Incest किस्से कच्ची उम्र के.....!!!!

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किस्से कच्ची उम्र के.....!!!!

भाग 1

* दोस्तों ये कहानी सुरु होती है एक छोटे से गाँव से, इस कहानी में रिश्तों में चुदाई की किस्से भी होंगे, तो जिसे इन्सेस्ट पसंद नहीं वो ये कहानी न पढ़े, इसके किरदार के बारे में थोडा बता देती हु,

माधवी :- एक कमसिन खूबसूरत सेक्सी लड़की, बहुत ही सीधी साधी लड़की है, अपने काम से काम रखने वाली लड़की, स्कूल पढाई और परिवार यही इसकी जिंदगी है, सेक्स की दुनिया का ज्यादा कुछ पता नहीं, ❤️❤️❤️❤️

प्रभा :- माधवी की माँ उम्र 36 साल, ये भी बला की खूबसूरत और सेक्सी औरत है, पढ़ी लिखी होने के कारन रहन सहन बहुत अच्छा है,

जसवंत :- माधवी के पिता, ये किसान है, बहुत खेती होने के कारन पैसो की कोई कमी नहीं,

सागर :- माधवी का बड़ा भाई, शहर में पढता है, उम्र 19 साल, महीने में एक बार गाँव आता है सबसे मिलने के लिए, बाकि किरदार भी है, जैसे जिक्र होगा वैसे बताउंगी, तो कहानी सुरु करते है, * *

प्रभा :- माधवी कितनी देर लगाती है नहाने में, चल मुझे खाना बनाना है तेरे बाबा के लिए,

माधवी :- हो गया माँ...आ रही हु, ठीक से नहाने भी नही देती हो,

प्रभा :- आधे घंटे से अंदर है,

माधवी बहार आती है,

माधवी :- क्या माँ आप भी न.....

* लेकिन प्रभा उसकी बात सुनती भी नहीं और झट से अंदर चली जाती है,

माधवी अपने कमरे में जाके तैयार होने लगति है, *

जसवंत अपने कम निपटा के आता है, जैसे वो बाहर हॉल में आता है...

जसवंत :- प्रभा खाना हो गया क्या,

*माधवी :- बाबा माँ नहा रही है,

जसवंत :- अच्छा उसको कहना की मैं खेत के लिए निकल रहा हु, खाना लेने चंदू को भेज दूंगा,

चंदू :- - शादी शुदा जसवंत के यहाँ खेतो में कम करने वाला नोकर, उम्र 34 साल, बहुत ही चोदु किस्म का इंसान, इसकी बुरी नजर माधवी और उसकी माँ पे है, जसवंत के यहाँ सालो से काम करता है इसकी वजह से सब उसे अपने परिवार का ही समजते है,

माधवी :- ठीक है,

प्रभा जल्दी नहाके खाना बना देती है, माधवी भी तैयार होके अपना टिफिन उठाके स्कूल के लिए निकल पड़ती है,

रस्ते में अपनी दोस्त प्रियंका के घर होते हुए दोनों दोस्त स्कूल के लिए निकल पड़ते है,

प्रियंका :- -ये भी बहुत खूबसूरत है, लेकिन बहुत चंट है, ये पुरे गाँव की खबरे रखती है, ऐसे सेक्स की बातें करने में बहुत मजा आता है, लेकिन माधवी इसे हमेशा चुप करवा देती है, दोनों विपरित स्वाभाव की होने के बावजूद बहुत गहरे दोस्त

*बरसात का मौसम चारो तरफ हरियाली, ऐसे में गाँव बहुत ही खूबसूरत लगता है, स्कूल गाँव के थोडा बाहर था, गाँव से लेके स्कूल का रास्ता थोडा सुनसान ही रहता था, लेकिन स्कूल के टाइम नहीं होता था, रस्ते में कुछ मनचले लडके अपनी आखे सेकने बैठे रहते थे, वो सिर्फ दूर से देख के आहे भरते रहते थे, कोई कुछ बोलता नहीं था, *

* *माधवि और प्रियंका अपने क्लास में जाके बैठ जाती है, इस बात से अनजान की उसकी जिंदगी कुछ दिनों में पूरी बदलने वाली है,
 
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भाग 27

अगले 6 महीने सागर कभी प्रभा कभी सुमन तो कभी प्रियंका की मस्त चुदाई करता रहा, लेकिन माधवी चुदने की ख्वाहिश दिल में लिए जलती रही, वो बहुत चाहती थी की सागर उसे देखे उसे चोदे मगर वो संकोच वश खुद कुछ कर नहीं पाती थी, सागर की नजर तो माधवी पे थी ही मगर जब वो गाव आता तो पहले सुमन उसके पीछे लग जाती और फिर प्रियंका, प्रियंका को जैसे चुदने का रोग सा लग गया था, उसे तो ऐसे लगता था जैसे सागर रोज उसे चोदे मगर ये मुमकिन नहीं था, कभी कभी तो उसकी प्यास उसके दिलो दिमाग पे इतनी हावी हो जाती की वो किसी और से चुदने का ख्याल भी उसके मन में आने लग जाता, ऐसे वक़्त बड़ी मुश्किल से वो खुद को काबू में कर पाती,

सब की परीक्षा खत्म हो चुकीं थी, सुमन अपने ससुराल जा चुकीं थी, उसका मन तो नहीं था पर जाना तो था ही,

exam के रिजल्ट आ गए थे, माधवी पुरे स्कूल में फर्स्ट आई थी, सब बहुत खुश थे, सागर माधवी को लेके शहर आया था उसकी एडमिशन के लिए, वहा एडमिशन की जगह लंच टाइम था तो माधवी को वाही बिठा के सागर अपने कुछ कम के लिए दूसरी और चला गया, माधवी वह बैठे इंतजार कर रही थी, तभी वहा उसी कॉलेज के कुछ मनचले लड़के आ गए, माधवी को ऐसे अकेले देख उसे छेड़ने लगे, पहले तो माधवी जहा बैठी थी उसके बाजु में जाके बैठ गए, माधवी बहुत सेंसिटिव लड़की थी, वो उठके बाजू में जाके कड़ी हुई और सागर को फ़ोन लगा दिया,

वो लड़के बहुत धीट थे, वो वापस आके माधवी के आजु बाजू खड़े हो गए, और माधवी को जानबुज के धक्का देने लगे, माधवी को अब रोना आ रहा था, ये सब उसके साथ पहली बार हों रहा था, गाव में किसीकी हिम्मत नहीं थी की उसकी और आँख उठा के भी कोईं देखे, माधवी उनके बिच से निकलने की कोशिस करने लगी लेकिन वो लड़के आपस में बात करते हुए ऐसे हरकते कर रहे थे की माधवी वहा से निकल ही ना पाये, उतने में माधवी को सागर आते हुए दिखा, माधवी ने एक लड़के को जार से धक्का दिया और सागर की तरफ भागते हुए उसके गले लग गयी, सागर ने उसे एक पल, के लिए गले लगाया और उन् लड़को की तरफ गया और उनके लीडर को दो खीच के थप्पड़ लगाये, वो लड़का सागर के पैरो में गिर गया,

वो :- प्लीज सर हमें माफ़ कर दो हमें नहीं पता था वो लड़की आपके साथ है...

सागर :- ये मेरी बहन है....आगे से इसकी और आँख उठा के भी किसीने देखा तो जान ले लूंगा,

वो सभी लोग सागर और माधवी से माफ़ी माँगने लगे, और दुबारा ऐसा नहीं करेंगे ऐसा वादा करके वहा से चले गए, माधवी अभी भी डरी हई थी, सागर माधवी के पास गया और उसे समझाने लगा, सागर माधवी को कंधे से पकड़ के समझा रहा था, माधवी अब नार्मल होने लगी थी, वो फिर से एक बार सागर को हग किया, पहली बार जब माधवी ने सागर को हग किया था तब उसे कुछ नहीं हुआ था मगर इसबार सागर को उसके कोमल और जवान जिस्म का अहसास होने लगा था, उसकी चुचिया उसकी छाती पे दब रही थी, जिनको वो हमेशा देखते रहता था, माधवी भी पहली बार सागर के इतने करीब थी, उसे भी कुछ अलग तरह का अहसास हो रहा था, सागर ने इनसब बातो से निकल के माधवी को शांत किया,

सागर ने माधवी का एडमिशन करवा दिया और वो दोनों घर वापस आ गए, उस रात माधवी और सागर दोनों भी एकदूसरे के बारे में सोच रहे थे, माधवी सोच रही थी की सागर कितनी फ़िक्र करता है उसकी, उसने कैसे उस लड़के को थप्पड़ मारे, और बाद में उसने कैसे उसे समझाया, और जब उसके गले लगी तो कितना सुकून मिला था उसे,

सागर सोच रहा था की माधवी अब कितनी सेक्सी हो गयी है, उसके बूब्स अब प्रभा के बूब्स जैसे होने लगे है मगर बहुत कड़क और उभरे हुए है, माधवी की गांड का भी कोई जवाब नहीं, तभी तो वो कॉलेज में लड़के उसे छेड़ने से खुद को रोक नहीं पाये, मुझे बहुत ध्यान देना पड़ेगा उसपे, कही कोई लड़का उसे फसा ना ले, और माधवी को अब जरुरत महसूस होने लगी होगी, इसके पहले कोई उसे पटाये क्यू ना मैं ही......ये ख्याल दिमाग में आते ही सागर का लंड में तनाव आने लगा,

हा यही सही है...अगर उसे जो चाहिए उसे घर ही मिलने लगा तो वो बाहर क्यू जायेगी, हा लेकिन मुझे पहले उसके मन में झांकना होगा, अगर मैंने कोई जल्दबाजी की और दाँव उल्टा पड़ गया तो माँ तो खैर कुछ नहीं कहेगी मगर बाबा मुझे जान से मार देंगे, बहुत प्यार करते है वो माधवी से,

सागर ऐसे ही माधवी के बारे में सोचते हुए सो गया,

जल्द ही प्रभा माधवी और सागर शहर आ गए, दोनों का कोल्लेज सुरु हो चूका था, प्रियंका ने वही गाव में ही अपनी आगे की पढाई जारी रखी, वो शहर जाना चाहती थी मगर उसके बाबा ने मना कर दिया, प्रियंका के बुरे दिन अब सुरु होने वाले थे, क्यू की अब सागर कई दिनों तक गाव नहीं आने वाला था,

माधवी के आने से सागर और प्रभा ज्यादा चुदाई नहीं कर पाते थे, और सागर का इंट्रेस्ट भी अब प्रभा में कुछ ख़ास रहा नहीं था, अब वो माधवी को चोदना चाहता था, जसवंत अब गाव में ज्यादा नहीं रहता वो 2 3 दिन बाद शहर चला आता, इससे भी प्रभा और सागर के रिश्ते में फरक पड़ने लगा था, प्रभा को जो चीज रोज मिलती थी अब उसे 7 8 द्दीन तक इंतजार करना पड़ता था,

इधर सागर और माधवी एक साथ कॉलेज जाते थे, दोनों में दोस्ती तो पहले से थी मगर अब उनकी दोस्ती बहुत गहरी हो गयी थी, अब वो दोनों एकदूसरे से काफी हँसी मजाक करते, दोनों थोडा थोडा खुलके के बाते करने लगे थे, माधवी सागर को हमेशा प्रियंका का नाम लेके चिढ़ाती रहती, उनके बिच एक अलग ही रिश्ता बनने लगा था, उसका एक कारन ये भी था की दोनों भी एकदूसरे के साथ जिस्मानी रिश्ता बनाना चाहते थे, लेकिन दिक्कत यही थी की सागर को माधवी के और से ऐसा कुछ दीखता नहीं था, और माधवी ये सब बाते समझ नहीं पाती थी, *

ऐसे ही 1 महीना निकल गया, एक दिन सागर और माधवी कोल्लेज से आ रहे थे अचानक तेज बारिश सुरु हो गयी, दोनों बारिश से बचने के लिए एक पेड़ के निचे खड़े हो गए, सागर ने बाइक के डिक्की में देखा तो सिर्फ एक ही रेनकोट था, उसने वो माधवी को दिया लेकिन माधवी ने सलवार सूट पहना था तो उसने मना कर दिया, सागर वो पहनने लगा, माधवी को कुछ याद आया.......

माधवी :- भैया आपको याद है पिछले साल भी हम ऐसे ही बारिश में भीग गए थे...प्रियंका भी थी साथ में...

सागर :- हा बहुत अच्छेसे याद है...

माधवी :- हा यद् क्यू नहीं होगा आपकी लव स्टोरी वही से तो सुरु हुई थी, आपको बहुत याद आती होगी ना उसकी...

सागर :- हा आती तो है पर क्या कर सकते है...

माधवी :- सिर्फ उसकी ही आती है या और भी किसी की याद आती है,

सागर :- और किसकी आने वाली है....

माधवी :- सुमन बुआ की.....

सागर माधवी के मुह से ये सुन के चौक गया...

सागर :- उनकी याद, मैं कुछ समझा नहीं...

माधवी :- ओह्ह्ह हो मेरे भोले भाई...मुझे पता है आपकी और बुआ की छोटी सी लव स्टोरी के बारे में...ही ही ही,

सागर :- चुप कर कुछ भी बोलती है...

माधवी :- अच्छा, खाओ मेरी कसम और बोलो की मैं झूट बोल रही हु...आपके और बुआ के बिच कुछ नहीं...

सागर :- अरे वो..मैं..वो ..तो ऐसे ही...मतलब हा..एक बार ऐसे ही ...

माधवी :- एक बार, क्या एक बार,

सागर :- पता है तो क्यू पूछती है,

माधवी :- एक बार ऐसे ही..फिर बार बार ..नहीं,

सागर :- तू न बहुत शैतान हो ने लगी है...बहुत मजाक उड़ाती है तू मेरा रुक तू घर चल माँ को बताता हु...

माधवी :- हा चलो..मैं भी बताती हु माँ को बुआ के बारे में...

सागर :- नहीं पागल है क्या,

माधवी :- नहीं बताउंगी...चिंता मत करो...

तब तक बारिश बहुत कम हो गयी थी, दोनों बाइक पे बैठ के घर आ गए,

सागर अपनी रूम में आके सोचने लगा...माधवी को बुआ और मेरे बारे में कैसे पता चला, क्या उसने हमें देख लिया , नहीं वो बुआ से बहुत क्लोज है शायद बुआ ने ही बताया होगा, चलो कोई नहीं उसे इस बात से कोई फरक नहीं पड़ा ये इम्पोर्टेन्ट है,

रात को खाने के वक़्त....

सागर :- ये क्या माँ...ये बैगन की सब्जी अच्छी नहीं बनी आज...

प्रभा :- हा रे ..थोडा जल्दी जल्दी में बनाई है...

माधवी :- मुझे तो अच्छी लग रही है...

सागर :- तुझे तो माँ के हाथ का कुछ भी अच्छा लगता है...

माधवी :- नहीं ऐसा कुछ नहीं...मुझे माँ से ज्यादा बुआ के हाथ का खाना अच्छा लगता है...बुआ से यद् आया ...सागर के तरफ देखते हुए...माँ बुआ को बुला लो ना यहाँ कुछ दिनों के लिए...भैया को बहुत याद आती है उनकी...

सागर को एकदम से झटका सा लगा, वो माधवी की और गुस्से से *देखता है,

सागर :- न...नहीं...क्या बोल रही है...मतलब हा उनकी याद आती है....अब इतने दिन हम साथ थे,

प्रभा को कुछ समझ नहीं आता, माधवी सागर की हालत देख हँसने लगती है,

प्रभा :- हा रे मुझे भी बहुत याद आती है उसकी...

माधवी ये सुनके हँसी निकल जाती है उसके गले में खाना अटक सा जाता है, प्रभा उसे पानी देती है...माधवी पानी पिती है...पर उसकी हँसी नहीं रूकती...

माधवी :- आपको भी उनकी याद् आती है...हा हा हा ऊऊऊह हा हा..माधवी को ऐसे हस्ते देख सागर भी हस पड़ता है,

प्रभा :- क्या, दोनों पागल हो गए हो ...क्या हुआ,

सागर :- हस्ते हुए...कुछ नहीं माँ आप खाना खाओ...ये लड़की पागल हो गयी है...कल डॉ को दिखा दूंगा,

माधवी अभी भी है रही थी, उसके आँखों से पानी आने लगता है हस हस के,

प्रभा :- बस कर अब...खाना खा,

माधवी सागर को देखती है, वो उसे आँखों से कुछ इशारे करता है, माधवी हँसी को कण्ट्रोल करते हुए खाना खाने लगती है,

खाना खाने के बाद *प्रभा किचेन में चली जाती है, माधवी अपने कमरे में जा रही थी, सागर उसके पीछे गया और उसका हाथ, पकड़ के मरोड़ा माधवी पलट गयी और...सागर की तरफ उसकी पीठ थी,

माधवी :- अह्ह्ह्ह्ह भैया छोडो ना..

सागर :- बहुत बोलने लगी है...

माधवी :- सॉरी भैया अह्ह्ह्ह...माधवी थोडा आगे की और झुकी...जिसकी वजह से उसकी उभरी हुई गांड सागर की तरफ हो गयी, सागर को ये बात झट से समझ आ गयी, वो उसकी गांड को देखने लगा,

सागर :- सॉरी की बच्ची...बोल दुबारा करेगी,

माधवी :- अह्ह्ह्ह्ह *भैया नहीं...छोड़ दो प्लीज...

माधवी थोडा पीछे सरकी तो उसकी गांड सागर के लंड को छु गयी, माधवी ने नाईट पजामा पहना था, जिसमे उसकी गांड के दोनों हिस्से मस्त उभरे हुए नजर आ रहे थे, जैसे ही सागर के लंड से उसकी गांड छुइ दोनों को करंट सा लगा, सागर ने मोके का फायदा उठाया और थोडा सा अपना लंड उसकी गांड से रगड़ लिया, माधवी को भी सागर के लंड का अहसास हुआ,

माधवी :- छोड़ते हो या नहीं...दर्द हो रहा है...मैं माँ को बुलाती हु,

माँ का नाम सुनते ही सागर ने उसे छोड़ दिया,

सागर :- अभी तो सिर्फ मरोड़ा है..अगर आगे कुछ शैतानी की ना..तू देख मैं क्या करता हु,

माधवी :- आह्ह्ह ...अब देखो मैं क्या करती हु..

सागर :- क्या करेगी,

माधवी :- देखते जाओ...

सागर आगे कुछ बोल पाता प्रभा वहा आ गयी,

प्रभा :- क्या चल रहा है, तुम दोनों फिर से सुरु हो गए,

माधवी :- मैं नहीं ये भैया...बोल रहे है मेरी एक दोस्त है उससे मेरी दोस्ती करवा दो,

सागर :- क्या, मैंने कब कहा, जूठी...नहीं माँ ये झूठ बोल रही है,

प्रभा :- चुप रहो दोनों...और तू वो प्रियंका बेचारी तेरा इंतजार करती रहती है और तू यहाँ दूसरी लड़की..माधवी कोई जरुरत नहीं,

माधवी :- वही तो माँ...मैं भी वही बोल रही थी, मैंने मना किया तो मेरा हाथ जोर से मरोड़ दिया,

प्रभा :- नालयक..छोटी बहन से ऐसे पेश आते है क्या, तेरे बाबा को बताती हु फिर देख कैसी मार पड़ती है,

सागर :- माँ ऐसा कुछ नहीं है..

प्रभा :- हा जा अब अपने कमरे में पढाई नहीं करनी क्या, माधवी तू भी जा...

प्रभा वहा से जाने लगती है, माधवी सागर को अंगूठा दिखा के और मुह बना के चिढ़ाती है और अपने कमरे भाग जाती है,

सागर माधवी की ये शरारत देख मुस्कुराने लगता है, और अपने कमरे में जाके पढाई करने लगता है, लेकिन उसका मन आज पढाई में नहीं था, माधवी को आज उसने उसकी गांड से फिसलता हुआ टच जो किया था, उसके दिमाग में बस वही चल रहा था, *

माधवी भी यही सोच रही थी की भैया ने जो अपना लंड मेरी गांड को छुआ या था वो गलती से था की जानबुज के, *

पर कुछ भी हो आज उसे अलग ही अहसास हो रहा था,

देर रात माधवी के सो जाने के बाद प्रभा सागर के कमरे में गयी, सागर उसका ही इंतजार कर रहा था, *उसने प्रभा को अपनी बहो में जकड़ा और किस करना सुरु कर दिया, एक लंबे किस के बाद उस्ने प्रभा को बेड पे लिटाया....और उसकी चुचिया मसलने लगा,

प्रभा :- उम्म्म्म्म्म स्सस्सस्स अह्ह्ह्ह्ह्ह धीरे ना....क्या चल रहा था तेरे और माधवी के बिच...

सागर :- कुछ नहीं पागल है वो...

प्रभा :- कोनसी दोस्त है उसकी, अब किसको अपने लंड से पेलना चाहता है, और सुमन का क्या बोल रही थी वो, कही उसने भी चुदवा लिया क्या तुझसे,

सागर :- कोई दोस्त नहीं माँ...वो ही बोल, रही थी मेरी एक दोस्त है आपसे मिलना चाहती है...

सागर ने प्रभा का ब्लाउज खोल के उसकी निप्प्ल्स चूसना सुरु कर दिया था,

प्रभा :- तो मिल ले...

सागर :- नहीं माँ...मुझे कोई दिलचस्पी नहीं...आप हो प्रियंका है बस है मेरे लिए उम्म्म्म्म्म

प्रभा :- और सुमन,

सागर :- बुआ का क्या,

प्रभा :- वो न बहुत चालू चीज है...शादी से पहले भी बहुत चुदवाती थी....मुझे लगा कही तुझसे भी चुदवा लिया क्या,

सागर :- सच कहु तो हा मैंने ली है बुआ की...

प्रभा :- मुझे पता था....उसे लंड के बिना नहीं रहा जाता, कितनी बार,

सागर :- ज्यादा नहीं...

प्रभा :- मुझे बताया क्यू नहीं,

सागर :- मुझे लगा आप गुस्सा करोगी...

प्रभा :- ठीक है...लेकिन आगे से मुझसे कोई बात मत छुपाना....

सागर :- ठीक है...वो सब छोडो...जरा मेरा लंड तो चूसो अह्ह्ह्ह्ह

प्रभा उठी और अपने और सागर के कपडे निकल दिए और उसका लंड चूसना सुरु किया,

प्रभा :- उम्मम्माआह्ह्ह्ह्ह् स्सस्सस्स तेरा ये लंड देख के तो पागल हो गयी होगी सुमन....कैसे चूसती है रे वो अह्ह्ह्हूऊऊम्मम्म अच्छा,

सागर :- उम्म्म्म स्सस्सस्स अह्ह्ह्ह हा बहुत खुश हो गयी थी स्स्स्स्स् नहीं माँ आपसे अच्छा नहीं अह्ह्ह्ह्ह्ह आप तो बेस्ट हो

प्रभा :- उम्मम्मम्माह्ह्ह्ह्म्म्म सप्पप्पप्पपापाप स्स्स्स कैसी थी उसकी चूत, , मजा आया,

सागर :- अह्ह्ह्ह्ह ठीक थी स्स्स्स्स् बहुत दिनों से नहीं चुदवाया था तो थोड़ी टाइट थी,

प्रभा :- उम्म्म्म अह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स्स् अह्ह्ह बहुत बड़ी वाली है वो मस्त चुदवाया होगा उछल उछल के स्स्स्स

सागर :- हा उम्म्म्म बहुत मस्त चुदवाती है एकदम रंडी के जैसे अह्ह्ह्ह्ह

प्रभा :- उम्म्म्म अह्ह्ह्ह हा दिख रहा है...उसका नाम लेते ही तेरा लंड कितना बड़ा हो गया है अह्ह्ह्ह

सागर :- उम्म्म्म ये तो आपके जुबान और होठो का कमाल है स्स्स्स्स्

प्रभा :- अह्ह्ह्ह्ह चल अब आ जा स्सस्सस्सस

प्रभा बेड को पकड़ के झुकते हुए बोली,

सागर ने अपना लंड प्रभा के चूत से सटाया और अंदर डालने लगा, पूरा अंदर जाने के बाद सागर प्रभा को चोदने लगा, *

ऐसे ही बाते करते हुए दोनों चुदाई करने लगे,

प्रभा और सागर एक घंटे तक चुदाई करते रहे, प्रभा ने अपनी चूत की खुजली सागर के लंड से मिटाई और अपने कमरे में जा के सो गयी,

सागर को अब प्रभा के साथ ज्यादा मजा नहीं आता था मगर उसके पास दूसरा कोई विकल्प नहीं था,
 
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भाग 28

सागर की माधवी के प्रति प्यास बहुत बढ़ गयी थी, अब वो प्रभा को चोदते वक़्त भी माधवी उसकी जगह इमेजिन करने लगा था, और जब वो ऐसा सोचता तो उसमे जोश और बढ़ जाता, प्रभा उसके बढ़ाते जोश को और भी एन्जॉय करने लगी थी,

एक दिन माधवी और सागर कॉलेज से आये तो देखा की घर पे ताला लगा हुआ था, सागर ने प्रभा को फ़ोन लगाया तो उसने कहा की वो मार्केट में है और थोड़ी देर बाद आने वाली है, माधवी के पास दूसरी चाबी थी उसने दरवाजा खोला और वो अंदर आये, दोनों अपने अपने रूम में चले गए, सागर अपने कपडे बदलने लगा, उसको एकदम से ख्याल आया की माधवी भी अपने कपडे बदल रही होगी, उसने फटाफट अपने कपडे बदले और माधवी के रूम की तरफ गया, उसने की होल से देखने लगा, माधवी बिलकुल उसके आखो के सामने थी, वो सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी, वो बिलकुल सही समय पे वहा आया था, माधवी की गांड दरवाजे की तरफ थी, छोटी सी, निकर में फसी उसकी गोरी कोमल गांड को देख सागर का लंड झट से खड़ा हो गया, वो अपना लंड मसलने लगा,

माधवी फिर मूडी तो उसे माधवी की चुचिया दिखाई देने लगी, गोरी गोरी बड़ी चुचिया देख सागर का लंड और जोर मारने लगा, वो उसे मसलने लगा, अब उससे कण्ट्रोल नहीं हो रहा था, उसने दरवाजा धकेला, उसके नसीब से माधवी ने दरवाजा बंद नहींकिया था, वो सीधा अंदर गया और माधवी के सामने खड़ा हो गया, माधवी कुछ समझ नहीं पायी, सागर माधवी के सामने खड़ा उसे देख रहा था माधवी भी उसे देख रही थी, अगले ही पल माधवी ने टॉवल लिया और खुद को ढक लिया,

माधवी :- भैया क्या है,

सागर :- वो वो..सॉरी मैं..मैं वो मुझे चाय चाहिए थी...मुझे लगा की तुझे बोल दू..

माधवी :- हा ठीक है आप जाओ बाहर..मैं आती हु,

सागर उसे देखे जा रहा था, माधवी उसे अपनी तरफ ऐसे देखते हुए देख शरमा रही थी, सागर बाहर चला गया, माधवी भी कपडे चेंज करके उसके लिए चाय बना दी, तब तक प्रभा भी आ गयी थी,

माधवी सागर से नजरे नहीं मिला पा रही थी, उसे अब भी ऐसा लग रहा था जैसे वो अधनंगी है और सागर उसे ही देख रहा है,

सागर भी चुप था, दोनों को ऐसे चुप देख प्रभा को अजीब सा लगा,

प्रभा :- क्या हुआ , झगड़ा हो गया क्या तुम दोनों का,

सागर :- नहीं तो क्यू,

प्रभा :- दोनों चुप हो इसलिए पूछ रही हु,

माधवी :- कुछ नहीं वो मैं थक गयी आज बहुत...

प्रभा :- थक तो मैं भी गयी हु..

सागर :- तो चलो आज बाहर ही जाते है खाना खाने..,

माधवी :- हा चलो मेरा भी मन है आज..

प्रभा :- ठीक है चलते है आज बाहर ही..लेकिन 8 बजे चलते है,

सागर :- ठीक है,

वो सब 8 बजे पास के ही एक रेस्टारेंट में खाना खाने चले गए,

माधवी और सागर अब थोडा नार्मल हो गए थे, तीनो ने खाना खाया और वापस आ गए,

माधवी पढाई में लगी थी सागर फ़ोन पे बात कर रहा था, प्रभा सो गयी थी,

करीब 12 बजे सागर प्रभा के रूम में गया, उसने प्रभा को जगाया मगर वो आज बहुत थक गयी थी तो उसने सागर को कहा की आज नहीं करते, लेकिन सागर आज बहुत मुड़ में था माधवी को देख के वो बहुत उत्तेजित था, लेकिन प्रभा को देख के वो भी चुपचाप वापस आ गया, लेकिन अपने कमरे में जाने से पहले वो माधवी के रूम की और गया, उसने वापस से की होल से देखा माधवी अपने बेड पे लेटी हुई थी और मोबाइल पे कुछ देख के *अपने नाईट पैंट में हाथ डाल के चूत सहला रही थी,

सागर ये देख के शॉक हो गया, ऊपर से सीधी दिखने वाली माधवी अपनी चूत में उंगली कर रही है ये देख के सागर को यकीं नहीं हो रहा था, माधवी के रूम में नाईट बल्ब था उसे ठीक से कुछ दिखाई नहीं दे रहा था, वो उठा और उसने माधवी के दरवाजे पे नॉक किया, माधवी एकदम से डर गयी, वो फटाफट मोबाइल बंद किया और दरवाजा खोलने के लिए दरवाजे की और बढ़ी, उसने दरवाजा खोला और ...

माधवी :- क्या हुआ भैया,

सागर :- कुछ नहीं मैं पानी पिने गया तो मुझे तेरे रूम, से आवाज आ रही थी..मुझे लगा की शायद तेरी तबियत तो ख़राब नहीं...

माधवी :- मैं...मैं ठीक हु..

माधवी को लगा शायद सागर ने उसकी आहे सुन ली इसलिए वो थोड़ी घबरा गयी,

सागर :- क्या कर रही तू, सोई नहीं अब तक...,

सागर माधवी के बाजु से रूम के अंदर चला गया, माधवी :- नहीं बस सो ही रही थी, आप क्यू नहीं साये,

सागर :- (माधवी के बेड पे जेक लेट गया) अरे वो प्रियंका से बात कर रहा था,

माधवी सागर को ऐसे देख के थोड़ी हैरान थी क्यू किं सागर उसके रूम में कभी भी ऐसे नहीं आता और उसके बेड पे आके ऐसे तो कभी भी नहीं सोता,

वो उसके बाजु में बैठ गयी,

माधवी :- ओह्ह हो..क्या बोल रही थी,

सागर :- वही उसका रोज का...कब आ रहे हो...बहुत याद आती है...तुम लडकिया न पागल होती हो..समझती ही नहीं कुछ..

माधवी :- उसमे उसकी क्या गलती है, आपने उसे दीवाना बना दिया है..और अब खुद ही उसे कोस रहे हो..

सागर :- कुछ भी क्या, मैंने ऐसा क्या कर दिया जो वो मेरे बगैर एक पल भी नहीं रह सकती,

माधवी :- वो आप मुझसे क्यू पूछ रहे हो...आप को ही पता...

सागर :- तेरी तो दोस्त है ना...तुझे पता ही होगा..

माधवी :- हा पता है...मतलब नहीं ...मतलब हा...

सागर :- क्या हा नहीं हा नहीं कर रही है...

माधवी :- कुछ नहीं आप जाओ...मुझे नींद आ रही है,

सागर :- हा तो सो जा मैंने कब मना किया है...मुझे लगा की कुछ देर बात करूँगा फिर चला जाऊंगा...वो प्रियंका को थोडा डांट दिया आज मैंने...मुझे अच्छा नहीं लग रहा था इसलिए तुझसे बात करने आ गया...लेकिन तू है की...

ऐसा बोल के सागर उठा और जाने लगा, माधवी ने उसका हाथ पकड़ लिया और उसे वापस बिठा दिया,

माधवी :- बैठो...पहले बोलना चाहिए ना...

सागर :- बता ही तो रहा था ...तूने उसके पहले ही ..

माधवी :- ओके सॉरी...बोलो क्या हुआ,

सागर :- अरे अब हमें यहाँ आके 20 दिन ही तो हुए है...वो बोल रही थी आ जाओ मिलने..अब तू ही बता अब कोई बहाना भी तो चाहिए ना घर जाने का...बाबा हर हफ्ते आ जाते है..फिर कैसे जाये,

माधवी :- ये बात प्यार से भी रो समझा सकते थे ना आप उसे...डांटने की क्या जरुरत थी,

सागर :- अरे चार बार बोला मैं उसे लेकिन वो सुनाती नहीं..आ जाओ दिल नहीं लगता...ये वो यार पागल हो गया हु मैं...

माधवी :- आपकी गलती है...आप ने पहले से ही थोड़ी दुरी बना के राखी होती तो आज उसका ये हाल नहीं होता..

माधवी जोश जोश में बोल पड़ी, उसे खुद भी नहीं पता चला की वो क्या बोल गयी,

सागर :- क्या, हा तू तो है उसकी दोस्त तु उसीकी साइड लेगी...(थोडा सोच के) और ये दुरी का क्या मतलब,

माधवी को लगा की शायद सागर को नहीं समझा होगा लेकिन अब वो फस गयी थी,

माधवी :- मतलब की...वो ..मैं..वो आप उसे रोज फ़ोन करते हो ..

माधवी थोडा कवर अप करने की कोशिस कर रही थी, मगर सागर को अब सही निशाना मिल गया था, अब वो माधवी के साथ थोडा खुल के बात करना चाहता था,

सागर :- ज्यादा बन मत ये तो मैं बहुत पहले से उससे फ़ोन पे बात करता हु...तेरा मतलब कुछ और ही है...

माधवी :- कुछ नहीं है सच में...

सागर :- प्रियंका ने क्या बताया तुझे बता...क्या वो तुझे सारी बात बताती है,

माधवी सागर की और देखा उसके चहरे पे कुछ अलग ही भाव थे, माधवी समझ गयी की सागर जानबुज के इस बात पे जोर दे रहा है,

माधवी :- हा बताती है...और इसीलिए मैंने कहा की गलती आपकी है...

सागर :- कैसे,

माधवी :- भैया....क्या , मुझे नहीं बतानी...जाओ आप..

सागर :- अरे पागल तू थोडा एक्सप्लेन करेगी तो ही तो मुझे समझेगा ना..

माधवी :- अरे आप समझो ना...मुझसे मत पूछो...मुझे शरम आती है...

सागर :- ठीक है....रहने दे मुझे कुछ नहीं समझना...और अगर कल हमरा झगड़ा और बढ़ गया तो मुझे मत कहना...

माधवी :- सुनो ना भैया...अरे सिंपल सी बात है...अगर आपने वो नहीं किया होता तो प्रियंका इतनी उतावली नहीं होती आपसे मिलने के लिए...

सागर :- वो मतलब, *

माधवी को अब सब समझ आने लगा था की सागर ये सब जानबुज के कर रहा है, वो शाम को उसे ऐसी हालात में देख शायद उसकी और आकर्षित हो गया है, माधवी ये मन ही मन सोच रोमांचित हो रही थी, वो जिसके बारे में सोच के थोड़ी देर पहले अपनी चूत सहला रही थी वो खुद भी उसके लिए वही सोच रखे हुए है और धीरे धीरे उसका मन टटोल रहा है की वो क्या चाहती है,

सागर :- क्या, कहा खो गयी,

माधवी :- अ..हा..क्या, ..हा वो अरे वो मतलब वो..जो एक लड़का और लड़की अकेले में करते है...

सागर :- अच्छा वो....उससे क्या होता है, *

माधवी :- अरे मेरे भोन्दु भैया...जब एक बार किसी लड़की को उसका चस्का लग जाता है तो उससे कण्ट्रोल करना बहुत मुश्किल हो जाता है...प्रियंका को अब आपने उसकी आदत सी लगा दी है..इसलिए वो आपको बोलती रहती है,

सागर :- ओह्ह्ह तो ये बात है....सच में यार..ये तो मैंने सोचा ही नहीं..थैंक यू माधवी..मैं उसको प्यार से समझा दूंगा और जल्दी ही उससे मिलने जाऊंगा..

माधवी :- हा जरूर जाओ..और उसे खुश कर दो...

सागर :- हा...लेकिन तुझे ये सारी बाते कैसे पता,

माधवी :- मैं लड़की हु..अब एक लड़की की मन की बात मैं नहीं समझूँगी तो कोण समझेगा,

सागर :- वो तो ठीक है ..मगर एक बात मेरे मन में अभी आयी...तू और वो तो एक ही उम्र के हो...फिर उसमे इतना उतावला पैन क्यू है,

माधवी :- वो ही तो बोला ना...अगर आपने उसके साथ कुछ किया नहीं होता तो वो भी मेरी तरह उस पल के इन्तजार में रहती..

सागर :- ओह्ह तो तू इन्तजार में है हा,

माधवी :- मेरा वो मतलब नहीं था...

सागर :- क्या मतलब था फिर तेरा,

माधवी :- कुछ नहीं...आप भी न बस..

सागर :- तेरा मतलब है की अगर तेरे साथ भी अगर वो हो जाय तो तू भी प्रियंका की तरह ही हो जायेगी...

माधवी :- भैयाआआआ ..पागल कुछ भी बोलते हो...

माधवी उसे मारते हुए धकेलने लगती है,

सागर :- अरे अरे रुक तो...मैं तो मजाक कर रहा था...लेकिन सच में सभी लड़कियो के साथ ऐसा होता है,

माधवी को सागर से ये सब बाते करना अच्छा लगने लगा था,

माधवी :- हा..और इस उम्र में तो कुछ ज्यादा ही होता है,

सागर :- ओह्ह्ह ह्म्म्म्म्म्म एक बात पुछु,

माधवी :- हा पूछो...

सागर :- नहीं जाने दे...तू बुरा मान जायेगी...

माधवी :- नहीं बोलो क्या बात है,

सागर :- तुझे ऐसा कभी नहीं लगा की प्रियंका का bf यानि मैं हु..तो मुझे भी एक bf बना लेना चाहिए...

माधवी :- नहीं मुझे नहीं लगा कभी...मुझे पढाई से फुरसत नह मिलती...तो ककब सोचूंगी इन सब बातो के बारे में,

सागर :- झूटी है तू...मैंने देखा है तेरा मोबाइल..क्या क्या करती रहती है तू मोबाइल पे मुझे सब पता है....ये तो सागर ने तुक्का मारा था पर वो सटीक बैठा था,

माधवी :- मैं, मैं क्या देखती हु मोबाइल पे, कुछ भी तो नहीं...आप कुछ भी मत बोलो...माधवी की बातो से साफ पता चल रहा था की वो झूठ बोल रही है,

सागर :- मैंने देखने की बात तो की नहीं....मतलब की तू मोबाइल पे कुछ देखती है...

माधवी :- नहीं ना भैया...सच में...माधवी की आवाज रोने जैसी हो गयी थी, सागर ने उसके कंधे पे हाथ रखा और अपनी और खीचा,

सागर :- अरे पागल मैं तो मजाक कर रहा था...इतना क्या दिल पे ले रही है...और हम अब दोस्त है..जैसे प्रियंका वैसे मैं...और अगर तू कुछ देखती भी है तो कोई बात नहीं...आजकल सभी करते है....

माधवी :- जाओ मुझे आपसे बात नहीं करनी...आप बहुत बुरे हो...माधवी उसके कंधे पे अपना सर रखते हुए बोली,

सागर :- ओके बाबा सॉरी...चल अब ये गुस्सा छोड़...मुझे नींद आ रही है...

माधवी :- हा मुझे भी...

सागर उठा और उसने माधवी का चेहरा हथेली में लिया और माथे पे एक किस किया,

सागर :- गुड नाईट...

माधवी :- गुड नाईट...माधवी सागर की और देख मुस्कुराके बोली...

सागर चला गया,

माधवी :- उफ्फ्फ आज तो भैया अलग ही मुड़ में थे, शाम को मुझे अधनंगी देख शायद उनके मन में कुछ हो रहा है...और वो किस उफ्फ्फ माथे पे किया लेकिन हाय रे पूरा शरीर झनझना उठा था मेरा...लगता है बुआ प्रियंका के बाद मुझपे नजर है भैया की...ऐसे ही सोचते हुए माधवी सो गयी,

उधर सागर भी खुश था,

सागर :- ह्म्म्म चलो माधवी थोडा खुल रही है...बस अब एक बार उसकी और से सिग्नल मिल जाय तो बात आगे बढ़ाऊंगा,

सागर भी उसके बारे में, सोचते हुए नींद की आग़ोश में समां गया,
 
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भाग 29

अगले दिन सुबह जब माधवी की नींद खुली तो देखा 8 बज गए थे, माधवी को हैरानी हुई की प्रभा ने उसे उठाया क्यू नहीं...वो उठ के बाहर आयी लेकिन प्रभा किचेन में भी नहीं थी, वो प्रभा के कमरे में गयी तो देखा प्रभा सो रही थी, माधवी उसके पास गयी और उसे उठाने के लिए हाथ लगाया तो देखा उसे तेज बुखार था,

माधवी :- माँ..माँ..आपको तो बुखार है...उठाया क्यू नहीं,

प्रभा ने आँख खोली,

प्रभा :- अह्ह्ह हा रे अभी सुबह जब मैं उठी तो तो चक्कर से आ रहे थे...सोचा थकान की वजह से होगा...तो लेट गयी और आँख लग गयी...

माधवी :- ठीक है मैं भैया को बुलाती हु...

माधवी ने सागर को जगाया...और उसे प्रभा की तबियत के बारे में बताया..सागर ने प्रभा को देखा और माधवी से कहा की चाय बना दे वो प्रभा को डॉ के पास लेके जाने वाला है,

माधवी ने जल्दी से चाय बना दी और प्रभा और सागर को दे दी..सागर प्रभा को लेके डॉ के पास गया, डॉ ने प्रभा को कुछ दवाई लिख दी, फिर सागर प्रभा को लेके घर वापस आ गया, तब तक माधवी ने खाना बना लिया था, प्रभा ने थोडा खाना खाया और, दवाई लेके सो गयी, सागर और, माधवी उसके पास बैठे रहे, शाम तक प्रभा का बुखार कम हो गया था मगर कमजोरी थी,

माधवी ने जसवंत को फ़ोन पे बता दिया था, लेकिन वो दूसरे दिन आने वाला था, उस रात माधवी और सागर प्रभा के कमरे में ही सोये, उन्होंने निचे जमीन पे बिस्तर लगा दिया और निचे ही सो गए,

दूसरे दिन प्रभा को फिर से बुखार चढ़ गया, सागर ने डॉ से फ़ोन पे बात की तो उन्होंने कहा की दो तिन दिन ऐसे ही होगा उसे दवाई टाइम पे देते रहे, *

वो दोनों आज भी कॉलेज नहीं गए थे, दिन भर वो प्रभा के आस पास बैठे रहे,

शाम को जसवंत आ गया था, सब प्रभा के रूम में बैठे बाते कर रहे थे, सागर और माधवी दोनों भी इस भागा दौड़ी में बहुत थक गए थे, सागर निचे सोने की वजह से उसकी गर्दन और पीठ अकड़ गयी थी, माधवी के भी पैरो और कमर में दर्द था,

रात को जसवंत ने उनको अपने अपने कमरे जाने को कहा, वो दोनों चले गए, प्रभा और जसवंत सो गए,

सागर को बिलकुल भी नींद नहीं आ रही थी, वो पीठ और गर्दन के दर्द की वजह से परेशां था, उसने दवाई देखी मगर उसे नहीं मिली, फिर उसे याद आया की प्रभा के कमरे में होगी..वो देखने गया लेकिन प्रभा और जसवंत सो गए थे, उसने उन दोनों को उठाना ठीक नहीं समजा...वो फिर अनायास ही माधवी के कमरे की और गया...उसने दरवाजा खटखटाया...माधवी भी कमर दर्द से परेशांन थी वो भी सोई नहीं थी, उसने दरवाजा खोला...

सागर :- तेरे पास कोई पेन किलर दवाई है क्या,

माधवी :- नहीं भैया...मेरी भी कमर और पेअर बहुत दर्द कर रहे है...

सागर :- ओह्ह्ह ठीक है...लगता है माँ को जगाना ही पड़ेगा...

माधवी :- रहने दो भैया...माँ को क्यू जगा रहे हो..

सागर :- पूरी गर्दन अकड़ गयी है...सो नहीं पाउँगा बिना दवाई लिए...

माधवी :- ओह्ह्ह एक मिनट मेरे पास शायद मूव है...मैं देखती हु...

माधवी मूव देखने लगी, सागर उसे देखने लगा, आज माधवी ने एक टाइट पजामा और टॉप पहना था, टॉप बहुत टाइट था, माधवी की मस्त चुचिया उभर के आ रही थी, और टाइट पजामे में माधवी की गांड को देख उसका लंड खड़ा होने लगा था, सागर के दिमाग में फ़टाफ़ट कुछ चला ...वो अंदर आ गया और दरवाजा बंद कर लिया, माधवी को मूव मिल गया था, वो वापस पलटी तो देखा सागर उसके बेड पे बैठा था उसने दरवाजे की और देखा तो दरवाजा बंद था, वो समझ गयी की सागर के दिमाग में कुछ खुराफात चल रही है, वो मन ही मन मुस्कुराई वो भी तो कुछ ऐसाही ही चाहती थी,

माधवी :- ये लो...

सागर :- एक काम कर तू ही लगा दे...

माधवी :- ठीक है आप लेट जाओ...

माधवी का दिल जोर जोर से धड़क रहा था, उसे एक अनजानी सी ख़ुशी महसूस हो रही थी,

सागर ने अपना टी शर्ट निकाला और बेड पे उल्टा लेट गया, माधवी बेड पे साइड में बैठी और सागर के गर्दन और पीठ पे मूव लगाने लगी, माधवी के कोमल हाथो के स्पर्श से सागर को बहुत अच्छा लग रहा था, उसके लंड में हलचल होने लगी थी,

सागर :- आह्ह्ह्ह माधवी बहुत अच्छा लग रहा है, तुम्हारे छूटे ही दर्द तो जैसे गायब ही गया,

माधवी :- हा क्या, कुछ भी ..ज्यादा मस्का मत लगाओ...

सागर :- सच में माधवी...

माधवी सागर के पीठ और गर्दन पे अच्छेसे मूव लगा दिया, *

माधवी :- चलो हो गया...मैं हाथ धो के आती हु,

सागर उठा और उसने अपना टी शर्ट पहन लिया, अब वो पहले से बेहतर महसूस कर रहा था, माधवी हाथ धो के वापस आयी,

सागर :- माधवी जरा पैर भी दबा दे...

माधवी :- क्या, वो भैयाजी मैं आपकी बहन हु बीवी नहीं...

सागर :- अरे ये क्या बात हुई यार...बहन भाई के पेर नहीं दबाती क्या, क्या जमाना आ गया है...भाई दर्द से तड़प रहा है और बहन है की....

माधवी :- ज्यादा नाटक मत करो...मुझे भी कमर और पैर दर्द है...

सागर :- प्लीज माधवी...दबा दे थोड़ी देर...लगे तो बाद में मैं तेरी कमर और पैरो को मूव की मालिश कर दूंगा...सागर ने तो ऐसे ही बोल दिया था मगर तुरंत उसे अहसास हुआ की साला ये तरकीब अच्छी है...

माधवी भी उसके ऐसे बोलने से सोच में पड़ गयी...हम्म तो भैया मुझे छूने के बहाने ढूंढ रहे है...चलो इनको आज मौका दे ही देती हु इत्मीनान से मेरे जिस्म को छूने का..लेकिन थिंदा नाटक तो करना ही पड़ेगा,

माधवी :- नहीं कोई जरुरत नहीं...मैं खुद लगा लुंगी...आप लेट जाओ मैं आपके पैर दबा देती हु,

सागर बेड पे सीधा लेट गया, माधवी उसके बाजु में बैठ गयी और उसके पैर दबाने लगी, माधवी सिर्फ घुटनो तक ही उसके पैर दबा रही थी,

सागर :- माधवी थोडा ऊपर भी दबा दे...

माधवी निचे देख के मंद मंद मुस्कुराते हुए सागर की जांघे भी दबाने लगी, सागर माधवी के चहरे के हाव भाव पढने की कोशिस करने लगा, माधवी जब सागर के जांघे दबाने लगी तो सागर का लंड हरकत में आने लगा, माधवी तिरछी नजरो से *उसके पैंट के उभरते हुए हिस्से को देख रही थी,

माधवी :- मन में..ह्म्म्म लगता है मेरे छूने से भाई के लंड खड़ा होने लगा है...चलो थोडा और तड़पाती हु...क्या पता भैया आज ही मेरी इच्छा पूरी कर दे..मस्त मेरी चूत की चुदाई कर दे...

माधवी अब सागर की जांघे ऊपर तक दबाने लगी, सागर ने अपनी आँखे बंद कर ली, माधवी ने देखा की सागर की आँखे बंद है तो वो गौर से उसका लंड देखने लगी, अब्बतक वो काफी हार्ड हो गया था,

10 मिनट तक ऐसे ही माधवी उसके पैर दबाती रही, सागर माधवी के कोमल हाथो के स्पर्श के मजे लेता रहा,

माधवी :- अह्ह्ह बस हो गया भैया..मेरे हाथ दर्द करने लगे है,

सागर :- ठीक है...थैंक यू...सागर बेड से उठता हुआ बो.....चल अब मैं तेरे पैर और कमर की मालिश कर देता हु,

माधवी :- नहीं मैं कर लुंगी...

सागर :- अरे तेरे हाथो में दर्द होने लगा है ना...चल ला मूव...

माधवी :- नहीं भैया आप रहने दो...मुझे अच्छा नह लगेगा...आप बड़े हो मुझसे...

सागर :- कुछ नहीं होता...ला दे..

माधवी तो पहले से ही तैयार थी ...थोडा ना नुकर तो लड़कियो का स्वाभाव ही होता है, सागर को भी ये बात अच्छेसे पता थी की लड़कियो की ना में हा होती है,

माधवी ने मूव सागर के हाथो में दिया, माधवी बेड पे लेट गयी, सागर ने माधवी का पजामा थोडा ऊपर किया और मूव लगाने लगा,

सागर :- अरे ऐसे तो नहीं लगाते आएगा ठीक से...

सागर माधवी सामने बैठ गया और माधवी के पैरो को घुटने से मोड़ क अपने गोद में रख लिया, माधवी को ये सब बहुत अजीब मगर उत्तेजित करने वाला लग रहा था, सागर माधवी की और देखते हुए उसके पैरो को मूव लगा रहा था, माधवी ने अंदर निकर नहीं पहनी थी, पजामे का हिस्सा उसकी चूत की दरार में फस गया था, उसकी फूली हुई चूत का आकार सागर को साफ़ साफ़ दिख रहा था, उसने माधवी के पैरो को अपने और थोडा खीचा, माधवी के पैर अब थोडा थोडा उसके खड़े लंड को छु रहे थे, माधवी ने आखे बंद कर ली, उसे अहसास हो रहा था की उसके पैर सागर के लंड को हलके से छु रहे है,

माधवी :- उम्म्म भैया आपके हाथो में जादू है...

सागर :- ह्म्म्म बस लेटी रह देख 5 मिनट में तेरा दर्द गायब करता हु,

सागर ने माधवी के पैरो को थोडा और अपनी तरफ खीचा...सागर ने माधवी के दोनों *पैरो को अपने लंड के साइड से ले लिया था, माधवी को यकीं नहीं हो रहा था की सागर इतनी जल्दी इतना आगे बढ़ जाएगा, वो मालिश के बहाने से माधवी के पैर हिला रहा था जिससे माधवी के पैरो को उसका लंड अछेसे रगड़ सके, माधवी की साँसे तेज होने लगी थी, उसकी चूत गीली होने लगी थी, वो बहुत ही अजीब सा फील कर रही थी, उसे लग रहा था जैसे उसका दम घुट रहा है, सागर के लंबे मोटे लंड का स्पर्श उसे बहुत अच्छा तो लग रहा था मगर साथ साथ डर भी लग रहा था,

माधवी :- अहह भैया ..ब..बस..हो ग..गया...

सागर :- अरे क्या हुआ, आराम से करू क्या,

सागर ने देखा उसका पजामा, पे एक छोटा सा दाग उभर रहा था, वो समज गया की माधवी उत्तेजित हो गयी है मगर वो अभी शायद इसके आगे बढ़ने के लिए तैयार नहीं है,

माधवी :- नहीं बस ठीक है अभी...

सागर :- ठीक है...चल अभी उल्टा लेट जा...कमर को लगा देता हु..

माधवी अब ये सब जल्द से जल्द खत्म करना चाहती थी, उसे वो सब भी करना था मगर घबराहट इतनी हो रही थी उसे की शायद सागर ने उसे कही उसके वीक पॉइंट को छु लिया तो शायद बेहोश हो जायेगी,

माधवी उल्टा लेट गयी, सागर ने उसका टॉप थोडा ऊपर किया और *पजामा थोडा निचे किया,

माधवी :- अह्ह्ह भैया जल्दी लगा दो...मुझे बहुत शरम आ रही है..बहुत अजीब लग रहा है,

सागर :- इसमे क्या है पागल..

सागर ने मूव लगाया और उसकी कमर की मालिश करने लगा, सागर के, हाथो का स्पर्श अपने कमर पे पाक माधवी की आह निकल गयी, सागर भी उसकी पतली सी नाजुक गोरी कमर को देख हैरान रह गया,

सागर :- माधवी...तुम्हारी स्किन कितनी अच्छी है...

माधवी :- थैंक यू भैया...क्यू प्रियंका की तो मुझसे अच्छी है..

सागर :- नहीं रे..उससे ज्यादा तेरी बहुत अच्छी है...

माधवी :- रहने दो...मुझे पता है...वो मुझसे ज्यादा अच्छी है..

सागर :- नहीं ...बिलकुल नहीं...तू उससे कई गुना ज्यादा सुन्दर है, कभी कभी तो मुझे लगता है की काश तू उसकी जगह होती...

माधवी ये सुनके मन ही मन बहुत खुश हुई...

माधवी :- कुछ भी बोलते हो...

सागर :- अरे सच में...सागर को, लगा शायद माधवी अब झांसे में आ रही है...उसने अपना हाथ माधवी के कमर के साइड से थोडा ऊपर की और बढ़ाया, माधवी को ये बिलकुल भी अपेश्कित नहीं था, वो एकदम, से उठ के बैठ गयी,

माधवी :- भ..भैया..बस हो गया आप जाओ अभी...मुझे नींद आ रही है,

सागर उसके ऐसे कहने से चौक गया,

सागर :- अ..अ.वो..क..क्या हुआ,

माधवी :- कुछ नहीं...बस अब ठीक लग रहा है,

सागर :- ठीक है..सो जा तू..गुड नाईट..

माधवी :- गुड नाईट...

सागर बड़े ही निराश मन से उठा और बाहर जाने लगा, माधवी उसके पीछे वो जैसे बहार गया माधवी ने उसकी और देखा और स्माइल करते हुए दरवाजा बंद कर लिया, *

सागर अपने कमरे में जाके खुद को कोसने लगा...अरे इतना जल्दी करने क्या जरुरत थी, थोडा और उसे गरम करता तो वो खुद ही कहती चोदने के लिए,

सागर अपने आप से, ही बहुत गुस्सा हो रहा था,

माधवी ने अब चैन की सास ली, अब वो बहुत फ्री महसूस कर रही थी, जब उसने सब बाटी को दुबारा रिकॉल किया तो वो भी खुद से खफा हो गयी,

माधवी :- अरे यार मैं भी ना पागल हु...अभी इतना अच्छा मौका हाथ आया था...भैया को थोडा और अपने जिस्म से खेलने देती तो वो आज मेरे साथ....सच में पागल ही हु मैं,

दोनों भी चाहते थे मगर एक दूसरे के दिल का हाल नहीं जानते थे, और ऐसा भी नहीं था की वो खुल के अपने दिल की चाहत एकदूसरे से बयां कर दे...क्यू की उनका रिश्ता ही कुछ ऐसा था...........

The End
 
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भाग 9

सागर प्रियंका की बात सुनके बहुत खुश हो जाता है, इधर प्रियंका बहुत घबरा जाती है क्यू की हड़बड़ाहट में उसके मुह से ये बात निकल गयी थी, वो शरम के मारे कुछ बोल ही नहीं पाती,

सागर :- क्या, फिर से कहना...हेलो..प्रियंका...क्या कह रही थी तुम,

प्रियंका थोड़ी हिम्मत बटोर के आगे बोलती है....

प्रियंका :- कुछ नहीं ..कुछ नही....

सागर :- क्या कुछ नहीं....अभी तो तुमने कहा की तुम्हे मुझसे प्यार हो गया है,

प्रियंका :- वो मैं..अ..हा..मेरा मतलब है नहीं...वो...

सागर :- रहने दो कुछ बोलने की जरुरत नहीं....ये प्यार व्यार के लिए तुम अभी बहुत छोटी हो...ये उम्र नहीं है तुम्हारी ये सब करने की....

सागर अभी भी उसे छेड़े जा रहा था,

प्रियंका :- क्या, मैं अब बड़ी हो गयी हु...बच्ची नहीं रही मैं अब...और तुम्हे भी पता है ये बात..इसीलिए तो उस दिन बारिश में ....

सागर :- क्या, बारिश में क्या, क्या हुआ था,

प्रियंका :- अब ज्यादा नाटक मत करो...तुम्हे पता है मैं क्या बोल रही हु...

सागर :- नहीं सच में अभी भी तुम छोटी हो...वो बारिश में तुम्हारी उसको देख के मैं ये सोच रहा था की अभी इतनी बड़ी है आगे जाके और कितनी बड़ी होंगी..

प्रियंका :- हा क्या, ठीक है अगर तुम्हे लगता है की मैं अभी प्यार के लिए छोटी हु तो..मैं किसी और को तलाश कर लेती हु जिसे लगे की मैं अभी जवान हो गयी हु,

सागर :- जान से मार डालूँगा तुझे अगर ऐसी बात की तो....

प्रियंका :- क्यू, अभी तो तुम बोल रहे थे,

सागर :- वो तो मैं ऐसे ही मजाक कर रहा था, ...सच कहू तो मुझे भी तुम बहुत पसंद हो...

प्रियंका :- सच, ओह्ह्ह सागर...

सागर :- हा सच में...और जब से तुम्हे बारिश में भीगते हुए देखा है तबसे बस तुम्हारे ही खयालो में खोया रहता हु,

प्रियंका :- हा क्या, ऐसा क्या देख लिया तुमने,

सागर :- उम्म्म मत पूछो क्या देख लिया...तुम्हे नहीं पता की तुम बारिश में भीग के कितनी सेक्सी लग रही थी,

प्रियंका :- चुप करो..कुछ भी..

सागर :- अरे सच में...वो बारिश की बुँदे जब तुम्हारे चेहरे पे गिर के तुम्हारे गुलाबी होटो से होती हुई गर्दन से निचे तुम्हारी सीने की गहराई में खोते हुए जब मैंने देखा मेरी क्या हालत हो रही थी तुम्हे क्या पता,

प्रियंका :- मुझे पता है...मैं सब देख रही थी, और तुम्हे मुझे इस तरह देखते हुए देख के मेरी हालत भी तो ख़राब हो रही थी,

सागर :- अच्छा, क्या हो रहा था तुम्हे,

प्रियंका :- नहीं बता सकती..मुझे शरम आ रही है..

सागर :- बताओ भी अब कैसी शरम,

प्रियंका :- नहीं पहले तुम बताओ...फिर मैं बताती हु,

सागर बेड पे लेट के अपने लंड पे हाथ घुमाने लगता है, मीना को चोदने के बाद वो काफी बेशर्म हो चूका था,

सागर :- क्या बताऊ मेरी हालात के बारे में...ऐसे फ़ोन पे बताऊंगा तो तुम्हे समझ नहीं आएगा..अकेले में मिलो फिर बताऊंगा...

प्रियंका :- ठीक है कल मिलते है...कल स्कूल का हाफ डे होता है...

सागर :- लेकिन माधवी का क्या करे,

प्रियंका :- हा ये तो मैंने सोचा ही नहीं...

सागर :- तुम उसे पटा लेना कल स्कूल में...

प्रियंका :- अरे नहीं वो बहुत सीधी है..पता नहीं वो कैसे रियेक्ट करेगी...

सागर :- ठीक है सोचता हु कुछ....

प्रियंका :- ठीक है...अभी मैं रखती हु,

सागर :- ठीक है बाय....

दोनों फ़ोन रख देते है, सागर प्रियंका के खयालो में खो चूका था, उसे प्रभा वाली बात याद भी नहीं आ रही थी,

अगले दिन सुबह हमेशा की तरह ही माधवी स्कूल के लिए निकलती है, सागर उसे छोड़ने जाता है, प्रियंका के घर जब वो दोनों पहुंचते है प्रियंका बाहर ही उनका इंतजार कर रही थी, वो दोनों एक दूसरे को देख के मुस्कराते है,

माधवी :- अरे क्या हुआ तुझे, कल तो बहुत गुस्सा कर रही थी भैया पे...कहा गया तेरा गुस्सा,

प्रियंका :- रात को चला गया...

माधवी :- क्या, ऐसा क्या हो गया रात में,

सागर :- अब जाने दे ना...तू क्या मुझे उससे पिटवाना चाहती है,

माधवी :- हा..प्रियंका दे दो चार...

सागर :- हो दो ...लेकिन दो चार नहीं 20 25 दो...सागर चुपके से उसे किस का इशारा करता है, प्रियंका ये देख के शरमा जाती है, ...लेकिन अकेले में देना...यहाँ अच्छा नहीं लगेगा...

माधवी :- नहीं सबके सामने दे...

माधवी की बात सुन के दोनों हँसने लगते है,

माधवी :- अरे क्या हुआ, क्यू हंस रहे हो,

प्रियंका :- कुछ नहीं पागल चल नहीं तो देर हो जायेगी,

सागर दोनों को स्कूल छोड़ के घर वापस आता है, घर में जैसे ही उसकी नजर प्रभा पे पड़ती है उसे कल की बात याद आ जाती है, वो चुपके से अपने कमरे की और निकलने की कोशिश करता है, लेकिन प्रभा की नजर उसपे पड़ती है...

प्रभा :- सागर..यहाँ आओ जरा..

प्रभा की आवाज हमेशा की तरह ही थी, कोई गुस्सा नहीं कुछ नहीं...लेकिन सागर की फटी पड़ी थी,

वो प्रभा के पास जाता है..

सागर :- जी माँ...

प्रभा :- ये ले मैंने तेरे लिए खीर बनायी है..बता कैसी है,

सागर अभी भी अंदर से डरा हुआ था, वो खीर खाने लगता है, खाते खाते प्रभा के चेहरे के भाव पढने की कोशिश करता है...सोचता है कही ये बकरे को काटने से पहले उसे खाने पिलाने की विधि तो नहीं चल रही, वो नजरे घुमा के देखता है कही बाबा तो घर नहीं है,

प्रभा :- क्या सोच रहा है, कैसी है,

सागर :- अच्छी है...

प्रभा :- खा ले अच्छे से आज कल बहुत मेहनत कर रहा है न तू...शहर में कॉलेज और यहाँ गाँव में....

प्रभा इतना बोल के रुक जाती है, सागर एकदम शॉक होके प्रभा को देखता है, उसे लगता है अब वो गया काम से...लेकिन वो बची कुची हिम्मत जोड़ के कहता है...

सागर :- वो माँ कल...वो ...मैं..माँ ...

प्रभा समझ जाती है की वो क्या कहना चाह रहा है..

प्रभा :- हा बोल..क्या वो ये कर रहा है...वैसे कल मैं मीना से मिली..बड़ी तारीफ कर रही थी तुम्हारी..

सागर ये सुनके पसीना पसीना हो जाता है, उसके गले से आवाज नहीं निकलती,

प्रभा :- मैंने उससे कहा हा मेरा बेटा है ही तारीफ के काबिल...लेकिन एक बात कहु तुमसे उससे थोडा दूर ही रहना...वो अच्छी औरत नहीं है,

सागर स्तब्ध खड़ा बस प्रभा की बाते सुनते रहता है,

प्रभा :- अब तुम बड़े हो गए हो..अच्छे बुरे का फर्क करना सीखो...मुझे पता है तुम्हारी भी कुछ जरूरते है..लेकिन किसी गलत संगत में पड़ के गलत रास्ते पे मत चले जाना..तुम्हे कुछ लगता है तो मैं हु ना..मेरा मतलब है की तुम मुझसे बात कर सकते हो खुल के...हम गाँव में रहते है लेकिन मैं पुराने खयालो की नहीं हु...क्या समझे,

सागर प्रभा की बाते सुनके रिलैक्स हो जाता है, वो, प्रभा की तरफ देखता है प्रभा मंद मंद मुस्कुरा रही थी,

सागर :- ठीक है माँ...और सॉरी...दुबारा गलती नहीं करूँगा...

प्रभा :- ठीक है...आओ यहाँ बैठो मेरे पास...सागर खीर खत्म करके प्रभा के पास सोफे पे बैठ जाता है, प्रभा उससे कुछ ज्यादा ही सट के बैठती है...

प्रभा :- देखो मैं तुमसे फिर से कह रही हु...तुम, मुझसे किसी भी बारे में खुल के बात कर सकते हो...मैं तुम्हारी मदद कर सकती हु...प्रभा अपना पूरा मूड बना चुकी थी की आज सागर को पटा के अपनी प्यास बुझा ले,

सागर :- हा माँ..जरूर...मैं समझ गया,

प्रभा :- ह्म्म्म अच्छी बात है...

लेकिन वो आगे कुछ बोल पाती या कर पाती...चंदू की आवाज आती है...वो जसवंत का टिफिन लेने आया था, प्रभा उसे टिफिन देती है, उतने में सागर अपने कमरे में चला जाता है,
Superb ...
 
भाग 29

अगले दिन सुबह जब माधवी की नींद खुली तो देखा 8 बज गए थे, माधवी को हैरानी हुई की प्रभा ने उसे उठाया क्यू नहीं...वो उठ के बाहर आयी लेकिन प्रभा किचेन में भी नहीं थी, वो प्रभा के कमरे में गयी तो देखा प्रभा सो रही थी, माधवी उसके पास गयी और उसे उठाने के लिए हाथ लगाया तो देखा उसे तेज बुखार था,

माधवी :- माँ..माँ..आपको तो बुखार है...उठाया क्यू नहीं,

प्रभा ने आँख खोली,

प्रभा :- अह्ह्ह हा रे अभी सुबह जब मैं उठी तो तो चक्कर से आ रहे थे...सोचा थकान की वजह से होगा...तो लेट गयी और आँख लग गयी...

माधवी :- ठीक है मैं भैया को बुलाती हु...

माधवी ने सागर को जगाया...और उसे प्रभा की तबियत के बारे में बताया..सागर ने प्रभा को देखा और माधवी से कहा की चाय बना दे वो प्रभा को डॉ के पास लेके जाने वाला है,

माधवी ने जल्दी से चाय बना दी और प्रभा और सागर को दे दी..सागर प्रभा को लेके डॉ के पास गया, डॉ ने प्रभा को कुछ दवाई लिख दी, फिर सागर प्रभा को लेके घर वापस आ गया, तब तक माधवी ने खाना बना लिया था, प्रभा ने थोडा खाना खाया और, दवाई लेके सो गयी, सागर और, माधवी उसके पास बैठे रहे, शाम तक प्रभा का बुखार कम हो गया था मगर कमजोरी थी,

माधवी ने जसवंत को फ़ोन पे बता दिया था, लेकिन वो दूसरे दिन आने वाला था, उस रात माधवी और सागर प्रभा के कमरे में ही सोये, उन्होंने निचे जमीन पे बिस्तर लगा दिया और निचे ही सो गए,

दूसरे दिन प्रभा को फिर से बुखार चढ़ गया, सागर ने डॉ से फ़ोन पे बात की तो उन्होंने कहा की दो तिन दिन ऐसे ही होगा उसे दवाई टाइम पे देते रहे, *

वो दोनों आज भी कॉलेज नहीं गए थे, दिन भर वो प्रभा के आस पास बैठे रहे,

शाम को जसवंत आ गया था, सब प्रभा के रूम में बैठे बाते कर रहे थे, सागर और माधवी दोनों भी इस भागा दौड़ी में बहुत थक गए थे, सागर निचे सोने की वजह से उसकी गर्दन और पीठ अकड़ गयी थी, माधवी के भी पैरो और कमर में दर्द था,

रात को जसवंत ने उनको अपने अपने कमरे जाने को कहा, वो दोनों चले गए, प्रभा और जसवंत सो गए,

सागर को बिलकुल भी नींद नहीं आ रही थी, वो पीठ और गर्दन के दर्द की वजह से परेशां था, उसने दवाई देखी मगर उसे नहीं मिली, फिर उसे याद आया की प्रभा के कमरे में होगी..वो देखने गया लेकिन प्रभा और जसवंत सो गए थे, उसने उन दोनों को उठाना ठीक नहीं समजा...वो फिर अनायास ही माधवी के कमरे की और गया...उसने दरवाजा खटखटाया...माधवी भी कमर दर्द से परेशांन थी वो भी सोई नहीं थी, उसने दरवाजा खोला...

सागर :- तेरे पास कोई पेन किलर दवाई है क्या,

माधवी :- नहीं भैया...मेरी भी कमर और पेअर बहुत दर्द कर रहे है...

सागर :- ओह्ह्ह ठीक है...लगता है माँ को जगाना ही पड़ेगा...

माधवी :- रहने दो भैया...माँ को क्यू जगा रहे हो..

सागर :- पूरी गर्दन अकड़ गयी है...सो नहीं पाउँगा बिना दवाई लिए...

माधवी :- ओह्ह्ह एक मिनट मेरे पास शायद मूव है...मैं देखती हु...

माधवी मूव देखने लगी, सागर उसे देखने लगा, आज माधवी ने एक टाइट पजामा और टॉप पहना था, टॉप बहुत टाइट था, माधवी की मस्त चुचिया उभर के आ रही थी, और टाइट पजामे में माधवी की गांड को देख उसका लंड खड़ा होने लगा था, सागर के दिमाग में फ़टाफ़ट कुछ चला ...वो अंदर आ गया और दरवाजा बंद कर लिया, माधवी को मूव मिल गया था, वो वापस पलटी तो देखा सागर उसके बेड पे बैठा था उसने दरवाजे की और देखा तो दरवाजा बंद था, वो समझ गयी की सागर के दिमाग में कुछ खुराफात चल रही है, वो मन ही मन मुस्कुराई वो भी तो कुछ ऐसाही ही चाहती थी,

माधवी :- ये लो...

सागर :- एक काम कर तू ही लगा दे...

माधवी :- ठीक है आप लेट जाओ...

माधवी का दिल जोर जोर से धड़क रहा था, उसे एक अनजानी सी ख़ुशी महसूस हो रही थी,

सागर ने अपना टी शर्ट निकाला और बेड पे उल्टा लेट गया, माधवी बेड पे साइड में बैठी और सागर के गर्दन और पीठ पे मूव लगाने लगी, माधवी के कोमल हाथो के स्पर्श से सागर को बहुत अच्छा लग रहा था, उसके लंड में हलचल होने लगी थी,

सागर :- आह्ह्ह्ह माधवी बहुत अच्छा लग रहा है, तुम्हारे छूटे ही दर्द तो जैसे गायब ही गया,

माधवी :- हा क्या, कुछ भी ..ज्यादा मस्का मत लगाओ...

सागर :- सच में माधवी...

माधवी सागर के पीठ और गर्दन पे अच्छेसे मूव लगा दिया, *

माधवी :- चलो हो गया...मैं हाथ धो के आती हु,

सागर उठा और उसने अपना टी शर्ट पहन लिया, अब वो पहले से बेहतर महसूस कर रहा था, माधवी हाथ धो के वापस आयी,

सागर :- माधवी जरा पैर भी दबा दे...

माधवी :- क्या, वो भैयाजी मैं आपकी बहन हु बीवी नहीं...

सागर :- अरे ये क्या बात हुई यार...बहन भाई के पेर नहीं दबाती क्या, क्या जमाना आ गया है...भाई दर्द से तड़प रहा है और बहन है की....

माधवी :- ज्यादा नाटक मत करो...मुझे भी कमर और पैर दर्द है...

सागर :- प्लीज माधवी...दबा दे थोड़ी देर...लगे तो बाद में मैं तेरी कमर और पैरो को मूव की मालिश कर दूंगा...सागर ने तो ऐसे ही बोल दिया था मगर तुरंत उसे अहसास हुआ की साला ये तरकीब अच्छी है...

माधवी भी उसके ऐसे बोलने से सोच में पड़ गयी...हम्म तो भैया मुझे छूने के बहाने ढूंढ रहे है...चलो इनको आज मौका दे ही देती हु इत्मीनान से मेरे जिस्म को छूने का..लेकिन थिंदा नाटक तो करना ही पड़ेगा,

माधवी :- नहीं कोई जरुरत नहीं...मैं खुद लगा लुंगी...आप लेट जाओ मैं आपके पैर दबा देती हु,

सागर बेड पे सीधा लेट गया, माधवी उसके बाजु में बैठ गयी और उसके पैर दबाने लगी, माधवी सिर्फ घुटनो तक ही उसके पैर दबा रही थी,

सागर :- माधवी थोडा ऊपर भी दबा दे...

माधवी निचे देख के मंद मंद मुस्कुराते हुए सागर की जांघे भी दबाने लगी, सागर माधवी के चहरे के हाव भाव पढने की कोशिस करने लगा, माधवी जब सागर के जांघे दबाने लगी तो सागर का लंड हरकत में आने लगा, माधवी तिरछी नजरो से *उसके पैंट के उभरते हुए हिस्से को देख रही थी,

माधवी :- मन में..ह्म्म्म लगता है मेरे छूने से भाई के लंड खड़ा होने लगा है...चलो थोडा और तड़पाती हु...क्या पता भैया आज ही मेरी इच्छा पूरी कर दे..मस्त मेरी चूत की चुदाई कर दे...

माधवी अब सागर की जांघे ऊपर तक दबाने लगी, सागर ने अपनी आँखे बंद कर ली, माधवी ने देखा की सागर की आँखे बंद है तो वो गौर से उसका लंड देखने लगी, अब्बतक वो काफी हार्ड हो गया था,

10 मिनट तक ऐसे ही माधवी उसके पैर दबाती रही, सागर माधवी के कोमल हाथो के स्पर्श के मजे लेता रहा,

माधवी :- अह्ह्ह बस हो गया भैया..मेरे हाथ दर्द करने लगे है,

सागर :- ठीक है...थैंक यू...सागर बेड से उठता हुआ बो.....चल अब मैं तेरे पैर और कमर की मालिश कर देता हु,

माधवी :- नहीं मैं कर लुंगी...

सागर :- अरे तेरे हाथो में दर्द होने लगा है ना...चल ला मूव...

माधवी :- नहीं भैया आप रहने दो...मुझे अच्छा नह लगेगा...आप बड़े हो मुझसे...

सागर :- कुछ नहीं होता...ला दे..

माधवी तो पहले से ही तैयार थी ...थोडा ना नुकर तो लड़कियो का स्वाभाव ही होता है, सागर को भी ये बात अच्छेसे पता थी की लड़कियो की ना में हा होती है,

माधवी ने मूव सागर के हाथो में दिया, माधवी बेड पे लेट गयी, सागर ने माधवी का पजामा थोडा ऊपर किया और मूव लगाने लगा,

सागर :- अरे ऐसे तो नहीं लगाते आएगा ठीक से...

सागर माधवी सामने बैठ गया और माधवी के पैरो को घुटने से मोड़ क अपने गोद में रख लिया, माधवी को ये सब बहुत अजीब मगर उत्तेजित करने वाला लग रहा था, सागर माधवी की और देखते हुए उसके पैरो को मूव लगा रहा था, माधवी ने अंदर निकर नहीं पहनी थी, पजामे का हिस्सा उसकी चूत की दरार में फस गया था, उसकी फूली हुई चूत का आकार सागर को साफ़ साफ़ दिख रहा था, उसने माधवी के पैरो को अपने और थोडा खीचा, माधवी के पैर अब थोडा थोडा उसके खड़े लंड को छु रहे थे, माधवी ने आखे बंद कर ली, उसे अहसास हो रहा था की उसके पैर सागर के लंड को हलके से छु रहे है,

माधवी :- उम्म्म भैया आपके हाथो में जादू है...

सागर :- ह्म्म्म बस लेटी रह देख 5 मिनट में तेरा दर्द गायब करता हु,

सागर ने माधवी के पैरो को थोडा और अपनी तरफ खीचा...सागर ने माधवी के दोनों *पैरो को अपने लंड के साइड से ले लिया था, माधवी को यकीं नहीं हो रहा था की सागर इतनी जल्दी इतना आगे बढ़ जाएगा, वो मालिश के बहाने से माधवी के पैर हिला रहा था जिससे माधवी के पैरो को उसका लंड अछेसे रगड़ सके, माधवी की साँसे तेज होने लगी थी, उसकी चूत गीली होने लगी थी, वो बहुत ही अजीब सा फील कर रही थी, उसे लग रहा था जैसे उसका दम घुट रहा है, सागर के लंबे मोटे लंड का स्पर्श उसे बहुत अच्छा तो लग रहा था मगर साथ साथ डर भी लग रहा था,

माधवी :- अहह भैया ..ब..बस..हो ग..गया...

सागर :- अरे क्या हुआ, आराम से करू क्या,

सागर ने देखा उसका पजामा, पे एक छोटा सा दाग उभर रहा था, वो समज गया की माधवी उत्तेजित हो गयी है मगर वो अभी शायद इसके आगे बढ़ने के लिए तैयार नहीं है,

माधवी :- नहीं बस ठीक है अभी...

सागर :- ठीक है...चल अभी उल्टा लेट जा...कमर को लगा देता हु..

माधवी अब ये सब जल्द से जल्द खत्म करना चाहती थी, उसे वो सब भी करना था मगर घबराहट इतनी हो रही थी उसे की शायद सागर ने उसे कही उसके वीक पॉइंट को छु लिया तो शायद बेहोश हो जायेगी,

माधवी उल्टा लेट गयी, सागर ने उसका टॉप थोडा ऊपर किया और *पजामा थोडा निचे किया,

माधवी :- अह्ह्ह भैया जल्दी लगा दो...मुझे बहुत शरम आ रही है..बहुत अजीब लग रहा है,

सागर :- इसमे क्या है पागल..

सागर ने मूव लगाया और उसकी कमर की मालिश करने लगा, सागर के, हाथो का स्पर्श अपने कमर पे पाक माधवी की आह निकल गयी, सागर भी उसकी पतली सी नाजुक गोरी कमर को देख हैरान रह गया,

सागर :- माधवी...तुम्हारी स्किन कितनी अच्छी है...

माधवी :- थैंक यू भैया...क्यू प्रियंका की तो मुझसे अच्छी है..

सागर :- नहीं रे..उससे ज्यादा तेरी बहुत अच्छी है...

माधवी :- रहने दो...मुझे पता है...वो मुझसे ज्यादा अच्छी है..

सागर :- नहीं ...बिलकुल नहीं...तू उससे कई गुना ज्यादा सुन्दर है, कभी कभी तो मुझे लगता है की काश तू उसकी जगह होती...

माधवी ये सुनके मन ही मन बहुत खुश हुई...

माधवी :- कुछ भी बोलते हो...

सागर :- अरे सच में...सागर को, लगा शायद माधवी अब झांसे में आ रही है...उसने अपना हाथ माधवी के कमर के साइड से थोडा ऊपर की और बढ़ाया, माधवी को ये बिलकुल भी अपेश्कित नहीं था, वो एकदम, से उठ के बैठ गयी,

माधवी :- भ..भैया..बस हो गया आप जाओ अभी...मुझे नींद आ रही है,

सागर उसके ऐसे कहने से चौक गया,

सागर :- अ..अ.वो..क..क्या हुआ,

माधवी :- कुछ नहीं...बस अब ठीक लग रहा है,

सागर :- ठीक है..सो जा तू..गुड नाईट..

माधवी :- गुड नाईट...

सागर बड़े ही निराश मन से उठा और बाहर जाने लगा, माधवी उसके पीछे वो जैसे बहार गया माधवी ने उसकी और देखा और स्माइल करते हुए दरवाजा बंद कर लिया, *

सागर अपने कमरे में जाके खुद को कोसने लगा...अरे इतना जल्दी करने क्या जरुरत थी, थोडा और उसे गरम करता तो वो खुद ही कहती चोदने के लिए,

सागर अपने आप से, ही बहुत गुस्सा हो रहा था,

माधवी ने अब चैन की सास ली, अब वो बहुत फ्री महसूस कर रही थी, जब उसने सब बाटी को दुबारा रिकॉल किया तो वो भी खुद से खफा हो गयी,

माधवी :- अरे यार मैं भी ना पागल हु...अभी इतना अच्छा मौका हाथ आया था...भैया को थोडा और अपने जिस्म से खेलने देती तो वो आज मेरे साथ....सच में पागल ही हु मैं,

दोनों भी चाहते थे मगर एक दूसरे के दिल का हाल नहीं जानते थे, और ऐसा भी नहीं था की वो खुल के अपने दिल की चाहत एकदूसरे से बयां कर दे...क्यू की उनका रिश्ता ही कुछ ऐसा था...........

The End
बेहतरीन कहानी संजू जी
 
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भाग 17

सागर बेड पे लेटे लेटे कुछ सोच रहा था, उतने में प्रियंका का फ़ोन आ गया, सागर का मुड़ आज उससे बात करने का बिलकुल भी नहीं था, लेकिन प्रियंका ने जब उसे सुमन बुआ और चंदू के बारे में बताया तो वो भी हैरान रह गया, प्रियंका ने उसे माधवी ने जो जो बताया वो सब उसने सागर को बता दिया, प्रियंका ने उससे कहा की वो 4 5 दिन से सोच रही थी की बता दू लेकिन हिम्मत नहीं हुई, लेकिन आज मुझसे रहा ही नहीं गया, थोड़ी देर उन्होंने ऐसे ही बाते की और फिर फ़ोन काट दिया,

सागर बहुत गहरी सोच में डूबा था, *

सागर :- आज एक बात का यक़ीन हो गया की अगर औरत को घर में चुदाई का सुख ना मिले तो वो बाहर जाती ही है, मीना चाची लेलो या सुमन बुआ दोनों ही चुदाई की प्यासी थी और उनके कदम आखिर बहक ही गए, माँ भी तो बाबा से खुश नहीं है वो भी कही बाहर जाके किसी के साथ कुछ कर ना ले, *

उसे प्रभा का खयाल आते ही आज जो जो हुआ था सब याद आने लगा,

सागर :- आज माँ को इतने करीब से देख के मजा ही आ गया, बहुत सेक्सी है यार...मैंने खुद को कैसे कण्ट्रोल किया मुझे ही पता...लेकिन अगर वो ये सब जानबुज के कर रही हो तो, कही वो मुझे उकसा तो नहीं रही थी, हा फिर यक़ीनन वो मुझसे चुदना चाहती है तभी तो वो मुझे अपना जिस्म दिखा रही थी, वरना वो ये सब क्यू करती और मैं बेवकूफ की तरह वहा से भाग आया, जब से उन्होंने मुझे चाची को चोदते देखा है तब से ही वो थोडा बदला बदला सा व्यव्हार कर रही है, शायद मेरा लंड देख के ही वो मुझसे चुदना चाहती हो...कही मेरी तरफ से कोई रेसपोंस नहीं आते देख वो कही बाहर किसी से .....नहीं मैं ऐसा होने नहीं दूंगा, *वो मन ही मन कुछ सोचते हुए सो गया,

दूसरे दिन सुबह जब वो उठा तो उसने देखा की प्रभा उठ चुकी थी और किचन में थी, वो ये देख के थोडा दुखी हुआ की प्रभा अब ठीक है और उसे उसके नजदीक जाने का कोई मौका नहीं मिलने वाला था,

सागर :- अरे ये क्या माँ...आपको आराम करना चाहिए था,

प्रभा :- अरे वो कल की क्रीम और दवाइयो से आराम हो गया है...अब जलन नहीं है ज्यादा,

सागर :- अरे माँ फिर भी आज शाम तक कोइं काम नहीं करना चाहिए था...

प्रभा :- कोई बात नहीं...तू बैठ मैं नास्ता देती हु, प्रभा सब समझ रही थी सागर ऐसा क्यू कह रहा है, उसे भी अब लगने लगा की शायद उसे शाम तक अपना नाटक जारी रखना चाहिए था, *वो सागर को नास्ता दे रही थी, सागर हमेशा की तरह अपनी माँ की बड़ी बड़ी चुचिया निहार रहा था, प्रभा ने उसे ऐसे करते देखा, उसे एक शरारत सूझी,

प्रभा :- दूध पियेगा क्या, प्रभा ने जब ये सवाल, किया उस वक़्त सागर बड़ी गौर से उसकी चुचिया देख रहा था,

सागर :- अ..आ..क्या,

प्रभा :- वो चाय पाउडर खत्म हो गयी है...इसलिए पूछ रही हु...तुझे क्या लगा,

सागर :- कुछ नहीं ...आपने एकदम, से पूछा तो सोच में पड़ गया..

प्रभा :- किस सोच में,

सागर :- यही की दूध छोड़े तो ज़माना हो गया मुझे..

प्रभा :- हा पता है...पहले कितना पीता था तू...अब तो बस देखते ही रहता है...पीता बिलकुल भी नहीं, सागर को थोडा दुविधा में था, वो जो प्रभा किस बारे में बात कर रही है सच्चे वाले दूध के बारे में या अपनी चुचियो वाले दूध के बारे में...लेकिन उसने सोचा प्रभा किसी भी बारे में बात कर रही हो वो भी अब खुलके बात करेगा और ऐसे ही बातो बातो में प्रभा के मन की बात को उसके जुबा पे लाके ही छोड़ेगा,

सागर :- ठीक है पिला दो आज...देखु तो सही जो दूध बचपन पीता था अब उसकी टेस्ट कैसी है,

प्रभा :- तुझे क्या लगता है, अब टेस्ट बदल गयी होगी,

सागर :- वो तो पिने के बाद ही पता चलेगा...

प्रभा :- हा वो भी है...लेकिन दूध पियेगा या जूस, प्रभा धीरे से और एकदम सेक्सी अदा से साड़ी के ऊपर से अपनी चूत को दबाती हुई बोली,

सागर :- सोचते हुए...उम्मम दोनों पिऊंगा...

प्रभा और सागर इससे आगे कुछ बोल पाते..उतने में ही प्रभा के मोबाइल पे माधवी का फ़ोन आने लगा, प्रभा और माधवी फ़ोन पे बाते करने लगे और सागर नाश्ता करके कॉलेज के लिए तैयार होने चला गया,

शाम को जब सागर घर लौटा तो फ्रेश होके हॉल में टीवी देखने लगा, प्रभा ने उसके लिए चाय बनाई और उसे देदी,

सागर :- अरे माँ दूध नहीं पिलाओगी क्या,

प्रभा :- मुझे लगा तुम चाय पिओगे ...

सागर :- नहीं सुबह दूध पिया तो मुझे बड़ा पसंद आया....सोच रहा हु अब रोज ही पिऊ...आप भी पीना सुरु कर दो...

प्रभा :- हा लेकिन मुझे तो सिर्फ मलाई वाला दूध पसंद है,

सागर ये सुनके अब समझ गया की प्रभा कोनसे मलाई वाले दूध की बात कर रही है,

सागर :- ऐसी क्या खास बात होती है उसमे,

प्रभा :- बहुत टेस्टी होता है...गरम गरम मलाई वाले दूध की बात ही कुछ और, होती है,

सागर :- ओह्ह्ह ऐसा क्या, ठीक है आज आपकी ये इच्छा जरूर पूरी करूँगा,

सागर हलके से अपने जांघ पे रखा हाथ लंड को छूते हुए अपने बालो को ठीक करते हुए बोला,

प्रभा ने ये सब देखा मन ही मन उसे रिवाइंड किया तो देखा की वो अपने लंड के दूध की बात कर रहा था, प्रभा को अब यकीं हो गया की आज उसकी इच्छा जरूर पूरी हो जायेगी,

प्रभा :- सच में, *

सागर :- हा...

प्रभा ने सागर की तरफ देखा और एक सेक्सी स्माइल दी सागर भी उसकी तरफ देख *के स्माइल कर रहा था, अब सागर को पूरी तरह से यकीं हो गया था की प्रभा उससे चुदवाने के लिए तैयार बैठी है, प्रभा भी आज यही सोच रही थी की अगर सागर कदम आगे नहीं बढ़ाएगा तो वो आज वो अपने कदम आगे बढ़ाएगी, चाहे सागर उसके बारे में जो सोचे,

प्रभा ये सब सोचते सोचते खाना बनाने लगी, उसे किचन में कुछ सामन खत्म हो गया था,

प्रभा :- तू बाहर जा रहा है क्या,

सागर :- नहीं क्यू,

प्रभा :- किचन में थोडा सामान लाना था,

सागर :- ठीक है चलो ...

प्रभा :- नहीं ...मैं तुझे लिस्ट बना देती हु तू लेके आजा,

सागर :- ठीक है,

प्रभा ने सागर को लिस्ट बना दी, सागर मार्केट जाके सब सामान ले आया, जब वो मार्केट गया था तब उसने एक कपडे के दुकान में एक ड्रेस देखी, लॉन्ग स्कर्ट और टॉप, उसे वो बहुत पसंद आ गयी, उसने वो ड्रेस प्रियंका के लिए खरीद ली,

घर आके उसने सामान प्रभा को दे दिया, और वो जो ड्रेस लाया था वो उसने सोफे के पास रख दी, और वो उसे उठाना भूल गया, *

वो अपने कमरे में जाके सोचने लगा की क्या करे कैसे करे, उसे कुछ सूझ नहीं रहा था, थोड़ी देर बाद प्रभा ने उसे खाना खाने के लिए आवाज दी, वो खाना खाने के बाद टीवी देखने लगा, प्रभा भी सब समेट के सोफे पे आके बैठ गयी और टीवी देखने लगी, वो कुछ बात कर पाती उसे वो ड्रेस वाला बॉक्स दिखाई दिया, प्रभा ने वो ड्रेस निकाला और देखने लगी,

प्रभा :- ये किसका है सागर, तू लेके आया क्या,

सागर प्रभा के होतो में वो ड्रेस देख के थोडा चौक गया, और अपनी बेवकूफी पे मन ही मन गुस्सा करने लगा, लेकिन अगले ही पल वो संभला और...

सागर :- अरे माँ वो मैं माधवी के लिए लाया हु...मुझे अच्छा लगा तो खरीद लिया,

प्रभा :- ह्म्म्म्म सच में अच्छा है, पहले तो मैं चौक गयी की कही तू मेरे लिए तो नहीं लाया,

सागर :- हा हा हा नहीं माँ...लेकिन आप पे भी अच्छा लगेगा, आप देखो ना पहनके,

प्रभा :- कुछ भी क्या, अब इस उम्र में ऐसे कपडे पहनूँगी,

सागर :- अरे माँ आजकल तो सभी पहनते है, और आप तो ऐसे भी बहुत खूबसूरत और जवान लगती हो,

प्रभा :- चुप कर शैतान...

सागर :- सच में माँ...आप और माधवी ये ड्रेस पहन कर साथ में बाहर निकलोगी तो आपको माँ, बेटी नहीं बहन कहेंगे,

प्रभा :- बस कर...कुछ भी बोलता है, लोग पागल ही है ना जो मुझे देख के मेरी उम्र उन्हें पता नहीं चलेगी,

सागर :- नहीं माँ मैं भी हैरान था जब मैंने आपको कल देखा....

सागर के मुह से अचानक निकल गया,

प्रभा :- क्या, , बदमाश हो गया है तू बहुत...

सागर ने सोचा अब बात निकल ही गयी है तो अब रुकना नहीं है,

सागर :- सच में आपकी स्किन कितनी मुलायम है..आपकी फिगर भी कितनी अच्छी है...बिलकुल किसी हेरोइन की तरह..

प्रभा :- अच्छा, कोई मिला नहीं क्या सुबह से तुझे,

सागर प्रभा के पास सरक गया और उसके हाथो पे हाथ रख दिया,

सागर :- सच में माँ...आपको यकीं नहीं आता न तो बस एक बार ये ड्रेस पहनो और फिर देखो,

प्रभा को सागर का ऐसे जिद्द करना अच्छा लग रहा था, उसके मुह से अपनी तारीफ सुन के वो खुश हो रही थी,

प्रभा :- नहीं मुझे नहीं पहनना..

सागर :- एक बार प्लीज...मेरे लिए...

प्रभा :- देख मुझे ये अच्छा नहीं लग रहा,

सागर :- नहीं नहीं प्लीज एक बार मुझे ये पहनके दिखाओ..

प्रभा ने भी अब हार मान ली,

प्रभा :- ठीक है...आती हु पहनके,

प्रभा वो ड्रेस लेके अंदर जाने लगी, सागर मन ही मन खुश हो रहा था की ये ड्रेस लाना उसके लिए फायदेमंद रहा, ऐसे ही अब वो प्रभा की तारीफ करता रहेगा और फिर उसे.....ये सोच के सागर अपने आधे खड़े लंड को, सहलाने लगा...उसी वक़्त प्रभा ने उसे पलट के देखा, उसे अपना लंड सहलाते देख प्रभा भी उत्तेजित होने लगी थी, *

वो अंदर गयी और उसने अपने सारे कपडे निकाल दिए, ब्रा और निक्कर भी, फिर उसन टॉप पहना वो थोडा टाइट हो रहा था, प्रभा की चुचिया उसमे समां नहीं रही थी, उत्तेजित होने की वजह से उसके निप्प्ल्स कड़क हो चुके थे, उस टॉप में से वो साफ़ दिखाई दे रहे थे, उसने जानबुज के ब्रा निकाल ली थी, फिर उसने स्कर्ट पहना, और खुद को आईने में देखा, वो सच में कमाल लग रही थी,

फिर वो शरमाते हुए बाहर आयी और सागर के सामने कड़ी हो गयी, सागर ने उसे जब देखा तो बस देखते हि रह गया, प्रभा सच बहुत सेक्सी लग रही थी, सागर उसे ऊपर से निचे तक बस निहारता ही रह गया........​
Sabhi update bahetarin or shandar he. Maza aa gaya. 👌👌👌👍👍👍
 

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