उनके होंठ थरथरा रहे थे। आँखें अब भी नीचे थीं और एक अजीब सा भाव था उनके चेहरे पर जैसे चोरी पकड़ी गई हो।
"बोलो न आंटी….क्या जानबूझ कर किया था या गलती से हो गया था….? अगर जानबूझकर लिया था तो अधूरा क्यूँ छोड़ दिया था और अगर गलती से हो गया था तो गलती की सजा भी मिलने चाहिए ना !!" मैंने उनके चेहरे से बिल्कुल सटकर कहा।
"वो…वो..बस…. मुझे नहीं पता।" आंटी ने अपनी आँखें नीचे करके ही अपने कांपते होंठों से कहा।
"तो फिर पता करो… मैं कल रात से परेशान हूँ…" मैंने उनके गालों पर एक चुम्बन देकर धीरे से उनके कानों में कहा।
"शायद गलती से ही हुआ होगा…" आंटी ने इस बार अपनी आँखें उठाकर मेरी आँखों में देखते हुए कहा।
"फिर तो गलती की सजा मिलनी चाहिए।" मैंने शरारत से भर कर उन्हें अपनी ओर खींच कर अपनी बाहों में भर लिया और उनकी चूचियों को अपने सीने से मसल दिया।
"आह…ये क्या कर रहा है ? मुझे जाने दे, ढेर सारा काम है घर में !" आंटी ने कसमसाते हुए मेरे बाहों से निकलने का प्रयास किया।
पर मैंने तो उन्हें कस कर जकड़ रखा था, मैंने सोच लिया था कि अब जो होगा देखा जायेगा लेकिन कल रात के अधूरे काम को अभी पूरा करके ही दम लूँगा।
इस कसमसाहट में उनकी चूचियाँ बार बार मेरे सीने से रगड़ कर मेरे अन्दर के शैतान को और भी भड़का रही थीं। हम दोनों एक दूसरे पर अपना जोर आजमा रहे थे। मैंने उन्हें और जोर से जकड़ा और उन्हें लेकर बगल में बिस्तर पे गिरा दिया।अब मैं आधा उनके ऊपर था, उनकी चूचियों को अपने सीने से दबाकर मैंने उनके चेहरे पे अपने होंठों को इधर उधर फिरा कर कई चुम्मियाँ दे दी।
"उफ्फ… सोनू, जाने दे मुझे… कोई ढूंढता हुआ आ जायेगा।" आंटी ने अपने चेहरे को मेरे होंठों से रगड़ते हुए कामुक सी आवाज़ में कहा।
"आ जाने दो… मैं नहीं डरता, लेकिन पहले कल रात से तड़पते हुए अपने ज़ज्बातों को थोड़ी सी शांति दे दूँ।" मैंने उन्हें चूमते हुए कहा।
"उफ… समझा कर न, पूरा घर मेहमानों से भरा पड़ा है। प्लीज मुझे जाने दे…फिर कभी…" आंटी ने अपनी अनियंत्रित साँसों को इकठ्ठा करके इतना कहा और अपने हाथों से मेरे चेहरे को पकड़ लिया और अपनी नशीली आँखों से मुझसे विनती करने लगी।
मैंने उनकी आँखों में आँखें डालीं और शरारत भरे अंदाज़ में बोला, "एक शर्त पर… पहले यह बताओ कि कल रात ऐसा क्यूँ किया आपने और मुझे बीच में ही क्यूँ छोड़ कर चली गईं?"
आंटी ने एक लम्बी सी सांस ली और मेरे गालों को सहला कर कहा, "एक औरत की प्यास को समझना इतना आसान नहीं है। ये क्यूँ हुआ और कैसे हुआ, मैं तुझे नहीं समझा सकती… शायद कई दिनों की तड़प ने मुझे विवश कर दिया