Incest सास बनी दामाद के बच्चों की मां

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अपडेट-17
तृप्ति और अविनाश एक दूसरे के होठों को चूसने में जटे थे।

थोडी देर में दोनों के कपडे नीचे पडे हुए थे। 15 मिनिट तक 69 पोजीसन में चुसाई।
तृप्ति : प्लीज अविनाश अब मेरी प्यास बुझा दो।
अविनाश : नहीं डार्लिंग पहले दीप्ति की सील तोडनी है उसकी गांड एक बार मारू लूं। फिर तेरी बारी है।
तृप्ति : यार वो तो चुदेगी ही अब देखों अनुष्का क्या काम करती है।
अविनाश : वो वहीं काम करेगी जो हम चाहेंगे। और एक बार फिर वो दोनों एक दूसरे को चूमने और चाटने लगते हैं। इस बीच तृप्ति दो बार झड जाती है। और निढाल होकर गिर जाती है।
अविनाश : मेडम ऐसे कैसे काम चलेगा हर बार बीच में छोडना अच्छी बात नहीं है।
तृप्ति : मैंने कब कहा है कि मैं तो तुमसे कह रही हूं इसकी जो जगह है वो रास्ता इसे दिखा दो। मैं तो चाहती हूं कि तुम मुझे चोद चोद कर अपना पानी मेरी चूत में भर दो लेकिन तुम ही तैयार नहीं हो रहे हो।
अविनाश :उसके लिए तो तुम्हें इंतजार करना होगा। मैं दीप्ति की कम से कम तीन दिन लूंगा उसके बाद ही तेरा नम्बर आएगा।
तृप्ति : यानी चार दिन बाद ही मेरा नम्बर लगेगा।
अविनाश : चार दिन बाद मतलब।
तृप्ति : कल रात को दीप्ति इसी विस्तर पर तेरे नीचे नंगी लेटी होगी और तेरे साथ चुदाई का पूरा मजा भी ले रही होगी।
अविनाश : लेकिन इतनी जल्दी कैसे होगा। तुम देख नहीं कैसे भडकी हुई है। वो तो अनुष्का के कारण कुछ बोल नहीं पा रही है। नहीं तो पूरा घर सिर पर उठा लिया होता।
तृप्ति : मैं समझ गई हूं कि दीप्ति को लाइन पर लाने का रास्ता क्या है दीप्ति की सबसे कमजोर नस कौन सी है। और उसकी वो कमजोर नस हम लोगों के हाथों में आ चुकी है। दीप्ति फडफडा तो सकती है लेकिन उसे तुम्हारे सामने घुटने टेकने ही होंगे। और तुम देखना या तो आज रात या फिर कल सुबह तक दीप्ति की सारी अकड और गुस्सा ठंडा पड जाएगा।
अविनाश : ऐसी कौन सी कमजोर नस है दीप्ति की।
तृप्ति : अनुष्का, उसकी बेटी। जो पूरी तरह से हमारे साथ है। अनुष्का का एक आंसू भी दीप्ति को परेशान कर देता है। गाडी में जिस तरह से दीप्ति भडकी थी और शांत नहीं हो रही थी उससे मुझे चिंता हुई थी। लेकिन जैसे ही अनुष्का के आंसू निकले वो पूरी तरह से ठंडी पड गई।
अविनाश : तभी तुम चाहती हो कि मैं दीप्ति के सामने अनुष्का को सुनाउं।
तृप्ति : दीप्ति के सामने नहीं जीवन के सामने। उन्हें भी अपने पाले में करना है। रोहित की तो मुझे कोई चिंता नहीं है। वो मेरी बात टालेगा ही नहीं। और वैसे उससे भी तो उसकी मां चुदवानी है। अब तक अनुष्का ने नीचे जाकर तुम्हारा संदेश पहुंचा दिया होगा।
अविनाश : दीप्ति गुस्सा तो हुई होगी।
तृप्ति : हां बिल्कुल, उसे भडकना ही चाहिए। आखिर कोई कैसे किसी से सीधे सीधे चुदने की बात कर सकता है। लेकिन अनुष्का के आंसू उसका रास्ता रोक लेंगे। अच्छा मैं चलती हूं। नीचे लोग मेरा इंतजार कर रहे होंगे। और तृप्ति अपने कपउे पहनकर नीचे चली जाती है। अविनाश मन ही मन खुश था जिस औरत को पाने के सपने वो देखता था कुछ ही घंटों बाद वो उसकी बाहों में होगी।
तृप्ति के नीचे आने से पहले ही वहां हंगामा मचा हुआ था। दीप्ति बेहद गुस्से में थी। लेकिन अनुष्का की रूलाई देख वो अपने आप को संभाले हुई थी।
दीप्ति : इस लडके की ताकत तो देखों रात को मुझे बुला रहा है और कह रहा है पूरी तरह से तैयार होकर आना।
अनुष्का : मम्मी मैं आपसे नहीं कह रही आप जाइए। लेकिन प्लीज लडिएगा नहीं। प्लीज।
दीप्ति : ठीक है बेटी में अविनाश से कुछ नहीं कह रही। लेकिन मैं ये कह रही हूं कि तुम ऐसे लडके से कैसे प्यार कर सकती हो जो तेरी मां पर गंदी नजर रखता है।
अनुष्का : मम्मी एक बात बताइए क्या अविनाश ने इससे पहले इस तरह की बात की।
दीप्ति : नहीं
अनुष्का : वो इसलिए क्योंकि हमारी तरफ से ही जैसा आज प्रपोजल गया है वैसा नहीं गया। और वो मुझे अपनाने को भी तैयार है। लेकिन शर्त भाभी वाली ही है कि वो अपने बच्चे चाहता है। आपको अविनाश की बात नहीं माननी है मैं आपके साथ हूं। पर प्लीज उसे कुछ कहना मत।
दीप्ति : ठीक है।
रात साढे आठ बजे सभी खाने की टेबिल पर बैठे थे। तभी जीवन कहता है कि तृप्ति बेटा अविनाश को भी बुला लाओ खाना भी लग चुका है।
तृप्ति: वो पापाजी अविनाश ने खाना उपर ही मंगवा लिया था।
ये बात सुनकर दीप्ति की सांस में सांस आती है नहीं तो वो सोच रही थी कि अविनाश का सामना वो कैसे करेगी। लेकिन धमाका अभी होना बाकी था। तृप्ति अनुष्का की ओर इशारा करती है।
अनुष्का : पापा एक बार आप अविनाश से बात कर लीजिए। क्योंकि उसे अब सबकुछ साफ साफ पता चल चुका है। वो क्या चाहता है ये भी हम लोगों को पता है। ऐसे में एक बार आप भी समझा कर देख लीजिए।
जीवन कुछ सोचते हुए : ठीक है बेटी मैं अभी जाकर अविनाश से बात करता हूं।
तृप्ति : आप अनुष्का को भी साथ ले जाइएगा। क्योंकि मैं जाउंगी तो शायद आप मेरे बारे में उससे बात न कर पाएं।
 
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अपडेट-18
जीवन : हां बेटी तू सही कह रही है। और जीवन अविनाश के कमरे की ओर चल देता है। इधर तृप्ति धीरे से अनुष्का से बोलती है आज तुझे जीवन के सामने नाटक करना है। जरा सी भी गडबड हुई तो मान लेना सब खत्म। अनुष्का भी आंखों के इशारे से कह देती है कि वो सब संभाल लेेगी। और जीवन अनुष्का के साथ अविनाश के कमरे का दरवाजा खटखटाता है। अविनाश समझ जाता है कि जीवन ही होगा। दीप्ति को बुलाने का टाइम रखा ही इसीलिए साढे दस रखा गया था कि उससे पहले उसका पति आए। दीप्ति के तो आज आने की वैसे ही उम्मीद बहुत कम थी। दीप्ति के आज आने का मतलब था कि वो चुदती तो लेकिन वो मजा नहीं देती जो अविनाश चाहता था। इसलिए अविनाश भी चाहता था कि दीप्ति पूरी तरह से टूट जाएग तभी उसके पास आए। इस बीच जीवन कमरे में पहुंचता है और अविनाश उन्हें बैठनेे के लिए कहता है।
जीवन : बेटा अब तुमसे कुछ भी छिपा नहीं हैं हमने हमेशा तुम्हे अपने परिवार का सदस्य माना है। इसलिए तुमसे कह था कि तुम तृप्ति को मां बना दो।
अविनाश : देखिए अंकल जी। मैने मना नहीं किया है। लेकिन मैंने जो इसके बदले मांगा है उसके लिए आप लोग तैयार नहीं है।
जीवन : बेटा दीप्ति इसके लिए किसी भी कीमत पर तैयार नहीं होगी।
अविनाश : देखिए अंकल बात सिर्फ तृप्ति की नहीं हैं। बात अनुष्का की भी है। और मैं उससे शादी करने को तैयार हूं। लेकिन जब से पता चला है कि ये बांझ है तब से मेरा मन विचलित हो गया है। आप भी बताइए किसी बांझ से कोई शादी करता है क्या।
अनुष्का : ये तुम क्या कह रहे हो अविनाश।
अविनाश : सही तो कह रहा हूं क्या तूं बांझ नहीं हैं। क्या तू किसी का बच्चा पैदा कर सकती है। अरे जब तू बच्चा ही पैदा नहीं कर सकती तो तुझसे कोई शादी क्यो करेगा। सिर्फ सेक्स के लिए। सेक्स के लिए तो लोगों को तेरी जैसी बहुत मिल जाएंगी। चंद पैसे फैकने पर तुझसे भी खूबसूरत लडकियां रात रात भर किसी के भी विस्तर गरम करने को तैयार हो जाती है। यदि कोई औरत मां नहीं बन सकती तो परिवार कैसे चलेगा। सिर्फ खूबसुरत दिखना है जरूरी नहीं है।
जीवन : बेटे प्लीज चुप हो जाओ, अनुष्का के सामने इस तरह से मत बोलो। हम लोगों पहले से ही बहुत परेशान है और जीवन अविनाश के हाथ जोड़ लेता है।
अविनाश की बातें सुनकर अनुष्का की आंखों से आंसू निकल आते हैं। और वो कमरे से भागती हुए नीचे चली आती है। अनुष्का को रोता देख दीप्ति का मन भी घबरा जाता है। लेकिन तृप्ति मन ही मन खुश हो रही थी। और कहती है ये तो किसी ड्रामा कंपनी में काम करने वाले लोगों को भी मात कर रही है। शबास अनुष्का ऐसी ही करती रहो। अनुष्का सीधे अपने कमरे में पहुंचती है और कमरा बंद कर अंदर से कुंडी लगा लेती है। बाहर दीप्ति परेशान थी और लगातार दरवाजा पीट रही थी कह रही बेटा प्लीज दरवाजा खोला प्लीज
अनुष्का : मुझे किसी से बात नहीं करनी है किसी को मेरी चिंता नहीं है।
दीप्ति : कौन कहता है तेरी किसी को चिंता नहीं है। देख तेरी मां यहां हैं तेरे पिता जी है तेरे भाईया भाभी है।
अनुष्का : सब है लेकिन फिर भी किसी को मेरी चिंता नही है। और वो अविनाश जिसे मैं प्यार करती हूं वो मुझे बांझ बोलता है। कहता है कि यदि बच्चा पैदा नहीं कर सकती तो कोई मुझसे शादी क्यो करेगा। मुझसे अच्छी लडकियां चंद पैसों छी मैं तो बोल भी नहीं पा रही जितना गंदा वो बोल रहा था।
दीप्ति: का गुस्सा सातवें आसमान पर था और वो कहती है कि अब बहुत हो गया जब तक वो मेरे बारे में उल्टी सीधी बातें कर रहा था तब तक तो मैं शांत रही क्योंकि हमारी मजबूरी थी। लेकिन मेरी बेटी के बारे में उसकी ये कहने की हिम्मत कैसे हुई। में उसे छोडंूगी नहीं। दीप्ति का गुस्सा देख तृप्ति समझ जाती है कि यदि इसे अभी नहीं रोका गया तो बखेडा खडा हो जाएगा और वो जल्दी ही अनुष्का को मैसेज भेजती है कि अपनी मम्मी को संभाल पहले फिर रो लेना। इधर तृप्ति अविनाश के कमरे की ओर जाने को मुडी कि तृप्ति उसे रोकते हुए कहती है।
तृप्ति : मम्मी आप क्या कर रही है।
दीप्ति : तुझे पता है ना में आज इस लडके को बताउंगी कि मेरे बेटी के बारे में उल्टा सीधा बोलने वाले की मैं क्या हालत करता हूं।
तृप्ति : मम्मी ठंडे दिमाग से काम लो अभी पापा भी उपर ही हैं। वो अविनाश से बात कर रहे होगे।
दीप्ति : अरे उनके सामने अविनाश मेरी बेटी से इतना सब बोल गया और उन्होंने कुछ कहा नहीं।
तभी अनुष्का भी कमरे से बाहर आ जाती है और रोते हुए कहती है कि मम्मी आप अब हमारे बीच में नहीं आएंगी। बिलकुल भी नहीं जो होगा मैं देख लूंगी। मुझे जो करना होगा मैं करूंगी आप रहने दीजिए आप जाएंगी और बात खराब कर देंगी। आपको मेरी कसम जो आपने अविनाश से कुछ भी बोला। मेरी किस्मत में जो लिखा होगा उससे ज्यादा मुझे नहीं मिलेगा। लेकिन प्लीज आप शांत हो जाइए।
अनुष्का की बात सुनकर दीप्ति को भी रोना आने लगता है वो समझ नहीं पाती कि क्या किया जाए। इधर दीप्ति की नजर जैसे ही अनुष्का के चेहरे पर जाती है उसकी रूलाई फूट पडती है क्योंकि अनुष्का का पूरा चेहरा आंसुओं से भरा हुआ था। दीप्ति अनुष्का को गले लगा लेती है और उससे कहती है बेटी मुझे माफ कर दे मेरे कारण ही तेरी आज ये हालत हुई है।
अनुष्का : नहीं मम्मी आपका कोई दोष नहीं दोष मेरी किस्मत का है।
 
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अपडेट 19
दूसरी ओर कमरे में जीवन और अविनाश के बीच बातें चल रहीं थी।
अविनाश : देखिए अंकल जी आप खुद सोचिए, यदि मेरे बच्चे नहीं होगा तो। मैं तो चलो अनुष्का से कुछ नहीं कहूंगा लेकिन मम्मी पापा, और बाकी परिवार के लोग फिर मेरे पास क्या रास्ता रहेगा। अनुष्का को तलाक दे दूं। क्या आप चाहेंगे आज शादी हो और चार साल बाद तलाक हो जाए।
जीवन : नहीं बेटे कोई बाप ये नहीं चाहेगा।
अविनाश : तो आप ही रास्ता बता दीजिए। किसी सडक छाप औरत से मैं अपना बच्चा नहीं लूंगा।
आप अपने आप को ही देख लीजिए। आज आपके परिवार को भी बच्चे की जरूरत है। क्योंकि तृप्ति किसी सडक पर चलते किसी भी आदमी का बच्चा अपने पेट में पालने को तैयार है। मुझसे पहले आपने कई और लडके उसके लिए पसंद किए होंगे। क्या वो किसी लडके के लिए तैयार हुई। क्योंकि वो चाहती थी कि उसकी बदनामी न हो। जो लडका उसके साथ सेक्स करे वो उसे सिर्फ सेक्स मशीन की तरह इस्तेमाल न करें बल्कि उसकी मजबूरी समझे।
जीवन : हां तेरी बात सही है।
अविनाश : अंकल जी आप अपना फैसला बताइएगा यदि दीप्ति तैयार हो जाती है तो क्या आप दीप्ति को इस काम की मंजूरी देंगे। या फिर आज दीप्ति के फैसले पर सवाल उठाएंगे और उसे मेरे साथ सेक्स करने की इजाजत देने से मना कर देंगे।
जीवन : बेटे जब मेरा एक्सीडेंट हुआ और मैं सैक्स करने के काबिल नहीं रहा तो मैंने दीप्ति से कहा था किसी आदमी से दोस्ती कर ले और अपने जिस्म की भूख को शांत कर ले लेकिन उस समय उसने जो मुझे सुनाया था। इसके बाद दोबारा उससे ऐसे मैटर पर बात करने की हिम्मत नहीं हुई। मैं भी चाहता हंू कि दीप्ति की सेक्स की इच्छा पूरी हो। लेकिन बच्चे वाला मामला जरूर मेरी समझ के बाहर था। लेकिन तुम्हारा कहना भी ठीक है। यदि अनुष्का मां नहीं बनेगी तो तुम्हारी भी फैमिली है वो अनुष्का को ताने दे देकर उसे मार लेगी।
अविनाश : ये ही बात में दीप्ति से चाहता हूं। लेकिन मुझे लगता है शायद वो अनुष्का से प्यार नहीं करती।
जीवन: ये तुम गलत सोच रहे हो अविनाश, दीप्ति जितना प्यार अनुष्का से करती है उतना किसी से नहीं करती।
अविनाश : फिर भी वो तैयार नहीं है।
जीवन : ये मामला दूसरा है, फिर भी तुम हमें कुछ समय दो मैं भी अपनी ओर से कोशिश करूंगा। कि दीप्ति तुम्हारी शर्त मानने को तैयार हो जाए।
अविनाश : ठीक है अंकल जी अभी भी आधा घंटे का समय है। फिर मैं सो जाउंगा। मुझे फिर कोई डिस्टर्ब न करे। सुबह मैं वापस चला जाउंगा। क्योंकि मैं नहीं चहता कि मेरे कारण यहां सभी लोग तनाव में रहे। इधर नीचे तृप्ति ने रोहित को नींद की गोली दूध में मिलाकर खिला दी थी जिससे रोहित अब गहरी नींद में जा चुका था। दीप्ति भी अपने कमरे में चली गई थी। उसने अनुष्का से बहुत बोला था कि या तो वो अनुष्का के कमरे में रूकेगी या अनुष्का उसके साथ उसके कमरे में चले। लेकिन अनुष्का ने मना करते हुए कहा था कि उसे अकेला छोड दिया जाए। इधर जीवन भी नीचे आ जाता है और सीधा अपने कमरे में चला जाता है दीप्ति भी पीछे पीछे पहुंच जाती है।
दीप्ति : कुछ कहा उसने
जीवन : हां बोला बहुत कुछ लेकिन मामला वहीं है कि तुम्हारा फैसला क्या है।
दीप्ति : क्या वो अभी भी वहीं अटका हुआ है। और वो आपके मुंह पर आपसे आपकी बीबी मांग रहा है और आप कुछ बोले नहीं उसका मुंह तोड देना चाहिए था। मैं तो अनुष्का के कारण कुछ कह नहीं पा रही हूं। लेकिन यदि उसने मेरे सामने ऐसी बात की होती तो शायद मैं आपा खो बैठती।
जीवन : ये समय जोश और गुस्से में काम करने का नही हैं होश में काम लेने का है। हमारे पूरे परिवार की बदनामी इससे हो सकती है।
दीप्ति : अपनी बेटी और अपना परिवार देखकर ही मैं अब तक अपना गुस्सा पिए हुए हूं। नहीं तो अब तक मैं उस लडके का खून पी जाती। वैसे उसने और क्या क्या कहा। मैं तो जानूं उसके मन में कितनी गंदगी भरी हुई है।
जीवन : हां उसका कहना है कि यदि तुम तैयार हो तो वो अनुष्का से शादी भी करेगा और तृप्ति की गोद भी भर देगा। लेकिन उसे भी अपने बच्चे चाहिए और किसी राह चलती से वो बच्चा पैदा नहीं करेगा। और वो कल सुबह यहां से जा रहा है। ये कहते हुए जीवन विस्तर पर लेट जाता है। दूसरी ओर कमरे में अनुष्का का फोन बजता है। वो तृप्ति का नाम देखती है और तुरंत फोन उठाती है।
तृप्ति : सुपर, छा गई मेरी गुडिया तूने कमाल कर दिया।
अनुष्का : कहां भाभी मम्मी तो मानी ही नहीं।
तृप्ति : अरे तेरी सौतन यानी तेरी मां लगभग टूट चुकी है। तू देख लेना उसे आज रात भर नींद नहीं आएगी और कल रात भर अविनाश उसे सोने नहीं देगा।
अनुष्का : मतलब
तृप्ति : कल रात तो अविनाश दीप्ति के साथ सुहागरात मनाएगा, जाहिर सी बात है अविनाश का जो लंड है वो 8.5 इंच से कम नहीं है। और उसकी स्टेमिना हमने देख रखी है। वो तेरी सौतन की निचोड कर रख देगा। देखना परसो दीप्ति लगडते हुए चलती मिलेगी। जिसे कोई नई बहू सुहागरात पर चुदवाने के बाद लगडाती हुई चलती है। और रही बात आज रात की तो तेरी मां आज रात भर तेरे कमरे के चक्कर काटती रहेगी। एक काम कर मेरा कमरा ठीक तेरे कमरे के सामने हैं मैं अपने कमरे की लाइट बंद रखूंगी। जैसे ही तेरी मां अपने कमरे से निकलेगी मैं तुझे फोन कर दूंगी और तू रोना शुरू कर देना ठीक है। और यदि इतना ज्यादा रो नहीं सकती तो एक काम कर अपनी रोने की रिकॉर्डिग फोन में कर ले और उसे ओपन करके रखना है। ज्यादा हो तो मैं रोहित का फोन तुझे दे देती हूं। उस फोन से हम लोग बातें करते रहेंगे और जैसे ही दीप्ति तेरे कमरे के पास आएगी तू अपनी िरिकॉर्डिंग शुरू कर देना।
अनुष्यका : ठीक है भाभी आप भईया का फोन दीजिए और तृप्ति तुरंत रोहित का फोन अनुष्का को दे देती है। अनुष्का अपने फोन में 10 मिनिट की रिकॉडिंग करती हैं और और फिर तृप्ति से बात शुरू कर देती है।
तृप्ति : देख दीप्ति जैसे ही अपने कमरे से बाहर निकलेगी तूझे रिकाडिंग शुरू कर देनी है। मुझे मालूम है कि यदि बात हकीकत में होती और अविनाश ने तुझे खरी खरी सुनाई होती तो तुझे रिकॉर्डिग की जरूरत नहीं पडती लेकिन जब तुझे पता है कि रोने का नाटक करना है तो बहुत मुश्किल होता है।
अनुष्का : ठीक है भाभी। और दोनों बातें करती रहती है। तभी तृप्ति अनुष्का से दीप्ति आ रही है काम शुरू कर और अनुष्का रिकॉडिंग शुरू कर देती है कमरे में उसके सिसकने की आवाजें गूंजने लगती हैं। और हल्के हल्के वो रो भी रही थी जिससे उसकी आवाज गेट के बहर सुनी जा सके। दीप्ति अनुष्का के कमरे के बाहर पहुंचती है और अपनी बेटी को रोता सुनती है पहले वो सेचती है कि वो अंदर जाए लेकिन दीप्ति की हिम्मत नहीं पड रही थी। वो वापस अपने कमरे में चली जाती है। लेकिन उसका मन नहीं लग रहा था वो हर 15-20 मिनिट बाद कमरे से निकलती है और अनुष्का के कमरे तक आती है। लेकिन दीप्ति के कमरे से निकलते ही तृप्ति उसे बता देती है और अनुष्का रिकाडिंग शुरू कर देती। दीप्ति ने दो तीन बार अनुष्का का दरवाजा खुलवाने की कोशिश भी की लेकिन अनुष्का ने साफ साफ कह दिया कि अभी उसे किसी से बात नहीं करनी है। रात को साढे तीन बजे तक ये नाटक चलता रहता है और अब तो दीप्ति की ही रूलाई फूट चुकी थी। साढे तीन बजे जब तृप्ति देखती है कि एक घंटे से तो दीप्ति ही नॉन स्टॉप रो रही है तो वो अनुष्का से कहती है कि अब वो सो जाए। और अनुष्का सो जाती है।
इधर दीप्ति भी जब अनुष्का के कमरे में से कोई आवाज नहीं सुनती तो अपने कमरे में चली जाती है। लेकिन उसकी नींद उडी हुई थी। दीप्ति की आंखें से आंसू नहीं थम रहे थे। उसके मन में एक अलग तरह की लडाई चल रही थी। दिल कहता था कि अविनाश की शर्त मान ले और दिगाम कहता था कि नहीं ये गलत है।
 
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अपडेट: 20
दिमाग : तू ऐसा सोच भी कैसे सकती है दीप्ति, तू शादी शुदा है किसी और के साथ सेक्स कैसे कर सकती है। और बात सिर्फ सेक्स की नहीं वो तो बच्चा भी पैदा करने की बात कर रहा है कितना घटिया इंसान है।
दिल : अरे तेरी बेटी का सवाल है। कौन करेगा उससे शादी जब किसी को पता चलेगा कि मेरी बेटी मां नहीं बन सकती तो कोई भी उसका हाथ नहीं थामेगा।
दिमाग : क्यों नहीं थामेगा, अरे इतनी सुंदर है मेरी बेटी उसके लिए रिश्तों की लाइन लग जाएगी।
दिल : एक बार ट्राई करके देख लेना लेकिन ये भी बता देना कि तेरी बेटी मां नहीं बन सकती। क्योंकि यदि तूने ये नहीं बताया तो ससुराल में उसकी क्या दुर्गत बनेगी ये तू सोच भी नहीं सकती।
दिमाग : नहीं नहीं मेरी बेटी के साथ कुछ भी गलत नहीं हो सकता।
दिल : क्यो नहीं हो सकता। तेरी एक जिद तेरी बेटी का भविष्य तबाह कर देगी।
दिमाग : मैं अपनी बेटी का भविष्य क्यो तबाह करूंगी मैं उसे सबसे ज्यादा प्यार करती हूं।
दिल : प्यार नहीं करती सिर्फ दिखावा करती हो। क्योंकि जब उसकी खुशियों की बात आई तो तुमने जिद, संस्कार और न जाने क्या क्या पुरानी दकियानूसी बातें पकड ली है।
दिमाग : ये जिद नहीं है मैं कैसे किसी पराए आदमी से सेक्स कर सकती हूं और वो भी अपने पूरे परिवार की जानकारी में नहीं। ऐसा में हरर्गिज नहीं कर सकती।
दिल : अरे तुम्हारे पूरे परिवार में किसने आपत्ति की है कि तुम अविनाश के साथ चुदाई मत करवाओ। जीवन या रोहित को आपत्ति होती तो वो खुद विरोध करते। उन्होंने कुछ कहा दोनों ने फैसला तुझ पर छोड दिया यानी वो दोनों तैयार है। तेरी बहू और बेटी तो अविनाश की बात मानने का दबाव तुझ पर बना रही हैं।
दिमाग : नहीं फिर भी ये गलत होगा। मैं ऐसी औरत नहीं हूं जो किसी के भी विस्तर गरम करूं और उसके बच्चे की मां बन जाउं। नहीं ऐसा नहीं हो सकता।
दिल : अच्छा तो तेरी बहू कैसी औरत है, वो भी किसी और के साथ सेक्स नहीं करन्ना चाहती थी। लेकिन तुम लोगों ने उसकी जिंदगी नर्क बना दी थी सुबह से शाम तक एक ही लेक्चर उसे सुना रही थी कि किसी दूसरे आदमी से सेक्स कर लो जब खुद को जरूरत थी तो नियम अलग और जब किसी और को जरूरत है तो नियम अलग। तृप्ति को अपना ही बच्चा चाहिए तो बात सही है। अविनाश को अपना बच्चा चाहिए तो वो बात गलत है।
दिमाग : नहीं फिर भी ये गलत है। तृप्ति मजबूरी में ये काम कर रही है।
दिल : और तू तू क्या खुशी और अपनी प्यास बुझाने के लिए सेक्स करेगी। अरे तू भी अपनी बच्ची की जिंदगी खुशियां से भरने के लिए अविनाश से चुदाई करवाएगा।
दिमाग : कैसी बात करती हौे में अविनाश से नहीं चुदवाउंगी।
दिल: देख दीप्ति अविनाश से तुझे चुदवाना तो पडेगा ही आज चुदवा लेगी तो तेरी बच्ची को कम पीडा होगा नहीं तो कुछ दिनों बाद तुझे चुदवाना होगा। क्योंकि अनुष्का की तकलीफ तू ज्यादा दिन नहीं देख पाएगा। और कही उसने गलत कदम उठा लिया तो।
दिमाग : नहीं मेरी बेटी ऐसा कोई काम नहीं करेगी।
दिल : तुम्हें पूरा भरोसा है।
दिमाग : अब मैं क्या करूं।
दिल : एक बात सोचों यदि तू अविनाश की बात मान लेती हैं तो, सोच क्या क्या हो सकता है और नहीं मानती है तो क्या। पहले ये सोच कि तू अविनाश की बात नहीं मानती है। पहला तृप्ति को बच्चा नहीं मिलेगा। वो साफ साफ कह चुकी है कि अविनाश को रिझाने के लिए उसने अपना पूरा जिस्म उसके सामने खोल कर रख दिया। और इसके बाद भी यदि अविनाश तैयार नहीं हुआ तो वो बोल चुकी है कि अब वो किसी और आदमी से सेक्स नहीं करेगी। और अविनाश को भी देखा वो चाहता तो तृप्ति के साथ सेक्स कर सकता था। अनुष्का तो उसके पीछे पागल है यदि वो मेरी बेटी और बहू को चोदता और उसकी वीडिया बना लेता और फिर कहता दीप्ति यदि तुम्हें अपने परिवार की इज्जत प्यारी है तो उससे चुदवाओ तो तू क्या करती जाती चुदवाने। बिल्कुल जाती और उस समय अविनाश तृप्ति को पे्रगनेंट तो कर देता लेकिन अनुष्का से शादी नहीं करता। अनुष्का उसकी रखैल बनकर रह जाती। क्या इज्जत होती तेरी नजरों में तेरी खुद की।
दिमाग : नहीं ऐसा नहीं हो सकता, अविनाश ऐसा लडका नहीं है। वो चाहता तो अब तक अनुष्का और तृप्ति दोनों को अपने विस्तर पर ले जा सकता था। उसे पता है कि कोई भी उसे नहीं रोक पाता।
दिल : चलों ये तो मानती हो कि अविनाश अच्छा लडका है। अब ये सोच कि यदि तू अविनाश की बातें मान लेती है। ऐसे में तृप्ति को वो प्रेगनेंट करेगा। और एक बार नहीं तुम लोग जितनी बार चाहों। उसे बार बार कहने की भी जरूरत नहीं होगी। उसके सामने सिर्फ जिक्र करना होगा। यानी तेरे परिवार को वंश बढाने वाला मिल जाएगा। दूसरा वो अनुष्का से शादी करेगा और जिंदगी भर उसे खुश रखेगा। अनुष्का उसे बहुत प्यार करती है। माना अभी अविनाश पढाई कर रहा है। लेकिन लडका पढाई में तेज है उसे अच्छी नौकरी मिल जाएगी। यदि बिजनेस करना चाहेगा तो वो भी कर सकता है। और फिर जीवन तो हैं ही उसकी इतनी अच्छी पहचान है अविनाश के लिए अच्छी नौकरी तो वो चुटकियों में अरेंज करा देगा। यदि बिजनेस करना चाहें तो उसकी भी जुगाड करवा देगा। तू भी तो प्यासी है 15 साल से तू भी तो किसी से नहीं चुदी है। अरे तू अपना ही सोच ले। अपना नहीं सोचती तो अपने परिवार के बारे में सोच। अपनी बेटी के बारे में सोच उसके बाद बता क्या सही है और क्या गलत।
दिमाग : लेकिन लोग और समाज क्या कहेगा। अपनी बेटी के पति से चुदाई करवाता है। अपने दामाद के बच्चे की मां बन रही है। बोलो क्या जवाब दूंगी।
दिल : कौन सवाल करेगा। किसे जवाब देना है। अरे घरों की चार दीवारी के अंदर कितने रिश्ते जन्म लेते हैं क्या किसी को पता हैं। नहीं अरे जब कोई बताएगा नहीं तो पता कैसे चलेगा। तू बता रोहित किसी को बताएगा, जीवन बताएगा कि तृप्ति बताएगी। अनुष्का और अविनाश तो बताएंगे नहीं। जब किसी को पता ही नहीं होगा तो कहे का सवाल और कहे का जवाब। अब तू सोच समझकर फैसला सुना अपना न सहीं अपने परिवार और अपनी बेटी का ध्यान जरूर रखना। बता क्या फैसला है तेरा।
दिमाग : मुझे समय दो मैं सोचकर इस पर फैसला करूंगी।
 
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अपडेट-21
दीप्ति अब मन बना चुकी थी। इस बीच सुबह के छह बज चुके थे। जीवन की नींद खुल जाती है। वैसे जीवन को भी आज ठंग से नींद नहीं आई थी दीप्ति के बार बार बाहर जाने और आते ही उसकी रूलाई के चलते जीवन की आंख बार बार खुल जाती थी। लेकिन उसे पता था कि दीप्ति क्यो रो रही है इसलिए उसने दीप्ति को रोका नहीं। क्योंकि वो दीप्ति से कुछ पूछता तो दीप्ति उससे उलटा सवाल कर देती जिसका जबाब उसके पास नहीं था। सुबह छह बजे जीवन उठता है और दीप्ति से कहता है।
जीवन : देखों यदि तुम्हें अविनाश की बात नहीं माननी तो मना कर दों कोई भी तुम पर दबाव नहीं बनाएगा। लेकिन कोई भी फैसला बहुत सोच समझ कर लेना। मैं तृप्ति से बात करता हूं कि वो अविनाश को आज किसी तरह से रोक ले।
दीप्ति : देखिए मुझे आपसे कुछ बात करनी है।
जीवन : बोले
दीप्ति : एक बात बताइये क्यों आप मुझे किसी और की बाहों में देख पाएंगे।
जीवन : यार पहेलिया मत बुझाओ साफ साफ बोलो जबकि जीवन समझ चुका था कि दीप्ति क्या कहना चाह रही है।
दीप्ति : देखिए अविनाश ने जो कंडीशन रखी है उसे मानना मेरे लिए बहुत मुश्किल है और शायद आपके लिए उससे भी ज्यादा मुश्किल हो सकती है।
जीवन : देखों में पहले ही कह चुका है कि जो फैसला तुम्हारा होगा मैं उसमं खुश हूं। लेकिन अपने बच्चों की खुशी भी देख लेना।
दीप्ति : समझ जाती है कि जीवन उससे इनडायरेक्टली कह रहा है कि अविनाश की बात मान लो। इसके बाद दीप्ति कहती है तो ठीक है मुझे अविनाश की हर बात मंजूर हैं। उससे कह देना कि मैं उससे सेक्स करने को भी तैयार हंू और अनुष्का के लिए बच्चे भी पैदा कर दूंगी। और ये कहते हुए दीप्ति रोते हुए जीवन से लिपट जाती है।
जीवन उसे चुप कराते हुए कहता है दीप्ति कोई भी फैसला भावनाओं में बह कर मत करो। पूरी तरह सोच समझकर फैसला करना। अभी भी तुम्हारे पास समय है।
दीप्ति : नहीं मैंने बहुत सोच समझकर फैसला लिया है। मैं तैयार हूं। आप जाकर अविनाश को बता दो।
जीवन : ठीक है यदि तुमने फैसला कर लिया है तो मैं तुम्हारे साथ हूं। अब तुम एक काम करो थोडा आराम कर लो वैसे भी रात पर सोई नहीं हो।
दीप्ति : जीवन को टकटकी लगाकर देखती है लेकिन जीवन कुछ नहीं बोलता और दीप्ति जीवन से अलग होकर सोने की कोशिश करती है और थोडी देर में उसे नींद आ जाती है। दीप्ति को सोए हुए आधा घंटा हुआ था और जीवन इस बीच नहा धोकर तैयार हो जाता है लेकिन उसकी समझ में नहीं आ रहा था। कि वो अविनाश से कैसे कहें कि मेरी बीबी तुमसे चुदवाने और मां बनने को तैयार है। जीवन ये सोच विचार कर रहा था कि तभी उसके दरवाजे पर दस्तक होती है जीवन दरवाजा खोलता है तो सामने तृप्ति खडी थी।
तृप्ति : पापा जी चाय लाई थी
जीवन तृप्ति को देखकर रास्ता छोड देता है तृप्ति देखती है कि दीप्ति सो रही है वो कहती है मां सो रही हैं वैसे तो वो सुबह जल्दी उठती है। आप इन्हें उठा दीजिए।
जीवन : सोने दो बेटा वैसे भी रात भर जागी है।
तृप्ति : क्यो रात को क्यो जागती रही जबकि तृप्ति को पता था कि दीप्ति रात भर सोई नहीं होगी। साढे तीन बजे तक तो उसने ही तृप्ति को वॉच किया था।
जीवन : वो ही अविनाश ने जो शर्त रखी है उसी के बारे में सोचती रही। अभी कुछ देर पहले ही सोई हैं।
तृप्ति : हां मम्मी के लिए फैसला लेना मुश्किल है।
जीवन : हां फैसला मुश्किल तो था लेकिन अब दीप्ति तैयार है।
तृप्ति : जी मैं समझी नहीं पापा जी आप क्या कह रहे हैं।
जीवन : दीप्ति अविनाश के साथ सेक्स करने और उसके बच्चे पैदा करने को तैयार है लेकिन उसे तुम्हें मा बनाना होगा और अनुष्का से शादी करनी होगी।
तृप्ति : अरे इसके लिए तो वो पहले से ही तैयार हैं।
जीवन : वो तो ठीक है बेटा लेकिन अविनाश से ये बात कहेगा कौन मेरी तो हिम्मत नहीं हो रही है।
तृप्ति : आप चिंता मत कीजिए मैं अविनाश को जाकर बताती हूं।
जीवन : हां बेटा तू ही बता दें,
और तृप्ति फिर जीवन के कमरे से बाहर आ जाती है। और मुस्कुराते हुए कहती है कि सासू मां आपको तो घुटने टेकने ही थे। मैंने अविनाश से कहा था कि दीप्ति का गुरूर, उसके संस्कार सभी एक रात में ही कुचल दूंगी। अभी जो थोडी बहुत अकड बाकी है उसे भी कुचल दूंगी। शादी के बाद आपने मुझे लव मैरिज को लेकर जितना सुनाया था ना। अब देखों आप भी लव मैरिज के लिए मजबूर हो गई हो। भले ही ये लव एकतरफा था। सासू मां अब मैं चाहूं तो तुमसे अपने पैर भी चटवा सकती हूं। लेकिन मैं ऐसा करूंगी नहीं क्योंकि अविनाश तुझे चाहता है। और उसे पता चला तो वो मेरे लिए ही अच्छा नहीं होगा। लेकिन चलो पहले अविनाश को ये खुशखबरी सुनाती हूं और तृप्ति सीधे अविनाश के कमरे में पहुंच जाती है अविनाश का कमरा खुला हुआ था। तृप्ति अंदर जाती है तो अविनाश अभी सो रहा था। तृप्ति उसे देखती है और पहले गेट अंदर से बंद करती है फिर एक एक करके अपने सारे कपडे उतार देती है। और फिर अविनाश का लोअर नीचे खिसका कर उसका लंड निकालती है और अविनाश का लंड चूसना शुरू कर देती है।

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तृप्ति पहले अविनाश के लंड को चूमती है और कहती है कि आज तुझे तेरा घर मिल जाएगा। और फिर अविनाश का लंड चूसना शुरू कर देती हैं। तृप्ति लंड को मुंह में ले लेती है और अपनी जीभ उसे उसे चाटती भी रहती है। धीरे धीरे अविनाश का लंड खडा होने लगता है। अविनाश की आंख भी खुल जाती है लेकिन जब वो देखता है कि तृप्ति उसका लंड चूस रही है तो मजे लेने के लिए वो आंखें बंद कर सोने की एक्टिंग करता है दूसरी ओर तृप्ति अब अविनाश के लंड को भूखी शेरनी की तरह चाटने चूसने लगती है जिससे अविनाश की सिसकी निकल जाती है। अविनाश की आवाज सुनकर तृप्ति लंड बाहर निकाल देती है।
तृप्ति : चलो अब उठ जाओ सुबह हो चुकी है आपके लिए चाय लाई हूं।
अविनाश : यार ये चीटिंग है तू कभी भी पूरा काम नहीं करती।
तृप्ति : यार तुम आज अपना पानी बचाकर रखो काम आएगा।
अविनाश :क्यो ऐसा क्या काम है।
तृप्ति : देखों में अब गरम हो गई हूं। तुम एक काम करो मेरी चूत को ठंडा करो जैसे भी चाहों और मैं तुम्हें खुश खबरी सुनाती हूं और तृप्ति अपनी चूत अविनाश के मुंह पर रख देती है


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और कहती है। सुनो मेरी सासू मां तुम्हारी रखैल बनने को तैयार हो गई है।
अविनाश चूत से मुंह हटाते हुए क्या।
तृप्ति: आपसे कहा था कि चूत से अपना ध्यान मत हटाना पहले मेरी बात पूरी सुनना उसके बाद कुछ बोलना। पापा जी ने कहा कि दीप्ति तैयार है तुम्हारी हर बात मानने के लिए। अब हमें दीप्ति को दूसरा शॉक देने का टाइम आ गया है। आज तुम्हारे पास बहुत काम हैं। यहां से पांच किलोमीटर दूर एक मंदिर है तुम वहां जाकर मंदिर के पुजारी को तैयार करो। पहले मैने सोचा था कि इसी गांव का मंदिर ठीक रहेगा। लेकिन अब सोचती हूं कि यहां यदि किसी को हमारी असलियत पता चली तो गडबड हो सकती है। इसलिए थोडी दूर का मंदिर ठीक रहेगा। उससे पहले तुम्हें मेंहदी की व्यवस्था करनी है। मेहंदी लाकर दे देना मैं और अनुष्का दीप्ति के हाथों पर मेहंदी लगा देंगे। और तुम आसपास कोई अच्छा सा ब्यूटी पार्लर सर्च करके बता देना दोपहर को दीप्ति को वहीं ले जाकर मेकअप करवाएंगे। वैसे अभी दीप्ति इसके लिए तैयार नहीं है लेकिन धीरे धीरे उससे हम सभी काम करवा लेंगे। शादी का जोडा और उसके मैचिंग की ज्वैलरी की व्यवस्था तुम्हें करनी है। जिस ब्यूटी पार्लर में दीप्ति को सजाया जाएगा वहां तुम्हें सारा सामना पहुंचाना होगा। और अपने लिए भी दुल्हे की ड्रेस तैयार रखना। शादी एकदम ओरीजनल होगी।
अविनाश : ठीक है मेरी जान, इस बीच तृप्ति दो बार पानी छोड चुकी थी। और अविनाश जल्दी ही तैयार होता है और सबसे पहले बाजार से मेहंदी लाकर तृप्ति को देता है और फिर शहर की ओर निकल जाता है। शहर जाने से पहले अविनाश तृप्ति ने जिस गांव के बारे में बताया था वहां जाता है और फिर अपने लिए कपडे लेता है और माला आदि की व्यवस्था करने के बाद एक ब्यूटी पार्लर में जाता है और दीप्ति के लिए पूरा पैकेज बुक कर देता है। दीप्ति के कपडे भी वो ब्यूटी पार्लर में ही छोड देता है और पूरा पैमेंट करके घर आ जता है। इस काम में 12 बज जाते हैं।
इधर सुबह 8 बजे तृप्ति पहले अनुष्का को उठती है।
अनुष्का : भाभी सोने दो ना रात को कितनी देर से सोई हूं।
तृप्ति : मरवाएगी क्या सारा खेल खराब करके रख देगी।
अनुष्का जैसे ही ये सुनती है कि कुछ गडबड हो रहा है तो वो तुरंत उठकर बैठ जाती है। और कहती है क्या हो गया।
तृप्ति : अभी तो कुछ नहीं हुआ लेकिन जरा भी गडबड की तो जो काम बना है वो बिगड जाएगा।
अनुष्का : क्या काम बन गया।
तृप्ति : तेरी मा अविनाश की सभी बातें मानने को तैयार हो गई है।
अनुष्का खुश होते हुए क्या सच
तृप्ति : हां लेकिन मुझे मालूम है अभी भी दीप्ति पूरे मन से तैयार नहीं है। उसे पूरी तरह से तैयार करना है और तुझे मदद करनी है।
अनुष्का : मैं तो इसके लिए तैयार हंू बोलने की क्या जरूरत है।
तृप्ति : सुन तेरी मां और अविनाश की शादी कराई जाएगी और इसके लिए तुझे अपनी मां को तैयार करना है।
अनुष्का : क्या लेकिन मां इसके लिए तो तैयार नहीं होंगी। जितने के लिए तैयार हुई है वो ही बहुत मुश्किल था।
तृप्ति : अरे मैं हूं ना दीप्ति को हर कदम पर मात देने के लिए। दीप्ति क्या उसकी मां भी शादी करेगी।
अनुष्का : हंसते हुए अच्छा जी अब दादी तक पहुंच गई लेकिन वो तो जिंदा ही नहीं है।
तृप्ति : हंसते हुए, ठीक है लेकिन एकदम से जाकर उससे मत कह देना नहीं तो वो इसके लिए तैयार नहीं होगी।
अनुष्का : भाभी आप तो बस मुझे बताती चली जाना, मुझे तो आपकी हां में हां मिलनी है।
तृप्ति : हां यदि तू मेरे और अविनाश की बात मानती रहेगी तो अविनाश का जो सपना है वो पूरा हो जाएगा।
अनुष्का : कौन सा सपना
तृप्ति : दीप्ति, मुझे और तुझे तीनो को एक साथ एक ही विस्तर पर चोदने का।
अनुष्का : क्या एक साथ
तृप्ति : हां, चिंता मत कर बस महीने भर की बात हैं हम तीनों एक ही विस्तार पर अविनाश को खुश करने में जुटे होंगे।
अनुष्का : शर्माते हुए भाभी आप भी
तृप्ति : चल वो छोड वो तो एक महीने बाद का प्लान है। अभी का प्लान ये है और तृप्ति अनुष्का को सबकुछ समझाती चली जाती है।
जीवन तृप्ति का इंतजार कर रहा था लेकिन तृप्ति अविनाश से बात करने के बाद अनुष्का के पास चली गई थी। वैसे वो इस बात के लिए खुश था कि अब अनुष्का की चिंता कम से कम खत्म हो जाएगी। अविनाश लडका अच्छा है बस दीप्ति वाला मामले में उसकी नियत मुझे सही नहीं लगी। लेकिन उसकी मजबूरी भी मैं समझता हूं।
 
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सुबह 9 बजे अनुष्का जीवन से कहती है कि मां की तबियत सही नहीं है क्या नाश्ते का टाइम हो गया है और मां अभी तक सो रही हैं अभी तक तो ऐसा कुछ नहीं हुआ।
जीवन : अरे नहींं बेटी वो रात को देर से सोई थी अभी उठा देता हूं और जीवन दीप्ति को उठता है।
तीन घंटे की नींद के बाद दीप्ति को थोडी राहत मिली थी। और वो जल्दी से नहाधोकर तैयार होती है. 9.30 बजे दीप्ति नाश्ते के लिए सभी के साथ बैठती है उसे इस समय बहुत शर्म आ रही थी। दीप्ति को पता था कि जीवन ने सभी को बता दिया होगा। जीवन ही बात शुरू करता है
जीवन : बेटा अविनाश नहीं दिखाई दे रहा आज भी उसका नाश्ता उसके कमरे में भेज दिया है क्या।
तृप्ति : नहीं पापा जी वो शहर चले गए थे सुबह
जीवन : क्यो उससे बात नहीं हुई तुम्हारी
तृप्ति : हां बात हुई थी।
जीवन : तो उसने क्या कहा
तृप्ति : जी अविनाश दीप्ति के फैसले से बहुत खुश था। लेकिन वो एक चीज और चाहता है।
जीवन : क्या
तृप्ति : जी अविनाश का कहना है कि यदि दीप्ति इस तरह से उसके साथ सेक्स करेगी तो उसे ग्लानी का अनुभव होगा। और अविनाश नहीं चाहता दीप्ति को इस तरह की शर्मिंदगी का सामना करना पडे। उसे ये ना लगे कि कोई उसका बलत्कार कर रहा है।
तृप्ति की बात सुनकर दीप्ति भी चौंक जाती है। क्योंकि उसे तो उम्मीद थी कि अविनाश ये कहेंगा कि दीप्ति को एक दो घंटे के अंदर उसकेकमरे में भेज दो। लेकिन यहां तो तृप्ति कुछ और ही कह रही थी
जीवन : तो वो चाहता क्या है।
तृप्ति : जी वो चाहता है कि दीप्ति ने जब ये फैसला ले लिया है तो दीप्ति शरीरिक नहीं बल्कि मानसिक रूप से भी पूरी तरह से इसके लिए तैयार हो। आप शायद जानती नहीं हैं। वो आपकी इज्जत के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं लेकिन अनुष्का की बीमारी के कारण उसे बेहद सख्त फैसला लेना पड रहा है।
जीवन : हां मुझे भी मालूम है अविनाश लडका बहुत अच्छा है। दूसरी ओर दीप्ति भी सोचती है कि अविनाश का डिसीजन गलत नहीं है। हां उसके लिए ये सब बहुत मुश्किल जरूर है। लेकिन अविनाश के फैसले को पूरी तरह से गलत नहीं कहा जा सकता। जीवन पूछता है तो फिर उसने क्या कहा तुमसे
तृप्ति : जी वो चाहता है कि दीप्ति के साथ वो मंदिर में
जीवन : क्या मंदिर में
तृप्ति : देखिए बुरा मत मानना, अविनाश ने जब मुझे समझाया तो मुझे भी उसका ये फैसला अच्छा लगा। हम लोग शुरूआत से ही उसके फैसले को गलत मानने लगते हैं। लेकिन जब बाद में सोचते हैं तो लगता है कि वो सही कह रहा है।
जीवन: वो तो ठीक है तुम ये बताओ कि उसने कहा क्या।
तृप्ति : जी वो चाहता है कि मंदिर में वो और दीप्ति भगवान के सामने एक दूसरे को स्वीकार कर ले। वो अपने हाथों से दीप्ति की मांग भरना चाहता है और उनकी मांग में सिंदूर लगाना चाहता है।
दीप्ति : क्या, उसने ये कहा इीप्ति को गुस्सा होता देख तृप्ति कहती ह।
तृप्ति: देखिए मम्मी जी हमें ये गलत लग सकता है। लेकिन आप सोचिए अविनाश कहां गलत है।
दीप्ति : मतलब तू भी इसे सही मान रही है।
तृप्ति : पहले मेरी पूरी बात सुन लीजिएगा। उसके बाद आप फैसला लेना वैसे भी अंतिम फैसला आपका ही होगा। लेकिन मेरी बात खत्म होने दो उसके बाद हम सभी लोग मिलकर तय करेंगे कि क्या किया जाए। लेकिन आपकी राय सबसे महत्वपूर्ण होगी। तृप्ति ने चालाकी से ये कहकर कि सभी की राय से फैसला होगा। कहते हुए दीप्ति के लिए ऑपशन कम कर दिए थे। इसके बाद तृप्ति कहती है देखिए मम्मी जी आप अविनाश के साथ सेक्स करेंगी लेकिन आपके मन में ग्लानी के भाव रहेंगे आप मां भी बन सकती है लेकिन फिर आपके पेट में जो बच्चा पल रहा होगा उसके लेकर तनाव में रहेंगी। इन सबका असर बच्चे पर पडेगा। ऐसे में यदि बच्चा हुआ और उसमें कोई कमी हुई तो हम लोग भगवान को ही दोषी मानने लगेंगे। जबकि गलती हम लोगों की होगी। मिलन सिर्फ शरीर का नहीं बल्कि मन का भी होना चाहिए। आज मम्मी तैयार है और कल को उनका मन बदल गया तो। मैं ये नहीं कर रही मम्मी अपनी बात से पलटेंगी। लेकिन कल कुछ भी हो सकता है। और आधे घंटे में शादी निपट जाएगी। जिससे अविनाश को भी लगेगा कि आप मजबूरी में उसके साथ संबंध नहीं बना रही। और आपको भी लगेगा कि अविनाश के साथ आपका रिश्ता नाजायज नहीं हैं। ऐसे में आप मन से अविनाश का साथ दे पाएंगी। इसलिए अविनाश ने आपसे शादी करने की बात कही थी। आप पहले पांच मिनिट सभी लोग विचार कर लो कि क्या करना है उसके बाद एक एक कर सबकी राय ली जाएगी और अंत में मम्मी की राय ली जाएगी। पांच मिनिट बाद जीवन कहता है तो बहू सबसे पहले तुम बताओ
तृप्ति : मेरी राय में अविनाश जो कह रहा है वो पूरी तरह से सही है, सिर्फ सेक्स की बात नहीं ये बच्चे की शरीरिक और मानसिक स्थिति के लिए भी बेहतर होगा। साथ ही मम्मी को भी तनाव से मुक्ति मिलेगी। नहीं तो सभी तनाव में रहेंगे और जिस काम के लिए हम लोग ये सब कर रहे हैं वो बनने की जगह खराब हो होगा। इसलिए मेरी राय में मम्मी को अविनाश से शादी कर लेनी चाहिए। वैसे भी उसने कहा है कि मम्मी को आपसे तलाक लेने की जरूरत नहीं है। और वो आप दोनों को अलग होने भी नहीं देगा। उसका मकसद आप लोगों को साथ रखने का है। हमारे घर में खुशियां लाने का है। इसलिए मैं अविनाश के फैसले का सम्मान करती हूं और चाहती हूं कि मम्मी अविनाश से शादी करें।
जीवन : रोहित तुम्हारी राय क्या है
रोहित : पापा जी शुरूआत में तो मुझे लगा कि अविनाश की ये शर्त गलत है। लेकिन जब इसके पीछे के कारण समझता हूं तो लगता है कि नहीं अविनाश का फैसला एकदम सही है। सभी की बेहतरी के लिए ये अच्छा कदम होगा। और दूसरा जब वो मां को पत्नी का दर्जा देगा तो उसकी इज्जत का ख्याल भी रखेगा। वो नहीं चाहेगा कि मां की इज्जत पर कोई आंच आए। इसलिए मैं भी चाहूंगा कि मां अविनाश से शादी करे। मेरे मन मेंं ये विचार पहले नहीं आया था। नहीं तो मैँ ही अविनाश से कह देता कि वो मां से शादी कर ले।
जीवन : अनुष्का तुम क्या कहती है।
अनुष्का : पापाजी इस बारे में मैं मम्मी के साथ हूं मम्मी जो फैसला लेंगी मैं उसका साथ दूंगी। लेकिन जहां तक बच्चे की बात तो मैं अविनाश की बात को सही मानती हूं। बच्चे का विकास खुशी के माहौल में होना चाहिए। चाहे गर्भ में चाहे पैदा होने के बाद।
जीवन : लेकिन तुमने अपना फैसला नहीं बताया। तुम दो तरह की बात कर रही हो।
अनुष्का : मैं मम्मी और अविनाश की शादी के हक मेंं हूं लेकिन यदि मम्मी नहीं चाहती तो फिर मेरा वोट मम्मी के साथ है। वो मेरी खातिर इतना कर रहीं हैं कि मेरे में हिम्मत नहीं हैं उनसे और ज्यादा मांग सकूं।
दीप्ति: कैसी बात कर रही है बेटी तेरे लिए तो मैं कुछ भी कर सकती हूं।
अनुष्का : इसलिए कह रही हूं कि मैं भी चाहती हूं कि आप अविनाश से शादी करें लेकिन मेरा वोट आपके साथ है।
जीवन : ठीक है तुम लोगों की बातें सुनकर मुझे भी लगता है कि अविनाश सही कह रहा है। वैसे भी वो मुझे और दीप्ति को अलग नहीं कर रहा है। हमारे वंश को आगे बढाने वाला चिराग हन्ी दे रहा है। इसलिए में वोट भी बच्चों के साथ हैं। यानी सभी की राय है कि ये शादी हमारे घर के लिए बहुत जरूरी है। अब दीप्ति तुम अपनी राय दो जो सबसे महत्वपूर्ण होगी।
दीप्ति : पशोपेश में पडी हुई थी। वो क्या करे यदि मना करती है तो माना जाएगा कि वो घरवालों से अलग चलना चाहती है। और हां बोलती है तो उसकी अविनाश से शादी हो जाएगी। थोडी देर तक दीप्ति शांत रहती है। जिसे देख तृप्ति के चेहरे पर तनाव दिखाई देने लगता है उसे लगता है कि शायद दीप्ति मना कर देगी।
जीवन : बोलो तुम क्या चाहती हों। क्या अभी भी तुम फैसला नहीं कर पा रही हो।
दीप्ति : नजरें झुकाते हुए मैं हमेशा अपने घरवालों के साथ खडी थी और खडी रहूंगी।यदि आप लोगों की इच्छा है कि मैं अविनाश से शादी करूं तो मैं उससे शादी के लिए तैयार हूं।
दीप्ति के जवाब से सभी लोग राहत लेते हैं।
तृप्ति तो फिर मैं फोन करके अविनाश को बता देती है और तृप्ति सभी के सामने अविनाश को फोन लगाती है।
अविनाश : हां तृप्ति
तृप्ति: अविनाश वो मम्मी तैयार हो गई है।
अविनाश : हां तुमने सुबह बताया था।
तृप्ति : अरे में कह रही थी कि वो शादी के लिए भी तैयार हो गई हैं। और इसके बाद तृप्ति की ओर से सिर्फ हां हां जी ठीक है ठीक है तुम देख लो नहीं मम्मी मना नहीं करेंगे की आवाजें ही आती रहती हैं। और फोन कट जाता है।
जीवन : क्या कह रहा था।
तृप्ति : ज्यादा कुछ नहीं वो कह रहा था। कि मम्मी को वो एक मंदिर में आया हुआ है जो यहां से पांच किलोमीटर दूर हैं। क्योंकि यदि यहां शादी का कार्यक्रम करेेंगे तो शायद कोई हमें पहचान सकता है। जिससे दीप्ति की बदनामी हो सकती है। इसलिए पांच किलोमीटर दूर सुनसान मंदिर को चुना है। मंदिर के पुजारी से वो बात कर रहा है कह रहा था कि दस मिनिट में फोन करके बताएगा। साथ ही वो कह रहा था कि मम्मी के हाथों में मेहंदी लगा देने।
जीवन : अच्छा है जो उसने इस गांव से दूर सुनसान जगह पर मंदिर देखा है। वैसे लडका तेज हैं। हमारी इज्जत का भी वो पूरा ध्यान रख रहा है।
रोहित : हां पापा
इसके साथ ही अनुष्का और तृप्ति दीप्ति को कमरे में ले जाती है और उसके हाथ पर मेहंदी लगाना शुरू कर देती हैं।
 
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लगा देती है। रोहित फोन लेकर बाहर आजा जाता है।
रोहित : हैलो अविनाश कोई काम था क्या
अविनाश : अरे मुझे तृप्ति से बात करनी थी।
रोहित : वो मां को मेहंदी लगा रही है। कोई बात हो तो बोलो।
अविनाश : हां बात तो हैं उसके लिए भी और तुम्हारे लिए भी
राहित : बोलो।
अविनाश : देखों मैंने दीप्ति के लिए यहां ब्यूटी पार्लर बुक कर लिया है। तुम दीप्ति को लेकर ठीक दो बजे जीडी ब्यूटी पार्लर पहुंच जाना। जब तुम वहां से निकलो तो मुझे बता देना मैं उसकी लोकेशन तुम्हें भेज दूंगा। यहीं से दीप्ति को मंदिर में ले जाएंगे। चार बजे से पुजारीजी ने टाइम दिया है।
रोहित : ठीक है और मेरे बारे में क्या बात थी।
अविनाश : हां देख तू अकेला है या कोई साथ है।
रोहित : नहीं अकेला हूं। तुम बोलो
अविनाश : एक बात बताओ तृप्ति की मेंं चुदाई करूंगा और उसे मां बना दूंगा। बच्चे को तुम अपना नाम दोगे। यहां तक तो समझ में आता है। लेकिन क्या तुम ये समझ सकते हैं कि किसी औरत में मां बनने के बाद सेक्स की भूख जबरदस्त तरीके से बढ जाती है। उसे सेक्स चाहिए उस स्थिति में क्या होगा।
रोहित : कुछ देर सोचता है फिर कहता है देख तू इतनी मदद कर रहा है हम सबकी, ऐसे में हमारे लिए तो तू ही इसका विकल्प है।
अविनाश: मैं समझा नहीं।
रोहित : तू ही तृप्ति की सेक्स की भूख शांत कर देना।
अविनाश देख ये मुश्किल है क्योंकि अनुष्का से शादी के बाद में तृप्ति से संबंध रखूं ये अनुष्का को अच्छा नहीं लगेगा।
रोहित : नहीं अनुष्ष्काा को तृप्ति तैयार कर लेगी।
अविनाश : ठीक है लेकिन मेरी भी तुम्हें एक बात माननी होगी।
रोहित : क्या
अविनाश : देख में जब तृप्ति का मन होगा तब उसे चोदूंगा लेकिन जब मेरा मन होगा तो तू मना नहीं करेगा।
रोहित : अरे इसमें कोई रोक टोक नहीं है।
अविनाश : बात वो नहीं बात ये है कि यदि मेरा मन हुआ तो मैं तेरे सामने ही तृप्ति को चोदूंगा। तू सिर्फ देखना। हां यदि शामिल होना है तो हो सकता है।
रोहित : लेकिन तुम तो जानते ही हो।
अविनाश : अरे तृप्ति के सारे छेद में खोल दूंगा उसके बाद तुम्हारा सेमी हार्ड लंड भी काम कर जाएगा।
रोहित : ऐसी बात है तो मुझे तुम्हारी हर शर्त मंजूर है।
अविनाश : तृप्ति की तरह दीप्ति के साथ भी मैं ऐसा ही करूंगा। जिससे तुम्हें और तुम्हारे पापा के सामने में किसी को भी कभी भी चोद सकूं। मेरी भी अब कई इच्छाएं है जो तुम लोगों को पूरी करनी है।
रोहित : मैं तुम्हारे साथ हूं। बस तुम तृप्ति को किसी तरह मां बना दो।
अविनाश : चिंता मत करों दो महीने के अंदर तृप्ति प्रेगनेंट हो जाएगी ये मेरा तुमसे वादा है।
रोहित : ऐसी ही हो तो बहुत अच्छा रहेगा। इसके बाद अविनाश फोन काट देता है और रोहित मन ही मन खुश होता है उसकी भी इच्छा थी कि अविनाश उसके सामने ही तृप्ति की चुदाई करे। वो तृप्ति को किसी और से चुदते हुए देखना चाहता था। जबकि अविनाश पूरे परिवार को अपना गुलाम बनाना चाहता था।ं अविनाश रोहित और जीवन को जलील करना चाहता था वो चाहता था कि तृप्ति और दीप्ति उसकी रखैल और पर्सनल रंडियां बन कर रहें और उनके पतियों के सामने भी अविनाश उनकेे साथ छेडछाड करें और उन्हें कोई आपत्ति न हो। उनकी पत्नियां ही उनकी बेइज्जती करें। क्योंकि अविनाश को पता था कि ये दोनों सेक्स में टिक नहीं पाएंगे।इसके बाद जो होगा वो अविनाश इनकी बीबीयों से इन्हें सुनवाएगा। अविनाश को अपना प्लान सक्सैज दिखाई दे रहा था। घर की औरतों की तो उसे पहले ही चिंता नहीं थी अब घर के आदमियों की भी चिंता समाप्त हो गई थी।क्योंकि वो जानता था कि जीवन भी मानसिक रूप से सिरेंडर कर चुका है।
इधर रोहित अपनी तृप्ति के पास पहुंचता है। जो अभी अपनी मां के हाथों में मेहंदी लगाने केे बाद उनके पैरों में मेहंगी लगा रही थी।
रोहित : तृप्ति तुम लोगों को दो बजे एसडी ब्यूटीपार्लर पहुंचना है।
दीप्ति: किसलिए जबकि उसे पता था कि ब्यूटीपार्लर किसलिए जाना है।
रोहित : वो अविनाश का फोन आया था उसने वहां सारी बात कर ली है दो बजे की अपाइटमेंट मिली है। हमें दस मिनिट पहले ही पहुंचना होगा।
दीप्ति : अरे जब शादी सिर्फ दिखावे के लिए हो रही है तो इतना तामझाम करने की क्या जरूरत है। अविनाश के कहने पर में मेहंदी तो लगवा ही रही हूं। ये जरूरी भी होता है शगुन के लिए। लेकिन ब्यूटी पार्लर में जाना तो कोई जरूरी नहीं है।
तृप्ति : अरे मम्मी जी शादी भले ही झूठमूट की हो रही हो लेकिन दुल्हन तो झूठमूट की नहीं है। दीप्ति अभी तक ये ही समझ रही थी कि शादी का कार्यक्रम 15-20 मिनिट में पूरा हो जाएगा। जबकि दूसरी ओर अविनाश ने पूरे इंतजाम कर रखे थे।
दीप्ति : बेमन से ठीक है जैसा तुम लोगों को सही लगे। दीप्ति अभी भी मन से शादी को तैयार नहीं थी। सिर्फ घरवालों के दबाव में वो इसके लिए तैयार हुई थी। लेकिन इसे वो अभी तक नकली शादी अविनाश को खुश करने वाली ही मानकर चल रही थी।
दीप्ति के हाथों में मेहंदी लगाई जाती है। दीप्ति के हाथों पर अविनाश का नाम लिखा जाता है। एक हाथ पर लिखा होता है अविनाश की जान और दूसरी पर आईलवयू अविनाश।


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अपडेट—24
दोपहर करीब डेढ बजे रोहित, दीप्ति और अनुष्का तृप्ति को लेकर अविनाश द्वारा बताए गए ब्यूटी पार्लर पर पहुंचते हैं। अविनाश वहीं गेट पर उनका इंतजार कर रहा था। दीप्ति और अविनाश की नजरें मिलती हैं। दीप्ति को अविनाश का चेहरा आज कुछ ज्यादा ही चमकदार लग रहा था। लेकिन वो अविनाश के चेहरे पर ज्यादा देर तक नजरें नहीं टिका पाती और शरमा कर नजरें झुका लेती है। अविनाश मन ही मन सोचता है कितना भी शरमा लो आज रात को तेरी सारी शर्म दूर कर दूंगा। अविनाश तृप्ति और अनुष्का को रूकने के लिए बोलता है। और दीप्ति का हाथ पकडकर ब्यूटी पार्लर के अंदर चला जाता है। अंदर दीप्ति की बात कराकर वो पूछता है कि कितना समय लगेगा। तो ब्यूटीपार्लर वाली मैनेजर बोलती है सर ढेड घंटा मजाज, फेसियल और बाकी के कामों में लगेगा। आधा घंटा फिर तैयार करने में। अविनाश ठीक है तो मैं डेढ घंटे तक आ जाउंगा। और अविनाश सभी को लकर पास में बने साडियों के शोरूम में पहुंचता है। जहां वो दीप्ति के लिए लहंगा, चोली खरीदता है।
तृप्ति : कुछ सेक्सी नाइटी बगैरह भी ले लो।
अविनाश : लूंगा लेकिन उसके लिए दीप्ति को साथ लेकर आउंगा। उसके सामने ही खरीददारी करूंगा। खाली नाइटी ही नहीं बल्कि ब्रा पेंटी भी खरीदूंगा। लेकिन फिर अविनाश दो दो पीस नाइटी ब्रा और पेंटी के ले लेते हैं। ब्रा पेंटी जलीदार थी और नाइटी जांघों तक पहुंचकर खत्म हो जाती थी। यानी यदि दीप्ति इसे पहने कर जरा भी झुके तो उसकी पेंटी भी दिखने लगे। अविनाश बिल पे कर सवा घंटे में वापस ब्यूटी पार्लर पहुंच जाता है। जहां वो सभी को छोडता है और रोहत से कहता है।
अविनाश : देख तू इन सभी को आधा घंटे बाद मंदिर लेकर आएगा। वहां तो मैं मंडप में बैठ जाउंगा तो शायद उठने का मौका नहीं मिल पाए। इसलिए ठीक सात बजे तू मेरी बाइक लेकर वहां से निकल जाना और जो सामने फूल वाला है उसे अपने साथ घर पर ले जाना और जो नीचे तीसरा रूम में हैं उसे सजवा देना। वैसे फूल वालों में मैंने सबकुछ समझा दिया है तुम्हें कुछ करना नहीं है सात बजे यहां आना है और बेड सजाने वालों को ले जाना है।
रोहित : ठीक है लेकिन हम लोग चार बजे पहुंच रहे हैं और मां कह रही थी कि शादी 10-15 मिनिट में समाप्त हो जाएगी।
अविनाश : वो तो हैं लेकिन फिर भी समय लग सकता है। अविनाश अभी रोहित को सबकुछ नहीं बताना चाहता था। कि दीप्ति जिसे झूठमूट की शादी समझ रही है वो सचमुच की होने वाली हैं। और शादी में किराए के तीन चालीस लोग भी आ रहे हैं। ताकि दीप्ति को मौका ना मिल सके। और इसके बाद अविनाश वहां से सीधा मंदिर पहुंच जाता है। जहां वो तैयार होना शुरू होता है। अपने कपडे वो पहले ही मंदिर पहुंचा चुका था।
सवा चार बजे के करीब दीप्ति को लेकर सभी लोग भी मंदिर पहुंच जाते हैं। जीवन को भी रोहित साथ में ले आया था क्योंकि अविनाश ने कहा था कि उसका रहना जरूरी है। अविनाश दीप्ति को देखता है तो देखता रह जाता है।

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दीप्ति शादी के जोडे में बेहद खूबसूतर दिखाई दे रही थी।
 
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दीप्ति सोच रही थी कि शादी वैसे ही होगी लेकिन मंदिर में शादी का पूरा इंतजाम था। पुजारी पहले दोनों की वरमाला कररवाता है।



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फिर हवर कुंड पर दोनों को बैठने के लिए कहता है और मंत्रोच्चरण शुरू कर देता है। पुजारी कहता है कि कन्यादान कौन करेगा। सभी एक दूसरे का मुंह देखने लगते हैं। तो पुजारी जीवन से कहता है साहब आप सबसे बडे हैं आप ही कन्यादान कर दीजिए वैसे भी लडकी आपके परिवार की ही है। जीवन अचकचाता है लेकिन तृप्ति कहती है कि पापा ये शादी सिर्फ दीप्ति के सम्मान के लिए हो रही है। हमें उसकी मदद करनी चाहिए। वैसे भी हम सभी ने एकमत से शादी के पक्ष में फैसला किया है। तृप्ति की बात सुनकर जीवन ना चाहते हुए थी कन्यादान के लिए तैयार हो जाता है।



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ये देख दीप्ति को जबरदस्त झटका लगता है। वो मन ही मन सोचती है कि जीवन ने मुझे पूरी तरह से अविनाश को सौंपने का मन बना लिया है। कहीं शादी का प्रोग्रम जीवन का ही तो नहीं था। वैसे भी वो पहले भी कहते थे कि मैं किसी और से संबंध बना लूं। नहीं जीवन का तो ये प्रोग्राम नहीं हो सकता। शायद अविनाश ने ही मेरी इज्जत की खातिर मुझसे शादी का निर्णय लिया हो। इसके बाद दीप्ति बिना किसी संकोच के शादी की सभी विधियां पूरी करती है।


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अग्नि के सात फेर लगवता है और सात वचन दिलवाता है। अविनाश दीप्ति की मांग में सुंदूर भरता है


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और उसके गले में मंगलसूत्र पहनाता है।


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अविनाश ने पुजारी से फोटोग्राफर के लिए मना कर दिया था। लेकिन अनुष्का और तृप्ति ने शादी के कई वीडियो और फोटो लिए थ। कुछ वीडियो और फोटो रोहित ने भी लिए थे। अविनाश और दीप्ति के फोन से भी फोटो खींची गई थी।
लगभग चार घंटे बाद पुजारी कहता है कि शादी सम्पन्न हुई। इसके बाद अविनाश और दीप्ति पुजारी के और जीवन के पैर छूते हैं। अविनाश पुजारी को दक्षिणा देता है और फिर रोहित से कहता है कि रोहित मुझे लगता है कि सभी लोगों को भूख लगी होगी पहले किसी अच्छे से होटल में खाना खाते हैं उसके बाद घर चलेंगे।
तृप्ति नहीं अविनाश एक काम करते हैं हम लोग घर चलते हैं। रोहित खाना पैक करवा लाएगा खाना घर पर ही चलकर खाएंगे। क्यों अनुष्का क्या कहती हो।
अनुष्का : हां विचार अच्छा है। इसके बाद अविनाश अपनी बाइक की चाबी रोहित को दे देता है। और गाडी से सभी लोग वापस लौटते हैं। गाडी जीवन चला रहा था। आगे की सीट खाली थी। बीच वाली सीट पर अविनाश और दीप्ति बैठे थे और पीछे वाली सीट पर अनुष्का और तृप्ति। गाडी आगे बढने के साथ ही अविनाश ने दीप्ति का हाथ अपने हाथों में ले लिया। दीप्ति ने कोई आपत्ति नहीं की तो अविनाश समझ गया कि अब ये पूरी तरह से समर्पण को तैयार हो चुकी है।
 
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रेस्टोरेंट में तृप्ति के दबाव देने पर अविनाश और दीप्ति एक दूसरे को अपने हाथों से खाना खिलाते हैं। उसके बाद सभी लोग घर के लिए चलने लगते हैं। अविनाश दीप्ति के हाथ को सहला रहा था तभी दीप्ति अविनाश के हाथ को मजबूती से पकड लेती है। और पूरे रास्ते भर अविनाश के हाथ को पकडे रहती है।
घर पहुंचकर अनुष्का दुल्हा दुल्हन की आरती करती हैं। और फिर दीप्ति को तृप्ति अपने कमरे में ले जाती है। अनुष्का को अपनी मां के पास बैठाकर वो रोहित के पास जाती है।
तृप्ति : सुहागरात वाले कमरे की चाबी कहा है।
रोहित: तृप्ति को चाबी दे देता है।
तृप्ति : आज तुम उपर वाले कमरे में सोना।
रोहित : क्यो
तृप्ति : अरे तेरी मां की सुहागरात बगल वाले कमरे में मनेगी उसकी रात को चीखें निकलेंगी। उसे सुनना है क्या बोल मां की चुदाई भी दिखा दूं।
तृप्ति की बातों से रोहित शरमा जाता है और बिना कुछ कहे उपर चला जाता है। कमरे में पहुंचकर तृप्ति कमरे की पहले सजावट देखती है और इसे देखकर खुश होती है फिर खिलाडियों को सेट करती है।


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वो इस तरह से खिडकी सेट करती है कि बाहर से अंदर का नजारा देखा जा सके। एक खिडकी तो अनुष्का के रूप में खुलती थी और दूसरी जीवन और तृप्ति के रूप के सामने। अनुष्का को तृप्ति ने पहले ही सबकुछ बता दिया था। इसके बाद तृप्ति के रूम में वापस आती है और फिर अनुष्का के साथ दीप्ति को सुहगरात वाले कमरे में लेकर चली जाती है।
बेड को देखकर दीप्ति को फिर झटका लगता है वो बेहद खूबसूरत तरीके से सजा हुआ था। लेकिन फिर अचानक वो शरमा जाती है। जिसे देख तृप्ति कहती है क्या बात हैं सासू मां इतना शरमाओं की तो अपने पति को जो तुम्हारा दामाद भी बनेगा उसे खुश कैसे करोगी। लेकिन दीप्ति कोई जवाब नहीं देती। इसके बाद तृप्ति अनुष्का को अपनी मां के पास छोडकर बाहर आ जाती है और अविनाश के पास पहुंचती है।
अविनाश : अच्छा अब में चलू अपनी दुल्हन के पास। वैसे मिजाज कैसे हैं उसके, शादी के बाद तो लगता है पूरी तरह से ठंडी हो गई है।
तृप्ति : ठंडी नहीं हुई है बल्कि अब उसके शरीर में आग लगी हुई है जिसे तुम्हें बुझाना कम भडकाना ज्यादा है। वैसे ये साफ हो चुका है कि उसने मन से तुम्हें अपना पति मान लिया है।
अविनाश धीरे धीरे विस्तर के करीब पहुचता है। जिसे देख दीप्ति विस्तर से उठकर खडी हो जाती है और झुकर अविनाश के पैर छूती है लेकिन अविनाश बीच में ही उसके दोनों कंधे पकड लेता है।
अविनाश : अरे तुम ये क्या कर रही हो।
दीप्ति : अब आप मेरे पति हैं और पत्नी का ये फर्ज है कि अपने पति के पैर छुए। पत्नी की जगह पति के चरणों में होती है।
अविनाश : देखों ये पुरानी बातों को मैं नहीं मानता, और तुम्हारी जगह मेरे पैरों में नहीं मेरे दिल में हैं। और दिल में ही रहेगी।
अविनाश की बातें सुनकर दीप्ति शरम जाती है।
इसलिए तुम आज चाहे तो उसके एक वर्जिन छेद पर फतेह हासिल कर सकते हो।
अविनाश : उस पर तो मेरी नजर शुरूआत से ही थी।
तृप्ति : और सुनों मैंने खिडकी को सेट कर दिया है ताकि बाहर से हम लोग अंदर का नजारा देख सके। खिडकी की सेंटिंग खराब मत करना।
अविनाश : ठीक है मेरी जान
तृप्ति : क्या कहा दुबारा बोलना
अविनाश : क्यो अच्छा नहीं लगा।
तृप्ति : यार तेरे मुंह से ये शब्द सुनने को तो कान तरस रहे हैं। अब बस मेरी सील भी तोड दे और मुझे अपनी रखैल बना ले।
अविनाश : चिंता मत कर वो दिन भी जल्दी आने वाला है। लेकिन मेरे दूसरे काम का क्या।
तृप्ति : वो भी हो जाएगा मेरे मालिक, वैसे भी हम लोग कल भी रूक रहे हैं और परसो हम लोग वापस लौटेंगे लेकिन तुम और दीप्ति यहीं रहोगे। मेरे विचार से दस दिन बहुत रहेंगे।
अविनाश : हां दस दिन ठीक है उसके बाद तो दीप्ति को सेक्स की ऐसे भूख लगने लगेगी कि वो खुद ही मेरे आगे पीछे मंडराती घूमेगी।
तृप्ति : हां ये तो मुझे भी मालूम हैं। तुम और तुम्हारे हथियार पर मुझे पूरा भरोसा है और आज तो पूरी रात दीप्त की चींखें निकलने वाली है।
अविनाश : हां वो तो निकलेंगी। और अविनाश कमरे में चला जाता है। अविनाश के कमरे में पहुंचते ही अनुष्का खडी होती है और अविनाश को आंख करते हुए कहती है मम्मी को ज्यादा परेशान मत करना। पति पति और हंसते हुए कमरे से बाहर निकल जाती है। दीप्ति धुंघट किए हुए बैठी हुई थी।


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