सुना है चश्म-ए-तसव्वुर से दश्त-ए-इम्काँ में पलंग ज़ाविए उसकी कमर के देखते हैं
XP 007 ADMIN :D Senior Moderator 12,182 10,232 145 Staff Member Jul 17, 2021 #341 सुना है चश्म-ए-तसव्वुर से दश्त-ए-इम्काँ में पलंग ज़ाविए उसकी कमर के देखते हैं
XP 007 ADMIN :D Senior Moderator 12,182 10,232 145 Staff Member Jul 17, 2021 #342 सुना है उसके बदन के तराश ऐसे हैं के फूल अपनी क़बायेँ कतर के देखते हैं
XP 007 ADMIN :D Senior Moderator 12,182 10,232 145 Staff Member Jul 17, 2021 #343 वो सर-ओ-कद है मगर बे-गुल-ए-मुराद नहीं के उस शजर पे शगूफ़े समर के देखते हैं
XP 007 ADMIN :D Senior Moderator 12,182 10,232 145 Staff Member Jul 17, 2021 #344 बस एक निगाह से लुटता है क़ाफ़िला दिल का सो रहर्वान-ए-तमन्ना भी डर के देखते हैं
XP 007 ADMIN :D Senior Moderator 12,182 10,232 145 Staff Member Jul 17, 2021 #345 सुना है उसके शबिस्तान से मुत्तसिल है बहिश्त मकीन उधर के भी जलवे इधर के देखते हैं
XP 007 ADMIN :D Senior Moderator 12,182 10,232 145 Staff Member Jul 17, 2021 #346 रुके तो गर्दिशें उसका तवाफ़ करती हैं चले तो उसको ज़माने ठहर के देखते हैं
XP 007 ADMIN :D Senior Moderator 12,182 10,232 145 Staff Member Jul 17, 2021 #347 रुके तो गर्दिशें उसका तवाफ़ करती हैं चले तो उसको ज़माने ठहर के देखते हैं
XP 007 ADMIN :D Senior Moderator 12,182 10,232 145 Staff Member Jul 17, 2021 #348 रुके तो गर्दिशें उसका तवाफ़ करती हैं चले तो उसको ज़माने ठहर के देखते हैं
XP 007 ADMIN :D Senior Moderator 12,182 10,232 145 Staff Member Jul 17, 2021 #349 रुके तो गर्दिशें उसका तवाफ़ करती हैं चले तो उसको ज़माने ठहर के देखते हैं
XP 007 ADMIN :D Senior Moderator 12,182 10,232 145 Staff Member Jul 17, 2021 #350 किसे नसीब के बे-पैरहन उसे देखे कभी-कभी दर-ओ-दीवार घर के देखते हैं