Incest हाय रे ज़ालिम................

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देवा के पीछे पीछे ममता और नूतन भी लगन मंडप में पहुँच जाते है।
रश्मी;की बरात आ चुकी थी।
पंडित जी शादी के मन्त्र पढना शुरू करते है।
शालु और देवकी रश्मि को हवन कुण्ड के पास लाके बैठा देती हैं।
रश्मी का होने वाला पति उसके पास में बैठा था मगर रश्मि की नज़रें देवा को ढूंढ रही थी।
जब देवा उसे दिखाई देता है तब उसके दिल में दिल आता है और वो मुस्कुरा देती है।पंडित जी शादी की रश्में पूरी करने लगते है।
रश्मी;काफी खुश दिखाई दे रही थी और उसे खुश देख देवा भी खुश था।
रत्ना;देवा के पास आके खड़ी हो जाती है।
देवा;माँ देखो न रश्मि कितनी खुश है अपनी ममता भी एक दिन ऐसे ही दुल्हन बनेगी।
रत्ना;हाँ बेटा सच बहुत प्यारी लग रही है अपनी रश्मि।
पीछे से कोई देवा को आवाज़ देता है।
जब देवा और रत्ना मुड के पीछे देखते हैं तो हैरान रह जाते है।
देवकी के पति यानि देवा के मामा जी रामु और कौशल्या उनके पीछे खड़े थे।
रत्ना;अरे भैया आप अचानक और रामु और बहु भी आये है।
देवकी उनके पास आ जाती है।
आ गये आप लोग।
रत्ना मैंने ही इन्हें यहाँ बुलावा भेजवाई थी।
रत्ना; ये तो तुमने बहुत अच्छा किया देवकी।
देवा भी रामु और कौशल्या को देख खुश हो जाता है।
कौशल्या की ऑखों की चमक देख देवा का मन उसे उसी वक़्त चुमने को कर रहा था मगर न वक़्त सही था और न दस्तुर।
देवा;भाभी कैसी हैं आप।
कौशल्या: मैं बिलकुल ठीक हूँ देवर जी आप सुनाये कैसे है।
देवा;बस आपका आशीर्वाद है।
कौशल्या;अपना निचला होंठ अपने दाँतो में दबा देती है। उसकी इसी अदाओ पे तो देवा मर मिटा था।
रत्ना;भैया आप थक गए होंगे। घर चल के आराम क्यों नहीं कर लेते।
देवकी;अरे रत्ना रश्मि को अशीर्वाद देने के बाद चलते है ना।
रत्ना;हाँ ये भी ठीक है।
ईधर रश्मि की शादी सम्पन हो जाती है।
खाना खाने के बाद बिदाई की रस्म शुरू होती है।
अपने बेटी से बिछडने का दुःख तो हर माँ बहन को होता है।
रश्मी;अपनी माँ शालु के गले लग के ऐसे रोई की उसे समझाने वालो की भी ऑंखें भर आई।
उधर एक कोने में नीलम खड़ी ऑसू बहा रही थी।
देवा नीलम के पास जाता है।

बस कर नीलम इतना नहीं रोते ना।
नीलम; रोते रोते घर के अंदर भाग जाती है।
देवा भी उसके पीछे पीछे उसे समझने चला जाता है।
अपने कमरे में बेड पर बैठी नीलम के ऑसू रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे।
देवा उसके पास जा के बैठ जाता है और उसके सर को पकड़ के अपनी छाती से लगा देता है।
ऐसे घडी में तो इंसान को तिनके का सहारा चाहिए। अपना गम बाटने के लिए नीलम और सिसक के रोने लगती है।
देवा उसके चेहरे को अपने दोनों हाथों में थाम लेता है।
ईधर देख मेरी ऑंखों में।
नीलम;भीगे पलकों से देवा की तरफ देखने लगती है।
देवा;लड़कियों का असली घर तो उनका ससुराल होता है। इसे ख़ुशी के मौके पर तो तुझे रश्मि को हँसते हुए बिदा करना चाहिए और तू है की पगली रोये जा रही है।

नीलम: मैं क्या करु देवा रश्मि से बिछड़ने का सोच सोच के मै अपने ऑंसू कितने दिनों से रोके रखी थी। मगर आज जब उसे जाता देख रही हूँ तो मेरे ऑसू मेरी सुनते ही नही।
देवा नीलम के माथे को चूम लेता है।
मेरी जान तेरी बहन तुझसे कहाँ दूर जा रही है वो तो हमारे दिल में है और वैसे भी हमसे मिलने तो वो आती ही रहेगी। अपने ऑसू बचा के रख जब हमारी शादी होंगी न उस दिन काम आयेंगे।
नीलम; रोते रोते हँस पडती है उसे एहसास होता है की अनजाने में वो देवा के कितने पास आ चुकी है।
देवा;उसे अपनी बाहों में समेटे हुए बैठा था।
नीलम;खामोश हो चुकी थी मगर उसका दिल देवा के बाहों से अलग होने को नहीं कर रहा था।
देवा;एक बात बता जब हमारी शादी होगी तब भी तू ऐसे ही रोयेगी।
नीलम;देवा के सीने पे मुक्के मारते हुए वहां से जाने लगती है।
देवा उसका हाथ पकड़ लेता है।

नीलम; छोड़ो मुझे.....
देवा;उसे खीच के अपने गोद में वापस बैठा देता है।
बोल ना।
नीलम;मुझे नहीं पता।
देवा;उसके चेहरे को अपनी तरफ घुमा देता है।
वैसे आज तू बडी सुन्दर लग रही है।
नीलम;झूठ एक बार भी मुझे नहीं देखा तुमने।
देवा;तुझे क़रीब से देखना चाहता था मैं।
ये कहते हुए देवा पहली मर्तबा अपने होंठ नीलम के होठो पे रख देता है।
नीलम की ऑंखें बंद हो जाती है और साँसे जैसे अटक सी जाती है।
उसकी ज़िन्दगी का पहला चुम्बन था ये और वो भी अपने देवा का जिसे वो देवता की तरह पुजती थी।
कुछ देर बाद जब देवा उसके होठो से अलग होता है तो नीलम चैन की साँस लेती है वरना वो तो जैसे साँस लेना हीभूल गई थी।
बाहर से कोई नीलम को आवाज़ देता है।
और नीलम देवा को प्यार भरे निगाहों से देखते हुए वहां से बाहर चली जाती है।

रश्मी;एक एक करके सभी से मिलती है और जब वो देवा के सामने आती है तो छोटी होने के नाते वो देवा के पैरों में झुक के आशीर्वाद लेती है।
देवा;उसे उठाते हुए धीरे से उसके कान में कहता है।
मेरा आशीर्वाद तो तेरे अंदर जा रहा है मेरी जान।
रश्मी;बुरी तरह शर्मा जाती है।
और सभी से मिलते हुए रश्मि अपने पति के साथ अपने शादी शुदा ज़िन्दगी गुजारने चल पडती है।।
देवकी अपने पति से रामु और कौशल्या से शालु और उसके परिवार को मिलाती है।
दोनो परिवारों के बातचित से देवा को ऐसे लगने लगा था की पप्पू का मामला ज़ल्द जम जायेगा।
देवा और रत्ना अपने भाई और उनके परिवार को अपने घर ले आते है।
शाम घिर आई थी देवा के घर में सभी एक दूसरे के साथ बातें करने में लगे हुए थे।
ममता और नूतन तो कौशल्या को एक मिनट के लिए भी छोडने को तैयार नहीं थी।
और कौशल्या थी की अपने देवा को खुशखबरी सुनाने को बेचैन हो रही थी।
वो बहाना बनाके देवा के कमरे की तरफ आ जाती है।
देवा;अपने कमरे में आराम कर रहा था।
कौशल्या को अपने कमरे में आता देख वो बिस्तर से खड़ा हो जाता है।
कौशल्या;देवा के कमरे में आके दरवाज़ा बंद कर देती है।
और अपने देवा की बाहों में समां जाती है।
कौशल्या;ओह्ह्ह मेरे देवा मै कितना तडपी हूँ तेरी याद में। ये सिर्फ मै ही जानती हूँ।
देवा अपनी कौशल्या को पूरी तरह अपने चौड़े छाती से कस के चिपका लेता है दोनों के होंठ एक दूसरे में कैद हो जाते है।
कौशल्या;तूने मुझे वो सुख दिया है मेरे देवा जिसके लिए मै तडपती थी।
देवा;क्या मतलब भाभी।
कौशल्या;धीरे से शरमाते हुए देवा के कान में कहती है।
मै तुम्हारे बच्चे की माँ बनने वाली हूँ।
देवा;सच मुझे तो यक़ीन नहीं हो रहा।
कौशल्या;हाँ बाबा मै सच कह रही हूँ तेरे भैया तो मुझे माँ बनाना से रहे । जब तू वापस यहाँ आया था उसके कुछ दिन बाद मुझे पता चला की मै पेट से हूँ।
देवा;ख़ुशी के मारे कौशल्या को गोद में उठा लेता है और दोनों के होंठ फिर से एक हो जाते है।

खाना खाने के बाद देवा अपनी माँ रत्ना के पास जाके बैठ जाता है।
देवा;माँ मुझे आज खेत में ही सोना पड़ेगा फसल कटी हुई है कही कोई चोरी न हो जाए।
कल सुबह मुझे शहर भी जाना है।
रत्ना;ठीक है बेटा मगर तो अकेला मत जा पप्पू को ले जा अपने साथ।
देवा;हाँ मै पप्पू को साथ ले जाता हूँ। मुझे तो ये सुझा ही नहीं था।
रत्ना;क्या सुझा नहीं था।
देवा;कुछ नहीं मै चलता हूँ पप्पू के यहाँ से खेत भी चला जाऊँगा तुम मामा मामी का ख्याल रखना।
रत्ना;मुस्कुरा देती है।
कौशल्या और देवकी का चेहरा उतर जाता है।जब ये खबर उनके कानो तक पहुँचती है।
देवा;शालू के घर पहुँचता है और उसे सारी बात बता के पप्पू को अपने साथ लेके खेत की तरफ चल पडता है।

रात काफी हो चुकी थी देवकी अपने बेटे रामु कौशल्या और बेटी नूतन के साथ एक कमरे में सोई हुई थी।
देवकी के पति को डॉ ने खुले में सोने को कहा था इस लिए वो ऑगन में बिस्तर लगाके सोये हुए थे।
रत्ना;अपनी बेटी के साथ अपने कमरे में लेती हुई थी।
और उधर खेत में देवा पप्पू के साथ खेत में बनी झोंपडी में बैठा हुआ था।
देवा;पप्पू मुझे लगता है बहुत जल्द तेरी भी शादी हो जाएगी।
पप्पू;सच देवा तुझे कैसे पता।
देवा;जिस तरह से तेरी माँ और मामी एक दूसरे से हँस हँस के बातें कर रही थी उसे तो यही लगता है की तेरा भी बैंड बजने वाला है।
पप्पू;शादी तो हो जाएंगी मगर उसके बाद।
देवा; साले जब देखो तब वही बातें। अभी कुछ नहीं होंगा तेरा छोटा है तो क्या हुआ बाप बनने के लिए छोटा बड़ा मायने नहीं रखता । मायने रखता है पानी।
पप्पू;बड़े गौर से देवा के मुँह को देखने लगता है।
देवा;ऐसे क्या देख रहा है।
पप्पू; कुछ नही।
देवा;चल सो जा मुझे सुबह शहर भी जाना है।
और दोनों आस पास लेट जाते है।
इस सुनसान खेत में दोनों एक दूसरे के इतने पास सोये हुए थे की पप्पू के गाण्ड का कीड़ा जग जाता है और वो करवट लेके देवा की तरफ मुँह कर देता है।
देवा;अपने बहन ममता के बारे में सोच रहा था शादी में भी जिस तरह से ममता देवा को देख देख मुस्कुरा रही थी उस बात से देवा का मन विचलित था उसे अचानक आये इस बदलाव ने असमंजस में डाल दिया था। आखिर ममता ऐसे कैसे अचानक बदल गई है।
वो अपने यादों में खोया हुआ ही था की उसे अपने लंड पर पप्पू का नाज़ुक सा हाथ महसूस होता है।
वो गरदन मोड़ के पप्पू की तरफ देखता है और पप्पू के ऑखों में उमड़ते तूफान को भाँप लेता है।
पप्पू के हाथ देवा के पयजामे का नाडा खोल देते है और धीरे से पप्पू देवा के साँप को टोकरे में से बाहर निकाल लेता है।।
देवा पप्पू का हाथ पकड़ के उसे अपने ऊपर खीच लेता है और दोनों हाथों से उसके नाज़ुक मखमली कमर को मसलने लगता है।
पप्पू;उन्हह ज़ालिम मेरे याद भी कर लिया कर कभी आह्ह्ह्ह्ह्ह।
देवा;ज़ोर से उसके कमर पर थप्पड मारता है और झटके में पप्पू का पैजामा खोल के निचे सरका देता है।
पप्पू;देवा के लंड पर हमला कर देता है और उसे अपने मुँह में भर के अपने सूखे पड़े खेत को फिर से गीला करने लगता है गलप्प गलप्प।

देवा की सोच में तो उस वक़्त ममता समाई हुई थी ममता का सोच सोच के उसका लंड कुछ ही देर में एक दम खड़ा हो जाता है और पप्पू के मुँह में पूरे तरह भर जाता है।
देवा को सुबह जल्दी उठके शहर भी जाना था। इसलिए वो पप्पू को उल्टा करके झुका देता है और पास में पडा हुआ तेल अपने लंड पर लगा के सट करके अपने लंड को पप्पू के गाण्ड में ठूँस देता है।
पप्पू;माँ वो।
देवा;तेरे माँ को भी लुँगा एक दिन बेटा आहह अभी तेरी तो ले लूँ । बहुत काम में आई थी मुझे ये पहले पहले आह्ह्ह्ह्ह्।
पप्पू का छोटा सा लंड निचे हवा में लटकने लगता है जिसे देवा अपने हाथ में पकड़ के दना दन अपने लंड को पप्पू की गाण्ड में पेलने लगता है।
पप्पू की गाण्ड देवा के लंड की आदी हो चुकी थी बड़े आसानी से और बड़े चिकनाहट के साथ देवा का लंड पप्पू के गाण्ड में अंदर बाहर होने लगता है।
पप्पु;उन्हह भाई आहह माँ धीरे धीरे से उन्हह।
देवा;कुछ नहीं बोलता बस अपने लंड को पप्पू की गाण्ड के जीतने अंदर हो सके उतने अंदर ड़ालने लगता है।


उधर रत्ना के घर में देवकी को नींद नहीं आ रही थी। देवा के लंड ने उसे इतना चुदासी बना दिया था की उसे बस अब हर रात अपने ओखली में मुसल चाहिए था।
नुतन और कौशल्या आस पास लेटे हुए थे।
और देवकी के बगल में रामु सोया हुआ था।
देवकी उठके बैठ जाती है और एक नज़र सभी पर ड़ालने के बाद वो खड़ी होकर अपनी साडी खोलने लगती है।

पतली से पैंटी में वो रामु के पास आती है और धीरे से उसे जगा देती है।
रामु;क्या है माँ।
देवकी;मुझे कर ना बेटा बहुत दिल कर रहा है।
रामु;मुस्कुराके अपनी माँ की तरफ देखता है ऊपर से पूरी नंगी अपनी माँ को देख उसका भी दिल उसे चोदने के लिए मचल जाता है।
रामु;पर माँ नूतन जग जाएगी तो...
देवकी;मुझे नहीं पता बस तू चढ़ जा मेरे उपर।
रामु;अपनी माँ को लिटा कर उसके निप्पल को अपने मुँह में भर के दूसरी चूचि को मसलने लगता है।

देवकी अपने हाथ से रामु का लंड टटोलने लगती है उसे एहसास होता है की रामु का लंड पूरी तरह से तैयार नहीं हुआ है वो रामु को निचे लिटा के उसके पास बैठ जाती है और धीरे से उसका पैजामा उतार के फ़ेंक देती है।
रामु;नूतन और कौशल्या की तरफ देखता है उसे एहसास होता है की दोनों जग रही है क्यूंकि दोनों की साँसे तेज़ चल रही थी उनके ऊपर नीचे होती चूचियां इस बात सा सबूत थी।
देवकी;अपने बेटे के लंड को अपने मुँह में ले के चुसने लगती है गलप्प गलप्प।

रामु;हल्की हल्की सिसकारियां भरने लगता है उसके लंड में भी बहुत जल्द तनाव आ जाता है । ये सोच के की वो अपनी बीवी और पहली बार अपनी बहन के सामने माँ को चोदेगा।

नुतन को सब पता है ये बात रामु नहीं जानता था।
देवकी; चूत की आग में जल रही थी और उसकी आग बुझाने के लिए उसका बेटा रामु तैयार था। रामु अपने माँ के दोनों पैर खोल के अपने लंड को उसकी चूत के मुँह पे लगा देता है और धीरे धीरे लंड अंदर पेलने लगता है।
देवकी;उन्हह बेटा आह्ह्ह्ह्ह्।

रामु;माँ चिल्लाओ मत नूतन जग जायेगी।
देवकी;जग जाने दे मेरी चूत में आग लगी है । बस उसे बुझाता जा मेरे लाल अहह आह्ह्ह्ह।
रामु;एक बेटे का फ़र्ज़ अदा करते हुए अपनी माँ को धुंवाधार तरीके से चोदने लगता है।
उधर कौशल्या के हाथ नूतन की चूची तक पहुँच जाते है और वो धीरे धीरे नूतन की चूचियों को दबाने लगते है
नुतन एक पल के लिए ऑखें खोलके कौशल्या को देखती है दोनों एक दूसरे को देख के मुस्कुरा देते है और फिर नूतन ऑंखें बंद कर देती है।


कौशल्या;अपनी और नूतन के ऊपर चादर ओढ़ लेती है और फिर अंदर ही अंदर अपना हाथ उसकी जांघ में घुसा के उसकी फूली हुई गीली चूत को सहलाने लगती है।
नुतन अपने भाई से अपनी माँ को चुदता देख और उनकी आवाज़ें सुन के इतनी गरम हो चुकी थी की उसके होंठ धीरे धीरे कौशल्या के होठो की तरफ बढ़ने लगते है और फिर अचानक दोनों के होंठ एक हो जाते है
कौशल्या नूतन के और नूतन अपने भाभी के चूत को रगडने लगती है और सामने रामु अपनी माँ को पसीने में सरबोर होके चोदने लगता है।
रात उसी तरह कटने लगती है।

सुबह देवा जल्दी से अपने घर जाके नाश्ता करके हवेली की तरफ चला जाता है उसे याद था की रुक्मणी ने उसे कहा था की जब भी शहर जायेगा मुझे भी साथ लेते जाना।
जब वो हवेली पहुँचता है तो उसे रुक्मणी बाहर गार्डन में पौधो को पानी देते हुए मिलती है रुक्मणी सुबह बहुत जल्दी उठ जाती थी।
रुक्मणी;अरे देवा इतनी सुबह सुबह कैसे।
देवा;मालकिन मै शहर जा रहा हूँ आपने कहा था न मेरे साथ चलने के लिये।
रुक्मणी;हाँ तुम यहाँ बैठो मै रानी को बता के आती हूँ।
और रुक्मणी कपडे बदलने और रानी को ये बताने की वो देवा के साथ शहर जा रही है अंदर चली जाती है। और देवा वही बाहर बैठ के रुक्मणी का इंतज़ार करने लगता है।
 

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