Incest हाय रे ज़ालिम................

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देवा;मेरा मतलब है जब आपने मुझे अपना भाई माना है तो ये भाई आपसे वादा करता है की वो आपको इस घर में आपके सास और पति के दिल में वो जगह वो सम्मान ज़रूर दिलाएगा जिसकी आप हक़दार हो।

कौशल्या;देवा के चेहरे को देखती रह जाती है।

देवा;क्या हुआ भाभी ऐसे क्या देख रही हो।

कौशल्या;नहीं कुछ नहीं तुम जैसे दिखते हो वैसे हो नही।

देवा; मैं जैसा दिखता हूँ मै वैसा ही हूँ।
अच्छा ये बताओ अगर मैंने अपना काम कर दिया तो बदले में मुझे क्या मिलेंगा।

कौशल्या; हम्म क्या चाहिए मेरे प्यारे से देवर जी को।

देवा;कौशल्या को अपने ऊपर गिरा देता है।



कौशल्या;आहह क्या करते हो भैया।

देवा; अच्छा अब भैया हूँ।

कौशल्या;हाँ भैया जब तुम मेरे भाई हो तो अपने बहन पे तुम्हारा ही तो सबसे ज़्यादा हक़ बनता है।।मांगते क्यों हो जो चाहिए ले लो मना नहीं करुँगी।।

देवा;अपने दोनों हाथ कौशल्या की कमर पे रख देता है और उसे अपने और क़रीब खीच लेता है । जो मुझे चाहिए वो तुम दे नहीं पाओगी बहना।

कौशल्या;ऑखें बंद कर लेती है। बहन से कुछ भी माँगा नहीं करते बहन की लिया करते है।

देवा;अपने होंठ कौशल्या के होठो से मिला देता है और कौशल्या भी अपना मुंह खोल के देवा के होठो से चिपक जाती है । दोनों एक दूसरे के होठों को चूसने लगते है। गलप्प गलप्प।

कुछ देर बाद बड़े मुश्किल से देवा अपने होंठ कौशल्या के होठो से अलग कर पाता है।।

देवा;जब मै तुमसे कहूं तुम मेरे साथ चलना बिना कोई सवाल किये ठीक है।
अभी मुझे थोड़ा काम निपटना है मै चलता हूँ।।

वो कौशल्या के पास से उठके बाहर चला जाता है और कौशल्या बिस्तर पे पड़ी अपनी साँस ठीक करने लगती है।
कौशल्या; हाय रे ज़ालिम बड़ा वो है रे तू।

शाम के 6 बजे।


रामु घर पहुँच जाता है वो अपने साथ कुंवे से पानी निकालने की मशीन साथ ले के आया था देवकी भी घर आ चुकी थी और रामु के पास बैठी उसका पसीना पोंछ रही थी।

देवकी;बहुत देर लग गई बेटा ऐसा कर तू नहा ले।

रामु; साथ में नहाते है ना खेत में चल अभी मशीन भी रख देंगे ।

देवकी; अभी देवा घर पे है उसे कही शक न हो जाए।

रामु; देख माँ जब मेरा दिल नहीं करता तो तू गालियाँ दे दे के करवाती है और अब मेरा दिल कर रहा है तो तू क्यों नखरे दिखा रही है।

देवकी; सलवार के ऊपर से चूत को सहलाते हुए
तेरा दिल कर रहा है ना । तेरे लिए तो मै सारे गांव के सामने नंगी हो जाऊँगी बेटा ।
चल मै ज़रा कौशल्या को काम बता के आती हूँ।

कौशल्या;किचन में खाना बना रही थी देवकी उसके पास जाके उससे कहती है की वो रामु के साथ खेत में जा रही है मशीन वहां रखने।

कौशल्या;दिल ही दिल में ।
चुत मरवाने जा रही है तू सौतन।
जी अच्छा माँ जी।

देवा; रामु और देवकी की सारी बातें सुन चुका था । वो तो इसी मौके की तलाश में था की कब ये दोनों माँ बेटे एक साथ फिर से मिलते है।

रामु और देवकी के खेत में जाने के कुछ देर बाद देवा कौशल्या का हाथ पकड़ के उसे भी खेत में उन दोनों के पीछे ले जाता है।

कौशल्या;चुप चाप देवा के साथ चल देती है।
जब वो दोनों खेत में पहुँचते है तो देवकी और रामु झोंपडे में जा चुके थे।

देवा; कौशल्या का हाथ पकडे उसे खिडके के पास ले जाता है और अंदर झांकने लगता है।

अंदर


रामु दना दन अपना लंड देवकी की चूत में डाले उसे चोद रहा था।

कौशल्या के हाथ में पसीना आने लगता है वो बहुत घबरा रही थी उसे बिलकुल पता नहीं था की देवा क्या करने वाला है।

देवा;दरवाज़े पे ज़ोर से लात मारता है और दरवाज़े के कुन्डे खुल जाते है देवा अंदर दाखिल होता है।
सामने पड़े देवकी और रामु के गाण्ड मुंह चूत सब फटे के फटे रह जाते है।

रामु झट से पास में पड़ी अपनी धोती उठाके पहनने लगता है।

पर देवा उसके हाथ से धोती खीच लेता है ।
देवा;वाह्ह्ह्हह्ह्ह्ह क्या नज़ारा है एक बेटा अपनी माँ के साथ वाह्ह।

कौशल्या भी तब तक झोंपडे के अंदर आ चुकी थी और उसे वहां देख दोनों की हालत और ख़राब हो जाती है।

रामु; तू इसे यहाँ लेके आई है है ना हरामजादी।

देवा रामु का हाथ कौशल्या तक पहुँचने से पहले पकड़ लेता है।
भाभी मुझे यहाँ नहीं लाई।

रामु;ओह्ह अब समझा मै । पहले भाई के साथ सोई और अब देवा के साथ तभी तो ये तेरी इतनी तरफदारी कर रहा है।

देवकी;अरे कुल्टा है इ।

देवा के दिमाग में अजीब सी हलचल होने लगते है और वो एक ज़ोरदार थप्पड पहले रामु के मुंह पर और उसके बाद देवकी के मुंह पे जड़ देता है दोनों चक्कर खा के गिर पडते है।

देवा : हरामखोर ये अपने भाई के साथ क्या कर चुकी है इसलिए तुम दोनों इसे गलियां देते हो । मारते हो । ताने देते हो और तुम दोनों जो कर रहे हो वो क्या है। हाँ बोलो।
एक नम्बर के नीच इंसान हो तुम दोनों । मुझे तुम दोनों के रिश्ते से कोई आपती नहीं है लेकिन हर किसी को अपनी ज़िन्दगी जिने का पूरा पूरा हक़ है जिसके साथ चाहे उसके साथ। मगर रामु तुम से मुझे ये उम्मीद नहीं थी ।
और मामी तुम भाभी को कुल्टा बोल रही हो तो अपने बेटे के साथ ये सब करने वाली औरत को क्या कहते है पता है ना तुम्हें।

भाभी अपने ज़िन्दगी में बहुत दर्द झेल चुकी है वो तुम्हारे घर की लक्ष्मी है। हो गई गलती उनसे भी । इंसान से गलती नहीं होंगी तो क्या भगवान से होगी।इंसान ग़लतियों का पुतला है ।

पर इसका मतलब ये नहीं की तुम अपने गलतियाँ छूपाने के लिए दुसरों की गलतियाँ निकालते फिरो।

अब भी वक़्त है सँभल जाओ और एक दूसरे को दिल से माफ़ कर दो और तुम चाहे कैसे भी ज़िन्दगी गुज़ारो पर रामु अपनी पत्नी को भी थोड़ा मान सम्मान प्यार दो। वो तुम्हारी नौकर नहीं तुम्हारी धरम पत्नी है उसे प्यार दो बदले में तुम्हें भी प्यार मिलेगा।।

ये लो कपडे और घर चलो मै तो कुछ दिन के लिए यहाँ आया था ।
कुछ दिन बाद चला भी जाऊँगा । बस तुमसे हाथ जोड के एक ही बिनती करता हूँ।
ये जीवन बहुत छोटा है इसे ईष्या जलन नफरत में ख़तम मत करो।

देवकी;अपने कपडे पहन के कौशल्या के पास आती है और उसे अपने गले से लगा लेती है।
मुझे माफ़ कर दे बेटी मुझसे बहुत बडी गलती हो गई।
पुरानी सारी बातें भुला के आज से हम सब एक नई ज़िन्दगी शुरू करेंगे।आज देवा ने हम सब की आँखें खोल दी हैं। देवा बेटा मै दिल से तेरा धन्यवाद करती हूँ अगर आज तुम हमारे ऑखों पे बँधी पट्टी नहीं हटाते तो शायद ज़िन्दगी ऐसे ही गुज़रती रहती । पर मै वादा करता हूँ की कौशल्या को अब वही मान सम्मान इस घर में मिलेंगा जिसकी वो हक़दार है।

रामु भी देवा और कौशल्या से माफ़ी माँगता है और चारो घर चले जाते है।
रामु इतना शरमिंदा था की वो सीधा अपने कमरे में चला जाता है।

देवकी; कौशल्या के पास आती है जा बेटी अपने पति के पास उसे तेरे साथ की बहुत ज़रुरत है।

कौशल्या;देवा को देखते हुए कमरे में चली जाती है।

रामु;बिस्तर पे बैठा हुआ था।
कौशल्या को देखते ही वो अपने पास बुला लेता है।
कौशल्या मुझे सच में माफ़ कर दे मुझसे भी भूल हो गई।

कौशल्या;अपनी ऊँगली रामु के होठो पे रख देती है।
देखिये जो हुआ उसे याद करके हम अपने आने वाली ज़िन्दगी क्यों ख़राब करे।
मै चाहती हूँ आप माँ से उतना ही प्यार करें जितना करते है । मै आप दोनों के बीच कभी नहीं आऊँगी बस अपने दिल के एक कोने में मुझे भी जगह दे दीजीए।

रामु;अपनी पत्नी कौशल्या पे झुकता चला जाता है।

और कौशल्या दिल में देवा को धन्यवाद करते नहीं थकती। उस रात कौशल्या को असली मायने में एक पत्नी का सुख मिलता है रामु से।।


रात काफी हो चुकी थी पर देवा को नींद नहीं आ रही थी । आज उसका मन बहुत विचलित था आज तक उसके साथ ऐसा नहीं हुआ था। वो देवकी और रामु को तो समझा चुका था पर घर आने के बाद से उसके लंड में एक तरह की अकडन सी आ गई थी।
उसके ऑंखों के सामने देवकी और रामु ही घूम रहे थे। वो बार बार बस एक ही बात सोच रहा था की एक बेटे को अपनी माँ के साथ वो सब करने में कैसा आनंद आता होगा । वो कितना एहसास कैसा लगता होंगा जब अपने ही माँ की चूत में बेटे का लंड जाता होंगा।।ये सोच सोच के उसका लंड बैठने का नाम ही नहीं ले रहा था।

तभी वहां देवकी आती है । देवकी को देख देवा उठके बैठ जाता है।

देवकी;क्या बात है बेटा नींद नहीं आ रही क्या।

देवा;नहीं मामी बस ऐसे ही।
मामी मुझे माफ़ कर दो मैंने आप पे हाथ उठाया।

देवकी; मै तुझे कब का माफ़ कर चुकी हूँ देवा।
तूने आज मुझ पे बहुत बड़ा एहसान किया है बेटा मै तेरा ये एहसान ज़िन्दगी भर नहीं भूल सकती।

देवा;मामी एक बात पूंछू।

देवकी;हाँ पुछ ना।

देवा;नहीं जाने दो आप बुरा मान जाओगी।

देवकी;नहीं बोलेंगा तो ज़रूर मान जाऊँगी चल बोल भी दे।

देवा;मामी अपने बेटे के साथ वो सब करना कैसा लगता है।

देवकी; बुरी तरह शर्मा जाती है और देवा को अपनी छाती से चिपका लेती है।

तू है हट्टा कटा गबरू जवान पर तेरा दिल एकदम बच्चों जैसा है ।जो मन में आता है पूछ लेता है।


देवा;बोलो न मामी।

देवकी;तू सच में जानना चाहता है।

देवा;हाँ सच में।

देवकी; मुझे प्यार कर अपने मामी समझ के नहीं बल्कि अपनी माँ रत्ना समझ के तुझे पता चल जायेंगा की कैसा अनुभव होता है।

देवा; पर मामी।

देवकी;देवा के बोलने से पहले उसे अपने ब्रैस्ट से चिपका लेती है और देवा भी देवकी पे झुक जाता है।



देवकी;आहह बेटा अपनी माँ को नंगी करके खूब प्यार कर रे। चूत से लेके गाण्ड तक चाट ले अपनी माँ की देवा आह्ह्ह्ह्ह्ह।

देवा;माँ । देवकी के मुंह से ऐसे शब्द सुनके उसका लंड आज पहली बार पेंट फाड़ के बाहर आना चाहता था।

वो देवकी का ब्लाउज निकाल के फ़ेंक देता है और खुद के कपडे भी निकल देता है।

देवकी;हाँ बेटा आहह चूस अपनी माँ की चूचियां आहह पी जा आज फिर से मेरा सारा दूध आह्ह्ह्ह्ह्ह।

देवा;देवकी के ब्रैस्ट को मुंह में लेके चुसने लगता है वो इतनी ज़ोर ज़ोर से निप्पल्स को काटने लगता है की देवकी बर्दाश्त नहीं कर पाती।

देवा;आहह माँ मेरी माँ गलप्प आह।

देवकी; आह्ह्ह्ह्ह्ह देवा बेटा धीरे से।

देवा; ऑखें बंद करके देवकी के होठो को चुसने लगता है उसकी ऑखों के सामने रत्ना का चेहरा आ जाता है और वो एक झटके के साथ देवकी के होठो के एक एक रस के क़तरे को पीता चला जाता है गलप्प गलप्प्प।



देवकी; बेटा मुझे तेरा मुंह में लेने दे अपने बेटे का लंड चुसना है मुझे आहह देवा मुंह में डाल ना रे।

देवा : माँ वो बोल भी नहीं पा रहा था बस आज उसके सर पे जैसे जूनून सवार हो गया था । वो अपने लंड को देवकी के मुंह में पेल देता है और दोनों हाथों से देवकी के सर को पकड़ के लंड को ज़ोर ज़ोर से अंदर बाहर करने लगता है ।
आह्ह्ह्ह्ह्ह माँ चूस लो अपने देवा का लंड आहह माँ आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह।

देवकी;की चूत से पानी के फुवार बाहर निकलने लगती है और वो देवा को अपने ऊपर आने की दावत देते हुए अपने दोनों पैर खोल देती है।
आजा मेरे राजा बेटा अपने माँ की चूत में आ जा।

देवा;के लंड की नसे कभी इतनी नहीं फुली थी।अपने लंड में उसे इतनी ताकत कभी महसूस नहीं हुई थी वो एक तरह से खुद को सर्व शक्तिमान महसूस कर रहा था। उसे देवकी की चूत नहीं बल्कि रत्ना अपनी माँ की चूत नज़र आ रही थी और पैर खोले औरत देवकी नहीं बल्कि रत्ना दिखाई दे रही थी । वो अपने लंड पे थोड़ा सा थूक गिराता है और देवकी की टाँग को अपने हाथ में पकड़ के लंड को जैसे ही देवकी की चूत पे रखता है देवकी की ऑखें बंद हो जाती है और चूत खुलती चली जाती है।

देवकी;बेटा नही।


देवा;माँ आहह आह्ह्ह्ह्ह्।

देवकी; आहह बेटा तेरा बहुत मोटा और बड़ा है रे मर जाऊँगी मै आहह थोड़ा आराम से धक्के मार बेटा ।

देवा को कुछ सुनाई नहीं दे रहा था । न कुछ समझ आ रहा था बस दिमाग में एक आवाज़ घूम रही थी । देवा बेटा अपने माँ रत्ना को चोदो ज़ोर से चोदो।

देवकी; बेटा धीरे धीरे आहह धीरे रे।

देवा; माँ चोदने दो न आहह ऐसी चूत मुझे आज तक नहीं मिली आहह कसम से मामी आपके चूत का जवाब नहीं है आह्हह्हह्हह्हह।

देवकी;पिछले 20 मिनट से देवा से चुदते चुदते निढाल हो गई थी।
उसे कभी भी किसी ने भी इतनी देर तक इस तरह से नहीं चोदा था।

देवा का लंड पानी छोडने को तैयार नहीं था और देवकी चूत में लंड लेने को मना कर रही थी । उसकी चूत जगह जगह से चीर गई थी। रह रहके खून भी बाहर बह रहा था वो किसी तरह देवा के पास से उठके अपने कमरे में जाना चाहती थी पर देवा उसका हाथ पकड़ के उसे फिर से अपनी गोद में बैठा देता है।
माँ अभी एक सुराख़ बचा है ना तुम्हारा।

देवकी।;नहीं वहां नहीं। देखता नहीं चूत की क्या हालत कर दी है तुमने। नहीं नही।

देवा; देवकी के चूतड़ पे थप्पड मारने लगता है निढाल सी देवकी कुछ देर बाद हार मानके अपनी गाण्ड का सुराख़ देवा को दिखाती है और देवा न सिर्फ उसे चाटता है बल्कि उसे भोग भी लगा देता है अपने लंड के तेज़ धार से वो देवकी की गाण्ड को भी एक तरह से चीर के रख देता है।

देवकी एक चालाक औरत थी । वो आज इसलिए देवा के पास आई थी के देवा को अपनी चूत देके उसका मुंह हमेशा के लिए बंद कर दे । उसे पता था की देवा एक न एक दिन अपनी माँ को उसके और रामु के बारे में ज़रूर बता देगा । बस एक यही तरीका था देवा का मुंह बंद करने का की उसे अपनी चूत दे दी जाये ।
पर ये उसकी सबसे बडी भूल भी साबित हुई थी वो जिस देवा को एक बच्चा समझ बैठी थी । उस बच्चे ने सुबह के ४ बजे तक उसे न सोने दिया और न उसे एक पल के लिए भी चैन से बैठने दिया।

देवा का लंड देवकी की चूत पे कहर बरपा के सो चुका था । पर एक नए दौड़ की शुरुवात देवा के ज़िन्दगी में हो चुकी थी। आज तक बाहर की औरतों को चोदने वाला देवा आज घर की औरत का स्वाद चख चुका था और ये स्वाद उसे बहुत पसंद भी आया था।

देवकी;अपने फ़ैले हुए चूत के साथ अपने कमरे में सोने चली जाती है और देवा अपनी यादों में डूबा हुआ सो जाता है।
WOW MAST UPDATE
देवकी; आहह बेटा तेरा बहुत मोटा और बड़ा है रे मर जाऊँगी मै आहह थोड़ा आराम से धक्के मार बेटा ।


देवा को कुछ सुनाई नहीं दे रहा था । न कुछ समझ आ रहा था बस दिमाग में एक आवाज़ घूम रही थी । देवा बेटा अपने माँ रत्ना को चोदो ज़ोर से चोदो।
 
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Introduction
ये कहानी है भारत के एक छोटे से गाँव अम्बेटकली की।एक छोटा मगर बेहद खूबसूरत गांव में रहता है ।

देवा
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२० साल का ये गबरू जवान।।अपने १० एकड के खेत में खूब दिल लगा के मेहनत करता है । उसे न शराब का शौक है न चरस गांजे का।
बचपन से उसे कसरत और कुश्ती का बहुत शौक रहा है पर सबसे ज़्यादा चाह है उसे चूत की हालाँकि अभी तक उसे ये मिला नहीं है।।
देवा।अपनी माँ रत्ना और छोटी बहन ममता के साथ रहता है।
बाप का साया देवा के सर से पांच साल पहले ही उठ गया था।



रत्ना
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एक गदराई हुई ४० साल की खूबसूरत औरत जो पिछले 5 साल से अपनी चूत की आग अपनी उँगलियों से तो कभी बैगन मूली से शांत करते आ रही है।।पति तो उसका रहा नहीं और बाहर वालो को वो देना नहीं चाहती।।

अपने बेटे देवा को खेती बाड़ी में हाथ बटाने वाली रत्ना बहुत हँसमुख है पर उसकी हँसी के पीछे के दर्द को कोई नहीं समझता उसका अपना बेटा देवा भी नही।

ममता
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देवा की खूबसूरत बहन।
एक 18 साल की चंचल खुबसुरत कुँवारी लड़की है जो अपना समय दिन भर अपने सहेलीयों के साथ बातें करने में गुजारती है उन बातों में सिर्फ सेक्स की बाते होती है।।जल्द से जल्द लंड लेने की उसकी चाह ने उसके दोनों आमो को वक़्त से पहले ही पका दिया है।

देवा का एक दोस्त है।।


पप्पु
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18 साल के पप्पू को बचपन में बैल ने ऐसा लात मारा की उसके पप्पू में हिलने डुलने की ताकत नहीं रही।जीस्म तो अपनी उम्र के हिसाब से बढ़ता गया पर औज़ार छोटा का छोटा रह गया।

पप्पू की माँ

शालु
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एक गरम खून वाली 38 साल की औरत है।जिसका पति तो है पर किसी काम का नहीं। चोदता तो है पर ठीक से नहीं । दिन रात नशे में पड़ा रहने वाला शालु का पति जब घर आता है तो पहले गाली देता है और फिर दो चार धक्के उसके बाद सारी रात शालू अपनी चूत मसलती रहती है या ऊँगली से अपने आप को शांत करती है।

शालु की दो और बेटियां है।
एक रश्मि
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उमर 18 साल अपनी माँ की तरह मदमस्त रहने वाली लड़की।



दूसरी बेटी
नीलम
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एक खामोश तबियत वाली। अपनी दुनिया में जीने वाली लड़की को जब भी कोई देखता है यही कहता है ये साली शालु के पति की नहीं हो सकती।

इसी गांव में एक जागिरदार की हवेली है।जिसमें रहते है।

सेठ हिम्मत राव
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हिम्मत राव इस गांव के जमींदार है उसकी गांव में बहुत चलती है। वो गांव में जो चाहे वो कर सकता है। सभी गांव वाले हिम्मत राव से डरते है। हिम्मत राव ने कुछ गुंडे भी पाल रखे है और उसके पास बंदूके भी है।




उनकी पत्नी - रुक्मणि
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रंग तो इसका जानदार है पर चूत बड़ी नमकीन है।।
ये सेठ हिम्मत राव की दूसरी पत्नी है पहली वाली इस दुनिया में नहीं रही।
रुक्मणी के शादी को 3 साल हो चुके है पर अभी तक कोई बच्चा नहीं हुआ है।

सेठ हिम्मत राव को पहली वीवी से एक बेटी है।

रानी-
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उम्र 19 साल है पर नखरे और अदायें किसी तरह भी 19 वाली के नहीं लगते।घर के लोग इसे परी भी बुलाते है यानि इसका घर का नाम परी भी है। बाप के पैसों को पानी की तरह बहाना इसका शौक है।।घमन्डी नकचढी जो कहना है इसे कह सकते है। बस एक ही चीज़ इस में अच्छी है वो छुपी है बेचारी की जांघों के बीच में।




इस हवेली में एक नौकरानी काम करती है।

पदमा
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रुक्मणी की जायज़ और नाजायज़ हर काम पदमा ही करती है।

और भी लोग है इस गांव में धीरे धीरे वो सभी आपके सामने आयेंगे।
nice introduction
 
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देवा; चल झुक जा।

पप्पू;आराम आराम से करना देवा तू तो एक ही बारे में खुट्टा गाड देता है।

देवा; अच्छा अच्छा बातें बंद कर।
और देवा ये कहते हुए अपने लंड को पप्पू के कमर पे मारने लगता है।

पप्पू;आह माँ।
सिसकारियां उसके मुंह से निकलती और शालु के कानो तक पहुँच जाती।

देवा;अपने लंड पे थूक लगा के धीरे धीरे लंड को पप्पू की गाण्ड में घूसाने लगता है । आह आह थोड़ा पैर चौड़े कर गांडु आह।
जैसे जैसे लन्ड पप्पू की गांड में घुस रहा है पप्पू चिल्लाने लगता है।फिर एक झटके में देवा अपना पूरा लंड पप्पू के गांड में पेल देता है।

पप्पू; आह्ह्ह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह हाय्य्य्य माँ मै मर जाऊँगा । आह देवा निकाल ले अह्ह्ह्हह मै हाथ से हिला देता हूँ इसे आहः।

देवा कहाँ सुनने वाला था वो तो बस अपने आँखों में शालु के गदराये हुए गाँड को सोच सोच के सटा सट लंड पप्पू के गाण्ड में पेले जा रहा था।

पप्पू की हालत ऐसी थी के कोई भी तरस खाके उसे छोड दे । पर देवा बेरहम मरद था पप्पू जानता था की जब तक देवा का पानी नहीं निकलेगा वो रुकने वाला नहीं है।

और सबसे खतरनाक बात ये थी ये देवा का पानी 20-30 मिनट तक नहीं निकलता था।



धक्कों की बरसात पीछे से शुरू थी और पप्पू की चीखें तेज़ और तेज़ होते जा रही थी।

शालु;अपनी चूत को रगडते हुए थक चुकी थी पर देवा था की पसीने में तर बतर होने के बावजूद भी बाहर निकालने को तैयार नहीं था।

20 मिनट के बाद देवा अपने लंड को बाहर निकाल लेता है और उसका पानी पप्पू के कमर पे गिरने लगता है और कुछ देर बाद पानी से गिला लंड पप्पू के कमर पे घीसने लगता है।

शालु तेजी से अपने घर की तरफ चल देती है
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देवा शालू के घर के सामने पहुँचता ही है की उसे रत्ना और ममता उसी की तरफ आते हुए दिखाई देते है।

रत्ना;देवा कहाँ जा रहा है बेटा।

देवा;माँ अच्छा हुआ तुम मुझे यहीं मिल गई चलो मुझे तुमसे कुछ ज़रूरी बात करनी है।

ममता ; क्या बात है भइया।

देवा; तू घर जा ममता मै और माँ अभी आते है।

रत्ना;तो घर चल के बात करते है ना ।

देवा;नहीं मुझे तुमसे अकेले में कुछ बात करनी है चलो मेरे साथ।

रत्ना;पर कहाँ देवा।

देवा; खेत में।

ममता और रत्ना दोनों देवा के इस तरह के बरताव पे हैरान रह जाते है। ममता तो देवा की सगी बहन थी देवा उसके सामने भी बात नहीं करना चाहता था। इसका मतलब कोई ज़रूरी बात होंगी।

यही सोच के रत्ना ममता को घर भेज देती है और खुद देवा के साथ खेतों की तरफ चल पडती है।

रत्ना;देवा तू भी ना ममता क्या सोचेगी।
अखीर ऐसी कौन सी बात थी जो तो ममता के सामने नहीं कर सकता था।

देवा; चुपचाप चल रहा था वो शायद अंदर ही अंदर ये सोच रहा था की अपनी माँ से कैसे बात करे।
क्यूंकि जब भी वो रत्ना से अपने बापू के बारे में पूछता था रत्ना बहुत भावुक हो जाते थी।।

दोनो खेत में पहुँच जाते है।

खेत में बने छोटे से झोंपडे में जब दोनों पहुँचते है तो रत्ना उसका हाथ पकड़ के अपनी तरफ घुमा देती है।
पुरे रास्ते खामोश रहा आखिर क्या बात है बोल तो सही।

देवा;अपनी माँ रत्ना की ऑखों में देखते हुए धीमी आवाज़ में पूछता है।
माँ बापू की मौत कैसे हुई थी।

रत्ना;तू ये पुछने मुझे यहाँ लाया है।
कितनी बार तुझे बता चुकी हूँ दिल के दौरे से (हार्ट अटैक)।

देवा;माँ तुम झूठ क्यों बोल रही हो मुझसे।

रातना; मैं क्यों झूठ बोलूँगी भला तुझसे देवा।

देवा;अगर बापू की मौत दिल के दौरे से हुई थी तो उनकी चिता को भी अग्नि मुझे देनी चाहिए थी
पर मुझे पक्का यक़ीन है मैंने बापू का अन्तिम संस्कार नहीं किया उनकी चिता को आग नहीं दिया।।

बालो न माँ क्या हुआ था बापू के साथ।

रत्ना;के माथे पे पसीना आ जाता है वो अपना सर दूसरी तरफ घुमा लेती है।
तू उस वक़्त बहुत छोटा था देवा तुझे कैसे याद रहेंगे ये सब बातें।

देवा;मुझसे नज़रें चुरा लेने से तुम्हारा झूठ सच नहीं बन जायेगा।
अगर तुम ही मुझसे सब कुछ छुपाऊँगी तो भला मै किसके पास जाऊंगा।



रत्ना की ऑखें आंसुओं से भर जाती है।
बैठ यहाँ बैठ।
वो उसे चारपाई पे अपने पास बैठा देती है।

तू जानना चाहता है ना तेरे बापू के साथ क्या हुआ था कैसे उनकी मौत हुई।

देवा;हाँ मुझे जानना है।

रत्ना;तू उस वक़्त बहुत छोटा था
उस साल गांव में अकाल पड़ा था।
हमारे पास एक दाना भी नहीं था खाने के लिये।

तेरे बापू और हिम्मत राव बहुत अच्छे दोस्त थे।
हिम्मत राव ने उस मुश्किल के दौर में हमारी मदद किया था पैसा और अनाज देखे।।

जिसका एहसान तेरे बापू हमेशा मानते थे।
पर वो नहीं जानते थे की हिम्मत राव की नज़र कितनी गंदी है।
उस बड़े से हवेली में रहने वाला हिम्मत राव एक घटिया इंसान है।

वो तेरी माँ पे गंदी निग़ाह रखे हुए था।
मुझे भाभी भाभी कहते कहते एक दिन उसने अपनी मर्यादा पार करने की कोशिश की।

मुझे धोखे से हवेली बुलाके अपनी गंदी हवस का मुझे शिकार बनाना चाहा मगर ठीक वक़्त पे हिम्मत राव की पत्नी वहां आ गई और उसनी मेरी इज़्ज़त बचा ली।

मै तो वहां से चली आई मगर जब ये बात तेरे बापू को पता चली तो उन्होंने भरे पंचायत के सामने हिम्मत राव को थप्पड मारा था।

हिम्मत राव; ये अपमान नहीं सह पाया और उसने भरे पंचयत के सामने तेरे बापू से वो पैसे मांगे जो उसने अकाल के वक़्त तेरे बापू को दिए थे।

उस वक़्त हमारे पास उतने पैसे नहीं थे।

तो हिम्मत राव ने शर्त रखी की जब तक तेरे बापू सारा पैसा नहीं दे देते वो हवेली में और हिम्मत राव के खेतो में काम करेंगे।

तेरे बापू;बात मान गये।

ओ रोज़ हिम्मत राव के खेत में काम करने जाते थे।
और उस मनहूस दिन वो घर से निकले मगर फिर दूबारा वापस नहीं आए।
न उनकी लाश हमे कही मिली।

गांव वालो ने हिम्मत राव से पूछा तो उसने कहा की उसे कुछ नहीं पता।
तेरे बापू उसके खेत में गए ही नही।
ऐसा उसने पंचायत के सामने कहा।

मै अकेली जान क्या कर सकती थी । तू भी इतना छोटा था की कुछ नहीं कर पाता और ममता मेरी कोख में थी।।

तेरे बापू के साथ क्या हुआ मुझे सच में नहीं पता । ये राज़ सिर्फ हिम्मत राव जानता है और कोई नही।

देवा; हिम्मत राव के पैसे फिर किसने चुकाए।

रत्ना;तेरे बापू जब नहीं मिले तो हिम्मत राव ने वो पैसे माफ़ कर दिए। ये कहते हुए की जिसने लिए थे वो तो इस दुनिया में नहीं रहा उसका क़र्ज़ा उसके साथ चला गया।।

देवा;नहीं माँ हिम्मत राव को वो राज़ उगलना होगा।

रत्ना;नहीं नहीं तू ऐसा कोई काम नहीं करेगा जिससे मै तुझे खो दूँ । कुछ नहीं करेगा तू सुन रहा है ना तुझे मेरी कसम देवा।

देवा;चिंता मत करो माँ मुझे कुछ नहीं होंगा मगर जब तक मै अपने बापू के मौत का राज़ नहीं जान लेता मुझे चैन नहीं मिलेंगा।।

रत्ना;तू कुछ नहीं करेगा न। इधर देख कुछ नहीं करेगा न किसी को भी।

देवा;रत्ना को अपने बाहों में समेट लेता है जब तूने अपने कसम दे दी मुझे तो भला मै किसी को कुछ कैसे कर सकता हूँ।।
कुछ नहीं करुँगा किसी को भी।
चल अब घर चल और हाँ ममता से ये बात मत कहना।

रत्ना;नहीं चल बहुत देर हो गई है।
दोनो माँ बेटे घर तो पहुँच जाते है।

मगर देवा मन में ये ठान लेता है की चाहे कुछ भी हो जाये उसे कोई भी रास्ता अपनाना पड़े वो हिम्मत राव से राज़ जान के रहेगा।

शाम घिर चुकी थी और देवा खाना खाके आँगन में आराम कर रहा था।
वो सोच रहा था की कैसे हिम्मत से बात निकल सकती है।अचानक उसके दिमाग में एक ख्याल आता है।

रुक्मणी;हिम्मत राव की पत्नी।
कोई भी पति अपने पत्नी से कुछ नहीं छुपाता ज़रूर हिम्मत राव ने रुक्मणी से ये बात कहा होगा। रुक्मणी सब जानती होंगी और अगर नहीं भी जानती होगी तो अगर रुक्मणी को किसी तरह पटा लिया जाए तो शायद वो बातों बातों में हिम्मत राव से बात निकाल ले।

वो उठके बैठ जाता है और पक्का निश्चय कर लेता है की रुक्मणी को अपनी उँगलियों पे नाचने पे मजबूर करके उसके ज़रिये राज़ पता करेगा।

देवा;माँ मै हवेली जा रहा हूँ सोने।

रत्ना;भागते हुए उसके पास आती है जाना ज़रुरी है क्या कोई और नहीं जा सकता बेटा।

देवा;डरो मत माँ मै सुबह जल्दी घर आ जाऊंगा।

रत्ना;पसीने में भिगे हुए बड़े बड़े कठोर ब्रैस्ट को देवा की छाती में धँसा के उससे चिपक जाती है।
मुझे बहुत डर लग रहा है देवा ।

देवा;अपनी माँ के स्पर्श से सिहर उठता है और वो भी रत्ना को अपने सीने में समां लेता है।

रत्ना;के हाथ देवा की पीठ पे घुम रहे थे और देवा अपने माँ की चिकनी पीठ को अपने हाथों से पकडे हुए था।

देवा; मैं जाऊँ माँ।

रत्ना;जैसे किसी सपने से जगी थी।
वो देवा से अलग हो जाती है।
ठीक है मगर सुबह जल्दी आ जाना।

देवा;ठीक है माँ।
और देवा हवेली चला जाता है।

हवेली में जब देवा पहूंचता है तो उसे हॉल में रुक्मणी और रानी बाते करते हुए मिलती है। पास में निचे ज़मीन पर पदमा भी बैठी हूई थी।

देवा को देख रुक्मणी उसे उनके पास बुला लेती है।

रुक्मणी; अच्छा हुआ देवा तुम आ गये ये पदमा को बडी जल्दी पडी है घर जाने की। मैंने कहा जब तक देवा नहीं आ जाता तब तक घर नहीं जा सकती।

रानी;बैठो न देवा खड़े क्यों हो खाना खाओगे।

देवा;नहीं छोटी मालकिन मै खा के आया हूँ।।

रुक्मणी;तुम देवा का बिस्तर मेरे और रानी के कमरे के सामने बने गलियारे में लगा दो।
क्यूं ठीक है ना देवा कोई दिक्कत तो नहीं है न।

देवा;नहीं मालकिन कोई दिक्कत नहीं जैसा आप ठीक समझें रात ही तो काटनी है।

पदमा;चल देवा मेरे साथ तुझे कहाँ सोना है बता देती हूँ।

देवा;पदमा के साथ चल देता है।

रुक्मणी के होते हुए रानी देवा से अकेले में बात नहीं कर सकती थी।

रानी;अपने कमरे में सोने चली जाती है और रुक्मणी अपने रूम में।

दोनो रूम के सामने एक छोटा सा गलियारा बना हुआ था वहाँ देवा भी लेट जाता है।

पदमा;जाते जाते देवा के छाती में दो तीन घूँसे जड़ देती है। पिछले कुछ दिनी से वो पदमा के पास भी नहीं फटका था जिससे पदमा की चूत और मन दोनों उदास थे।

रात अपने पूरे शबाब पर थी।

देवा के घर ममता और नूतन की ऑंखों से नींद काफी दूर थी।

ममता के कमरे में नूतन ममता के पास बैठी रश्मि की शादी के बाते कर रही थी।

ममता अपना एक हाथ नूतन की जांघ पे रख देती है जिससे बोलते हुए नूतन खामोश हो जाती है जैसे किसी ने उसका बोलने का बटन बंद कर दिया हो।

नुतन इस स्पर्श से ही सिहर उठती है और ममता की ऑंखों में मचलती मस्ती को भाँप लेती है।

ममता क्यूँ री सुबह से देख रही हूँ बड़े चुप चुप सी है कही मेरे गांव के किसी लौंडे से दिल तो नहीं लगा ली।

नुतन ;क्या दीदी कुछ भी बोलती हो।

ममता ;ज़रा देखने दे तेरी ऑखों में।
और ममता नूतन की ऑंखों में झाँकते हुए उसकी गरदन को चुमने लगती है।



नुतन ;आहह दीदी उन्हह।
नुतन ममता का हाथ पकड़ के अपनी चूचि पे रख देती है। आह इसे ज़ोर से मसलो न दीदी आहह काटो न इनको उन्हह।

ममता नूतन को बिस्तर पे गिरा देती है और उसके रसीले होठो को चुसते हुए दोनों हाथों से उसकी चूचि को मसलने लगती है।



नुतन की चूत सुबह से कई बार उल्टियाँ कर चुकी थी वजह थी देवा की उसकी चूचि को हाथ लगाना।

वो ममता पे आज की रात हावी हो जाने वाली थी क्यूंकि उसकी चुत में इतना पानी भरा पड़ा था की ममता चाह के भी उसे नहीं खाली कर पाती।

दोनो कुँवारी लड़कियां अपनी अपनी कुँवारी चूत को एक दूसरे के मुँह में डाल के रस पान करने लगती है।

उधर शालु के घर में सभी लोग सो चुके थे सिवाये रश्मि के। जिसे दिन में इतनी बुरी तरह चोदा जाए उसे रात में नींद नहीं आ सकती।

वही हाल रश्मि का था।
खुद के हाथों से अपनी चूचि को मसलते मसलते उसके हाथ दर्द करने लगे थे।



वो चुप चाप उठके पप्पू के कमरे में चली जाती है।

पप्पू उस वक़्त टॉयलेट में गया हुआ था जब वो अपने कमरे में आता है तो उसकी आँखें फटी की फटी रह जाती है।



पुरी तरह नंगी रश्मि अपननी दोनों टाँगें खोल के पप्पू का इन्तज़ार कर रही थी

रश्मी;पप्पू मुझे चोदो। मुझसे रहा नहीं जा रहा
नही तो कही से देवा को बुला लाओ।

पप्पू: भाई के होते हुए बाहर वाले को क्यों याद करना वो भी इतनी रात में।

अपनी बहन को इस हालत में देख पप्पू का छोटा सा पप्पू भी झूम उठता है और पप्पू दरवाज़ा बंद करता है और खुद भी रश्मि के तरह नंगा होके अपनी बहन के ऊपर चढ़ जाता है और अपना लंड अपनी बहन की गीली चूत में पेल देता है।



रश्मी:आहह पप्पू धीरे धीरे....

पप्पू;और जोश में आके रश्मि की चूत में लंड आगे पीछे करने लगता है।

रशमी;दिल ही दिल में सोचने लगती है।
छोटा है मगर काम का है जैसा भी है चोद तो सकता है आह्ह्ह्ह।

दोनो भाई बहन एक दूसरे को चुमते हुए अपनी अपनी कमर हिलाने लगते है।

देवा;को बिस्तर पर लेटे हुए काफी वक़्त हो चुका था मगर उसके दिमाग में एक ही बात घुम रही थी किसी न किसी तरह रुक्मणी को अपना बना लेना ताकि वो उसका काम कर सके।

वो उठ के रुक्मणी के कमरे में चला जाता है
और उसके पास जाके लेट जाता है।



रुक्मणि;की अभी अभी आँख लगी थी।

इधर देवा की गाण्ड भी फटी पडी थी ये सोच सोच के की अगर रुक्मणी ने शोर मचा दी तो वो तो गया काम से।
मगर उसके इरादे बहुत मज़बूत थे। वो किसी भी कीमत पर कामयाब होना चाहता था।

ड़रते ड़रते वो अपना एक हाथ रुक्मणी के चिकने पेट पे रख देता है।

रुक्मणी; धीरे धीरे अपनी ऑखें खोलती है और फिर झट से बंद कर देती है।

देवा;अपने हाथ को रुक्मणी के पेट पे घूमाते हुए उसे ऊपर की तरफ ले जाता है।

रुक्मणी;अब भी नींद में सोने का नाटक कर रही थी।

देवा;की हिम्मत थोडी बंधती है और वो उसका पल्लू उसकी चूचि पर से अलग कर देता है।



रुक्मणी;की बड़े बड़े चूचे थोड़े ज़ोर ज़ोर से ऊपर निचे होने लगते है।

देवा;जान जाता है की रुक्मणी सोने का नाटक कर रही है।
ये जानके उसका हौसल और बढ़ जाता है की रुक्मणी जग जाने के बाद भी चुप है।

उधर रुक्मणी भी धीरे धीरे गरम होने लगती है।

देवा;अचानक ही अपने होंठों से रुक्मणी के कान को चुम लेता है।

रुक्मणी किसी तरह खुद को संभाले हुए थी।

देवा के होंठ अब रुक्मणी की गरदन तक पहुँच चुके थे और एक हाथ हलके हलके रुक्मणी की चूचि को मसलने लगता है।

रुक्मणी का सब्र का बांध किसी भी वक़्त टूट सकता था। उस दिन तो उसे अपना पति याद आ गया था मगर आज फिर से देवा के हाथों ने अपना असर दिखा दिया था।


वो और उसकी छूट बेचैन हो उठे थे।

इससे पहले की रुक्मणी ऑंखें खोल के देवा को अपने छाती से चिपका लेती देवा वहां से उठके चला जाता है।

ये झटका रुक्मणी की चूत को सीखने पे मजबूर कर देता है की आखिर इस सब में उसकी क्या गलती है क्यों उसके साथ ऐसा ज़ुल्म हो रहा है।

रुक्मणी देवा को अपने कमरे से जाता देखती रह जाती है।

देवा;मुस्कराता हुआ अपने बिस्तर पे जाके लेट जाता है।

वो जानता था की रुक्मणी किसी भी वक़्त अपना मन बदल सकती है।
वो उसे इस हद तक पागल कर देना चाहता था की वो देवा से चुदने के लिए भीख मांगे तभी वो देवा का भी काम कर सकती थी।

देवा नींद के आग़ोश में चला जाता है और रुक्मणी अपनी चूत मसलती रह जाती है।
 

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