Incest हाय रे ज़ालिम................

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हिम्मत राव हवेली छोड कर चला जाता है और देवा अपने घर की तरफ निकल पड़ता है।
आज उसका मन काफी शांत था।
चेहरे पर मुस्कान लिए जब देवा अपने घर पहुँचता है तो उसे कोई भी घर के ऑंगन में नज़र नहीं आता।
उसे थोडी हैरत होती है क्यूंकि घर एकदम शांत लग रहा था।
वो बिना आवाज़ किये अंदर चला आता है।
वो बस रत्ना को आवाज़ देने ही वाला था की उसे रत्ना एक कोने में खिड़की से खड़ी दिखाई देती है।
रत्ना;साडी में थी वो ममता के रूम की खिड़की के पास खड़ी अंदर झाँक रही थी।
देवा;दबे पांव उसके पीछे जाकर खड़ा हो जाता है।
रत्ना;अब भी अंदर देख रही थी।
देवा;जब रत्ना की आँखों का पीछा करता है तो हैरान रह जाता है।
खिडकी थोडी खुली हुई थी और अंदर ममता प्रिया दोनों नंगी एक दूसरे की चूत चाट रही थी।
देवा;की आँखें चमक उठती है।
हालांकि अभी अभी वो रुक्मणी और रानी को जम कर चोद कर आया था मगर अपनी माँ को ऐसी हालत में देख उसका लंड पेंट में थोड़ा सा हलचल करने लगता है।



रत्ना;झुकी हुई थी उसके बड़े बड़े ब्रैस्ट सामने की तरफ लटके हुए थे।
जो बेताब थे ब्लाउज से बाहर आने को। कमर पीछे की तरफ झुकी होने से दोनों उभार साफ़ दिखाई दे रहे थे
देवा;थोड़ा और आगे बढ़ता है और रत्ना की चूतड़ के पीछे से जाकर खड़ा हो जाता है।
नरम नरम रत्ना की कमर को पीछे से धक्का लगता है और वो घबरा कर पीछे देखती है।
देवा;अपने दोनों हाथों में रत्ना की कमर को पकड़ लेता है और धीरे से रत्न के कान में कहता है।
क्या देख रही हो माँ अपनी बेटी की चूत।
रत्ना;चल हट पीछे। ये लड़की भी न एक दिन हमे गांव में बदनाम करके छोड़ेगी।
रत्ना;तेज़ कदमों से अपने रूम में चली जाती है उसके पीछे पीछे देवा भी चला जाता है और अपने पीछे दरवाज़ा बंद कर देता है।
रत्ना;दरवाज़ा क्यों बंद कर रहा है।
देवा; अच्छा अब नाटक कर रही हो जैसे मैंने कुछ देखा ही नही।
रत्ना;तू कहना क्या चाहता है।
देवा;रत्ना के क़रीब आकर बेड पर बैठ जाता है और रत्ना का हाथ पकड़ कर उसे भी अपने पास बैठा देता है
यही की तुम अपनी बेटी को नंगी देख रही थी।
जीसे देखना चाहिए उसकी तरफ तो तुम देखती भी नहीं माँ।
रत्ना;क्या मतलब है तेरा और मै कुछ नहीं देख रही थी। मुझे अजीब सी आवाज़ सुनाये दी तो मै चली गई थी वहां देखने की.....
देवा;की आवाज़ें किसकी है है ना।
अब बस भी करो माँ सब जानता हूँ मैं....
रत्ना;क्या जानते हो।
देवा;रत्ना का हाथ अपने हाथ में पकड़ लेता है।
मगर रत्ना देवा से नीलम को लेकर थोडी नाराज़ थी
वो अपना हाथ छुड़ा लेती है।

एक तरफ रत्ना की मोहब्बत अपने देवा को किसी के साथ देख नहीं पा रही थी और दूसरी तरफ चूत की आग... सब कुछ भुला कर पास जाना चाहती थी देवा के शरीर के नीचे....
देवा;फिर से रत्ना का हाथ अपने हाथ में पकड़ लेता है और इस बार कसकर उसे अपने से चिपका भी लेता है।
बहुत बर्दाश्त कर लिया मैंने अब अगर सीधे सीधे तुम मेरी बात नहीं मानोगी न तो.....
रत्ना;क्या करेगा। ज़बर्दस्ती करेगा मेरे साथ.....
देवा;अगर ज़बर्दस्ती करनी होती तो कब का कर लेता
मगर मुझे मेरी रत्ना चाहिए अपनी पत्नी के रूप में।
रत्ना;जा न नीलम है ना उसके पास जा मेरे पास क्यों आया है।
देवा;मुझे मेरी रत्ना की फिकर है मै जानता हूँ माँ तू मुझसे नाराज़ नहीं रह सकती। क्युकी तुझे भी ये चाहिए।
रत्ना;देवा की तरफ देखने लगती है। साँसें उसकी भी तेज़ चल रही थी दिल की धड़कन बेचैन सी थी और बेक़रार भी ये केहने को की हाँ देवा तेरी माँ अब और नहीं सह सकती उसे भी अपनी दासी बना दे मुझे भी भोग लगा दे।
देवा;रत्ना का हाथ अपने लंड पर रख देता है।
रत्ना;हाथ पीछे खीचने की कोशिश करती है मगर देवा दूसरे हाथ से अपने पेंट की ज़िप खोल कर लंड बाहर निकल लेता है और उस तपते हुए लंड पर रत्ना का नाज़ुक सा काँपता हुआ हाथ रखा कर दबा देता है।
रत्ना;की ऑंखों में नशा सा चढने लगता है।
वो जब भी देवा का लंड पकड़ लेती थी उसे कुछ भी होश नहीं रहता था।
रत्ना को ऐसे लगने लगता है जैसे उसे किसी ने नशे की दवा खिला दी हो।
रत्ना;लड़खड़ाती हुई आवाज़ में देवा से कहती है।
छोड दे बेटा कोई देख लेगा तो बड़ी बदनामी हो जाएगी।

देवा;कोई नहीं है माँ चूत में नहीं लेना चाहती तो अपने होठो से तो लगा लिया कर दिन भर में एक बार.....
रत्ना;हलके से लंड को मरोड़ देती है।
देवा;तेरी माँ की चूत साली। मरोड़ क्यों रही है
रत्ना;मुस्कुरा देती है और अपनी बाहें देवा के गले में डाल कर अपने होठो से देवा के सूखे होठो को गीला करने लगती है।
ममता और प्रिया की चूत चटाई देखने से रत्ना के जिस्म में आग सुलग उठी थी और देवा के लंड को देख वो तेजी से भडकने को तैयार थी।
रत्ना;देवा की गोद में आकर बैठ जाती है और देवा अपने लंड पर रत्ना की चूतड़ को टीका कर दोनों हाथों में उसकी गाँड को दबोच लेता है।

रत्ना; कसमासने लगती है और उतेजना में अपनी ज़ुबान को देवा के मुँह के अंदर डाल देती है।
देवा;भी अपनी गीली ज़ुबान को अपनी माँ की ज़ुबान से लगा कर चाटने लगता है।
रत्ना;गलप्प गलप्प गलप्पप्प।
उन्हह गलप्प गलप्प्प।
देवा; रत्ना की कमर को एक हाथ से और रत्ना की चुचियों को दूसरे हाथ से इतने ज़ोर से मसलने लगता है जैसे कुछ देर बाद रत्ना ग़ायब हो जाएगी।
रत्ना;अह्ह्ह दर्द होता है ना गलप्प
गलप्प।
मगर देवा अपनी ज़िन्दगी के सबसे हसीन खवाब को अपने इतने करीब पाकर पागल हो गया था। वो जब भी रत्ना के पास होता उसका भी वही हाल होता जो रत्ना का देवा की बाहों में हुआ करता था।
दोनो की ऑंखों में शराब के जैसा नशा था होंठ थे की एक दूसरे से अलग होने को तैयार नहीं थे और जिस्म थे की एक दूसरे से चिपके जा रहे थे।


सांसों की गर्मी माहॉल को और गरम कर रही थी। लंड की चुभन जब रत्ना की गांड पर बढ़ने लगती है तो रत्ना समझ जाती है की उसे क्या करना है और वो नीचे बैठ कर देवा की पेंट को कमर के नीचे सरका देती है।
जैसे ही रत्ना अपने हाथों में देवा का लंड पकडती है देवा अपनी आँखें बंद कर लेता है।
और उसके मुँह से बस एक शब्द निकलता है।
माँ।
रत्ना;माँ... नहीं देवा रत्ना तेरी लंड की रत्ना। गलपपपपपप गलप्पप्प।
गलप्प रत्ना अपने हलक में देवा का अपने बेटे का अपने प्यार का अपनी जान का लंड खीच लेती है।
अपने हाथ से देवा के टेस्टीस को मरोड़ते हुए मदहोशी के आलम में चूर रत्ना अंदर तक लंड को चूसती चली जाती है।
देवा;आहह धीरे माँ।
रत्ना;गलप्प गलप्प
चूसने दे न गलप्प गलप्प
देवा;आहह तेरी माँ की साली आह्ह्ह
बस मुँह देती है चूत कब देगी आह्ह्ह्ह।
रत्ना;गलप्प गलप्प गलप्प्प।
वो होठो से कुछ नहीं बोलती बस देवा की आँखों में आँखें डाल कर लंड को मरोड़ मरोड़ कर चाटती चूसती चली जाती है।
उसकी आँखों में देवा के सवाल का जवाब था।
देवा;अपने दोनों हाथों से रत्न का सर पकड़ लेता है और खड़ा होकर सटा सट सटा सट रत्ना के मुँह को चूत समझ कर चोदने लगता है।

रत्ना;अपनी ज़ुबान बाहर की तरफ निकाल लेती है और देवा अपनी आँखें बंद कर के अपनी रत्ना के मुँह को उसकी चूत का सुराख़ समझ कर अपने लंड को आगे पीछे करने लगता है।
गुं गुं की आवाज़ के साथ रत्ना के मुँह से राल बाहर गिरने लगती है। देवा के लंड की घिसाई से रत्ना के मुँह से ढेर सारा थूक ज़मीन पर गिरने लगता है और रत्ना उस थूक को उठा कर अपनी छाती पर मलने लगती है।
देवा; ये देख एक हाथ से रत्ना का ब्लाउज और ब्रा दोनों निकाल देता है और लंड को मुँह से निकाल कर रत्ना की छाती पर उसकी नरम मख़मली चुचियों पर मारने लगता है।
देवा; छिनाल मुझे करने नहीं देती न । देख अब तुझे इसी लंड से मारूँगा मैं.....
रत्ना;अपने दोनों बड़ी बड़ी चुचियों को अपने हाथों में पकड़ लेती है और देवा अपने लंड को डण्डे की तरह पकड़ के रत्ना की चुचियों पर मारने लगता है हालाँकि उस पिटाई से न रत्ना को दर्द हो रहा था न देवा उसे सजा समझ कर रत्ना को मार रहा था मगर उसी हल्कि सी पिटाई से रत्ना की चूत में इतना ज़्यादा खीचाव आ गया था जैसे बच्चा जनते वक़्त औरत की चूत के लिप्स खुलते और बंद होते है।
रत्ना;आहह मेरा देवा अपनी माँ से इतना प्यार करता है
ओह्ह्ह्हह मुझे सच में करने के लिए इतना बेचैन है रे तू अह्ह्हह्ह्ह्ह।
देवा;हाँ माँ मेरा लंड तेरी चूत में जाकर ही शांत रहेगा वरना वो भटकता रहेगा हर जगह आह्ह्ह्ह।
उसे सहारा दे दे रत्ना मेरे लंड को ठिकाना दे दे आह्ह्ह्ह्ह्ह।
रत्ना;अपने दोनों चुचियों को आपस में मिला देती है।
आ जा मेरे बच्चे अपनी माँ की चूचि में डाल कर अपने लंड को ठण्डा कर ले आ जा।
देवा;अपने लंड को जैसे जैसे रत्ना की चुचियों के बीच में घुसाता चला जाता है वैसे वैसे उसकी चूत की नरमी का अहसास सताने लगता है।
वो सोचने लगता है जब रत्ना के दोनों चूचियाँ इतनी नरम और चिकनी है तो चूत कितनी प्यारी होगी। वो अपने लंड को चुचियों के बीच में उसको आगे पीछे करता चला जाता है।
देवा;माँ करने दे मुझे आह्ह्ह।
रत्ना;नहीं देवा तूने मुझस वादा किया है ना आह्ह्ह्ह
देवा;मुझे कोई वादा याद नहीं है बस मुझे करने दे ना।
रत्ना;नही मतलब नहीं।
देवा;मेरा दिमाग ख़राब मत कर मै कह देता हूँ माँ.....
रत्ना;अगर तू मेरा बेटा है तो मै भी तेरी माँ हूँ याद रख नहीं बोली तो नही।
देवा;अपने लंड को रत्ना की चुचियों से निकाल लेता है और पास में पड़ी हुए टॉवल को अपनी कमर पर लपेट लेता है।
देवा:साली अगर तू चूत नहीं देगी तो तेरी बेटी सही।

रत्ना;पागल हो गया है क्या तू देवा। वहां प्रिया भी है।
देवा;मुझे बस अभी के अभी चूत चाहिए अगर तेरी नहीं तो ममता की ।
वो बड़े बड़े कदमों से ममता के रूम की तरफ बढ़ जाता है।
रत्ना अपने कपडे सँभाल कर उसके पीछे भागती है मगर जब तक वो देवा के करीब पहुँचती है देवा ममता के रूम में जा चूका होता है।
देवा;अंदर आते ही दरवाज़ा बंद कर देता है।
देवा;को ऐसे अचानक वहां देख प्रिया और ममता बुरी तरह घबरा जाते है।
वो दोनों नंगी थी और एक दूसरे से चिपकी हुई थी।
चुत से निकले पानी की महक पूरे रूम में बिखरी हुई थी
देवा;अपनी कमर पर बँधे टॉवल को नीचे गिरा देता है और धीरे धीरे दोनों के क़रीब चला जाता है।
ममता तो कई बार देवा को इस हालत में देख चुकी थी मगर प्रिया का बुरा हाल था वो कुछ कह भी नहीं पा रही थी क्यूंकि वो खुद भी नंगी थी और देवा को नंगा देख उसका दिल भी इतनी तेजी से धड़क रहा था। जितना तो ममता से चूत चटवाने पर भी नहीं धड़का होगा।
देवा;ममता की तरफ देख कर सीधी बात करता है।
ममता मुझे अभी इसी वक़्त तुझे चोदना है।
ममता एक बार प्रिया की तरफ देखती है और वो समझ जाती है की ज़रूर किसी ने देवा के लंड पर धोखा किया है इसलिए देवा इतना परेशान हो गया है।
उस वक़्त ममता ये भूल जाती है की उसकी ननद भी वहां मौजूद है।
कहते है जब एक हम्माम में सब नंगे हो तो शर्म नहीं आती।
ममता और प्रिया दोनों की नज़रें देवा के खड़े लंड पर जमी हुई थी।
प्रिया;अपनी नज़रें जैसे ही झुकाती है ममता उसकी गरदन पकड़ लेती है और एक बार फिर से अपने होठो से प्रिया के होठो को गीला करने लगती है।
प्रिया हक्की बक्की रह जाती है।
वो जैसे दोनों भाई बहन के बीच फँस गई थी न बाहर भाग सकती थी और न वहां रुक सकती थी।
वो वही बैठी रह जाती है और ममता प्रिया के होठो से मुँह हटा कर देवा के लंड से लगा देती है।
ममता;गलप्प मेरा लंड मुझे चोदने आया है।
गलप्प गलप्प्प गलप्प्प।
प्रिया;सब देख रही थी सब सुन रही थी।
देवा;चल कुतिया बन जा।
ममता वहीँ प्रिया के सामने कुतिया बन जाती है और देवा खिडकी की तरफ देखता है।
उसे रत्ना वही खड़ी मिलती है।
देवा;एक ज़ोरदार थप्पड ममता की गाँड पर जड़ देता है
और फिर रत्ना की आँखों में देखते हुए अपने लंड पर थूक लगा कर पीछे से एक धक्के में पूरा का पूरा लंड ममता की चूत में पेल देता है।

उस धक्के में बहुत जोश था।
उस धक्के में रत्ना की चूत न मिलने का दर्द था।
और वो धक्का इतना जानदार था की एक ख़ौफ़नाक चीख ममता के मुँह से निकल पडती है।
देवा;अपने अंगूठे को ममता की गाँड में घूस्सा कर सटा सट किसी जानवर की तरह चोदने लगता है।

ममता ; आह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह
आह भइया मार डालोगे क्या....
बहुत दिन बाद चुद रही हूँ धीरे से आह्ह्ह्ह।
मगर देवा को जैसे उसकी आवाज़ सुनाई ही नहीं दे रही थी । वो तो बस रत्ना की ऑंखों में देख धक्के मार रहा था न प्रिया के मौजूदगी की परवाह थी उसे और न ममता के चूत के दर्द की।
धक्के अंदर तक जा रहे थे। चूत से पच पच की आवाज़ें तेज़ होती चली जा रही थी।
ममता ;अपनी कमर को और थोडा सा खोल देती है। जिससे देवा का लंड और अंदर तक आसानी से जा सके
रत्ना; ये देख मचल उठती है। जो लंड थोडी देर पहले उसके मुँह में था अब वो उसकी बेटी की चूत में उधम मचा रहा था।
देवा;तेरी माँ को चोदूँ चिल्ला मत।
ममता ;मुझे बहुत दर्द हो रहा है ना भाई आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह।
देवा;होने दे तेरी माँ की चूत साली मुझे नहीं पता कुछ भी।
लगातार चुदाई से ममता की चूत गिली हो चुकी थी।
प्रिया को यक़ीन नहीं आ रहा था ये देख कर की कोई भाई अपनी बहन को अपनी सगी बहन को इतनी बेदरदी से चोद सकता है।
जब देवा अपनी सगी बहन को इतनी बुरी तरह चोद सकता है तो बाहर वाली को कैसे चोदेगा। यही एक सवाल सबसे पहले प्रिया के दिल में आता है और जवाब भी उसके सामने था। जब देवा अपने दोनों हाथों में ममता की कमर को पकड़ कर साँड़ की तरह दना दन दना दन अपने लंड से चूत की धज्जियां उडाने लगता है।

देवा अपनी माँ रत्ना को दिखा दिखा के और जोर जोर से ममता को चोदने लगता है जैसे गुस्से में बोल रहा है साली तुझे भी एक दिन इसी तरह कुतिया बना के तेरी गांड नहीं फाड़ी तो मेरा नाम देवा नहीं।हर एक दिन का बदला लूंगा तुझसे साली रंडी।


ममता को तो जैसे स्वर्ग मिल गया था कुछ ही देर में
15 मिनट की ज़ोरदार चुदाई के बाद देवा अपना पानी ममता की चूत में निकाल कर अपना लंड बाहर खीच लेता है और टॉवल अपने कमर पर लपेट लेता है।
ममता वही ज़मीन पर ढेर हो जाती है।
चुत से बहुत ज़्यादा पानी बहने से वो निढाल हो चुकी थी और उससे ज़्यादा निढाल प्रिया हो चुकी थी ये सब देख कर।
मगर जिसका सबसे बुरा हाल था वो थी रत्ना।

रत्ना;अपनी चूत पर हाथ रख कर रूम में भाग जाती है और रुम अंदर से बंद कर देती है।
देवा;प्रिया की तरफ देख मुस्कुरा देता है।
और घर के बाहर चल जाता है।

वो नीलम की तबियत पता करने शालु के घर की तरफ जाने लगता है।

रात काफी हो चुकी थी।
रास्ते में अँधेरा था और कुत्तोँ के भोकने की आवाज़ें बहुत आ रही थी।
देवा;जैसे ही शालु के घर की तरफ वाली गली में मुडता है।
उसके सामने तीन लोग आ जाते है।
देवा;घबरा जाता है।
क्यूंकि वो तीनो गांव वाली नहीं लग रहे थे और अँधेरे में उनकी शक्ल भी ठीक से नज़र नहीं आ रही थी।
देवा;अपने आँखों को मलता है और उन तीनो को गौर से देखने की कोशिश करता है।
तब वो तीनो में से एक को पहचान लेता है।
उन में से एक आदमी वही था जो कुछ दिन पहले उसे बरगद के पेड़ के पास मिला था।
आज भी वो अपने सर को छुपाये हुए था।
और पास में खड़े दोनों शख्स भी अपना चेहरा छुपाये हुए थे।
देवा;कौन हो तुम।
यहाँ क्या कर रहे हो।
उन तीनो में एक औरत थी वो औरत देवा से कहती है।
तूम देवा हो ना।
देवा;हाँ मगर तुम्हें मेरा नाम कैसे पता और तुम अपना चेहरा क्यों छुपा रहे हो क्या तुम्हें कोई बीमारी है।
औरत;हमारी मदद करो देवा।
हमारी मदद करो।
देवा;कैसे मदद साफ़ साफ़ कहो।
हवेली के पीछे एक नीम का पेड़ है।
उस पेड़ के नीचे खुदाई करना तुम्हें सब पता चल जायेगा और तुम्हें क्या करना है वो भी पता चल जायेगा।
देवा;मगर तुम हो कौन और मुझसे क्यों कह रहे हो।
उन में से एक बूढा आदमी जो देवा से पहले भी मिला था। कड़क आवाज़ में कहता है।
ज़्यादा सवाल मत पुछो जितना कहा है तुझे करना होगा। तुझे तेरे सारे सवालों के जवाब मिल जायेगा।

देवा;कुछ और बोलता उस से पहले पीछे से शालु की आवाज़ देवा को सुनाई देती है।
शालु;देवा अरे ऊऊऊऊ देवा वहां अकेला क्या कर रहा है।
देवा;अकेला कहाँ हूँ। ये भी तो है।
वो शालु को कहकर उन तीनो की तरफ मुडता है मगर वो तीनो वहां से जा चुके होते है।
शालु;पागल हो गया है।
कोई भी तो नहीं कब से मै वहां से तुझे देख रही हूँ अपने आप से बड बड़ा रहा है चल घर चल। खाना खाया क्या तुने।
देवा;अरे अभी अभी वो तीनो यहीं खड़े थे न। तुमने देखा नहीं क्या उन्हें।
शालु;देख मुझे डरा मत चल वैसे भी नीलम तुझे याद कर रही थी।
देवा;हैरत से इधर उधर देखने लगता है मगर उसे कोई भी नज़र नहीं आता आखिरकार वो ख़ामोशी से दिमाग में कई सारे सवाल लिए शालु के साथ चला जाता है।
 
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अपडेट - 3

पप्पू;अरे देवा तू कब आया।

देवा;अपना पसीना पोछते हुए बस अभी आया था तुझसे मिलने।

शालु;पप्पू बेटा ज़रा बांके की दूकान से शक्कर तो ले आ।

पप्पू;अभी लाया माँ।
तू जाना मत देवा मै बस अभी आया।

पप्पु के बाहर जाते ही शालु आगे बढ़ती है और चटाक से एक चाँटा देवा के गाल पे जड देती है।
कमिने तुझसे थोड़ा हँस बोल क्या ली तू तो हवस के भूखे कुत्ते की तरह उपर चढने लगा। रुक अभी तेरे माँ को तेरे बारे में बताके आती हुं।

देवा की तो जैसे गाण्ड ही फट गई थी वो शालु का हाथ पकड़ लेता है।
नही काकी वो मुझे पता नहीं क्या हो गया था। भूल हो गई मुझे माफ़ कर दो । आगे से ऐसे गलती दूबारा नहीं होंगी माँ से कुछ मत कहो।

शालु देवा का हाथ झटक देती है और घर के बाहर निकल जाती है।

देवा उसके पीछे पीछे दौडता है
वो दूबारा शालु को पीछे से पकड़ लेता है।
नही नहीं काकी आपको मेरी कसम माँ से कुछ मत कहो।

शालु;दूर हट कमिने इस बार माफ़ कर देती हूँ मगर आगे से ऐसी वैसी कोई हरकत मेरे साथ करने की सोचा भी न तो पूरे गांव के सामने तुझे नंगा कर दूंगी।

देवा;चुप चाप गाण्ड पे हाथ रखे वहां से चला जाता है।
उसने आज जोश में आके बहुत बडा भूल कर दिया था। जो मछली कुछ दिनों में चारा निगल लेती वो आज उसके मूरखता के कारण हाथ से छटक गई थी वो खुद को गालियां देता अपने घर पहुँच जाता है।

रत्ना;दरवाज़े पे देवा का इंतज़ार कर रही थी।
क्या हुआ बेटा क्यों बुलाये थे तुझे हवेली पर।

देवा;कुछ नहीं माँ सेठ की बेटी को कार चलाना सीखाना है तो सेठ ने ये काम मुझे दिया।

रत्ना;क्यूँ और कोई नहीं मिला उन्हें गांव में इस काम के लिए । तू ही क्यूं।

देवा;वो तुम सेठ से जाके पूछ लो मुझे भूख लगी है। कुछ खाने को दो पहले आते ही सवाल जवाब।

देवा का मुंह थप्पड से और मूड शालु के बातों से ख़राब था।
वो हाथ मुंह धोके खाना खाने बैठ जाता है।
ममता कहाँ है वो सामने बैठी रत्ना से पूछता है।

रत्ना;वो तो कब की सो गई।
क्या बात है बड़ा उखड़ा उखड़ा सा लग रहा है किसी ने कुछ कहा क्या तुझसे।

देवा;नहीं माँ वो पीठ में बहुत दर्द है।

रत्ना;तू खाना खाले मै तेरे पीठ की तेल से मालिश कर देती हूँ।

देवा खाने में मगन हो जाता है और रत्ना उसे देखते रहती है।
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खाना खाने के बाद देवा अपने कमरे में सोने चला जाता है आज वो बहुत थक गया था।
तभी वहां रत्ना सरसो के तेल की बोटल लेके आती है।

रत्ना;अरे तूने अभी तक कुर्ता नहीं उतारा चल जल्दी कर मुझे बर्तन भी साफ़ करने है।

देवा;कुरता (शर्ट) उतार के लेट जाता है।

रत्ना उसके पास बैठ जाती है और अपने हाथ में तेल लेके देवा के पीठ पे हलके नरम हाथों से मालिश करने लगती है।

उसे ऐसे बैठने में दिक्कत हो रही थी वो कुछ देर बाद देवा के कमर पर बैठ जाती है और दबा के मालिश करने लगती है।



देवा;आहह हाँ वहाँ बहुत दर्द हो रहा है माँ।

रत्ना;तू इतना काम क्यों करता है लल्ला थोड़ा आराम भी किया कर जब देखो अपने बापू की तरह खेत में लगा रहता है दुनिया में और भी बहुत से चीज़ें है।

देवा;जैसे।

रत्ना;तेरी बहन अब बडी हो गई है उसके लिए रिश्ते की बात चलाना है। मै तेरी माँ मुझे ...... ओ चुप हो जाती है।

देवा;गरदन मोड के उसकी तरफ देखता है तुम्हें क्या माँ।

रत्ना का चेहरा लाल हो जाता है।
मै क्या कह रही थी की मुझे दो तीन साड़ीयाँ ला दे तू बाजार से ।

देवा;हम्म ला दूंगा माँ। अगले हफ्ते शहर जाने वाला हूँ वहां से तुम्हारे लिए और ममता के लिए नए कपडे ला दूंगा बस।

रत्ना;धीरे धीरे देवा के पीठ की मालिश करते रही और कब उसे नींद लगी पता भी नहीं चला । जब सुबह उसकी आँख खुली तो वो खुद को देवा के बाहों में चिपके हुए पडी है देवा की एक टाँग रत्ना के जांघ के अंदर थी और देवा ने उसे अपने से चिपका रखा था।

रत्ना;देवा के चेहरे को देखती है उसे देख के साफ़ लगता था की वो गहरी नींद में है और ये जो कुछ हुआ सब नींद के कारण हुई घटना है।
किसी तरह रत्ना देवा के नीचे से निकलने में कामयाब हो जाती है ।
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एक घंटे बाद देवा की आँख खुलती है और वो नहा धोके बहार आँगन में आके बैठ जाता है वहां ममता भी बैठी हुई थी।

देवा;कहाँ ग़ायब रहती है । कल तो दिन भर दिखाई नहीं दी तू मुझे।

ममता ;अरे भैया वो मेरे सहेली है ना कुमारी उसी के घर पे थी कल उसकी शादी है न।

देवा;हम्म ज़रा माँ का भी घर में हाथ बटां दिया कर दिन भर सहेलीयों के साथ मटर गश्ती करती रहती है।

ममता ; देखो न माँ भैया मुझे हमेशा डांटते रहते है।

रत्ना; भाई है वो तेरा। पूरा हक़ है उसका तुझपे जो चाहे वो करे।

ममता; उह्ह्ह जो चाहे वो करे।

देवा;उठके खेतों की तरफ चल देता है और उसके पीठ पीछे रत्ना और ममता हंसने लगते है।




खेत में आज कुछ खास काम नहीं था देवा खेत के कुंऐ पर बैठा कल के घटना के बारे में सोच रहा था । उसका लंड पदमा के बारे में सोच सोच के फुंकार रहा था।

तभी उसे वहां पप्पू की बहन रश्मी आती हुई दिखाई देती है वो अपने गाए और बकरियाँ चराने देवा के खेत में लाई थी।

देवा;उसे आवाज़ देके अपने पास बुला लेता है।

रश्मी;एक हंस मुख और भोली भाली लड़की थी।
वो देवा के पास जाके कुंए पे बैठ जाती है । क्या बात है क्यों बुलाया।

देवा;आज तू बकरियाँ लेके आई है पप्पु कहाँ है।

रश्मी;भाई की तबियत ख़राब है वैध जी ने उसे आराम करने के लिए कहा है।

देवा; कल तू कहाँ थी।

रश्मी;तुझे पता है। कल न मै बापू के साथ शहर गई थी मैंने और नीलम ने ढेर सारी चूडियां कपड़े सब लाए शहर से।
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देवा; एकदम बच्चों के जैसे खुश हो रही है जैसे पहले बारिश में कछवे और मेंढ़क खुश होते है।

रश्मी;देख देवा मुझे बच्ची मत बोल बच्ची नहीं हूँ मै बडी हो गई हूँ।

देवा;मुझे तो नहीं लगता।

शालु; अच्छा तू जैसे बहुत बड़ा हो गया है। तू भी तो बच्चा है।

देवा : मैं तो बड़ा हो गया हूँ और ये बात मै साबित भी कर सकता हूँ पर तू बडी हो गई है ये तू साबित नहीं कर सकती।

रश्मी; अच्छा कैसे साबित करेंगा की तू बड़ा हो गया है।

देवा;अपना कुर्ता निकाल देता है।
देख मेरे सीने पे कितने सारे घने बाल है ऐसे बाल तेरे बापू के सीने पर भी होंगे तेरे बापू बड़े है इसका मतलब मै भी बड़ा हो गया हुं।
तूने किसी बच्चे के सीने पे बाल देखे है।

रश्मी देवा को ऐसे हालत में देख के घबरा जाती है और उठ के खडी हो जाती है ।
अच्छा मै चलती हूँ।

देवा;हाहहह जा जा बच्चे घर जा माँ का दूध पी जा।

रश्मी; देवा पे झपट पडती है । तुझे मैंने कहा न मुझे बच्ची मत बोल । अब देख तेरी क्या हालत करती हूँ।

रश्मी;एक कमसीन कोमल लड़की और कहाँ एक हट्टा कट्टा जवान देवा ।
देवा;उसे ऐसे घुमा के अपने जांघ पे बैठा देता है की रश्मि सकपका जाती है।

रश्मी;छोड मुझे घर जाने दे।

देवा;एक हाथ से रश्मि के कड़क चुचे दबाने लगता है।और अपने होंठो से रश्मि के रसीले होंठो को चूमने लगता है।जब देवा के मर्दाने हाथ रश्मि की दोनों कड़क नुकीली चूचियों को बुरी तरह मसलने लगते है तभी...

रश्मी;आहह कमिने छोड क्या कर रहा है।

देवा;देखने दे ना तू बच्ची है या सच में बडी हो गई है।

रश्मी;छोड दे वरना माँ को कह दूंगी।

शालु;का नाम सुनके देवा झट से रश्मि को छोड देता है और रश्मि वहां से भाग जाती है।
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देवा;खेत के कुछ काम निपटाके जागीरदार की हवेली के तरफ चल देता है ।

जब वो हवेली पहुंचता है तो उससे पदमा कपडे धोते हुए दिखाई देती है।

पदमा;देवा को देख खुश हो जाती है।
अरे देवा तू इस वक़्त।



देवा;वो मालकिन को गाड़ी सीखाना है ना ।
पानी में गीला हुआ पदमा का बदन देख देवा के लंड में एक ज़ोर दर झटका आता है और वो पेंट के ऊपर से लंड को सहलाने लगता है।

समने खड़ी पदमा भी अपनी चूत को साडी के ऊपर से सहलाते हुए कहती है।

पदमा;दोनों मालकिन तो मालिक के साथ पास वाले गांव गए है उनके किसी रिश्तेदार से मिलने।

देवा;तो क्या तुम घर पर अकेली हो।

पदमा;कोई जवाब नहीं देती और मुड के झुक जाती है और अपनी गाण्ड हिलाके देवा को जैसे कह रही हो हाँ ।

देवा;पीछे से जाके पदमा को अपने बाहों में भर लेता है।

पदमा;आहह रे ज़ालिम कल से तूने मुझे नशा चढ़ा के रखा है उतार देना ।



देवा;दोनों हाथों से पदमा के मोटे मोटे चुचियाँ मसलते हुए आह्ह्ह्हह्ह।
काकी आज इन आमों का सारा रस पीला दो मुझे आहह्ह्ह्ह।

पदमा;तू अंदर जा मै अभी आती हूँ।

और देवा लंड को सहलाता हुआ हवेली के अंदर चला जाता है।

वो एक कमरे में चला जाता है जो शायद रानी का था।

थोड़ी देर बाद पदमा वहां आती है।


उसे देखते ही देवा अपना कुर्ता उतार के फ़ेंक देता है कल से उसका लंड उसके वश में नहीं था।

पदमा झुक के बिस्तर ठीक करने लगती है।

देवा से बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था।वो पदमा के मोटे मोटे भरे हुए कमर देख के खुश हो जाता है।



देवा;आगे बढ़ता है और पदमा को पीछे से पकड़ के उसके साडी के ऊपर से अपना लंड उसकी कमर के बीच के दरार में घीसने लगता है।

पदमा का पूरा जिस्म काँपने लगता है।
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