देवा;ने अपनी बहन ममता की शादी में किसी किस्म की कसर नहीं छोड़ा था सब काम वक़्त से पहले उसने पूरे कर दिये थे। और वो दिन भी आ गया था जिसका सभी को बेसब्री से इंतज़ार था। बाराती आ चुके थे और शादी लगने में १ घण्टा बाकी था। ममता को रत्ना और देवकी सजा रही थी की तभी देवा भी वहां आ जाता है। देवा;अरे वाह मेरी प्यारी बहनिया बनी है दुलहनिया। सज के आये हैं दूल्हे राजा। ममता के चेहरे पर हलकी सी शर्म की लाली बिखर जाती है। हर लड़की की ज़िन्दगी में उसकी शादी सबसे बड़ा दिन होता है। एक तरफ जहाँ देवा से जुदा होने का गम था ममता को। वही दूसरी तरफ नई ज़िन्दगी शुरु करने की जुस्तजू भी थी। रत्ना;देवकी मै ज़रा बाहर देख कर आती हूँ मेहमान ठीक से हैं की नही। और देवा तू भी जल्दी से बाहर आ जा। रत्ना;देवा के बगल से गुज़रते हुए कहती है। रत्ना बेहद खूबसूरत लग रही थी इतने दिनों से उसकी चुदाई नहीं हुई थी। शायद यही वजह थी की उसकी जवानी में बुढ़ापे का अक्स बहुत कम झलकता था। वो अपनी साडी हमेशा नाभि के थोड़ा ऊपर बाँधती थी उसकी नाभि आधी दिखाई देती थी और उसी का जादू देवा के सर चढ़ कर बोलता था। बडी बड़ी मख़मली ब्रैस्ट को हिलाते हुए और अपनी कमर को मटकाते हुए रत्ना जैसे ही देवा के पास से गुज़रती है देवा से रहा नहीं जाता और वो देवकी के मौजूदगी में रत्ना का हाथ पकड़ लेता है। रत्ना सकते में आ जाती है उसे उस वक़्त देवा से इस तरह की हरकत की बिलकुल भी उम्मीद नहीं थी। वो ड़रते हुए देवा की तरफ घूमती है देवकी;का ध्यान उन दोनों की तरफ नहीं था। रत्ना;इशारे से देवा को हाथ छोड़ने के लिए कहती है। हलांकी वो ये बात ज़ोर से भी कह सकती थी मगर जब से देवा ने उसे मंगलसुत्र लाकर दिया था रत्ना न तो देवा पर चीखती थी और न उसकी किसी भी बात का बुरा मानती थी। देवा;एक मिनट माँ। वो रत्न को घुमा देता है और उसके पीछे आकर धीरे से उसके कानो के पास कहता है। तेरी चोली का एक बटन खुला हुआ है। रत्ना;लगा दे...
देवा;अपने गरम हाथों को रत्ना की पीठ पर रख के पहले उसे रत्ना की चिकनी पीठ पर घुमाता है। और फिर धीरे से रत्ना की पीठ पर चुमटी काट लेता है। रत्ना के मुँह से एक दबी सी सिसकी निकल जाती है उन्हह।
देवा;बटन को बड़ी धीरे से बंद कर रहा था जिससे रत्ना को और भी ज़्यादा डर लग रहा था की कहीं देवकी उसे देख न ले। देवा;बटन बंद कर एक बार देवकी की तरफ देखता है देवकी;उन दोनों को ही देख रही थी। देवा;मुस्कुराते हुए रत्ना की पीठ को चूम लेता है। रत्ना;आहह हह वा अब वहां और नहीं रुक सकती थी। वो बिना कुछ बोले वहां से बाहर निकल जाती है। और देवा के साथ साथ देवकी की ऑंखें भी चमक जाती है। ममता; जो आईने के सामने बैठी हुई थी अपने सामने लगे आईने में से सारा तमाशा देख रही थी। उसे पता था जब वो पहली बार अपने ससुराल से मायके में आएगी तब तक देवा रत्ना को अपने नीचे सुला चूका होगा और वो भी उस दिन का बेसब्री से इंतज़ार कर रही थी। जब वो अपने भाई के लंड को अपनी चूत में लेते हुए अपनी माँ रत्ना की चूत को चाटेगी।। देवकी को भी यकीन हो चला था की इन दोनों माँ बेटे के बीच कुछ न कुछ तो ज़रूर चल रहा है मगर वो वक़्त इन सब बातों का नहीं था। बारात दरवाज़े पर खड़ी थी। और उन्हें सब का अच्छी तरह से ख्याल रखना था। नुतन और ममता को हवन मंडप में लाया जाता है। एक तरफ पप्पू और दूसरी तरफ हरी बैठ जाते है। पंडित जी शादी के मंत्र पढना शुरू कर देते है। देवा की नज़रें किसी को मंडप में तलाश करने लगती है। वो जो सुबह से संवर रही थी अपने भाई की शादी के लिए नहीं बल्कि देवा के लिये।
देवा की तलाश करती हुए नज़रें एक कोने में जाकर रुक जाती है जब उसे हुस्न की मल्किका और अपने जवान लंड की असली मालकिन नीलम एक कोने में उसकी तरफ देखते हुए दिखाई देती है। ममता और नूतन से भी ज़्यादा हसींन लग रही थी नीलम। अपने ब्लैक कलर के चूड़ीदार कपड़ों में वो स्वर्ग की किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थी।
चेहरे पर हज़ारों सपने सजाये और अपने मेहबूब की एक नज़र की मोहताज नीलम की नज़रें जैसे ही देवा से टकराती है दोनों के दिल में हज़ारों दिए जल उठते है।
ये एक अजीब मोहब्बत थी।
जहां सिर्फ दिल की बातें नज़रों से बयान होते थे।
एक दूसरे से बहुत काम बात करने के बावजूद भी दोनों को एक दूसरे की हर अच्छी बुरी चीज़ के बारे में पता थी।
अगर देवा को जुकाम हो जाये तो नीलम का सर दर्द करने लगता था।
वो दो जिस्मो में एक जान की तरह थे।
अपने पाकीज़ा मोहब्बत को बचपन से संभाले हुए नीलम बड़ी हुई थी। बस इस उम्मीद में की एक दिन देवा उसका हाथ पकडेगा और उसे दूर उस दुनिया में ले जायेंगा जहाँ सिर्फ मोहब्बत पलती हो।
जहां एक तरफ देवा और नीलम ऑंखों ही ऑंखों में एक दूसरे से बातें कर रहे थे वही दूसरी तरफ हरी की बहन और कोमल की बेटी प्रिया भी किसी बाज़ की तरह देवा पर नज़रें गड़ाये बैठी थी। जो आग देवा वहां जलाकर आया था वो अब भयंकर रूप ले चुकी थी और उस आग से उठते शोले जो प्रिया के तन बदन में हलचल मचा रहे थे।
बस प्रिया से एक सवाल कर रहे थे की ज़ालिम इस चूत की आग को कौन बुझायेगा और प्रिया अपनी चूत को बार बार रगड के उससे दिलासा दे रही थी की वो आयेगा और सारे गीले शीकवे एक रात में ख़तम कर देगा।
पंडित जी हरी और पप्पू को अपनी अपनी पत्नियों को मंगल सूत्र पहनाने के लिए कहते है।
और शादी के बाकी के सारे रस्म ओ रिवाज भी पूरे हो जाते है।
कई दिन की मेंहनत आज रंग लाई थी। जहाँ ममता का रो रो कर बुरा हाल था वही नूतन भी देवकी के गले लग कर सिसक पड़ी थी।
हर माँ के लिए अपनी बेटियों को घर से बिदा करना बहुत मुश्किल होता है मगर ये हर माँ की खुशकिस्मती होती है की उसकी बेटी अपने मायके नहीं बल्कि ससुराल में रहे।
रत्ना;ममता का हाथ हरी के हाथ में देकर उसे बिदा कर देती है।
और देवकी नूतन को पप्पू के हवाले करके सबके साथ अपने गांव रवाना हो जाती है।
सुबह जो घर मेहमानो की चीख पुकार से गूंज रहा था वही घर रात होते होते खाने को दौड़ने लगता है।
रत्ना को अकेलापन महसूस न हो इसलिए नीलम रत्ना के पास ही रुक गई थी।
देवा पप्पू के साथ बैठा हुआ था।
पप्पू;भाई शादी तो हो गई अब क्या।
देवा;क्या मतलब जा नूतन तेरा इंतज़ार कर रही होगी।
नुतन; रूम में बैठी हुई थी अपनी ऑखों में पप्पू के जवान और खुंखार लंड के सपने बुनते हुए।
पप्पू;देवा भाई तुम्हें सब पता है ना।
मुझे तो लगता है नूतन रात में कोई हंगामा न खड़ा कर दे।
देवा; कैसा हंगामा बे।
तू डरता क्यों है जा मेरे शेर और जाकर बता दे नूतन को की तू भी किसी से कम नही।
उसकी दोनों टांगों को रात भर मिलने मत देना ।
पप्पू;धोती के ऊपर से अपने लंड को टटोलने लगता है
सुहागरात के नाम से उसका लंड भी जैसे चुहे की तरह दूबक चूका था।
अरे ये तो देख भी नहीं रहा मुझे।
देवा;को उसकी बात सुनकर हंसी आ जाती है।
पप्पू;हंसो मत भाई अगर तुम हँसोगे तो मै रो दूँगा।
देवा: अच्छा चल ये बता तू डर क्यों रहा है बात क्या है।
पप्पू;बात बस इतनी सी है की जब तक मै माँ या रश्मि को नंगी नहीं देख लेता मेरा खड़ा नहीं होता।
या फिर तुम तो जानते हो।
देवा;हाँ या फिर जब तक मै तुझे टोचन नहीं दे देता तेरा नहीं खड़ा होता यही ना।
पप्पू; हाँ... यही है अब नूतन के पास जाऊँगा तो वो समझ जाएँगी की मै उसे खुश नहीं रख सकता।
देवा;बस इतनी सी बात। तू एक काम कर तेरे रूम के बाजु वाले रूम में जा ।
तेरी माँ इस वक़्त नूतन के पास होंगी मै उसे तेरे पास भेंजता हूँ।
शालु की चूत को चाट ले फिर देख कैसा तेरा लंड रात भर आतंक मचाता है।
पप्पू;हाँ भाई ये ठीक रहेगा।
देवा;उस रूम में चला जाता जहाँ नूतन और शालु बैठी बातें कर रही थी।
देवा को उस वक़्त वहां देख दोनों थोड़े ठिठक से जाती है।
शालु;देवा तुम यहाँ पप्पू कहाँ है।
देवा;वो काकी एक मिनट यहाँ आना तो....
शालु;नूतन के पास से उठ कर देवा के पास चली जाती है और देवा उसे रूम के बाहर ले आता है।
देवा;पप्पु का उठ नहीं रहा है वो तुझे याद कर रहा है काकी। जा जाकर ज़रा मालिश वालिश कर दे उसकी।
वरना पूरा गांव जान जायेगा की तेरा पप्पु चप्पू चलाने के काम का भी नहीं है।
शालु;कहाँ है वो....
देवा;वो बाजु वाले रूम में है।
शालु;घबराते हुए पप्पू की तरफ चलि जाती है
और देवा नूतन के रूम में घुस जाता है और अंदर से दरवाज़ा बंद कर देता है।
नुतन;देवा दरवाज़ा क्यों बंद कर रहे हो कोई देखेगा तो क्या कहेगा।
देवा;नूतन का हाथ पकड़ के उसे खड़ा कर देता है और उसे अपनी बाँहों में जकड लेता है।
कोई नहीं देखेगा।
बहुत काम वक़्त है हमारे पास चल जल्दी से उतार सब।
नुतन ;नहीं देवा भैया आज नहीं । वो आते ही होंगे।
देवा;साली वो गया है तेरी सास को चोदने जब तक वो अपनी माँ बहन को नहीं चोद लेता उसका लंड नहीं उठता।
नुतन के पांव के नीचे की ज़मीन जैसे खिसक जाती है।
देवा;अपने हाथ का जादू चलाने लगता है और नूतन की प्यासी चूत को सहलाते हुए कहता है।
देख तेरे पति का बहुत छोटा है । मै ही हूँ जो उसका काम अब तक पूरा करता आया हूँ और आगे भी करुंगा।
नुतन ;क्या मतलब भइया।
देवा;गांडू है तेरा पति गाण्ड मरवाता है दिन रात मुझसे।
अभी भी कह रहा था। मैंने मना कर दिया तो अपनी माँ शालु पर चढ रहा होगा वो।
नुतन ;मुझे यक़ीन नहीं आता।
देवा;एक मिनट तुझे यक़ीन नहीं आता न रुक।
देवा;दोनों रूम के बीच की खिडकी में नूतन को झाँकने के लिए कहता है।
नुतन ;जैसे ही उस खिडके में से झाँकती है उसे देवा की हर बात सच लगने लगती है।
शालु;नीचे बैठी पप्पू का लंड खड़ा करने की नाकाम कोशिश कर रही थी।
नुतन: झट से वहां से हट जाती है।
हाय दैया वो ऐसे है।
देवा;हाँ ऐसा ही है वो।
चल अब देर मत कर मेरी जान देख न कैसे तड़प रहा है ये तेरी चूत में जाने को जल्दी कर ना।
देवा अपनी लुंगी खोल देता है और नूतन की ऑंखों के सामने वो ज़हरीला नाग आ जाता है जो कई बार उसे डस चूका था।
नुतन भी उससे अपनी चूत मरवाना चाहती थी वो ड़रते ड़रते अपने दुल्हन वाले कपडे उतारने लगती है।उसका मन ये सोचकर और उतेजित हो रहा था की उसके सुहागरात वाले दिन उसके पति के बजाय उसके रिश्ते का भाई देवा उसके साथ सुहागरात मना रहा है।
देवा;नंगा हो जाता है और झट से नूतन के सारे कपडे भी निकाल देता है।
नुतन; कोई आ गया तो बड़ी बदनामी हो जाएंगी भइया
आह आहह उन्हह।
नुतन सिसक पडती है क्यूंकि देवा नीचे बैठ कर उसकी चूत चाटने लग जाता है।
नूतन;किसी तरह अपने मुँह पर हाथ रख कर अपनी आवाज़ को दबाने की कोशिश करने लगती है और देवा अपनी ज़ुबान को नूतन की चूत के अंदर तक घुसा कर चाटने लगता है गलप्प गलप्प गलपप....
नुतन;जल्दी करो भैया कोई आ जायेगा।
देवा;नूतन को लिटा देता है और उस सुहागरात के लिए सजे बिस्तर पर जहाँ पप्पू को होना चाहिए था । वहाँ देवा नूतन की दोनों टाँगें खोल देता है और अपने लंड को नूतन की चूत की गहराइयों में उतार देता है।
एक बार फिर से नूतन को अपना वो दिन याद आ जाता है जब देवा ने उसकी चूत का असली उद्घघाटन किया था।
उधर दूसरे रूम में पप्पू अपनी माँ शालु की चूत को चाटने लगता है।
गलप्प गलपप गलप्प्प गलप्प्प।
शालु;आजा मेरे लाल अंदर आ जा उन्हह।
अपनी माँ के साथ कर ले पहले सुहागरात आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह।
बस भी कर ना आह्ह्ह्ह।
पप्पू;अपनी माँ शालु के पैरों के बीच आ जाता है और अपने लंड को शालु की चूत पर घीसने लगता है।
शालु;नीचे से कमर को ऊपर उठाती है और लंड उसकी गीली चूत में सरक जाता है।
उधर नूतन भी अपनी कमर को ऊपर उठाते हुए देवा के लंड को अपनी चूत की गहराइयों में उतारने लगती है।
नुतन ;आहह जल्दी से मेरी चूत में अपना पानी निकाल दो देवा भइया आह्ह्ह्ह्ह।
मुझे आज की रात ही तुम गर्भवती बना दो आहह चोदो अपनी बहन को उसकी सुहागरात में आहह।
चौद मेरे सैया।