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कोमल- हाँ खन्ना का नाम सुना है.. वो तो बहुत पैसे वाला है और वहाँ कैसी मीटिंग होती है.. और कैसे चुनते हैं?
विवेक- इतना सब तू मत पूछ.. और वहाँ का नहीं पता.. मैं खुद वहाँ पहली बार जा रहा हूँ..
कोमल- अच्छा यह तो बता.. कोई लड़की इस खेल के लिए कैसे राज़ी होती है?
विवेक- अरे मेरी जान.. पैसा चीज ही ऐसी होती है… कि इंसान ना चाहते हुए भी वो सब काम कर लेता है.. जो उसको ठीक ना लगे.. समझी, वहाँ पर हर बार 1 लाख का इनाम होता है।
कोमल- ओ माय गॉड.. 1 लाख.. मगर फिर भी कोई लड़की अपने ब्वॉय-फ्रेण्ड के सामने सब कैसे करती होगी?
विवेक- अरे आजकल लड़की को पटा कर लड़का पहले चोद कर उस लड़की को लौड़े की आदी बनाता है.. और पैसे का लालच देकर उसको बड़े-बड़े सपने दिखाता है। बस इस तरह वो लड़की को मना लेता है और वैसे भी गेम शुरू होने के पहले वहाँ लड़की को इतना नशा करवा देते हैं कि उनको अच्छे-बुरे का पता ही नहीं होता यार.. और एक बात और भी समझ ले कि अधिकतर वे ही लड़कियाँ चूत चुदवाने को राजी होती हैं जिन्हें चुदने की ज्यादा भूख होती है, आजकल तो इसे मस्ती के नाम पर खुला खेल माना जाता है।
कोमल- चल सब समझ गई.. मगर पैसे कौन देता है?
विवेक- अरे पुनीत और कौन यार..?
कोमल- अरे उसको क्या फायदा.. और वो भी तो हारता होगा.. तो पैसे भी जाते है और गर्ल-फ्रेण्ड भी?
विवेक- मेरी जान.. वो एक ठरकी लड़का है.. उसको ऐसे गेम में मज़ा आता है.. नई-नई लड़कियों को चोदना उसका शौक है। वैसे वो चाहे तो ऐसे भी रोज नई लड़की उसके पास हो.. मगर उसको ऐसे खेल का शौक है बस.. पैसा देने के बहाने सबको बुलाता है और उसको एकाध लाख से क्या फ़र्क पड़ता है.. इतने पैसे तो वे लोग रोज ही उड़ा देते हैं। हाँ.. दोनों भाई इस खेल के माहिर खिलाड़ी हैं. उनको आसानी से हराना मुश्किल है। सालों का नसीब भी बहुत साथ देता है।
कोमल- अच्छा.. ये बात है.. तो अब तुम्हारा बॉस मेरे को गर्लफ्रेण्ड बना कर लेकर जाएगा.. यही ना?
सुनील- तू साली बहुत समझदार है.. जल्दी समझ गई.. हा हा हा हा..
कोमल- चल हट.. साला कुत्ता.. गर्ल-फ्रेण्ड के बहाने हम जैसी लड़कियों को ले जाते हैं वहाँ.. साले झूटे कहीं के..
विवेक- अरे तू गलत समझ रही है.. ऐसा कुछ नहीं है.. ज़्यादातर असली गर्लफ्रेण्ड ही होती हैं। इस बार बॉस का प्लान कुछ अलग है .. उसे एक लडकी को चोदना है.. तो वो एक नया गेम बना रहे हैं.. जिसमें सिर्फ़ तू हमारी मदद कर सकती है।
कोमल- कैसा नया गेम रे.. ज़रा ठीक से बता मेरे को?
विवेक ने जब बोलना शुरू किया तो कोमल की आँखें फटी की फटी रह गईं.. क्योंकि विवेक ने बात ही ऐसी कहीं थी।
विवेक- इतना सब तू मत पूछ.. और वहाँ का नहीं पता.. मैं खुद वहाँ पहली बार जा रहा हूँ..
कोमल- अच्छा यह तो बता.. कोई लड़की इस खेल के लिए कैसे राज़ी होती है?
विवेक- अरे मेरी जान.. पैसा चीज ही ऐसी होती है… कि इंसान ना चाहते हुए भी वो सब काम कर लेता है.. जो उसको ठीक ना लगे.. समझी, वहाँ पर हर बार 1 लाख का इनाम होता है।
कोमल- ओ माय गॉड.. 1 लाख.. मगर फिर भी कोई लड़की अपने ब्वॉय-फ्रेण्ड के सामने सब कैसे करती होगी?
विवेक- अरे आजकल लड़की को पटा कर लड़का पहले चोद कर उस लड़की को लौड़े की आदी बनाता है.. और पैसे का लालच देकर उसको बड़े-बड़े सपने दिखाता है। बस इस तरह वो लड़की को मना लेता है और वैसे भी गेम शुरू होने के पहले वहाँ लड़की को इतना नशा करवा देते हैं कि उनको अच्छे-बुरे का पता ही नहीं होता यार.. और एक बात और भी समझ ले कि अधिकतर वे ही लड़कियाँ चूत चुदवाने को राजी होती हैं जिन्हें चुदने की ज्यादा भूख होती है, आजकल तो इसे मस्ती के नाम पर खुला खेल माना जाता है।
कोमल- चल सब समझ गई.. मगर पैसे कौन देता है?
विवेक- अरे पुनीत और कौन यार..?
कोमल- अरे उसको क्या फायदा.. और वो भी तो हारता होगा.. तो पैसे भी जाते है और गर्ल-फ्रेण्ड भी?
विवेक- मेरी जान.. वो एक ठरकी लड़का है.. उसको ऐसे गेम में मज़ा आता है.. नई-नई लड़कियों को चोदना उसका शौक है। वैसे वो चाहे तो ऐसे भी रोज नई लड़की उसके पास हो.. मगर उसको ऐसे खेल का शौक है बस.. पैसा देने के बहाने सबको बुलाता है और उसको एकाध लाख से क्या फ़र्क पड़ता है.. इतने पैसे तो वे लोग रोज ही उड़ा देते हैं। हाँ.. दोनों भाई इस खेल के माहिर खिलाड़ी हैं. उनको आसानी से हराना मुश्किल है। सालों का नसीब भी बहुत साथ देता है।
कोमल- अच्छा.. ये बात है.. तो अब तुम्हारा बॉस मेरे को गर्लफ्रेण्ड बना कर लेकर जाएगा.. यही ना?
सुनील- तू साली बहुत समझदार है.. जल्दी समझ गई.. हा हा हा हा..
कोमल- चल हट.. साला कुत्ता.. गर्ल-फ्रेण्ड के बहाने हम जैसी लड़कियों को ले जाते हैं वहाँ.. साले झूटे कहीं के..
विवेक- अरे तू गलत समझ रही है.. ऐसा कुछ नहीं है.. ज़्यादातर असली गर्लफ्रेण्ड ही होती हैं। इस बार बॉस का प्लान कुछ अलग है .. उसे एक लडकी को चोदना है.. तो वो एक नया गेम बना रहे हैं.. जिसमें सिर्फ़ तू हमारी मदद कर सकती है।
कोमल- कैसा नया गेम रे.. ज़रा ठीक से बता मेरे को?
विवेक ने जब बोलना शुरू किया तो कोमल की आँखें फटी की फटी रह गईं.. क्योंकि विवेक ने बात ही ऐसी कहीं थी।