Incest वासना ओर बदले की आग

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कोमल- हाँ खन्ना का नाम सुना है.. वो तो बहुत पैसे वाला है और वहाँ कैसी मीटिंग होती है.. और कैसे चुनते हैं?



विवेक- इतना सब तू मत पूछ.. और वहाँ का नहीं पता.. मैं खुद वहाँ पहली बार जा रहा हूँ..



कोमल- अच्छा यह तो बता.. कोई लड़की इस खेल के लिए कैसे राज़ी होती है?



विवेक- अरे मेरी जान.. पैसा चीज ही ऐसी होती है… कि इंसान ना चाहते हुए भी वो सब काम कर लेता है.. जो उसको ठीक ना लगे.. समझी, वहाँ पर हर बार 1 लाख का इनाम होता है।



कोमल- ओ माय गॉड.. 1 लाख.. मगर फिर भी कोई लड़की अपने ब्वॉय-फ्रेण्ड के सामने सब कैसे करती होगी?



विवेक- अरे आजकल लड़की को पटा कर लड़का पहले चोद कर उस लड़की को लौड़े की आदी बनाता है.. और पैसे का लालच देकर उसको बड़े-बड़े सपने दिखाता है। बस इस तरह वो लड़की को मना लेता है और वैसे भी गेम शुरू होने के पहले वहाँ लड़की को इतना नशा करवा देते हैं कि उनको अच्छे-बुरे का पता ही नहीं होता यार.. और एक बात और भी समझ ले कि अधिकतर वे ही लड़कियाँ चूत चुदवाने को राजी होती हैं जिन्हें चुदने की ज्यादा भूख होती है, आजकल तो इसे मस्ती के नाम पर खुला खेल माना जाता है।



कोमल- चल सब समझ गई.. मगर पैसे कौन देता है?



विवेक- अरे पुनीत और कौन यार..?



कोमल- अरे उसको क्या फायदा.. और वो भी तो हारता होगा.. तो पैसे भी जाते है और गर्ल-फ्रेण्ड भी?



विवेक- मेरी जान.. वो एक ठरकी लड़का है.. उसको ऐसे गेम में मज़ा आता है.. नई-नई लड़कियों को चोदना उसका शौक है। वैसे वो चाहे तो ऐसे भी रोज नई लड़की उसके पास हो.. मगर उसको ऐसे खेल का शौक है बस.. पैसा देने के बहाने सबको बुलाता है और उसको एकाध लाख से क्या फ़र्क पड़ता है.. इतने पैसे तो वे लोग रोज ही उड़ा देते हैं। हाँ.. दोनों भाई इस खेल के माहिर खिलाड़ी हैं. उनको आसानी से हराना मुश्किल है। सालों का नसीब भी बहुत साथ देता है।



कोमल- अच्छा.. ये बात है.. तो अब तुम्हारा बॉस मेरे को गर्लफ्रेण्ड बना कर लेकर जाएगा.. यही ना?



सुनील- तू साली बहुत समझदार है.. जल्दी समझ गई.. हा हा हा हा..



कोमल- चल हट.. साला कुत्ता.. गर्ल-फ्रेण्ड के बहाने हम जैसी लड़कियों को ले जाते हैं वहाँ.. साले झूटे कहीं के..



विवेक- अरे तू गलत समझ रही है.. ऐसा कुछ नहीं है.. ज़्यादातर असली गर्लफ्रेण्ड ही होती हैं। इस बार बॉस का प्लान कुछ अलग है .. उसे एक लडकी को चोदना है.. तो वो एक नया गेम बना रहे हैं.. जिसमें सिर्फ़ तू हमारी मदद कर सकती है।



कोमल- कैसा नया गेम रे.. ज़रा ठीक से बता मेरे को?



विवेक ने जब बोलना शुरू किया तो कोमल की आँखें फटी की फटी रह गईं.. क्योंकि विवेक ने बात ही ऐसी कहीं थी।
 
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अभी मुनिया के पास चलो.. वहाँ देखते हैं क्या हुआ..



हाँ तो जब मुनिया ने पुनीत का लंड देखके अपना मुँह घुमाया.. तो पुनीत थोड़ा गुस्सा हो गया।



पुनीत- अरे मुनिया.. ऐसे करोगी तो कैसे काम कर पाओगी.. जाने दे तेरे से नहीं होगा.. कल तेरे को वापस घर भेज दूँगा।



मुनिया- नहीं नहीं बाबूजी.. मैं सब करूँगी.. मुझे पैसे कमाने हैं।



पुनीत- अच्छा तो आ.. इसको पकड़ कर देख.. इसकी मालिश कर.. मज़ा आएगा।



मुनिया उसके पास आ गई और लौड़े को गौर से देखने लगी।



मुनिया- बाबूजी आप चिंता ना करो.. मैंने पहले कभी ऐसी मालिश नहीं की है.. मगर में धीरे-धीरे सीख जाऊँगी।



पुनीत- मैं जानता हूँ मुनिया.. अब देर मत करो.. आओ शुरू करो..



मुनिया लौड़े को सहलाने लगती है और उसके नर्म हाथों के स्पर्श से पुनीत को मज़ा आने लगता है। वो अपनी आँखें बन्द कर लेता है।



शुरू में तो मुनिया को अजीब लग रहा था मगर बाद में लौड़े का अहसास उसे अच्छा लगने लगा और वो बड़े मज़े से लौड़े को सहलाने लगी।



पुनीत बीच-बीच में उसको आइडिया दे रहा था कि ऐसे करो और वो बस करती जा रही थी और पुनीत मज़ा ले रहा था। अब मुनिया अच्छी तरह से पुनीत के लौड़े को सहला रही थी।



पुनीत- आह आह.. मुनिया ऐसे सूखा सूखा.. मज़ा नहीं आ रहा.. अब मुँह से भी मालिश करो न.. आह्ह.. तुमने अगर अच्छे से किया.. तो तेरी नौकरी पक्की..



दोस्तो, मुनिया लंड और चूत के बारे में ज़्यादा नहीं जानती थी.. मगर ये खेल ऐसा है कि कुछ ना जानते हुए भी हमारा जिस्म पिघलने लगता है।



यही मुनिया के साथ हो रहा था.. उसकी चूत एकदम गीली हो गई थी और उसकी आँखों में मस्ती छा गई थी। अब उसको खुद लग रहा था कि लौड़े को मुँह में लेकर चूसे.. बस पुनीत ने कहा और उसने झट अपनी जीभ लौड़े पर रख दी और लण्ड की टोपी को चाटने लगी।



पुनीत- उफ़फ्फ़ आह्ह.. ऐसे ही.. आह्ह.. अब सारा दर्द निकल जाएगा.. आह्ह.. मुँह में लेकर चूस.. आह्ह.. पूरा लौड़ा अन्दर लेना है.. आह्ह..



अब मुनिया बड़े मज़े से लौड़े को जड़ तक लेने की कोशिश कर रही थी.. मगर उसके छोटे से मुँह में लौड़ा पूरा लेना मुश्किल था.. वो बस सुपारे को ही चूस पा रही थी.. जैसे कोई गन्ने को चूस रही हो।



पुनीत ने मुनिया के सर को पकड़ लिया और लौड़े को ज़ोर-ज़ोर से झटके देने लगा। उसकी नसें फूलने लगी थीं। लौड़ा कभी भी लावा उगल सकता था।



मुनिया की साँसें रुकने लगीं.. पुनीत अब स्पीड से उसके मुँह को चोद रहा था और कुछ ही देर में पुनीत के लंड ने वीर्य की धार मारी.. जो मुनिया के हलक में उतर गई।


ना चाहते हुए भी उसको सारा पानी पीना पड़ा। जब पुनीत ने हाथ हटाया तो मुनिया अलग हुई और लंबी साँसें लेने लगी।



मुनिया- हाय उहह.. ये आपने क्या किया बाबूजी.. मेरे मुँह में मूत दिया छी:..



पुनीत- अरे पगली ये मूत नहीं.. वीर्य है इसको पीने से लड़की और खूबसूरत होती है.. देख ये तो दूध जैसा है..



पुनीत के लौड़े से कुछ बूंदें और निकाली.. जो एकदम गाढ़ी सफेद थीं.. जिसको मुनिया गौर से देखने लगी।



मुनिया- हाँ बाबूजी.. ये तो सफेद है।



पुनीत- अरे जल्दी आ.. इसको जीभ से चाट ले.. नहीं तो नीचे गिर जाएगी।



पुनीत के कहने की देर थी.. मुनिया जल्दी से झुकी और बाकी बूंदों को भी चाट कर साफ करने लगी। उसको यह स्वाद अच्छा लग रहा था और इस खेल के दौरान उसकी चूत एकदम पानी-पानी हो गई थी.. जिसका अहसास मुनिया के साथ-साथ पुनीत को भी हो गया था। अब उसकी नज़र मुनिया की कच्ची चूत पर टिक गई थी।



पुनीत के लौड़े को चाटने के बाद मुनिया को बड़ा अजीब लग रहा था.. उसकी चूत बहुत पानी छोड़ रही थी और पुनीत इस बात को अच्छी तरह जानता था.. तो बस उसने मुनिया का हाथ पकड़ा और उसको बिस्तर पर बैठा दिया।



पुनीत- तूने बहुत अच्छी तरह मालिश की है.. अब देख एक तरीका मैं बताता हूँ.. अगली बार वैसे करना.. ठीक है..



मुनिया- ठीक है.. आप बता दो बाबूजी कैसे करना है.. मैं सब सीख जाऊँगी।



पुनीत ने उसको बिस्तर पर लिटा दिया और उसकी जाँघों पर अपने हाथ रख दिए.. जिससे मुनिया सिहर गई।



मुनिया- इसस्सस्स.. आह.. ये आप क्या कर रहे हो बाबूजी?



पुनीत- अरे डर मत.. तुझे सिखा रहा हूँ.. अगली बार ऐसे करना..



इतना कहकर पुनीत बड़े सेक्सी अंदाज में मुनिया की जाँघों को सहलाने लगा। मुनिया के जिस्म में तो बिजली दौड़ने लगी थी।



मुनिया- ककककक.. ठ..ठ..ठीक है.. मैं समझ गई.. आह्ह.. अब बस करो न..



पुनीत- अरे चुप.. अभी कहाँ.. आराम से सीख.. अब बिल्कुल भी बोलना मत..



पुनीत थोड़ा गुस्से में बोला.. तो मुनिया डर गई और उसने चुप्पी साध ली।



अब पुनीत धीरे-धीरे उसकी जाँघों को सहला रहा था.. कभी-कभी उसकी उंगली चूत को भी टच करती जा रही थी.. बस यही वो पल था.. जब मुनिया जैसी भोली-भाली लड़की वासना के भंवर में फँसती चली गई।



अब मुनिया को बड़ा मज़ा आ रहा था.. उसकी चूत फड़फड़ा रही थी और उसने अपनी आँखें बन्द कर ली थीं।
 
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पुनीत ने जब ये देखा कि मुनिया मज़े ले रही है.. तो उसने अपना हाथ सीधे उसकी फूली हुई चूत पर रख दिया और धीरे से चूत को रगड़ने लगा।



मुनिया- इसस्सस्स.. आह.. बाबूजी आह्ह.. नहीं.. मुझे कुछ हो रहा है.. आह्ह.. मेरे बदन का खून.. उफ्फ.. लगता है सारा वहीं जमा हो गया.. आह्ह.. नहीं इससस्स.. उफ़फ्फ़..



दोस्तो.. मुनिया पहले से ही बहुत गर्म थी और जब पुनीत ने चूत पर हाथ रखा और हल्की मालिश की.. बस बेचारी अपना संतुलन खो बैठी..। उसकी कच्ची चूत अपना पहला कामरस छोड़ने लगी। उस वक़्त मुनिया का बदन अकड़ गया.. उसने पुनीत के हाथ को अपने हाथ से दबा लिया और अजीब सी आवाजें निकालने लगी और झड़ने लगी।



मुनिया- इसस्स्सस्स.. आह.. उऊहह.. उउओह.. बब्ब..बाबूजी आह्ह.. मुझे क्या हो रहा है.. आआह्ह.. सस्सस्स..



जब मुनिया की चूत शांत हुई.. तब उसके दिमाग़ की बत्ती जली.. वो झट से बैठ गई और सवालिया नजरों से पुनीत को देखने लगी कि ये क्या हुआह्ह..



पुनीत- अरे घबरा मत.. तेरा भी कामरस निकल गया.. जैसे मेरा निकाला था.. अब तू ठीक है और सच बता.. तुझे मज़ा आया कि नहीं..



मुनिया- बाबूजी.. ये सब मेरी समझ के बाहर है.. आप मेहरबानी करके अभी यहाँ से चले जाओ.. मुझे अभी बाथरूम जाना है।



पुनीत- अरे तू यहाँ मेरी सेवा करने आई है या मुझ पर हुकुम चलाने आई है.. हाँ तेरी माँ ने यही सिखाया क्या तेरे को?



मुनिया- अरे नहीं नहीं.. बाबूजी.. आप गलत समझ रहे हो.. मैं तो बस ये कह रही थी.. कि मुझे जोरों से पेशाब आ रही है।



पुनीत- तो जाओ.. मैं यहीं बैठा हूँ.. आकर मेरा सर दबाना ओके..



मुनिया ने ‘हाँ’ में सर हिलाया और बाथरूम में चली गई। वहाँ जाकर उसके चेहरे पर एक हल्की मुस्कान थी.. शायद अभी जो हुआ.. वो उसको सब अच्छा लगा था।



पुनीत अभी भी नंगा ही था और अपने लौड़े को सहलाता हुआ बोल रहा था- बेटा आज कई दिनों बाद तुझे कच्ची चूत का मज़ा मिलेगा..



कुछ देर बाद मुनिया वापस बाहर आ गई तो पुनीत लौड़े को सहला रहा था.. जिसे देख कर मुनिया थोड़ा मुस्कुरा दी।



पुनीत- अरे आओ मुनिया.. देखो तुमने अभी इसका दर्द निकाला था.. मगर इसमें दोबारा दर्द होने लगा।



मुनिया- कोई बात नहीं बाबूजी.. मैं फिर से इसका दर्द निकाल दूँगी।



पुनीत- ये हुई ना बात.. आओ यहाँ आओ.. पहले मेरे पास बैठो.. मुझे तुमसे कुछ बात करनी है।



मुनिया धीरे-धीरे चलकर आई और बिस्तर पर पुनीत के पास बैठ गई.. मगर उसकी नज़र लौड़े पर थी। ना जाने क्यों.. उसको ऐसा लग रहा था.. जैसे जल्दी से पहले की तरह वो उसको मुँह में लेकर चूसे और उसका रस पी जाए।



उसकी नज़र को पुनीत ने ताड़ लिया और उसको अपने से चिपका कर उसके कंधे पर हाथ रख दिए।



पुनीत- देख मुनिया.. अब तू मेरे साथ रहेगी.. तो खूब मज़े करेगी.. बस तू मेरी हर बात मानती रहना.. तुझे पैसे तो मैं दूँगा ही.. साथ ही साथ मज़ा भी दूँगा.. जैसे अभी दिया.. तेरा रस निकाल कर दिया था.. तू सही बता मज़ा आया ना?



मुनिया थोड़ा शर्मा रही थी.. मगर उसने ‘हाँ’ में सर हिला दिया।



पुनीत- गुड.. अब सुन.. तुझे ज़्यादा मज़ा लेना है.. तो उस वीडियो की तरह अपने कपड़े निकाल दे.. फिर देख कितना मज़ा आता है।



मुनिया- ना बाबूजी.. मुझे शर्म आती है।



पुनीत- अरे पगली.. शर्म कैसी.. देख मैं भी तो नंगा हूँ और मैं बस तुझे सिखा रहा हूँ.. तू डर मत..



मुनिया- बाबूजी मैं जानती हूँ.. जब लड़की नंगी हो जाती है.. तो लड़का उसके साथ क्या करता है.. मगर मुझे ऐसा-वैसा कुछ नहीं करना।
 
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दोस्तो, मुनिया गाँव की थी.. सेक्स के बारे में शायद ज़्यादा ना जानती हो.. मगर कुछ ना जानती हो.. ऐसा होना मुमकिन नहीं..



अब देखो इशारे में उसने पुनीत को बता दिया कि वो सेक्स नहीं करेगी।



पुनीत- अरे तू क्या बोल रही है.. क्या ऐसा-वैसा तूने किसी के साथ पहले किया है क्या.. या किसी को देखा है..? बता मुझे.. तुझे किसने बताया ये सब?



मुनिया- ना ना.. मैंने कुछ नहीं किया.. वो बस एक बार हमारे पड़ोस में भाईजी को देखा था.. तब से पता है कि ये क्या होता है।



पुनीत- अरे क्या देखा था.. ज़रा ठीक से बता मुझे?



मुनिया- वो बाबूजी.. एक बार रात को मुझे जोरों से पेशाब लगी.. तो मैं घर के पीछे करने गई और जब मैं वापस आ रही थी.. तो हमारे पास में भैया जी का कमरा है.. वहाँ से कुछ आवाज़ आ रही थीं। मैंने सोचा इतनी रात को भाभी जी जाग रही हैं. सब ठीक तो है ना.. बस यही देखने चली गई और जब मैं नज़दीक गई.. तब देख कर हैरान हो गई।



पुनीत- क्यों ऐसा क्या देख लिया तूने?



मुनिया- व..व..वो दोनों.. नंगे थे.. और भैयाज़ी अपना ‘वो’ भाभी के नीचे घुसा रहे थे।



इतना बोलकर मुनिया ने अपना चेहरा घुमा लिया.. जो शर्म से लाल हो गया था।



पुनीत- अरे ठीक से बता ना.. क्या घुसा रहे थे.. और कहाँ घुसा रहे थे.. प्लीज़ यार बता ना?



मुनिया- मुझे नहीं पता.. मैं बस देखी और वहाँ से भाग गई।



पुनीत- बस इतना ही.. तो तेरे को इतना सा देख कर पता चल गया.. हाँ..



मुनिया- नहीं बाबूजी.. मैंने ये बात सुबह मेरी सहेली को बताई.. जिसकी कुछ दिन पहले शादी हुई है.. तब उसने मुझे बताया कि ये सब पति और पत्नी के बीच चलता है.. और फिर उसने मुझे सब बताया।



पुनीत- ओये होये.. मेरी मुनिया.. मैं तो तुझे भोली समझा था.. तू तो सब जानती है.. चल अच्छा है ना.. मुझे तुमको ज़्यादा समझाना नहीं पड़ेगा। अब चल देर मत कर.. निकाल अपने कपड़े मुझे तेरा जिस्म देखना है।



मुनिया- नहीं नहीं बाबूजी.. मैंने कहा ना.. मुझे वो नहीं करना.. आप उसके अलावा जो सेवा कहो.. मैं कर दूँगी। मगर वो काम नहीं..



पुनीत- अरे क्या.. तू ये और वो.. कह रही है.. साफ बोल कि चुदाई नहीं करूँगी.. तो मेरे को कौन सा तुझे चोदना है.. बस मेरी मालिश करवाने लाया हूँ। अब तुझे पैसे नहीं कमाने क्या.. जिंदगी भर ऐसे ही रहोगी क्या?



मुनिया- सच बाबूजी.. आप मेरे साथ वो नहीं करोगे ना.. तब तो आप जो कहो मैं कर दूँगी।



पुनीत- अरे वाह.. मेरी जान यह हुई ना बात.. चल अब जल्दी से कपड़े निकाल.. मैं बस तेरे जिस्म को देखूँगा। उसके बाद तू मेरे लौड़े को चूस कर इसका दर्द मिटा देना।



मुनिया- बाबूजी पहले आप आँखें बन्द करो ना.. मुझे शर्म आ रही है।



पुनीत ने उसकी बात मान ली और आँखें बन्द कर लीं और मुनिया ने अपने कपड़े निकाल दिए। पहले उसने सोचा ब्रा रहने दें.. मगर ना जाने क्या सोच कर उसने वो भी निकाल दी। अब वो एक कोने में खड़ी अपनी टाँगों को भींच कर चूत को छुपाने लगी थी और हाथों से अपने चूचे छुपा रही थी।



पुनीत- अरे क्या हुआ जान.. अब आँख खोल लूँ क्या.. बोलो ना?



मुनिया- हाँ बाबूजी.. खोल लो..



जब पुनीत ने आँखें खोलीं.. तो उसके सामने एक कच्ची कन्या.. अपनी जवानी का खजाना छुपाए हुए खड़ी थी.. जिसे देख कर उसका लौड़ा फुंफकारने लगा। वो बस देखता ही रह गया।



पुनीत- अरे ये क्या है.. तुमने तो सब कुछ छुपा रखा है यार.. ऐसे कैसे चलेगा.. अब यहाँ आओ और सुनो हाथ ऊपर करके धीरे-धीरे आना, तुम्हें तेरी माँ की कसम है।



मुनिया- हाय बाबूजी.. आपने माई की कसम क्यों दे दी.. मैं अब क्या करूँ.. मुझे बहुत शर्म आ रही है और माई की कसम भी नहीं तोड़ सकती!



पुनीत- ठीक है.. अब ज़्यादा सोचो मत.. बस मैंने जैसे बताया.. वैसे आओ आराम-आराम से..



मुनिया ने दोनों हाथ ऊपर कर लिए। अब उसके 30″ के मम्मे आज़ाद थे.. जो एकदम गोल-गोल और उन पर हल्के गुलाबी रंग की बटन.. यानि कि उसके छोटे से निप्पल.. सफेद संगमरमरी जिस्म पर वो गुलाबी निप्पल कुदरत की अनोखी कारीगिरी की मिसाल दे रहे थे।



मुनिया धीरे से आगे बढ़ रही थी और पुनीत भी बड़े आराम से ऊपर से नीचे अपनी नज़र दौड़ा रहा था। अब उसकी नज़र मुनिया के पेट से होती हुई उसकी जाँघों के बीच एक लकीर पर गई.. यानि उसकी चूत की फाँक पर गई.. जो ऐसे चिपकी हुई थी.. जैसे फेविकोल से चिपकी हुई हो और चूत के आस-पास हल्के भूरे रंग के रोंए उसकी खूबसूरती को और बढ़ा रहे थे। उसकी मादक चाल से पुनीत का लौड़ा झटके खाने लगा।



पुनीत की नज़र से जब मुनिया की नज़र मिली.. तो वो शर्मा गई और तेज़ी से भाग कर पुनीत के पास आ गई।



पुनीत ने उसे अपने आगोश में ले लिया और उसके नर्म पतले होंठों पर अपने होंठ रख दिए। वो बस मुनिया के होंठों को चूसने लग गया। उसके मस्त चूचों को मसलने लगा।



इस अचानक हमले से मुनिया थोड़ी घबरा गई और उसने पुनीत को धकेल कर एक तरफ़ कर दिया और खुद जल्दी से खड़ी हो गई।
 
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पुनीत- अरे क्या हुआ मुनिया.. खड़ी क्यों हो गई तुम?



मुनिया- नहीं बाबूजी.. ये गलत है.. मुझे ये सब नहीं करना..



पुनीत- अरे मुझ पर भरोसा रख.. मैं बस तुम्हें प्यार करूँगा और कुछ नहीं.. तुझे वो मज़ा दूँगा.. उसके बाद तू मुझे मज़ा देना बस..



मुनिया नादान थी और इस उम्र में किसी को भी बहला लेना आसान होता है। खास कर पुनीत जैसे ठरकी पैसे वाले लड़के के लिए मुनिया जैसी लड़की को पटाना कोई बड़ी बात नहीं थी।



मुनिया खुश हो गई और बिस्तर पर बैठ गई। उसकी आँखों में एक अजीब सी बेचैनी थी। वो बस पुनीत के लौड़े को निहार रही थी। अब उसका इरादा क्या था.. ये तो वही बेहतर जानती थी।



पुनीत- देख मुनिया.. मैं तुझे एक अलग किस्म की मालिश करना सिखाता हूँ.. जो हाथों और होंठ से होगी। तो सीधी लेट जा.. मैं तेरे जिस्म की मालिश करता हूँ। उसके बाद तू मेरे को वैसे ही करना.. ठीक है..!



मुनिया ने ‘हाँ’ में सर हिला दिया। बस अब क्या था.. पुनीत उस कच्ची कन्या पर टूट पड़ा। उसके नर्म होंठों को चूसने लगा। उसके छोटे-छोटे अनारों को दबाने लगा। कभी वो उसके छोटे से एक निप्पल को चूसता.. तो कभी हल्का सा काट लेता।



मुनिया- आह.. इससस्स.. बाबूजी.. आह्ह.. दुःखता है.. आह्ह.. कककक.. नहीं.. उफ़फ्फ़.. आह्ह..



पुनीत तो वासना की आग में बह गया था। उसको तो बस उस कच्ची चूचियों में जैसे अमृत मिल रहा हो। वो लगातार उनको चूसे जा रहा था और उसका लौड़ा लोहे की रॉड की तरह कड़क हो गया था। मगर पुनीत जल्दबाजी नहीं करना चाहता था। वो मुनिया को इतना तड़पाना चाहता था कि वो खुद कहे कि आओ मेरी चूत में लौड़ा घुसा दो.. तभी उसके बाद वो उसकी नादान जवानी के मज़े लूटेगा।



पुनीत अब चूचों से नीचे उसके गोरे पेट पर अपनी जीभ घुमा रहा था और मुनिया किसी साँप की तरह अपनी कमर को इधर-उधर कर रही थी।



उसको मज़ा तो बहुत आ रहा था। मगर थोड़ा सा डर भी लग रहा था कि कहीं पुनीत उसकी चुदाई ना कर दे। मगर बेचारी वो कहाँ जानती थी कि इस सबके बाद चुदाई ही होगी।



पुनीत के होंठ अब मुनिया की चंचल चूत पर आ गए थे.. जिसकी खुशबू उसको पागल बना रही थी। वो बस चूत को किस करने लगा।



मुनिया- ककककक आह.. बाबूजी आह्ह.. मेरे बदन में आ..आग सी लग रही है.. आह्ह.. न्णकन्न्..नहीं आह्ह.. यहाँ नहीं.. उफ़फ्फ़..



पुनीत- इसस्सश.. सस्स्सह.. चुपचाप मज़ा लो मेरी जान.. अभी देख तेरा कामरस आएगा उफ्फ.. क्या गर्म चूत है तेरी.. मज़ा आएगा चाटने में..



पुनीत चूत की फाँक को उंगली से खोलने लगा। वाह..अन्दर से क्या गुलाबी नजारा सामने था.. वो बस उसको चाटने लगा और मुनिया तड़प उठी।



पुनीत चूत के दाने पर अपनी जीभ घुमा रहा था और मुनिया सिसक रही थी। उसका तो बुरा हाल हो गया था.. किसी भी पल उसकी चूत बह सकती थी। उसने अपनी कमर को हवा में उठा लिया.. तो पुनीत ने उसकी गाण्ड के नीचे हाथ लगा दिया और कुत्ते की तरह स्पीड से उसकी चूत को चाटने लगा।



मुनिया- आआ आआ बा..बू..जी.. आह्ह.. इसस्स.. मुझे कुछ हो रहा है ओह.. हट जाओ वहाँ से.. आह्ह.. ससस्स उफ़फ्फ़ मेरा आह्ह.. निकलने ही वाला है।



पुनीत ने आँखों से इशारा किया कि आने दो.. और दोबारा वो चूत को रसमलाई की तरह चाटने लगा। कुछ ही देर में मुनिया झड़ गई। अब वो शांत हो गई थी.. मगर उसकी साँसें तेज-तेज चल रही थीं।



इधर पुनीत के लौड़े में दर्द होने लगा था क्योंकि वो बहुत टाइट हो गया था और वीर्य की कुछ बूँदें उसके सुपारे पर झलक रही थी। अब बस उसको किसी भी तरह चूत में जाना था.. मगर ये सफ़र इतना आसान नहीं था। एक कच्ची चूत को फाड़कर लौड़े को चूत की गहराई में उतारना इतना आसान नहीं होगा.. ये बात पुनीत जानता था।



पुनीत- क्यों मेरी जान.. मज़ा आया ना.. अब तू तो ठंडी हो गई। देख मेरे लौड़े का हाल बुरा हो गया.. चल जल्दी से इसको चूस कर ठंडा कर.. मेरी जान निकली जा रही है।



मुनिया की आँखें एकदम लाल हो गई थीं जैसे उसने 4 बोतल चढ़ा ली हों और उसका जिस्म इतना हल्का हो गया था कि आपको क्या बताऊँ.. वो तो बस हवा में उड़ रही थी।



पुनीत- मुनिया.. अरी ओ मुनिया.. कहाँ खो गई.. उठ ना यार.. जल्दी से आ जा..



पुनीत उसके पास सीधा लेट गया था उसकी आवाज़ के साथ मुनिया उसके पैरों के पास बैठ गई और लौड़े को हाथ में लेकर सहलाने लगी। कुछ देर बाद उसको अपने मुँह में भर कर चूसने लगी।



पुनीत ने अपनी आँखें बन्द कर लीं और बस मज़ा लेने लगा। मुनिया अब लौड़े को बड़े प्यार से चूस रही थी.. पहली बार तो उसको कुछ अजीब लगा था.. मगर इस बार वो बड़े अच्छे तरीके से चूस रही थी।



कुछ देर तक ये चुसाई चलती रही, अब पुनीत के लौड़े की सहन-शक्ति ख़त्म हो गई थी.. वो झड़ने को तैयार था, इस अहसास से पुनीत ने मुनिया के सर को पकड़ लिया।



पुनीत- आआ.. आह.. ज़ोर से चूस आह्ह.. मेरी जान.. आह्ह.. बस थोड़ी देर और आह्ह.. मेरा पानी बस निकलने ही वाला है।
 
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दोस्तो, पुनीत का पानी निकालता.. इसके पहले कमरे का दरवाजा ज़ोर से खुला.. जैसे कोई बड़े गुस्से में खोला गया हो।



पुनीत और मुनिया तो ऐसे मोड़ पर थे कि उनको यह अहसास भी नहीं हुआ कि कौन आया है, बस मुनिया स्पीड में लौड़ा चूस रही थी और पुनीत उसके मुँह को चोद रहा था।



कुछ पल बाद लौड़े से पिचकारी निकली.. जो सीधी मुनिया के हलक में उतरती चली गई। इस बार मुनिया ने जल्दी से पूरा पानी गटक लिया और लौड़े पर से आख़िरी बूँद तक चाट कर साफ की।
 
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दोस्तो, पुनीत का पानी निकालता.. इसके पहले कमरे का दरवाजा ज़ोर से खुला.. जैसे कोई बड़े गुस्से में खोला गया हो।



पुनीत और मुनिया तो ऐसे मोड़ पर थे कि उनको यह अहसास भी नहीं हुआ कि कौन आया है, बस मुनिया स्पीड में लौड़ा चूस रही थी और पुनीत उसके मुँह को चोद रहा था।



कुछ पल बाद लौड़े से पिचकारी निकली.. जो सीधी मुनिया के हलक में उतरती चली गई। इस बार मुनिया ने जल्दी से पूरा पानी गटक लिया और लौड़े पर से आख़िरी बूँद तक चाट कर साफ की।



{अब दरवाजे को इतनी जोर से कीसने खौला ये बाद में देखते है। पहले टोनी (विवेक ओर सुनील का बोस) से मील कर आते है।}



रात के 11 बजे हाइवे पर एक बाइक बड़ी तेज़ी से जा रही थी.. उस पर जो शख्स बैठा था.. उसका नाम है टोनी.. उसकी उम्र लगभग 22 साल है। बाकी का इंट्रो बाद में.. तो चलिए.. आगे देखते हैं।



वो बाइक एक घर के पास जाकर रुकी और टोनी बाइक से उतरा और सीधा उस घर में चला गया। वहाँ कुछ अंधेरा था.. टोनी ने लाइट चालू की.. तो उसके सामने एक आदमी काले सूट में खड़ा था। जिसने चेहरे पर नकाब लगाया हुआ था और उसके हाथ में एक पैकेट था.. जिसे देख कर टोनी के चेहरे पर मुस्कान आ गई।



दोस्तो, यह कौन है.. इसके बारे में अभी नहीं बता सकता.. बस कुछ सस्पेंस है।



टोनी- वाह.. भाई.. आप तो ज़ुबान का एकदम पक्के निकले.. मेरे से पहले ही आप इधर आ गया.. क्या बात है?



भाई- मेरा यही फंडा है.. कि अगर तुम वक़्त के साथ चलोगे तो वक़्त तुम्हारा साथ देगा.. नहीं तो वो आगे निकल जाएगा और तुम पीछे रह जाओगे.. समझे?



टोनी- मान गया भाई.. ये टोनी आपको सलाम करता है।



भाई- ठीक है ठीक है.. वो दोनों(विवेक ओर सुनील) कहाँ हैं और कुछ इंतजाम किया या नहीं तुमने?



टोनी- लड़की(कोमल) मिल गई भाई.. वो दोनों के साथ है.. मैं खुद जाकर उसको समझाने वाला था.. मगर आपने यहाँ बुला लिया तो अब वो लोग उसको समझा देंगे।



भाई- गुड.. लेकिन वो लड़की एकदम हॉट लगनी चाहिए.. नहीं तो मेरा काम अधूरा रह जाएगा।



टोनी- अरे भाई.. वो ऐसी-वैसी नहीं है.. एक कॉलेज गर्ल के साथ-साथ कॉल-गर्ल है यानि पैसों के लिए कुछ खास लोगों से ही चुदवाती है और एक्टिंग भी अच्छी करती है.. आप टेन्शन मत लो..



भाई- देख कल वहाँ इस बार के मीटींग के लिए सिर्फ़ लड़के जमा होंगे.. मैंने तुमको बड़ी मुश्किल से फिट किया है। तुम वहाँ उसको साथ लेकर जाना.. प्लान याद है ना.. कैसे ले जाना है?



टोनी- हाँ भाई.. अच्छी तरह याद है..



भाई- बस कुछ भी हो.. तुम तीनों को जीतना ही चाहिए.. फिर उस साली को दिखा देंगे कि हम क्या चीज़ हैं.. समझे! बहुत बोलती थी कि तुम जैसे नामर्द से लड़की होना अच्छा है, अब साली रोएगी जब उसको अपनी मर्दानगी दिखाएँगे..



टोनी- मगर भाई आप कौन हो, अपना चेहरा तो दिखाओ और आप किस लडकी की बात कर रहे हो.. क्या उसको आप प्यार करते थे?



भाई- मैंने बताया था ना.. उसने मुझे नामर्द कहा था.. बस मैं उससे इसी बात का बदला लूँगा।



टोनी- इतनी सी बात के लिए इतना बड़ा गेम.. ना ना भाई.. आप कुछ छुपा रहे हो.. बात कुछ और ही है।



भाई- हाँ टोनी.. बात इससे भी बड़ी है.. सब बता दूँगा टोनी.. सब्र करो.. बस सही वक़्त आने दो।



टोनी- भाई आप टेन्शन ना लो.. उस साली को अच्छा सबक़ सिखा देंगे और उसके साथ उस हरामजादे को भी सब समझ आ जाएगा हा हा हा हा!



भाई- ठीक है ठीक है.. ये ले पैसे.. और मज़े करो.. कल वहाँ समय से पहुँच जाना..



टोनी- थैंक्स भाई.. वैसे एक बात पूछनी थी.. आप ये चेहरा छुपा कर क्यों रखते हो.. मैं तो आपका ही आदमी हूँ.. मुझे तो आप चेहरा दिखा ही सकते हो ना?



भाई- वक़्त आने दो.. चेहरा भी दिखा दूँगा और नाम भी बता दूँगा। अब ज़्यादा सवाल मत कर.. मैंने तुझे एक खास काम के लिए यहाँ बुलाया है.. वो सुन..



टोनी- जी बोलो भाई.. अपुन हर समय रेडी है आपके लिए..



भाई- तू अभी बुलबुल गेस्ट हाउस जा.. और शनिवार के लिए उसको बुक करवा दे.. उसके बाद सलीम गंजा के पास जाना और उसको कहना कि बुलबुल गेस्ट हाउस में पार्टी है.. अपना जादू दिखा.. ‘हँसों’ को जमा कर समझा।



टोनी- समझ गया भाई क्या कोड में बोला आपने.. ‘हँसों’ को हा हा हा.. मज़ा आ गया। अब तो पक्का धमाल होगा भाई.. कई दिनों से ऐसी पार्टी में नहीं गया.. अब तो मज़ा आ जाएगा।



इतना कहकर टोनी वहाँ से निकल गया और अपने काम को अंजाम देने के लिए दोबारा बाइक पर चल पड़ा।



बस दोस्तो, अब इसके साथ जाकर क्या करोगे.. आगे पता लग ही जाएगा कि कैसी पार्टी होनी है और क्यों होनी है..?



हम पुनीत के पास चलते हैं वहाँ कौन बीच में आ गया था.. देखते हैं।



अरे रूको.. पहले कोमल का हाल और बताए देता हूँ.. उस बात के बाद दोनों ने दोबारा कोमल को चोदना चाहा.. मगर वो नहीं मानी और सुबह की तैयारी का बोल कर वहाँ से निकल गई।



चलो अब पुनीत के फार्म पर चलते हैं।
 
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मुनिया ने जब लौड़े को चाट कर साफ किया और पुनीत के बराबर में लेटी.. तो दरवाजे पर रॉनी खड़ा हुआ था.. जिसे देख कर मुनिया घबरा गई और जल्दी से उकड़ू बैठ कर अपना बदन छुपाने लगी।



पुनीत- आओ आओ.. रॉनी.. कहाँ था अब तक.. कसम से ये मुनिया तो कमाल की है यार.. खूब मज़ा देती है..



रॉनी- हाँ देख रहा हूँ.. वैसे कमाल तो तूने किया है.. इतनी जल्दी इसको मनाया कैसे?



पुनीत- अरे इसमें मनाना क्या था.. ये यहाँ आई ही मालिश के लिए है.. बस इसको शहर में कैसे मालिश होती है यही सब समझाया.. और ये सब सीख भी गई.. आओ तुम भी मालिश करवा लो।



मुनिया एकदम सहमी हुई कोने में बैठ गई थी.. जिसे देख कर पुनीत ने कहा- अरे मुनिया ऐसे डर क्यों रही है.. ये मेरा भाई है.. तुमको इसकी भी ऐसे ही मालिश करनी होगी।



मुनिया- बाबूजी मुझे सच में बहुत अजीब लग रहा है.. आपका शहर तो बड़ा अजीब है। आपका भाई सामने खड़ा और आप नंगे आराम से बैठे हैं.. मुझसे तो ऐसे नहीं होगा।



रॉनी- रहने दे.. नहीं करवानी मुझे मालिश.. पुनीत जल्दी कमरे में आ.. तुजसे कुछ बात करनी है।



इतना कहकर रॉनी वापस चला गया।



पुनीत- अरे पगली.. ऐसा क्यों बोली.. वो भाई है मेरा.. और कई बार तो हम साथ में मालिश करवाते हैं। अब सुन अभी तू सो जा.. कल से इस सबकी आदत डाल लेना.. समझी.. वरना नौकरी पक्की नहीं होगी।



मुनिया कुछ ना बोली और बस पुनीत को देखती रही.. जब तक वो कपड़े पहन कर चला ना गया, वो ऐसे ही बैठी रही.. उसके बाद कहीं उसकी जान में जान आई।



कमरे में जाकर रॉनी बिस्तर पर बैठ गया और उसके पीछे पुनीत भी आ गया।



रॉनी- वाउ यार.. तुमने तो कमाल कर दिया.. एक ही दिन में उस लड़की को इतना खोल दिया.. मान गया यार तेरेको..



पुनीत- तूने अभी मेरा कमाल देखा कहाँ है.. साली को दो बार अमृत पिला चुका हूँ। अब तीसरी बार उसकी जवानी का मज़ा लेता.. तो तू आ गया।



रॉनी- नहीं यार.. आज के लिए इतना काफ़ी है.. और वैसे भी मुझे तुजसे एक जरूरी बात करनी थी।



पुनीत- कैसी जरूरी बात.. क्या हुआह्ह?



रॉनी- कुछ देर पहले सन्नी का फ़ोन आया था.. वो साला टोनी है ना.. उसके दिमाग़ में कुछ चल रहा है। हमें ध्यान से रहने को कहा है।



पुनीत- वो तो कल यहाँ आ रहा है ना.. उसके दिमाग़ में क्या चल रहा है? साला जानता नहीं क्या हमें?



रॉनी- शनिवार के लिए उसने बुलबुल गेस्ट हाउस को बुक किया है.. वहाँ ‘हँसों’ को जमा करने वाला है साला।



{दोस्तो, अगर आप समझ ना पा रहे हो तो बता देता हूँ.. यह बुलबुल गेस्ट हाउस एक ऐसी जगह है.. जहाँ अमीर घर के लड़के और लड़कियाँ जमा किए जाते हैं और उन्हीं को ‘हंस’ कहा जा रहा है और पार्टी के नाम पर वहाँ नशे का कारोबार होता है।



आप समझ गए होंगे यह आज की नस्ल को बिगाड़ने का नया तरीका है.. तो प्लीज़ आप ऐसी किसी जगह जाने से अपने आप को बचाएँ।}



पुनीत- अच्छा उस साले फटीचर के पास इतने पैसे कहाँ से आए.. जो वो इतना उछल रहा है?



रॉनी- ये तो मुझे पता नहीं.. सन्नी कल आएगा तो बाकी की बात बता देगा.. मगर उसने खास तौर पर कहा है कि कल सबके सामने ज़्यादा बात नहीं हो पाएगी। तो आपको बता दूँ कि किसी भी तरह उस टोनी की बातों में मत आना.. वो जरूर कुछ प्लान कर रहा है।



पुनीत- अबे मैं कोई बच्चा हूँ क्या.. जो उसकी बातों में आ जाऊँगा? ये सब जाने दे.. ला बियर पिला.. साली ने सारी बियर लौड़े से चूस कर निकाल दी है।



रॉनी ने पुनीत को बियर दी और खुद भी बोतल लेकर बैठ गया।
 
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सुबह के सात बजे गर्ल्स हॉस्टल में काफ़ी हलचल थी, छुट्टियों के चलते ज़्यादातर लड़कियाँ घर चली गयी थीं और जो कुछ बाकी थीं.. वो भी धीरे-धीरे जा रही थीं।



पूजा अपने कमरे में बैठी बाल बना रही थी.. तभी पायल वहाँ आ गई।



पायल- हाय पूजा.. कैसी हो.. रात को कहाँ चली गई थीं तुम? और वापस कब आईं.. मुझे तो पता ही नहीं चला?



पूजा- हाय.. मैं ठीक हूँ.. तू सुना क्या हाल है तेरा.. और तूने तो मुझे मना कर दिया था.. मगर गॉड ने एक ऐसा तगड़ा लौड़ा भेजा.. कि बस मज़ा आ गया.. बस तो मैं चुद कर ही वापस आ गई थी। तो तू बेसुध होकर घोड़े बेच कर सो रही थी, तेरी नाईटी भी खुली हुई थी।



पायल- ओ माय गॉड.. क्या बोल रही हो? कौन मिल गया? यहाँ तो सिर्फ़ लड़कियाँ ही हैं.. मैं तो ऐसे ही सोती हूँ.. सोने के बाद मुझे कुछ पता नहीं चलता.. कि क्या हो रहा है! नाईटी का क्या है.. खुल गई होगी..



पूजा- पता नहीं कौन था.. मगर था बहुत प्यारा.. और तू ऐसे ना सोया कर.. नहीं सोते में कोई तेरी चुदाई कर जाएगा.. हा हा हा हा..



पायल- मेरी तो समझ के बाहर है.. तुम कुछ भी मत बोलो और किसकी मजाल है.. जो मुझे छेड़े.. मेरे पापा को जानती नहीं क्या तुम?



पूजा- हाँ हाँ.. जानती हूँ तेरे पापा को.. और तेरे भाई को भी.. बड़े गुस्से वाले हैं। यार.. ये सब जाने दे.. तू मेरी बात सुन..



पूजा ने उसको कहा कि वो सच बोल रही है.. उसके बाद रात की पूरी बात बताई.. जिसे सुनकर पायल के होश उड़ गए।



पायल- हे भगवान.. तुम कैसी हो यार.. किसी के भी साथ छी: छी:..



पूजा- ओ सती सावित्री.. बस कर हाँ.. मुझे ऐसे जलील मत कर.. तूने तो मना कर दिया था और वो कोई ऐरा-गैरा नहीं था.. कोई खास ही था.. समझी.. और तू जो ये ‘छी: छी:’ कर रही है ना.. देख लेना.. एक दिन तू ऐसी बन जाएगी कि लोग तुम पर थूकेंगे.. जो लड़की ज़्यादा शरीफ़ बनती है ना.. उनको कभी ना कभी ऐसा लड़का मिलता है.. जो उसको कहीं का नहीं छोड़ता.. समझी.. ये जवानी बड़ी जालिम होती है.. तू कब तक इसे संभाल कर रखेगी.. एक ना एक दिन कोई आएगा और तेरे मज़े लूट लेगा और तू उस दिन मुझे याद करेगी कि कोई थी पूजा..



पायल- नहीं ऐसा कुछ नहीं होगा.. और मैंने कब कहा कि मैं कभी किसी को अपना नहीं बनाऊँगी.. हाँ.. मैं अपना जिस्म दूँगी.. मगर सिर्फ़ अपने पति को.. वो भी शादी के बाद.. समझी..



पूजा- शादी… हा हा हा हा.. अरे मेरी जान.. अभी शादी को बहुत समय है.. तब तक कोई मंजनू आएगा और तुझे ‘लैला-लैला’ बोलकर अपना लोला दे जाएगा हा हा हा हा..



उसकी बात सुनकर पायल भी हँसने लगी।



पूजा- तुम्हें लेने कोई आएगा क्या?



पायल- अरे नहीं यार.. मैं कौन से दूसरे शहर की हूँ.. यहीं की तो हूँ.. खुद ही चली जाऊँगी।



पूजा- यार तू इसी शहर की होकर हॉस्टल में क्यों रहती है?



पायल- बस ऐसे ही यार.. घर पर पढ़ाई ठीक से नहीं होती।



पायल ने पूजा को टालते हुए ये बात कही.. उसके माथे पर शिकन भी आ गई थी.. उस समय उसके बाद दोनों बस नॉर्मली यहाँ-वहाँ की बातें करने लगी।



उधर बाहर गेट के पास बबलू यहाँ का चौकीदार और रामू जो साफ-सफ़ाई करता है.. दोनों बातें कर रहे थे।



दोस्तो, हॉस्टल के कैम्पस में एक कमरा बना हुआ है.. जहाँ ये दोनों साथ में रहते हैं। बबलू रात को एक राउंड लगा कर कमरे में आ जाता है.. मगर वो बीती रात को काफ़ी लेट आया था।



रामू- अरे बबलू भाई.. रात को बड़े देर से आए तुम.. भाई कहाँ रह गए थे?



बबलू- अरे का बताएं भाई.. जब से यहाँ आया हूँ.. साली नींद ही नहीं आती है.. कैसी सुन्दर-सुन्दर लड़कियाँ है यहाँ पर.. देख कर बहुत मज़ा आता है।



रामू- ओये.. चुप कर ओ पगले.. कोई सुन लेगा और ये रात को तू ऐसे गैलरी में मत घूमा कर.. किसी दिन पकड़ा गया ना.. तो नौकरी तो जाएगी साथ में पिटाई भी खूब होगी..



बबलू- अबे हट.. कौन ससुरा हमको पकड़ेगा.. और साला मैं कौन सा किसी के साथ ज़बरदस्ती करता हूँ.. बस देख कर मज़ा ही तो लेता हूँ.. तू जानता नहीं है.. यहाँ की लड़कियों की बुर बहुत फड़फ़ड़ाती है.. साली आपस में रगड़वा कर मज़ा लेती हैं.. एक से बढ़कर एक हैं।



रामू- हाँ मैं सब जानता हूँ.. मगर ये सब बड़े घर की छोकरियाँ हैं.. अपना कुछ नहीं हो सकता यहाँ..



बबलू- तेरा तो पता नहीं.. पर मेरा बहुत कुछ होगा.. तू नहीं जानता मैंने रात कितना मज़ा किया है यार..



रामू- ओह्ह.. क्या बात करता है? किसी को पटा लिया क्या.. भाई बता ना.. कौन है वो लड़की..? और क्या किया रात को?



बबलू- अभी नहीं.. फिर कभी बताऊँगा अभी मुझे ऑफिस में जाना है.. ठीक है चलता हूँ।



ओके फ्रेंड्स.. यहाँ कुछ खास नहीं हुआ.. वैसे आपको कुछ सोच में जरूर डाल दिया मैंने.. कि रात को पूजा के साथ कोई और था या ये बबलू था.. चलो इसका भी पता लग जाएगा। अभी आगे देखते हैं कि फार्म हाउस पर क्या हुआ?
 
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दोनों भाई रात को देर तक पीते रहे थे.. तो अब तक सो रहे थे।



इधर मुनिया जल्दी उठ गई और नहा कर बाकी नौकरों के पास रसोई में पहुँच गई.. उसको जोरों की भूख लगी थी।



वहाँ किसी ने उससे ज़्यादा बात नहीं की और उसको नाश्ता दे दिया। वैसे मुनिया को भी उनसें बात नहीं करनी थी.. क्योंकि पुनीत ने मना किया था।



वो अपने कमरे में आ गई और सोचने लगी कि रात जो हुआ.. वो सही था या नहीं..? बस इसी सोच में वो वहीं बैठी रही.. कुछ देर बाद उसको कुछ समझ आया तो वो पुनीत के कमरे की तरफ़ गई।



जब वो अन्दर गई.. दोनों भाई आराम से एक बिस्तर पर सोए हुए थे। मुनिया उनके पास गई और धीरे से पुनीत को उठाया।



मुनिया- बाबूजी.. उठो देखो.. कितनी देर हो गई है.. मैं क्या काम करूँ.. मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा.. उठो ना..


पुनीत की आँख खुली तो उसने मुनिया को पकड़ कर बिस्तर पर खींच लिया।



पुनीत- अरे जानेमन.. मैं तुम्हें यहाँ काम करने के लिए नहीं लाया हूँ। तुम बस हमारी सेवा करो और सुबह का वक़्त सेवा करने के लिए सबसे अच्छा होता है.. चल आ जा..



मुनिया- क्या बाबूजी.. आप भी ना.. चलो उठो.. मुँह-हाथ धो लो.. कुछ खाना खालो उसके बाद जितनी सेवा करवानी है.. करवा लेना..



उन दोनों की बात सुनकर रॉनी भी उठ गया था और मुनिया को देख कर मुस्कुराने लगा।



रॉनी- मुनिया सारी सेवा पुनीत की करेगी तो मेरा क्या होगा?



मुनिया थोड़ा शर्माते हुए बोली।



मुनिया- ऐसी बात नहीं है बाबूजी.. मैं तो आप लोगों की दासी हूँ.. आप जब कहो सेवा में हाजिर हूँ।



रॉनी- अच्छा अच्छा.. ठीक है.. जा रसोई में जाकर बोल दे.. हम 10 मिनट में आते हैं.. हमारा नाश्ता रेडी कर दे.. ठीक है..



मुनिया वहाँ से चली गई तो पुनीत ने रॉनी को देखा और उसको मजाक से एक मुक्का मारा।



पुनीत- क्या बात है मेरे रॉनी दि ग्रेट कच्ची कली को भोगने का मन बना लिया क्या तूने.. हा हा हा..



रॉनी- अब क्या बताऊँ.. कल जब इसको नंगी देखा तो मेरी तो आँख चकरा गई.. साली क्या क़यामत है.. वैसे मानना पड़ेगा.. एक ही रात में लौड़ा चुसवा दिया तूने इसको..



पुनीत- अरे एकदम टाइट माल है यार.. इसका मुँह भी चूत का मज़ा देता है। अब बस बर्दाश्त नहीं होता.. नाश्ते के बाद साली को चोद ही दूँगा..



रॉनी- अरे ये क्या यार.. सब कुछ तुम ही कर लोगे.. तो मेरा क्या होगा..? इस नाज़ुक तितली का थोड़ा मज़ा मुझे भी लेने दो.. उसके बाद दोनों साथ मिलकर चोदेंगे साली को..



पुनीत- हाँ तू ठीक कहता है.. साली को आगे और पीछे दोनों तरफ़ से बजा कर मज़ा लेंगे.. चल जल्दी तैयार हो ज़ा..



रॉनी- भाई पर यह बहुत दुबली है.. क्या दोनों का लौड़ा से लेगी.. साली कहीं मर-मरा ना जाए..



पुनीत- अरे ऐसे कैसे मर जाएगी.. आज तक कभी सुन है कि कोई जवान चूत चुदने से मरी है.. हा हा हा हा..



रॉनी- जो करना है जल्दी कर लेना.. बाद में यहाँ सन्नी और बाकी सब आ जाएँगे।



पुनीत- अरे वो अभी कहाँ आने वाले हैं.. अभी बहुत समय है उनके आने में.. तब तक तो मुनिया की मस्त चुदाई कर लेंगे हम.. अब सुन पहले तू मुनिया से मालिश करवा ले और हाँ उसको नंगा कर देना। उसके बाद में आऊँगा और बस साली को फँसा लेंगे अपने लण्डजाल में.. समझ गया ना..



रॉनी ने ‘हाँ’ में सर हिलाया और अब दोनों फ्रेश होने की तैयारी में लग गए। करीब एक घंटा बाद दोनों ने नाश्ता करके अपने प्लान को अंजाम देने की मुहिम शुरू की।



रॉनी- उफ्फ.. रात को बरसात ने पूरे जिस्म को तोड़ दिया है बदन बहुत दर्द कर रहा है..



पुनीत- अरे ये मुनिया को किस लिए साथ लाए हैं.. इसके हाथ में जादू है.. तेरा सारा दर्द निकाल देगी.. जा इसको अन्दर ले जा..



मुनिया- हाँ बाबूजी.. चलो अभी दबा के आपका दर्द निकाल देती हूँ।



रॉनी और मुनिया कमरे में चले गए तो रॉनी ने कपड़े निकाल दिए.. बस अंडरवियर में आ गया। जिसे देख कर मुनिया शर्मा गई।



रॉनी- अरे क्या हुआ मुनिया.. ऐसे दूर क्यों खड़ी हो.. कपड़े निकाल कर ही सही मालिश होती है।



मुनिया- बाबूजी आप लेट जाओ.. मैं अभी कर देती हूँ.. बताओ कहाँ दर्द है?



रॉनी- अरे तू पास तो आ.. ऐसे वहाँ खड़ी होकर दबाएगी क्या.. रात को तो बिना कपड़ों के पुनीत को बड़ा मज़ा दे रही थी.. अब क्या हो गया?



मुनिया- नहीं नहीं बाबूजी.. ऐसी बात नहीं है.. आप रात की बात ना करो.. मुझे शर्म आती है।



रॉनी- अरे इसमें शर्म कैसी.. यहाँ आ.. जो मज़ा पुनीत ने दिया.. वो मैं भी दूँगा और सच कहता हूँ.. उससे ज़्यादा दूँगा.. तू मेरे पास तो आ।



मुनिया का चेहरा शर्म से लाल हो गया था.. वो धीरे से रॉनी के पास जाकर बैठ गई।
 

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