Incest वासना ओर बदले की आग

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रॉनी ने मुनिया के मम्मों को सहलाते हुए उससे पूछा- सच बता मुनिया.. पुनीत के पहले कभी किसी ने तेरे इन अनारों को छुआ है क्या?



मुनिया एकदम शर्मा कर ‘ना’ में सर हिलाती है.. तब रॉनी खुश होकर मुनिया के होंठों को अपने होंठों से चूसने लगता है और उसके जिस्म पर हाथ फेरने लगता है।



मुनिया थोड़ा विरोध करती है.. मगर रॉनी की मजबूत बाहें उसको जकड़े रहती हैं और कुछ देर बाद उसको भी मज़ा आने लगता है।



रॉनी ने मुनिया को बिस्तर पर लेटा दिया अब वो उसके मम्मों को कपड़े के ऊपर से चूसने लगा था। मुनिया तो बस जन्नत की सैर पर निकल गई थी।



मुनिया- इसस्स.. बाबूजी.. आप दोनों भाई आह.. आह.. एक जैसे हो.. आह्ह.. मुझे काम के बहाने यहाँ ले आए.. इससस्स.. आह्ह.. दुःखता है.. ओह.. और कुछ और ही कर रहे हो मेरे साथ..



रॉनी- गलत बोल रही है तू.. हम एक जैसे नहीं हैं.. बहुत फ़र्क है.. घबरा मत धीरे-धीरे सब फ़र्क नज़र आ जाएगा तुझे और काम का क्या है.. वो तो सारी उम्र पड़ी है.. मेरी जान.. कभी भी कर लेना.. अभी तो जिंदगी के मज़े ले ले..



रॉनी अब बेताब था मुनिया के जिस्म से खेलने के लिए.. उसने मुनिया के कपड़े निकालने शुरू कर दिए। वैसे मुनिया झूटा नाटक कर रही थी मगर रॉनी को कपड़े निकालने में मदद भी कर रही थी।



मुनिया के चमकते जिस्म को देख कर रॉनी का लंड चड्डी फाड़कर बाहर आने को बेताब हो रहा था.. मगर रॉनी ने उसको आज़ाद नहीं किया और मुनिया के छोटे-छोटे मम्मों को सहलाने लगा।



रॉनी- वाह.. रे.. मेरी मुनिया तू तो एकदम कुदरत का तराशा हुआ नगीना है.. तुझे तो बस देखते रहने का मन करता है।



मुनिया- बाबूजी कल रात से आप दोनों भाई मुझे नंगा करने में लगे हुए हो.. मेरी हालत खराब हो गई है.. पता नहीं क्यों मुझे कुछ होने लगता है।



रॉनी- तू मेरी बात मान ले जान.. तेरी सारी बेचैनी दूर कर दूँगा..



मुनिया- बाबूजी मैं नंगी तो आपके सामने पड़ी हूँ.. अब इससे ज़्यादा और क्या मनवाना चाहते हो?



उसकी बात सुनकर रॉनी खुश हो गया और मुनिया पर टूट पड़ा। उसके निप्पल चूसने लगा और एक हाथ से उसकी चूत को रगड़ने लगा।



मुनिया जल बिन मछली की तरह तड़पने लगी और रॉनी की पीठ पर हाथ घुमाने लगी।



मुनिया- ओससस्स.. आह.. बाबूजी आह्ह.. मेरे नीचे कुछ हो रहा है.. रात को पुनीत बाबू ने जैसे किया था.. आह्ह.. वैसे आप भी करो ना..



रॉनी समझ जाता है कि इसकी चूत में खुजली शुरू हो गई है। वो झट से बैठ जाता है और अपना अंडरवियर उतार कर लौड़े को आज़ाद कर देता है।



उसके 9″ लंबे और 3″ मोटे लंड को देख कर मुनिया सिहर जाती है।



मुनिया- हाय राम बाबूजी.. ये कितना बड़ा है!!



रॉनी- मैंने कहा था ना.. हम दोनों में बहुत फ़र्क है.. अभी तो लौड़ा देखा है आगे और भी बहुत से फ़र्क नज़र आएँगे.. चल आज तुझे 69 सिखाता हूँ।



मुनिया- वो क्या होता है बाबूजी?



रॉनी- तू मेरा लौड़ा चूसेगी और उसी समय में तेरी चूत को चाटूँगा।



मुनिया- हाय बाबूजी.. ऐसे तो बड़ा मज़ा आएगा.. बताओ मैं क्या करूँ..?



रॉनी- अरे करना क्या है.. बस मेरे ऊपर आजा.. अपनी चूत मेरे मुँह पर रख और ले ले मेरा लौड़ा अपने मुँह में.. फिर देख क्या मज़ा आता है..



मुनिया ने वैसा ही किया.. अब रॉनी बड़े प्यार से उसकी कुँवारी चूत को चाट रहा था और मुनिया प्यार से उसके बम्बू को चूस रही थी।



यह सिलसिला कुछ देर तक यूँ ही चलता रहा.. तभी अन्दर पुनीत भी आ गया.. उसके हाथ में बियर की बोतल थी और उसने सिर्फ़ लोवर पहना हुआ था।



वो दोनों मस्ती में चूसने में लगे हुए थे पुनीत ने बियर की बोतल को साइड में रखा और अपना लोवर निकाल दिया।


अब उसका लौड़ा आज़ाद हो गया था और उसके चेहरे पर हल्की मुस्कान थी।



पुनीत- वाह.. बहुत अच्छे ऐसे मालिश हो रही है हाँ..



पुनीत की आवाज़ सुनकर रॉनी पर तो कोई फ़र्क नहीं पड़ा.. लेकिन मुनिया बहुत घबरा गई और जल्दी से बिस्तर पर पड़ी चादर अपने ऊपर डाल लेती है.. जिसे देख कर दोनों भाई हँसने लगते है।



पुनीत- अरे क्या यार मुनिया.. रात को तो बड़ा खुलकर मज़ा ले रही थी.. अब ऐसा क्या है तेरे पास.. जो मुझसे छुपा रही है?



मुनिया- बाबूजी आप दोनों एक साथ होते हो.. तो मुझे शर्म लगती है।



रॉनी- अरे यार जो मज़ा साथ मिलकर करने का है.. वो अकेले में कहाँ.. चल आज तुझे जन्नत की सैर कराते हैं.. हटा दे कपड़ा और देख दोनों भाई कैसे तुझे मज़ा देते हैं।



रॉनी की बात मुनिया को समझ आती है या नहीं.. यह तो पता नहीं.. मगर उसकी चूत में बड़ी खुजली हो रही थी और वो चाहती थी कि कैसे भी उसको मिटाया जाए.. तो बस वो उनकी बात मानकर चादर हटा देती है।



पुनीत- वाह.. ये हुई ना बात.. जानेमन तू बहुत कमाल की है.. अब तू हमारा कमाल देख..



दोनों अब मुनिया के आजू-बाजू लेट गए और उसकी एक-एक चूची को चूसने लगे.. जिससे मुनिया की उत्तेजना बढ़ने लगी.. वो सिसकारियाँ लेने लगी।



मुनिया- आह्ह.. बाबूजी.. उफ़फ्फ़ काटो मत.. आह्ह.. दर्द होता है सस्स आह्ह..
 
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दोनों बस अपने काम में लगे हुए थे धीरे-धीरे पुनीत उसके पेट से होता हुआ उसकी चूत तक पहुँच गया।



रॉनी- उफ्फ.. क्या रस है यार.. इसके मम्मों में मज़ा आ रहा है.. वैसे इसका मुहूरत कौन करेगा.. ये अभी सोचा की नहीं तुने?



पुनीत- सोचना क्या था.. तेरा ट्रक बाद में चलाना.. बड़ा है.. पहले मैं अपनी कार चलाऊँगा।



राॅनी- वाह मतलब तू इसको नेशनल हाईवे बनाने के मूड में है.. हा हा हा..



पुनीत- और क्या.. देखना.. कितने वाहन इस नेशनल हाईवे पर दौड़ेंगे.. हा हा हा हा..



मुनिया तो मस्ती में खोई हुई थी.. इन दोनों की बात उसके दिमाग़ के बाहर थी वो तो बस अपनी धुन में थी।



पुनीत- मुनिया रानी.. कभी चाँद पर गई हो क्या?



मुनिया- आह.. इससस्स.. क्या बात करते हो.. बाबूजी.. उहह.. आह.. हम गरीब शहर ना जा सके.. चाँद पर कहाँ से जाएँगे.



पुनीत- मेरी जान.. आज तुझे चाँद क्या सारे ब्रम्हाण्ड की सैर करवा दूँगा.. बस तू जरा हिम्मत रखना।



इतना कहकर पुनीत ने मुनिया के पैरों को मोड़ दिया और उसके बीच खुद बैठ गया और अपने लौड़े को चूत पर रगड़ने लगा।



मुनिया- याइ.. यह.. आप क्या कर रहे हो बाबूजी.. नहीं नहीं.. भगवान के लिए ऐसा मत करो.. मैंने मना किया था ना.. मैं ये नहीं करूँगी.. बस ऊपर से जो करना है..कर लीजिए..



पुनीत- अरे क्या ये.. ये.. लगा रखा है बोल.. चुदाई नहीं करवानी और मैं कौन सा तेरी चुदाई कर रहा हूँ.. बस लौड़ा चूत पर रगड़ कर तुझे मज़ा दे रहा हूँ.. बता मज़ा आ रहा है ना?



पुनीत की बात सुनकर मुनिया का डर थोड़ा कम होता है.. वहीं रॉनी उसके चूचों को बड़े आराम से चूस रहा था.. तो मुनिया को मज़ा आ रहा था।



मुनिया- आह्ह.. हाँ बाबूजी.. आह्ह.. मज़ा तो बहुत आ रहा है.. लेकिन अन्दर मत डालना.. नहीं तो मैं मर जाऊँगी..



पुनीत- अरे डर मत.. कुछ नहीं होगा.. बस ऊपर से मज़ा दूँगा.. थोड़ा अन्दर टच करूँगा.. तू डर मत.. हाँ बस आँख बन्द करके मज़ा लेती रह.. समझी..



पुनीत ने लौड़े को मुनिया की चूत पर रगड़ना शुरू कर दिया.. जिससे उसकी चूत की आग और भड़क गई



मुनिया- कककक.. आह.. बाबूजी.. आह्ह.. आप जैसा कर रहे हो.. उससे आह्ह.. बहुत अच्छा लग रहा है.. आह्ह.. थोड़ा जल्दी इससस्स.. आह्ह.. जल्दी करो ना..



रॉनी मुनिया के निप्पल को चुटकी में दबाता हुआ कहता हैं लोहा गर्म है.. मार दे हथौड़ा..



इतना सुनकर पुनीत की आँखों में वासना की आग दिखने लगती है.. वो लौड़े को चूत पर सैट करता है.. और हाथ से दबाव बनाता है.. मगर मुनिया की चूत बहुत टाइट थी.. लौड़ा आगे जाने का नाम ही नहीं ले रहा था.. तो पुनीत ने ढेर सारा थूक लौड़े पर लगाया।



मुनिया की चूत तो पानी-पानी हो ही रही थी.. उसको गीला करने की जरूरत नहीं थी.. बस इस बार पुनीत ने मुनिया की चूत को एक हाथ से फैलाया और सुपारे को उसमे फँसा दिया।



मुनिया- इससस्स.. आह.. बाबूजी उफ़फ्फ़ मेरी फुद्दी में कुछ हो रहा है.. आह्ह.. ज़ोर से रगड़ो ना.. आह्ह..



ये पहली बार था कि मुनिया ने ‘नीचे’ की जगह ‘फुद्दी’ कहा था.. अब वो गरम हो कर चरम पर आ गई थी.. किसी भी पल उसका बाँध टूट सकता था और पुनीत को इसी मौके की तलाश थी।



पुनीत ने थोड़ा दबाव बढ़ाया तो लौड़ा फिसल कर ऊपर को निकल गया।



मुनिया कमर को झटके देने लगी.. उसकी चूत से पानी बहने लगा.. वो मदहोशी में झड़ रही थी.. बस तभी पुनीत ने चूत को सहलाया.. सुपारा वैसे ही सैट किया और अबकी बार हाथ हटाए बिना ज़ोर से धक्का मारा..



मुनिया अभी झड़ कर पूरी भी नहीं हुई थी कि ये काण्ड हो गया.. वो बेचारी तो जन्नत में घूम रही थी.. अचानक दहकता हुआ अंगार के समान पुनीत का लौड़ा चूत को फैलाता हुआ 3″ अन्दर घुस गया और खून की एक लकीर लौड़े से चिपक कर होते हुए चूत से बाहर आने लगी।



मुनिया को एक ही पल में जन्नत से दोजख की याद आ गई.. वो इतने ज़ोर से चीखी कि पूरे फार्म पर उसकी ये चीख सुनाई दी होगी।



मुनिया- आआअ… आआआअ… बा..बू..जी.. आहह्हह्ह… मैं मर गई रे.. अहह.. मम्मी रे..



पुनीत- अरे क्या सुन रहा है.. साली ने कान के पर्दे हिला दिए.. बन्द कर मुँह..



रॉनी मुनिया के सर के पास उकड़ू बैठा और अपना लौड़ा उसके मुँह में घुसा दिया।



अब उसकी चीखें तो बन्द हो गई थीं.. मगर उसकी आँखों से आँसुओं का सैलाब उमड़ पड़ा।



पुनीत- आह.. उहह.. क्या गर्म चूत है रे.. मुनिया तेरी.. आह.. लौड़ा जलने लगा है उफ़फ्फ़…



रॉनी- चूस ना साली.. क्या कर रही है.. उफ्फ.. दाँत मत लगा रे आह्ह..



पुनीत लौड़े को चूत में बहुत कसा हुआ महसूस कर रहा था.. वो धीरे-धीरे लौड़े को आगे पीछे कर रहा था और मुनिया बस रोए जा रही थी, उसकी आँखें एकदम लाल हो गई थीं.. रॉनी का लौड़ा मुँह में होने के कारण उसको सांस लेने में दिक्कत हो रही थी।



तभी पुनीत ने एक जोरदार धक्का मारा और पूरा लौड़ा चूत को फाड़ता हुआ अन्दर घुस गया।



इस ख़तरनाक प्रहार को मुनिया सह नहीं पाई और अपना होश खो दिया.. जिसे देख कर रॉनी घबरा गया और जल्दी से मुँह से लौड़ा बाहर निकाल लिया।
 
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रॉनी- ये मर गई क्या.. कुछ बोल नहीं रही.. देख इसकी आँखें कैसे फटी हुई हैं..



पुनीत- अरे कुछ नहीं हुआ इसे.. पूरा लौड़ा अन्दर गया तो ये ऐसी हो गई.. थोड़ा हिला इसको.. आह्ह.. मज़ा आ गया क्या टाइट चूत है।



रॉनी ने मुनिया के चेहरे को थोड़ा हिलाया तो वो होश में आई और रोने लगी कि उसको बहुत दर्द हो रहा है।



पुनीत- अरे रानी.. बस थोड़ी देर दर्द होगा.. उसके बाद तुझे मज़ा आएगा.. आह्ह.. बस थोड़ा सहन कर ले आह्ह.. उहह..



पुनीत चूत में झटके देने लगा और मुनिया हर धक्के के साथ ‘आह’ भरती। करीब 15 मिनट की चुदाई के बाद मुनिया का दर्द कुछ कम हुआ।



रॉनी उसके पास बैठा हुआ.. उसके गालों को सहला रहा था.. उसे तसल्ली दे रहा था।



मुनिया- आह्ह.. ईसस्स.. आह.. बाबूजी ये आपने क्या कर दिया.. उउउहह.. मुझे कहीं का नहीं छोड़ा.. ओह्ह..



पुनीत- अरे पगली रोती क्यों है.. तुझे रानी बना कर रखूँगा.. आह्ह.. ले.. अब आह्ह.. चुदाई का मज़ा ले आह्ह.. उहह..



पुनीत की ठुकाई से अब मुनिया की चूत में दर्द के साथ एक मीठा अहसास भी होने लगा था.. उसकी कामवासना फिर से जाग उठी थी।



मुनिया- आह उईई.. बाबूजी उफ़फ्फ़ आह.. मर गई.. आह्ह.. ज़ोर से करो आह.. उईई…



अब पुनीत स्पीड से लौड़े को अन्दर-बाहर करने लग गया और कुछ ही देर में उसके लौड़े ने वीर्य की धार मुनिया की चूत में मारी.. जिससे चूत पानी-पानी हो गई और धारा से धारा मिल गई यानि मुनिया भी झड़ गई।



पुनीत ने जब चूत से लौड़ा बाहर निकाला तो सफेद और लाल रंग का मिला-जुला पानी लौड़े के साथ बाहर आया।



पुनीत- आह मुनिया.. तेरी चूत तो आग की भट्टी थी रे.. साला लौड़ा देख कैसे लाल हो गया है।



मुनिया कुछ ना बोली और बस उसी हालत में पड़ी रही।



रॉनी- यार तेरा तो हो गया.. मेरा लौड़ा वैसे का वैसा तना खड़ा है।



पुनीत- तुझे किसने रोका है.. कर दे इसका मुहूरत तू भी..



रॉनी- मुहूरत तो तूने कर दिया.. अब मैं क्या खाक करूँ.. और चूत का हाल तो देख.. कैसे पानी और खून से भरी पड़ी है.. इसमें कौन लौड़ा पेलेगा..



मुनिया- आह्ह.. आह्ह.. बाबूजी.. मुझ पर रहम करो.. आह्ह.. मेरी फुद्दी में बहुत दर्द है.. मैं अब सह नहीं पाऊँगी.. आह्ह.. मर जाऊँगी..



रॉनी- अरे साली.. कुछ नहीं होगा तुझे.. अभी तो सील टूट गई.. अब क्या होने वाला है तुझे..



पुनीत- तुझे करना है तो कर.. मैं तो चला कमरे में.. पूरा गंदा हो गया हूँ.. जाकर नहाऊँगा..



पुनीत वहाँ से चला गया.. तो रॉनी ने चादर से मुनिया की चूत को अच्छे से साफ किया। वो कराह रही थी मगर रॉनी पर तो चुदास सवार थी.. उसने मुनिया के पैरों को मोड़ा और लौड़े को चूत पर टिका कर ज़ोर का धक्का मार दिया.. बस आधा लौड़ा घुसते ही मुनिया के चीखें फिर से कमरे में गूँजने लगीं और रॉनी के तगड़े लौड़े ने मुनिया का हाल से बेहाल कर दिया।



रॉनी- उफ्फ.. पुनीत सही कह रहा था.. तेरी चूत तो बड़ी क़यामत है रे साली..



मुनिया- आह उहह.. नहीं बाबूजी.. आह्ह.. मेरी जान निकल रही है.. आह नहीं.. करो..



रॉनी दे दनादन लौड़ा पेले जा रहा था और मुनिया चीखे जा रही थी। कुछ देर बार मुनिया की चूत में दर्द कम हुआ और चूत की चिकनाहट के कारण लौड़ा आसानी से अन्दर-बाहर होने लगा।



मुनिया- आह.. ईससस्स.. नहीं उईईइ.. आह.. मर गई ओह.. बाबूजी आह्ह.. आराम से उफ्फ.. आह्ह.. नहीं ओह.. उउउहह आह ससस्स..



रॉनी का लौड़ा पहले ही बहुत गर्म था अब मुनिया की सीत्कारों से उसकी वासना और बढ़ गई। वो तेज़ी से धक्के देने लगा और कुछ ही देर में उसका ज्वालामुखी चूत नाम की गुफा में फट गया और वो निढाल सा होकर मुनिया के पास में लेट गया।



दर्द के मारे मुनिया अभी तक सिसक रही थी और रॉनी उसके पास लेटा हुआ उसके मम्मों को मसल रहा था।



मुनिया- आह ईससस्स.. नहीं बाबूजी अब और ताक़त नहीं है.. आह्ह.. काम के बहाने आप मेरे बदन से खेल गये.. अब मेरा क्या होगा.. उउउह उउहह.. मैं क्या करूँगी अब..



रॉनी- अरे अरे.. रोती क्यों है.. कुछ नहीं होगा तुझे.. मैं हूँ ना.. देख चुप हो जा.. अब तेरे साथ जो होना था सो हो गया.. अब तू मज़े करेगी बस.. चल आज की इस ठुकाई के तुझे 2 हज़ार देते हैं.. बस अब खुश चुप हो जा तू..
 
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मुनिया- नहीं बाबूजी पैसे से इज़्ज़त का सौदा मत करो.. मुझे घर जाना है.. बस अब यहाँ नहीं रहना मुझे..



रॉनी- अरे मेरी भोली रानी घर जाने से क्या होगा.. अब यहीं रह.. देख तेरी माँ बहुत गरीब है.. तू यहाँ रह कर पैसे कमा उसका सहारा बन..



रॉनी बहुत देर तक मुनिया को समझाता रहा.. जब जाकर वो मानी।



मुनिया- अच्छा ठीक है बाबूजी.. मगर आप दोनों एक साथ मुझे परेशान नहीं करोगे.. बहुत दुःखता है मुझे..



रॉनी- हा हा हा हा अरे बस.. इतनी सी बात.. चल नहीं करेंगे बस.. अकेला मैं ही करूँगा।



मुनिया- आप ही करेंगे तो बड़े बाबूजी का क्या होगा?



रॉनी- ओये मेरी सोणिए.. क्या बात है बड़ी फिकर है उसकी.. अरे उसके साथ भी मज़े ले लेना यार अकेले में… और सुन ये क्या ‘बाबूजी बाबूजी..’ लगा रखा है.. जानू बोलो.. डार्लिंग बोलो.. अगर ये नहीं तो यार हमारे इतने प्यारे नाम हैं.. वो लिया करो..



मुनिया- ठीक है रॉनी जी.. हा हा हा ये अच्छा है ना..



मुनिया को हँसता देख कर रॉनी को उस पर बड़ा प्यार आया। उसने मुनिया को अपनी बाँहों में भर लिया।



कुछ देर वो दोनों बातें करते रहे.. उसके बाद रॉनी की मदद से मुनिया बाथरूम तक गई.. उसको बहुत दर्द था मगर वो एक बहादुर लड़की थी.. सब दर्द को सह गई और चूत को अच्छी तरह साफ किया। बाद में कमरे को भी ठीक किया तब तक रॉनी जा चुका था।



दोपहर तक सब नॉर्मल हो चुका था। हाँ मुनिया के पैर ठीक से काम नहीं कर रहे थे.. उसको चूत में दर्द था और उसको बुखार भी हो गया था.. तो रॉनी ने नौकर से कहकर उसे कुछ दवा और ट्यूब देदी ओर कहा कि वो कमरे से बाहर ना आए.. बस आराम करे, शाम तक ठीक हो जाएगी।
 
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मुनिया की चुदाइ तो आपने देख ली अब चलते हें गर्लस हाॅस्टल।



रामू और बबलू अपने कमरे में बैठे चाय पी रहे थे और बातें कर रहे थे।



रामू- अरे बबलू भाई.. अब तो बता दे रात क्या हुआ था.. तू किसके साथ मज़ा ले रहा था?



बबलू- अरे बताता हूँ ना.. सुन तुझे तो पता है.. मैं रात को हॉस्टल के हर कमरे के पास आँख लगा कर देखता हूँ कि कोई हसीना नंगी दिख जाए या कोई दो लड़की मज़े लेती दिख जाएं..



रामू- अरे हाँ.. ये तो पता है.. कल रात क्या हुआ.. वो बता?



बबलू- अरे बता रहा हूँ ना.. कल साली कोई लड़की की चूत ना देख पाया तो परेशान होकर पूजा के कमरे के पास गया.. उसका तो तेरे को पता है ना.. साली पक्की छिनाल है.. सब लड़कियों को उसने ही बिगाड़ा है। मैंने सोचा आज इस हॉस्टल की सबसे हसीन लड़की पायल के साथ वो जरूर कुछ करेगी.. तो उसकी चूत देखने का मौका मिल जाएगा।



रामू- अरे ये बात मेरे दिमाग़ में क्यों नहीं आई.. नहीं तो मैं भी आ जाता.. पायल को नंगा देखने की तलब तो यहाँ सब करते हैं.. वो है ही चाँद का टुकड़ा।



बबलू- हाँ यार.. इसी चक्कर में तो उसके कमरे के पास गया था। मैंने होल से देखा तो कमरे में हल्की रोशनी थी और पायल अकेली बेसुध सोई पड़ी थी, वो साली पूजा वहाँ नहीं थी, मैंने दरवाजे को हल्के से खोलना चाहा.. तो खुल गया।



रामू- अरे बापरे.. तुझे डर नहीं लगा.. वो जाग जाती तो?



बबलू- अरे मैंने तो बस ऐसे ही देखा था.. अब दरवाजा खुल गया तो मैंने हिम्मत करके अन्दर का मुआयना किया कि वो पूजा कहाँ है। जब काफ़ी देर वो नहीं आई.. तो मैं समझ गया वो रंडी किसी दूसरे कमरे में अपनी प्यास बुझाने गई होगी और ये सोच कर मेरी हिम्मत बढ़ गई। मैं धीरे से बिस्तर के पास गया और वहाँ का नजारा देख कर मेरी हालत पतली हो गई रे.. पायल एकदम सीधी सोई थी और सांस के साथ उसके चूचे ऊपर-नीचे हो रहे थे। उसकी नाईटी भी जाँघों से भी ऊपर तक थी.. उसे कोई होश नहीं था.. उसकी गोरी टाँगें नंगी मेरे सामने थीं.. और मैं उसको देख कर बेहोश सा होने लगा। मेरे लंड महाराज घंटी की तरह हिलने लगे।



रामू- अरे वाह.. ऐसा नजारा देख कर मेरा लंड घंटी क्या घंटा बन जाएगा.. तू आगे बता ना..



बबलू- आगे क्या बताऊँ.. मुझसे रहा नहीं गया.. तो मैंने डरते हुए उसकी जाँघों पर हाथ रख दिया। उफ्फ.. क्या गर्म थी यार.. और ऐसी मुलायम की बस मेरे हाथ काँपने लगे। कुछ देर तक जाँघ पर हाथ फेरने के बाद मैंने उसके चूचों को छुआ.. बड़े ही लाजवाब थे यार.. मेरा लंड झटके खाने लगा था। थोड़ा डर भी लग रहा था कहीं कोई आ ना जाए..



रामू- भाई ऐसे समय डर तो लगता ही है मगर ऐसे मज़े के आगे सब डर दूर हो जाते हैं..



बबलू- हाँ यार वो साली ऐसी सोई थी जैसे 4 बोतल पीके सोई हो। उसको होश ही नहीं था और मेरी हालत खराब हो रही थी। अब मेरी हिम्मत बढ़ गई.. मैंने आगे से उसकी नाईटी को खोल दिया.. सामने उसका बेदाग जिस्म था। एकदम गोरे जिस्म पर उसकी काली ब्रा और पैन्टी देख कर लौड़े से पानी की बूँदें बाहर आ गईं। उसके बाद तो बस मेरा सर डर निकाल गया.. मैं उसकी चूत की महक लेने लगा। धीरे से उसको छुआ तो 440 वोल्ट का झटका लगा मुझे.. मैंने उसकी कसी हुई चूत पर अपने होंठ रख दिए। अब साली थोड़ा कसमसाई.. मैं समझा कहीं उठ ना जाए.. तो धीरे से बस उसको सहलाता रहा। अब मेरा लंड काबू में नहीं था.. मैंने उसे बाहर निकाल लिया और पायल की चूत पर हल्के से रगड़ने लगा। कसम से क्या बताऊँ उसकी चूत को छूते ही लौड़े में करंट पैदा हो गया.. जैसे अभी झड़ जाएगा। तभी मुझे बाहर कुछ आवाज़ सुनाई दी.. मैं एकदम से डर गया और जल्दी से कमरे से बाहर निकल आया।



रामू- उफ़फ्फ़ बबलू भाई.. क्या सुना दिया.. मेरा लौड़ा तो सुनकर झटके खा रहा है.. तूने तो उस कमसिन कन्या की चूत को छुआ है.. आह्ह.. क्या मज़ा आया होगा ना.. उसके बाद क्या हुआ.. वो बता ना यार..



बबलू- अरे उसके बाद मेरी अन्दर जाने की हालत नहीं थी.. लौड़ा बुरी तरह अकड़ा हुआ झटके खा रहा था.. बस वहाँ से निकल कर सीधा टॉयलेट गया.. लौड़े को ठंडा किया.. तब जाकर सुकून मिला.. मगर वो नजारा आँखों के सामने से हट ही नहीं रहा था। दोबारा हिम्मत करके गया.. तो सामने से पूजा आती दिखाई दी.. तो मैं जल्दी से वापस मुड़ गया और भाग कर कमरे में आ गया।



रामू- अरे बाप रे, वो कहाँ से आ गई.. साली रंडी.. यार ऐसा मौका दोबारा मिले तो मुझे भी बुलाना.. उसकी चूत देखने की बड़ी तमन्ना है मेरी.. दिल करता है साली को उठा के ले जाऊँ।



इस वार्तालाप से आप ये समज गये होंगे की पुजा की चुदाई बबलू ने नही की, तो वो कोन था पुजा के साथ?
 
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अब चलते हे फार्म हाउस पर, जहाँ गेम की मीटींग होने वाली है।



मुनिया की चुदाइ के बाद दोनों भाइयों ने लंच किया और टीवी देखने लगे.. तभी वहाँ सुनील और विवेक आ गए।



विवेक- हाय रॉनी हाय पुनीत.. कैसे हो?



पुनीत- अरे आओ आओ.. तुम्हारा ही इंतजार था और टोनी कहाँ है.. वो नहीं आया क्या?



सुनील- वो बस आता ही होगा.. हम जरा पहले आ गए।



रॉनी- वो साला कहाँ रह गया.. ऐसे तो बड़ा बोलता था एक बार मैं गेम में आ जाऊँ.. तो ऐसा कर दूँगा.. वैसा कर दूँगा.. अब गाण्ड फट गई क्या उसकी?



विवेक- अरे ऐसी बात नहीं है.. वो यहाँ से कुछ दूर कॉलेज का कैंप लगा है वहाँ उसकी बहन भी है.. उसको वहाँ छोड़ कर आते वक़्त यहाँ आएगा वो..



रॉनी- अच्छा उस साले हरामी की बहन भी है क्या?



सुनील- हाँ यार बहन तो सबकी होती हैं.. उसमें नया क्या है.. बस बीवी नहीं है किसी के पास हा हा हा हा..



पुनीत- अबे कुत्ते गेम जीत और बना ले अबकी बार नई-नई बीवी.. पूरा मौका मिलेगा हा हा हा..



सन्नी- हैलो कमीनो.. क्या हाल हैं?



{दोस्तो, यह है सन्नी इसकी उम्र 22 साल है.. अच्छी कद काठी का बांका जवान है.. लड़कियाँ इसको देख कर अपना बना लेने की तमन्ना रखती हैं.. मगर यह बिंदास है, हर महीने गर्लफ्रेण्ड बदलता है और मज़ा करता है। पुनीत का बेस्ट फ्रेंड।}



पुनीत- अरे आओ आओ मेरे बब्बर शेर.. तुम्हारी ही कमी खल रही थी।



सन्नी- सब आ गए क्या?



विवेक ने बताया कि टोनी नहीं आया.. वो अपनी बहन को छोड़ कर आएगा।



तभी वहाँ टोनी भी आ गया.. उसके साथ कोमल भी थी। आज कोमल ने लाल रंग की स्कर्ट और काली टी-शर्ट पहनी हुई थी, बहुत हल्का सा मेकअप किया हुआ था.. उसके होंठों पर लाल लिपस्टिक उसकी खूबसूरती को और बढ़ा रही थी।



जब वो अदा के साथ चलकर आ रही थी उसके चूचे थिरक रहे थे और कमर नागिन की तरह बलखा रही थी। वो ऐसे चल रही थी जैसे कोई मॉडलिंग कर रही हो, उसको देखकर पुनीत की लार टपकने लगी।



टोनी- हैलो दोस्तो.. हाउ आर यू.. क्या मीटिंग मेरे बीना ही शुरु कर दी?



विवेक- अरे आओ आओ बॉस.. आपका ही इंतजार हो रहा था.. लेकिन यह कोमल को यहाँ क्यों ले आए.. इसे तो आप कैंप छोड़ने गए थे ना..



टोनी- अरे जाना तो वहीं था.. बाइक ने धोखा दे दिया.. आधे रास्ते में ही दम तोड़ दिया.. साली पंचर हो गई यहाँ तक ऑटो में आया हूँ।



सुनील- यहाँ ऑटो में आए.. सीधे वहीं चले जाते..



टोनी- अरे साला ऑटो वाला नहीं माना वहाँ जाने को.. तो मैंने कहा अच्छा फार्म पर छोड़ दे.. आगे मैं चला जाऊँगा..



ये सब बातें कर रहे थे और कोमल बड़ी शराफत के साथ एक तरफ खड़ी बस पुनीत के सामने नजरें झुका कर खड़ी थी और पुनीत भी बस उसको निहार रहा था।


बीच-बीच में कोमल पुनीत की ओर देखती और हल्का सा मुस्कुरा देती।



रॉनी- अब तू चाहता क्या है.. ये बोल?



टोनी- यार.. तू अपनी गाड़ी की चाभी देना जरा.. बस अभी इसको कैम्प तक छोड़ कर अभी आता हूँ.. उसके बाद अपनी मीटिंग शुरू..



पुनीत- अरे टोनी.. तेरी बहन बोल नहीं सकती क्या.. गूंगी है?



टोनी कुछ बोलता.. उसके पहले कोमल बड़ी सेक्सी अदा के साथ बोली- जी नहीं.. मैं बोल सकती हूँ.. मगर आप दोस्तों के बीच.. मैं क्या बोलूँ.. इसलिए चुप खड़ी हूँ।



पुनीत- अरे, कम से कम ही हैलो ही कर लेती..



टोनी- बस बस.. पुनीत ज़्यादा स्मार्ट मत बन.. ला चाभी दे.. इसको छोड़ कर आता हूँ.. बाद में बात करेंगे।



कोई कुछ नहीं बोला और बस सब कोमल को ही निहारते रहे। रॉनी ने गाड़ी की चाभी टोनी को दी.. वो कोमल के साथ जाने लगा.. तो पुनीत की नज़र बस कोमल की मटकती गाण्ड को घूरती रही, उसका लौड़ा पैन्ट में टेंट बनाने लगा।



सन्नी- अरे बस भी कर.. चली गई वो.. अब क्या कैम्प तक अपनी नजरें ले जाएगा.. हा हा हा हा हा..



सभी ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगे।



पुनीत- अबे चुप रहो कमीनों.. मैं तो बस यूँ ही देख रहा था.. कि लड़की बहुत ही खूबसूरत है।



विवेक- ये गलत बात है पुनीत.. टोनी अपना फ्रेण्ड है.. और उसकी बहन अपनी बहन जैसी ही है.. उसको ऐसे देखना ठीक नहीं है यार..



पुनीत- अबे चुप साले कुत्ते.. बहन होगी तेरी.. मैं तो उसको गर्लफ्रेण्ड बनाने की सोच रहा हूँ।



सुनील- ठीक कहा यार.. मेरी भी काफ़ी समय से उस पर नज़र थी.. साली एकदम से पटाखा लगती है।



सन्नी- अरे कमीनों.. अच्छा हुआ वो चली गई.. वरना तुम यहीं उसकी चूत का चीर-फाड़ कर देते।



विवेक- नहीं सालो.. कुछ भी कहो ये सब गलत है.. अगर टोनी को पता लगेगा तो वो लफड़ा करेगा।



पुनीत- क्या लफड़ा करेगा.. हमको मारेगा क्या..? अबे सालों हमारे फेंके हुए टुकड़े उठाते हो.. हमको आँख दिखाओगे क्या?



विवेक- पुनीत.. ये कुछ ज़्यादा हो रहा है समझे.. हम यहाँ बेइज़्ज़ती करवाने नहीं आए हैं..



सन्नी- अरे कूल यार.. दोस्तों में ये सब चलता रहता है..



राॅनी- अरे किसी को कोई प्राब्लम नहीं है.. तो तू क्यों भड़क रहा है?
 
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सन्नी- हाँ सही है.. दोस्तों में ये सब चलता रहता है और पुनीत चाहे तो कुछ भी मुमकिन हो सकता है.. कहीं ऐसा ना हो कि टोनी खुद अपनी बहन को इसके हवाले कर दे..



सुनील- नहीं नहीं यार.. ऐसा नहीं हो सकता.. कोई भाई ऐसा नहीं कर सकता..



रॉनी- पैसे में बहुत ताक़त होती है साले.. हम जिसे चाहे खरीद लें..



विवेक- अच्छा अगर ये बात है.. तो कोमल को हासिल करके दिखाओ.. तब मानूँगा कि तुम कितने बड़े रईस हो..



पुनीत- तू मुझे चैलेन्ज करता है.. अब देख.. मैं कैसे टोनी को मनाता हूँ।



काफ़ी देर तक ये बहस चलती रही.. तब तक टोनी भी वापस आ गया..



टोनी- अरे क्या बात है.. किस बात पर इतना हंगामा हो रहा है।



सन्नी ने विवेक को चुप रहने का इशारा कर दिया.. ताकि बात बिगड़े ना..



पुनीत- अरे कुछ नहीं.. इस बार क्या करें.. बस इस बात पर बहस हो रही है.. ये सन्नी कहता है कि हर बार गर्लफ्रेण्ड को साथ लाते हैं और गेम खेलते हैं अबकी बार कुछ अलग ट्राय करते हैं।



पुनीत ने ये बात सन्नी की तरफ़ आँख मारते हुए कही थी।



टोनी- अरे यार ऐसे सूखे-सूखे प्लान बनाओगे क्या.. मज़ा नहीं आ रहा है.. पहले कुछ बियर-वियर पिलाओ.. ताकि दिमाग़ ठीक से काम कर सके।



रॉनी ने नौकर को आवाज़ दी तो वो ठंडी बियर लेकर आ गया। अब सब बियर का मज़ा लेने लगे और बातों का दौर फिर शुरू हुआ।



पुनीत- अब बताओ टोनी क्या सोचा.. मेरी बात समझ में आई कि नहीं?



टोनी- हाँ तो सही है ना.. मैं तो पहले भी आ चुका हूँ और ये दोनों(सुनील ओर विवेक) पहली बार आए हैं.. तो अबकी बार कुछ धमाल होना चाहिए।



विवेक और सुनील बस उनकी ‘हाँ’ में ‘हाँ’ मिला रहे थे।



सन्नी- तूने कुछ तो सोचा ही होगा टोनी.. इस बार के लिए वैसे भी तेरा शैतानी दिमाग़ कुछ ना कुछ सोचता रहता है।



टोनी- नहीं अभी कुछ सोचा तो नहीं है.. पर सोच लेते हैं और मेरा दिमाग़ कहाँ इतना फास्ट चलता है यार.. कुछ भी बोल रहा हे..



रॉनी- साले ज़्यादा भोला मत बन.. तेरी सब हरकत हम जानते हैं। अब जो सोच कर आया है.. बता दे..



रॉनी की बात सुनकर एक बार तो टोनी को झटका लगा कि इनको प्लान के बारे में कैसे पता लगा.. मगर उसने बात को संभाल लिया।



टोनी- अच्छा बाबा माफ़ करो.. तुम ऐसे मानोगे तो है नहीं.. तो सुनो.. मेरा प्लान क्या है.. इस बार भी गर्लफ्रेण्ड ही लाएँगे.. मगर अबकी बार वर्जिन होंगीं.. समझे…



सन्नी- तू कहना क्या चाहता है?



टोनी- देखो दोस्त हर बार चुदी-चुदाई गर्लफ्रेण्ड को लाते हैं इस बार फ्रेश माल पटाओ.. उसको गेम के लिए राज़ी करो.. और यहाँ लेकर आओ.. तो मज़ा दुगुना हो जाएगा।



विवेक- हाँ.. ये आइडिया अच्छा है.. सील पैक लड़की होगी तो गेम खेलने में मज़ा ज़्यादा आएगा..



रॉनी- हम तो फ्रेश माल को पटा भी लेंगे.. तुम तीनों ला पाओगे?



टोनी- बस क्या गुरु.. हमको क्या समझा है.. टोनी नाम है मेरा.. जिस लड़की पर हाथ रख दूँ ना.. वो अपनी हो जाती है समझे..



पुनीत- अच्छा इतना भरोसा है खुद पर.. तो चल अब मेरा प्लान सुन..



टोनी- हाँ बता.. सब अपना आइडिया दो.. जिसका आइडिया सबसे अच्छा होगा.. वही हम करेंगे..



पुनीत- मैं तुम्हें एक लड़की का नाम बताऊँगा.. अगर तुम उसको ले आओ तो इस बार इनाम की रकम 5 लाख होगी और गेम के रूल भी चेंज करेंगे।



टोनी- क्या बात है साले.. 5 लाख.. अरे तू बोल बस कौन है वो लड़की.. साली को चुटकियों में ले आऊँगा।



टोनी के अलावा बाकी सब समझ गए कि पुनीत किसका नाम लेगा.. सबकी दिल की धड़कन तेज़ हो गईं कि अब क्या होगा?



पुनीत- तेरी बहन कोमल को ला पाएगा तू?



पुनीत के इतना बोलते ही टोनी गुस्से में आग-बबूला हो गया और झटके से खड़ा हो गया- पुनीत ज़बान को लगाम दे अपनी.. साले तू पैसे वाला होगा.. तेरे घर का.. तेरी हिम्मत कैसे हुई मेरी बहन का नाम लेने की?



सन्नी- टोनी चुप रहो.. रूको एक मिनट मैं बात करता हूँ.. यार पुनीत ये क्या है.. तू कुछ भी बोल देता है। हम सब दोस्त हैं अगर ये मजाक था तो बहुत बुरा था.. चल सॉरी बोल..



पुनीत- सन्नी तुम होश में तो हो.. मैं पुनीत खन्ना हूँ.. मैं सॉरी बोलूँ? अरे इसकी बहन पर दिल आ गया मेरा.. इसको बोल 10 लाख दूँगा.. अब तो उसको अपना बना के ही रहूँगा..



इतना सुनते ही टोनी और ज़्यादा भड़क गया.. लड़ने की नौबत आ गई, बड़ी मुश्किल से विवेक और सुनील उसको बाहर लेकर गए।



इधर रॉनी ने पुनीत को काबू में किया- यार तुजे क्या हो गया है.. ऐसे लड़ना ठीक नहीं और उसके सामने बोलने की क्या जरूरत थी तूजे.. वो लड़की चाहिए ना.. उसको तो कैसे भी पटा सकते हें..



पुनीत- नहीं रॉनी.. मैं इसका गुस्सा देखना चाहता था। अब तू देख ये खुद उसको यहाँ लाएगा.. खरीद लूँगा मैं इस कुत्ते को.. सन्नी जा उसको कीमत पूछ.. उसकी बहन की? मैं हर कीमत पर उसको यहाँ लाना चाहता हूँ। इसको किस बात पर इतना घमण्ड है.. बहुत बार ये मुझसे उलझ चुका है। मैं इसका घमण्ड तोड़ कर रहूँगा..
 
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सन्नी- होश में आओ पुनीत.. ऐसा नहीं होता.. वो उसकी बहन है.. कोई रंडी नहीं.. जो तुम उसकी कीमत लगा रहे हो.. संभालो अपने आपको.. अब मैं उसको लेकर आता हूँ। ये बात दोबारा मुँह से मत निकालना.. वरना उनके साथ मैं भी चला जाऊँगा।



पुनीत कैसा भी हो.. सन्नी की बात मानता था, उसने ‘हाँ’ में सिर हिला दिया और सन्नी बाहर गया और टोनी को समझाने लगा।



सन्नी- अरे क्या हो गया तुझे.. तू पुनीत को जानता नहीं क्या.. पीने के बाद ऐसे ही बकवास करता है और रही तुम्हारी बहन की बात.. उसके बोलने से वो आ गई क्या? ऐसे लड़ना ठीक नहीं है यार!



टोनी- उसको अपने पैसों पर बहुत घमण्ड है ना.. साले को 2 मिनट में ठंडा कर सकता हूँ।



सुनील- बॉस आप शान्त हो जाओ और चलो यहाँ से.. अब यहाँ रुकने का कोई फायदा नहीं।



टोनी- नहीं अब उस कुत्ते को सबक़ सिखा कर ही जाऊँगा..



सन्नी- देख तू अन्दर चल.. पुनीत को मैं समझा दूँगा.. बस तू चुप रहना ओके..



टोनी भी गुस्से को काबू करके अन्दर आ गया। वैसे तो दोनों एक-दूसरे को देख कर आँखें दिखा रहे थे.. मगर कोई कुछ बोल नहीं रहा था।



सन्नी- हाँ तो फ्रेश माल लाने का प्लान सबको मंजूर है या किसी के दिमाग़ में कुछ और है..



रॉनी- मुझे यही ठीक लगता है.. इससे ज़्यादा क्या होगा?



टोनी- इससे भी ज़्यादा हो सकता है.. अब जब बात मुँह से निकल ही गई तो उसे पूरा भी कर ही लो।



सन्नी- मैं कुछ समझा नहीं.. तुम क्या कहना चाहते हो..



टोनी- पुनीत ने मेरी बहन पर गंदी नज़र मारी है.. तो इस बार सब अपनी बहनों को ही क्यों ना लेकर आएं..



रॉनी- टोनी कुत्ते.. तेरी ये मजाल तूने ऐसी बात सोची भी कैसे?



टोनी- क्यों जब पुनीत मेरी बहन के बारे में सोच सकता है तो बहन इसकी भी है.. उसको लाने में क्या दिक्कत है.. बड़ा घमण्ड है ना इसको अपने खिलाड़ी होने पर.. तो डर किस बात का.. ये तो हारेगा भी नहीं..



सन्नी- ये क्या बकवास है टोनी.. तुम ऐसा कैसे बोल सकते हो.. एक खेल के लिए हम अपनी बहन को लाएं.. इतने गिरे हुए नहीं हैं।



पुनीत- ओके मैं कुछ ज़्यादा बोल गया था.. पर टोनी अपनी बहन को मेरी बहन से मिला कर बड़ी ग़लती कर दी तूने.. अब देख मैं क्या करता हूँ।



टोनी- हाँ जानता हूँ… तू पैसे के दम पर मुझे मरवा देगा या मेरी बहन को उठा लेगा.. मगर इसमें तेरी जीत नहीं हार होगी.. अगर दम है तो खेल में मुझे जीत कर दिखा.. मैं कसम ख़ाता हूँ कि मेरी बहन को तेरे सामने लाकर खड़ा कर दूँगा.. मगर अगर तू हार गया तो तेरी बहन मेरी होगी.. बोल है मर्द तो कर मुकाबला.. नहीं तो दोबारा ऐसी बात मुँह से मत निकालना..



पुनीत गुस्से में पूरी बोतल एक सांस में पी गया।



रॉनी- पुनीत ये तूजे फंसा रहा है.. तू कुछ मत बोल.. मैं इस साले को अभी सीधा करता हूँ।



पुनीत- नहीं रॉनी नहीं.. अगर ऐसा है तो ऐसा ही सही.. इसका गुरूर मैं तोड़ कर ही रहूँगा.. मुझे हराने की हिम्मत किसी में नहीं.. अब तो ये खेल सिर्फ़ हम दोनों के बीच में होगा।



टोनी- हाँ ठीक है.. हम दोनों ही खेलेंगे अब तो फैसला हो ही जाए।



सन्नी- चुप रहो दोनों.. पुनीत मुझे तुमसे कुछ जरूरी बात करनी है.. चलो मेरे साथ.. रॉनी तुम भी आओ मेरे साथ..



सन्नी ज़बरदस्ती दोनों को साथ ले गया इधर टोनी बियर का घूँट लेकर मुस्कुराने लगा।



विवेक- बॉस ये क्या हो गया.. हमने तो सोचा था कि हम पुनीत को इस बात के लिए रेडी करेंगे.. मगर साला वो तो खुद शुरू हो गया।



सुनील- लेकिन ये सन्नी काम बिगाड़ देगा साला.. बॉस आपको ऐसे गुस्सा नहीं होना चाहिए था।



टोनी- अबे चुप… साले फट्टू.. अगर मैं गुस्सा नहीं होता.. तो उनको शक हो जाता.. अब देख खेल का असली मज़ा।



उधर दूसरे कमरे में रॉनी गुस्सा हो रहा था।



रॉनी- पुनीत तू पागल हो गया है क्या..? उस दो कौड़ी की लड़की के लिए हमारी बहन को दांव पर लगा रहा है?



पुनीत- नहीं रॉनी.. मैं इतना पागल नहीं हूँ.. जो गुड्डी को यहाँ लाऊँगा.. मैं बस उसके साथ गेम खेलूँगा और जीत भी मेरी होगी.. उसके बाद उसकी बहन को उसके सामने चोदूँगा.. तब जाकर मेरा गुस्सा ठंडा होगा।



सन्नी- पागल हो तुम.. अगर ग़लती से वो जीत गया.. तो क्या करोगे?



पुनीत- ना मुमकिन है ये.. मुझे वो नहीं हरा सकता..



रॉनी- पागल जेसी बाते मत कर.. पत्तों का गेम है.. सब लक पर चलता है..



पुनीत- ठीक है अगर मैं हार भी गया तो क्या.. साले का मुँह पैसों से बन्द कर दूँगा.. अपनी गुड्डी थोड़े ही उस कुत्ते को दूँगा..



सन्नी- पुनीत, वो कोई बच्चा नहीं है.. जो मान जाएगा.. मैंने कल रॉनी को कहा था कि इस बार वो कोई गेम खेलेगा.. और देखो उसने गेम में तुम्हें फँसा लिया। अरे कोमल का यहाँ आना कोई इत्तफ़ाक़ नहीं है.. वो प्लान करके उसको यहाँ लाया है.. तुम मेरी बात सुनो.. सब समझ जाओगे..



रॉनी- क्या बात कर रहे हो.. ये बात रात को क्यों नहीं बताई?
 
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सन्नी- रात को मुझे खुद नहीं पता था कि इसका ये प्लान है.. अब सुनो रात को मैं बुलबुल गेस्ट हाउस के पास था.. वहाँ इसको देख कर शक हुआ.. तो मैंने छुप कर इसका पीछा किया। इसने बुलबुल गेस्ट हाउस को बुक किया.. फिर फ़ोन पर किसी से बात की कि काम हो गया.. अब कल देखना असली तमाशा.. उसके बाद ये सलीम गंजा से मिला और हंसों को जमा करने और पार्टी में पाउडर लाने का काम उसको दिया.. तभी मुझे शक हुआ कि कहीं कुछ गड़बड़ है और मैंने रॉनी को फ़ोन करके बता दिया।



पुनीत- नहीं नहीं.. उन सब बातों का इस बात से कोई लेना-देना नहीं.. वो क्यों अपनी बहन को यहाँ लाएगा.. ये सब इत्तफाक ही है और शुरूआत मैंने की.. उसने नहीं.. तो ये बात मानने वाली नहीं है।



रॉनी- चलो मान लिया.. कि ये बात अलग है.. मगर तू आगे उसकी ऐसी कोई बात ना मान लेना.. बस ये गेम किसी तरह क्लोज़ करो.. गुड्डी यहाँ नहीं आएगी.. ओके.. अगर वो तेरे रूल ना माने.. तो ये गेम खेलने से मना कर देना।



पुनीत- मानेगा कैसे नहीं.. साले को मानना पड़ेगा.. अब चलो..



कुछ देर बाद सब उसी जगह बैठे थे। अब टोनी कुछ शान्त हो गया था.. उसके हाथ में बोतल थी और बियर के एक घूँट के साथ उसने बात शुरू की।



टोनी- क्यों पुनीत.. क्या सोचा.. गेम खेलना है.. या हार मान ली?



पुनीत- तेरे जैसे कुत्ते से मैं हार जाऊँ.. यह हो नहीं सकता.. अब सुन, यह गेम आज ही हम दोनों के बीच खेला जाएगा, 7 राउंड होंगे.. जो 4 जीत गया वो विनर.. उसके बाद जो होना है वही होगा.. तू समझ गया ना?



टोनी- वाह वाह.. क्या चाल चली है चूतीये.. आज तक तो लड़कियाँ साथ लेकर खेलते थे.. अब यह रूल चेंज क्यों? अगर गेम खेलना है तो उसी तरह खेलो.. एक तरफ़ मेरी बहन होगी दूसरी तरफ तेरी.. उसके बाद खेल शुरू होगा.. हाँ अगर तुझे पास में ये पब्लिक नहीं चाहिए तो मुझे कोई हर्ज नहीं.. मगर खेल ऐसे ही खेलेंगे।



टोनी की बात से रॉनी को बड़ा गुस्सा आ रहा था.. मगर सन्नी ने उसके हाथ को दबा कर उसको चुप रहने का इशारा किया।



पुनीत- नहीं ऐसा नहीं हो सकता.. वो मेरी बहन है.. ऐसे कैसे इस गेम के लिए उसको तैयार करूँ?



टोनी- यही बात तेरे मुँह से सुनना था.. अरे तू हार गया.. तो बाद में कैसे तैयार करेगा.. देख तेरे दिल में कुछ धोखा देने की बात है.. तो उसको निकाल दे.. गेम होगा तो पुराने रूल से ही होगा.. वरना मैं समझूँगा तेरे में दम नहीं.. कि तू मुझसे मुकाबला करे!



पुनीत को बहुत ज़्यादा गुस्सा आ गया, उसने बियर की आधी बोतल एक सांस में गटक ली।



पुनीत- चुप कुत्ते.. अब मेरी सुन गेम होगा और पुराने तरीके से ही होगा.. अब हम दोनों नहीं.. ये चारों भी हारने वाली लड़की को चोदेंगे.. बोल है तेरे को मंजूर?



रॉनी और सन्नी तो बस एक-दूसरे को देखने लगे कि यह पुनीत ने क्या कह दिया.. वो कुछ बोलते इसके पहले टोनी ने ‘हाँ’ कह दी।



टोनी- ठीक है.. ऐसा ही सही अब बात ज़ुबान की है.. तो मैं पीछे नहीं हटूँगा। किसी भी तरह मेरी बहन को मना लूँगा, बोल कब लाना है.. समय तू ही बता दे.. बाद में यह ना कहना कि तेरी बहन नहीं मान रही थी.. हा हा हा हा.. जरा सोच समझ कर बताना।



पुनीत- नहीं.. मैंने जो बोल दिया वो बोल दिया.. अब पीछे हटने का सवाल ही नहीं पैदा होता।



रॉनी- रूको.. तुम दोनों पागल हो गए हो.. मुझे यह बात मंजूर नहीं.. मेरी बहन इस गंदे खेल का हिस्सा नहीं बनेगी.. बस..



पुनीत- क्या बकवास कर रहा है.. मैंने बोल दिया ना और वो सिर्फ़ तेरी बहन नहीं.. मेरी भी है.. तू डर मत.. हम जीतेंगे और इसकी बहन को इसके सामने नंगा करेंगे।



टोनी- वो तो समय ही बताएगा.. कौन किसको नंगा करता है.. बोल गेम कब शुरू होगा?



पुनीत- देख बहन को मना कर लाना आसान काम नहीं है.. कुछ दिन तो लग ही जाएँगे.. समय हम बाद में तय कर लेंगे.. ओके..



टोनी- ठीक है.. मगर बस 10 दिन का समय होगा.. उस दौरान तू अपनी बहन को पटा कर लाएगा.. नहीं तो तू हार जाएगा.. ओके..



पुनीत- ठीक है साले.. मगर तू भी याद रखना.. अगर तू ना पटा पाया.. तो क्या होगा..



टोनी- मेरी फिकर मत कर.. मुझे पता है.. मुझे किस तरह पटाना है।



सन्नी और रॉनी बस बेबस से अपने आप को कोस रहे थे कि पुनीत ने यह क्या कर डाला.. देर शाम तक वो सब वहीं बैठे बकवास करते रहे।



सन्नी- अरे यार शाम होने को आई है.. मीटिंग तो ओवर हो गई.. अब क्या इरादा है?



पुनीत- इरादा तो बहुत कुछ है.. मगर आज मूड दूसरा हो गया.. तुम लोग जाओ.. हम सुबह आ जाएँगे..



टोनी- ठीक है यार.. अब जाने में ही भलाई है.. वरना पुनीत कहीं अपनी बात से मुकर ना जाए।



पुनीत- कुत्ते.. ये किसी ऐरे-गैरे की ज़ुबान नहीं.. पुनीत खन्ना की ज़ुबान है तू अपना संभाल..



विवेक- तुम हमारे साथ आ जाओ टोनी.. सन्नी तो अपनी कार से जाएगा।



सन्नी- हाँ तुम निकल जाओ.. मैं बाद में आता हूँ ओके..



वो तीनों वहाँ से निकल गए और सन्नी और रॉनी गेट के बाहर तक उनको छोड़ने आए।
 
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काफ़ी देर तक सन्नी और रॉनी बाहर खड़े बातें करते रहे.. उसके बाद अन्दर आ गए।



पुनीत- रॉनी मेरे भाई.. यहाँ आ.. यार मुझसे ऐसे नाराज़ मत हो।



रॉनी- पर ये तूने क्या कर दिया.. उस टोनी की बातों में आ गया.. अब क्या होगा? हमारी बहन को तू यहा इस गंदे गेम का हिस्सा बनायेगा? अरे वो कितनी स्वीट है.. मासूम है!



पुनीत- नही यार.. तू मुझे पागल समझता है क्या.. उस कुत्ते को मैंने अपने जाल में फँसा लिया है। वो कौन सा हमारी बहन को जानता है.. हम किसी और को बहन बना कर लाएँगे।



रॉनी- ओह्ह वाउ.. मान गया तेरे दिमाग़ को.. अब उस कुत्ते की बहन को सबके सामने नंगा करेंगे।



सन्नी- यार सच्ची पुनीत.. तेरे दिमाग़ को मान गया.. साले शैतान को भी पीछे छोड़ दिया। वैसे बहन का रोल देगा किसे?



रॉनी- ये मुनिया कैसी रहेगी.. वो उमर में भी छोटी है और माल भी मस्त है.. टोनी तो उसको देखते ही लट्टू हो जाएगा..



पुनीत- नहीं यार मुनिया गाँव की छोरी है.. साला कुत्ता.. उसको तुरंत पकड़ लेगा। अब उसको ये तो पता है ना हमारी बहन गुड्डी कॉलेज में है और मुनिया ठहरी अनपढ़… सारा गेम खराब हो जाएगा।



रॉनी- तो अब क्या करेंगे.. किसको गुड्डी की जगह लेकर आएँगे?



पुनीत- इसकी फिकर ना कर.. दिल्ली जाकर किसी ना किसी को ढूँढ ही लेंगे.. आज मुनिया को ठीक से चोद कर कल निकल जाएँगे.. ठीक है ना..



सन्नी- यार ये मुनिया कौन है?



रॉनी- अरे एक कच्ची कली है यार.. आज ही उसका मुहूरत किया है.. साली बड़ा मज़ा देती है।



पुनीत- उसकी चूत इतनी टाइट है क्या बताऊँ.. साला लंड अन्दर जाते ही ऐसा महसूस करता है कि किसी भट्टी में फँस गया हो।



सन्नी- अरे यार मेरा तो सुनकर ही ये हाल हो गया.. कहाँ है वो.. रूप की रानी.. काम की देवी?



पुनीत- अरे नहीं यार सन्नी.. वो ऐसी लड़की नहीं है.. बड़ी मुश्किल हम दोनों से चुदी है। अब तेरे बारे में बात करूँगा तो गड़बड़ हो जाएगी।



सन्नी- अरे क्या मेरे यार.. मुझे इतना गिरा हुआ समझा है क्या.. जो तेरे माल पर हाथ साफ करूँगा.. बस दिखा दे एक बार.. पता तो लगे ये कामदेवी कैसी है?



पुनीत- ठीक है रुक.. अभी दिखाता हूँ मेरी सोने की चिड़िया को..



इतना कहकर पुनीत कमरे में गया उस वक़्त मुनिया नहा कर कपड़े पहन रही थी।



पुनीत- हाय मेरी जान बहुत सोई रे तू.. अब नहा कर एकदम मस्त लग रही है। आज पूरी रात मज़ा लेंगे हम दोनों.. क्यों क्या बोलती है..?



मुनिया- आप भी ना ऐसे ही चले आते हो.. कपड़े तो पहने दो मुझे और आज कुछ नहीं होगा.. मेरी तबीयत ठीक नहीं है जी..



पुनीत- अरे मेरी भोली मुनिया.. मेरे सामने नंगी हो चुकी है.. अब कैसी शर्म? पहन लिए ना अब कपड़े और शुरू में थोड़ा दर्द होता है.. उसके बाद बड़ा मज़ा आता है।



मुनिया- नहीं बाबूजी.. रॉनी जी ने बहुत ज़ोर से किया.. मुझे नीचे बहुत दर्द हो रहा है।



पुनीत- अच्छा जाने दे.. ये बात बाद में कर लेंगे.. मेरा एक दोस्त आया है.. चल तुझे उससे मिलवाता हूँ.. प्यार से बात करना.. हाँ.. वो मेरा खास दोस्त है.. कहीं वो नाराज़ ना हो जाए..



मुनिया- नहीं नहीं बाबूजी.. मैं कोई वेश्या नहीं हूँ.. जो आप सबके सामने मुझे भेज रहे हो.. मैंने आपको अपना माना.. आपके कहने पर आपके भाई को भी मैंने बर्दाश्त किया.. मगर अब और नहीं बस..



मुनिया के बोलने का तरीका उसकी आँखों में गुस्सा देख कर एक बार तो पुनीत भी घबरा गया।



पुनीत- अरे पगली.. तू गलत समझ रही है.. मैंने कब कहा तुझे ऐसा? तू बस उससे मिल ले.. वो कुछ ऐसा-वैसा नहीं करेगा.. ठीक है ना..



मुनिया- ठीक है बाबूजी.. आप जाओ.. मैं अभी आती हूँ।



पुनीत बाहर आ गया और सन्नी को कहा- साली गुस्सा हो गई.. अब आ रही है.. देख लेना यार कुछ कहना मत.. नहीं तो साली रात को चुदवाएगी नहीं..



सन्नी- अरे गाँव की होकर साली के इतने नखरे.. चल आने तो दे.. मैं भी देखूँ.. कौन है ये मुनिया मस्तानी?



मुनिया ने लाइट ब्लू सलवार सूट पहना हुआ था.. उसके बाल खुले थे.. जिसमें वो अप्सरा जैसी लग रही थी। जैसे ही मुनिया और सन्नी की नजरें मिलीं.. दोनों ही एक-दूसरे में खो गए.. मुनिया धीरे-धीरे सन्नी के पास आकर खड़ी हो गई।



मुनिया- नमस्ते बाबूजी..



सन्नी कुछ नहीं बोला.. बस मुनिया को घूरता रहा।



पुनीत- अरे कहाँ खो गया सन्नी.. ये है मुनिया.. देख लो..



सन्नी- अह.. ह.. हाँ अच्छी है.. मुझे ऐसा क्यों लगता है.. कि मैंने तुम्हें पहले भी कहीं देखा है..
 

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