बैलगाड़ी

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राजू अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड देखकर ललचाते हुए खेत में पहुंच चुका था,,, शाम के वक्त जो कुछ भी हुआ था उसे देखते हुए राजू को लगने लगा था कि आज खेत में वह अपनी मां की चुदाई कर रही लेगा क्योंकि उसकी मां भी पूरी तरह से राजी थी,,,,,,, खेत में पहुंचने के बाद राजू अपने खेत के बीचो-बीच खड़ा होकर चारों तरफ देख रहा था खेत में काम करने जैसा कुछ भी नहीं था वह अपने मन में सोचने लगा था कि उसकी मां जानबूझकर एक बहाने से उसे खेत में काम करने के लिए इधर लाई है यह सोच कर ही उसके मन में लड्डू फूटने लगा,,, वह अपने मन में सोचने लगा कि उसकी मां का भी मन है उससे चुदवाने का इसीलिए एक बहाने से यहां पर ले कर आई है,,,लेकिन राजू अपनी तरफ से पहल नहीं करना चाहता था वह देखना चाहता था कि उसकी मां पहल करते हुए क्या करती है,,, कौन सी हरकत करती है,,,, चुदाई में औरतों के पहल का भी एक अपना अलग मजा होता है उसी मजा का आनंद लेना चाहता था राजू,,,, राजू इस बात से पूरी तरह से आश्वस्त हो चुका था कि आप उसकी मां उसकीबाहों में है मंजिल दूर नहीं है वह जल्द ही अपनी मां की दोनों टांगों के बीच पहुंच जाएगा यही सोचता हुआ अपनी मां से बोला,,,।


यहां कौन सा काम करना है मां,,,, मुझे नहीं लगता कि खेतों में काम करने की जरूरत है,,,

जरूरत क्यों नहीं है,,,(अपने दोनों हाथों को कमर पर रखते हुए वह जमीदार वाली अंदाज में बोली ऐसा करने से उसकी लाजवाब बड़ी बड़ी छातिया बाहर की तरफ निकल कर राजू को पूरा का पूरा अपने अंदर निकल जाने की तैयारी में दिखाई दे रही थी,,,, जिस पर नजर पड़ते हैं राजू के तन बदन में उत्तेजना की तरह दौड़ने लगी क्योंकि राजू अपनी मां की नंगी चूचियों को बहुत बार देख चुका था और उसे मालूम था कि उसकी मां की चूचियां बड़ी बड़ी खरबूजे जैसी है जो कि उसके ब्लाउज में भी ठीक तरह से समा नहीं पाती हैं,,,,राजू अपने मन में सोच रहा था कि पता नहीं कैसे उसकी मा ईतनी बड़ी बड़ी चूचियों को अपने वश में करके रखती है और उसी चुचियों की वजह से अपने पति को भी पूरी तरह से अपने वश में करके रखी है,,,,अपनी मां की सूचियों के आकार को देखकर राजू को इस बात का एहसास हुआ कि वह स्वयं और उसके पिताजी ही क्यों गांव के सभी बूढ़े बड़े उसकी मां की चुचियों के दीवाने होंगे क्योंकि अपनी कल्पना में अपनी आंखों के पलकों से उसकी मां के एक एक वस्त्र उतारकर नंगी करते होंगे और उसके नंगे बदन से कल्पना में ही खेलते होंगे,,,। अपनी मां की बात सुनकर राजू बोला,,,)

तो बताओ ना क्या करना है मां,,,।


देख नहीं रहा है खेतों में कितनी हरी हरी घास उग‌ आई है इसे उखाड़ना है ताकि इसमें अच्छे से बीज लगाया जा सके,,,,।


हां यह बात तो है,,,,


तो फिर इंतजार किस बात का है उखाड़ना शुरू कर,,,,

(अपनी मां की बात सुनते ही राजू किसी भी प्रकार से पहल ना करते हुए घास को उखाड़ना शुरू कर दिया,,,, उसकी मां राजू को ही देख रही थी उसे लग रहा था कि खेतों में पहुंचकर राजू अपनी हरकत करना शुरू कर देगा और वह उसी समय उसे समझाएगी लेकिन यहां तो ऐसा कुछ भी नहीं हो रहा था,,, राजू तू अपने ही काम में लगा हुआ था मधु को अपने बेटे की हरकत के बारे में बात करने की शुरुआत करने में भी शर्म महसूस हो रही थी वह अपने मन में सोच रही थी कि आज किसी भी तरह से वह राजू को अपनी हरकत को आगे ना बढ़ाने के लिए समझाएंगी और यही सोचते हुए मधु की खेतों में से घास को उखाड़ना शुरू कर दी,,,, ,,,
राजू घास को भले ही उखाड़ रहा था लेकिन उसका सारा ध्यान अपने मां के ऊपर था क्योंकि उसे हर हाल में अपनी मां को देखना भी उत्तेजित कर देता था,,,, अपनी मां का कसा हुआ बदन देखकर उसके लंड की अकड़ बढ़ जाती थी,,, कभी-कभी तो उसे अपने पिताजी की किस्मत पर गुस्सा आ जाता था क्योंकिवह सोचता था कि इतनी खूबसूरत औरत है उसके पिताजी के किसी कोने कैसे आ गई क्योंकि उसके पिताजी मरियल से शरीर वाले थे लेकिन इस बात को राजू अच्छी तरह से जानता था कि जुदाई में उसके पिताजी पीछे बिल्कुल भी नहीं हटते थे तभी तो उसकी मा टीकी हुई थी वरना ना जाने अब तक गांव के कई मर्दों के सामने अपनी टांग खोल दी होती इस बात को राजू अपने मन में इसलिए सोच रहा था क्योंकि वह गांव की औरतों की भावनाओं को अच्छी तरह से समझ चुका था क्योंकि धीरे-धीरे वह गांव की कई औरतों की चुदाई कर चुका था जो कि अपने घर में अपने पति से संतुष्ट नहीं थी या तो फिर उन्हें चुदाई का सुख चाहिए,,,, राजू अपने कमरे के छोटे से छेद से अपनी मां और अपने पिताजी की कामलीला को अपनी आंखों से कई बार देख चुका था एक भी दिन खाली नहीं जाता था जब दोनों चुदाई नहीं करते थे इसलिए राजू को इस बात का एहसास था कि उसकी मां को भी चुदवाए बिना चैन नहीं आता था,,,, अपनी मां की तरफ देखते हुए राजू को श्याम की किस्मत पर गर्व होता था कि उसकी किस्मत इतनी अच्छी है कि वह जब चाहे तब अपनी मां की चुदाई कर सकता है और एक वो है,,,

के सिर्फ इंतजार में हैं,,,,।,,, घास को उखाडते हुए रांची में देखना चाहता था कि उसकी मां के मन में क्या चल रहा है इसलिए वह अपनी मां से बोला,,,।


तुम क्यों आई मां मुझे ही बता दी होती तो मैं कर दिया होता,,,


तेरे अकेले से यह होने वाला नहीं है मेरे बिना तो यह काम नहीं कर सकता था,,,।
(अपनी मां की बात सुनते ही राजू को लगने लगा कि कहीं उसकी मां बातों ही बातों में उसे इशारा तो नहीं दे रही है अपने मन में सोचने लगा कि लगता है उसकी मां चुदाई के बारे में बात कर रही है क्योंकि वह अकेले से नहीं हो सकता उसमें एक मर्द और औरत की जरूरत होती है,,,, राजू अपनी मां की बात सुनकर मन ही मन खुश हो रहा था और वह अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,)

अरे मां बता दी होती तो मैं खुद अकेला ही कर लेता,,,


मैं बोल रही हूं ना तुझसे अकेले नहीं होने वाला और वैसे भी तुझे बता कर भी कोई फायदा नहीं था तो खेत में खड़ा होकर भी पूछ रहा था कि करना क्या है,,,,।

(मधु सहजता से औपचारिक बात कर रही थी लेकिन राजू की आंखों में वासना की पट्टी पड़ी हुई थी इसलिए उसे अपनी मां की बात भी दो अर्थ वाली लग रही थी,,,,उसे लग रहा था कि जैसे उसकी मां उसे ही पहल करने के लिए बोल रही थी,,,,राजू का मन तो कर रहा था कि अपनी मां को जाकर बाहों में भर दे और उसके होठों पर चुंबन करना शुरू कर दें लेकिन अभी अपने आप को रोक कर रखा हुआ था वह देखना चाहता था कि उसकी मां अगर शुरुआत करेगी तो कैसे करेगी,,,, इसलिए वह भी सहज होता हुआ बोला,,)


चलो कोई बात नहीं हम दोनों मिलकर अच्छे से खेत का काम कर लेंगे,,,,।

(एक तरफ अपनी मां के बातों का गलत अर्थ निकाल कर राजू मन ही मन खुश हो रहा था और दूसरी तरफ मधु अपने मन में यही सोच रही थी कि अपने बेटे को समझाने की शुरुआत कैसे करें हालांकि धीरे-धीरे उसकी पैनी नजरें अपने बदन पर घूमती हुई उसे अच्छी लगने लगी थी,,,अपने बेटे की वासना भरी नजरों से उसे इस बात का एहसास होता था कि अभी भी वह पूरी तरह से जवान है और अपनी जवानी से किसी भी जवान लड़के को अपने बस में कर सकती हैं,,,।यही सब सोचते सोचते हैं वह घास को काटते हुए कब राजू के ठीक सामने आ गई उसे पता ही नहीं चला वह राजू से तकरीबन डेढ़ मीटर की दूरी पर बैठकर घास काट रही थी उसकी पीठ राजू की तरफ थी,,, जब-जब मधु घास काटते हुए आगे की तरफ झुकती थी तब तक उसकी चोडी गांड राजू की आंखों के सामने हाहाकार मचा दी थी राजू अपनी मां का यह रूप देखकर पूरी तरह से पागल हो जा रहा था,,,,उसके आगे की तरफ झुकने की वजह से उसकी गांड की चौड़ाई और ज्यादा बढ़ जा रही थीजिसे देखकर राजू के तन बदन में उत्तेजना की लहर उठ रही थी और उसका मन कर रहा था कि आगे बढ़कर अपनी मां की साड़ी कमर तक उठाते और उसकी चुदाई करना शुरू कर दें,,,,,राजू बड़ी मुश्किल से अपने आप को वश में किए हुए था वरना वह अपने आपे के बाहर चला जाता,,,,,,,।
धीरे-धीरे दोनों घास उखाड़ रहे थे मधुबन जाने में उसकी आंखों के सामने अपनी गांड उठा दे रही थी राजू से जब अपनी आंखों से यह सब कुछ देखते-देखते बर्दाश्त नहीं हुआ तो वह भी दो अर्थ वाली बात करते हुए बोला,,,।

हाय कितनी बड़ी बड़ी है,,,,,


क्या कितनी बड़ी बड़ी है,,,, छोटी-छोटी तो है,,,(मधु अपने बेटे की तरफ देखे बिना ही बोली)

अरे मैं तुम्हें छोटी-छोटी लग रही है ना लेकिन मेरे लिए तो बहुत बड़ी-बड़ी है,,,,

(राजू अपनी मां की गांड के बारे में बात कर रहा था लेकिन मधु यह समझ रही थी कि उसका बेटा घास के बारे में बात कर रहा है,,, इसलिए वह बोली,,,)

तो क्या हुआ तेरे में दम नहीं है क्या ताकत लगाकर खींच ले,,,


हां मां ऐसा ही करना होगा,,,, इस काम में दम होना चाहिए तभी यह काम मुमकिन है,,,


तुझे आज पता चल रहा है,,,, जान में दम रहेगी तभी यह का मुमकिन है इस बात को आज समझ लेना,,,,(मधु राजू की तरफ देखे बिना ही अपनी गांड को हल्के हल्के उठाए हुए घास को उखाड रही थी और राजू से बोल रही थी,,,)

दम तो मेरे में बहुत है,,,, लेकिन इतनी बड़ी बड़ी है कि पूरा दम लगाना पड़ेगा,,,,


तो लगाना दम अगर दम नहीं लगा पाएगा तो मर्द कैसे कहलाएगा आखिर तू एकदम जमाने तेरे में तो दम होना चाहिए,,,,


दम तो मेरे में बहुत है मां,,, लेकिन दम दिखाने का मौका नहीं मिल रहा है,,,,


तो आज इस खेत में अपना दम दिखा दे मैं भी जान जाऊंगी कि तू भी असली मर्द है,,,‌
(राजू अपनी मां की बातों को सुनकर पूरी तरह से उत्तेजित हुआ जा रहा था अपनी मां की बातों को सुनकर उसे लग रहा था कि जैसे उसकी मां उसे इशारा कर रही आगे बढ़ने के लिए उसकी मां उसकी मर्दानगी देखना चाहती है,,, इसलिए वह भी जोश में आकर बोला,,)


बहुत हिम्मत का काम है मां मुझे नहीं लगता कि तुम ज्यादा देर तक टिक पाओगी,,,,


पागल है क्या आज तक में ही तो यह सब करते आई हु मैं तेरे से ज्यादा देर तक टिक कर दिखाऊंगी तुझे अभी मेरी हिम्मत का एहसास नहीं है,,,

एहसास तो है लेकिन कभी देखा नहीं हो ना इसके लिए,,,

तो आज देख लेना,,,, चल अब बातें बंद कर और अपना काम कर देख सूरज सर पर आ गया हैं,,,,,,(इतना कहने के साथ ही वह अपने काम में आगे बढ़ने लगी,,,, राजू से रहा नहीं जा रहा था राजू के तन बदन में अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड देखकर उत्तेजना की वाला हर उठा रही थी जिसमें वह अपनी मां को खींचे लेकर चले जाना चाहता थाइस बात का उस एहसास हो चुका था कि अब तक उसने कई औरतों की चुदाई कर चुका है लेकिन जो मजा उसे अपनी मां की चुदाई करने में मिलेगा वह मजा किसी और में नहीं मिलने वाला क्योंकि वह अपनी मां को देखकर इतना अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव करने लगता था कि इस तरह की उत्तेजना वह कभी महसूस नहीं किया था,,, इस समय भी उसे इस बात का एहसास हो रहा था कि जैसे उत्तेजना से उसका लंड फट जाएगा,,,, डेढ़ मीटर की दूरी पर यह अपनी मां कोअपनी बड़ी बड़ी गांड उठाकर घास उतारते हुए देखकर राजू से बिल्कुल भी रहा नहीं किया और वहां एक बार फिर से गरम‌‌आहहह भरते हुए बोला,,,।)


हाय कितनी बड़ी बड़ी है मैंने आज तक ऐसा नहीं देखा,,,
(इस बार मधु को अपने बेटे की आवाज में शरारत और मदहोशी नजर आई इसलिए वहअनजाने में ही अपनी गांड को थोड़ा सा हवा में उठाए हुए ही अपने बेटे की तरफ देखते हुए बोली,,)

क्या नहीं देखा बड़ी-बड़ी,,,?
(इस बार वह अपने मन की बात अपनी मां से कह देना चाहता था क्योंकि आज उससे बर्दाश्त नहीं हो रहा था,,, उसे ऐसा लग रहा था कि जैसे उसकी मां चाहती है कि वह पहल करें क्योंकि कई औरतों की तरफ से उसे इस बात का एहसास हुआ था कि बहन उसे ही करना पड़ा था इसलिए अपनी मां की बात सुनकर वह खुले शब्दों में बोला,,)

तुम्हारी गांड में तुम्हारी गांड के जैसी बड़ी बड़ी गांड मैंने आज तक नहीं देखा और मुझे पूरा यकीन है कि साड़ी उतारने के बाद तुम्हारी गांड एकदम खूबसूरत लगती होगी,,,(राजू एक झटके में ही अपनी मां से खुले शब्दों में बोल चुका था और मधुर अपने बेटे की है बातें सुनकर पूरी तरह से सन्न रह गई,,,अपने बेटे के मुंह से अपनी गांड का जिक्र सुनते हैं उसे इस बात का एहसास हुआ कि इसमें भी उसकी गांड हवा में लहरा रही है इसलिए वह तुरंत ठीक से बैठ गई,,,,और आश्चर्य अपने बेटे की तरफ देखने लगी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या बोले अपनी मां की खामोशी को देखकर राजू कीमत बढ़ने लगी और वह अपनी मां से और भी ज्यादा अश्लील शब्द में बात करते हुए बोला,,,)

सच में मां तूम बहुत खूबसूरत हो पूरे गांव में तुम्हारे जैसी खूबसूरत औरत मैंने आज तक नहीं देखा तुम्हारी बड़ी बड़ी गांड देखकर मेरा लंड खड़ा हो जाता है,,,,मैं तुम्हें नंगी देखना चाहता हूं तुम्हारे नंगे जिस्म को अपनी आंखों से देखना चाहता हूं तुम्हारी बड़ी-बड़ी चूचियां तुम्हारी बड़ी बड़ी गांड अपने हाथों से छूना चाहता हूं,,,, सच में मैं तुम्हारे हुस्न में पागल हो चुका हूं,,, तुम्हारा खूबसूरत बदन मुझे चैन से जीने नहीं देता,,,, तुम्हें पता है ना मैं जब भी तुम्हें देखता हूं तो ना जाने क्यों तुम्हारी बुर के बारे में सोचने लगता हूं,,,,(अपने बेटे के मुंह से इतनी गंदी बात सुनकर खास करके अपने बेटे के मुंह से अपनी बुर के बारे में सुनकर जहां एक तरफ वह हैरान हो चुकी थी वहीं दूसरी तरफ उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी थी और अपने बेटे की बात सुनकर ही उसकी बुर से मदन रस टपकने लगा था,,)
 
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मधु पूरी तरह से हैरान थी उसे यकीन नहीं हो रहा था कि उसका बेटा उसके साथ गंदी हरकत करने की कोशिश तो कर ही चुका था लेकिन आज उसकी आंखों के सामने उसके सामने बैठकर एकदम अश्लील भाषा में उससे गंदी बात कर रहा था उसकी गांड के बारे में उसकी बुर के बारे में,,,मधु अभी भी उसी तरह से बैठे हुए हवा में अपनी गांड उठाए हुए थे और पीछे नजर घुमाकर अपने बेटे की तरफ देख रही थी और उसकी बातों को सुनकर ईरानी के साथ-साथ उत्तेजित भी हुए जा रही थी,,,, वह हैरान इस बात से थी कि उसके बेटे में अब बिल्कुल भी शर्म नहीं रह गई थी उसके साथ गंदी बात कर रहा था उसकी बुर के बारे में बोल रहा था,,, अपने बेटे के मुंह से ,, वो भी अपनी हीबुर के बारे में सुनकर मधु पूरी तरह से आश्चर्यचकित हो चुकी थी वह आंखें फाड़े राजू की तरफ देख रही थी,,,,तब जाकर उसे इस बात का एहसास हुआ कि उसकी गांड उसके बेटे के ठीक सामने उठी हुई है और एकदम गदराई हुई नजर आ रही है पल भर में ही मधु के गोरे गोरे गाल शर्म से लाल हो गए और वह तुरंत अपनी गांड को नीचे करते हुए बैठ गई,,,वह हैरान थी कि वह अपने बेटे से क्या बोले उसे कैसे समझाएं कि वह जो कुछ भी कह रहा है और करना चाहता है वह सरासर गलत है,,,,अपनी मां की खामोशी को देखकर राजू का हौसला बढ़ता जा रहा था उसे लगने लगा था कि उसकी मां जो अपनी बड़ी बड़ी गांड को हवा में उठाई हुई है वह बड़े आराम से अपनी गांड को उसके लंड पर रख देगी,,,, इसलिए तो वह मन ही मन प्रसन्न हुआ जा रहा था,,,, राजू अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,,)

मैं सच कह रहा हूं मां,,, साड़ी में कसी हुई तुम्हारी गांड देखे बिना मुझे चैन नहीं आता भले ही कपड़ों में देखु लेकिन फिर भी ऐसा लगता है कि जैसे तू मेरी आंखों के सामने एकदम नंगी खड़ी हो,,, तुम्हारी हाहाकार मचाती चूचियां हमेशा मेरे होश उड़ा दे मन करता है कि तुम्हारी दोनों चूचियों को अपनी हथेली में जोर-जोर से दबाते हुए बारी-बारी से अपने मुंह में लेकर उसका पूरा दूध पी जाऊं,,,,(अपने बेटे की बात सुनकर उसके संपूर्ण बदन में सिहरन सी दौड़ने लगी उसे अपने बेटे की नीयत ठीक नहीं लग रही थी आज मधु ऐसा महसूस कर रही थी कि जैसे कोई गैर मर्द उससे अश्लील बातें कर रहा हूं क्योंकि जिस तरह की बातें राजू कर रहा था उसके मुंह से कभी भी मधु इस तरह की कल्पना ही नहीं की थी,,,, शर्म के मारे मधु अपनी नजरों को नीचे झुका ली थी,,,फिर भी हिम्मत करके राजू की तरफ देखे बिना ही वह बोली,,,)

यह क्या कह रहा है राजू तुझे शर्म आनी चाहिए अपनी मां के बारे में इस तरह की गंदी बातें करते हुए,,,,,

शर्म तो बहुत आती है मां लेकिन तुम्हारी खूबसूरती के आगे मुझे कुछ सुझता ही नहीं है,,,,,,
(राजू की बात को सुनकर धीरे-धीरे मधु अपनी जगह पर खड़ी होने लगी थी और साथ ही राजू भी अपनी जगह पर खड़े होते हुए अपनी मां से अश्लील बातें कर रहा था,,, राजू की बात सुनकर दूसरी तरफ मुंह फेरे खड़ी मधु बोली,,,)


तेरी आंखों पर जवानी का पर्दा पड़ चुका है तुझे सही कुछ दिखाई नहीं दे रहा है,,,


तुम्हारी खूबसूरती के आगे मुझे कुछ भी दिखाई नहीं देता,,, सच कहूं तो चारों तरफ मुझे तुम ही तुम दिखाई देने लगी हो,,,,,,,


राजू कैसी बहकी बहकी बातें मत कर मैं कभी नहीं सोची थी कि तू इस तरह से बातें करेगा,,,,


इसमें मेरा कोई भी दोष नहीं है मा, मुझे अब इतना तो समझ में आने लगा कि औरत की खूबसूरती क्या चीज होती है मैं दिन भर घाव भर इधर-उधर घूमता रहता हूं लेकिन तुम्हारी जितनी खूबसूरत औरत मैंने आज तक नहीं देखा,,,,,,
(अपने बेटे की बात को सुनकर मधु को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें एक औरत होने के नाते राजू के मुंह से अपनी खूबसूरती की तारीफ उसे अच्छी भी लग रही थी,,, लेकिन एक मां होने के नाते उसे अपने बेटे की बातें बेहद गंदी लग रही थी,,,, मधु का दिल अपने बेटे की बात मानने से इनकार कर रहा था लेकिन दिमाग उसकी बातों से गिरा हुआ था जिसका असर उसे अपनी दोनों टांगों के बीच होता हुआ महसूस हो रहा था,,,,अपने बेटे की बात को सुनकर उसे गुस्सा भी आ रहा था लेकिन दूसरी तरफ उसकी बातों से उसकी बुर गीली भी हो रही थी,,,, वह खेतों में अपने बेटे को समझाने के लिए लाई थी लेकिन उसकी बातों से उसका मन बहकने लगा था,,, आखिरकार एक मां होने से पहले वह एक औरत थी,,,,,पर एक औरत होने के नाते दूसरी औरतों की तरह उसे भी अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनना बेहद पसंद था,,,, लेकिन यहां पर उसके लिए हालात कुछ और थे उसकी खूबसूरती का तारीफ करने वाला कोई गैर मर्द नहीं बल्कि उसका ही जवान बेटा था,,, अपने बेटे की बात को सुनकर उसके तन बदन में सिहरन सी दौड़ने लगी थी,,,,, ना चाहते हुए भी वह अपने बेटे से बोली,,,)

तुझे यह सब कहना अच्छा लगता है इस तरह की बातें तुझे शोभा देती है और वह भी अपनी मां के लिए कोई सुनेगा तो क्या कहेगा,,,

यहां कौन सुनने वाला है मां,,, और वैसे भी मैंने कोई गलत बात नहीं कहां हो तुम्हारी खूबसूरती की तारीफ कर रहा हूं और जो कि एक दम सच है,,,


कौन बेटा अपनी मां की खूबसूरती की तारीफ करता है,,,? यह गंदी बात है राजू,,,,


ऐसा तुम समझती हो लेकिन मेरी नजरों से देखोगी तो तुम्हें भी सब कुछ एकदम सही लगेगा,,, तुम सच में बहुत खूबसूरत हो,,,,,
(अपने बेटे की बातों को सुनकर मधु की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी उसकी सांसों की गति के साथ-साथ उसकी खरबूजे जैसी सूचियां ऊपर नीचे हो रही थी,,,, सूरज सर पर आ गया था दूर दूर तक कोई नजर नहीं आ रहा था और उसी जगह पर दोनों खड़े थे वह जगह जंगली झाड़ियों से गिरी हुई थी किसी के भी देखे जाने की आशंका बिल्कुल भी नहीं थी,,,,)

राजू तु समझने की कोशिश कर,,,(ऐसा कहते हुए मधु राजू की तरफ घूम गई,,) एक मां के लिए बेटा कभी भी इस तरह की बातें नहीं करता तू अपनी राह से भटक गया है,,, तू जितना सोच रहा है उतनी भी खूबसूरत मैं नहीं हूं,,, तीन तीन बच्चों की मां तु यह बात समझता क्यों नहीं है,,, तुझे तो अपनी उम्र की लड़कियों में दिलचस्पी होना चाहिए ना की एक औरत के एक औरत तक भी यह बात ठीक थी लेकिन तू तो अपनी ही मां के पीछे पड़ गया है,,,।




प्यार में उम्र कोई मायने नहीं रखती,,,, लेकिन तुम अपने आप को देखो और गांव की दूसरी औरतों को देखो तुम्हारे लिए और उन में जमीन आसमान का फर्क है तीन बच्चों की मां होने के बावजूद भी तुम,,, अभी भी लड़की की तरह ही नजर आती हो जवान खूबसूरत लड़की उम्र की सीमा को तुम पार कर चुकी हो,,,।
(राजू अपनी मां की खूबसूरती के आकर्षण में इस तरह से कैद हो चुका था कि उसे भी सही गलत का पता नहीं चल रहा था वह अपनी मां से इस तरह से बातें कर रहा था जैसे किसी गैर लड़की से बात कर रहा हूं एकदम आशिकाना मिजाज हो चुका था ना चुका उसकी बातों को सुनकर मधु भी एकदम हो चुकी थी इस तरह से तो जवानी में भी उसके साथ किसी ने भी बातें नहीं की थी ना ही उसके पति ने,,,,,,,, मधु अब तक अपने बेटे को छोटा बच्चा ही समझती थी लेकिन उसकी बातों को और उसकी हरकतों को देखते हुए वह समझ गई थी कि उसका बेटा पूरी तरह से जमा हो चुका है जो कि औरतों की जवानी में रस लेने लगा है,,,, अपने बेटे को समझाने की जगह ना जाने क्यों मधु के तन बदन में अपने बेटों की बातों को सुनकर एक लहर से उठने लगी थी उसे अपने बेटे की बातें ना जाने क्यों अच्छी लगने लगी थी,,, मधु को ऐसा लग रहा था कि जैसे अभी-अभी उसकी जवानी खील कर उभरी है ,, और राजू उसके सपना का राजकुमार की तरह उसके पीछे पड़ा है उसे लुभाने के लिए उसे अपने प्यार में पागल करने के लिए मधु भी अपने बेटे की जालसाज बातों में आते हुए अपने बेटे से बोली,,,)

तू पागल हो गया राजू मुझसे भी ज्यादा खूबसूरत औरतें पूरे गांव में है तो मेरे पीछे पड़ कर मर्यादा की दीवार लांघ रहा है,,,,,


मैं कोई भी मर्यादा की दीवार नहीं लाघ रहा हूं,,,, तुम मुझे बहुत खूबसूरत लगती हो,,,,


पागल मत बन राजू,,,तेरे और मेरे बीच में मां बेटे का पवित्र रिश्ता है कोई मर्द और औरत का नहीं जो इस तरह से मेरे पीछे पड़ा है किसी को पता चल गया तो कितनी बदनामी हो जाएगी तुझे पता है,,,,


कुछ भी नहीं होगा मां,,, किसी को कानों कान तक खबर नहीं पड़ेगी,,,, तुम अगर चाहो तो हम दोनों के बीच मर्द और औरत वाला रिश्ता पनप सकता है,,,

(मधुअपने बेटे की तरफ मुंह करके जरूर खड़ी थी लेकिन वह अपने बेटे से नजर नहीं मिला पा रही थी उसकी आंखों में शर्म भरी हुई थी लेकिन उसके बेटे की आंखों में बिल्कुल भी शर्म नहीं था वह अपनी मां से बेहद अश्लील शब्दों का प्रयोग करते हुए बातें कर रहा था,,,मधु इस बात से हैरान थी कि उसका बेटा सीधे-सीधे उसे चोदने की बात कर रहा था जो कि आज तक शादी की पहली रात को उसके पति ने इस तरह से खुल कर उसे चोदने की बात नहीं किया था बल्कि उसे चोदने की इच्छा भी जाहिर नहीं किया था बस धीरे-धीरे बातों ही बातों में अपने आप ही सब कुछ हो गया था लेकिन यहां तो उसका बेटा एक कदम आगे बढ़ चुका था,,,, मधु को समझ में नहीं आ रहा था कि उसके बेटे में उसे पाने की चाहत इस कदर कैसे बढ़ गई जबकि इस उम्र में लड़के अपनी उम्र की लड़कियों को ढूंढते हैं उनसे प्रेम मिलाप करते हैं प्रेम की बातें करते हैं लेकिन यहां सब कुछ उल्टा हो चुका था यही जानने के लिए वह अपने बेटे से बोली,,,)

राजू में तुझे कितना समझाने की कोशिश कर रही हो कि हम दोनों के बीच इस तरह का रिश्ता कायम नहीं हो सकता आखिरकार तू ऐसा मुझ में क्या देख लिया कि मेरे पीछे ही पड़ गया है बल्कि तुझे तो अपनी हमउम्र लड़कियों के साथ घूमना चाहिए,,,

पहले मैं ऐसा कभी नहीं सोचता था लेकिन जब से मैंने तुम्हें अपनी आंखों से एकदम नंगी देखा हूं तब से मेरे होश उड़ गए हैं,,,(राजू की बात सुनते ही मधु की हालत खराब हो गई आश्चर्य से उसकी आंखें चोडी हो गई,,,उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसके बेटे ने उसे कब पूरी तरह से नग्न अवस्था में देख लिया जबकि वहां इस बात का पूरा ध्यान रखती है कपड़े बदलते समय नहाते समय की कोई उसे देख ना ले,,उससे कहां पर गलती हो गई थी जो उसके बेटे ने उसे नग्न अवस्था में देख लिया यही जानना चाहती थी इसलिए आश्चर्य से वह राजू की तरफ देख रही थी और देखते हुए बोली,,,)

क्या तूने मुझे,,, लेकिन कब,,,,


जब तुम नहा कर अपने कमरे में कपड़े बदल रही थी तब मैं किसी काम से आया था लेकिन मैंने देखा दरवाजा खुला था और तुम्हारे बदन पर एक भी कपड़ा नहीं था,,,(राजू जानबूझकर बात को बदलते हुए बोल रहा था वह सीधे सीधे अपनी मां को यह कहना चाहता था कि वह तुम्हें चुदवाते हुए देख चुका है,,, वरना कमरे के एक छोटे से छेद का राज जाहिर हो जाता,,,,,)

क्या,,,?(मधु एकदम आश्चर्य से बोली,,)

इससे पहले मेरा इरादा बिल्कुल भी गंदा नहीं था लेकिन उस दिन जब मैं तुम्हें पूरी तरह से नंगी देखा तो मेरे होश उड़ गए मेरे सोचने का तरीका एकदम से बदल गया उस समय है तुम्हारी पीठ मेरे सामने थी और तुम्हारी नंगी गोरी गोरी गांड देखकर मेरे तो होश ही उड़ गए मुझे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं,,,,(मधु की हालत खराब होती जा रही थी राजू जानबूझकर अश्लील शब्दों में अपनी मां को पूरी कहानी जो की मनगढ़ंत की उसे सुना रहा था वह अपनी गंदी बातों से अपनी मां का मन बहलाना चाहता था,,,)मैंने आज तक इतनी खूबसूरत गांड किसी की नहीं देखा था एकदम गोरी मक्खन मलाई की तरह और एकदम गोल-गोल मानो कि जैसे तो बड़े-बड़े खरबूजे लटका दिए गए हो,,, सच कहूं तो मामुझे यह सब देखने का बिल्कुल इरादा नहीं था लेकिन उस समय मेरी नजरों ने जो देखा था मेरे सोचने समझने की शक्ति को पूरी तरह से छीण कर दिया था,,,,, मैं अपने जीवन में पहली बार किसी औरत की नंगी गांड को देख रहा था,,,, मेरी सांसे एकदम तेज चलने लगी थी,,,,मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कुछ देर तक मैं वहीं रुक आ रहा और मैं जैसे जाने क्यों हुआ वैसे ही तुम दूसरी तरफ घूम गई जिसकी वजह से मुझे तुम्हारी चूचियां नजर आने लगी,,,, सच कहूं तो तुम उसी दिन अपनी अदाओं से मेरे दिलो-दिमाग पर वार पर वार कर रही थी,,, जिसको मैं झेल नहीं पा रहा था,,,,,,
(अपने बेटे की मां तक बातों को सुनकर मधु की बुर गीली होने लगी थी,,,, मधु की खुद की सांसो ऊपर नीचे हो रही थी जोकि राजू की आंखों से बची नहीं पाई थी,,, वह अपनी मां की हालत पर गौर कर रहा था उसे अहसास हो रहा था कि उसकी बातों से उसकी मां को मजा आ रहा था उसे अब ऐसा लगने लगा था कि आज उसका काम बन जाएगा वह अपनी बात को और ज्यादा नमक मिर्च लगाते हुए बोला,,,)
पहली बार मुझे एहसास हुआ कि औरत की चुचिया कितनी खूबसूरत और आकर्षक होती हैं मैं तो तुम्हारी चुचियों को देखता ही रह गया,,,(राजू जानबूझकर अपनी मां के सामने उसके चूची शब्द का प्रयोग कर रहा था ऐसा करते हुए उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी पजामे में उसका लंड पूरी तरह से तन चुका था,, जिस पर अभी तक मधु की नजर नहीं पड़ी थी,,,, मधु अपने बेटे की दोनों टांगों के बीच ध्यान नहीं दे रही थी,,, और राजू अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए,,) कसम से मां जैसे दशहरी आम पकने के बाद कितना खूबसूरत लगता है उससे भी कहीं ज्यादा आकर्षक और खूबसूरत मुझे तुम्हारी चूची लग रही थी खरबूजे जैसी गोल गोल,,,,

तेरा मन क्या कह रहा था,,,(अनजाने में ही मधु के मुंह से यह शब्द निकल गए वह अपने बेटे से इस तरह का सवाल बिल्कुल भी नहीं पूछना चाहती थी क्योंकि इस तरह का सवाल पूछने पर सीधे सीधे उसके बेटे के लिए इशारा होता कि उसे भी उसकी हरकतें अच्छी लग रही है,,,इसलिए तो अनजाने में ही निकले इन शब्दों के कारण शर्म से उसकी गाल एकदम से लाल हो गए थे और वह शर्मिंदगी महसूस करते हुए अपनी नजरों को और ज्यादा नीचे झुका ली थी राजू तो अपनी मां के मुंह से इस सवाल को सुनकर एकदम खुशी से झूम उठा क्योंकि यह सवाल नहीं था बल्कि उत्सुकता थी जानने की और इसीलिए राजू की अपनी बात को नमक मिर्च लगाता हुआ बोला,,,)

मेरा मन तो कह रहा था कि तुम्हारी चूची को अपने दोनों हाथों में पकड़ कर जोर जोर से दबाते रहु मुझे तुम्हारे किसमिस का दाना निकला हुआ है ना उसे मुंह में भरकर दांतो से हल्के हल्के दबाऊ,,,, मेरी तो हालत खराब हो गई थी,,, और तुम्हारा अनजाने में ही मेरी तरफ मुंह करके घूमना यह समझ लो कि मेरी जान निकलते निकलते रह गई थी,,,,

(अपने बेटे की बात सुनकर मधु का मन तो कह रहा था कि अपने बेटे से पूछ ले कि ऐसा क्या हो गया था कि तेरी जान निकलते निकलते रह गई थी लेकिन पूछने की उसमें बिलकुल भी हिम्मत नहीं थी तो राजू ही अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला),

बाप रे मां कसम मैंने जिंदगी में ऐसा नजारा नहीं देखा था पहली बार मैंने,,,, तुम्हारी बुर देखा,,,,(अपने बेटे के मुंह से बुर शब्द सुनते ही अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव करते हुए मधु से अपनी उत्तेजना संभाले नहीं संभली औरउसकी बुर से मदन रस की अमृत बूंद उसकी बुर की गुलाबी पत्तियों से ओस की बूंद की तरह बाहर निकलते हुए नीचे जमीन पर चु गई,,, काश अगर इस समय मधु पूरी तरह से नंगी खड़ी होती तो राजू अपनी मां की मादकता भरी प्रक्रिया को देखकर अपने आप पर काबू नहीं रख पाता और अपने घुटनों के बल बैठकर अपनी मां की बुर से उसकी गुलाब की पत्तियों को चीर कर बाहर निकल रही मदन रस की उस बूंद को अपना जीव लगाकर चाट कर उसे अपने अंदर कर लेता,,,, मधु को अपने बेटे के मुंह से इस तरह के शब्दों का प्रयोग करना बहुत ही अच्छा लग रहा था जबकि वह उसकी बातों से गुस्सा करने वाली थी उसे समझाने वाली थी लेकिन हालात एकदम बदल चुके थे फिर भी वाह अपनी कमजोरी ना दिखाते हुए अपने बेटे से बोली,,,)

हाय दैया यह तु कैसी बातें कर रहा है,,,,,(इतना कहने के साथ ही उसकी नजर अपने बेटे के पजामे पर पड़ गई और उस पर नजर पड़ते ही उसके तो होश उड़ गए वह अपने बेटे के पजामे में बने तंबू को भी देखती रह गई ऐसा लग रहा था कि जैसे उसके बेटे के पजामे में लंड की जगह खूंटा हो,,,, मधु एकदम से आश्चर्यचकित हो गई थी उसे इस बात का अहसास था कि मर्द का लंड कितना मोटा और लंबा होता है लेकिन अपने बेटे के पजामे मैं बने तंबू को देखकर उसके मन में उथल-पुथल हो रही थीइतना तो मैं तो समझ ही गई थी कि उसके पजामे में हाहाकार मचाने वाला औजार था जिसे देखने के लिए उसका मन मचल उठा था,,, राजू अपनी मां की नजरों को अच्छी तरह से भांप गया था,,,, और यह देख कर मन ही मन प्रसन्न हो रहा था अपनी मां की तरफ को और ज्यादा बढ़ाते हुए अपनी मां की आंखों के सामने पजामे के ऊपर से अपने लंड को मुट्ठी में भरकर खुजलाने लगा यह देखकर मधु की हालत खराब होने लगी और मधु कुछ आगे बोल पाती इससे पहले ही राजू बोला,,,)

कुछ भी गलत नहीं कह रहा हूं मैं जो कुछ भी मैंने देखा जो कुछ भी देखने के बाद मेरे तन बदन में हुआ मैं वही बता रहा हूं उस समय तुम्हारी बुर देखकर मेरा लंड एकदम से खड़ा हो गया था जैसा कि आज,,, खड़ा हो गया है,,(इतना कहने के साथ ही अपनी मां की आंखों के सामने ही वह पजामे को एक झटके में नीचे खींच दिया,,,, राजू की इस हरकत पर उसका मोटा तगड़ा लंबा लंड पजामे की कैद से बाहर आते ही हाहाकार मचाने लगा,,, राजू का लंड रबड़ की तरह ऊपर नीचे हो रहा था जिसे देखकर मधु की आंखों में मदहोशी छाने लगी मधु आज तक इस तरह के लंड की कभी कल्पना भी नहीं की थी,,,,) देखो,,,,,,,

पल भर में ही दोनों की सांसे ऊपर नीचे होने लगी मधु की नजरें हटाए नहीं हट रही थी,,,,राजू का लंड इतना ज्यादा कड़क हो चुका था कि उसकी लंड की नसें उभरकर नजर आ रही थी जिसे देखकर मधु ना चाहते हुए भी अपने मन में यह कल्पना करने लगी और सोचने लगी कि उसके बेटे का लंड बुर में जाते कितना रगड डालेगा ऐसा मधु अपने बेटे के लैंड की मोटाई और खास करके उसकी उभरी हुई नसों को देखकर सोच रही थी अपनी मां को,,, इस तरह से अपने लंड को देखता हुआ पाकर राजू मन ही मन प्रसन्न होने लगा राजु ईस बात को अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां भी आखिरकार एक औरत ही है जैसा वह दूसरी औरतों के साथ करता रहा था उन्हें अपनी बातों में लुभा कर अपने लैंड के दर्शन करा कर चुदाई करने के लिए तैयार कर लेता था उसी तरह से वह अपनी मां को भी अपने बातों की जाल में फंसा कर उसके साथ मनमानी करना चाहता था और उसकी यह चाल कामयाब होती हुई नजर आ रही थी,,,,। अद्भुत अवर्णनीय और कल्पना के परे इस अद्भुत नजारे को अगर कोई देख लेता तो उसका भी लंड खड़ा हो जाता,,, सुनहरी धूप में दूर दूर तक कोई नजर नहीं आ रहा था यह वह समय थाजब खेतों में काम कर रहे लोग अपने अपने घर पर आराम करने के लिए चले जाते थे और ऐसे में राजू और उसकी मां खेत के बीचो बीच खड़े होकर अद्भुत दृश्य रचा रहे थे,,,अपनी मां को इस तरह से अपने लंड के आकर्षण में खोया हुआ देखकर राजू तुरंत अपनी मां का हाथ पकड़ कर उसे अपने लंड पर रख दिया और अपने हाथ की मुट्ठी बनाकर खुद ही जबरदस्ती अपनी मां की हथेली को अपने लंड पर कसने लगा,,,,,,अपने बेटे के लंड की गर्माहट और उसकी मोटाई को अपनी हथेली में महसूस करते ही उसकी गर्मी मधु को सीधे-सीधे अपनी बुर पर महसूस होने लगी उसमें से उसका गर्म लावा पिघलने लगा था और उत्तेजना के मारे मधु से रहा नहीं गया और वह खुद ही अपनी हथेली का कसावा अपने बेटे के लंड पर बढ़ा दी,,, वह उत्तेजना का अनुभव करते हुए

अपने बेटे के लंड को अपनी मुट्ठी में दबा दी थी,,लेकिन तभी उसे होश आया कि वह या क्या कर रही है वह तो राजू को यहां समझाने के लिए लेकर आई थी लेकिन वह खुद ही मदहोशी और भावनाओं में बहती चली जा रही है,,, अपने आप को संभालने की यह मधु के लिए बेहद पतली भेद रेखा थी,,, जिसमें से सही गलत का भेद समझते हुए मधु को बाहर निकलना था और वह सही गलत के बीच के फर्क को अच्छी तरह से समझ गई थी,, और वह तुरंत अपने बेटे के लंड पर से अपना हाथ पीछे खींच ली,,, और राजू की तरफ देखते हुए बोली,,,।


नहीं राजू यह गलत है यह बिल्कुल गलत है,,,(इतना कहते हुए वहां अपने कदमों को पीछे लेने लगी घर यह गलत है कहते कहते लगभग दौड़ते हुए वह घर की तरफ जाने लगी,,, मधु की यह हरकत राजू की गर्म जवानी पर ठंडा पानी डाल गई थी राजू अपनी मां को जाते हुए देखता रह गया,,, राजू अपनी मां को भागते हुए देख रहा था और यह सोच रहा था कि भागते हुए भी उसकी मां की गांड कितनी हिलोरे लेती है,,,,अपनी मां की चुदाई करने के मंसूबे पर पानी फिर चुका था लेकिन अभी भी उसका लंड अपनी मां की नरम हथेली की गर्माहट पाकर पूरी तरह से अपनी औकात में खड़ा था राजू से रहा नहीं गया और वह अपनी मां की कल्पना करते हुए मुठ मारने लगा,,,।


मधु जब अपने घर पहुंची तो घर में अपनी बड़ी बेटी को आई हुई देखकर एकदम खुश हो गई,,,
 

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