Incest हाय रे ज़ालिम................

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ममता और नूतन के शालु के घर जाने के बाद देवा नहाने के के लिए बाथरूम में चला जाता है।
उसे बस एक ही चिंता सता रही थी।
कैसे रश्मि की ख्वाहिश पूरी करे।
वो नहाके जब बाहर आता है तो उसे देवकी ऑंगन में बैठी दिखाई देती है।
देवकी;क्या लड़कियों के जैसा नहाता है देवा तू भी। कबसे आई हुई हूँ वो तो मै अंदर आने वाली थी फिर सोची तेरी माँ अगर आ गई तो...
देवा;अंदर आ जाना था न मामी । दोनों मिलके नहा लेते।
वो वैसे ही टॉवल लपेटे हुए देवकी के पास बैठ जाता है।
देवकी;अपना हाथ देवा के लंड पे रख देती है।
वो तो मै तुझे खाना देने आई थी मगर अब सोच रही हूँ कुछ करके ही वापस शालु के घर जाऊं।
देवा;देवकी की चूचि मसल देता है।
साली की चूत दिन रात बस एक ही चीज़ मांगती रहती है।
देवकी;बहुत तरसती हूँ बेटा मै ऐसी ज़िन्दगी के लिए। तेरी मामा तो बहुत जल्दी बूढ़े हो गये थे।
देवा;रामु है ना घर पे फिर किस चीज़ की चिंता।
देवकी;जवान चूत का दिवाना हो गया है तेरा भाई रामु। अब तो ठीक से करता भी नही।
देवा;के चेहरे पे परेशानी साफ़ झलक रही थी जिसे देवकी भाँप जाती है और बोलते बोलते चुप हो जाती है।
देवकी;क्या बात है देवा तू परेशान दिख रहा है किसी ने कुछ कहा तुझसे।
देवा;नहीं मामी बस ऐसे ही।
देवकी;सच बता तुझे मेरी कसम।
वो देवा का हाथ अपने सर पर रख देती है।
देवा;देवकी का हाथ अपने हाथ में पकड़ के उसे सारी बात बता देता है।
देवकी; हाय दैया रश्मि इतनी बडी कमिनी है मुझे तो यक़ीन नहीं आ रहा।
अपनी शादी के दिन भला कोई बाहर वाले से ऐसे कर सकता है क्या।
तू जानता है ना अगर तुम दोनों पकडे गए तो गांव निकाला हो सकता है तुम दोनों का।
देवा;मुझे खुद समझ नहीं आ रहा मामी मै क्या करुं।
देवकी;अपने मामी के होते हुए तुझे चिंता करने की कोई ज़रूरत नहीं है । मै हूँ न मै करुँगी रश्मि और तेरे सुहागरात का इन्तज़ाम बस तू देखते जा।
देवा;खुश हो जाता है और देवकी के होठो को चुमते हुए उसकी दोनों चूचियां मसलने लगता है।
देवकी;बस कर कोई आ जाएंगा मैं तो ऐसे ही कही थी। तू तो सचमूच में ऊपर चढ़ने लग गया मेरे । चल खाना खा ले।
देवा;मुस्कुराता हुआ खाना खाने बैठ जाता है।

उस दिन रत्ना और शालु दोनों के घरो में मेहमान ठहरे हुए थे।
इसलिए देवा और देवकी को अलग अलग जगह सोना पडा।


शादी वाले दिन;
सुबह से ही शालु के घर में गहमा गहमी थी हर कोई सजने सँवरने में लगा हुआ था।
नीलम नूतन और ममता रश्मि के पास बैठी उसे मेहँदी लगा रही थी।
मगर रश्मि की निगाहें दरवाज़े के तरफ थी।
तभी पप्पू के साथ देवा उनके पास आ जाता है।
देवा को देख रश्मि की ऑखें चमक उठती है । आज उसकी शादी थी मगर उसके चेहरे पे अभी तक दुल्हन वाली ख़ुशी नज़र नहीं आ रही थी मगर जैसे ही वो देवा को देखती है ऐसा लगता है जैसे किसी बिछडे हुए को कोई अपना मिल गया हो।
पप्पू;अरे वाह मेंहदी तो बहुत अच्छी आई है रश्मि तेरे हाथों पर।
रश्मी;अपने हाथों की मेंहदी देवा और पप्पू को दिखाने लगती है।
और मौके का फायदा उठाते हुए देवा रश्मि को आँख मार देता है।
उन सभी लड़कियों में सबसे ज़्यादा दिल उस वक़्त नीलम का धड़क रहा था देवा उसके एकदम पास खड़ा था।
देवा;अरे नीलम तूने मेंहदी नहीं लगाई क्या।
नीलम;बिना कुछ बोले अपने हाथ देवा को दिखा देती है।
ममता;क्यों री नीलम की बच्ची हम कबसे तुझे कह रहे है हमे मेंहदी दिखा तो दिखा नहीं रही थी । भाई ने सिर्फ पूछा तो उसे दिखा भी दी ऐसा क्यूं.....
नीलम;बुरी तरह घबरा जाती है। वो तो उसी वक़्त शालु और देवकी वहां आ जाते है।
शालु;अरे तुम अभी तक ऐसे ही बैठी हो। रश्मि को तैयार कौन करेंगा।
देवकी;अरे शालु बहन इन बच्चीयों को क्या पता दुल्हन को कैसे तैयार करते है। तुम चिंता मत करो रश्मि को मै तैयार कर देती हूँ।।
बस तुम जल्दी से इसके सारे कपडे गहने यहाँ ला के दे दो मुझे।
शालु: मैं अभी लाती हूँ।
नीलम चल ज़रा मेरे साथ।
और तुम दोनों को कोई काम नहीं है क्या या फिर हाथों में मेंहदी लगाना है। चलो जाओ बाहर जब देखो शहद के मखियों की तरह यहाँ वहां मँडराते रहते हो।
सभी लड़कियां देवा और पप्पू पे हंसने लगती है।
देवा;एक नज़र रश्मि की तरफ देखता है।
रश्मी की ऑंखें देवा से बस एक बात कह रही थी
मत जाओ।
शालु नीलम और नूतन को लेके सामान लेने चली जाती है और ममता वही रश्मि के पास बैठी रहती है।

देवकी;ममता ज़रा देख तो कहाँ रह गई ये सब।
ममता आती ही होगी मामी अभी अभी तो गई है।
देवा;जाके देखने में तेरे पैर दुःखते हैं क्या। जा जाके देख ।
ममता; जाती हूँ न चिल्लाते क्यों हो भइया।
ममता के बाहर जाते ही देवकी देवा से कहती है की तो शालु से बोल की तुझे कोई जरुरी काम करने जाना है एक घंटे बाद आयेगा और पीछे से जा के इस कमरे के पीछे वाले दरवाज़े के पास जाके खड़ा हो जा। मै उसे खोल दूँगी।
देवकी की बात सुनके देवा के साथ साथ रश्मि भी बुरी तरह शर्मा जाती है।
पप्पू; उसे बाहर से आवाज़ देता है।
ओए देवा कहाँ रह गया यार चल ना।
देवा;मुस्कुराता हुआ बाहर निकल जाता है।
शालु;रश्मि का सारा सामान उसके कपडे गहने सब कुछ ला के देवकी के पास दे देती है।
देवकी;अब तुम अपना काम करो मुझे एक घण्टा लगेगा इसे तैयार करने में।
नीलम;एक घण्टा क्यों मामी जी।
शालु;तुझे कुछ काम है रश्मि से चल जब देखो सवाल पे सवाल।
देवा;शालू के पास आता है।
वो काकी मुझे हवेली में बडी मालकिन ने बुलाया है मै उनसे मिल के आता हूँ।।
रत्ना;जो ऑगन में बैठ के गांव की दूसरी औरतों के साथ चावल चुन रही थी देवा की बात सुनके उसे डांटने लगती है।
रत्ना;आज कौन सा काम आ गया तेरे बडी मालकिन को।
जब देखो बुलावा भेज देती है।
जा रहा है तो जल्दी वापस आना।
देवा;माँ मै अभी गया और अभी आया।
पप्पू; मैं भी साथ चलु देवा।
शालु;हाँ चला जा तू भी । काम तेरा बाप करेंगे यहाँ का।
जा देख वो बाहर मंडप वाला आया की नहीं अब तक।
देवा;जल्दी से शालु के घर के बाहर निकल जाता है और घूमते हुए शालु के घर के पीछे की तरफ आ जाता है।
जिस रूम में देवकी रश्मि को तैयार कर रही थी उसे रूम में दो दरवाज़े थे।
देवा पीछे का दरवाज़ा खटखटाता है।
देवकी;जल्दी से दरवाज़ा खोल देती है और देवा अंदर घुस के दरवाज़ा बंद कर देता है।
देवा को देख के रश्मि उसकी तरफ बढ़ने लगती है मगर देवकी उसका हाथ पकड़ लेती है।
देवकी;ज़रा सबर कर दुल्हन। अभी अभी तो दूल्हा आया है तू अभी से उतावली होने लगी।
देवा;एक तरफ खड़ा हो जाता है।
और देवकी पहले रश्मि के सारे कपडे उतार देती है फिर उसे लंहगा ब्लाउज और दुल्हन की साडी पहनाती है। उसका शृंगार करती है उसे गजरा लगा के देवा के सामने खड़ा कर देती है।

देवकी;देख देवा कैसी लग रही है तेरी दुल्हन।
देवा;रश्मि को देखता ही रह जाता है।
दुल्हन के कपडो में रश्मि बेहद सुन्दर लग रही थी।
देवा;उसे अपनी बाहों में जकड के उसके होठो को चुमने लगता है।
और फिर उसे बिस्तर पे लिटा देता है।
देवकी वही नीचे ज़मीन पर बैठ जाती है।
जो करना है जल्दी कर । तू तो करके चला जायेंगा मुझे फिर से इसे दूबारा तैयार करना पड़ेगा चल जल्दी कर।
रश्मी;बिस्तर पे लेटी देवा का ही इंतज़ार कर रही थी।
देवा;पास में पड़े हुए कुछ फूल उठाके रश्मि के ऊपर फ़ेंक देता है।
देवा अपना शर्ट उतार के रश्मि के ऊपर चढ़ जाता है।
देख रश्मि मैंने अपना वादा पूरा किया। तू मुझसे दुल्हन बनके चुदना चाहती थी न । ले मै आ गया हूँ तेरी चूत में अपना बीज बोने।
वो रश्मि के गाल को चुमते हुए उसके ब्रैस्ट को मसलने लगता है।
रश्मी;उन्हह हाँ देवा मुझे भोग लगा दे रे मुझे दुल्हन तो तूने बना दिया अब सुहागरात भी मना ले मेरे साथ उन्हह।
देवा;रश्मि को सर से लेके पांव तक चुमने लगता है फिर देवा अपना लंड दुल्हन बनी रश्मि के मुँह में डाल देता है जिसे रश्मी चूसने लगती है।देवा दुल्हन बनी रश्मि के गरम मुँह को चूत के जैसे चोदने लगता है।
वो सबसे पहले उसकी साडी खोल देता है।
उसके बाद उसका लंहगा उतार के देवकी के पास फ़ेंक देता है।
रश्मी;अपनी ऑखें बंद कर लेती है । उसके चेहरे पे ख़ुशी साफ़ झलक रही थी। अपनी सुहागरात तो उसने पहले ही देवा के साथ मना ली थी मगर आज दुल्हन की तरह देवा से चुदने की सोच सोच के ही उसकी चूत पनिया सी गई थी।
जब देवा उसकी ब्रा और पेंटी जिस्म से अलग करता है तो रश्मि उठके बैठ जाती है और देवा के चेहरे को पेशानी को होठो को चुमने लगती है।
रश्मी;मुझे तेरी बहुत याद आएगी ज़ालिम मुझे ऐसे कर की मुझे हमेशा ये दिन याद रह जाए।
देवा;उसे निचे लिटा देता है और अपनी पेंट उतारके लंड सीधा रश्मि के मुँह की तरफ बढा देता है।

रश्मी;मुँह खोल देती है और देवा के लंड को अपने मुँह में ले के बड़े प्यार से टेस्टीस मसलते हुए चूसने लगती है गलप्प गलप्प.......
देवकी की साँसे भी फुलने लगती है आखिर उसकी ऑखों के सामने चूत और लंड का खेल जो चल रहा था वो अपनी चूत को अपने उँगलियों से शांत करने लगती है । वो जानती थी ऐसे में इन दोनों के बीच में आना ठीक नहीं होगा । ये खूबसूरत पल सिर्फ रश्मि और देवा का था। कोई तीसरा इनके बीच इस वक़्त नहीं आ सकता था।
देवा;रश्मि को अपने नीचे कर लेता है और उसके दोनों पैरों के बीच में आ जाता है।

रश्मी;अपनी चूत को देवा के लंड की तरफ बढाती है और देवा धीरे से रश्मि की चूत पे लंड टीका के एक ज़ोरदार धक्का चूत के अंदर मार देता है।
रश्मी; उन्हह देवा।
देवा;का लंड धीरे धीरे रश्मि की चूत में अंदर बाहर होने लगता है और दोनों ऑखें बंद करके इस पल का मजा लेने लगते है।
धीरे धीरे रश्मि नीचे से अपनी कमर को थोड़ा ऊपर उठाने लगती है और उसके जवाब में देवा ऊपर से अपने कमर को थोड़ा और ज़ोर से हिलाने लगता है।
दोनो एक दूसरे के मुँह में मुँह डाले ज़ुबान को एक दूसरे से लडाते हुए एक दूसरे का थूक पीते हुए चुदाई करने में लगे हुए थे।
तभी बाहर से ममता दरवाज़ा खटखटाती है।
देवा;कौन है।
ममता; मैं हूँ मामी मुझे अंदर आना है। मेरा दुपट्टा अंदर रह गया है।
देवकी;इधर उधर देखती है।
यहाँ कोई दुपट्टा नहीं है दूसरे कमरे में होगा।
ममता ; एक बार दरवाज़ा तो खोलों मामी।
लंड चूत में रहने के बाद भी रश्मि कड़क आवाज़ में ममता से कहती है।
रश्मी;मामी मुझे तैयार कर रही है तुझे अकल है की नहीं जा यहाँ से।
ममता; मुँह फुला के वहां से चली जाती है।
रश्मी जैसे ही देवा की ऑखों में देखती है एक ज़ोरदार झटका उसकी ऑखों में वही नशा भर देता है।
दोनो अपने चरम पर पहुँच जाते है।
रश्मी;उन्हह ज़ोर से देवा ज़ुर ज़ोर से आह्ह्ह भर दे मेरी चूत को पानी से मै जनुँगी तेरा बच्चा आह्ह्ह्ह गाभिन करररर दे मुझे आह्ह्ह्ह्ह्ह।
देवा;अपने लंड को रश्मि की बच्चेदानी तक पहुंचा के सटा सट उसे चोदने लगता है और थोडी देर बाद तीनो का रश्मि देवा और नीचे बैठी देवकी का भी पानी निकल जाता है।।
रश्मी; मैं मरते दम तक ये दिन नहीं भूलूँगी मेरे देवा अगर तू मेरी बहन का नहीं हुआ होता तो तुझे सबसे छीन लेती मैं।

वो देवा के होठो को चुमने लगती है और देवा भी उसके होठो में खो जाता है।
अपनी दुल्हन को आखिरी बार चुमके देवा वहां से बाहर निकल जाता है।
देवकी;फिर से रश्मि को दुल्हन के कपडे पहनाने लगती है बस इस बार एक फ़र्क़ रश्मि में था उसकी चूत में देवा का पानी भरा हुआ था।
देवा;थोडी देर बाद वापस सामने से शालु के घर में आ जाता है।

रत्ना;देवा तू भी नहा धोके कपडे बदल के आ जा।

देवा;ठीक है माँ।
रत्ना के पास में नूतन बैठी हुई थी।
रत्ना;नूतन जा जा के भाई को कपडे दे दे और हाँ जल्दी आना।
नूतन;सर हिला के देवा के साथ चलने लगती है।
देवा;घर में पहुँचता है और दरवाज़ा अंदर से बंद कर देता है।
नुतन;दरवाज़ा क्यों बंद कर रहे हो भाई।
देवा;उसका हाथ पकड़ के उसे अपने से चिपका लेता है।
देवा के दोनों हाथ नूतन की कमर को पकड़ लेते है।
अगर मामी ने तेरे मँगनी की बात नहीं कही होती ना नूतन तो कबका तेरी ले लिया होता।
नुतन ; हलवा है मीठा मीठा जो जब तुम्हारा दिल बोलेगा। ले लोगे मै नहीं दूंगी तुम्हें। मै सब कुछ अपने पति को दूँगी।
देवा; मुझे अपना पति समझ ले।
नुतन; नहीं तुम मेरे पति नहीं हो। छोडो मुझे और हाँ ऐसे वैसी हरकत करने का सोचना भी मत वरना.....
देवा;धमकी वरना क्या.....
नुतन;तुम्हारी माँ को बता दूंगी समझे।
देवा;इससे पहले नूतन को जवाब देता बाहर दरवाज़ा कोई खट खटाता है।
दोनो एक दूसरे से अलग हो जाते है।
नुतन दरवाज़ा खोलती है तो सामने ममता को खड़ा पाती है।
ममता दरवाज़ा क्यों बंद कर दिया तुम दोनों ने।
देवा बाथरूम में चला जाता है और नूतन ममता का हाथ पकड़ के उसे रूम में ले जाती है। वहां उन दोनों के बीच पता नहीं क्या बात होती है मगर जब दोनों कुछ देर बाद बाहर आते है तो दोनों के चेहरे पे हंसी रुक नहीं रही थी।
देवा;नए कपडे पहन के आइने के सामने बाल सँवारने लगता है।
तभी;उसे आईने में एक लाल साडी पहने लड़की नज़र आती है जब वो पलट के देखता है तो हैरान रह जाता है। वो और कोई नहीं ममता थी जिसने आज लाल साडी लाल ब्लाउज पहनी थी और इस साडी में वो रश्मि से भी खूबसूरत लग रही थी।
ममता कैसी लग रही हूँ मै भइया।
देवा;मुझे तो यकीन नहीं हो रहा की तू ममता है। बहुत सुन्दर लग रही है ममता मेरी बहन।
ममता;हंसने लगती है और अचानक उसका पल्लू सरक जाता है।
देवा की ऑखें टाइट हो जाती है साँस अतक से जाती है।
ममता;झट से अपना पल्लू ठीक कर लेती है और नूतन के पास चली जाती है।
देवा भी बहार आता है और तीनो शालु के यहाँ चल देते है।
रास्ते में नूतन धीरे से ममता के कान में कहती है।
पल्लु अचानक गिरा था या जान बूझ कर गिराया गया था। ममता उसके हाथ पर चुमटी काट लेती है।
 
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देवा रुक्मणी को देखता ही रह जाता है।

अचानक रुक्मणी की नज़र दरवाज़े की तरफ जाती है
वो झट से अपनी साडी ठीक कर लेती है।

रुक्मणी;अरे देवा आओ आओ अंदर आओ।

देवा;नहीं वो मै तो मालकिन बस ऐसे ही.....
देवा डर भी गया था और थोड़ा सकपका भी गया था।
उसे कुछ नहीं सुझ रहा था की रुक्मणी से क्या कहे।

रुक्मणी;वहां क्यों खड़े हो अंदर तो आओ।

देवा कमरे के अंदर चला जाता है और रुक्मणी दरवाज़ा की कुण्डी लगा देती है।

रुक्मणी;तुम ने तो कल कमाल ही कर दिया मेरी कमर का दर्द बहुत कम हो गया है । बस थोड़ा सा बाकी है।अच्छा हुआ तुम आ गये ज़रा दबा दोगे।

देवा;ठीक है देवा को तो जैसे दिल की बात हो गई थी। वो तो रुक्मणी के गोरे चिट्टे जिस्म को छुना चाहता था।

रुक्मणी;बिस्तर पे लेट जाती है।

देवा उसकी कमर के पास बैठ जाता है
कहाँ दर्द हो रहा है मालकिन ।

रुक्मणी;इशारे से अपने कमर के बीच की दरार में देवा को दिखाती है।
यहाँ पर.....

देवा रुक्मणि को देखता रह जाता है।
वो अपना एक हाथ उसी जगह रखता है जहाँ रुक्मणी ने उसे दिखाई थी।
उभरे हुए कमर पे दोनों कमर के बीच में नरम नरम गाण्ड पे।
आम तौर पे उस जगह दर्द नहीं होता क्यूंकि वहां सबसे ज़्यादा माँस होता है।

देवा के हाथ रखते ही रुक्मणी अपनी कमर को थोडा ऊपर की तरफ उठा लेती है और देवा दोनों हाथों से उसे नीचे की तरफ दबा देता है।
यहाँ ना मालकिन

रुक्मणी; हाँ वही दबाते जा आह्ह्ह्ह्ह।


देवा का तो रुक्मणी की मोटी गांड देख के ही पेंट के अंदर खड़ा हो गया था।
उपर से चूतड दबाने से उसके लंड को अब पेंट में रहना मुश्किल सा हो गया था।

रुक्मणी पेट के बल लेटी हुई थी और देवा उसकी कमर के पास।


रुक्मणी की साँसे फुलने लगती है उसे भी लंड चाहिए था हिम्मत राव तो उसे चोदता नहीं था और करता भी था तो बस कुछ देर के लिये ।वो अंदर ही अंदर सुलगते भट्टे की तरह थी।।

देवा; अच्छा लग रहा है ना मालकिन।

रुक्मणी; हाँ बहुत अच्छा है।
ये कहते हुए रुक्मणी पीठ के बल हो जाती है और अपने दोनों पैर खोल देती है।
उसकी ऑखें अभी भी बंद थी।
आह थोडी जांघ में भी दर्द है रे।

देवा;अपनी मालकिन का वफादार अपने हाथों का जादू रुक्मणी के जांघो पे भी चलाने लगता है।

जैसे जैसे देवा के हाथ ऊपर की तरफ चढ़ते है रुक्मणी अपने होठो पे ज़ुबान फेरने लगती है।

दोनो जानते थे की हो क्या रहा है मगर दोनों अपने अपने सीमा में रह कर खेलना चाहते थे।

रुक्मणी एक औरत थी वो भी भारतीय। वो कभी अपने मुँह से ये नहीं कहती की देवा मेरी ले ले।

देवा का लंड अब उसके पेंट में इस कदर फूल चुका था की उसे बाहर हवा में निकाल के थोडी साँस लेने देना बहुत ज़रूरी था वरना उसके घुट के अकड़ने का डर था।

वो कुछ सोचता है और अपने हाथों को धीरे धीरे रुक्मणी की जांघ पर से ऊपर चढाता हुआ उसके पेट को छुते हुए दोनों हाथ रुक्मणी के नरम मुलायम ब्रैस्ट पे रख के जल्दी से दोनों आम को मसल देता है।

एक हलकी से चीख रुक्मणी के मुँह से निकलती है वो एक पल के लिए ऑखें खोलती है और अगले ही पल बंद कर देती है।

देवा रुक्मणि के दोनों ब्रैस्ट को मसलते हुए उसके गरदन को चुमने लगता है।


मालकिन आप बहुत सुन्दर हो गलप्प गलप्प।

रुक्मणी; उन्हह आह्ह्ह्ह
मेरी जान बचाने वाले देवता आहह कुछ करना आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह।

देवा डरते ड़रते रुक्मणी के ब्लाउज के दोनों बटन खोलने लगता है और रुक्मणी नंगी होने के एहसास से ही कांप जाती है।

दोनो ब्रैस्ट सामने आते ही देवा अपने ज़ुबान को उसे चुमने से रोक नहीं पाता और अपना पूरा मुँह खोले गलप्प गलप्प दोनों को बारी बारी चुसने लगता है।


रुक्मणी अभी भी अपनी ऑंखें बंद किये देवा के बालों को सहला रही थी और उसके सर को अपनी छाती पे दबा रही थी।

देवा;एक निप्पल को मुँह में ले के ज़ोर से काट देता है।

जीससे रुक्मणी की चिख निकलने लगती है पर सही वक़्त पे देवा अपने होंठ रुक्मणी के होठो से लगा के उसकी आवाज़ बंद कर देता है और रुक्मिणी के रसीले होठो को गलप्प गलप्प चूसने लगता है।


रुक्मणी अपनी कमर को ऊपर निचे करने लगती है और फिर अचानक वो एकदम शांत पड़ जाती है और झटके से देवा को अपने ऊपर से ढकेल देती है।

देवा;क्या हुआ मालकीन।

रुक्मणी;चला जा यहाँ से मै अपने पति को धोखा नहीं दे सकती।।
चला जा अभी के अभी वरना मुझसे बुरा कोई नही।

देवा को यक़ीन नहीं होता की एक ही पल में रुक्मणी की सोच को क्या हुआ अभी वो देवा को कुछ करने के लिए बोल रही थी और फिर अचानक वो उसे जाने के लिए कह रही है।

रुक्मणी के अंदर की पतिवरता औरत जाग गई थी।।

देवा को कुछ समझ नहीं आता और वो अपने लंड को पेंट में किसी तरह इधर उधर एडजस्ट कर के घर जाने लगता है।

वो जैसे ही हवेली से बाहर निकल के कच्चे रास्ते पे आता है उसे रास्ते में हिम्मत राव और रानी आते दिखाई देते है।
उन दोनों को देख देवा घबरा जाता है और खुद को किसी तरह क़ाबू में करने लगता है।।

हिम्मत राव;उसके पास आके।
कहाँ से आ रहे हो देवा।

देवा;वो मालिक बस ऐसे ही आपके तरफ आ गया था।

हिम्मत राव; अच्छा हुआ तुम मुझे मिल गए।
देखो देवा मै एक हफ्ते के लिए गांव से बाहर जा रहा हूँ शहर में कुछ काम है मुझे।।

यहाँ हवेली में रानी बिटिया और रुक्मणी अकेली रह जाएंगी।।
मै ये चाहता हूँ की तुम रात में यहाँ सोने आ जाया करो।

पास के गांव में चोरी हुई है मै नहीं चाहता की ऐसा कुछ यहाँ भी हो।।

तूम्हे कोई दिक्कत तो नहीं है न।

देवा;मालिक मेरे घर पे भी तो कोई नहीं है मरद मेरे सिवा।

हिम्मत राव;तुम्हारे घर कौन चोरी करने आयेंगा।।
नंगा नहायेगा क्या और निचोड़ेगा क्या।
ये ताना देवा को अंदर तक चूभ ज़रूर गया था मगर वो कुछ कहता नही।

हिम्मत राव;क्या सोच रहे हो।

देवा;कुछ नहीं मालिक।

हिम्मत राव; तो ठीक है कल से रात में यहाँ सोने आ जाना और हवेली के बाहर ही बिस्तर डाल के सोना ठीक है।

देवा;जी मालिक।

पास खड़ी रानी की आँखों में चमक आ जाती है और वो देवा को घुरने लगती है।

हिम्मत राव अपने हवेली के तरफ चल देता है और देवा अपने घर के तरफ।

हिम्मत राव और रानी जब
कमरे में पहुँचते है तो हिम्मत राव कमरे का दरवाज़ा बंद कर देता है और जैसे ही रानी खुश होके हिम्मत राव की तरफ देखती है।
एक ज़ोरदार थप्पड हिम्मत राव रानी के मुंह पे जड़ देता है।

रानी;चक्कर खाके बिस्तर पर पेट के बल जा गिरती है।

हिम्मत राव ;आगे बढ़के उसके बाल पकड़ लेता है।
साली हरामज़ादी कितने दिन से तुझसे एक काम नहीं होता।
एक लौंडा तुझसे नहीं पट सकता। क्या कर रही है तू कही तेरा दिल तो नहीं आ गया देवा पर।

रानी की ऑखों में ऑंसू आ जाते है।

हिम्मत राव रोना मत और सुन ले ये एक हफ्ते में अगर तूने देवा को हमारा काम करने के लिए राजी नहीं किया न तो तुझे शहर हमेशा के लिए छोड आउँगा।

रानी अपने गाल पे हाथ फेरने लगती है।
ठीक है बापु अब आप देखते जाओ मै क्या करती हूँ।।

हिम्मत राव वहां से चला जाता है।

देवा अपने सोच में घर जा रहा था की उसे शालु उसका पति और नीलम कही जाते दिखाई देते है।


देवा;अरे काकी ये कहाँ जा रहे हो तुम सब।

शालु;देवा वो रश्मि के होने वाले ससुर की तबियत बहुत ख़राब है।।
अभी उनके गांव से संदेशा आया है।हम वही जा रहे है।

रश्मी की सास का कहना है की एक हफ्ते में वो रश्मि को उनके घर की बहु बनाना चाहते है।
रश्मि के ससुर के भी यही आखिरी इच्छा है।
पता नहीं इतनी जल्दी सब कैसे होंगा।

देवा;अरे तो इस में कौन से घबराने की बात है तुम अभी जाओ और शाम ढले वापस आ जाना । जवान लड़की साथ में है।

नीलम;मुस्कुरा देती है।

शालु;हाँ बेटा पप्पू रश्मि के पास है अब तुम दोनों को ही सब संभालना है।

देवा;सब हो जाएगा काकी तुम जाओ मै ज़रा पप्पू से मिलके आता हूँ।।

शालु;ठीक है और तीनो रश्मि के ससुराल चल देतें है।

देवा;शालू के घर जब पहुँचता है तो पप्पू बाहर ऑगन में लेटा हुआ था।

देवा;बिना उसे जगाये घर के अंदर चला जाता है।

रश्मी;अपने कमरे में बिस्तर पे लेटी हुई थी उस
वक़्त वो देवा के बारे में ही सोच रही थी वो यूँ तो देवा से भागती फिरती थी मगर जब देवा उसके पास नहीं होता तो वो उसके यादों में खोई रहती थी।

देवा;खंखारता है।

और रश्मि अपने खवाबों के राजकुमार को अपने ऑखों के सामने देख चौंक जाती है।

रश्मी;तुम इस वक़्त यहाँ।

देवा;हाँ मैंने सुना है एक हफ्ते में तेरी शादी होने वाली है तो सोचा अपना वादा क्यों न पूरा कर दूँ वरना मुझे ज़िन्दगी भर कुँवारा न रहना पड जाए।

रश्मी का दिल ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगता है वो जानती थी देवा किस वादे की बात कर रहा है।


रश्मी;कैसे वादा। तुम जाओ यहाँ से भाई घर पे है।

देवा; अच्छा कौन सा वादा। अभी बताता हूँ।।

रश्मी; पीछे हट जाती है।
देखो देवा भैया ये ठीक बात नहीं है मै चिल्लाऊंगी समझे।

देवा;चिल्ला पर मुझे बिना शादी के नहीं मरना।

रश्मी; मैं भाई को बुलाऊँगी।

देवा हंस पडता है उस भाई को जिसका मै कई बार गाण्ड मार चुका हूँ।

रशमी के पैर ये बात सुनके अपनी जगह जम जाते है और इस बात का फायदा उठाके देवा रश्मि को अपने बाहों में भर लेता है।

रश्मी;आहह छोड दो देवा भैया।

देवा;रश्मि सच में तू मुझे बहुत पसंद है।
एक बार अपने गुलाबी होठो का रस पीने दे मुझे।

देवा का लंड उसे ये सब करने पे मजबूर कर रहा था रुक्मणी ने उसके खड़े लंड पे लात मारके उसे हवेली से निकाल दी थी।।
वो अपने आप को तो सँभाल सकता था मगर अपने खड़े लंड को जब तक किसी की चूत या गाण्ड में नहीं डाल देता उसका लंड चैन से नहीं बैठता था।।

रश्मी;भाई आ जायेगा।

देवा;डरती क्यों है कुछ नहीं होगा।

रश्मी;नहीं मुझे डर लगता है।

देवा;उसे अपनी छाती से कस के छिपा लेता है और रश्मि की साँस अटक सी जाती है।
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देवा का तो रुक्मणी की मोटी गांड देख के ही पेंट के अंदर खड़ा हो गया था।
उपर से चूतड दबाने से उसके लंड को अब पेंट में रहना मुश्किल सा हो गया था।

रुक्मणी पेट के बल लेटी हुई थी और देवा उसकी कमर के पास।

रुक्मणी की साँसे फुलने लगती है उसे भी लंड चाहिए था हिम्मत राव तो उसे चोदता नहीं था और करता भी था तो बस कुछ देर के लिये ।वो अंदर ही अंदर सुलगते भट्टे की तरह थी।।

देवा; अच्छा लग रहा है ना मालकिन।

रुक्मणी; हाँ बहुत अच्छा है।
ये कहते हुए रुक्मणी पीठ के बल हो जाती है और अपने दोनों पैर खोल देती है।
उसकी ऑखें अभी भी बंद थी।
आह थोडी जांघ में भी दर्द है रे।

देवा;अपनी मालकिन का वफादार अपने हाथों का जादू रुक्मणी के जांघो पे भी चलाने लगता है।

जैसे जैसे देवा के हाथ ऊपर की तरफ चढ़ते है रुक्मणी अपने होठो पे ज़ुबान फेरने लगती है।

दोनो जानते थे की हो क्या रहा है मगर दोनों अपने अपने सीमा में रह कर खेलना चाहते थे।

रुक्मणी एक औरत थी वो भी भारतीय। वो कभी अपने मुँह से ये नहीं कहती की देवा मेरी ले ले।

देवा का लंड अब उसके पेंट में इस कदर फूल चुका था की उसे बाहर हवा में निकाल के थोडी साँस लेने देना बहुत ज़रूरी था वरना उसके घुट के अकड़ने का डर था।

वो कुछ सोचता है और अपने हाथों को धीरे धीरे रुक्मणी की जांघ पर से ऊपर चढाता हुआ उसके पेट को छुते हुए दोनों हाथ रुक्मणी के नरम मुलायम ब्रैस्ट पे रख के जल्दी से दोनों आम को मसल देता है।

एक हलकी से चीख रुक्मणी के मुँह से निकलती है वो एक पल के लिए ऑखें खोलती है और अगले ही पल बंद कर देती है।

देवा रुक्मणि के दोनों ब्रैस्ट को मसलते हुए उसके गरदन को चुमने लगता है।
 
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रश्मी;उन्हह देवा छोड दे ना भाई आ जाएगा ।
उईईईईई माँ वहां हाथ मत लगा।

देवा;रश्मि की गरदन चुमते हुए एक हाथ से रश्मि की चूत को सहला देता है जिससे रश्मि सिसक उठती है।

रश्मी;देवा आहह ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्।

देवा;आज ये रस पी लेने दे रश्मि बहुत तड़पाया है तूने मुझे।

रश्मी; नहीं ना।।
वह सिर्फ मुँह से देवा को मना कर रही थी ।
हाथ देवा की पीठ पे कसे जा रहे थे और ब्रैस्ट देवा की छाती में दबने को तैयार बैठे थे।

देवा रश्मि की कमीज निकलने लगता है

रश्मी :नहीं ऐसा मत कर मुझे दर्द होंगा।

देवा;पहले पहले होगा रश्मि बाद में तुझे भी बहुत मज़ा आएगा।

रश्मी;नही।
इससे पहले रश्मि और कुछ कहती देवा अपने होठो से उसकी आवाज़ बंद कर देता है गलप्प गलप्प।

देवा;अपने हाथ से रश्मि के सलवार का नाड़ा खोल देता है और सलवार निचे ज़मीन पे गिर जाती है।

रश्मी;बस अब नाम को देवा को कुछ करने से रोक रही थी । कई दिनों से सुलगता हुआ लावा आज फुट पडने को तैयार था।

देवा की दोनो उँगलियाँ रश्मि की पेंटी के अंदर जा चुकी थी और चूत के किनारे को कुरेदने लगती है।

रश्मी;अपना मुँह थोड़ा और खोल देती है जिससे उसकी ज़ुबान भी देवा के मुँह में चली जाती है।

देवा रश्मि के जिस्म की गर्मी को भाँप के उसे निचे लिटा देता है और एक झटके में उसके जिस्म से पेंटी और कमीज अलग कर देता है।

रश्मी;पुरी तरह नंगी हो जाती है।

शरम के मारे वो एक हाथ अपनी चूत पे और दुसरा हाथ अपने ऑखों पे रख देती है।

थोड़ी देर बाद उसे अपने हाथ पे जो उसने छूट पे रखी थी देवा की चिपचिपी ज़ुबान महसूस होती है।

देवा;उसके हाथ को चाट रहा था।

रश्मी से भी बर्दश्त नहीं होता और वो भी पहली मर्तबा अपनी चुत को चटवाने के लालच में अपना हाथ चूत के ऊपर से हटा देती है।

हाथ हटते ही देवा की ज़ुबान रश्मि की चूत से चिपक जाती है।



रश्मी;ज़ोर ज़ोर से सिसकारियां भरने लगती है उसकी आँखें बंद थी और उसकी आवाज़ से ऑगन में लेटा हुआ पप्पू उठके घर के अंदर चला जाता है।

सामने का नज़ारा देख उसके हाथ पैर काम करना बंद कर देते है।

देवा रश्मि की कमर को दोनों हाथों से पकड़ के अपने ज़ुबान को जीतनी अंदर जा सकती थी उतनी अंदर डाल के उसकी बहन की कुँवारी चूत चुसे जा रहा था।

चूत का पर्दा होने के कारन देवा ज़्यादा अंदर नहीं जा पा रहा था।

देवा इशारे से पप्पू को कपडे उतारने के लिए कहता है
और पप्पू अपने सारे कपडे उतार के रश्मि के चेहरे के पास जाके बैठ जाता है।

उसका लंड रश्मि के गाल को छुता है और रश्मि ऑंखें खोल देती है।
पहले तो वो बुरी तरह डर जाती है मगर अपने भाई को भी नंगा देख उसका डर थोड़ा कम हो जाता है।

मगर उसे दुसरा डर सताने लगता है कही ये दोनों मिलके तो ।

देवा इतने बुरी तरह रश्मि की चूत को चाट रहा था की रश्मि न बोल सकती थी न हिल सकती थी वो ऑखें फाड़े पप्पू को देखती रहती है।

अचानक पप्पू अपना लंड रश्मि के होठो के सामने करता है।

और रश्मि ऑखें बंद करके मुँह खोल देती है।
उसे भी अपने भाई का लंड स्वीकार था।

छोटा सा मगर खूबसूरत सा पप्पू का लंड रश्मि के मुंह में चला जाता है।


आज भाई बहन का रिश्ता बदल रहा था आज एक कली फूल बनने जा रही थी वो भी अपने भाई के सामने।

देवा और रश्मि को रोक पाना अब नामुमकिन था।

रशमी की चूत चाट चाट के लाल कर देने के बाद देवा उसे उठा के बैठा देता है और दोनों उसके पास खड़े होके अपने लंड को उसके गाल पे मारने लगते है।

रश्मी की ऑखों में उस वक़्त सिर्फ वासना भरी हुई थी न कोई भाई और ना चूत का क़ीमती पर्दा फ़टने का डर।

वो दोनों के लौडों को अपने मुंह में बारी बारी ले के चुसने लगती है। गलप्प गलप्प गलप्प गलप्प गलप्प गलप्प।गप्प।

देवा;रश्मि को लिटा देता है और उसकी चूत को फिर से चाटने लगता है ताकि वो इस कदर गरम हो जाये के चूत फ़टने से उसे दर्द का एहसास भी न हो।

पप्पू देवा के झुलते हुए लंड को अपने हाथ में पकड़ लेता है और निचे लेट के उसे अपने मुंह में ले लेता है और गलप्प गलप्प चूसने लगता है।

देवा रश्मि के चूत चाटने लगता है और पप्पू देवा का लंड तीनो चुदाई के लिए पूरी तरह तैयार थे।

रश्मी;अपने भाई पप्पू को देवा का लंड चुसते देख पूरी तरह संतुष्ट हो जाती है की पप्पू ये बात किसी को भी नहीं बतायेगा और उसे ये देख के थोड़ा अजीब भी लग रहा था की पप्पू लंड के साथ साथ देवा की गाण्ड को भी चाट रहा था। तीनो अजीब आवाज़ें निकाल रहें थे।

देवा;अपना लंड पप्पू के मुंह से निकाल देता है।
पप्पू ने उसे काफी गीला कर दिया था और रश्मि की चूत भी चाटने से बहुत गीली हो चुकी थी।

देवा पप्पू से रश्मि के दोनों ब्रैस्ट मसलने के लिए कहता है और खुद रश्मि के जांघ के पास आ जाता है यही वो पल था जब रश्मि देवा को मना कर सकती थी मगर वो तो जल्द से जल्द उसे अपने अंदर लेना चाहती थी।

रशमी; खुद देवा के लंड को अपने चूत के उस सुराख़ पे लगा देती है जहाँ से अब तक कोई भी लंड अंदर नहीं गया था।

देवा रश्मि की ऑखों में देख के मुस्कुरा देता है और रश्मि जैसे ही मुस्कुराती है उसका मुंह खुलता चला जाता है।


रश्मि ;उईईईईईईई माँ आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह आअह्हह्हह्हहहह आहह देवा भैया ओह्ह्ह्ह्ह।

एक ही झटके में देवा का आधे से ज्यादा लंड अंदर जाकर रश्मि की चूत की झिल्ली को फाड़ देता है।

खून से सना हुआ देवा का लंड रश्मि की चूत में अंदर बाहर होने लगता है रश्मि ज़ोर ज़ोर से चीखने लगती है और पप्पू अपने मुंह से उसकी आवाज़ बंद करने की कोशिश करता है मगर दर्द के मारे रश्मि पप्पू के होठो को ही काट लेती है।

रश्मी;आहह इसे बाहर निकाल दो देवा आहह मुझ पे कुछ तो तरस खाओ ना आह्ह्ह नही।

मगर देवा अगर रुक जाता तो रश्मि की चूत अंदर तक नहीं खुल पाती
वो भी खून देख के थोड़ा डर सा गया था मगर पदमा और रानी को कई बार चोदने से उसकी हिम्मत बँधी हुई थी।

वो धीरे धीरे अपने लंड को रश्मि की चूत के अंदर बाहर करते रहता है और रश्मि रोते रोते सिसकने लगती है। उसका दर्द बहुत कम हो चुका था और चूत की जलन भी अब सता नहीं रही थी।

देवा;उसे बड़े प्यार से चुमते हुए चोदने लगता है अपने पहले प्यार को अपने पहले लंड को कोई भी लड़की भुला नहीं सकती।

पप्पू पास में बैठा रश्मि को चुदते देख रहा था वो उठके एक गीला कपडा ले आता है और देवा को अपना लंड बाहर निकालने के लिए कहता है।

मगर रश्मि उसे बाहर निकालने नहीं देती।

पप्पू ऐसे ही चूत में लंड आते जाते दोनों को देवा के लंड को और अपनी बहन की चूत को साफ़ करने लगता है।

अब देवा रश्मि को घोड़ी बना देता है और पीछे से उसकी कमर पकड़ के अपने लंड को अंदर पेल देता है।

कफी देर चुप रहने के बाद रश्मि देवा को धीरे धीरे करने के लिए कहती है।

पप्पू अपने बहन के मुंह के सामने जाके बैठ जाता है और रश्मि बड़े प्यार से अपने भाई के लंड को अपने मुंह में ले लेती है।पीछे से पडते हुए देवा के धक्को से वो हिलने लगती है और पप्पू का लंड उसकी मुँह में अंदर बाहर होने लगता हैं।

रश्मी; आहह आखिर तूने आहह अपना वादा पूरा कर ही दिया ना देवा । लगा दिया मेरी चूत पे तेरा ठप्पा। (स्टाम्प)


देवा;अभी तो पप्पू का ठप्पा बाकी है रश्मि आहह इतने छोटी चूत मुझे आज तक नहीं मिली आअह्हह्हह्हह।

रश्मी;उन्हह जानवर नहीं हूँ मै धीरे से कर ना आह्ह्ह्ह्ह्।

देवा;अबे साले देख क्या रहा है चल आजा चढ़ जा अपनी बहन पे।

रश्मी;अपने भाई को देखती है और पप्पू रश्मि को।

पप्पू रश्मि के पीछे जहाँ देवा था वहां चला जाता है और देवा अपने लंड को बाहर निकाल लेता है।

रश्मी सीधे लट जाती है वो अपने भाई को देखना चाहती थी चुदते हुए।

पप्पू थोड़ा घबरा रहा था। देवा उसकी गाण्ड पे थप्पड मारता है।

देवा अब सामने खाना पड़ा है और तू सोच रहा है जब रश्मि को कोई दिक्कत नहीं तो तू क्यों डर रहा है ।

पप्पू;अपनी बहन की टाँगें खोल के अपने छोटे से लंड को उसकी चूत पे टीकाता है। देवा तो पहले ही सुरँग खोद चुका था बचा खुचा काम पप्पू करने लगता है।

वो हमेशा से अपने घर वालों को चोदने के इच्छा रखता था ।आज देवा की वजह से उसके दिल की तमन्ना पूरी हो रही थी।

देवा;अपने लंड को रश्मि के मुंह में अटका देता है और पप्पू धीरे धीरे रश्मि को चोदने लगता है।



देवा;हंसने लगता है।

रश्मी; उन्हह बहुत बूरे हो तुम देवा आहह एक बहन के चूत में भाई का लंड डलवा के हँस रहे हो आहह ।

पप्पू भी जोश में आके दना दन अपने लंड को रश्मि की चूत में अंदर बाहर करने लगता है।

रश्मी तो आज पहली बार चूदी थी। उसे तो हर धक्का बहुत आनन्द दे रहा था। वो नहीं जानती थी की असली चुदाई क्या होती है।

देवा आज रश्मि को अपने अंदाज़ में नहीं चोदना चाहता था । वो जानता था की अगर उसने रश्मि को उसी तरह चोदा जिस तरह वो पदमा को या दूसरी औरतों को चोदता है तो शायद रश्मि सह न पाये और बेहोश ना हो जाये इसलिए वो ज़्यादा से ज़्यादा पप्पू को चोदने के लिए कह रहा था।


देवा को पता था कुछ दिन बाद रश्मि खुद चूत और गाण्ड में लेने उसके पास आयेंगी और उस दिन वो अपनी सारी भडास उसकी चूत और गाण्ड पे निकालेगा।

मगर इस वक़्त उसके लंड में ना चोदने की वजह से दर्द सा हो रहा था ।

सामने पप्पू अपने बहन को चुमते हुए अपने लंड को ठण्डक देने में लगा हुआ था उसके चमकती हुई गाण्ड देवा के मुँह के सामने थी।

देवा पप्पू के गाण्ड पे थूक देता है और उसी थूक में लंड को गीला करके दोनों हाथों से पप्पू के कमर को चौडी कर देता है।

दोनो भाई बहन दोनों चिपके हुए थे। पप्पू को पता था की देवा क्या करने वाला है मगर रश्मि अन्जान थी।

वो होश में तब आते है जब पप्पू दर्द से चिल्ला उठता है क्यूंकि देवा का लंड पप्पू के गाण्ड में पहुँच चुका था और वो रश्मि को चोद भी नहीं पा रहा था।

देवा अपने दोनों हाथों से पप्पू की कमर पकड़ लेता है और अपने लंड को अंदर तक घूसाने लगता है

उसके झटके रश्मि को अपनी चूत में महसूस हो रहे थे।

वो मुस्कुराते हुए देवा को देखने लगती है और पप्पू दर्द और ख़ुशी के मारे अपनी कमर को भी आगे पीछे करने लगता है।

देवा;आहह साले दोनों भाई बहन एक जैसे हैं आहह मेरा लंड फँसा जा रहा है।

पप्पू पानी छोड देता है और उसे तरह रश्मि की चूत में लंड डाले पड़ा रहता है उसे अब गाण्ड मरवाने में जो सुख प्राप्त हो रहा था वो तो रश्मि को चोदने में भी नहीं मिला था।

कुछ देर बाद देवा अपना लंड पप्पू के गाण्ड से निकल लेता है और प्यासी रश्मि को अपनी गोद में बैठा लेता है।

वो रश्मि को अपने लंड की आदत डाल देना चाहता था।

रश्मी भी दोनों टाँगें खोल के देवा के लंड पे उछलने लगती है।

रश्मी आह्ह माँ मार देगा आज तू मुझे। आहह इतनी अंदर तक जा रहा है तेरा की आह्ह्ह्ह।



देवा;रश्मि को लिटा देता है।
उससे ऐसे चुदाई नहीं हो पा रही थी रोज़ रोज़ हिरन का शिकार करने वाला शेर आज घाँस फूस नहीं खा सकता था।

देवा रश्मि के दोनों पैरों को अपने काँधे पे रख देता है और इस बार पूरा का पूरा लंड रश्मि की चूत में एक झटके में उतार देता है।

रश्मी की ऑंखें बाहर की तरफ निकल आती है ये लंड जो पहले आधा ही उसके चूत में जा रहा था अचानक से इतना बड़ा हो के उसकी चूत को चिरता फाड़ता हुआ अंदर चला गया था।

देवा आहह रश्मि मेरी जान आहह देख तेरा देवा कैसे तुझे चोदता है अब।

रश्मी; आह्ह माँ नहीं नहीं मुझे नहीं लेना निकाल ले इसे। आहह मेरी चूत फ़ट जायेगी वहां से उईई आहः


असली खून अब रश्मि की चूत से निकल रहा था । चूत के किनारे लंड से चिरे जा रहे थे और उनसे खून बाहर ज़मीन पे गिरने लगता है।

देवा रश्मि को अपने नीचे पूरी तरह दबा के अपने लंड को उसकी चूत की गहराइयों में उतारता चला जाता है।

रश्मी बुरी तरह रोनी लगती है और उसका रोना देख देवा को उस पे तरस आ जाता है और वो अपना लंड बाहर निकाल लेता है।

रश्मी;उन्हह माँ वो।
उसकी चूत चिर गई थी और खून बंद नहीं हो रहा था।

देवा अपने लंड को रश्मि के मुंह में डाल देता है।

और रश्मि उसे चुसते हुए खाली कर देती है।

देवा तो शांत हो गया था मगर रश्मि से खड़ा भी नहीं हुआ जा रहा था।

देवा और पप्पू उसे खड़ा करके कपडे पहनाते है और उसे उसके कमरे में लिटा देते है।

रश्मी; रोते रोते थकान के मारे सो जाती है।

पप्पू वो किसी को बतायेगी तो नहीं न । वरना माँ हम दोनों को मार देगी देवा।

देवा कुछ नहीं होंगा तू बस घबरा मत।

मै घर जा रहा हूँ मुझे रात में आके मिल जब तेरी माँ घर आ जाएगी।

और रश्मि को हल्दी वाला दूध पीने को दे देना।

पप्पू;ठीक है।

देवा अपने घर चला जाता है।
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देवा रश्मि की कमर को दोनों हाथों से पकड़ के अपने ज़ुबान को जीतनी अंदर जा सकती थी उतनी अंदर डाल के उसकी बहन की कुँवारी चूत चुसे जा रहा था।

चूत का पर्दा होने के कारन देवा ज़्यादा अंदर नहीं जा पा रहा था।

देवा इशारे से पप्पू को कपडे उतारने के लिए कहता है
और पप्पू अपने सारे कपडे उतार के रश्मि के चेहरे के पास जाके बैठ जाता है।

उसका लंड रश्मि के गाल को छुता है और रश्मि ऑंखें खोल देती है।
पहले तो वो बुरी तरह डर जाती है मगर अपने भाई को भी नंगा देख उसका डर थोड़ा कम हो जाता है।
 
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देवा अपने घर चला जाता है।

देवा जब घर पहुँचता है तो उसे घर के ऑगन में ममता और नूतन बातें करती दिखाई देती है वो भी उनके पास बैठ जाता है।

ममता; भाई आप कहाँ थे। माँ कबसे आपके बारे में पूछ रही थी।

देवा;क्यूँ कुछ काम था क्या।

ममता; मुझे क्या पता शायद दुकान से कुछ सामान लाना था।

नुतन ; चुपके चुपके देवा को ही देख रही थी।

देवा की नज़र जब उसपे जाती है तो नूतन घबरा के अपनी नज़रें चुरा लेती है।

नुतन ; देवा भैया तो अपनी धुन में लगे रहते है । न हमे कही घुमाने ले जाते है और न हमसे बातें करते है।

देवा; अच्छा तो ये बात है।

ममता; हाँ देखो न नूतन को यहाँ आये कितने दिन हो गये है ।
बेचारी घर में बैठे बैठे सुख के कांटा हो गई है।

नुतन; ममता को चुमटी काट लेती है।

देवा;सुख के काँटा। मुझे तो हट्टी कट्टी दिखाई दे रही है।

ममता; बड़े गौर से देखा है भाई ने तुझे। लगता है।

दोनो लड़कियाँ खिलखिलाके हंसने लगती है।

देवा;नूतन तू इसके सोहबत में रहेगी ना तो तू भी बहकी बहकी बाते करने लग जाएगी।।ये तो पूरी पागल है।

ममता; क्या मै आपको पागल दिखाई देती हूँ भइया।

देवा; ममता के चोटी (हेयर) खीचता है।

ममता; तिलमिला के रह जाती है और नूतन हंसने लगती है।

आज नूतन के हाव भाव कुछ बदले बदले से दिखाई दे रहे थे।

जबसे देवा ने उसे उस हालत में देखा था तब से नूतन जब भी देवा के सामने आती या उसे देखती उसके जिस्म पे चीटियाँ रेंगने लगती।

पत्थर पे पत्थर घीसने से उस में चिंगारी पैदा हो जाती है
यहाँ तो ममता और नूतन रोज़ चूत पे चूत घिस रहीं थी।

देवा; ममता को पानी लाने के लिए कहता है और ममता घर के अंदर पानी लेने चली जाती है।

नुतन देवा को ही देख रही थी।

देवा;नूतन को अपने तरफ देखते हुए उसे अचानक बोल बैठता है।
वैसे नूतन अब तू भी जवान हो गई है।
मामी से बोल के तेरे लिए लड़का ढूँढ़ना पडेंगा।

नुतन ; आपको कैसे पता मै जवान हो गई हूँ।।

देवा; मैंने देखा है न तुझे।
वो बोल तो बैठा मगर फिर चुप सा हो गया।

नुतन से वहां बैठना मूहाल हो जाता है और वो भाग के घर के अंदर चली जाती है।

ममता पानी का गिलास लेके देवा को देती है।
ये नूतन क्यों भाग गई।

देवा; (धीरे से)उसे शायद सुसु आई थी।

ममत; क्या आई थी।

देवा;कुछ नहीं माँ कहाँ है।

ममता'; वो नहा रही है।
ये बोल के ममता नूतन के पास चली जाती है।

और देवा घर के अंदर चला जाता है वो जैसे ही अपनी माँ रत्ना के कमरे में जाता है उसी वक़्त रत्ना के कमरे में बने बाथरूम का दरवाज़ा खुलता है और रत्ना बाहर आ जाती है।



देवा की नज़र और रत्ना की नज़र एक हो जाती है और देवा अपनी खूबसूरत माँ को देखता ही रह जाता है।

आज से पहले उसने कभी रत्ना को ऐसी हालत में नहीं देखा था।

इतना गदराया हुआ जिस्म उसकी ऑखों में जैसे नूर भर देता है।

रत्ना अपने आप को उस गीली साडी से छूपाने की कोशिश करती है और देवा अपने सर को खुजाता हुआ जल्दी से रत्ना के कमरे से बाहर निकल जाता है।

रत्ना;देवा के कमरे से जाने के बाद आइने के सामने खड़ी होके अपने जिस्म को पोंछने लगती है।



रत्ना को महसूस होता है की कोई उसे खिडकी से देख रहा है वो जैसे ही मुड के खिडकी की तरफ देखती है कोई वहां से भागता हुआ उसे दिखाई देता है।

वो सोच में पड़ जाती है की कौन हो सकता है।
अचानक ही उसके चेहरे पे हलकी सी मुस्कान आ जाती है।

थोड़ी देर बाद जब रत्ना साडी पहन के देवा के पास जाके बैठती है तो उसे आज पहली बार अपने बेटे के पास बैठते हुए शर्म सी आ रही थी।

देवा; माँ ममता बता रही थी तुम मुझे ढूंढ रही थी कुछ सामान लाना था क्या।

रत्ना; कहाँ ग़ायब रहने लगे हो तुम बस अभी आता हूँ बोल के गए तो अब आ रहे हो इतनी देर से । खेत में भी पास के मुन्ना को भीजवाई थी मैंने । उसने कहा देवा भैया तो खेत में है ही नही।

देवा;अरे माँ तुम्हे पता है रश्मि की एक हफ्ते बाद शादी होने वाली है।

रत्ना; हाय दैया इतनी जल्दी तुझे कैसे पता।

देवा;वो रास्ते में शालु काकी मिली थी मुझे। उन्होने ही बताया की रश्मि के होने वाले ससुर की तबियत बहुत ख़राब है इसलिए वो रश्मि को मरने से पहले बहु के रूप में देखना चाहते है।

रत्ना;शुभ शुभ बोल बेटा ऐसा नहीं कहते।
भगवान ना करे रश्मि के ससुर को कुछ हो।
पर तू कहाँ था सुबह से।

देवा;वही तो बता रहा हूँ मै चला गया था काकी के घर पप्पू से मिलने । अरे माँ शादी का घर है काकी का। कितने काम करने है इतने कम वक़्त में।।
तूम इतनी खोज बीन क्यों कर रही हो मेरी।

रत्ना;तेरे पांव ज़मीन पे नहीं टिकते है ना इसलिये।

देवा; खुद के पांव को देखने लगता है।
ज़मीन पे ही तो है।
माँ तुम भी ना।

देवा;अपनी माँ रत्ना के गले में बाहें डालके उसे अपने से चिपका लेता है।


रत्ना के बिना ब्रा वाली चूचियाँ देवा की छाती में धँस सी जाती है।

रत्ना;आहह क्या करता है बच्चा नहीं है तु।
रात में क्या खायेगा बता दे अभी।

देवा;अरे हाँ माँ। रात से याद आया वो कल से मुझे रात में हवेली जाना पड़ेगा।
मै वही सो जाऊँगा।

रत्ना;क्यूँ ऐसी क्या मुसीबत आ गई की तुझे वहां सोना पडेगा।

देवा;वो मालिक शहर जाने वाले है कल एक हफ्ते के लिए। तो मुझे बोले की हवेली में कोई आदमी चाहिए। आस पड़ोस के गांव में चोरियॉँ हो रही है।

रत्ना;बेटा तू क्यों जाता है उस मुये सुनसान हवेली में मुझे तो वो जागिरदार और उसकी हवेली से बड़ा डर लगता है।
तूने देखा नहीं कितनी वीरान है वो जगह।

देवा;माँ जागिरदार गांव के सरपंच है।
और क्या बुराई है वहां सोने में ।

रत्ना;और यहाँ कौन रहेगा घर में।

देवा; मैं मुन्ना से बोल दूंगा वो आ जाएगा यहाँ सोने।

रत्ना;देख देवा आखिरी बार बोल रही हूँ तो दूर रह उन हवेली वालो से अरे गांव का कोई भी वहां नहीं जाता।

देवा;ठीक है माँ नहीं कह दिया करुँगा आगे से कोई भी काम देंगे तो वो मुझे।
अब जल्दी से खाना खिला दो बहुत भूख लगी है।

रत्ना;तू बैठ मै अभी खाना लगाती हूँ।

देवा;खाना खाके थोडी देर सो जाता है शाम ढले उसकी आँख खुलती है।

पप्पू उसे बुलाने आया था ।
पप्पू को देख देवा की गाण्ड फट जाती है।
उसे लगने लगता है की शालु को रश्मि के बारे में पता चल गया है।

और उसे बुझाने वाला बाहर बैठा हुआ था।

एक बार लड़की खुल जाये तो उसे जल्द से जल्द लंड चाहिए। अगर ना मिले तो वो पागल सी हो जाती है।

देवा तो अपने घर जा के चैन की नींद सो जाता है मगर रश्मि रात भर जागती रहती है । उसे रह रह के बस देवा और उसका वो ज़ालिम लंड याद आ रहा था।


दूसरे दिन सुबह देवा अपने खेत में चला जाता है थोड़ा बहुत काम निपटाने के बाद जब वो अपने घर की तरफ जाने लगता है तो उसे पप्पू मिलता है।

देवा;अरे कहाँ जा रहा है ।

पप्पू;देवा भाई तू घर चला जा मेरे।

देवा;क्यूँ सब ठीक तो है न।

पप्पू;नहीं रश्मि को बहुत तेज़ बुखार चढा है।
माँ और बापु भी घर पे नहीं है।

देवा;नीलम कहाँ है।

पप्पू;वो भी माँ के साथ गई है उसे चूडियां और पता नहीं क्या क्या लेना था शादी के लिये।

देवा;तू भी चल न ।

पप्पू;नहीं मुझे खेत में काम है समझ ना भाई ।

देवा;हंस देता है और बड़े बड़े कदम भरता हुआ रश्मि के घर पहुँच जाता है।

रश्मी को उसकी चूत की आग इतना सता रही थी की वो सुबह से दो बार अपने बदन पे ठण्डा ठण्डा पानी डाल चुकी थी मगर आग थी की बढ़ती ही जा रही थी।

देवा;घर में चला जाता है और कुन्डी लगा देता है।

वो जैसे ही रश्मि के कमरे में पहुँचता है उसे रश्मि गीले कपडो में लिपटी हुए बिस्तर पे बैठी हुई दिखाई देती है।



देवा;मैंने सुना है तुझे बहुत तेज़ बुखार आया हुआ है।

रश्मी;आया है तुझे क्या । मै जिऊँ या मरु।

देवा;मेरे पास तेरा इलाज है।

रश्मी;मुझे नहीं करवाना तुझसे इलाज जा यहाँ से।

देवा;रश्मि के कमरे का दरवाज़ा बंद कर देता है और रश्मि के सुलगते हुई ऑखों में देखते हुए पहले अपना शर्ट फिर पेंट उतार देता है।

रश्मी की ऑंखों के सामने वो था जिसे सोच सोच के वो रात भर सो नहीं पाई थी ।
वो दौड के आती है और देवा की छाती से चिपक जाती है।

देवा;उसे अपने बदन से चिपका लेता है।

रश्मी;ओह्ह देवा मेरे देवा ये तूने क्या सितम ढाया है मुझपे।

देख न ये मेरी सुनती ही नहीं जितना इसे समझाती हूँ उतना मुझे परेशान करती है । रात भर मुझे सोने नहीं नहीं देती इसने। देवा कुछ कर मेरे देवा मुझे मार दे या इसका इलाज कर दे ।

देवा;रश्मि के गरदन को चुमने लगता है।
किसका इलाज कर दूँ रश्मि।

रश्मी;देवा के लंड को अपने नाज़ुक हाथ में पकड़ के उसे अपनी गरम चूत पे घीसने लगती है आहह इसका देवा।

देवा;किसका ।

रश्मी;उन्ह मेरी चूत का ।जिसे तूने कल फाड़ के रख दिया । चोद मुझे आज मै तुझे कह रही हूँ भर दे मेरी चूत के अंदर तक इसे आहहह्ह्ह्हह्ह।
मै मर भी जाऊँ तो रुकना मत तू चोदता जा मुझे। माँ ये लंड मुझे अभी चाहिए मेरे अंदर आह्ह्ह्ह्ह्।

देवा;रश्मि के गीले कपडे उसके जिस्म से निकाल देता है और उसे निचे बैठा देता है।
मुँह खोल।

रश्मी;अपना मुँह खोल देती है।
और देवा अपने लंड को उसके मुँह में पेल देता है।

रश्मी;बच्चे के तरह अपने उस खिलौने को जिसे वो इस वक़्त सबसे ज़्यादा प्यार करने लगी थी चुस्ने लगती है गलप्प गलप्प।

देवा बिस्तर पे लेट जाता है और रश्मि उसके लंड को निचे से ऊपर तक चाटने लगती है चुसने लगती है। गलप्प गलप्प।



कुछ पलों में ही रश्मि देवा के लंड को चूस चूस के खड़ा कर देती है वो एक हाथ से अपने चूत को भी मसले जा रही थी।

रश्मी;उन्हह चोद ना मुझे आह्ह्हहह जल्दी से देवा आआआआआआआआ।

देवा;रश्मि को लिटा देता है और उसकी टाँगें खोल देता है।मगर वो अपना लंड उसके चूत पे लगने के बजाये अपने ज़ुबान से उसकी चूत चाटने लगता है।

रश्मी को ऐसे लगता है जैसे किसी ने ताज़ी जखम पे नमक छिडक दिया हो । वो तिलमिला जाती है अपने दोनों हाथों से अपनी चूचि मसलने लगती है देवा का सर पकड़ के उसे अपनी चूत पे दबाने लगती है।

आह माँ ओह्ह नहीं ।पहले मुझे चोद ले एक बार बस एक बार अंदर डाल दे देवा। उसके बाद जो करना है कर ले देवा।
आह क्यों तड़पा रहा है हाय रे ज़ालिम।

देवा;हटने का नाम नहीं ले रहा था रश्मि की चूत की गर्मी अब उसके दिमाग तक पहुँच चुकी थी वो पागल पन के आखरी मुकाम पर पहुँच चुकी थी।

रश्मी;आहह हरामी कुत्ते साले दम नहीं है क्या तेरे लंड में जो बस चूस रहा है भडवे आहह
मेरी चूत में आग लगी हुई है और तू कुत्ते की तरह चाटते जा रहा है ।

देवा जान चुका था की लोहा पूरी तरह गरम हो चुका है। अब हथोड़ा नहीं मारा तो गलत हो जायेगा।
वो रश्मि की दोनों टाँगें हवा में उठाके अपने लंड को जैसे ही चूत पे टीकाता है रश्मि ऑंखें बंद कर लेती है।

पर अगले ही पल उसके ऑखें फटी की फटी रह जाती है देवा अपनी पूरी ताकत से से रश्मि की चूत में अपना लंड घुसा देता है अआआहः



रश्मी को जो चाहिये था वो उसके अंदर था । आज रश्मि देवा को पसीने छुड़ाने की ठान चुकी थी वो अपने कमर को जीतना ऊपर उठा सकती थी उतना ऊपर उठाके देवा के लंड का साथ देने लगती है।

देवा;जितनी ताकत से उसकी चूत को अपने लंड से दबाता रश्मि भी उतने ही ताकत से अपनी गाण्ड को ऊपर उठाती।

दोनो में जैसे जंग छिड़ी हुई थी की कौन कितनी ज़ोर से चोद सकता है और कौन कितनी ज़ोर से चुदा सकती है।



देवा;आहह ऐसे चाहिये ना तुझे साली आहह मुझे भड़वा बोलती है देख अब तेरी चूत का क्या हाल करता हूँ आह्ह्ह्ह्ह्।

रश्मी;आह्ह्ह्ह्ह् माँ नहीं रे इतने ज़ोर से आहह धीरे धीरे कर ना आह्ह्ह्ह।

देवा;चुप कर साली रंडी तुझे पता नहीं । मै बिस्तर पर कभी नहीं शरमाता और ना किसी पे रहम करता हूँ आह्ह्ह्ह।

रश्मी;मेरी चूत चीर जायेगी।

देवा;चिरने दे साली बहुत नाटक करती है तू आह्ह्ह्हहः


देवा का उसूल था न धीरे करो और न रहम करो चूत को अंदर तक चोद दो । उस वक़्त वो वही कर रहा था रश्मि की चूत देवा के लंड को अंदर तक लेने लगती है।

चूत के जलन में उसने जो देवा को भड़का दी थी उसी की सजा वो अब भुगत रही थी।

देवा उसकी चूचि को मरोड़ता हुआ अपने लंड को उसकी चूत में किसी पिस्टन की तरह आगे पीछे करने लगता है।

रश्मी;किसी कुतिया की तरह मुँह खोल के चिल्लाने लगती है मगर उस वक़्त उसकी गुहार सुनने वाला वहां न कोई था और न कोई उसे देवा से बचा सकता था।

रश्मी;को उस वक़्त और ज़्यादा दर्द होने लगता है जब देवा चूत मारते मारते अपने लंड का सुपाडा रश्मि की गाण्ड में पेल देता है।



रश्मी की गाण्ड अभी इसके लिए तैयार नहीं थी वो अपने हाथ से देवा के लंड को पकड़ के झट से गाण्ड से बाहर खीच लेती है और उसे वापस चूत में डाल देती है।


देवा सटासट अपने लंड को आगे पीछे करने लगता है।

और देखते ही देखते रश्मि की चूत ढेर सारा पानी छोड़ देती है।
साथ में देवा भी झडने लगता है।

पहली बारिश जिस तरह बंजर ज़मीन पे पडती है। एक भीनी भीनी खुशबु हर तरफ फैला देती है। उसी तरह रश्मि की चूत से बहता देवा का पानी पूरे कमरे में अपनी महक फैला देता है।।

रश्मी देवा के ऊपर चढ़ जाती है और उसके सीने पे दो तीन मुक्के मारते हुए उसके होठो को चुमने लगती है।
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रश्मी;उन्ह मेरी चूत का ।जिसे तूने कल फाड़ के रख दिया । चोद मुझे आज मै तुझे कह रही हूँ भर दे मेरी चूत के अंदर तक इसे आहहह्ह्ह्हह्ह।
मै मर भी जाऊँ तो रुकना मत तू चोदता जा मुझे। माँ ये लंड मुझे अभी चाहिए मेरे अंदर आह्ह्ह्ह्ह्।

देवा;रश्मि के गीले कपडे उसके जिस्म से निकाल देता है और उसे निचे बैठा देता है।
मुँह खोल।

रश्मी;अपना मुँह खोल देती है।
और देवा अपने लंड को उसके मुँह में पेल देता है।

रश्मी;बच्चे के तरह अपने उस खिलौने को जिसे वो इस वक़्त सबसे ज़्यादा प्यार करने लगी थी चुस्ने लगती है
 
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देवा अपने दोनों हाथों से रश्मि की कमर को थाम लेता है।
क्या देख रही है।

रश्मी;देख रही हूँ आखिर तूने अपने दिल की मनमानी कर ही लिया।
दे दिया मुझे भी ये रोग।
अब बता शादी के बाद मुझे इसकी याद आएगी तो मै क्या करुँगी।

देवा;क्यों तेरे होने वाले पति के पास नहीं है क्या ये।

रश्मी; होगा मगर इस जैसा तो नहीं होगा न।

देवा;तुझे कैसे पता ऐसा नहीं होगा।

रश्मी; तू सवाल बहुत पूछता है।
अच्छा सुन शादी में तू मुझे क्या तोहफ़ा देने वाला है।

देवा;रश्मि के होठो को चुमते हुए।
बोल क्या चाहिए तुझे जो तू बोलेगी तुझे दूँगा।

रश्मी; पक्का वादा।

देवा अपनी एक ऊँगली पीछे से रश्मि की गाण्ड में डाल देता है।
हाँ पक्का वादा।

रश्मी;उन्हह मुझे शादी के दिन बारात विदाई होने से पहले शादी के जोड़े में चोदना होगा तुझे।

देवा;का लंड ये सुनके ही खड़ा हो जाता है।
वो रश्मि को कमर ऊपर उठाने को कहता है और जैसे ही रश्मि अपनी कमर उठाती है देवा उसकी चुत में लंड फंसा देता है और रश्मि चिकनी चूत में लंड लेते हुए बैठती चली जाती है।


रश्मी; आहह देवा । बोल न चोदेगा न मुझे दुल्हन के जोड़े में आह्ह्ह्ह्ह।

देवा;दोनों कमर को हाथ में पकड़ के सटा सट अपने लंड से उसे नीचे से चोदने लगता है।
हाँ चोदूँगा उस दिन आहह तुझे ये तोहफ़ा चाहिए मुझसे आह्ह्ह्ह्ह।

रश्मी; हाँ मै चाहती हूँ मै तेरा पानी अपनी चूत में ले के ससुराल जाऊँ। उईई माँ इतनी ज़ोर से आह्ह्ह्ह्ह।

ताकी जब भी मेरा पति मुझे करे मेरी चूत में तेरा पानी मुझे महसूस हो।आहह अआहह माँ वो आआआआअहः।

देवा का जोश डबल हो चुका था। एक जवान लड़की जिससे वो दूसरी मर्तबा ही चोद रहा था वो इतना सब कुछ सोच सकती है उसके बारे में। ये बात सोच सोच के उसके लंड में एक अजीब सा खिंचाव आ रहा था।


वो बार बार एक ही बात सोच रहा था जब रश्मि दो बार में इतनी चुदासी हो गई है तो नीलम कैसी होगी और उसकी माँ शालु की चूत में जब मेरा लंड जायेगा तो शालु कैसे चिल्लायेगी । बस यही सोचते हुए देवा रश्मि की चूत की धज्जिया उडाने लगता है।

रश्मी की चूत से पानी की धार बाहर बहने लगती है और देवा की जांघ को गीला करते चली जाती है।

दोनो के होंठ एक दूसरे से ऐसे चिपक जाते है जैसे गोन्द से चिपके हुए हो।

कमरे में दोनों के फूं फूं के और चूत में लंड जाने से फच पच फच फच की आवाज़ गूँजने लगती है।

अपने लंड से वो रश्मि के बच्चेदानी पे दस्तक देने लगता है।
और तभी रश्मि की चूत अंदर ही अंदर देवा के लंड को इतने ज़ोर से जकड लेती है की देवा का ढेर सारा पानी रश्मि की चूत में निकलने लगता है।

दोनो हाँफने लगते है और चुमते हुए एक दूसरे को मसलते हुए अपनी चढी हुई साँस ठीक करने लगते है।


कुछ देर बाद देवा कपडे पहन के रश्मि को चुमता हुआ अपने खेत में चला जाता है।

देवा को तो जैसे अब भूख लगी थी न प्यास रश्मि ने उसे सब दे दी थी।

वो खेत में अपने काम में लग जाता है उसे फिकर थी तो बस हवेली में रात गुजारने की वो जानता था की रानी उसे रात भर नहीं सोने देगी।
और वो रुक्मणी के सामने जाने से डर रहा था पता नहीं उसका ग़ुस्सा शांत हुआ भी है या नही।
यही कुछ बातें उसे परेशान कर रही थी।

बार बार उसे रानी के वो शब्द याद आ जाते की बस माँ को किसी तरह पटा लो वरना हिम्मत राव हम सब का जीना दुशवार कर देगा।

देवा;कुंवे के मुंडेर पे बैठ जाता है।

कुछ मज़दूर पास के खेत में काम कर रहे थे।।

वो उनके पास चला जाता है।
उसके खेत से लगके दीनानाथ का खेत था जिससे देवा काका कहता था ।
दीना नाथ देवा के बाप का अच्छा दोस्त था।
जब भी देवा को उसके बाप की याद आती वो दीनानाथ से मिलके अपने बाप के किस्से सुना करता ।

उसे दीनानाथ में अपना मरा हुआ बाप नज़र आता था।

दीनानाथ देवा को देख खुश हो जाता है और उसे अपने पास चारपाई पे बैठा देता है।

दीनानाथ; का रे बेटवा आज कल देख रहा हूँ तू बड़ा गुमसुम सा रहने लगा है।
पहले तो काका काका करके यहाँ घण्टो बैठा करता था अब सुरत भी नहीं दिखती तोहार।

देवा;नहीं काका बस थोड़े घर के काम में उलझा रहता हूँ।
गन्ने की फसल तो बेच दी है बस ये सूर्य फूल कट जाये तो थोड़ा आराम मिल जाए।

दीनानाथ;हाँ बेटवा तोहरा बाप जबतक ज़िंदा था तुम तो खेत में आते भी नहीं थे। जब से वो बेचारा भगवन को प्यारा हुआ है सारे घर की जिम्मेदारी तोहरे कन्धो पे ही तो आ गई है।

कुछ और बता कही बात चली की ना ही ममता बिटिया की शादी के।

देवा;हाँ काका एक दो जगह बात चल तो रही है देखते है क्या होता है।

दीनानाथ;अरे अच्छा याद आया।
मेरा बेटा बता रहा था की तू आज कल हवेली के बहुत चक्कर काट रहा है।

देवा;वो काका जागिरदार की बिटिया को कार सीखाना थी तो जागिरदार ने मुझे वो काम दिया था। छोटी मालकिन को कार सिखाने का।

दीनानाथ; धीरे से देवा के कान के पास आके बोलने लगता है।
बेटा वहां मत जाया कर तु।

देवा; क्यों काका।

दीनानाथ; तुझे तेरी माँ ने बताया नहीं क्या।
तेरा बाप भी तो वहीँ से ग़ायब हुआ था।

देवा; खड़ा हो जाता है।

क्या हवेली से बापु ग़ायब हुआ था पर कैसे।

दीनानाथ; अरे बैठ इतने ज़ोर से क्यों बोल रहा है मुझे लगा तुझे पता होंगा।
बड़ा अच्छा था तेरा बाप।
यही रोज़ बैठ के बातें किया करते थे हम।

तेरे बाप के ग़ायब होने से एक महीना पहले पता नहीं उसे हवेली में क्या काम मिल गया था। दिन रात वही रहने लगा था मैंने कितनी बार पूछा मगर कभी नहीं बताया।
और फिर एक दिन अचानक से वो ग़ायब हो गये।

देवा;का तो जैसे सर चकरा जाता है।
रत्ना ने उसे कहा था की उसके बापु की मौत दिल के रुक जाने से हुई थी।
पर आज जो बात दिनानाथ काका ने उसे सुनाई थी उसे उसका दिल बेचैन सा हो गया था।

वो बहुत छोटा था जब ये हादसा हुआ था।
देवा को तो अपने बाप की शक्ल भी ठीक से याद नहीं तकरीबन 5 साल का रहा होगा देवा उस समय।।

देवा;सीधा अपने घर की तरफ चल देता है वो बड़े बड़े कदम भरता हुआ घर पहुँच जाता है।

वो सीधा घर के अंदर माँ माँ चिल्लाता हुआ दाखिल होता है।पर उसे रत्ना और न ममता कही नज़र नहीं आती है।

वो जैसे ही अपने कमरे में दाखिल होता है हैरान रह जाता है।

उसके बिस्तर पर नूतन बैठी हुई थी और उसने देवा के कपडे पहने हुए थे।

देवा;उसे देखता ही रह जाता है। पहली बार किसी लड़की को लड़के के कपडो में देख रहा था देवा।

वो उसके पास जाके बैठ जाता है

नुतन तो देवा को अचानक कमरे में देख पहले ही घबरा गई थी न वो कुछ बोल रही थी और ना ही देवा से नज़रें मिला पा रही थी।

देवा उसे निचे से ऊपर तक देखने लगता है।

देवा; क्या है ये नूतन । तूने मेरे कपडे क्यों पहन रखे है और माँ और ममता कहाँ है।


नुतन; वो देवा भैया वो मै वो..... तो बस ऐसे ही देख रही थी।
मेरा मतलब है मेरे कपडे मैंने धोने के लिए डाले है इस लिये

देवा;माँ कहाँ है।

नुतन ; वो और ममता शालु काकी के यहाँ गए है।

देवा; अच्छा तो तूने कपडे धोने के लिए डाले तो तू ममता के भी तो कपडे पहन सकती थी ना।

नुतन: खामोश बैठी रहती है।

देवा;सच बता.. क्यों पहने मेरे कपडे।

नूतन फिर भी कुछ नहीं बोलती।

देवा; अच्छा तो तू ऐसे नहीं बतायेगी। ठीक है
उतार । जल्दी उतार मेरे कपडे।

नुतन ; बिस्तर से उतर के बाहर जाने लगती है पर देवा उसका हाथ पकड़ लेता है और दरवाज़ा बंद कर देता है

देवा; यही उतार।

नुतन ; भैया यहाँ कैसे उतारूँ।

देवा;जैसे पहने थी वैसे उतार भी। वरना माँ से और मामी से बोल दूंगा की तू लड़को के कपडे पहनती है।

नुतन ; नहीं नहीं भैया माँ से मत कहना वरना वो मुझे जान से मार देगी।

देवा;तो फिर उतार वरना माँ और ममता आ जाएगी।

नुतन देवा का पहना हुआ शर्ट उतार देती है।
और पेंट भी निकाल के देवा को दे देती है।


देवा; इसे भी उतार।

नुतन ; अपने ब्रा पे हाथ रखते हुए
पर ये तो मेरा है।

देवा;जितना बोल रहा हूँ उतना कर उतर इसे भी।
पता नहीं अंदर मेरी कोई चीज़ छुपा रखी होगी तुने।

नुतन ; मैं क्या आपको चोर लगती हूँ।

देवा; हाँ चोरो की तरह मेरे कपडे पहनती है। चल जल्दी कर।

नुतन ; डरते ड़रते अपने ब्रा भी खोल देती है वो सिर्फ पतली सी ममता की पेंटी पहने खड़ी थी।

देवा; ये किसकी है।


नुतन ; ममता दीदी की।
उसे इतनी शर्म आ रही थी की वो अपने दोनों हाथों से अपना चेहरा छुपा लेती है।

और उसी वक़्त देवा उसके मोटे मोटे ब्रैस्ट को अपने मज़बूत हाथों में थाम लेता है।

एक बिजली का करंट नूतन के शरीर में दौड जाता है।

नुतन ; आहह भैया क्या कर रहे हो मै आपकी बहन हूँ ना।

देवा; हाँ पता है तू कौन है।
और देवा नूतन की बंद ऑखों का फायदा उठाते हुए उसकी दोनों ब्रैस्ट को मसलते हुए चूम लेता है।



नुतन से बर्दाश्त नहीं होता और वो वहां से किसी तरह भागने में कामयाब हो जाती है और सीधा ममता के कमरे में जा के अंदर से दरवाज़ा बंद कर देती है।

देवा;ममता के कमरे के पास जा के दरवाज़ा खटखटाता है मगर नूतन दरवाज़ा नहीं खोलती।

देवा;नूतन मै माँ और ममता को लेने शालु काकी के यहाँ जा रहा हूँ कपडे पहन लेना और अगर ये बात माँ या ममता के कानो तक गई तो तेरी खैर नही।

नुतन कोई जवाब नहीं देती बस चुपचाप बिस्तर पे पड़ी पड़ी अभी अभी हुई घटना को सोच सोच ठन्डी आहें भरने लगती है।



देवा शालू के घर रत्ना और ममता को लेने चला जाता है।
MAST UPDATE
देवा; इसे भी उतार।

नुतन ; अपने ब्रा पे हाथ रखते हुए
पर ये तो मेरा है।

देवा;जितना बोल रहा हूँ उतना कर उतर इसे भी।
पता नहीं अंदर मेरी कोई चीज़ छुपा रखी होगी तुने।

नुतन ; मैं क्या आपको चोर लगती हूँ।

देवा; हाँ चोरो की तरह मेरे कपडे पहनती है। चल जल्दी कर।

नुतन ; डरते ड़रते अपने ब्रा भी खोल देती है वो सिर्फ पतली सी ममता की पेंटी पहने खड़ी थी।

देवा; ये किसकी है।


नुतन ; ममता दीदी की।
उसे इतनी शर्म आ रही थी की वो अपने दोनों हाथों से अपना चेहरा छुपा लेती है।

और उसी वक़्त देवा उसके मोटे मोटे ब्रैस्ट को अपने मज़बूत हाथों में थाम लेता है।
 

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