Incest हाय रे ज़ालिम................

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देवा की जानदार आवाज़ सुनके किरण और हरी किशन डर जाते है ।
और जैसे ही उन दोनों की नज़र खिडकी के पास खड़े देवा पे पडती है।

दोनो की आँखें फटी की फटी रह जाती है।

किरण;अपने कपडे उठाके घर में भाग जाती है और हरी किशन अपने धोती ढूँढ़ने लग जाता है।

देवा;दरवाज़े के पास आ जाता है जहाँ शालु परेशान बैठी हुई थी।

शालु;वैध जी मिले क्या।

देवा;हाँ मिल गए काकी। आने ही वाले है यहाँ।

कुछ देर बाद हरी किशन धोती कुर्ता पहन के आँगन में आ जाता है उसका चेहरा पीला पड़ा हुआ था और हाथ पैर थर थर काँप रहे थे।

शालु;अरे वैध जी आप ठीक तो है न।

हरि किशन;हाँ हाँ मै बिलकुल हूँ बोलो कैसे आना हुआ।

शालु;वैध को सब बताती है और उसे साथ चलने के लिए कहती है।

बैध नखरे करना जैसे ही शुरू करता है देवा अपने लंड पे हाथ लगा के उसे आँखों आँखों में कुछ कहता है और वैध चलने के लिए फ़ौरन तैयार हो जाता है।

वो अंदर जा के एक छोटा सा बैग लेके आता है और ट्रेक्टर में आके बैठ जाता है।

देवा;जब ट्रेक्टर शुरू करता है तो उससे दरवाज़े से किरण झाँकते हुए दिखाई देती है।

देवा;उसे देख के मुस्कुरा देता है और किरण भी मुस्कुराये बिना नहीं रह पाती।

कच मं बाद देवा वैध को लीके शालु के घर पहुँचता ह।

हरि किशन;अच्छे से शालु के पति को देखता है
इन्हें कुछ लेप लगाने पडेंगे। पर

देवा;पर क्या।

हरि किशन;पर लेप के सामग्री तो मै घर पे भूल आया हु।

देवा;कोई बात नहीं आप कौन कौन सा सामान लाना है मुझे लिख के दे दिजिये मै आपके घर से ले आता हूँ।
हरि किशन देवा को सामान का नाम लिख के दे देता है।


देवा;मेरे आने तक आप इनका अच्छे से ख्याल रखेंगे आप समझ रहें है ना मै क्या कहना चाहता हूँ।

बैध; हाँ हाँ तुम बिलकुल चिंता मत करो।
गांव में वैध की बहुत इज़्ज़त की जाती है वो भगवन सामान होता है।
इसीलिए हरी किशन बहुत बुरी तरह डर गया था क्यों की अगर देवा अपना मुंह खोल देता तो वैध का गांव निकाला हो जाता।

देवा;वैध के घर पहुँच के दरवाज़ा खटखटाता है।

किरण दरवाज़ा खोलती है और सामने देवा को देख शर्मा जाती है।
आप यहाँ....

देवा;उसके हाथ में वो चिट पकडाते हुए ये कुछ सामान है जो आपके बूढ़े ससुर ने लाने को कहा है ज़रा जल्दी करिये मुझे वापस भी जाना है।

करण;घर के अंदर देवा को बुला लेती है और उसे एक चारपाई पे बैठा के सामान निकालने लगती है।

पुरा सामान निकाल के वो देवा के हाथ में पकड़ा देती है।

देवा;ठीक है मै चलता हूँ।

किरण;और कुछ कहा बापू ने लाने को।



देवा;नहीं और कुछ नही।

किरण;क्या नाम है तुम्हारा।

देवा;देवा नाम है मेरा।

किरण;बहुत अच्छा नाम है । मेरा नाम किरण है।

देवा;कोई और नहीं मिला तुम्हें।

करण;क्या मतलब।

देवा;मेरा मतलब तुम अच्छी तरह जानती हो।

किरण;क्या करू देवा। पति यहाँ रहता नहीं ससुर से कुछ होता नहीं बाहर गए तो ससुर की बदनामी होंगी इसीलिये जो तुमने देखा रोज़ बस यही होता है।
देवा;आगे बढ़ता है और किरण का हाथ पकड़ लेता है।


किरण;ये क्या कर रहे हो तुम।

देवा;चुप कर साली तू क्या है और क्या देख रही है मै अच्छी तरह से जानता हूँ।

किरण;जानते हो तो कुछ करते क्यों नही।

देवा;कोई ज़रुरत नही।

किरण;हँसते हुए लगता है तुम भी मेरे बापू की तरह हो इलाज करवा लो उनसे।

देवा;के बात दिमाग में चढ़ जाती है और वो किरण को पकड़ के दिवार से चिपका देता है।



देवा;साली मुझे नहीं पता था की वैध की बहु ऐसी है।

किरण;अभी देखा कहाँ है तुमने जो कह रहे हो की मै कैसी हूँ।

देवा;तो दिखा न कैसे है तेरा।
वो किरण को अपनी तरफ घुमा लेता है और उसके होठो पे अपने होंठ लगा देता है।

क़िरण;एक प्यासी चूत सुखी गाण्ड वाली मदमस्त औरत जो पिछले दो महिनो से आग में जल रही थी और हर रोज़ उसका ससुर उस आग में घी ड़ालने का काम कर रहा था।

वो देवा के होठो को अपने मुंह में ले के चबाने लगती है।



देवा;उसे मसलने लगता है पर तभी उसे शालु के पति का ख्याल आता है और वो किरण को अपने से अलग कर देता है।
मुझे अब चलना चाहिए।

किरण;ऐसे कैसे पहली मर्तबा मेरे घर आये हो मेरा चेहरा देखा है तुमने मुंह दिखाई तो दो।
वो नीचे बैठ जाती है और झट से देवा के पेंट खोल के नीचे गिरा देती है।
MAST DEVA KO KIRAN MIL JAYEGI BHOGNE KO
 
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देवा;का लंड तो ज़रा से हलचल से खड़ा हो जाता था
वो तैयार था।

और किरण उसे अपने मुंह में घुसाके सही रास्ता दिखा देटी है गलप्प गलप्प।

किरण; आहह इतना बड़ा तो मैंने आज तक नहीं देखा देवा आहह इसे एक दिन ज़रूर लुंगी गलप्प गलप्प आह्हह्हह्हह्हह।



देवा;आहह जल्दी कर आह्ह्ह्ह।

किरण;खीच खीच के देवा के लंड को चुसने लगती है आज कई दिनों बाद वो किसी मरद का लंड चूस रही थी।

देवा;किरण के बाल पकड़ के अपने लंड के झटके सटा सट उसके मुंह में देने लगता है और कुछ मिनट बाद ढेर सारा रस मलाई किरण के मुंह में उंडेल देता है।

किरण;बड़े चाव से वो मलाई खाने लगती है और देवा बाद में उसे मिलने का वादा करके वहां से निकल जाता है।

जब वैध को अपनी सभी समग्री मिल जाती है तो वो शालु के पति का इलाज शुरू कर देता है और सभी दवाइयाँ खिलाने के बाद वो उन्हे आराम करने की सलाह देके अपने घर चला जाता है।

रात हो चुकी थी। देवा सुबह से घर से बाहर था । शालु उसके इस मेंहनत की कायल हो चुकी थी। रश्मि अपने बापू के तबियत को ले के परेशान थी पर चोर नज़रो से वो भी देवा को देख ही लेती थी।

रात का खाना शालु के कहने पे देवा ने उनके साथ ही खाया।

जब सभी लोग घर के अंदर बैठे हुए थे तो शालु बाहर देवा के पास जाती है।

देवा;काकी अब मै चलता हूँ माँ राह देख रही होगी।

शालु;देवा के गले लग जाती है।
मै तेरा ये एहसान कैसे चुकाऊँगी देवा तूने आज जो कुछ किया है वो मै कभी नहीं भूल सकती।
NICE EROTIC UPDATE
 
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देवा;काकी मैंने जो किया वो मेरा फ़र्ज़ था आप अपना मन हल्का मत करो।

शालु;तू कतना अच्छा है देवा और मै तुझे क्या समझती थी।



देवा;के हाथ अचानक शालु के कमर पे चले जाते है और वो ना चाहते हुए भी शालु के कमर को हल्का सा दबा देता है । शायद किरण ने जो लंड चुसी थी उसी का ये असर था की अब औरत के पास आते ही उसके हाथ अपने आप हरकत करने लगते थे।

पर इस बार शालु कुछ नहीं कहती।
ये बोलके वो देवा के सीने पे ज़ोर से चुमटी काट लेती है बदमाश कहीं का।

रश्मी;माँ यहाँ आओ बापु को होश आ गया है।

शालु;अंदर चली जाती है और देवा अपने घर के तरफ।

आज का पूरा दिन पप्पू के बाप के तीमारदारी में निकल गया था वैसे भी देवा कल रात सोच चूका था की वो अब हवेली नहीं जायेगा।

पर उसके नसीब में कुछ और ही लिखा हुआ था।

वो जब घर जा रहा था तो उसे रास्ते में पदमा मिलती है और वो देवा को बताती है की जागिरदार साहब ने उसे कल सुबह हवेली पे बुलाया है।

वो बड़े जल्दी में लग रही थी।

देवा भी थक चूका था इसलिए वो भी कुछ ख़ास ध्यान पदमा पे ना देते हुए घर चला जाता है।
MAST POST BUT SHORT UPDATE
 
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गोली की आवाज़ सुनके पेड़ पे बैठे सारे परिन्दे उड़ जाते है और देवा की गाण्ड फट जाती है।वो हिम्मत राव की बात अच्छी तरह समझ गया था।

देवा;मालिक आगे से आपको शिकायत का कोई मौका नहीं दूँगा।

हिम्मत राव;;देवा को ज़हरीली नज़रो से घुरते हुए हवेली के अंदर चला जाता है।

उसके जाने के बाद देवा चैन की साँस लेता है।

कुछ देर बाद रानी बाहर आती है वो आज भी क़यामत ढा रही थी ।

देवा;उसे देखता ही रह जाता है पर अगले ही पल वो बन्दूक देवा के ऑखों के सामने घुम जाते है।

रानी;कुछ पीयोगे देवा।

देवा;नहीं मालकिन चलिये

रानी;नाचते कुदते कार में जाके बैठ जाती है।

कार उस सुनसान रास्ते पे चलने लगती है कुछ देर बाद रानी देवा को कार रोकने के लिए कहती है कार के रुकते ही रानी अपनी जगह से उठके देवा की गोद में जाके बैठ जाती है।

देवा;मालकिन ये आप क्या कर रही है यहाँ नहीं वहां बैठिए ना।

रानी;ओह्ह देवा मेरे देवा तुम कल कहाँ रह गए थे। तुम्हें पता है एक दिन तुम्हें नहीं देखती तो मेरे दिल को चैन नहीं आता ।

देवा;मालकिन ये आप कैसे बहकी बहकी बातें कर रही है। आप मालकिन है हमारे मै आपका नौकर हूँ।

रानी;नौकर हो न मेरे तुम । जो मै कहूँगी करोगे ना।

देवा: जी मलकीन।

रानी;मुझे गाल पे चुमो।

देवा;नहीं मालकिन ये मुझसे नहीं होगा।

रानी;ठीक है तो मै तुम्हारे मालिक से कह दूंगी की तुम....

देवा;झट से परी के गाल पे छोटी सी किस कर देता है और पीछे हट जाता है।
WOW HOT POST
 
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अपडेट 15




देवा बहुत थक चूका था इसलिए वो सीधा बिस्तर पकडता है और कुछ देर में उसकी आँख भी लग जाती है।

सुबह देवा जल्दी उठके सबसे पहले खेत में चला जाता है कल पूरा दिन वो खेत में नहीं गया था मज़दूरों को काम समझाके वो कुंवे पे बैठा कुछ सोच रहा था।

उसे रह रह के बस एक बात परेशान कर रही थी की वो हवेली जाये या न जाए।अगर नहीं जायेंगा तो जागिरदार नाराज़ हो जाएंगे और अगर गया तो रानी उसे फिर से परेशान करेगी।।वो रानी से किसी भी तरह पीछा छुड़ाना चाहता था।
बैठे बैठाये कौन मुसीबत मोल लेना पसंद करता है।

आखीर कर वो कुछ फैसला करते हुए हवेली की तरफ चल देता है जब वो वहां पहुँचता है तो हिम्मत राव को गार्डन में बैठा पाता है।

हिम्मत राव एक कुरसी पे बैठा हुआ था और सामने के टेबल पे दो बन्दूकें रखे हुई थी जिसे हिम्मत राव साफ़ कर रहा था।

देवा की तो हालत ख़राब होने लगती है इतने खतरनाक बन्दूकें देख के वो ड़रते ड़रते हिम्मत राव के पास आता है।

नमस्ते मालिक आपने मुझे याद किये थे।

हिम्मत राव;देवा बैठो बैठो।

देवा;नहीं मालिक मै यही ठीक हूँ।

हिम्मत राव;तुम कल क्यों नहीं आये थे और रानी मुझे बता रही थी की तुम उसे ठीक से कार चलाना नहीं सिखा रहे हो।

देव ;हकलाने लगता है नहीं नहीं मालिक मै तो छोटी मालकिन को बिलकुल अच्छे से कार चलना सिखा रहा हुं और वो कल शालु काकी के पति की तबियत ख़राब हो गई थी इस लिए मै नहीं आ पाया।

हिम्मत राव;वो बड़े वाली बन्दूक उठाके देवा के सर की तरफ निशाना लगा के देखने लगता है।
बहुत खूबसूरत चीज़ है ये देवा एक बार चल जाये तो जान निकाल के छोड़ती है।
तूम्हे कैसे लगे ये।

देवा;बहुत अच्छे है मालिक।

हिम्मत राव;देखो देवा रानी मेरी एकलौती बेटी है उसकी ख़ुशी मेरी ख़ुशी है और उसकी नाराज़गी मतलब मेरी नाराज़गी।

हिम्मत राव ये कहते हुए ऊपर हवा में फायर करता है।
YE AUR LAST UPDATE SHAYAD AAGE PICHHE HO GAYE HAIN
 
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रानी;ऐसे नहीं हम्म एक काम करो मुझे होठो पे चुमो।

देवा;नहीं न छोटी मालकिन।

रानी;जल्दी और अभी वरना......

देवा;न चाहते हुए भी उस आग के कुंवे में गिरता चला जा रहा था । जिससे आज तक कोई ज़िंदा वापस नहीं आया था।

वो रानी के होठो को अपने मुंह में लेके चुसने लगता है
रानी सिसकारियां भरने लगती है और देवा का हाथ पकड़ के अपनी दोनों ब्रैस्ट पे रख देती है।

देवा;हलके हलके ब्रैस्ट दबाते हुए रानी को किस करने लगता है तकरीबन 10 मिनट तक रानी देवा को अपने से अलग नहीं होने देती।।

देवा;अपने होंठ जब रानी के होठो से अलग करता है तो उसके जिस्म में एक बदलाव महसूस करता है वो रानी को चुमने से तो मना कर रहा था पर इस सबसे उसका लंड पेंट के अंदर पूरी तरह खड़ा हो गया था।

और वो रानी को चुभ भी रहा था । रानी अपने सीट पे बैठ जाती है और मुस्कुराते हुए देवा की तरफ देखने लगती है।

देवा;घर चले मालकिन।

रानी;मालकिन के बच्चे नखरे तो बड़े दिखा रहा था और ये तेरे पेंट में क्या है जो मुझे चूभ रहा था । बता मुझे देखने दे कही चाकू तो नहीं छुपा रखा है मुझे मारने के लिये।

देवा;शर्म के मारे पानी पानी हुआ पड़ा था वो क्या बोलता की मालकिन ये मेरा लंड है जो आपके चूत पे रगड खा रहा था।

रानी;आगे बढ़ती है और देवा का पेंट खोल देती है देवा मना करता रह जाता है पर ज़िद्दी रानी किसकी सुनती थी जो वो देवा की बात मानती।

रानी;बाप रे ये क्या है रे।



रानी के हाथ में देवा का चमकता हुआ तेज़ धार वाला लंड आ जाता है उसके लंड के सुपाडे पे दूधिया पानी के कुछ क़तरे चमक रहे थे जिसे रानी अपनी ऊँगली से वापस देवा के लंड पे मल देती है।
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रानी;तू तो बड़ा कमीना निकला मालकिन पे डोरे ड़ालता है अभी तेरी खबर लेती हूँ।
वो दोनों हाथो में देवा के लंड को पकड़ के ज़ोर ज़ोर से हिलाने लगती है।

देवा की नज़रें रानी के आधे नंगे ब्रैस्ट पे टीक जाती है
और जिस्म ऐठने लगता है रानी के नाज़ुक हाथ देवा के लंड पे कहर बरपा रहे थे। वो इतनी अदा से लंड को मुठिया रही थी की देवा कुछ देर बाद ही पानी छोड़ने लगता है

आह मालकिन आहह नहीं ये पाप है मालकिन ऐसा मत करो आहह आह।

रानी के दोनों हाथ देवा के लंड से निकले पानी से भर चुके थे।
वो देवा की ऑखों में देखते हुए अपनी उँगलियों को एक एक करके चाटने लगती है।

देवा :ये आप क्या कर रही है मालकिन ये गन्दा है।

रानी;प्यार करती हूँ तुझसे और प्यार में कुछ गन्दा नहीं होता।

देवा ख़ामोशी से रानी को देखने लगता है। रानी के इस हरकत से उसके दिल में भी प्यार का एक छोटा सा दिया जगमगाने लगा था।

रानी;देवा को घर चलने के लिए कहता है और देवा मुस्कराता हुआ हवेली की तरफ कार दौड़ा देता है।

हवेली पहुंच के रानी देवा का हाथ पकड़ के अपने रूम में ले जाती है।

देवा;मना करता जाता है पर रानी उसकी एक नहीं सुनती।

रूम में पहुँच के रानी दरवाज़ा बंद कर देती है।

देवा;छोटी मालकिन मुझे बहुत डर लग रहा है आप दरवाज़ा तो खोल दो वरना किसी ने हमें ऐसे देख लिया तो क्या समझेगा।

रानी;देवा के गले में बाहें डाल देती है।
मेरी आँखों में देखो इस में सिर्फ प्यार है देवा। ढेर सारा प्यार और जानते हो ये किसके लिए है।तुम्हारे लिए तो जब तक तुम मेरे साथ हो कोई तुम्हारा कुछ नहीं बिगाड सकता।


देवा;पर मालकिन।

रानी;देवा के शब्द पूरे नहीं होने देती और एक बार फिर से उसके होठो को अपने होठो में भरकर चूसने लगती है।गल्पप गलप्प।

रानी;देवा ज़रा मेरे काँधे तो दबा दो बहुत दर्द कर रहा है।

देवा;क्या करता नौकर जो था जो मालिक कहेंगे वो नौकर करेगा।

वो रानी के बिस्तर पे बैठ के उसके काँधे दबाने लगता है।

रानी; अच्छा एक बात बता । मै तुझे अच्छी लगती हूँ न सच सच बोलना तुझे मेरी कसम है देवा।

देवा;मालकिन आप बहुत खूबसूरत हो । आपके जैसी लड़की मैंने आज तक नहीं देखा। पर मालकिन मै आपसे प्यार नहीं करता। आप आसमानो में उड़ने वाली परी हो और मै ठहरा ज़मीन का एक कीडा।आपका और मेरा कोई मेंल नहीं है मालकिन।

रानी के दिल में आज पहली बार कुछ हुआ था वो देवा को कुछ कुछ जानने लगी थी।

अच्छा वो सब छोड़ ये बता तुझे कैसी लड़की पसंद है।

देवा;मालकिन आप भी न मुझे शर्म आती है।

रानी;हाय मेरे शरमीले तू क़ितना बड़ा बेशरम है मै अच्छी तरह जान चुकी हूँ।

देवा; मालकिन।

हिम्मत राव;रानी कहाँ हो तुम यहाँ आओ।
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दोनो हिम्मत राव की आवाज़ सुनके अपने बात बीच में बंद कर देते है । देवा की गण्ड फिर से फ़टने लगती है और वो रानी को कल आने का कह के पीछे के दरवाज़े से घर की तरफ निकल जाता है।


वो जब घर पहुँचता है तो पप्पू उसे उसका इंतज़ार करता हुआ मिलता है वो देवा को बताता है की वैध जी के यहां से दवा लाना है।

देवा;पप्पू से कहता है की वो दवा ला देगा।
पप्पू घर चला जाता है।देवा खाना खाके कुछ देर आराम करके अपने खेत में चला जाता है।

उसका दिमाग चारो तरफ घुम रहा था कभी उसे पदमा याद आती तो कभी रानी।
और वैध जी के घर जाने का सोच के किरण।

वो बेहद खुश था एक वक़्त ऐसा था की वो पप्पू के गाण्ड से काम चला रहा था और अब वो वक़्त आ गया था की हर तरफ हरियाली ही हरियाली नज़र आ रही थी।

वो अपना ट्रेक्टर लेके वैध जी के घर की तरफ निकल जाता है रस्ते में उसे पदमा मिलती है।

पदमा;कहाँ जा रहा है देवा।


पदमा के नशीली ऑखें देवा को साफ़ साफ़ बता रही थी की पदमा क्या चाहती है कहाँ कहाँ और कितना चाहती है।
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पदमा की नशीली ऑखें देवा को साफ़ साफ़ बता रही थी की वो क्या चाहती है।

देवा;क्या बात है काकी आज तो क़यामत ढा रही हो।

पदमा;चोली को ठीक करते हुए ।
क्या करूँ जिस मुये पे दिल आया है वो दिन रात बस काम करता रहता है।
आम सामने पड़े है और अँगूर ढूँढ़ता रहता है।

देवा;चल आजा बैठ जा ट्रेक्टर में।

पदमा;खुश हो जाती है और झट से ट्रेक्टर में बैठ जाती है।
कही खेत में तो ले जाने का मन तो नहीं है तेरा।

देवा;पहले वैध से दवाये लेते है उसके बाद देखेंगे ।

और देवा ट्रेक्टर को वैध के घर की तरफ मोड देता है।

रास्ते भर पदमा अपनी जवानी देवा को दिखाती रही और बीच बीच में देवा के लंड को पेंट के ऊपर से सहलाती रही।
जीसकी वजह से देवा का लंड ऐसे खड़ा हुआ की बैठने का नाम ही नहीं ले रहा था।

वैध जी का घर भी आ जाता है पर देवा का लंड सोने को तैयार नहीं था।

पदमा;हँसते हुए देवा के लंड की तरफ ईशारे करते हुए कहती है।
ज़रा इस मुये को थोडी देर सुला दे वरना कही वैध ने देख लिया तो सारे गांव में तेरे हथियार के बारे में बोल देगा।

देवा;साली तेरी वजह से इसका ये हाल हुआ है । जितना दबाता हूँ उतना खड़ा हो जाता है।
वो वैध जी के घर का दरवाज़ा खटखटाता है।

कुछ देर बाद किरण छोटे से चोली घागरा पहने बाहर आती है।
देवा पे जब उसकी नज़र पडती है तो चोली के छोटे छोटे कसी हुए रसियां और ज़्यादा कसती चली जाती है।

चुचे सामने की तरफ चोली को धकेलने लगते है।
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रत्ना;ममता के बाल खीचते हुए घर के अंदर ले आती है।
बोल कब से चल रहा है ये सब। बोल कुतिया बोल।
ओ मुँह से भी बोल रही थी और हाथों का भी इस्तेमाल कर रही थी।
ममता थी की रोये जा रही थी उसे अपनी माँ की पिटाई से रोना नहीं आ रहा था वो तो अपने देवा के लिए परेशानी में रोये जा रही थी।
जीस तरह से देवा ने ममता की तरफ देखा था घर से निकलने से पहले वो सोच सोच के ममता का दिल घबरा रहा था।
की कही देवा कुछ उल्टा सीधा न कर दे कही कोई अनहोनी न हो जाए।
रत्ना;अरे बोलती क्यों नही।
ममता; आखिर कर रत्ना का हाथ पकड़ लेती है।
बस माँ बस...
रत्ना;साली मेरा हाथ पकड़ती है क्या यही शिक्षा दी है मैंने तुझे।
कामिनी तुझसे कुछ दिन भी नहीं रहा गया अपने भाई को अपने ऊपर चढाने में तुझे ज़रा भी शर्म नहीं आई।
ममता;जब एक माँ अपने बेटे को अपने ऊपर चढ़ा सकती है तो बहन क्यों नही।
रत्ना;क्या। क्या बोली तू... वो ममता के बाल खीचते हुए दो तीन थप्पड और उसके गाल पर जड़ देती है।
ममता;तुम्हारी ननद देवकी मामी।
रत्ना;तू कहना क्या चाहती है।
ममता;हाँ हाँ तुम्हारी देवकी।
वो अपने बेटे रामु से चुदती है दिन रात।
तुम्हारे खानदान में होता है ये सब और तुम मुझे बोल रही हो।
हाँ मुझे शर्म नहीं आई क्यूंकि मै सच्चा प्रेम करती हूँ भैया से।

और अगर तुमने मुझे और भैया को अलग करने के बारे में सोचा भी ना माँ तो मैं कुँवें में कूद के जान दे दूंगी बोल देती हूँ।
जवान खून एक वक़्त तक ज़ुल्म सहता है मगर जब कोई भी चीज़ चाहे वो नाजायज़ प्रेम ही क्यों न हो
जब इन्तहा पर आता है तो उसे कोई नहीं रोक सकता।
रत्ना;ऑंखें फाड़े अपनी बेटी ममता को देखने लगती है। उसके कहे गए वो चंद शब्द उसके कानो में गूँजने लगते है।
रत्ना;सर पकड़ के बैठ जाती है।
रत्ना अभी जब अपने भाई के घर गई थी तब उसने ऐसा कुछ देखी थी जिस पर उसे यक़ीन नहीं हुआ था।
उसने रामु को और देवकी को एक दूसरे के गले लगते हुए देखी थी और रामु देवकी की कमर दबाते हुए उसे चुम रहा था।
रात का अँधेरा था मगर रत्ना को लगा था की वो कौशल्या नहीं बल्कि सुडौल जिस्म वाली देवकी ही होगी।
उस बात को वो भूलना चाहती थी मगर आज जब ममता के मुँह से उसने ये बात सुनी तो उसके पांव तले की ज़मीन निकल गई थी।
वो रात न ममता सोई और न रत्ना।

जहां एक तरफ रत्ना, देवा और ममता के रिश्ते को लेके परेशान थी की कही गांव में ये बात पता चल गई की एक भाई अपनी बहन को चोदता है।
तो क्या होंगा।
ये बात उससे परेशान तो कर रही थी मगर एक और चीज़ उसके जिस्म में हलचल मचा रही थी।
ममता के कही हुई वो बात की जब एक बेटा अपनी माँ को चोद सकता है तो एक भाई क्यों नही।


रामु;देवकी को चोदता है।
यही एक बात उसके तन बदन में आग लगा रही थी।
वो अपने बिस्तर पर सोई हुई थी।
बाहर मौसम ठण्डा था हलकी हलकी बरसात ने मौसम को ख़ुशगवार बना दिया था मगर रत्ना का जिस्म भट्टी के तरह जल रहा था।
आंखे बंद करते ही उसे देवा और ममता चुदाई करते हुए नज़र आ जाते।
वो बेचैन भी थी और परेशान भी दूसरी तरफ ममता का पूरा ध्यान देवा की तरफ था।
वो दिल हि दिल में अपने भगवान से दुआ मांग रही थी की बस उसके भाई को सही सलामत घर भेज दे चाहे तो उसकी जान ले ले।
रात का वो ख़ौफ़नाक सन्नाटा तो किसी तरह कट गया मगर सुबह का सूरज भी नए उम्मीद ले के नहीं आया था।
सुरज सर पर आ गया था मगर देवा का कोई अता पता नहीं था।
ममता ;रत्न के पास जाके बैठ जाती है।
माँ....
रत्ना की ऑखें सूजी हुई थी वो शायद रात भर रोई थी
वो ममता की तरफ नहीं देखती।
ममता; माँ मेरी बात तो सुनो....
माँ तुम मुझे जान से मार दो मगर भैया को देखो न कहाँ गए है। कितनी देर हो गई है।
उन्होने कुछ खाया भी नहीं माँ किसी को खेत में भेज के पता लगाओ ना माँ की भैया कहाँ है।
रत्ना; ममता की तरफ ज़हरीली नज़रों से देखती है।
ममता;माँ मै जानती हूँ तुम मुझसे नफरत करती तो मै ये भी नहीं चाहती की तुम मुझे माफ़ करो।
मगर भैया को कुछ हो गया ना माँ तो मै तुम्हें कभी माफ़ नहीं करुँगी।
रत्ना; अच्छा मुझे माफ़ नहीं करेगी कलमुँही जा मर जा तू भी अपने भाई के साथ जा के । मेरा पीछा छोड़ो तुम दोनो ।मुझे तुझसे कोई बात नहीं करनी।
ममता; रोती बिलखती वहां से उठके अपने रूम में चली जाती है।

इधर हवेली में भी सब कुछ उथल पुथल होने के क़रीब था।
हिम्मत राव की बेरुख़ी जहाँ रुक्मणी को परेशान किये हुए थी । वही रानी भी बहुत ग़ुस्से में था।
रुक्मणी;हिम्मत राव के पास जाके बैठ जाती है। वो उस वक़्त हुक्का पी रहा था।
हिम्मत;एक नज़र उठाके रुक्मणी की तरफ देखता है।
रुक्मणी; मैं पूछती हूँ आखिर कब तक आपके दोस्त की बीवी यहाँ रहेंगी।
हिम्मत;क्यूँ तुझे क्या तकलीफ हो गई है बिंदिया से।
रुक्मणी;देखिये मै चुप हूँ इसका मतलब ये नहीं की मै कुछ नहीं कर सकती।
हिम्मत;हुक्का एक तरफ रख के खड़ा हो जाता है।
क्या मतलब है तेरे कहने का।
रानी भी वहां आ जाती है।
बापु माँ बिलकुल ठीक कह रही है।
रानी;जब से वो आई है आप बहुत बदल गए हैं आखिर मै आपकी बेटी हूँ।
और आप मुझसे भी ठीक से बात नहीं कर रहे । जब देखो उस कलमुँही बिंदिया के रूम में पड़े रहते हो।
हिम्मत;खामोश लडकी।
रुक्मणी;उसे खामोश करने से सचाई चुप नहीं जाएगी।
हिम्मत;रुक्मणि की तरफ पलटता है और एक ज़ोरदार थप्पड पहली बार रुक्मणी के मुँह पर जड़ देता है।
साली मुझसे ऊँची आवाज़ में बात करती है।
रुक्मणी नीचे गिर पडती है और फूट फूट के रोने लगती है।

हिम्मत;तुम दोनों माँ बेटी मुझे क्या अपनी गुलाम समझते हो।
मेरी मर्ज़ी है जिसके साथ रहूँ जहाँ चाहे वहां रहूँ । तुम दोनों मुझे बोलने वाली होती कौन हो।
रुक्मणी; मैं आपकी पत्नी हूँ।
हिम्मत; पत्नी है तो घर के अंदर एक कोने में पडी रह। मेरे सर पर सवार होने की कोशिश मत कर।
अगर अपने हद से आगे जाएगी तो अच्छा नहीं होगा।
रुक्मणी; क्या करेंगे आप।
हिम्मत;ये सुनके पास में पड़े हुए लकड़े से सटा सट सटा सट रुक्मणी की पिटाई शुरू कर देता है।
रुक्मणी;चिखने चिल्लाने लगती है।
पास में खड़ी रानी ये देख के बुरी तरह डर जाती है।
हिम्मत;मेरी जुठन खाने वाली तुझे कहाँ से इतना बोलना आ गया साली ले ये ले....
रुक्मणी;आहह आहः
रानी हिम्मत का हाथ पकड़ लेती है।
बस बापू बस जानवर की तरह मार रहे हो तुम माँ को।
हिम्मत;हाथ छोड।
रानी;नहीं छोडूंगी।
हिम्मत;नहीं छोड़ेगी।
ले तू भी ले....
हिम्मत राव को लगने लगा था की उसके अस्तित्व पर आंच आने वाली है।

वो औरतें जो उसके हुक्म के बिना खाना भी नहीं खाती थी आज उन दोनों ने किसी नागिन की तरह अपना फन उठाया था।
और हिम्मत राव अच्छी तरह जानता था साँप हो या औरत किस तरह उसे कुचला जाता है।
पुरे गांव में वो अपने इसी रवैये की वजह से बदनाम था।
रानी और रुक्मणी दोनों सिसक सिसक के रोने लगती है।
तभी वहां बिंदिया आती है।
बिंदिया;बस भी कीजिये ना।
नादान है ये दोनो।
हिम्मत; अच्छी तरह से समझा देना दोनों को मेरे सामने ऊँची आवाज़ में बात करने के बारे में सोचना भी मत।
वरना वहां पहुंचा दूंगा जहाँ से कभी लौट के नहीं आयेंगे समझी।
वो हाथ में की लकड़ी फेंक के अपने रूम में चला जाता है।


रुक्मणी और रानी को बिंदिया सहारा देने लगती है मगर दोनों उसका हाथ तक नहीं थामती।खुद अपने रूम में चलि जाती है।
बिंदिया; उन दोनों के जाने के बाद खुद से कहती है।
रुक्मणी आज तुम्हें अपने पति की असली औक़ात पता चली है साली हरामी।


सुबह से दोपहर हो गई थी और दोपहर से रात मगर देवा का कोई अता पता नहीं था।
अब रत्ना को भी उसकी चिंता सताने लगी थी वो शालु के घर जाती है और उससे देवा के बारे में पूछती है।
शालु;नहीं देवा तो सुबह से यहाँ नहीं आया।
क्यूं सब ठीक तो है ना रत्ना।
रत्ना;नहीं न शालु देख न कल रात से ग़ायब है पता नहीं कहाँ चला गया।
ये सुनके शालु भी बेचैन हो उठती है और वो पप्पू को और गांव के जवान लड़कों को देवा की तलाश में दौड़ा देती है।
हर कोई देवा की तलाश करने लगता है।
छोटा सा गांव था अम्बेटकली।
हर जगह उसे तलाश करते है मगर देवा कही भी नज़र नहीं आता।
रत्ना की हालत ख़राब होने लगती है शालु उसे ख़ोद खोद के देवा के घर से जाने के वजह पूछती है।
मगर रत्ना बस रोये जाती है और कुछ नहीं कहती। क्या कहती वो की बहन को चोदते देख मैंने उसे और उसकी बहन की पिटाई की तो वो घर छोड के चला गया।
पप्पू और गाँव के कई लोग जब वापस थक हार के रत्ना के घर आते है तो रत्ना एक एक से पूछती है मगर हर कोई बस एक जवाब देता है।
की उन्हें देवा कही नज़र नहीं आया।
ये सुनके घर में बैठी ममता ज़ोर ज़ोर से रोने लगती है।
सब बस यही सोचने लगते हैं की आखिर देवा गया तो गया कहाँ।
 

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