बैलगाड़ी

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आज जो कुछ भी हुआ था,,, उससे मधु पूरी तरह से हैरान हो चुकी थी,,,,, उसे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा था,,,, वह जल्दी से आकर खाना बनाने लग गई थी,,,सामने ही उसका पति हरिया बैठा था लेकिन आज अपने पति से भी नजर मिलाने की हिम्मत उसमें बिल्कुल भी नहीं थी,,,, क्योंकि जो कुछ भी हुआ था वह मधु की सोच से एकदम परे था मधु ने कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि उसका बेटा उसके साथ इस तरह की हरकत करेगा,,,, पहली मर्तबा ही कुवे से पानी निकालते समय किस तरह की हरकत उसके बेटे ने किया था वह भी मधु को बेहद अजीब लगा था लेकिन हो सकता था कि उससे गलती से हो गया हो इसलिए वह बात आई गई कर दी थी लेकिन फिर भी जब जब अपने पर जाती थी तब तक वह बिल्कुल भी नहीं चाहती थी कि उसका बेटा होने पर उसके साथ जाए,,,
आज सुबह भी वह कुएं पर पानी भरने जा रही थी और राजू भी जाने के लिए तैयार था लेकिन मधु ने ही उसको इंकार कर दी थी,,,,, क्योंकि वह नहीं चाहती थी कि उस दिन की तरह आज भी उसका बेटा गंदी हरकत करें लेकिन एक बात का उसे भी एहसास होता था कि उसके बेटे की उस तरह की गंदी हरकत में ना जाने कि उसे भी मजा आ रहा था जो कि वह इस तरह के आनंद से कतराती रहती थी,,,, उसे गुस्सा भी आता था लेकिन कुछ कर नहीं पा रही थी,,,, कुए पर साथ चलने से इंकार कर के वह अपने बेटे की गंदी हरकत से तो बच गई थी लेकिन बकरियां पकड़ते समय वह अपने आप को बचा नहीं पाई,,
,, वह रसोई बनाते समय यही सब सोच रही थी कि कुए पर अपने बेटे को ना ले जाकर बच गई थी लेकिन जैसे वक्त भी उसके बेटे का हिसाब दे रहा हो बकरियां पकड़ते समय उसकी आंखों के सामने ही बकरी और बकरा चढ़कर उसकी चुदाई करने लगा था वह उस समय अपने बेटे के सामने शर्म से पानी पानी हुए जा रही थी,,,, उसे और ज्यादा शर्मिंदगी का महसूस हुई जब उसका बेटा बकरे को मारते हुए झोपड़ी में यह कहते हुए ले गया कि तुझे भी इसी वक्त चढ़ना था,,,,, यह सब मधु के लिए बेहद अजीब था ऐसा नहीं था कि वह पहली बार किसी बकरे को पकड़ते हुए देख रही थी पहले भी वह कई बार इस तरह के नजारे को देख चुकी थी लेकिन अपने ही बेटे के सामने यह नजारा देखा करवा शर्म से पानी पानी में जा रही थी सब कुछ सही चल रहा था कि तभी गाय की वजह से जो कुछ भी होगा उसके बारे में कभी सपने में भी नहीं सोची थी,,,।
कुवे से पानी निकालते समय तो उसका बेटा पीछे से रस्सी खींचते हुए उसकी बड़ी बड़ी गांड पर पूरी तरह से सटा हुआ था जिससे उसका खड़ा लंड उसकी गांड पर साफ महसूस हो रहा था लेकिन गाय को खींचते समय जो हरकत उसने किया था उसके बारे में वह कभी सोच नहीं सकती थी,,,रसोई बनाते समय मधु अपने मन में यही सोच रही थी कि मौके का सही फायदा उठाना तो कोई उसके बेटे से ही सीखे गाय को खींचते समय जिस तरह से वहां उसकी गांड से पूरी तरह से सटा हुआ था और लगातार दो तीन बार अपनी कमर हिला दे रहा था उसकी यह हरकत वास्तविक रूप से एक औरत को चोदने वाली ही थी,,,, और ऐसा वह दो-तीन बार कर चुका था,,, अपने बेटे की ईस हरकत से वह हैरान तो थी ही लेकिन काफी उत्तेजित भी हो चुकी थी,,, क्योंकि वह पूरी तरह से अनुभव से भरी हुई थी और जिस तरह से पजामे के अंदर होने के बावजूद भी और साड़ी के ऊपर से ही साड़ी सहित उसका लंड चूत तरह से बड़ी बड़ी गांड की फांकों के बीच घुसते हुए सीधे-सीधे उसकी बुर की दहलीज पर दस्तक दे रहा था वह पूरी तरह से मधु को हैरान कर देने वाला था और अपने बेटे की मर्दाना ताकत को देखते हुए बेहद काबिले तारीफ भी था जहां एक तरफ उसे हैरानी हो रही थी वहीं दूसरी तरफ उसे ना जाने क्यों अपनी बेटी की हरकत की वजह से प्रसन्नता भी हो रही थी वह इतने से ही भाग गई थी कि उसका बेटा पूरी तरह से मर्दाना ताकत से भरा हुआ है,,,, पल भर में ही अपने हरकत की वजह से उसने उसे पानी पानी कर दिया था,,,।जिस बारे में सोच कर खाना बनाते समय भी उसे अपनी बुर फिर से गीली होती हुई महसूस हो रही थी,,,,,,,

गाय को खींचते समय उसकी मदद करने के बहाने जिस तरह से पीछे से राजू ने अपनी मां को पूरी तरह से अपनी आगोश में ले कर उसकी गोलाकार नितंबों पर पूरी तरह से कब्जा जमाया था यह देखते हुए मधु भी कुछ कर सकने की स्थिति में बिल्कुल भी नहीं थी अपने बेटे की हरकत की वजह से वह पूरी तरह सिहर उठी थी,,,, उसकी गोल-गोल भारी भरकम गांड पर पूरी तरह से राजू ने अंकुश रखा हुआ था,,,,ना उस समय वह हिल पा रही थी ना‌ डुल पा रही थी और इसी का फायदा उठाते हुए राजू दो तीन बार लगातार धक्के पर धक्के मार कर अपने आप को संतुष्ट करने की कोशिश कर रहा था,,, और जिसका मजा जाने अनजाने में मधु भी ले रही थी,,,,,,

मधु रसोई बनाते समयराजू के ख्यालों में उसके द्वारा की गई हरकत के बारे में इस कदर खो गई कि उसे इस बात का एहसास ही नहीं रहा कि हरिया सामने ही खटिया पर बैठा हुआ है वह अपने ही ख्यालों में पूरी तरह से मगन हो चुकी थी वह अपने मन में यही सोच रही थी कि सब कुछ जैसे उसके बेटे के मुताबिक ही हो रहा है क्योंकि रस्सी खींचते समय इतनी मोटी रस्सी भी टूट गई और वह जिस तरह से अपने बेटे के ऊपर गिरी थी उसकी सारी पूरी तरह से उठकर उसकी कमर पर आ गई थी और वह कमर के नीचे से पूरी तरह से नंगी हो गई थी,,,,, यह सब सोचकर इस समय मधु की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी उसे वह पल अच्छी तरह से याद थाजब उसने अपनी दोनों जांघों पर अपने बेटे की हथेलियों को महसूस कि थी,,और उसकी हथेली की रगड़ साफ महसूस हुई थी,,,, और उसे उठाने की कोशिश करते हुए जिस तरह से वह हिम्मत दिखाते हुए अपनी हथेली को उसकी बुर पर रखा था उस पल को याद करते हैं इस समय उत्तेजना के मारे मधु की बुर फूलने पिचकने लगी,,,,अपने बेटे की हरकत को देखते हुए मधु इतना तो समझ गई थी कि वह जवान हो रहा है और जवानी के जोश में वह अपनी मां को ही गंदी नजर से देखने लगा है,,,यह बात जहां उसे हैरान करने वाली थी वहीं इस बात से उसे ना जाने क्यों आनंद की अनुभूति भी हो रही थी कि उसके बेटे की हर एक हरकत से वह मदहोश होती जा रही थी,,,, मधुबनी मन में सोचने लगी कि उसका बेटा जाने अनजाने में नहीं बल्कि जानबूझकर यह सब कर रहा है,,,, गाय को खेलते समय अपने लंड को सटाकार कर सटाकर दो-तीन बार धक्के लगा देना,,, रस्सी के टूटने के बाद उसकी मोटी चिकनी जांघों को अपनी हथेली से सहला देना और तो और उसे उठाने में मदद करने के बहाने उसकी बुक पर अपनी हथेली रख देना यह सब जानबूझकर उसका बेटा कह रहा था इसका एहसास उसे अच्छी तरह से हो गया था,,,, और तो और आखिरी पल में जिस तरह से अपनी पत्नी को उसकी पूरी होगी पूरी पर रखकर अपनी बीच वाली उंगली को उसकी बुर की दरार से रगड़ते हुए ऊपर की तरफ लाया था उसकी यह हरकत से पूरी तरह से मधु कामातुर हो गई थी और अपनी उत्तेजना को अपने बस में ना कर सकने के कारण झट से उसका पानी निकल गया था,,,,,,,, जिंदगी में पहली बार ऐसा हुआ था कि बिना चुदवाए ही मधु का पानी निकल गया था,,,, क्योंकि जिस समय राजू अपनी मां की बुर को लगा रहा था उसी समय मधु को अपनी भारी-भरकम गांड पर उसके बेटे का मोटा तगड़ा लंड चुभता हुआ महसूस हुआ था और उसी पल वह पानी छोड़ दी थी,,,, यही सब सोचकर मधु हैरान में जा रही थी कि तभी अपने पति की आवाज को सुनकर उसकी तंद्रा भंग हुई,,,।


अरे भोजन तैयार हो गया क्या,,,,


हां,,,हा,,,, अभी परोसती हुं,,,,,(इतना कहकर थोड़ी देर में ही व खाना परोस कर अपने पति हरिया को दे दी और दूसरे काम में लग गई तब तक गाय को वापस लाकर अपनी जगह पर बात कर राजू घर पर आ गया था लेकिन जो कुछ भी हुआ था उससे भी वह पूरी तरह से उत्तेजित हो गया था और पहली बार दिन में चुदाई कीए,,,, उसका पानी निकल गया था इसका एहसास उसे अच्छी तरह से हो गया था कि उसकी मां के खूबसूरत बदन में जवानी कूट-कूट कर भरी हुई है,,,, क्योंकि आज उसकी मां बिना अपने बुर में लीए ही उसका पानी निकाल दी थी,,,,,,, राजू हाथ मुंह धो कर अपनी मां के पास आया और बोला,,,।


मा खाना निकाल दो मैं गाय बांध दिया हूं,,,


तू बैठ मैं खाना निकालती हूं,,,,(राजू से नजर मिलाए बिना ही मधु बोली क्योंकि जो कुछ भी हुआ था उसको लेकर मधु की हिम्मत नहीं थी कि वह अपने बेटे से नजर मिला सके,,, लेकिन राजू मैं बिल्कुल भी शर्म नहीं थी क्योंकि वह कई औरतों को भाोग चुका था,,, इसलिए वह अब हर औरत को एक ही नजर से देखता था,,,। जिसमें उसकी मां भी उसके लिए अछूती नहीं थी,,,,,,


राजू खाना खा ही रहा था कि गुलाबी कपड़ों का ढेर लेकर आई और राजू से बोली,,,।



चल जल्दी से खाना खा ले और सारे कपड़े उठाकर नदी पर चल आज इन्हें धोना है,,,


हां यह तु ठीक कर रही है गुलाबी,,,,इससे काम कराया कर दिन भर यहां वहां घूमता रहता है,,,,(खाना खाकर हाथ में लोटा लिए खटिया पर से उठते हुए हरिया बोला,,,, इतने में गुलाबी हरिया के हाथ से लौटा लेते हुए बोली)


लाओ भैया मैं हाथ धुला देती हूं,,,,,,(और इतना कहने के साथ ही वह दोनों आंगन से थोड़ा बाहर आ गए,,, जहां पर गुलाबी लोटा लेकर थोड़ा सा चूक गई और हाथ धोने के लिए हरिया भी झुकते हुए हाथ आगे कर दिया ऐसा करने से गुलाबी कीमत मस्त चूचियां कुर्ती में से बाहर झांकने लगी गुलाबी जानबूझकर इतना ज्यादा झुक गई थी कि उसके निप्पल तक हरिया को नजर आ रही थी जिसे देखते हुए उसके मुंह में पानी आ रहा था और वह आहे भरने लगा गुलाबी जानती थी कि उसका भाई उसकी कुर्ती में झांक रहा है और इसीलिए वह बोली,,,,)

क्या भैया तुमको तो लगता है मेरी याद ही नहीं आती,,, अरे मेरी ना सही,,,(नजरों से अपनी चुचियों की तरफ इशारा करते हुए) इसकी भी याद नहीं आती,,,

अरे गुलाबी बहुत याद आती है लेकिन क्या करूं तुम्हारे साथ समय बिताने का मौका ही नहीं मिलता,,,,


मौका ढूंढने से मिलता है,,,, और इस तरह का मौका तो बड़ी मुश्किल से ही मिलता है,,, जिसमें हम दोनों साथ में समय बिता सकें,,,


क्यों गुलाबी बुर में ज्यादा खुजली हो रही है क्या,,,(हाथ धोते हुए हरिया बोला,,,)

बहुत खुजली हो रही है भैया मेरी बुर भी तुम्हारे लंड की दीवानी हो गई है,,, तुम्हारे लंड़के के बिना रहा नहीं जाता,,,



लगता है जल्दी ही तेरी शादी करना पड़ेगा ताकि इधर-उधर तुझे मुंह ना मारना पड़े,,,


शादी जब होगी तब होगी,,,, सुहागरात तो तुम्हारे साथ ही मनाना है,,,,


हाय मेरी जान,,, तेरी बातें मुझे पागल कर रही है जल्द ही तेरी बुर का पानी निकालना पड़ेगा,,,


जल्दी निकालिए ना भैया मुझसे रहा नहीं जाता,,,,,


बुआ तैयार हो चलने के लिए,,,,(अंदर से राजू आवाज लगाता हुआ बोला,,,)


हां,,,,आई,,,,,

(हरिया हाथ धो चुका था अपनी बहन की बातें उसे पूरी तरह से मस्त कर गई थी,,,, अपनी बहन के अल्हड़ जवानी से वह पूरी तरह से पानी पानी हुआ जा रहा था,,,, गुलाबी अपनी गांड मटकाते हुएघर के अंदर की तरफ जाने लगी और हरिया अपनी बहन की मदद की भी गांड को देखकर गरम आहें भरने लगा,,,, थोड़ी देर बाद गुलाबी राजू को लेकर नदी पर पहुंच चुकी थी,,, नदी पर गांव के काफी लोग मौजूद थे क्योंकि सुबह का समय था इसलिए राजू चाहते हुए भी कुछ कर नहीं सकता था,,,,इसलिए वह भी अपनी बुआ के साथ बैठकर कपड़े धोने में उसकी मदद करने लगा,,,,इस समय नदी पर वह अपनी बुआ के साथ कुछ नहीं कर पाएगा इसलिए थोड़ा उदास था क्योंकि वह जो कुछ भी अपनी मां के साथ हरकत किया था उसे सेवा पूरी तरह से गर्म हो गया था और अपनी गर्मी बुआ की जवानी पर उतारना चाहता था लेकिन कुछ कर नहीं सकता था इसलिए उसका मुंह उतरा हुआ था और वह भी कपड़े धोने में मदद कर रहा था गुलाबी उसकी तरफ देखते हुए बोली,,,।



क्यों रे तेरा मुंह क्यों उतरा हुआ है,,,?(कपड़े को धोते हुए)

उतरा तो रहेगा ना,,,

वही तो पूछ रही हूं क्यों,,?


गांड तो देती नहीं हो,,, और पूछती हो क्यों,,

अरे पागल हो गया है क्या तू,,,, सब कुछ तो मैं तुझे दे दी हुं लेकिन गांड नहीं देने वाली,,,,


लेकिन क्यों बुआ,,, बुर चोदने देती हो तो गांड क्यों नहीं,,!


तु अच्छी तरह से जानता है कि मैं तुझे गांड क्यों नहीं दे रही हुं,,,,, तेरा लंड देखा है कितना मोटा है,,,, एकदम मुसल जैसा और मेरी गांड का छेद एकदम छोटा है,,,,, उसमें भला तेरा लंड कैसे घुसेगा,,,,,,


घुस जाएगा बुआ एक बार कोशिश तो करने दो,,,

नहीं नहीं बिल्कुल भी नहीं मैं तुझे वहां पर छूने भी नहीं दूंगी तेरी नियत खराब होती जा रही है,,,, मुझे बहुत डर लगता है,,,


क्या बुआ मा तो एकदम आराम से ले लेती है,,,


तो जाना अपनी मां से ही उसकी गांड मांग ले शायद तेरा लंड देखकर वह भी तेरे से गांड मरवा लेगी,,,
(राजू को अपनी बुआ की यह बात बहुत अच्छी लगी थी,,,, अपने मन में सोचने लगा कि शायद श्याम जैसी किस्मत होती तो उसकी यह इच्छा भी पूरी हो गई होती,,,, लेकिन फिर भी वह अपने बुआ से बोला,,,)

क्या हुआ तुम भी मुझे तो तुम्हारी गांड मस्त लगती है,,,


तो चाट ले चुम ले लेकिन तुझे गांड मारने की इजाजत नहीं दुंगी,,,


अरे कुछ नहीं होगा तेल लगाकर करुंगा ना,,,


तेल लगा या मलाई,,, लेकिन गांड पर बिल्कुल भी नहीं,,,,, ईतना कुछ दे दी हु फिर भी,,, छोटे से छेद के लिए जिद कर रहा है,,,


अरे यह बात नहीं है बुआ मैं भी तो देखूं क्या वाकई में गांड मारने में‌ मजा आती है,,,,


चल हरामी,,, रहने दे ये सब बात और कपड़े धोने में मेरी मदद कर,,,।
(राजू को लगने लगा कि उसकी गांड मारने की इच्छा सिर्फ इच्छा ही बनकर रह जाएगी और वह कपड़े धोने में अपनी बुआ की मदद करने लगा,,,,,, वह कपड़े धो ही रहा था कि उसे कमला चाची की आवाज सुनाई दी जो कि ठीक उसके पीछे से आ रही थी,,,)

क्यों राजू बेटा अब तो दिखाई नहीं देता,,,, कहां रहता है दिन भर,,,

(कमला चाची को अपनी तरफ आती हुई देखकर गुलाबी कमला चाची को प्रणाम करते हुए बोली,,)

नमस्ते चाची,,,


खुश रहो बेटी,,,,

नमस्ते चाची,,,


नमस्ते,,,,,, नमस्ते राजू,,,, और कहो कैसा हाल है,,,


एकदम बढ़िया है चाची,,,


हां एकदम बढ़िया तो रहेगा ही जब काम धाम करना नहीं है तो दिन भर आराम करके और क्या रहेगा,,,(गुलाबी बीच में बोल पड़ी,,)


अरे नहीं बेटा ऐसी कोई बात नहीं है जब जिम्मेदारी आएगी तो खुद ही समझदार हो जाएगा अभी तो इसके खेलने खाने के दीन है,,,,(कमला चाची राजू के सर पर हाथ रखते हुए बोली,,,)


अरे तुम नही जानती चाची,,,, यह बहुत कमी ना है,,,,

देख लेना चाहिए घर वालों के लिए हमें निकम्मा और कमी ना हो लेकिन यह क्या जानती है कि बाहर मेरी कितनी इज्जत है बाहर वालों को मेरी कितनी जरूरत है,,,(कमला चाची की तरफ देखते हुए राजु बोला,,,राजू के कहने का मतलब को कमला चाची अच्छी तरह से समझ रही थी इसलिए उसके होठों पर मुस्कान आ गई,,,, राजू अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)

लेकिन तुम यहां क्या कर रही हो चाची,,,,


अरे मैं भी कपड़े धोने के लिए आई थी बहू भी पीछे पीछे आ गई वह देख बहू कपड़े धो रही है,,, मैं भी सोची चलो 1 साथ दो काम हो जाएगा कपड़े भी सुख जाएंगे और हम नहा भी लेंगे,,,


चलो यह भी अच्छा है,,,,(गुलाबी कमला चाची की तरह मुस्कुराते हुए देख कर बोली तो कमला चाची की मुस्कुराकर अपनी बहू की तरफ जाते हुए बोली,,,)

आते रहना राजू,,,


जी चाची,,,,


गुलाबी और राजू ने मिलकर सारे कपड़े धो लिया था और गुलाबी कपड़ों को झाड़ियों पर डालने के लिए ले जा रही थी इतने मे राजु नदी में उतर गया था,,,, गुलाबी जैसे कपड़े डाल कर वापस आई तो राजू को नदी में देख कर बोली,,,


तेरा नहाना जरूरी था क्या मुझे नहाने दे चल बाहर निकल,,,,

तुम वहीं बैठ कर नहा लो ना बुआ,,,,


नहीं मुझे भी आज नदी में उतर कर नहाना है,,,।

(अपनी बुआ की बात सुनकर वह तुरंत नदी में ही अपने हाथ को नीचे की तरफ ले जाकर अपने पजामे को उतारने लगा और अगले ही पल अपने पजामा को उतारकर नदी में हो पूरी तरह से नंगा हो गया और पैजामा को नदी से बाहर की तरफ फेकते हुए बोला,,,,)

लो जब तक मैं नहा लूंगा तब तक कपड़े भी सुख जाएंगे तुम थोड़ा सा धोकर करें झाड़ियों पर डाल दो,,,


बाप रे तुझे शर्म नहीं आती एकदम नंगा हो गया है,,,।

इसमें शर्म कैसी बुआ तुम भी अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी होकर नदी में आ जाओ बहुत मजा आएगा एक साथ नंगे होकर नहाने में,,,

धत्,,, तु बहोत बेशर्म हो गया है तू नहाकर निकलेगा तभी मैं नहाऊंगी,,,,,,(और इतना कहकर वही बड़े पत्थर पर बैठ गई और उसके पजामे को धोने लगी,,,, काफी देर तक रघु नदी के ठंडे पानी में इधर से उधर तैर कर नहा रहा धीरे-धीरे वहां से सब लोग जाना शुरू हो गए थे और अब केवल कमला चाची ही उसकी बहू और उसकी गुलाबी बुआ और वो खुद रह गया था,,,, कमला चाची और उसकी बहू नदी में उतर कर ठंडे पानी का मजा ले रहे थे,,,, कमला चाची और उसकी बहू दोनों अपना ब्लाउज में कहां रख कर नदी के किनारे रख दिए थे केवल साड़ी लपेट कर नदी में उतरे थे,,,, कमला चाची किनारे पर बैठकर नहा रही थी और उनकी बहू जो कि अभी पूरी तरह से जवान थी वह थोड़ा हिम्मत करके नदी के बीच मैं धीरे धीरे चलते हुए आ रही थी,,,, चारों तरफ सन्नाटा छाया हुआ था नदी के किनारे दोनों तरफ बड़े-बड़े पेड़ लगे हुए थे जिससे उसके छांव में पानी और ज्यादा ठंडा महसूस होता था,,, गुलाबी किनारे पर बैठे-बैठे ही नहाना शुरू कर दी थी,,, कमला चाची की बहू की नजर राजू पर पड़ तू की थी इसलिए वह राजू को देख देख कर मुस्कुरा रही थी,,, राजू समझ गया था कि उसके बदन पर ब्लाउज नहीं है उसकी चूचीया एकदम नंगी है जो की भीगी हुई साड़ी ऊपर डालने की वजह से चूचियों का गोलाकार एकदम साफ नजर आ रहा था,,,, जिसे देखकर राजू के मुंह में पानी आ रहा था वह नदी के पानी में भी उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया था,,,, राजू इशारा करके उसे अपने पास नदी के बीचों-बीच बुला रहा था,,,,,, राजू से मिलने के लिए वह भी बेकरार थी,,,, उसका मन भी मचल रहा था राजु से मिलने के लिए,,,

और वह धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगी,,,यह जानते हुए भी कि नदी के बीचो-बीच पानी बहुत गहरा है उसे तो राजू से मिलने की धुन सवार थी,,,,कमर तक बहरा पानी धीरे-धीरे उसकी कमर से ऊपर की तरफ आने लगा जैसे जैसे अपनी कदम आगे बढ़ा रही थी वैसे वैसे पानी ऊपर की तरफ जा रहा था,,,, पीछे से कमला चाची आवाज भी लगा रही थी कि आगे मत जा आगे पानी गहरा है,,,, कमला चाची को रत्ती भर भी शक नहीं था कि वह राजू से मिलने जा रही हैं,,,, और आगे कदम बढ़ाते हैं उसका पांव मिट्टी में फिसल गया और वह गिरने लगी,,, उसे तेरना बिल्कुल भी नहीं आता था इसलिए छटपटाने लगी,,,,, राजू समझ रहा था कि उसे तैरना आता है इसलिए वह नदी के बीचो-बीच ही खड़ा रहा लेकिन जब करना चाहती जोर से चिल्लाई तब उसे आभास हुआ कि कमला चाची की बहू को तैरना नहीं आता,,,,, नदी के बीच के पानी के बहाव में कमला चाची की बहू राजू की तरफ बहने लगी और कमला चाची किनारे पर खड़े होकर राजू को ही उसे बचाने के लिए बोल रही थी क्योंकि वहां अब कोई भी नहीं था,,,,।

जब यह एहसास हुआ कि करना चाहती की बहू वाकई में तेरा नहीं जानती तब राजू भी लपका और अगले ही पल वह कमला चाची की बहू को अपने हाथों से पकड़ लिया,,,, अब डरने वाली कोई बात नहीं थी इसलिए कमला चाची की बहू को अपनी बांहों में भरते हुए बोला,,,।

डरो मत मेरी जान अब तुम्हें कुछ नहीं होगा तुम मेरी बाहों में,,,,(कमला चाची की बहू एकदम से घबरा चुकी थी,,,अभी थोड़ी देर बाद ही उसे एहसास हो गया कि वह सुरक्षित हाथों में है तो वह सुकुन की सांस ली,,, नदी के बाहर खड़ी गुलाबी भी चैन की सांस ली जब राजू ने नदी के बीचो-बीच डूबती हुई कमला चाची की बहू को थाम लिया,,,, राजू की बाहों में अपने आप को पाकर कमला चाची की बहू राहत की सांस ले रही थी और यह देखकर की राजू ने उसकी बहू को डूबने से बचा लिया है कमला चाची भी प्रसन्ना नजर आने लगी लेकिन राजू की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ गई थी क्योंकि वह नदी में भी अत्यधिक उत्तेजित हो गया था,,, नदी के बहाव में कमला चाची की बहू की साड़ी निकल चुकी थी इसी का फायदा उठाते हुए कमला चाची की बहू को अपने बाहों में भर कर पकड़े हुए बोला,,,)


भाभी तुम्हारी साड़ी तो निकल गई है,,,,


जान बच गई यही बहोत है,,,


तो फिर पेटीकोट को भी जाने दो,,,(इतना कहने के साथ ही पानी के अंदर हाथ डाले हुए हैं वह कमला चाची की बहू की पेटीकोट का नाड़ा खींच लिया और अगले ही पल पेटीकोट एकदम ढीली हो गई जिसे राजू अपने हाथों से उतारने लगा,,,

नहीं नहीं राजू ऐसा मत कर मैं एकदम नंगी हो जाऊंगी और बाहर कैसे जाऊंगी,,,


तुम चिंता मत करो भाभी जान बच गई यही बहुत है ,,,(और अगले ही पल राजू ने पेटीकोट भी उतार दिया और वह एकदम नंगी हो गई,,,, राजू का लंड बार-बार उसके पेट में उसकी जांघों पर रगड़ खा रहा था नदी के ठंडे पानी में भी राजू के नंद की गर्मी कमला चाची की बहु अपने बदन में महसूस कर रही थी,,,, तुम्हें चाची की बहू कुछ समझ पाती इससे पहले ही राजू उससे बोला,,,।


मेरी जान अपनी बाहों का हार मैंने गले में डालकर पकड़े रहना,,


सासू मां देख रही है तुम्हारी बुआ भी,,,


वह दोनों को बिल्कुल भी शक नहीं होगा,,,, क्योंकि अपनी हालत देख रही हो सिर्फ हम दोनों का सिर ही बाहर है बाकी सब कुछ अंदर है,,,
( राजू के कहने का मतलब को कमला चाची की बहू एकदम अच्छे से समझ गई थी और वह घबरा दी गई थी पानी के अंदर चुदाई के बारे में कभी सोचा भी नहीं थी और वादी किनारे पर खड़े अपनी सासू मां की आंखों के सामने,, इसलिए वह राजू को रोकते हुए बोली,,)


नहीं नहीं राजू ऐसा मत कर,,, सासू मां को शक हो गया तो कहीं की नहीं रह जाऊंगी,,,


अरे कुछ नहीं होगा मेरी जान,,,(और इतना कहने के साथ ही नदी के बीचो-बीच नदी के ठंडे पानी में गले तक डूबे हुए ही वह कमला चाची की बहू की गांड की दोनों फांकों को पकड़कर उसे ऊपर की तरफ उठाया और उसकी दोनों टांगों को अपनी कमर के इर्द-गिर्द लगने के लिए और ऐसा करने के साथ ही एक हाथ नीचे की तरफ ले जाकर अपने लंड को कमला चाची की बहू की बुर में डाल दिया और पल भर में राजू का लंड कमला चाची की बहू की बुर में घुस गया,,, हल्की सी आहहह की आवाज के साथ कमला चाची की बहू राजू को और कस के पकड़ ली,,,राजू धीरे-धीरे अपनी कमर को आगे पीछे करते हुए कमला चाची की बहू की चुदाई करना शुरू कर दिया था और धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा था,,,

किनारे पर खड़ी कमला चाची और उसकी बुआ को तो बिल्कुल भी शक ही नहीं हो रहा था कि ऐसे हालात में भी राजू कमला चाची की बहू की चुदाई करना है उन दोनों को तो ऐसा ही लग रहा था कि वह उसे बचाकर सहारा देकर बाहर लेकर आ रहा है,,,,पानी के अंदर चुदाई का यह राजू और कमला चाची की बहू का पहला अनुभव था कमला चाची की बहु पुरी तरह से मस्त में जा रही थी नदी के अंदर भी राजू उसकी जबरदस्त तरीके की चुदाई कर रहा था पूरा लंड उसकी बुर की गहराई नाप रहा था और नदी में आगे बढ़ते हुए कमला चाची और उसकी बुआ को बिल्कुल शक ही नहीं हो रहा था कि,,, नदी के बीचो-बीच वह चुदाई कर रहा है राजू गठीले बदन का मालिक था जवानी से भरा हुआ मर्दाना ताकत उसकी नसों में उबाल मार रहा था बड़े आसानी से वह नदी में तैर कर आगे बढ़ते हुए पानी की गहराई में अपने लंड को उसकी बुर के अंदर बाहर कर रहा था,,,,।


तू बहुत कमी ना है,,,


क्या करूं भाभी तुम जैसी खूबसूरत भाभी अगर नंगी हो तो कमी ना बनना ही पड़ता है,,,,


देखना अगर मेरी सास को जरा भी शक हो गया ना तो मैं तुझे जिंदा नहीं छोडूंगी,,,


हाय मेरी जान तुम्हारी जवानी ने वैसे भी कौन सा जिंदा छोड़ा है,,,, तुम्हारी तड़पती हुई जवानी,,,(एक हाथ से कमला चाची की बहु की चूची को दबाते हुए) मेरे दिल पर रोज ना जाने कितनी छुरियां चलाती है,,,।


तो घर क्यों नहीं आता मेरी जवानी को लुटने के लिए,,,


अरे मेरी भाभी जान रोज-रोज घर पर आऊंगा तो शक नहीं हो जाएगा,,, और मैं नहीं चाहता कि तुम किसी भी तरह से बदनाम हो,,,।


अच्छा बच्चु यह जो मेरी सासू मां के सामने मेरी चुदाई कर रहा है वह क्या है,,,


उन्हें पता चलेगा तब ना उन्हें तो ऐसा ही लग रहा है कि मैं तुम्हें बचा कर नदी से बाहर ला रहा हूं उन्हें क्या पता कि नदी के बीचो-बीच तुम्हारी चुदाई ‌कर रहा हूं,,,,

आहहहह,,,

क्या हुआ मेरी जान,,, ज्यादा अंदर तक घुस गया क्या,,?


हरानी पानी में भी इतना जोर जोर से धक्का मार रहा है,,,,


लेकिन मजा तो आ रहा है ना भाभी,,,,


चल मैं कुछ नहीं बोलूंगी तु जल्दी-जल्दी कर,,,


हाय मेरी भाभी कितनी उतावली हुए जा रही है जोर-जोर से चुदवाने के लिए,,,,

धत पागल ,,,,


राजू भी अच्छी तरह से जानता था कि ज्यादा देर तक वह नदी के बीचो-बीच नहीं रह सकता है क्योंकि बाहर कमला चाची इंतजार कर रही थी इसलिए वह जोर जोर से धक्के लगा रहा था और देखते ही देखते कमला चाची की बहू के साथ साथ वह भी झड़ गया चढ़ते समय कमला चाची की बहु कस के राजु को अपनी बाहों में भर ली थी,,,, राजू का लंड पानी छोड़ दिया था इसलिए वह अपने लंड को बाहर निकाल लिया था और देखते ही देखते हो एकदम किनारे तक पहुंच गया था लेकिन वह बीच गहराई मे नहीं रुका रह गया,,,, क्योंकि अब कमर तक पानी में आराम से जा सकती थी और जैसे ही राजू ने उसे किनारे पर जाने के लिए छोडा, वैसे ही कमला,, चाची की बहू उससे अलग हुई और दोनों हाथों से अपनी छातियों को छुपा कर आगे बढ़ने लगी,,,, राजू नदी से बाहर नहीं आया था और बिना कुछ बोले वापस दूसरी तरफ चला गया था वह वहीं पर खड़ा होकर रुकना नहीं चाहता था क्योंकि ऐसा करने पर कमला चाची को अजीब लग सकता था,,,,।


आजा मेरी बेटी आज तो अनहोनी हो जाती,,, भला हो राजू का की नदी में ही मौजूद था,,,, ( वह इतना कह रही थी कि कमला चाची की बहू नदी से बाहर आ गई और एकदम नंगी से नंगी देखकर कमला चाची एकदम से चौंक गई और बोली,,)


हाय दैया तेरे कपड़े कहां है पेटीकोट कहां गई तू तो पूरी नंगी हो गई है,,,


वह क्या है ना माजी की नदी के बीचो-बीच पानी का बहाव बहुत तेज था और उसी तेज बहाव में मेरी साड़ी और पेटीकोट भी निकल गई,,,,
(अपनी बहू की बात सुनकर इधर उधर देखते हुए)

चल कोई बात नहीं जान तो बच गई ना जान है तो जहान है,,,(इतना कहने के साथ ही वह सूखे हुए कपड़े लाकर उसे थमा दी और वह जल्दी-जल्दी पहन ली,, तब तक अपने कपड़े पहन कर गुलाबी भी वहां पर आ चुकी थी और बोली,,,)

तुम ठीक तो हो ना भाभी,,,

हां,,, ठीक तो हूं लेकिन अगर आज राजी ना होता तो शायद मैं ना होती,,,


तुम सच कह रही हो भाभी अच्छा हुआ मैं अपने साथ राजू को लेकर आई,,,, वरना इस समय दूर-दूर तक कोई दिखाई नहीं दे रहा है सब जा चुके हैं,,,,


हां गुलाबी भगवान का लाख-लाख शुक्र है कि जान बच गई,,,,


थोड़ी देर में कमला चाची और उसकी बहू चली गई,,,, गुलाबी भी सारे कपड़ों को समेटकर वही किनारे पर रख दी और अभी भी नदी में नहा रहे राजू को बोली,,,,।


कपड़ों को लेते आना मैं जा रही हूं,,,,।
(राजू नदी में से ही गुलाबी की तरफ देख कर मुस्कुराने लगा क्योंकि उसने अपनी जवानी की गर्मी कमला चाची बहू की चुदाई करके शांत कर लिया था,,)
 
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राजू की किस्मत वाकई में बहुत तेज थी ऐसा लगता है कि कामदेव ने खुद अपने हाथों से राजे की किस्मत लिखी थी इसलिए,,, आए दिन राजू को नई बुर का स्वाद चखने को मिल रहा था,,,,,, और राजू अपनी किस्मत से बेहद खुश था और अपने आप पर गर्व महसूस करता था,,,

वादे के मुताबिक राजू अपने पिताजी के साथ रेलवे स्टेशन पर जाने लगा धीरे-धीरे उसे बेल गाड़ी चलाने में मजा भी आने लगा और वह बहुत ही जल्द रेलगाड़ी को चलाना सीख गया था,,,, कौन सी जगह का कितना किराया है यह भी उसे बहुत ही जल्द पता चलने लगा,,,,,, रेलवे स्टेशन के अंदर जाना वहां से सवारी लेना उनका सामान लेकर बैलगाड़ी पर रखना यह सब बड़े जल्दी राजू सीख गया था और हरिया बहुत खुश नजर आ रहा था क्योंकि उसकी मदद करने वाला जो मिल गया था हरिया अपने मन में यही सोचता था कि जैसे तैसे करके बाहर लाला का उधार चुका दे तो कुछ उधार पैसे ले करके एक बैलगाड़ी और ले ले ताकि उसका बेटा भी उसकी मदद करें और आमदनी भी अच्छी हो जाए,,,,,,,,,,,

धीरे धीरे राजू की वजह से हरिया की आमदनी बढ़ने लगी थी हरिया बहुत खुश था ऐसे ही एक दिन शाम ढलने वाली थी और हरिया बेल गाड़ी लेकर स्टेशन के बाहर खड़ा था कि कोई आखिरी सवारी मिल जाए तो जाते-जाते कुछ आमदनी हो जाए ,,, हरिया का मित्र अशोक भी वहीं बैठा हुआ था,,, दोनों आपस में बातचीत कर रहे थे,,, और राजू रेलवे स्टेशन के अंदर जाकर ट्रेन आने का इंतजार कर रहा था ताकि सवारी मिल सके,,,,।

अच्छा हुआ हरिया तु अपने बेटे को भी काम पर लगा दिया नहीं तो दिन भर इधर-उधर घूमता रहता,,,,


हां इसीलिए तो,,,, मैं भी सोचा कि कुछ मदद हो जाएगी आजकल खांसी परेशान किए हुए हैं,,,,


तू भी तो दिन भर बीडी फुंकता रहता है ऐसा नहीं कि बीडी छोड़ दु,,,


क्या करूं यार छुटती ही नहीं है,,, और तू भी तो दिन भर शराब पीते रहता है,,, अभी कुछ दिन पहले ही तेरी बीवी मिली थी,,, रोने जैसा मुंह हो गया था,,, तेरे सर आप से एकदम परेशान हो गई है,,,, तू छोड़ क्यों नहीं देता,,,


अब तेरे जैसा हाल मेरा भी है जैसे तुझसे बीड़ी नहीं छोड़ी जा रही वैसे मैं से शराब भी नहीं छोड़ा जा रहा है,,,, हम दोनों साथ में ही भुगतेंगे,,,,(ऐसा कहकर वह हंसने लगा,,,, धीरे-धीरे समय बीत रहा था और सवारी मिलने का नाम नहीं ले रहे थी तो,,, हरिया का मित्र अशोक ने धोती में शराब की बोतल निकाला उसका ढक्कन खोलने लगा देखकर हरिया बोला,,,)

देख अब अभी पीना मत शुरू कर दे तुझे घर भी वापस जाना है रात हो रही है,,,, और तु मुझसे दो गांव आगे रहता है,,,।


अरे कुछ नहीं होगा यार यह तो मेरे रोज का है ले तू भी ले ले,,,,


नहीं नहीं शराब तुझे ही मुबारक हो,,, मेरी तो बीडी ही सही है,,,(ऐसा कहते हुए वह भीअपने कुर्ते की जेब में से बीडी निकाल कर उसे दिया सलाई से सुलगाया और पीना शुरू कर दिया,,, और अशोक पूरी सीसी मुंह में लगाकर घूंट पर घुट मारने लगा,,,, नतीजा यह हुआ कि उसे शराब चढ़ने लगी,,,, थोड़ी ही देर में वह पूरी तरह से नशे में धुत हो गया,,,
अंधेरा हो चुका था घर जाना जरूरी था और सवारी मिलने का कोई ठिकाना ना था हरिया सोचा कि जाकर स्टेशन से राजू को वापस बुला ले और यही सोचकर वह बैलगाड़ी से नीचे उतरा कि सामने से राजू आता हुआ दिखाई दिया वह हरिया के पास आकर बोला,,,,।)

पिताजी आज ट्रेन लेट है देर रात को आएगी और तब तक हम रुक नहीं सकते,,,।


हां तु ठीक कह रहा है,,, इसलिए मैं भी तुझे बुलाने ही वाला था,,,

तो घर चले,,,


हां चलना तो है लेकिन,,ये, अशोक पूरी तरह से नशे में धुत हो गया,, है,,,,।
(इतना सुनते ही राजू अशोक की बेल गाड़ी के पास गया और उसका हाथ पकड़ कर हिलाते हुए बोला)


चाचा ओ चाचा,,, उठो घर नहीं चलना है क्या,,,।
(इतना सुनकर वह थोड़ा सा उठा और)

हममममम,,,,,,,, इतना कहने के साथ फिर से लुढ़क गया,,, उसकी हालत को देखते हुए राजू बोला,,।

पिता जी यह तो बिलकुल भी होश में नहीं है,,,


हां मैं भी देख रहा हूं पता नहीं यह घर कैसे जाएगा,,,जा पाएगा भी कि नहीं और रात को यहां पर छोड़ना ठीक नहीं है यह पूरी तरह से नशे में है अगर कोई चोर उचक्के आ गए तो ईसकी बेल गाड़ी भी लेकर रफूचक्कर हो जाएंगे,,,


तो फिर करना क्या है पिताजी,,,,


करना क्या है इसे घर तक पहुंचाना है,,, तू बैलगाड़ी अच्छे से चला तो लेगा ना,,,


बिल्कुल पिता जी मैं एकदम सीख चुका हूं,,,


तब तो ठीक है देख रात काफी हो चुकी है,,,,,, चांदनी रात है इसलिए कोई दिक्कत तो नहीं आएगी लेकिन फिर भी इसे इसके घर तक पहुंचाना जरूरी है एक काम कर तु इसकी पहल गाड़ी ले ले और इसे इसके घर पर छोड़ देना,,,,


फिर मैं वहां से आऊंगा कैसे,,,


हां यह बात भी ठीक है,,,,,(कुछ सोचने के बाद)अच्छा तो एक काम करना कि अगर ज्यादा देर हो जाए तो वहीं पर रुक जाना अशोक के वहां ही सो जाना,,,,
(वैसे तो वहां रुकने का उसका कोई इरादा नहीं था क्योंकि रात को गुलाबी गुलाबी बुर चोदे बिना उसका भी मन नहीं मानता था उसे नींद नहीं आती थी,,, फिर भी वह बोला,,)

ठीक है पिताजी जैसा ठीक लगेगा वैसा करूंगा,,,
(राजू अपने मन में यह सोच रहा था कि अगर सही लगा तो वह वापस लौट आएगा अगर ज्यादा रात हो गई तो वहां से आना भी ठीक नहीं है इसलिए वह वहीं रुक जाएगा,,, दोनों चलने की तैयारी करने लगे,,, हरिया आगे आगे अपनी बेल गाड़ी लेकर चल रहा था और पीछे राजू राजू के लिए यह पहला मौका था जब वहां के रेलगाड़ी को संपूर्ण आजादी के साथ चला रहा था बेल की लगाम उसके हाथों में थी जहां चाहे वह वहां मोड सकता था उसी बेल गाड़ी चलाने में मजा भी आ रही थी,,, आगे आगे चलते हुए हरिया उसे निर्देश भी दे रहा था,,,।)

देखना आराम से जल्दबाजी ना करना कहीं ऐसा ना हो कि बेल भड़क जाए और भागना शुरू कर दे तब दिक्कत हो जाएगी आराम से प्यार से,,,


चिंता मत करो पिताजी मैं चला लूंगा,,,,
(ऐसा कहते हुए राजु अपने पिताजी के पीछे पीछे चलने लगा,,, राजू के साथ-साथ हरिया भी खुश था कि उसका बेटा बड़े आराम से बैलगाड़ी को चला ले रहा है,,, देखते ही देखते राजू का गांव आ गया और मुख्य सड़क से कुछ निर्देश देते हुए हरिया अपनी बैलगाड़ी को नीचे गांव की तरफ उतार लिया और राजू को आगे बढ़ जाने के लिए बोला क्योंकि यहां से 2 गांव आगे अशोक का गांव था,,,। हरिया बिल्कुल सहज था लेकिन जैसे हीराजू बेल गाड़ी लेकर अशोक के गांव की तरफ आगे बढ़ने लगा तभी उसके दिमाग में खुराफात जागने लगी राजू की गैर हाजिरी मे उसका मन मचलने लगा और वो जल्दी जल्दी घर पर पहुंच गया,,,, और दूसरी तरफ राजू अपनी मस्ती में बेल को हांकता हुआ आगे बढ़ता चला जा रहा था,,, चांदनी रात होने की वजह से सब कुछ साफ नजर आ रहा था,,,, रात तो हो चुकी थी लेकिन फिर भी इक्का-दुक्का लोग सड़क पर आते जाते नजर आ जा रहे थे,,, राजू अपने मन में सोचने लगा कि जल्दी से अशोक चाचा को उसके घर पहुंचाकर वापस अपने गांव आ जाएगा क्योंकि गुलाबी की दोनों टांगों के बीच की पतली दरार उसे बहुत याद आ रही थी,,,।

अशोक के गांव को जाने वाली सड़क थोड़ी संकरी थी इसलिए बड़ा संभाल कर राजू अपने बैल को आगे बढ़ा रहा था क्योंकि जरा सा इधर-उधर होने पर बेल गाड़ी नीचे खेतों में उतर जाती है फिर तो और मुश्किल हो जाती इसलिए वह किसी भी प्रकार की गलती नहीं करना चाहता था और चांदनी रात में उसे सहारा भी मिल रहा था,, उसे सब कुछ नजर आ रहा था,,,,।

तकरीबन 1 घंटा अपने गांव से बैलगाड़ी को और ज्यादा चलाने पर अशोक का गांव आ गया था लेकिन अशोक का घर कौन सा है उसे मालूम नहीं था,,, और रात होने की वजह से कोई नजर भी नहीं आ रहा था,,,, गांव में पूरी तरह से सन्नाटा छाया हुआ था और वैसे भी आज रेलवे स्टेशन से आने में देर हो गई थी,,, राजू के मन में अजीब अजीब से ख्याल आ रहे हैं अपने मन में सोचने लगा कि अगर अशोक के घर पर रुकना पड़ गया तो आज की रात वह चुदाई कैसे कर पाएगा,,, गुलाबी को चोदे बिना तो उसका भी मन नहीं मानता था राजू अपने मन में सोचने लगा कि भले ही उसकी बुआ उसे अपनी गांड नहीं देती लेकिन दुनिया की सबसे बेश कीमती खजाना तो उसे सौंप देती है,,, और एक जवान लड़के को रात गुजारने के लिए क्या चाहिए,,,,,,, हे भगवान कहां फंस गया बेवजह मुसीबत मोल ले लिया कह देना चाहिए था कि मुझे बेल गाड़ी अभी ठीक से चलाना नहीं आता ताकि घर पर इत्मीनान से अपनी बुआ के साथ रात तो गुजार सकता था,,,,,, यहां तो कोई नजर भी नहीं आ रहा है,,,अपने मन में यही सोचता हुआ राजू धीरे-धीरे बैलगाड़ी को आगे बढ़ा रहा था वह अपने मन में सोच रहा था कि कोई नजर आ जाता तो उसी से अशोक चाचा का घर पूछ लेता,,,,

यही सोचता हुआ राजू आगे बढ़ रहा था कि तभी उसे घास फूस की झोपड़ी में एक बुजुर्ग इंसान बैठे हुए नजर आए जो कि जोर-जोर से खास रहे थे,,, बस फिर क्या था राजू तुरंत बैलगाड़ी को खड़ा करके बैलगाड़ी से नीचे उतरा और उस बुजुर्ग इंसान के पास गया और बोला,,,।


दादा प्रणाम,,,

अरे खुश रहो बेटा इतनी रात को कहां,,,


अरे दादा जी अशोक चाचा के घर जाना था बेल गाड़ी वाले,,,


अच्छा-अच्छा अशोक के घर,,,


हां दादा अशोक के घर,,,,


यहां से,,,(जोर जोर से खांसते हुए रुक गए और फिर थोड़ा जल्दी जल्दी सांस लेते हुए बोले मानो कि जैसे उनकी सांस फूल रही हो,,) तीन घर छोड़ने के बाद वह जो बड़ा सा पेड़ नजर आता है ना घना,,,, बस वही अशोक का घर है,,,,(राजू उस बुजुर्ग के उंगली के इशारे की तरफ देखता हुआ)

जो बड़ा सा पेड़ नजर आ रहा है वही ना दादा,,,,

हां बेटा वही,,,


बहुत-बहुत धन्यवाद दादा,,,,
(इतना कहने के साथ ही राजू वापस बैलगाड़ी पर बैठ गया और बेल को हांकने लगा,,,अब बेल को भी अपना ठिकाना मालूम था इसलिए वह बिना रुके हैं उस घने पेड़ के नीचे आकर रुक गया,,,, राजू बैलगाड़ी से नीचे उतरा और दरवाजे पर पहुंच कर दरवाजे की सीटकनी को हाथ में पकड़ कर उसे दरवाजे पर बजाते हुए बोला,,,)


चाची,,,,ओ ,,,,चाची,,,,,,,
(कुछ देर तक किसी भी तरह की आवाज अंदर से नहीं आई तो राजू जोर से दरवाजे के सिटकनी को पटक ते हुए आवाज लगाया,,,)

चाची अरे जाग रही हो कि सो गई,,,,,।
(थोड़ी देर में राजू को अंदर से कुछ हलचल की आवाज सुनाई थी तो वह समझ गया कि चाची जाग गई है,,,, और वह शांत होकर खडा हो गया,,,, दरवाजे की तरफ आते हुए उसे पायल और चूड़ियों की खनकने की आवाज आ रही थी,,, और अगले ही पल दरवाजा खुला,,,और अभी दरवाजा ठीक से खुला ही नहीं था कि तभी राजू बोला,,)

ओ,,, चाची क्या है ना कि अशोक चा,,,,(अभी वह पूरी बात बोल ही नहीं पाया था कि उसके शब्द उसके गले में ही अटक कर रह गए क्योंकि दरवाजा खुलने के साथ जो नजारा उसकी आंखों के सामने दिखाई दिया उसे देखते ही वह एकदम से दंग रह गया,,,, दरवाजे पर एक खूबसूरत औरत खडी थी,,, एकदम गोल चेहरा भरा हुआ,,, बाल एकदम खुले हुए थे वह एक हाथ में लालटेन पकड़ी हुई थी जिसकी पीली रोशनी में उसका खूबसूरत भरा हुआ चेहरा एकदम साफ नजर आ रहा था राजू उसके खूबसूरत चेहरे की तरफ देखता ही रह गया लाल लाल होंठ तीखे नैन नक्श गोरे गोरे गाल एकदम भरे हुए माथे पर बिंदिया और नाक में छोटी सी नथ,,, राजू तो देखता ही रह गया,,,, वह अभी भी थोड़ी नींद में थी राजू कुछ और बोल पाता इससे पहले ही राजू की नजर उस की भरी हुई छाती ऊपर गई तो उसके होश उड़ गए,,, ब्लाउज के ऊपर के दो बटन खुले हुए थे जो कि शायद गर्मी की वजह से वह सोते समय खोल दी थी जिसकी वजह से उसकी आंखें से ज्यादा चूचियां बाहर आने के लिए मचल रही थी और लालटेन की पीली रोशनी में अपनी आभा बिखेर रही थी,,,, अशोक की बीवी को देखकर तो राजू के होश उड़ गए थे वह पूरी तरह से जवानी से भरी हुई थी लगता ही नहीं था कि यह अशोक की बीवी है क्योंकि अशोक एकदम मरियल सा शराबी व्यक्ति था,,, और उसकी आंखों के सामने जो खड़ी थी वह तो हुस्न की मल्लिका लग रही थी,,,,अभी भी उसकी आंखों में नींद थी इसलिए वह जबरदस्ती अपनी आंखों की पलकों को खोलने की कोशिश करते हुए बोली,,,।)

कौन ,,,,इतनी रात गए,,,,,


अरे चाची मैं हूं,,, राजू अशोक चाचा को लेकर आया हूं शराब पीकर बेल गाड़ी चलाने के होश में नहीं थे इसलिए मुझे आने पड़ा,,,

(अशोक का जिक्र होते ही वह एकदम से हड़बड़ा गई,,,,,)

कहां है,,,,वो,,,,,(इतना कहते हुए वह दरवाजे पर खड़ी होकर ही बाहर को इधर-उधर झांकने लगी,,,)

अरे बैलगाड़ी में है,,, आओ थोड़ा सहारा देकर उन्हें अंदर ले चलते हैं,,,,)

चलो चलो जल्दी चलो,,, मैंने कितनी बार कहीं हूं कि साथ छोड़ दो लेकिन यह है कि मेरी सुनते ही नहीं,,,(ऐसा कहते हैं शुरुआत में लालटेन लिए हुए घर से बाहर निकल आई)
 
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राजू अशोक को उसके घर पहुंचाने के बाद वहां पर रुकने वाला नहीं था वह वहां से वापस लौट आना चाहता था क्योंकि घर पर गुलाबी कि बुर की याद उसे बहुत आती थी,, क्योंकि अपनी बुआ को बिना चोदे उसे नींद नहीं आती थी,,, लेकिन जैसे ही उसकी नजर अशोक की बीवी पर पड़ी थी उसका इरादा एकदम से बदल गया था,,,,, और वह वहीं पर रुकना ही मुनासिब समझा,,,, और उसका वहां रुकना ऐसा लग रहा था कि धीरे-धीरे सफलता की राह पकड़ रहा था,,, क्योंकि रात पूरी तरह से गहरा चुकी थी,,, उसका पति नशे में बेसुध होकर सो रहा था,,, खाना पीना हो चुका था,,, और राजू चालाकी दिखाते हुए अशोक की बीवी को खुद अपने हाथों से खाना खिलाया था और राजू यहीं पर ही अशोक की बीवी को अपने हाथों से खाना खिलाते ही सफलता की सीढ़ी चढ़ना शुरू कर दिया था,,, वरना एक औरत किसी गैर मर्द के हाथों से खाना क्यों खाए,,,, राजू को अशोक की बीवी बहुत ही भोली भाली भी लग रही थी जो कि वह थी भी,,,,।

दोनों सोने की तैयारी कर रहे थे और तभी अशोक की बीवी को जोरो की पेशाब लगी थी और जिस तरह से वह कांपते स्वर में चोरों की पेशाब लगने वाली बात की थी उसे सुनते ही राजू के लंड ने ठुनकी मारना शुरू कर दिया था,,,,,, एक ऐसी औरत जिसे मैं जानता था कि नहीं था जिसे पहली बार मिला था ज्यादा जान पहचान भी नहीं थी ऐसी खूबसूरत औरत जहां से पेशाब लगने वाली बात बोली तो इसे सुनकर ही राजू की खुशी का ठिकाना ना रहा,,,,,

राजू कुछ देर तक शांत होकर खड़ा रहा और उस खूबसूरत औरत को देखता है जो कि बहुत ही भोलेपन से पेशाब लगने वाली बात कही थी,,,, उसका बार-बार कभी दांया पैर उठाना कभी बाया फिर रह रहकर अपनी कमर पकड़ लेना,,,, ,, यह सब दर्शा रहा था कि उसे कितनी तीव्रता से पेशाब लगी है और यह सब देख कर राजू के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी,,,, पेशाब करने वाली बात से ही वह पल भर में ही उसके खूबसूरत बुर के बारे में कल्पना करना शुरू कर दिया था कि उसकी बुर कैसी होगी तुम चिकनी हो क्या मखमली रेशमी बालों से घुरी हुई होगी,,, फिर अपने ही सवाल का खुद ही जवाब देते हुए बोला,,, जैसे भी होगी बहुत खूबसूरत होगी,,,,। राजू सब कुछ भूल कर उसकी खूबसूरत यौवन को वह अपनी आंखों से पी रहा था,,, एक तरफ जहां पेशाब लगने की वजह से अशोक की बीवी की हालत खराब हो जा रही थी वहीं दूसरी तरफ उसके बारे में सोच कर ही राजू के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी,,,, आखिरकार आशु की बीवी से बिल्कुल भी नहीं रहा गया तो वह बोली,,,।


अरे कुछ करोगे बबुआ,,,, या ऐसे ही खड़े रहोगे,,,।


अरे भाभी इसमें मैं क्या कर सकता हूं पेशाब लगी है तो बाहर जाकर कर लो,,,,,

बाहर,,,,(मुंह बनाते हुए दरवाजे की तरफ देखते हुए) नहीं बाहर मुझे डर लगता है,,,

तो पहले क्या करती थी जब तुम्हें पेशाब लगती थी तब,,,


यही कोने में,,,(आंगन के कोने में उंगली से इशारा करके दिखाते हुए) यहीं पर कर लेती थी,,,


यहां पर,,,(उसके उंगली के इशारे से दिखाए गए कोने की तरफ देखते हुए) यहां पर तुम मुतती थी,,,
(जानबूझकर राजू मुतती शब्द का प्रयोग किया था और वैसे भी अशोक की बीवी के साथ पेशाब के बारे में इतने खुले तौर पर बात करने में इस तरह की उत्तेजना का अनुभव राजू को महसूस हो रही थी राजू पूरी तरह से चुदवासा हो गया था उसके पजामे में हलचल सी होने लगी थी,,,राजू आंगन किस कोने की तरफ देखते हुए अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला) तो आज भी यहीं कर लो ना इस में दिक्कत क्या है,,,,(जिस तरह से वह भोलेपन से बात कर रही थी राजू को ऐसा ही लग रहा था कि उसके बोलने पर अशोक की निकली उसकी आंखों के सामने ही अपनी साड़ी उठाकर मुतना शुरू कर देगी,,,)

नहीं पागल हो गए हो क्या,,,, पहले कोई नहीं रहता था ,, तब करने मैं कोई दिक्कत नहीं होती थी लेकिन अब तो तुम हो,,,


अरे तो इसमें क्या हुआ मैं थोड़ी ना तुम्हें खा जाऊंगा,,,


देख तो लोगे ना,,,,


क्या देख लूंगा,,,?
(राजू को पूरा यकीन हो गया था कि अशोक की बीवी पूरी तरह से एकदम भोली,,है या तो फिर जानबूझकर इस तरह का नाटक कर रही है क्योंकि कोई भी औरत इस तरह से अनजान लड़के से पेशाब करने वाली बात नहीं कहती,, लेकिन जो भी हो राजू को तो मजा आ रहा था आज की रात उसे रंगीन होने की आशंका नजर आ रही थी,,,। राजू की बात सुनकर अशोक की बीवी शर्माने लगी तो राजू बोला,,,)

बोलो ना भाभी क्या देख लूंगा,,,


अरे मुझे पेशाब करते हुए बबुआ और क्या,,,


इसमें क्या हुआ भाभी अशोक चाचा भी तो देखते होंगे,,,

अरे बबुआ तुम समझने की कोशिश क्यों नहीं करते,,, वह तो मेरे पति हैं,,,(जोरों की पेशाब लगी हुई थी इसलिए अपने पेशाब पर अंकुश करने की कोशिश करते हुए बोली,,)

तो क्या हुआ है तो इंसान ही,,,


अरे बबुआ तो नहीं समझोगे यहां बड़े बड़े जोरों की लगी हुई है और तुम हो कि बात को इधर उधर घुमा रहे हो,,,


अरे भाभी तो दिक्कत क्या है दरवाजा खोलकर बाहर जाकर कर लो,,,

इतनी हिम्मत होती तो चली नहीं गई होती,,,


क्यों,,,?


अंधेरे में मुझे बहुत डर लगता है वैसे भी रात को चोर उचचको का डर ज्यादा रहता है इसलिए मैं बाहर नहीं जाती,,,,


तो तुम ही बताओ,,, भाभी मैं क्या करूं मैं चलूं साथ में,,,

हां,,,,,( वह एकदम से शरमाते हुए बोली,,,)

और मैंने देख लिया तो,,,,


नहीं नहीं देखना नहीं तुम्हें मेरी कसम मुझे बहुत शर्म आती है,,,,,
(उसके भोलेपन से भरी बातें और उसका भोलापन देखकर राजू की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ती जा रही थी वह अपने मन में सोचने लगा कि इसको चोदने में बहुत मजा आएगा,,, उसकी बात मानते हुए राजू बोला,,,)

ठीक है भाभी नहीं देखुंगा बस,,,,,,,


हां,,, ठीक है,,,,
(इतना कहने के साथ ही वह पैर को दबाते हुए दरवाजे की तरफ आगे बढ़ने लगी और राजू का दिल जोरो से धड़कने लगा क्योंकि भला ऐसा हो सकता था कि बिल्ली को दूध की रखवाली करने के लिए दिया जाए और बिल्ली उसकी रखवाली ही करें,,,, ऐसा बिल्कुल भी मुमकिन नहीं है,,,,,, यह तो सिर्फ एक भरोसा था जो राजू ने अपनी तरफ से अशोक की बीवी को दे रखा था,,,, अशोक की बीवी को तो ऐसा ही था कि वादा कर दिया तो निभाएगा जरूर,,, ऐसे हालात में कोई मर्द अपना वादा निभाए ऐसा मुमकिन भी नहीं है और राजू के लिए तो बिल्कुल भी नहीं,,,,,,,, राजु ने जानबूझकर दीवार से ठगी हुई लालटेन को हाथ में ले लिया क्योंकि वह जानता था कि बाहर अंधेरा होगा भले ही चांदनी रात थी तो क्या हुआ क्योंकि घर के बाहर ढेर सारे पेड़ लगे हुए थे,,, और अंधेरे में राजू उसे पेशाब करता हुआ नहीं देख सकता था,, इसलिए वह लालटेन को हाथ में ले लिया था,,,, और कोने में पड़ा मोटा सा डंडा भी हाथ में ले लिया था,,, क्योंकि रात को कभी कबार जरूरत भी पड़ जाती थी,,,अशोक की बीवी दरवाजे पर खड़ी थी दरवाजा पकड़कर और पीछे नजर कमाकर राजू को भी देख रही थी वह उसके आने का इंतजार कर रही थी क्योंकि वहां के लिए दरवाजा खोलकर बाहर जाने में भी डरती थी,,,,,, जैसे ही राजु उसके पास आया वह दरवाजे की सिटकनी खोलने लगी ,,, दरवाजा के खुलते ही पहले वह चारों तरफ नजर घुमाकर तसल्ली करने लगी और फिर इत्मीनान से अपने पैर घर से बाहर निकाल दि और पीछे पीछे राजू के घर से बाहर आ जा लालटेन को अपने हाथ में लेकर थोड़ा हाथ की कोहनी को मोड़कर उठाए हुए था और लालटेन की रोशनी में तकरीबन 15 फीट की दूरी तक सब कुछ नजर आ रहा था,,,,,,, दो कदम चलने के बाद वह फिर से खड़ी हो गई और इधर-उधर देखने लगी तो राजू बोला,,,।


कहां मुतोगी भाभी,,,,(राजू जानबूझकर इस तरह के खुले शब्दों का प्रयोग कर रहा था,,, वह अशोक की बीवी को उकसाना चाहता था,,, और अशोक की बीवी भी अपने लिए इस तरह का शब्द का प्रयोग एक अनजान जवान लड़के के मुंह से सुन कर सिहर उठी,,,, राजू के सवाल उंगली से इशारा करते हुए बोली,,,)


वहां झाड़ियों के पास,,,


ठीक है चलो,,,,,,,
(इतना सुनकर जैसे ही अशोक की बीवी अपना एक कदम आगे बढ़ा कि उसके कानों में फिर से वही आवाज सुनाई दी जागते रहो वह एकदम से घबरा गई,,,)

हाय दैया,,,,, लगता है चोर यहीं कहीं आस पास में ही है,,, मुझे तो बहुत डर लग रहा है,,,


क्या भाभी तुम भी बच्चों जैसा डरती हो ऐसे ही धरती रही तो मुझे लगता है अपनी साड़ी गीली कर दोगी,,,,।

धत्,,,,,(अशोक की बीवी एकदम से शरमाते हुए बोली,, राजू जल्द से जल्द,,, अशोक की बीवी की गोल-गोल गांड देखना चाहता था क्योंकि इतना तो अंदाजा लगा ही लिया था कि जब चेहरा इतना खूबसूरत है तो गांड भी खूबसूरत होगी,,,, इसीलिए राजू उतावला हुआ जा रहा था,,,, उसे इस बात का डर भी था कि कहीं अशोक होश में ना आ जाए और अगर ऐसा हो गया तो रंग में भंग पड़ जाएगा,,,, अशोक की बीवी हिम्मत दिखाते हुए अपने कदम आगे बढ़ाने लगी वैसे तो उसकी हिम्मत बिल्कुल भी नहीं होती थी लेकिन उसके साथ राजू था इसलिए उसमें थोड़ी हिम्मत थी,,,, उसका धीरे धीरे से पैर रखकर आगे बढ़ना राजू को बहुत अच्छा लग रहा था उसके पायलों की खन खन से पूरा वातावरण संगीतमय हुआ जा रहा था,,, चूड़ियों की खनक राजू के कानों में पहुंचते ही सीधे उसके लंड पर दस्तक दे रही थी,,,, राजू उसकी गोल-गोल कांड को मटकते हुए लालटेन की पीली रोशनी में एकदम साफ देख पा रहा था,,,

यही तो सबसे बड़ी कमजोरी थी राजू की औरतों की बड़ी-बड़ी गोल गोल गांड,,,, इन्हें देखते ही मदहोश होने लगता था इसीलिए तो इस समय की अशोक की बीवी की गांड को देखकर उसका नियंत्रण अपने आप पर खोता चला जा रहा था उसका मन तो कर रहा था कि आगे बढ़ कर खुद उसकी साड़ी ऊपर कमर तक उठा दी और उसकी नंगी गांड का दीदार कर ले,,,, फिर भी धीरे-धीरे में जो मजा है वह जल्दबाजी में नहीं,,, यही राजू का मूल मंत्र भी था जिसकी वजह से वह अब सफलता हासिल करता आ रहा था और औरतो कि दोनों टांगों के बीच अपना विजय पताका भी लहराता आ रहा था,,, देखते ही देखते अशोक की बीवी सामने की कर्मचारियों के करीब पहुंच गई और राजू जानबूझकर

उससे दूर खड़ा रहने की जगह उसे केवल आठ 10 फीट की दूरी पर ही खड़ा हो गया,,, और अशोक की बीवी उसे दूर जाने के लिए ना बोले इसलिए वह पहले ही बोला,,,।)

भाभी लगता तो है कि चोर उचक्के इसी गांव के आसपास में ही तभी जागते रहो की आवाज बार-बार आ रही है,,,।

(इतना सुनते ही वह घबरा गई,,, और उसी जगह पर खड़े खड़े ही अपने चारों तरफ नजर घुमाने लगी,,, और तसल्ली कर लेने के बाद,,, वह अपनी नाजुक उंगलियों को हरकत देते हुए दोनों तरफ से अपनी साड़ी को उंगली से पकड़ ली और उसने ऊपर की तरफ उठाने से पहले,,, राजू की तरफ नजर करके बोली,,,।)

देख बबुआ यहां पर देखना नहीं,,, नहीं तो शर्म के मारे हमारी पेशाब भी रुक जाएगी,,,,


नहीं नहीं भाभी तुम चिंता मत करो मैं नहीं देखूंगा,,,,
( और इतना कहकर दूसरी तरफ देखने का नाटक करने लगा,,,, अशोक के घर पर आकर राजू का समय बहुत अच्छे से गुजर रहा था यहां आने से पहले वह यही सोच रहा था कि अगर वहां रुकना पड़ गया तो रात कैसे बिताएगा,,, लेकिन अशोक की बीवी की खूबसूरती देखकर उसका भोलापन उसकी बातें सुनकर राजू यहां पर जिंदगी भर रुकने को तैयार हो गया था,,,, मौसम भी गर्मी का था लेकिन हवा चलने की वजह से वातावरण में ठंडक आ गई थी,,,, चारों तरफ अंधेरा छाया हुआ था,,, वैसे तो चांदनी रात थी लेकिन चारों तरफ बड़े-बड़े पेड़ होने की वजह से यहां पर अंधेरा था अगर राजू साथ में लालटेन ना लाया होता तो उसे भी ठीक से कुछ दिखाई नहीं देता,,,,सामने का नजारा बेहद खूबसूरत और मादकता से भरा हुआ था जोकि पूरी तरह से अपनी मदहोशी पूरे वातावरण में बिखेरने को तैयार था,,,। राजू की आंखें सब कुछ भूल कर सिर्फ सामने के नजारे को देख रही थी जल्द से जल्द राजू उसकी नंगी गांड के दर्शन करने के लिए तड़प रहा था पर ऐसा लग रहा था कि अशोक की बीवी उसे कुछ ज्यादा ही तड़पा रही है,,,,धीरे-धीरे अशोक की बीबी अपनी साड़ी को ऊपर की तरफ उठाने लगी और चारों तरफ नजर घुमाकर देख भी रही थी,,, राजू का दिल जोरों से धड़क रहा था लेकिन अशोक की बीवी के मन में घबराहट हो रही थी चोर चोको को लेकर उसे चोर ऊच्चोको से बहुत डर लगता था,,,जैसे-जैसे अशोक की बीवी की साड़ी ऊपर की तरफ जा रही थी वैसे उसे लालटेन की पीली रोशनी में उसकी नंगी चिकनी टांग उजागर होती चली जा रही थी गोरी गोरी मांसल पिंडलिया देखकर राजू का मन ललच रहा था,,, देखते ही देखते उसकी साड़ी उसकी मोटी सुडोल जांघों तक आ गई,,, और मोटी मोटी चिकनी जांघों को देखकर राजु का सब्र का बांध अब टूटने लगा,, राजू का मन उसको चोदने को करने लगा,,,उसकी सांसे बड़ी तेजी से चलने लगी लालटेन की रोशनी में सब कुछ साफ नजर आ रहा था,,,,
चारों तरफ सन्नाटा फैला हुआ था सिर्फ दूर-दूर तक कुत्तों की भौंकने की आवाज आ रही थी,,और रह रह कर झींगुर की आवाज आने लगती थी,,,।

एक तरफ जहां राजू का मन तड़प रहा था उसकी नंगी गोरी गोरी गांड को देखने के लिए वहीं दूसरी तरफ अशोक की बीवी के मन में घबराहट थी कि कहीं कोई आ ना जाए उसे इस बात की चिंता बिल्कुल भी नहीं थी कि उसके पीछे खड़ा एक अनजान जवान लड़का उसे पेशाब करते हुए देखने जा रहा था और वह भी हाथ में लालटेन जिसमें उसका सब कुछ नजर आ रहा था,,, साड़ी को मोटी मोटी जांघों तक उठाकर वह फिर से इधर-उधर देखने लगी तो राजू बोला,,,।)

जल्दी से करो ना भाभी,,, कितना देर कर रही हो,,,


अरे रुको तो बबुआ कोई चोर आ गया तो,,,


अरे नहीं तुम्हारी गांड मार लेगा,,,,
(राजू एकदम से खुले शब्दों में बोल दिया,,, धीरे-धीरे उसे एहसास होने लगा था कि वह बहुत भोली है वह कुछ बोलेगी नहीं इसीलिए राजू खुले शब्दों में बात करने लगा था,,)

हाय दैया यह कैसी बात कर रहे हो,,,, सच कहूं तो मुझे भी इसी बात का डर रहता है,,, इसीलिए तो रात को घर से बाहर निकलने से डर लगता है,,,,,
(उसकी भोली बातें सुनकर राजू के लंड की अकड़ पड़ने लगी वह पूरी तरह से समझ गया था कि कोशिश करने पर आज की रात उसका लंड उसकी बुर में होगा,,,,,, राजू को इस तरह से खुली बातें करने में बहुत मजा आ रहा था,,,थोड़ा थोड़ा मजा अशोक की बीवी को भी आ रहा था हालांकि उसके मन में डर भी था और वह भी चोर को लेकर,,, लेकिन एक जवान लड़की के मुंह से इस तरह की बातें सुनकर उसे भी अच्छा लगने लगा था राजू अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)

अच्छा भाभी एक बात बताना,,,तो,,,


क्या,,,? (वह उसी तरह से सारे को उसी स्थिति में जांघों तक उठाए हुए बोली,,)


पहले कहो नाराज तो नहीं होगी ना,,,


नही बबुआ,,, तुम से क्या नाराज होना,,,


अच्छा एक बात बताओ तुम्हें सच में चोर से ज्यादा डर लगता है या चुदवाने में,,,,
(राजू के मुंह से इस तरह का सवाल सुनकर अशोक की बीवी के भी तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी,,, वह कुछ बोली नहीं बस अपनी नजर को राजू की तरफ घुमा कर उसकी तरफ देखते हूए बोली,,,)

यह कैसा सवाल है बबुआ,,,

अरे सही तो सवाल है,,,तुम्हें रात को बाहर निकलने में डर लगता है और वह भी चोर से,,,और सच कहूं तो अगर तुम्हारे घर में चोर आ भी गया तो तुम्हें देखकर बोला तुम्हारे घर का कोई कीमती सामान नहीं ले जाएगा लेकिन तुम्हारे पास रखा हुआ बेशकीमती खजाना जरूर लुटकर चला जाएगा,,,,,,,


लेकिन मेरे पास कौनसा खजाना पड़ा हुआ है जो लूट कर चला जाएगा,,,



अरे भाभी तो नहीं जानती तुम्हारे पास इतना बेशकीमती खजाना है कि उसे पाने के लिए दो दो रियासतों में मार हो जाए,,,


धत् पागल ,,, मेरे पास कोई खजाना नहीं है,,,,


हे भाभी,,, बहुत बेशकीमती खजाना है,,,

आहहहह,,, तुम रहने दो बबुआ,,, मुझसे अब ज्यादा रोका नहीं जा रहा है,,,,(इतना कहने के साथ ही एक झटके से मोटी मोटी जांघों पर स्थिर साड़ी को वहां एकदम से कमर तक उठा दी,,, पल भर में ही राजू की आंखों के सामने अशोक की बीवी की गोरी गोरी गांड नंगी हो गई,,, राजू तो बस देखता ही रह गया और वह अगले ही पल नीचे बैठ गई मुतने के लिए,,,, और क्षण मात्र में ही उसकी बुर से नमकीन पानी की धार छूटने लगी,,, और गुलाबी बुर में से आ रही मधुर ध्वनि राजु के कानों में मिश्री घोलने लगी,,,।
 
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राजू की आंखों के सामने ही,,, पेशाब की तीव्रता को नहीं सहन कर पाने की स्थिति में अशोक की बीवी अपनी साड़ी को कमर तक उठाकर अपनी गोरी गोरी गांड दिखाते हुए मुतने बैठ गई थी,,, राजू के एक हाथ में लालटेन थी और एक हाथ में डंडा,,, लालटेन उसने अपने लालच के बस हाथ में पकड़ रखा था डंडा अशोक की बीवी की तसल्ली के लिए,,,, और जिस चीज का लालच करके वह लालटेन लेकर बाहर आया था,,, उसमें उसे सफलता हाथ लगी थी,,,राजू जानबूझकर अशोक की बीवी से महज आठ दस कदमों की दूरी पर ही खड़ा था,,, अशोक की बीवी के भोलेपन का वह फायदा उठा रहा था और इतनी नजदीक खड़े होने की वजह से लालटेन की पीली रोशनी में अशोक की बीवी की गोरी गोरी गांड और ज्यादा चमक रही थी राजू तो यह देखकर एकदम मदहोश होने लगा,,, पजामें में उसका लंड गदर मचाने को तैयार था,,,, गहरी सांस लेते हुए वह इस लुभावने दृश्य का आनंद ले रहा था,,,

अशोक की बीवी मुतना शुरू कर दी थी और उसकी गुलाबी क्षेत्र में से आ रही सीटी की आवाज राजू के कानों में मिश्री घोल रही थी ,,मदहोशी का रस घोल रही थी,,, राजू अपने तन बदन में एक अद्भुत उत्तेजना का संचार होता हुआ महसूस कर रहा था,,,, उतेजना के मारे राजू का गला सूखता जा रहा था,,, चारों तरफ अंधेरा छाया हुआ था एक तो घने पेड़ के नीचे झाड़ियों के पास अशोक की बीवी बैठकर मुत रही थी ,, इसलिए अंधेरा कुछ ज्यादा ही था,,। अशोक की बीवी,, राजू के वादे पर यकीन कर गई थी यही उसके भोलेपन का सबसे बड़ा सबुत था,, उसे ऐसा ही लग रहा था कि,,,, राजू ने वादा किया है तो वह उसकी तरफ नहीं देखता होगा,,, वह शायद जमाने के दस्तूर से वाकिफ नहीं थी,,,,,, इसलिए वह सिर्फ चोर की चिंता करते हुए मुत रही थी और इधर उधर देख रही थी हालांकि पीछे की तरफ से निश्चित थी इसलिए पीछे की तरफ नजर घुमाकर नहीं देख रही थी,,, और इसी का फायदा उठाते हुए राजू एक बेहद खूबसूरत औरत को पेशाब करते हुए देखना उसकी खूबसूरत गोरी गोरी गांड लालटेन की रोशनी में चमक रही थी और उस गांड की चमक देख कर राजू का मन कर रहा था कि उसकी गांड को अपनी जीभ से चाट जाए,,,, राजू खान लंड पूरी तरह से अकड़न पर था,,, उसमें मीठा मीठा दर्द होने लगा था,, लंड की गर्मी शांत करना बहुत जरूरी हो गया था और इस समय उसका जुगाड केवलअशोक की बीवी के पास था लेकिन देखना यह था कि अशोक की बीवी उसके हाथ में कैसे आती है,,,

गुलाबी छेद से आ रही सीटी की आवाज और पेशाब की धार जो की बड़ी तीव्रता से जमीन पर पड़ रही थी उसकी आवाज दोनों मिलकर एक अद्भुत माहौल बना रहे थे,,,। राजू से बिल्कुल भी सहन नहीं हो रहा था उसकी आंखों के सामने बेहद खूबसूरत औरत अपनी नंगी गांड दिखाते हुए पेशाब कर रही थीराजू का मन कर रहा था कि अपना लंड बाहर निकालकर ठीक है उसके पीछे जाकर बैठ जाए और अपने लंड को उसकी गोरी गोरी गांड पर रगडना शुरू कर दें,,,,,,, चारों तरफ सन्नाटा छाया हुआ था झिंगुर और कुत्तों की आवाज ही आ रही थी ऐसे में माहौल बनाने के लिए राजू बोला,,,।

आराम से मुत लो भाभी मैं यहीं खड़ा हूं घबराना नहीं,,,।

(राजू की बातों को सुनकर अशोक की बीवी को हिम्मत मिल रही थी लेकिन उसकी यह बात सुनकर अनजाने नहीं वह पीछे नजर करके देखने लगी तो राजू को अपनी ही गांड की तरफ देखता पाकर वह पल भर में ही शर्म से सिहर उठी,,,मैं तुरंत दोनों हाथों के पीछे की तरफ लाकर अपनी बड़ी बड़ी गांड पर उसे ढकने के लिए रख दी,,,, उसकी इस हरकत पर राजू मन ही मन मुस्कुराने लगा,,, और उसकी इस हरकत की वजह जानने के लिए बोला,,,)

क्या हुआ भाभी,,,?

अरे बबुआ तुम तो मेरी तरफ ही देख रहे हो,,, मुझे शर्म आ रही है तुम तो वादा किए थे कि देखोगे नहीं,,,,


हां भाभी मैंने तुमसे वादा था किया था कि तुम्हारी तरफ देखूंगा नहीं लेकिन तुमको कुछ पता चला,,,,


क्या,,,?

सच में तुम को कुछ भी पता नहीं चला,,,(राजू जानबूझकर बात बनाते हुए बोला,,)

नहीं तो क्या हुआ,,,,(वह अभी भी अपनी गांड की फांकों को अपनी हथेलियों से ढकने की नाकाम कोशिश करते हुए बोली,,,)

अरे भाभी अच्छा हुआ तुम्हें पता नहीं चला और अच्छा हुआ कि मैं देख रहा था इसमें कुछ गलत समझना नहीं लेकिन अगर देखता नहीं होता तो शायद सांप तुम्हें काट लिया होता,,,।


ससससस,, सांप,,,कककक,,,, किधर है,,,, किधर है,,,,(इतना कहते हुए घबरा करवा अपनी गोल गोल गांड को उठाकर खाली होने लगी तो राजू उसे सांत्वना देते हुए बोला,,,)


अरे अरे,,,,, यह क्या कर रही हो,,,(मौके का फायदा उठाते के राजू आगे बढ़ा और अशोक की बीपी के बेहद करीब पहुंच कर उसके कंधे पर हाथ रखकर उसे नीचे की तरफ दबाते हुए बोला,,,) बैठ जाओ भाभी,,, ठीक से मुत तो लो,,,, अब सांप नहीं है चला गया,,, ठीक तुम्हारे पीछे से गया है,,,,अगर मैं उसे डंडे की आवाज से बहकाया ना होता तो शायद वह तुम्हारी गांड में काट लेता,,,,(राजू कहा था अभी भी अशोक की बीवी के कंधे पर था और जिस तरह से हुआ है दबाए हुए था उसकी वजह

से अशोक की बीवी वापस अपनी जगह पर बैठ गई थी,,,,


बाप रे इतना कुछ हो गया और मुझे पता तक नहीं चला अच्छा हुआ कि तुम पीछे खड़े थे,,,


अरे अच्छा हुआ कि मैं पीछे खड़ा तो था लेकिन अगर तुम्हें दिया हुआ वादा पूरा करता तो शायद इस समय ना जाने क्या हो गया होता वह तो अच्छा हुआ कि तुम्हारी गोरी गोरी गांड को देखने का लालच में अपने मन में रोक नहीं पाया और तुम्हारी गांड देखने के लिए ही मैं तुम्हारी तरफ देख रहा था और तभी एक बड़ा सा सांप गुजरने लगा,,,,


आवाज देना था ना,,,


आवाज देता तो तुम हड़बड़ा जाती घबरा जाती और ऐसे में तुम छटपटाने लगती और तुम्हारा पैर अगर उस पर पड़ जाता तो बिना कहे वह तुम्हें काट लेता इसलिए मैं दिमाग से काम लिया,,,,,, मैं कुछ बोला नहीं शांत रहा और उसे जमीन पर डंडा पटक कर उसका ध्यान भटकाने लगा और वह ठीक तुम्हारे पीछे से गुजर गया सच कहूं तो मैं भी एकदम घबरा गया था,,,, मेरे होते हुए अगर तुम्हें सांप काट लेता तो मेरी मर्दानगी पर दाग लग जाता,,,,(राजू अभी भी उसके कंधे पर हाथ रखे हुए था अब उसे उसकी गांड एकदम करीब से नजर आ रही थीजो कि लालटेन की रोशनी में कम साफ दिखाई दे रही थी उस पर दाग धब्बे बिल्कुल भी नहीं थे,,, एकदम बेदाग गोरापन था,,,, अशोक की बीवी की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी वह एकदम से घबरा गई थी,,, उसे लग रहा था कि राजू जो कुछ भी बोला वह सच है,,, लेकिन या तो राजू की बनी बनाई बात थी वह पूरी तरह से अशोक की बीवी को अपने विश्वास में ले लेना चाहता था,,, अशोक की बीवी एकदम घबराई हुई थी इसलिए उसकी घबराहट को कम करते हुए राजू बोला,,,)

भाभी तुम्हारी तो पेशाब ही रुक गई सांप का नाम सुनकर,,, तुम चिंता मत करो ठीक से मुत लो,,, मेरे होते हुए तुम्हें कुछ नहीं होगा,,,,( और यह कहते हुए राजू ठीक उसके पीछे थोड़ा सा बगल में बैठ गया उसका हांथ अभी भी उसके कंधे पर था,,,अशोक की बीवी सांप का नाम सुनकर घबरा तो गई थी लेकिन राजू को अपने इतने करीब बैठा हुआ पाकर अजीब सी स्थिति का अनुभव कर रही थी उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था,,, क्योंकि इस तरह से तो कभी उसके पति ने भी उसके साथ नहीं बैठा था,,,, राजु अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,) तुम चिंता मत करो भाभी पेशाब करो वरना रात को फिर लग जाएगी तो,,, क्या करोगी खामखा नींद खराब होगी,,,,(राजू की हिम्मत बढ़ने लगी थी क्योंकि ऐसा कहते हैं राजू कंधे पर से अपने हाथ को हटा कर सीधे उसकी गोरी गोरी गांड पर रख दिया था,,, और इस समय अशोक की बीवी अपनी हथेली से अपनी गांड को ढकने की कोशिश बिल्कुल भी नहीं कर रही थी क्योंकि सांप का नाम सुनकर हो रहा है एकदम से सिहर उठी थी और उसके दोनों हथेली अपनी गांड पर से अपने आप ही हट गई थी,,, गोरी गोरी गांड पर हाथ फेरते हुए राजू की उत्तेजना बढ़ने लगी थी एक हाथ में अभी भी उसके लालटेन की जिससे उसकी रोशनी में उसको सब कुछ साफ साफ दिखाई दे रहा था,,,एक अनजान जवान लड़की की हथेली अपनी गांड पर महसूस करते हैं कि अपने आप ही उसके बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ में लगी उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था अपने बदन में उसे अजीब सी हलचल महसूस होने लगी थी,,,, और राजू उसी तरह से अपनी हथेली को उसकी गोल गोल गांड पर फिराते हुए एकदम मदहोशी भरे स्वर में बोला,,,),,

मुतो ना भाभी,,,,,,,,(राजू की हरकत की वजह से अशोक की बीवी की सांसे एकदम गहरी चलने लगी थी उसे अजीब सी हलचल महसूस होने लगी थी उसके बदन में सुरूर सा छाने लगा था,,, और अशोक की बीवी को एकदम स्थिर और शांत देखकर राजू कीमत बढ़ने लगी और वापस की गांड की दोनों फांकों के बीच लाते हुए अपनी हथेली को नीचे की तरफ सरकार ने लगा अपनी मोरी को हरकत देते हुए बहुत ही जल्द वह अशोक की बीवी के गांड के छेद पर अपनी उंगली फिराने लगा,,,,अशोक की बीवी एक दम मस्त हो गई उसे समझ में नहीं आ रहा था कि यह क्या हो रहा है,,,,, राजू अपनी हरकत को आगे की ओर बढ़ने लगा अशोक की बीवी की गांड का छेद का स्पर्श अपनी उंगली पर होते ही उसका लंड एक दम फूलने पिचकने लगा,,, राजू के साथ-साथ अशोक की बीवी की हालत खराब होती जा रही थी राजू तो खेला खाया लड़का थाबहुत सी औरतों के साथ में इस तरह के संबंध बना चुका था इसलिए अपनी उत्तेजना को किसी हद तक दबाने में कामयाब हो गया था लेकिन अशोक की बीवी की हालत पल-पल खराब होती जा रही थी,,,,, उसकी उखडती हुई सांसो को देखकर,,, राजू समझ गया था कि उसे मजा आ रहा है‌ वह मस्ती के सागर में गोते लगा रही है,,,,,,, अभी तक दोबारा उसकी बुर् के गुलाबी छेद से पेशाब की धार नहीं फुटी थी,,, राजू अपनी हथेली को उसकी गांड के छेद पर हल्के से दबाते हुए अपनी उंगली से उसके भूरे रंग के छेद को दबा दिया जिससे ना चाहते हुए भी अशोक की बीवी के मुंह से गर्म सिसकारी की आवाज फूट पड़ी,,,,सससहहहह,,,, इस आवाज को सुनते ही राजू समझ गया कि उसका काम आसान होने वाला है,,,,,,, इसलिए फिर से,,,मुतो ना भाभी,,,बोलकर वह अपनी उंगलियों

को आगे की तरफ बढ़ाने लगा,,, जैसे-जैसे ऊंगलियां बुर की तरफ आगे बढ़ रही थी वैसे वैसे,, अशोक की बीबी की सांसे अटकने सी लगी थी,,, इस तरह की मदहोशी का अनुभव उसने आज तक नहीं की थी,,, अपने पति के द्वारा भी इस तरह की हरकत का सामना वह कभी नहीं कर पाई थी इसलिए शायद औरतों के खूबसूरत बदन से मर्दो कि इस तरह की हरकत के बारे में उसे कुछ भी समझ नहीं थी,,,,,।

रात की काली स्याह अंधेरे में पेशाब करते समय अशोक की बीवी को राजू पूरी तरह से उकसाने की कोशिश में लगा हुआ था,,,,, जहां उत्तेजना के मारे राजू की हालत खराब थी वहीं दूसरी तरफ अशोक की बीवी पानी पानी हुए जा रही थी क्योंकि इस तरह की छेड़छाड़ उसके पति ने आज तक उसके साथ नहीं किया था,, उसे तो उसकी बस शराब ही भली थी,,,,,,राजू अपनी हरकतों की वजह से पूरी तरह से अशोक की बीवी को अपनी गिरफ्त में ले चुका था,,,, राजू की हरकतों की वजह से पूरी तरह से भावनाओं में बह जाने के सिवा ऐसा लग रहा था कि जो की बीवी के पास दूसरा कोई चारा नहीं था,,,, उसकी सांसे ऊपर नीचे हो रही थी और राजू की उंगलियां उसकी गांड के छेद से आगे की तरफ बढ़ते हुए उसकी बुर की तरफ जा रही थी जो कि केवल एक अंगुल की ही दूरी पर ही थी,,, पर मात्र एक अंगुल की दूरी तय करने में राजू के साथ साथ अशोक की बीवी को भी अद्भुत आनंद की प्राप्ति हो रही थी उत्तेजना और डर के मारे अशोक की बीवी की पेशाब रुक गई थी,,, गांड की दोनों फांकों के बीच की गर्माहट राजू अपने तन बदन में अच्छी तरह से महसूस कर रहा था छोटे से छेद की गर्मी से कहीं उसका लंड पिघल न जाए इस बात का भी उसे डर था,,,,

राजू की हरकतों की तड़प अशोक की बीवी के चेहरे पर साफ नजर आ रही थी उसकी सांसे भी गवाही दे रही थी कि वह पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी है और राजू अपनी उंगली को धीरे-धीरे करके ठीक उसकी गरम बुर पर रखते ही,,, उसके कान में धीरे से फुसफुसाते हुए बोला,,,।

मुतो ना भाभी रुक क्यों गई,,,?

बस राजू का इतना कहना था कि उत्तेजना के मारे एक बार फिर से अशोक की बीवी की गुलामी बुर के गुलाबी छेद में से पेशाब की धार चल चला कर बाहर निकलने लगी जोकि राजू की उंगलियों को भी गर्माहट के साथ भीगोते हुए जमीन पर गिर रही थी,,,, राजु एकदम से मस्त हो गया और अशोक की बीवी भी मदहोश होने लगी उसकी आ्खो में खुमारी जाने लगी किसी ने भी आज तक उसके साथ इस तरह की हरकत नहीं किया था,,, इसलिए राजू की इस तरह की हरकत की वजह से वह पूरी तरह से चुदवासी हुई जा रही थी,,,,,,अभी तक की हरकत को अशोक की बीवी किसी भी तरह से रोकने की कोशिश नहीं की थी इसलिए राजू की भी हिम्मत बढ़ती जा रही थी लालटेन उसके हाथों में थी बड़े से डंडे को व नीचे जमीन पर रख दिया था और उसी हाथ से अशोक की बीवी की बुर को रगड़ रहा था,,,आंखें दोनों की बंद हो चुकी थी दोनों अपनी अपनी दुनिया में पूरी तरह से मस्त हो चुके थे अशोक की बीवी पेशाब की धार अभी भी अपनी गुलाबी छेद में से निकाले जा रही थी,,,,,। अशोक की बीवी की बुर का गुलाबी छेद नीचे होने की वजह से राजू ठीक से उसकी बुर के दर्शन नहीं कर पाया था हालांकि अपनी हथेलियों से टटोलकर वह पूरी तरह से मस्त हो चुका था,,,बुर की गर्माहट अपनी हथेली पर महसुस करते ही वह अशोक की बीवी के कानों में बोला,,,।)


तुम्हारी बुर बहुत गर्म है भाभी,,,,

सहहहहह ,,,,आहहहहहह,,,, यह क्या कर रहे हो बबुआ,,(अपनी दोनों आंखों को मदहोशी के आलम में बंद किए हुए ही वह राजू से बोली,,,)

तुम्हें ठीक से मुता रहा था डर के मारे तुम्हारी पेशाब रुक गई थी ना अगर मैं ऐसा ना करता तो तुम्हारी पेशाब रुकी रह जाती है और तुम्हें पेट में दर्द होना शुरू हो जाता,,,(राजू उसी तरह से अशोक की बीवी की बुर को अपनी हथेली से मसलते हुए बोला,,,, और अशोक की बीवी कुछ बोलने के लायक नहीं थी,,,। धीरे-धीरे अशोक की बीवी मूत्र क्रिया संपन्न कर ली लेकिन राजू की हथेली का आनंद लेने में पूरी तरह सेमशगूल हो गई राजू को इस बात का आभास हो गया था वह उसकी मस्ती को धीरे-धीरे और ज्यादा बढ़ा रहा था,,,,,, इसलिए वह धीरे से अपनी एक उंगली को उसकी बुर के अंदर सरका दिया और जैसे ही ऊंगली गुलाबी छेद में प्रवेश की वैसे ही अशोक की बीवी के मुंह से आह निकल गई,,,, उसकी आह की आवाज सुनकर राजू चारों खाने चित हो गया वह पूरी तरह से मदहोश हो गया और अपनी उंगली को पूरी की पूरी उसकी गुलाबी छेद में डालता हुआ बोला,,,,।

आहहहह भाभी मुत ली हो क्या,,,?

हां बबुआ,,,(गरम आहें भरते हुए वह बोली,,,)


तो लो भाभी अब तुम लालटेन पकड़ो मुझे भी जोरो की पेशाब लगी है,,,(राजू पेशाब करने के बहाने से उसे अपने लंड का दर्शन कराना चाहता था क्योंकि वह जानता था कि वॉच आज इतनी भी भोली भाली हो लेकिन मोटा तगड़ा लैंड देखकर उसकी भी मस्ती पड़ जाएगी और उसे अपनी बुर में लेने के लिए तैयार हो जाएगी,,,, राजु की बात सुनकर अशोक की बीवी बिना कुछ बोले खड़ी हुई और अपने कपड़ों को

व्यवस्थित करने के बाद लालटेन को अपने हाथ में ले ली,,, वह लालटेन को हाथ में लेकर पीछे कदम ले जाती इससे पहले ही जल्दबाजी दिखाते हुए राजू तुरंत अपने पजामे में से अपने लंड को बाहर निकाल लिया,, ताकि लालटेन की रोशनी में वह अच्छी तरह से उसके एजेंट के दीदार कर सके,,, और ऐसा ही हुआ,,,, राजू जैसे ही लंड को अपने पजामे में से बाहर निकाल कर पेशाब करना शुरू किया वैसे ही अशोक की बीवी की नजर उसके मोटे तगड़े लंबे लंड पर चली गई जो कि पूरी तरह से खड़ा था,,, इतने मोटे तगड़े लंबे लंड पर नजर जाते ही अशोक की बीवी की हालत खराब हो गई क्योंकि उसने आज तक केवल अपने पति के ही लंड को देखी थी और अपने पति के लंड के साथ ज्यादा मस्ती नहीं कर पाई थी,,, जोकि राजू के लंड से आधा और पतला ही था,, इसलिए राजू के लंड को देखकर वह पूरी तरह से हैरान हो गई,,,। उसके पैर ज्यों के त्यों वही ठीठक कर रह गए,,,,, राजु के लंड को देखकर अशोक की बीवी की आंखों में चमक आ गई थी,,, उसे यह नजारा बेहद अद्भुत और रमणीय लग रहा था,,, तो राजू भी जानबूझकर अपने लंड को पकड़ कर हिलाते हुए पेशाब कर रहा था और अशोक की बीवी की तरफ देखते हुए बोला,,,।


आहहहहह ,,,, भाभी ,,, तुमको पेशाब करता हुआ देखकर ,, मुझे भी जोरो की पैशाब लग गई,,,।
(लेकिन इस बार अशोक की बीवी कुछ बोली नही क्योंकि राजू के लंड को देखकर उसकी आंखों में शर्म की लालिमा छा गई थी,,और वह शर्मा कर अपनी नजरों को नीचे झुका ली थी,,,। राजू मन ही मन प्रसन्न हो रहा था उसका काम धीरे धीरे बनता हुआ नजर आ रहा था उसे अपने पर पूरा विश्वास हो गया था कि जब वहां अपनी उंगली को उसकी बुर में प्रवेश करा दिया तो लंड डालने में कितना देर लगेगा और वह जरा सा भी विरोध नहीं कर पाई थीऔरतों की संगत में राजू को औरतों के मन में क्या चल रहा है इस बारे में थोड़ा थोड़ा समझ में आने लगा था अशोक को देखकर वह समझ गया था कि उसकी बीवी पूरी तरह से प्यासी है तन की प्यार की,,, उसे तृप्ति का अहसास चाहिए संतुष्टि चाहिए जो कि वही उसे प्रदान कर सकता है,,,, पर आज की रात वह अशोक की बीवी के साथ चुदाई का खेल खेलना चाहता था,,,,।

भोली भाली अशोक के बीवी के मन में राजू के लंड को देखकर भी हलचल हो रही थी और वह अपने मन में यही सोच रही थी कि बाप रे इतना मोटा और लंबा लंड,,, उसके पति का तो इसके सामने कुछ भी नहीं है,,, बाप रे यह बुर में कैसे जाता होगा,,, यह सब सोचते हुए उसे अपनी दोनों टांगों के बीच हलचल सी महसूस होने लगी थी जो कि कुछ देर पहले ही राजू ने अपनी हथेली का कमाल दिखाते हुए उसकी बुर से काम रस निकाल दिया था,,। अशोक की बीवी अभी यही सब सोच रही थी कि उसके कानों में फिर से वही आवाज आई जागते रहो जागते रहो,,,, वह एकदम से घबरा गई,,, और राजू से बोली,,,।


जल्दी करो बबुआ,,,मुझे तो बहुत डर लग रहा है आज बाहर बार जागते रहो जागते रहो चिल्ला रहे हैं,,,


अरे भाभी तुम खामखा डरती हो जब मैं तुम्हारे साथ हूं तो किसी बात की चिंता करने की जरूरत नहीं है,,,।


नहीं नहीं बबुआ सब कुछ तो ठीक है लेकिन जल्दी से अंदर चलो,,,(अशोक की बीवी अपने चारों तरफ नजर घुमाते हुए बोली)


ठीक है भाभी मेरा भी हो गया,,,,(और इतना कहने के साथ ही वह अपने खड़े लंड को अपने हाथ से पकड़ कर उसे अपने पहचाने को थोड़ा आगे की तरफ खींच कर उसे अंदर डालने की कोशिश करने लगा जो कि उसका लंड पूरी तरह से अपनी औकात में था इसलिए पजामे के अंदर जाने में थोड़ी मशक्कत करनी पड़ी आखिरकार वह थोड़ी मशक्कत करने के बाद अपनी पजामे में लंड को ठुंसते हुए बोला,,,।)


क्या करूं भाभी बहुत परेशान कर देता है ज्यादा लंबा और मोटा है ना इसलिए पजामे में ठीक से जाता नहीं है,,,(अपने पजामे को व्यवस्थित करते हुए बोला लेकिन अभी भी उसके पजामे में खूंटा बना हुआ था,,, ज्यादा लंबा और मोटा कहकर राजू अशोक की बीवी को और ज्यादा तडपाना चाहता था,,,,,। और राजू की बातों को सुनकर वह तड़प भी रही थी,,, राजू की बातों को सुनकर अनजाने नहीं अचानक उसके मुंह से निकला,,,।

हां सच में बहुत मोटा और लंबा है,,,,
(अशोक की बीवी का जवाब सुनकर राजे मंद मंद मुस्कुराने लगा और उसके हाथों से लालटेन ले लिया और नीचे पड़ा डंडा भी हाथ में उठा लिया आगे-आगे अशोक की बीवी और पीछे पीछे राजू घर में प्रवेश कर गए,,,, अंदर आते ही अशोक की बीवी राजू से बोली)

अच्छे से दरवाजा बंद कर देना,,,


तुम चिंता मत करो भाभी,,,( और इतना कहने के साथ ही राजू लालटेन को नीचे जमीन पर रख दिया और डंडे को एक तरफ दीवार के सहारे खड़ा करके दरवाजा बंद करके उसकी सीटकनी लगा दिया ,,,, वापस अपने बिस्तर की तरफ आने लगा अशोक की बीवी दोनों खटिया के बीच में चटाई बिछाकर उस पर बैठ गई थी,,, उसके मन में भी हलचल मची हुई थी राजु के लंड को लेकर,,,और राजू बिस्तर पर बैठते हुए बोला,,,।)

क्या हुआ भाभी रात भर जागने का विचार है क्या,,,

नहीं बबुआ लेकिन ना जाने क्यों नींद नहीं आ रही है,,,

(अशोक की बीवी की बात सुनकर राजू समझ गया था कि उसे नींद क्यों नहीं आ रही है वह किसी भी तरह से आज की रात अशोक की बीवी की चुदाई करना चाहता था और दूसरी तरफ राजू के पिताजी हरिया खाना खाने के बाद अपनी छोटी बहन गुलाबी को इशारा करके अपने कमरे में चला गया और अपनी बीवी मधु के सारे कपड़े उतार कर उसे पूरी तरह से नंगी कर दिया और उसे जबरदस्त तरीके से चोदने लगा दो कि पूरी तरह समझ तो गई थी हरिया यह बात अच्छी तरह से जानता था कि उसकी बीवी को जमके चोदने के बाद वह इत्मीनान से गहरी नींद में सोती है और सुबह से पहले उसकी नींद नहीं खुलती,,इसीलिए हरिया अपनी बीवी को पूरी तरह से तृप्त कर देना चाहता था और थोड़ी ही देर में वहां अपनी बीवी की चुदाई करके कुछ देर तक उसके साथ बिस्तर पर लेटा रहा और जब देखा कि उसकी बीवी गहरी नींद में सो गई है तो वह धीरे से खटिया पर से उठा और बिना आवाज के दरवाजा खोल के बाहर से दरवाजा बंद कर लिया ताकि अगर किसी भी तरह से उसकी नींद खुल भी गई तो वह आराम से कोई बहाना बनाकर बच सकता है,,,, और वहां से निकल कर बगल वाले कमरे में जिसमें गुलाबी सोती है वहां दरवाजे पर आकर दरवाजे पर दस्तक देने के लिए जैसे ही वह हाथ दरवाजे पर रखा दरवाजा अपने आप ही खुल गया,,गुलाबी ने पहले से ही दरवाजा को खुला छोड़ दी थी क्योंकि वह जानती थी कि उसका बड़ा भाई उसकी बीवी की चुदाई करके उसके पास जरूर आएगा,,, जैसे ही दरवाजा खुला
दरवाजे के खुलने की आवाज सुनकर खटिया पर ऐसे ही लेटकर अपने बड़े भाई का इंतजार कर रही गुलाबी तुरंत से उठ कर बैठ गई और दरवाजे पर अपने बड़े भाई को देख कर उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई,,, अंदर आकर दरवाजे को बंद करते हुए हरिया बोला,,,।

क्या बात है तुझे नींद नहीं आ रही है,,,


तुम्हारा इंतजार कर रही थी,,,,

(इतना सुनते ही हरिया आगे बढ़ा और खटिया पर बैठते हुए गुलाबी को अपनी बाहों में लेकर उसे खटिया पर पीठ के बल लेटाते हुए उसके ऊपर पूरी तरह से छा गया,,,।
 

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