Incest हाय रे ज़ालिम................

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देवा तो रात में रुक्मणी को तड़पा के सो जाता है मगर रुक्मणी अपने जिस्म की आग में पूरी तरह झुलस जाती है ।

सुबह वो देवा को जगाती है और देवा के जागते ही उसे अपने साथ कमरे में चलने को कहती है।

देवा;ऑखें मलता हुआ जब रुक्मणी के कमरे में पहुँचता है तो रुक्मणी कमरे का दरवाज़ा बंद कर देती है।

देवा;बड़े मालकिन आप क्या कर रही है।

रुक्मणी;आगे बढ़ती है और एक करारा थप्पड देवा के मुँह पे जड़ देती है।
तू मेरे साथ क्या कर रहा है पिछले दो दिन से ।

देवा का मुँह दूसरी तरफ घुम जाता है उस थप्पड से उसके कान में सन्न से आवाज़ गूँजने लगती है।

रुक्मणी;इधर देख क्या समझता है तू खुद को
मेरे साथ कुछ भी करेगा और मै चुपचाप बर्दाश्त करती रहुँगी।

देवा के होश उड़ चुके थे। रात में अपनी जीत पे हंसने वाले उसके होंठ जैसे किसी ने सूई धागे से सिल दिए थे।

रुक्मणी; आईन्दा मेरे साथ ऐसी वैसी कोई भी हरकत करने के कोशिश की न तूने देवा । बोल देती हूँ तेरे मालिक तो बाद में कुछ करेंगे तुझे उनसे पहले मै तुझे गोली मार दूंगी।
चल निकल जा यहाँ से।

देवा जल्दी से हवेली से निकल जाता है ।
उसका दिल ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगता है साँस अब ठीक तरह से चल रही थी वरना रुक्मणी के सामने तो जैसे उसका दम घुटने लगा था।

रुक्मणी का ये रूप उसने पहले कभी नहीं देखा था।

वो बड़े बड़े कदमों के साथ अपने घर की तरफ बढ़ जाता है।
रास्ते में उसे शालु दिखाई देती है वो शायद दूध ले के कही से आ रही थी।

देवा;उससे नज़रें चुराता हुआ अपने रास्ते पे चुपचाप चलने लगता है।

शालु;उसके सामने आके खडी हो जाती है।
कहाँ से आ रहा है।

देवा;वो काकी हवेली गया था।

शालु;चल मेरे साथ।

देवा;कहाँ काकी।

शालु;चल बताती हूँ।

देवा;शालू के साथ चल देता है शालु उसे अपने घर के पीछे बने एक कमरे में ले जाती है । ये कमरा खेती बाड़ी की चीज़ें रखने के लिए था ।

शालु;देवा को उस कमरे में ले जाके दरवाज़ा बंद करती है और देवा की तरफ घूमती है।

देवा;क्या बात है काकी मुझे खेत में भी जाना है।

शालु;तूने रश्मि के साथ क्या किया ।

देवा का मुँह खुला का खुला रह जाता है।

शालु;अपने हाथ में की दूध की बाल्टी निचे रखती है और देवा की तरफ देखने लगती है।

देवा की ऑंखें शर्म से झुक जाती है वो क्या कहता। तुम्हारे बेटी को कली से फूल बनाया है मैंने उसकी चूत के साथ साथ उसकी गाण्ड भी मारी है।

देवा;जैसे ही नज़रें उठाके देखता है ।
शालु का पंजा उसके दूसरे गाल पे छप सा जाता है।

शालु;कुत्ते कमिने इतना घटिया है रे तु।
मै तेरे साथ अपनी बेटी नीलम की शादी का सोच रही थी और तूने रश्मि के साथ छी घिन आती है मुझे अब तुझसे।

देवा;मुझे माफ़ कर दो काकी।

शालु;माफ़ी अरे मै तो सोच रही हूँ अभी तेरी माँ को सारी बात बता दुं।

देवा शालू को पकड़ लेता है और उसके मुँह पे अपना हाथ रख देता है।
काकी माँ के पास मत जाओ मैंने कहाँ ना मुझसे भूल हो गई।


शालु देवा की पकड़ से आज़ाद हो जाती है और देवा की तरफ ऊँगली उठाके उससे ठेठ भाषा में बोलती है तेरी शक्ल भी नहीं देखनी आज के बाद मुझे देवा।


देवा की ऑखों में पहली मर्तबा ऑंसू आ जाते है और वो वहां से अपने घर की तरफ चल देता है।

पप्पू;उसके घर के सामने बैठा हुआ था।

देवा;तू यहाँ क्या कर रहा है।

पप्पू;तू पहले मेरे साथ चल।

देवा;तेरे माँ को चोदूँ साले। जो देखो साथ में ले जाता है और फिर मुँह सुजा देता है मुझे नहीं जाना जा मुझे खेत में काम है।

पप्पू;देवा भाई एक बार बात तो सुन लो मेरी।

देवा;उसका हाथ पकड़ के उसे एक तरफ ले जाता है
हाँ बोल।

पप्पू;अरे रश्मि ने अपना मुँह खोल दी माँ के सामने
ज़र सँभाल के रहना कही मेरी माँ तेरी माँ के सामने कुछ बक ना दे।

देवा;गांडु तेरी माँ मुझे अभी मिली थी।
तेरे घर के पीछे ले गई मुझे और ये देख अभी भी मेरे मुँह पे उसकी उँगलियों के निशान है।

पप्पू का मुँह खुल जाता है।
तो क्या माँ ने तुम्हें मारा।

देवा;हाँ बे और नहीं तो क्या।

पप्पू;देवा भाई तुम चुपचाप मार खा के आ गये।

देवा;क्या करता तेरी माँ की ऑंखें देखा मैंने । लाल रंग के हो चुकी है लगता है रात भर मेरे बारे में सोच सोच के जगी है वो। तभी तो मुझे देखते ही अपने सारी भडास निकाल दी।

पप्पू;भाई मुझे तो बहुत डर लग रहा है कही रश्मि मेरा नाम भी न बता दे।

देवा;नहीं बतायेगी वो अगर उसे बताना होता तो कब का बता चुकी होती।
चल मुझे बहुत भूख लगी है।

देवा;अपने घर में चला जाता है।

ममता अपनी माँ रत्ना के साथ किचन में सुबह का नाश्ता बना रही थी।

रत्ना;देवा जल्दी से हाथ मु धोले मैंने तेरी पसंद के पराठे बनाई हूँ चल आजा।

देवा;अभी आया माँ।
वो अपने कमरे की तरफ जाने लगता है मगर जा नहीं पाता क्यूंकि उसे ममता के कमरे में नूतन दिखाई देती है।
वो अपनी ब्रा का हुक लगा रही थी।

देवा;उसकी चिकनी पीठ देख के अपने गाल पे पड़े थप्पड भूल जाता है और चुपके से उसके पीछे जाके उसकी पीठ को चूम लेता है।

नुतन ;उईईईईई माँ।
बुरी तरह डर जाती है।
सामने देवा को खड़ा देख वो थोड़ा शांत हो जाती है।

देवा: मैं लगा देता हूँ।

नुतन ;कोई ज़रूरत नहीं है देवा भइया।

देवा;मगर जबरदस्ती करते हुए अपना एक हाथ उसकी चूचि पे रख देता है।

और अगले ही पल उसे एहसास होता है की उसने थोडी जल्दबाज़ी कर दिया क्यूंकि नूतन इस तरह के अचानक हमले के लिए तैयार नहीं थी और अपनी ब्रा वापस लेने के चक्कर में नूतन के हाथ देवा की नाक(नोज)के ठीक ऊपर लग जाता है और नाक में से खून निकलने लगता है।

नुतन ; खून देख वहां से भाग जाती है।
और जाते जाते देवा को बोल जाती है की आइन्दा मुझे परेशान करोगे तो इससे भी ज़्यादा खून निकाल दूंगी।

देवा का नाक दर्द करने लगता है और वो उसे पकड़ के अपने रूम में चला जाता है।

अपनी नाक साफ़ करते हुए वो अपने साथ हुए आज के हादसों के बारे में सोचने लगता है।

पता नहीं साला कैसा दिन निकला है जबसे आँख खुली है तब से कोई न कोई मार रहा है।

उसे शालु की वो बात याद आ जाती है।

अरे मै तो तेरे साथ अपनी बेटी नीलम की शादी का सोच रही थी।

देवा की ऑंखें फिर से गीली हो जाती है।
नही मै नीलम को खोना नहीं चाहता मै उसे किसी भी कीमत पे अपनी पत्नी बनाऊंगा। ये मज़बूत इरादा देवा अपने मन में कर लेता है और फ्रेश होके किचन में आ जाता है।

किचन में नूतन और ममता नाश्ता कर रही थी।

रत्ना;देवा को भी वही बैठने के लिए कहती है।

देवा चुप चाप बैठ जाता है।

रत्ना;अरे ये तेरे नाक और गाल को क्या हुआ कितनी लाल दिख रही है।

देवा;वो माँ हवेली में शायद कोई कीडे ने काट लिया होंगा उसी की वजा से शायद लाल हो गया है।

नुतन को हंसी आ जाती है।

और तीनो माँ बेटे उसकी तरफ देखने लगते है

रत्ना;चुप चाप नाश्ता करो तुम दोनो।

देवा;नाश्ता करके खेत में जाने लगता है तभी दरवाज़े में से कोई अंदर आता है और उसे देख के देवा अपने सारे दुःख दर्द भूल जाता है।

देवा; मामी तुम अचानक।

देवकी घर के अंदर आके अपना सामान रख के देवा की ऑंखों में देखने लगती है।
तेरी याद आ गई तो चली आई।

देवा;भाभी भी आई है।

देवकी;नहीं वो नहीं आई।
वो आ जाती तो तेरी मामा का ख्याल कौन रखता।

चलो माँ अंदर है देवा सामान उठाके देवकी के साथ घर के अंदर चला आता है।

नुतन ; भाग के देवकी के गले लग जाती है।
माँ।

देवकी;कैसी है नूतन।

नुतन ;ठीक हूँ माँ।

रत्ना और ममता भी देवकी को देख खुश हो जाते है सब एक दूसरे से मिलने लगते है कुछ देर देवकी के साथ बाते करने के बाद देवा खेत में चला जाता है।

उधर रुक्मणी अपने कमरे में बैठी हुई देवा के बारे में सोच रही थी

उसका दिल बहुत बेचैनी महसूस कर रहा था।
बार बार उसे एक बात सता रही थी की कही मैंने कुछ ज़्यादा तो नहीं बोल दी देवा को कही वो सच में यहाँ आना न बंद कर दे।

वही रानी भी देवा के इस तरह चुपचाप बिना नाश्ता किये हवेली से चले जाने से परेशान सी हो गई थी।

देवा अपने खेत में काम कर रहा था और शालु अपने घर में बैठी बर्तन साफ़ कर रही थी।

शालु ने देवा को बुरा भला कहके उसे मार भी दी थी। मगर वो खुद भी जानती थी की इस सब से क्या होंगा।

रत्ना के घर में रत्ना और देवकी बातें करते हुए बैठी थी

रत्ना;अरे ममता ज़रा तेरी मामी के लिए शरबत तो बना ला।

ममता ;अभी लाई माँ।

देवकी और सुना कैसा चल रहा है ममता की कही बात चली की नही।

रत्ना;हाँ एक दो जगह बात शुरू तो की थी मगर बात कुछ बनी नही।

देवकी;अब मै आ गई हूँ न कुछ न कुछ तो करके ही जाऊँगी।

तभी ममता शरबत का गिलास लेके आती है।

ममता; ये लो मामी।


ममता जब शरबत देने झुकती है तो उसके आधे से ज़्यादा सन्तरे बाहर की तरफ झाँकने लगते है रत्ना तो कुछ ध्यान नहीं देती मगर देवकी की ऑखें चमक जाती है। वो दिल में सोचने लगती है ज़रूर कोई आम मीस रहा है।

शाम ढले तक देवा भी घर वापस आ जाता है।

देवकी उसे अपने पास ऑंगन में ही बैठा देती है।

दोनो उस वक़्त बिलकुल अकेले थे।

नुतन रत्ना और ममता रात का खाना तैयार कर रही थी।

देवकी;तू तो अपने मामी को भूल गया लगता है देवा। मेरी तरफ देखता भी नहीं।

देवा;मामी मैंने सोचा रात में अकेले में तुझे नंगी करके चाट चाट के देखुंगा।

देवकी;धत बेशरम कही का तेरी भाभी तुझे बड़ा याद कर रही थी।

देवा;काशी भाभी की बात ही कुछ और है।
कैसी हैं वो।

देवकी;बात तो तुझ में है मेरे भांजे। बहुत उम्मीद ले के आई हूँ तेरे पास जीतने दिन यहाँ हूँ कस के लुंगी तुझे। सारा बदन सख्त हो गया है निचोड निचोड के ढीला कर दे ज़रा।

देवा;कहो तो अभी कर दुं।

देवकी;रात में आजा मेरे पास।

देवा;मगर तुम तो माँ के कमरे में सोओगी ना।

देवकी;नहीं मै नूतन के साथ पीछे वाले कमरे में सोऊंगी तू रात में आ जा और थकान उतार दे मेरी सारी।

देवा; खुश हो जाता है।

उसे देवकी का शरीर बहूत अच्छा लगता था बडी बडी चूचियां मोटी सी कमर और गदराया हुआ बदन लंड पच पच करता था। जब देवा देवकी की चूत में लंड डालके उसे चोदता था।।।


अपनी चूत की आग में जलती देवकी यहाँ आई थी या उसके आने के पीछे कोई और मक़सद था ये तो देवकी ही जानती थी मगर उसके आने से नूतन और ममता की प्रेम लीला में बाधा सी आ गई थी।

खाना खाके सब अपने अपने कमरो में सोने चले जाते है।

ममता और रत्ना एक कमरे में सोई हुई थी।

जबकी पीछे वाले कमरे में देवकी नूतन के साथ लेटी हुई थी।

नुतन नीचे ज़मीन पे और देवकी चारपाई पे लेती हुई थी।

देवा ने सोच लिया था की वो हवेली नहीं जायेगा।चाहे कुछ भी हो जाए।

नींद जब सारे गांव वालो को अपने आग़ोश में ले लेती है।

देवकी;अपने कमरे में सोई हुई थी उसे अभी अभी नींद लगी थी।

नुतन;चारपाई के पास नीचे ज़मीन पे गहरी नींद में सो चुकी थी।

अचानक देवकी को महसूस होता है की कोई उसकी ब्लाउज के बटन खोल रहा है।
 

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