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रॉनी ने मुनिया के मम्मों को सहलाते हुए उससे पूछा- सच बता मुनिया.. पुनीत के पहले कभी किसी ने तेरे इन अनारों को छुआ है क्या?
मुनिया एकदम शर्मा कर ‘ना’ में सर हिलाती है.. तब रॉनी खुश होकर मुनिया के होंठों को अपने होंठों से चूसने लगता है और उसके जिस्म पर हाथ फेरने लगता है।
मुनिया थोड़ा विरोध करती है.. मगर रॉनी की मजबूत बाहें उसको जकड़े रहती हैं और कुछ देर बाद उसको भी मज़ा आने लगता है।
रॉनी ने मुनिया को बिस्तर पर लेटा दिया अब वो उसके मम्मों को कपड़े के ऊपर से चूसने लगा था। मुनिया तो बस जन्नत की सैर पर निकल गई थी।
मुनिया- इसस्स.. बाबूजी.. आप दोनों भाई आह.. आह.. एक जैसे हो.. आह्ह.. मुझे काम के बहाने यहाँ ले आए.. इससस्स.. आह्ह.. दुःखता है.. ओह.. और कुछ और ही कर रहे हो मेरे साथ..
रॉनी- गलत बोल रही है तू.. हम एक जैसे नहीं हैं.. बहुत फ़र्क है.. घबरा मत धीरे-धीरे सब फ़र्क नज़र आ जाएगा तुझे और काम का क्या है.. वो तो सारी उम्र पड़ी है.. मेरी जान.. कभी भी कर लेना.. अभी तो जिंदगी के मज़े ले ले..
रॉनी अब बेताब था मुनिया के जिस्म से खेलने के लिए.. उसने मुनिया के कपड़े निकालने शुरू कर दिए। वैसे मुनिया झूटा नाटक कर रही थी मगर रॉनी को कपड़े निकालने में मदद भी कर रही थी।
मुनिया के चमकते जिस्म को देख कर रॉनी का लंड चड्डी फाड़कर बाहर आने को बेताब हो रहा था.. मगर रॉनी ने उसको आज़ाद नहीं किया और मुनिया के छोटे-छोटे मम्मों को सहलाने लगा।
रॉनी- वाह.. रे.. मेरी मुनिया तू तो एकदम कुदरत का तराशा हुआ नगीना है.. तुझे तो बस देखते रहने का मन करता है।
मुनिया- बाबूजी कल रात से आप दोनों भाई मुझे नंगा करने में लगे हुए हो.. मेरी हालत खराब हो गई है.. पता नहीं क्यों मुझे कुछ होने लगता है।
रॉनी- तू मेरी बात मान ले जान.. तेरी सारी बेचैनी दूर कर दूँगा..
मुनिया- बाबूजी मैं नंगी तो आपके सामने पड़ी हूँ.. अब इससे ज़्यादा और क्या मनवाना चाहते हो?
उसकी बात सुनकर रॉनी खुश हो गया और मुनिया पर टूट पड़ा। उसके निप्पल चूसने लगा और एक हाथ से उसकी चूत को रगड़ने लगा।
मुनिया जल बिन मछली की तरह तड़पने लगी और रॉनी की पीठ पर हाथ घुमाने लगी।
मुनिया- ओससस्स.. आह.. बाबूजी आह्ह.. मेरे नीचे कुछ हो रहा है.. रात को पुनीत बाबू ने जैसे किया था.. आह्ह.. वैसे आप भी करो ना..
रॉनी समझ जाता है कि इसकी चूत में खुजली शुरू हो गई है। वो झट से बैठ जाता है और अपना अंडरवियर उतार कर लौड़े को आज़ाद कर देता है।
उसके 9″ लंबे और 3″ मोटे लंड को देख कर मुनिया सिहर जाती है।
मुनिया- हाय राम बाबूजी.. ये कितना बड़ा है!!
रॉनी- मैंने कहा था ना.. हम दोनों में बहुत फ़र्क है.. अभी तो लौड़ा देखा है आगे और भी बहुत से फ़र्क नज़र आएँगे.. चल आज तुझे 69 सिखाता हूँ।
मुनिया- वो क्या होता है बाबूजी?
रॉनी- तू मेरा लौड़ा चूसेगी और उसी समय में तेरी चूत को चाटूँगा।
मुनिया- हाय बाबूजी.. ऐसे तो बड़ा मज़ा आएगा.. बताओ मैं क्या करूँ..?
रॉनी- अरे करना क्या है.. बस मेरे ऊपर आजा.. अपनी चूत मेरे मुँह पर रख और ले ले मेरा लौड़ा अपने मुँह में.. फिर देख क्या मज़ा आता है..
मुनिया ने वैसा ही किया.. अब रॉनी बड़े प्यार से उसकी कुँवारी चूत को चाट रहा था और मुनिया प्यार से उसके बम्बू को चूस रही थी।
यह सिलसिला कुछ देर तक यूँ ही चलता रहा.. तभी अन्दर पुनीत भी आ गया.. उसके हाथ में बियर की बोतल थी और उसने सिर्फ़ लोवर पहना हुआ था।
वो दोनों मस्ती में चूसने में लगे हुए थे पुनीत ने बियर की बोतल को साइड में रखा और अपना लोवर निकाल दिया।
अब उसका लौड़ा आज़ाद हो गया था और उसके चेहरे पर हल्की मुस्कान थी।
पुनीत- वाह.. बहुत अच्छे ऐसे मालिश हो रही है हाँ..
पुनीत की आवाज़ सुनकर रॉनी पर तो कोई फ़र्क नहीं पड़ा.. लेकिन मुनिया बहुत घबरा गई और जल्दी से बिस्तर पर पड़ी चादर अपने ऊपर डाल लेती है.. जिसे देख कर दोनों भाई हँसने लगते है।
पुनीत- अरे क्या यार मुनिया.. रात को तो बड़ा खुलकर मज़ा ले रही थी.. अब ऐसा क्या है तेरे पास.. जो मुझसे छुपा रही है?
मुनिया- बाबूजी आप दोनों एक साथ होते हो.. तो मुझे शर्म लगती है।
रॉनी- अरे यार जो मज़ा साथ मिलकर करने का है.. वो अकेले में कहाँ.. चल आज तुझे जन्नत की सैर कराते हैं.. हटा दे कपड़ा और देख दोनों भाई कैसे तुझे मज़ा देते हैं।
रॉनी की बात मुनिया को समझ आती है या नहीं.. यह तो पता नहीं.. मगर उसकी चूत में बड़ी खुजली हो रही थी और वो चाहती थी कि कैसे भी उसको मिटाया जाए.. तो बस वो उनकी बात मानकर चादर हटा देती है।
पुनीत- वाह.. ये हुई ना बात.. जानेमन तू बहुत कमाल की है.. अब तू हमारा कमाल देख..
दोनों अब मुनिया के आजू-बाजू लेट गए और उसकी एक-एक चूची को चूसने लगे.. जिससे मुनिया की उत्तेजना बढ़ने लगी.. वो सिसकारियाँ लेने लगी।
मुनिया- आह्ह.. बाबूजी.. उफ़फ्फ़ काटो मत.. आह्ह.. दर्द होता है सस्स आह्ह..
मुनिया एकदम शर्मा कर ‘ना’ में सर हिलाती है.. तब रॉनी खुश होकर मुनिया के होंठों को अपने होंठों से चूसने लगता है और उसके जिस्म पर हाथ फेरने लगता है।
मुनिया थोड़ा विरोध करती है.. मगर रॉनी की मजबूत बाहें उसको जकड़े रहती हैं और कुछ देर बाद उसको भी मज़ा आने लगता है।
रॉनी ने मुनिया को बिस्तर पर लेटा दिया अब वो उसके मम्मों को कपड़े के ऊपर से चूसने लगा था। मुनिया तो बस जन्नत की सैर पर निकल गई थी।
मुनिया- इसस्स.. बाबूजी.. आप दोनों भाई आह.. आह.. एक जैसे हो.. आह्ह.. मुझे काम के बहाने यहाँ ले आए.. इससस्स.. आह्ह.. दुःखता है.. ओह.. और कुछ और ही कर रहे हो मेरे साथ..
रॉनी- गलत बोल रही है तू.. हम एक जैसे नहीं हैं.. बहुत फ़र्क है.. घबरा मत धीरे-धीरे सब फ़र्क नज़र आ जाएगा तुझे और काम का क्या है.. वो तो सारी उम्र पड़ी है.. मेरी जान.. कभी भी कर लेना.. अभी तो जिंदगी के मज़े ले ले..
रॉनी अब बेताब था मुनिया के जिस्म से खेलने के लिए.. उसने मुनिया के कपड़े निकालने शुरू कर दिए। वैसे मुनिया झूटा नाटक कर रही थी मगर रॉनी को कपड़े निकालने में मदद भी कर रही थी।
मुनिया के चमकते जिस्म को देख कर रॉनी का लंड चड्डी फाड़कर बाहर आने को बेताब हो रहा था.. मगर रॉनी ने उसको आज़ाद नहीं किया और मुनिया के छोटे-छोटे मम्मों को सहलाने लगा।
रॉनी- वाह.. रे.. मेरी मुनिया तू तो एकदम कुदरत का तराशा हुआ नगीना है.. तुझे तो बस देखते रहने का मन करता है।
मुनिया- बाबूजी कल रात से आप दोनों भाई मुझे नंगा करने में लगे हुए हो.. मेरी हालत खराब हो गई है.. पता नहीं क्यों मुझे कुछ होने लगता है।
रॉनी- तू मेरी बात मान ले जान.. तेरी सारी बेचैनी दूर कर दूँगा..
मुनिया- बाबूजी मैं नंगी तो आपके सामने पड़ी हूँ.. अब इससे ज़्यादा और क्या मनवाना चाहते हो?
उसकी बात सुनकर रॉनी खुश हो गया और मुनिया पर टूट पड़ा। उसके निप्पल चूसने लगा और एक हाथ से उसकी चूत को रगड़ने लगा।
मुनिया जल बिन मछली की तरह तड़पने लगी और रॉनी की पीठ पर हाथ घुमाने लगी।
मुनिया- ओससस्स.. आह.. बाबूजी आह्ह.. मेरे नीचे कुछ हो रहा है.. रात को पुनीत बाबू ने जैसे किया था.. आह्ह.. वैसे आप भी करो ना..
रॉनी समझ जाता है कि इसकी चूत में खुजली शुरू हो गई है। वो झट से बैठ जाता है और अपना अंडरवियर उतार कर लौड़े को आज़ाद कर देता है।
उसके 9″ लंबे और 3″ मोटे लंड को देख कर मुनिया सिहर जाती है।
मुनिया- हाय राम बाबूजी.. ये कितना बड़ा है!!
रॉनी- मैंने कहा था ना.. हम दोनों में बहुत फ़र्क है.. अभी तो लौड़ा देखा है आगे और भी बहुत से फ़र्क नज़र आएँगे.. चल आज तुझे 69 सिखाता हूँ।
मुनिया- वो क्या होता है बाबूजी?
रॉनी- तू मेरा लौड़ा चूसेगी और उसी समय में तेरी चूत को चाटूँगा।
मुनिया- हाय बाबूजी.. ऐसे तो बड़ा मज़ा आएगा.. बताओ मैं क्या करूँ..?
रॉनी- अरे करना क्या है.. बस मेरे ऊपर आजा.. अपनी चूत मेरे मुँह पर रख और ले ले मेरा लौड़ा अपने मुँह में.. फिर देख क्या मज़ा आता है..
मुनिया ने वैसा ही किया.. अब रॉनी बड़े प्यार से उसकी कुँवारी चूत को चाट रहा था और मुनिया प्यार से उसके बम्बू को चूस रही थी।
यह सिलसिला कुछ देर तक यूँ ही चलता रहा.. तभी अन्दर पुनीत भी आ गया.. उसके हाथ में बियर की बोतल थी और उसने सिर्फ़ लोवर पहना हुआ था।
वो दोनों मस्ती में चूसने में लगे हुए थे पुनीत ने बियर की बोतल को साइड में रखा और अपना लोवर निकाल दिया।
अब उसका लौड़ा आज़ाद हो गया था और उसके चेहरे पर हल्की मुस्कान थी।
पुनीत- वाह.. बहुत अच्छे ऐसे मालिश हो रही है हाँ..
पुनीत की आवाज़ सुनकर रॉनी पर तो कोई फ़र्क नहीं पड़ा.. लेकिन मुनिया बहुत घबरा गई और जल्दी से बिस्तर पर पड़ी चादर अपने ऊपर डाल लेती है.. जिसे देख कर दोनों भाई हँसने लगते है।
पुनीत- अरे क्या यार मुनिया.. रात को तो बड़ा खुलकर मज़ा ले रही थी.. अब ऐसा क्या है तेरे पास.. जो मुझसे छुपा रही है?
मुनिया- बाबूजी आप दोनों एक साथ होते हो.. तो मुझे शर्म लगती है।
रॉनी- अरे यार जो मज़ा साथ मिलकर करने का है.. वो अकेले में कहाँ.. चल आज तुझे जन्नत की सैर कराते हैं.. हटा दे कपड़ा और देख दोनों भाई कैसे तुझे मज़ा देते हैं।
रॉनी की बात मुनिया को समझ आती है या नहीं.. यह तो पता नहीं.. मगर उसकी चूत में बड़ी खुजली हो रही थी और वो चाहती थी कि कैसे भी उसको मिटाया जाए.. तो बस वो उनकी बात मानकर चादर हटा देती है।
पुनीत- वाह.. ये हुई ना बात.. जानेमन तू बहुत कमाल की है.. अब तू हमारा कमाल देख..
दोनों अब मुनिया के आजू-बाजू लेट गए और उसकी एक-एक चूची को चूसने लगे.. जिससे मुनिया की उत्तेजना बढ़ने लगी.. वो सिसकारियाँ लेने लगी।
मुनिया- आह्ह.. बाबूजी.. उफ़फ्फ़ काटो मत.. आह्ह.. दर्द होता है सस्स आह्ह..