लागी लंड की लगन, मैं चुदी सभी के संग-2
मैं और मेरा क्लासमेट वेब कैम पर सेक्स चैट कर रहे थे।
जब सामने वाले जोड़े को पता चला कि मैं अभी तक बिन चुदी हूँ तो उन्होंने कहा कि वे कैम पर हमें दिखाने के लिए चुदाई करते हैं।
हमने अपनी कुर्सी को 90 डिग्री में घुमा लिया और मैं रितेश के ऊपर चढ़ कर बैठ गई जैसा कि मीना और टोनी ने हमें करके बताया था।
मुझे रितेश ने कस कर पकड़ लिया, मेरी छाती और रितेश की छाती आपस में चिपक गई थी।
मेरे और रितेश के गाल आपस में इस तरह सटे हुए थे कि हम दोनों ही आसानी से उन दोनों के चुदाई के खेल को देख सकते थे।
उधर टोनी और मीना ने अपना खेल प्रारम्भ कर दिया।
टोनी ने कुर्सी पर बैठे ही अपनी दोनों टांगों को हवा में उठा लिया और टोनी अपने घुटने के बल बैठ कर मीना की चूत चाटने लगा।
थोड़ी देर चूत चाटने के बाद टोनी खड़ा हुआ और अपना लंड मीना की चूत में एक झटके से डाल दिया और उसके बाद आगे पीछे होने लगा।
जब टोनी जोर-जोर से मीना की चूत में धक्के मार रहा था तो मीना की चूची बहुत तेज तेज हिल रही थी।
उन दोनों के चुदाई के इस खेल को देखने से मेरे अन्दर भी गर्मी बढ़ती ही जा रही थी और शायद रितेश के जिस्म में भी गर्मी बढ़ती जा रही थी।
रितेश का हाथ कभी मेरी पीठ को सहलाता और कभी मेरी गांड के उभारों को सहलाता और बीच-बीच में अपनी उंगली को मेरे गांड की छेद के अन्दर डालने की असफल कोशिश करता।
उधर थोड़ी देर धक्के लगाने के बाद मीना उठी और अपने दोनों पैरों के घुटने के बल पलंग पर खड़ी हो गई और अपने दोनों हाथ को आगे की ओर टिका कर झुक गई।
मैंने रितेश से पूछा- ये क्या है?
रितेश ने तुरन्त ही वैसा ही प्रश्न टोनी से पूछा।
तो टोनी ने अपने वेब कैम को जूम करते हुए बताया कि ये कुतिया की पोजिशन है। इसमे मैं मीना की चूत में पीछे से लंड डालूँगा और उसकी गांड भी मारूँगा।
टोनी के अपने कैम को जूम करने से मीना की चूत और गांड साफ-साफ दिख रही थी।
उसके बाद टोनी ने एक बार फिर मीना की चूत में अपना लंड डाल दिया और धक्के लगाने लगा।
मीना ने अपनी गर्दन को मेरी तरफ मोड़ा और मुझे आँख मारते हुए अपने एक हाथ से अपने चूतड़ के उभार को सहलाने लगी।
कुछ देर इस तरह करने के बाद टोनी हल्के से एक साईड हुआ और मीना की गांड को थोड़ा सा फैलाते हुए उसकी छेद पर पहले तो थुका और उसके बाद फिर अपनी उंगली से छेद के अन्दर डालने लगा, उसके बाद फिर अपनी जीभ उसके आस पास के क्षेत्र में चलाने लगा और उस छेद को भी चाटने लगा।
उसकी इस हरकत से मेरे शरीर का दम निकला जा रहा था, मुझे ऐसा लग रहा था कि मेरे नीचे से कोई धार फूट रही हो।
रितेश के भी बर्दाश्त से बाहर हो रहा था, वो मेरी गांड के पीछे से अपने हाथ को चलाते हुए मेरी चूत को छू रहा था।
मेरा रस उसके अंगों में और हाथों में लग गया था।
वो मुझसे बोला- तुम्हारा पानी छूट गया है।
मुझे बड़ी शर्म सी लग रही थी लेकिन रितेश से चिपकना मेरी जिंदगी का सबसे हसीन पल भी था। इसलिये उसकी इस बात को सुनकर मैंने हौले से उसके गाल को चूम लिया।
जब टोनी थोड़ी देर तक मीना की गांड चाट चुका तो उसने अपने लंड को मीना की गांड के अन्दर डाल दिया, फिर उसी तरह वो धक्के पे धक्का दिये जा रहा था और बीच-बीच में मीना की चूची को जोर से मसल देता था।
आवाज तो नहीं आ रही थी पर मीना के भाव से लग रहा था कि चूची जोर से मसलने के कारण उसे दर्द हो रहा होगा और इसलिये वो अपने होंठों को अपने दाँतों के बीच दबा रही थी और उसकी आँखें चढ़ी हुई थी।
टोनी भी जोर-जोर से धक्के लगा रहा था, वो कभी अपने लंड को मीना की गांड में डालता तो कभी उसकी चूत में डालता।
फिर थोड़ी देर बाद मीना सीधी बैठ गई और टोनी ने अब अपने लंड को मीना के मुँह में डाल दिया और अपना पूरा माल मीना के मुँह में डाल दिया जिसे मीना ने पूरा चूस लिया।
उसके बाद टोनी नीचे बैठ कर मीना की टांगो को फैलाते हुए उसकी चूत को चाटने लगा।
कुछ देर ऐसा करने के बाद दोनों लोग कम्प्यूटर के सामने आकर बैठ गये और एक दूसरे के होंठ को चूमने लगे।
उसके बाद टोनी ने मैसेज भेजा कि मेरी प्यारी बीवी की चूत और गांड चुदाई कैसी लगी।
रितेश ने तुरन्त ही मैसेज दिया- यार, बड़ा मजा आया। जिन्दगी में पहली बार लाईव चुदाई देख रहा हूँ।
तभी टोनी बोला- चलो, अब तुम आकांक्षा को चोदो।
इतना पढ़ते ही रितेश ने मुझे गोदी उठाया और पलंग पर लेटा दिया और जिस तरह से टोनी ने झटके से मीना की चूत में अपना लंड डाला, उसी तरह से रितेश भी मेरी चूत में अपना लंड डालने की कोशिश कर रहा था पर जा नहीं पा रहा था।
हम दोनों ही सोच में पड़ गये कि ऐसा कैसे है कि टोनी एक झटके में मीना की चूत और गांड में अपना लंड डाल रहा था और रितेश का लंड मेरी चूत में जा ही नहीं रहा था।
काफी देर ऐसा करते रहने पर भी रितेश का लंड मेरी चूत के अन्दर नहीं गया।
तभी मेरी नजर स्क्रीन पर पड़ी तो देखा कि दोनों हँस रहे थे।
तभी टोनी ने अपने हाथ से इशारा करके हम दोनों को कम्प्यूटर के पास बुलाया और मैसेज भेजा कि मीना पहले से चुदी चुदाई है इसलिये उसकी चूत और गांड में मेरा लंड आसानी से चला गया और तुम दोनों का यह पहला मौका है। इसलिये रितेश तुम कोई क्रीम लेकर पहले अपने लंड पर लगाओ और उसकी चूत के अन्दर भी लगाओ। उसके बाद आकांक्षा को बिस्तर पर लेटाओ और उसे कहो कि वो अपने हाथों से अपनी चूत के छेद को खोले और फिर तुम उस छेद के अन्दर अपने लंड को धीरे-धीरे डालना। जब तुम्हारा पूरा लंड तुम्हारे पार्टनर की चूत के अन्दर चला जाये तभी तुम मेरी तरह धक्के लगा सकते हो।
फिर उसने मुझे भी समझाया- तुम पहली बार किसी मर्द का लंड अपनी चूत में लोगी और तुम्हें बहुत दर्द भी होगा पर तुम बर्दाश्त कर लेना। एक बार तुमने लंड का मजा ले लिया तो फिर मीना की तरह आसानी से किसी का भी लंड अपनी चूत में ले सकती हो। और हाँ दोनों चुदाई करते समय हम लोगों की तरफ देखते रहना।
उसके बाद रितेश क्रीम ले आया, पहले अपने लंड पर लगाई, फिर अपनी उंगली से मेरी चूत के अन्दर लगाई और वो अपने लंड को मेरी चूत में डालने लगा।
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लेकिन इस बार भी उसका लंड फिसल कर बाहर आ जा रहा था।
हम दोनों लगातार टोनी की तरफ देख रहे थे।
जब इस बार भी लंड मेरी चूत में नहीं गया तो टोनी ने मीना को पलंग पर लेटाया और उसकी कमर के नीचे दो तकिया रख दिए, मीना ने अपनी चूत फैला दी और टोनी एक हाथ से अपने लंड को पकड़ कर धीरे-धीरे उसकी चूत में डालने लगा।
अब रितेश ने भी ऐसा ही किया और मेरी कमर के नीचे उसने दो तकिया लगाए जिससे मेरी कमर का हिस्सा थोड़ा ऊपर उठ गया।
उसके बाद मैंने अपने दोनों हाथों से अपनी चूत को फैला दिया और रितेश ने अपने लंड को पकड़ कर जैसे ही मेरी चूत के अन्दर डाला, मुझे ऐसा लगा कि मेरे अन्दर कुछ बहुत ही गर्म चीज ने प्रवेश कर गया है।
मेरे दोनों हाथ स्वतः ही मेरी चूत से हट गये और मैं झटके से पीछे खिसक गई।
रितेश ने मुझसे पूछा तो मैंने बताया कि तुम्हारा ये (उसके लंड की ओर इशारा करके) बहुत ही जल रहा है।
रितेश बोला- और मुझे लगा कि मेरा लंड किसी गर्म तवे में टच कर गया है।
तभी टोनी का मैसेज आया, उसमें लिखा था- पहली बार ऐसा होता है।
हम दोनों इस खेल में अनाड़ी थे ही, इसलिये कुछ समझ में नहीं आ रहा था, फिर भी हम दोनों ने आँखों ही आँखों में इशारा किया। क्योंकि दोनों को यह बात तो पता थी कि पहली बार कुछ दर्द या अजीब सा होता है और फिर खूब मजा आता है।
टोनी और मीना ने भी हमको यही बताया था।
इसलिये एक बार फिर हम दोनों ने अपनी पोजिशन ली।
इस बार जब रितेश ने अपने लंड को मेरे अन्दर किया तो मैंने अपनी आँखें बन्द कर ली और रितेश ने भी एक जोर से धक्का लगाया तो मुझे लगा कि मेरे अन्दर कुछ कट सा गया है और मैं चीख पड़ी।
रितेश ने मेरे मुँह में हाथ रख दिया, इससे मेरी चीख अन्दर ही घुट कर रह गई।
यह तो अच्छा था कि तो वक्त दोपहर का था और रितेश की मम्मी अपने कमरे में सो रही थी, शायद इसलिये उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं की, नहीं तो उनको अब तक रितेश के कमरे में होना चाहिए था।
रितेश मुझे लगभग डाँटते हुए बोला- मरवायेगी क्या? मम्मी ऊपर आ सकती है?
दर्द के मारे मेरे आँख से आँसू निकल रहे थे और लगभग रोते हुये बोली- मुझे बहुत दर्द हो रहा है।
रितेश मेरे ऊपर झुक गया और मेरी आँखों से निकलते हुये आँसू को पीने लगा और बोला- पगली मुझे भी तो ऐसा लग रहा है कि मेरे लंड का चमड़ा फट गया है और मुझे भी खूब जलन हो रही है। थोड़ी देर और बर्दाश्त करते हैं।
अब हम लोग केवल अपने में ध्यान दे रहे थे।
उसके बाद रितेश ने अपने को थोड़ा पीछे किया और एक बार फिर जिस तरह से टोनी ने बताया था उसी प्रकार से धक्का दिया।
इस बार मुझे ऐसा लगा कि मेरे हलक तक कुछ घुस गया है।
जिस प्रकार उल्टी आने पर मुंह खुलता है ठीक उसी प्रकार मेरा मुँह खुल गया और आँखें ऐसा लग रही थी कि बाहर आ जायेगी।
पता नहीं रितेश को क्या सूझी कि वो मेरे ऊपर गिर गया और मेरे स्तनों को दबाने लगा और मेरे स्तन की घुंडी को अपने मुंह में लॉलीपॉप की तरह चूसने लगा।
उसके थोड़ी देर ऐसा करते रहने से मेरे शरीर के अन्दर एक अजीब सी सिरहन सी उठने लगी और मुझे लगने लगा कि मैं रितेश को अपने अन्दर ले सकती हूँ। और पता नहीं क्या हुआ कि मेरी कमर खुद-ब-खुद ऊपर की ओर उठने लगी मानो कह रही हो 'रितेश, मेरे ऊपर लेटो नहीं, आओ मेरे अन्दर आओ।'
शायद रितेश को भी मेरी कमर उठने का भान हो गया इसलिये वो सीधा हुआ और अपने लंड को एक बार फिर थोड़ा बाहर निकाला और फिर एक जोर से धक्का दिया।
उसके बाद वो धक्के पे धक्का देता रहा और उसके धक्के को मैं अपने अन्दर महसूस करती रही।
हालाँकि उसके इस तरह के धक्के से मुझे तकलीफ हो रही थी और मेरे मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थी पर पता नहीं कब वो सिसकारी उत्तेजना भरी आवाज में बदल गई।
ठीक यही हालत रितेश की भी हो रही थी, उसके चेहरे से पसीना निकल रहा था और अपनी पूरी ताकत और वेग के साथ मेरे अन्दर आने की कोशिश कर रहा था।
कभी वो तेज धक्के लगाता तो कभी सुस्त पड़ जाता मानो थक गया हो… और फिर तेज धक्के लगाने लगता।
इसी क्रम में मेरा जिस्म भी उसका साथ देता।
मैं कभी उत्तेजनावश उसकी पीठ में नाखून गड़ा देती तो कभी उसकी घुंडी को दोनों उंगलियों के बीच में लेकर मसल देती।
वो भी गुस्से में आकर मेरे गाल में एक चपत लगा देता।
उधर मेरी चुदाई का आनन्द टोनी और मीना भी ले रहे थे।
तभी रितेश का शरीर अकड़ने लगा और फिर ढीला पड़ गया और मुझे लगा कि मेरे अन्दर को लावा फूट गया हो।
रितेश हाँफते हुए मेरे ऊपर गिर गया।
रितेश ने अपने लंड को मेरे भीतर ही पड़े रहने दिया, बाहर निकालने की कोई कोशिश नहीं की।
थोड़ी देर बाद उसका लंड सिकुड़ कर बाहर आ गया और रितेश मुझसे अलग होकर मेरे बगल में लेट गया।
पहली बार मुझे वो आनन्द प्राप्त हुआ जो मैं अपनी सहेलियों से सुनती थी।
हालाँकि मेरे योनि के अन्दर एक जलन सी हो रही थी।
मुझे इस समय रितेश पर बहुत प्यार आ रहा था, मैं उसके बाल सहला रही थी।
फिर रितेश और मैं दोनों अपनी जगह से उठे क्योंकि हम दोनों को ही अपने नीचे कुछ गीला सा लग रहा था।
उसी समय मेरी और रितेश की नजर बिस्तर पर पड़े हुए खून पर गई।
पता नहीं रितेश को क्या हुआ वो एकदम से अलमारी के पास गया और रूई निकाल लाया और मुझे बिस्तर पर बैठा कर मेरी टांगें फैला कर मेरी चूत और उसके आस पास की जगह को साफ किया।
उसके बाद वो मुझसे बोला- आकांक्षा यह मेरे और तुम्हारे मिलन की निशानी है, अब जिन्दगी भर ये मेरे पास रहेगी!
कहकर उसने उसे एक छोटी सी पन्नी के अन्दर रख लिया।
तभी मेरा ध्यान कम्प्यूटर पर गया, अब टोनी और मीना भी एक दूसरे को आगोश में लेकर चूम रहे थे।
रितेश और मैं उठ कर पास आये, टोनी ने विक्टरी का निशान बनाते हुए एक आँख मार दी।
मैं थोड़ा सा शरमा गई जबकि रितेश के चेहरे पर एक मुस्कान थी।
कहानी जारी रहेगी।