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‘सॉरी भाभी, मैं आपके नंगे जिस्म में इतना खो गया था कि मुझे याद नहीं रहा कि मैंने अभी तक अपने कपड़े नहीं उतारे।’
फिर वो तुरन्त ही खड़ा हुआ और अपने पूरे कपड़े उतार दिये।
क्या लंबा लंड था उसका… बिल्कुल टाईट। वो लंड नहीं ऐसा लग रहा था कि कोई ड्रिलिंग मशीन हो। मैं तुरन्त खड़ी हो गई और उसके लंड को हाथ में लेकर बोली- जब तुम्हारे पास इतना बढ़िया औजार था तो अभी तक मुझसे इसको छिपाया क्यों?
कह कर मैंने अपनी जीभ उसके सुपारे के अग्र भाग में लगा दी। उसके लंड से भी रस की एक दो बूंद टपक रही थी जो अब मेरे जीभ का स्वाद बढ़ा रही थी।
मैं भी अब उसके लंड को अपने मुंह में रखकर चूसने लगी।
बड़ा ही कड़क लंड था उसका… अब सूरज ज्यादा उत्तेजित हो रहा था।
उसने मेरा सिर कस कर पकड़ा और मेरे मुंह को ही चोदने लगा। उसका लंड बार बार मेरे गले के अन्दर तक धंस रहा था, जिसकी वजह से बीच-बीच में मुझे ऐसा लगता था कि लंड अगर मेरे मुंह से नहीं निकला तो मैं मर जाऊँगी।
थोड़ी देर तक मेरे मुंह को चोदने के बाद सूरज ने एक बार फिर मुझे गोद में उठाया और पास पड़ी हुई डायनिंग टेबिल पर लेटा दिया। उसके बाद सूरज ने मेरे दोनों पैरों को हवा में फैलाते हुए उसे एक दूसरे से दूर करते हुए अपने लंड को मेरी चूत के मुहाने में सेट किया और एक तेज झटका दिया।
गप्प से उसका लंड मेरी चूत के अन्दर जाकर फिट हो गया।
सूरज हवा में ही मेरे दोनों टांगो को पकड़े हुए ही अब मुझे चोदे जा रहा था और मैं इस समय एक ब्लू फिल्म की हिरोइन की तरह चुद रही थी।
इस पोजिशन में चोदने के बाद उसने मुझे अपनी गोद में उठा कर ही मुझे चोदने लगा।
मैं डिस्चार्ज हो चुकी थी, लेकिन वो मुझे चोदे ही जा रहा था।
एक बार फिर सूरज ने मुझे डायनिंग टेबिल पर लेटा दिया और बोलने लगा- भाभी, मेरा निकलने वाला है, जल्दी बोलो कहाँ निकालूँ?
मैं तुरन्त बोली- मेरे मुंह में!
मेरे इतना कहने पर सूरज मुझसे अलग हो गया और मैं उठ गई और सूरज के लंड को अपने मुंह में लेकर उसके निकलते हुए रस को पीने लगी।
सूरज ‘आ… ओ… आ…’ करके अपने लंड को हिलाये जा रहा था।
उसने भी अपना लंड मेरे मुंह से तब तक नहीं निकाला जब तक कि उसके रस का एक एक बूंद मेरे गले से नहीं उतर गई।
उसके बाद सूरज ने मेरी बगल में हाथ लगा कर मुझे उठाया और डायनिंग टेबल पर बैठा दिया और फिर मेरी टांगों को फैलाते हुए उसने अपने मुंह को मेरी चूत के मुहाने में रख दिया और मेरे अन्दर से निकलते हुए रस को चाटने लगा।
उसके बाद मैं और सूरज दोनों ही एक दूसरे के होंठों के एक बार फिर चूमने लग थे।
बॉस के घर के बॉलकनी में एक आराम चेयर रखी हुई थी सूरज उसे लेकर अन्दर आ गया और उसमे बैठकर अपनी दोनों टांगों को फैला कर मुझे अपने ऊपर बैठा लिया। हम दोनों के एक-एक अंग चिपके हुए थे, उसके दोनों हाथ मेरे पेट को कसे हुए थे और उसके होंठ मेरे गर्दन को पुचकार रहे थे।
थोड़ी देर हम दोनों ऐसे ही शांत पड़े रहे, फिर सूरज ही बोला- भाभी, कई लड़कियों के चूत को मेरे इस लंड ने चोदा है पर जितना मजा आज आया है, वो मजा मुझे पहले कभी नहीं मिला है।
‘अच्छा तो मेरे देवर को लड़कियाँ अपनी चूत देने के लिये तैयार रहती हैं।’ कहकर मैं हँसने लगी और सूरज ने मेरी निप्पल को कस कर मसल दिया।
मेरे मुंह से केवल ‘उईईई ईईईई…’ ही निकल पाया और अब सूरज हंस रहा था।
कहानी जारी रहेगी।
फिर वो तुरन्त ही खड़ा हुआ और अपने पूरे कपड़े उतार दिये।
क्या लंबा लंड था उसका… बिल्कुल टाईट। वो लंड नहीं ऐसा लग रहा था कि कोई ड्रिलिंग मशीन हो। मैं तुरन्त खड़ी हो गई और उसके लंड को हाथ में लेकर बोली- जब तुम्हारे पास इतना बढ़िया औजार था तो अभी तक मुझसे इसको छिपाया क्यों?
कह कर मैंने अपनी जीभ उसके सुपारे के अग्र भाग में लगा दी। उसके लंड से भी रस की एक दो बूंद टपक रही थी जो अब मेरे जीभ का स्वाद बढ़ा रही थी।
मैं भी अब उसके लंड को अपने मुंह में रखकर चूसने लगी।
बड़ा ही कड़क लंड था उसका… अब सूरज ज्यादा उत्तेजित हो रहा था।



उसने मेरा सिर कस कर पकड़ा और मेरे मुंह को ही चोदने लगा। उसका लंड बार बार मेरे गले के अन्दर तक धंस रहा था, जिसकी वजह से बीच-बीच में मुझे ऐसा लगता था कि लंड अगर मेरे मुंह से नहीं निकला तो मैं मर जाऊँगी।
थोड़ी देर तक मेरे मुंह को चोदने के बाद सूरज ने एक बार फिर मुझे गोद में उठाया और पास पड़ी हुई डायनिंग टेबिल पर लेटा दिया। उसके बाद सूरज ने मेरे दोनों पैरों को हवा में फैलाते हुए उसे एक दूसरे से दूर करते हुए अपने लंड को मेरी चूत के मुहाने में सेट किया और एक तेज झटका दिया।
गप्प से उसका लंड मेरी चूत के अन्दर जाकर फिट हो गया।

सूरज हवा में ही मेरे दोनों टांगो को पकड़े हुए ही अब मुझे चोदे जा रहा था और मैं इस समय एक ब्लू फिल्म की हिरोइन की तरह चुद रही थी।
इस पोजिशन में चोदने के बाद उसने मुझे अपनी गोद में उठा कर ही मुझे चोदने लगा।

मैं डिस्चार्ज हो चुकी थी, लेकिन वो मुझे चोदे ही जा रहा था।
एक बार फिर सूरज ने मुझे डायनिंग टेबिल पर लेटा दिया और बोलने लगा- भाभी, मेरा निकलने वाला है, जल्दी बोलो कहाँ निकालूँ?
मैं तुरन्त बोली- मेरे मुंह में!
मेरे इतना कहने पर सूरज मुझसे अलग हो गया और मैं उठ गई और सूरज के लंड को अपने मुंह में लेकर उसके निकलते हुए रस को पीने लगी।
सूरज ‘आ… ओ… आ…’ करके अपने लंड को हिलाये जा रहा था।
उसने भी अपना लंड मेरे मुंह से तब तक नहीं निकाला जब तक कि उसके रस का एक एक बूंद मेरे गले से नहीं उतर गई।


उसके बाद सूरज ने मेरी बगल में हाथ लगा कर मुझे उठाया और डायनिंग टेबल पर बैठा दिया और फिर मेरी टांगों को फैलाते हुए उसने अपने मुंह को मेरी चूत के मुहाने में रख दिया और मेरे अन्दर से निकलते हुए रस को चाटने लगा।

उसके बाद मैं और सूरज दोनों ही एक दूसरे के होंठों के एक बार फिर चूमने लग थे।
बॉस के घर के बॉलकनी में एक आराम चेयर रखी हुई थी सूरज उसे लेकर अन्दर आ गया और उसमे बैठकर अपनी दोनों टांगों को फैला कर मुझे अपने ऊपर बैठा लिया। हम दोनों के एक-एक अंग चिपके हुए थे, उसके दोनों हाथ मेरे पेट को कसे हुए थे और उसके होंठ मेरे गर्दन को पुचकार रहे थे।

थोड़ी देर हम दोनों ऐसे ही शांत पड़े रहे, फिर सूरज ही बोला- भाभी, कई लड़कियों के चूत को मेरे इस लंड ने चोदा है पर जितना मजा आज आया है, वो मजा मुझे पहले कभी नहीं मिला है।
‘अच्छा तो मेरे देवर को लड़कियाँ अपनी चूत देने के लिये तैयार रहती हैं।’ कहकर मैं हँसने लगी और सूरज ने मेरी निप्पल को कस कर मसल दिया।
मेरे मुंह से केवल ‘उईईई ईईईई…’ ही निकल पाया और अब सूरज हंस रहा था।
कहानी जारी रहेगी।