Incest हाय रे ज़ालिम................

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देवा; वही हवेली के बहार रुक्मणी का इंतज़ार करने लगता है । थोडी देर बाद रुक्मणी गुलाबी साडी पहन के उसके पास आती है।
गालों पर पाउडर होठो पर लाली और चेहरे पर मुस्कान लिए रुक्मणी बिलकुल अप्सरा लग रही थी।
रुक्मणी; अब घुरते रहोंगे या चालोगे भी।
देवा;हाँ हाँ चलते है ना।
वैसे आज आप बहुत खूबसूरत लग रही हो मालकिन।
रुक्मणी;क्यों इससे पहले नहीं लगती थी क्या।
वो उछल के देवा के ट्रेक्टर में बैठ जाती है।
देवा;ट्रेक्टर स्टार्ट कर देता है।
पहले भी लगती थी आप मगर आज।
रुक्मणी;हम्म और ये मालकिन और आप बोलने को मना की थी न मैंने । अकेले में तुम मुझे रुक्मणी कह सकते हो।
देवा;नहीं नहीं मै आपको मालकिन ही कहुँगा।
वो ट्रेक्टर शहर के तरफ चला देता है।
रास्ते में रुक्मणी बार बार देवा को अपने हुस्न दिखाती रहती है। कभी अपना आंचल अपने चूचि पर डालते हुए कभी उसकी तरफ झुक के बात करते हुए देवा बडी मुस्खिल से खुद को सँभाल के ट्रेक्टर चलाने लगता है।
रुक्मणी;दिल ही दिल में मुस्कुराने लगती है वो भी जान गई थी की देवा बहुत जल्द उसकी चूत की चढ़ी हुई नस उतार देगा।
देवा; किसी तरह खुद को रुक्मणी के जिस्म से आती तपीश से बचता हुआ उसे डॉ के दवाख़ाने के पास छोड के मन्डी में सूर्य फूल बेचने चला जाता है।
रुक्मणी;उसे दो घंटे बाद यही मिलने का बोल के दवाख़ाने में चली जाती है।
देवा;मंडी में पहुंचके अपने उस ब्यापारी से मिलता है जो उससे माल ख़रीदता था।
ईधर रुक्मणी का डॉ उसे फिर से वही गोलियां देती है जो वो पिछले कई सालो से रुक्मणी को देती आ रही थी।
रुक्मणी;डॉ साहिब आप पिछले कई सालों से मेरा इलाज कर रहे है मगर कोई फायदा होता दिख नहीं रहा है आप दवायें बदल क्यों नहीं देते।
डॉ ; आपके लिए यह दवायें ठीक है आप इन्हें शुरू रखो अब मेरी दवायें धीरे धीरे काम करेंगी।
रुक्मणी;वो दवायें ले लेती है और बाहर आके देवा का इंतज़ार करने लगती है थोडी देर बाद जब देवा खाली ट्रेक्टर लेके उसके पास आता है तो रुक्मणी देवा को नीचे उतरने के लिए कहती है।
देवा;क्या हुआ वापस नहीं चलना क्या।
रुक्मणी;देवा तुम उस दिन मुझे बोल रहे थे न की तुम्हारी बहन का इलाज यहाँ के किसी डॉ ने की थी मुझे उसके पास ले चलो।
देवा;हाँ हाँ क्यों नहीं मै तो आपको कई दिन से बोल रहा हूँ मगर आप सुनती कहाँ हो मेंरा।
रुक्मणी;अब सुन ली न वैसे भी ये डॉ पिछले कई दिन से मुझे एक जैसे दवायें खिला रही है फायदा तो कुछ होता नहीं उल्टा पेट में दर्द रहता है चक्कर से आते है और नींद भी बहुत आती है।
देवा; कोई बात नहीं। चलो मै आपको उस डॉ के पास ले चलता हूँ।

और रुक्मणी देवा के साथ उस डॉ के पास चल देती है।

पीछले कुछ दिनों से रुक्मणी को बहुत अजीब सा महसूस हो रहा था । जब भी वो गोलियां खाती उसके पेट में दर्द होता और सबसे बडी बात उसे इतनी गहरी नींद लगती की सुबह ही आँख खुलती।
दोनो उस डॉ के पास पहुँच जाते है।
जब वो डॉ रुक्मणी की हालत देखता है और उसके पास के वो दवायें देखता है जो उसे पहले वाली डॉ ने दिया था तो वो अपना सर पकड़ लेता है।
देवा;क्या हुआ डॉ साहिब कोई मुश्किल आ गई है क्या जो आपने अपना सर पकड़ लिये।
डॉ;अरे मुझे तो यक़ीन नहीं हो रहा की आप इतने दिनों से ये दवायें खा रही हो और फिर भी आप ज़िंदा हो।
रुक्मणी;क्या मतलब डॉ साहिब।
डॉ ;सेठानी जी ये दवायें नहीं ज़हर है जो धीरे धीरे इंसान की जान ले लेता है और आपको क्या लगा ये दवायें खाके आप माँ बन जाओंगी नहीं बिलकुल नहीं बल्कि आप अगर और कुछ दिन ये खाती तो भगवान के पास पहुँच जाती।
देवा;खड़ा हो जाता है।
उसकी माँ की डॉ की अभी जाके उसकी खबर लेता हूँ मैं।
रुक्मणी;देवा का हाथ पकड़ के उसे बैठा देती है।
डॉ ; ये दवाएं आप खाना बंद कर दो और मै जो दवायें दे रहा हूँ वो खाओ फिर देखो आप कैसे माँ नहीं बनती। और मै आपसे एक बात अकेले में कहना चाहता हूँ।
रुक्मणी;आप बेझिझक बोलिये।
डॉ ; देवा की तरफ देख के रुक्मणी से कहता है।
सेठानी जी हो सके तो अपने पति के साथ ज़्यादा वक़्त गुजारिये रात में।
रुक्मणी के साथ साथ देवा भी समझ जाता है और दोनों डॉ को फीस दे के बाहर आ जाते है।
देवा; साला मुझे उस डॉ की खबर लेने दो मालकिन आप। मै उसकी जान ले लूंगा।
रुक्मणी;नहीं उसे मारने से क्या होगा।
पहले मुझे एक बात का पता लगाने दो उसके बाद मै खुद तुम्हें कहूँगी की किसे मारना है।
अब चलो यहाँ से।
पुरे रास्ते रुक्मणी ख़ामोशी से देवा की तरफ देखते रहती है।
उसकी ऑखों के सामने वो सारी बाते घुम जाती है कैसे वो शादी करके हवेली में आई थी कैसे हिम्मत राव उसे एक डॉ के पास ले जाता था। पढी लिखी रुक्मणी को समझते ज़्यादा देर नहीं लगती मगर फिर भी वो अपने शक को यक़ीन में बदलना चाहती थी।
दोनो हवेली पहुँच जाते है और रुक्मणी देवा को कल हवेली आने का बोल के अंदर चली जाती है।
देवा के कुछ पल्ले नहीं पड रहा था वो सर को खुजाता हुआ अपने घर की तरफ चल देता है रास्ते में उसे पदमा मिलती है।
पदमा; क्यूँ रे हरामी कहाँ है तू आज कल। मेरे साथ अब मजा नहीं आ रहा क्या तुझे।
देवा;वही ट्रेक्टर पर बैठे बैठे उसकी चूचि मरोड देता है
शादी थी न शालु काकी के यहाँ। कल आता हूँ तेरे लेने बहुत मस्ती चढ़ रही है ना तुझे।
पदमा;हाँ मेरे राजा देख न कैसे मुर्झा गई है मेरी ये चुचियां।
देवा;मुस्कुराता हुआ अपने लंड को पेंट में एडजस्ट करके घर पहुँच जाता है।

जब देवा अपने घर पहुँचता है तो उसे घर के ऑंगन में घर के सभी लोग बैठे मिलते है। उनके साथ शालु उसका पति और पप्पू भी बैठा हुआ था।

रत्ना;अरे देवा बड़े अच्छे वक़्त पर आया है आ जा बैठ।
देवा;क्या बात है माँ सब यहाँ क्यों बैठे है।
ममता;देवा के पास जाके उसे पानी देती है।
रत्ना;अरे देवा बेटा देवकी मामी ने पप्पू को अपना दामाद बनाना का फैसला कर लिया है इसलिए सब यहाँ आये हुए है।
रिश्ते की तारिख पक्की करने।
देवा;अरे वाह ये तो बहुत अच्छी बात है।
देवकी;हाँ भाई मुझे तो ये रिश्ता पहले से पसंद था बस रामु और उसके बापू के आने के बाद ही कोई फैसला कर सकती थी।


पप्पू सामने बैठा लड़कियों के तरह शरमाये जा रहा था जैसे उसके लिए कोई लड़का आया है उसे देखने।
देवकी और शालु के बीच सारी बातें तय हो जाती है। अगले महीने की १९ तारिख को पप्पू और नूतन की मँगनी और उसके एक महीने बाद उन दोनों की शादी करने का फैसला होता है।
सभी खुश होके एक दूसरे को मुबारक बाद देते है। देवा रामु और पप्पू से गले मिलता है रामु के पिता जी भी इस रिश्ते से बेहद खुश थे।
घर के अंदर बैठी नूतन के दिल में तो लड्डू फूट रहे थे। अपनी शादी की बात सुनके । उसके पास बैठी ममता उसकी चूचिया दबा देती है।
नुतन; आह्ह्ह क्या करती हो दीदी।


ममता; हाँ हाँ अब तो मुझे मना ही करेगी न दो महिने बाद इन्हें दबाने वाला मसल के निचोडने वाला जो मिलने वाला है तुझे।
देवकी ने पहले ही नूतन से पप्पू के बारे में पूछ ली थी और नूतन ने शर्मा के अपनी इजाज़त दे दी थी।
रात का खाना देवा के घर में ही बनता है नए पुराने सभी रिश्तेदार खाना खाते है एक तरह से छोटा मोटा फंक्शन ही उस दिन हो जाता है।
खाना खाने के बाद देवा रामु को ले के बाहर घुमने निकल जाता है।
रामु;बहुत अच्छा हुआ जो ये रिश्ता हो गया क्यों देवा। तुझे क्या लगता है।
देवा;हाँ सच में बहुत अच्छा हुआ।
रामु;मगर यार कल रात की बात सोच सोच के शर्म भी आ रही है नूतन के सामने जाने को और पता नहीं अजीब सा लग रहा है।
देवा;क्या हुआ भाई।
रामु;चल पहले कुछ पी लेते है।

समने दारु की दुकान देख रामु की प्यास जग जाती है। और वो देवा के साथ शराब के दुकान से दो बोतल लेके पास ही के एक खेत में आके बैठ जाता है।

देवा शराब पीता नहीं था।
रामु धीरे धीर पहले उसके बाद दूसरे बोतल को भी गटक जाता है फुल टल्ली होने के बाद रामु के सर में नाश चढ़ जाता है और लंड महाराज पायजामे में उधम मचाने लगते है।
देवा;अरे भाई तुम वो बताने वाले थे न की तुम्हें शर्म आ रहे है अपनी बहन के सामने जाने को । ऐसा क्या हो गया
रामु;अरे यार कल रात न मैंने माँ को कौशल्या के सामने चोद डाला।
देवा;हम्म तो कौन सा बड़ा काम कर दिया । इससे पहले भी तो कई बार कर चुका है तू। यहाँ तक की मेरे सामने भी।
रामु;अरे देवा कौशल्या के पास नूतन भी तो सोई हुई थी न उस कमरे में।
देवा;क्या।
रामु;हाँ भाई यही तो इसलिए गाण्ड भी फट रही है और लंड भी खड़ा हो रहा है देख इसे।
अपने पयजामे में बना तम्बू रामु देवा को दिखाता है।
देवा;ये तम्बु अपनी माँ को चोदने के ख्याल से हुआ है या बहन को।
रामु;देवा का मुँह देखने लगता है।
शायद देवा ने रामु की दुखती नस पर हाथ रख दिया था।
रामु;नशे में अपनी गरदन इधर उधार हिलाने लगता है।
मै समझा नहीं तेरी बात।
देवा;अपने हाथ से रामु का लंड पकड़ लेता है।
अब्बे ये तेरे लंड किसकी चूत में जाना चाहता है मामी के या नूतन के।
रामु;क्या देवा तू भी न कुछ भी बोलता है । अरे बहन है वो मेरी । मै उसके साथ ऐसा कैसे कर सकता हूँ । उसकी शादी होने वाली है उसके पति को फटी चूत मिलेगी तो वो क्या सोचेगा।
देवा को समझ आ जाता है की रामु के दिल में क्या है।
मुझे तो ऐसा लगता है भाई की नूतन तुझसे करवाना चाहती है । आखिर तू उसका भाई है और बहन पर सबसे पहला हक़ तो भाई का होता है ना।
रामु;अपने लंड को पायजामे में घीसने लगता है।
हाँ यार बात तू सही कह रहा है।
पहले हक़ तो मेरा ही है मगर कुछ गलत हो गया तो।
देवा;कुछ गलत नहीं होंगा बस तू ये बोल की तू नूतन की लेना चाहता है या नही।
रामु;अभी से नहीं पिछले कई सालों से मै अपनी बहन को चोदना चाहता हूँ मगर क्या करुं डर लगता है न।
देवा;अगर वो खुद तुझे बोले की मुझे चोदो भैया तब।
रामु;साली को ऐसे कस के चोदूँगा की हमेशा याद रखेगी।
देवा;तो चल फिर मेरे साथ।
देवा रामु का हाथ पकड़ के उसे घर लाता है।
रात काफी हो चुकी थी रत्ना और ममता एक कमरे में सो चुके थे।
काशी ;नूतन के पास लेटी बातें कर रही थी और देवकी बाहर बैठी उन दोनों का इंतज़ार कर रही थी।
तभी देवा और रामु देवकी के पास आते है।

देवा;रामु को कमरे के बाहर खड़ा रहने को बोलता है और देवकी को एक तरफ ले जा के धीरे से उसके कान में बोलता है।

की आज रामु नूतन को कलि से फूल बनाना चाहता है।
देवकी;पागल हो गए हो क्या तुम दोनों नहीं नहीं उसकी शादी होने वाली है।
देवा;धक्का देके देवकी को दिवार से सटा देता है और एक हाथ से उसकी चूचि मसलते हुए और दुसरा हाथ उसकी चुत पर रख के घीसने लगता है।
अगर तुझे तेरी चूत में मेरा और रामु का लंड चाहिए तो जैसा मै कहता हूँ वैसे ही कर समझी।
देवकी;हाँ में गरदन हिला देती है और तीनो उस रूम में पहुँच जाते है जहाँ नूतन और कौशल्या बातें कर रहे थे।
कमरे में आते ही देवा दरवाज़ा बंद कर देता है और अपने कपडे उतारने लगता है।
साथ में रामु और देवकी भी नंगी हो जाते है।
कौशल्या और नूतन बाते ही कर रही थी जब ये तीनो अंदर आये थे उन दोनों को तो यक़ीन नहीं होता की इन्हें हो क्या गया है।
रामु;कौशल्या को आवाज़ देता है।
जब कौशल्या रामु के पास आती है तो रामु उसे साडी उतारने के लिए कहता है।
कौशल्या;धीरे से रामु से कहती है की नूतन देख रही है।
रामु; कौशल्या के बाल पकड़ के उसके मुँह के सामने बोलता है तुझे जितना बोला है उतना कर चल उतार साली कपडे।
आज मेरी बहन का रिश्ता पक्का हुआ है आज ख़ुशी का दिन है।
थोड़ी देर में ही दोनों औरतें पूरी नंगी होके निचे बैठ जाती है और दोनों के मुँह में लंड चले जाते है।

देवकी और कौशल्या;नूतन की तरफ देख के लंड चूसने लगती है गलप्प गलप्प गलप्प......
देवा;नूतन की तरफ देख के मुस्कुराने लगता है । घबराके नूतन लेट जाती है और अपनी ऑखें बंद कर लेती है मगर फिर धीरे से अपनी ऑखें खोल के सामने का नज़ारा देखने लगती है।
देवा और रामु लंड खड़ा हो जाने के बाद दोनों सास बहु को एक दूसरे से चिपका के खड़ा कर देते है।




देवकी के मोटे मोटे ब्रैस्ट कौशल्या के ब्रैस्ट से रगडने लगते है और पीछे से देवा और रामु दोनों की कमर की दरार में अपना लंड घिसते हुए उनकी चूचिया मसलने लगते है।
कौशल्या;आहह माँ ओह्ह्ह्ह धीरे करो न जी उन्हहह्ह्ह
देवकी;देवा बेटा डाल दे अब्ब अंदर कितना तड़पाएगा रे आह्ह्ह्ह्ह्ह।
देवा और रामु;एक साथ दोनों चुतो में अपने अपने लंड पेल देते है और सटा सट दोनों को पीछे से चोदने लगते है।

देवा;आहह मामी कैसा लग रहा है आह्ह्ह्ह्ह।

देवकी;मेरी चूत में तेरा लंड हमेशा उधम मच्चाता है बेटा। आहह देख न मेरी बहु भी कैसे कमर हिला हिलाके रामु से चुद रही है।
देवा;अपने एक हाथ से कौशल्या की चूचि मसलते हुए दना दन देवकी को चोदने लगता है।
दोनो औरतों की चूत इतनी गरम हो चुकी थी की लावा बहने के बाद भी उन्हें और चुदने का मन करता है।
रामु;अभी अपनी बीवी कौशल्या की चूत में अपने लंड से तूफान मचाने लगता है।
कौशल्या;देवा के ऑखों में ऑखें डालके रामु से बोलती है
आह चोदो मुझे। अपने बच्चे को पानी पीलाओ अपने लंड का। बहुत दिनों का प्यासा है जी।
न दोनों औरतें थक रही थी और न दोनों मरद 25 मिनट से देवा और रामु लगतार चोदे जा रहे थे।
देवकी;कौशल्या के मुँह से मुँह चिपका देती है और झड़ने लगती है।
उसकी चूत ने देवा के लंड के सामने हार मान ली थी मगर देवा का लंड प्यासा था।
देवकी तो अपनी चूत में से लंड निकाल के सामने लेट जाती है और अपनी साँसें धीमी करने लगती है।
देवा; कौशल्या के सामने जाके खड़ा हो जाता है और रामु से उसे गोद में उठाने को कहता है।
रामु;इससे पहले भी कौशल्या की चूत देवा के साथ बाँट चुका था वो अपनी पत्नी को जैसे ही गोद में उठाता है।

देवा;पीछे से अपने लंड को कौशल्या की गाण्ड में ड़ालने लगता है।
कौशल्या;माँ मेरी गाण्ड फट जाएगी नहीं नहीं आहह आह्ह्ह्ह्ह्हह।
मगर तब तक बहुत देर हो चुकी थी देवा का लंड कौशल्या की गाण्ड में घुस चुका था और दोनों कौशल्या को उठाते हुए आगे से और पीछे से चोदने लगते है।

कौशल्या की हालत ख़राब होने लगती है एक साथ दो दो मुसल लंड आगे पीछे होने से उसकी चूत और गाण्ड दोनों में से पानी बहने लगता है।
रामु उसे निचे उतारता है और देवा निचे लेट के कौशल्या को अपने ऊपर खीच लेता है।
अपने लंड को कौशल्या की चूत पर घिसते हुए वो उसकी गरम मख़मली चूत में घुसा देता है।
रामु;अपनी पत्नी को कमर हिलाते हुए चुदते देख के पीछे से अपने लंड को दूबारा कौशल्या की गाण्ड में पेल देता है । रामु का लंड देवा के लंड से थोडा छोटा था। देवा पहले ही गाण्ड का सुराख़ खोल चुका था इसलिए रामु बड़े आसानी से अंदर चला जाता है।

तभी रामु को नूतन की सिसकारीयों की आवाज़ सुनाई देती है।

वो पलट के नूतन की तरफ देखता है और हैरान रह जाता है । नूतन अपनी चूत को रगड रही थी।उसकी ऑखें बंद थी।
रामु देवकी की तरफ देखते हुए नूतन के पास चला जाता है और उसके ऊपर लेट जाता है।

रामु अपने भाई के होते हुए तुझे ये करने के ज़रूरत नहीं मेरी बहन।
नुतन की चूत भट्टी की तरह तप रही थी वो अपने भाई को अपने बाहों में भर लेती है।
भाई मुझे कुछ करो मुझे कुछ करो मेरे भाई मै मर जाऊँगी वरना.....
रामु;क्या करू मेरी बहन मै तुझे......
नुतन ;उन्हह मुझे चोदो भैया मुझे चोदो अपनी बहन को चोदो। मेरी चूत को फाड़ के भाई होने का फ़र्ज़ निभा दो। मेरे भैया आहह उन्हह आह्ह।
रामु;यही तो सुनना चाहता था वो। एक झटके में नूतन की सलवार निकाल के फ़ेंक देता है।
नुतन;अपने दोनों पैर खोल देती है उसकी ऑखें अब भी बंद थी मगर चूत खुलने को तैयार थी । बेचैन होती नूतन के पास देवकी जाके बैठ जाती है और उसके निप्पल को अपने मुँह में ले लेती है।
रामु;अपनी माँ की तरफ देखता है और देवकी उसे ड़ालने का इशारा कर देती है।
रामु;नूतन की मुँह पर अपना मुँह रख के अपने लंड को अपनी बहन की कुँवारी चूत में घूस्सा देता है।

नूतन;भैया मेरी चूत फट गईईईईईईईईई आहह उन्हह।
देवकी;चुप हो जा बेटी दर्द अभी काम हो जायेगा।
नुतन ; नहीं होंगा माँ मेरी चूत उन्हह...
देवा;गरदन मोड़ के उनकी तरफ देखने लगता है।
एक भाई ने अपनी बहन को जवान कर ही दिया था। देवा आगे से नूतन को नहीं कर सका मगर वो जानता था वो नूतन को इससे भी ज़्यादा दर्द देने वाला है । वो कौशल्या के चूत में सटा सट अपना लंड आगे पीछे करने लगता है और कौशल्या अपनी कमर को ऊपर उठा उठा के देवा का साथ देने लगती है।
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तभी रामु को नूतन की सिसकारीयों की आवाज़ सुनाई देती है।
वो पलट के नूतन की तरफ देखता है और हैरान रह जाता है । नूतन अपनी चूत को रगड रही थी।उसकी ऑखें बंद थी।

रामु देवकी की तरफ देखते हुए नूतन के पास चला जाता है और उसके ऊपर लेट जाता है।

रामु अपने भाई के होते हुए तुझे ये करने के ज़रूरत नहीं मेरी बहन।
नुतन की चूत भट्टी की तरह तप रही थी वो अपने भाई को अपने बाहों में भर लेती है।
भाई मुझे कुछ करो मुझे कुछ करो मेरे भाई मै मर जाऊँगी वरना.....
रामु;क्या करू मेरी बहन मै तुझे......
नुतन ;उन्हह मुझे चोदो भैया मुझे चोदो अपनी बहन को चोदो। मेरी चूत को फाड़ के भाई होने का फ़र्ज़ निभा दो। मेरे भैया आहह उन्हह आह्ह।
रामु;यही तो सुनना चाहता था वो। एक झटके में नूतन की सलवार निकाल के फ़ेंक देता है।
नुतन;अपने दोनों पैर खोल देती है उसकी ऑखें अब भी बंद थी मगर चूत खुलने को तैयार थी । बेचैन होती नूतन के पास देवकी जाके बैठ जाती है और उसके निप्पल को अपने मुँह में ले लेती है।
रामु;अपनी माँ की तरफ देखता है और देवकी उसे ड़ालने का इशारा कर देती है।
रामु;नूतन की मुँह पर अपना मुँह रख के अपने लंड को अपनी बहन की कुँवारी चूत में घूस्सा देता है।

नूतन;भैया मेरी चूत फट गईईईईईईईईई आहह उन्हह।
देवकी;चुप हो जा बेटी दर्द अभी काम हो जायेगा।
नुतन ; नहीं होंगा माँ मेरी चूत उन्हह...
 
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1122.jpg
इधर देवा किरण की चूत में अपने लंड को आराम दे रहा था और सामने खड़ी बिंदिया की चूत के साथ साथ गाण्ड भी गरम होती जा रही थी।
किरण तो अपनी चूत को ज़्यादा देर देवा के लंड के आगे सँभाल नहीं पाती और दोनों टाँगें खोल के देवा के लंड पर ही झरने लगती है।
देवा;उसे देखता रह जाता है वो जानता था अब किरण की चूत में वो मजा नहीं आयेंगा।
कसी हुए तनी हुई चूत और पानी छोडी चूत में उसे फ़र्क़ मालूम था।
फचाक की आवाज़ के साथ देवा किरण की चूत से जैसे ही अपना लंड बाहर निकालता है। पीछे से बिंदिया तालियां बजाते हुए कमरे में दाखिल होती है।
बिंदिया;वाह क्या बात है।
एक किसान और एक वैध की बहु क्या गुल खिला रहे हैं वाह।
ये बात तो पूरे गांव को पता चलनी चाहिए।
किरण और देवा दोनों तो पहले बिंदिया की आवाज़ से चौंक जाते है मगर उसके शब्द सुनके उन दोनों के पैरों तले की ज़मीन भी खिसक से जाती है।
किरण;अपने कपडे उठके पहनने लगती है।
बिंदिया ;अरे रहने दो वैध की बहु । अभी गांव वालों को भी देखने दो न की तुम दोनों क्या कर रहे थे।
देवा;क्या मतलब।
बिंदिया: मतलब वतलब छोड लौंडे ये बता की क्या करूँ मै तुम दोनों का बोलो जल्दी।
बिंदिया ;ऐसे देवा और किरण को धमका रही थी जैसे वो किरण की माँ हो।
असल मक़सद उसका इसके पीछे कुछ और था वो देवा को डरा धमका के अपने काबू में करना चाहती थी।
देवा;का लंड अभी भी हवा में झूल रहा था जिस पर से बिंदिया की नज़र नहीं हट पा रही थी।
देवा;जब तूने गांव वालों को सब बताने का सोच ही लिया है तो मै भी कुछ बताना चाहूँगा गांव वालों को और पंचायत में भी।
बिंदिया;क्या बोलेगे तुम।
देवा: मैं तेरे गांव गया था वहां मुझे पता चला की तू धंधा करती है।
रंडी है तू वो भी हिम्मत राव की।

मै भी पंचों से पूछ ही लुँगा की भला एक जागिरदार और रखेल के बीच क्या संबंध है जो तुझे हिम्मत राव ने यहाँ रखा हुआ है और गांव की बहु बेटियों पर तेरे जैसी रखेल के रहने से क्या असर पडेगा।
किरण के चेहरे पर ये सुनके मुस्कान फैल जाती है और बिंदिया के माथे पर पसीने आ जाता है।
बिंदिया कुछ बोल ही नहीं पाती।
देवा;उसके क़रीब आता है और उसकी कलाई मरोड़ते हुए उसे अपने से चिपका लेता है।
बिंदिया ;आहह छोड़ हरामी मुझे आहह दर्द हो रहा है।
देवा;एक बात बता। किरण मुझे बता रही थी की किसी ने रात भर तेरी गाण्ड मार के तुझे पीछे से सुजा दिया है बता ना किस ने । हिम्मत राव ने ना।
बिंदिया ;आहह मै अभी जा के गांव वालों को इकट्टा करते हुए मुझ पर जो इलज़ाम तूने लगाए है ना उनका भी हिसाब किताब मै लुंगी तुझसे।
देवा;बिदिया की गरदन पकड़ लेता है और पूरी ताकत से उसे दबाने लगता है बिंदिया की साँस घुटने लगती है।
किरण;देवा छोड़ दे उसे मर जाएँगी वो छोड दे ना।
देवा;मर जाने से छीनाल को वैसे भी इसके रहने न रहने से हमे क्या।
बिंदिया की ऑंखें बाहर को निकलने लगती है। आज बिंदिया का सामना एक असली मरद से हो रहा था। अब तक अपने चूत के दम पर मरदों से काम करवा के उन पर हुक्म चलाने वाली बिंदिया को एहसास हुआ था की असली मरद होता कैसा है।
देवा;बिंदिया की गरदन छोड देता है और बिंदिया खाँसते हुए पीछे की तरफ गिर जाती है।
बिंदिया: मैं तुझे छोड़ूँगी नहीं उहू उहु ओह्हू।
देवा;अपने लंड को हाथ में लेके उसे सहलाता है।
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जब गांव निकाला होना ही है तो सोचता हूँ कुछ ऐसा करुं की तुझे मरते दम तक मै याद रहुं।और देवा बिंदिया की गरदन को फिर से पकड़ लेता है। जिसकी वजह से उसका मुँह खुल जाता है और उसी का फायदा उठाके देवा अपना लंड बिंदिया के मुँह में डाल देता है।
(m=bKW1KNV)(mh=FG2O-MoSxUXbl-Lr)10832331a.jpg


बिंदिया को ना चाहते हुए भी देवा के लंड को चुसना पडता है।
देवा;अब्ब कैसा लगरहा है बिंदिया जी।
बिंदिया ;गलप्प मै तुझे छोड़ूँगी नहीं गलप्प मार डालूँगी मै तुझे आह्ह्ह्ह्ह्।
देवा; अच्छा मार डालेगी न अभी बताता हूँ फिर मै तुझे।
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देवा किरण की मदद से बिंदिया के कपडे उतारने लगता है बिंदिया लाख कोशिश करती है खुद को देवा और किरण से छुड़ाने की मगर देवा के मज़बूत हाथ बिंदिया को ऐसे दबोच लेते है की बिंदिया कुछ ही पलों में नंगी हो जाती है।
देवा;अपना हाथ बिंदिया की गाण्ड पर रख देता है।
बिंदिया;आहह।
हरामी मत छू मुझे तो उन्ह मै चिल्लाऊंगी आह्ह्ह।
देवा;अगर तुझे चिल्लाना है तो चिल्ला सकती है मगर यहाँ सुनने वाला कोई नहीं है।

देवा;सटा सट सटा सट बिंदिया के नंगे चूतड़ों पर थप्पड़ों की बरसात शुरू कर देता है और बिंदिया बुरी तरह चिल्लाने लगती है गांव के बाहर घर होने से वहां लोग आते जाते नहीं थे।
बिंदिया;हाँफने लगती है।
कमिनी कुतीया साली रंडी मुझसे जबान लड़ाती है।बिंदिया:आहह मार डाला रे माँ मेरी कमर आह्ह्ह।
देवा;बिंदिया को अपने ऊपर झुका लेता है।
बिंदिया ;अपना हाथ अपने चूत पर रख के चूत छूपाने की कोशिश करती है।
मगर देवा इतनी ज़ोर ज़ोर से निप्पल्स को मरोड़ता है की बिंदिया अपना हाथ हटा लेती है और तभी देवा अपना खूँटा बिंदिया की नरम ज़मीन में गाढ देता है।
बिंदिया;उईईई माँ मर गयी रे हरामी।
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किरण ऑखें फाड़े ये तमाशा देख रहे थी।
बिंदिया की चूत में शायद इतना बड़ा लंड आज तक नहीं गया था इसलिए वो पगलों की तरह चीख़ रही थी। मगर देवा उसकी चीख़ और बढाता जा रहा था उसके धक्के सीधा बिंदिया की बच्चेदानी से टकरा रहे थे।
बिंदिया जैसे होश खो देती है उसका जिस्म काँपने लगता है वह बोलती है।
माँ वो धीरे कररररर ना रे मार डालेगा क्या।
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आह नहीं बताऊँगी ना किसी से भी
उईई ऊऊऊई आह्ह्ह्ह्ह्ह।
देवा;को बिंदिया की चूत में वो मजा नहीं आता। खुली खुली रखेल की चूत में पता नहीं कितने ही लंड आये और गए होंगे।
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देवा;बिंदिया को खड़ा कर देता है।
बिंदिया;माफ़ कर दे देवा आह्ह्ह्ह।
नही बोलूँगी ना मैं किसी से....
देवा;मुझे परवाह नहीं तू बोल चाहे मत बोल।
मुझे आज तेरी गाण्ड मारनी है।
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बिंदिया;नहीं नहीं वहां नहीं पहले से मुझे आहह कितना दरद है।मुझे माफ़ कर दे.....
गरम फौलादी लंड अपने गाण्ड की सुराख़ पर महसूस करके बिंदिया की आवाज़ बंद हो जाती है।
बिंदिया ;आहह तेरा बहुत बड़ा है मेरी गाण्ड छोटी है। मर जाऊँगी मै पहले से फटी पड़ी हूँ नही
नही माँ......
देवा;किसकी सुनता था जो वो आज बिंदिया की सुनता।
अपने लंड पर थूक लगा के बिंदिया की सूजी हुई गाण्ड को वो एक ही झटके में फाड़ देता है।
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बिंदिया; मैं मर गई आह गई मर गई।
किरण ले ना इसे तू जानती है ना हां मेरी गाण्ड फट गई है आह्ह्ह्ह।
किरण;देवा निकाल ले बाहर वो नहीं ले पायेगी।
देवा;चुप कर साली वरना इसकी जगह तेरी गाण्ड फटेगी अभी आह्ह्ह्ह।
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बिंदिया चीखती रही मगर देवा नहीं रुका और सटा सट अपने लंड की तेज़ धार से उसने आखिर कर बिंदिया की गाँड को जगह जगह से फाड़ देता है। खून बाहर गिरने लगता है मगर पागल हो चुके देवा पर उसका भी कोई असर नहीं पडता । उसे हिम्मत राव की हर उस चीज़ से नफरत सी हो गई थी जो उससे जुडी हुई थी।
काफी देर उसी तरह खड़े खड़े गाण्ड मारने के बाद देवा जब बिंदिया की गाण्ड में पानी निकाल के अपना लंड बाहर निकालता है। तब बिंदिया थकान की वजह से और गाण्ड के दर्द की वजह से निचे बैठ जाती है।
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बिंदिया;माँ कसम आज तक कोई तेरे जैसा नहीं मिला मुझे। मानती हूँ तेरे मर्दांनगी मैं।
मुझे माफ़ कर दे बस मुझे हवेली पहुंचा दे देवा। मै किसी से कुछ नहीं कहुँगी।
देवा;किरण की तरफ देख के मुस्क़ुरा देता है और किरण को अपनी बाहों में लेके चुमने लगता है।
किरण;ठंडा सा लेप फिर से बिंदिया की गाण्ड पर लगा देती है और थोडी देर बाद देवा और बिंदिया हवेली की तरफ चल पडते है।
रास्ते में देवा बिंदिया से पूछता है।
देवा;क्या हुआ चुप चुप क्यों हो।
बिंदिया ;हरामी गाण्ड सुजा के बात करने को बोल रहा है यहाँ ठीक से बैठा भी नहीं जा रहा और तुम हो की....
देवा;क्या करुं पहले बोल देती की किसी से नहीं कहूँगी तो नहीं करता मै ऐसा।
बिंदिया ;मुझे करवाना था न तुझसे ऐसा।
देवा; मुँह खोले बिंदिया को देखने लगता है।
बिंदिया ;देवा को इस तरह देखते हुए ज़ोर ज़ोर से हंसने लगती है।
तूझे क्या लगा मै सच में गांव वालो को बताने वाली थी।
अरे बुध्धू तेरे जैसे कितने लौंडे मुझे पेलने के लिए मरते हैं गांव में।
मगर मै उसी से करवाती हूँ। जो मुझे अच्छा लगता है।
देवा; ट्रेक्टर रोक देता है।
और बिंदिया का हाथ पकड़ के उसे नीचे उतार देता है।
बिंदिया;क्या हुआ क्यों रुक गया।
देवा;मुझे तुझे चोदना है।
बिंदिया; क्या।
पागल हो गया है क्या तु।
चल बाबा हवेली चल।
मुझे नहीं करवाना तुझसे।
देवा;बिंदिया को अपनी बाहों में जकड लेता है और अपने दोनों हाथों से बिंदिया की कमर को सहलाने लगता है।
वो दोनों जंगल के ऐसी जगह थे जहाँ कोई नहीं था। दूर दूर तक किसी की भी आवाज़ सुनाई नहीं दे रही थी।
बिंदिया ; मार डालेगा ज़ालिम तू मुझे आहह।
चल ले चल मुझे कहाँ लेगा मेरी।

देवा;बिंदिया का हाथ पकड़ के उसे जंगल के अंदर ले जाता है। वो इस इलाके के चप्पे चप्पे से वाकिफ़ था

दोनो जंगल के अंदर तक पहुँच जाते है और एक सुनसान जगह पर पहुंच के देवा बिंदिया को अपने से चिपका लेता है।
दोनो के होंठ एक दूसरे में जकड जाते है।

बिंदिया का हुस्न देवा के सर पर सवार नहीं हुआ था वो बस बिंदिया के ज़रिये हिम्मत के दिल तक पहुंचना चाहता था।
ताकि उसके दिल में छुपा वो राज़ जान सके।
बिंदिया ;देवा के और देवा बिंदिया के कपडे उतारने लगते है और देखते ही देखते दोनों बिलकुल नंगे हो जाते है।
देवा;एक पत्थर के सहारे से बिंदिया को खड़ा कर देता है
और अपना लंड बिंदिया की चूत पर रगडने लगता है
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मगर बिंदिया उसके लंड को हाथ में पकड़ लेती है।
बिंदिया ;आहह वहां नहीं यहाँ।
देवा;दोनों हाथों में बिंदिया के ब्रैस्ट को पकड़ के उन्हें मरोड़ते हुए सट से करके बिंदिया की गाण्ड में अपना मोटा लंड उतार देता है आह्ह्ह।
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बिंदिया; आह्ह्ह्ह्ह् ओह्ह्ह्ह्ह्ह अहह उन्हह

बिंदिया ;माँ क्या औज़ार है रे छोरे तेरा आह्ह्ह्ह्ह।
ऐसा लगता है उहँ चीर के रख देंगा तू उई माँ मुझे।
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देवा; ले न तुझे पीछे से चाहिए न आहह ले साली रंडीईईईईई।
बिदिया; हाँ पीछे से आहह हिम्मत के लंड में वो बात कहाँ जो देवा के लंड में है।
दिवाना बना दिया है तूने मुझे अपने इस औज़ार से आह्ह्ह्ह्ह।
देवा दोनों हाथों में कमर को पकडते हुए दना दन लंड बिंदिया की गाण्ड में पेलने लगता है।
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