भाग 27
अगले 6 महीने सागर कभी प्रभा कभी सुमन तो कभी प्रियंका की मस्त चुदाई करता रहा, लेकिन माधवी चुदने की ख्वाहिश दिल में लिए जलती रही, वो बहुत चाहती थी की सागर उसे देखे उसे चोदे मगर वो संकोच वश खुद कुछ कर नहीं पाती थी, सागर की नजर तो माधवी पे थी ही मगर जब वो गाव आता तो पहले सुमन उसके पीछे लग जाती और फिर प्रियंका, प्रियंका को जैसे चुदने का रोग सा लग गया था, उसे तो ऐसे लगता था जैसे सागर रोज उसे चोदे मगर ये मुमकिन नहीं था, कभी कभी तो उसकी प्यास उसके दिलो दिमाग पे इतनी हावी हो जाती की वो किसी और से चुदने का ख्याल भी उसके मन में आने लग जाता, ऐसे वक़्त बड़ी मुश्किल से वो खुद को काबू में कर पाती,
सब की परीक्षा खत्म हो चुकीं थी, सुमन अपने ससुराल जा चुकीं थी, उसका मन तो नहीं था पर जाना तो था ही,
exam के रिजल्ट आ गए थे, माधवी पुरे स्कूल में फर्स्ट आई थी, सब बहुत खुश थे, सागर माधवी को लेके शहर आया था उसकी एडमिशन के लिए, वहा एडमिशन की जगह लंच टाइम था तो माधवी को वाही बिठा के सागर अपने कुछ कम के लिए दूसरी और चला गया, माधवी वह बैठे इंतजार कर रही थी, तभी वहा उसी कॉलेज के कुछ मनचले लड़के आ गए, माधवी को ऐसे अकेले देख उसे छेड़ने लगे, पहले तो माधवी जहा बैठी थी उसके बाजु में जाके बैठ गए, माधवी बहुत सेंसिटिव लड़की थी, वो उठके बाजू में जाके कड़ी हुई और सागर को फ़ोन लगा दिया,
वो लड़के बहुत धीट थे, वो वापस आके माधवी के आजु बाजू खड़े हो गए, और माधवी को जानबुज के धक्का देने लगे, माधवी को अब रोना आ रहा था, ये सब उसके साथ पहली बार हों रहा था, गाव में किसीकी हिम्मत नहीं थी की उसकी और आँख उठा के भी कोईं देखे, माधवी उनके बिच से निकलने की कोशिस करने लगी लेकिन वो लड़के आपस में बात करते हुए ऐसे हरकते कर रहे थे की माधवी वहा से निकल ही ना पाये, उतने में माधवी को सागर आते हुए दिखा, माधवी ने एक लड़के को जार से धक्का दिया और सागर की तरफ भागते हुए उसके गले लग गयी, सागर ने उसे एक पल, के लिए गले लगाया और उन् लड़को की तरफ गया और उनके लीडर को दो खीच के थप्पड़ लगाये, वो लड़का सागर के पैरो में गिर गया,
वो :- प्लीज सर हमें माफ़ कर दो हमें नहीं पता था वो लड़की आपके साथ है...
सागर :- ये मेरी बहन है....आगे से इसकी और आँख उठा के भी किसीने देखा तो जान ले लूंगा,
वो सभी लोग सागर और माधवी से माफ़ी माँगने लगे, और दुबारा ऐसा नहीं करेंगे ऐसा वादा करके वहा से चले गए, माधवी अभी भी डरी हई थी, सागर माधवी के पास गया और उसे समझाने लगा, सागर माधवी को कंधे से पकड़ के समझा रहा था, माधवी अब नार्मल होने लगी थी, वो फिर से एक बार सागर को हग किया, पहली बार जब माधवी ने सागर को हग किया था तब उसे कुछ नहीं हुआ था मगर इसबार सागर को उसके कोमल और जवान जिस्म का अहसास होने लगा था, उसकी चुचिया उसकी छाती पे दब रही थी, जिनको वो हमेशा देखते रहता था, माधवी भी पहली बार सागर के इतने करीब थी, उसे भी कुछ अलग तरह का अहसास हो रहा था, सागर ने इनसब बातो से निकल के माधवी को शांत किया,
सागर ने माधवी का एडमिशन करवा दिया और वो दोनों घर वापस आ गए, उस रात माधवी और सागर दोनों भी एकदूसरे के बारे में सोच रहे थे, माधवी सोच रही थी की सागर कितनी फ़िक्र करता है उसकी, उसने कैसे उस लड़के को थप्पड़ मारे, और बाद में उसने कैसे उसे समझाया, और जब उसके गले लगी तो कितना सुकून मिला था उसे,
सागर सोच रहा था की माधवी अब कितनी सेक्सी हो गयी है, उसके बूब्स अब प्रभा के बूब्स जैसे होने लगे है मगर बहुत कड़क और उभरे हुए है, माधवी की गांड का भी कोई जवाब नहीं, तभी तो वो कॉलेज में लड़के उसे छेड़ने से खुद को रोक नहीं पाये, मुझे बहुत ध्यान देना पड़ेगा उसपे, कही कोई लड़का उसे फसा ना ले, और माधवी को अब जरुरत महसूस होने लगी होगी, इसके पहले कोई उसे पटाये क्यू ना मैं ही......ये ख्याल दिमाग में आते ही सागर का लंड में तनाव आने लगा,
हा यही सही है...अगर उसे जो चाहिए उसे घर ही मिलने लगा तो वो बाहर क्यू जायेगी, हा लेकिन मुझे पहले उसके मन में झांकना होगा, अगर मैंने कोई जल्दबाजी की और दाँव उल्टा पड़ गया तो माँ तो खैर कुछ नहीं कहेगी मगर बाबा मुझे जान से मार देंगे, बहुत प्यार करते है वो माधवी से,
सागर ऐसे ही माधवी के बारे में सोचते हुए सो गया,
जल्द ही प्रभा माधवी और सागर शहर आ गए, दोनों का कोल्लेज सुरु हो चूका था, प्रियंका ने वही गाव में ही अपनी आगे की पढाई जारी रखी, वो शहर जाना चाहती थी मगर उसके बाबा ने मना कर दिया, प्रियंका के बुरे दिन अब सुरु होने वाले थे, क्यू की अब सागर कई दिनों तक गाव नहीं आने वाला था,
माधवी के आने से सागर और प्रभा ज्यादा चुदाई नहीं कर पाते थे, और सागर का इंट्रेस्ट भी अब प्रभा में कुछ ख़ास रहा नहीं था, अब वो माधवी को चोदना चाहता था, जसवंत अब गाव में ज्यादा नहीं रहता वो 2 3 दिन बाद शहर चला आता, इससे भी प्रभा और सागर के रिश्ते में फरक पड़ने लगा था, प्रभा को जो चीज रोज मिलती थी अब उसे 7 8 द्दीन तक इंतजार करना पड़ता था,
इधर सागर और माधवी एक साथ कॉलेज जाते थे, दोनों में दोस्ती तो पहले से थी मगर अब उनकी दोस्ती बहुत गहरी हो गयी थी, अब वो दोनों एकदूसरे से काफी हँसी मजाक करते, दोनों थोडा थोडा खुलके के बाते करने लगे थे, माधवी सागर को हमेशा प्रियंका का नाम लेके चिढ़ाती रहती, उनके बिच एक अलग ही रिश्ता बनने लगा था, उसका एक कारन ये भी था की दोनों भी एकदूसरे के साथ जिस्मानी रिश्ता बनाना चाहते थे, लेकिन दिक्कत यही थी की सागर को माधवी के और से ऐसा कुछ दीखता नहीं था, और माधवी ये सब बाते समझ नहीं पाती थी, *
ऐसे ही 1 महीना निकल गया, एक दिन सागर और माधवी कोल्लेज से आ रहे थे अचानक तेज बारिश सुरु हो गयी, दोनों बारिश से बचने के लिए एक पेड़ के निचे खड़े हो गए, सागर ने बाइक के डिक्की में देखा तो सिर्फ एक ही रेनकोट था, उसने वो माधवी को दिया लेकिन माधवी ने सलवार सूट पहना था तो उसने मना कर दिया, सागर वो पहनने लगा, माधवी को कुछ याद आया.......
माधवी :- भैया आपको याद है पिछले साल भी हम ऐसे ही बारिश में भीग गए थे...प्रियंका भी थी साथ में...
सागर :- हा बहुत अच्छेसे याद है...
माधवी :- हा यद् क्यू नहीं होगा आपकी लव स्टोरी वही से तो सुरु हुई थी, आपको बहुत याद आती होगी ना उसकी...
सागर :- हा आती तो है पर क्या कर सकते है...
माधवी :- सिर्फ उसकी ही आती है या और भी किसी की याद आती है,
सागर :- और किसकी आने वाली है....
माधवी :- सुमन बुआ की.....
सागर माधवी के मुह से ये सुन के चौक गया...
सागर :- उनकी याद, मैं कुछ समझा नहीं...
माधवी :- ओह्ह्ह हो मेरे भोले भाई...मुझे पता है आपकी और बुआ की छोटी सी लव स्टोरी के बारे में...ही ही ही,
सागर :- चुप कर कुछ भी बोलती है...
माधवी :- अच्छा, खाओ मेरी कसम और बोलो की मैं झूट बोल रही हु...आपके और बुआ के बिच कुछ नहीं...
सागर :- अरे वो..मैं..वो ..तो ऐसे ही...मतलब हा..एक बार ऐसे ही ...
माधवी :- एक बार, क्या एक बार,
सागर :- पता है तो क्यू पूछती है,
माधवी :- एक बार ऐसे ही..फिर बार बार ..नहीं,
सागर :- तू न बहुत शैतान हो ने लगी है...बहुत मजाक उड़ाती है तू मेरा रुक तू घर चल माँ को बताता हु...
माधवी :- हा चलो..मैं भी बताती हु माँ को बुआ के बारे में...
सागर :- नहीं पागल है क्या,
माधवी :- नहीं बताउंगी...चिंता मत करो...
तब तक बारिश बहुत कम हो गयी थी, दोनों बाइक पे बैठ के घर आ गए,
सागर अपनी रूम में आके सोचने लगा...माधवी को बुआ और मेरे बारे में कैसे पता चला, क्या उसने हमें देख लिया , नहीं वो बुआ से बहुत क्लोज है शायद बुआ ने ही बताया होगा, चलो कोई नहीं उसे इस बात से कोई फरक नहीं पड़ा ये इम्पोर्टेन्ट है,
रात को खाने के वक़्त....
सागर :- ये क्या माँ...ये बैगन की सब्जी अच्छी नहीं बनी आज...
प्रभा :- हा रे ..थोडा जल्दी जल्दी में बनाई है...
माधवी :- मुझे तो अच्छी लग रही है...
सागर :- तुझे तो माँ के हाथ का कुछ भी अच्छा लगता है...
माधवी :- नहीं ऐसा कुछ नहीं...मुझे माँ से ज्यादा बुआ के हाथ का खाना अच्छा लगता है...बुआ से यद् आया ...सागर के तरफ देखते हुए...माँ बुआ को बुला लो ना यहाँ कुछ दिनों के लिए...भैया को बहुत याद आती है उनकी...
सागर को एकदम से झटका सा लगा, वो माधवी की और गुस्से से *देखता है,
सागर :- न...नहीं...क्या बोल रही है...मतलब हा उनकी याद आती है....अब इतने दिन हम साथ थे,
प्रभा को कुछ समझ नहीं आता, माधवी सागर की हालत देख हँसने लगती है,
प्रभा :- हा रे मुझे भी बहुत याद आती है उसकी...
माधवी ये सुनके हँसी निकल जाती है उसके गले में खाना अटक सा जाता है, प्रभा उसे पानी देती है...माधवी पानी पिती है...पर उसकी हँसी नहीं रूकती...
माधवी :- आपको भी उनकी याद् आती है...हा हा हा ऊऊऊह हा हा..माधवी को ऐसे हस्ते देख सागर भी हस पड़ता है,
प्रभा :- क्या, दोनों पागल हो गए हो ...क्या हुआ,
सागर :- हस्ते हुए...कुछ नहीं माँ आप खाना खाओ...ये लड़की पागल हो गयी है...कल डॉ को दिखा दूंगा,
माधवी अभी भी है रही थी, उसके आँखों से पानी आने लगता है हस हस के,
प्रभा :- बस कर अब...खाना खा,
माधवी सागर को देखती है, वो उसे आँखों से कुछ इशारे करता है, माधवी हँसी को कण्ट्रोल करते हुए खाना खाने लगती है,
खाना खाने के बाद *प्रभा किचेन में चली जाती है, माधवी अपने कमरे में जा रही थी, सागर उसके पीछे गया और उसका हाथ, पकड़ के मरोड़ा माधवी पलट गयी और...सागर की तरफ उसकी पीठ थी,
माधवी :- अह्ह्ह्ह्ह भैया छोडो ना..
सागर :- बहुत बोलने लगी है...
माधवी :- सॉरी भैया अह्ह्ह्ह...माधवी थोडा आगे की और झुकी...जिसकी वजह से उसकी उभरी हुई गांड सागर की तरफ हो गयी, सागर को ये बात झट से समझ आ गयी, वो उसकी गांड को देखने लगा,
सागर :- सॉरी की बच्ची...बोल दुबारा करेगी,
माधवी :- अह्ह्ह्ह्ह *भैया नहीं...छोड़ दो प्लीज...
माधवी थोडा पीछे सरकी तो उसकी गांड सागर के लंड को छु गयी, माधवी ने नाईट पजामा पहना था, जिसमे उसकी गांड के दोनों हिस्से मस्त उभरे हुए नजर आ रहे थे, जैसे ही सागर के लंड से उसकी गांड छुइ दोनों को करंट सा लगा, सागर ने मोके का फायदा उठाया और थोडा सा अपना लंड उसकी गांड से रगड़ लिया, माधवी को भी सागर के लंड का अहसास हुआ,
माधवी :- छोड़ते हो या नहीं...दर्द हो रहा है...मैं माँ को बुलाती हु,
माँ का नाम सुनते ही सागर ने उसे छोड़ दिया,
सागर :- अभी तो सिर्फ मरोड़ा है..अगर आगे कुछ शैतानी की ना..तू देख मैं क्या करता हु,
माधवी :- आह्ह्ह ...अब देखो मैं क्या करती हु..
सागर :- क्या करेगी,
माधवी :- देखते जाओ...
सागर आगे कुछ बोल पाता प्रभा वहा आ गयी,
प्रभा :- क्या चल रहा है, तुम दोनों फिर से सुरु हो गए,
माधवी :- मैं नहीं ये भैया...बोल रहे है मेरी एक दोस्त है उससे मेरी दोस्ती करवा दो,
सागर :- क्या, मैंने कब कहा, जूठी...नहीं माँ ये झूठ बोल रही है,
प्रभा :- चुप रहो दोनों...और तू वो प्रियंका बेचारी तेरा इंतजार करती रहती है और तू यहाँ दूसरी लड़की..माधवी कोई जरुरत नहीं,
माधवी :- वही तो माँ...मैं भी वही बोल रही थी, मैंने मना किया तो मेरा हाथ जोर से मरोड़ दिया,
प्रभा :- नालयक..छोटी बहन से ऐसे पेश आते है क्या, तेरे बाबा को बताती हु फिर देख कैसी मार पड़ती है,
सागर :- माँ ऐसा कुछ नहीं है..
प्रभा :- हा जा अब अपने कमरे में पढाई नहीं करनी क्या, माधवी तू भी जा...
प्रभा वहा से जाने लगती है, माधवी सागर को अंगूठा दिखा के और मुह बना के चिढ़ाती है और अपने कमरे भाग जाती है,
सागर माधवी की ये शरारत देख मुस्कुराने लगता है, और अपने कमरे में जाके पढाई करने लगता है, लेकिन उसका मन आज पढाई में नहीं था, माधवी को आज उसने उसकी गांड से फिसलता हुआ टच जो किया था, उसके दिमाग में बस वही चल रहा था, *
माधवी भी यही सोच रही थी की भैया ने जो अपना लंड मेरी गांड को छुआ या था वो गलती से था की जानबुज के, *
पर कुछ भी हो आज उसे अलग ही अहसास हो रहा था,
देर रात माधवी के सो जाने के बाद प्रभा सागर के कमरे में गयी, सागर उसका ही इंतजार कर रहा था, *उसने प्रभा को अपनी बहो में जकड़ा और किस करना सुरु कर दिया, एक लंबे किस के बाद उस्ने प्रभा को बेड पे लिटाया....और उसकी चुचिया मसलने लगा,
प्रभा :- उम्म्म्म्म्म स्सस्सस्स अह्ह्ह्ह्ह्ह धीरे ना....क्या चल रहा था तेरे और माधवी के बिच...
सागर :- कुछ नहीं पागल है वो...
प्रभा :- कोनसी दोस्त है उसकी, अब किसको अपने लंड से पेलना चाहता है, और सुमन का क्या बोल रही थी वो, कही उसने भी चुदवा लिया क्या तुझसे,
सागर :- कोई दोस्त नहीं माँ...वो ही बोल, रही थी मेरी एक दोस्त है आपसे मिलना चाहती है...
सागर ने प्रभा का ब्लाउज खोल के उसकी निप्प्ल्स चूसना सुरु कर दिया था,
प्रभा :- तो मिल ले...
सागर :- नहीं माँ...मुझे कोई दिलचस्पी नहीं...आप हो प्रियंका है बस है मेरे लिए उम्म्म्म्म्म
प्रभा :- और सुमन,
सागर :- बुआ का क्या,
प्रभा :- वो न बहुत चालू चीज है...शादी से पहले भी बहुत चुदवाती थी....मुझे लगा कही तुझसे भी चुदवा लिया क्या,
सागर :- सच कहु तो हा मैंने ली है बुआ की...
प्रभा :- मुझे पता था....उसे लंड के बिना नहीं रहा जाता, कितनी बार,
सागर :- ज्यादा नहीं...
प्रभा :- मुझे बताया क्यू नहीं,
सागर :- मुझे लगा आप गुस्सा करोगी...
प्रभा :- ठीक है...लेकिन आगे से मुझसे कोई बात मत छुपाना....
सागर :- ठीक है...वो सब छोडो...जरा मेरा लंड तो चूसो अह्ह्ह्ह्ह
प्रभा उठी और अपने और सागर के कपडे निकल दिए और उसका लंड चूसना सुरु किया,
प्रभा :- उम्मम्माआह्ह्ह्ह्ह् स्सस्सस्स तेरा ये लंड देख के तो पागल हो गयी होगी सुमन....कैसे चूसती है रे वो अह्ह्ह्हूऊऊम्मम्म अच्छा,
सागर :- उम्म्म्म स्सस्सस्स अह्ह्ह्ह हा बहुत खुश हो गयी थी स्स्स्स्स् नहीं माँ आपसे अच्छा नहीं अह्ह्ह्ह्ह्ह आप तो बेस्ट हो
प्रभा :- उम्मम्मम्माह्ह्ह्ह्म्म्म सप्पप्पप्पपापाप स्स्स्स कैसी थी उसकी चूत, , मजा आया,
सागर :- अह्ह्ह्ह्ह ठीक थी स्स्स्स्स् बहुत दिनों से नहीं चुदवाया था तो थोड़ी टाइट थी,
प्रभा :- उम्म्म्म अह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स्स् अह्ह्ह बहुत बड़ी वाली है वो मस्त चुदवाया होगा उछल उछल के स्स्स्स
सागर :- हा उम्म्म्म बहुत मस्त चुदवाती है एकदम रंडी के जैसे अह्ह्ह्ह्ह
प्रभा :- उम्म्म्म अह्ह्ह्ह हा दिख रहा है...उसका नाम लेते ही तेरा लंड कितना बड़ा हो गया है अह्ह्ह्ह
सागर :- उम्म्म्म ये तो आपके जुबान और होठो का कमाल है स्स्स्स्स्
प्रभा :- अह्ह्ह्ह्ह चल अब आ जा स्सस्सस्सस
प्रभा बेड को पकड़ के झुकते हुए बोली,
सागर ने अपना लंड प्रभा के चूत से सटाया और अंदर डालने लगा, पूरा अंदर जाने के बाद सागर प्रभा को चोदने लगा, *
ऐसे ही बाते करते हुए दोनों चुदाई करने लगे,
प्रभा और सागर एक घंटे तक चुदाई करते रहे, प्रभा ने अपनी चूत की खुजली सागर के लंड से मिटाई और अपने कमरे में जा के सो गयी,
सागर को अब प्रभा के साथ ज्यादा मजा नहीं आता था मगर उसके पास दूसरा कोई विकल्प नहीं था,