Romance Ajnabi hamsafar rishton ka gatbandhan

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रघु भोजन की थैली लेकर बाहर आया थैली को कार के बैक सीट पर रखा फ़िर चल दिया। कार के चलते ही कमला के सवालों का बौछार शुरू हों गया।

कमला... इतनी देर क्यों लगा दी आप जानते नहीं थे आपकी स्वीट सी बीबी कार में बैठी बैठी बोर हों रहीं होगी।

रघु... हां जनता था पर अन्दर क्या हुआ ये जान लिया तो मैं दावे से कह सकता हूं मेरी स्वीट सी बीबी शायद गुस्से में तोडू फोड़ू मुड़ में आ जाएगी।

कमला... आप कह रहे हों तो शयाद ऐसा ही होता चलिए अब बिना देर किए एक एक बात विस्तार से मुझे बता दीजिए।

इसके बाद रघु ने भोजनालय में हुई घटना की एक एक बात बता दिया जिसे सुनते ही कमला के चहरे पर गुसैल भाव आ गया और कमला बोली... अपने मुझे क्यों नहीं बुलाया मैं उस लालची इंसान को अच्छे से सबक सिखाता।

रघु... मेरी स्वीट सी बीबी गुस्से में बिल्कुल अच्छी नहीं लगती इसलिए तुम गुस्सा छोड़ो मैंने उसका अच्छा बंदोबस्त कर दिया हैं।

इतना बोलकर रघु हल्का सा मुस्कुरा दिया, बदले में कमला ने भी मुस्कुरा दिया। कुछ देर के लिऐ कार में शान्ति छा गई। दोनों कुछ बोले तो नहीं पर कार की इंजन अपनी भाषा में बोलकर शांत माहौल के शान्ति को भंग कर रहें थे। कमला और रघु के साथ अंगरक्षक के जो गाड़ी आया था। वो ज्यादा ही पीछे रह गया था। उन अंगरक्षकों में से एक बोला... साजन यार गाड़ी थोडा तेज चला देख मालिक की गाड़ी कितना आगे निकल गया हैं।

"यार साजन तू अपना नाम बदल क्यों नहीं लेता बोलते हुए मसूका वाली भाव मन में जाग उठता हैं।"

साजन…श्यामू तू नहीं समझेगा साजन नाम सुनने में कितना मजा आता हैं। जब मेरी बीवी प्यार से साजन जी कहती हैं तो मेरा तन बदन गुदगुदा उठता हैं।

श्यामू... ठीक हैं फिर आज से हम तुझे चम्पू नाम से बुलाएंगे आगर नही पसंद तो तू खुद ही कोई अच्छा सा नाम बता दे।

"अरे यार तुम दोनों ये नामकरण संस्कार बाद में कर लेना। साजन तू गाड़ी तेज चला देख मालिक कितना आगे निकाल गया हैं।"

साजन... अरे किसान तू समझा कर दोनों की अभी नई नई शादी हुई हैं। तभी दोनों बहार भोजन करने के नाम पर मस्ती करने आएं हैं। क्यों उनके मस्ती के रंग में भंग डालना चाहता हैं।

किसान... यार मैं समझ रहा हूं पर मैं तुझे ये थोड़ी कह रहा हूं कि गाड़ी उनके कार से चिपककर चला, हम उनसे बहुत दूर हैं थोड़ा नजदीक ले कहीं कुछ ऊंच नीच हों गया तो राजा जी और रानी मां हमारी खाल खीच लेंगे।

अच्छा ठीक हैं कहकर साजन ने गाड़ी की रफ्तार बडा दिया और रघु के कार से लामसम बीस मीटर की दूरी बनाकर चलने लगें।

कुछ देर चुप रहने के बाद अचानक कमला को कुछ याद आया तो पीछे की सीट में देखते हुए बोली... आप साथ में एक थैली जैसा कुछ लाए थे उसमें क्या हैं?

रघु एक स्वास भरकर बोला... उसमें हमारे बचे हुए भोजन है। जिसे वो लोग किसी को देने से रहें इसलिए साथ लेकर आया हूं रास्ते में किसी को देता हुआ घर चले जायेंगे।

कमला... आप ले तो आए पर इतनी रात में देंगे किसे कोई मिलना भी तो चहिए।

रघु एक हाथ से कार की स्टेरिंग संभालते हुए और दूसरे हाथ से कमला का एक हाथ पकड़कर बोला... कोई न कोई मिल जायेगा आगर नहीं मिला तो मैं एक ऐसी जगह जानता हूं वहा जाकर ये भोजन किसी को दे आयेंगे।

सुनसान रास्ता रात का वक्त कार में मौजूद दो इंसान जिसमें एक तीव्र ज्वलनशील पेट्रोल तो दूसरा आग, ऐसे में दोनों का नजदीक आने का मतलब एक तीव्र धमाका होने का संकेत हैं। हुआ भी वैसा ही त्वचा के त्वचा से स्पर्श होते ही, दोनों के जिस्म में मौजूद हल्की चिंगारी को मानो हवा के एक झोखे ने भड़का दिया हों और उसके असर से दोनों की रगो में खून का बहाव तीव्र रफ्तार से चल पड़ा, बीतते पलों के साथ खून का बहाव इतना तेज़ हों गए की दोनों एक दूसरे को रोक नहीं पाए, बस एक दूसरे के आंखों में देखते हुए एक दूसरे के नजदीक आने लगें, क्षण दर क्षण वक्त बीतने के साथ दोनों की नजदीकी बढ़ने लगा। अभी दोनों के लवों का मिलन होने वाला था की रघु का दूसरा हाथ स्टेरिंग से छुट गया और एक्सेलेटर पर पैर का दवाब बढ़ गया जिससे अचानक कार की रफ़्तार बड़ गया और कार साधारण गति से तेज दौड़ने लगा। तेज गति से दौड़ती कार और स्टेरिंग संभालने वाला कोई हाथ न होने के कारण कार अपने पथ से ढगमगाने लग गया।

कार डगमगाकर आढा तिरछा चलने लग गया। जिससे दोनों के लव जो धीरे धीरे आगे बढ़ रहे थे वो एक झटके में एक दूसरे के लवों से मिल गया और अगले ही क्षण दोनों के लव अलग हो गया फिर दोनों अपने अपने सीट पर आ टीके, अचानक लगे धक्के से रघु का पैर एक्सीलेटर से खिसककर स्वतः ही नीचे आ गया, अभी अभी क्या हुआ रघु उसे समझ पाता कि रघु की नज़र सामने की और गया। कार से लगभग 30 से 40 मीटर दूर एक इंशानी छाया दिखा शायद उस छाया को कमला ने भी देख लिया होगा इसलिए चीखते हुए बोलीं... ओ जी कार को रोकिए।

चीखने की आवाज़ कानों को छूते ही रघु होश संभाला और स्टेरिंग को थामे जितनी ताक़त उसके जिस्म में था उतने ताकत से कार के ब्रेक को दबा दिया। अपनी स्थिति और सामने का दृश्य देखकर डर के मारे कमला जम सी गई और सामने वाला इशानी छाया तीव्र रफ्तार से आते हुए कार को अचानक देखकर सूदबुद खो बैठा और मानो उसके पैर जम सा गया हो पर रघु इस वक्त होश से कम ले रहा था वो जितनी तेज हों सके कार के ब्रेक को छोड़ रहा था फिर दबा रहा था। जिसका नतीजा ये हुआ कार की रफ़्तार कम हों गया फिर भी रुकते रुकते एक हल्का धक्का उस इंसान को लग गया और वो खुद को संभाल न पाने के कारण गिर गया।

ये देखकर रघु ने एक गहरी स्वास छोड़ा मानो कोई जंग जीत लिया हों। एक नज़र बगल के सीट पर फेरा तो उसे कमला डरी सहमी सी दिखा तब रघु बोला... कमला कुछ नहीं हुआ सब ठीक हैं तुम यहां बैठी रहो तब तक मैं उसे देख कर आता हू।

कमला ने "hummm" के अलावा कुछ नहीं कहा और रघु कार का दरवाजा खोला ही था की उसके बगल में उसके अंगरक्षकों की गाड़ी आकर रुका, उसमे से सभी सरपट बहार निकल आया फिर रघु के पास आकर साजन बोला... मालिक आप कार में ही रहें हम देखते हैं।

इशारे से साजन ने अपने बंदों को आगे जाकर देखने को कहा दो बंदे आगे बढ़ गए। कार से टकराने वाला इंसान उठकर खड़ा हों ही रहा था की दोनों अंगरक्षक उसके पास पहुंच गए और उसे उठाने लगे साथ ही पुछा... आप को कहीं चोट तो नहीं लगा और इतनी रात को इस सुनसान रास्ते पर क्या कर रहें हों।

"भाई मैं बिल्कुल ठीक हूं इधर नजदीक ही मैं काम करता हूं। कुछ काम से बाजार गया था आते आते देर हों गया अब मैं वहीं जा रहा हूं"

बांदा उठकर खड़ा हों गया तब कार की हेड लाइट की रोशनी में रघु को उस बंदे का चहरा दिखा जो उसे जाना पहचाना लगा तो रघु मन ही मन बोला... अरे ये तो संभू है ये भी न गजब आदमी है जब भी मिलता है मेरे ही कार से ठुकता हैं।

इतना बोलकर एक नज़र कमला को देखा कमल इस वक्त कुछ ठीक था उतना डरा हुआ नहीं था तो रघु ने पलके झपकाकर सब ठीक होने का आश्वासन दिया बदले में कमला ने एक फीकी सी मुस्कान बिखेर दिया फिर रघु कार से उतरकर सामने गया और बोला... संभू तुम्हें ज्यादा चोट तो नहीं लगा। तुम भी गजब बंदे हों जब भी मिलते हों मेरे ही कार से ठुकते हों खैर छोड़ो ये बताओ बिना कुछ कहें कहा चले गए थे।

संभू...मालिक मैं ठीक हूं। जाऊंगा कहा एक जगह काम मिल गया था वहां चला गया था।

रघु... जाना ही था तो बताकर जाते। मैं कितना परेशान था एक तो बिना बताए चले गए ऊपर से तुम्हें कितना चोट लगा था।

तभी रास्ते के किनारे उगी झाड़ियों में कुछ आहट हुआ जैसे सुखी पत्तो पर कोई चल रहा हों। आहट होते ही साजन बोला... किशन देख तो उन झाड़ियों में कौन है।

साजन के इतना बोलते ही झाड़ियों में से आ रहीं सूखे पत्तों की आवाजे और तेज हों गया साथ ही किसी के भाग कर जानें की भी आवाज आया। आ रहीं आवाजों को सुनकर साजन बोला... कौन हैं वहा रुक जाओ नहीं तो अच्छा नहीं होगा फिर अपने साथियों से बोला जाओ जल्दी देखो कौन हैं।

इतना सुनते ही साजन को छोड़कर बचे तीनों अपना अपना टॉर्च जलाया और आवाज़ की दिशा की और चल दिया। झाड़ियों में हुई भागने की आवाज़ सुनकर संभू मन में बोला... पक्का ये वही लोग होंगे जो पिछले कुछ दिनों से मेरा पीछा छाए की तरह कर रहें है। क्या करूं मालिक को सब बता दूं। हा बता देना चहिए जिस तरह ये लोग मेरा पीछा कर रहें हैं मेरे साथ कभी भी कुछ भी हों सकता हैं।

साजन... मालिक आप जाकर कार में बैठिए मुझे यहां खतरे की आसंका हों रहा हैं।

रघु कर की और जा रहा था की संभू, रघु को रोकते हुए बोला... मलिक मुझे आपसे बहुत जरूरी बात करना हैं।

रघु... हां बोलों

संभू... मलिक यहां नहीं बोल सकता और ये बात करने का वक्त भी नहीं हैं। कोई ऐसी जगह बता दीजिए जहां आकर मैं आपसे मिल सकता हूं।

रघु भी वक्त की नजाकत को समझ रहा था। इसलिए बोला... ठीक हैं कल तुम 10 बजे के बाद किसी भी वक्त मेरे ऑफिस आ जाना वहीं बात कर लेंगे।

संभू हां बोलकर जानें लगा तभी साजन बोला... सुनो तुम क्या नाम बोला…हां संभू मुझे तुम पर शंका हों रहा हैं। इसलिए बिना लाग लपेट के जो तुम छुपा रहें हों जल्दी से बोलों वरना मैं तुम्हारे इस भेजे को गुब्बारे की तरह फोड़ने में वक्त नहीं लगाऊंगा।

इतना बोलकर साजन ने अपने हाथ में रखा बंदूक की नली संभू के कपल पर ठीका दिया। बंदूक की नली टिकाते ही संभू डर के मारे थार थार कांपने लगा मानों संभू को साजन के रूप में साक्षात यम का दर्शन हों गया हों। उधर कमला कार मैं बैठी सब देख रहीं थीं जो अब तक पूरी तरह संभाल चुका था। बंदूक को संभू के माथे पर टिका देखकर आगे होने वाले संभाभित दृश्य को सोचकर ही उसकी रूह कांप उठी और "nahiiiiii" की एक तेज चीख कमला के मुंह से निकाला, बस क्षण बीतने से पहले रघु बीबी के पास पहुचा और बोला... कमला क्या हुआ तुम इतनी तेज़ क्यों चीखी?

रघु के मुंह से गिने चुने कुछ ही शब्द निकला पर उसमे डर का मिला जुला मिश्रण था। पति का यूं तेज़ गति से पास आना और डर का भाव लिऐ बोलने से कमला पति की और देखा तो उसे पति के चहरे पर डर और आंखों में फिक्र दिखा जिसे देखकर कमला आंखो को बंद करके एक गहरी स्वास लिया फिर बोलीं…जी कुछ नहीं हुआ बस बंदूक तानते देखकर मैं डर गईं इसलिए चीख निकाल गया।

बीबी से इतना सुनते ही रघु एक गहरी स्वास छोड़ा जो शायद अब तक अन्दर कहीं अटका हुआ था फिर ऊपर की और देखकर ऐसे आंख मीचा मानो प्रभु का शुक्रिया अदा कर रहा हों। अभी ये सब चल ही रहा था कि साजन हाथ में बंदूक लिए रघु के पास पहुचा उसके पीछे पीछे संभू भी वहां पहुंच गया। साजन बोला... मालकिन क्या हुआ आप ठीक तो हों न!

कमला...कुछ नहीं हुआ मैं ठीक हूं साजन जी।

बीबी के साजन जी बोलते ही रघु क्या प्रतिक्रिया दे भुला गया बस एक बार साजन को देखें तो एक बार कमला को देखें और कमला साजन जी साधारण भाव से बोला था पर पति के यूं बार बार बिना किसी भाव के देखने से नज़र झुका लिया और रघु साजन की और देखकर बोला... साजन तू अपना नाम आज और अभी से बदल ले मैं नहीं चाहता मेरी बीवी मेरे अलावा किसी ओर को साजन जी बोले फिर कमला की और देखकर बोला... कमला तुम सिर्फ़ मुझे साजन जी बोलोगी किसी ओर को नहीं, सुना न तुमने मैंने क्या कहा।

पति का यूं हक जताते हुए बोलना कमला के मन को भा गया इसलिए कमला मंद मंद मुस्कुराते हुए सिर हिलाकर हा बोला, मुस्कुरा तो साजन और संभू भी रहा था। कुछ पल मुस्कुराने के बाद साजन को याद आया उसने संभू से कुछ पुछा था पर संभू ने अभी तक कोई जबाव नहीं दिया तो उसने संभू से बोला... चल भाई बहुत मुस्कुरा लिया अब बोल जो तुझसे पुछा था। एक एक बात सच बताना मुझे झूठ का आभास भी हुआ तो तेरा भेजा उड़ने में मैं वक्त नहीं लगाऊंगा।

संभू... अरे भाई मुझे लगाता है तुम्हारे भेजे में गोबर भरा हुआ हैं। मेरे पास भागने का पुरा पुरा मौका था फिर भी मैं भागा नहीं इससे तुम्हें समझ जाना चहिए मेरे मन में मलिक को नुकसान पहुंचाने की कोई योजना नहीं हैं फिर भी आगर तुम्हें शक है तो सुनो मैं मलिक के ऑफिस में मिलने आने की बात पर कभी राजी नहीं होता उन्हे कही एकांत में मिलने बुलाता।

संभू कह तो सही राह था। इस पर विचार करने पर साजन को संभू सही लगा लेकिन संभू का साजन को बिना भेजे वाला कहना अच्छा नहीं लगा इसलिए खीजते हुए बोला... चल ठीक है अब निकल यहां से!

साजन को खीजते हुए देखकर संभू वहां से खिसकना ही ठीक समझा इसलिए रघु को कल मिलने को बोलकर चला गया। इधर रघु और कमला साजन को खीजते हुए देखकर मंद मंद मुस्कुराने लगे कुछ वक्त मुस्कुराने के बाद रघु बोला... साजन तुझे संभू से ऐसे सवाल नहीं पूछना था न ही उसके माथे पर बंदूक टिकना था।

साजन…मलिक आपके सुरक्षा की जिम्मेदारी मेरे कंधे पर हैं। उसे निभाते हुए जहां भी मुझे शंका होगा तब जो मेरा मन करेगा मैं करूंगा ऐसा करने में, मैं आपकी एक भी न सुनूंगा।

रघु... ठीक हैं भाई पर ऐसे किसी पर बंदूक न तना कर खासकर की जब कमला मेरे साथ हों उसे इन सब हथियारों को देखने की आदत नहीं हैं। आज तेरे कारण कितना डर गई थी उसकी चीख सुनकर मेरे प्राण ही सुख गया था।

साजन... ठीक है मलिक आगे से ध्यान रखूंगा।

ये बात कर रहें थे कि किसान और बाकी दोनों अंगरक्षक लौट आएं और रिपोर्ट देते हुए बोला... यार चम्पू वो तो मिला नहीं लगता है कोई जानवर होगा जो आवाज होते ही भाग गया होगा।

चम्पू नाम सुनते ही साजन खीज गया और गुस्सैल नजरों से किसान को देखने लगा और रघु बोला... अरे किसान तुम इसे चम्पू क्यों बोल रहें हों जबकि इसका नाम तो साजन हैं।

किसान... मलिक साजन नाम थोड़ा अटपटा लग रहा था इसलिए आज ही इसका नामकरण संस्कार किया और चम्पू नाम रख दिया।

रघु मुस्कुराते हुए बोला... बिल्कुल सही नाम रखा हैं।

साजन... किसान तुझे तो बाद में देखूंगा अब हमें चलना चहिए।

इतना बोलकर साजन कार के दूसरे ओर गया और दरवाजा खोलकर रघु को बैठने को कहा। रघु के बैठते ही दरवाजा बंद करके साजन बाकी साथियों के साथ जाकर अपने गाड़ी में बैठ गया और चल दिया रघु के पीछे पीछे।

आगे जारी रहेगा….
 

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