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WOW JABARDASTअपडेट 75
देवा अपने लंड को साफ़ करके बिस्तर पर सोने चला जाता है और कोमल अपनी जलती हुए गाण्ड की दर्द से कराहने लगती है।।
कोमल; हाय ज़ालिम ने ऐसा दर्द दिया है की लेटा भी नहीं जा रहा।
पास में चुप चाप बैठी प्रिया के ऑखों में जैसे खून उतर आया था इतना सब कुछ हुआ था उसकी ऑंखों के सामने मगर देवा ने उसे अपने नीचे लेने की कोशिश भी नहीं किया था।
उधर हवेली में शराब का दौर शुरु था।
विक्रान्त हिम्मत राव की कमज़ोरी जानता था।
एक बार हिम्मत को जी भर के शराब पीला दी जाये उसके बाद वो अपने गाण्ड भी सामने वाले को देने को तैयार हो जाता है।
रानी और रुक्मणी अब तक विक्रांत के सामने नहीं आई थी।
बस खिडकी की आड़ से दोनों ने विक्रांत को देखा था और उसे देख कर दोनों बुरी तरह डर भी गई थी।
विक्रान्त; एक डरावना किस्म की शख्सियत का आदमी था । 6 फिट लम्बा।
जिस्म किसी पहलवान की तरह।
चेहरे पर चाक़ू के घाव का एक निशान था जो झडप में किसी के हाथों चाक़ू लगने से बना था।
विक्रान्त;पैक पर पैक हिम्मत राव को पिलाता जा रहा था और हर बढ़ते पैक के साथ हिम्मत राव और मदहोशी
के आलम में जा रहा था। जैसे जैसे उस पर शराब का नशा चढ़ रहा था वैसे वैसे वो बडबडाने लगा था।
विक्रान्त;सेठ एक बात पूंछू।
हिम्मत;हाँ पूछ ना।
बिक्रान्त;देवा को किस चीज़ से मारना है।
चाकू से गला काटना है या गोली मारना है।
हिम्मत; गोली से नहीं गांव में सबको पता है की सिर्फ मेरे पास बन्दूक है।।आने तो दो उसे....
हरामी को आने तो दो । उसका तो मै वो हाल करुँगा की कोई पहचान भी नहीं पाएंगा उसकी लाश को।
विक्रान्त;इतनी नफरत क्यों है देवा से सेठ।
हिम्मत;उस साले की खानदान से नफरत है मुझे।
उसका बाप एक नंबर का हरामी था । अच्छा हुआ मर गया और सबसे ज़्यादा कमिनी है उसकी माँ रत्ना है। साली मक्खन की तरह है हाथ भी नहीं रखने देती। चिकनी एकदम।
बस देवा इधर मरा। उधर रत्ना मेरी हुई। साली को रस्सी से बाँध कर चोदूँगा देखना तुम विक्रांत।
विक्रान्त;और वो शालु की बेटी का क्या।
हिम्मत;क्या तू भी उस साली पर नज़र डाल बैठा है अरे एक से एक लौंडिया हैं गांव में वही क्यूं।
विक्रान्त;अपुन को एक बार जो चीज़ पसंद आ जाती है वो मुझे चाहिए मतलब चाहिए और अगर वो मुझे नही
मिली ना(वो अपनी बन्दूक निकाल के हिम्मत को दिखाता है)समझो वो गया क्या गया समझो वो।
हिम्मत;अरे साले इसे नीचे रख कहीं चल गई तो।
विक्रान्त;एक ज़हरीली हँसी हँसते हुए।
अभी नहीं चलेगी सेठ अभी वक़्त है।
हिम्मत;क्या मतलब।
विक्रान्त;मतलब ये की तुमने तो कहा था की रात में बिंदिया के साथ मुलाकात करवाएगा और अब खुद पी कर सोने की तैयारी कर रहे हो।
हिम्मत;अरे हाँ देख साला मै भी न नशे में कुछ याद ही नहीं रहता चल तू मेरे साथ।
वो विक्रांत के सहारे से लडख़ड़ाता हुआ बिंदिया के पास आ जाता है।
बिंदिया;पलंग पर साडी पहने लेटी हुई थी।
हिम्मत और विक्रांत को एक साथ देख वो समझ जाती है की क़यामत आने वाली है।
वो अपना पल्लू ठीक करते हुए पलंग पर बैठ जाती है।
हिम्मत;ए बिंदिया वहां क्या बैठी है यहाँ आ मेरे पास।
बिंदिया ;विक्रांत को देखते हुए हिम्मत के पास चली आती है।
चलिये आपने बहुत पी ली है।
और तुम बाहर जाओ इन्हें मै सुला दूँगी।
विक्रान्त; बिंदिया की कमर पर हाथ फेरते हुए
बहुत सती सावित्री बन रही है साली रंडी कहीं की।
मुझे भी सुला दे कभी अपने साथ।
बिंदिया ;ज़बान सँभाल के बात कर।
हिम्मत;चुप साली .....सही कह रहा है वो। जा खुश कर दे मेरे दोस्त को।
हिम्मत धक्का देकर बिंदिया को विक्रांत के पास धकेल देता है।
उस वक़्त बिंदिया को अंदाज़ा होता है की हिम्मत उसे क्या समझता है।
वो बेवकूफ हवेली की मालकिन बनने के सपने देख रही थी मगर हक़ीकत में हिम्मत उसे सिर्फ रात गुजारने के लिए यहाँ लाया था।
बिंदिया ;क्या कहा तुमने। तुमने मुझे समझ क्या रखा है।
इस के साथ सो जा उसके साथ वो कर ले। मै भी एक औरत हूँ।
हिम्मत के दिमाग की नस गरम हो जाती है और वो एक ज़ोरदार थप्पड बिंदिया के मुँह पर जड़ देता है।
और बिंदिया चक्कर खाकर बिस्तर पर जा गिरती है।
हिम्मत;साली रंडी है। रंडी बनकर रह मेरे सर पर मत नाच। देख मत विक्रांत चोद डाल साली को बहुत बातें करने लग गई है ये छिनाल आज कल। इसे इसकी असलियत बतानी ही पडेगी।।
विक्रान्त;आगे बढ़ता है और बिंदिया के बाल पकड़ के उसे खीचता है मगर बिंदिया हिम्मत की बातें सुनकर तिलमिला गई थी। वो विक्रांत को धक्का देकर पीछे की तरफ ढ़केलती है।
बिंदिया ;अपने हाथ दूर रख मुझसे कमीने।
विक्रान्त से रहा नहीं जाता।
साली मुझे गाली देती है। मुझे....
वो अपनी पिस्तोल निकाल के बिंदिया के मुँह में डाल देता है।
अपने मुँह में पिस्तोल के घुसते ही बिंदिया के जैसे होश उड़ जाते है।
आंखेँ फटी की फटी रह जाती है उसे विक्रांत के बारे में पता था की वो बहुत ग़ुस्से वाला इंसान है।
बिंदिया थोडी सँभल जाती है।
विक्रान्त;साली 6 की 6 अभी उतार दूंगा अभी के अभी अब चिल्ला। चिल्ला अब.....
विक्रान्त की आवाज़ सुनकर रानी और रुक्मणी भागते हुए बिंदिया के रूम के पास चली आती है।
हीम्मत;अपने कपडे निकाल देता है और बिंदिया के पास चला आता है।
हिम्मत को देख विक्रांत भी अपनी पेंट खोल के नीचे गिरा देता है।
विक्रान्त;बिंदिया के मुँह से पिस्तोल निकाल लेता है।
साली अगर आईन्दा मेरे सामने ऊँची आवाज़ में बात की न तो याद रख काम ख़तम करने में देरी नहीं करुँगा मैं।
हिम्मत;अब देख क्या रही है रंडी। मुँह खोल और चाट हमारा लंड।
दोनो एक दूसरे को देख हंसने लगते है और बिंदिया अपने हाथों में हिम्मत और विक्रांत का लंड पकड़ लेती है।
खिड़की की आड़ में खड़ी रानी और उसके पीछे खड़ी रुक्मणी विक्रांत और हिम्मत को देख सहम गई थी मगर बिंदिया को देख उन्हें तरस नहीं आ रहा था।
रानी;चलो माँ।
रुक्मणी;उसका हाथ पकड़ के अपने से चिपका लेती है और धीमी आवाज़ में कहती है।
रुक थोडी देर।।
बिंदिया एक एक करके हिम्मत और विक्रांत के लंड को चुसने लगती है।
विक्रान्त;काफी दिनों से बिंदिया पर नज़र गडा कर बैठा हुआ था और आज उसकी दिल की मुराद पूरी हो रही थी।
मगर उसकी नज़रों के सामने उस वक़्त बिंदिया नहीं बल्कि उसे तो नीलम नज़र आ रही थी।
नीलम का वही भोला चेहरा जिसे देख विक्रांत अपना दिल हार बैठा था।
विक्रान्त;बिंदिया को नंगी कर देता है और उसे अपने लंड पर झुका देता है । पीछे से हिम्मत अपनी दो उंगलिया बिंदिया की चूत में घूस्सा कर अंदर बाहर करने लगता है।
अब तक ग़ुस्से में बैठी बिंदिया इस हमले से सिहर उठती है और उसके अंदर की औरत जाग जाती है।
बिंदिया ;आहह हरामी आहह मै तुझे छोड़ूँगी नहीं आहह।
विक्रान्त;साली छोड़ूँगा तो मै तुझे नहीं बहुत नाटक करती है ना तू । आज देख कैसे तेरी चूत सुजा न दूँ तो मेरा नाम भी विक्रांत नही।
हिम्मत का लंड भी तन चूका था वो नीचे लेट जाता है और बिंदिया को अपने ऊपर खीच कर अपने लंड पर बैठा देता है।
बिंदिया; आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह।
हिम्मत;अपने लंड को बिंदिया की चूत पर लगा कर अंदर पेल देता है एक चीख़ के साथ बिंदिया हिम्मत से
चिपक जाती है और हिम्मत नीचे से अपने लंड को बिंदिया की चूत में आगे पीछे करने लगता है।।
थोड़ी ही देर गुज़री थी की बिंदिया पर पीछे से दुसरा ज़ोरदार हमला होता है और वो विक्रांत करता है सटा सट सटा सट वो बिंदिया के चूतडो पर थप्पड़ों की बरसात करने लगता है नीचे से हिम्मत के धक्के और ऊपर से विक्रांत का मरदाना हाथ चूतड़ पर पडने से बिंदिया रोने लगती है मगर उस वक़्त दोनों को उस
बेचारी पर कोई तरस नहीं आता वो बेरहम इंसान उसकी चूतड़ को लाल कर देता है।।
और अपने लंड पर थूक लगा कर उसे बिंदिया के गाण्ड की सुराख़ पर रगडते हुए अंदर की तरफ ड़ालने लगता है।
बिंदिया;नही आहह मेरी आहह मै मर जाऊँगी आहह।
विक्रान्त;मर जा साली रंडी।तेरे रेहने न रहने से मुझे कोई फर्क नहीं पडता आहह।
विक्रान्त;का विराट लंड बिंदिया की गाण्ड के सुराख़ को चीरता हुआ अंदर और अंदर चला जाता है।
अपने दोनों सुराखों में लंड महसूस करके बिंदिया के ऑंसू भी रुक जाते हैं और वो सिसक सिसक के
रोने लगती है । हर धक्का जानलेवा था बिंदिया को साँस लेने भर की मोहलत नहीं मिलती। जहाँ हिम्मत
नशे में बिंदिया को किसी कुतिया की तरह चोद रहा था वहीँ विक्रांत अपने थप्पड का जवाब
दे रहा था जो कई साल पहले बिंदिया ने विक्रांत को मारी थी।विक्रांत और हिम्मत बिंदिया को किसी गली की कुतिया समझकर चोद रहे थे।
उसकी गांड और चूत एक ही समय में दर्द कर रही थी।विक्रांत गांड मारने के साथ साथ बिंदिया की चूचियों पर भी थप्पड़ मार रहा था।थप्पड़ से बिंदिया की गांड तो पहले ही लाल कर दिया था।बिंदिया को आज अपनी औकात पता चल गई थी।
दोनो अपना अपना ग़ुस्सा बिंदिया पर निकालने रहते है और बाहर खड़ी रानी और रुक्मणी की जवान
चुत में आग भड़क उठती है । ये देख कर की एक औरत दो मरदों के बीच में कैसे दबी हुए चुद रही है।
रुक्मणी;रानी का हाथ पकड़ के उसे अपने रूम में ले जाती है और देखते ही देखते दोनों माँ बेटी पल भर में नंगी हो जाती है।
रानी;माँ बापु उस बेचारी के साथ ऐसा कैसे कर सकते है
रुक्मणी;रानी के होठो को चुमते हुए उसके निप्पल्स को मरोडते हुए।
बिटिया मरद होते ही ऐसे हैं बेरहम । काश कोई मुझ पर भी ऐसे तरस न खाये आह्ह्ह्ह
रानी;अपने दो उंगलिया रुक्मणी की चूत में डाल देती है और दोनों एक दूसरे को चुमते हुए बिस्तर पर गिर जाती है।
रात के 2 बजे तक हिम्मत और विक्रांत बिंदिया को अलग अलग तरह से चोदते हुए हलकान कर देते है।।
तब जाकर उन तीनो की आँख लगती है ।
उधर गांव में प्रिया के चूत जग जाती है।
जब से देवा ने उसकी ऑंखों के सामने उसकी माँ को चोदा था तबसे उसकी ऑंखों से जैसे नींद गायब
हो गई थी । वो काफी देर से करवट बदल रही थी मगर नींद उसकी ऑंखों से नदारद थी।।
आखीरकार वो कुछ सोचते हुए देवा के पास चली जाती है।
देवा;गहरी नींद में सोया था।
प्रिया ;उसके पास जाकर बैठ जाती है और उसके लंड पर से कंबल हटा देती है।।
देवा;नंगा ही सोया हुआ था।
प्रिया;कुछ देर तक देवा के लंड को देखती रहती है और फिर मुस्कुराते हुए उसे अपने हाथ में
पकड़ लेती है। पहली बार किसी मरद के डण्डे को उसने अपने हाथों में लेकर हिलाई थी । उसका तन बदन
काँपने लगता है। एक जवान मरद उसके सामने नंगा सोया हुआ था। वही आदमी जो थोडी देर पहले उसकी माँ को उसकी ऑंखों के सामने चोद चूका था।।
प्रिया;जवान थी कुँवारी थी वो अपने आप को रोक नहीं पाती और झुक कर देवा के लंड को अपने मुँह में ले लेती है गलप्प गलप्प।
अपने लंड पर दबाव महसूस करके देवा जग जाता है
देवा;प्रिया तुम यहाँ।
प्रिया;हाँ देवा मै पागल हो जाऊँगी। मुझे नींद भी नहीं आ रही मुझे कुछ कर देवा मुझे कुछ कर।
देवा की नज़र दरवाज़े की तरफ जाती है और उसे महसूस होता है की कोमल दरवाज़े की आड़ में छुपी हुई सब सुन रही है।।
देवा;नहीं नहीं मै तुझे कुछ नहीं करुँगा तुझे कुछ हो गया तो।
प्रिया;कुछ नहीं होंगा। मुझे कुछ करो ना ....
देवा;मैंने कहा न मै कुछ भी नहीं करने वाला तुझे।
मेरी बहन इस घर में आने वाली है । तू जा यहाँ से वरना मुझे तेरी माँ को आवाज़ देना पडेगा।
प्रिया;हरामी कहीं के अगर तूने मुझे अभी के अभी कुछ नहीं किया न तो मै गांव वालों को बता दूँगी और तेरी बहन कभी इस घर में नहीं आ पाएगी।।
देवा के दिमाग की बती जल जाती है अगर ममता की शादी इस घर में करनी है तो प्रिया का मुँह बंद होना
बाहुत जरुरी था और उसका मुँह एक ही शर्त पर बंद किया जा सकता था उसके मुँह में लंड डाल कर।
उस वक़्त देवा के लंड से अच्छी चीज़ वहां कोई नहीं थी।
देवा;प्रिया की गर्दन पकड़ के उसे अपने लंड पर झुका देता है और उसकी कमर अपने मुँह की तरफ कर देता है । इस तरह दोनों एक दूसरे के लंड और चूत की तरफ घूम जाते है।
प्रिया;अपने मुँह में देवा का लंड लेकर चुसने लगती है और देवा प्रिया की चिकनी चूत को चाटने लगता है गलप्प गलप्प।
देवा;जानता था की अगर उसने प्रिया को चोद दिया तो गलत हो जाएगा। वो अभी कुँवारी थी और अगर वो पेट से हो गई तो उससे उसे शादी भी करनी पड़ सकती है।
देवा;के दिमाग में एक बात बसी हुई थी की चोदो उसी को जो चुदने के बाद अपने गले में टाँगे न डाल दे।
मतलब जिससे शादी न करनी पड़े। पदमा शालु और रश्मि को देवा ने इसलिए चोदा था की वो किसी और की अमानत थी और उन्हें चोदने से उसे उनसे शादी नहीं करने पडती।
देवा;सिर्फ नीलम को अपनी दुल्हन बनाना चाहता था और किसी को नही।
देवा;अपने दाँतो से प्रिया की चूत को कुरेदने लगता है।जवानी की आग में जलती प्रिया चीखने लगती है और कुछ ही पालों में देवा के मुँह पर उसकी चूत से गाढा गाढा पानी निकलने लगता है।
देवा;उसे अपने मुँह पर से हटा देता है और प्रिया अपनी चूत के दाने को सहलाती हुई झड़ने लगती है माँ
मा आह्ह्ह्ह्ह्ह।
कमला अपने बिस्तर पर से प्रिया को आवाज़ देती है।
प्रिया अरे ओ प्रिया कहाँ गई।
प्रिया;देवा की तरफ देखती है।
देवा;जा तेरी माँ तुझे बुला रही है और प्रिया अपनी माँ कोमल के पास चलि जाती है।
सुबह देवा नहा कर कोमल से मिलने आता है।
उसके साथ देवकी भी थी।
कोमल;दोनों को ऑंगन में बैठा कर चाय देती है।
देवा;काकी मै आज गांव जा रहा हूँ।
हमारे तरफ से ये रिश्ता पक्का समझो और मै चाहता हूँ की नूतन के साथ ही ममता की भी शादी हो जाए
क्यूं मामी।
देवकी;हाँ कोमल। एक बेटी गांव से जाएगी तो दूसरी गांव में आ जाएगी। तुम क्या कहती हो।।
कोमल;अरे भाई मुझे क्या ऐतराज़ हो सकता है भला।
देवा;तो ठीक है आप मामी के साथ अगले हफ्ते गांव आ जाइये वहीँ शादी की तारिख भी पक्की कर लेंगे।
बहन की शादी है बहुत सी तैयारियॉ करनी है।
कोमल;दिल तो तुझे भेजने को नहीं कर रहा मगर जानती हूँ तुझ पर सारी ज़िम्मेदारियाँ है।
देवकी;हाँ देख न जबसे आया था मेरे पास रुका ही नहीं कोई बात नहीं बेटा बहन तेरी यहीं आने वाली है फिर तो रोज़ आना पडेगा तुझे।
देवा;मुस्कुरा देता है।
कुछ देर उनसे बातें करने के बाद देवा कौशल्या से भी मिलकर उसे घर आने का कहकर अपने गांव के तरफ चल देता है।
WOW VERY EROTIC UPDATEअपडेट 76
देवा देवकी और कौशल्या से विदाई लेकर अपने गांव अपने माँ रत्ना और बहन ममता के पास आ रहा था।
की तभी उससे ख्याल आता है की सुनार के पास उसने कुछ सामान बनाने के लिए दिया था वो ट्रेक्टर को सुनार की दुकान की तरफ घुमा देता है।
सूनार देवा को देखते ही उसकी चीज़ें उसे थमा देता है और अपनी चीज़ों को वैसे ही पाकर जैसा उसने सोचा था देवा दिल ही दिल में बहुत खुश होता है। वो पैसे देकर तेजी से अपने घर पहुंचना चाहता था।
मगर सफ़र अभी बाकी था।
देवा;शालू के घर के सामने से अपने घर की तरफ जा ही रहा था की उसे एक अजनबी आदमी शालु के घर से कुछ दूर अपनी मोटर साईकल पर सिगरेट पीता हुआ दिखाई देता है।
देवा ने इससे पहले उस आदमी को गांव में कभी नहीं देखा था। वो जब उस अजनबी आदमी की आंखो
का पीछा करता है तो पाता है की वो शालु के घर में देख रहा है और शालु के घर में नीलम और शालु कपडे धो रही है।
शालु और नीलम दोनों का ध्यान उस आदमी की तरफ नहीं था वो और कोई नहीं विक्रांत था।
अपने जान से भी ज़्यादा हरदिल अज़ीज़ नीलम को वो आदमी हवस की निगाहों से देख रहा था। ये देख
देवा का खून गरम हो जाता है और वो विक्रांत के पास ट्रेक्टर रोक के नीचे उतर के विक्रांत के सामने खड़ा हो जाता है।
विक्रान्त;देवा को ऐसे देखता है जैसे बस उसे इसी का इंतज़ार था। अगर वहां गांव के कुछ लोग नहीं होते तो शायद विक्रांत वहीँ अपने बन्दूक की 6 की 6 गोलियां देवा की छाती में उतार देता।
देवा;कौन हो तुम वो गरज कर बोला था।
विक्रान्त भी छाती चौडी करके उसकी ऑखों में देखते हुए कहता है।
विक्रान्त सिंह नाम है मेरा।
देवा;तुझे पहले गांव में कभी नहीं देखा।
विक्रांत ;क्यूँ तू यहाँ का हवालदार है जो हर एक की खबर रखता फिरता है । जा जा अपना काम कर।
देवा;विक्रांत का कन्धा पकड़ के दहाडता हुआ उससे कहता है।
तू जो कोई भी है और जहाँ से भी आया है एक बात अच्छी तरह से सुनले अगर दूबारा इस घर के आस पास भी फटका न ज़मीन में गाड दूंगा। समझा चल रास्ता नाप।
विक्रान्त;तेरे माँ का बैदा मारू मुझे धमकी देता है साले।
वो देवा पर झपटता ही है की उन दोनों की आवाज़ सुनकर गांव के दूसरे लोग भी वहां आ जाते है और शालु भी घर के बाहर आ जाती है।
शालु; देवा अरे देवा क्या हुआ
देवा;विक्रांत को धक्का देकर पीछे ढकेल देता है।
कुछ नहीं काकी ये साला मुझे ठीक नहीं लग रहा था इसलिए हालचाल पूछ रहा था इसके।
शालु;अरे रश्मि नीलम देख देवा अपने मामी के घर से आ गया है।
घर तो आ वहां क्या कर रहा है।
देवा;बाद में आता हूँ काकी।
पहले घर हो आता हूँ।
देवा;विक्रांत को घूरता हुआ अपने घर चला जाता है और विक्रांत भी हवेली के तरफ निकल पडता है।
देवा को देखते ही ममता भागते हुए आँगन में से दरवाज़े के पास आ जाती है और उछल कर देवा से लिपट जाती है।
ममता ;भैया मेरे भैया कब से घर आ रहे थे।
माँ देखो भैया आ गए है।
ममता की आवाज़ सुनकर रत्ना भी बाहर निकल आती है और जैसे ही देवा की नज़रें रत्ना से मिलती है दोनों की ऑंखों में एक चमक सी आ जाती हैं।
देवा के वो शब्द की जब मै वापस आऊँगा तुझे अपनी माँ नहीं पत्नी बनाउंगा।
रत्ना के कानो में गूँजने लगते है।
देवा आगे बढाता है और रत्ना को अपने गले से लगा लेता है।
माँ मुझे तेरी बहुत याद आ रही थी।
रत्ना;मुझे भी बेटा बहुत देर कर दिया तुने
आह।
देवा;अपने मज़बूत हाथों से रत्ना की कमर को मसल देता है और धीरे से उसके कानो में कहता है।
माँ मैं मंगलसुत्र लाया हूँ तेरे और ममता के लिये।
ये सुनकर रत्ना का जिस्म थरथरा जाता है । होंठ सूखने लगते है और वो देवा से अलग हो जाती है।
अब ये प्रेम एक तरफ़ा नहीं रहा था कुछ दिन पहले तक सिर्फ देवा अपनी माँ से प्यार करता था।
मगर अब रत्ना के दिल के बंजर ज़मीन पर भी हलकी हलकी बुन्दा बाँदी होने लगी थी । उसे भी
देवा के गैर मौजूदगी में एहसास हुआ था की देवा ही इस घर का असली करता धरता है।
और वही है जो तन से मन से और धन से ममता और उसकी सारी इच्छाये पूरी कर सकता है।
रत्ना;देवा को घर के अंदर ले आती है और तीनो बैठ कर बातें करने लगते है।
रत्ना और ममता यहाँ की बातें देवा को बताने लगती है और देवा वहां की बातें सुनाता है।
देवा से जब रत्ना को पता चलता है की उसे भी ये रिश्ता बहुत पसंद है और वो लोग अगले हफ्ते शादी की तारीख पक्की करने आने वाले हैं तो रत्ना का दिल ख़ुशी से झूम उठता है।
मगर ममता का दिल जैसे धडकना भूल जाता है उसे सबसे ज़्यादा गम अपने देवा से बिछड़ने का था।
वो तीनो बातें कर ही रहे थे की वहां रश्मि और नीलम भी आ जाती हैं।
देवा;अरे रश्मि तू कब आई।
वो पूछ रश्मि से रहा था मगर नज़रें नीलम पर जमी हुई थी।
नीलम शर्मा कर ममता के पास बैठ जाती है।
रश्मी;मुझे तो आये पाँच दिन हो गये मगर तुम कहा थे।
देवा;बस अपनी बहना के लिए उसका ससुराल देखने गया था।
ममता वहां से उठकर अंदर अपने रूम में चली जाती है।
रत्ना: मैं कुछ खाने के लिए लाती हूँ।
नीलम;काकी आप बैठो मै ले आती हूँ।
रत्ना;अरे हाँ अच्छा हुआ नीलम तू आ गई। मै तुझे संदेशा भेज के बुलवाने ही वाली थी।
नीलम;क्यूँ काकी।
रत्ना;अरे बेटा घर में अब मेहमानो का आना जाना शुरू रहेगा मै सोच रही थी की पीछे के जो दो नए कमरे हैं उनकी साफ़ सफाई कर लूं । आगे चल कर देवा की शादी के बाद काम आएंगे ।
देवा;माँ मेरी शादी कब करने वाली हो।
रत्ना;बस शादी का नाम सुनकर ये ऐसे उछलता है जैसे बारिश में कछवे और मेंढ़क उछलते है।
पहले बहन को बिदा तो कर दे उसके बाद ले अइयो जोरु भी।
नीलम बुरी तरह शरमा जाती है और उसका शरमाना किसी से छुपता नही।
देवा;नीलम एक अच्छी से चाय बना कर लाओ। दर्द से सर फटा जा रहा है मेरा।
नीलम चाय बनाने चली जाती है और रत्ना कुछ घर के काम निपटाने अंदर चली जाती है।
देवा;क्यों री साली क्या हाल है तेरा।
रश्मी; सुख कर काँटा हुए पड़ी हूँ न भूख लग रही है न पानी पीने को मन कर रहा है।
देवा;लगता है तेरा पति ठीक से ठोकता नहीं तुझे।
रश्मी;नहीं न। इसलिए तो यहाँ आई हूँ ज़रा मेरे ज़ालिम से जी भर कर ठुक जाऊँ मगर तू है की मामी के वहां जा मरा था।
देवा;इधर उधर देख रश्मि की ब्रैस्ट को मरोड़ देता है।
तू चिंता मत कर साली आज रात तेरे घर पर जी भर कर करेंगे तेरी माँ के सामने।
रश्मी;और नीलम कहाँ जाएगी।
देवा;वो तू मुझ पर छोड दे।
दोनो मुस्कुराने लगते है और देवा रत्ना से बात करने अंदर चला जाता है
देवा;रत्ना के पास आकर दो डिबियाँ उसके हाथ में रख देता है।
रत्ना;क्या है ये।
देवा;खुद देख लो।
रत्ना;जब एक एक करके वो डिबियाँ खोलकर देखती है तो हैरान रह जाती है देवा सच में दो मंगलसुत्र लेकर आया था।।
रत्ना; ये सब क्या है देवा।
देवा;अपनी माँ रत्ना को अपनी छाती से लगा लेता है।
माँ ये मेरा प्यार है मै तुझे अपनी पत्नी बनाना चाहता हूँ माँ।
तूझे सब कुछ देना चाहता हूँ।
मै तुझे देवा की रत्ना बनाना चाहता हूँ माँ।
रत्ना;काँपने लगती है।
देवा पागल मत बन ये पाप होगा मै तेरी माँ हूँ।
मैने तुझे जनम दिया है बेटा।
देवा;मुझे कुछ नहीं सुनना।
मै चाहता हूँ तुम लाल शादी वाली साडी पहनकर मेरे रूम में आओ।
और मै तुझे अपने हाथों से ये पहना कर अग्नि को साक्षी मान कर तुझे हमेशा हमेशा के लिए अपना बनाना चाहता हूँ।
अब मुझसे एक पल भी रहा नहीं जा रहा।
रत्ना;दोनों डिबियाँ अपने पास रख लेती है।
और एक हल्की सी चपत देवा के गाल पर मारती है।
नही ऐसा मै कभी नहीं होने दूँगी।
तु मेरा देवा है मेरा बेटा है।
बेटा ही बनकर रहेगा।
तेरे लिए मै अच्छी सी लड़की लाऊँगी जो तुझे ठीक कर देगी । बड़ा आया मुझसे शादी करने वाला।
चल जा यहाँ से उसकी आवाज़ में न वो ग़ुस्सा था और न वो नफरत थी जो एक माँ की आवाज़ में आ जाता है जब कोई बेटा ऐसी नाजायज़ मांग करता है।
देवा;मुस्कुरा देता है अब मुझे यक़ीन हो चला है की मेरी माँ जल्द ही मेरे बाहों में होंगी।
तुझसे एक बात कहना था।
नीलम को यही रोक लो आज की रात वैसे भी ममता शादी की बात को लेकर थोड़ी परेशान लग रही है मुझे। उसका दिल भी बहल जायेगा।
रत्ना;हाँ नीलम को तो मै रोकने ही वाली थी।
नीलम; चाय बना कर वहां ले आती है और देवा की तरफ बढाती है।
देवा;हाथ में चाय लेने के बहाने नीलम को छु लेता है।।
एक तरफ हवस का मारा देवा औरत को अपने नीचे पटक पटक के चोदने के लिए तैयार रहता था।
मगर नीलम का सामना होते ही उसका हाल बेहाल हो जाता था न कुछ वो ठीक से बोल पाता था और न उसे होश रहता था की वो कर क्या रहा है।
देवा रात का खाना खाने के बाद टहलने का कहकर शालु के घर की तरफ चला जाता है।
शालू के घर में पहुंचकर देवा सीधा शालु के रूम में घुस जाता है।
शालु और रश्मि अभी अभी खाना खाकर उठे थे और पप्पू लेटा हुआ था।
पप्पू;अरे देवा कब आया बैठ।
देवा;रश्मि और शालु को देख बिस्तर पर बैठ जाता है।
रश्मी जाकर दरवाज़ा बंद कर देती है।
वो शालु से पहले ही बता चुकी थी की देवा रात में आयेगा । ये सोच सोच कर दोनों माँ बेटी की चूत में इतना सारा पानी जमा हो गया था की बाढ़ आ जाए।
अपनी माँ के सामने अपने प्रेमी से चुदना और अपने बेटा बेटी के सामने अपने होने वाले दामाद से गाण्ड में लेना ये सुख हर किसी को प्राप्त नहीं होता।
इधर उधर की बातें करने के बाद देवा रश्मि का हाथ पकड़ के अपनी तरफ खीचता है।
रश्मी;आहह क्या कर रहे हो छोड़ो भी।
देवा;ले अब शरमा रही है चल इतने दिन बाद मिले है ज़रा एक मीठी मीठी पप्पी दे दे।
रश्मी;अपने माँ और भाई से शरमाने लगती है अगर वो अकेली होती तो खुद देवा पर झपट पडती।
देवा;देख मेरी सास बिलकुल नहीं शरमाती।
शालु यहाँ आओ मेरे गोद में।
शालु;कमर हिलाते हुए देवा के सामने आकर खड़ी हो जाती है।
और देवा शालु को खीच कर अपने गोद में बैठा लेता है।
शालु;अहह धीमी आवाज़ में कहती है।
बेशरम।
देवा;अपना हाथ को शालु की कमर पर फेरता हुआ शालु के होठो को चुमने लगता है।शालू सुबह से इतनी गरम थी की वो भी अपने ज़ुबान देवा के मुँह में घुसेड कर उसको चुमने लगती है गलप्प गलप्प गलप्पप्प गलप्पप्प।
देवा;बहुत याद आ रही थी शालु तेरी मुझे । सच कहूं तो तेरे और रश्मि जैसी औरत मुझे नहीं मिली आज तक।
शालु;आहह जमाये राजा मुझे भी बहुत याद आ रही थीदेखो न मेरी चूत कैसे पानी बहा रही है आपको देख कर।![]()
देवा;मुझे देख कर नहीं मेरी जान मेरे लंड को सूँघ ली है तेरे चूत ने गलप्प गलप्प।
रश्मी;भी दोनों के क़रीब चलि आती है और देवा का मुँह शालु के मुँह से हटा कर अपने होठो से लगा लेती है।
पिछले कई दिन से पप्पू दोनों औरतों के जिस्म को शांत करने की नाकाम कोशिश कर रहा था मगर जिस आदमी से एक औरत खुश नहीं रह सकती। वो दो को क्या सँभालेंगा।
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देवा;आज इन दोनों को निचोड कर चोदना चाहता था।
वो खड़ा हो जाता है और अपना कमीज और पेंट निकाल के लंड को शालु और रश्मि के सामने हिलाने लगता है।
रश्मी;शालू की तरफ देखती है और फिर दोनों जैसे भूखे शेरनी के तरह देवा के लंड पर टूट पडती है।नीचे से लेकर ऊपर तक लंड के सुपाडे से लेकर देवा के गाण्ड की सुराख़ तक रश्मि और शालु चाटने और चुमने लगती है गलप्प गलप्प गलप्प.....![]()
जब दो दो गरम औरतें किसी के लंड को एक साथ चाटे तो उसका अहसास बहुत कम लोगों को मिलता है।देवा अपनी दोनों रंडियों को एक दूसरे के होंठो से मिला देता है और बीच में अपना लंड पेलने लगता है।दोनों रंडियों के गरम मुँह और गरम जीभ के स्पर्श से देवा का लौड़ा उछलने लगता है।![]()
देवा;इशारे से पप्पू को नंगा होने के लिए कहता है।
पप्पू भी अपने कपडे उतार के देवा के लंड के पास चला आता है।
देवा;पप्पू का हाथ पकड़ के उसे बिस्तर पर लिटा देता है और दोनों औरतें अपने अपने कपडे उतारने लगती है।
वो ये देख हैरान हो जाती है की देवा का ध्यान आज पप्पू पर ज़्यादा है।
पप्पू;बिस्तर पर लेट जाता है और देवा अपने लंड को उसके मुँह में घूस्सा देता है।
पप्पू को यही तो चाहिये था। अपनी माँ बहन के सामने उसे देवा का लंड चुसते ज़रा भी शर्म नहीं आती।![]()
रश्मी;पप्पू के लंड पर झुकती है और शालु देवा के पीछे से आकर उसके लंड को सहलाते हुए पप्पू के मुँह में ड़ालने लगती है।शालु;आज इस गांडु पर दिल आ गया है क्या देवा।![]()
देवा;नहीं सासु माँ दिल तो तेरे बेटी और तुझ पर आया हुआ है। बस इस गांडु के लंड की धार थोडी तेज़ कर रहा हूँ। जब तक ये पीछे से नहीं लेता इसका नहीं उठता।
शालु;उसे छोड़ो और अपनी सास का ख्याल करो देवा।
देवा;हाँ मेरी शालु तुझे चोदने तो आया हूँ यहाँ।
शालु; चोदो न फिर......
देवा का लंड चुसने से पप्पू का लंड भी खड़ा हो गया थाजैसे ही देवा शालु को अपने लंड के नीचे लेता है पप्पू भी रश्मि के दोनो पैरों को खोल कर अपना लंड उसकी चूत में पेल देता है।![]()
शालु;का दिल खुल कर चुदना चाहता था वो देवा के लंड पर सवार हो जाती है और अपने बेटी के ब्रैस्ट को मसलते हुए अपने कमर को देवा के लंड पर पटकने लगती है।आह मेरे देवा ये लंड नहीं जान है मेरी आह्ह्ह्ह।![]()
उईई माँ चीर के रख देता है रे अंदर तक उई मा।
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रश्मी भी पप्पू के धक्कों से हलकी हलकी चीखने लगती है असली मजा शालु को आ रहा था।
मगर इस बार पप्पू भी हार मानने वालों में से नहीं था। देवा की चुदाई देख वो भी रश्मी की दोनों पैरों को खोल कर सटा सट अपने लंड को आगे पीछे करने लगता है।रश्मी;आहह चोद मेरे गांडु भाई अपनी छिनाल बहन को वरना अपने यार से चुदवाऊँगी मै ।आहह मार साले ज़ोर से अंदर तक![]()
आह्हह्हह्हह्हह।
पप्पु; छिनाल साली रंडी तू भी अपने माँ की तरह है पक्की रंडी है।
रश्मी; हाँ गांडु रंडी हूँ मैं देवा की....
चोदता जा मुझे.....एक लौंडा देवा जैसा पैदा कर लेती माँ आह्ह्ह्ह
शालु; तू पैदा कर ले देवा के लंड से रश्मि आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह।
अपने नानी को चुदने के लिए आह्ह्ह।देवा;शालू को खड़ा कर देता है और पप्पू रश्मि को। दोनों भी शालु और रश्मि को एक दूसरे से चिपका लेते है![]()
शालु के बड़ी बड़ी ब्रैस्ट रश्मि के नरम ब्रैस्ट से घीसने लगती है चूत से चूत और पेट से पेट।
पप्पू;अपनी जगह बदल कर शालु की कमर के पीछे आ जाता है और देवा रश्मि की गाण्ड पर अपना लंड घीसने लगता है।देवा;फिकर क्यों करती है रश्मि। तेरा देवा तुम तीनो के सुराख़ को भर देंगा आज। बस देखती जा तु।![]()
पप्पू;अपना लंड शालु की चूत में ड़ालता है और देवा रश्मि की छोटी हो चुकी चूत को फिर से चीर देता है।
रश्मी: चीखने लगती है।माँ मर गई मैं.........![]()
शालु;अपनी बेटी को अपनी बाहों में जकड लेती है और अपने होठो को रश्मि के होठो से लगा कर उसकी आवाज़ को दबा देती है।![]()
दोनो दोस्त सटा सट गपा गप अपने लंड को माँ बेटी की चूत में पेलने लगते है।पहली बार था की शालु रश्मि से ऐसे चिपके हुई थी शर्मा हया तो जैसे इनमें
बची ही नहीं थी। किसी रंडी के तरह ये दोनों हो चुकी थी जिन्हें बस देवा का लंड रास आता था।
और देवा इस सब से बहुत खुश भी था।![]()
शालु;देवा आहह रोज़ चोदने आयेगा न मुझे आह्हह्हह्हह्हह।
अब एक दिन भी नहीं रहा जाता रे ज़ालिम
लंड के बिना।देवा; हाँ शालु रोज़ चोदूँगा तुझे। हर रोज़ ऐसे ही आह्ह्ह्ह।![]()
रश्मी की चूत देवा के लंड के आगे हार मान लेती है और वो झरने लगती है । शायद रश्मि ये सोच सोच कर ही झड गई थी की वो ये सब अपने माँ और भाई के सामने कर रही है।देवा अपना लंड रश्मि की चूत से निकाल लेता है और पप्पू को नीचे लेटने के लिए कहता है।![]()
पप्पू नीचे लेट जाता है और उसके लंड पर शालु सवार हो जाती है और शालु के कमर पर देवा चढ़ जाता है और अपना मोटा लंड शालू की गांड में पेल देता है।दोनो एक साथ शालु की चूत और गाण्ड में लंड घूस्सा देते है।![]()
और शालु अपना होश खो बैठती है।
शालु; आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् माँ आह्ह्ह्ह
मार डाला रे दोनों ने उह्ह्ह्ह।देवा;चुप कर साली तुझे बहुत शौक है ना अपने दोनों सुराखों में लेने कर अब चीख क्यों रही है।![]()
शालु;आहह इतने ज़ोर से डालेंगा तो दर्द होंगा न हरामीआह्ह्ह्ह।![]()
देवा बेरहम था उसे चीखने वाले पर और गुस्सा आता था और वो जम कर उसे चोदता चला जाता था। शालु के साथ भी वो यही करता है।पप्पू तो अपना पानी थोडी देर बाद शालु की चूत में निकाल कर निढाल हो जाता है मगर देवा शालु की सारी मनोकामना पूरी करता रहता है।
वो रश्मि और शालु दोनों को दिवार से खड़ा करके दोनों की कमर को पीछे की तरफ झुका कर बारी बारी एक के चूत में तो दूसरे के गाण्ड में ठोंकता जाता है।![]()
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शालू: आह्ह देवा तेरा लंड किसी घोड़े की तरह है मेरी गांड को पूरा फाड़ दिया है।![]()
अब देवा ने शालू को ऊपर मुँह करके सीधा लेटाया और उसके ऊपर रश्मि को उल्टा लिटा दिया।अब दोनों माँ बेटी की चूचियाँ एक दूसरे से दब गई।और दोनों एक दूसरे को चूसने लगी।![]()
ऊपर से देवा ने रश्मि की गांड पर थूक दिया और एक ही झटके में अपने पूरे लंड को उसकी गाण्ड में उतार दिया।रश्मि की गांड फटती चली गई और लंड पूरा घुसता चला गया।अब देवा रश्मि की टाइट गांड में अपना मूसल लंड पेलने लगा।फिर उसने अपने लंड को रश्मि की गाँड से निकालकर शालू की गीली चूत में पेल दिया। शालू की चूत पूरा पानी छोड़ रही थी।जिसमे लंड फच फच कर रहा था।![]()
कुछ देर शालू की चूत में पेलने के बाद फिर देवा ने अपने लण्ड को शालू की चूत से निकालकर रश्मि की मस्तानी गांड में पेल दिया।अब तो लण्ड रश्मि की गांड में पूरा जड़ तक घुसा के पेल रहा था।एक मिनट रश्मि की गांड में पेलता फिर एक मिनट शालू की चूत में पेलने लगता।![]()
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लेकिन इस बार देवा ने लंड रश्मि की चूत में पेल दिया।रश्मि अपनी गांड हिलाने लगी।देवा कुछ देर और पेलने के बाद ने लंड को फिर से रश्मि की कसी हुई टाइट गांड में ही पेल दिया। रश्मि दर्द से सिसियाने लगी।जब थोड़ी देर हुई तो शालू बोली।![]()
शालू: देवा क्या कर रहे हो।कितनी देर से सिर्फ मेरी बेटी को ही चोद रहे हो।इधर मेरी चूत में खुजली हो रही है।जल्दी पेल ने देवा।फाड़ डाल मेरी चूत को।![]()
देवा: आह्ह्ह साली रंडी। तेरी बेटी की गांड में मेरा लंड फँस गया था।इसलिए देर हो गई।आज इसकी गांड और बुर पूरा खोल दूँगा तेरी तरह।मैं चाहता हूँ की रश्मि जब यहाँ से जाए तो इसके पेट में मेरा बच्चा हो।क्यों मेरी रंडी बनेगी मेरे बच्चे की माँ....रश्मि: हाँ देवा .... मुझे माँ बना दे। गाभिन कर दे अपनी रश्मि को।![]()
देवा जोश में आ जाता है और दोनों माँ बेटी को एक दूसरे के ऊपर कुतिया बना देता है पहले शालू को कुतिया बना देता है फिर उसके ऊपर रश्मि को।अब देवा के पास चार छेद है दो गांड दो चूत।वह शालू की मोटी गांड में अपना लंड एक ही झटके में पेल देता है।शालू दर्द से कांप जाती है।![]()
देवा जोर जोर से माँ बेटी की चूत और गांड चोदने लगता है।दोनों रंडियो को देवा चूत और गांड तो मारता ही है साथ में अपने थप्पड़ों से दोनों की चूतड़ो को लाल कर देता है।
फिर अपना वीर्य रश्मि की चूत में गिराता है ताकि वो जल्दी माँ बने।शालू देवा के लंड को चाटकर पूरा साफ़ कर देती है।![]()
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2 घंटे के चुदाई के बाद वो शालु और रश्मि को दमा दम करने के बाद अपने घर के लिए बाहर निकलता है।
इस बात से अन्जान के कोई उसका इंतज़ार कर रहा है।
जैसे ही देवा अँधेरे रास्ते पर आता है जहाँ बिलकुल अँधेरा था। वो अपने घर से थोड़े दुरी पर था।
थकान के कारण देवा धीरे धीरे चल रहा था की तभी विक्रांत पीछे से देवा के सर पर ज़ोरदार हमला करता है वो एक शीशम की लकड़ी से देवा के सर पर वॉर करता है।
देवा;माँ आआआआआआआ.......
कहकर चक्कर खाकर घुमता है।
विक्रान्त दुसरा वार करता है और दूसरे वार से देवा सीधा ज़मीन चाटने लगता है।
उसके सर से खून की धार बहने लगते है और वो एक बार और चीखता है।
माँ आआआआआआ.....
उसकी आवाज़ दिल दहला देने वाली थी।
विक्रान्त;वहां से भाग जाता है।
देवा की ऑंखों के सामने अपनी सारी ज़िन्दगी घूम जाती है।
WOW VERY EMOTIONAL POSTअपडेट 77
विक्रान्त;देवा को अधमरी हालत में छोड़ कर वहां से सीधा हवेली चला आता है।
वो हिम्मत राव के रूम में चला जाता है हिम्मत उस वक़्त अपने चेयर पर बैठा सिगरेट पी रहा था।
हिम्मत;क्या हुआ विक्रांत इतनी जल्दी में क्यों आये हो।
विक्रान्त;सेठ आपका काम हो गया।
देवा को मैंने मार दिया।
हिम्मत के हाथ से सिगरेट नीचे गिर जाता है और वो मारे ख़ुशी के विक्रांत की तरफ लपकता है।
क्या कह रहे हो तुम विक्रांत। तुमने देवा को जान से मार दिया।
विक्रान्त;हाँ सेठ साला मुझे ऑंखें दिखा रहा था ।
सुबह से उसकी ताक में था मै की कब मुझे अकेले में मिलता है।
ऐसा वार किया है साले के सर पर की बचने का कोई चांस नही।
मुझे मेरे पैसे दे दो मुझे अभी शहर निकलना है।
गांव वालों के आने से पहले।
हिम्मत;अरे हाँ बाबा तू बैठ। मै अभी आता हूँ।
हिम्मत अंदर जाता है और हाथ में विक्रांत को देने के लिए पैसे ले आता है।
ये ले बाबा तेरे पैसे मुझे तो यक़ीन नहीं हो रहा की इतनी जल्दी इतनी आसानी से तूने सब कर दिया।
विक्रान्त;सेठ वो मरते मरते बहुत ज़ोर से चीखा था।
गांव वाले आ गये होंगे उसकी लाश के पास। मुझे गांव के बाहर छोड़ दो कार में।
हिम्मत;हाँ चल मै तुझे इतनी दूर छोड़ दूंगा की तुझ तक कोई पहुँच ना पाए।
हिम्मत;विक्रांत को लेकर अपनी कार में शहर की तरफ निकल जाता है।
विक्रान्त और हिम्मत बहुत खुश थे।
हिम्मत को अपने ख्वाब पूरे होते नज़र आ रहे थे मगर वो नहीं जानते थे कि बुराई कभी अच्छाई को हरा नहीं सकती।
देवा के सर से खून बह रहा था आस पास की ज़मीन भी खून में नहा चुकी थी।
मगर देवा अब भी ज़िंदा था उसे चक्कर आ रहे थे।
वो अपनी ऑंखें खोलता है और लडख़ड़ाता हुआ अपने घर आता है।
देवा; माँ आआआआआआआआ.....
वो घर के दरवाज़े पर आकर चक्कर खाकर गिर पडता है उसकी आवाज़ सुनकर नीलम रत्ना और ममता बाहर निकल आती है।
रत्ना;देवा मेरे बच्चे क्या हुआ तुझे । ऑखें खोल मेरे लाल मेरे देवा किसने किया ये सब।
नीलम;ऑंखें खोलो देवा।
माँ इनके सर से कितना खून बह रहा है।
नीलम;नंगे पांव अपने घर की तरफ भागती है अपने भाई पप्पू को बुलाने वो रोती हुए इतनी तेजी से अपने घर पहुँचती है की उसे इस बात की भी परवाह नहीं रहती की उसके पांव कांच चुभने से ज़ख्मी हो गए है वो अपनी माँ और पप्पू को देवा की हालत के बारे में बताती है।
पप्पू और शालु कुछ गांव वालों के साथ रत्ना के घर की तरफ लपकते है
रत्ना और ममता देवा को अपने बाजू में पकडे रो रही थी
वो समझ बैठी थी की देवा अब इस दुनिया में नहीं रहा।
शालु;देवा की गर्दन के पास हाथ लगाकर देखती है।
जीस्म अब भी गरम था।
शालु : रत्ना रो क्यों रही हो देवा ज़िंदा है इसे वैध के पास ले जाना होगा जल्दी।
रत्ना;मगर मेरे बच्चे के साथ किसने किया ये।
पप्पू;अरे काकी ये बातें इस वक़्त मत करो इसे जल्द से जल्द वैध के पास ले चलो।
दूसरे गांव वाले भी देवा को सहारा देते है और उसे वैध के घर ले जाते है।
ममता और नीलम के ऑंसू थे की रुक्ने का नाम नहीं ले रहे थे।
किरण और उसका ससुर जब देवा की हालत देखते है तो समझ जाते है की उन्हें क्या करना है।
वो पहले देवा के सर को साफ़ करते है
विक्रान्त ने इतने ज़ोर से वार किया था की देवा का सर चीर गया था।
इसी वजह से वो बेहोश हो गया था।
वैध;वो ज़ख़्म पर मरहम पट्टी कर देता है और देवा को लिटा देते है।
बैध;खून बहुत ज़्यादा बह गया है।
ये बेहोश है जब तक होश में नहीं आता कुछ कहना मुश्किल है।
रत्ना;ऐसा ना कहिये बैध जी मेरे देवा को होश में लाइए।
मै इसके बिना नहीं जी सकती।
देवा उठ ना रे बेटा क्या हो गया है तुझे।
ममता;भइया उठो न देखो ऐसे चुप चुप रहोंगे तो मै भी तुम्हारे साथ मर जाऊँगी भइया।
नीलम;रत्ना और ममता को सँभालती है मगर देवा की बेहोशी उसे भी अंदर ही अंदर खाए जा रही थी।
रात बस किसी तरह कट जाती है और सुबह का सूरज आशा की नए किरण के साथ निकलता है।
देवा को होश आ जाता है।
उससे होश में देख गांव के हर एक आदमी हो या औरत उसकी ऑंखों में ऑंसू छलक जाते है।
देवा था ही ऐसा इंसान हर किसी के बूरे में भले में मदद करने वाला।
सबके सुखा दुःख बाँटने वाला और अब जब उसकी जान खतरे में थी तो गांव के हर इंसान की ज़ुबान पर उसकी सलामते के लिए प्रार्थना थी।
और ऊपर वाले ने उन सभी की प्रार्थना सुन भी लिया था। देवा होश में आ चुका था मगर खून ज़्यादा बहने के कारण वो बहुत कमजोर लग रहा था।
बैध;अब कैसा लग रहा है देवा।
देवा; ये सब कैसे हो गया वैध जी।
रत्ना;हाँ देवा हम भी यही जानना चाहते है आखिर ये सब हुआ कैसे।
देवा;पता नहीं माँ मै शालु काकी के घर से अपने घर आ रहा था की किसी ने पीछे से मेरे सर पर इतनी ज़ोर से लाठी से वार किया की मुझे एकदम से चक्कर आ गया। उसके बाद मुझे कुछ भी ठीक से याद नहीं मै कैसे यहाँ पहुँचा मुझे कुछ याद नहीं माँ।
रत्ना;तू आराम कर बेटा जिसने भी ये नीच हरकत किया है ना वो नहीं बचेगा।
देवा को रात में घर ले आते हैं वो बहुत कमज़ोर लग रहा था ।
वो अपने रूम में लेटा हुआ था और उसके पांव के पास नीलम बैठी उसके पांव दबा रही थी।
नीलम के ऑंसू तो थम चुके थे मगर दिल में डर बैठ गया था की उसके देवा का कोई दुश्मन भी गांव में मौजूद है।
रत्ना;नीलम कुछ खा ले बेटा सुबह से तू भूखी है।
नीलम;भूख नहीं है काकी।
ममता ;माँ नीलम ने देवा की सलामती के लिए ब्रत रखी है दो दिन वो नहीं खाने वाली कुछ भी।
रत्ना;बड़े प्यार से नीलम के सर पर हाथ फेरते हुए सोचती है कितना खुश नसीब है देवा की उसे सब इतना प्यार करते है।
सारे गांव में खबर आग की तरह फैल गई थी की देवा पर जन लेवा हमला हुआ है मगर किसने किया।
इस हमले के पीछे कौन है ये सब जानना चाहते थे मगर जवाब किसी के पास नहीं था।
रानी और रुक्मणी को भी पदमा से ये बात पता चल गई थी की देवा पर जानलेवा वार हुआ है।
सुबह सुबह जब हिम्मत हवेली पहुँचता है तो उसे ये पता चलता है की देवा पर किसी ने हमला किया मगर वो बच गया है। ये सुनकर हिम्मत का खून खौल जाता है और वो उलटे पांव विक्रांत से मिलने चला जाता है।
रानी और रुक्मणी पदमा के साथ देवा से मिलने उसके घर आती है।
देवा;अपने घर के ऑंगन में बैठा हुआ था। रत्ना और गांव के कुछ और औरतें भी देवा के पास बैठी हुई थी।
रत्ना;अरे बडी मालकिन छोटी मालकिन आप यहाँ।
रुक्मणी;हाँ मुझे पता चला देवा के बारे में तो हमने सोचा। चलो देख आते है।
देवा;नमस्ते मालकिन आइये न बैठिये।
गांव की दूसरे औरतें चली जाती है और रुक्मणी रानी देवा के पास बैठ जाती है।
रत्ना: मैं कुछ लाती हूँ।
रुक्मणी;अरे नहीं इसकी कोई ज़रूरत नहीं है।
रत्ना;ऐसे कैसे ज़रूरत नहीं है।
पदमा ज़रा मेरे साथ आना तो।
रुक्मणी और रानी को क्या पसंद है वो बननाने के लिए रत्ना पदमा को अपने साथ किचन में बुला लेती है।
रुक्मणी;अब कैसा लग रहा है देवा।
देवा;बस थोड़ा दर्द है सर में और कुछ नहीं पता नहीं उस मारने वाले को क्या दुश्मनी थी मुझसे।
रुक्मणी;वो तुम्हारा नहीं तुम्हारे खानदान का भी दुश्मन है देवा।
देवा;चौंकते हुए रुक्मणी की तरफ देखता है।
क्या कह रही है आप मालकिन आप जानती है उसे जिसने ये सब किया है मेरे साथ।
रुक्मणी;हाँ मगर मै उसका नाम एक शर्त पर तुम्हें बतांउगी अगर ये बात हम तीनो तक रहेगी तब।
देवा: मैं वादा करता हूँ मालकिन किसी को नहीं बोलुंगा।
रुक्मणी;तुम पर हमला विक्रांत नाम के आदमी ने किया है और उस विक्रांत से ये सब करवाने वाला और कोई नहीं बल्कि मेरा पति हिम्मत राव है।
देवा की ऑंखें खुली की खुली रह जाती है।
मालकिन ये आप क्या कह रही है।
रानी;हाँ देवा माँ सही कह रही है।
इस सब के पीछे बापू है।
वो तुम्हें और तुम्हारे घर वालों को जान से मारना चाहते है।तूम सोच रहे होंगे हम तुम्हें ये सब क्यों बता रहे है
सच कहें तो देवा जितना प्यार हम तुमसे करते है उतना बापू से भी नहीं करते और सिर्फ यही वजह नहीं है वो इंसान इंसान नहीं जानवर है।
पता नहीं कितनी लाशों को अपने पाँव के नीचे कुचल कर वो यहाँ तक पहुंचा है।
रानी;मुझे तो घिन आती है उस इंसान को अपना बापू कहते हुए।
देवा: मैं उसे ज़िंदा नहीं छोड़ूँगा मालकिन ज़मीन में ज़िंदा गाड दूंगा मै उसे।
रुक्मणी;अभी नहीं देवा।
अभी नहीं पदमा बता रही थी की तुम्हारी बहन की शादी होने वाली है।
पहले अपनी बहन को ख़ुशी ख़ुशी बिदा कर दो उसके बाद हम पुलिस का सहारा लेकर हिम्मत राव का सर्वनाश कर देंगे।
देवा;नहीं मालकिन हिम्मत से मुझे भी बहुत कुछ पूछ्ना है और उसे मेरे हर सवाल का जवाब देना होगा।
आपका बहुत बहुत शुक्रिया जो आपने मुझे अपना समझा।
रत्ना खाने का सामान बाहर ले आती है और उनके साथ बैठ कर बातें करने लगती है।
कुछ देर बाद रानी और रुक्मणी हवेली लौट जाते है।
वो तो लौट जाते है मगर देवा के दिल में ऐसी आग सुलगा जाते है जो सिर्फ हिम्मत के खून से बुझेगी।
देखते ही देखते पूरा एक हफ्ता गुज़र जाता है और देवा पूरी तरह ठीक भी हो जाता है।
वो अपने घर में बैठा हुआ था।
की तभी उसके पास रत्ना आकर बैठ जाती है और देवा को गौर से देखने लगती है।
देवा;क्या देख रही हो माँ।
रत्ना;कुछ नहीं। सोच रही हूँ अगर तझे कुछ हो जाता तो.....।
देवा;कुछ नहो होगा माँ मुझे । तुम मुझसे इतना प्यार जो करती हो।
रत्ना;सर झुका लेती है।
रत्ना को इन दिनों एहसास हो गया था की देवा न सिर्फ इस घर के लिए बल्कि उसके लिए भी कितना
महत्व रखता है। देवा से उसकी साँसें चल रही थी और देवा के बिना वो कुछ भी नहीं थी।
देवा रत्ना का हाथ अपने हाथों में ले लेता है।
माँ एक बात कहूँ।
रत्ना; हां बोल।
देवा; मैं जो मंगलसूत्र लाया था वो तुमने अब तक नहीं पहना।
रत्ना;कुछ नहीं कहती बस उसके होंठ सूखने लगते है
जीन्हें गीला करने के लिए वो अपनी ज़ुबान अपने सुखे होठो पर फेरने लगती है।
उस वक़्त उन दोनों के अलावा वहां कोई तीसरा नहीं था।
देवा;के सामने उसके सपनों की परी बैठी हुई थी
जीसे देवा दिलो जान से चाहता था।
देवा;अपना हाथ आगे बढा कर रत्ना की कमर के अंदर डाल कर उसे अपनी तरफ खीच लेता है।
रत्ना;उन्हह क्या कर रहा है बेटा।
देवा;माँ सच कहूं तेरे बिना मेरी ज़िन्दगी अधुरी है अगर तू मुझे नहीं मिली न मै सच कहता हूँ किसी दिन मर जाऊँगा।
रत्ना;अपना हाथ देवा के मुँह पर रख देती है।
मरे तेरे दुशमन।
देवा;रत्ना का हाथ चूम लेता है।
रत्ना; आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह।
मत कर ऐसा बेटा देवा मै तेरी माँ हूँ।
देवा;माँ तू भी जानती है मै तुझे माँ नहीं अपनी पत्नी समझता हूँ और तुझे पत्नी के सारे सुख देना चाहता हूँ।
देवा अपने हाथ को रत्ना के पेट पर से घुमाते हुए ऊपर ब्रैस्ट के थोड़े नीचे ले आता है।
रत्ना का जिस्म थर थराने लगता है।
वो इधर उधर देखने लगती है।
की तभी अचानक देवा अपना एक हाथ रत्ना की एक ब्रैस्ट पर रख कर ज़ोर से दबा देता है।
रत्ना; हाय रे.....
वो सँभल पाती इससे पहले देवा अपने होठो को रत्ना की गर्दन पर रख उसकी गर्दन को चूमते हुए ब्रैस्ट को मसलने लगता है।
रत्ना;आहह मत कर ज़ालिम।
उह्ह्ह्ह।
ममता ;माँ कहाँ हो तुम।
रत्ना;ममता की आवाज़ सुनकर देवा के पास से उठकर दूसरे रूम में भाग जाती है।
और उसे जाता देख देवा के चेहरे पर मुस्कान फ़ैल जाती है।
WOW MAST HOT UPDATEअपडेट 78
देवा के दिल की कलि कलि खिलने लगती है । अपने खवाबों को जब इंसान पूरा होते देखता है तो हर किसी का यही हाल होता है।
जो उस वक़्त देवा का हो रहा था।
ममता ;क्या बात है भैया बड़े खुश लग रहे हो।
देवा;खुश होने जा रहा था की बिल्ली आ गई।
ममता ;बिल्ली कहाँ है बिल्ली।
देवा;ममता का हाथ पकड़ के उसे अपने पास बैठा देता है और धीरे से उसके कान में कुछ
खुसूर पुसुर करता है जिसे सुनकर ममता पहले चौंकती है और फिर उसके होठो पर मुस्कान फ़ैलती चली जाती है।
देवा;सुन आज देवकी मामी और तेरे ससुराल वाले आने वाले है।
मेरे लिए ज़रा गरम पानी रख दे जिस्म बहुत दुःख रहा है
थोडा गरम पानी से नहा लुँगा तो मेरा दर्द भी दूर हो जायेगा और अंग भी साफ हो जायेगा।
ममता ;इतराते हुए।
हाँ हाँ क्यों नहीं। आज तो मेरे भैया को मै अपने हाथों से नहलाऊँगी।
देवा;सच्ची।
ममता;मुच्ची।
देवा;लुच्ची।
ममता ;क्या कहा मुझे लुच्ची।
अभी बताती हूँ वो देवा की छाती पर मुक्कों की बरसात कर देती है और देवा हँसता हुआ अपनी बहन ममता को अपने बाहों में समेट लेता है।
इस झडप में ममता देवा के नीचे आ जाती है और देवा का भारी जिस्म ममता का नरम मख़मली जिस्म पर टीक जाता है।
ममता;आहह सच कहूं तो मुझे आपकी बहुत याद आएँगी शादी के बाद।
देवा;मुझे भी बहुत आयेगी।
ममता ;झूठे कहीं के मेरे जाने के बाद तुम्हारी तो चाँदी होने वाली है।
देवा;वो कैसे
ममता;वो ऐसे की मै जाऊँगी और नूतन वहां से आएगी और जब नूतन आएगी तो मुझे अच्छी तरह पता है की पप्पू भैया में वो बात कहाँ जो मेरे सैयां में है ।
देवा;तुझे ये सब कैसे पता।
ममता ;लो कर लो बात मेरी भी ऑंखें है भइया।
सब पता है मुझे।
देवा;मुस्कुराते हुए अच्छा सब पता है। ज़रा मुझे भी बता दे अपने इन रसीले होठो से। वो ममता के होंठो पर झुकता है और उन्हें अपने होठो से लगा कर चूसने लगता है गलप्प गलप्प गलप्प्प गप्पप्प।
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ममता ;अपने देवा की बाहों में पागल सी हो जाती थी। जब भी देवा उसे अपनी बाँहों में समेट कर चुमता था। ममता को दुनिया की कोई परवाह नहीं होती थी।
ममता भी अपने दोनों हाथों को अपने भाई के गले में डाल कर उसे अपने मोटे मोटे सन्तरे दबवाते हुए चुमती चली जाती है।
दोनो की साँसें फुलने लगती है । ऑंखों में नशा सा छाने लगता है।
ममता ;बस भाई मुझे कुछ हो रहा है आह्ह्ह्ह।
माँ आ जाएँगी ना।
देवा;आने दे।
ममता;उन्हह बहुत ज़िद्दी हो आप आहह।
धीरे से ना दर्द होता है मुझे आह्ह्ह्ह।
देवा;साली तेरे इतने बड़े कैसे हो गए हैं।
ममता ;आप ने ही किये है ना।
देवा;कैसे मेरी जान।
ममता; आपको पता है ना।
देवा अपने मज़बूत पंजों में उस नाज़ुक सी चिडिया को दबोच लेता है और उसके ब्रैस्ट को इतनी ताकत से मसलता है की ममता का मुँह खुला का खुला रह जाता है।
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ममता;मुझे चोदने से बड़े हो गए हैं देवा भइया।
रत्ना;दरवाज़े के पीछे से खंखारती है।
जिसकी वजह से ममता देवा अलग हो जाते है।
थोड़ी देर बाद रत्ना अंदर आती है।
रत्ना;देवा तुम तैयार हो जाओ । मेहमान आने वाले होंगे।
देवा;ठीक है मै पहले नहा लेता हूँ।
रत्ना;ठीक है।
मै शालु से मिलकर आती हूँ।
रत्ना के जाने के बाद देवा भी नहाने के लिए बाथरूम में चल जाता है और थोडी देर बाद ममता भी हाथ में बालटी लिए वहां आ जाती है जिस में गरम पानी था।
ममता ;भइया तुम यहाँ बैठ जाओ आज मै तुम्हें नहलाऊँगी।देवा;ये तो बड़े अच्छी बात है।![]()
वो अपने कपडे निकाल कर सिर्फ अंडरवियर में नीचे बैठ जाता है।
ममता; देवा के सर पर पानी डालकर साबुन लगाते हुए सोचने लगती है।
देवा;खड़ा होजाता है और बाल्टी में से पानी लेकर उसे ममता के जिस्म पर डाल देता है जिस की वजह से ममता के कपडे भी भीग जाते है।ममता ;क्या कर रहे हो भाई। मुझे क्यों नहला रहे हो।![]()
देवा;ममता को अपनी बाहों में भर कर उसकी चूत को सलवार के ऊपर से सहलाने लगता है।
एक हफ्ता हो गया तूने मुझे ये नहीं दी बहना।
ममता ;आपने नहीं लिया आह्ह्ह मैंने कभी मना नहीं की आपको भाई।
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देवा;ममता बहुत दिल कर रहा है तुझे नंगी करके चोदने का।
ममता ; चोदीये न भैया।आपकी ही हूँ मै हमेशा हमेशा आह्ह्ह।
देवा;ममता के भिगे हुए कपडे निकाल देता है और उसे भी पूरी नंगी कर देता है।ममता की ऑंखों में हवस की लाली बिखर जाती है और वो अपने नरम हाथों में देवा का लंड थाम लेती है।![]()
हाथो में देवा का लंड आते ही देवा के लंड में जैसे सरसराहट सी होने लगती है पिछले एक
हफ्ते से ये भूखा शेर बिना शिकार के जी रहा था । आज हिरण खुद चल कर सामने से उसके पास आ गई थी भला ऐसा मौका वो कैसे जाने देता।और देवा जानता भी था की ममता इस घर में कुछ दिन की मेहमान है और ये बचे हुए कुछ दिन![]()
वो ममता की ज़िन्दगी के सबसे यादगार दिन बना देना चाहता था । एक भाई होने का भला इससे अच्छा फ़र्ज़ और क्या कर सकता था देवा।
ममता नीचे बैठ जाती है और देवा के लंड को पहले चुमती है और उसके बाद उसे अपने मुँह में खीच लेती है गलप्प गलप्प गलप्प्प चूसने लगती है।
देवा;आहह ममता तेरी माँ को चोदूँ आह्ह्ह्ह्हह।![]()
ऐसे मत काट उसे आह्ह्ह्ह।
ममता ; धीरे धीरे अपनी दाँतो से देवा के लंड को हलके हलके काटने लगती है जिससे देवा को मीठा मीठा दर्द भी होता है और उसके लंड की नसे फुलती चलि जाती है।
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ममता ;मुझे नहीं पता गलप्प गलप्प । मेरा है कुछ भी करूँ गलप्प गलपप।
देवा;साली इतनी ज़ोर से करुँगा की याद रखेगी यह। आह्ह्ह अह।
ममता ;कुछ नहीं कहती और दिल में सोचने लगती है यही तो मै चाहती हूँ भाई की आप मुझे कस कर चोदे ।
देवा से वो दर्द बर्दाश्त नहीं होता और वो ममता को और ज़ोर का दर्द देने के लिए खड़ा कर देता है और उसकी गाँड पर अपना लंड घीसने लगता है।देवा अपने लंड को ममता की गाण्ड के सुराख़ पर लगा देता है।![]()
ममता;आहह भाई वहां नहीं मेरी चूत में डालो पहले। आहह चिंगारियाँ निकल रही है वहां से आह्ह्ह्ह।देवा;अपनी बहन की ये इच्छा भी पूरी कर देता है और अपने लंड पर थूक लगा कर उसे ममता की चूत में धीरे धीरे घुसाता चला जाता है।
एक हफ्ते से चूत के दरवाज़े बंद थे और आज इतने दिन बाद देवा ने लंड मारकर वो दरवाजा भी खोल दिया था।![]()
जीसकी वजह से ममता की आह निकल जाती है।![]()
ममता ;भइया मुझे शादी के बाद भी करेंगे ना भूल तो नहीं जाओंगे न अपनी बहन को माँ।
देवा;कैसे भूल सकता हूँ तुझे मै ममता आहह तेरी चूत मुझे बहुत पसंद है और जिसकी सबसे ज़्यादा पसंद है वो मिल जाने के बाद भी इसे चोदना बंद नहीं करुँगा मै आअह्हह्हह्हह।ममता ;किसकी चूत आपको मेरी चूत से भी ज़्यादा अच्छी लगती है भइया आह्ह्ह्ह।![]()
देवा;माँ की.... मुझे माँ को नंगा करके चोदने का बड़ा मन है ममता।
बस माँ मान जाए आह्ह्ह्ह।ममता ;माँ कभी नहीं मानेगी आहह ।![]()
देवा;दिल में सोचने लगता है वो क्या नहीं मानेगी जब उसकी चूत मेरा लंड देखेगी तो खुद ब खुद मान जाएगी।
वो अपनी ही दुनिया में खोये हुए एक दूसरे के जिस्मो का मजा ले रहे थे। इस बात से अन्जान की रत्ना बाहर खड़ी सब सुन रही है।और सिर्फ सुन नहीं रही बल्कि देवा के एक एक शब्द का उसके जिस्म पर इतना गहरा असर हो रहा था की
उसकी चूत से कतरा कतरा पानी बहकर जांघों को भिगोता हुआ नीचे ज़मीन पर गिर रहा था।
रत्ना;देवा नहाना हो गया होगा तो बाहर आ जा। महमान आ गये है।![]()
देवा; ये सुनकर अपने लंड को ममता की चूत की गहराइयों में उतारता हुआ सटा सट ममता कीकमर को पकडता हुआ उसे चोदने लगता है। देवा के धक्कों से ममता की चूत भी घायल हो जाती है और दोनों एक साथ झरने लगते है।![]()
थोड़ी देर बाद जब दोनों बहार आते हैं तो ये देख हैरान रह जाते है की रत्ना अभी तक वहां से गई नहीं थी।
रत्ना;ये लो देवा आज तुम ये कपडे पहनना और ममता तू ये पहन ले।
मेहमान अभी नहीं आये है मगर थोडी देर में आ जाएंगे।
ये कहकर रत्ना वहां से किचन में चलि जाते है और उसके जाने के बाद देवा ममता की तरफ देख मुस्कुरा देता है।
गांव से कोमल और उसका परिवार
और देवकी भी अपने पति के साथ देवा के घर आते है।
शालु और उनका परिवार भी देवा के घर मेहमान नवाजी में शामिल हो जाता है
नुतन और ममता की शादी की तारिख पक्की होने वाली थी।
सभी लोग बहुत खुश थे। जहाँ एक तरफ नूतन अपने देवा की बाहों में आने को बेक़रार थी वही कोमल भी खुश थी देवा उसके घर आता रहेगा।
पंडित जी 15 दिन बाद का मुहूर्त निकालते है और सभी ये बात सुनकर एक दूसरे का मुँह मीठा कराते है।
रत्ना;देवकी को इस बात के लिए मना लेती है की नूतन और ममता की शादी एक मंडप में होगी और देवकी को अपने परिवार के साथ यहाँ आना होगा।
ताकी ममता को यहाँ से विदा करके अपना आशिरवाद दे सके।
देवा के लिए ख़ुशी की बात भी थी और चिंता की भी उसे बहुत सी तैयारियाँ करनी थी और वो उस दिन के बाद से अपनी बहन की शादी की तैयारियों में इतना मगन हो जाता है की खाने पीने की भी उसे परवाह नहीं रहती।
दिन तो शादी की तैयारियों में बीत जाता है लेकिन हर रात देवा की सुहागरात होती है।वह ममता को हर पोजीशन में चोदता है और रत्ना उनकी चुदाई देखकर अपनी गरम चूत रगड़ती है।![]()
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देवा अच्छी से अच्छी शादी करने की इच्छा में वो हर छोटा बड़ा काम पूरी ईमनदारी और मेहनत से अंजाम देता हैऔर देखते ही देखते वो 15 बिन भी गुज़र जाते है और वो शुभ दिन भी आ जाता है जिसका सभी को बेसब्री से इंतज़ार था।![]()
WOW GREAT UPDATEअपडेट 79
ममता और नूतन की शादी का दिन-
देवा;ने अपनी बहन ममता की शादी में किसी किस्म की कसर नहीं छोड़ा था सब काम वक़्त से पहले उसने पूरे कर दिये थे।
और वो दिन भी आ गया था जिसका सभी को बेसब्री से इंतज़ार था।
बाराती आ चुके थे और शादी लगने में १ घण्टा बाकी था।
ममता को रत्ना और देवकी सजा रही थी की तभी देवा भी वहां आ जाता है।
देवा;अरे वाह
मेरी प्यारी बहनिया बनी है दुलहनिया।
सज के आये हैं दूल्हे राजा।
ममता के चेहरे पर हलकी सी शर्म की लाली बिखर जाती है।
हर लड़की की ज़िन्दगी में उसकी शादी सबसे बड़ा दिन होता है।
एक तरफ जहाँ देवा से जुदा होने का गम था ममता को। वही दूसरी तरफ नई ज़िन्दगी शुरु करने की जुस्तजू भी थी।
रत्ना;देवकी मै ज़रा बाहर देख कर आती हूँ मेहमान ठीक से हैं की नही।
और देवा तू भी जल्दी से बाहर आ जा।
रत्ना;देवा के बगल से गुज़रते हुए कहती है।
रत्ना बेहद खूबसूरत लग रही थी इतने दिनों से उसकी चुदाई नहीं हुई थी।
शायद यही वजह थी की उसकी जवानी में बुढ़ापे का अक्स बहुत कम झलकता था।
वो अपनी साडी हमेशा नाभि के थोड़ा ऊपर बाँधती थी
उसकी नाभि आधी दिखाई देती थी और उसी का जादू देवा के सर चढ़ कर बोलता था।
बडी बड़ी मख़मली ब्रैस्ट को हिलाते हुए और अपनी कमर को मटकाते हुए रत्ना जैसे ही देवा के पास से गुज़रती है देवा से रहा नहीं जाता और वो देवकी के मौजूदगी में रत्ना का हाथ पकड़ लेता है।
रत्ना सकते में आ जाती है उसे उस वक़्त देवा से इस तरह की हरकत की बिलकुल भी उम्मीद नहीं थी।
वो ड़रते हुए देवा की तरफ घूमती है
देवकी;का ध्यान उन दोनों की तरफ नहीं था।
रत्ना;इशारे से देवा को हाथ छोड़ने के लिए कहती है।
हलांकी वो ये बात ज़ोर से भी कह सकती थी मगर जब से देवा ने उसे मंगलसुत्र लाकर दिया था रत्ना न तो देवा पर चीखती थी और न उसकी किसी भी बात का बुरा मानती थी।
देवा;एक मिनट माँ।
वो रत्न को घुमा देता है और उसके पीछे आकर धीरे से उसके कानो के पास कहता है।
तेरी चोली का एक बटन खुला हुआ है।
रत्ना;लगा दे...
देवा;अपने गरम हाथों को रत्ना की पीठ पर रख के पहले उसे रत्ना की चिकनी पीठ पर घुमाता है।
और फिर धीरे से रत्ना की पीठ पर चुमटी काट लेता है।
रत्ना के मुँह से एक दबी सी सिसकी निकल जाती है
उन्हह।
देवा;बटन को बड़ी धीरे से बंद कर रहा था जिससे रत्ना को और भी ज़्यादा डर लग रहा था की कहीं देवकी उसे देख न ले।
देवा;बटन बंद कर एक बार देवकी की तरफ देखता है
देवकी;उन दोनों को ही देख रही थी।
देवा;मुस्कुराते हुए रत्ना की पीठ को चूम लेता है।
रत्ना;आहह हह
वा अब वहां और नहीं रुक सकती थी। वो बिना कुछ बोले वहां से बाहर निकल जाती है।
और देवा के साथ साथ देवकी की ऑंखें भी चमक जाती है।
ममता; जो आईने के सामने बैठी हुई थी अपने सामने लगे आईने में से सारा तमाशा देख रही थी।
उसे पता था जब वो पहली बार अपने ससुराल से मायके में आएगी तब तक देवा रत्ना को अपने नीचे सुला चूका होगा और वो भी उस दिन का बेसब्री से इंतज़ार कर रही थी। जब वो अपने भाई के लंड को अपनी चूत में लेते हुए अपनी माँ रत्ना की चूत को चाटेगी।।
देवकी को भी यकीन हो चला था की इन दोनों माँ बेटे के बीच कुछ न कुछ तो ज़रूर चल रहा है मगर वो वक़्त इन सब बातों का नहीं था। बारात दरवाज़े पर खड़ी थी।
और उन्हें सब का अच्छी तरह से ख्याल रखना था।
नुतन और ममता को हवन मंडप में लाया जाता है।
एक तरफ पप्पू और दूसरी तरफ हरी बैठ जाते है।
पंडित जी शादी के मंत्र पढना शुरू कर देते है।
देवा की नज़रें किसी को मंडप में तलाश करने लगती है।
वो जो सुबह से संवर रही थी अपने भाई की शादी के लिए नहीं बल्कि देवा के लिये।
देवा की तलाश करती हुए नज़रें एक कोने में जाकर रुक जाती है जब उसे हुस्न की मल्किका
और अपने जवान लंड की असली मालकिन नीलम एक कोने में उसकी तरफ देखते हुए दिखाई देती है।
ममता और नूतन से भी ज़्यादा हसींन लग रही थी नीलम।
अपने ब्लैक कलर के चूड़ीदार कपड़ों में वो स्वर्ग की किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थी।
चेहरे पर हज़ारों सपने सजाये और अपने मेहबूब की एक नज़र की मोहताज नीलम की नज़रें जैसे ही देवा से टकराती है दोनों के दिल में हज़ारों दिए जल उठते है।
ये एक अजीब मोहब्बत थी।
जहां सिर्फ दिल की बातें नज़रों से बयान होते थे।
एक दूसरे से बहुत काम बात करने के बावजूद भी दोनों को एक दूसरे की हर अच्छी बुरी चीज़ के बारे में पता थी।
अगर देवा को जुकाम हो जाये तो नीलम का सर दर्द करने लगता था।
वो दो जिस्मो में एक जान की तरह थे।
अपने पाकीज़ा मोहब्बत को बचपन से संभाले हुए नीलम बड़ी हुई थी। बस इस उम्मीद में की एक दिन देवा उसका हाथ पकडेगा और उसे दूर उस दुनिया में ले जायेंगा जहाँ सिर्फ मोहब्बत पलती हो।
जहां एक तरफ देवा और नीलम ऑंखों ही ऑंखों में एक दूसरे से बातें कर रहे थे वही दूसरी तरफ हरी की बहन और कोमल की बेटी प्रिया भी किसी बाज़ की तरह देवा पर नज़रें गड़ाये बैठी थी। जो आग देवा वहां जलाकर आया था वो अब भयंकर रूप ले चुकी थी और उस आग से उठते शोले जो प्रिया के तन बदन में हलचल मचा रहे थे।
बस प्रिया से एक सवाल कर रहे थे की ज़ालिम इस चूत की आग को कौन बुझायेगा और प्रिया अपनी चूत को बार बार रगड के उससे दिलासा दे रही थी की वो आयेगा और सारे गीले शीकवे एक रात में ख़तम कर देगा।
पंडित जी हरी और पप्पू को अपनी अपनी पत्नियों को मंगल सूत्र पहनाने के लिए कहते है।
और शादी के बाकी के सारे रस्म ओ रिवाज भी पूरे हो जाते है।
कई दिन की मेंहनत आज रंग लाई थी। जहाँ ममता का रो रो कर बुरा हाल था वही नूतन भी देवकी के गले लग कर सिसक पड़ी थी।
हर माँ के लिए अपनी बेटियों को घर से बिदा करना बहुत मुश्किल होता है मगर ये हर माँ की खुशकिस्मती होती है की उसकी बेटी अपने मायके नहीं बल्कि ससुराल में रहे।
रत्ना;ममता का हाथ हरी के हाथ में देकर उसे बिदा कर देती है।
और देवकी नूतन को पप्पू के हवाले करके सबके साथ अपने गांव रवाना हो जाती है।
सुबह जो घर मेहमानो की चीख पुकार से गूंज रहा था वही घर रात होते होते खाने को दौड़ने लगता है।
रत्ना को अकेलापन महसूस न हो इसलिए नीलम रत्ना के पास ही रुक गई थी।
देवा पप्पू के साथ बैठा हुआ था।
पप्पू;भाई शादी तो हो गई अब क्या।
देवा;क्या मतलब जा नूतन तेरा इंतज़ार कर रही होगी।
नुतन; रूम में बैठी हुई थी अपनी ऑखों में पप्पू के जवान और खुंखार लंड के सपने बुनते हुए।
पप्पू;देवा भाई तुम्हें सब पता है ना।
मुझे तो लगता है नूतन रात में कोई हंगामा न खड़ा कर दे।
देवा; कैसा हंगामा बे।
तू डरता क्यों है जा मेरे शेर और जाकर बता दे नूतन को की तू भी किसी से कम नही।
उसकी दोनों टांगों को रात भर मिलने मत देना ।
पप्पू;धोती के ऊपर से अपने लंड को टटोलने लगता है
सुहागरात के नाम से उसका लंड भी जैसे चुहे की तरह दूबक चूका था।![]()
अरे ये तो देख भी नहीं रहा मुझे।
देवा;को उसकी बात सुनकर हंसी आ जाती है।
पप्पू;हंसो मत भाई अगर तुम हँसोगे तो मै रो दूँगा।
देवा: अच्छा चल ये बता तू डर क्यों रहा है बात क्या है।
पप्पू;बात बस इतनी सी है की जब तक मै माँ या रश्मि को नंगी नहीं देख लेता मेरा खड़ा नहीं होता।
या फिर तुम तो जानते हो।
देवा;हाँ या फिर जब तक मै तुझे टोचन नहीं दे देता तेरा नहीं खड़ा होता यही ना।
पप्पू; हाँ... यही है अब नूतन के पास जाऊँगा तो वो समझ जाएँगी की मै उसे खुश नहीं रख सकता।
देवा;बस इतनी सी बात। तू एक काम कर तेरे रूम के बाजु वाले रूम में जा ।
तेरी माँ इस वक़्त नूतन के पास होंगी मै उसे तेरे पास भेंजता हूँ।
शालु की चूत को चाट ले फिर देख कैसा तेरा लंड रात भर आतंक मचाता है।
पप्पू;हाँ भाई ये ठीक रहेगा।
देवा;उस रूम में चला जाता जहाँ नूतन और शालु बैठी बातें कर रही थी।
देवा को उस वक़्त वहां देख दोनों थोड़े ठिठक से जाती है।
शालु;देवा तुम यहाँ पप्पू कहाँ है।
देवा;वो काकी एक मिनट यहाँ आना तो....
शालु;नूतन के पास से उठ कर देवा के पास चली जाती है और देवा उसे रूम के बाहर ले आता है।
देवा;पप्पु का उठ नहीं रहा है वो तुझे याद कर रहा है काकी। जा जाकर ज़रा मालिश वालिश कर दे उसकी।
वरना पूरा गांव जान जायेगा की तेरा पप्पु चप्पू चलाने के काम का भी नहीं है।
शालु;कहाँ है वो....
देवा;वो बाजु वाले रूम में है।
शालु;घबराते हुए पप्पू की तरफ चलि जाती है
और देवा नूतन के रूम में घुस जाता है और अंदर से दरवाज़ा बंद कर देता है।
नुतन;देवा दरवाज़ा क्यों बंद कर रहे हो कोई देखेगा तो क्या कहेगा।
देवा;नूतन का हाथ पकड़ के उसे खड़ा कर देता है और उसे अपनी बाँहों में जकड लेता है।![]()
कोई नहीं देखेगा।
बहुत काम वक़्त है हमारे पास चल जल्दी से उतार सब।![]()
नुतन ;नहीं देवा भैया आज नहीं । वो आते ही होंगे।
देवा;साली वो गया है तेरी सास को चोदने जब तक वो अपनी माँ बहन को नहीं चोद लेता उसका लंड नहीं उठता।![]()
नुतन के पांव के नीचे की ज़मीन जैसे खिसक जाती है।
देवा;अपने हाथ का जादू चलाने लगता है और नूतन की प्यासी चूत को सहलाते हुए कहता है।![]()
देख तेरे पति का बहुत छोटा है । मै ही हूँ जो उसका काम अब तक पूरा करता आया हूँ और आगे भी करुंगा।
नुतन ;क्या मतलब भइया।![]()
देवा;गांडू है तेरा पति गाण्ड मरवाता है दिन रात मुझसे।
अभी भी कह रहा था। मैंने मना कर दिया तो अपनी माँ शालु पर चढ रहा होगा वो।![]()
नुतन ;मुझे यक़ीन नहीं आता।
देवा;एक मिनट तुझे यक़ीन नहीं आता न रुक।
देवा;दोनों रूम के बीच की खिडकी में नूतन को झाँकने के लिए कहता है।![]()
नुतन ;जैसे ही उस खिडके में से झाँकती है उसे देवा की हर बात सच लगने लगती है।
शालु;नीचे बैठी पप्पू का लंड खड़ा करने की नाकाम कोशिश कर रही थी।
नुतन: झट से वहां से हट जाती है।
हाय दैया वो ऐसे है।
देवा;हाँ ऐसा ही है वो।
चल अब देर मत कर मेरी जान देख न कैसे तड़प रहा है ये तेरी चूत में जाने को जल्दी कर ना।![]()
देवा अपनी लुंगी खोल देता है और नूतन की ऑंखों के सामने वो ज़हरीला नाग आ जाता है जो कई बार उसे डस चूका था।
नुतन भी उससे अपनी चूत मरवाना चाहती थी वो ड़रते ड़रते अपने दुल्हन वाले कपडे उतारने लगती है।उसका मन ये सोचकर और उतेजित हो रहा था की उसके सुहागरात वाले दिन उसके पति के बजाय उसके रिश्ते का भाई देवा उसके साथ सुहागरात मना रहा है।![]()
देवा;नंगा हो जाता है और झट से नूतन के सारे कपडे भी निकाल देता है।
नुतन; कोई आ गया तो बड़ी बदनामी हो जाएंगी भइया
आह आहह उन्हह।![]()
नुतन सिसक पडती है क्यूंकि देवा नीचे बैठ कर उसकी चूत चाटने लग जाता है।
नूतन;किसी तरह अपने मुँह पर हाथ रख कर अपनी आवाज़ को दबाने की कोशिश करने लगती है और देवा अपनी ज़ुबान को नूतन की चूत के अंदर तक घुसा कर चाटने लगता है गलप्प गलप्प
गलपप....![]()
नुतन;जल्दी करो भैया कोई आ जायेगा।
देवा;नूतन को लिटा देता है और उस सुहागरात के लिए सजे बिस्तर पर जहाँ पप्पू को होना चाहिए था । वहाँ देवा नूतन की दोनों टाँगें खोल देता है और अपने लंड को नूतन की चूत की गहराइयों में उतार देता है।
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एक बार फिर से नूतन को अपना वो दिन याद आ जाता है जब देवा ने उसकी चूत का असली उद्घघाटन किया था।
उधर दूसरे रूम में पप्पू अपनी माँ शालु की चूत को चाटने लगता है।
गलप्प गलपप गलप्प्प गलप्प्प।![]()
शालु;आजा मेरे लाल अंदर आ जा उन्हह।
अपनी माँ के साथ कर ले पहले सुहागरात आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह।
बस भी कर ना आह्ह्ह्ह।
पप्पू;अपनी माँ शालु के पैरों के बीच आ जाता है और अपने लंड को शालु की चूत पर घीसने लगता है।
शालु;नीचे से कमर को ऊपर उठाती है और लंड उसकी गीली चूत में सरक जाता है।![]()
उधर नूतन भी अपनी कमर को ऊपर उठाते हुए देवा के लंड को अपनी चूत की गहराइयों में उतारने लगती है।
नुतन ;आहह जल्दी से मेरी चूत में अपना पानी निकाल दो देवा भइया आह्ह्ह्ह्ह।![]()
मुझे आज की रात ही तुम गर्भवती बना दो आहह चोदो अपनी बहन को उसकी सुहागरात में आहह।
चौद मेरे सैया।![]()