बैलगाड़ी

Member
437
722
93
एक खटिया पर अशोक नशे में धुत होकर सोया हुआ था दूसरी खटिया पर राजु सोने की तैयारी मैं था,,हालांकि उसकी आंखों में नींद बिल्कुल भी नहीं थी और दोनों खटिया के बीच में चटाई बिछाकर अशोक की बीवी बेठी हुई थी उसके भी आंखों में नींद नहीं थी जिसका कारण था चोरों का डर और राजु का बमपिलाट लंड जिस का दर्शन वह अभी अभी कुछ देर पहले ही बाहर करके आई थी जब राजू उसकी आंखों के सामने जानबूझकर हाथ से हीलाते हुए मुत रहा था,,,,,,, अशोक की बीवी चटाई पर बैठे-बैठे राजू के लंड के बारे में सोच रही थी भले ही वह एकदम भोली थी ,,, लेकिन मर्दों के लंड के बारे में सोचते ही उसके तन बदन में सिहरन सी दौड़ने लगती थी हालांकि अभी तक वह किसी मर्दाना ताकत के बारे में लंड से वाकिफ ओर मुखातिब नहीं हुई थी,,, उसकी बुर में जाता भी था कि उसके पति का पतला और कमजोर लंड जो कि उसको पूरी तरह से अनुभव नहीं करा पाता था,,,,इसीलिए तो राजू के लंड को देखकर उसकी हालत खराब होने लगी थी वह सोच में पड़ गई थी कितना मोटा और लंबा लंड बुर में जाता कैसे हैं,,, राजू अशोक की बीवी को इस तरह से विचार मग्न देख कर बोला,,,।

क्या हुआ भाभी नींद नहीं आ रही है क्या,,,?


हां बबुआ नींद बिल्कुल भी नहीं आ रही है,,,


चोरों का डर लग रहा है क्या,,,?

हां,,,,?

अरे यहां चोर आने वाले नहीं हैं तुम चिंता मत करो मैं हूं ना,,,


और आ गए तो तब क्या करोगे,,,


मेरी ताकत पर भरोसा नहीं है भाभी,,, दो तीन से तो मैं ऐसे ही निपट लूंगा,,,, अच्छा एक बात बताओ रुपया पैसा ज्यादा रखी हो क्या,,,

नहीं तो,,,


फिर तो गहने खूब होंगे,,,


अरे नहीं बबुआ ऐसा कुछ भी नहीं है,,,


फिर काहे को डरती हो भाभी,,,, जब लुट कर ले जाने जैसा कुछ भी नहीं है,,,, हां,,,,,, लेकिन कृपया पैसा गहना से भी ज्यादा बेशकीमती चीज है तुम्हारे पास उसे जरूर लूट कर ले जाएंगे,,,,


क्या,,,? नहीं नहीं ऐसा तो कुछ भी नहीं है मेरे पास,,,


अरे भाभी तुम नहीं जानती कि तुम्हारे पास कितना पैसे कीमती खजाना है दुनिया की दौलत भी लुटा दो तो शायद उसे खरीद नहीं पाओगे,,,।


बबुआ तुम पहेली मत बुझाओ,,,मुझे तो बिल्कुल भी समझ में नहीं आ रहा है कि तुम क्या कह रहे हो,,,, मेरे पास और वह भी बेशकीमती खजाना हो ही नहीं सकता,,, शादी जब हुई थी हमारी तब पिताजी के घर से सिर्फ यह कान की झुमकी मेरे पास उसके बाद ना तो वहां से कुछ मिला और ना ही यहां से,,,,
(राजु उसके भोलेपन की बात सुनकर मंद मंद मुस्कुरा रहा था,,,)

और अगर मैं दिखा दूं तो कि तुम्हारे पास बेशकीमती खजाना है तब बोलो क्या दोगी,,,,,


तो ,, क्या,,,,,मतलब ,,,की ,,,तुम्हें उस खजाने में से थोड़ा सा हिस्सा दे दूंगी और क्या,,,,(अशोक की बीवी को ऐसा ही था कि उसके पास खजाना जब है ही नहीं तो वह हिस्सा क्या देगी उसे ऐसा ही लग रहा था कि राजू सिर्फ ऐसे ही बातें बना रहा है,,,,,, और राजू उसकी बात को सुनकर मन बना दो मुस्कुराने लगा ,,, वह ऐसे नाजुक मौके की नजाकत को अच्छी तरह से समझता था,,, और ऐसे ही मौके पर पुरी तरह से झपटता भी था,, और इसीलिए वह अशोक की बीवी से बोला,,,)
तब इधर आओ खटिया पर बैठो तब मैं तुम्हें बताता हूं,,,।
(इतना सुनते ही अशोक की बीवी उठी और खटिया पर गार्डन कर बैठ गई लेकिन अभी भी उसके दोनों पैर खटिया के नीचे थे इसलिए राजू बोला)

अरे ठीक से बैठ जाओ भाभी पांव ऊपर करके तुम्हें इत्मीनान से दिखाता हूं कि तुम्हारे पास बेशकीमती खजाना क्या है और कहां पर है,,,,,(इस बार राजू की बात सुनकर वो थोड़ा सा सिहर उठी,, उसके बदन में अजीब सी हलचल होने लगी,,, फिर भी उसकी बात मानते हो कि अशोक की बीवी अपने पैर खटिया पर रखकर बैठ गई वह राजू से एकदम सट कर बैठी थी,,,, राजू के तन बदन में भी उन्माद की लहर उठ रही थी,,,, अशोक की बीवी उसी तरह से भोलेपन से बोली,,,)

अब दिखाओ बबुआ,,,,, खजाना,,,,।

(उसकी उत्सुकता देखकर राजू की उत्तेजना बढ़ने लगी कभी-कभी उसकी बातें सुनकर उसे उसका भोलापन लगता था तो कभी-कभी राजू को समझ में नहीं आ रहा था कि वह वाकई में भोली है या भोली होने का नाटक कर रही है,,, जो भी हो मजा तो राजू को दोनों तरफ से था,,,,,।
अशोक के बीवी की हालत बहुत ज्यादा खराब होती जा रही है इसके तन बदन उतेजना की लहर उठ रही थी बदन में शोले भड़क रहे थे राजू की हरकत को वह कुछ-कुछ वह समझ रही थी,, राजू के कहने का मतलब को थोड़ा-थोड़ा उसे समझ में आ रहा था लेकिन वह पूरा नतीजा देखना चाहती थी,, और राजू था कि आज उसे तारों की शेर कराना चाहता था,,,, राजू अशोक की बीवी से एकदम से सट गया थाऔरतों की बीवी के बदन की गर्मी से उसके बदन में उत्तेजना की लहर उठ रही थी वह पूरी तरह से उत्तेजित हो गया था और एकदम से चुदवासा भी,,,, उत्तेजना का असर अशोक के बीवी की आवाज पर भी हो

रहा था उसके स्वर भारी होते जा रहे थे,,, ऐसे ही वह गहरे स्वर में बोली,,,।



दिखाओ कहां है बेशकीमती खजाना,,,,।


उतावली मत करो भाभी एकदम इत्मीनान से दिखाऊंगा कि तुम्हारे पास कौन सी जगह पर बेशकीमती खजाना है,,,(इतना कहने के साथ ही राजू अपने हाथ को उसके पैरों की उंगलियों पर रखकर उसे हल्के हल्के सहलाने लगा,,,, धीरे-धीरे मदहोशी का असर अशोक की बीवी पर हो रहा था
और राजू पूरी तरह से अपनी हरकत पर उतर आया था धीरे-धीरे वह अपनी हथेलियों कोपेड़ के ऊपर की तरफ नहीं जा रहा था जिससे उसकी साड़ी भी धीरे-धीरे उठती चली जा रही थी,,,, अशोक की बीवी को कुछ समझ में नहीं आ रहा था लेकिन राजू की हरकत से उसके तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी,,,, राजू अपनी हरकत को जारी रखते हुए अपनी बातों से उसका मन भी हहला रहा था और उसे उलझा भी रहा था,,,)

भाभी तुम नहीं जानती कि तुम क्या चीज हो पूरे गांव में तुम्हारे जैसी खूबसूरत औरत मैंने आज तक नहीं देखा,,,ऊफफफ,,, तुम्हारे बदन की खुशबू,,,,ऊममममम,,(औरतों को अपनी जाल में फांसने कापुणे पूरी तरह से अपने विश्वास में लेने का हुनर राजू अच्छी तरह से सीख गया था और इस समय अशोक की बीवी के साथ भी हो रहा था अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनकर वह गदगद हुए जा रही थी लेकिन साथ ही उसकी हरकत से वह पूरी तरह से मस्त भी हो रही थी,,, उसे अपनी बुर से काम रस बहता हुआ महसूस होने लगा था,,,,धीरे-धीरे अशोक की बीवी मस्ती के सागर में गोते लगा रही थी और मदहोश होते हुए राजू की हरकत को महसूस करते हुए बोली,,,)

सहहहहह ,,,, यह क्या कर रहे हो बबुआ,,,


कुछ नहीं भाभी सिर्फ तुम्हें एहसास दिला रहा हूं कि तुम क्या चीज हो तुम्हारे पास ऐसा कौन सा बेशकीमती खजाना है जिसे देख कर दुनिया पागल हो जाती है,,,,, बस तुम इसी तरह से मेरा साथ देती रहो,,, दोगी ना भाभी मेरा साथ,,,(अपनी हथेली को उसकी सारी को पर उठाते हुए उसके घुटनों पर रखते हुए राजू बोला,,, मदहोशी और उत्तेजना के आलम में वह पूरी तरह से राजु की गिरफ्त में आ चुकी थी,,, अंदर से वह भी एक प्यासी औरत थी जिसकी प्यास राजू ने अपनी हरकत से भड़का दिया था,,, धीरे-धीरे अशोक की बीवी राजू के आगे लाचार होती जा रही थी इसलिए उसकी बात माननी किसी और के पास दूसरा कोई रास्ता भी नहीं था इसलिए वह बोली,,,)

दुंगी,,,,(खुमारी में अपनी आंखों को बंद किए हुए वह बोली,,)

ओहहहह ,,,, भाभी,,,, तुम बहुत अच्छी हो,,,(इतना कहते हुए ही राजू ज्यादा कस के बुर के बेहद करीब ही अशोक की बीवी की चांघ को अपनी हथेली में दबोच लिया जिससे,, अशोक की बीवी के मुंह से सिसकारी फूट पड़ी,,,, उसकी गरम-गरम सिसकारी की आवाज सुनकर राजू एकदम से मस्त होता हुआ बोला,,)


क्या हुआ भाभी इस तरह से क्यों आवाज निकाल रही हो,,,,(राजू की बात सुनकर बड़े होने से अपनी आंखों को खोलते हुए अशोक की बीवी राजू की आंखों में देखते हुए बोली,,,)

मुझे ना जाने क्या हो रहा है,,,,

मैं जानता हूं भाभी तुम्हें क्या हो रहा है,,,,

क्या हो रहा है बबुआ,,,,?(उत्तेजना से सिहरते हुए अशोक की बीवी बोली,,)

तुम्हें बहुत मजा आ रहा है भाभी,,,,,,
(अशोक की बीवी को इस बात का अहसास था कि उसे बहुत मजा आ रहा है राजू की हर हरकत पर उसके तन बदन में आग लग रही है मीठा मीठा दर्द भी हो रहा है,,, लेकिन फिर भी वह बोली)

मुझे नहीं मालूम बबुआ,,,, लेकिन तुम अभी तक वह खजाना नहीं दिखाएं,,,,


अभी दिखाता हूं भाभी मेरी पकड़ से ज्यादा दूर नहीं है,,,।
(इस बात को सुनते ही अशोक की बीवी उत्तेजना से सिहर उठी क्योंकि उसे एहसास हो गया था कि राजू किस बारे में बात कर रहा है,,,, वह अभी यही सोच ही रही थी कि राजू अपनी हथेली को पूरी तरह से उसकी बुर पर रखकर अपनी हथेली में दबोच लिया जैसे कि सच में मैं कोई खजाने को मुट्ठी भर भर कर लूट रहा हो,,,, जैसे ही राजू ने उसकी पूर्व को अपनी हथेली में कस के दबोचा,,, वैसे ही तुरंत अशोक की बीवी के मुंह से गरमा गरम सिसकारी की आवाज एकदम मादक स्वर में फूट पड़ी,,,।)


सससहहहह आहहहहहहहहह,,,,बबुआआआआ,,,,आहहहहहह,,, यह क्या कर रहे हो बबुआ,,,


यही तो खजाना है भाभी जिसे दुनिया लूटना चाहती है चोर लूटना चाहते हैं तुम्हारे घर आकर तुम्हारा रुपया पैसा गहना नहीं लूटेंगे बल्कि तुम्हारी दोनों टांग के बीच में छुपी हुई इस खजाने को लूट कर जाएंगे,,,


ओहहहह बबुआ,,,,आहहहहहहह,,,, इस खजाने की बात कर रहे हो मै तो कुछ और ही समझी थी,,,।

भाभी तुम्हारे इस खजाने को देखने के बाद कोई भी मर्द दुनिया का और खजाना देखने और पाने की इच्छा बिल्कुल भी नहीं करेगा,,,

तुम्हारी बातें मुझे समझ में नहीं आती बबुआ,,,,(अशोक की बीवी मस्ती से अपनी आंखों को खोलते हुए राजु की आंखों में देखते हुए बोली,,,, राजू की भी नजरे उसकी नजरों से टकराई और राजू सिरहाने गया और राजू अपने प्यार से होठों को अशोक की बीवी के तपते हुए होंठ पर रख दिया और उसे चूसना शुरू कर दिया,,,अशोक की बीवी को इस तरह के चुंबन का बिल्कुल भी अनुभव नहीं था इसलिए वह पल भर में ही राजू की हरकत से पूरी तरह से कामाग्नि में जलने लगी,,, उसके तन बदन में उत्तेजना की चिंगारी फूटने लगी पोर्न उसकी बुर से काम रस की धारा फूट पड़ी जो कि राजू की हथेलियों को पूरी तरह से अपने काम रस में भिगो दे रही थी,,,, राजू उत्तेजना के मारे अपनी हथेली को जोर-जोर से उसकी बुर पर रगडना शुरू कर दिया,,, चुंबन का आनंद और साथ ही बुर पर हथेली का घर्षण अशोक की बीवी से बर्दाश्त नहीं हो रहा था और वह कसमसा रही थी उसके कसमस आने की वजह से खटिया से चरर चरर की आवाज आ रही थी जो कि यह आवाज वातावरण में और ज्यादा मादकता फैला रही थी,,,, राजू अशोक की बीवी के होठों का रसपान करते हुए उसकी बुर से लगातार खेल रहा था,,,,।

काम ज्वाला अशोक की बीवी के भी तन में भड़क चुकी थी,,, राजू के तो भाग्य खुल गए थे ,, एक ओर बुर को हस्तगत कर लिया था उस पर विजय प्राप्त कर लिया था बस विजय पताका लहराना बाकी था,,,अशोक की बीवी पहली बार इस तरह की उत्तेजना का अनुभव कर रही थी और पहली बार किसी गैर मर्द के हाथों को अपने बदन पर महसूस कर रही थी क्योंकि उसके संपूर्ण बदन पर कब्जा जमाया हुआ था,,,।

अब कैसा लग रहा है भाभी,,,


मत पूछो बबुआ ना जाने कैसी कैसी चीटियां पूरे बदन को काट रही है,,,

ये चीटियां नहीं है भाभी,,, तुम्हें तुम्हारी गदराई जवानी चिकोटी काट रही है,,,,


बस करो बबुआ पास में ही लेटे हैं अगर वह जाग गए तो गजब हो जाएगा,,,।


कुछ गजब नहीं होगा भाभी,,,(उसके यह कहने का मतलब को अच्छी तरह से राजू समझ गया था राजू जान गया था कि उसका भी चुदवाने का मन है,,, बस अपने पति से थोड़ा डर रही है इसलिए उसके डर को दूर करने के लिए राजू बोला,,,)

तुम्हें तो पता ही होगा ना भाभी कि नशे में धुत होने के बाद इनकी नींद कब खुलती है,,,


अपने आप नहीं खुलती,,, सुबह जगाना पड़ता है तब जाकर उठते हैं,,,(अशोक की बीवी का भी पूरी तरह से मन बन चुका था चुदवाने का इसलिए राजू से सही-सही बता दी थी वरना आनाकानी करती डरती और ऐसा करने से उसे रोकती लेकिन वह भी मजबूर थी अपने बदन के जरूरत के आगे,,, क्योंकि वह संभोग में संतुष्टि के एहसास के लिए तड़प रही थी उसे पूरी तरह से मजा नहीं आ रहा था बस अपनी जिंदगी को चाहिए जा रही थी अभी अभी तो उस पर पूरी तरह से जवानी चली थी और ऐसे में मरियल सा पति उसकी आग बुझाने में सक्षम नहीं था,,, इसलिए बांका जवान मर्द पाकर उसके जवानी की गर्मी उबाल मार रही थी,,, अपनी जवानी को वह बर्बाद नहीं होने देना चाहती थी,,, इसलिए राजू के साथ आज की रात में पूरी तरह से जी लेना चाहती थी,,,, राजू की उसकी बात सुनकर एकदम से खुश हो गया और बोला,,,)

बस फिर क्या चिंता करने की जरूरत नहीं है,,,, मेरी रानी,,,,आज की रात देखना मैं तुम्हारी बेशकीमती खजाने का कितना सही उपयोग करता हूं तब तुम्हें इस बात का एहसास होगा कि वाकई में तुम्हारे पास कितना बेशकीमती खजाना पड़ा है जिसके बारे में तुम्हें और तुम्हारे पति को अहसास तक नहीं है,,,,


वैसे हमारा नाम रानी है बबुआ,,,,


ओहहहह भाभी तुमने तो मुझे खुश कर दिया अपना नाम बता कर जैसा नाम है वैसे ही तुम लगती हो बस थोड़ा सा नसीब गड़बड़ा गया जो इधर आ गई,,,


सच कह रहे हो बबुआ हमारा भी ऐसी शादी करने का कोई इरादा नहीं था लेकिन मां-बाप ने जहां बांध दिया शो आ गई,,,


अब तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो रानी,,, तुम्हारी प्यास बुझाने के लिए तुम्हारा राजा आ गया है,,, वैसे सच कहूं तो जैसे तुम्हारा नाम रानी है मेरा नाम भी राजा ही है,,,(राजू जानबूझकर अपना नाम राजा बता रहा था ताकि रानी और राजा का मिलाप हो सके इसलिए राजू का नाम सुनते ही वह एकदम से खुश होते हुए बोली,,)

ओहहहह क्या सच में तुम्हारा नाम राजा है,,,।


हां मेरी रानी मेरा नाम राजा ही है,,,(राजू जोर-जोर से उसकी बुर मसलते हुए बोला,,,)

ओहहहह राजा,,, बचपन से ही में गई सपना देखा करती थी कि मेरे होने वाले पति का नाम राजकुमार हो या राजा हो, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया,,,


दुखी मत हो रानी बदन की प्यास बुझाने वाला भी पति से कम नहीं होता आज की रात तुम मुझे अपना पति समझो और मैं तुम्हें अपनी पत्नी,,,,
(राजू की बात सुनते ही वह एकदम से शर्मा गई,,, और उसे शर्माता हुआ देखकर राजू बोला,,)

शर्माते हुए तुम सच में राजकुमारी लगती हो,,,,मुझे तो तुम पर तरस आता है कितनी खूबसूरत राजकुमारी की तरह होने के बावजूद भी तुमने इतने सामान्य से दिखने वाले इंसान से कैसे विवाह कर लिया,,,


तकदीर का लेखा है बबुआ,,,


राजा मेरी रानी,,,


हां हा राजा,,,(वह हंसते हुए बोली तो राजू उसकी बुर पर हथेली को रगडते हुए बोला,,,)

तुम्हारी बुर पानी बहुत छोड़ रही है रानी क्या इस तरह से पहले भी पानी छोड़ती थी,,,।

नहीं मेरे राजा तुम्हारा हाथ लगने के बाद ही इतना पानी छोड़ रही है,,,।

हाए मेरी जान अब तो आज यह राजा तुम्हारी बुर का गुलाम बन जाएगा,,,, रुको ऐसे नहीं,,,,,,,(इतना कहने के साथ ही राजू अशोक की बीवी की साड़ी को उतारने लगा अशोक की बीवी भी साड़ी उतरवाने के लिए आतुर हुए जा रही थी,,। लेकिन बीच-बीच में शंका जताते हुए बोल रही थी कि अगर यह जाग गए तो,,, और राजू कुछ भी ना होने का आश्वासन देकर धीरे-धीरे करके उसकी साड़ी उतार फेंका और उसकी ब्लाउज का बटन खोलने लगा क्योंकि ब्लाउज में से ही उसकी चूचियां कयामत ढा रही थी बड़े-बड़े चुचियों की मालकिन जो थी,,,देखते ही देखते राजू उसके प्लस के सारे बटन खोल कर उसके नाम से उसके बदन से अलग कर दिया उसकी नंगी चूचियों को देखकर राजू के मुंह में पानी आ रहा था क्योंकि वह एकदम दशहरी आम की तरह नजर आ रही थी और उसके पति को देखकर उसके नशे की आदत होती है कि कल रात में समझ गया था कि यह दबा दबा कर बड़ी नहीं होंगे बल्कि कुदरती रूप से ही इसी आकार की है,,,और इस बात से राजु एकदम से खुश हो गया उसकी दोनों चूचियों को अपने हाथ में लेकर दबाते हुए बोला,,,)


औहहहह मेरी रानी तुम्हारी चूचियां कितनी बड़ी बड़ी है,, लगता है तुम्हारे पति सारा कसर तुम्हारी चुचियों पर ही उतारते हैं,,,

धत्,,, वह तो इसकी जरा भी खबर नहीं लेते मेरे ब्लाउज को उतारते तक नहीं है,,,


तो मेरी जान इतनी बड़ी बड़ी कैसे हो गई,,,

शुरू से ऐसे ही,,,है,,,।


आहहहह तब तो बहुत मजा आएगा तुम्हारे मायके में तो लड़के तुम्हारी चूचियां देखकर ही पानी फेंक देते होंगे,,।

धत् कैसी बातें करते हो,,, मै किसी भी लड़के को अपने करीब नहीं आने दि‌ हुं,,,



(राजू को उसकी बातों में सच्चाई नजर आती थी वह दोनों हाथों से उसके पपैया को पकड़कर जोर-जोर से दबाते हुए बारी-बारी से अपने मुंह में लेकर पी रहा था यह अशोक की बीवी के लिए पहला मौका था जब कोई मर्द उसकी चूचियों से खेल रहा था इसलिए उसे बहुत ही मजा आ रहा था,, बल्कि उसे तो इस बात का अहसास तक नहीं था की चुचियों को दबाने में पीने में औरतों को मजा आता है और वही मजा राजू आज उसे प्रदान कर रहा था आज उसे स्त्री होने का गौरव प्राप्त करा रहा था,,,, देखते ही देखते राजू उसकी चूचियों को दबा दबा कर एकदम टमाटर की तरह लाल कर दिया था,,,, राजू बड़ी शिद्दत से अशोक की बीवी की चूचियों से खेल रहा था और उसे इसमें बहुत मजा आ रहा था और मुंह में लेकर जब जब पीता था तब तक उसकी कड़क किशमिश को दांतों तले दबा दे रहा था जिससे उसकी आ निकल जाती थी देखते ही देखते हो पूरी तरह से मस्त हो गई और इसके बाद उसकी चुचियों का स्तनपान करते हुए राजू एक आंख से उसके पेटीकोट का नाड़ा खोने लगा और अगले ही पल उसके पेटीकोट की डोरी को अपने हाथों से खींचकर उसके पेटीकोट को एकदम सा ढीला कर दिया,,,,।

अशोक की बीवी पूरी तरह से पानी पानी हो गई थी वह कसमसा रही थी गरमा गरम सिसकारी ले रही थी उसका सिसकना कसमसाना देखकर राजू समझ गया था कि आप उसकी बुर में लंबा मोटा लंड डालने की आवश्यकता पड़ गई है लेकिन इतनी सी भी राजू कहां मानने वाला था,,, उसे खटिया पर पीठ के बल लेटा दिया ,,खटिया पर लेटने के बाद अपनी तसल्ली के लिए अशोक की बीवी बगल में ही खटिया पर नशे की हालत में सो रहे हैं अपने पति की तरफ देखिए उसी तरह से धुत होकर सो रहा था,,, अशोक की बीवी ना तो कभी कल्पना की थी और ना ही कभी सपने में भी ऐसा सोचती थी कि अपने ही पति के बगल में वह लेट कर किसी गैर जवान लड़के से अपने जवानी की गर्मी को शांत कराएगी,,, राजू उसे पीठ के बल लेटा कर उसकी पेटीकोट को ऊपरी छोर से पकड़कर उसको नीचे की तरफ खींचते हुए बोला,,।


अब तुम पूरी तरह से नंगी होने जा रही हो मेरी महारानी,,,।

जैसी तुम्हारी इच्छा हो वैसा ही करो मेरे राजा,,,।
(अशोक की बीवी पूरी तरह से लाइन पर आ चुकी थी जिसका फायदा राजू पूरी तरह से उठा रहा था,,, और मुस्कुराते हुए इसके पेटीकोट को नीचे की तरफ खींचते हुए वह बोला,,,,,,)



मैं भी देखना चाहता हूं कि नंगी होने के बाद तुम कितनी और ज्यादा खूबसूरत लगती हो,,(पर ऐसा कहते हुए पेटीकोट को खींचकर निकालने लगा तो उसकी गोल-गोल ‌गांड के नीचे पेटीकोट दबने की वजह से नीचे की तरफ नहीं सरक रही थी,,, तो राजू की मदद करते हुए अशोक की बीवी अपनी गांड को थोड़ा सा ऊपर की तरफ उठा दे ताकि उसकी पेटीकोट निकल जाए और ऐसा ही हुआ

जैसे ही अशोक की बीवी ने अपनी गांड को हवा में उठाई गई सही राजेश उसकी पेटीकोट को नीचे की तरफ खींच लिया और उसके पेटीकोट को उसके बदन से उतारकर खटिया के नीचे फेंक दिया खटिया पर अशोक की बीवी पूरी तरह से नंगी लेटी हुई थी,,, राजू तो लालटेन की पीली रोशनी में अशोक की बीवी के नंगे बदन को देखता ही रह गया नंगी होने के बाद वह एकदम क़यामत लग रही थी राजू तो एकदम से उसका दीवाना हो गया और उसकी नंगी चिकनी जांघों पर अपनी दोनों हथेलियां रखते हुए बोला,,,।)


बाप रे तुम तो स्वर्ग से उतरी हुई कोई अप्सरा लग रही हो तुम सच में बहुत खूबसूरत हो ,,,(अशोक की बीवी राजू की बातें सुनकर शरमा गई और शर्मा कर दूसरी तरफ नजर फेर ली और राजू अशोक की बीवी के नंगे बदन पर पूरी तरह से कब्जा जमाने के लिए उसकी दोनों टांगों को धीरे धीरे खोलने लगा और अगले ही पल उसकी दोनों टांगों के बीच बैठ गया,,,,अशोक की बीवी को यही लग रहा था कि अब राजू अपने लंड को उसकी बुर में डाल कर उसकी चुदाई करेगा,,, क्योंकि शराबी पति पाकर संभोग के नियम को वह कहां जान पाई थी उसे क्या मालूम था कि संभोग के प्रकरण से कौन कौन सी क्रिया जुड़ी होती है लेकिन आज उसकी सारी जरूरतों को उसकी सारी कमियों को राजू पूरी तरह से दूर करने के लिए उसकी दोनों टांगों के बीच अपने लिए जगह बना लिया था और देखते ही देखते अपने होठों को उसकी बुर पर रखकर उस पर चुंबनों की बौछार कर दिया,,,अशोक की बीवी ईसके लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं थी इसलिए एकाएक राजू की हरकत की वजह से वह पूरी तरह से सिहर उठी उसके बदन में कंपन होने लगा,,उसे समझ में नहीं आ रहा था कि यह क्या हो रहा है लेकिन जब तक वह समझ पाती उससे पहले राजू पूरी तरह से उसे अपनी गिरफ्त में ले चुका था उसकी नाजुक सी छोटी सी बुर पर पूरी तरह से कब्जा जमा लिया था,,, और अगले ही पल वह गर्म सिसकारी के साथ राजू की हड़ताल का स्वागत करने लगी और वह भी अपनी कमर ऊपर की तरफ उठा उठा कर,,, राजू उसकी पतली कमर को दोनों हाथों से थाम कर उसकी रसीली बुर पर अपने होठों को रख कर अपनी जीभ को अंदर तक डालकर उसकी मलाई को चाटना शुरू कर दिया,,,,और अशोक की बीवी गरमा गरम सिसकारी लेते हुए कसमसाने लगी,,,।

सहहहहह आहहहह आहहहहहह मेरे राजा जी क्या कर रहे हो,,,आहहहहह बहुत मजा आ रहा है मेरे राजा,,,, आज तक मेरे पति ने इस तरह से कभी मुझे प्यार नहीं किया,,,,आहहहहह मैं तो आज धन्य हुई जा रही हूं,,,,ओहहहहहहह,,,,।

(उसकी गरमा गरम सिसकारी उसकी मद भरी बातों को सुनकर राजू का जोश बढ़ने लगा और वह जोर-जोर से उसकी बुर को चाटना शुरू कर दिया यहां तक की,,, अशोक की बीवी को वह अपनी जीभ से एक बार झाड़ भी दिया,,,,


औहहहह ,, मेरे राजा,,,आहहहहहह मुझसे रहा नहीं जा रहा है कुछ करो मेरे राजा,,,आहहहहहहह,,,,,


उसकी गरमा गरम सिसकारी की आवाज को सुनकर राज्य समझ गया था कि लोहा पूरी तरह से गर्म हो गया है अब हथोड़ा मारने की जरूरत है इसलिए वह तुरंत उठा और अपने कपड़े को उतारने लगा और देखते ही देखते खटिया पर बैठे-बैठे ही अपने कपड़े उतार कर एकदम नंगा हो गया अशोक की बीवी की नजर उस पर पड़ी तो वह पूरी तरह से सिहर उठी,,,उसे अपने अंदर लेने के लिए उत्सुकता भी थी तो एक तरफ उसे डर भी लग रहा था की ईतना मोटा उसकी बुर में जाएगा कैसे,,,, राजु अपने लंड को हाथ में लेकर उसे हीलाते हुए उसकी दोनों टांगों के बीच जगह बनाते हुए बोला,,,।


अब देखना मेरी जान तुम्हें कैसे तारों की सैर कराता हुं,,,


घुस पाएगा,,,(अशोक की बीवी शंका जताते हुए बोली,,)


पूरा का पूरा घुस जाएगा मेरी रानी देखना कितने आराम से ले लेती हो,,,(और इतना कहने के साथ ही राजू ढेर सारा थूक मुंह में लेकर उसकी बुर पर गिराने लगायह देखकर अशोक की बीवी की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी और अगले ही पल राजू मोर्चा संभालते हुए अपने लंड की तोप को उसकी गरमा गरम दीवार से बनी किले पर उसे पूरी तरह से अपनी गिरफ्त में लेने के लिए टीका दिया,,, जैसे ही अशोक की बीवी राजु के मोटे तगड़े लंड के मोटे सुपाडे को उसकी गरम बुर‌ के गुलाबी छेद पर महसूस कि वऐसे ही उसका पूरा बदन एकदम से कसमसा गई,,, राजू पूरी तरह से उसके ऊपर छाने के लिए तैयार हो चुका थाचांदनी रात थी और ऊपर से लालटेन की रोशनी में सब कुछ नजर आ रहा था बगल में ही उसका पति लेटा हुआ था उसकी बिल्कुल भी चिंता ना करते हुए राजू अपनी मंजिल की तरफ आगे बढ़ रहा था,,,अशोक की बीवी के मन में आशंका थी इसलिए अपनी नजरों को ठीक अपनी दोनों टांगों के बीच टीकाए हुए थी,,,,।

राजू धीरे-धीरे अपने सुपाड़े को उसकी गुलाबी बुर के छेद में डालना शुरू कर दिया,,, उसकी बुर पहले से ही पनीयाई हुई थी और ऊपर से राजू ने ढेर सारा थूक उस पर चुपड़ दीया था,,, इसलिए राजू को ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ी और धीरे-धीरे उसका मोटा लंड बुर के अंदर सरकना शुरू कर दिया,,,लेकिन अभी तक अपने पति का पतला और हमारी ओर से अपनी बुर में लेती आ रही थी

इसलिए अशोक की बीवी को थोड़ा बहुत दर्द का अहसास हो रहा था,,,, लेकिन मजा भी बहुत आ रहा था,,,,

दर्द और मस्ती का मिलाजुला मिश्रण अशोक की बीवी के चेहरे पर देखने को मिल रहा था,,।उसका मुंह आश्चर्य से खुला का खुला था और वह अभी भी अपनी दोनों टांगों के बीच देख रही थी उसके गुलाबी छेद में राजू का पूरा लंड घुस गया था अशोक की बीवी को बिल्कुल भी यकीन नहीं हो रहा था कितना मोटा तगड़ा लंबा लंड उसकी बुर की गहराई में कहीं खो गया था,,,, राजू अशोक की बीवी की तरफ देख कर मुस्कुरा रहा था वह पूरी तरह से तेजी था और अपने हथौड़े को गरम हो चुके लोहे पर पटकने के लिए तैयार था और धीरे-धीरे वह अपनी कमर को आगे पीछे करके हीलाना शुरू कर दिया जैसे-जैसे राजू का मोटा तगड़ा लंबा लंड बुर की अंदर की दीवारों को रगडते हुए अंदर बाहर हो रही थी उसी से अशोक की बीवी का और पानी निकल रहा था,,, उसे मजा आ रहा था,,,।राजू कुछ ही देर में अपनी रफ्तार पकड़ लिया था और अशोक की बीवी को हुमच हुमच कर चोद रहा था,,,।


अशोक की बीवी पूरी तरह से मस्ती के सागर में गोते लगाती हुई नजर आ रही थी वह पूरी तरह से मदहोश हो चुकी थी इस तरह का सुख उसने कभी प्राप्त नहीं की थी अपने आप से ही मन में बोली,,, बाप रे क्या इस तरह से भी चुदाई होती है,,, लेकिन औरत और मर्द के बीच में इस तरह के संबंध के बारे में जहां तक वह सोच सकती थी वहां से आगे राजु उसे एक नई दुनिया में लेकर जा रहा था,,,।

बड़े आराम से लेकिन रगड़ कर राजू का नंद अशोक की बीवी की बुर में अंदर बाहर हो रहा था एक अद्भुत सुख की परिभाषा से आज राजू उसे अवगत करा रहा था,,, बुर पुरी तरह से पनियाई हुई थी इसलिए किसी भी प्रकार की दिक्कत नहीं आ रही थी,,, राजू हर धक्के के साथ अशोक की बीवी की आहहह निकाल दे रहा था वह इतनी जोर जोर से धक्के मार रहा था कि ऐसा लग रहा था कि वह अपने लंड के साथ-साथ अपने अस्तित्व को भी उसकी बुर की गहराई में घुसेड देगा,,, खटीया से चरर चरर की आवाज आ रही थी साथ ही पूरे वातावरण में अशोक की बीवी की गरमा गरम सिसकारियां गुंज रही थी बगल में ही उसका पति लेटा हुआ था लेकिन उसे होश कहां था अगर होश में होता तो शायद आज उसकी बीवी राजू से ना चुद रही होती,,,।
राजू को अशोक की बीवी की चुदाई करने में बहुत मजा आ रहा था क्योंकि उसकी बुर एकदम संकरी थी इसलिए उसमे लंड डालने मे राजु को अद्भुत सुख की प्राप्ति हो रही थी,,,
देखते ही देखते अशोक की बीवी की सांसे और तेज चलने लगी राजू समझ गया कि वह चरम सुख के बेहद करीब है और वह उसे अपनी बाहों में कस लिया और अपनी कमर को जोर-जोर से कराना शुरू कर दिया क्योंकि वह भी बेहद करीब था झढ़ने में,,, और देखते ही देखते 15 20 धक्कों में दोनों का गर्म लावा फूट पड़ा,,, अशोक की बीवी पूरी तरह से तृप्त हो गई राजू के लंड से निकला गर्म लावा का फव्वारा इतना तेज था कि अशोक की बीवी को अपनी बच्चेदानी पर उसकी पिचकारी महसूस हो रही थी जिससे वह पूरी तरह से गदगद हुए जा रही थी इस तरह का एहसास उसके पति ने कभी नहीं कराया,,,।


दूसरी तरफ हो गया अपनी बीवी के गहरी नींद में सो जाने के बाद अपने कमरे से निकलकर दरवाजे पर बाहर से सिटकनी लगा दिया था और अपनी छोटी बहन के कमरे में घुस गया था जहां पर गुलाबी उसका बेसब्री से इंतजार कर रही थी और हरिया आज की रात इत्मीनान से अपनी बहन की चुदाई करना चाहता था इसलिए धीरे धीरे एक एक करके उसके बदन से सारे कपड़े उतार कर उसे नंगी कर दिया था,,।
 
Member
437
722
93
राजू के चेहरे पर अद्भुत विजई मुस्कान थी और अशोक की बीवी के चेहरे पर संतुष्टि भरा एहसास दोनों पूरी तरह से तृप्त हो चुके थे,,, राजू उसके ऊपर ही पसर गया था,,, दोनों संतुष्टि का अहसास करते हुए गहरी गहरी सांसे ले रहे थे,,,, राजू की संभोग गाथा में आज एक और पराक्रम जुड़ गया था,,, किसी गैर मर्द के साथ अशोक की बीवी का यह पहला संभव था तभी तो उसे इस बात का अहसास हुआ कि असली चुदाई किसे कहते हैं अब तक उसका पति सिर्फ उसके साथ खेल खेलता आ रहा था,,,,,, मोटे तगड़े लंबे लंड से चुदाई किस प्रकार से तृप्ति का एहसास दिलाती है यह अब उसे भली-भांति एहसास होने लगा था,,, बुर की अंदरूनी दीवारो की रगड़ एक मोटे तगड़े लंड की वजह से किस कदर अद्भुत होती है इस एहसास को भी वह पहली बार महसूस की थी,,,, तभी तो वह एकदम पानी पानी हो गई थी,,,,,।

राजू उसकी बड़ी बड़ी चूचियों पर सर रखकर गहरी सांसे ले रहा था और अशोक की बीवी भी गहरी गहरी सांस ले रही थी जिसकी वजह से उसकी छातियों का उठना बैठना लगातार जारी था और यह एहसास राजू को और ज्यादा गदगद किए जा रहा था,,,,,,,, कुछ देर बाद एकदम शांति सी छा गई चारों तरफ सन्नाटा फैला हुआ था केवल उन दोनों की गहरी गहरी सांसो की ही ध्वनि सुनाई दे रही थी,,,, राजू का लंड अशोक की बीवी की बुर से बाहर निकल चुका था लेकिन उसके ऊपर लेटने की वजह से उसका मोटा तगड़ा लंड हल्के से ढीलेपन के साथ उसकी दोनों जांघों के बीच आराम कर रहा था,,,,,, राजू बहुत खुश था,, क्योंकि अशोक की खूबसूरत बीवी जो उसे चोदने को मिल गई थी,,,। वह उसपर लेटे हुए ही बोला,,,,।

आंखे खोलो रानी,,,,(इतना कहने के साथ ही वह हल्के से उसके रसीले होठों का चुंबन ले लिया,,,, और वह एकदम से सिहर उठी,,,,वह अभी भी गहरी गहरी सांसे ले रही थी और सांसो की लय के साथ उसकी उठती बैठती गोल गोल चूचियां राजू के सीने पर अपनी गोलाईयों का एहसास करा रही थी,,,) इतना क्यों शर्माना भाभी,,, अब तो शर्म का पर्दा पूरी तरह से हट गया है तुम नंगी हो मैं नंगा हूं और अभी अभी तुम्हारी बुर में अपना लंड डालकर तुम्हारी चुदाई कीया हुं,,,,फिर अब क्यों शर्मा रही हो,,,, मेरी रानी,,,(राजू जानबूझकर अशोक की बीवी से इस तरह की गंदी बातें कर रहा था,,,,,वह नहीं चाहता था कि पहली चुदाई में ही वह थक कर सो जाए बड़ी मुश्किल से आज की रात मौका मिला था,,,, इस मौके को ईस चांदनी रात को राजु ऐसे ही जाया नहीं होने देना चाहता था,,, इस रात को और ज्यादा रंगीन बनाना चाहता था इसलिए वह गंदी गंदी बातें कर रहा था,,,। और उसकी इस तरह की बातों को सुनकर अशोक की बीवी मचल रही थी,,,।,,राजू की गरम बातें उसे और ज्यादा गर्म कर रही थी हालांकि अभी अभी उसकी जवानी की गर्मी राजु ने शांत किया था,,, लेकिन इस तरह की बातों को सुनकर उसके तन बदन में एक बार फिर से हलचल सी होने लगी,,,,


अब क्यों शर्मा रही हो भाभी,,,


शरंम तो आएगी ही ना बबुआ,,,,


नहीं आना तो नहीं चाहिए,,, क्योंकि अभी अभी बेशर्म बनकर तो चुदवाई हो,,,,
(राजू की यह बात सुनकर अशोक की बीवी शर्म से पानी पानी होने लगी क्योंकि राजू की बात एक दम सही थी,, वह वास्तव में बेशर्म बनकर एक अनजान जवान लड़के के साथ संभोग का सुख प्राप्त की थी,,, वासना की आग में वह पूरी तरह से झुलस रही थी जिसके कारण उसकी आंखों पर मदहोशी की पट्टी चढ गई थी,,, जिससे उसे यह‌ भी भान नहीं रहा की ,, बगल में ही उसका पति लेटा हुआ है भले ही नशे की हालत में बेसुध था लेकिन उसके करीब तो था लेकिन फिर भी बदन की आग को शांत करने के लिए अशोक की बीवी ने अपनी पति के मौजूदगी का भी लिहाज नहीं की और एक अनजान जवान लड़के के साथ हमबिस्तर होते हैं उसके साथ संभोग सुख की आनंद की प्राप्ति कर ली लेकिन इस बात से वह अच्छी तरह से वाकिफ की थी उसका यह कदम उसे स्त्री सुख से भलीभांति वाकिफ भी करायावरना उसके पति के साथ तो उसे स्त्री सुख की संतुष्टि क्या है इस बात का बिल्कुल भी एहसास तक नहीं था मर्द की मर्दानगी क्या होती है इस बारे में वह समझ ही नहीं पाई थी राजू से मिलने के बाद उसे वास्तविक स्त्री सुख और संतुष्टि का अहसास हुआ,,,, जिसके बारे में सोच करो वहां अपने द्वारा उठाए गए इस कदम का पूरी तरह से समर्थन भी कर रही थी,,,।

अशोक की बीवी को राजू अपनी बातों से बहला रहा था बीच-बीच में उसके लाल-लाल होठों का चुंबन भी कर रहा था,,, और साथ ही कभी-कभी अपनी हथेलियों में उसकी चूची को लेकर दबा भी दे रहा था,,,। जिससे अशोक की बीवी को एक बार फिर से आनंद की अनुभूति होने लगी थी अभी अभी वह अपनी गर्मी अपनी बुक की संकरी दीवारों से बाहर निकाली थी और एक बार फिर से उसमे उबाल आना शुरू हो गया था,,,,, राजू यह चाहता था कि उसे नींद ना आए वह उसे जगाना चाहता था क्योंकि वह जानता था अगर एक बार की चुदाई के बाद उसे नींद आ गई तो फिर चुदाई में मजा नहीं आएगा,,, इसलिए वह बार-बार उसकी चूची को जोर जोर से दबा दे रहा था

ताकि वह सो नहीं जाए,,, राजू की अवधारणा बिल्कुल ही गलत थी जवानी के सुख को पहली बार में बोल रही थी ऐसे में नींद तो दूर की बात है झपकि भी नहीं आ सकती थी,,, वह तो राजू की हरकतों का मजा ले रही थी,,,।

क्यों भाभी मजा आया ना,,,

(अशोक की बीवी बोली कुछ नहीं बस हां में सिर हिला दी उसके चेहरे पर शर्म की लाली साफ नजर आ रही थी,,,राजू को उसका जवाब मिल गया था लेकिन वह उसके मुंह से सुनना चाहता था इसलिए फिर से बोला)


ऐसे नहीं भाभी बोल कर बताओ,,ना,,,। मजा आया कि नहीं,,,,


बहुत मजा आया,,,(शर्म के मारे अपनी नजरों को दूसरी तरफ घुमाते हुए बोली,,)

चाचा से मेरा लंड ज्यादा मोटा और लंबा था ना,,,।

हां,,,(वह शरमाते हुए बोली,,वह अच्छी तरह से जानती थी कि झूठ बोलने में कोई मजा नहीं है क्योंकि उसके पति की हालत को देखकर कोई भी समझ सकता था कि उसके अंदर कितनी मर्दानगी भरी हुई है,,, और राजू लगातार उसके बदन से फिर से खेलना शुरू कर दिया था,उसकी गोल गोल चुचियों को दबाते हुए राजू फिर से उत्तेजित हो रहा था और साथ ही अशोक की बीवी को भी गर्म कर रहा था,,, और इसी तरह से गंदी बातों को जारी रखते हुए बोला)


भाभी तुम्हारी बुर में तो महसूस हो रहा था ना,, मेरा लंड जब अंदर रगड़ रगड़ कर जा रहा था,,,।
(राजू के इस सवाल पर वह एकदम से सिहर उठी थी,,, क्योंकि उसे वहां पर याद आ गया था जब राजू अपने मोटे लंड को उसकी बुर की अंदरूनी दीवारों में रगड़ रगड़ कर उसे पेल रहा था,,,,,,अशोक की बीवी के चेहरे पर राजू की गरम गरम बातें और उसकी हरकत ने एक बार फिर से असर दिखाना शुरू कर दिया था उसके चेहरे की लाली मां बता रही थी कि फिर से वह तैयार हो रही थी,,,,,, लेकिन आप राजू के वजन से वह कसमसा रही थी और उसे एक बार फिर से जोड़ों की पेशाब लगी हुई थी,,,यह शायद संभोग की अद्भुत तृप्ति का एहसास की वजह से ही था कि उसे इतनी जल्दी फिर से पेशाब लग गई थी,,,, वह राजू के सवाल का जवाब दिए बिना हीं बोली,,,,,,)

चल अब हट जा बबुआ उठने दे मुझे,,,,( वह उठने की कोशिश करते हुए बोली,,,)

नहीं भाभी,,, अभी तो खेल शुरू हुआ है सारी रात तुम्हारी चुदाई करना चाहता हूं,,, क्योंकि तुम्हारी बुर बहुत कसी हुई है,,,,
(राजू की बातों को सुनकर अशोक की बीवी को मजा आ रहा था लेकिन फिर भी वह राजू को अपने ऊपर से हटाने की कोशिश करती हुई बोली,,,)

चल हट जा बबुआ,,,, अब कसी हुई नहीं है,,, तेरे नाप की हो गई है,,,


हाय मेरी रानी यह क्या बोल दि,, तुमने,,अब, तो दुबारा डालने का मन कर रहा है,,,,।
(राजू की बातों को सुनकर अशोक की बीवी हैरान थी,,, क्योंकि वह उसे फिर से चोदने की बात कर रहा था और जहां तक उसका ख्याल था कि उसका पति एक बार थोड़ी ही देर में झड़ भी जाता था और गहरी नींद में सो भी जाता था,,, उसके साथ आज तक ऐसा नहीं हुआ था कि दोबारा उसके पति ने उसके चुदाई किया हो और दोबारा वह कभी अपने पति के लंड को खड़ा होते नहीं देखी थी,,,,, इसलिए वह आश्चर्य जताते हुए बोली,,,)

फिर से,,,!


तो क्या मेरी रानी एक बार में तुमसे मेरा मन भरने वाला थोड़ी है,,, तुम चीज ही कुछ ऐसी हो,,,
(राजू की बातों को सुनकर अशोक की बीवी की सांसे गहरी चलने लगी थी फिर भी वह अपने आप को संभाल कर बोली)

उठने दे बबुआ मुझे,,,,


नहीं उठने दूंगा,,, तुम मुझे सारी रात दोगी कि नहीं,,,

अरे बबुआ यह कैसी बातें कर रहा है,,,, तुझे नींद नहीं आ रही है क्या,,,?


क्या भाभी जब खटिया पर इतनी खूबसूरत औरत नंगी लेटी हो तो वह बेवकूफ‌ ही होगा जिसे नींद आएगी,,,।


लेकिन यह तो तुरंत सो जाते हैं,,,


तभी तो भाभी तुम्हारा यह हाल है कि तुम्हारी बुर अभी भी कसी हुई है जो कि अच्छी बात तो है ही लेकिन तुम्हें कभी मर्दानगी का अहसास तक नहीं हुआ चुदाई क्या होती है यह बात तुम जान नहीं पाई,,, क्योंकि चाचा तुम्हारे लायक है ही नहीं तुम्हारे शरीर देखी हो तुम्हारा खूबसूरत बदन ऐसा लगता है कि जैसे कामदेव के लिए बनाई गई हो और चाचा मुझे नहीं लगता कि तुम्हारी चुदाई जी भर कर कर पाते होंगे दो-तीन धक्के में तो उनका निकल जाता होगा,,,, क्यों भाभी सच कह रहा हूं ना,,,।
(राजू की बातों में सच्चाई थी और अशोक की बीवी के पास छुपाने लायक कुछ भी नहीं था इसलिए वह राजू की बात पर सहमति दर्शाते हुए बोली,,,)

हां जैसा तुम कह रहे हो वैसा ही होता है,,,


तब तो भाभी आज तो तुम तो मस्त हो गई होगी,,,,।

(अशोक की बीवी को हां कहने में शर्म आ रही थी इसलिए मुस्कुराते हुए हां में सिर हिला दी,,,, उसकी हामी सुनते ही राजू एक बार फिर से उसके होठों का चुंबन करने लगा उसका लंड फिर से अपनी औकात में आ चुका था जो कि ठीक उसकी दोनों जांघों के बीच ठोकर मार रहा था और अशोक की बीवी पूरी तरह से मस्त होकर उस ठोकर को अपनी बुर के अंदर महसूस करना चाहती थी लेकिन इस समय उसे बड़े जोरों की पेशाब लगी हुई थी इसलिए थोड़ा जोर लगाकर राजू को अपने ऊपर से हटाते हुए बोली,,,)

बबुआ तुम्हें मैं कब से कह रही हूं कि मेरे ऊपर से हट जाओ मुझे पेशाब करने जाना है,,,


क्या भाभी अभी अभी तो करके आई हो कितना मुतोगी,,,।
(अशोक की बीवी को खटिया पर से उठ कर नीचे पैर रखकर खटिया से खड़े होते देख रहा था)


अरे अब जोरों की लगी है तो क्या करें,,,(नीचे गिरी साड़ी को उठाते हुए बोली)

चलो कोई बात नहीं लेकिन करोगी कहां,,,?(उसकी तनी हुई चूचियों की तरफ ललचाई नजरों से देखते हुए बोला,,,)


बाहर और कहां तुझे भी साथ में चलना होगा,, क्योंकि मुझे बाहर डर लगता है,,,(इतना कहने के साथ ही वह केवल साडी को कमर से बांघते लगी ,, यह देखकर तुरंत खटिया पर से उठ कर खड़ा हो गया और अशोक जी के हाथ से साड़ी लेकर उसे जमीन पर नीचे फेंकते हुए बोला,,)

मैं तुम्हारे साथ बाहर चलने के लिए तैयार हूं लेकिन तुम्हें बिना कपड़ों के एकदम नंगी होकर वहां चलना होगा,,,।

धत्,,,,,,यह क्या कह रहे हो,,बबुआ,,,, यह मुझसे नहीं होगा,,,,(वह उसी तरह से नग्न अवस्था में खडे हुए ही बोली,,,,, राजू उसके नंगे बदन को ही देख रहा था जो कि लालटेन की पीली रोशनी में सब कुछ साफ साफ नजर आ रहा था,,, राजू भी पूरी तरह से नंगा था,,, उसका लंड धीरे-धीरे खड़ा हो चुका था जिस पर अशोक की बीवी की नजर चली जा रही थी,,और वह उसके खड़े लंड को देख कर मस्त हुए जा रही थी,,, राजू ठीक उसके पीछे आकर खड़ा हो गया और उसे पीछे से अपनी बाहों में भरते हुए बोला,,,)

होगा मेरी रानी तुमसे ही होगा,,,,(इतना कहने के साथ ही वह उसके पीछे जाकर खड़ा हो गया और उसकी दोनों चूचियों को पकड़ कर दबाना शुरू कर दिया और साथ ही अपने खड़े लंड को उसकी नरम नरम गांड पर रगड़ना शुरू कर दिया,,,, अशोक की बीवी दोनों तरफ से पीसी जा रही थी ऊपर से भी राजू उसकी चुचियों से खेलता हुआ उसे मस्त कर रहा था और नीचे से अपने लंड को उसकी गांड पर रगड़ कर उसे फिर से मदहोशी के सागर में लिए जा रहा था,,,, लंड की रगड और स्तन मर्दन की मस्ती पाकर अशोक की बीवी पूरी तरह से गर्मा गई और अपनी आंखों को बंद करते हुए मदहोशी भरे स्वर में बोली ,,,)

ससहहहह ,,,, बबुआ यह क्या कर रहे हो मुझसे नहीं हो पाएगा,,,



हो जाएगा भाभी,,,(दोनों चुचियों को जोर-जोर से मसलते हुए अपने होठों को उसकी गर्दन पर रख कर चूमते हुए उसकी गर्मी को ज्यादा बढ़ाते हुए,,) यह काम सिर्फ तुम ही कर सकती हो सोचो कितना मजा आएगा तुम नंगी होकर घर से बाहर निकलेगी और वह भी एकदम रात में आधी रात में,,उफफफ,,, खुले में नंगी चलने का मजा ही कुछ और होता है,,,।
(राजू की हरकतों से अशोक की बीवी पूरी तरह से गर्म हो रही थी उसका भी मन नंगी होकर घूमने को कर रहा था,,, और वह राजु की बात मान गई,, और बोली,,,)


ठीक है बबुआ लेकिन कोई आ गया तो,,,,।(उसके मुंह से यह सुनते ही राजू खुश हो गया क्योंकि उसकी बात को सुनकर राजू समझ गया था कि यह उसकी बात मान गई है इसलिए उसे तसल्ली दिलाते हुए बोला,,)

कोई नहीं आएगा भाभी मुझ पर भरोसा रखो इतनी रात को यहां कौन आने वाला है,,,, बस अब चलो,,,,
(इतना कहने के साथ ही राजू उसे चलने के लिए बोल कर पीछे से उसकी कमर पकड़ कर उसे आगे की तरफ प्यार से धकेलते हुए उसे दरवाजे के पास ले जाने लगा,,, अब अशोक की बीवी के तन बदन में भी उन्माद चढने लगा था,,,इस समय वह अपने घर के आंगन में पूरी तरह से नंगी थी और राजू भी पूरी तरह से नंगा था,, आंगन में ही अशोक नशे की हालत में गहरी नींद में सो रहा था,,,, अशोक की बीवी आगे-आगे चल रही थी,,, और राजू तुरंत लालटेन को अपने हाथ में ले लिया था ताकि सब कुछ साफ नजर आए,,,।एक अजीब सी कसमसाहहट अशोक की बीवी के तन बदन को अपनी आगोश में लिए हुए थी,,,, यह उसका पहला अनुभव था जो बिना कपड़ों के घर से बाहर निकल रही थी और वह भी आधी रात में,,,उसके दिल की धड़कन तबले की थाप की तरह बज रही थी उसे इस बात का डर था कि कहीं कोई उसे देख ना ले,,,, वासना और मदहोशी में चोर कार्ड और उसके दिमाग से निकल चुका था राजू के मोटे तगड़े लंड को अपनी बुर में दे देने के बाद उसके अंदर एक अजीब सी मस्ती छाने लगी थी ,,, राजू का संग पाते ही उसका भोलापन धीरे-धीरे दूर होने लगा था उसे भी अब एक मर्द के साथ मजे करने में दिलचस्पी आने लगी थी तभी तो वहां राजू की बात मानते हुए बिना कपड़ों के ही घर से बाहर निकल रही थी,,,। दरवाजे की कुंडी को खोल कर अशोक की बीवी ने दरवाजे को हल्के हाथों से पकड़ कर अंदर की तरफ खींची दरवाजा खुल गया बाहर पूरी तरह से सन्नाटा छाया हुआ था,,, समय चक्र को अंधेरा अपनी आगोश में लिए हुए बैठा था और अशोक की खूबसूरत नव युवा बीवी,,,बाहर चारों तरफ देखकर अपने एक कदम को दहलीज पर रख दी थी और ऐसा करने से उसकी गोल गोल गांड का घेराव अद्भुत आकर्षण के लिए हुए बाहर की तरफ उभर आया था जिसे लालटेन के पीली रोशनी में देखकर राजू के तन बदन में उत्तेजना का प्रसार बड़ी तेजी से होने लगा और उसकी मदद की जवानी को देखकर राजू का लंड सलामी देते

हुए ऊपर नीचे होने लगा,,,,, एक बार उसको भोग लेने के बाद भी उसके अंगों के मरोड़ को देख कर उसके मुंह में पानी आ रहा था,,,,मन तो उसका कर रहा था कि घर की दहलीज पर ही उसकी कमर थाम कर पीछे से अपने लंड को उसकी बुर में डालकर उसकी चुदाई कर दे,,,, लेकिन आज उसका मन उसको पूरी तरह से नंगी होकर घर के बाहर बैठकर पेशाब करते हुए देखने के लिए में चल रहा था इसलिए वह अपने आप को संभाल ले गया,,।

अशोक की बीवी अभी भी दहलीज पर पैर रखकर चारों तरफ बड़ी तसल्ली के साथ देख रही थी तो खुद ही राजू पीछे से बोला,,,।

चलो रानी इतनी रात को कोई नहीं आएगा,,,,।
(और राजु की बात सुनते ही अशोक की बीवी घर से बाहर निकल गई,,, कदम को होले होले जमीन पर रखते हुए उसके नितंबों पर जो थिरकन हो रही थी उसे देखकर राजू के सब्र का बांध टूटता जा रहा था,,,, लेकिन बड़ी मुश्किल से हूं अपने आप पर काबू किए हुए था देखते ही देखते अशोक की बीवी घर के बाहर घने पेड़ के नीचे झाडीयों के पास पहुंच गई,,,चांदनी रात होने के बावजूद भी घने पेड़ के छांव में चांदनी की रोशनी नहीं पहुंच पा रही थी इसलिए चारों तरफ अंधेरा ही अंधेरा था लेकिन राजू के हाथ में लालटेन होने की वजह से राजू को सब कुछ साफ साफ नजर आ रहा था और यही उसकी खुशनसीबी भी थी,,,।
अशोक की बीवी के बदन की भाषा को देखकर राजू समझ गया था कि वह मुतने वाली है,,, इसलिेए राजू पीछे से बोला,,,।

बैठ जाओ रानी कोई दिक्कत नहीं है,,,,।

(वासना और मदहोशी क्या हाल है अशोक जी को राजु के मुंह से निकले हुए हर एक शब्द नशीले लग रहे थे जो कि उसके दिलो दिमाग को , अपने काबू में किए हुए थे,,,अशोक की बीवी को पेशाब की तीव्रता बड़ी तेजी से महसूस हो रही थी इसलिए वह तुरंत नीचे बैठ गई और अपनी गुलाबी बुर के गुलाबी छेद में से पेशाब की धार को बाहर मारने लगी,,, एक बार राजू के लंड को अपनी बुर में ले लेने के बाद अशोक की बीवी के मनसे धीरे-धीरे शर्म दूर होने लगी थी वह जानती थी किपीछे खड़ा राजे उसके नंगे बदन को देख रहा होगा उसकी गांड को देख रहा होगा लेकिन अब उसके में कोई भी चेक नहीं थी इस बात को लेकर अब वह तो खुद चाहती थी कि राजू प्यासी नजरों से उसके बदन के हर कोने को देखें,,,,।

रात के सन्नाटे में अशोक की बीवी की बुर के गुलाबी छेद से निकल रहे पेशाब की धार की आवाज वातावरण के सन्नाटे में पूरी तरह से खुल जा रही थी और एक मादक वातावरण का एहसास करा रही थी जिसमें राजू पूरी तरह से डूबता चला जा रहा था,,,, राजू से बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं हुआ और वह लालटेन को पेड़ की एक छोटी सी टहनी में टांग दिया और मोटे डंडे को कोई पेड़ के सहारे खड़ा करके ठीक अशोक की बीवी के पीछे बैठ गया,,,, और एकदम से सट गया ऐसा करने से गुलाबी के भजन में हलचल सी मच गई,,, वह एकदम से सिहर उठी उत्तेजना के मारे उसका रोम-रोम खिल उठा,,,,राजू अपनी हरकत को अंजाम देते हुए अपने हाथ को नीचे की तरफ ना यार अपने लंड को पकड़ कर उसकी गोल गोल गांड के आगे उसकी बुर की तरफ कर दिया राजू का लंड को ज्यादा बढ़ा थे इसलिए बड़े आराम से उसके गुलाबी करके छोड़ तक पहुंच गया था जिसमें से अभी भी पेशाब की धार बाहर निकल रही थी,,,।
राजू की गर्म सांसे अशोक की बीवी के गर्दन को मदहोशी और उन्माद प्रदान कर रही थी जिसे अशोक की बीवी के तन बदन में आग लगी जा रही थी एक बार फिर से उसका मन चुदवाने को कर रहा था,,,,।

रांची अपने लंड की लंबाई का पूरा सेट करते हुए अपने लंड को उसकी जड़ से पकड़ कर उसे ऊपर नीचे करके हिलाने लगा जिससे उसके लंड का आलू बुखारा जैसा सुपाड़ाउसकी बुर पर लगने लगा और साथ ही उसके बुर से निकले अमृत के धार में लंड का सुपाड़ा भीजने लगा ,,, एक असीम सुख दोनों को मिलने लगा अशोक की बीवी कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि एक अनजान लड़के के साथ हुआ इस कदर मस्ती का लुफ्त उठाएगी,,, जवानी का मजा तो उसे राजू के साथ ही आ रहा था राजू उत्तेजना में अपने फ्रेंड को जोर-जोर से उसके गुलाबी छेद पर मरने लगा था जिससे गुलाबी के तन बदन में आग लग रही थी और वह लगातार मुते जा रही थी,,, राजू के लंड का सुपाड़ा पूरी तरह से उसके पेशाब में भीग गया था,,, और यह अनुभव राजू को और ज्यादा उत्तेजित कर रही थी,,,,,, अपने लंड को उसकी बुर पर मारते हुए राजू बोला,,,।

अब कैसा लग रहा है मेरी रानी,,,।

सहहहहहह ,,, बबुआ अब कुछ मत मुझे तो ना जाने क्या हो रहा है ऐसा सुख मैंने कभी नहीं पाई हूं,,,सहहहहह,,आहहहहह,,,


मैं जानता था मेरी रानी तुम्हें संपूर्ण सुख सिर्फ मैं ही दे सकता हूं,,,,,,।(ऐसा कहते हुए राजू अपने लंड के सुपाड़े को उसके बुलाती छेद पर रगड़ने लगाजिससे गुलाबी के तन बदन में मस्ती की लहर उठने लगी उसका मन राजू को अपनी बुर में लेने के लिए तडपने लगा,,, वह कसमसा रही थी हल्के हल्के ऊपर नीचे हो रही थी उसकी कसमाहट देखकर राजू समझ गया कि वह पूरी तरह से तैयार हो चुकी है एक बार फिर से उसके लंड को अपनी बुर में

लेने के लिए,,,। और राजू उसे थोड़ा और ज्यादा तडपाने के उद्देश्य से,,, वह भी मुतना शुरू कर दियालेकिन अपने पेशाब की धार को उसके गुलाबी छेद पर मार रहा था,,, और जैसे ही उसके पेशाब की धार उसको अपनी बुर् के गुलाबी छेद पर महसूस हुई वह एकदम से मचल उठी,,।


सहहहहहह ,,, आहहहहहहह,,,,बबुआआआआ,,,,,ऊहहहहह,,,,,


क्या हुआ रानी,,,,


यह क्या कर रहे हो बबुआ,,,,(मदहोशी भरे स्वर में बोली)

तुम्हारी बुर को और ज्यादा रसीला बना रहा हूं,,,,।


सहहहह आहहहहहहहहह,, मेरा अंग अंग टूट रहा है,,,,


मैं इलाज जानता हूं,,,, मेरी रानी,,,,


तो करो ना बबुआ तड़पा क्यों रहे हो,,,,।

ओहहहह मेरी रानी मैं अभी तुम्हारी तडप को दूर कर देता हूं,,,(इतना कहते हुए राजू पेशाब करने के तुरंत बाद अपने लंड के सुपाड़े को बैठे-बैठे हीउसकी पुर के छेद पर रख कर उसे अंदर डालने की कोशिश करने लगा,,,,लेकिन इस तरह से आराम से जा नहीं रहा था लेकिन फिर भी राजू कोशिश में लगा हुआ था और अशोक की बीवी थी कि तड़प रही थी उसे रहा नहीं जा रहा था इसलिए वह खुद ही थोड़ा सा अपनी गांड को ऊपर की तरफ उठा दीअभी भी वह बैठी हुई मुद्रा में ही थी बस 5 अंगुल ही गांड को उसने ऊपर उठाई थी ताकि वह राजू के लंड को अपनी बुर में आराम से ले सके,,, और उसकी यह सहकार की भावना रंग लाने लगी राजू का लंड एक बार फिर से गुलाबी बुर के छेद में था,,,, और राजू अशोक की बीवी की कमर को थाम लिया,,,,।
यह आसन राजू के लिए बिल्कुल ही नया था,,,एक नया अनुभव के साथ वह अशोक की बीवी की चुदाई करने जा रहा था,,, जिसमें अशोक की बीवी की पूर्ण रूप से सहमती थी,,,,

देखते ही देखते राजू का पूरा का पूरा लंड अशोक की बीवी की बुर में समा गया,,,, अशोक की बीवी पूरी तरह से हैरान हो गई थी इस तरह से भी चुदाई की जाती है उसे आज पता चल रहा था,,,, राजू नीचे से धक्के लगाने लगा अपनी कमर को हिलाना शुरू कर दिया बैठे बैठे ही अपनी कमर को हिलाने में उसे बहुत मजा आ रहा था,,,,,,इस अवस्था में बड़े आराम से राजू अशोक की बीवी की चुदाई कर रहा था,,,।

अजीब सा माहौल बना हुआ था बेहद अद्भुत मादकता से भरा हुआ,,, चांदनी रात में भी पेड़ के नीचे घनी झाड़ियों के बीच लालटेन की पीली रोशनी में,,,, शीतल हवा के झोंकों का आनंद लेते हुए राजू अशोक की बीवी की चुदाई कर रहा था और राजू की बीवी पूरी तरह से मस्त हुए जा रही थी,,, वह अभी भी अपनी गांड को हवा में लटकाए हुए चुदवा रही थी,,,। राजूकभी उसकी कमर को तो कभी उसकी गोल-गोल कांड को जैसे उसे सुविधाजनक लग रहा थावैसे वासु की बीवी की चुदाई कर रहा था लेकिन मोटा लंबा लंड बड़े आराम से उसकी गुलाबी बुर के छेद में अंदर बाहर हो रहा था,,,,


अब तो डर लग नहीं रहा है ना भाभी,,,।


सहहहह नही बबुआ तुम्हारे होते हुए मुझे बिल्कुल भी डर नहीं लग रहा है,,,,


कितना मजा आ रहा है ना खुले में चुदवाने में,,,,


बहुत मजा आ रहा है बबुआ मुझे तो पहले डर लग रहा था लेकिन अब मुझे इतना मजा आ रहा है कि पूछो मत,,,,।

मेरा साथ दोगी तो इसी तरह से मजा पाओगी,,,


तो आ जाया कर बबुआ उनको छोड़ने के बहाने,,,,


ओहहहह मेरी रानी तू कितनी अच्छी हो,,,,(इतना कहने के साथ ही वह थोड़ा सा जहमत अशोक की बीवी को देते हुए उसकी कमर को थाम कर उसे ऊपर नीचे करने लगा भोली भाली अशोक की बीवी राजू के संगत में उसके इशारे को समझ गई थी और वह खुद ही अपने गांव को पर नीचे करके राजू के लंड को अपने बुर के अंदर बाहर लेने लगी थी,,,, थोड़ी देर बाद जब इसी तरह से अपनी गांड उठाए हुए अशोक की बीवी को दर्द करने लगा तो वह बोली,,,।


ओहहहह बबुआ,,,, गांड उठाए उठाए दर्द करने लगा,,,


कोई बात नहीं भाभी,,,,,(इतना कहने के साथ ही राजू अपने लंड को अशोक की बीवी की बुर में डाले हुए ही,,, उठने लगा,,, और उसे भी उठाने लगा दोनों खड़े हो गए थे लेकिन अभी भी राजू का लंड उसकी बुर के अंदर था,,, राजू अशोक की बीवी की कमर पकड़े हुए हीउसे जाकर पेड़ की डाली पकड़ने के लिए बोला और उसकी कमर को अपने से एकदम सटाए रखा क्योंकि यह आसन एकदम सटीक था उसकी जबरदस्ती चुदाई करने के लिए,,, लालटेन की पीली रोशनी में सब कुछ साफ नजर आ रहा थाअगर दो कोई खड़ा होता तो उसे भी है नजारा देखने को मिल जाता लेकिन राजू जानता था कि आधी रात के बाद गांव से बाहर कोई बिना काम के निकलता नहीं,, है इसलिए वह पूरी तरह से निश्चिंत था,,,,,,।


अब देखना मेरी जान कितना मजा आता है,,,,।(और इतना कहने के साथ ही राजू अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया,,,उसका मोटा तगड़ा लंड चपचप की आवाज करते हुए अंदर बाहर होने लगा,,,अशोक की बीवी मदहोश होने जा रही थी क्योंकि इस तरह के आसन से राजू का लंड बड़े आराम से उसके बच्चेदानी तक पहुंच रहा था और उस पर ठोकर मार रहा था जब जब उसके दर्द की ठोकर से अपने बच्चेदानी का महसूस होती है पूरी तरह से सिहर जाती और उत्तेजना के मारे अपनी गांड को आगे की तरफ सिकोड ले रही ही थीऔर राजू उसकी

कमर को कस के काम कर उसे अपनी तरफ खींच ले रहा था यह खींचातानी तब तक चलती रही जब तक राजू उसे झाड़ने के बाद खुद नहीं झड़ गया,,,, दोनों झड़ चुके थे राजू अपने लंड की पिचकारी उसकी बुर के अंदर उसके बच्चेदानी पर मारा था और अशोक की बीवी को यह साफ महसूस हो रहा था इसलिए वह पूरी तरह से गदगद हुए जा रही थी,,,।

थोड़ी ही देर में अपना पूरा गर्म लावा उसकी बुर में गार देने के बादराजू अपने लंड को उसके गुलाबी छेद से बाहर निकाला जो कि अभी भी पूरी तरह से खड़ा था,,, अशोक की बीवी भी गहरी गहरी सांस लेते हुएआहिस्ता आहिस्ता खड़ी हुई और एक नजर अपनी दोनों टांगों के बीच की पत्नी दरार पर डाली तो शर्म से पानी पानी होने लगी,,,, यह देखकर राजू उससे बोला,,,।


अब कैसा लग रहा है भाभी,,,

(अशोक की बीवी एक कदम चलते हुए बोली)

दैयारे तूने कैसा हालत कर दिया है ठीक से चला भी नहीं जा रहा है,,,


कोई बात नहीं भाभी मैं तुम्हें अपनी गोद में उठा कर ले जाऊंगा,,,।


उठा लोगे मुझे,,,

हां क्यों नहीं एकदम आराम से,,,


अरे रहने दो बबुआ कमर की नस खिंचा गई तो हमें ही दोष देते रहोगे,,,,


अरे कुछ नहीं भाभी मेरे लिए कोई बड़ी बात नहीं है बड़े आराम से तुम्हें उठा दूंगा तुम्हें एक कदम भी चलने की जरूरत नहीं है,,,,।

(राजू की बातों को सुनकर अशोक की बीवी को मजा आ रहा था और वह भी अंदर से यही चाह रही थी कि राजू से अपनी गोद में उठाकर अंदर तक ले जाए और इसी बहाने वह उसकी बाहर की भी ताकत को देख लेना चाहती थी अब तक तो अंदरूनी ताकत से वह पूरी तरह से वाकिफ हो चुकी थी,,,, वह अभी बोल ही रही थी कि राजू आगे बढ़ा और एक झटके से उसे अपनी गोद में उठा लिया वह इतनी आराम से और इतनी जल्दबाजी में उठाया था कि इस बात का आभास अशोक की बीवी को बिल्कुल भी नहीं हुआ और एकदम सेवट वह चौक गई,,

अरे अरे संभाल कर संभाल कर बबुआ,,,,,


कोई बात नहीं मेरी जान तुम तो मुझे एकदम रुई जैसी हल्की लग रही हो,,,


क्या हम एकदम रुई की तरह है बिल्कुल भी वजन हमारा नहीं है,,,,


होगा दूसरों के लिए लेकिन मेरे लिए तो तुम एकदम गुलाब का फूल हो,,(राजू कि इस तरह के चिकनी चुपड़ी बातें सुनकर अशोक की बीवी शर्मा गई,,,, और राजू मुस्कुराते हुए,,,उसे गोद में उठाए हुए थोड़ा सा नीचे झुका और लालटेन को अपने हाथ में ले लिया और एक हाथ में डंडे को ले लिया लेकिन फिर भी वह बड़े आराम से अशोक की बीवी को उठाए हुए,,,था,,, अशोक की बीवी का खूबसूरत बदन एकदम नरम नरम मखमल की तरह था,,, जिसे अपनी गोद में उठाए हुए राजू के तन बदन में हलचल सी मच रही थी,,, चुदाई करने के बाद थोड़ा सा ढीला होकर राजू का लंड अशोक की बीवी की बुर में से बाहर निकला था लेकिन उसे गोद में उठाते ही एक बार फिर से उसके घंटे में जाना गई थी और फिर से एकदम कड़क हो गया था जो कि अशोक की बीवी को उसकी कमर पर रगडता हुआ महसूस हो रहा था,,,लंड की रगड़ अपनी कमर और पीठ पर महसूस करते हैं अशोक की बीवी के तन बदन में उत्साह फैलने लगा,,,, और वह बोली,,,।

बबुआ तुम्हारा तो अभी भी खडा है,,,।

तो क्या भाभी रात भर अगर तुम्हें पेलु फिर भी यह ढीला नहीं होगा,,, और चाचा का,,,


उनका तो तुरंत ढीला हो जाता है,,,


तभी तो मेरी जान इतनी खूबसूरत होने के बावजूद भी चुदाई का मजा नहीं ले पाई थी,,,


तुम सच कह रहे हो बबुआ,,,,।
(अशोक की बीवी हैरान थी राजू की ताकत को देखकर वह बड़े आराम से उसे गोद में उठाए चल रहा था और अभी भी उसका लंड पूरी तरह से खड़ा था,,,,,,जबकि उसके पति का लंड तो थोड़ी ही देर में टांय टायं फिश हो जाता था,,, देखते ही देखते राजु घर में प्रवेश किया और उसे खटिया पर पीठ के बल लिटा दीया,,,,,, अशोक की बीवी पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी पहली बार उसे चुदाई का असली सुख प्राप्त हो रहा था,,,,इसलिए उसे बिल्कुल भी शर्म नहीं आ रही थी कि पास में ही खटिया पर उसका पति नशे की हालत में बेहोश पड़ा था और उसके नशे में होने का पूरा फायदा उठाते हुए वह एक अनजान जवान लड़के से संभोग का चरम सुख प्राप्त कर रही थी,,,,,, राजू भी खटिया पर बैठ गया,,,और अशोक की बीवी पीठ के बल लेटे हुए थी,,, राजू चुटकी लेने के उद्देश्य से पास में ही सोए अशोक को बोला,,,।


अरे चाचा कैसे नशे की हालत में रहोगे तो कोई घर का खजाना लूट जाएगा,,, जैसे मैं लूट रहा हूं,,,।
( उसकी बातों को सुनकर उसकी बीवी के चेहरे पर मुस्कान तेरी लगी,,,, अगर और कोई समय होता है तो शायद वहराजू की आवाज सुनकर उसके पति के उठने का डर होता है लेकिन वह जानती थी कि सुबह से पहले बिना उसके जगाए,, वह उठने वाला नहीं था इसलिए वह अपने पति की तरफ से पूरी तरह से निश्चिंत थी,,,,। दोनों के बीच इसी तरह से वार्तालाप शुरू हो गई,,,, सुबह के 4:00 बजने में तकरीबन 1 घंटा रहेगा तब राजुफिर से अशोक की बीवी के साथ चुदाई का मजा लूटना चाहता था हालांकि उसे भी नींद नहीं आ रही थी वह भी राजू से बात कर रही थी और एक बार फिर से राजू का

लेने के लिए तड़प रही थी राजू उसकी मांसल जांघों को धीरे धीरे सहला रहा था,,,,,, और उसकी बुर की दरार पर अपनी उंगली को फिराते हुए बोला,,,।)


क्यों भाभी एक बार और हो जाए,,,, सुबह होने वाली जाते जाते एक बार और दे दो तो मजा आ जाए,,,,।


बाप रे तुम्हारा मन अभी भरा नहीं,,,


क्या करूं मेरी जान तुम चीज ही हो ऐसी की,,,, एक रात में पूरी तरह से मन भरने वाला नहीं है,,,,


तब मैं क्या करूं बोलो,,,,(अशोक की बीवी की यह बात उसकी सहमति दर्शा रही थी क्योंकि वह भी फिर से चुदवाना चाहती थी,,,,)

तुम्हें कुछ भी करने की जरूरत नहीं है भाभी,,,(और इतना कहने के साथ ही राजू एक बार फिर से अशोक की बीवी पर एक नया आसन आजमाते हुए उसके कंधों के इर्द-गिर्द अपना घुटना रखकर उसकी दोनों टांगों के बीच झुकने लगा,,,और अगले ही पल में उसकी बुर पर अपने होंठ रख कर चाटना शुरू कर दिया,,,, राजू का लंड बार-बार कभी उसके गालों पर तो कभी उसके होठों पर रगड़ खा जा रहा था,,,राजू चाहता था कि उसका लंड अशोक की बीवी अपने मुंह में लेकर जी भर कर चूसेऔर वो जानता था कि यह सामा कब करेगी जब पूरी तरह से मस्तीया जाएगी तभी वह ऐसा करेगी इसलिए राजू भी उसे मस्ती के सागर में उतारने की पूरी कोशिश कर रहा था उसकी बुर को लपालप चाट रहा था जिससे अशोक की बीवी के सब्र का बांध टूटता जा रहा था बार-बार अपने होठों पर लंड के गरम सुपाड़े का स्पर्श महसूस करके वह पूरी तरह से पानी-पानी हुए जा रही थी,,, आखिरकार अशोक की बीवी को तड़पाने की राजू की हिम्मत रंग लाई और का अपनी जीभ को बाहर निकाल कर उसके लंड के सुपाड़े को चाटने लगी,,,राजू मन ही मन खुश हो रहा था और अगले ही पल अपने हाथ में लेकर बड़ी मस्ती के साथ राजू के लंड को मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दीयह अशोक की बीवी की तरफ से हिसाब बराबर कर देने वाली हरकत है जिस तरह की हरकत राजू उसकी बुर के साथ कर रहा था वही हरकत अशोक की बीवी उसके लंड के साथ कर रही थी दोनों पूरी तरह से मस्त हुए जा रहे थे,,,राजू उत्तेजित अवस्था में अपने दोनों हाथ से उसकी गांड पकड़ कर उसे ऊपर की तरफ उठाकर उसकी बुर को चाट रहा था तभी उसकी नजर उसके भूरे रंग के छेद पर गई और वह उसे चेहरे पर अपनी उंगली का पोर रखकर हल्के हल्के सहलाने लगा,,, राजू की यह हरकत अशोक की बीवी के तन बदन में आग लगा रही थी उसे रहा नहीं जा रहा था और वह कसमसा रही थी,,,,,,।

राजू अपनी हरकत को बढ़ा रहा था अपने मन में सोच रहा था कि बिना आज गांड मारने का उद्घाटन अशोक की बीवी के साथ ही किया जाए इसलिए वह अपनी उंगली को छोटे से छेद में डालने की कोशिश करने लगा जो की बुर के काम रस से पूरी तरह से गिली चुकी थी,,,,, लेकिन गांड का छेद इतना छोटा था कि उसकी बीच वाली उंगली भी अंदर की तरफ बराबर नहीं जा रही थी और वह जबरदस्ती डालने की कोशिश करता तो अशोक की बीवी दर्द से कराहने लगती,,, एकाएक राजू अपनी आखिरी उंगली उसकी गांड के छेद में डाल दिया तो दर्द के मारे अशोक की बीवी बिलबिला उठी और दर्द से कराहते हुए बोली,,,।)


यह क्या कर रहे हो बबुआ निकालो जल्दी से मुझे बहुत दर्द हो रहा है,,,

रुको ना भाभी बहुत मजा आ रहा है,,,


अरे तुम्हे मजा आ रहा है ना लेकिन मुझे नहीं आ रहा है मुझे तो दर्द हो रहा है,, जल्दी निकालो,,,,(वह पीछे की तरफ अपना हाथ ना कर राजू के हाथ को पकड़ने की कोशिश करने लगी और राजू भी समझ गया था कि छोटे से छेद में उसका मोटा लंड जाने वाला नहीं है अगर वह जगह ही करेगा तो एक खूबसूरत जुगाड़ उसके हाथों से ज्यादा रहेगा इसलिए वह मनमानी करने के फिराक में बिल्कुल भी नहीं था और अपनी उंगली को बाहर निकाल लिया,,, और वापस अपना सारा ध्यान अशोक की बीवी की गुलाबी छेद पर केंद्रित कर दिया,,,। एक बार फिर से अशोक की बीवी जवानी की मस्ती में हिलोरे मारने लगी ,,थोड़ी ही देर में हथोड़ा पूरी तरह से गर्म हो चुका था और उन दोनों का तीसरी पारी शुरू होने वाली थी,,,,।

बस डाल दो मेरे राजा अपना लंड मेरी बुर में,,,।
(इसी के साथ अशोक की बीवी का शर्म और लिहाज दोनों जाता रहा,,, राजू समझ गया था कि लोहा गर्म हो चुका है और उस परहथौड़ी का वार करना उचित है इसलिए तुरंत राजू उसके ऊपर से उठ कर उसकी दोनों टांगों के बीच में का बना दिया और अगले ही पल उसका मोटा तगड़ा लंड एक बार फिर से अशोक की बीवी की बुर की गहराई नापने लगा,,,दो बार चढ़ने के बाद राजू अच्छी तरह से जानता था कि इस बार उसका पानी जल्दी निकलने वाला नहीं है इसलिए वह,,, पहले धक्के के साथ ही अपनी रफ्तार को तेज कर दिया था,,,हर धक्के के साथ अशोक की बीवी स्वर्ग का आनंद लूट रही हो इस तरह का अनुभव कर रही थी,,, यह चुदाई राजू के मुताबिक बहुत लंबी चली और चार बजने के 10-15 मिनट पहले ही वह अशोक की बीवी को झाड़ने के बाद खुद भी झड़ गया,,,,। और उसके ऊपर लेट कर हांफने लगा,,,।

राजू ने अशोक की बीवी के साथ अद्भुत संभोग कलाकृति का नमूना पेश किया था जिसमें वह पूरी तरह से मदहोश हो चुकी थी और ऐसी खुशी ऐसा सुकून से पहले कभी नहीं मिला था इसलिए भाव विभोर होकर वह राजू को अपने गले से लगा ली थी,,,,।

थोड़ी देर बाद राजू उठा और अपने कपड़े पहनने लगा अभी भी अंधेरा था लेकिन सुबह होने वाली थी,,,। आज की रात उसकी जिंदगी की यादगार रात बन गई थी अनजाने में ही अशोक की बीवी जो उसी रात गुजारने के लिए मिल गई थी,,,, अशोक की बीवी भी खटिया पर से उठी और अपने कपड़े जो कि बिखरे पड़े थे उसे उठाकर पहनने लगी,,,,जाते-जाते राजू उसे अपनी बाहों में भर कर उसका लाल-लाल होठों का चुंबन लेते गया,,,अशोक की बीवी उसे दरवाजे तक छोड़ने आई और जब तक वह आंखों से ओझल नहीं हो गया तब तक वह दरवाजे पर खड़ी रही,,,।

दूसरी तरफ हरीया भी अपनी बहन गुलाबी की रात भर चुदाई करके तृप्त हो चुका था और बड़े सवेरे ही अपने कमरे में से निकल कर वापस बगल वाले कमरे में अपनी बीवी के पास जाकर सो गया था ताकि उसे बिल्कुल भी शक ना हो,,,,, हरिया का अपने बेटे को भी चलाना सिखा ना असफल हो गया था और यह बात राजू पर भी लागू होती थी क्योंकि अगर वह बैल गाड़ी चलाना नासिक का तो उसे उसके पिताजी अशोक को घर छोड़ने के लिए नहीं बोलते और उसे अशोक की खूबसूरत बीवी चोदने को ना मिलती और अगर राजू बेल चलाना नासिका होता तो आज हरिया को भी है सुनहरा मौका नहीं मिलता रात भर गुलाबी की चुदाई करने का,,,।
 
Member
437
722
93
दोनों बाप बेटे ने अलग-अलग जगह पर अपने संभोग की अद्भुत कार्य शैली का नजारा पेश किया था हरिया ने अपनी छोटी बहन के साथ अद्भुत चुदाई का खेल खेला था,,, आज पहली बार गुलाबी अपने भाई से गांड मराई का अद्भुत सुख प्राप्त की थी,,, और अपने भतीजे राजू के लिए एक और काम लीला का द्वार खोल दी थी,,, दूसरी तरफ राजू अशोक की बीवी के साथ बहुत ही मदहोशी भरा गरमा गरम समय गुजारा था,,,,,,,, एक नई और खूबसूरत है बुर की चुदाई करके राजू बहुत खुश नजर आ रहा था उसे अपने पिताजी के निर्णय पर गर्व हो रहा था कि जोउन्होंने उसे अशोक को उसके घर सही सलामत पहुंचाने का जिम्मा दे दिया था,,,और अशोक के घर पर पहुंचकर उसके सर पर एक नई जिम्मेदारी आ गई थी जिसे वह खुशी-खुशी स्वीकार कर चुका था,,,,,,,


गुलाबी अपने दूसरे छेद में अपने भाई के लंड को लेकर पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी,,, हालांकि वह पहली बार अपने भतीजे के लंड की अपनी गांड के छेद में प्रवेश कराना चाहती थी लेकिन अपनी सहेली की बात सुनकर वह घबरा गई थी क्योंकि उसके भतीजे का लंड कुछ ज्यादा ही मोटा और लंबा था,,, जिसे वह अपने सहेली के बताए अनुसार आराम से अपनी गांड के छेद में लेकर गांड नहीं मरा सकती थी,,, लेकिन उसका बड़ा भाई हरियाइस काम में पूरी कहां से माही था क्योंकि वह राजू के मुंह से सुन चुकी थी कि उसका बड़ा भाई उसकी भाभी की गांड मारता है इसलिए वह अपने इस छोटे से छेद को एक होनहार और अनुभव से भरे हुए इंसान के हाथों में देकर अपना उतार करा देना चाहती थी इसीलिए वह अपने छोटे से छेद पर पहला अधिकार अपने बड़े भाई हरिया को प्रदान की थी जिसका वह सही इस्तेमाल करते हुए जिंदगी में पहली बार गुलाबी की गांड मारकर उसे अद्भुत सुख की प्राप्ति कराया था,,,जिसे गुलाबी थोड़ी बहुत दिक्कत के साथ अंदर तक ले ली थी और उसके बाद तो आनंद के सागर में गोते लगाने लगी थी अब उसका आत्मविश्वास बढ़ चुका था कि अब वह बड़े आराम से अपने भतीजे के मोटे लंबे लंड को अपनी गांड के छेद में लेकर उससे गांड मराई का अद्भुत सुख प्राप्त करेगी,,,,,,,।

धीरे-धीरे दिन गुजर रहा था,,, श्याम अपनी मां की बेवफाई से हताश और निराश हो चुका था क्योंकि उसे अपने आप पर अपनी मां पर पूरा भरोसा था कि वह अपनी इज्जत किसी दूसरे के हांथो लूटने नहीं देगीऔर इसका वह सीना ठोक कर दावा करता था कि उसकी मां किसी और लड़के से नहीं चुदवाएगी,,, लेकिन उसके इस दावे की हवा राजू निकाल चुका था अपनी अद्भुत और जालसाजी बातों में श्याम की मां को फंसा कर,,,और अपने मोटे तगड़े मर्दाना ताकत से भरे हुए लंड के दर्शन करा कर,,,,। इतना तो श्याम अच्छी तरह से जानता था कि राजू का लंड अद्भुत ताकत के साथ साथ अद्भुत लंबाई लिए हुए भी है अगर किसी लड़की या औरत ने खुली आंखों से स्कूल लेने के दर्शन कर लिए तब उसे अपनी बुर में लिए बिना नहीं मानेगी,,, और उसका यह ख्याल अपनी मां के प्रति भी था लेकिन अपनी मां की हरकत और उसकी जरूरत को देखते हुए श्याम के अरमान चकनाचूर हो चुके थे,,,,वह कुछ भी देख सकता था लेकिन अपने ही आंखों के सामने अपनी मां को किसी और लड़के से बल्कि अपने ही दोस्त के साथ चुदवाते हुए नहीं देख सकता था,,,,लेकिन वक्त और हालात ने उसके हाथ बांध रखे थे वरना वह कभी भी अपनी आंखों के सामने राजू को अपनी मां चोदने नहीं देता लेकिन राजू ने उन दोनों को अपनी आंखों से चुदाई का अद्भुत खेल खेलता हुआ देख लिया था और उसी की दुहाई देकर वह उसकी मां के साथ चुदाई का सुख भोग चुका था,,,,,,, श्याम इस वाकए से अपनी ही नजरों में गिर चुका था,,, राजू से नजर मिलाने की हिम्मत उसकी नहीं होती थी इसलिए वह जा राजू होता था वहां नहीं जाता था,,, यहां तक कि अब सोनी से पढ़ने के लिए भी नहीं जाता था,,,,,,,, । राजू भी हैरान था कि श्याम से बहुत दिन हो गए मुलाकात नहीं हुई क्योंकि राजू उसे उसकी मां के साथ बिताए हुए पल के बारे में एक एक शब्द उसे बताना चाहता था ,,, और उसे अपनी ही नजरों में गिर आना चाहता था क्योंकि इससे पहले वाह राजू के साथ बहुत बदतमीजी कर चुका था,,, उसके परिवार के बारे में
बहुत गंदी गंदी बातें करके उसे चिड़ाता था लेकिन अब हालात बदल चुके थे वक्त की कमान अब उसके हाथों में आ चुकी थी किसी भी सूरत में वह श्याम को अपने ऊपर हावी होने देना नहीं चाहता था,,,,,,,, राजू का भी मन गांड मारने के लिए तरस रहा था और वह जानता था कि कोई उम्रदराज औरत ही उसे उसकी गांड का वह बेशकीमती छेद देगी जिससे वह तृप्त हो जाएगा,,,,।

ऐसे ही एक दिन उसकी मुलाकात श्याम से हो गई वह खेतों से सुखी काकड़िया बटोर कर अपने सर पर रख कर घर की तरफ जा रहा था तो रास्ते में ही श्याम उसके पीछे लगभग दौड़ता हुआ आया और उसे रोकता हुआ बोला,,,,,,।

अरे अरे श्याम रुक तो सही कहां चला जा रहा है,,,,,(ठीक उसके आगे आकर खड़ा होता हुआ राजू बोला)


घर जा रहा हूं और कहां जाऊंगा,,,,(मुंह बनाते हुए श्याम बोला)

अरे मेरे दोस्त चले जाना लेकिन उस दिन के बाद तो तु दिखाई ही नहीं दिया,,, मुझे लगा कि कहीं अपने मामा मामी के वहां तो नहीं चला गया,,,,


क्यों मैं क्यों जाऊंगा,,,?


अरे मुझे लगा कि अपनी आंखों के सामने अपनी मां को चुदवाते हुए देखकर तुझसे सहन नहीं हुआ और तु मुझसे नजर तक नहीं मिला सकने की स्थिति में अपने मामा मामी के घर चला गया होगा,,,,,,
(राजू की बातें सुनकर श्याम को बहुत गुस्सा आ रहा था लेकिन वह उसका कुछ कर नहीं पाता इतना व जानता था इसलिए सब कुछ शांत होकर सुनता रहा और राजू की बात सुनकर बोला,,,)


राजू तो अच्छी तरह से जानता है कि तो मेरी मजबूरी का फायदा उठा रहा है वरना मैं तेरा मुंह तोड़ दिया होता,,,


अरे यार यह तो वक्त वक्त की बात है पहले तो मुझे बहुत कुछ कहा करता था और मैं सुना करता था लेकिन आज वक्त बदल गया है मैं तुझे कुछ भी कह सकता हूं लेकिन तू सुनने के सिवा और कुछ नहीं कर सकता,,,।


चल रहने दे मुझे जाने दे देर हो रही है,,,,


अरे यार कहां देर हो रही है अभी तो बहुत समय है चल थोड़ी देर बात करते हैं तेरा भी फायदा हो जाएगा,,,


देख मुझे तुझसे किसी भी विषय पर बात नहीं करना है मुझे जाने दे,,,,


अरे यार तुम तो नाराज होता है देखा नहीं उस दिन तेरी मां भी कितनी नाराज थी लेकिन कैसे मेरा लंड देखकर एकदम शांत हो गई,,,,,(राजू की आवाज सुनकर शयाम को अपनी मां पर गुस्सा आने लगा,,,और राजू अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,) सच कहूं तो तेरी मां को चोदने के लिए मेरे जैसा लंड चाहिए था,,,, देखा नहीं कितनी मस्ती के साथ तेरी मां मेरे लंड को अपनी बुर में ले रही थी,,,,।

(इस तरह की गंदी बातें राजू के मुंह से सुनकर श्याम तिल मिला जा रहा था,,,गांव में उससे इस था कि बात करने वाला आज तक कोई पैदा नहीं हुआ था लेकिन राजू के मामले में बात बिगड़ गई थी इसलिए श्याम सिर्फ सुन रहा था और अपनी मां पर गुस्सा भी कर रहा था कि कैसे लंड देखकर उसकी मां फिसल गई,,,,)

देख राजु मुझे कुछ नहीं सुनना है मुझे जाने दे,,,,।


ऐसे नहीं जाने दूंगा पहले उस दिन की कहानी तो सुन ले,,,


सुनने के लिए कुछ नहीं बचा है राजू जो कुछ भी हो रहा था मैं अपनी आंखों से देखा था,,,,


देखा था तब तो तुझे भी मजा आ रहा होगा ना देखा नहीं कैसे तेरी मां घुटनों के बल बैठकर मेरे मोटे तगड़े लंड को अपने मुंह में लेकर चूस रही थी,,, सच में तेरी मां को बहुत मजा आ रहा था मुझे तेरी मां के चेहरे को देखकर अच्छी तरह से समझ में आ रहा था कि वह कितना खुश थी,,, और मुझे लगता नहीं है कि आज तक तेरी मां ने तेरे लंड को मुंह में लेकर इस तरह से चूसी होगी,,,, क्यों सही कह रहा हूं ना,,,,।


क्यों तेरे लंड में कुछ ज्यादा ही दम है जो ईस तरह की बातें कर रहा है,,,,


देखकर तो यही लगता है अगर तेरे लंड मैं ज्यादा जान होता तो उस दिन तेरी मां मुझसे चुदवाती नहीं,,,,,,,


बस कर राजू उस दिन की बातें दौहरा कर मुझे जलील मत कर,,,,।


अरे यार तो क्या हो गया इसमें जलील होने वाली बात कौन सी है यह राज तो हम दोनों के बीच है और राज ही रहेगा तु इत्मीनान रख,,,, हम दोनों के बीच जो भी सोता हुआ था उस बारे में किसी को कानों कान तक खबर नहीं पड़ेगी यहां तक कि तेरी मां को भी इस बारे में भनक तक नहीं लगेगी कि मैं जो कुछ भी तेरी मां के साथ किया उसके बारे में कुछ पता था और तू अपनी आंखों से चोरी चुके सब कुछ देख रहा था,,,,,,,


अच्छा एक बात बता तू यह सब बातें मुझसे बोल कर जताना क्या चाहता है,,,,तूने जो शर्त रखा था वह शर्त पूरी हो गई है ,,,,तू मेरी मां को चोदना चाहता था और उसे चोद भी दिया अब हम दोनों का रास्ता अलग है,,,,,,, अब ना मैं तेरे रास्ते आऊंगा और ना तू मेरे रास्ते,,,।



ऐसा कैसे हो सकता है मेरे दोस्त अब तो मुझे तेरी मां की बुर का स्वाद मुंह लग गया है,,, सच कहूं तो मेरे दोस्त तेरी मां की बुर बहुत रसीली है,,, अब तो मेरा दिल आ गया है तेरी मां की बुर पर बिना तेरी मां की बुर चोदे मुझे चैन नहीं आएगा,,,,।


नहीं,,,, अब ऐसा बिल्कुल भी नहीं हो सकता,,,,(श्याम गुस्से में बोला)


क्यों नहीं हो सकता एक बार हो गया है तो बार-बार होगा अगर ऐसा नहीं हुआ तो मैं सबको बता दूंगा कि तू अपनी मां को चोदता है,,,


राजू,,,,(गुस्से में) तू जो कह रहा है बिल्कुल गलत है दोनों के बीच इस बात को लेकर समाधान हुआ था तू अपनी मनमानी कर चुका है अब ऐसा नहीं कर सकता,,,,


हां बात तो सही है हम दोनों के बीच समाधान हुआ था लेकिन तब मैं नहीं जानता था कि तेरी मां इतनी मस्त है,,, मुझे लगा था एक बार डाल कर निकाल लूंगा बस हो गया लेकिन अब तो मेरा मन नहीं मानता दिन रात मेरी आंखों के सामने तेरी मां का नंगा बदन नाशचता रहता है तेरी मां की बड़ी-बड़ी चूचियां,,, बड़ी-बड़ी गांड,,, और बेहद हसीन बुर आज की ऐसा लगता है कि तेरी मां एकदम नौजवान औरत हो इस कदर उसने अपनी बुर की देखभाल करके रखी है,,,,।

(राजू की बातें सुनकर शाम को बहुत गुस्सा आ रहा था लेकिन ना जाने क्यों राजू की बातों में उसे अपनी मां की खूबसूरती का वर्णन के साथ-साथ तारीफ भी नजर आ रही थी और यह एहसास श्याम के तन बदन में भी अजीब सी हलचल पैदा कर रहा था लेकिन फिर भी वह नहीं चाहता था कि जो कुछ भी पहली बार हुआ वही दोबारा हो इसलिए वो राजू को समझाने की पूरी कोशिश कर रहा था हालांकि वह इस बात से अनजान बिल्कुल भी नहीं था कि राजू जब चाहे तब इसकी मां की चुदाई कर सकता है क्योंकि अब वह गले की हड्डी जो बन चुका था,,,)


राजू मैं तेरे हाथ जोड़ता हूं,,,, आप आइंदा मेरी मां के बारे में इस तरह की बातें मत करना और ना ही दोबारा उसके साथ कुछ करने की कोशिश करना इसी में हम दोनों की भलाई है,,,।


इसमें भलाई नहीं है मेरे भाई बनाई तो हम दोनों की इसमें है कि हम दोनों समझदारी से आगे बढ़े देख मैं तेरी मां का दीवाना हो गया हूं और तेरी मां भी जहां तक मेरे लंड की दीवानी हो चुकी है और ना देखा नहीं कैसे जोर-जोर से मेरे लंड पर कूद रही थी,,,अगर उसे जरा भी अहसास होता जरा भी शर्म होती तो क्या हुआ एक अनजान लड़के और वो भी अपने ही बेटे के दोस्त के साथ इस तरह से रंगरेलियां मनाती,,, नहीं ना,,, तेरी मां को भी मजा आ रहा है मुझे भी मजा आ रहा है और तू भी मजा ले,,,,।


राजू तू चुप हो जा मुझसे इस तरह की बातें बर्दाश्त नहीं हो रही है,,,


अच्छा पाती बर्दाश्त नहीं हो रही है लेकिन उस दिन जो कुछ भी तो अपनी आंखों से देख रहा था वह सब बर्दाश्त हो रहा था अगर बर्दाश्त नहीं होता तो वही बीच में तो कूद पड़ता है और मुझे रोक लेता लेकिन ऐसा तूने भी नहीं किया क्योंकि तुझे भी देखना था कि तेरी मां क्या करवाती है,,, और तुझे भी अच्छा लग रहा था अपनी आंखों से यह देखना कि तेरी मां तेरे ही दोस्त के साथ कैसे चुदाई का मजा लूटती है,,,,।
कसम से श्याम तेरी मां की बुर में लगाया गया मेरा हर एक धक्का मुझे स्वर्ग का सुख दे रहा था इतना मजा तो एक जवान लड़की को चोदने में नहीं आता जितना मजा तेरी मां को चोदने में आ रहा था,,,, तेरी मां इस उम्र में भी बहुत खूबसूरत है और जवानी तो उसमें कूट-कूट कर भरी हुई है,,,, कसम से तेरी मां को चोदने में बहुत मजा आता है और तभी तो तू बाहर मुंह मारने की जगह अपनी मां की दो टांगों के बीच अपना मुंह छुपा कर बैठा है तुझे भी बहुत मजा आता है ना,,,।
(राजू जानबूझ कर उसे इस तरह की बातें करके उसे उकसा रहा था वह अपनी पिछले दिनों का बदला लेना चाहता था,,, और उसे श्याम से इस तरह की बातें करने में मजा भी आ रहा था,,,और वहां यह बात अच्छी तरह से जानता था कि वह कुछ भी बोले श्याम उसका कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता क्योंकि श्याम पूरी तरह से उसकी गिरफ्त में आ चुका था,,,)


देख रहा हूं मुझे तेरी अब कोई भी बात नहीं सुनना मैं जा रहा हूं मुझे बहुत देर हो रही है इतना कहने के साथ ही वह चलने लगा तो फिर से उसका हाथ पकड़ कर उसे रोकते हुए राजु बोला,,,,,,।


सुन तो सही बस मैं तुझसे यह बात कहना चाहता हूं कि कभी अपनी मां की गांड मारा है,,,,।
(इतना सुनते ही श्याम एकदम से सन्न रह गया वह कभी इस बारे में सोचा भी नहीं था इसलिए वह कुछ बोल नहीं पाया तो राजू अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)

सोच कह रहा है बताना कभी तो तेरा ही मन डोला होगा अपनी मां की गुलाबी छेद के साथ-साथ उसका छोटा सा छेद देखकर उस में डालने का मन तो किया होगा,,,।
(अपनी मां की गांड के छोटे से छेद के बारे में राजू के मुंह से सुन कर श्याम का दिमाग काम करना बंद कर दिया वो एकदम से विचार मगन हो गया था,,,, और कुछ देर तक सोचने के बाद वह लगभग हक लाते हुए बोला,,,)

न,,,,,नहीं,,,,, मैंने कभी इस बारे में नहीं सोचा,,,


अरे कभी तो सोचा होगा,,,


नहीं नहीं कभी नहीं सोचा,,,।


अरे मेरे दोस्त तू अपनी मां को उसके सारे कपड़े उतार कर अपने हाथों से ही नंगी करता था ना,,,,

हां,,,,, लेकिन कभी-कभी इसकी जरूरत नहीं पड़ती थी,,,, बस साड़ी उठाकर,,,,(राजू की चिकनी चुपड़ी बातों में श्याम भी आ चुका था इसलिए वह उसकी बातों का जवाब देने लगा था अपनी मां की गांड की छोटे से छेद के बारे में सोचकर उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी थी)


अरे वह तो मैं जानता हूं लेकिन नंगी करने के बाद तु उसकी बुर तो चाटता होगा ना,,,,।


नहीं मैंने कभी ऐसा नहीं किया,,,।

पागल,,,(गुस्से में श्याम की तरफ देखते हुए) तब तूने क्या किया अरे पागल औरत की बुर नहीं चाटा तो क्या चाटा,,, तभी तो मैं सोचूं तेरी मां की बुर पर अपने होठ रखते ही कैसे तेरी मां तीलमीला गई थी,,, एकदम मस्त हो गई थी एकदम पागल हो गई थी असली सुख तो तू अपनी मां को देता ही नहीं था,,,,,(शायद इस बात का एहसास श्याम को भी हो रहा था क्योंकि उसने भी अपनी आंखों से देखा था जैसे ही राजू ने अपने होठों को उसकी मां की बुर पर रखा था वैसे ही उसकी मां पूरी तरह से मस्त हो गई थी) और तभी मेरे भाई मेरी नजर

तेरी मां की गांड के छोटे से छत पर गई थी और उस पर नजर पड़ते ही मेरी तो हालत खराब हो गई थी,,,, मैं तो तभी तेरी मां की गांड मार लेना चाहता था लेकिन मुझे इस बात का डर था कि कहीं तेरी मां इंकार कर दी तू और अगर तू पहले अपनी मां की गांड मारा होगा तो जरूर तेरी मां मुझे भी मारने देगी,,, क्या तूने अपनी मां की गांड मारा है,,,।

(राजू की बातें सुनकर श्याम तो एकदम स्तब्ध रह गया था उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने की उत्तेजना की खुमारी उसके तन बदन को अपनी आगोश में ले रही थी जिसका असर उसके पजामे में हो रहा था उसमें तंबू सा बन गया था जो कि राजू की नजरों से बच नहीं सका था राजू को उसकी हालत देखकर मजा आने लगा था और उसे अपना काम बनता भी नजर आ रहा था,,, श्याम कुछ बोल नहीं पाया बस ना मे सिर हिला दिया,,,)

बस इसी बात का तो मुझे डर था अगर तू पहले अपनी मां की गांड मारा होता तो आराम से तेरी मां मेरा लंड अपनी गांड में ले लेती,,,लेकिन तू तो जानता ही है मेरा लंड कितना मोटा है और तेरी मां की गांड का छेद बहुत छोटा है,,,।

तो,,,,(श्याम आश्चर्य से अपनी आंखें फाड़े बोला)


तो क्या,,,, तेरी मां की गांड मारने में मजा तो बहुत आएगा लेकिन उसे तैयार करना पड़ेगा अगर तू हां कह दे तो,,, अगर ना कहेगा तो भी मैं,,,तेरी मां की बार जरूर मारूंगा क्योंकि मेरा दिल तेरी मां की गांड पर आ गया है मैं तो यह सोच रहा था कि अगर मैं तेरी मां की गांड मारो तो तुझे भी यह सुख दु तुझे भी मजा आएगा,,,, और तुझसे तो तेरी मां गांड मरवाने से रहीं,,,, क्योंकि तूने तो अब तक अपनी मां के साथ असली चुदाई का खेल खेला ही नहीं है बस अपनी प्यास बुझा जाए अपनी मां के बारे में जरा भी ध्यान नहीं दिया अगर तू मेरा साथ दे तो हम दोनों को यह सुख प्राप्त हो सकता है,,,,।


(राजू की बातें सुनकर श्याम सोच में पड़ गया था अब तक वह राजू पर गुस्सा करता था लेकिन गांड मारने वाली बात से उसके तन बदन में भी आग लगने लगी थी वह भी उस सुख को पाने के लिए उत्सुक हो गया था,,,,और राजू को इस बात का अंदाजा लग गया था कि श्याम उसकी बातों में पूरी तरह से आ चुका है,,, इसलिए राजू अपना आखिरी दांव आजमाता हुआ बोला,,,)

देख इंकार मत करना मैं जानता हूं कि तेरा भी मन अपनी मां की गांड मारने को कर रहा है तभी तो तेरा लंड खड़ा हो गया है,,,(राजू की बात सुनते ही श्याम की नजर अपने पजामे पर गई तो वह शर्मा गया,,,,और राजू अपनई बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,) देख इसमें कोई हर्ज नहीं है पूरे गांव में सिर्फ मैं ही जानता हूं कि तू अपनी मां की चुदाई करता है और यह बता तू ही जानता है कि मैं भी तेरी मां को चोद चुका हूं इसलिए हम दोनों के बीच किसी भी प्रकार का राज नहीं है अगर तू साथ दे तो हम दोनों मिलकर तेरी मां की गांड मार सकते हैं और एक अद्भुत सुख को प्राप्त कर सकते हैं और तेरी मां को भी मस्त कर सकते हैं इस बारे में गांव मे किसी को कानों कान खबर तक नहीं पड़ेगी,,, क्या बोलता है,,,,।

(राजू की बातें सुनकर श्याम की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी वह उत्तेजित वादा रहा था इस ख्याल को अंजाम तक पहुंचता हुआ देखकर वह मन ही मन ना जाने कैसे-कैसे कल्पना करने लगा था,,,, और उत्तेजना के मारे कांपते स्वर में बोला,,,)

पर होगा कैसे,,,,?


बस मेरे दोस्त मैं यही सुनना चाहता था तू सब कुछ मुझ पर छोड़ दे मैं सब कुछ इंतजाम कर दूंगा और तेरी मां को इस बारे में पता भी नहीं चलेगा कि हम दोनों पहले से ही इस बारे में बात कर चुके हैं,,,,।

(श्याम मुस्कुराया और अपने घर की तरफ चल दिया,,, क्या देखकर राजू भी खुश हो गया क्योंकि उसका काम बन चुका था,,,, बस अपनी युक्ति को अंजाम तक ले जाना था,,,)
 
Member
437
722
93
राजू ने अपने मन की बात श्याम के कानों और दिलों दिमाग में भर दिया था,,,,, श्याम जो अभी तक राजू ने जो उसके साथ किया था उसकी मां के साथ जिस तरह से उसकी आंखों के सामने शारीरिक संबंध बनाया था उसे लेकर उससे नाराज था,,, श्याम कभी नहीं चाह रहा था कि कोई और उसकी मां की चुदाई करें खास करके उसके उम्र के दोस्त लोग लेकिन उसके सोच के मुताबिक सब कुछ उल्टा सा हो गया था अगर उसकी थोड़ी सी लापरवाही ना हुई होती तो राजू इस कदर उसके सर पर चढ़कर बोलना रहा होता उस दिन के लिए तो श्याम खुद अपने आप को ही कोश रहा थां,, की कास उसने दरवाजा बंद कर दिया होता तो यह सब नहीं होता,,, और उसकी मां का नया रूप देखने को नहीं मिलता जो कि उस दिन उसकी सोच के विपरीत ही उसकी मां राजू के लंड को देखकर पूरी तरह से ललायित हो गई थी उसे अपनी बुर में लेने के लिए,,,, जहां तक श्याम का मानना था राजू कि इसमें कोई गलती नहीं थी अगर राजु की जगह कोई और लड़का होता तो वह भी श्याम से‌ वही चाहता जो राजू ने चाहा था,,, और मजबूरी में श्याम उसे इंकार भी नहीं कर सकता था,,,, लेकिन उसे अपनी मां से शिकायत थी,,, कि वह कैसे एक जवान लड़की की मर्दाना ताकत पर पिघल गई अपने संस्कारों को अपनी मर्यादा को ताक पर रखकर उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने के लिए तैयार हो गई क्योंकि श्याम को अपनी मां पर विश्वास था की वह चाहे भले ही राजू की बात मान गया है लेकिन उसकी मां राजू के अधीन होने वाली नहीं है और यही श्याम की सबसे बड़ी भूल थी हालांकि राजू के लंड को वह पहले भी देख चुका था इसलिए उसे थोड़ा बहुत शक तो होता था कि,,, अगर उसकी मां ने उसके दोस्त राजु के लंड की झलक ले ली तब उसे अपनी बुर में लेने से अपने आप को नहीं रोक पाएंगी,,,, और जिस बात का डर था वही हुआ भी,,,,,।

तभी से श्याम राजू से नजर मिलाने की हिम्मत नहीं कर पा रहा था और ना ही उससे बात करने की उसकी कोई इच्छा रह गई थी,,, राजू को देखता था तो उसे गुस्सा आता था,,,, लेकिन कर कुछ नहीं सकता था,,,,। लेकिन आज राजू की बातें सुनकर उसके तन बदन में भी अजीब सी हलचल होने लगी थी जिस बारे में राजू उसे बता रहा था उस बारे में कभी उसने सोचा भी नहीं था,,,, श्याम दो-तीन साल से अपनी मां की चुदाई करता रहा था लेकिन जिस तरह से उसने कहा कि आज तक उसने अपनी मां की गांड के छोटे से छेद को नजर भर कर देखा नहीं है इस बात में सच्चाई थी,,,, वह अपनी मां की गांड के छोटे से छेद के बारे में कभी कल्पना भी नहीं किया था लेकिन राजू की बातों ने उसे इस नए अनुभव के बारे में आनंद लेने के व्याकुल बना दिया था,,,, राजू का परामर्श उसे अच्छा लग रहा था,,,,,,, पहले तो शाम को इस बात पर विश्वास ही नहीं हुआ कि औरत की गांड भी मारी जाती है और इसमें अद्भुत सुख की प्राप्ति भी होती है,,,, राजू उसकी मां की गांड मारना चाहता है इस बात को सुनकर पहले तो उसे बहुत गुस्सा आया लेकिन उसकी बातों से श्याम को लगने लगा कि जो कुछ भी राजू कह रहा है इसमें अद्भुत सुख की प्राप्ति होगी बहुत मजा आएगा और,,, उसे भी उसकी मां की गांड मारने को मिलेगी इस बात से वह मन ही मन राजू की बात से सहमत हो गया,,,,।

श्याम अपने मन में यही सोच रहा था कि राजू अब जब चाहे तब उसकी मां की चुदाई कर सकता है उसकी गांड मार सकता है क्योंकि वह राजू से चुदवाती समय अपनी मां के चेहरे के हावभाव को अच्छी तरह से भांप लिया था,,, राजू का मोटा तगड़ा लंड जब जब उसकी मां की बुर की गहराई नाप रहा था तब तब उसके चेहरे पर असीम संतुष्टि का अहसास नजर आता था और इस बात में कोई शक नहीं था कि राजू से चुदवाने के लिए वह तड़प रही होगी,,,, और ऐसे में राजू के जरिए वह खुद उसकी मां की गांड मार सकता हैं इस बात की खुशी उसके चेहरे पर भी साफ झलक रही थी,,, बस मौके और जगह की तलाश थी,,,,,, और जिस कार्य को करने के बारे में राजू और श्याम सोच रहे थे उसमें अच्छा खासा समय की जरूरत है और ऐसे में घर में झुमरी की मौजूदगी मैं होना शक्य बिल्कुल भी नहीं था,,,,, और इसीलिए श्याम परेशान भी था,,,,,,,।

दूसरी तरफ रात को गुलाबी अपनी गुलाबी छेद के साथ-साथ अपने भूरे रंग के छेद को भी अपने भतीजे राजू को साथ देना चाहती थी लेकिन अपने मुंह से कहने में उसे शर्म और लज्जा का एहसास हो रहा था ऐसा नहीं था कि गांड मरवाने की बात कहने में उसे शर्म आ रही हो जो लड़की अपने भतीजे से और अपने बड़े भाई से चुदाई का खुल्लम खुल्ला खेल खेल रही हो ऐसी लड़की की आंखों में शर्म और हया कहां होती है लेकिन गांड मारने वाली बात पर उसे अपने भतीजे राजू से कहने में शर्म किस बात से आ रही थी कि वह पहले अपने भतीजे को अपनी गांड मारने से इनकार कर चुकी थी क्योंकि वह अपने भतीजे के लंड की ताकत को अच्छी तरह से जानती थी,,,, और इसीलिए वह अपनी गांड के छोटे से छेद को व अनुभव से भरे हुए हाथों में देना चाहती थी और अपने बड़े भाई को अपना सर्वस्व नितंब निछावर करते हुए अपने भाई

से गांड मरा का सुख प्राप्त कर चुकी थी बस इसीलिए अब वह अपने भतीजे को सौंपना चाहती थी लेकिन पहले इनकार कर चुकी थी और अभी देने में शर्म महसूस हो रही थी कि वह क्या कह कर अपने भतीजे को अपनी गांड मारने देगी,,,यही सोचकर वहां अपने भतीजे अपने मन की इच्छा को बता नहीं पा रही थी और रात भर सिर्फ अपनी बुर की सेवा करवा रही थी,,,,,।

दूसरी तरफ श्यामअपनी मां की गांड मारने के ख्याल से पूरी तरह से उत्तेजित हो गया था और अपनी बहन से नजरें बचाकर अपनी मां की चुदाई करना शुरू कर दिया था लेकिन उसे इस बात का अहसास हो रहा था कि उसके लंड से उसकी मां को मजा नहीं आ रहा था क्योंकि पहले जब भी वह धक्का मारता था उसकी मां के मुंह से आहह ऊहह की आवाज निकल जाती थी लेकिन आज ऐसा कुछ भी नहीं हो रहा था,,, वह मन ही मन अपनी मां को गाली देते हुए उसके चुदाई कर रहा था,,,,,, अपने मन में ही कह रहा था कि साली को राजू का लंड पसंद आ गया है अब राजू से चुदवाना चाहती है,,,,उसका मन तो कर रहा था कि सब कुछ बोल दे कि वह राजू के साथ चुदवाई है लेकिन ऐसा कहने से शायद उसकी गांड मारने वाली इच्छा धरी की धरी रह जाती और वह यहकिसी भी सूरत में जताना नहीं चाहता था कि राजू और उसके पीछे जो कुछ भी हुआ है उस बारे में उसे सब कुछ पता है आखिरकार गलती भी तो उसी की ही थी,,, इसलिए जैसा भी चल रहा था वह चलने दे रहा था,,,,।अपनी मां की चुदाई करने के बाद जब अपने कपड़े पहन रहा था और उसकी मां अपनी साली को अपनी कमर से लपेट रही थी तो अपनी साड़ी को अपनी कमर से लपेटते हुए बोली,,,,।

श्याम मैं तुझे एक बात बताना तो भूल ही गई,,,

क्या,,,?

वो अपने चौधरी साहब है ना उनके घर विवाह का कार्यक्रम है उनके घर दो दिन के लिए जाना है,,, मैं चाहती थी कि तू और झुमरी चले जाते तो अच्छा था,,,
(अपनी मां की बात सुनते ही श्याम का दिमाग घूमने लगा 2 दिन के लिए मतलब किसी भी तरह से अगर दो तीन के लिए झुमरी घर से बाहर चली जाए तो उसके पास मौका ही मौका होगा इसलिए अपना शैतानी दिमाग दौड़ाते हुए श्याम अपनी मां से बोला,,,)


क्या मां मैं जाकर वहां क्या करूंगा और अगर मैं भी चला गया तो यहां गाय बकरियां कौन देखेगा 2 दिन में तो परेशान हो जाओगी और तुम अकेले क्या क्या देखोगी,,,,,


बात तो तू ठीक ही कह रहा है,,,,( साड़ी को अच्छे से अपनी कमर से लपेटते हुए,,) लेकिन क्या झुमरी अकेले जाने के लिए मानेगी,,,,


अरे क्यों नहीं मानेगी मां,,, शादी ब्याह में तो उसे भी अच्छा लगता है खाना-पीना नाचना गाना,,,, जरूर मान जाएगी,, वैसे जा कौन कौन रहा है,,,?

अरे गांव की बहुत सी औरतें और लड़कियां जा रही है,,,


फिर क्या है मां,,,, गांव की औरतें रहेंगी तो समरी को भी अच्छा लगेगा,,,,,


चल ठीक है मैं उससे बात करती हूं,,,,।
(अपनी मां की बात सुनकर श्याम मन ही मन बहुत खुश हो रहा था अपने मन में सोच रहा था कि जैसा कुछ भी वह सोच रहा है अगर ऐसा हो गया तो सोने पर सुहागा हो जाएगा तो दिन के लिए उसकी बहन घर पर नहीं होगी और इन 2 दिनों में वह अपनी मां की जमकर चुदाई करेगा और राजू के साथ मिलकर उसकी गांड भी मारेगा,,,,,,उसकी मां के साथ एक शाथ दो जवान लड़के यह सोचकर ही श्याम के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी,,,,, अपनी मां की चुदाई कर लेने के बावजूद भी उसका लंड फिर से खड़ा होने लगा था,,,, दूसरी तरफ खाना खाते समय श्याम की मां झुमरी को शादी में भेजने के लिए मना ली और वह तैयार भी हो गई,,,, क्योंकि शादी ब्याह उसे भी अच्छा लगता था,,, और ऊपर से बड़े घर की शादी थी तो खाना पीना मौज मस्ती भरपूर होने वाला था,,,,,,,,

मधु को भी उसी ब्याह के लिए नेवता मिला था इसलिए उसे भी चले जाना था वह जानती थी कि शादी ब्याह में कहीं आना जाना होता है तो उसे ही जाना पड़ता है इसलिए वह गुलाबी से वहां जाने के बारे में जिक्र भी नहीं की थी लेकिन उसे बताएं जरूर थी कि वह शादी में 2 दिन के लिए जा रही है,,, और यह रात को ही तय हो गया था कि बेल गाड़ी लेकर राजू उसकी मां को वहां छोड़ने के लिए जाएगा,,,, और इस बात ‌ हरिया बहुत खुश था क्योंकि उसकी बीवी और उसका बेटा दोनों घर से बाहर जब तो होंगे तब तक वह अपनी छोटी बहन के साथ भरपूर मजा लूट सकता था,,,,,,

दूसरे दिन गांव की औरतों के साथ झुमरी ब्याह में जाने के लिए निकल गई,,, दूसरी तरफ गाय भैंस बकरी यों को चारा पानी देते देते काफी समय हो गया था और वैसे भी मधु को बेल गाड़ी से जाना था इसलिए किसी बात की चिंता नहीं थी,,,,,,, नहा धोकर तैयार होकर खाना खाने के बाद राजू बैलगाड़ी लिए तैयार था और मधु बैलगाड़ी पर बैठते हुए गुलाबी को हिदायत देते हुए बोल रही थी,,,।


घर की देखभाल अच्छे से करना और समय-समय पर जानवरों को चारा पानी देते रहना वरना चिल्लाते रह जाएंगे,,,,

तो बिल्कुल भी चिंता मत करो मैं घर की अच्छे से ख्याल रखूंगी बस तुम वहां पर अपना ख्याल रखना,,,,(गुलाबी अपनी भाभी को समझाते हुए बोली,,,, दूसरी तरफ हरिया बहुत खुश नजर आ रहा था वह जल्द से जल्द इस अकेलेपन का शुभ अवसर का पूरी तरह से लाभ उठाना चाहता था,,,, राजू बैलगाड़ी को हांक कर ले कर जाने लगा,,, और जैसे हील बैलगाड़ी आंखों से ओझल हुई हरिया तुरंत अपनी छोटी बहन को राखी को सब की नजर में जाकर अपनी गोद में उठा लिया और तुरंत उसे अपने कमरे में लेकर आ कर खटिया पर पटक दिया,,,,।


अरे भैया थोड़ा शांति तो रखो में भागी नहीं जा रही हूं,,,


अरे मैं जानता हूं मेरी गुलाबी तु कहीं भागे नहीं जा रही है लेकिन बड़े दिनों बाद ऐसा मौका हाथ लगा है भला इस मौके को मैं कैसे हाथ से जाने दु,,,(ऐसा कहते हुए हरिया अपना कुर्ता उतारने लगा और देखते-देखते गुलाबी की आंखों के सामने एकदम नंगा हो गया उत्तेजना के मारे उसका लंड पूरी तरह से खड़ा था जिसे देखकर गुलाबी का गुलाबी मन मचल उठा और वह अपना हाथ आगे बढ़ा कर अपने भैया के लंड को पकड़ कर उसे अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दी,,,,,,।

और दूसरी तरफ इसी तरह के मौके की तलाश में श्याम भी था गांव की औरतों के साथ झुमरी के जाते ही श्याम घर का किवाड़ बंद करके अपनी मां को कमरे के अंदर वाले भाग में ले गए और वहां तुरंत अपनी मां के सारे कपड़े उतार कर खुद भी नंगा हो गया,,,, आज वह अपनी मां की गांड के छोटे से छेद को जी भर कर देखना चाहता था जैसा कि राजू ने बताया था और इसीलिए श्याम अपनी मां को नीचे जमीन पर पीठ के बल लेटा कर उसकी दोनों टांगों को ऊपर की तरफ उठा लिया और उसके बुर के नीचे वाले छोटे से छेद को नजर भर कर देखने लगा,,,श्याम के लिए यह पहला मौका था जब वह नजर भर कर अपनी मां की गांड के छेद को देख रहा था और सच पूछो तो उसे आज बेहद उतेजना का अनुभव हो रहा था,,,। वह उस छोटे से छेद को देखकर पूरी तरह से उत्तेजना का अनुभव कर रहा था वह जानबूझकर अपनी मां की गांड के छेद को छेड़ नहीं रहा था क्योंकि वह अच्छी तरह से जानता था कि इन 2 दिनों में वह राजू को जरूर लेकर आएगा और राजू के साथ मिलकर वह अपनी मां की गांड मारेगा अगर अभी वह अपनी मां की गांड को छेड़ दिया तो बाद में कहीं उसकी मां को शक ना हो जाए की यह दोनों मिलें हुए हैं,,, झुमरी के अनुपस्थिति में श्याम की मां के बदन में कुछ ज्यादा ही उत्तेजना का अनुभव होने लगा और बाद तुरंत शयाम को अपनी दोनों टांगों के बीच ले ली,,, और उसके लंड का अपनी गुलाबी छेद में लेकर चुदाई का अद्भुत सुख प्राप्त करने लगी जो कि अब राजू के बगैर अधूरा सा लग रहा था,,,,।


एक तरफ हरिया और गुलाबी आपस में लगे हुए थे और दूसरी तरफ श्याम अपनी मां की चुदाई कर रहा था और राजू जिंदगी में पहली बार अपनी मां को बैलगाड़ी पर बैठा कर दूसरे गांव ब्याह में ले जा रहा था बैलगाड़ी में पीछे अपनी मां के बेटे होने का एहसास उसके तन बदन में उत्तेजना की चिंगारी को भड़का रहा था क्योंकि शादी में जाने के लिए उसकी मां तैयार हुई थी वह तैयार होने के बाद स्वर्ग से उतरी हुई अप्सरा लग रही थी,,,,,,,बेल गाड़ी चलाते समय उसके दिमाग में बहुत सी बातें आ रही थी वह मां और बेटे के मामले में श्याम को कुछ ज्यादा खुश नसीब समझ रहा था जो कि जब चाहे तब अपनी मां की चुदाई कर सकता था,,,,, वह भी श्याम की तरह बनना चाहता था ताकि उसे दुनिया की सबसे खूबसूरत औरत चोदने को मिल सके,,,,लेकिन कैसे यही उसे समझ में नहीं आ रहा था दो तीन बार तो वह अपना पैंतरा आजमा चुका था जिसका एहसास उसकी मां को भी हुआ था लेकिन बात कुछ आगे नहीं बढ़ पाई थी,,,,अपने बेटे के साथ पहली बार बैलगाड़ी में जा रही मधु बहुत खुश नजर आ रही थी क्योंकि वह देख रही थी कि उसका बेटा बैलगाड़ी बड़े अच्छे से चला रहा था,,,, और इसीलिए वह बोली,,,।


चला तो लेता है ना ठीक से,,,


अरे मां तुम चिंता मत करो,,,, बहुत अच्छे से चला लेता हूं,,, बोलो तो दौड़ा कर दिखाऊं,,,


नहीं नहीं दौडाना नहीं है आराम से चला,,,।
(बैलगाड़ी ऊंची नीची पगडंडी कच्चे रास्ते से चली जा रही थी चारों तरफ हरे हरे खेत लहलहा रहे थे,,,अपने बेटे के साथ इस तरह से रास्ते में एकांत पाकर मधु के तन बदन में अजीब सी उलझन हो रही थी ना जाने क्यों मधु को वह सब वाक्ये याद आने लगे जोकी पूरी तरह से उत्तेजनात्मक थे पहली बार जब वह कुएं पर अपने बेटे को साथ लेकर पानी भरने के लिए गई थी और जिस तरह से उसकी मदद करते हुए राजू ने ठीक उसके पीछे खड़ा होकर तुम्हें की रस्सी को खींच रहा था ऐसे में उसकी कांड से उसके बेटे का लंड पूरी तरह से रगड़ खा रहा था,,, उसका बार-बार उसकी चुचियों को घुरना,,, और तो और जानवरों का वापस झोपड़ी में करते समय जिस तरह का हादसा पेश आया था उसे याद करके तो उसकी गुलाबी बुर से काम रस टपकने लगा था,,, गाय को काबू में करने के लिए पीछे से अपनी मां का साथ देते हुए जिस तरह से राजू ने

अपनी मां को अपनी बाहों में जकड़ कर अपनी मां की गोल-गोल नितंबों पर अपनी कमर आगे पीछे करते हुए हीलाया था उस पल को याद करके मधु की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी और रस्सी के टूट जाने की वजह से दोनों वहीं गिर गए थे राजू नीचे था और मधु उसके ऊपर थी और मधु की साड़ी पूरी की पूरी कमर के ऊपर तक चली गई थी कमर के नीचे को पूरी तरह से नंगी हो गई थी और उसकी नंगे पन के एहसास को उसका बेटा राजू अपने हाथों से महसूस करने के लिए जिस तरह से जानबूझकर उसकी बुर पर अपनी हथेली रखकर जोर से रगड़ा था वह पल अभी भी मधु को अच्छी तरह से ज्यादा था और उस पल को याद करके वह पानी पानी हो जाती थी और इस समय भी उसका यही हाल था,,,, मधुर को अपने बेटे को गुस्सा भी आता था लेकिन आज इस तरह से राह में एकांत पाकर अपने बेटे के साथ बैलगाड़ी में जाते हुए राजू की वही सारी हरकतें उसे और ज्यादा उत्तेजित कर रही थी,,,,राजू अपनी मां की तारीफ करना चाहता था उसकी खूबसूरती की लेकिन से समझ में नहीं आ रहा था कि कैसे करें,,,,,,,,।फिर उसे आम के बारे में सोचने लगा कि कैसे सामने अपनी मां की जरूरतों का ख्याल रखते हुए मान मर्यादा रिश्तेदारी को एक तरफ रख कर अपनी मां की इच्छाओं को पूरी किया और उसकी मां भी अपनी इच्छा को पूरी करने के लिए मां बेटे के बीच के रिश्ते को अपनी जिंदगी का मजा लूटने लगी,,,, राजू अपने मन में सोचने लगा कि अगर वह खुद इस तरह का प्रयास करें तो शायद उसके भी हाथों में हलवा लग सकता है,,,, क्योंकि औरतों की जरूरत को अच्छी तरह से समझ गया था अगर औरत की कोई जरूरत ना होती तो गांव की इतनी सारी औरतें अभी तक उसके नीचे ना आ गई होती,,,,,, जिन जिन औरतों की उसने चुदाई किया था सबकी अपनी अपनी जरूरत थी तो यही सोच करो अपने मन में सोचने लगा कि उसकी मां की भी कोई जरूरत होगी क्योंकि वह अपने पिताजी के लंड क्यों अच्छी तरह से देख लिया था जो कि उसके लंड से ज्यादा ही था और इसलिए राजू अच्छी तरह से जानता था कि अगर उसकी मां उसके मोटे तगड़े लंबे लंड का दीदार कर लेगी तो जरूर वह भी उसके नीचे आ जाएगी जैसा कि श्याम की मां आ गई थी जो कि शाम को अपनी मां पर पूरा विश्वास था कि वह किसी गैर मर्द से शारीरिक संबंध नहीं बनाएगी लेकिन राजू को अपने मर्दाना ताकत पर पूरा विश्वास था और यही विश्वास उसे श्याम की मां की दोनों टांगों के बीच ले गया,, जिसे खुद श्याम की मां नतमस्तक होकर स्वीकार की और उसके मर्दाना ताकत की पूरी तरह से गुलाम हो गई वह अपने मन में यह सोचने लगा कि ऐसा कुछ अगर उसकी मां के साथ किया जाए तो उसकी मां भी श्याम की मां की तरह राजी हो जाएगी,,, लेकिन कैसे कैसे समझ में नहीं आ रहा था,,,, दूर दूर तक कोई नजर नहीं आ रहा था चारों तरफ सन्नाटा छाया हुआ था बस बेल के पैरों में और पहिए में बंधे घुंघरू की आवाज से ही पूरा वातावरण शोर मय हुआ जा रहा था,,, बात की शुरुआत राजू को ही करना था यह बात राजू अच्छी तरह से जानता था इसलिए एक बहाने से अपनी मां की तारीफ करते हुए बात की शुरुआत करते हुए राजू बोला,,,।


आज तो तुम बहुत खूबसूरत लग रही हो मां,,
(अपने बेटे के मुंह से यह बात सुनते ही मधु का दिल गदगद हो गया,,, वह प्रसन्न हो गई,,, और अपने चेहरे पर प्रसन्नता के भाव लाते हुए बोली,,,)

क्यों तुझे ऐसा क्यों लग रहा है,,,,?


अरे आज नई नई साड़ी पहनी हो,,,


अच्छा तो तुझे इसलिए खूबसूरत लग रही हूं कि आज नई साड़ी पहनी हुं,,, और दीन तो एसी नहीं लगती थी ना,,,


नहीं नहीं मा ऐसी बात नहीं है,,, तुम सच में बहुत खूबसूरत हो,,,, मुझे तो बहुत अच्छी लगती हो,,,,।

(राजू की यह बात सुनते ही मधु को अपनी दोनों टांगों के बीच सीहरनसी दौड़ती हुई महसूस होने लगी,,, मधु यह बात अच्छी तरह से जानती थी कि उसका बेटा पूरी तरह से जवान हो गया है,,,)
 
Member
437
722
93
राजू एक बहाने से अपनी मां की खूबसूरती की तारीफ कर रहा था क्योंकि यह बात वह भी अच्छी तरह से जानता था कि औरतों को सबसे अच्छी अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनना लगता है,,,और यह सच भी था कि उसकी मां बेहद खूबसूरत थी,,, तभी तो राजू खुद अपनी मां की खूबसूरती का दीवाना हो गया था,,,,पहली बार वह बेल गाड़ी में बैठाकर अपनी मां को किसी दूसरे गांव छोड़ने जा रहा था ब्याह में रास्ते भर का सफर उसके पास था,,, ऐसे सफर के दौरान वह अपनी मां के मन में क्या है यह जानना चाहता था,,,,,, बात करने का कोई दूसरा उद्देश्य नहीं था तो राजू अपने मतलब की बात कर रहा था,,,, अपने बेटे के मुंह से अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनकर मधु अंदर ही अंदर बहुत खुश हो रही थी लेकिन अपने बेटे के मुंह से अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनना उसके तन बदन में अजीब सी हलचल भी पैदा कर रही थी उसे अपनी दोनों टांगों के बीच सिहरन सी पैदा होती हुई महसूस हो रही थी,,,,,,,,।


राजू लगता है कि तू अब जवान हो गया है तेरी शादी करना पड़ेगा,,,


वो क्यों मां,,,,?


अरे देख रही तू अब औरतों की तारीफ करने लगा है तुझे औरतों की खूबसूरती में दिलचस्पी आने लगी है समझने लगा है,,,


नहीं नहीं ऐसी बात नहीं है मां अगर हम अच्छे खूबसूरत फूल को देखते हैं तो उन्हें अच्छा कहते हैं उन्हें तोड़ लेते हैं अपने साथ रखते हैं वैसे भी खूबसूरती छुपाए नहीं छुपती और तुम खूबसूरत हो इसलिए कह रहा हूं,,, नहीं खूबसूरत होती तो नहीं कहता,,,,


इसका मतलब है कि तारीफ करने के लिए खूबसूरत होना जरूरी है,,,


अरे मां तुम तो बात का बतंगड़ बना रही हूं अच्छा हुआ कि तुम खूबसूरत हो वरना तुम्हें यही लगता है कि मैं बेकार में तुम्हारी खूबसूरती की तारीफ कर रहा हूं,,,,


नहीं नहीं यह बात तो मैं भी जानती हूं कि मैं खूबसूरत हूं लेकिन सच कहूं तो तूने जिस तरह से अपने मुंह से बोल दिया ना उस तरह से आज तक किसी ने नहीं बोला,,,,
(अपनी मां की बात सुनकर राजू के तन बदन में गुदगुदी हो रही थी क्योंकि अपनी मां की बात सुनकर उसे लगने लगा था कि उसकी मां उसके बातो के जाल में धीरे-धीरे फस रही है,,, अपनी मां की बात सुनकर राजा बोला,,,)


अरे किसी ने नहीं तो पिताजी ने तो कहा ही होगा,,, आखिर उनका आप पर पूरा हक है,,, और मैं यह भी जानता हूं कि पिताजी आप को बहुत मानते हैं बहुत प्यार करते हैं,,,(यह कहते हुए राजू की आंखों के सामने दीवार के छोटे से छेद से देखा गया हर एक दृश्य पल भर में नजर आने लगा कि कैसे उसके पिताजी अपने हाथों से उसकी मां की साड़ी उतारकर से नंगी करने के बाद जबरदस्त घमासान चुदाई करते थे और उसकी मां भी चुदाई का पूरा मजा लेती थी,,,)



तुझे कैसे पता कि तेरे पिताजी मुझे बहुत मानते हैं मुझे बहुत प्यार करते हैं,,,,,,
(अपनी मां की बातें सुनकर एक पल के लिए राजु के मन में आया कि अपनी मां से खुल कर बोल दे कि उसने तुम दोनों की जबरदस्त घमासान चुदाई अपनी आंखों से देखा है कैसे तुम दोनों एक दूसरे के बदन से आनंद लेते हो लेकिन ऐसा कैसे करें कि हिम्मत उसमें थी नहीं इसलिए वह बात को घुमाते हुए बोला,,,)


अरे मासी कैसी बात है तुम दोनों में कभी झगड़ा नहीं हुआ किसी बात को लेकर तकरार नहीं हुआ पिता जी आपकी बात जल्दी मान लेते हैं और आप की ताजी की बात मान लेती हो यही देख कर समझ में तो आता ही है कि तुम दोनों के बीच कितना प्यार है और दूसरों को देखो,,, मेरा एक दोस्त है गांव में रोज उसके घर झगड़ा होता रहता है रोज उसके पिताजी उसकी मां को पीटते हैं और कभी-कभी तो उसकी मां भी हाथ उठा देती हैं,,,,,(यह राजू के मन की बनी बनाई बात थी ऐसा कुछ भी नहीं था बस वह अपनी मां का मन बहलाना चाहता था उन्हें जताना चाहता था कि वाकई में उन दोनों के बीच बहुत प्यार है जो की सच्चाई भी थी)


तो तुझे तेरे दोस्त के परिवार अच्छे लगते हैं या तुझे खुद का परिवार अच्छा लगता है,,,


बेशक मां हमारा परिवार बहुत अच्छा है कितनी शांति है घर में किसी बात का झगड़ा मार नहीं है,,,,,,(राजू बैलगाड़ी को हांकते हुए बोल रहा था मधु पहली बार अपने बेटे से इस तरह की इतनी सारी बातें कर रही थी वरना दोनों कभी साथ में बैठते ही नहीं थे,,,, मधु को अपने बेटे से इस तरह की बातें करने में अच्छा लग रहा था,,,,,, मंजिल से बेहतर सफर का मजा मिल रहा था मधु के मन में हो रहा था कि काश यह सफर कभी खत्म ना हो,,,मैं तो यह बात अच्छी तरह से जानती थी कि उसका बेटा पूरी तरह से जवान हो चुका है,,, उसकी उफान मारती जवानी का उदाहरण वह अच्छी तरह से देख चुकी थी और एक जवान लड़के के साथ सफर तय करने में उसे बेहद अच्छा लग रहा था,,,, चारों तरफ पेड़ पौधे हरियाली हरियाली बीच से गुजरता हुआ कच्चा रास्ता और उस पर बैलगाड़ी के गुजरने से घुंघरू की आवाज वातावरण को और भी ज्यादा खूबसूरत बना रही थी,,,, आज मधु थोड़ा अच्छी तरीके से सजी-धजी थी और बैलगाड़ी में इस तरह से पीछे बैठने पर उसे अपने आप को एक

दुल्हन के रूप में देख रही थी क्योंकि वर्षो पहले जब वह विवाह करके आई थी तो इसी तरह से बैलगाड़ी में आई थी,,,,, घूंघट में पूरा मुखड़ा छुपा हुआ था बाराती पीछे चल रहे थे और उसका पति हरिया आगे आगे चल रहा था,,, सब लोग बेहद खुश थे,,,,आज बरसों बाद ना जाने क्यों मधु को अपना विवाह वाला समय याद आ रहा था वह बहुत खुश नजर आ रही थी बरसों बाद उसे एक बार फिर से दुल्हन होने का एहसास हो रहा था,,, बेल गाड़ी वाला जवान लड़का उसे अपना लड़का नहीं बनती कोई अनजान गाड़ी वाहन लग रहा था और यह एहसास उसके तन बदन में अजीब सी हलचल पैदा कर रहा था,,,, अपने मन में आए इस खयाल को अपने बेटे से बताते हुए बोली,,,)


तुझे पता है राजू आज मुझे कैसा लग रहा है,,,


कैसा लग रहा,, मां,,?

बरसों पहले मैं इसी तरह से दुल्हन बनकर बेल गाड़ी में बैठकर गांव में आई थी,,, उस दिन तो हमें बहुत सही देखी थी लेकिन आज मैं उतना सजी-धजी नहीं हूं लेकिन फिर भी मुझे अच्छी तरह से याद है है कि उस दिन भी मैं बहुत खूबसूरत लग रही थी,,,,।
(मधु किसी ख्यालों में खोए हुए अपने मन की बात बता रही थी और राजू अपनी मां की बात सुनकर मन ही मन प्रसन्न हो रहा था क्योंकि धीरे-धीरे इसी तरह से उसकी मां खुलना शुरू हो गई थी,,, अपनी मां की बात सुनकर राजू बीच में बोला,,,)

सच में मां,,, तब तो पिताजी तुम्हें देखते रह गए होंगे,,,


हां तो सच कह रहा है तेरे पिताजी ने मेरा चेहरा तो नहीं देखे थे लेकिन मेरा रूप रंग कद काठी देखकर बहुत खुश हो रहे थे रास्ते भर बराती लोग तेरे पिताजी को छेड़ते हुए जा रहे थे,,,,


क्या सच में मां क्या कह रहे थे सब लोग,,,,?


तेरे पिताजी के दोस्त लोग कह रहे थे,,,, हरिया तू तो बड़ा भाग्यवान है रे आसमान से परी लेकर आया है,,,, अब तो तुझे लालटेन की जरूरत बिल्कुल भी नहीं पड़ेगी,,,


वह क्यों मां,,,,?

क्योंकि मैं बहुत गोरी थी ना इसके लिए वह लोग कहते थे कि अंधेरे में भी बैठा दोगे तो कमरे में उजाला ही उजाला हो जाएगा,,,,


सच में हम लोग कितने खुश किस्मत हैं कि हमें तुम मिली हो पिताजी तो और भी ज्यादा खुश किस्मत हैं कि उन्हें इतना अच्छा जीवन साथी जो मिला है,,,,।

(अपने बेटे की बात सुनकर मधुर बहुत खुश हो रही थी आज बरसों बाद वह अपने मन की बात अपने ही जवान बेटे से कर रही थी इस तरह की बातें उसने आज तक किसी से नहीं कही थी लेकिन आज नहीं जाने क्यों वह अपने मन में दबी बातों को अपने बेटे से बता रही थी,,,,, और राजू मन ही मन खुश हो रहा था,,, क्योंकि आज उसकी मां ने अपने दिल के तार छोड़ दिए थे जिससे मधुर संगीत निकल रही थी और राजू इसी का फायदा उठाना चाहता था वह अपनी मां के मन की बात को जानना चाहता था,,,,)

अच्छा मैं एक बात बताओ पता नहीं मुझे पूछना चाहिए कि नहीं पूछना चाहिए लेकिन जब बाद में निकल ही गई है तो मैं सोचता हूं कि तुमसे पूछ ही लुं,,,


कौन सी बात,,,?


पहले बोलो गुस्सा तो नहीं करोगी ना,,,


अरे नहीं करूंगी बता तो सही,,,(मधु के भी मन में अजीब सी हलचल हो रही थी कि उसका बेटा ऐसा कौन सी बात पूछने वाला है जिसके लिए उसे इजाजत लेनी पड़ रही है और उसे इस बात का डर भी है कि बात गलत लग गई तो डांट पड़ेगी)


तुम्हें मेरी कसम है मैं अगर बात गलत लगे तो कुछ बोलना नहीं लेकिन मुझे डांटना नहीं क्योंकि तुम नाराज हो जाती हो तो मुझे अच्छा नहीं लगता,,,


ठीक है बाबा नहीं डांटुगी,,,


अच्छा मैं शादी से पहले तो पिताजी ने तुम्हें नहीं देखा था नहीं तुम्हारा चेहरा देखा था,,,


हां शादी से पहले ना तो मैं उन्हें देखी थी और ना ही तेरे पिताजी ने मुझे,,,


फिर पहली बार पिताजी ने तुमको कब और कहां देखा,,, !(राजू के इस सवाल में पूरी तरह से चना की भरी हुई थी पहले कि वह अपनी बात की माफी अपनी मां से मान चुका था वह पूरी तरह से निश्चिंत होकर अपनी मां से यह सवाल पूछा था वह देखना चाहता था कि उसकी मां भी सवाल का जवाब देती है या नहीं और इस सवाल को सुनकर उसकी मां भी थोड़ा सा शर्मा गई थी क्योंकि उसे लगने लगा था कि उसका बेटा किस बारे में बात कर रहा है फिर भी मधु जानबूझकर बात को घुमाते हुए बोली)


जिस दिन मैं शादी करके घर पर आई उसी दिन तेरे पिताजी ने मुझे देखा,,,,,,


फिर भी मां कैसे देखा पिताजी ने मतलब सबके सामने या अकेले में या अकेले कमरे में,,,,


अरे बता तो रही हूं की शादी करके आई थी उसी दिन,,,



मैं मैं फिर भी ठीक से समझ नहीं पा रहा हूं,,, पिताजी ने रात को तुम्हें देखा होगा क्या कहते हैं उस रात को,,, अरे मेरे दोस्त लोग बताते हैं,,,, अभी अभी मेरे दिमाग में था लेकिन,,,,(राजू जानबूझ कर बेल गाड़ी चलाते समय इस बात का जिक्र कर रहा था और उस रात का नाम भूल गया था जो शादी की पहली रात होती है जो कि वह बुरा नहीं था बस भूलने का नाटक कर रहा था वह अपनी मां के मुंह से सुनना चाहता था,,,) अरे मां क्या कहते हैं उस रात को जब दूल्हा दुल्हन की पहली रात होती है,,,

(अपने बेटे की यह बात सुनकर मधु के तन बदन में उत्तेजना की चिंगारी फूटने लगी क्योंकि मधु समझ गई थी कि उसका बेटा सुहागरात की बात कर रहा है और अपनी मां से ही कर रहा है यह थोड़ा अजीब जरूर था लेकिन ना जाने क्यों मत हो को उसकी यह बात बेहद उत्तेजनात्मक तरीके से अच्छी भी लग रही थी,,,,मैं तो अपने बेटे के सवाल का जवाब नहीं देना चाहती लेकिन फिर भी ना जाने क्यों उसके होठों पर अचानक ही वह शब्द आ ही गए,,,)

ससस,, सुहागरात,,,,

हां,,,,, सुहागरात मैं तो भूल ही गया था मेरा दोस्त बता रहा था किसी दिन दूल्हा दुल्हन एक दूसरे को अच्छी तरह से देखते हैं,,,, तो क्या मां पिताजी इसी रात को आपको अच्छी तरह से देखे थे,,,,।
(अब अपने बेटे का इस सवाल का जवाब बहुत ही सीधे उसे तो समझ में नहीं आ रहा था उसे अपनी बेटी पर थोड़ा गुस्सा भी आ रहा था लेकिन उसके सवाल पर ना जाने क्यों वह उत्साहित भी नजर आ रही थी शायद यह एक जवान लड़की के साथ एकांत पाने का नतीजा था कि मधु ना चाहते हुए भी अपनी बेटी के सवाल का जवाब देते हुए बोली,,,)


हां,,,,दूल्हा दुल्हन की पहली रात को ही सुहागरात कहते हैं और इसी दिन तेरे पिताजी ने मुझे ठीक तरह से देखे थे,,,,।
(यह कहते हुए मधु को अपनी पुर से काम रस रिसता हुआ महसूस हो रहा था और यही हाल राजू का भी था पजामे में उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया था,,,, उसे अच्छा लग रहा था कि उसकी मां उसके सवाल का जवाब दे रही है,,,अभी का सवाल समझ में नहीं आ रहा था कि वह कैसे पूछे लेकिन वह पूछे बिना रह भी नहीं पा रहा था वह अपनी मां से खुले शब्दों में पूछना चाहता था इसलिए उसके दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह सवाल पूछे या ना पूछे उसकी मां क्या सोचेगी क्या कहेगी कहीं गुस्सा हो गई तो,,, लेकिन फिर भी वह अब तो कर दो के मन में क्या चल रहा है इस बारे में अंदाजा लगा लेता था कई औरतों का संगत पाकर इस कला में राजू पूरी तरह से निपुण हो चुका और इसीलिए ही वह तपाक से बोला,,)

तुम्हारे सारे कपड़े उतार कर,,,,
(राजू एकदम मदहोशी भरे स्वर में भोला मधु अपने बेटे का यह सवाल सुनकर एकदम सनन रह गई,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसका बेटा इस तरह के खुले शब्दों में क्यों बोल रहा है उसकी आंखें फटी की फटी रह गई थी अब उसे अपने कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था कि उसका बेटा उसे इस तरह से खुले शब्दों में पूछ लिया था कुछ देर तक सन्नाटा छाया रहा तो राजू समझ गया की बात थोड़ी गंभीर है इसलिए खुद ही बात को संभालते हुए बोला,,,) मुझे ज्यादा तो नहीं मालूम है ना लेकिन मेरा दोस्त बता रहा था कि उसके पिताजी ने सुहागरात वाली रात को उसकी मां के सारे कपड़े उतार कर अच्छी तरह से देखे थे कभी खुश हुए थे वरना उसका दोस्त बता रहा था कि अगर उसकी मां से अच्छी नहीं लगती तो वह उसे उसके घर छोड़ देते ,,,,
मैं इसीलिए पूछ रहा था ना कि पिताजी ने भी तुम्हारे सारे कपड़े उतार कर दो मैं अच्छी तरह से देखने के बाद ही घर में रखे थे,,,,
(मधु को समझ में नहीं आ रहा थाकि उसका बेटा क्या सब जानबूझकर बोल रहा है या बालिस मन की वजह से ऐसा कह रहा है,,,, लेकिन इतना तो वह जानती थी कि उसका बेटा अब नादान बिल्कुल भी नहीं है लेकिन जिस तरह से उसने पूरी बात की गंभीरता को संभाल ले गया था उसे देखते हुए मधु की थोड़ी झिझक खत्म हो गई थी इसलिए अपने बेटे के सवाल का जवाब देते क्या बोली,,,)


हां सारे कपड़े उतार कर लेकिन इसलिए नहीं कि अच्छी लगेगी तभी व रखेंगे वरना मुझे मेरे घर छोड़ देंगे या तो एक रीति रिवाज होती है इसलिए वह सुहागवाली रात को मेरे सारे कपड़े उतार दिए थे,,,,(मधु सारी बात बोल गई थी लेकिन कैसे बोल रही थी या खुद उसे पता नहीं चल रहा था बैलगाड़ी अपने लय में आगे बढ़ रही थीनदी नाले ऊंची नीची सड़कों से गुजरते हुए बैलगाड़ी आधे रास्ते पर पहुंच चुकी थी लेकिन इस सफर का मजा अवर्णनीय था शायद यह सफर मधु को भी बहुत अच्छा लग रहा था रास्ता कब गुजर जा रहा था उन दोनों को इस बारे में पता तक नहीं चल रहा था अपनी मां का जवाब सुनकर राजू का लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था वह अपने मन में कल्पना कर रहा था कि पहली रात को उसके कपड़ों को कैसे उसके पिताजी अपने हाथों से उतार कर उसकी मां को नंगी किए होंगे उसके हर एक अंग को अपनी आंखों से देख कर कर उसे छूकर उसे चूम कर उस मस्ती को अपने अंदर उतारे होंगे,,,अपनी मां का जवाब देने के बाद कुछ देर तक सन्नाटा छाया रहा केवल बैल और बैल गाड़ी के पहिए में बने घुंघरू की आवाज ही शोर मचा रही थी,,, अपनी मां की बातें सुनकर जानबूझकर आश्चर्य जताते हुए राजू बोला,,,)

बाप रे मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा है की तुम्हें बिना कपड़ों में देखने के बाद कोई इंसान होश में कैसे रह सकता है मैं तो होता तो शायद मेरी जान निकल जाती,,,
(इस बात पर मधु की हंसी छूट गई वह बोली)

ऐसा क्यों बोल रहा है,,,

क्यों ना बोलूं मां तुम बहुत खूबसूरत हो जैसा कि पिताजी के दोस्तों ने बोला कि आसमान से परी लेकर आया है तो सोचो उस समय तुम कितनी खूबसूरत होगी इस समय भी तो भी तुम बहुत खूबसूरत हो वह समय की बात कर रहा हूं सोचो एक इंसान जब अपने हाथों से तुम्हारे सारे कपड़े उतार कर तुम्हें पूरी तरह से नंगी देखेगा तो तुम्हें नंगी देखने के बाद मुझे नहीं लगता कि वह अपने होश में होगा वह तो बेहोश हो जाएगा मदहोश हो जाएगा बिना पिए ही 4 बोतलों का नशा उसके तन बदन में छा जाएगा,,,,,
(राजू एक झटके में अपने मन की बात बोल गया था और यह बात सुनकर मधु के तन बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी थी क्योंकि उसका बेटा उसकी खूबसूरती नंगी जवानी की एक तरह से तारीफ ही कर रहा था कि उसे नंगी देखने के बाद भला कैसे कोई इंसान होश में रह सकता है,,, अपने बेटे की बातें सुनकर मधु को अपनी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार में हलचल सी महसूस होने लगी थी,,,, मधु का मन बहकने लगा था,,,, मधु को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या बोले वह पूरी तरह से खामोश हो गई थी,,,, राजू अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला)

चुप क्यों हो गई मां मैं झूठ थोड़ी कह रहा हूं जब अपनी आंखों के सामने छोड़ के प्यार करो या फिर आप अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी होकर खड़ी हो जाएगी तो बना इंसान कैसे उसके सामने टिक पाएगा वह तो वहीं ढेर हो जाएगा,,, पिताजी हो गए थे क्या मां,,, तुम्हें नंगी देखने के बाद उनका क्या हाल हुआ था,,,,!(राजू बहुत चालाक हो गया था वह एक बहाने से अपनी मां के मन की सारी बात को जान लेना चाहता था और उसके सवाल-जवाब को देखकर अंदाजा लगा रहा था कि उसकी मां के मन में क्या चल रहा है और किस तरह से वह आगे बढ़ेगा,,, सच यही था कि मधु अपने बेटे की चिकनी चुपड़ी बातों में आ चुकी थी वह अपने बेटे की बातों को सुनकर मस्त हुए जा रही थी उसकी बातों को सुनकर उसे भी अच्छा लग रहा था,,, अपने बेटे के सवाल का जवाब हुआ मुस्कुराते हुए देते हुए बोली)


धत् तू कैसी बातें कर रहा है,,, मैं स्वर्ग से उतरी अप्सरा थोड़ी ना हूं कि तेरे पिताजी वहीं ढेर हो जाएंगे,,,


नहीं मां मुझे तो विश्वास नहीं होता मैंने आज तक पूरे गांव में जहां भी घूम आओ तुम्हारी जैसी खूबसूरत औरत नहीं देखा और ऐसी खूबसूरत औरत अपने सारे कपड़े उतार कर अगर नंगी होकर खड़ी हो जाए तो देखने वाले की हालत खराब हो जाएगी वह तो वहीं गिर ही जाएगा,,,,।
(अपने बेटे की बातों को सुनकर मधु मन ही मन खुश हो रही थी और हैरान भी हो रही थी कि उसका बेटा बड़े आराम से उसके सामने ही नंगी जैसे शब्दों का प्रयोग कर रहा है,,, और वह भी बिना शर्माए,,,एक तरफ जहां वह अपने बेटे की बातों को सुनकर हैरान थी वहीं उसकी बातों से उत्तेजित भी हो रही थी,,,,,,, मधु के तन बदन में उत्तेजना की चिंगारी फुट रही थीअपने बेटे के मुंह से खुद ही बातें और अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनकर उससे रहा नहीं जा रहा था,,, पर वह अनजाने में ही अपने मुंह से उन शब्दों को बाहर निकाल दी जिसके बारे में सुनने के लिए राजू तड़प रहा था,,,)

अगर तु मुझे बिना कपड़ों के देख ले तो,,,
(बस यही तो राजू सुनना चाहता था वह एकदम से मदहोश हो गया अपनी मां के मुंह से यह शब्द सुनकर लेकिन अपने आप को बिना असहज किए ही वह सहज होता हुआ बोला,,)


बाप रे अगर सच पूछो तो मैं तुम्हें बिना कपड़ों के एकदम नंगी देख लूं तो शायद मेरा तो दिल की धड़कन ही बंद हो जाए मेरी तो सांसे ऊपर नीचे हो जाए,,,,,, मुझे तो समझ में नहीं आ रहा है की उस समय मेरा क्या होगा जब मैं तुम्हें बिना कपड़ों के एकदम नंगी देखूंगा,,,,।
(इतना कहकर वह बैलगाड़ी को आवाज लगाते हुए हांकते हुए बोला,,,) आहहह आहहहह,,, उधर नही ,,,,उधर नहीं,,, सीधे-सीधे,,,,,
(राजू जानबूझकर इस बात को ज्यादा तो नहीं देना चाहता था क्योंकि वह अपनी मां के सामने एकदम सहज बने रहना चाहता था वह बिल्कुल भी अपनी मां को जताना नहीं चाहता था कि उसके मन में किसी भी प्रकार की गंदगी है,,,, और अपने बेटे की बात सुनकर मधु मन ही मन प्रसन्न होने लगी उसके होठों पर मुस्कान तेरने लगी उसे इस बात की खुशी थी कि उसकी जवानी अभी पूरी तरह से काबिले तारीफ है जो एक जवान लड़के को मदहोश करने के लिए सक्षम है,,,, राजू जानबूझकर कुछ बोल नहीं रहा था,,,, वह अपनी बातों की दिशा को बदलते हुए बोला,,)


बस अब थोड़ी दूर ही रह गया है ना मां,,,, चलो अच्छा हुआ कि समय पर पहुंच जाएंगे क्योंकि मुझे शाम को लौटना भी है घर पर कोई नहीं है,,,,।
(राजू ने अपना काम बाण अपनी मां पर चला चुका था,,, उसकी मां राजू की बातों में पूरी तरह से सम्मोहित हो चुकी थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें बुर पूरी तरह से पानी पानी हो गई थी केवल इस तरह की बातें करके आज तक उसकी बुर ने इतना पानी नहीं छोड़ी थी,,, सांसो की गति भारी हो चली थी उसे जोरों की पेशाब लगने का आभास हो रहा था लेकिन अपने बेटे से कैसे कहे उसे समझ में

नहीं आ रहा था,,,, तभी उसे दूर उचाई पर एक कुआं नजर आया और वह तुरंत राजू से बोली,,)


राजु उस कुएं के पास रोकना मुझे जोरो की पेशश,,,, प्यास लगी है,,,,।
(राजू समझ गया कि उसकी मां क्या कहना चाहती जो कि उसके मुंह से निकलते निकलते रह गया था,,,)

ठीक है मुझे भी प्यास लगी है,,,,।
(और इतना कहने के साथ ही राजू ठीक उस कुएं के सामने बैलगाड़ी को खड़ा कर दिया कुंवा थोड़ी ऊंचाई पर था,,, बैलगाड़ी से तुरंत उतर कर राजू बेल गाड़ी के पीछे की तरफ के और अपनी मां को उतरने में मदद करने लगा उसकी मां उतरते समय उसका हाथ पकड़ कर नीचे उतरने लगी और उतरते समय थोड़ा सा झुकने की वजह से राजू को ब्लाउज में से जाती है उसकी मदमस्त कर देने वाली चूचियों की झलक मिल गई जिसे देख कर उसके मुंह में पानी आ गया,,,, और राजू की यह चोर नजरें मधु से छिपी नहीं रह सके मधु को इस बात का आभास हो गया था कि उसका बेटा उसकी झलक देख कर मस्त हो गया है और यह एहसास बदल के तन बदन में भी अजीब सी हलचल पैदा कर गया था,,,, राजू अपनी मां को सहारा देकर अपनी गाड़ी से नीचे उतारा,,, कच्ची सड़क से तकरीबन 3 फीट की ऊंचाई पर बना हुआ था और यह कुआं आने जाने वाले राहगीर के लिए ही बनाया गया था ताकि लोग सफर की प्यास कुए के शीतल जल को पीकर बुझा सके,,,,,, मधु को प्यास तो लगी थी लेकिन उससे ज्यादा जोरों की पेशाब लगी हुई थी रास्ते भर में अपने बेटे से ऊतेजनात्मक बातें करके वह पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी,,,, उससे पेशाब की तीव्रता बर्दाश्त नहीं हुई तो वह अपने बेटे से पहले ही जल्दी-जल्दी चलते हुए कुएं के पास पहुंच गई और अच्छी सी जगह ढूंढने लगी कुएं के पास ही एक बड़ा सा पत्थर था मधु ठीक उस पत्थर के पीछे जाकर अपनी साड़ी कमर तक उठा कर पेशाब करने लगी,,,,,राजू को इस बात का आभास तक नहीं था कि उसकी मां कुएं के पास पत्थर के पीछे बैठकर पेशाब कर रही है वह तो सोच रहा था कि उसको जोरों की प्यास लगी है इसलिए जल्दी से कुएं के पास चली गई और वह भी मदद करने के लिए उसके पीछे चल दिया लेकिन तुम्हें के पास कोई नहीं था तो वह,,, अनायास इधर उधर झांकते हुए ठीक पत्थर के पास पहुंच गया और मधु पेशाब करने में व्यस्त थी,,,, और राजू उसे ढूंढता हुआ ठीक पत्थर के पास पहुंचकर जैसे ही आवाज लगाया,,,।


मां कहां गई,,,,,(इतने में उसे पत्थर के पीछे बैठकर पेशाब करती हुई उसकी मां नजर आ गई उसकी गोरी गोरी मदमस्त कर देने वाली गांड राजू की आंखों के सामने थी और गुलाबी छेद में से पेशाब की मधुर ध्वनि सुनाई दे रही थी,,,, यह पल भर के लिए ही था लेकिन इतने में ही राजू ने अपनी मां की मदमस्त गांड के दर्शन कर लिया था और वह भी उसे पेशाब करते हुए देख रहा था जैसे ही मधु के कानों में राजू की आवाज गई वह तुरंत उसे रोकते हुए बोली)

अरे इधर नहीं इधर नहीं आ,,,,।
(लेकिन तब तक देर हो चुकी थी राजू ने वह सब कुछ देख लिया था जो उसे नहीं देखना चाहिए था,,, मधु ने भी पीछे नजर करके राजू को रोकने की कोशिश करते हुए उसकी आंखों को उसकी नजरों की सीधान को देख ली थी जो कि उसकी गांड की तरफ ही था पल भर में ही मधु एकदम से सिहर उठी,,,, राजू तुरंत दो कदम पीछे हट गया था लेकिन इस नजारे को देखकर वह पूरी तरह से मस्त हो गया था,,,, वह कुएं के पास खड़ा होकर बाल्टी को ढूंढ कर उसमें पास में पड़ी रस्सी बांधने लगा तब तक मधु पेशाब करके वापस उनके पास आ चुकी थी वह इतना तो जान चुकी थी कि उसका बेटा अपनी खुली आंखों से उसकी नंगी गांड को देख लिया था उसे पेशाब करते हुए देख लिया था यह एहसास ही मधु के तन बदन में आग लगा रहा था,,,, बाल्टी को रस्सी में बांधता हुआ देख कर मधु बोली,)


तू रहने दे राजू में पानी निकाल लूंगी तूने कभी कुवे से पानी निकाला नहीं है,,,


अरे रहने दो ना मां मैं तुम्हारी मदद कर देता हूं,,


तू रहने दे मदद करने को याद है एक दिन तो इसी तरह से मेरी मदद कर रहा था,,,,तो ,,,,(इतना कहकर मधु एकदम से खामोश हो गई उसके कहने का मतलब को राजू अच्छी तरह से समझ गया था लेकिन फिर भी जानने के उद्देश्य से वह बोला,,)


तो क्या हुआ मा आज भी मदद करने दो ना वैसे भी बाल्टी आज कुछ ज्यादा भारी है उसे से बड़ी है,,,,,,


नहीं नहीं तू रहने दे ,,(और इतना कहने के साथ ही,,,, मधु बाल्टी को कुएं में नीचे गिरा दी,,,और उसमें पानी भरने के लिए उसे गोल गोल कमाने लगे ऐसा करने पर मधु पूरी तरह से झुकी हुई थी,,, और झुकने की वजह से उसकी मदमस्त कर देने वाली गांड कुछ ज्यादा ही उभर कर बाहर निकली हुई थी राजू का मन तो कर रहा था कि पीछे से दबोच ले लेकिन उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी,,,कुछ पल पहले ही वह अपनी मां की नंगी गांड को देख चुका था साड़ी में और साड़ी के बगैर उसकी मां की दोनों तरह से ही बेहद खूबसूरत और आकर्षित लगती थी,,,,,,उसकी मां कुएं से पानी निकालने की कोशिश कर रही थी और राजू चारों तरफ का नजारा देख रहा था चारों तरफ हरियाली ही हरियाली थी दूर-दूर

तक कोई नजर नहीं आ रहा था चारों तरफ सन्नाटा छाया हुआ था बस पंछियों की आवाज भी सुनाई दे रही थी,,, सूर‌ज सर पर चढ़ आया था,,,, राजू अपने पिताजी को मन ही मन धन्यवाद दे रहा था कि अच्छा हुआ उन्होंने उसे बेल गाड़ी चलाना सिखा दिया वरना इतना खूबसूरत सफर का मजा हुआ कभी नहीं ले पाता,,,,,।


क्या हुआ मा आऊं क्या,,,,(अपनी मां को नीचे झुके हुए कुवे से पानी की बाल्टी को भरते हुए देखकर राजू बोला,,)

नहीं नहीं मैं कर लूंगी,,,,(राजू की तरफ देखे बिना ही मधुर बोली हालांकि वह अपने मन में यही चाहती थी कि उसकी मदद करने के लिए उस दिन की तरह ही उसका बेटा आज भी उसके पीछे खड़ा होकर कुवे में से बाल्टी को खींचे तो बहुत मजा आ जाए क्योंकि ना जाने क्यों मधु का मन अपने बेटे की मर्दाना ताकत की चुभन को अपनी गांड पर महसूस करने के लिए कर रहा था,,,,, राजू वहीं खड़ा रहा लेकिन तभी देखा कि कुएं में से बाल्टी को खींचते समय उसकी मां का पैर तक मंगा रहा था तो वह तुरंत अपनी मां के पीछे जाकर खड़ा हो गया और उसी तरह से रस्सी को पकड़कर खींचने लगा जैसा कि उस दिन अपनी मां की मदद कर रहा था,,,,अपनी मां की मदमस्त बड़ी बड़ी गांड और बाकी पूरी तरह से नंगी देखने के बाद उसका लैंड पहले से ही उफान मार रहा था और इस तरह से उसके पीछे खड़े हो जाने पर तो ऐसा लग रहा था कि पैजामा फाड़ कर बाहर ही आ जाएगा,,,,राजू अपनी मां की मदद करने के लिए अपनी मां के पीछे खड़ा होकर रस्सी को खींचने लगा था उसकी मां भी रस्सी खींच रही थी,,,,कुछ देर पहले ही उसके बेटे ने उसे पेशाब करते हुए देखा था इस बात का एहसास उसे उत्तेजित कर रहा था मधु की बुर से मदन रस का बहाव बड़ी जोर से हो रहा था,,,, तभी बाल्टी को खींचते समय वही एहसास फिर से मधु को महसूस होने लगा जैसा कि वह पहली बार महसूस की थी राजू का लंड पर जाने में होने के बावजूद भी पूरी तरह से उभार लिए हुए था जो कि ठीक उसकी मां की गांड के बीचो-बीच धंस रहा था,,, मधु की तो हालत खराब होने लगी इसीलिए वह अपने बेटे को मना कर रही थी लेकिन उसी से अकेले बाल्टी खींची भी नहीं जा रही थी और वह खुद चाहती थी कि उसका बेटा उसकी मदद करें,,,,।

मधु की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी,,, इस हरियाली से भरे स्थान पर मधु की जवानी जोर मार रही थी और वह भी अपने बेटे के लिए,,,धीरे-धीरे राजू बाल्टी को ऊपर की तरफ खींचने लगा लेकिन साथ ही जानबूझकर अपने लंड का दबाव अपनी मां की गांड पर बराबर बनाए हुए था उसकी मां भी उसकी हरकत का पूरा मजा ले रही थी,,,तो अभी जान पूछ कर ना जाने किस एहसास से अपनी गांड को पीछे की तरफ दे मार रही थी,,,, कभी-कभी राजू जल्दबाजी दिखाते हुए पूरा जोर लगा कर बाल्टी कोऊपर की तरफ खींचता तो अपनी कमर को आगे की तरफ धक्का दे देता ऐसा करने से उसे अपनी मां को चोदने का एहसास हो रहा था और उसके हर एक धक्के पर मधु पूरी तरह से पानी-पानी हो जा रही थी,,,बाल्टी जब तक कुएं से बाहर आती तब तक राजू ने अपनी हरकत की वजह से अपने लंड की रगड़ को अपनी मां की गांड पर महसूस करवा करवा कर उसका पानी निकाल दिया था मधु झड़ चुकी थी,,,,,,एहसास मधु के तन बदन में अजीब सी हलचल पैदा कर रहा था कि उसका बेटा बिना उसकी चुदाई कीए ही उसका पानी निकाल दिया था,,,, बाल्टी बॉय से बाहर आ चुकी थी और मधुअपने चेहरे पर आई शर्म की लालिमा को अपने बेटे से छुपाते हुए अपने हाथ में पानी लेकर अपने चेहरे पर मारकर अपने चेहरे को धोने की कोशिश करने लगी,,,,राजू को इस बात का आभास तक नहीं था कि राजू ने अपनी हरकत की वजह से अपनी मां का पानी निकाल दिया है,,, अपने चेहरे को धोते समय मधु चोर नजरों से अपने बेटे के पजामे की तरफ देखी तो दंग रह गई,,, उसके पहचाने में अच्छा खासा तंबू बना हुआ था और पल भर में ही मधु अपने बेटे के तंबू की शक्ल को उसके नंगे लड की कल्पना में तब्दील करने लगी तो वहां उसकी मोटाई और लंबाई से हैरान रह गई हालांकि अब तक वह अपने बेटे के लंड को नग्न अवस्था में नहीं देखी थी लेकिन फिर भी जो नजारा हुआ देख रही थी उससे उसे अच्छी तरह से आभास हो रहा था कि उसके बेटे के पजामे में मर्दाना ताकत से भरा हुआ है एक लंबा तगड़ा लंड है जो कि किसी की भी बुर में जाकर उसका पानी निकाल सकता है,,,,,।

दोनों पानी पीकर तृप्त हो चुके थे,,,, राजू वापस बेल गाड़ी चलाने लगा और अपनी मंजिल की तरफ जाने लगा थोड़ी ही देर में हवेली आ चुकी थी वह अपनी मां को घर गाड़ी से उतारकर,,,वापस घर की तरफ आ गया उसका मन तो आज घर पर लौटने का बिल्कुल भी नहीं कर रहा था क्योंकि वह सोच रहा था कि शादी में रुक जाए और यहीं पर किसी भी तरह का जुगाड़ करके अपनी मां की चुदाई कर दे क्योंकि ऐसा लग रहा था कि उसकी मां उसकी बातों में पूरी तरह से आ चुकी थी,,, लेकिन उसका घर पहुंचना भी जरूरी था,,, इसलिए वापस घर पर आ गया,,,।
 
Member
437
722
93
राजू अपनी मां को चौधरी के घर विवाह में छोड़ कर आया था लेकिन जाते-जाते अपनी मां के अंतर्मन में एक तूफ़ान सा छोड़ गया था,,,,, घर से चौधरी के हवेली तक पहुंचने के सफर में जिस तरह का उत्तेजना का अनुभव मधु ने अपने तन बदन में महसूस की थी उस तरह की उत्तेजना वह शायद ही कभी अनुभव की हो,,, मधु अपने बेटे की हरकत की वजह से पूरी तरह से हैरान थी वह अपनी हरकत से ही उसका पानी निकाल दिया था यह बात हैरान कर देने वाली थी,,,, सफर के दौरान मधु को बहुत मजा आया था अपने बेटे के साथ थोड़ी बहुत अश्लील बातें करने में,,, वह कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि वह अपनी बेटी से इस तरह की बातें करेगी और उसका बेटा भी उससे खुलकर बातें करेगा,,,,,, मधु की आंखों के सामने बार-बार वही दृश्य नजर आ जा रहा था जब वहपेशाब करने के लिए कुएं के पास बड़े पत्थर के पीछे जाकर अपनी साड़ी कमर तक उठाकर मूत रही थी और उसका बेटा राजू उसे ढूंढता हुआ अनजाने में ही वहां तक आ पहुंचा था उसे रोकते रोकते उसने शायद उसका सब कुछ देख लिया था,,, क्योंकि इस बात का एहसास मधु को खुद हो गया था अपने बेटे की नजरों को देखकर क्योंकि उसकी नजरें उसके पिछवाड़े पर ही टिकी हुई थी,,,, वह पल मधु के लिए बेहद शर्मसार कर देने वाला था क्योंकि बेटा अपनी मां को पेशाब करते हुए देख रहा है उसकी नंगी गांड को देख रहा था लेकिन शर्मसार कर देने वाले पल में भी ना जाने क्यों मधु के तन बदन में उत्तेजना की लहर उठ रही थी और शायद इसीलिए कि उसका बेटा उसे पेशाब करते हुए देख रहा था उसकी नंगी गांड के दर्शन कर रहा था,,,, यही वह पल था जब मधु पानी पानी हुई जा रही थी,,,,,, और उसके बाद एक बार फिर से कुएं में से पानी निकालते समय राजू वही हरकत को दौहराया जो पहली बार उसने हरकत किया था,,कुएं में से पानी की बाल्टी को खींचते समय जानबूझकर राजू अपने लंड का दबावअपनी मां की गांड पर दे रहा था जिसे मधु महसूस भी कर रही थी और आनन-फानन में अपनी कमर को झटके भी दे रहा था मानो कि जैसे वह उसकी पिटाई कर रहा हो यही सब मधु से बर्दाश्त नहीं हुआ और उसका पानी निकल गया,,,, कुछ भी हो वह पल मधु के लिए भी बेहद अद्भुत और उत्तेजनात्मक था,,,,,, इसीलिए तो चौधरी की हवेली पर पहुंचने के बावजूद भी वह अपने बेटे को तब तक देखती रही जब तक कि वह उसकी आंखों से ओझल नहीं हो गया,,,, राजू का भी मन अपनी मां को छोड़कर जाने को नहीं कर रहा था क्योंकि रास्ते पर जिस तरह की बातें हुई थी उसे देखते हुए राजू को लगने लगा था कि उसकी मंजिल अब दूर नहीं है अगर वह शादी में रुक जाता तो जरूर किसी न किसी जुगाड़ से अपनी मां की चुदाई कर देता और इस बात से साधु को भी ऐतराज नहीं होता क्योंकि उसका भी मन कहीं ना कहीं अपने बेटे पर आकर्षित होने लगा था,,,,।

दूसरी तरफ अपनी बीवी और अपने बेटे की गैर हाजरी में,,, हरिया अपनी छोटी बहन गुलाबी की जमकर चुदाई कर रहा था,,, घर में कोई नहीं था इसलिए घर का मुख्य द्वार बंद करके हरिया अपने सारे कपड़े उतार कर और गुलाबी को भी नंगी करके राजू के पहुंचने तक ना जाने कितनी बार उस की चुदाई कर चुका था,,,गुलाबी पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी लेकिन हरिया की जबरदस्त चुदाई के कारण वह थक भी गई थी,,,।आज हरिया को अपनी बहन की जवानी का रस पीने का भरपूर मौका मिला था जिसे वह अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहता था और इसी मौके का फायदा गुलाबी भी उठा रही थी वह अपने भाई को अपनी गांड उठा उठा कर दे रही,,, थी,,,,,।

दूसरी तरफश्याम राजू के घर के चक्कर लगा रहा था लेकिन मुख्य द्वार बंद होने की वजह से वह बार-बार वापस लौट जा रहा था वह राजू को यह बताना चाहता था कि उसके घर में 2 दिन के लिए कोई नहीं है सिर्फ वह है और उसकी मां है और यही सही मौका है राजू को अपनी मन की मुराद पूरी करने की लेकिन राजू से उसकी मुलाकात ही नहीं हो रही थी वह काफी परेशान नजर आ रहा था उसे इस बात का डर था कि कहीं चौधरी की हवेली पर राजू भी तो ब्याह में शामिल होने नहीं चला गया अगर ऐसा हो गया तो ऐसा मौका हाथ से जाता रहेगा इसलिए वह परेशान नजर आ रहा था,,,,।

शाम ढलते ढलते राजू घर पर पहुंच गया कब तक गुलाबी घर का काम करने में लग गई थी और हरिया घर से बाहर चला गया था ऐसे मौके पर राजू घर पर पहुंचा था कि राजू को बिल्कुल भी शक नहीं हुआ कि उसकी गैरमौजूदगी में उसकी पीठ पीछे उसके पिताजी और उसकी बुआ चुदाई का अद्भुत खेल खेल रहे थे,,,, बैलगाड़ी को खड़ी करके बहन को पीछे चौकड़ी में ले जाकर बांधने के बाद जैसे ही राजू घर में प्रवेश किया तो सामने ही गुलाबी झाड़ू लगाते हुए दिखाई थी उसकी गोल-गोल गांड देखकर राजू के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी एक तो वैसे ही सफर के दौरान वहअपनी मां की वजह से पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था इसलिए वह अपने बदन की गर्मी अपनी बुआ की चुदाई करके उतार लेना चाहता था इसलिए पीछे से जाकर अपनी बुआ को पकड़ लिया,,,, लेकिन दिनभर की चुदाई की

थकान से थक कर चूर हो चुकी गुलाबी बोली,,,।

बाप रे आते ही शुरू हो गया आज कुछ होने वाला नहीं है मेरे बदन में दर्द है,,,, आज रहने दे,,,


कैसी बातें कर रही हो बुआ,,, एक तो तुमसे मिलने के लिए मैं जल्दी-जल्दी मां को हवेली छोड़कर इधर आया हूं और आते ही तुम्हारी गांड देखकर मेरा लंड खड़ा हो गया और तुम हो कि मेरे लंड पर पानी डाल रही हो,,,,


अरे राजू समझने की कोशिश कर भाभी घर पर नहीं थी तो दिन भर घर की सफाई करने में थक गई हूं,,,।

नहीं नहीं मैं कुछ नहीं जानता एक बार तो लेने दो,,,, फिर आज नहीं लूंगा बस,,,,


तू बिल्कुल भी मानने वाला नहीं है,,,,


तुम्हारी जैसी बुआ हो तो भला भतीजा कहां मानने वाला होगा,,,,


तू एकदम शैतान हो गया है ,,,चल अच्छा जा दरवाजा बंद कर दिया लेकिन मैं सारे कपड़े नहीं करूंगी बस सलवार नीचे करके खड़ी हो जाती हूं पीछे से कर ले,,,


चलेगा बुआ कोई बात नहीं मुझे तो तुम्हारे सिर्फ गुलाबी छेद से काम है,,,,,, बस उतना ही खोल दो मेरे लिए बहुत है,,,।
(इतना कहने के साथ ही राजु तुरंत जाकर मुख्य द्वार को बंद कर दिया और वापस आने के साथ ही अपने पजामे को घुटनों से नीचे खींच दिया,,, उत्तेजना के मारे उसका लंड पहले से ही खड़ा था,,, जब तक वापस आता तब तक गुलाबी अपनी सलवार की डोरी खोल कर अपने सलवार को नीचे घुटनों तक लाकर दीवार पकड़कर झुक कर खड़ी हो गई थी,,,, आज दिन भर उसके बड़े भाई ने उसके ऊपर हर एक आसन आजमा कर उसकी टीका ही किया था इसलिए उसके बदन में दर्द महसूस हो रहा था वह तो राजू की जीत के आगे वह हार गई वरना आज राजू को करने नहीं देती,,,।

अपनी मां की मदमस्त जवानी की गर्मी से छाई उत्तेजना को वह अपनी बुआ की गुलाबी छेद पर उतार रहा था,,, अपने लंड पर थूक लगाकर एक झटके में ही अपने लंड को अपनी बुआ की बुर में डाल दिया और चोदना शुरू कर दिया,,,, दिन भर अपने भाई के लंड को अपनी बुर में लिए रहने के कारण उससे बड़ा लंड अपनी बुर में जाते ही उसे थोड़ा दर्द महसूस होने लगा लेकिन फिर भी दर्द के बावजूद भी उसका भतीजा उसे आनंद दे रहा था अपनी बुआ की गांड पकड़कर राजू ताबड़तोड़ धक्के लगा रहा था और जल्द ही अपना पानी निकाल कर शांत हो गया,,,,,,।

गुलाबी खाना बनाने में लगी हुई थी अंधेरा हो चुका था राजू गांव में इधर-उधर घूम रहा था तभी श्याम की नजर भी राजू पर पड़ी तो वह जल्दी जल्दी उसके पास आया और बोला,,,।


कहां चला गया था तू दिन भर मैं तुझे ‌ढुंढ रहा था,,,


क्यों मुझसे ऐसा कौन सा काम पड़ गया कि तू मुझे दिनभर ढूंढ रहा था कहीं मेरी बात तुझे पसंद तो नहीं आ गई तेरी मां की गांड मारने वाली,,,।

राजू,,,,(चारों तरफ नजर दौड़ा कर तसल्ली कर लेने के बाद,,) बात वही है,,, इधर आ मैं तुझे बताता हूं,,,,
(इतना कहकर श्याम उसे थोड़ी दूर लेकर आ और उसे सब कुछ बताने लगा कि 2 दिन के लिए झुमरी चौधरी की हवेली पर शादी में गई है,,, और उन दोनों के पास 2 दिन का भरपूर मौका है अपनी मुराद पूरी करने का,,,श्याम की यह बात सुनते ही राजु के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी वह एकदम खुश हो गया,,, और श्याम से बोला,,,)


वाह मेरे दोस्त तूने तो यह खबर सुना कर मेरा मन खुशियों से भर दिया तू नहीं जानता कि मैं कितना तड़प रहा हूं तेरी मां की गांड मारने के लिए,,,,लेकिन तू अगर बताया होता कि चौधरी के घर झुमरी को जाना है तो मैं अपनी बैलगाड़ी पर बैठा कर ले गया था क्योंकि मैं भी वहीं जाकर आ रहा हूं अपनी मां को वहीं छोड़ कर आया हूं,,,


चल जो हुआ सो हुआ अब आगे का सोच मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है कि कैसे करना है,,,(श्याम परेशान होता हुआ बोला)


तो बिल्कुल भी चिंता मत करो श्याम मैं सब कुछ संभाल लूंगा बस तू मेरा साथ देखना आज की रात हम दोनों मिलकर तेरी मां की कैसे गांड मारते हैं,,, बहुत मजा आएगा,,,,।
(श्याम की तो हालत राजू की बातें सुनकर ही खराब होती जा रही थी उसका लंड खड़ा होने लगा था अपनी मां की गांड मारने की बात सुनकर ,,,, राजू आगे की योजना श्याम को सुनाता हुआ बोला)


देख कैसे क्या करना है मैं सब जानता हूं,,,

क्या मुझे मां गांड मारने देगी,,,

अरे पागल उछल उछल कर देगी बस जैसा मैं कहूं वैसा ही करना,,,


देख राजु सब कुछ तेरे हाथ में है तेरे कहने पर ही मैं यह सब करने को तैयार हो गया हूं लेकिन एक बात याद रखना कि यह बात सिर्फ हम दोनों में रहना चाहिए गांव में अगर किसी को भी पता चला तो याद रखना उस दिन अनर्थ हो जाएगा,,,,(श्याम राजू को धमकी भरे स्वर में बोला उसका इस तरह से बर्ताव करना चाहिए था क्योंकि वह राजू के कहने पर ही एक बार फिर से अपनी मां को राजू के हाथों में सौंपने के लिए तैयार हो गया था और इस राज को राज ही रखने में दोनों की भलाई थी इस बात को भी श्याम अच्छी तरह से जानता था,,,)

तू बिल्कुल भी चिंता मत कर से हम अगर मुझे बताना होता तो अलग गांव में हल्ला हो गया होता कि मैंने तेरी मां की चुदाई किया हूं और तू खुद अपनी मां को चोदता है,,,


धीरे बोल,,,यार,,,(राजू की बात सुनते ही श्याम तुरंत उसे चुप कराते हुए बोला)


लेकिन राजू तू तो अकेलेपन का फायदा उठाकर अपनी मनमानी कर लेना और मेरी मां तुझ से करवाने के लिए मान भी जाएगी लेकिन मेरा क्या होगा मुझे कैसे तू इस खेल में शामिल करेगा,,,,।

अरे सब कुछ हो जाएगा,,, देख में आज तेरे वहां ही खाना खाऊंगा और खाना खाने के बाद थोड़ी देर के लिए तेरे घर से चला जाऊंगा और एकाद घंटे बाद फिर घर वापस आऊंगा,,, जोकि तेरी मां से सब कुछ बातें हो चुकी होगी और जब 1 घंटे बाद में तेरे घर वापस आऊंगा तो तू अपनी मां के साथ बिल्कुल भी मत रहना और इसके बाद मैं तेरी मां की चुदाई करना शुरू कर दूंगा दरवाजा की कड़ी मैं खुली छोड़ दूंगा और तू अंदर आकर सब कुछ अपनी आंखों से देख लेना,,,,


फिर क्या होगा,,,?


अरे फिर क्या,,, तेरी मां मुझसे चुदवाते हुए तुझे देख लेगी और तू अपनी मां को तेरी मां तो यही समझती है ना कि मैं तेरी मां को चोदता हूं तो तू नहीं जानता इसलिए तेरे सामने एकदम डर जाएगी,,,, तू जानबूझकर अपनी मां पर गुस्सा करना,,,, और मैं किसी भी तरह से तुझ से बात करने की कोशिश करूंगा कि तू अपनी मां को चोद ले,,, और इसमें तेरी मां को बिल्कुल भी खर्च नहीं होगा क्योंकि वह नहीं जानती है कि मैं तुम दोनों के बारे में सब कुछ जानता हूं तेरी मां के पहले से ही तेरे से चुदवाती है इसलिए एक बार फिर से मेरी आंखों के सामने चुदवाने मैं उसे किसी भी प्रकार का हर्ज नहीं होगा,,,, और ऐसे हम तीनों मिलकर रात रंगीन करेंगे,,,,।


यार तेरी सोच तो एकदम बेहतरीन है लेकिन तेरी युक्ति काम तो करेगी ना,,,!(श्याम शंका जताते हुए बोला)


एकदम काम करेगी तेरी मां को चोद कर मैं समझ गया हूं कि तेरी मां के बदन में बहुत आग है और वह अपने बदन की आग बुझाने के लिए कुछ भी कर सकती है,,,, लेकिन तेरी मा ईस समय है कहां,,?


अपने नदी के किनारे खुले मैदान में वही सोच करने गई है तु अभी जाकर उससे बात करनी तो थोड़ी चिंता कम हो जाए,,,,,,

वाह वहां तो और मजा आ जाएगा,,,,चल देखना चाहता है कि मैं तेरी मां को कैसे मनाता हूं,,,, तू ही उस दिन बहुत बोल रहा था ना कि तेरी मां मानने वाली नहीं है,,, और कैसे मेरा लंड देखकर पागल हो गई,,,

जाने दे यार सब औरत एक जैसी होती है,,,


लेकिन चल तो सही मुझे देख कर तेरी मां कैसे खुश हो जाती है यह भी तू अपनी आंखों से देख ले,,,,


नहीं नहीं जाने दे तू ही जा,,,,


अरे चलना यार पेड़ के पीछे छुप कर देखते रहना,,,,,,, इसी बहाने सौच भी कर लेना,,,,(ऐसा कहते हुए राजू जबरदस्ती उसका हाथ पकड़ कर ले जाने लगा वैसे तो श्याम का भी मन था तूने आंखों से सब कुछ देखने का वह देखना चाहता था कि रात में उसकी मां को कैसे बनाता है और उसकी मां कैसे तैयार हो जाती है लेकिन शर्म बस वह जाना नहीं चाहता था लेकिन फिर भी अपनी मां का एक नया रूप देखने के लिए वह लालायित था,,, इसलिए वह भी राजू के साथ चल दिया,,,,।

थोड़ी देर में ही वह दोनों,,, नदी के किनारे वाले खुले मैदान में पहुंच गए,,, जहां छोटी-छोटी झाड़ियां उगी हुई थी और झाड़ियों के पीछे छुप कर गांव की औरतें शौच करती थी,,, लेकिन इस समय यहां कोई नजर नहीं आ रहा था राजू गौर से हम दोनों बड़े ध्यान से पूरे मैदान में देख रहे थे लेकिन वहां श्याम की मां तो क्या कोई दूसरी औरत भी नजर नहीं आ रही थी,,,,।

क्या यार श्याम तू तो कह रहा था कि तेरी मां यही होगी यहां तो कोई नजर नहीं आ रहा है,,,


अरे यार यहीं के लिए तो निकली थी,,,(दोनों जहां खड़े थे वहां बड़े-बड़े पेड़ थे वह पेड़ के नीचे खड़े थे चारों तरफ धूप अंधेरा था,,,, दोनों धीरे-धीरे बातें कर रहे थे ताकि किसी और को सुनाई ना दे तभी राजू के कानों में पायल की छन छन और चूड़ियों की छन छन की आवाज सुनाई थी तो राधेश्याम को शांत कराता हुआ उस दिशा की तरफ निर्देश करके आगे बढ़ने लगा साथ में श्याम भी धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा था,,,,, तकरीबन 3 से 4 मीटर की दूरी तय करने के बाद वह लोग थोड़ा सा खुले मैदान की तरफ पहुंचे तो सामने का नजारा देखकर राजू के साथ-साथ श्याम भी एकदम मस्त हो गया क्योंकि छोटी सी झाड़ियों के पीछे श्याम की मां साड़ी को कमर तक उठाकर नीचे बैठकर सोच कर रही थी,,,,अपनी मां की नंगी बड़ी बड़ी गांड देखकर श्याम का लंड खड़ा होने लगा,,,, राजू से शांत रहने का इशारा किया और उसे वही खडे रहने का इशारा करके राजू चोर क़दमों के आगे बढ़ने लगा,,,।

ये नजारा अपनी आंखों से देखा ना श्याम से लिए बह रही हो रहा था क्योंकि उसकी मां सोच कर रही थी और ऐसे में उसका दोस्त उसकी मां के करीब जा रहा था और वह भी उसकी आंखों के सामने कोई और पल होता तो शायद राजू की हड्डीपसली एक कर देता लेकिन इस खेल में धीरे-धीरे शयाम को खुद को मजा आने लगा था इसलिए वह आनंद लेता हुआ उस दृश्य को देख रहा था,,,,यह श्याम की जिंदगी में पहला मौका था जब वह अपनी मां को इस तरह से खुले में सोच करते हुए बेहद करीब से देख रहा था,,,, अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड देखकर श्याम की हालत खराब होने लगी,,,, यह दृश्य बेहद मादकता से भरा हुआ थाक्योंकि जिस नजारे को वह देख रहा था वही नजारा उसका दोस्त राजू की देख रहा था और राजू तो उसकी मां की तरफ आगे बढ़ रहा था और वह खुद वहीं रुका रह गया था वह देखना चाहता था कि उसका दोस्त राजू उसकी मां को कैसे मनाता है,,,,, यह देखना एक बेटे के लिए बेहद अजीब था क्योंकि श्याम को अपनी मां पर पूरा विश्वास था लेकिन उसकी मां उसकी इच्छा हो उसकी सोच के विपरीत हीकामवासना के अधीन होकर उसके दोस्त के साथ शारीरिक संबंध बना दी थी और इस समय भी वही होने वाला था इस समय राजू श्याम की मां को रात के लिए मनाने वाला था और कैसे मनाना था यही देखना था,,,,।

श्याम झाड़ियों के पीछे दुबक कर बैठा हुआ था ताकि उस पर किसी की नजर ना पड़े और राजू धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा था श्याम की मां इस बात से बिल्कुल अनजान थी कि उसके पीछे उसका बेटा और राजू दोनों उसे ही देख रहे हैं,,,, यह जगह काफी सुनसान थी क्योंकि यह नदी का किनारा था यहां पर बहुत कम लोग सोच करने आया करते थे और जो भी आते थे वह जल्द ही आकर चले भी जाते थे,,, इसीलिए इस समय श्याम की मां के सिवा यहां पर और कोई नहीं था,,, राजू उत्तेजित हुआ जा रहा था कि किसकी आंखों के सामने उसकी सबसे बड़ी कमजोरी एक औरत की गांड ज्योति बड़ी-बड़ी जवानी से भरी हुई जिसकी जवानी को वह खुद लुट चुका था,,,।

श्याम की मां शौच करने में पूरी तरह से मशगूल हो गई थी यहां तक कि उसके पीछे की आहट भी उसे सुनाई नहीं दे रही थी,,, इसी का फायदा उठाते हुए राजू ठीक श्याम की मां के पीछे जाकर बैठ गया और वह भी खुद अपना पायजामा घुटनों तक खींच कर शौच करने की मुद्रा में बैठ गया,,,,और तुरंत अपना हाथ आगे बढ़ाकर श्याम की मां की गांड पर एक चपत लगाते हुए बोला,,,,।


क्या चाची अकेले-अकेले यहां आती हो मुझे भी बुला लिया करो,,,।
(गांड पर एकदम से चपत लगने से श्याम की मां चौक गई,,,और तुरंत पीछे की तरफ देखने लगी,, पीछे राजू को बैठा देखकर उसके जान में जान आई,,,,)

हाय दैया तु तो मुझे डरा ही दिया ,,, तू जहां क्या कर रहा है कोई देख लेगा तो,,,(श्याम की मां अपने चारों तरफ नजर घुमाते हुए बोली,,,)

अरे यहां कोई नहीं है सिर्फ मैं हूं और तुम हो तुम्हें ढूंढता ढूंढता मै यहां तक आ गया,,,,(राजू ठीक उसके बगल में बैठ कर उसकी बड़ी बड़ी गांड पर हाथ फिराता हुआ बोला,,,यह देखकर श्याम की हालत खराब हो रही थी उसे यकीन नहीं हो रहा था कि इतनी आसानी से उसकी मां अपनी गांड पर उसका हाथ रखने दे रही है,,,, लेकिन फिर अपने मन में श्याम सोचने लगा कि जो औरत चुदवा सकती है तो अपनी गांड पर हाथ रखवाले में कौन सी हर्ज होगी,,,, श्याम की मां लगातार चारों तरफ नजर घुमाकर देख रही थी कि कहीं कोई देख तो नहीं रहा है क्योंकि जिंदगी में पहली बार सोच करते समय कोई जवान लड़का उसके बगल में बैठ कर उसकी गांड को सहला रहा था,,, एक जवान लड़के की हरकत को देखकर श्याम की मां अंदर ही अंदर गनगाना जा रही थी उसे बहुत अच्छा लग रहा था,,,, कुछ देर शांत रहने के बाद वह राजू की बात पर गौर करते हुए बोली,,)

तु क्यों मुझे ढूंढ रहा है,,,? (कोई देखना चाहे तो भी ना देख पाए इसलिए थोड़ा सा बैठे-बैठे ही झाड़ियों में दुबकते हुए बोली,,)


आज मेरा बहुत मन हो गया था,,,।
(राजू की बातें सुनकर श्याम की मां की बुर भी फुदकने लगी,, क्योंकि उस दिन की चुदाई उसे अभी तक याद थी,,, राजू के कहने का मतलब को शयाम की मां अच्छी तरह समझ रही थी फिर भी अनजान बनते हुए बोली,,)


मन हो गया था,,, मैं कुछ समझी नहीं,,,,
(थोड़ी ही दूर पर झाड़ियों के पीछे बैठा हुआ श्याम अपनी मां की बात सुनकर अपने मन में ही बोला शाली नाटक करती है समझती सब कुछ है,,,)


तुम्हें चोदने का मन हो गया था चाची,,,, तुम्हारी दूर की बहुत याद आ रही थी,,,(राजू उसी तरह से उसकी गांड को सहलाता हुआ बोला,,, और बार-बार पीछे श्याम की तरफ देख ले रहा था वह एक तरह से अपनी हरकत से श्याम को चलाना चाहता था और ऐसा हो भी रहा था राजू की हरकत से श्याम को दुख भी हो रहा था लेकिन ना जाने क्यों अपनी आंखों के सामने अपनी मां का यह रूप देख कर उसे आनंद भी आ रहा था,,,।)

धत्,,, कैसी बातें करता है रे तु,,,, मैं ऐसी वैसी औरत थोड़ी हूं वह तो उस दिन ना जाने क्यों बहक गई थी,,,
(अपनी मां की बात सुनकर श्याम अपने मन में बोला शाली मोटा तगड़ा लंड देखकर बुर में खुजली होने लगी,,,)


तो मैं भी कौन सा ऐसा वैसा लड़का हूं,,, वह तो तुम्हारी जवानी देखकर मेरी हालत खराब हो जाती है इसलिए तुम्हें ढूंढता हुआ यहां आ गया हूं,,,(इतना कहते हुए धीरे-धीरे राजू अपनी हथेली को श्याम की मां की बुर के बेहद करीब लाकर उसके छेद पर रख कर अपनी उंगली से कुरेद ने लगा राजू की हरकत श्याम की मां के साथ-साथ श्याम के तन बदन में भी उत्तेजना की लहर दौड़ाने लगा,,, श्याम की मां राजू के हाथ को बिल्कुल भी हटा नहीं रही थी उसे भी बहुत मजा आ रहा था,,,,)

तो जिस तरह से आया है उसी तरह से चला जा तेरा कुछ होने वाला नहीं है मेरे बेटे को पता चल गया तो अनर्थ हो जाएगा,,,(अपनी मां की बात सुनकर श्याम को ऐसा लग रहा था कि शायद जो कुछ भी हुआ बहकावे में हो गया आज उसकी मां कुछ करने नहीं देगी लेकिन यह सब सुनकर भी श्याम को अजीब लग रहा था क्योंकि अगर जो कुछ भी हुआ था बहकावे में हुआ था तो अभी क्यों राजू के हाथ को अपनी गांड पर रखने दे रही है,,, श्याम को अपनी मां का चरित्र समझ में नहीं आ रहा था,,,)

अरे कुछ नहीं होगा कुछ भी पता चलने वाला नहीं है,,,,अगर श्याम ने कुछ देख भी लिया तो वह भी तुम्हारी जवानी देखकर पिघल जाएगा और वह भी तुम्हें चोदने को तैयार हो जाएगा,,,।(राजू चालाकी दिखाते हुए अपनी उंगली को बैठे-बैठे ही श्याम की मां की बुर में डालकर घुमाने लगा और राजू की यह हरकत से श्याम की मा पिघलने लगी,,,)


अरे राजू कैसी बातें करता है तू वह मेरा बेटा है भला एक बेटा अपनी मां को कैसे चोद सकता है,,,,,


अरे चाची तुम नहीं जानती आजकल तो बेटे की अपनी मां की चुदाई कर रहे हैं ,, और अपने बेटे से चुदवाया औरत भी खुश हो रही है,,,।(श्याम की मां के लिए यह बात कोई नई नहीं थी वह तो खुद अपने बेटे से चुदवाती थी इसलिए राजू की बात एक कान से सुनकर दूसरे कान से निकाल दी,,, लेकिन उसकी हरकत का मजा ले रही थी,,, राजू अपनी बात को आगे बढ़ाने से पहले श्याम की मां का हाथ पकड़कर बैठे हुए ही अपने लंड पर दिया जो की पूरी तरह से अपनी औकात में आकर खड़ा था,,, पीछे खड़ा श्याम राजू की हरकत को देख रहा था और यह भी साफ तौर पर देखा कि जैसे ही उसकी मां के हाथ में राजू का मोटा तगड़ा लंड आया उसकी मां से रहा नहीं गया और वह उत्तेजना में उसे अपनी हथेली में दबोच ली,,,, श्याम की मां इतनी जोर से राजू के लंड को अपनी हथेली में दबाई की राजू के मुंह से हल्की सिसकारी की आवाज निकल गई,,,, श्याम की मां का जोश देखकर राजू अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,) क्यों चाची एक बार फिर से हो जाए मेरा लंड पूरी तरह से तैयार है तुम्हारी बुर में जाने के लिए,,,,।
(राजू की गंदी गंदी बातें और उसका मोटा तगड़ा लंड श्याम की मां की हालत को खराब कर रहा था खुले मैदान में राजू उसके तन बदन में चुदासपन भर दिया था,,,, श्याम की मां को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें राजू पूरी तरह से उसके ऊपर हावी होता चला जा रहा था अपनी उंगली को लगातार उसकी बुर से अंदर बाहर करके उसे मस्त कर रहा था और दूसरी तरफ उसकी हथेली को अपने लंड पर रख उसे और ज्यादा गर्म कर दिया था,,, कुछ देर तक खामोशी छाई रही श्याम के दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी वह देखना चाहता था कि उसकी मां क्या निर्णय लेती है,,,, खामोशी को तोड़ता हुआ राजू ही फिर से बोला,,)

क्या कहती हो चाची दोगी,,,


यहां,,,, कोई देख लिया तो,,,,।
(श्याम की मां का इतना कहना था कि श्याम का दिल टूट गया उसे अपनी मां की मस्ती देखने मैं मजा तो आ रहा था,,,और वह राजू की हरकत का मजा भी ले रहा था लेकिन उसके दिल के कोने में कहीं ना कहीं इतना विश्वास था कि उसकी मां उसे इंकार कर देगी लेकिन अपनी आंखों से वह अपनी मां की मदमस्त जवानी को राजू की मर्दानगी के आगे घुटने देखता हुआ देख रहा था कुछ कर सकने की स्थिति में वह बिल्कुल भी नहीं था पेड़ के पीछे झाड़ियों में दुबक कर अपनी मां की कामलीला को अपनी आंखों से देख रहा था,,,, कोई देख लीया तो,,,श्याम की मां का इतना कहना उसकी तरफ से यही उसकी मॉल स्वीकृति भी थी जिसको राजू अच्छी तरह से समझता था इसलिए वह श्याम की मां को समझाते हुए बोला,,,।)



कोई नहीं देखेगा,,,, देख नहीं रही हो चारों तरफ अंधेरा छाया हुआ है,,,, कोई देखना चाहेगा तो भी नहीं देख पाएगा और वैसे भी मैं तुम्हें खड़ी करके तुम्हारी चुदाई नहीं करूंगा पर जिस तरह से तुम बैठी हो आगे झुक जाओ मैं पीछे से तुम्हारी ले लूंगा,,,


ऐसे आराम से कर लेगा ना,,,,


हां चाची तुम चिंता मत करो बड़े आराम से तुम्हारी लूंगा,,,


बड़े आराम से नहीं उस दिन की तरह एकदम जमकर,,,,

ओहहहह मेरी चाचा कसम से तुम्हारी यही अदा तो मुझे पागल कर देती है,,,,।
(राजू की बात सुनकर श्याम की मां मुस्कुराने लगी और जिस तरह से बैठी थी उसी तरह से आगे की तरफ झुक गई और ओक्कड़ु बैठ गई,,,श्याम तो अपनी मां की हरकत देखकर शर्म से पानी पानी हुआ जा रहा था उसे अपनी मां से यह उम्मीद नहीं थी लेकिन फिर भी ना जाने क्यों उसे यह सब देखना अच्छा लग रहा था,,,,उसका लंड भी अपनी मां की हरकत देख कर खड़ा हो गया था जिसे वह अपने हाथ में पकड़ कर हिला रहा था,,, श्याम की मां खुले मैदान में झाड़ियों के पीछे झुक कर अपनी बड़ी बड़ी गांड को राजू के आगे परोस दी थी और राजू अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,।)

बस चाची थोड़ा सा गांड और ऊपर उठाओ,,,
(श्याम तो राजू के मुंह से यह सब सुनकर एकदम उत्तेजना से सरोबोर हुआ जा रहा था 2 साल से अपनी मां की चुदाई करता रहा था लेकिन इस तरह से वह अपनी मां से बात नहीं किया था जिस तरह से राजू एकदम खुलकर उसकी मां से बातें कर रहा था और उसकी मां की उसके बात में उसका साथ दे रही थी,,, राजू की बात मानते हुए श्याम कि मा अपनी गांड को और थोड़ा ऊपर उठा दी,,,, राजू उत्तेजित हो गया था एक उम्र दराज औरत को अपनी बात मानता हुआ देखकर वह पूरी तरह से मस्ती के सागर में गोते लगाने को तैयार हो गया था और तुरंत अपने लिए श्याम की मां की गांड के पीछे जगह बनाते हुए अपने लंड को पकड़ कर उसकी बुरके छेद पर रख दिया,,, बुर पहले से ही पनीयाई हुई थी इसलिए पहले धक्के नहीं राजू का आधा लंड श्याम की मां की बुर में चला गया,,, आधा लंड बुर में घुसते ही श्याम की मां एकदम से मचल उठी,,,उसके मुंह से आह निकल गई लेकिन उसकी आहा श्याम और राजू के सिवा और कोई सुनने वाला कोई नहीं था और से हम अपनी मां के मुंह से आह की आवाज सुनकर एकदम मस्त हो गया,,, राजू श्याम की मां की गांड पकड़कर आधा बचा अपना लंड भी दूसरे धक्के में पूरा का पूरा घुसा दिया,,,,

आहहहहहह,,,, आराम से कर,,,,

आराम से कहां मजा आता है चाची,,,(और इतना कहने के साथ ही राजू अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया श्याम अपनी आंखों से सब कुछ साफ-साफ देख रहा था नदी के किनारे वाले मैदान में राजू उसकी मां की चुदाई करना था जोकि श्याम के सोचने के बिल्कुल विपरीत था श्याम कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उसकी मां इस तरह से रंडी पन दिखाएगी ,,,, लेकिन ना जाने क्यों शाम को अपनी मां की चुदाई देखने में मजा भी आ रहा था,,, राजू से चुदवाते समय वह पूरी तरह से उत्साह में आ गई थी,,, उसका उत्साह देखने लायक था राजू का साथ देते हुए वह बार-बार अपनी बड़ी-बड़ी ‌गांड को पीछे की तरफ दे मार रही थी,,,, राजू की बड़ी मस्ती के साथ श्याम की मां की चुदाई कर रहा था,,, दोनों पूरी तरह से मस्त हो चुके थे राजू श्याम की मां की कमर थामे अपनी कमर हिला रहा था और शयाम की मां से बोला,,,)


चाची मैंने सुना है कि आज झुमरी घर पर नहीं है 2 दिनों के लिए बाहर गई है,,,।

हां,,,रे तूने ठीक ही सुना है,,,,।

ओहहहह मेरीप्यारी चाची तब तो हम दोनों के पास 2 दिन का समय है कहो तो आज की रात तुम्हारे घर रुक कर रात भर तुम्हारी सेवा करु,,,।
(राजू की बात सुनते ही श्याम की मां मस्ती के साथ चुदवाते हुए थोड़ा शांत हो गए वह सोचने लगी और बोली)

नहीं नहीं झुमरी घर पर नहीं है लेकिन श्याम तो है,,, उसे पता चल गया तो,,,।
(अपनी मां की बात सुनकर श्याम समझ गया कि उसकी मां का भी मन है कि रात भर राजू उस की चुदाई करें)

अरे कुछ पता नहीं चलेगा चाची तो बिल्कुल भी चिंता मत करो,,,,


लेकिन तू घर पर क्या बोल कर आएगा,,,, मेरा बेटा अगर पूछ लिया तो,,,(श्याम की मां अपनी कमर को पीछे की तरफ ठेलते हुए बोली,,,)


अरे चाची तुम्हें चोदने के लिए तो मैं कोई भी बहाना बना सकता हूं,,, मैं कह दूंगा कि आज मेरे दोस्त के घर मेरा दावत है आज रात में वहीं रुकूंगा,,,।


हां यह ठीक है,,,लेकिन यह तो तू अपने घर पर बोलेगा मेरे घर पर क्या बोलेगा अगर श्याम पूछ लिया कि तू रात को घर पर क्या कर रहा है तब,,,,


ओहह चाची उसका भी बंदोबस्त मेरे पास है,,,, वैसे भी चाची तुम ज्यादा सोच विचार मत करो मैं श्याम के सो जाने के बाद ही तुम्हारे घर पर आऊंगा और रात भर तुम्हारी बुर की ऐसा सेवा करूंगा कि तुम जिंदगी भर याद रखोगी,,,।

ओहहहह राजू तू तो मुझे पागल कर देगा,,,


तू भी मेरी रानी किसी से कम नहीं है,,, तेरी बड़ी बड़ी,,(गांड पर जोर से चपत लगाते हुए)गांड देखकर मेरी हालत खराब हो जाती है तभी तो मैं पागल बनकर तेरे पीछे-पीछे यहां तक आ गया मेरी जान,,,,।
(राजू की यह गिरी हुई भाषा श्याम को बहुत बुरी लग रही थी ऐसा लग रहा था कि जैसे राजू उसकी मां को नहीं बल्कि किसी रंडी को बोल रहा हो,,,लेकीन चुदवाते समय शयाम की मां को राजु की यह बातें बड़ी अच्छी लग रही थी,,। वह बड़े मजे लेकर राजू की बातों का आनंद उठाते हुए चुदवा रही थी,,,। थोड़ी देर में दोनों का पानी एक साथ निकल गया,,,

श्याम की मां अपने कपड़ों को व्यवस्थित करके रात को मिलने का वादा लेकर वहां से मुस्कुराते हुए चली गई श्याम अपनी आंखों से सब कुछ देख रहा था,,, एक तरह से उसकी मां श्याम से बेवफाई कर रही थी,,, श्याम एक तरफ अपनी मां की बेवफाई से खुश भी नहीं था और दूसरी तरफ उसका आनंद भी ले रहा था,,,, श्याम की मां के चले जाने के बाद राजू भी अपना पैजामा बांधकर श्याम को बाहर निकलने के लिए बोला और श्याम झाड़ियों से बाहर आ गया श्याम के कंधे पर हाथ रखकर राजू उसे अपने साथ ले जाता हुआ बोला,,,।)

देखा मेरे दोस्त तेरी मां को कैसे मना लिया,,, अब देखना हम दोनों रात को मिलकर कितनी मस्ती करते हैं,,,।
 
Member
437
722
93
राजु ने श्याम की मां को नदी के खुले मैदान में अद्भुत सुख का अहसास कराया था,,,जोकि श्याम अपनी आंखों से सब कुछ देख रहा था,,, लेकिन कुछ भी बोल दे सकने की स्थिति में ना होने की वजह से वहां सिर्फ देखकर ही आनंद ले रहा था एक तरह से वह राजू से सीख भी रहा था कि किसी औरत को संतुष्ट किया जाता है,,,, श्याम अपनी मां की तरफ से बेहद हैरान था कि कहीं भी मौका देखते ही उसकी मराजो का साथ देने लग रही थी,,,,,, राजू इतना बड़ा हरामि लड़का होगा इस बारे में श्याम जो कि उसका दोस्त था उसे भी यकीन नहीं हो रहा था कि वह औरतों को कितनी जल्दी अपने बस में कर लेता है,,,उसके एक बार कहने से कैसे उसकी मां घुटनों के बल बैठकर अपनी बड़ी बड़ी गांड को हवा में उठा दी,,,,श्याम अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां राजू से पूरी तरह से संतुष्ट हो जा रही है तभी तो वह जैसा कह रहा है वैसा वह करने को तैयार हो जा रही थी,,,,,, श्याम को अपनी मां की इस बात से और ज्यादा हैरानी हो रही थी कि वह रात को भी राजू से चुदवाने के लिए तैयार हो गई थी और वह भी उसके सो जाने के बाद,,,, श्याम अपने मन में यही सोच रहा था कि औरत जात का बिल्कुल भी भरोसा नहीं है किसी से कुछ और तो किसी और से कुछ और,,,,,।

राजू शाम के कंधे पर हाथ रखकर गांव की तरफ चला जा रहा था और उससे बता रहा था कि,,,


देखा कैसे तेरी मां को मना लिया,,,अरे मैं जानता हूं तेरी मां मेरे लंड की दीवानी हो गई,, है,,,, तभी तो देखा नहीं कैसे यहां पर चुदवाने के लिए तैयार हो गई,,,,
( राजु की बात सुनकर श्याम कुछ भी बोल नहीं रहा था उसे गुस्सा तो आ रहा था लेकिन कर भी क्या सकता था वह अपने मन में यही सोच रहा था कि वह सारा कसर अपनी मां की गांड मारकर निकालेगा,,,, इसीलिए खामोश था,,,, राजू अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,) तू देखना आज तु कैसे खुश हो जाता है तेरी मां हम दोनों को अपनी गांड देगी,,, मजा आ जाएगा तेरी मां की गांड मारने में,,,,,
(राजू की बातों को सुनकर श्यामको गुस्सा बहुत आ रहा था क्योंकि कोई उसकी मां के बारे में इस तरह की बातें करें उसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था लेकिन एक गलती के कारण उसे सब कुछ बर्दाश्त करना पड़ रहा था और इस समय भी वह बर्दाश्त ही कर रहा था वरना वह राजू को वहीं ढेर कर देता लेकिन गांड मारने की लालच उसके मन में भी आ चुकी थी,,,, बातें करते हुए दोनों गांव में पहुंच गए थे,,, राजू उससे बोल कर चला गया कि थोड़ी देर में वह तेरे घर पर आएगा खाना खाने,,, इतना कह कर राजू अपने घर चला गया ,,, श्याम अपने घर पर पहुंच गया और हाथ मुंह धो कर राजू का एक बहाने से इंतजार करने लगा,,,, वह अपनी मां की तरफ ध्यान दे रहा था वह उसकी गतिविधियों पर नजर रखे हुए था,,, वह देखना चाहता था कि उसकी मां किस तरह से राजू का इंतजार कर रही है,,,,समय हो जाने के बावजूद भी आज शाम की मां खाना परोस नहीं रही थी वह राजू का इंतजार कर रही थी जो कि श्याम की मां से वादा किया था कि वह आएगा बार-बार वहां घर के बाहर की तरफ देख ले रही थी कि कहीं राजू बातों ने किया और यह सब देखकर श्याम अंदर ही अंदर जल भुन जा रहा था,,, श्याम अपनी आंखों से अपनी मां का रंडी पन देख रहा था,,,, उसे रहा नहीं किया तो वह अपनी मां से बोला,,,।

मां जल्दी से खाना परोसो मुझे भूख लगी है,,,

देती घनश्याम थोड़ा रुक तो सही,,,


अरे अब किसका इंतजार करना है झुमरी तो घर पर है नहीं सिर्फ हम दोनों हैं फिर खाना क्यों नहीं परोस रही हो,,,,,,,


अच्छा रुक मुझे बड़े जोरों की पेशाब लगी है मैं पेशाब करके आती हूं तब खाना परोसती हूं,,,(इतना कहकर श्याम की मां अपनी जगह से उठ खड़ी हुई और घर के पीछे की तरफ जाने लगी अपनी मां को पेशाब करने जाता हुआ देखकर श्याम अपने मन में ही बोला साली छिनार कैसे राजू का लंड लेने के लिए तड़प रही है,,, इस तरह से तो इसने मेरा इंतजार नहीं की,,,, लेकिन श्याम कुछ कर सकने की स्थिति में नहीं था वह भी राजू का ही इंतजार कर रहा था,,,,,,,,, थोड़ी देर में श्याम की मां पेशाब करके वापस रसोई घर में आ चुकी थी और अपने मन में यह सोच कर कि शायद रात में नहीं आएगा वह दो थाली निकालकर खाना परोसने लगी कि तभी उसे राजू की आवाज सुनाई दी उसके चेहरे पर राजू की आवाज सुनते ही मुस्कान तैरने लगी,,, वह खुश हो गई और यह बदलाव श्याम अपनी आंखों से देख रहा था और मन ही मन अपनी मां को गाली भी दे रहा था,,,,,, राजू को मालूम था कि उसे क्या करना है इसलिए श्याम के पास आते ही बोला,,,।


क्या दोस्त अकेले-अकेले खाना खा रहा है,,,, चाची मुझे नहीं खिलाओगी क्या,,,?(श्याम की मां की तरफ मुस्कुराकर देखते हुए राजू बोला,,,,)


अरे यार खा ले तेरे खाने से कम नहीं पड़ जाएगा,,,

हां हां बेटा जैसे श्याम मेरा बेटा है वैसे तू भी तो मेरा बेटा ही है,,,, तू भी खा लेगा तो मुझे बहुत खुशी मिलेगी,,,।
(अपनी मां की बात सुनकर श्याम अपने मन में बोला साली बेटा बेटा बोलकर उसका लंड पूरा बुर में ले लेती है,,,,,,,, श्याम राजू की योजना को अच्छी तरह से जानता था और श्याम की मा भी राजू की योजना से अच्छी तरह से वाकिफ थी,,,, राजू भी साथ में खाने बैठ गया था,,, श्याम की मां अंदर ही अंदर कसमसा रही थी क्योंकि वह जानती थी कि थोड़ी देर बाद श्याम के सो जाने के बाद राजू आएगा और रात भर उस की चुदाई करेगा,,, इस बात से ही श्याम की मां की बुर गीली हुई जा रही थी,,,।राजू अपने घर पर यह कह कर आया था कि आज वह अपने दोस्त के घर खाना खाएगा और वही रात को रुक भी जाएगा,,, और राजू की आवाज सुनते ही हरिया की धोती में तंबू बन गया था,,, उसकी तो रात रंगीन होने वाली थी और वह भी राजू के जाने का इंतजार कर रहा था राजू के जाते ही वह और गुलाबी दोनों कमरे में बंद हो गए और एक एक करके सारे कपड़े उतार कर दोनो नंगे हो गए,,,,,,,।


थोड़ी देर में तीनों ने खाना खा लिया था और राजू वहां से कुछ देर के लिए निकल गया था बर्तन को साफ करके झाड़ू पोछा मारकर श्याम की मां श्याम का विस्तार आंगन में लगाने लगी,,, रोज वह कमरे में भी सोचा था इसलिए सब कुछ जानते हुए भी शयाम अपनी मां से बोला,,,।


तुम बिस्तर यहां क्यों लगा रही हो मां,,,,


अरे आज देख नही रहा है कितनी गर्मी है,,, कमरे में तो बिल्कुल भी हवा नहीं चल रही है यहां आंगन में अच्छी हवा चल रही है यहां भी अच्छी आएगी,,,।
(अपनी मां की बातें सुनकर उसकी चालाकी को देखकर श्याम अपने मन में ही बोला साली छिनार चुदवाने के लिए कैसे-कैसे चालबाजी कर रही हैं जैसे कि मैं कुछ जानता ही नहीं हूं फिर भी श्याम अपनी मां की बात को मानता हुआ बोला,,,)

हां तुम ठीक कह रही हो यहां हवा भी अच्छी चल रही है ऐसा क्यों नहीं करती कि तुम भी यही सो जाओ,,,,


नहीं नहीं मैं अंदर सो जाऊंगी तू आराम से यहां सो,,,,(श्याम की मां आज अंदर कमरे में ही सोना चाहती थी क्योंकि मैं जानती थी कि राजू श्याम के सो जाने के बाद उसके पास आएगा और रात में उसकी जुदाई करेगा और उसे राजू का ही इंतजार था इसलिए एक बहाना करके वहां से उठने को हुई थी कि श्याम अपनी मां की चालबाजी और उसकी उत्सुकता उसके दोस्त से चुदवाने के लिए देखकर,,, श्याम से रहा नहीं गया और वह उत्तेजित अवस्था में अपनी मां का हाथ पकड़ कर उसे अपने ऊपर खटिया पर खींच लिया,,,,


अरे अरे यह क्या कर रहा है,,,,(श्याम की मां अपने आप को संभालते हुए बोली तो श्याम खुद उसे अपनी बांहों में भरते हुए बोला)

ऐसा मौका फिर कहां मिलने वाला है जल्दी घर पर नहीं है और तुम हो कि मेरा बिस्तर अलग लगा रही हो अब हम दोनों ही साथ में सोते हैं लेकिन इससे पहले मेरा लंड अपनी बुर में ले लो,,,,।


धत्त पागल आज मेरा मन बिल्कुल भी नहीं है,,,, मेरा बदन दर्द कर रहा है आज मुझे नहीं करवाना मुझे जाने दे,,,(ऐसा कहते हैं मैं शाम की मां दरवाजे पर देख रही थी जो कि दरवाजा अभी भी बंद था उसे इस बात का डर था कि कहीं राजू ना आ धमके और उसे इस हालत में ना देख ले,,,, क्योंकि श्याम की बात इस बात से बिल्कुल अनजान थे कि राजू को इस बात का पता चल गया है कि दोनों मां-बेटे के बीच में शारीरिक संबंध हैं दोनों बाप बेटे आपस में चुदाई का सुख भोगते हैं,,,, इसलिए वह अपने बेटे के पास से चली जाना चाहती थी लेकिन श्याम तो सब कुछ जानता था वह जानता था कि उन दोनों की चुदाई राजू अपनी आंखों से देख चुका है इसलिए अगर अभी भी वहां उसे अपनी मां को चोदते हुए देख लेगा तो भी कोई हर्ज नहीं है,,,, इसलिए श्याम फिर से उसे अपनी बाहों में कसते हुए बोला,,,)


ओहहहह मां कहां जा रही हो मेरा लैंड खड़ा करके अब तो यह तुम्हारी बुर में गए बिना शांत होने वाला नहीं है,,,(इतना कहने के साथ ही श्याम अपनी मां को अपने ऊपर ले कर उसकी साड़ी का कमर की तरफ उठाने लगा,,, श्याम की मां अपने बेटे की बाहों में छटपटा रही थी वजह से से जल्द उसकी बाहों से आजाद होना चाहती थी ताकि राजू अपनी आंखों से यह सब कुछ देख ना ले लेकिन श्याम की मां को इस बात का एहसास हो गया था कि बिना चोदे उसका बेटा उसे छोड़ने वाला नहीं है,,, इसलिए वहां तुरंत अपने बेटे का साथ देने लगी ताकि वह जल्द से जल्द अपने बेटे को झाड़ सकें और फिर अपने कमरे में जाकर राजु का इंतजार कर सके,,,,।)


चल कोई बात नहीं कर ले अपनी मनमानी,,,,।
(अपनी मां की बात सुनकर श्याम अपने मन में बोला शादी मुझे बोलती है कर ले अपनी मनमानी और खुद अपनी बुर अपने यार के लिए संभाल कर रखी है,,,, इस समय श्याम पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था,,, ज्यादा कुछ उसे करना नहीं था वह पहले से ही अपनी मां की साड़ी को कमर तक उतार चुका था और उसकी मां उसकी जांघों पर अपनी बड़ी बड़ी गांड रख कर बैठी हुई थी,,,, श्याम जल्दी से अपने

पजामे को नीचे करके अपने लंड को बाहर निकाला और उसे अपनी मां की बुर पर रगड़ने लगा शाम की मां को मालूम था कि उसे क्या करना है और तुरंत अपना एक हाथ नीचे की तरफ ले जा कर के अपने बेटे से लंड को पकड़ लिया और उसे अपनी गुलाबी छेद में पूरा का पूरा भर ली और धीरे-धीरे उठक बैठक करने लगी,,,, मजा तो शयाम की मां को भी आ रहा था वह जल्द से जल्द अपने बेटे का पानी निकाल देना चाहती थी क्योंकि वह जानती थी कि एक बार घर जाने के बाद उसे गहरी नींद आ जाएगी,,, इसीलिए वह जल्दी जल्दी अपनी भारी-भरकम गांड को अपने बेटे के लंड पर पटकने लगी,,,, और देखते ही देखते उसका बेटा जोर जोर से हांफने लगा,,, दोनों का एक साथ पानी निकल गया कुछ देर तक श्याम की मां अपने बेटे के लंड पर ही बेठी रह गई,,,। थोड़ी देर में लंड अपने आप सिकुड़ कर उसकी बुर से बाहर निकल गया,,,, श्याम जानबूझकर सोने का नाटक करने लगा,, वह देखना चाहता था कि अब उसकी मां क्या करती है,,,,।

थोड़ी देर बाद उसकी मां खटिया पर से उठी और श्याम की तरफ देखकर पूरी तरह से तसल्ली करने लगी थी वह सो चुका है या नहीं और श्याम गहरी नींद में होने का नाटक करने लगा यह देखकर श्याम की मां के चेहरे पर प्रसन्नता के भाव नजर आने लगे वह तुरंत दरवाजे पर गई और दरवाजा खोल कर बाहर की तरफ देख रही श्याम हल्की सी खुली आंखों से सब कुछ देख रहा था वह देख रहा था कि कैसे उसकी मां रंडी की तरह हरकत कर रही है,,,, श्याम साफ तौर पर देख रहा था कि उसकी मां दरवाजे पर खड़े होकर बाहर चारों तरफ नजर घुमाकर देख रही थी और क्या देख रही थी श्याम को इस बात का आभास अच्छी तरह से था वह राजू को ढूंढ रही थी,,, थोड़ी ही देर में राजू से नजर आ गया और वहां का ईसारा करके उसे बुलाने लगी,,,, थोड़ी देर में राजू घर में प्रवेश किया तोश्याम की बात दरवाजा बंद करके कड़ी लगा दी दोनों की मुस्कुराहट भरी बातें श्याम के कानों में अच्छी तरह से सुनाई दे रही थी,,, राजू कह रहा था कि श्याम सो गया कि जाग रहा है,,,।

सो गया है,,,,


कहीं जाग गया तो,,,(राजू शंका जताते हुए बोला)

वह अब सुबह से पहले नहीं उठने वाला,,,, इसलिए चिंता की बात नहीं है,,,,(श्याम अपनी मां की बात सुनकर हैरान था और वह भी इसलिए कि वह कैसे उतावली हुई जा रही थी राजू के लंड को अपनी बुर में लेने के लिए,,,,,, श्याम की मां की बात सुनकर जाती है क्यों खुश हो गया जो कि उसको मालूम था श्याम सोया नहीं है बल्कि जाग रहा है,, फिर भी जानबूझकर खुश होने का नाटक कर रहा था और वह एकदम से श्याम की मां की तरफ बढ़ा और उसे तुरंत अपनी गोद में उठाता हुआ बोला,,,,)

हाय मेरी रानी,,,, बहुत अच्छी हो तुम जो कि मेरे लिए अपने बेटे को सुला दी,,,, चलो अब अंदर चलते हैं जवानी का मजा लूटते हैं,,,,।
(राजू के द्वारा इस तरह से एकाएक गोद में उठा लेने की वजह से श्याम की मां एकदम से घबरा गई थी और घबराते हुए बोली,,)

अरे अरे यहां क्या कर रहा है छोड़ मुझे गिर जाऊंगी,,,

अरे ऐसे कैसे गिरोगी मेरी रानी,,, मैं तुम्हें गिरने थोड़ी ना दूंगा,,,।
(यह सब बातें सुनकर श्याम अपनी आंखों को हल्कै से खोलकर देखा तो हैरान रह गया राजू उसकी मां को अपनी गोद में बड़े आराम से उठाए हुए था,,, और गोद में उठा रहे होने की वजह से उसकी पूरी साड़ी कमर तक आ गई थी और नीचे से उसकी बड़ी बड़ी गांड एकदम साफ नजर आ रही थी,,,, श्याम पूरी तरह से हैरान हो चुका था राजू की ताकत को देखकर उसके मर्दाना जो उसको देखकर क्योंकि आज तक श्याम ने कभी भी अपनी मां को इस तरह से गोद में नहीं उठाया था लेकिन राजू बड़े आराम से उसकी मां को गोद में उठाकर गोल गोल घूम रहा था,,,, तभी उसकी मां बोली,,,)

अरे क्या कर रहा है उतार मुझे कहीं शयाम जाग गया तो अनर्थ हो जाएगा,,,,


अरे मेरी रानी,,, तुम चिंता मत करो तुम्हें मैं कमरे में ले चलता हूं वहीं पर मजा लूटेंगे,,,,,(पर इतना कहने के साथ ही बड़े आराम से राजू श्याम की मां को अपनी गोद में उठाए हुए उसके कमरे की तरफ ले जाने लगा श्याम या देखकर पूरी तरह से हैरान था उसे बड़ा अजीब लग रहा था,,,,श्याम अच्छी तरह से जानता था कि राजू उसकी मां को कमरे में उसे चोदने के लिए नहीं जा रहा है लेकिन यह जानते हुए भी एक बेटे के लिए बड़ा अजीब सा पल हो जाता है जब से इस बात का एहसास रहता है कि कोई उसकी मां को कमरे में उसे चोदने के लिए ले जा रहा है,,, श्याम की मां भी हैरान थी राजू की भुजाओं के बल को देखकर वह बड़े आराम से उसे गोद में लिए हुए उसे अंदर कमरे तक लेकर आया था उम्रदराज होने के नाते राजू उसके बेटे की उम्र का था और इसीलिए वह शर्म से पानी पानी हुए जा रही थी,,,,,, राजू गांड मारने कीखुशी की वजह से और ज्यादा जोश में आ गया था वह अंदर कमरे में पहुंचते ही श्याम की मां को खटिया पर पटक दिया और अपने कपड़े उतारने लगा पजामा मे उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था,,,जिसे श्याम की मां अपनी आंखों से देख रही थी लालटेन

अंदर कमरे में भी जल रही थी इसलिए सब कुछ साफ नजर आ रहा था,,, राजू अपने पजामे को उतारते हुए बोला,,,।)


आज देखना चाची मैं तुम्हारी बुर की कितनी सेवा करता हूं आज तुम एकदम मस्त हो जाओगी और आज की रात जिंदगी भर याद रखोगी,,,(ऐसा कहते हुए राजू अपना पजामा उतार कर नीचे जमीन पर फेंक दिया ,,, अब वहां श्याम की मां की आंखों के सामने पूरी तरह से नंगा खड़ा था गठीला बदन का मालिक होने के नाते उसके भुजाओं में बेशुमार बल था जिसका वह प्रदर्शन भी कर चुका था,,,, चौड़ी छाती देखकर श्याम की मां के तन बदन में आग लगने लगी ,,,उसकी नजर राजू के टनटनाए लंड पर थी,,, जिसे देख कर उसके मुंह में पानी आ रहा था,,,, राजू अपने लंड को पकड़ कर ले जाता श्याम की मां के करीब पहुंचा और एक हाथ उसके सर पर रख कर उसे अपने लंड की तरफ खींचने लगा,,,ऐसा लग रहा था कि जैसे श्याम की मां राजू के इशारे को अच्छी तरह से समझ रही थी वह भी अपने प्यासे होठों को राजू के लंड के करीब लाने लगी और जल्द ही दहकते लंड के सुपाड़े का और प्यासे होठों का मिलन हो गया,,, राजू अपने लंड को श्याम की मां के होठों पर रगड़ने लगा श्याम की मां मस्त हो जा रही थी वह बार-बार अपने होठों को खोल दे रही थी ताकि राजू के लंड को अपने मुंह में लेकर चूस सके लेकिन राजु था कि उसे और तड़पा रहा था,,,, लेकिन जल्द ही राजू ने श्याम की मां की तड़प को दूर करते हुए अपने लंड को उसके गुलाबी होठों के बीच प्रवेश करा दिया,,,, और जैसे किसी बच्चे को भूख मिटाने के लिए चुची मिल जाए उसी तरह से श्याम की मां ने भी गप्प से उसे मुंह में लेकर चुसना शुरू कर दी,,,।

बाहर खटिया पर लेटा श्याम उसकी आंखों में तो नहीं वैसे भी नहीं थी लेकिन अब तो उसकी उत्सुकता और ज्यादा बढ़ गई थी क्योंकि उसकी मां और उसका दोष राजा दोनों अंदर कमरे में अकेले थे पता नहीं राजू क्या कर रहा होगा उसकी मां क्या करवा रही होगी इस बारे में सोच सोच कर श्याम परेशान हुआ जा रहा था,,,, वह जल्द से जल्द अंदर कमरे में हूं दोनों के सामने पहुंचाना चाहता था ताकि उस खेल में वह भी प्रवेश ले सके,,,, लेकिन इतनी जल्दी नहीं पहचानता था कि जिस खेल को खेलना है उसमें जल्द बाजी का बिल्कुल भी काम नहीं था,,, वह खेल एकदम धैर्य के साथ खेलना जरूरी था,,,,,,, श्याम का मन तो नहीं मान रहा था वह जल्द से जल्द अंदर वाले कमरे में पहुंचाना चाहता था लेकिन वह अपने आप को बनाकर वहीं रुका रह गया वह कुछ देर और इंतजार करना चाहता मैं कहां के माहौल पूरी तरह से गर्म हो जाए वैसे तो वह चित्र से जानता था कि जैसे ही उसकी मां कपड़े उतार कर नंगी हो जाती है तो माहौल ,तुरंत गर्म हो जाता है ,,,।,,,,श्याम का दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि उसकी आंखों के सामने ही उसका दोस्त उसकी मां को गोद में उठाकर अंदर वाले कमरे में ले गया था,,,।

अंदर पूरी तरह से मस्ती छाई हुई थी लालटेन की रोशनी में राजू अपने सारे कपड़े उतार कर नंगा हो गया था और श्याम की मां के मुंह में अपना लंड डालकर उसे चुसा रहा था जिसे श्याम की मां बड़े चाव से मुंह में लेकर चूस रही थी,,, राजू का लंड कुछ ज्यादा ही मोटा तगड़ा था जिसकी वजह से श्याम की मां को अपना मुंह पूरा का पूरा खोलकर उसे चुसना पड रहा था,,,।, श्याम की मां ईस समय अपने पूरे वस्त्रों में थी,,, राजू ने या उसने खुद ने अभी तक अपने कपड़ों को नहीं उतारी थी और राजू था कि उसके सामने पूरी तरह से नंगा खड़ा था और उसका लंड उसके मुंह में था जिसे वह बड़ी दिलचस्पी लेते हुए चूस रही थी,,,।

श्याम की मां का बड़ा ही रंडीपन वाला बर्ताव नजर आ रहा था,,, क्योंकि वह पानी से अपने बेटे को जल्दी से सुला दी थी और उसके सोने के बाद राजू को अपने कमरे में ले कर चली गई थी जहां पर दोनों,,, चुदाई का नंगा खेल खेल रहे थे,,,बाहर खटिया पर सोने का नाटक करके लेटा हुआ श्याम इतना तो अच्छी तरह से जानता था कि अंदर कमरे में क्या हो रहा है लेकिन कैसे हो रहा है उसे नहीं मालूम था वह थोड़ा देर और वही इंतजार करना चाहता था,,, क्योंकि वह अपने मन में यही सोच रहा था किउसे तब अंदर वाले कमरे में पहुंचना चाहिए जब राजू का लंड उसकी मां की बुर में घुसा हुआ हो ताकि वह अपनी मां को रंगे हाथ पकड़ कर आज की रात रंगीन कर दे,,,,।

ओहहहह चाची तुम कितना मस्त चुस्ती है मुझे तो एकदम मदहोश कर दे रही हो,,,(राजू श्याम की मां के सर पर हाथ रख कर अपनी कमर को हल्के हल्के आगे पीछे करके हिलाते हुए बोला,,,, मुंह में लंड ठुंसा होने की वजह से हुआ कुछ बोल नहीं पा रही थी बस,,गुंंऊऊऊऊऊ,,गुंऊऊऊऊऊ करके जवाब दे रही थी राजू अपनी उत्तेजना को और बढ़ाने के लिए अपने दोनों हाथों को नीचे ले जाकर ब्लाउज के ऊपर से श्याम की मां की दोनों चूचियों को पकड़ कर जोर जोर से दबाने लगा,,,।)

वाह चाची तुम्हारी चूचियां एकदम पपैया की तरह हो गई है दबाने में बहुत मजा आता है,,सहहहहह आहहहहहहह,,,।
(श्याम कि मैं कुछ बोल नहीं रही थी वह राजू के मुसल में पूरी तरह से जुटी हुई थी,,, और अपने स्तन मर्दन का आनंद ले रही थी,,,। बड़ा ही कामुक नजारा बना हुआ था,,, राजू तो श्याम की मां के लाल-लाल होठों के बीच अपना लंड डालकर उसके होठों को ही उसकी बुर समझकर अंदर धक्के लगा रहा था,,,,,राजू श्याम की मां को पसीना से पूरी तरह से मदहोश कर देना चाहता था इसलिए उसकी हरकत लगातार बढ़ती जा रही थी वह श्याम की मां की चूचियों को दबाता हुआ धीरे-धीरे उसकी ब्लाउज का बटन खोलने लगा था और देखते ही देखते वह ब्लाउज को उसके बदन से अलग कर दिया,,,,श्याम की मां की नंगी चूचियों को अपने हाथ में लेने में उसे कुछ ज्यादा ही मजा आ रहा था उम्रदराज होने के बावजूद भी चुचीयों में बस थोड़ा सा लटकन आ गया था बाकी तो पूरी की पूरी तैयारी आम की तरह दिखाई देती थी,,,,।

श्याम की मां पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी वह जोर-जोर से राजू के लंड को अपने मुंह के अंदर बाहर कर रही थी यह देखकर राजू समझ गया था कि हथोड़ा मारने का समय आ गया है,,,, वह तुरंत श्याम की मां के मुंह में से अपने लंड को बाहर खींच लिया,,,, लंड पूरी तरह से उसके थूक और लार से सना हुआ था,,,, मुंह से लंड बाहर निकल जाने की वजह से ऐसा लग रहा था कि जैसे कोई पसंदीदा चीज उसके मुंह से बाहर निकाल ली गई हो और उसका मुंह खुला का खुला रह गया था इसलिए राजु तुरंत श्याम की मां के चेहरे को अपने हाथों में लेकर,,, उसके होठों पर अपने होंठ रख कर उसे चुंबन करने लगा राजू की यह हरकत श्याम की मां के लिए अत्यधिक उत्तेजना प्रदान करने वाली थी वह कभी सोची नहीं थी कि एक जवान लड़का उसके होंठों को इस तरह से चुमेगा,,,,।

लालटेन की पीली रोशनी मे माहौल पूरी तरह से गर्मा चुका था,,,, श्याम की मां से बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा था वह उतावली हुए जा रही थी राजू के लंड़ कों के लिए बोर में लेने के लिएइसलिए वह खुद खटिया पर से खड़ी होकर बाकी अपने सारे कपड़े उतारने लगी और देखते ही देखते राजू की आंखों के सामनेवह पूरी तरह से नंगी हो गई अंदर वाले कमरे में रांची और श्याम की मात्रा ना लर्न अवस्था में खड़े थे राजू का लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आ कर छत की ओर मुंह उठाए खड़ा था और श्याम की चुदवासी हुए जा रही थी,,,वह अपनी बुर को अपनी हथेली से मसलते हुए राजु से बोली,,,।


ओहहहह मेरे राजा इतनातड़पा क्यों रहा है डाल दे जल्दी से अपना लंड मेरी बुर में और चोद मुझे,,,,।

(तब तक श्याम खटिया से उठकर अंदर वाले कमरे की दीवार की ओर तक पहुंच चुका था और उसके कानों में उसकी मां की बात सुनाई पड़ चुकी थी अपनी मां की यह बात सुनकर श्याम थोड़ा सा अपने मन में गुस्सा करते हुए अपने मन में ही बोला,,, सारी छिनार रंडी कैसे अपनी बुर में लंड डालने के लिए बोल रही है और आज तक कभी भी अपने मुंह से मुझे नहीं बोली,,, साली रंडी भोसड़ा चोदी,,,, श्याम अपने मन में ही अपनी मां को गंदी-गंदी गालियां दिया जा रहा था,,,अभी तक उसने कमरे के अंदर के नजारे को अपनी आंखों से देखा नहीं था बस दीवाल की ओट में आकर खड़ा हो गया था,,, अपनी मां की बातों को सुनकर इतना तो उसे एहसास हो गया था कि अंदर का नजारा गरमा गरम हो गया होगा इसीलिए वह दीवार की ओट में खड़ा होकर धीरे धीरे कमरे के अंदर के नजारे को देखने की कोशिश करने लगा तो जल्द ही उसे लालटेन की पीली रोशनी में सब कुछ साफ नजर आने लगा अंदर कमरे में उसकी मां एकदम नंगी खड़ी थी और अपनी बुर को अपने ही देरी से मसल रही थी अपनी मां का यह रूप देख करश्याम को जहां गुस्सा आ रहा था वही एक तरफ उसे अपनी मां का यह रूप बेहद उत्तेजनात्मक भी लग रहा था,,,वही ठीक उसके सामने राजू खड़ा था एकदम नंगा और अपने लंड को हाथ में लेकर उसे ऊपर नीचे करके हिला रहा था यह देखकर श्याम के तन बदन में आग लगी क्योंकि राजू थोड़ी ही देर में उसकी मां की चुदाई करने वाला था,,,, श्याम की मां की बातें और उसकी हरकत को देखकर राजू बोला,,,)

चिंता मत कर मेरी रानी आज तेरी बुर का भोसड़ा बना दूंगा तेरी ऐसी चुदाई करूंगा कि तू जिंदगी भर याद रखेगी,,,,


जिंदगी भर याद रखने के लिए तो तुझे आज की रात बुलाई हूं,,,, मेरे राजा,,,,।

(मेरे राजा कहते हुए श्याम को उसकी मां रंडी से बिल्कुल भी कम नहीं लग रही थी,,,, देखते ही देखते श्याम का भी लंड खड़ा हो गया,,,,)
तब देर किस बात की है मेरी जान,,, मेरा लंड और तेरी बुर दोनों तैयार है,,,, चल लेट जा खटीया पर,,,,।

(और इतना सुनते ही श्याम की मां तुरंत खटिया पर जाकर पीठ के बल लेट गई और खुद ही अपनी दोनों टांगों को फैला कर दोनों हाथों से अपनी बुर मसलने लगी,,,, यह देखकर राजू के साथ साथ श्याम के भी पसीने छूटने लगे,,,, अपनी मां की हरकत देखकर श्याम से बर्दाश्त नहीं हो रहा था उसका मन कर रहा था कि राखी से पहले वह खुद अपनी मां की चुदाई कर दे,,,, लेकिन ऐसा अभी करना ठीक नहीं था इसलिए वह वही खड़ा रहा और राजू की तरफ देखने लगा जो कि राजू पूरी तरह से तैयार था उसकी मां की चुदाई करने के लिए वह अपने हाथ में लंड पकड़े हुए ही उसे हिलाते हुए श्याम की मां की तरफ बढ़ने लगा जैसे जैसे बस श्याम की मां की तरफ बढ़ रहा था वैसे वैसे श्याम की मां के चेहरे की रंगत बढ़ती जा रही थी,,,, देखते ही देखते राजा खटिया पर घुटनों के बल चल गया और श्याम की मां की दोनों टांगों के बीच अपने लिए जगह बनाने लगा,,,, बिना देर किए राजू अपने लंड को श्याम की मां की बुर पर रखकर जोर से धक्का दे दिया और लंड फचच करके अंदर घुस गया,,,, एक हल्की सी आहह सुनाई दी उसके बाद राजू की कमर किसी मशीन की तरह चलने लगी श्याम के मां के मुंह से सिसकारी की आवाज निकलना शुरू हो गई थी पहले ही धक्के के साथ राजू ने श्याम की मां पर अपनी पकड़ बना लिया था,,,, श्याम की मां पूरी तरह से राजू के आगोश में आ चुकी थी,,,,दीवार की ओट में खड़ा श्याम अपनी मां को चुदते हुए देख रहा था,,, श्याम की मां की मोटी मोटी जांगे और राजू की मोटी मांसल जांघें एक दूसरे की जांघों पर थाप पर थीप दे रही थी,,, श्याम राजू के गठीले बदन को देखकरअपनी मां की हालत के बारे में समझने लगा अच्छी तरह से समझ गया था कि और तो कभी हट्टा कट्टा मर्दाना ताकत से भरा हुआ मर्द ही भाता है,,,।


सहहहह ओहहहह,,,,,ऊममममम ओ मेरे राजा कितना मजा आ रहा है तेरा लंड मेरे बच्चेदानी तक जा रहा है और जोर जोर से धक्के लगा,,,,।
(इतना सुनकर राजू और ज्यादा जोश में आ गया और थोड़ी ही देर में फच फच की आवाज से पूरा कमरा गूंजने लगा ,,, श्याम अपनी मां की बातें और उसकी बुर में से आ रही फच फच की आवाज सुनकर पूरी तरह से मदहोश हो गया और यही ठीक समय भी था उन दोनों के सामने आने का,,,,,,, वह दोनों पूरी तरह से चुदाई में तल्लीन हो चुके थे राजू धड़ाधड़ अपनी कमर हिला रहा था,,, खटिया के चर्मराने की आवाज आ रही थी और ऐसे में ही श्याम ठीक हूं दोनों के पीछे जाकर खड़ा हो गया और जोर से बोला,,,।)


यह सब क्या हो रहा है,,,,,।
(श्याम की मां श्याम की आवाज सुनते ही एकदम से सन्न रह गई उसे तो समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें उसकी आंखें फटी की फटी रह गई थी लेकिन बुर के अंदर जो आनंद का रस घुलता जा रहा था उस आनंद को अपने अंदर उतारने से रोक नहीं पा रही थी,,, और राजू श्याम की बात सुने बिना ही अपनी कमर हिलाए जा रहा था,,, श्याम की मां की बाहे राजू की बाहों में कसी हुई थी,,, श्याम के बोलने के बावजूद भी राजू की कमर की रफ्तार बढ़ती जा रही थी और श्याम की मां के मुंह से गर्म संस्कार की आवाज लगातार निकली जा रही थी तो एक बार फिर से श्याम जोर से चिल्लाया,,,)

हरामजादे तू यहां क्या कर रहा है,,,,,।
(राजू श्याम की बात सुनने के बावजूद भी अपने आप को रोक सकने की स्थिति में बिल्कुल भी नहीं था क्योंकि वह झड़ने वाला था इसलिए लगातार अपनी कमर को हिलाए जा रहा था और कुछ ही देखो मैं उसका पानी निकल गया और वह गहरी सिसकारी की आवाज लेते हुए बोला)

सहहहह आहहहहहहहहह,,,,,।

कुत्ते हरामजादे भोसड़ी के यहां क्या कर रहा है तो वह भी मेरे मां के साथ,,,, और तू (अपनी मां की तरफ देखते हुए) हरामजादी मुझे इसलिए जल्दी से सो जाने के लिए बोल रही थी ना ताकि इसे बुलाकर चुदाई का मजा लूट सके,,, तू इतनी गिरी हुई हो गई है मुझे तो विश्वास नहीं आता,,,,.

(अब राजू का इस नाटक में उतरना बेहद जरूरी था इसलिए वह अपने लंड को श्याम की मां की बुर से बाहर खींचते हुए बोला,,,)


यार श्याम समझने की कोशिश कर,,,(इतना कहते हुए बा खटिया पर से उठ कर खड़ा हो गया और श्याम की मां की पेटीकोट को अपने लंड पर रखकर उसे ढकने की कोशिश करने लगा,,,)

मैं क्या समझने की कोशिश करो साले दोस्त होकर दोस्त की पीठ पर छुरा भोकता है,,,

अरे यार मैंने कौन सा तुझे धोखा दे दिया,,,, मैं तो रात को खाना खाने के बाद चला गया था और फिर वापस आया था यहीं पर सोने के लिए लेकिन,,, तेरी मां को देखकर ना जाने क्या हो गया मुझे,,,,


साले हरामजादे,,,,

(दूसरी तरफ श्याम की मा रोए जा रही थीउसे इस बात की फिक्र थी कि उसका बेटा उसे उसके दोस्त से चुदवाते हुए देख लिया था इस बात की चिंता उसे बिल्कुल भी नहीं थी कि वह चुदवा रही थी क्योंकि वह तो खुद अपने ही बेटे से चुदवाती थी,,,, लेकिन उसने अपने बेटे से यह वादा की थी कि वह किसी के मर्द से कभी भी शारीरिक संबंध नहीं बनाएगी,,, और वह अपना वादा तोड़ चुकी थी,,,,श्याम की मां को रोता हुआ देखकर

राजू श्याम को समझाने के लिए उसका हाथ पकड़कर बाहर ले कर गया,,,,, श्याम की मां बेबस होकर वहीं खटिया पर बैठ कर रो रही थी,,,)
 

Top