अपडेट 36
देवा अपने दोनों हाथों से रश्मि की कमर को थाम लेता है।
क्या देख रही है।
रश्मी;देख रही हूँ आखिर तूने अपने दिल की मनमानी कर ही लिया।
दे दिया मुझे भी ये रोग।
अब बता शादी के बाद मुझे इसकी याद आएगी तो मै क्या करुँगी।
देवा;क्यों तेरे होने वाले पति के पास नहीं है क्या ये।
रश्मी; होगा मगर इस जैसा तो नहीं होगा न।
देवा;तुझे कैसे पता ऐसा नहीं होगा।
रश्मी; तू सवाल बहुत पूछता है।
अच्छा सुन शादी में तू मुझे क्या तोहफ़ा देने वाला है।
देवा;रश्मि के होठो को चुमते हुए।
बोल क्या चाहिए तुझे जो तू बोलेगी तुझे दूँगा।
रश्मी; पक्का वादा।
देवा अपनी एक ऊँगली पीछे से रश्मि की गाण्ड में डाल देता है।
हाँ पक्का वादा।
रश्मी;उन्हह मुझे शादी के दिन बारात विदाई होने से पहले शादी के जोड़े में चोदना होगा तुझे।
देवा;का लंड ये सुनके ही खड़ा हो जाता है।
वो रश्मि को कमर ऊपर उठाने को कहता है और जैसे ही रश्मि अपनी कमर उठाती है देवा उसकी चुत में लंड फंसा देता है और रश्मि चिकनी चूत में लंड लेते हुए बैठती चली जाती है।
रश्मी; आहह देवा । बोल न चोदेगा न मुझे दुल्हन के जोड़े में आह्ह्ह्ह्ह।
देवा;दोनों कमर को हाथ में पकड़ के सटा सट अपने लंड से उसे नीचे से चोदने लगता है।
हाँ चोदूँगा उस दिन आहह तुझे ये तोहफ़ा चाहिए मुझसे आह्ह्ह्ह्ह।
रश्मी; हाँ मै चाहती हूँ मै तेरा पानी अपनी चूत में ले के ससुराल जाऊँ। उईई माँ इतनी ज़ोर से आह्ह्ह्ह्ह।
ताकी जब भी मेरा पति मुझे करे मेरी चूत में तेरा पानी मुझे महसूस हो।आहह अआहह माँ वो आआआआअहः।
देवा का जोश डबल हो चुका था। एक जवान लड़की जिससे वो दूसरी मर्तबा ही चोद रहा था वो इतना सब कुछ सोच सकती है उसके बारे में। ये बात सोच सोच के उसके लंड में एक अजीब सा खिंचाव आ रहा था।
वो बार बार एक ही बात सोच रहा था जब रश्मि दो बार में इतनी चुदासी हो गई है तो नीलम कैसी होगी और उसकी माँ शालु की चूत में जब मेरा लंड जायेगा तो शालु कैसे चिल्लायेगी । बस यही सोचते हुए देवा रश्मि की चूत की धज्जिया उडाने लगता है।
रश्मी की चूत से पानी की धार बाहर बहने लगती है और देवा की जांघ को गीला करते चली जाती है।
दोनो के होंठ एक दूसरे से ऐसे चिपक जाते है जैसे गोन्द से चिपके हुए हो।
कमरे में दोनों के फूं फूं के और चूत में लंड जाने से फच पच फच फच की आवाज़ गूँजने लगती है।
अपने लंड से वो रश्मि के बच्चेदानी पे दस्तक देने लगता है।
और तभी रश्मि की चूत अंदर ही अंदर देवा के लंड को इतने ज़ोर से जकड लेती है की देवा का ढेर सारा पानी रश्मि की चूत में निकलने लगता है।
दोनो हाँफने लगते है और चुमते हुए एक दूसरे को मसलते हुए अपनी चढी हुई साँस ठीक करने लगते है।
कुछ देर बाद देवा कपडे पहन के रश्मि को चुमता हुआ अपने खेत में चला जाता है।
देवा को तो जैसे अब भूख लगी थी न प्यास रश्मि ने उसे सब दे दी थी।
वो खेत में अपने काम में लग जाता है उसे फिकर थी तो बस हवेली में रात गुजारने की वो जानता था की रानी उसे रात भर नहीं सोने देगी।
और वो रुक्मणी के सामने जाने से डर रहा था पता नहीं उसका ग़ुस्सा शांत हुआ भी है या नही।
यही कुछ बातें उसे परेशान कर रही थी।
बार बार उसे रानी के वो शब्द याद आ जाते की बस माँ को किसी तरह पटा लो वरना हिम्मत राव हम सब का जीना दुशवार कर देगा।
देवा;कुंवे के मुंडेर पे बैठ जाता है।
कुछ मज़दूर पास के खेत में काम कर रहे थे।।
वो उनके पास चला जाता है।
उसके खेत से लगके दीनानाथ का खेत था जिससे देवा काका कहता था ।
दीना नाथ देवा के बाप का अच्छा दोस्त था।
जब भी देवा को उसके बाप की याद आती वो दीनानाथ से मिलके अपने बाप के किस्से सुना करता ।
उसे दीनानाथ में अपना मरा हुआ बाप नज़र आता था।
दीनानाथ देवा को देख खुश हो जाता है और उसे अपने पास चारपाई पे बैठा देता है।
दीनानाथ; का रे बेटवा आज कल देख रहा हूँ तू बड़ा गुमसुम सा रहने लगा है।
पहले तो काका काका करके यहाँ घण्टो बैठा करता था अब सुरत भी नहीं दिखती तोहार।
देवा;नहीं काका बस थोड़े घर के काम में उलझा रहता हूँ।
गन्ने की फसल तो बेच दी है बस ये सूर्य फूल कट जाये तो थोड़ा आराम मिल जाए।
दीनानाथ;हाँ बेटवा तोहरा बाप जबतक ज़िंदा था तुम तो खेत में आते भी नहीं थे। जब से वो बेचारा भगवन को प्यारा हुआ है सारे घर की जिम्मेदारी तोहरे कन्धो पे ही तो आ गई है।
कुछ और बता कही बात चली की ना ही ममता बिटिया की शादी के।
देवा;हाँ काका एक दो जगह बात चल तो रही है देखते है क्या होता है।
दीनानाथ;अरे अच्छा याद आया।
मेरा बेटा बता रहा था की तू आज कल हवेली के बहुत चक्कर काट रहा है।
देवा;वो काका जागिरदार की बिटिया को कार सीखाना थी तो जागिरदार ने मुझे वो काम दिया था। छोटी मालकिन को कार सिखाने का।
दीनानाथ; धीरे से देवा के कान के पास आके बोलने लगता है।
बेटा वहां मत जाया कर तु।
देवा; क्यों काका।
दीनानाथ; तुझे तेरी माँ ने बताया नहीं क्या।
तेरा बाप भी तो वहीँ से ग़ायब हुआ था।
देवा; खड़ा हो जाता है।
क्या हवेली से बापु ग़ायब हुआ था पर कैसे।
दीनानाथ; अरे बैठ इतने ज़ोर से क्यों बोल रहा है मुझे लगा तुझे पता होंगा।
बड़ा अच्छा था तेरा बाप।
यही रोज़ बैठ के बातें किया करते थे हम।
तेरे बाप के ग़ायब होने से एक महीना पहले पता नहीं उसे हवेली में क्या काम मिल गया था। दिन रात वही रहने लगा था मैंने कितनी बार पूछा मगर कभी नहीं बताया।
और फिर एक दिन अचानक से वो ग़ायब हो गये।
देवा;का तो जैसे सर चकरा जाता है।
रत्ना ने उसे कहा था की उसके बापु की मौत दिल के रुक जाने से हुई थी।
पर आज जो बात दिनानाथ काका ने उसे सुनाई थी उसे उसका दिल बेचैन सा हो गया था।
वो बहुत छोटा था जब ये हादसा हुआ था।
देवा को तो अपने बाप की शक्ल भी ठीक से याद नहीं तकरीबन 5 साल का रहा होगा देवा उस समय।।
देवा;सीधा अपने घर की तरफ चल देता है वो बड़े बड़े कदम भरता हुआ घर पहुँच जाता है।
वो सीधा घर के अंदर माँ माँ चिल्लाता हुआ दाखिल होता है।पर उसे रत्ना और न ममता कही नज़र नहीं आती है।
वो जैसे ही अपने कमरे में दाखिल होता है हैरान रह जाता है।
उसके बिस्तर पर नूतन बैठी हुई थी और उसने देवा के कपडे पहने हुए थे।
देवा;उसे देखता ही रह जाता है। पहली बार किसी लड़की को लड़के के कपडो में देख रहा था देवा।
वो उसके पास जाके बैठ जाता है
नुतन तो देवा को अचानक कमरे में देख पहले ही घबरा गई थी न वो कुछ बोल रही थी और ना ही देवा से नज़रें मिला पा रही थी।
देवा उसे निचे से ऊपर तक देखने लगता है।
देवा; क्या है ये नूतन । तूने मेरे कपडे क्यों पहन रखे है और माँ और ममता कहाँ है।
नुतन; वो देवा भैया वो मै वो..... तो बस ऐसे ही देख रही थी।
मेरा मतलब है मेरे कपडे मैंने धोने के लिए डाले है इस लिये
देवा;माँ कहाँ है।
नुतन ; वो और ममता शालु काकी के यहाँ गए है।
देवा; अच्छा तो तूने कपडे धोने के लिए डाले तो तू ममता के भी तो कपडे पहन सकती थी ना।
नुतन: खामोश बैठी रहती है।
देवा;सच बता.. क्यों पहने मेरे कपडे।
नूतन फिर भी कुछ नहीं बोलती।
देवा; अच्छा तो तू ऐसे नहीं बतायेगी। ठीक है
उतार । जल्दी उतार मेरे कपडे।
नुतन ; बिस्तर से उतर के बाहर जाने लगती है पर देवा उसका हाथ पकड़ लेता है और दरवाज़ा बंद कर देता है
देवा; यही उतार।
नुतन ; भैया यहाँ कैसे उतारूँ।
देवा;जैसे पहने थी वैसे उतार भी। वरना माँ से और मामी से बोल दूंगा की तू लड़को के कपडे पहनती है।
नुतन ; नहीं नहीं भैया माँ से मत कहना वरना वो मुझे जान से मार देगी।
देवा;तो फिर उतार वरना माँ और ममता आ जाएगी।
नुतन देवा का पहना हुआ शर्ट उतार देती है।
और पेंट भी निकाल के देवा को दे देती है।
देवा; इसे भी उतार।
नुतन ; अपने ब्रा पे हाथ रखते हुए
पर ये तो मेरा है।
देवा;जितना बोल रहा हूँ उतना कर उतर इसे भी।
पता नहीं अंदर मेरी कोई चीज़ छुपा रखी होगी तुने।
नुतन ; मैं क्या आपको चोर लगती हूँ।
देवा; हाँ चोरो की तरह मेरे कपडे पहनती है। चल जल्दी कर।
नुतन ; डरते ड़रते अपने ब्रा भी खोल देती है वो सिर्फ पतली सी ममता की पेंटी पहने खड़ी थी।
देवा; ये किसकी है।
नुतन ; ममता दीदी की।
उसे इतनी शर्म आ रही थी की वो अपने दोनों हाथों से अपना चेहरा छुपा लेती है।
और उसी वक़्त देवा उसके मोटे मोटे ब्रैस्ट को अपने मज़बूत हाथों में थाम लेता है।
एक बिजली का करंट नूतन के शरीर में दौड जाता है।
नुतन ; आहह भैया क्या कर रहे हो मै आपकी बहन हूँ ना।
देवा; हाँ पता है तू कौन है।
और देवा नूतन की बंद ऑखों का फायदा उठाते हुए उसकी दोनों ब्रैस्ट को मसलते हुए चूम लेता है।
नुतन से बर्दाश्त नहीं होता और वो वहां से किसी तरह भागने में कामयाब हो जाती है और सीधा ममता के कमरे में जा के अंदर से दरवाज़ा बंद कर देती है।
देवा;ममता के कमरे के पास जा के दरवाज़ा खटखटाता है मगर नूतन दरवाज़ा नहीं खोलती।
देवा;नूतन मै माँ और ममता को लेने शालु काकी के यहाँ जा रहा हूँ कपडे पहन लेना और अगर ये बात माँ या ममता के कानो तक गई तो तेरी खैर नही।
नुतन कोई जवाब नहीं देती बस चुपचाप बिस्तर पे पड़ी पड़ी अभी अभी हुई घटना को सोच सोच ठन्डी आहें भरने लगती है।
देवा शालू के घर रत्ना और ममता को लेने चला जाता है।