Incest SINFUL FAMILY

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पापी परिवार--7

बाथरूम मे पहुच कर तनवी ने अपने कपड़े उतारने शुरू किए ..वैसे तो उसे याद नही कि जीत कब उसे हॉल से उठा कर कमरे मे लाया और कब उसके नंगे बदन को कपड़ो से कवर किया ..लेकिन कपड़े बिल्कुल सॉफ्ट और कॉटन के थे ..वाइट छोटा सा टॉप और मॅचिंग कॉटन शॉर्ट कॅप्री ..तनवी ने सबसे पहले कॅप्री को अपने चुतडो से नीचे खीचा

" उफफफफफफ्फ़...... "

दर्द का एहसास होते ही उसने गर्दन पीछे घुमा कर चोटिल चूतडो पर हल्के हाथ का स्पर्श दिया ..नज़रें लाल निशान देखते ही फिर से छलक उठी

कितना प्यार करती थी तनवी जीत से लेकिन किस बुरी तरह से उसके बाप ने उस पर अपना कहर ढाया

अब तनवी ने फ्रेश को कर टॉप भी उतार दिया ..गीजर से पानी हल्का सा वॉर्म हो चुका था ..जैसे तैसे वो शवर के नीचे ख़िड़ी हुई ..भर - भर करता कुनकुना पानी अपने शरीर पर महसूस कर तनवी को बहुत रिलॅक्स फील हुआ ..उसे अब भी लग रहा था जैसे उसकी टाँगो मे जान ही ना बची हो ..जैसे तैसे उसने शवर के टॅप को मज़बूती से पकड़ कर खुद को नीचे गिरने से रोका हुआ था

बालो से बह कर नीचे आता पानी जब उसके चूदडो से हो कर गुज़रता तो चिन्मीनाहट के मारे उसकी आह निकल जाती ..उसने आज सोप का कोई यूज़ नही किया और लगभग 30 मीं. तक शवर के नीचे सेम सिचुयेशन मे खड़ी रही ..या यूँ कह लीजिए कि उसकी हिम्मत नही हुई कि पानी से बाहर निकल सके

" मुझे लेट हो रहा है "

सुबह सोची बात दिमाग़ मे आते ही उसने शवर टॅप बंद कर दिया ..हॅंगर पर टंगा टवल उतार कर धीरे - धीरे हल्के हाथो से अपना गीला बदन सुखाया और सर के गीले बालो पर टवल बाँध ही रही थी कि सामने लगे मिरर मे उसे जीत का चेहरा दिखाई दिया

जीत की नज़रे नीचे झुकी हुई थी लेकिन वो बाथरूम के गेट पर खड़ा था ..तनवी ने होश मे आ कर तुरंत अपने बालो से टवल को खोला और उतनी ही तेज़ी से अपने नंगे बदन पर लपेट लिया

उसकी इस हरकत को जीत ने फ्लोर पर बहते पानी मे देखा ..शायद तनवी ने उसके रात के वहशीपन के चलते अपने बदन पर टवल लपेटा होगा ..ऐसा सोच कर उसे खुद पर लज्जा आई और वो वहाँ से हटने लगा लेकिन वो बाथ रूम के गेट से पलट पाता इससे पहले ही तनवी ने अपने शरीर पर लपेटा टवल वापस खोल कर नीचे गिरा दिया

[ तनवी बचपन से बहुत गोरी ..सुंदर और छर्हरे बदन की लड़की थी ..कभी - कभी तो खुद रश्मि को भी अपनी बेटी के बढ़ते यौवन से जलन होती ..अक्सर पार्टियों मे जीत से मिलने वाले दोस्तों के मूँह से तनवी की तारीफ़ ज़्यादा और रश्मि की कम सुनाई देती ..वैसे लेज़्बीयन होने के अलावा तनवी मे और कोई खोट नही था ..शायद हमेशा खुश रहने के स्वाभाव ने उसके यौवन को वक़्त से पहले ही निखार दिया था ..लंबे बाल ..36सी के बूब्स सुडोल गोलाई के चूतड़ और लगभग 3 - साढ़े 3" की उभरी चूत ..तनवी ने शुरू से ही अपने आप को बिल्कुल नीट &; क्लीन रखा था ..जवानी के बालो को वो ज़रा भी सहेन नही कर पाती और 4 - 5 दिनो के अंतराल से हमेशा उन्हे सॉफ कर लेती ..अभी कल ही उसने अपनी आर्म-पिट ..चूत और आस होल को खूब चमकाया था लेकिन बेचारी को क्या पता था कि कल उसका बाप ही उसकी कुवारि इज़्ज़त को लूटने पर आम्दा हो जाएगा ..आज भी नहाने के बाद उसका जिस्म मार्बल की तरह शाइन कर रहा था ]

जीत को हैरानी हुई क्यों कि अब तनवी न्यूड उसके करीब चलती आ रही थी ..जैसे - जैसे उसकी बेटी के कदम उसकी तरफ बढ़ते हर कदम पर जीत का दिल बुरी तरह धड़क उठ ता ..जब तनवी और जीत मे सिर्फ़ 1/2फीट का फासला रह गया तब तनवी अपने घुटनो पर नीचे बैठ गयी

" डॅड प्लीज़ मुझे मारना मत ..मैं बिना कहे आप का जी भर के चूसुन्गि "

तनवी ने फफकते हुए रुआसी आवाज़ मे कहा और अपने हाथो को ऊपर उठा कर जीत की जीन्स का बटन अनलॉक करने लगी

एक तो तनवी का बुरी तरह से सिसकारियो के साथ रोना और दूसरा जीत के सामने ऐसी बात कहना ..जीत को लगा जैसे अभी ज़मीन फॅट पड़े और वो उसमे समा कर अपने गुनाह से मुक्त हो जाए ..उसका शरीर थर - थर कापने लगा ..हाथ जाम गये ..वो तुरंत वहाँ से हट जाना चाहता था लेकिन दिमाग़ था जो बिल्कुल सो चुका था

तनवी ने जीन्स का बटन अनलॉक कर दिया था और कमर मे हाथ डाल उसे नीचे खीचने लगी ..रात को पहने कपड़ो मे जीत ने ब्रीफ नही डाली थी ..जीन्स उतार कर उसके घुटनो तक आ गयी ..लंड पर निगाह जाते ही तनवी ने अपना चेहरा आगे किया लेकिन एक बात जो उसने महसूस की वो थी लंड मे तनाव ना के बराबर होना ..जबकि जीत पिच्छले 5 मीं से बाथरूम मे तनवी को नंगा देख रहा था ..उसे जीत की कल वाली बात भी याद आई जब उसने बोला था की ' तेरी आँखें खुली रहनी चाहिए '

तनवी ने अब लंड से नज़र हटा कर ऊपर उठानी शुरू की साथ ही लंड पर अपने हाथ का पहला स्पर्श दिया ..जैसे ही उसकी आँखे अपने डॅड की आँखों से टकराई ..जीत की आँखों से पहला आँसू निकल कर उसकी बेटी के गाल पर गिरा ..उसने पूरी ताक़त से तनवी को ऊपर उठाया और किसी फूल की तरह अपने सीने से चिपका लिया

" आइ'म सॉरी "

बस इतना कह कर उसने बुरी तरह से तनवी को चूमना शुरू कर दिया ..उसके गाल ..माथे पर हज़ारों चुंबनो की वर्षा कर दी ..तनवी का सर अब उसकी छाती मे छुपा हुआ था और वो काफ़ी देर तक रोते हुए उसकी पीठ पर अपना हाथ फेरता रहा ..तनवी भी खुद को रोने से नही रोक पाई ..उसने जीत के पाश्‍चाप को स्वीकारा और अपने हाथ उसके गले मे डाल कर किसी गुड़िया की तरह चिपक गयी

जब बाप बेटी पूरी तरह से एक दूसरे को माफ़ कर चुके तब जीत बाथ रूम मे लगे बाथ टब पर बैठ गया ..तनवी अब भी उसकी मजबूत बाहों मे थी ..जीत ने उसे पेट के बल घुमाया और कल रात जिस तरह उसकी पैंटी को उसके शरीर से उतारा था सेम उसी पोज़िशन मे ले आया ..तनवी बड़े गौर से उसकी हर्कतो को नोट रही थी और दोनो के होंठ कुछ ना कहने की स्थिति ने पूर्ण रूप से बंद थे

जीत ने देखा कल की अपेक्षा आज घाव ज़्यादा बढ़ गया है ..तनवी के चूतड़ पहले के मुक़ाबले सूजे हुए हैं ..जीत जानता था कि ये ग़लत है जो आज फिर तनवी उसकी बाहों मे नंगी लेटी है पर उसे खुशी थी कि कम से कम उसकी बेटी ने उसे माफ़ तो किया ..उसने अपने हाथ का हल्का स्पर्श उसके चूतड़ पर दिया और तनवी के मूँह से चीख निकल गयी ..जीत ने पास रखी आंटिसेपटिक लिक्विड की बॉटल उठा कर उसके कुछ ड्रॉप्स घाव पर गिराए और बिल्कुल सॉफ्ट हाथ से घाव को सॉफ करने लगा

लोशन ने पूरे चूतडो पर झाग बना दिया ..जीत अपनी ग़लती सुधारने मे खोया था और तनवी अपनी सोच मे ..जीत की जीन्स नीचे सर्की होने की वजह से उसका लंड तनवी के पेट से चिपका था और तनवी के बड़े - बड़े बूब्स उसकी जाँघ से ..यहाँ कोई और मर्द होता तो ना जाने कब का लंड तनवी की कुँवारी चूत ने पेल देता लेकिन जीत ने आज खुद के जज़्बातो को कंट्रोल मे रखा था कि जो न्यूड जिस्म उसकी नज़रो के सामने है वो किसी और का नही अपनी खुद की बेटी का है

सब कुछ ऐसे ही चल रहा कि जीत के हाथ चूतडो की दरार को खोलने लगे ..ऐसा उसने अन्द्रूनि घाव को चेक करने के लिए किया लेकिन चूत का उभर क्लियर होते ही जीत के लंड ने अपनी पहली ठुमकि मारी जिसे तनवी ने अपने पेट पर महसूस किया और वो बुरी तरह शर्मा गयी

" डॅड बाकी मैं कर लूँगी "

जीत समझ गया कि तनवी को उसके लंड के खड़े होने का एहसाह खुद के पेट पर होने लगा है लेकिन वो खुद कैसे घाव की सफाई करेगी ये सोच कर जीत ने खुद को कंट्रोल करने की बहुत कोशिश की लेकिन एक बार किसी मर्द का लंड चूत की झलक देख ले फिर कहाँ उसे चैन मिलता है ..यहाँ पर तो चूत वर्जिन थी वो भी किसी डबल पाव की तरह

जीत ने देखा कि अब उसकी कंट्रोलिंग पवर घटेगी नही सिर्फ़ बढ़ेगी ही तो उसने जल्दी से बाथ टब का पानी लेकर घाव को धोया और बाथ - रूम के हॅंगर पर किसी सॉफ कपड़े की तलाश मे नज़रें घुमाने लगा ..मन मुताबिक वहाँ कोई कपड़ा मौजूद ना होता देख जीत ने वापस तनवी को गोद मे उठाया लेकिन उसके कदम आगे बढ़ते इस से पहले ही उसकी अनलॉक जीन्स पूरी तरह उतर कर फ्लोर पर गिर पड़ी ..माजरा देख तनवी के मूँह से हसी तो छूटी लेकिन तुरंत ही उसने खुद पर काबू भी कर लिया ..अब जो होना था सो हो गया

जीत ने जीन्स को अपनी टाँगो की मदद से वहीं बाथ - रूम मे छोड़ा और तनवी को ले कर उसके कमरे मे आ गया ..गोद मे उल्टी लेटी तनवी दूसरी बार जीत का खड़ा लंड इतने नज़दीक से देख रही थी ..जीत ने जिस ताक़त के साथ उसे थामा ..तनवी को इस उमर मे उसकी ऐसी पार्सनालटी की उम्मीद कतयि नही थी

" स्ट्रॉंग मॅन "

तनवी के मन ने उसकी बात का पूरा साथ दिया


बेड पर अपनी बेटी को इस तरह लिटाया जाए ये सोचने मे जीत को अपना मूँह खोलना ही पड़ा

" कैसे ? "

तनवी पेट के बल उसकी गोद मे थी लेकिन उसकी बात का अंदाज़ा लगा लिया

" ऐसे ही लिटा दीजिए "

स्लो वाय्स मे तनवी का जवाब सुन जीत ने उसे सेम पोज़िशन मे बेड पर लिटाया और अगले ही पल तनवी कंट्रोल खोते हुए ज़ोर से हंस दी

वजह थी जीत का खड़ा लंड जो उसकी टी-शर्ट के नीचे अपना सर उठाए खड़ा था ..तनवी को हँसते देख जीत को ख़ुसी हुई ..शायद उसकी बेटी ने उसे कल के लिए पूरी तरह से माफी दे दी थी

" बिल्कुल भी कंट्रोल नही ..छ्हीईई...... "

जीत ने देखा तो तनवी अपने मूह पर हाथ रख कर हौले - हौले हंस रही थी ..जीत की आँखों ने अपनी बेटी की आँखों का पीछा किया तो पाया तनवी के मुस्कुराने की वजह टी-शर्ट के नीचे खड़ा उसका मूसल लंड है

उसने तुरंत ही लंड को टी-शर्ट से कवर किया लेकिन कोई लुल्ली नही थी जो छुप जाता ..ना जाने कैसे जीत के चेहरे पर भी स्माइल आ गयी

" जब नही हो तथा तो क्यों बाचते हो कथा "

तनवी ने फिर से व्यंग मारा ..जीत शर्मा कर कमरे से बाहर जाना चाहता था लेकिन इस बार तनवी ने जान कर दर्द की आह भरी

" वो क्रीम उधर है "

वॉर्डरोब के कपबोर्ड की तरफ इशारा कर तनवी ने उसे कमरे से बाहर जाने से रोक दिया और जीत क्रीम उठाने चल दिया

जीत के पलटने से उसके मांसल चूतड़ देख तनवी की चूत आज पहली बार किसी मर्द के नाम पर गीली हुई ..उसने हाथ से चेक किया तो चूत ने लावा उगलना शुरू कर दिया था ..तनवी ने मन मे कुछ सोचा और तुरंत ही जीत को परखने का आइडिया लगा लिया ..अपनी टांगे चौड़ा कर वो इस पोज़िशन मे लेट गयी ताकि क्रीम लगाते वक़्त डॅड को उसकी वर्जिन चूत के खुल कर दर्शन हो सकें

हालाकी ताली एक हाथ से नही बजती तो उसने दोनो पहलुओ से सोचा ..पहला बाप और दूसरा एक आम मर्द लेकिन चूत मे बढ़ती खुजली उसकी बर्दास्त से अब बाहर थी ..शायद जीत के प्रति उसका ये पहला सेक्षुयल अट्रॅक्षन था और लेज़्बीयन सोच से से मुक्ति ..जो रश्मि भी चाहती थी .

कपबोर्ड से क्रीम निकाल कर जीत पलटा तो उसकी नज़रे बेड पर लेटी तनवी पर गयी ..कमरे मे दिन का काफ़ी उजाला आ चुका था और सब कुछ दूर से भी क्लियर दिखाई देने लगा

जीत ने देखा तनवी के हाथ उसके चूतडो पर घूम रहे है लेकिन उसके हाथ की उंगली खुद की वर्जिन चूत की फांको को कुरेद रही थी ..जीत की लाइफ का ये पहला मौका था जब उसने अपनी बेटी को खुद की गीली चूत से खेलते पाया ..लंड तो पहले से ही इतना तन चुका था कि मानो टूट कर गिर जाएगा ..अपने आप ही उसका हाथ लंड को गिरफ़्त मे लेने के लिए ऊपर उठा और मुट्ठी बना कर हाथ ने लंड की खाल को आगे पीछे करना शुरू कर दिया ..यहाँ शायद बाप बेटी दोनो का मन अपने तंन के हाथो मज़बूर था

तनवी ने अपनी आँखें खोली और जीत की आँखों मे देखा लेकिन एक पल के लिए भी उसने अपनी उंगली चूत के मूँह से हटाने की कोई कोशिश नही की ..यही हाल जीत का था उसके हाथ लगातार लंड को हिलाए जा रहे थे ..कुछ वक़्त तक दोनो की नज़रे मिली रही और तनवी ने शर्मा कर आँखें फिर से बंद कर ली ..जीत ने सोचा उसका इस तरह से अपनी बेटी के कमरे मे नंगा रहना बिल्कुल भी वाजिब नही ..अगर उसके लंड को तुरंत रिलॅक्स नही मिला तो शायद आज कुछ ऐसा हो जाएगा कि बाप - बेटी कभी एक दूसरे से आँख मिलाने लायक नही रहेंगे

" डॅड दवाई लगने से क्या घाव सही हो जाएगा ? "

तनवी की बात कान मे सुनाई पड़ते ही जीत को फिर से वही मंज़र दिखाई दिया जब उसने वहशी पन के चलते बेल्ट मारते हुए तनवी के चूतडो पर खून उखेड़ा था ..शायद तनवी की बात का अर्थ ये था कि उसके तंन के घाव तो सही हो जाएँगे लेकिन मन के घावों का क्या ..जो उसके सगे बाप ने बड़ी बहरामी से अपनी बेटी के दिल पर बनाए थे ..जीत ने कोई जवाब नही दिया बस उसके कदम बेड की तरफ बढ़ गये ..सोच मे खोने का नतीजा ये हुआ कि कमरे से बाहर जाने की बात भी उसके दिमाग़ से पूरी तरह निकल गयी

बेड पर जीत के बैठने की जगह बनाने के लिए तनवी ने खुद को बेड के सेंटर मे खिसकाया और जीत उसके बगल मे अपने घुटने मोड़ कर बैठ गया ..खड़ा लंड सर उठाए बहुत ही भयानक दिखाई दे रहा था जिसे तनवी अपनी कनखियों से जीत की नज़र बचा कर देखने लगी

" आहह...... "

जीत ने ट्यूब से क्रीम निकाल कर उसके चूतडो पर हल्की उंगली से लगाई तो तनवी की आह निकल गयी ..उसने उकड़ू बैठने की कोशिश की तो

जीत ने उसकी कमर पर अपनी कोहनी का दवाब डाल कर मना कर दिया

" डॅड मुझे बहुत पेन हो रहा है ..रहने दो "

वाकई मे तनवी दर्द से तड़प रही थी

" बस थोड़ी देर और "

जीत ने बस इतना सा जवाब दिया और अपना चेहरा चूतडो के पास कर नीचे झुका लिया ..घाव देखने मे आसानी की वजह से उसने ऐसा किया लेकिन तनवी की लगातार बहती चूत की खुश्बू से उसका रहा सहा सबर भी खोने लगा

" उफफफफफ्फ़ .....खुजली "

तनवी ठीक टाइम पर पंच मारती हुई अपना हाथ पीछे ले जा कर चूत की फाँक को सहलाने लगी..खुद के रस से सन कर उसकी उंगलियाँ चिप - चिपि हो गयी ..चेहरा नीचे झुके होने से जीत इस व्यू को बड़े गौर से देख रहा था और उसके खड़े लंड से प्री कम की बूंदे सुपाडे पर छलक आई

" डॅड आप को भी खुजली हो रही है क्या ? "

तनवी ने उसके गीले सुपाडे को देख कर कहा तो जीत की बॉडी मे बहता पूरा खून रुक गया उसने अपने हाथ से लंड छुआ ही था कि तनवी ने तेज़ी दिखाते हुए अपनी उंगली उसके गीले सुपाडे पर टिका दी

" तनवी..... "

जीत बुरी तरह से चीख पड़ा

" डॅड आप मेरे उधर खुजा दो मैं आपके यहाँ खुजली कर देती हूँ "

तनवी जो भी कर रही थी फुल कॉन्फिडेन्स और फुर्ती से ..जीत उसकी तेज़ी के मुक़ाबले आधा भी नही था ..तनवी ने बात को पूरा करते हुए जीत का फ्री हाथ अपनी फूली कुँवारी चूत पर दबा दिया और दोनो इस मस्ती भरे एहसास से बुरी तरह काँप उठे

" डॅड खुजाओ ना ..मुझसे रहा नही जाता "

रही सही कसर तनवी ने अपनी बात को कह कर पूरी कर दी और खुद उसके गीले सुपाडे पर अपनी नरम उंगली को फेरते हुए आहें भरने लगी ..जीत ने कुछ भी सोच पाने की स्थिति को खो दिया और अपनी कड़क उंगली का घर्षण चूत की कोमल देह पर देने लगा ..अब बाप बेटी दोनो मस्त थे ..जीत की आँखें बंद थी तो तनवी ने इस वक़्त को ठीक समझा अपने मन की बात जान ने के लिए

" डॅड एक बात पूछु "

तनवी ने लंड को अपनी मुट्ठी मे भर कर कहा ..पूरा हाथ लपेटने पर भी लंड उसकी पकड़ से अधूरा था

" ह्म्‍म्म्म...... "

जीत ने बिना आँखें खोले जवाब दिया

" डॅड आपने कल मुझे सिर्फ़ इस लिए मारा था ना ..क्यों कि मोम के जाने के बाद आपकी सेक्षुयल नीड्स पूरी नही हो पाती "

तनवी लंड को ऊपर - नीचे हिलाते हुए मास्टरबेट करने लगी ..जीत के कानो मे ये बात गयी और उसने झटके से अपनी उंगली चूत के मूँह से हटा दी

" डॅड खुजाते हुए बोलो ना ..अच्छा लग रहा है "

तनवी ने उसकी मनोदशा को ताडा और उसका हाथ फिर से अपनी चूत पर दबा दिया ..जीत काफ़ी देर तक उसके सवाल का जवाब ढूंढता रहा

" रश्मि ने मुझे बताया था कि तू एक नॉर्मल ज़िंदगी से दूर जाने लगी है ..तो मुझे अफ़सोस हुआ "

जीत ने काफ़ी स्लो वाय्स मे जवाब दिया

" डॅड अगर मोम को इस बात से तकलीफ़ थी तो मुझे बात सकती थी ..मैं कभी उनका दिल नही दुखाती ..बट आप ने कल "

तनवी रुआसी हो कर बेड पर बैठी और जीत से सीने से चिपक गयी

" डॅड मैं बिल्कुल अकेली हो गयी हूँ ..मैने मोम को नही मारा ..आप जैसा चाहोगे मैं वैसा ही करूँगी ..लेकिन डॅड मेरे मन से लेज़्बीयन होने वाली बात शायद कभी नही जा पाएगी क्यों कि मुझे लड़को मे कोई इंटेरेस्ट नही "

तनवी सिसकते हुए चुप हो गयी लेकिन जीत ने उसे अपने से अलग नही किया और ना ही उसकी किसी बात का कोई जवाब दिया ..वो किसी गहरी सोच मे डूबा था और उसकी सोच वाकई बहुत गहरी थी ..' तनवी के कहे अनुसार वो लड़को के प्रति कभी अट्रॅक्ट नही हो पाएगी ' बस अब उसकी सिर्फ़ यही बात जीत के कानो मे गूँज रही थी

अचानक से जीत ने तनवी का माथा चूमा और उसे बेड पर बैठा छोड़ खुद फ्लोर पर खड़ा हो गया ..उसने अपने शरीर से टी-शर्ट उतार कर दूर फेक दी

" देख तनवी लड़के ऐसे होते हैं ..किसी तरह के डर की कोई बात नही बस तुझे अपने मन से ये लेज़्बीयन होने का भ्रम मिटाना होगा ..मैने कल रात जो किया उसके लिए बहुत शर्मिंदा हूँ ..हाथ जोड़ कर अपने किए की माफी भी माँगता हूँ ..हो सके तो मुझे माफ़ कर देना बेटी "

इतना कह कर जीत अपना सर झुकाए कमरे से बाहर जाने लगा

" डॅड "

तनवी ने उसे आवाज़ दी तो जीत ने पलट कर उसके चेहरे को देखा

" आप मेरा डर ख़तम करेंगे ..बाहरी दुनिया मे मुझे किसी और पर कोई भरोसा नही ..मैं जानती हूँ हम फादर - डॉटर हैं और ये ग़लत होगा लेकिन अगर मोम होती तो वो भी मेरा साथ देती इस जंग से लड़ने मे ..बोलिए डॅड क्या आप मोम की कमी को पूरा करेंगे ? "

तनवी ने अपनी बाहें फैला कर कहा तो जीत खुद को रोक नही पाया ..अगले ही पल दोनो वापस आलिंगन मे थे लेकिन इस बार ना तो किसी की आँखें नम थी ना दिल मे मलाल ..था तो सिर्फ़ मुस्कुराता चेहरा

" मंज़ूर है लेकिन एक हद तक ..ना ही हम इंटरकोर्स करेंगे ना ही तू मुझे इस बात के लिए फोर्स करेगी "

जीत ने उसके चेहरे को हाथ से ऊपर उठा कर कहा जो शरमाहट के मारे तनवी ने उसकी चौड़ी छाती मे छुपा लिया था

" ओके सर ..पर ये इंटरकोर्स क्या होता है ? "

उसकी बात सुन जीत आज पूरे 10 दिन बाद खुल कर हसा था

" सब बता दूँगा फिकर मत कर "

जीत ने तनवी के लाल हो चुके गाल को चूम कर जवाब दिया


" लेकिन आप का ये बहुत बड़ा है "

तनवी ने उसके खड़े लंड पर अपने हाथ की मुट्ठी बना कर कहा

" तेरी मोम को बहुत पसंद था "

जीत उसके कोमल हाथ का एहसास फील कर मस्ती मे आ गया

" मुझे भी आएगा डॅड ..यू डोंट वरी "

तनवी लंड को पकड़े हुए बेड पर बैठ गयी ..कल जो डर उसकी आँखों मे था ..आज वो बिल्कुल नही घबरा रही थी ..उसने लंड के सुपाडे को स्किन पीछे खीचते हुए बाहर निकाला और जीत की आँखों मे देखते हुए अपनी जीभ सुपाडे पर गोल घुमा दी ..लंड उसके बड़े - बड़े बूब्स के ठीक ऊपर था

" आहह.....तनवी ..यू आर डॅम हॉट "

जीत के हाथ उसके सर पर पहुच गये लेकिन आज उसने तनवी पर किसी तरह का कोई दवाब नही डाला ..बल्कि बड़े प्यार से वो उसके बालो मे अपनी उंगलियाँ घुमाने लगा

" आज मुझे आप की पर्मिशन की कोई ज़रूरत नही ..ये अब सिर्फ़ मेरा है "

तनवी ने जीत को अपनी आँख मारी और लंड की टिप से चाट ती हुई उसके गोल टट्टो पर पहुच गयी ..टट्टो को मूँह मे भरने के लिए तनवी को पूरी तरह से अपने होंठ खोलने पड़े लेकिन उसने हार ना मानते हुए आख़िरकार दोनो टट्टो को एक साथ अपने मूँह के अंदर समा ही लिया

जब टटटे उसकी थूक से पूरी तरह सन गये तब उसने उन्हे अपने मूँह से बाहर निकाला और जीभ से खुद का थूक चाटने लगी ..चाट - चाट उसने दोनो टटटे एकदम लाल कर दिए

" डॅड अपनी टाँग को बेड पर रख लो आंड डॉन'ट योउ डेअर टू डिस्टर्ब मे "

तनवी ने बोलते हुए खुद ही उसकी एक टाँग बेड पर रख दी और बेड से नीचे खिसकती हुई टट्टो के एंड पॉइंट पर पहुच गयी ..वहाँ उसने पसीने से लथ्पत और बालो से घिरा जीत का आस होल देखा ..दो मिनट तक उसकी खुश्बू सूंघ तनवी की आँखों मे चमक आ गयी और फिर बिना किसी देरी के वो जीभ से गान्ड का छेद चाटने भिड़ गयी ..हलाकी ये उसने अपनी लेज़्बीयन सोच के चलते किया ..क्यों कि अक्सर वो अपनी लेसबो पार्ट्नर'स के आस होल चाटा करती थी

वहीं जीत फटी आँखों से तनवी की हरकतें देख रहा था ..माना रश्मि को भी ये सब पसंद था पर तनवी आज पहली ही बार मे इतना आगे निकल जाएगी जीत को अचंभा हुआ ..उसने तनवी को रोका नही बल्कि मस्ती मे अपनी आँखें मूंद ली ..छेद पर जीभ की छेड़ - छाड आनंद दायक थी

अनचाहे बाल तनवी की जीभ को परेशान कर रहे थे ..रह - रह कर वो उसके मूँह मे चले जाते और होल की चटाई रुक जाती

" मैं आज ही शेव कर लूँगा "

जीत ने उसकी परेशानी को समझ कर खुद ही बोल दिया

" थ्ट्स माइ डॅड "

तनवी भी उसकी बात का समर्थन करती हुई वापस ऊपर आने लगी ..वापसी मे फिर से टट्टो से होती हुई उसकी जीब सुपाडे पर पहुचि और अगले ही पल पूरा सुपाड़ा तनवी के मूँह मे था

कल की बात ध्यान मे आते ही उसने अपना टूटा आइ कॉंटॅक्ट फिर से जोड़ा और दोगुने जोश से वो जीत को टीस करने लगी ..जीब का घर्षण और होंठो का दबाव इतना ज़्यादा था कि जीत की बॉडी तुरंत ही अकड़ गयी

" उूुुउऊहह तनवी ....सक इट स्लोली बेबी "

उसके गरम मूँह की तेज़ी से जीत जल्दी झाड़ जाता जो उसे कतयि गवारा ना हुआ ..उसने इशारे से तनवी को सकिंग स्पीड कम करने की सलाह दी और अब खुद भी धीरे - धीरे लंड को उसके मूँह मे अंदर - बाहर करने लगा ..नीचे तनवी के दोनो हाथ लगातार उसके टट्टो को मसले जा रहे थे ..शायद ये भी एक वजह थी जीत का बेहतर स्टॅमिना इतने जल्दी क्रॅक होने की

थोड़ी देर बाद तनवी ने अपने हाथो को टट्टो से हटा कर जीत की जाँघो पर रखा और ज़ोर दिखाते हुए लगभग पूरा लंड अपने गले मे उतारने की कोशिश करने लगी

8" का लंड अगर किसी के गले मे फस जाए तो उसकी क्या हालत होगी इस बात से ना तो जीत अछूता था ना ही तनवी ..बड़ी कोशिशों के बाद भी वो खुद को चोक होने से नही रोक पाई ..आँखें बड़ी होने से आँसू छलक कर उसके गालो को गीला करने लगे

" आअहमम्म्ममम .......तनवी लीव इट "

जीत ने मज़े मे भी उसकी तकलीफ़ को पहचान कर उसे टोका लेकिन तनवी नही मानी ..पूरी ताक़त लगा कर उसने अपनी ठोडी जीत के टट्टो से टच करवा ही दी

" आआअहह....... बेटा मैं आया "

जीत चिल्लाया और उसके लंड ने लावा उगलना शुरू कर दिया ..तनवी की सहेन - शक्ति ख़तम होते ही लंड उसके मूँह से आधा बाहर निकल आया लेकिन अभी भी सुपाड़ा मूँह मे वीर्य की पिचकारी पर पिचकारी छोड़े जा रहा था ..आज लगभग 3 महीने बाद जीत झाड़ा था वो भी अपनी बेटी के मूँह मे

जब लंड से स्पर्म निकलना बंद हुआ तब तनवी ने झटके से अपना मूँह खोला और सारा वीर्य उल्टी के ज़रिए जीत के लंड और टाँगो पर बह गया ..तनवी ने जम कर 5 बार मूँह से पानी छोड़ा और थकान से बहाल हो कर बेड पर लेट गयी

" डॅड सॉरी मुझसे नही हुआ ..मैं कमज़ोर पड़ गयी "

तनवी ने अपनी चढ़ि सांसो को कंट्रोल करते हुए कहा

" रिलॅक्स "

जीत बाथ - रूम की तरफ जाते हुए बोला ..उसके चेहरे पर फुल सॅटिस्फॅक्षन महसूस कर तनवी रिलॅक्स होने लगी

वापस आने के बाद जीत ने भी उसे ओरल सेक्स का पूरा प्लेषर लौटाया जो आज भी जारी है लेकिन जो वादा दोनो ने आपस मे किया था वो कभी नही टूटा ' नो इंटरकोर्स ' ....

क्रमशः..............................................
WOW MAST EROTIC UPDATE
 
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पापी परिवार--8

दीप को तनवी के बारे मे बता कर जीत ने जो झटका दिया दीप उसे सह नही पाया और ऑफीस के बेड पर ही उसे नींद ने अपने आगोश मे ले लिया

वहीं घर पर सभी मेंबर्ज़ अपने अपने कमरो मे बंद थे ..रात को तकरीबन 12 बजे निम्मी अपने कमरे से बाहर निकली ..दिन मे अपने डॅड के साथ हुई घटना के बाद ये उसका पहला कदम था अपने रूम से बाहर निकल्ने का ..शायद भूख की वजह से वो नीचे हॉल से होती हुई किचन मे पहुचि और देखा तो उसकी प्लेट ज्यों की त्यों सजी रखी थी ..कम्मो ने डिन्नर के वक़्त उसे 20 सों आवाज़ें दी कि हॉल मे आ जाए लेकिन निम्मी ने उसका कोई जवाब नही दिया ..एक मा होने के नाते वो निम्मी की प्लेट को लेकर उसके कमरे मे भी गयी लेकिन निम्मी ने सोने का ऐसा नाटक किया जैसे सच मे बहुत गहरी नींद मे हो और थक हार कर कम्मो ने वापस उसकी प्लेट को किचन मे रख दिया ..रात लेट सोने की आदत से वाकिफ़ कम्मो ने सोचा जब उसकी नींद खुलेगी अपने आप खाना खा लेगी

माइक्रोवेव मे खाना गरम कर निम्मी ने सिर्फ़ एक रोटी खाई और पलट कर किचन से बाहर निकल गयी ..हॉल मे पहुच कर डाइनिंग - टेबल पर रखे 2 - 3 केलों पर झपट्टा मार वो स्टेर्स चढ़ती इससे पहले उसकी नज़र ग्राउंड फ्लोर पर बने अपनी बड़ी बहेन निक्की के कमरे की विंडो की तरफ घूमी ..खिड़की से बाहर आती ट्यूब - लाइट की रोशनी देख उसे अंदाज़ा हो गया कि निक्की अभी सोई नही है ..उसने एक बनाना छील कर उसका छिल्का आदत अनुसार . फ्लोर पर गिराया और धीमे कदमो से उसके रूम की तरफ बढ़ने लगी

" दी बहुत बोर इंसान है ..फिर आज मुझे नींद भी नही आ रही ..कोई मुर्गा भी नेट चॅट के लिए नही है क्यों ना आज दी का दिमाग़ खाया जाए ..वैसे भी उस बस्टर्ड से बदला लेने के लिए मुझे उसकी ज़रूरत पड़ सकती है "

ऐसा मंन मे सोच निम्मी के शैतानी मंन ने अंगड़ाई ली और उसके हाथ ने रूम का गेट नॉक कर दिया

लगभग 5 सेकेंड का वक़्त भी नही बीत पाया होगा और निक्की ने गेट खोल दिया ..सामने खड़ी अपनी छोटी बहेन को देख कर उसे एक करेंट सा लगा ..बात दरअसल ये थी कि आज पूरे 3 महीने बाद निम्मी उसके कमरे मे आई थी ..भले ही दोनो बहनो की आपसी बात - चीत हमेशा से अच्छी रही लेकिन रूम मे आना जाना ना के बराबर था ..निक्की ने तो अक्सर यही चाहा कि वो निम्मी को वक़्त दे सके ताकि उसकी छोटी बहेन के नेचर मे थोड़ी तो कूलनेस आए लेकिन उसे क्या पता कि निम्मी का माइंड सेन्स तो आइनस्टाइन को भी फैल करने के लिए काफ़ी था

निक्की ने जिस स्पीड से गेट खोला अगर निम्मी का गेट किसी ने नॉक किया होता तो उसे 5 मिनट तो खुद के नंगे बदन को कपड़ो से ढकने मे लग जाते और निम्मी की इस गंदी आदत से घर का हर सदस्य अच्छी तरह से वाकिफ़ होने से गेट पर वेट करना किसी को भी आखरता था

" मिस वैजयंती माला ..अगर आप की इजाज़त हो तो क्या ये मल्लिका शेरावत आपके कमरे मे आ जाए ? "

निम्मी ने हँसते हुए निक्की से कहा ..अकसर अपनी बहेन का ड्रेसिंग सेन्स देख उसे पुरानी अदाकारा वैजयंती माला की याद आ जाती और तो और अब वो निक्की को इसी नाम से बुलाती भी थी

" हां हां आजा ..वैसे आज तेरे पवन कदम मेरे ग़रीब खाने मे कैसे पधारे ? "

निक्की ने भी सेम उसी मजाकिया अंदाज़ मे जवाब दिया

" ऊफ्फ ओह ..गेट से तो हट दी "

निक्की की बात सुन निम्मी भी बड़ी कातिल अदा के साथ हाथ मे पकड़े केले को अपने मूँह मे डाल कर चूसा और हल्का सा दांतो का कट बना कर बाहर निकाल दिया ..सीन देख निक्की के तन बदन मे तो जैसे आग ही लग गयी ..केला बिल्कुल लंड के आकार मे आ गया था

" सुधर जा ..सुधर जा ..वरना बहुत मार खाएगी मुझसे "

निक्की ने गेट से हट कर उसे रूम के अंदर आने दिया और बिना गेट को लॉक किया उसके पीछे चलती हुई खुद भी बेड पर बैठ गयी

" दी गेट तो लॉक कर दे ..ऐसे खुला अच्छा नही लगता "

निम्मी ने केले के साथ की हुई हरकत को दोहराते हुए कहा

" उससे क्या प्राब्लम है ..वैसे भी मैं अपने रूम मे कुछ भी ऐसा नही करती जिससे मुझे गेट को लॉक करना पड़े "

निक्की ने अपना चेहरा उसी किताब मे झुका कर कहा जिसे वो थोड़े वक़्त पीछे निम्मी के कमरे मे आने से पहले पढ़ रही थी

" दी क्या तू भी मुझे बेशरम समझती है ? "

निम्मी ने अपने हाथ मे पकड़े फ्रेश केले से उसकी कमर को गुद गुदाते हुए पूछा

" ओउछ्ह्ह..... निम्मी मुझे ऐसे मज़ाक कतयि पसंद नही ..तो ये लास्ट वॉर्निंग है तेरे लिए ..समझी "

निक्की की कमर पर केले के एहसास ने उसे बेड पर उच्छलने पर मजबूर कर दिया ..बाद मे उसने गुस्से से निम्मी को अपनी उंगली दिखाते हुए डांटा

" क्या यार मेरा सारा रोमॅंटिक मूड ख़तम कर दिया ..छोड़ अगर तुझे बुरा लगा हो तो सॉरी ..मैं जा रही हूँ "

निम्मी ने बुरी सी शकल बनाते हुए ड्रामा किया और बेड से उतर कर रूम के बाहर जाने लगी

" मतलब कि कमरे से चली जाएगी लेकिन सुधर नही सकती ..ओये नोतंकी चल वापस जा "

निक्की उसके नाटक को समझ कर बोली ..उसको पता था कि निम्मी एक नंबर. की ड्रामे बाज़ है

" पहले मुझे सॉरी बोल "

निम्मी ने बिना पलते ही अपना फ़ैसला सुनाया और इंतज़ार मे अपने बढ़ते कदमो को रोक लिया

" तो मल्लिका जी ..मैं अपने कान पकड़ कर आप से क्षमा मांगती हूँ ..क्या आप इस वैजयंती को माफी दे कर कृतार्थ करेंगी "

निक्की ने उसका मूड बनाते हुए कहा और निम्मी ने उसकी तरफ पलट ते हुए अपने मोती जैसे दाँत बाहर निकाल दिए ..निम्मी के इस खूबसूरत अंदाज पर तो कामदेव भी फिदा हो जाते ..वो इस वक़्त एक ब्लॅक 1 पीस स्कर्ट पहने खड़ी थी जो स्ट्रॅप से उसके कंधे को और नीचे से सुडोल जाँघो को कवर कर रहा था ..ब्रा ना पहेन होने का एहसास उसकी चूचियों के तने निपल स्कर्ट के उपर हिस्से पर निशान बनाते हुए गवाही दे रहे थे और तो और स्कर्ट के नीचे पहनी डार्क रंग की छोटी सी थ्रेड पैंटी का धागा उसकी जाँघ से नीचे लटक रहा था ..माना निक्की का बदन अपनी छोटी बहेन के मुक़ाबले ज़्यादा भरा था लेकिन जो अदाए लड़को पर कहेर ढाने के लिए एक लड़की मे होनी चाहिए वो निम्मी मे कूट - कूट कर भरी थी ..उसका ये रिलॅक्स्ड पोज़ देख एक पल को निक्की की पलके झपकना भूल गयी और उसके अंतर मंन ने अपनी छोटी बहेन की तारीफ़ मे ' वाह ' की अर्ज़ी ठोक दी

" ऐसे नही ..अपने दिल से सॉरी बोल "

निक्की को अपने सपने मे खोता देख निम्मी ने उसे बात के ज़रिए जागाया

" हां - हां दिल से सॉरी "

निक्की ने खुद की सोच पर मुस्कुराते हुए अपनी दोनो बाहें हवा मे उठा दी जैसे अपने प्रेमी को आलिंगन मे लेने की भीख माँग रही हो

" अब तो तू गयी दी ..तेरा रेप हुआ समझ "


प्यार के वशीभूत निम्मी खुद को रोक नही पाई और हाथ मे पकड़े केले को ज़मीन पर गिरा कर दौड़ती हुई बेड पर उच्छल गयी ..निक्की को कतयि इसकी उम्मीद नही थी ..कहीं निम्मी को चोट ना लग जाए इस के चलते उसे भी तुरंत ही बेड पर लेटना पड़ा और अगले ही पल निम्मी उसके लेटे बदन से बुरी तरह लिपट गयी ..या यूँ कहिए गिर पड़ी ..वजन और हाइट सेम होने से दोनो लड़कियों के उभार एक ज़ोरदार दबाव से आपस मे टकराए तो जैसे चिंगारी निकल गयी ..दोनो के अनटच बूब्स पर ये पहला घर्षण था फिर चाहे मर्द का हो या किसी औरत जात का ..निक्की एक ढीले टॉप मॅचिंग का फुल लोवर पहने थी और ब्रा से उसके बूब्स बुरी तरह से जकड़े हुए थे ..वहीं निम्मी की गान्ड हवा मे लहरा रही थी और अपने मुड़े घुटने उसने निम्मी की कमर के आजू बाजू निकाल रखे थे ..नतीजा उसकी स्कर्ट खिसक कर लगभग आधी पीठ पर आ गयी और शानदार व्यू बनाती थेराड पैंटी से 70 % बाहर निकले गोल चूतडो की दरार पूरी तरह से विज़िबल हो गयी

जाने क्यू निक्की को उसके शरीर का भार अपने शरीर पर बिल्कुल भी महसूस नही हो रहा था और तो और निम्मी की ऊपर उठी गान्ड को ढकने की भी उसने कोई कोशिश नही की

" अब बोल ..कभी डान्टेगी मुझे "

निम्मी ने उसके दोनो हाथो पर अपने हाथ रखते हुए कहा लेकिन दोनो के बूब्स अभी भी उसी दवाब से चिपके थे ..निम्मी को आज वैसे भी डीप ने बहुत गरम कर दिया था बट निक्की इस मीठे दर्द से बिल्कुल अंजान थी

" नही डाटुन्गि मेरी मा ..अब उठ मेरे ऊपर से "

निक्की ने उसकी उठी गान्ड से नज़र हटाते हुए कहा ..दोनो के मूँह से निकलती गरम साँसे और उन सांसो के चलते बूब्स का घर्षण बेहद आनंद दायक था ..जो फीलिंग निक्की को आज हुई उसे पा कर वो बहुत अजीब सा महसूस कर रही थी

" नही उठ ती ..आज मैं तेरा रेप करने के मूड मे हूँ ..हा हा हा हा ..मैं गब्बर तू बसंती "

निम्मी ने उसकी मनोदशा को ताड़ते हुए जवाब दिया ..कहीं ना कहीं वो इसे अपने गेम का ही पार्ट मान चुकी थी

" पागल गेट खुला है और निकुंज भैया का रूम बिल्कुल बगल मे है ..ठीक नही होगा अगर वो इस वक़्त कमरे से बाहर निकल आए तो "

निक्की ने उसे अपनी समस्या बताई लेकिन वो चाहती थी कि निम्मी उसके उपर इसी तरह से थोड़ी देर और लेटी रहे

[ यहाँ एक बात बताना चाहूँगी ..घर के 1स्ट्रीट फ्लोर पर निम्मी और उसके पेरेंट्स का कमरा है और ग्राउंड फ्लोर पर निक्की और उसके भाई निकुंज का ..बात सिर्फ़ नेचर की थी जिसने करमो का डिस्ट्रिब्यूशन अपने आप ही कर दिया था ]

" तो अगर ये गेट लॉक होता तो क्या तू मुझे अपना रेप करने देती ? "

निम्मी ने अपने होंठ उसके होंठो के करीब ला कर पूछा ..वो जान कर साँसें भी बड़ी गहरी और तेज़ी से ले रही थी

" समझा कर ..बचपना छोड़ ..भले भैया की नींद कुंभकारण को मात करती हो लेकिन अच्छा नही लगता ..अगर वो बाहर आ गये तो बेवजह डाँट पड़ेगी "

निक्की ने इस बार उसकी स्कर्ट को अपने हाथ से पकड़ा और नंगे पैंटी बंद चूतडो को ढकने लगी अचानक से उसका हाथ गान्ड पर घूम गया और वो निम्मी की पकड़ से आज़ाद हो गयी

" उईईइ मा ..छ्हीई मेरे पिछवाड़े को हाथ लगाती है "

ये बोल कर निम्मी ने बदला लेने की गर्ज से उसके लेफ्ट बूब को हाथ मे भर कर ज़ोर से पंप किया और उसके ऊपर से हट गयी

" आअहह ...निम्मी...... "

निक्की ने लगभग चीख छोड़ दी

" क्या हुआ दी ? "

निम्मी ने फिर से उसी बूब को छुना चाहा लेकिन तब तक निक्की ने खुद को सम्हाल लिया और उसका हाथ हटा कर खुद भी बेड पर बैठ गयी

" तेरा दिमाग़ तो सही है "

निक्की ने उसे डांटा ..उसके टॉप पर निम्मी के हाथ से रिंकल बन गये थे

" मैने क्या किया ..तूने मुझे वहाँ छुआ तो मैने तेरे वहाँ छु कर बदला ले लिया "

निम्मी ने अपने एक हाथ की उंगली से बूब्स की तरफ इशारा किया और दूसरे हाथ की उंगली अपनी गान्ड की तरफ कर दी ..सब जानते हुए भी भोलेपन का नाटक उसे बचपन से ही पसंद था

" वो तो मैने उसे तेरी स्कर्ट से ढका था लेकिन तूने तो मेरी जान ही निकाल दी "

निक्की ने उसकी बात से शरमाते हुए उसके मुलायम गाल पर प्यार की थपकी दे कर कहा

" सॉरी दी "

निम्मी ने अबकी बार मायूसी का नाटक किया तो निक्की ज़ोरो से हंस दी

" अच्छा छोड़ तू ये बता किसी ख़ास काम से कमरे मे आई थी क्या ? "

निक्की ने टॉपिक चेंज करते हुए कहा

" वो दी वो..... "

निम्मी क्या बहाना उसे देती ये सोचने मे उसके शैतानी दिमाग़ ने अपना काम शुरू कर दिया

" हां हां बोल "

निक्की अब पूरी तारह से नॉर्मल हो चुकी थी

" वो दी ..पहले प्रॉमिस करो डान्टोगी नही "

जब तक निम्मी के माइंड ने उसे रूम मे आने का एक बढ़िया सा बहाना सूझा दिया तो उसके चेहरे पर एक अजीब तरीके के भाव तैरने लगे

" गेट लॉक कर दू क्या ? "

निक्की भी समझ गयी कि बात कुछ पर्सनल है

" नही दी खुला रहने दो लेकिन मैं कैसे पूच्छू मुझे समझ नही आ रहा "

निम्मी ने अपना चेहरा नीचे झुका लिया

" अरे मैं तेरी बड़ी बहेन हूँ और उससे पहले एक लड़की ..मुझसे कैसा घबराना ..तू बेझीजक पूछ जो पूछना है "

बात का सीरीयस - पन निक्की के चेहरे पर भी शो होने लगा

" हेर रिमूवर यूज़ करने से कोई प्राब्लम तो नही होती ना "

निम्मी ने एक साँस मे अपनी बात पूरी की और अपने दोनो हाथो से अपना चेहरा छुपा लिया ..जब निक्की को उसकी बात समझ आई तो उसके भी गाल शरम से लाल हो गये

" हेर रिमूवर "

शब्द मूँह से निकाल कर निक्की अतीत की यादों मे खो गयी जब उसके सर पर एक बोल्ड मॉडेल बनने का भूत सवार था ..तब उसके शरीर मे बहुत से बदलाव भी आना शुरू हो गये थे ..MC ..ब्रा की उपयोगिता ..पॅड चेंजिंग ..बॉडी के अन्द्रुनि हिस्सो पर बाल और भी कयि तरह की बातें ..लेकिन अपने शर्मीले नेचर के चलते ना तो वो इन चीज़ो के बारे मे अपनी माँ से कभी पूछ पाई नही ही किसी फ्रेंड से ..बाद मे कम्मो ने ही उसकी मनोदशा को भापते हुए थोड़ा वक़्त निकाल कर उसे हर बदलाव के बारे मे बखूबी समझाया ..यहाँ बात अगर निम्मी की नेचर की करें तो वो बिल्कुल अपनी बहेन से अलग थी और इंटरनेट के ज़रिए उसने खुद ही सब कुछ सीख लिया ..आज हालात ने निम्मी को अपनी बहेन से 80 % ज़्यादा आगे निकाल दिया था

" क्या सोच रही हो दी ? "

निम्मी की आवाज़ से निक्की का ध्यान टूट गया

" कुछ नही ..खेर हेर - रिमूवर यूज़ करने से कोई प्राब्लम नही आती "

निक्की ने उसके सर पर हाथ फेर कर कहा

" वो दी मुझे हेर्स से अपने यहाँ बहुत स्ट्रेंज सी फीलिंग आती है ..मैं कल ही खरीद कर यूज़ करूँगी "

निम्मी ने ये बोलते हुए अपनी चूत पर उंगली से इशारा किया और चेहरे को वापस ढक लिया

" अरे इसमे इतनी शरमाने वाली बात कहाँ है ..रुक मैं देती हूँ ..मेरे पास है "

ये बोल कर निक्की बेड से उतर कर अपने बाथ - रूम मे चली गयी लेकिन सच बात तो ये थी कि आज तक उसने कभी अपनी झान्टे सॉफ नही की थी ..बहुत घना जंगल उसकी चूत पर उगा हुआ था ..साथ ही उसे निम्मी की बात पर थोड़ी हैरानी भी हुई ..कहाँ इतना मोर्डर्न गेट - अप और अब तक हेर - रिमूवर यूज़ नही किया

" ये ले ..खुद लगा लेगी या मैं मदद करूँ "

निक्की ने क्रीम निम्मी के हाथ मे दे कर कहा

" ःऔउउउउउउ ......आप कितनी गंदी हो दी "

निम्मी ने उसकी बात का ये मतलब लगाया कि निक्की खुद उसकी झाटों को सॉफ कर देगी

" अरे मैं सॉफ नही करूँगी ..सिर्फ़ मेतड बताने के लिए ऐसा बोला ..बेवकूफ़ "

निक्की हंसते हुए बोली और साथ मे निम्मी भी मुस्कुरा दी

" मैं यूज़ कर लूँगी ..डोंट वरी "

ये बोल कर निम्मी बेड से उतर कर खड़ी हो गयी

" अच्छा सुन ..कल के लिए मुझे एक लोवर दे दे ..मेरे दोनो लोवर बुककेट मे गीले पड़े हैं "

हर रोज़ 5 बजे सुबह निक्की निकुंज के साथ दौड़ने जाती थी और साथ मे योगा भी करती

" दी आप को टाइट होगा ..मेरा वाला तो मुझे भी बहुत फिट आता है "

निम्मी ने कुछ दिन पहले एक लोवर खरीदा था ..लेकिन छोटे कपड़ो की आदत के चलते पहेन नही पाई

" चल ठीक है ..मैं ट्राइ कर लूँगी "

निक्की की आँखें वापस उसी किताब मे खो गयी जिसे पढ़ने मे वो थोड़ी देर पहले बिज़ी थी


" मैं अभी ला कर देती हूँ ..थॅंक्स फॉर दिस क्रीम और; "

निम्मी रूम से बाहर जाते हुए .........और......... पर रुक गयी

" और; क्या ? "

निक्की ने उसका चेहरा देख कर पूछा

" आइ लव यू मिस वैजयंती माला "

निम्मी ने एक फ्लाइयिंग किस उसकी तरफ उछाल दी

" लव यू टू मिस मल्लिका "

निक्की ने किस को हाथ मे पकड़ कर अपने गालो से लगा लिया और निम्मी दौड़ती हुई अपने रूम मे आ गयी ..वॉर्डरोब से लोवर निकाल कर वो वापस निक्की के रूम मे जाने को पलटी ही थी कि उसके दिमाग़ मे एक बात आई

" क्यों ना कल कोई ड्रामा किया जाए ..अगर लोवर मुझे इतना फिट आता है तो दी को कितना आएगा "

ये सोच कर उसने टेबल के कपबोर्ड से एक ब्लेड निकाली और लोवर की स्ट्रेचिंग थ्रेड काटने लगी

" हे हे हे हे ..कल आएगा मज़ा "

ब्लेड से थ्रेड काटने के बाद उसने लोवर को बॅक साइड से खीच कर देखा तो समझ गयी कि अगर निक्की कल इस लोवर को पहेन कर झुकी तो उसका पिच्छवाड़ा ओपन हो जाएगा वो भी निकुंज के सामने

उसने लोवर को वापस रॅप किया और निक्की के बेड पर फेक कर लौट आई ..निक्की ने एक नज़र लोवर पर डाल कर देखा और वापस अपनी पढ़ाई मे व्यस्त हो गयी ......

क्रमशः.....................................
WOW MAST EROTIC UPDATE
 
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अगली सुबह 5 बजे निक्की की नींद खुली ..वैसे वो अलार्म का यूज़ करती है लेकिन रोज़ इसी टाइम उठने की आदत होने से अलार्म शायद ही कभी बज पाया हो

बेड पर बैठ कर उसने 2 मीं. अपनी प्रेयर को दिया और फिर बाथरूम मे एंटर हो गयी ..फ्रेश होने के बाद उसे रन्निंग पर जाने के लिए चेंज करना था ..उसने बेड पर पड़ा लोवर और वॉर्डरोब से एक टॉप निकाला और वापस बाथरूम मे जाने लगी

" निम्मी कह रही थी ये मुझे टाइट होगा ..मिरर मे देख कर ट्राइ करती हूँ "

ये सोच कर उसने रूम गेट लॉक किया और मिरर के सामने खड़ी हो गयी

थोड़ी देर पहले किए गये फेस वॉश से उसका चेहरा काफ़ी निखार गया था ..आँखों मे हल्की - हल्की नींद की खुमारी ..ललामी ..कुल मिला कर निक्की एक चलता फिरता बॉम्ब थी लेकिन ऐसा बॉम्ब जो फॅट नही सकता

मिरर साइज़ उसकी हाइट से बड़ा होने से उसकी पूरी लेंग्थ उसमे शो हो रही थी ..उसने हाथ कमर पर ले जा कर अपने टॉप के दोनो निच्छले सिरो को पकड़ा और एक झटके मे टॉप उसके बदन से अलग हो गया ..ब्ल्यू ब्रा मे क़ैद उसकी चूचियाँ बेहद तनी थी

[ ये जवान होने की निशानी है जो अक्सर सुबह सो कर उठने पर लड़कों के लंड और लड़कियों के बूब्स उन्हे तने मिलते हैं ]

बूब्स पर नज़र जाते ही निक्की ने एक बार पलट कर गेट लॉक होना कन्फर्म किया और हाथ अपनी पीठ पर लेते हुए ब्रा का हुक खोल दिया ..ब्रा खुलते ही बूब्स बाउनसिंग के साथ बाहर आ गये ..जाने कितने दिनो बाद निक्की अपनी नंगी चूचियों को शीशे के सामने देख रही थी ..अभी 6 महीने पहले जब उसका एक पार्टी मे जाना हुआ तब उसने आख़िरी बार अपने बूब्स पर गौर किया था

" साइज़ बढ़ा हुआ सा लग रहा है "

उसके मूँह से सडन्ली निकला और फिर खुद ही अपनी बात पर शर्मा गयी

कल रात उसकी जो चूची निम्मी ने दबाई थी उस पर हाथ फेर कर निक्की को थोड़े मीठे दर्द का एहसाह हुआ

" उफफफफ्फ़ !!!!!!!! ये लड़की पूरी पागल है ..कितना स्ट्रेंज सा लगता है जब ये दब्ते हैं "

ये कह कर उसने बारी - बारी दोनो बूब्स को थोड़ा पंप किया और फिर निपल पर अपनी उंगली को राउंड मे घुमाती हुई मस्त होने लगी ..कुछ एहसास ऐसे होते हैं जिनका मज़ा लिए बैगेर ही इंसान बूढ़ा हो जाता है और इन्ही एहसासो से निक्की अब तक अंजान थी

अचानक उसकी नज़र अपनी नेवेल के नीचे से शुरू हुई हेर लाइन पर गयी उसने तुरंत निपल्स को छोड़ा और हाथ नीचे लाते हुए उन बालो को छुने लगी ..रात को पहने नाइट लोवर के फ्रंट स्ट्रॅप को थोड़ा और नीचे सरकाने पर उसकी घनी झटों की शुरूवात दिखाई देने लगी

" हेर - रिमूवर "

उसके मूँह से निकला और कमर से लोवर के दोनो हिस्सो को पकड़ कर उसने लोवर अपनी टाँगो से बाहर निकाल दिया ..अब उसके बदन पर एक मात्र ब्रा कलर मॅचिंग ब्लू पैंटी बची थी

" ओह माइ गॉड "

ये बोल कर निक्की ने हैरानी से अपने मूँह पर हाथ रख लिया ..वजह ही कुछ ऐसी थी ..पैंटी के ऊपरी स्ट्रॅप से तो बाल बाहर आते दिखाई दे ही रहे थे साथ ही पैंटी की निचली दोनो साइड'स भी उन्हे बाहर निकलने से रोकने मे असमर्थ थी

" शिट मॅन ..मैं तो पूरी जंगली हूँ "

निक्की ने अपना हाथ पैंटी के अंदर डाल कर कहा ..शायद अब वो बालो की क्वांटिटी और लंबाई चेक कर रही थी

" निक्की उठ गयी क्या ..लेट हो रहा है "

इस से पहले उसके हाथ पैंटी को भी उतारते ..रूम के बाहर खड़े उसके भाई निकुंज ने उस से पूछा ..नुकूँज की आवाज़ सुन निक्की ऐसी उच्छली जैसे उसका भाई उसके सामने खड़ा हो कर उसकी हरकतें देख रहा हो और तुरंत ही निक्की ने टेबल पर रखे टॉप को उठा कर अपनी छातियों को कवर किया ..जब उसकी नज़रें रूम के लॉक्ड गेट की तरफ घूमी तब उसे समझ आया कि ये सब सिर्फ़ उसकी इमॅजिनेशन है

" हां भाई बस 5 मीं. "

निक्की ने खुद की सांसो को कंट्रोल किया जो इस डर से बेहद तेज़ हो गयी थी कि निकुंज उसके कमरे मे खड़ा उसे नंगा देख रहा है

" मैं हॉल मे न्यूज़ पेपर पढ़ रहा हूँ ..बी क्विक "

निकुंज ने उसका जवाब सुन कर कहा ..अब जा कर निक्की थोड़ा रिलॅक्स हुई

" मैं भी क्या - क्या सोचती रहती हूँ "

शरम से उसके गाल बिल्कुल टमाटर हो गये ..फिर उसने देर ना करते हुए फ्रेश टॉप पहना और निम्मी का दिया लोवर पहेन ने लगी ..जैसा उसकी बहेन ने बताया था ये लोवर तो उस से भी ज़्यादा टाइट निकला

" क्या कर रही है ..हम लेट हो रहे हैं "

निकुंज का एक और बार टोकना हुआ और निक्की ने ज़मीन पर लेट कर जैसे तैसे उसे अपनी कमर तक चढ़ा ही लिया ..वारड्रोब के सहारे वो वापस खड़ी हुई ..उसके चूतडो पर लोवर की ऐसी पकड़ बंन गयी थी जैसे लोवर उसकी ही स्किन हो

" बड़ा अनकंफर्टबल है ये तो ..दौड़ूँगी कैसे ? "

शीशे मे अपनी बाहर निकली गान्ड पर हाथ फेर कर उसने कहा और दौड़ती हुई रूम के गेट पर पहुच गयी ..गेट के पीछे टँगे ट्रॅक अपर को पहेन कर फुर्ती मे उसकी चैन लगाई और कमरे से बाहर हॉल मे आ गयी ..जल्दबाज़ी मे ब्रा ना पहेन पाने की वजह से उसने उपर डाल लिया था

" हे हे हे हे ..इतनी गर्मी मे ये ट्रेकअपर ..देख मैने तो अपने शॉर्ट्स निकाल लिए हैं "

हॉल के सोफे से उठ कर निकुंज ने उससे कहा

" भाई मैने ऐसे ही डाल लिया "

निक्की भी समझ रही थी कि अभी अगर उसे उपर मे इतनी गर्मी लग रही है तो रन्निंग करते वक़्त उसका क्या हाल होगा

" इसे उतार दे खामो - खा दिमाग़ पर भी गर्मी चढ़ जाएगी "

निकुंज ने उसके सर पर हल्की सी चपत लगा कर कहा

" ओके भाई मैं अभी रूम मे रख कर आती हूँ "

ब्रा पहेन ने की गर्ज से निक्की ने उसे जवाब दिया ..वो चाहती थी इसी बहाने कम से कम वो टॉप के नीचे ब्रा तो पहेन लेगी

" यहीं सोफे पर रख दे ..हम ऑलरेडी 30 मिनट. लेट हैं ..धूप निकलने पर कोई मतलब नही एक्सर्साइज़ का "

मजबूरन निक्की को अपना ट्रेक अपर उतार कर सोफे पर रखना पड़ा ..निकुंज के मेन गेट को अनलॉक करने के बाद निक्की भी उसके साथ ही घर से बाहर निकल गयी ..आज वो पहली बार इतनी बुरी कंडीशन मे घर से बाहर आई थी ..बिना ब्रा के बूब्स और चूतडो पर इतना कसा लोवर

कार स्टार्ट कर निकुंज ने उसे पार्क की तरफ मोड़ दिया ..रोज़ दोनो सुबह इसी पार्क मे रन्निंग करते ..फिर जब तक निकुंज रिलॅक्स करता तब तक निक्की योगा और वहीं से दोनो निकुंज के मल्टी जिम चले जाते ..हालाकी निक्की जिम मे बोर ही होती थी लेकिन अकेले घर लौटने का कोई साधन भी तो नही था

पार्क के बाहर कार पार्क कर निकुंज दौड़ता हुआ उसके अंदर चला गया ..निक्की ने जैसे ही अपना पहला कदम आगे बढ़ाया ..उसे एहसास हो गया कि लोवर मे उसका रन्निंग करना बहुत मुश्किल है ..तभी वो पैदल चलती हुई पार्क के अंदर आ गयी ..पार्क का पहला राउंड लगाने पर निकुंज ने उसे भी दौड़ने का इशारा किया तो बेचारी मना नही कर पाई ..धीरे - धीरे ही सही लेकिन वो दौड़ने लगी ..अचानक पीछे पलट कर निकुंज ने उसे देखा वो वो बड़ी धीमी गति से उसके पास चली आ रही थी ..निक्की को ये भी पता था कि अगर उसने तेज़ी दिखाई तो बिना ब्रा के बूब्स बेहद ज़्यादा बाउन्स करेंगे और उसके भाई को भी पता चल जाएगा कि उसने आज कोई ब्रा नही पहनी है ..इसी शरम और लाज के चलते उसकी दोहरी हालत हो गयी

निकुंज :- " क्या हुआ रन्निंग क्यों नही कर रही ? "

निक्की :- " थोड़ा पैर मे दर्द है "

निकुंज :- " डोंट वरी ..आज स्ट्रेचिंग मे मैं तेरी हेल्प कर दूँगा "

निकुंज ने प्यार से उसके गालो पर हाथ फेर कर कहा ..यही तो दोनो का प्यार था कि आज इतना टाइट लोवर पहने होने पर भी निकुंज की नज़र एक बार भी निक्की के निचले धड़ पर नही गयी थी

निकुंज ने उसकी बहेन के पेन के चलते अपनी रन्निंग स्पीड को स्लो किया ताकि निक्की भी उसके साथ ही दौड़ सके ..अब निक्की भी थोड़ा नॉर्मल हो गयी थी शायद निकुंज का अपनी बहनो के प्रति बिहेवियर ही उसे अपने भाई के इतने नज़दीक किए हुए था ..धीरे - धीर दौड़ कर दोनो ने पार्क के 5 राउंड लगाए और थक हार कर सेंटर मे बने लॉन की नरम घास पर बैठ गये

" थोड़ा रिलॅक्स कर ले फिर योगा कर लेना ..आज मैं भी यहीं डिप्स लगाउन्गा और जिम मे खाली मशीन "

इतना कह कर निकुंज अपनी डिप्स का पहला सेट पूरा करने लगा ..वहीं ज़मीन पर बैठी निक्की को ऐसा फील होने लगा जैसे लोवर ने उसकी चूत और गांद को बुरी तारह भीच से रखा हो ..गर्मी के मारे पूरी पैंटी पसीने से लथ पथ थी यहाँ तक की झान्टो मे हल्की - हल्की खुजाल भी शुरू हो गयी थी ..उसने सर नीचे झुका कर अपनी टाँगो के बीच देखा तो उसकी फूली चूत का उभार एक दम क्लियर दिखाई दे रहा था

" चल अब लेट जा ..मैं स्ट्रेच करवाता हूँ "

अपनी डिप्स का सेट पूरा कर निकुंज खड़ा हो गया ..नीचे बैठी निक्की का सर झुका होने से आज पहली बार निकुंज की नज़र उसके बूब्स क्लीवेज पर पड़ी ..दोनो उभारो के बीच जो गहराई और स्पेस दिखाई दे रहा था उससे निकुंज कन्फर्म हो गया कि अभी निक्की ने ब्रा नही पहनी है ..तभी निक्की और नीचे झुकी तो निकुंज की आँखों के सामने उसके हाफ बूब्स आ गये ..निक्की का सर नीचे को झुका था ..उस फुलाव पर नज़र पड़ने के बाद तो जैसे निकुंज के होश ही उड़ गये ..उसने खुद का गीला गला अपनी थूक से तर किया और ग़लती को स्वीकारते हुए चेहरा दूसरी तरफ घुमा लिया

" मेरी तो डिप्स लग गयी "

निकुंज ने जान कर उँची आवाज़ मे अपनी बात कही ताकि निक्की को अपनी हालत का अंदाज़ा हो सके ..हुआ भी यही भाई की आवाज़ कान मे पड़ते ही निक्की होश मे आ गयी ..तुरंत ही उसने सर ऊपर उठा कर निकुंज की तरफ देखा तो उसे दूसरी तरफ देखता पाया ..निक्की ने उसी तेज़ी से हाथ पीछे ले जा कर टॉप को भी ठीक कर लिया

" कितनी डिप्स लगाई भाई ? "

अपनी हालत पर कंट्रोल कर निक्की ने उसके भाई का ध्यान अपनी तरफ खीचा

" 50 के 3 सेट मारूँगा ..देख मेरे डोले शोले "

निकुंज ये कहता हुया हँसने लगा ..शायद ये हँसी बनावटी थी जिससे वो थोड़ी देर पहले हुई ग़लती को भूलना चाह रहा था

" हे हे हे हे ..मस्त हैं "

निक्की भी सेम इसी हालत मे मुस्कुराइ

" चल लेट हो रहा है ..तू लेट जा मैं पैर मोड़ता हूँ "

इतना कह कर निकुंज ज़मीन पर अपने घुटने के बल बैठ गया ..निक्की ने एक गहरी साँस ली और लॉन की नरम घास पर अपनी पीठ के बल लेट गयी ..वो बड़ी मुश्किल से घुटनो को पेट के ऊपर ला पाई थी ..रह - रह कर लगता कि लोवर फॅट जाएगा ..शरमाहट और घबराहट का मिला जुला संगम महसूस कर उसने अपनी आँखों को बुरी तरह भीच लिया

वहीं निकुंज को जब तक उसे कुछ समझाने का मौका मिल पाता निक्की अपनी पोज़िशन मे आ चुकी थी ..हालाकी ये पोज़िशन अगर किसी लड़के की होती तो निकुंज को स्ट्रेच हेल्प देने मे कोई दिक्कत नही थी पर यहाँ वो चाहता था निक्की अपनी पीठ के बल लेट ती तो अच्छा रहता ..निकुंज की नज़र वापस निक्की के जिस्म पर गयी ..मोटी जांघे ..बड़े - बड़े गोल चूतड़ और उसकी टाँगो की जड़ पर फूली चूत का उभार देख पहली बार निकुंज के लंड मे हरकत हुई ..ये चुदाई करने वाली उसकी सबसे फावोरिट पोज़ीशन थी ..लड़की अपने घुटने पेट पर जमाए नंगी लेटी हो और उसे चोदने वाला अपना लंड चूत के मूँह पर टिका कर लड़की के ऊपर लेट जाए ..निकुंज ने इसी पोज़िशन मे 50सो बार चुदाई की थी ..निक्की ने जिस बुरी तरह से अपनी आँखों को बंद किया हुआ था उसे देख कर निकुंज को लगा जैसे उसकी बहेन दर्द से वाकई तड़प रही हो ..उसने अपने पापी दिमाग़ को उसी पल झंझोर दिया ..कुछ भी हो निक्की उसकी बहेन थी और वो ऐसी नीच पने की हरकत उसके लिए कैसे सोच सकता है

" मैं प्रेशर देता हूँ जहाँ तुझसे सहेन ना हो बता देना "

पार्क मे बढ़ती हलचल देख कर निकुंज तुरंत हरकत मे आया जिससे ये सब जल्दी ख़त्म हो सके ..उसने अपने कप - कपाते हाथो से निक्की की सुडोल जाँघो को पकड़ा और इसके लिए उसे अपनी बहेन पर झुकना पड़ा ..साथ ही वो बड़ा केर्फुल था कि हाथो के अलावा उसकी बॉडी का कोई भी पार्ट निक्की के जिस्म को टच ना करे ..खास कर उसका लंड तो कतयि नही जो अब सेमी एरॉटिक कंडीशन पा चुका था

यहाँ निकुंज हाथो के ज़ोर से उसकी जाँघ को प्रेस करता और वहाँ निक्की के मूँह से दर्द की सिसकी निकल जाती ..निकुंज लगातार बोलता भी जा रहा था क्यों कि बोलने के ज़रिए उसने अपने लंड को खड़ा से रोक भी रखा था

अपनी भाई की बदलती आवाज़ जब निक्की के कानो मे जाती तो उसे खुद पर बड़ी शरम आती ..लगता है भाई ने भी वही देखा लिया होगा जो अभी थोड़ी देर पहले वो खुद देख रही थी ..चूत का फुलाव लोवर पर सॉफ दिखाई भी तो दे रहा था ..क्या हो जाता अगर वो आज रन्निंग के लिए घर से नही निकलती ..कम से कम इस ज़िल्लत से तो बचती ..लेकिन अब अफ़सोस क्या करना बस कैसे भी कर के इस हालात से बाहर निकलना था

इमॅजिनेशन से कोई कितना भी बचना चाहे नही बच सकता ..निकुंज भले ही अपने दिमाग़ को कितना भी समझा लेता लेकिन उसका लंड ये सोच कर खड़ा ही होता जा रहा था कि उसके सामने उसकी फावोरिट इंटरकोर्स पोज़िशन लिए एक कम्सीन लड़की लेती है और लड़की की चूत के क्या कहने ..एक दम ताज़ी फूली - फूली


आख़िर कार वो वक़्त आ गया जब लोवर ने अपनी सहन - शक्ति खो दी

" चर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर "

एक आवाज़ के साथ दोनो होश मे आ गये ..लेकिन तब तक लोवर की पूरी बॅक थ्रेड उधड चुकी थी ..यानी कि निम्मी का सोचा प्लान पूरी तरह से सक्सेस हो गया ....


क्रमशः...................................................
WOW MAST EROTIC UPDATE
 
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पापी परिवार--3

वहीं दूसरी तरफ दीप के घर पर तांडव मचा हुआ था ..वजह कोई और नही निम्मी थी

" मोम मेरी सारी फ्रेंड्स जा रही हैं ..तो मुझे भी जाना है "

कॉलेज के फ्रेंड्स ने आज पब मे रात बिताने का फ़ैसला किया था ..जिसके चलते निम्मी काफ़ी एग्ज़ाइटेड थी ..हलाकी इस वक़्त उसका किसी से रीलेशन नही पर मुंबई ऐसी जगह है जहाँ रात किसी पब या होटेल के बाहर सिंगल चले जाओ तो कपल बनते देर नही लगती

" नही माने नही ..अब मेरा दिमाग़ मत खा मुझे बहुत काम है समझी और हां कितना गंदा कमरा कर रखा है ..फटाफट सफाई मे जुट जा "

कम्मो नाराज़ होते हुए कमरे से बाहर जाने लगी

" सफाई माइ फुट ..मैं जाउन्गि ..मैं जाउन्गि और ज़रूर जाउन्गि "

निम्मी ने उसे जाते देख चिल्ला कर कहा ..वाकाई मे उसके जैसी ज़िद्दी ..बिग्ड्ल और झगड़ालु लड़की किसी दूसरे के घर मे नही होगी

" मुझसे ज़ुबान मत लड़ा ..वरना तेरे पापा को कॉल लगा दूँगी "

कम्मो ने पलट कर उसे दीप का डर दिखाया

" हां हां बोल देना ..कोई डरता है क्या ..' मुझे भी उनकी सारी काली करतूतो का पता है ' "

निम्मी ने इस सेंटेन्स की लास्ट लाइन थोड़े धीमे स्वर मे कही लेकिन कम्मो के कानो मे ये बात चली गयी

" क्या बोली तू ..फिर से बोल ? "

कामो ने उसके वाक्य दोहराने को कहा

" मैने क्या कहा ? "

निम्मी को थोड़ी घबराहट हुई कि कही मोम ने उसकी बात को सुन तो नही लिया

" वही ..कुछ काली करतूत के बारे मे "

कम्मो ने सुना तो था पर अधूरा

" क्या काली करतूत ..मैने तो बोला था कि पापा होते तो मुझे जाने से कभी नही रोकते ..पर तुम हमेशा से ही मुझे हर काम के लिए टोकती रहती हो "

निम्मी ने बात को चेंज करते हुए माहॉल को सेंटी बनाना शुरू किया

" देख निम्मी मेरे लिए सभी बच्चे बराबर हैं ..ये तेरे मन के फितूर ही तुझे मुझसे दूर ले जाते हैं ..अरे मैं मा हूँ तेरी कोई दुश्मन तो नही "

कम्मो को उसकी बात अपने दिल पर एक चोट लगी ..वो चल कर वापस कमरे मे आने लगी

" मैं सही कह रही हूँ मोम ..दीदी ..भैया और यहाँ तक पापा भी मेरे साथ ग़लत बर्ताव करते हैं तो मुझे दुख होता है ..जैसे मैं इस घर का खून ही नही हूँ "

निम्मी अपनी झुटि बातों से कम्मो का दिल पसीजे जा रही थी मगर सच तो ये था कि उसे घर मे जितना प्यार और आज़ादी मिलती थी वो शायद निकुंज को भी नही थी

" सुन बेटी अब तू बड़ी हो गयी है ..इस तरह का बच्पना छोड़ ..तेरे अलावा कोई इस घर मे इतना ज़िद्दी नही ..अब तू कोई 6 महीने की बच्ची तो नही जो तेरी हर बात को माना जाए "

कम्मो ने इस बार उसे प्यार से समझाया ..बचपन से ही उसे निम्मी का नेचर अच्छी तरह से पता था कि वो जो ठान लेती है उसे कर के मानती है ..चाहे इसके लिए उसे कितना भी लड़ना पड़े

" मैं अब बच्ची नही रही मोम ..अपना बुरा भला समझ सकती हूँ ..अब तुम जाओ मुझे नहाना है ..पार्टी मे जाने को देर हो जाएगी "

इतना कह कर निम्मी ने एक झटके मे अपना टॉप और नीचे पहनी कॅप्री को उतार कर डोर उच्छाल दिया और अंडरगार्मेंट्स मे आ गयी

" हाए राम निम्मी ..शरम कर शरम "

वैसे तो ये कोई नयी बात नही थी ..वो अक्सर कम्मो और अपनी बहेन निक्की के सामने पूरी नंगी हो जाया करती थी ..पर आज पहली बार उसकी मा ने उसे इस तरह की बात कही थी

" कैसी शरम मोम ..क्या हुआ ? "

निम्मी ने एक नज़र कम्मो के चेहरे पर डाली ..वो उसकी नज़रों का पीछा करते हुए अपनी पैंटी पर पहुचि ..और अगले ही पल सारा माज़रा उसे समझ आ गया ..अक्चूली बात ये थी कि कुछ दिन पहले की गयी शॉपिंग मे निम्मी ने कुछ ज़्यादा ही मॉर्डन कपड़े खरीदे थे और उसके अंडरगार्मेंट्स तो फैशन की सारी हद पार करने लायक थे

" ये कैसे अन्द्रूनि कपड़े खरीदे तूने ..कुछ छुप सकता है इनमे ..बोल ? "

निम्मी ने मुस्कुरा कर कम्मो के गले मे अपनी बाहें डाल दी

" इसे क्रॉच लेस पैंटी कहते हैं मोम ..इसमे पुसी को छोड़ कर सारा हिस्सा ढका रहता है "


निम्मी के मूँह से पहली बार पुसी शब्द सुन कम्मो का चेहरा फीका पड़ गया ..माना वो उसकी मा थी पर आज तक इस तरह की सिचूएशन कभी नही बनी थी ..कम्मो ने उसे अपने से दूर कर दिया

" बेशरम ..वही तो पूछ रही हूँ ..इस तरह के कपड़े कोई पहेनता है क्या "

कम्मो ने अपनी आँख उसकी चूत पर गढ़ाते हुए कहा ..बात सही थी जो चीज़ ढकने के लिए पैंटी को बनाया गया है अगर वही चीज़ खुली रहे तो पैंटी किसी मतलब की नही

" मोम इसमे मुझे खुला - खुला सा लगता है ..आप भी पहना करो ..रिलॅक्स फील होगा "

निम्मी ने उसे आँख मार कर कहा

" मारूंगी एक ..मैं तेरी तरह कोई पागल थोड़ी हूँ जो ये सब पहनु "

कम्मो ने इस बार उसे मारने के लिए झूठा नाटक किया तो निम्मी उससे थोड़ा दूर जा कर खड़ी हो गयी ..अब पोज़िशन ये थी कि कम्मो कमरे के अंदर और निम्मी कमरे के गेट पर ..जगह चेंज होने की वजह से निम्मी की गांद कुछ सेकेंड के लिए कम्मो की नज़रों के सामने घूमी और पिछवाड़े का हाल देख कर तो कम्मो ने अपना माथा ही ठोक लिया

" ये क्या है ..पीछे तो कुछ है ही नही "

कम्मो की बात सुन निम्मी ने खुद के चूतडो को देखने की कोशिश की तो उसे ज़ोरों से हसी आ गयी ..उसके हस्ने से कम्मो का हाल देखने लायक था

" बेहया एक तो ग़लती करती है और फिर हँसती भी है "

कम्मो ने उसे फिर से डांटा

" ओह मोम ..तुम्हे कुछ पता नही ..इस पैंटी मे पीछे की तरफ एक पतला सा स्ट्रॅप दिया है पर वो अभी मेरे आस क्रॅक्स मे फसा है "

ये कह कर निम्मी ने अपने चूतडो को कम्मो की तरफ घुमाया और थोड़ा झुकते हुए बड़ी अदा के साथ गांद की दरारो मे फसे कपड़े के पतले से स्ट्रॅप को अपनी उंगलियों से टटोल कर बाहर खीच लिया

" हे भगवान ..तू इसे पहेन के भी नंगी ही है ..इस से अच्छा तो इसे पहना ही मत कर ..घूम ऐसे ही बिना कपड़ो के घर मे ..बेशरम कहीं की "

कम्मो ने भले ही कयि बार अपनी छोटी बेटी को पूरा नंगा देखा था पर उसके शरीर पर गौर पहली बार किया ..और आज उसे वो बच्ची नही वाकयि एक गदराए जिस्म की मालकिन लग रही थी ..पैंटी के फटे हिस्से से बाहर झाकति कुँवारी बिना झटों की चूत ..बड़े - बड़े बेदाग चूतड़ और बूब्स किसी से कम नही थे ..आज कम्मो निम्मी के बदन को सोचते हुए निक्की के जिस्म तक पहुच गयी ..वैसे निक्की को उसने 4 - 5 सालो से नंगा नही देखा था ..पर जब छोटी ऐसी है तो बड़ी के क्या कहने यही सोच कर उसकी चूत मे खुजलाहट मचने लगी साथ ही निम्मी के मूँह से निकले सेक्षुयल शब्द और उसकी हरकतें कम्मो पर कहर ढाने के लिए काफ़ी थी

" तो ठीक है अब से मैं पूरे घर मे नंगी ही घूमूंगी ..थॅंक्स फॉर युवर गुड सजेशन मोम "

निम्मी ने बशर्म बन कर एक फ्लाइयिंग किस कम्मो की तरफ उछालि और अगले ही पल पैंटी और ब्रा भी ज़मीन पर पड़े थे

" तुझ जैसी पागल का कोई भरोसा नही ..घर मे तेरे अलावा तेरा भाई और डॅड भी रहते हैं ..शर्म कर शरम ..या तो बोल तुझे पागल खाने भरती करवा दिया जाए ..मैं आज ही तेरे डॅड से बात करूँगी "

कम्मो इतना बोल कर वापस कमरे के गेट की तरफ बढ़ी पर इस बार जो बात निम्मी के मूँह से निकली उसने कम्मो को अंदर तक झकझोर दिया

" हां हां भेज तो मुझे पागल खाने ..तुम सब यही चाहते हो ना कि मैं इस घर से दूर चली जाउ ..तो भरती कर दो मुझे भी उस पागल इंसान के साथ जिसे पैदा कर के पालना भी तुम्हे गवारा नही "

निम्मी ने एक साँस मे अपनी सारी भादास निकाल दी ..कुछ वक़्त पहले तक क्या टॉपिक चल रहा था और अब बात किस मॅटर पर पहुच गयी ये देख कम्मो की आँखों से आँसू बहने लगे ..निम्मी ने लाख बार अपनी मा को सताया हो पर इस तरह के लांछन की उम्मीद कम्मो ने कभी नही की थी ..दोनो एक दूसरे की आँखों मे देखने लगे और एक चीख ने दोनो का ध्यान कमरे के गेट की तरफ मोड़ दिया

" निम्मीईीईईईई.......... "

ये आवाज़ निकुंज की थी जिसने सीढ़ियाँ चढ़ते हुए निम्मी के मूँह से निकली आख़िरी बात सुन कर उसके कमरे का रुख़ किया था ..पर उसे इस बात का ज़रा भी अंदाज़ा नही था कि कमरे मे उसकी छोटी बहेन पूरी तरह से नंगी खड़ी होगी

निकुंज ने गेट पर पहुच कर चिल्लाया तो निम्मी और कम्मो दोनो के होश उड़ गये ..लगभग 5 - 10 सेकेंड तक निकुंज की आँखें बहेन के नंगे जिस्म पर पड़ी और जब तक उसे होश आता निम्मी का नंगा बदन पूरी तरह से उसकी आँखों मे उतर गया ..हालत निम्मी की भी कुछ ऐसी ही थी ..भले ही छोटे कपड़ो मे बाप और भाई ने हमेशा से उसे देखा हो पर इस तरह से बिना गेट लॉक किए नंगा खड़ा होना उसके बेशरम होने का जायज़ सबूत था और तो और जो बात निम्मी ने अपने भाई रघु के लिए कही वो सुन कर निकुंज खुद को रोक नही पाया और आज पहली बार इस तरह से अपनी बहेन पर चिल्ला दिया

" बेशरम अपने कपड़े पहेन ..मैं आज तुझे नही छोड़ने वाला ..सारी चर्बी ख़तम कर दूँगा आज तेरी "

होश मे आते ही निकुंज दरवाज़े से थोड़ा पीछे हो गया और निम्मी घबरा कर बाथरूम के अंदर घुस गयी ..कम्मो भी अब तक खुद को समहाल चुकी थी ..उसे निकुंज के जल्दी घर लौट आने के बारे मे ज़रा भी अनुमान नही था वरना बात बंद कमरे मे होती

" बेटा तू चल मेरे साथ ..बच्ची है ..ज़रा सा भी दिमाग़ नही इसमे "

कम्मो ने पहली बार निकुंज को इतने गुस्से मे देखा था ..हमेशा कूल और प्यार से रहने वाला उसका छोटा बेटा आज इतना नाराज़ इस लिए भी हुआ क्यों कि रघु को उसने दीप से भी बढ़ कर माना था

" नही मा ..आज से ये इस घर मे नही रहेगी ..हमारे लाड - प्यार का ये सिला मिलेगा सोचा ना था ..अरे निक्की भी तो इसी घर का खून है उसे देखो ..शायद ही आज तक उसने किसी का दिल दुखाया हो और ये बेशरम ..छ्हीइ शरम आती है इसे बहेन कहते हुए भी "

ये कह कर निकुंज अपने कमरे की तरफ चला पड़ा ..कम्मो भी उसके साथ थी ....

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वहीं बाथरूम के हालात तो और भी बदतर थे ..निम्मी ने उसके भाई की सारी बातें सुनी लेकिन उसकी आँखों मे रत्ती भर भी नमी नही आई बल्कि उसका नंगा बदन तप कर शोलो मे बदल गया ..उसकी साँसे चढ़ि थी और वो किसी सोच की मुद्रा मे शवर के नीचे खड़ी थी

" आज जो कुछ भी घर पर हुआ वो सही नही हुआ ..याद रखना निकुंज चावला अगर मैने अपनी बेज़्ज़ती का बदला नही लिया तो मेरा नाम निम्मी नही ..अब देखना मैं क्या करती हूँ "

ये कहते हुए उसने शवर का टॅप घुमाया और भर - भर करता पानी उसके तन - बदन मे लगी आग को शांत करने लगा ....

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कॅफेट मे बैठे दीप और जीत अपनी अधूरी बातों को पूरा कने मे लगे थे ..पर दीप का ध्यान सिर्फ़ और सिर्फ़ उस लड़की मे खोया था जिसने अभी 10 मिनट पहले दीप के लंड का रस चखा था ..कैसे भी कर के दीप को उसे चोदना था और इसके लिए उसने जीत का सहारा चाहा

" तू कहाँ खोया है कमीने ..जब से बड़बड़ा रहा हूँ पर तुझे तो जैसे मेरी बात से कुछ लेना देना ही नही "

जीत ने उसे किसी सोच मे डूबा देख कहा

" यार बुरा मत मान पर मुझे तेरी सेक्रेटरी की चूत चाहिए ..तुझे मंज़ूर हो तब भी और ना हो तब भी "

दीप ने अपनी सोच को आम करते हुए कहा ..उसकी बात से जीत का चेहरा थोड़ा गंभीर हुआ और वो अपनी चेर पर सीधा बैठ गया

" क्या बात है जीत ..क्या तू नही चाहता कि मैं उसे चोदु ..या तुझे उसे मुझसे शेर करने मे कोई तकलीफ़ है ..जो भी बात हो सॉफ - सॉफ बता "

दीप ने उसे शांत देख कहा

" यार अब मैं क्या कहूँ ..अच्छा एक काम करता हूँ उसे भी कॅफेट मे बुला लेते हैं "

जीत की बात सुन दीप का चेहरा खिल उठा

" जानता था तू मेरी बात कभी नही टालेगा ..दोस्त अब दोनो मिल कर उसकी चूत मारेंगे ..साली पक्की रांड़ लगती है ..पर जो भी हो माल काँटा है ..मैने बड़े सालो बाद ऐसा जिस्म देख होगा ..खेर जल्दी बुला उसे जाने से पहले उसकी मंज़ूरी जान लू तो दिल को सुकून आ जाएगा "

दीप तो जैसे पागल हो चुका था उस लड़की के पीछे ..पर जीत का मूँह उसकी असलील बातों से काफ़ी उतर गया ..उसने कॉल कर लड़की को कॅफेट मे बुलाया

थोड़ी देर तक दोनो दोस्त बिल्कुल शांत रहे ..जीत ने 3 कॉफी का ऑर्डर दे दिया और अब दोनो लड़की का इंतज़ार करने लगे ..इंतज़ार की घड़ियाँ ख़तम हुई और वो बंदी अपनी कमर मतकाती हुई उनकी तरफ आती दिखाई दी ..दीप उसकी चाल पर आह भरने लगा जिसे सुन कर जीत ने अपनी नज़रे दोनो से दूर कर ली

" मे आइ सीट हियर "

लड़की ने थोड़ा झुक कर पूछा जिससे उसके रेड टॉप मे बना बूब्स क्लीवेज और भी ज़्यादा विज़िबल हो गया

" या या शुवर "

दीप ने जल्दी से उसे इज़ाज़त दी और तब तक तीनो की कॉफी भी सर्व हो गयी

तीनो की बात स्टार्ट हो पाती कि अचानक से दीप का सेल बजा और उसकी सारी आशाओ पर पानी फिर गया ..निकुंज ने गुस्से मे आ कर दीप को फोन किया और वो सारी बात सुन उन दोनो से ज़रूरी काम का बोल कर घर के लिए रवाना हो गया ....

" बेटा तेरे डॅड नाराज़ होंगे ..तुझे उन्हे कॉल नही करना चाहिए था "

निकुंज और कम्मो बेड पर बैठे बातें कर रहे थे

" क्या करूँ मा आज निम्मी ने सारी हदें पार कर दी ..मैने उसे कितना चाहा है ये तुम भी जानती हो और वो भी ..पर रघु के बारे मे ऐसा गंदा बोलते हुए उसे शरम नही आई "

निकुंज का गुस्सा अभी भी बरकरार था

" छोड़ बेटा अगर इसी तरह डाट - डपट के निम्मी सुधर सकती होती तो कब का सुधर जाती ..मैं तो कहती हूँ उसे प्यार से ही समझाया जा सकता है ..माना थोड़ी ज़िद्दी है पर है तो तेरी बहेन ही ना "

कम्मो ने उसके सर पर हाथ फेरते हुए कहा

" वैसे मा एक बात कहूँ शायद आप को बुरा लगे ..रघु अगर इस घर मे पैदा ना हुआ होता तो ये जो दो वक़्त चैन की रोटी मिल रही है ना वो भी नसीब नही होती ..आज से 7 - 8 साल पहले था क्या हमारे पास ..एक किराए का कमरा और डॅड के बिज़्नेस के टूटे फूटे बर्तन - भाड़े ..पता है ना आप को जब कोई पार्टी का ठेका मिले महीनो बीत जाते थे तब रघु की ही कमाई से घर चलता था ..ना वो ग़रीबी के चलते गुंडा बनता ना हमारे दिन बदलते ..अरे ये दोनो जो इतनी शान से घूमती हैं वो भी सिर्फ़ रघु के डर की वजह से ..वरना निम्मी जिस हिसाब के फैशोनब्ल कपड़े पेहेन्ति है उन कपड़ो मे मुंबई की सड़को पर रात क्या दिन भी सेफ नही ..लोगो के कानो मे आज भी ये बात पड़ जाए की ये रघु की बहने हैं तो कोई आँख उठा कर भी नही देखता जबकि सब को पता है वो बेचारा किस हाल मे कहाँ भरती है ..लेकिन आज शायद सभी ने उसे अपने दिल से बाहर निकाल दिया ..निम्मी ने कहीं ना कहीं सही भी कहा कि उसे पैदा कर के जहन्नुम मे फेक दिया गया है ..क्या हम उसे घर नही ला सकते मा ..हो सकता है जो रिकवरी वो हॉस्पिटल मे ना कर पाए वो यहाँ हमारे बीच रह के कर ले "

निकुंज के माइंड मे एयूएस. से लौटने के बाद जो बात सबसे पहले आई थी वो उसने कम्मो को बता दी ..वो चाहता था कि रघु को पुणे से घर मे शिफ्ट करवा दिया जाए ताकि वो सबकी नज़रो के सामने तो रहे

" बेटा मन तो मेरा भी यही कहता है ..पर घर मे ऐसा माहॉल देख कर रघु को और भी ज़्यादा तकलीफ़ होगी "

कम्मो ने उसे समझाया

" कुछ भी हो मा उसे यहाँ लाना ही पड़ेगा ..वहाँ हॉस्पिटल मे कौन सा उसका ट्रीटमेंट होता होगा ..सिर्फ़ उस पर रेसेर्च ही करते होंगे सभी ..मैं आज डॅड से इस बारे मे बात करूँगा "

निकुंज इतना बोल कर फ्रेश होने बाथ रूम मे चला गया और कम्मो अपने बचे कामो को पूरा करने किचन मे

---------------------

दीप ऑफीस की पार्किंग से कार निकाल कर घर की तरफ लौट रहा था

" साला क्या मस्त माल है ..अगर चुदाई के लिए राज़ी हो जाए तो पटक - पटक के चोदुन्गा ..कितने साल बाद ऐसी आइटम नज़र मे आई ..बस जीत मना ले उसे कैसे भी कर के ..फिर तो मज़े ही मज़े हैं ..वैसे वो हां ही कहेगी क्यों कि पहली बार मे लड़की सिर्फ़ शर्मो - हया दिखाती है ..पर उसने तो मेरा लंड ही चूस लिया ..ऐसा लगता है जैसे अब तक उसके गरम होंठ मेरे लंड से चिपके हों "

ऐसी केयी बातें सोच दीप का बैठा लंड वापस अंगड़ाई लेने लगा ..उसने एक हाथ स्टेरिंग पर और दूसरे से लंड को पॅंट के ऊपर से सहलाना शुरू कर दिया

" आज बात पूरी हो जाती अगर निकुंज का कॉल बीच मे ना आया होता ..ये निम्मी भी ना ..ज़रूर कोई उल्टी सीधी हरकत की होगी तभी निकुंज ने मुझे घर बुलाया ..क्या करू इस लड़की का ..हर वक़्त सिर्फ़ लड़ाई - झगड़ा ..आज अच्छे से खबर लेनी पड़ेगी इसकी "

दीप अपनी सोच से बाहर निकलता जब तक उसकी गाड़ी घर के मैन गेट पर पहुच चुकी थी ..कार से उतर कर उसने तेज़ कदमो से हॉल कर रुख़ किया और देखा तो घर मे हर तरफ सन्नाटा पसरा हुआ था

" कहाँ हो सब ..कम्मो ? "

दीप ने हॉल को खाली देख चिल्ला कर कहा

उसकी आवाज़ मे बेहद नाराज़गी थी जिसे सुन कर परिवार के सदस्य घबरा कर हॉल मे आने लगे ..कम्मो किचन से दौड़ी तो निकुंज और निक्की अपने - अपने कमरो से ..सिर्फ़ निम्मी को छोड़ कर अब सभी हॉल मे थे

" क्या बात थी तो इस तरह मुझे घर बुलवाया ? "

दीप की दहाड़ से निम्मी तक अपने कमरे मे सहम गयी ..वो रूम की खिड़की से हॉल मे हो रही आवाज़ को सॉफ सुन सकती थी ..एक पल तो उसके चेहरे पर चिंता के बादल छाए पर अगले ही पल एक चिर परिचित मुस्कान से उसके होंठ हिलने लगे ..क्यों कि कुछ देर पहले उसने सभी बातों को जोड़ कर इस प्राब्लम का सल्यूशन ढूंड लिया था

" आप फ्रेश हो जाइए बाद मे बात करेंगे "

कामिनी ने दीप के चेहरे पर आते गुस्से को देख कर कहा ..इशारे से उसने निकुंज को भी छुप रहने की सलाह दी

" नही जो भी बात है अभी बताओ ..कब तक ऐसा माहॉल चलता रहेगा घर मे "

दीप ने सोफे पर बैठते हुए कहा

" डॅड मोम ठीक कह रही हैं ..आप फ्रेश हो जाइए मुझे कुछ ज़रूरी बात करनी है आप से "

निकुंज ने हालात समझते हुए कहा ..वो जानता था कि अगर निम्मी वाली बात डॅड को पता चली तो शायद उसे खूब डाट पड़ती ..भले वो अभी नादान है ..पर जो भी हो इस घर की जान भी है ..यही सोच कर निकुंज ने फ़ैसला किया कि मॅटर से निम्मी को बाहर कर डाइरेक्ट रघु को घर लाने की बात की जाए

" निम्मी कहाँ है ? "

दीप ने तेज़ आवाज़ मे कहा ..ये बात सुनते ही निम्मी खिड़की से हट कर बेड पर लेट गयी और बेड-शीट से खुद को कवर कर लिया ..उसने तय किया था कि चाहे कितने भी बुलावे आएँ वो नीचे हॉल मे नही जाएगी ..अगर दीप को उस से बात करनी है तो उसे निम्मी के कमरे मे आना ही पड़ेगा

" वो अपने कमरे मे है "

निक्की ने दीप को 1स्ट फ्लोर का इशारा कर दिया

" मैं निम्मी से अकेले मे बात करना चाहता हूँ ..कोई 1स्ट फ्लोर पर नही आएगा "

दीप ने कहा और अपने कदमो की रफ़्तार 1स्ट फ्लोर पर बने निम्मी के कमरे की तरफ बढ़ा दी ..नीचे खड़ी कम्मो ..निकुंज और निक्की बस यही खेर मना रहे थे कि दीप का गुस्सा शांत हो जाए और निम्मी उसके कहर से बचे

कमरे के बाहर आ कर दीप ने नॉक करना भी उचित नही समझा और तेज़ी से दरवाज़ा खोलते हुए अंदर आ गया ..रूम की ट्यूब लाइट जल रही थी और निम्मी बेड पर चादर ओढ़े लेटी थी ..दीप ने एक नज़र उसे घूरा और आवाज़ दी

" निम्मी ..ये बच्पना कब ख़त्म होगा तेरा ? "

दीप ने कमरे का गेट लॉक कर कहा ताकि वो बंद कमरे मे अपनी छोटी बेटी को समझा सके ..भले ही उसकी नाराज़गी का कोई पार नही था पर वो चाह कर भी अपने बच्चो को डाट नही पाता ..बचपन से ले कर आज तक शायद ही कभी ऐसा हुआ हो तो जब उसने तेज़ आवाज़ मे घर के किसी भी मेंबर से बात की होगी

" निम्मी सो गयी क्या ? "

दीप उसके बेड की तरफ बढ़ते हुए बोला ..शाम के टाइम तो कभी निम्मी सोती नही थी फिर आज क्यों ..बेड पर उसके बगल मे बैठ कर दीप ने महसूस किया कि निम्मी का बदन चादर के अंदर कप - कपा रहा है जिसे देख वो घबराया और तुरंत ही चादर थोड़ा नीचे खीची ..निम्मी के सर पर अपना हाथ रख दिया

" ओह गॉड ..इसे तो तेज़ बुखार है "

निम्मी का माथा बहुत गरम था ..पर अचानक ये सब कैसे हुआ अब इस पर नज़र डालते हैं

[ जब निकुंज ने दीप को घर आने के लिए कॉल किया था तब निम्मी ने उसके रूम मे हो रही सारी बातें छुप कर सुनी और फ्यूचर का सोचते हुए दौड़ कर किचन मे पहुच गयी ..वहाँ से उसने एक प्याज़ उठाया और मुस्कुराती हुई वापस अपने कमरे मे आ गयी

साइन्स की क्लास मे उसने पढ़ा था कि अगर बॉडी टेंपरेचर को हीट देना हो तो प्याज़ को छील कर अपनी आर्म्स के अंदर दबा लेने से बॉडी कुछ ही वक़्त मे बुरी तरह जलने लगती है और सामने वाला फीवर समझ कर घबरा जाता है ..बस आइडिया लगा कर निम्मी ने एक्सपेरिमेंट कर डाला ..शायद डाँट से बचने का इस से अच्छा कोई और सल्यूशन हो नही सकता ]

( अपने बचपन मे जिस - जिस ने इस उपाए को किया होगा ..शायद वो इसकी उपयोगिता से वाकिफ़ होंगे )

दीप ने निम्मी को आवाज़ दी तो उसने गहरी नींद से जागने का बहाना कर धीरे - धीरे अपनी आँखें खोल दी ..कुछ देर पहले तक दीप कितने गुस्से मे था और अब कितना घबराया सा ..ये देख निम्मी मन ही मन मुस्कुरा उठी

" बेटा तुझे तो बहुत बुखार है "

दीप ने एक बार फिर निम्मी की आँखें खुलने पर कहा

" डॅड "

निम्मी ने नाटक करते हुए दीप को पुकारा

" यस बेबी ..आर यू ओके "

दीप ने बड़े प्यार से उससे पूछा

" यस डॅड बाकी सब तो ठीक है ..पर बहुत पेन हो रहा है "

निम्मी ने जवाब दिया

" पेन कहाँ पर ? "

दीप ने बोलते के साथ साथ उसकी चादर को नीचे खिसकाया और अगले ही पल उसकी आँखें बाहर को निकल आई ..निम्मी ने जान कर बॉडी के उपरी हिस्से पर टॉप नही डाला था और केवल एक सिड्यूसिव सी ब्रा पहने ली थी

" द ..द ..डॅड मैने टॉप नही पहना है ..उफ़फ्फ़..... "

निम्मी को तो आक्टिंग का ऑस्कर मिलना चाहिए था ..एक तो उसने लड़खड़ाती ज़ुबान से अपनी पोजीशन बताई और दूसरा आह ले कर दर्द का नाटक भी किया

" सॉरी मुझे पता नही था "

दीप ने अपनी नज़रें दूसरी तरफ करते हुए कहा ..उसने सोचा कि चादर को निम्मी ऊपर खीच लेगी पर वो ज्यों की त्यों लेटी रही ..पहनी हुई वाइट ब्रा नेट वाली थी जिसमे से उसके निपल सॉफ दिख रहे थे

" डॅड एक पेन किल्लर दे दीजिए ..प्लीज़ीयीईयीई "

निम्मी ने दीप को अपनी तरफ़ देखने पर मजबूर करते हुए कहा

" पेन किल्लर ? "

निम्मी का दर्द भरा प्लीज़ सुन दीप पलटा पर नज़ारा वही था ..इस बार निम्मी ने उठने की कोशिश की

" ना ना लेटी रह ..दर्द कहाँ है "

दीप की आँखें उसकी की अधखुली छातियों से चिपक चुकी थी ..दुनिया भर की चूतो का स्वाद लेने के बाद अपनी बेटी का योवन देखना उसे बुरा तो लगा पर क्या करता ' मैं हूँ आदत से मज़बूर ' "

" वो डॅड मैं नहाते वक़्त बाथरूम मे फिसल गयी थी ..मेरी बॅक मे चोट लगी है ..जैसे तैसे जो पहेन पाई पहना और तभी से आराम ही कर रही हूँ "


निम्मी ने बड़े अफ़सोस के साथ अपनी झुटि कहानी उसे सुनाई ..दर्द की वजह से वो इस अध - नंगी हालत मे है ये भी कन्फर्म कर दिया

" रुक मैं तेरी मोम को बुलाता हूँ "

दीप ने देखा कि निम्मी उसे अपनी छातियों को घूरते देख रही है ..तो उसने बेड से उठ कर जाना चाहा

" नो डॅड ..मोम मुझसे पहले से ही नाराज़ है ..अब उन्हे और परेशान नही कर सकती ..आप तो मुझे एक पेन किल्लर दे दीजिए ..मैं ठीक हूँ "

निम्मी ने बड़ा भोला चेहरा बना कर कहा तो दीप वापस उसके बेड पर बैठ गया

" बॅक मे लगी ..कही फ्रॅक्चर तो नही "

दीप ने चिंता जताई

" नो डॅड फ्रॅक्चर होता तो मैं हिल भी नही पाती ..लगता है हल्की सी गुम चोट लगी है "

ये कहते हुए निम्मी ने बची चादर अपने ऊपर से हटाई और करवट ले कर अपने चूतड़ पर हाथ रख दिया ..लोवर बॉडी पर उसने एक टाइट कॅप्री डाली हुई थी जिसमे फसि उसकी बड़ी सी गान्ड को जान कर निम्मी ने और बाहर की तरफ़ निकाल रखा था ..करवट लेने से उसकी थ्रेड ब्रा की एक सिंगल नाट दीप को दिखाई दी और बाकी पूरी पीठ नेकड़

" दर्द ज़्यादा है क्या बेटा ? "

दीप की लड़खड़ाती आवाज़ सुन निम्मी का चेहरा खिल उठा ..उसका प्लान सक्सेस था ..बस अब उसे ये सोचना था कि इतना काफ़ी है या अपने नाटक को कंटिन्यू रखा जाए ....
Mast hai
 

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