समेटने में लग जाती है सागर उठ के बाथरूम चला जाता है, थोड़ी देर बाद सागर तैयार हो के हॉल में आता है, प्रियंका और माधवी उसे देख के खुसुर पुसुर खी खी करने लगती है, सागर ये देख के थोडा हैरान हो जाता है, उसे समज नहीं आता की वो कैसे प्रतिक्रिया दे, यही हाल माधवी का भी था, पता नहीं उसे सागर के सामने जाने से शर्म सी महसूस हो रही थी, प्रियंका तो जैसे नयी नवेली दुल्हन की तरह शरमा रही थी, और क्यू ना हो कल की रात उन दोनो के लिए सुहागरात जैसे ही तो थी पूरा दिन उनकी मस्ती चलती रही, सागर ये जानके बहुत खुश हुआ की माधवी को सब पता चल चूका है और वो भी बहुत खुश है, क्यू की अब उसका रास्ता साफ़ था, आज रात को वो प्रियंका को अपने कमरे में ले जाके उसकी चुदाई कर सकता था, प्रियंका भी इसी खयाल से रोमांचित हो उठी थी, लेकिन प्रभा इस तरह सब घर पे रहने से अपने प्लान पे काम नहीं कर पा रही थी,

लेकिन शाम होते होते सागर और प्रियंका का प्लान भी फेल हो चूका था, प्रियंका के घर पे कुछ मेहमान आ गये थे तो उसे उसकी माँ ने घर बुला लिया उसकी मदत के लिये, दोनों का मूड ख़राब हो गया था, रात को खाना खाने के बाद सब अपने अपने कमरे में जा के सो गए थे, लेकिन जसवंत को छोड़ सब अपने अपने खयालो में डूबे थे,

सागर और प्रियंका एक दूसरे के प्रभा सोच रही थी की वो अपनी इच्छा पूरी किस तरह करे, और माधवी कल रात के बारे में सोच रही थी, कल कैसे प्रियंका और सागर एक दूसरे के जिस्म से खेल रहे थे, कैसे सागर प्रियंका की चूत चाट रहा था और प्रियंका भी तो सागर का लंड चूस रही थी, और उनका वो खेल देख उसकी चूत भी गीली हो चुकी थी, कल ही क्या उसकी चूत तो आज भी गीली हो रही थी, उसे आज भी अपनी चूत को सहलाने की उसे रगड़ने की उसमे उंगली डाल के हिलाने की तीव्र इच्छा हो रही थी, और उस इच्छा को वो दबा भी नहीं पा रही थी,

वो एक पढ़ाकू और जिज्ञासु लड़की थी, पहले उसे सेक्स को लेके कोई दिलचस्पी नहीं थी, लेकिन अब उसे सब मालुम करने की इच्छा थी, लेकिंन उसे कोई रास्ता सूझ नहीं रहा था, लेकिन उसे पूरा यकीं था की वो कोई ना कोई रास्ता जरूर निकाल लेगी, ये सब सोचते हुए वो अपनी गीली चूत सहला रही थी, वो उसे तब तक सहलाती रही जब तक उसका पानी ना निकल जाय, फिर वो शांति से सो गयी,

दूसरे दिन सुबह ही सागर कॉलेज के लिए निकल गया, जाते वक़्त उसका चेहरा लटका हुआ था, क्यू की उसकी इच्छा अधूरी जो रह गयी थी, और अब उसे 15 20 दिन वापस आने का चांस भी तो नहीं था,
 
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भाग 14

उस दिन सभी का मुड़ बहुत ख़राब था, लेकिन कुछ दिनों में सब नार्मल हो गया, प्रियंका कभी कभी सागर से फ़ोन पे बात कर लेती थी, प्रभा ने भी अपने आप पे काबू पा लिया था, लेकिन सिर्फ माधवी ही थी जो बहुत बेचैन थी, उसको जो चाहिए था वो उसे मिल नहीं रहा था "सेक्स की जानकारी", उसने प्रियंका से बात करने की कोशिस की लेकिन प्रियंका आजकल अपने ही धून में रहती थी, उसकी जिज्ञासा बढती जा रही थी,

फिलहाल वो राखी का इन्तजार कर रही थी जो कुछ दिनों में आने वाली थी, सिर्फ वो ही नहीं प्रियंका और प्रभा भी उसी बात का इन्तजार कर रही थी, क्यू की सागर जो आने वाला था, लेकिन उन सबको राखी तक इन्तजार करने की जरुरत नहीं पड़ी, सागर की तबियत अचानक ख़राब हो गयी थी, उसे फ़ूड पोइझनिंग हो गया था, जसवंत को खबर मिलते ही वो शहर जा के उसे डॉक्टर को दिखा के घर लेके आ गया, 2 3 दिन में सागर ठीक तो हो गया लेकिन बहुत कमजोर हो गया था, और 4 5 दिन बाद राखी भी आने वाली थी सो उसे घर पे ही रोक लिया,

इसी बिच प्रभा ने एक तिकड़म चलाया जिस के तहत उसने जसवंत को इस बात से मना लिया की वो सागर के साथ जाके शहर में रहे, सागर की बिमारी का बहना बनाके उसने जसवंत को इस बात के लिए मना लिया की वो अपनी सबसे छोटी बहन सुमन को यहाँ गाव ले आये,

सुमन जसवंत की सबसे छोटी बहन थी, उसका पति फौज में था, वो अपने सास ससुर देवर देवरानी और अपने एकलौते बेटे के साथ पास के ही गाँव में रहती थी, उसकी उम्र 34 साल थी, उसका बेटा 5th में था, *जसवंत को भी ये सही लगा, वैसे भी वो सोच ही रहा था की अगले साल माधवी को भी शहर भेजे पढने के लिए, उनका एक फ्लैट भी था जो उसने इसी साल किरायदार से खाली करवा लिया था, उसने सोचा की यही सही होगा,

सागर को हॉस्टल में भी रहना नहीं पड़ेगा बाहर का खाना भी नहीं खाना पड़ेगा और सुमन के बेटे का एडमिशन वो यही माधवी के स्कूल में करवा लेगा, कुछ महीनो की तो बात है, उसके बाद माधवी भी वही चली जायेगी और वो भी कभी गाँव तो कभी शहर ऐसे करके अपनी खेती का ख्याल भी रख सकता था, जो अगले साल करना था वो अभी कर लेते है, उसने तुरंत ही चंदू के साथ शहर जाके सारी चीजो का बंदोबस्त कर लिया, और सुमन को भी बुलावा भेज दिया, सुमन वैसे भी राखी के लिए आने वाली ही थी,

सब सेट हो चूका था, लेकिन प्रभा के हिसाब से, प्रियंका और माधवी...खास करके प्रियंका बहुत दुखी थी, क्यू की ऐसे तो सागर का गाँव आना बंद ही हो जाता, जब उनसे मिलना होगा तब माधवी और जसवंत जा के मिलके आ जाएंगे लेकिन उसका क्या होगा, माधवी थोड़ी दुखी थी क्यू की प्रभा को छोड़ वो कभी अकेली नहीं रही थी, सबके अपने फायदे थे और अपने नुक्सान लेकिन कोई करे भी तो क्या, मुश्किलें तो थी ही लेकिन उनमे से रास्ता निकालना ही तो जिंदगी है,

और माधवी ऐसी मुश्किलो में से रास्ता निकलने में माहिर थी, अब इन मुश्किलो से प्रियंका और अपने लिए कैसे रास्ता बनाएंगी ये तो आने वाला समय ही बता सकता था, राखी के बाद सागर और प्रभा शहर के लिए निकल गए, उन्हें छोड़ने के लिए माधवी और जसवंत भी गए थे, वहा सब सेट था, 3bhk फ्लैट था, सारी सुख सुविधा का इन्तजाम जसवंत ने कर दिया था, माधवी ने खुद के लिए मोबाइल लेने की जिद्द की, प्रभा को भी लगा की उसकी सहूलियत के लिए उसे मोबाइल दिला देना चाहिए,

क्यू की अबतक तो वो प्रभा का ही मोबाइल जब उसे जरुरत होती तो इस्तमाल कर लिया करती थी, सागर और माधवी बाजार जाके मोबाइल ले आये, सागर ने प्रियंका के लिए भी एक मोबाइल और सिम ले लिया ताकि वो उससे बाते कर सके, और उसे माधवी को चुपके से प्रियंका को देने को कहा,

एक रात रुक के माधवी और जसवंत गाव वापस आ गए, सुमन ने घर की सारी जिम्मेदारी संभाल ली थी, वो और उसका बेटा पवन गेस्ट रूम में सेट हो गए थे, माधवी ने प्रियंका को मोबाइल दिया तो वो बहुत खुश ही गयी, खुश तो माधवी भी बहुत थी क्यू की उसके पास अब मोबाइल था और इंटरनेट से उसे पढाई से जुडी बहुत सी बाते आसानी से मिलने वाली थी,

लेकिन वो उसका इस्तेमाल पढाई से ज्यादा चुदाई की बाते जानने के लिए करने वाली थी, यहाँ प्रभा तो ख़ुशी के मारे फूली नहीं समां रही थी क्यू की अब वो आसानी से और आजादी से सागर के लंड का मजा लें सकती थी, और उसने उस हिसाब से पहले दिन से ही काम करना सुरु कर दिया था, उसे पता था की सागर पहले भी उसे नंगा देख मुठ मार चूका है, उसने उसे ऐसे ही अपना जिस्म दिखा दिखा के पागल कर देने का प्रभा का इरादा था,

ताकि सागर सामने से आके उसकी चुदाई करे, वो सागर के सामने जानबुज के अपना पल्लू साइड में कर के रखने लगी ताकि सागर को उसकी बड़ी बड़ी चुचिया की झलक मिलती रहे, सागर पहले पहले ध्यान नहीं गया लेकिन प्रभा उसके सामने ऐसी हरकते करती रही तो सागर का ध्यान अपने आप ही उसपे जाने लगा, सागर अब चुपके चुपके उसकी चुचियो को देखने लगा था, उसकी नंगी कमर नंगा पेट देख उसका लंड में तनाव आने लगा था, और जब प्रभा चलती तो उसकी मटकती गांड देख सागर अपना लंड मसले बिना नहीं रह पाता,

इसके लिए वो खुद को डांट भी देता की वो अपनी माँ को देख ऐसी हरकते करता है लेकिन वो जितना नहीं करने की सोचता उतना ही वो प्रभा की और आकर्षित होते जा रहा था, प्रभा ये देख के खुश थी की सागर उसकी और आकर्षित हो रहा है, प्रभा अब थोडा और आगे बढ़ने लगी थी, जब सागर कोल्लेज से घर आता वो उसे गले लगा लेती, वो अपनी चुचिया सागर के छाती पे दबा देती, सागर को पहले ये सब नार्मल लगा लेकिन अब वो जब भी प्रभा के गले लगता तो उसे थोडा और कसके अपनी और खिचता, कभी कभार उसका लंड प्रभा के चूत के आस पास छु जाता,

प्रभा का प्लान काम कर रहा था, बात उससे आगे नहीं बढ़ रही थी, सागर अभी भी सिर्फ ऊपर ऊपर के मजे से खुश था, क्यू की प्रभा के मन की बात वो जानता नहीं था, और उसके मन में अपनी माँ की चुदाई का ख्याल अभी तक आया भी नहीं था, क्यू की रोज रात को प्रियंका से फ़ोन पे बात कर अपना पानी निकाल लेता था, प्रियंका भी बहुत मजे लेके अपनी चूत झाड़ लेती थी, वो दोनों बस उस दिन का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे जब वो दोनों अपनी इच्छा को पूरा कर सके,

*माधवी भी अब बहुत आगे बढ़ गयी थी, अपनी पढाई खत्म कर वो मोबाइल पे अपनी जिज्ञासा शांत करने में लग जाती, सुरु सुरु में सेक्स से रिलेटेड टॉपिक्स पढती, उसने बहुत दिनों तक सिर्फ वही पढ़ा, फिर धीरे धीरे वो पोर्न साईट पे जाके नंगी फ़ोटो देखने लगी, फ़ोटो में लड़को के लंड देख वो बहुत उत्तेजित हो उठती, लड़कियो की चिकनी चूत और गांड देख वो अपनी चूत और गांड को चिकना करने में लग गयी, उनकी चुचिया देख वो भी सोचती की मैं भी अपनी चुचिया बड़ी करू, और वो फिर अपने हाथो से अपनी चुचिया दबाना उनकी तेल मालिश करना ये सब करने लगी,

फिर माधवी मोबाइल पे चुदाई वाले वीडियो भी देखने लगी, वीडियो देख वो अपनी चूत को रगड़ के पानी निकालने लगी, कभी कभी तो रात में दो तिन बार वो उंगली से चूत की चुदाई करती, कुछ ही दिनों में माधवी बिलकुल बदल गयी थी, अब जब वो किसी लड़के को देखती तो सोचती की इसका लंड कैसा होगा, कितना बड़ा होगा, ये मुझे चोदेगा क्या, लेकिन वो सिर्फ सोचती लेकिन रियल में कभी उसने ट्राय नहीं किया और किसीने ट्राय किया तो उसे रेसपोंस भी नहीं दिया, लेकिन इनसब चीजो से उसके अंदर चुदाई के लिए प्यास बढ़ाने का काम जरूर किया था, अब उसकी सेक्स के बारे में जानकारी बहुत हो गयी थी, अब उसे रियल में चुदवाना था लेकिन अपने बाबा के रुतबे और डर के चलते हिम्मत नहीं जुटा पा रही थी,

ऐसे ही 15 दिन गुजर गए थे, प्रभा और सागर एक बार गाँव भी हो आये थे, वहा सब ठीक देख प्रभा को बहुत अच्छा लगा,

प्रियंका प्रभा और माधवी ही नहीं एक और औरत भी थी जो अब चुदाई की प्यासी हो चुकी थी और वो थी सुमन....,

सुमन *ऐसे तो शरीफ औरत थी मगर थी तो औरत ही, उसके भी अरमान थे, वैसे उसका पति फौज में था, वो साल में एक बार महीने भर की छुट्टी लेके आता था, उस वक़्त वो सुमन की जमके चुदाई करता था लेकिन बाकि के दिन तो बेचारी सुमन को अकेले ही काटने पड़ते थे, वहां उसके ससुराल में उसपे बहुत पाबंदिया थी, उस्की सास सौर देवर देवरानी सभी उसपे नजर रखते थे की वो कही फिसल ना जाय, अब मायके में वो आजाद थी, उसके ससुराल वाले उसे भेजना नहीं चाहते थे लेकिन जसवंत के उनपे बहुत अहसान थे, और सुमन के पति ने भी उसे इजाजत दे दी थी उनके पास और कोई चारा नहीं था,

सुमन अपने मायके में आके बड़ी खुश थी, वो अब अपने मर्जी की मालकिन थी, प्रभा नहीं होने के कारण वो अब उस घर की मालकिन थी, माधवी से उसकी हमेशा से ही बहुत बनती थी, वो उसे बहुत प्यार करती थी और माधवी भी अपनी बुआ से बहुत लगाव था, जब भी वो घर पे रहती तो उनका हंसी मजाक में वक़्त निकल जाता था, फिर माधवी अपने पढाई में और मोबाइल में खो जाती और सुमन अपने बेटे को खाना खिलाना उसकी पढाई और फिर उसे सुलाना इन सब में, दिन भर सुमन अकेले ही घर में रहती थी,

सुरु के 4 5 दिन तो युही नार्मल गुजरे लेकिन तब सब बदल गया जब चंदू की वासना भरी नजर उसपे पड़ी, चंदू *तो था ही कमीना, पहले प्रभा पे उसकी नजर थी और अब सुमन पे, सुमन तो प्रभा से जवान थी और अकेली भी, चंदू जब सुरु सुरु में जसवंत का टिफिन लेने आता था तब सुमन को उसकी नजर का पता नहीं चला, लेकिन उसकी बुरी नियत का पता सुमन को जल्द ही चल गया, चंदू हमेशा उसकी उभरी हुई चुचियो को घूरते रहता, उसकी गांड को देख लंड मसलते रहता, सुमन पहले तो उसे नजरअंदाज करती रही मगर चंदू अब उसे छूने की भी कोशिस करने लगा था,

एक तो सुमन बहुत दिनों से प्यासी और ऊपर से किसी मर्द का स्पर्श, उफ्फ्फ वो इससे सिहर उठती, उसे अच्छा भी लगता मगर चंदू था तो गैर मर्द ही, उसने सोचा की उसकी शिकायत वो जसवंत से कर दे मगर उसकी गरीबी को देख उसने खुद ही सोचा की अगर चंदू ज्यादा ही कुछ करेगा तो वो उससे बात कर उसे समझा देगी और अगर फिर भी वो नहीं सुधरा तो फिर जसवंत को बोल देगी,

लेकिन एक दिन ऐसा हुआ की वो खुद ही उससे चुदवाने के लिये तड़प उठी,

एक दिन शाम को घर में गेहू खत्म हो गए थे, जसवंत खेतो से लौटा नहीं था, तो वो खुद ही गोडावून में गेहू लेने चली गयी, वहा जाके देखा तो चंदू वहा गोडावून के बाजू वाली दीवार से सट के पेशाब कर रहा था, सुमन की नजर उसपे पड़ी, सुमन ने देखा चंदू आराम से अपना लंड बाहर निकाल के पेशाब कर रहा था, उसका लंड देख के सुमन सर लेके पाँव तक काँप उठी, उसका लंड खड़ा नहीं था फिर भी काफी बड़ा था, उसके पति का लंड भी अच्छा खासा लंबा और मोटा था मगर चंदू का उससे भी बड़ा था,

*चंदू ने तिरछी नजरो से देखा की सुमन उसके लंड को देख रही है और वो उसमे खो सी गयी है, चंदू ने मौके की नजाकत को ताड़ लिया, और अपना लंड हिलाने लगा, ये देख के सुमन के होश उड़ गए, वो वहा से भाग जाना चाहती थी मगर ना जाने कोनसी कशिस थी चंदू के लंड में की वो सब भूल सी गयी, चंदू ने हिला हिला के अपना लंड एकदम कडा कर लिया था, सुमन ये देख के अपने होठो पे जुबान फेरने लगी थी, उसके अंदर के दबे हुए अरमान अब उछल के बाहर आना चाहते थे,

तभी किसी तेज आवाज से वो चौकी, उसने खुद को संभाला और वो गोड़ावून के अंदर चली गयी और गेहू की बोरी से गेहू निकालने लगी, चंदू ये देख उसके पीछे पीछे अंदर चला गया, उसे देख सुमन शरमा गयी, चंदू ने उसके चेहरे के भाव पढ़ लिए थे, उसे पता चल गया था की ये मछली फसने वाली है,

चंदू :- अरे दीदी क्या चाहिए, मुझे कह दिया होता मैं हु ना आपकी सेवा के लिए,

सुमन :- वो गेहू लेने आयीं थी,

चंदू ने आगे बढ़ के सुमन के हाथो से बोरी अपने हाथ में लेली, बोरी लेते वक़्त उसने जानबुज के सुमन के हाथो को छुवा, सुमन को तो जैसे करंट सा लगा,

चंदू ने बोरी लेके सुमन से कहा...

चंदू :- दीदी आप थोडा साइड में हो जाओ मुझे उस्तरफ जाने दो...मैं गेहू बोरी में डाल देता हु...

वहा सारे आनाज रखे होने से बहुत ही कम जगह थी,

सुमन थोड़ी सरक के खड़ी हो गयी, लेकिन वो बहुत ही असमंजस में थी तो वो अपनी गांड चंदू की तरफ कर दी, चंदू ये देख के बहुत खुश हो गया, वो उस पतली सी जगह से निकलने लगा, जैसे ही वो सुमन के पीछे पहुंचा वो जानबुज के *उसपे गिर गया, सुमन वो कैसे गिरा ये देख नहीं पायी, लेकिन चंदू ने इस बात का बहुत फायदा उठा लिया, उसने अपना लंड सुमन के गांड से मस्त रगड़ लिया, सुमन को भी उसके खड़े लंड का अहसास बहुत अच्छे से हुआ था, उसकी आँखे अपने आप बंद हो गयी, ये सब कुछ ही पलो में हुआ लेकिन उसका जादू सुमन पे चल चूका था, उसका, चेहरा लाल हो गया था,

चंदू :- माफ़ करना दीदी...वो पैर अटक गया था,

सुमन :- कोई बात नहीं...वो निचे देख शरमा के बोली,

चंदू को अब पूरा यकीं हो गया था की सुमन फंस गयी है, लेकिन चंदू बहुत खिलाड़ी था, उसे पता था की जब तक फल पक ना जाय उसे खाना नहीं चाहिए, सुमन वही खड़ी उसे गौर से देखने लगी, उसका लंड तो वो देख ही चुकी थी अब वो उसका कसरती शरीर देख पूरी तरह मोहित हो चुकी थी, चंदू ने बोरी में गेहू दाल दिया था, वो वापस पलटा बोरी का मुह दोनों हातो से पकड़ा और उसके मुह के पास अपना लंड सटा दिया और सुमन से कहने लगा....

चंदू :- दीदी आप इसे पकड़ोगी, मैं रस्सी से बाँध लेता हु,

सुमन ने देखा की वो पकड़ने के लिए तो बोरी कह रहा है मगर इशारा लंड की तरफ कर रहा था, सुमन ऐसे ही मुँहफट और बिंदास टाइप की थी, ऐसी डबल मीनिंग वाली बाते उसे जल्द ही समझ आ जाती थी,

सुमन :- हा दो ना पकड़ती हु...कसके पकडू,

चंदू सुमन का रेसपोंस देख मन ही मन खुश होने लगा था,

चंदू :- जैसे आप पकड़ना चाहो वैसे पकड़ो...

सुमन :- कसके पकड़ती हु...कही छूट ना जाय,

चंदू :- आप उसकी चिंता मत करो...मेरा जल्दी नहीं छूटता...

सुमन :- ये सब तो पकड़ने वाले पे होता है...

चंदू :- हा ये भी है...

सुमन आगे बढ़ के निचे बैठ जाती है और बोरी को पकड़ने के लिए हाथ आगे बढ़ाती है, चंदू ये देख अपना लंण्ड और भी आगे करता है, सुमन चंदू की तरफ देखती है और एक नटखट भरी स्माइल के साथ अपना हाथ चंदू के लंड से रगड़ते हुए बोरी को पकड़ लेती है, चंदू सुमन के हाथो का स्पर्श अपने लंड पे पाके मदमस्त हो उठा था, उसे यकीं नहीं हो रहा था की सुमन इतने जल्दी पट जायेगी, वो रस्सी से बोरी को बाँध देता है और कंधे पे उठा लेता है, सुमन बाहर आती है, चंदू भी उसके पीछे पीछे बाहर आ जाता है,

चंदू :- दीदी जरा ताला लगा देना,

सुमन गोडावून बंद करने लगती है, लेकिन वो पुराना लॉक होने से उससे बंद नहीं हो पा रहा था,

सुमन: *जंग लग गया है...चाबी अंदर जा नहीं रही,

चंदू :- हा दीदी ताले के छेद में बहुत दिनों से कोई चाबी नहीं गयी है इसलिए छेद में जंग लग गया है, छेद को पहले ऑइल डाल के गिला करना पड़ेगा तब चाबी आसानी से अंदर चली जायेगि,

सुमन :- हा सच कहा ...काफी दिनों तक ताले में चाबी नहीं जाय तो उसे जंग लग ही जाता है...फिर उसे धीरे से गिला करके अंदर डालना पड़ता है,

चंदू :- हा सच कह रही हो तुम...बिना गिला किये अंदर जाएगा ही नहीं...

सुमन :- लेकिन सिर्फ ताले का छेद ही नहीं...चाबी को भी ऑइल से गिला करना पड़ेगा...तभी काम बनेगा,

चंदू :- हा दीदी वो तो है...लाओ मैं मैं छेद और चाबी दोनों गीली करके लाता हु,

सुमन और चंदू ऐसी बाते करके एक दूसरे को ग्रीन सिग्नल दे रहे थे, सुमन की चूत तो गीली होने लगी थी,

सुमन के अंदर वासान अब पुरे उफान पर थी, अगर चंदू उसे वही गोडावून में चोदना चाहता तो वो वही उससे चुदवा लेती, लेकिन चंदू बहुत चालाक था, उसे पता था की यहाँ ये सब करना जोखिम का काम था क्यू की जसवंत अभी कुछ ही देर में वहा अपने खेती का सामन रखने आने वाला था,

चंदू ताले को ऑइल लगाके ले आया, उसने ताला लगाया और वो दोनों घर आ गए,
 
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भाग 15

उस रात सुमन रातभर तड़पती रही, वो महीनो अपने पति से दूर रहती थी लेकिन ऐसी तड़प उसे कभी महसूस नहीं हुई,

दूसरे दिन वो चंदू के आने का बेसब्री से इन्तजार कर रही थी, जैसे ही उसने चंदू की आवाज सुनी वो दौड़ती हुई टिफिन लेके जाने लगी, चंदू बाहर ही खड़ा था, उसने चंदू को आवाज लगा के अंदर बुलाया, इस वक़्त वो घर पे अकेली ही रहती थी, चंदू भी ये बात जानता था, चंदू अंदर गया, टिफिन लेते वक़्त जानबुज के सुमन का हाथ छु लिया, सुमन को अब उससे कोई ऐतराज नहीं था, वो चंदू से चुदवाने का फैसला कर चुकी थी,

वो एकदूसरे को देख मुस्कुराह रहे थे,

चंदू :- आज क्या दिया है टिफिन में,

सुमन :- बैगन का भर्ता है...क्यू ,

चंदू :- कुछ नहीं ऐसे ही पूछ रहा हु...

सुमन :- क्यू तुम्हारे टिफिन में क्या है,

चंदू :- कुछ पता नहीं...पूछा नहीं घरवाली से,

सुमन :- तुम्हारा मन है कुछ खाने का तो बता देना अभी बना देती हु...

चंदू :- (उसकी चुचियो को देख) मेरा मन तो बहुत कुछ खाने का है दीदी...

सुमन उसको अपनी चुचियो देख आहे भरते हुए देखा तो उसके शरीर में सुरसुरी सी दौड़ पड़ी,

सुमन :- फिर भी कुछ खास....

चंदू :- खास तो सभी कुछ है...गरीब के लिए जो मिले वो ही सही,

सुमन :- एक अच्छीसि दावत के बारे में क्या ख्याल है,

चंदू :- फिर तो मजा ही आ जायेगा,

सुमन :- मजा तो बहुत आएगा ...खाने वाले को भी और खिलाने वाली को भी...

चंदू :- फिर कब दोगी....दावत,

सुमन :- तुम्हारा जब मन करे ले लेना....दावत...बस तुम मुझे पहले बता देना...ताकि मैं तैयारी कर के रखु...

चंदू :- मेरा मन तो कर रहा है अभी ले लू...लेकिन अभी मुझे खेतो में काम है...जसवंत भैया राह देख रहे होंगे...

सुमन :- ठीक है जैसा तुम कहो...

चंदू :- जल्दी जल्दी में मजा नहीं आएगा...

सुमन :- हा ये तो सही बात है...जल्दी जल्दी में मजा नहीं आएगा...

चंदू :- बड़ी समझदार हो गयी हो दीदी तुम...

सुमन :- वक़्त और हालात बना देते है...

चंदू को अब पूरा यकीन हो गया था की सुमन अब पूरी तरह से उसके वश में है, वो थोडा आगे बढ़ के सुमन के नजदीक जाता है ...उसकी कमर को पकड़ के अपनी और खीच लेता है, सुमन को भी यही चाहिए था, लेकिन औरत थी थोडा ना नुकुर तो बनाता है,

सुमन :- अह्ह्ह क्या कर रहे हो चंदू...कोई आ जायेगा...दरवाजा खुला है,

चंदू :- स्स्स कोई नहीं आएगा...बड़ी आग लगी है क्या तुझमे,

सुमन :- आह्ह हा आग तो कब से लगी पड़ी है...

चंदू :- क्यू वह ससुराल में कोई नहीं क्या तुम्हारी आग बुझाने वाला,

सुमन :- नहीं ना...इसीलिए तो तड़प रही हु...और तुम हो की..यहाँ पूरी दावत पड़ी है तुम्हारे सामने और तुम्हे खेत जाना है अह्ह्ह्ह

चंदू :- क्या करू ...काम है..थोडा चख तो लू इस दावत का स्वाद कैसा है,

चंदू उसको किस करना चाहता है लेकिन सुमन उसे रोक लेती है,

सुमन :- ऊ..हु...अभी नहीं...कुछ चखने नहीं मिलेगा..

चंदू :- ठीक है...जैसी तुम्हारी मर्जी...मैं देखता हु दोपहर में कुछ काम निकाल के आ पाया तो...

सुमन :- ठीक है मैं इन्तजार करुँगी...

चंदू उसे छोड़ देता है और जाने लगता है,

सुमन :- अह्ह्ह्ह रुको तो सही...सुमन उसका लंड पैंट के ऊपर से पकड़ लेती है, उसके लंड को साइज़ देख उसके मन में गुब्बारे फूटने लगते है, जरा देखु तो सही जिस चमच से दावत खाने वाले हो वो कैसा है,

चंदू :- स्स्स नहीं अब तुम भी इंतजार करो...

सुमन का मन थोडा खट्टा हो जाता है, वो आहे भरते हुए चंदू को वहा से जाते हुए देखने लगती है,

इधर प्रभा के लिए भी कल की रात और आज की सुबह काफी अच्छी रही, कल रात को खाना खाने के बाद सागर और प्रभा हॉल में बैठ के टीवी देख रहे थे, प्रभा की गर्दन और कंधे बहुत दर्द कर रहे थे, बार बार प्रभा अपनी गर्दन को झटका सा दे रही थी, और अपने कंधे अपने हाथो से दबा रही थी, सागर ये देख रहा था,

सागर :- क्या हुआ माँ, बहुत दर्द है क्या, मैं दबा दू,

प्रभा को और क्या चाहिए था, वो तो अपना पूरा बदन उससे दबवाना चाहती थी,

प्रभा :- हा रे बहुत दर्द कर रहा है..यहाँ करने को कुछ ख़ास काम नहीं रहता तो दिनभर लेटे लेटे पूरा बदन अकड़ सा जाता है,

सागर :- ठीक है माँ..मैं अभी आपकी गर्दन और कंधे दबा देता हु,

सागर उठ के सोफे के पीछे जा के प्रभा के कंधे दबाने लगता है, सागर के हाथ का धक्का लगने से प्रभा की साडी का पल्लू नीचे गिर जाता है, सागर को प्रभा की आधे से ज्यादा चुचिया दिखने लगती है, सागर धीरे धीरे प्रभा के कंधे और गर्दन दबा रहा था, मगर उसका पूरा ध्यान प्रभा की चुचियो पे था, जिसका असर ये हुआ की उसका लंड खड़ा होने लगा, प्रभा को उसके लंड का आभास हुआ तो वो अपनी सर सोफे पे पीछे करके टिका देती है, जिससे एक तो सागर को और भी अच्छा view मिलने लगा था और दूसरा प्रभा उसके लंड को सर से दबा सके,

लेकिन जैसे ही प्रभा का सर सागर के लंड से टकराता है वो थोडा पीछे हट जाता है, प्रभा ये देख थोड़ी निराश होती है, थोड़ी देर ऐसे ही चलते रहता है, प्रभा फिर थोड़ी कसमसाती है और अपने हाथ अपने पेट ले आती है और चुचियो को थोडा ऊपर उठा देती है, सागर को वो उभरी हुई चुचिया देख पागल सा हो जाता है, वो उनको और अच्छेसे देखने के लिए आगे आता है जिससे उसका लंड प्रभा के कान को छूने लगता है, एक तो सागर का लंड और वो प्रभा के सबसे कामुक हिस्से से टच कर रहा था, प्रभा तो उत्तेजना के मारे कापने लगी थी,

सागर को जबतक इस बात का अहसास होता है तब्बतक प्रभा थोडा ऊपर खिसक के सागर का लंड अपने गालो से दबाने लगती है, सागर को भी ये सब अब अच्छा लगने लगा था, वो भी धीरे धीरे प्रभा के गाल से अपना लंड रगड़ते हुए मजे लेने लगा, प्रभा का तो मन कर रहा था की अभी उसका लंड पकड़ के चूसने लग जाय लेकिंन वो चाहती थी की इस मामले में पहल सागर करे....इतना सबकुछ हो रहा था सागर का लंड प्रीकम छोड़ने लगा था, प्रभा को उसकी खुशबु आने लगी थी,

वैसे तो प्रभा की चूत भी पानी छोड़ने लगी थी, लेकिन इसके आगे कुछ हो पाता प्रियंका का फ़ोन आने लगता है, सागर ये देख बहाना बनाता है की उसे नींद आ रही है और वो अपने कमरे में चला जाता है, प्रभा उसके जाने से थोड़ी दुखी जरूर होती है लेकिन ये सोच के खुश भी होती है की 15 दिन की उसकी कोशिश अब रंग लाने लगी है, वो भी टीवी बंद करके अपने कमरे में सोने चली जाती है, *

सागर प्रियंका से बात करते हुए अपना पानी निकाल के सोने लगता है लेकिन आज उसे उतना मजा नहीं आया था क्यू की रह रह के उसको प्रभा की याद आ रही थी,

सागर :- उफ्फ्फ सच में माँ बहुत ही सेक्सी है, उनको देख के मेरा अपने आप पे काबू पाना बहुत मुश्किल हो रहा है आजकल, लेकिन माँ को ये समझ नहीं आता क्या की मैं उन्हें देखता रहता हु या वो जानबुज के मुझे दिखाती रहती है...क्या वो मुझसे चुदवाना....नहीं ऐसा कैसे हो सकता है, क्यू नहीं हो सकता वो प्यासी है वो खुद की उंगली चूत चोदते हुए मैंने देखा है,

अगर सच में वो मुझसे चुदवाना चाहती है तो मुझे क्या करना चाहिए, क्या करना चाहिए मतलब, अबे गधे अगर वो खुद हो के तुझसे चुदवाना चाहती है तो तुझे क्या प्रॉब्लम है, और वो इतनी हॉट है तेरी तो हर रात सुहागरात में तब्दील हो जायेगी, हा यार ये तो मैंने सोचा ही नहीं, लेकिन मुझे पहले सब कन्फर्म करना चाहिए नहीं तो प्रॉब्लम हो जायेगी, ये सब सोचते सोचते वो सो जाता है,

सुबह जब वो तैयार हो के कॉलेज जाने के लिए तैयार होता है तो प्रभा उसे बाइक पे बाजार छोड़ने को कहती है, प्रभा उसके पीछे बैठ जाती है एयर अपना हाथ उसके पेट पे रख देती है, प्रभा उसकी पीठ पे अपनी चुचिया दबा रही थी, उसका लंड अब प्रभा के छूने भर से भीं खड़ा होने लगा था, वो प्रभा को बाजार छोड़ देता है लेकिन वो प्रभा से कहता है की वो रुकेगा और उसे वापस घर छोड़ देगा, प्रभा उसे जाने को कहती है मगर वो नहीं सुनता, प्रभा मन ही मन खुश होने लगी थी, *

प्रभा जल्दी से शॉपिंग कर लेती है और वापस सागर के बाइक पे बैठ के वापस आने लगते है, सागर जानबुज के लंबा और सुनसान रास्ते से बाइक लेता है, प्रभा ये सब देख के कुछ करने की सोचती है, वो पेट पे रखा हाथ थोडा निचे लेती है, सागर का लंड तो वैसे ही खड़ा था, प्रभा के हाथ का निचला हिस्सा उसके लंड से टच होने लगता है, जब कभी गाडी गड्ढे से होती गुजरती तो झटके के साथ प्रभा का हाथ भी झटके के साथ उसके लंड से टकरा जाता,

सागर अब जानबुज स्लो और गड्ढे में से बाइक चला रहा था, प्रभा को ये उसकी चालाकी समझ में आ चुकी थी, वो अब जब भी गाड़ी गड्ढे से जाती वो अपना हाथ सागर के आधे लंड तक ले जाती, इससे सागर को बहुत मजा आ रहा था, और साथ साथ उसे ये भी यकीं हो चला था की माँ जो भी कर रही जानबुज के कर रही है, वो अपनी चूत की प्यास शायद मेरे लंड से बुझाना चाहती है,

प्रभा इससे ज्यादा कुछ करना नहीं चाहती थी, क्यू की किसी की भी नजर उनपे पड़ सकती थी, जितना हुआ था वो उसके लिए बहुत था, और सबसे बड़ी बात तो ये थी की अब उसे सागर की तरफ से भी रेसपोंस मिलने लगा था,

प्रभा की मन की मुराद ना जाने कब पूरी होने वाली थी मगर सुमन की मुराद आज दोपहर में जरूर पूरी होने वाली थी, चंदू ने बहाना बना के जसवंत से छुट्टी ले ही ली, चंदू जल्दी जल्दी गाँव में पहुंचा, वो जसवंत के घर पहुंचा, उसने देखा की दरवाजा खुला ही था, वो अंदर आया और दरवाजा बंद कर लिया, उसने देखा सुमन किचन में कुछ काम कर रही थी, वो चुपकेसे अंदर गया सुमन की पीठ दरवाजे की तरफ थी वो धीरे धीरे आगे बढ़ा और सुमन को पिछेसे पकड़ लिया, सुमन पहले तो बहुत घबरा गयी लेकिन जब उसने देखा की चंदू है तो वो नार्मल हो गयी,

सुमन :- उफ्फ्फ मैं तो घबरा ही गयी थी...ये क्या तरीका है, और छोडो मुझे दरवाजा खुला है,

चंदू :- तुम्हे छोड़ने के लिए नहीं पकड़ा है, और दरवाजा मैंने बंद कर लिया है,

सुमन :- कोई आ गया तो,

चंदू :- कोई नहीं आएगा दोपहर में...और आ भी गया तो मैं पीछे के रास्ते से तबेले में चला जाऊँगा, *

सुमन :- ह्म्म्म तू तो सच में आ, गया...

चंदू :- क्यू तू मजाक कर रही थी क्या,

सुमन :- हा..

चंदू :- ठीक है फिर वापस जाता हु मैं...

सुमन :- अरे...चल अब तू आ ही गया है तो...

चंदू :- तो क्या , चंदू पिछेसे अपना लंड सुमन की गांड को रगड़ता हुआ बोला,

सुमन :- तो तेरी दावत तुझे खिला ही देती हु, बड़ा उतावला हो रहा है तू खाने के लिए,

चंदू :- स्स्स मुझसे ज्यादा उतावली तो तू हो रही है मुझे खिलाने के लिए, चंदू उसकी गर्दन को चूमता हुआ बोला,

सुमन ने एक हाथ उसके चेहरे को लगाया और दूसरा हाथ से उसका लंड पकड़ के बोली..

सुमन :- स्स्स्स्स् आआअह्ह्ह्ह हा रे सच कहा तूने जबसे तुम्हारे इस मूसल को देखा है अह्ह्ह उसे अंदर लेने के लिए बहुत उतावली हो रही हु उम्म्म्म्म अह्ह्ह्ह

चंदू ने अपने हाथ अब उसकी चुचियो पे रख के उन्हें धीरे धीरे दबाने लगा,

चंदू :- अह्ह्ह्ह सुमन उफ्फ्फ जिस दिन से रम यहाँ आयी हो उस दिन से तुम्हारी इन बड़ी बड़ी चुचियो ने मुझे पागल सा कर दिया है, आज पकड़ में आयी है अह्ह्ह्ह्ह....ऐसा बोल चंदू ने सुमन के मम्मे थोडा जोर से दबा दिए,

सुमन :- अह्ह्ह्ह्ह धीरे ना उफ्फ्फ्फ्फ्फ

चंदू :- अह्ह्ह्ह क्या धीरे , तू क्या कुवारी लड़की है जो इतना आह उह्ह कर रही, चंदू ने उसे टर्न किया और उसको कमर से पकड़ के अपना लंड उसकी चूत से सटा दिया और गांड पे हाथ रख के दबाने लगा, तू तो खेली खायी है,

सुमन ने अपने हाथ उसके गले में डाले और एक हल्का सा चांटा उसके गाल पे लगा दिया,

सुमन :- कुवारी नहीं हु लेकिन दर्द तो होता ही है,

चंदू :- आय हाय स्स्स्स ....चंदू ने अपना एक हाथ से हलके से उसके बाल पकडे और वो उसे होठो पे किस करने लगा, सुमन इतना उत्तेजित थी की जैसे ही चंदू ने उसे कीस करना सुरु किया वो ज्यादा आक्रामक होते हुए उसे चूमने लगी, दोनों की अंदर की आग अब ज्वाला बन चुकी थी जो अब बड़ी बड़ी लपटो में तब्दील हो चुकी थी, दोनों एक दूसरे के, *जिस्म को सहलाते हुए एक दूसरे के होठो को चूस रहे थे,

चंदू सुमन की जुबान को अपने मुह में भरकर तेज तेज चूस रहा था, उसने सुमन को ऐसे ही चूमते हुए वह किचन के टेबल पे बिठा दिया था, वह रखे बर्तन निचे गिर गए थे, मगर अब उनको किसीकी परवाह नहीं थी, सुमन ने अपने पैरो से चंदू जकड कर अपनी चूत पे धक्का देने के लिए उकसा रही थी, चंदू जितना हो सके उतना उसकी चूत पे लंड रगड़ रहा था, उसकी चुचिया मसल रहा था,

सुमन :- अह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स चंदू अह्ह्ह्ह बहुत दिनों से प्यासी है रे मेरी...अह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स्स्*

चंदू :- आज सारी प्यास बुझा दूंगा मेरी जान अह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स्स् अह्ह्ह्ह स्स्स अह्ह्ह्ह जरा अपनी इन बड़ी बड़ी चुचियो से पर्दा तो हटा दो अह्ह्ह्ह

ऐसा बोल के चंदू ने सुमन का ब्लाउज को दोनों साइड से पकड़ा और एक झटका दिया, सुमन का ब्लाउज के बटन टूट के निचे गिर गये, सफ़ेद रंग की ब्रा में उसकी गोरी गोरी चुचियो को देख चंदू पागल सा हो गया, चंदू ने उसकी ब्रा को भी निकाल फेंका, चंदू सुमन की चुचियो को अपने हाथो में भर के कस कस कर दबाने लगा, चंदू का ऐसा आक्रामक रूप देख सुमन की उत्तेजना और भी बढ़ गयी थी, उसे ऐसीही चुदाई पसंद थी,

सुमन :- अह्ह्ह्ह चंदू बहुत मजा आ रहा है उफ्फ्फ्फ्फ़ स्सस्सस्सस

चंदू :- अह्ह्ह्ह स्स्स्स उफ्फ्फ क्या बोबे है तेरे आअह्ह्ह्ह्ह चंदू उसके निप्प्ल्स को बारी चूसने के साथ साथ दबा भी रहा था,

सुमन :- अह्ह्ह्ह चंदू आह्ह्ह्ह स्स्स्स्स् उफ्फ्फ्फ़ कितने दिनों बाद चुदने वाली हु मैं अह्ह्ह्ह्ह्ह स्सस्सस्स चोद दे अह्ह्ह्ह

चंदू :- अह्ह्ह हा अहह आज तो तुझे खूब चोदुंगा अह्ह्ह स्स्स्स आज ही नहीं अब तो तुझे रोज चोदुंगा उफ्फ्फ्फ़ क्या माल है तू स्स्स्स्स् ....अब चंदू ने पेटीकोट नाडा खोल के साड़ी और पेटीकोट एक साथ निकाल फेका, *

दोनों वासना की उस आंधी में इस कदर लिपट गए थे की उन्हें अब किसीकी कोई परवाह नहीं थी,

सुमन :- अह्ह्ह्ह स्स्स्स कमीने मुझे नंगा कर दिया और खुद सारे कपडे पहने खड़ा है अह्ह्ह्ह

सुमन टेबल से निचे उतारी और घुटनो पे बैठ गयी....और चंदू की पैंट खोल के उसकी अंडरवियर के साथ निचे कर दी, सुमन उसका तन हुआ 8 साढ़े 8 इंच लंबा और 2 ढाई इंच मोटा लंड देख ख़ुश हो गयी, उसको मुठ्ठी पे पकड़ के अपने गालो से ओठो से लगाने लगी,

सुमन :- अह्ह्ह्ह क्या मस्त लंड है रे तेरा उफ्फ्फ्फ्फ्फ स्सस्सस्स मेरी चूत का बैंड बजने वाला है आज स्सस्सस्सस जरा देखु तो इसका स्वाद कैसा है, सबका एक जैसा ही होता है या अलग देखु तो जरा अह्ह्ह्ह

चंदू :- देख ले अह्ह्ह्ह स्स्स्स वैसे आजतक कितने लंडो का स्वाद चखा है तूने ,

सुमन :- अह्ह्ह्ह एक ही लंड का अह्ह्ह मेरे पति का...ऐसा बोल के वो चंदू का लंड मुह में भर लेती है ओर चूसने लगती है,

चंदू :- हाय रे क्या मस्त लंड चूसती है तू उफ्फ्फ्फ़...उम्म्म तू भूल रही है मैं इसी गाँव का हु मेरी छिनाल रांड...मुझे सब पता है शादी से पहले उस शरद से तू कितनी चुदी है अह्ह्ह्ह

सुमन चंदू का लंड चूसती हुई उसे उपआह्ह्ह्ह् की आवाज निकाल के लंड के पानी का चटकारा लेते हुए उसकी तरफ देख के...

सुमन :- अह्ह्ह्ह पता है तो पूछता क्यू है अह्ह्ह्ह

और फिर से लंड को मुह में भर लेती है,

चंदू :- अह्ह्ह्ह स्स्स्स्स् उम्म्म्म्म चूस और चूस अह्ह्ह्ह स्स्स्स....चंदू सुमन का सर पकड़ के उसके मुह में अपना लंड अंदर बाहर करने लगा, सुमन बड़े चाव से लंड चुस्ती रही,

चंदू :- अह्ह्ह्ह बस कर अब मुह में ही छूट जाएगा अह्ह्ह

चंदू उसे वापस टेबल पे बिठाता है , सुमन पहले ही अपनी अपनी टाँगे खोल के बैठ जाती है, चंदू उसकी चूत में उंगली डालता है और उसके बाल पकड़ के एक कीस करता है,

चंदू :- उम्म्म्म्म तू बिना बोले ही खोल के बैठ गयी है स्सस्सस्स

सुमन :- अह्ह्ह्ह अब डलवाना हैं तो तो खोलना तो पड़ेगा ही,

चंदू :- स्स्स्स हाय रे मर जाउ तेरी इस अदा पे अह्ह्ह

सुमन :- स्स्स्स पहले मेरी चुदाई कर लेना मरने से पहले अह्ह्ह्ह

चंदू :- हा मेरी चुद्दकड़ रानी अह्ह्ह्ह स्स्स्स्स् जरा मैं भी तू तेरे रस का स्वाद चखु अह्ह्ह

चंदू सुमन के जांघो को पकड़ के चूत में मुह घुसा देता है, चंदू की जुबान और ओठ सुमन की चूत पे जैसे ही छूते है सुमन की उत्तेजना अपनी चरम सिमा पर पहुंच जाती है, चंदू खिलाडी था चुदाई के खेल का उसने सुमन को कुछ पलो में झड़ने के लिए मजबूर कर दिया, सुमन ने उसे कस के गले लगा लिया,

सुमन :- अह्ह्ह्ह चंदू उफ़्फ़्फ़्फ़स्सस्स मुझे पता होता की तू सिर्फ चाट के ही मेरी झाड़ सकता है तो सुबह ही चटवा लेती तुझसे अह्ह्ह्ह्ह

चंदू अब सुमन की बाते सुनने के मुड़ में नहीं था, उसने सुमन की चूत पे अपना लंड रखा और धीरे धीरे अंदर डाल दिया,

सुमन :- अह्ह्ह्ह थोडा तो रुक जाते उफ्फ्फ्फ़ अभी तो पानी निकला है मेरा अह्ह्ह स्स्स्स्स् कितना मोटा है रे तेरा अह्ह्ह्ह्ह्ह

चंदू :- अह्ह्ह स्स्स कबसे तड़प रहा था बेचारा अह्ह्ह तेरी चूत में जाने को उफ्फ्फ्फ्फ़ क्या मस्त टाइट चूत है अह्ह्ह्ह

चंदू धीरे धीरे लंड आगे पीछे करने लगा , सुमन आँखे बंद कर उसके लंड का मजा लेने लगी, चंदू अब खच खच सुमन की चूत में लंड पेल रहा था,

उसकी रफ़्तार बहुत बढ़ गयी थी, सुमन भी फिर उत्तेजित हो चुकी थी,

सुमन :- आआआआआआआआआआआ उम्मम्मम्मम्मम्मम्मम्म धीरे कर कमीने अह्ह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़ चूत फट गयी है मेरी स्सस्सस्सस

चंदू :- अह्ह्ह्ह्ह्ह चुप कर साली अह्ह्ह्ह चोदने दे मुझे अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह बहुत मजा आ रहा है, *

चंदू उसकी बोलती बंद करने के लिए उसे कीस करने लगा, और चुचिया मसलने लगा, निचे चूत में बहुत तेजी से लंड आगे पीछे करने लगा,

चंदू :- अह्ह्ह्ह्ह्ह तेरी चूत की कसावट देख के मेरा तो मन कर रहा है ऐसे ही चोदते राहु तुझे अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़

सुमन :- अह्ह्ह्ह्ह मेरा भी यही मन है की तू ऐसे ही चोदते रह मुझे अह्ह्ह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़

चंदू ने उसे निचे उतारा और घोड़ी बनाके पीछे से उसकी चूत चोदने लगा, सुमन ऐसी चुदाई में एक बार फिर झड़ चुकी थी,

सुमन :- अह्ह्ह्ह्ह क्या ताकत है रे तुझमे उफ्फ्फ्फ्फ्फ स्स्स्स कब निकलेगा तेरा पानी,

चंदू :- अह्ह्ह्ह मैंने कल ही तो कहा था तुझे मेरा जल्दी छूटता नहीं अह्ह्ह्ह्ह

सुमन :- अह्ह्ह चंदू जल्दी कर उफ्फ्फ्फ़ बहुत देर हो रही है अह्ह्ह्ह्ह्ह माधवी आती ही होगी अह्ह्ह्ह्ह

चंदू :- उम्म्म्म्म्म अह्ह्ह्ह हा बस हो ही जाएगा अह्ह्ह्ह*

चंदू :- (मन में) अह्ह्ह्ह ऐसे टाइम पे माधवी की याद दिला दी सालिने अह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स्स् ये फंस चुकी है अहह अब इसीको सीढ़ी बनाके माधवी की चूत चोदुंगा अह्ह्ह्ह्ह माधवी ही क्यू प्रभा भाभी की भी अह्ह्ह्ह

चंदू को उन दोनों की याद आते ही बहुत उत्तेजित हो गया था, वो और भी तेज अपना लंड चलाने लगा,

सुमन :- अह्ह्ह्ह्ह्ह मर गयी माआआआआअ ऊऊऊह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह हा बहुत अच्छा अह्ह्ह और और ...और चोदो अह्ह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ बहुत मजा आ रहा है उम्म्म्म्म्म

चंदू :- अह्ह्ह्ह्ह स्सस्सस्स हा मेरी छिनाल रांड अह्ह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ अह्ह्ह्ह मेरा होने वाला है अह्ह्ह्ह्ह

सुमन :- अह्ह्ह्ह्ह हा निकाल दे अह्ह्ह्ह अह्ह्ह मेरी चूत में अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह

चंदू ने एक झटका मारा और अपना लंड सुमन की चूत में दबा के झड़ने लगा, चंदू के गरम वीर्य की पिचकारी सुमन अपने अंदर महसूस कर रही थी, वो आखे बंद कर *अपने अंदर रेंगते हुए गरम वीर्य का अनोखा अहसास महसूस कर रही थी, उसके स्पर्श से वो एक बार फिर झड़ गयी थी,

सुमन पलटी और चंदू को एक किस किया और निचे बैठ के चंदू लंड से टपकते वीर्य की बूंदों को चाटने लगी,

उसने चंदू का लंड चाट चाट के पूरा साफ़ कर दिया,

सुमन :- अह्ह्ह्ह चंदू आज की चुदाई मैं कभी नहीं भूलूंगी बहुत मजा आया रे स्स्स्स,

चंदू ने उसे कमर से पकड़ा और अपनी और खीचा उसकी नंगी गांड को दबाते हुए...

चंदू :- उम्म्म मेरी जान ये तो सुरवात है जब तक तू यहाँ है ऐसे ही चुदाई करूँगा तेरी अह्ह्ह

चंदू ने घडी देखी 4 बज रहे थे,

चंदू :- अभी और एक घंटा हैं एक बार और चुदाई हो सकती है, ....उसने सुमन की गांड में उंगली डालते हुए ....मुझे तो तेरी गांड भी मारनी है,

सुमन :- अह्ह्ह्ह्ह नहीं गांड में बहुत दर्द होता है अह्ह्ह्ह मन तो मेरा भी कर रहा है लेकिन अभी नहीं तुम जाओ...अभी जोखिम नहीं उठाते...

चंदू :- ठीक है ...रात का जुगाड़ हो सके तो करना मस्त रातभर ठुकाई करूँगा तेरी,

सुमन :- देखती हु...फ़ोन कर दूंगी तुझे,

दोनों ने फिर से एक किस किया और अपने कपडे पहन लिए, चंदू पीछे के दरवाजे से निकल गया, सुमन भी *किचन को ठीक करने लगी,
 
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भाग 16

उस दिन के बाद चंदू और सुमन के चुदाई का सिलसिला सुरु हो चूका था, चंदू जैसे मौका मिलता वैसे कभी दोपहर में तो कभी रात को आके सुमन की चूत और गांड चोद देता, सुमन हर 4 5 वे दिन मिलने वाली चुदाई की वजह से बहुत खुश थी, लेकिन उनकी ये चोरी कभी ना कभी तो पकडी जाने ही वाली थी, और हुआ भी ऐसे ही,

एक रात करीब 1 बजे माधवी मोबाइल में वीडियो देख के चूत में उंगली कर रही थी, जब उसका काम हुआ तो वो बाथरूम जाने के लिए बाहर गयी, जब वो अपना काम निपटा के बाहर आयी तो उसने देखा की सुमन पीछे का दरवाजा खोल के किसी को अंदर ले रही थी, माधवी ने देखा की वो कोई चंदू था, माधवी को यकीं नहीं हो रहा था अपनी आँखों पे, वो थोडा छुपके देखने लगी, चंदू और सुमन जल्दी जल्दी सुमन के कमरे में चले गये, माधवी का दिल बहुत जोरो से धड़कने लगा, वो क्या करे उसे कुछ समझ नहीं रहा था,

वो अपने कमरे में जाके सोचने लगी की वो क्या करे, बाबा को बता दे, नहीं बाबा को बता दिया तो वो बुआ को बहुत पिटेंगे, उसने बहुत सोचने के बाद ये तय किया की वो खुद सुमन से बात करेगी, और वैसे भी वो नेट पे सेक्स से रिलेटेड इतनी बाते पढ़ने और देखने के बाद वो इतनी समझदार तो हो गयी थी की ये बात वो समझ गयी की सुमन ऐसा क्यू कर रही है,

वो रूम में इधर से उधर घूम रही थी, वो सोच रही थी की वो दोनों क्या कर रहे होंगे, जाके देखु या नहीं, ऐसे ही आधा घंटा गुजर गया, आखिर माधवी से रहा नहीं गया, वो धीरे धीरे सुमन के कमरे की और चली गयी, कमरे का दरवाजा थोडा खुल्ला था, उसने अंदर देखा तो सुमन और चंदू वहा नहीं थे, सुमन का बेटा सो रहा था, माधवी को पता चल गया की वो दोनों छत की तरफ होंगे क्यू की ऊपर जाने वाली सीढिया सुमन के कमरे के बाजु में थी, वो बिना आवाज किये सीढ़ियों की तरफ बढ़ने लगी, छत पे खुलने वाले दरवाजे के पास आके वो रुक गयी, उसने देखा की सुमन निचे पैर ऊपर करके लेटी हुई है और चंदू उसकी चूत में लंड डाल के उसे चोद रहा

माधवी ये देख के पसीना पसीना हो गयी, दोनों नंगे थे, चांदनी रात होने की वजह से उसे सब साफ दिखाई दे रहा था, वो दोनों पूरी तरह से चुदाई के आंनद में खोये हुए थे, उनका बिलकुल भी ध्यान नहीं था , माधवी पहली बार सचमुच की चुदाई देख रही थी, और ये मोबाइल पे से कही ज्यादा हॉट थी, उसने थोड़ी देर पहले ही अपनी चूत को उंगली से रगड़ पानी निकाला था, पर सामने का सिन देख के उसका हाथ अपने आप ही अपनी चूत पे चला गया

उपर से उनकी बाते आग में घी डालने का काम कर रही थी,

सुमन :- अह्ह्ह्ह्ह चंदू उफ्फ्फ ये तेरा छत पे आके चुदाई करने का आईडिया कमाल का है, उफ्फ्फ्फ्फ़ बहुत मजा आ रहा है ऐसे खुले में लंड लेने के,

चंदू :- अह्ह्ह्ह हा ऐसे मौसम में खुले में चुदाई का मजा ही कुछ और होता है,

सुमन :- अह्ह्ह्ह स्सस्सधीरे कर जालिम उफ्फ्फ्फ़ तेरा इतना लंबा लंड है सीधे पेट के अंदर धक्के लगते है,

चंदू :- अह्ह्ह्ह साली अभी तक नखरे करती है...कितनी बार चोद चूका हु..अभी तक पूरी खुल गयी है तेरी चूत स्सस्सस्स

सुमन :- अह्ह्ह्ह उम्म्म्म ऐसे ही बोल रही हु रे उफ्फ्फ्फ्फ़ चोद अह्ह्ह और तेज अह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स्स् उम्म्म्म्म्म अह्ह्ह्ह्ह

चंदू :- अह्ह्ह्ह अब तू ऊपर से आजा स्स्स्स्स्

चंदू निचे लेट जाता है, सुमन उसके ऊपर आके अपनी चूत में उसका लंड लेके अपनी गांड ऊपर निचे हिलाके लंड को अंदर बाहर करने लगती

ये वो पल था जब माधवी चंदू का पूरा लंड देखती है, चंदू का लंड देख के माधवी के चूत में पानी बाढ़ सी आ जाती है, उसका लंड सुमन की चूत के रस से भीगा हुआ था, इस वजह से वो उसके ऊपर चांदनी पड़ने से वो चमक रहा था, उसका लंड देख माधवी और भी उत्तेजित हो जाती है,

और अब सुमन की चूत में अंदर बाहर हो रहा लंड देख के तो पागल सी हो जाती है, उसके पाँव थर थर कापने लगे थे, वो पसीना पसीना हो चुकी थी, उससे अब वो सब देखा नहीं जा रहा था, ऊपर से चूत भी बहुत गीली हो गयी थी, वो वह से चुपचाप निकल गयी और अपने कमरे जाके बेड पर लेट गयी, वो बहुत गरम हो चुकी थी, उसकी आँखों के सामने चूत में अंदर बाहर हो रहा लंड ही घूम रहा था, असली चुदाई क्या होती है वो आज पहली बार देख रही थी, सागर और प्रियंका को भी उसने देखा था मगर ये कुछ ज्यादा ही था, वो वापस से अपनी चूत सहलाने लगी, और तब तक सहलाती रही जबतक वो शांत नहीं हुई, *

दूसरे दिन उसे सुमन से बात करनी थी मगर मौका ही नहीं मिला, वो स्कूल चली गयी, शाम को जब वो वापस लौटी तो उसे मौका मिल ही गया,

वो सुमन को अपने कमरे में लेके गयी और उसे पूछने लगी, जब माधवी ने उसे बताया की कल रात को उसने चंदू को और उसे चुदाई करते देख लिया है तो उसके पैरो तले जमीन खिसक गयी, उसके चेहरे का रंग सफ़ेद पड़ गया, वो बहुत घबरा गयी, वो माधवी से हाथ जोड़ के बिनती करने लगी की जसवंत को कुछ ना बताय, जब माधवी ने उसकी हालात देखी तो उसे उसपे दया आने लगी,

माधवी :- ठीक है बुआ मैं नहीं बताउंगी किसीको लेकिन आपको ऐसा करने की क्या जरुरत थी,

सुमन :- तो क्या करती मैं तुम्हारे फूफा साल में एक बार घर आते है, मेरी भावनाओ को कण्ट्रोल करना मुश्किल हो गया था, ऐसे में चंदू ने मेरी भावनाओ को भड़का दिया तो मैं फिसल गयी और फिर फिसलती चली गयी, तू ही बता ...तू भी तो अब जवान हो गयी है...तुझे भी लगता होगा की कोई प्यार करने वाला हो...

माधवी :- न..नहीं..मु..मुझे ऐसा कुछ नहीं लगता..

सुमन :- मुझे पता है मैं भी तुम्हारि उम्र से गुजर चुकी हु...

माधवी :- वो सब छोडो..लेकिन क्या अब भी चंदू चाचा के साथ ये सब ऐसे ही सुरु रखने वाली हो,

सुमन :- देख माधवी अगर तू इसमें मेरा साथ दोगी तो तुम्हारा बहुत अहसान होगा मुझपे,

माधवी :- बुआ आप ये कैसी बाते कर रहे हो,

सुमन :- देख माधवी मैं यहाँ अब कुछ महीने ही हु..उसके बाद तो मैं चली जाउंगी तब तक मुझे थोडा सुख मिल रहा है..तो प्लीज तू किसी को मत बताना...

माधवी :- लेकिन बुआ ये गलत है..

सुमन :- मैं अब सही गलत के बारे में सोचना नहीं चाहती.....

माधवी :- लेकिन मैं कैसे आप का साथ दू,

सुमन :- बस किसी को मत बताना....बाकि मैं संभाल लुंगी..

माधवी :- बुआ देखो मैं ये किसी को नहीं बताउंगी लेकिन फिर भी आपसे एक बात कहना चाहती हु की अगर बाबा को पता चल गया तो वो आपको जान से मार देंगे..बाकि आपकी मर्जी,

माधवी को अपने दिल के किसी कोने में लग रहा था की सुमन अपने जिस्म के हाथो मजबूर है..इसीलिए उसने उससे किसी को नहीं बताने को वादा किया था,

माधवी ने जब ये बात प्रियंका को बताई तो प्रियंका को भी पहले झटका लगा, लेकिन एक औरत अपने जिस्म की प्यास के आगे कैसे मजबूर हो जाती है ये वो भलीभांति जानती थी इसलिए उसने माधवी कहा की सुमन बुआ को जो करना है करने दो, माधवी को जब प्रियंका के तरफ से भी ऐसा जवाब मिला तो वो भी सुमन बुआ के इस फैसले के प्रति थोड़ी सहज हो गयी, और सुमन के साथ उसका व्यवहार पहले जैसा हो गया ...या शायद अब उनके रिश्ते में एक खुलापन आ गया था, अब वो एक दूसरे से खुलके मजाक करने लगे थे, माधवी को भी सुमन से उसकी चुदाई के किस्से सुनने मिलने लगे थे, कुल मिला के सुमन अब खुलके मजे कर रही थी,

लेकिन यहाँ प्रभा की गाडी किसी पैसेंजर ट्रेन की तरह चल रही थी, कभी लगता की रफ़्तार पकड़ चुकी है तो कभी एक ही जगह पे घण्टो खड़ी है,

ऐसे तो सागर और प्रभा के बिच की दुरिया काफी कम हो गयी थी, लेकिन प्रभा के इस जिद्द की वजह से की पहला कदम सागर बढ़ाये उन दोनों में अब तक कुछ हो नहीं पाया था, भले ही अब वो एक दूसरे को ग्रीन सिग्नल पे सग्नल दिए जा रहे थे पर बात नहीं बन रही थी, प्रभा हमेशा उसे उसे छूने को उकसाती रहती और जब उसका लंड खड़ा हो जाता तो उसे छु भी लेती लेकिन सागर इस असमंजस में रहता कि ये जानबुज के था या गलती से...इसलिए ओ आगे नहीं बढ़ रहा था,

लेकिन वो प्रभा को छूने का या उसके जिस्म को देखने का एक मौका भी नहीं छोड़ता, कभी प्रभा की कमर को छु लेता तो कभी उसकी चुचियो...कभी कभी उसकी गांड को...प्रभा कों सब समझ आ जाता लेकिन वो ऐसे दिखाती की कुछ हुआ ही नहीं, दोनों के ""कुछ हुआ ही नहीं"" वाले व्यवहार की वजह से ही उनकी सेक्स एक्सप्रेस स्टेशन पे ही खड़ी थी,

ऐसे ही एक डेढ़ महीना गुजर गया था, प्रभा को अब कण्ट्रोल नहीं हो रहा था, और ऊपर से रोज रोज के एक दूसरे को छूने से उसकिं प्यास अब बहुत ज्यादा बढ़ चुकी थी, उसने अब ये तय कर लिया था की वो अब ऐसा कुछ बड़ा करेगी जिससे सागर उसेपे चढ़ने से खुद को रोक ही नहीं पाये,

एक दिन शाम को सागर जब कॉलेज से लौटा तो उसने देखा की प्रभा हॉल में सोफे पे बैठी है और उसने अपने दोनों हाथो की उंगलियो में कुछ क्रीम लगा रखी है, सागर ये देख के थोडा चिंतित हो जाता है,

सागर :- क्या हुआ माँ, ये उंगिलियो में क्रीम क्यू लगा राखी है,

प्रभा :- अरे कुछ नहीं वो दूध गरम करने रखा था वो उबाल रहा था जल्दी जल्दी में उसका बर्तन उठा लिया उससे उंगलिया जल गयी,

सागर :- तो चलो डॉ को दिखा आते है,

प्रभा :- मैं जाके आ गयी...बहुत जलन हो रही थी...डॉ ने ये क्रीम दी है और बोला है की 24 घंटे तक कोई काम नहीं करना...नहीं तो जलन बढ़ जायेगी क्यू की बहुत अंदर तक जल गयी है,

सागर :- ओह्ह माँ...आप भी न थोडा ध्यान से उठाती...कोई कपडा ले लेती...

प्रभा :- अरे जल्दी जल्दी में हो गया...सॉरी बेटा आज मैं खाना नहीं बना पाऊँगी...

सागर :- कोई बात नहीं...मैं बाहर से ले आऊंगा...

प्रभा :- हा यही ठीक रहेगा...

सागर रात को खाना बाहर से ले आया, उसने अपने हाथो से प्रभा को खाना खिलाया...वो प्रभा का बहुत अच्छेसे ख्याल रख रहा था, प्रभा भी दर्द और जलन का ऐसा नाटक कर रही थी की सागर को शक भी नहीं हुआ,

जब सोने का समय आया तो प्रभा ने सागर को आवाज दी....

सागर प्रभा के रूम में जाता है...

सागर :- हा क्या हुआ माँ,

प्रभा :- वो थोडा काम था...लेकिन कैसे कहु बड़ा अजीब सा लग रहा है...

सागर :- बोलो क्या काम है, अजीब की क्या बात है, अब मेरे अलावा यहॉ कोई नहीं जो आपका काम कर सके...

प्रभा :- वो ..मैं..नहीं ठीक है जाओ तुम...

सागर :- अरे माँ बोलो भी...अब इतना भी क्या,

प्रभा :- वो..क्या है की..मुझे ..वो..मेरी ब्रा निकालनी है मुझे उसके बगैर नींद नहीं आएगी...और मुझे डॉ ने मना किया है तो...ऐसा बोल के प्रभा निचे देखने लगती है,

सागर ये सुनके थोडा चौक जाता है लेकिन प्रभा की हालत ही कुछ ऐसी थी की वो मज़बूरी में उसे ऐसा बोल रही थी, सागर को भी ये थोडा अजीब लग रहा था,

सागर :- माँ मैं कैसे, सो जाओ ना आज के दिन...

प्रभा :- अरे मैं एक घंटे से सोने की कोशिस कर रही हु...पर आदत नहीं है ना..

सागर :- मैं बाजू वाली आंटी को ले आता हु...

प्रभा :- अरे नहीं पागल टाइम देख कितना हुआ है...ठीक है रहने दे...मैं सोने की कोशिस करती हु...जा तू सो जा...मुझे नींद आयी तो ठीक नहीं तो क्या कर सकते है,

सागर :- अरे नहीं माँ...मैं कर देता हु,

मन ही मन सागर भी खुश हो रहा था लेकिन थोडा नाटक कर रहा था, प्रभा की मदत के बहाने से आज उसे मौका मिल, रहा था, आज तक जिन चुचियो को वो सिर्फ दूर से देख रहा था आज नजदीक से देखने का मौका मिलने वाला था, सिर्फ देखने का ही नही थोडा बहुत छूने का भी,

सागर :- हा बोलो माँ क्या करू,

प्रभा :- ये साडी का पल्लू हटा दे..

सागर प्रभा के कहे अनुसार साडी का पल्लू हटा दिया, उसने देखे की प्रभा की बड़ी बड़ी चुचिया ब्लाउज में कसी हुई थी, उसकी उभरी हुई चुचियो को देख सागर की आँखे फटी की फटी रह गयी, उसका लंड धीरे धीरे हरकत में आने लगा था,

प्रभा ने उसकी और देखा उसे अपनी चुचियो इस तरह देखते हुए देख उसे अपना प्लान पूरा होता नजर आने लगा था,

प्रभा :- क्या हुआ, सागर,

सागर :- कुछ नहीं..कुछ नहीं...सागर थोडा हड़बड़ाता हुआ बोला,

प्रभा :- तो फिर बटन खोल दे ना...प्रभा ने मस्ती भरी अदा से कहा,

सागर ने ब्लाउज का ऊपर का बटन को उंगली से पकड़ा और खोलने लगा, प्रभा का ब्लाउज डीप नेक का था, उसका ऊपर का बटन बिलकुल उसके चुचियो की बिच की दरार जहा सुरु होती है वाही पे था, सागर की उंगलियो का कुछ हिस्सा वहा छु गया, प्रभा के पुरे शरीर में सुरसुरी सी दौड़ गयी, सागर का हाल भी कुछ ऐसा ही था, उसने पहले भी बहुत बार प्रभा की चुचियो को छुआ था मगर ये पहली बार था की वो उसका स्किन टू स्किन हुआ था, उसके हाथ कापने लगे थे, उसकी नजरे लगातार ब्लाउज से दिखती प्रभा की चुचियो पे थी, प्रभा ये सब देख रही थी, सागर ने ऊपर का बटन खोल दिया था, फिर बिच का बटन खोलने लगा, लेकिन इस बार बटन खोलने के लिए *उसने अपने दोनों हाथ पुरे इस्तमाल, किये, उसने अपनी हथेलिया पूरी तरह से प्रभा की चुचियो से चिपका दी थी,

ये देख प्रभा की आह निकल गयी लेकिन उसने उसे दबा लिया, जैसे ही उसने आखरी बटन खोला और ब्लाउज को अलग किया उसकी आँखों के सामने प्रभा की आधी नंगी चुचिया थी, प्रभा की सफ़ेद रंग की ब्रा बहुत ही सेक्सी थी, ब्रा ने सिर्फ अब प्रभा के निप्प्ल्स और निचला हिस्सा ढका हुआ था, गोरी गोरी और एकदम कसी हुई चुचिया देख के सागर के होश उड़ गये, उसकी नजरे एक पल के लिए भी वो उनसे हटा नहीं पा रहा था, उसे इस, बात का भी ध्यान नहीं था की प्रभा उसे देख रही थी, उसका लंड अब अपने असली अवतार में आ गया था, प्रभा उसे देख रही थी और खुश हो रही थी,

प्रभा :- क्या हुआ सागर, *

सागर :- हा..क्या,

सागर चौकते हुए प्रभा की तरफ देख के बोला,

प्रभा :- पीछे से ब्रा खोल दे और मेरे हाथो से निकाल दे फिर टॉवल लपेट देना...मैं ऐसे ही टॉवल लपेट के सो जाउंगी,

सागर :- ठीक है....

सागर प्रभा के पीछे गया और उसने ब्रा के हुक खोल दिए, प्रभा गोरी चिकनी नंगी पीठ देख सागर हैरान था, उसकी स्किन किसी 22 25 साल की लड़की की तरह चमक रही थी, सागर ने टॉवल लिया और लपेट दिया, *जब वो टॉवल का आखरी हिस्सा दबाने के लिए प्रभा के सामने आया तो प्रभा ने *अपनी चुचिया ऊपर की और उठाते हुए उसे इशारे से कहा की यहाँ दबा दे,

सागर ने वो हिस्सा बिलकुल चुचियो के बिच वाली दरार में फसा दिया, फसाते वक़्त उसने जीतना हो सके उतना अंदर तक हाथ डालके *चुचियो को छुआ, प्रभा अब मदमस्त हो चुकी थी, उसकी चूत में पानी के फवारे छूटने लगे थे,

प्रभा :- ये ब्रा को निचे खीच ले...

सागर ने देखा ब्रा की स्ट्रिप निचे लटक रही थी उसने वो झटके से खीच ली, और उसने वो ब्रा साइड में रख दी,

सागर :- माँ तुमने फिर से ब्लाउज क्यू नहीं पहना,

प्रभा :- ठीक है ना मैं अब सो जाउंगी ऐसे ही...प्रभा जानती थी सागर ऐसे क्यू पूछ रहा है...वो ब्लाउज पहनाते हुए फिर से उसकी चुचियो को छूना चाहता है, लेकिन प्रभा के दिमाग में कुछ और ही था,

सागर :- ठीक है माँ...अब तुम सो जाओ...

प्रभा :- सागर एक और काम है...

सागर ये सुनके रुक गया और ख़ुशी खशी पूछने लगा....

सागर :- हा बोलो...

प्रभा :- वो मुझे न बहुत देर से बाथरूम जाना था...

सागर :- तो चलो मैं दरवाजा खोल देता हु...

प्रभा :- बात वो नहीं है...मैंने अंदर निक्कर पहनी है, अगर पहनी नहीं होती तो कोई प्रॉब्लम नहीं थी, क्या तुम उसे उतार दोगे,

उफ्फ्फ्फ्फ़ सागर को ये सुनके चक्कर सा आने लगा, उसकी माँ उसे उसे खुद ही उसकी निक्कर उतारने को कह रही थी, सागर ने खुद को संभाला,

सागर :- ठीक है माँ जैसा आप कहो...

सागर निचे *घुटनो पे बैठ गया और साडी के अंदर हाथ डालने लगा, प्रभा की चिकनी सुडोल जांघो के ऊपर से हाथ घुमाते हुए उसकी निक्कर तलाशने लगा, प्रभा ने आज जानबुज के पतली स्ट्रिप वाली पॅंटी पहनी थी, सागर का हाथ उसकी जांघ और गांड के करीब घूम रहा था, प्रभा ये सब सहन नहीं कर पा रही थी, वो अपना निचला होठ दातो में दबा के आँखे बंद कर अपनी सिसकिया दबा रही थी,

सागर भी मजे ले रहा था, उसने सोचा की कही प्रभा को शक ना हो जाय की वो जानबुज के उसकी जान्घो को सहला रहा है तो उसने आखिर निक्कर को पकड़ के निचे करने लगा और फिर प्रभा के पैरो से निकाल लिया, और बाजू में रख दी,

प्रभा :- थैंक यू..और सॉरी मैं तुम्हे ये सब करने को कह रही हु,

सागर :- माँ हम दोनों ही तो है यहाँ एकदूसरे का ख्याल रखने के लिए, आप बेझिझक मुझसे कह सकती हो,

सागर ने बाथरूम का दरवाजा खोला और प्रभा अंदर चली गयी, सागर वापस बेड के पास आया उसने प्रभा की निक्कर उठाई और देखने लगा, उसने देखा की प्रभा की पॅंटी चूत वाली जगह बहुत गीली थी, उसने उसे हाथ लगाया वो चिपचिपा सा पानी था,

सागर :- (मन में) उफ्फ्फ ये तो माँ की चूत का रस है, उफ्फ्फ्फ़ तो क्या माँ मेरे छूने से उत्तेजित हो गयी थी, देखु तो सही कैसी टेस्ट है...उम्म्म स्मेल तो बहुत अच्छी आ रही है...स्स्स्स्स् अह्ह्ह ...वो उसे जुबान से चाटने लगा...उम्म्म बहुत मस्त है यार अह्ह्ह्ह्ह मेरा लंड तो धड़ धड़ उड़ने लगा है अह्ह्ह्ह्ह वो अपना लंड मसलने लगा,

प्रभा बाथरूम का दरवाजा थोडा खोल के देख रही थी, उसे अपनी निकर को चाटते हुए देख उसे ऐसा लगा जैसे वो उसकी चूत चाट रहा था,

प्रभा ने सोचा अब सागर पूरी तरह से उत्तेजित हो चूका है अब वो उसे जल्द ही चोद देगा, लोहा अब बहुत गरम हो चूका है अब बस आखरी हतोडा मारने की देरी है,

*प्रभा ने अपने पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया और दरवाजा को खटखटाया, सागर ने झट से पैंटी रख दी और दरवाजा खोल दिया, *

सागर :- ठीक है माँ अब आप सो जाओ मैं जाता हु,

प्रभा :- ठीक है...अगर कुछ लगा तो मैं फ़ोन करुँगी,

सागर :- ठीक है...

सागर अभी रूम के दरवाजे तक पहुंचा था की प्रभा ने उसे फिर से आवाज दे के रोक लिया,

प्रभा :- अरे सुन ना..एक और काम कर दे...

सागर पलट के वापस आया,

सागर :- हो बोलो...

प्रभा :- ये साडी निकाल दे ना...बड़ा अजीब लग रहा है ये टॉवल और साडी...

सागर :- ठीक है माँ...

सागर प्रभा के पास जाता है और निचे बैठ जाता है, जहा प्रभा ने साडी बाँध रखी थी वह हाथ अंदर डाला और साडी निकालने लगा, प्रभा ने साडी एकदम *नाभि के निचे चूत से थोडा ऊपर बाँध रखी थी, सागर ने जब हाथ अंदर डाला तो उसके हाथ को प्रभा के चूत के बाल लग रहे थे,

सागर ने जैसे ही साडी खोली वैसे ही प्रभा का पेटीकोट भी निचे गिर गया और सागर के आँखों के सामने उसके माँ की नंगी चूत आ जाती है जो सिर्फ कुछ इंच ही उससे दूर थी, एकदम गोरी चूत थी उसके माँ की, उसपे छोटे छोटे बाल थे, प्रभा ने कुछ दिनों पहले ही शेव किये थे, वो उस खूबसूरत चूत को देखता ही रह गया, प्रभा भी थोड़ी देर वैसे ही खड़ी होके सागर के रिएक्शन का इंतजार कर रही थी, फिर वो पलट गयी,

प्रभा :- उफ्फ्फ्फ़ पागल ये क्या किया तूने पेटीकोट खोलने नहीं बोला था,

सागर :- वो..मैं..मैं...मैंने नहीं खोला....वो तो अपने आप गिर गया...

प्रभा :- ठीक है अब वापस उठा के बांध दे...

सागर साडी को अलग करके पेटीकोट ऊपर चढाने लगा, प्रभा के पल्टनेसे उसकी गांड सागर की तरफ हो गयी थी, सागर प्रभा की वो मांसल चिकनी गांड देख के पागल सा हो रहा था, उसे एक पल, के लिए लगा की उसे छूले ...चुमले...लेकिन बड़ी मुश्किल से उसने अपने आप को रोक रखा था,

प्रभा चाहती थी की वो उसे छुए इसीलिए उसने ये सब किया था लेकिन सागर की हिम्मत नहीं हो पा रही थी,

सागर ने पेटीकोट फिरसे प्रभा की कमर तक बाँध दिया और बिनकुछ बोले कमरे से निकल गया,

*सागर अपने कमरे में जाके बेड पे लेट गया, उसका लंड हद से ज्यादा फुफनकार रहा था, उसने अपना लंड बाहर निकाला और जो हुआ जो देखा उसके बारे में सोच सोच के मुठ मारने लगा, थोड़ी देर में झड़ गया, लेकिन उसका लंड अभी भी खड़ा ही था, ​

इधर प्रभा सागर के ऐसे चले जाने से दुखी थी, उसे लगा था की सागर आज उसकी चुदाई जरूर कर देगा मगर ऐसा हो नहीं पाया......
 
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भाग 17

सागर बेड पे लेटे लेटे कुछ सोच रहा था, उतने में प्रियंका का फ़ोन आ गया, सागर का मुड़ आज उससे बात करने का बिलकुल भी नहीं था, लेकिन प्रियंका ने जब उसे सुमन बुआ और चंदू के बारे में बताया तो वो भी हैरान रह गया, प्रियंका ने उसे माधवी ने जो जो बताया वो सब उसने सागर को बता दिया, प्रियंका ने उससे कहा की वो 4 5 दिन से सोच रही थी की बता दू लेकिन हिम्मत नहीं हुई, लेकिन आज मुझसे रहा ही नहीं गया, थोड़ी देर उन्होंने ऐसे ही बाते की और फिर फ़ोन काट दिया,

सागर बहुत गहरी सोच में डूबा था, *

सागर :- आज एक बात का यक़ीन हो गया की अगर औरत को घर में चुदाई का सुख ना मिले तो वो बाहर जाती ही है, मीना चाची लेलो या सुमन बुआ दोनों ही चुदाई की प्यासी थी और उनके कदम आखिर बहक ही गए, माँ भी तो बाबा से खुश नहीं है वो भी कही बाहर जाके किसी के साथ कुछ कर ना ले, *

उसे प्रभा का खयाल आते ही आज जो जो हुआ था सब याद आने लगा,

सागर :- आज माँ को इतने करीब से देख के मजा ही आ गया, बहुत सेक्सी है यार...मैंने खुद को कैसे कण्ट्रोल किया मुझे ही पता...लेकिन अगर वो ये सब जानबुज के कर रही हो तो, कही वो मुझे उकसा तो नहीं रही थी, हा फिर यक़ीनन वो मुझसे चुदना चाहती है तभी तो वो मुझे अपना जिस्म दिखा रही थी, वरना वो ये सब क्यू करती और मैं बेवकूफ की तरह वहा से भाग आया, जब से उन्होंने मुझे चाची को चोदते देखा है तब से ही वो थोडा बदला बदला सा व्यव्हार कर रही है, शायद मेरा लंड देख के ही वो मुझसे चुदना चाहती हो...कही मेरी तरफ से कोई रेसपोंस नहीं आते देख वो कही बाहर किसी से .....नहीं मैं ऐसा होने नहीं दूंगा, *वो मन ही मन कुछ सोचते हुए सो गया,

दूसरे दिन सुबह जब वो उठा तो उसने देखा की प्रभा उठ चुकी थी और किचन में थी, वो ये देख के थोडा दुखी हुआ की प्रभा अब ठीक है और उसे उसके नजदीक जाने का कोई मौका नहीं मिलने वाला था,

सागर :- अरे ये क्या माँ...आपको आराम करना चाहिए था,

प्रभा :- अरे वो कल की क्रीम और दवाइयो से आराम हो गया है...अब जलन नहीं है ज्यादा,

सागर :- अरे माँ फिर भी आज शाम तक कोइं काम नहीं करना चाहिए था...

प्रभा :- कोई बात नहीं...तू बैठ मैं नास्ता देती हु, प्रभा सब समझ रही थी सागर ऐसा क्यू कह रहा है, उसे भी अब लगने लगा की शायद उसे शाम तक अपना नाटक जारी रखना चाहिए था, *वो सागर को नास्ता दे रही थी, सागर हमेशा की तरह अपनी माँ की बड़ी बड़ी चुचिया निहार रहा था, प्रभा ने उसे ऐसे करते देखा, उसे एक शरारत सूझी,

प्रभा :- दूध पियेगा क्या, प्रभा ने जब ये सवाल, किया उस वक़्त सागर बड़ी गौर से उसकी चुचिया देख रहा था,

सागर :- अ..आ..क्या,

प्रभा :- वो चाय पाउडर खत्म हो गयी है...इसलिए पूछ रही हु...तुझे क्या लगा,

सागर :- कुछ नहीं ...आपने एकदम, से पूछा तो सोच में पड़ गया..

प्रभा :- किस सोच में,

सागर :- यही की दूध छोड़े तो ज़माना हो गया मुझे..

प्रभा :- हा पता है...पहले कितना पीता था तू...अब तो बस देखते ही रहता है...पीता बिलकुल भी नहीं, सागर को थोडा दुविधा में था, वो जो प्रभा किस बारे में बात कर रही है सच्चे वाले दूध के बारे में या अपनी चुचियो वाले दूध के बारे में...लेकिन उसने सोचा प्रभा किसी भी बारे में बात कर रही हो वो भी अब खुलके बात करेगा और ऐसे ही बातो बातो में प्रभा के मन की बात को उसके जुबा पे लाके ही छोड़ेगा,

सागर :- ठीक है पिला दो आज...देखु तो सही जो दूध बचपन पीता था अब उसकी टेस्ट कैसी है,

प्रभा :- तुझे क्या लगता है, अब टेस्ट बदल गयी होगी,

सागर :- वो तो पिने के बाद ही पता चलेगा...

प्रभा :- हा वो भी है...लेकिन दूध पियेगा या जूस, प्रभा धीरे से और एकदम सेक्सी अदा से साड़ी के ऊपर से अपनी चूत को दबाती हुई बोली,

सागर :- सोचते हुए...उम्मम दोनों पिऊंगा...

प्रभा और सागर इससे आगे कुछ बोल पाते..उतने में ही प्रभा के मोबाइल पे माधवी का फ़ोन आने लगा, प्रभा और माधवी फ़ोन पे बाते करने लगे और सागर नाश्ता करके कॉलेज के लिए तैयार होने चला गया,

शाम को जब सागर घर लौटा तो फ्रेश होके हॉल में टीवी देखने लगा, प्रभा ने उसके लिए चाय बनाई और उसे देदी,

सागर :- अरे माँ दूध नहीं पिलाओगी क्या,

प्रभा :- मुझे लगा तुम चाय पिओगे ...

सागर :- नहीं सुबह दूध पिया तो मुझे बड़ा पसंद आया....सोच रहा हु अब रोज ही पिऊ...आप भी पीना सुरु कर दो...

प्रभा :- हा लेकिन मुझे तो सिर्फ मलाई वाला दूध पसंद है,

सागर ये सुनके अब समझ गया की प्रभा कोनसे मलाई वाले दूध की बात कर रही है,

सागर :- ऐसी क्या खास बात होती है उसमे,

प्रभा :- बहुत टेस्टी होता है...गरम गरम मलाई वाले दूध की बात ही कुछ और, होती है,

सागर :- ओह्ह्ह ऐसा क्या, ठीक है आज आपकी ये इच्छा जरूर पूरी करूँगा,

सागर हलके से अपने जांघ पे रखा हाथ लंड को छूते हुए अपने बालो को ठीक करते हुए बोला,

प्रभा ने ये सब देखा मन ही मन उसे रिवाइंड किया तो देखा की वो अपने लंड के दूध की बात कर रहा था, प्रभा को अब यकीं हो गया की आज उसकी इच्छा जरूर पूरी हो जायेगी,

प्रभा :- सच में, *

सागर :- हा...

प्रभा ने सागर की तरफ देखा और एक सेक्सी स्माइल दी सागर भी उसकी तरफ देख *के स्माइल कर रहा था, अब सागर को पूरी तरह से यकीं हो गया था की प्रभा उससे चुदवाने के लिए तैयार बैठी है, प्रभा भी आज यही सोच रही थी की अगर सागर कदम आगे नहीं बढ़ाएगा तो वो आज वो अपने कदम आगे बढ़ाएगी, चाहे सागर उसके बारे में जो सोचे,

प्रभा ये सब सोचते सोचते खाना बनाने लगी, उसे किचन में कुछ सामन खत्म हो गया था,

प्रभा :- तू बाहर जा रहा है क्या,

सागर :- नहीं क्यू,

प्रभा :- किचन में थोडा सामान लाना था,

सागर :- ठीक है चलो ...

प्रभा :- नहीं ...मैं तुझे लिस्ट बना देती हु तू लेके आजा,

सागर :- ठीक है,

प्रभा ने सागर को लिस्ट बना दी, सागर मार्केट जाके सब सामान ले आया, जब वो मार्केट गया था तब उसने एक कपडे के दुकान में एक ड्रेस देखी, लॉन्ग स्कर्ट और टॉप, उसे वो बहुत पसंद आ गयी, उसने वो ड्रेस प्रियंका के लिए खरीद ली,

घर आके उसने सामान प्रभा को दे दिया, और वो जो ड्रेस लाया था वो उसने सोफे के पास रख दी, और वो उसे उठाना भूल गया, *

वो अपने कमरे में जाके सोचने लगा की क्या करे कैसे करे, उसे कुछ सूझ नहीं रहा था, थोड़ी देर बाद प्रभा ने उसे खाना खाने के लिए आवाज दी, वो खाना खाने के बाद टीवी देखने लगा, प्रभा भी सब समेट के सोफे पे आके बैठ गयी और टीवी देखने लगी, वो कुछ बात कर पाती उसे वो ड्रेस वाला बॉक्स दिखाई दिया, प्रभा ने वो ड्रेस निकाला और देखने लगी,

प्रभा :- ये किसका है सागर, तू लेके आया क्या,

सागर प्रभा के होतो में वो ड्रेस देख के थोडा चौक गया, और अपनी बेवकूफी पे मन ही मन गुस्सा करने लगा, लेकिन अगले ही पल वो संभला और...

सागर :- अरे माँ वो मैं माधवी के लिए लाया हु...मुझे अच्छा लगा तो खरीद लिया,

प्रभा :- ह्म्म्म्म सच में अच्छा है, पहले तो मैं चौक गयी की कही तू मेरे लिए तो नहीं लाया,

सागर :- हा हा हा नहीं माँ...लेकिन आप पे भी अच्छा लगेगा, आप देखो ना पहनके,

प्रभा :- कुछ भी क्या, अब इस उम्र में ऐसे कपडे पहनूँगी,

सागर :- अरे माँ आजकल तो सभी पहनते है, और आप तो ऐसे भी बहुत खूबसूरत और जवान लगती हो,

प्रभा :- चुप कर शैतान...

सागर :- सच में माँ...आप और माधवी ये ड्रेस पहन कर साथ में बाहर निकलोगी तो आपको माँ, बेटी नहीं बहन कहेंगे,

प्रभा :- बस कर...कुछ भी बोलता है, लोग पागल ही है ना जो मुझे देख के मेरी उम्र उन्हें पता नहीं चलेगी,

सागर :- नहीं माँ मैं भी हैरान था जब मैंने आपको कल देखा....

सागर के मुह से अचानक निकल गया,

प्रभा :- क्या, , बदमाश हो गया है तू बहुत...

सागर ने सोचा अब बात निकल ही गयी है तो अब रुकना नहीं है,

सागर :- सच में आपकी स्किन कितनी मुलायम है..आपकी फिगर भी कितनी अच्छी है...बिलकुल किसी हेरोइन की तरह..

प्रभा :- अच्छा, कोई मिला नहीं क्या सुबह से तुझे,

सागर प्रभा के पास सरक गया और उसके हाथो पे हाथ रख दिया,

सागर :- सच में माँ...आपको यकीं नहीं आता न तो बस एक बार ये ड्रेस पहनो और फिर देखो,

प्रभा को सागर का ऐसे जिद्द करना अच्छा लग रहा था, उसके मुह से अपनी तारीफ सुन के वो खुश हो रही थी,

प्रभा :- नहीं मुझे नहीं पहनना..

सागर :- एक बार प्लीज...मेरे लिए...

प्रभा :- देख मुझे ये अच्छा नहीं लग रहा,

सागर :- नहीं नहीं प्लीज एक बार मुझे ये पहनके दिखाओ..

प्रभा ने भी अब हार मान ली,

प्रभा :- ठीक है...आती हु पहनके,

प्रभा वो ड्रेस लेके अंदर जाने लगी, सागर मन ही मन खुश हो रहा था की ये ड्रेस लाना उसके लिए फायदेमंद रहा, ऐसे ही अब वो प्रभा की तारीफ करता रहेगा और फिर उसे.....ये सोच के सागर अपने आधे खड़े लंड को, सहलाने लगा...उसी वक़्त प्रभा ने उसे पलट के देखा, उसे अपना लंड सहलाते देख प्रभा भी उत्तेजित होने लगी थी, *

वो अंदर गयी और उसने अपने सारे कपडे निकाल दिए, ब्रा और निक्कर भी, फिर उसन टॉप पहना वो थोडा टाइट हो रहा था, प्रभा की चुचिया उसमे समां नहीं रही थी, उत्तेजित होने की वजह से उसके निप्प्ल्स कड़क हो चुके थे, उस टॉप में से वो साफ़ दिखाई दे रहे थे, उसने जानबुज के ब्रा निकाल ली थी, फिर उसने स्कर्ट पहना, और खुद को आईने में देखा, वो सच में कमाल लग रही थी,

फिर वो शरमाते हुए बाहर आयी और सागर के सामने कड़ी हो गयी, सागर ने उसे जब देखा तो बस देखते हि रह गया, प्रभा सच बहुत सेक्सी लग रही थी, सागर उसे ऊपर से निचे तक बस निहारता ही रह गया........​
 

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