Incest हाय रे ज़ालिम................

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पदमा की नज़रें ये सब देख रहें थी उसे समझते हुए देर नहीं लगती के ये लौंडिया भी कई दिनों के प्यासी है।

किरण;अरे देवा तुम इस वक़्त कुछ काम था।

देवा;हाँ वो वैध जी से दवायें लेनी थी।

किरण;बाप्पू तो पास के गांव गए हुए है कोई बीमार है वहां उन्हें तो देर लगेगी।

देवा;अच्छा तो फिर हम चलते है।

किरण;ऐसे कैसे इतनी दूर से आये हो अंदर तो आओ चाय पानी पिके जाओ और ये तुम्हारे साथ कौन है।

देवा;पदमा काकी ये किरण है वैध जी की बहु और किरण ये है हमारी पदमा काकी।

क़िरण;नमस्ते

पदमा;नमस्ते

किरण उन्हें एक कमरे में बैठा के दूसरे कमरे में चली जाती है।

देवा;पदमा का हाथ पकड़ के दबाता है।
चल अच्छा हुआ अब तो वक़्त ही वक़्त है हमारे पास।

किरण;दूसरे कमरे में से देवा को आवाज़ देती है।
देवा ज़रा यहाँ आना तो ये डब्बा नहीं खुल रहा है ज़रा खोल दोगे।

देवा;उठके उस कमरे में चला जाता है जहाँ से किरण की आवाज़ आई थी।

क़िरण;देवा के कमरे में आते ही उससे लिपट जाती है
देवा देवा कबसे तुझे याद कर रही हूँ मै और तू अब आया है और तू अकेले क्यों नहीं आया रे ।

देवा;किरण के नरम नरम कमर को दोनों हाथों से दबाने लगता है।
मै तो अकेले ही आने वाला था रास्ते में काकी मिल गई
चिंता मत कर वो किसी को कुछ नहीं कहने वाली।

किरण; अच्छा इसका मतलब उसकी भी ले चूका है तु।

देवा;हाँ।

क़िरण; मैं तो पहले दिन ही तुम्हे देखके समझ गई थी की तुम बहुत काम के चीज़ हो।
 
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देवा;तुम भी कहाँ कम हो। जबसे तुमने इसे हिलाया है तबसे देखो कैसे खड़ा हुआ है नीचे बैठता भी नही।

किरण;इसे तो मै अभी ठीक करती हूँ।
किरण;देवा को धक्का देके नीचे बैठा देती है और एक झटके में देवा की पेंट नीचे खिसका देती है।
हाय रे कितना मोटा और लम्बा है कल रात भर मेरे सपने में मुझे तरसाता रहा है ये। अब्ब नहीं छोड़ूँगी इसे।

किरण;देवा के लंड को हिलाते हुए अपने मुंह में ले लेती है और उसे गलप्प गलप्प हलक तक खीच के चुसने लगती है।

देवा;आहह आराम से कर किरण आह्हह्हह्हह्हह।

बाहर बैठी पदमा को कुछ शक होता है देवा को अंदर गए काफी वक़्त हो गया था। न वो बहार आया था न किरण । वो उठके उस कमरे की तरफ बढ़ती है और जैसे ही वो दरवाज़े के पास पहुँचती है उसका शक यक़ीन में बदल जाता है।



पदमा;अच्छा तभी तो मै सोचु की तुम डब्बा खोलने गए हो या इसका घाघरा खोलने।

देवा और किरण पदमा को देखकर मुस्कुरा देते है।
काकी ये भी आपके तरह बडी उदास उदास से रहती है सोचा बेचारी की थोड़े उदासी दूर कर दुं।

पदमा;कमर मटकाते हुए उन् दोनों के पास आ जाती है हाँ इस काम में तो तुम माहिर हो ज़रा मै भी तो देखु कितनी तीख़ी मिर्ची है ये वैध की बहु।



पदमा;किरण के होठो को चुम के देखती है किरण के होठो पे देवा का हल्का हल्का पानी भी लगा हुआ था जिसे पदमा चाट लेती है।

किरण;आहह काकी ।

पदमा;बडी तीखी है री तू। मेरे देवा पे क्या जादू कर दिया तूने की एक ही दिन में तेरा दिवाना हो गया।

क़िरण; काकी देवा तो नई चूत का दिवाना है आज इसे हम दोनों ऐसा मजा चखाएंगे की ये भी हमें याद रखे।

पदमा;तू इसे नहीं जानती किरण बिटिया ।बड़ा ज़ालिम है ए।

किरण;देखते है रास्ता ख़तम होता है या मुसाफिर थकता है।

दोनो औरतें नंगी होकर देवा के लंड पे टूट पडती है।
 
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दो लंड की भूखी औरतें जब देवा के लंड को चूसना शुरू करती है तो देवा के मज़े का ठिकाना नहीं था।

कभी पदमा की तो कभी किरण के मुंह में देवा का लंड घूसने लगता है।

किरण;पदमा से भी ज़्यादा चुदक्कड़ औरत थी। वो प्यासी थी भूखी थी और जवान भी थी । चूत की आग जब जिस्म पे हावी हो जाती है तो सामने को तिनका बाकी नहीं रहता सब उसकी चपेट में आ जाते है।

देवा;आज दो भूखी शेरनियों के बीच फँस गया था।

पदमा;देवा के सर के पास आ जाती है और अपनी चूत उसके मुंह के पास ला के उसके सर को अपनी चूत पे दबाती है।

देवा;ज़ुबान बाहर निकाल के पदमा की चूत चाटने लगता है गलप्प गलप्प गलप्प।

किरण की चूत पानी छोड़ रही थी पर ये वो बारिश नहीं थी जो बंजर बीयांबान में हरयाली ला दे।

देवा;के लंड की नसे मोटी हो चुकी थी।
उससे रहा नहीं जाता और वो अपना मुंह पदमा की चूत से हटा के किरण को अपने पास खीच लेता है।

देवा;किरण के कमर पे दो तीन थप्पड मारता है और पीछे से उसके चूत पे थूक लगा के लंड चूत के मुहाने पे रगडने लगता है।

किरण;हाय माँ डाल दे न आहह और कितना तड़पाएगा आह।

पदमा;किरण के मुंह के पास लेट जाती है और देवा जैसे ही पहला धक्का किरण की चूत में मारता है किरण खुद बा खुद पदमा की चूत पे झुकती चली जाती है।

इधर देवा किरण को पीछे से चोद रहा था। उधर किरण पदमा की चूत को अंदर तक चाटने लगती है।



किरण;आहह बड़े दिन के बाद किसी मरद से पाला पड़ा है आहह चोद मुझे ज़ोर से आहह निकाल दे मेरे सारी चूत की मस्ती । आह्ह्ह्ह माँ वो तेरा लंड मेरी चूत को अंदर तक चीर रहा है रे आह्ह्ह्ह्ह्ह।

देवा;आहह तुझे देखना था न कौन थकता है देख अब आहह आह्ह्ह्ह्ह्।

किरण;आहह बता मुझे तेरे लंड की ताकत आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् पेल्ल्लल्ल मुझे आअह्हह्हह्हह।
 
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पदमा;कमर उठा उठाके देवा का साथ देने लगती है।

देवा;किरण के बाल पकड़ के उसे पदमा की चूत के पास खीचता है।
आहह्ह्ह्ह मुंह खोलललललल सालीईईईईईईईईईईई।

क़िरण;जैसे ही मुंह खोलती है देवा उसके मुंह में लंड पेल देता है कुछ देर तक वो किरण से चुसवाता रहता है उसके बाद पदमा क की गाण्ड पे थूकता है और बिना पदमा से कहे उसके गाण्ड के सुराख़ को भी खोलता चला जाता है।

पदमा;आहह नहीं ना वहां नहीं देवा।

देवा;चुप कर साली आहह तेरा हर सुराख़ मेरा है आह्ह्ह्ह्ह्ह।

कभी किरण के मुंह में तो कभी पदमा के गाण्ड में थोड़े थोड़े देर से देवा दोनों में लंड डाल डाल के चुदाई का मजा लेने लगता है।



आखीर कार पदमा भी देवा के आगे हार जाती है और उसकी चूत से भी गाढा गाढा लावा बाहर बहने लगता है।

देवा;पदमा की गाण्ड में और नहीं टीक पाता और वो अपना लंड बाहर निकाल लेता है और दोनों औरतों के मुंह पे पानी की बारिश करने लगता है।

क़िरण और पदमा इस बारिश में भीग जाते है तीनो का अंग अंग मदमस्त हो चुका था।

देवा; लंड को कपडे से साफ़ करने लगता है और इधर किरण और पदमा एक दूसरे के मुंह में मुंह डाले देवा के पानी को चाटने लगती है।



रात काफी घिर चुकी थी वैध के भी आने का वक़्त हो चला था इसलिए देवा पदमा को साथ लेके गांव की तरफ चल देता है।
 
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अपडेट 17

जब देवा घर पहुँचता है तो उसे रत्ना के साथ शालु बात करते दिखाई देते है पास में ममता भी बैठी हुई थी।

देवा;हाथ मुंह धो के उन के पास जाके बैठ जाता है।

रत्ना के चेहरे पे परेशानी के बदल छाये हुए थे। ममता भी उदास दिखाई दे रही थी।

देवा;क्या बात है माँ आप दोनों इतने उदास क्यों दिखाई दे रही हो।

रत्ना;देवा तेरी मामा की तबियत बहुत ख़राब हो गई है।
अभी अभी उनके गांव से एक आदमी ये संदेशा दे के गया है बेटा। मेरा मन बहुत घबरा रहा है पता नहीं क्या हुआ है तेरे मामा को।

देवा;माँ आप चिंता क्यों करते हो अगर आपका मन नहीं लग रहा तो चलो मै आपको मामा के घर छोड आता हूँ।आपको उनसे मिलके अच्छा लगेगा।

शालु;हाँ रत्ना देवा बिलकुल ठीक कह रहा है तुम एक बार हो आओ अपने मायके से।

ममता; मैं भी चलुंगी।

रत्ना;तू चलेगी तो यहाँ देवा के खाने पीने का कौन ध्यान ख्याल रखेगा।

शालु;अरे मै क्या मर गई हूँ देवा हमारे घर खाना खा लिया करेगा।तुम उसकी बिलकुल चिंता मत करो।

रत्ना;आँखों ऑखों में देवा से पूछती है और देवा उसे जाने की इजाज़त दे देता है।रात के खाने के बाद देवा रत्ना और ममता को ले के मां के घर निकल जाता है।

रत्ना;देवा तू भी कुछ दिन वह रुक जा।

देवा;माँ तुम्हे तो पता है ना फसल तैयार खडी है अगर मै वहां रुक गया तो साल भर के मेंहनत मिटट्टी में मिल जाएँगी । मै फसल की कटाई के बाद तुम लोगों को लेने आ जाऊंगा और कुछ दिन वही रूकूंगा। ठिक है।

रत्ना;जैसा तुझे ठीक लगे बेटा अपने खाने पीने का ख्याल रखना।

बातों बातों में वो सभी देवा के मामा के घर पहुँच जाते है।
देवा के मामा माधव सिंह एक ४५ साल के शख्स थे ।
उनके २ बच्चे थे। एक लड़का रामु और लड़की नूतन।
रामु की शादी दो साल पहले हो चुकी थी और नूतन अभी अभी जवान हुई थी।

रामु की पत्नी का नाम था कौशल्या लेकिन सभी उसे काशी कहके बुलाते है।।उमर 19 साल।

देवा की मामी का नाम था देवकी।उमर 35 साल।एक हंसमुख मिज़ाज़ औरत
देवा का नाम उन्होंने ही अपने नाम पे रखा था देव।

वो बचपन से देवा को अपने सगे बेटे की तरह मानती थी।

देवा;रत्ना और ममता के साथ मां के घर में दाखिल होता है उन्हें देख सभी खुश हो जाते है।खास तौर पे देवकी।उसके ऑखें जैसे ही देवा से मिलती है वो खुद को नहीं रोक पाती। तेज़ कदमों से चलके आते हुए देवा को अपने सीने में छुपा लेती है।

देवकी;देवा कितना सूना लग रहा है मेरा बच्चा अपने मामी को भूल गया न । तुझे एक दिन भी यहाँ की याद नहीं आये ।

देवा;शर्मिंदा सा हो जाता है और देवकी से माफ़ी माँगते हुए घर के बाकी सभी लोगों से भी मिलता है।

रत्ना तो अपने भाई के खैर ख़ैरियत पुछने बैठ जाती है।

देवकी देवा को जाने नहीं देना चाहती थी। पर जब देवा और रत्ना उसे समझाते है और देवा फसल की कटाई के बाद वापस आने का वादा करता है तो देवकी मान जाती है और देवा वापस घर की तरफ निकल जाता है।।

देवा जब घर पहुँचता है तो काफी रात हो चुकी थी वो काफी थक भी चूका था। बिना माँ और बहन के घर उससे काटने को दौडता है वो किसी तरह बिस्तर पे सर रखता है और थकान के कारण उसे नींद भी लग जाती है।

सुबह देवा जल्दी उठके जब खेतों में जाने के तैयारी कर रहा था तो घर के दरवाज़े पे दस्तक होती है। जब वो दरवाज़ा खोलता है तो सामने शालु हाथ में नाश्ते की थाली लिए उसे खड़ी मिलती है।

देवा;अरे काकी इतनी सुबह सुबह और ये सब क्या है।

शालु;तेरी माँ ने मुझे सब बता दी थी कल रात ही की तू कब उठता है कब खेत में जाता है और तुझे कब खाना देना है चल जल्दी से बैठ मै तेरे लिए गरम गरम पराठे बनाके लाई हूँ।
देवा;मुस्कुराता हुआ नाशता करने लगता है।

अब कैसी तबियत है काका की।

शालु;ठीक है ये मुई शराब की लत पता नहीं कैसे लग गई उन्हें।
उनका घर में होना न होना एक सामान है।

देवा;क्या मतलब।

शालु;कुछ नहीं पराठे कैसे बने है।

देवा;बहुत अच्छी जिसने भी बनाये है ना दिल कर रहा है उसके हाथ चूम लूँ।

शालु;शरमाते हुए धत अपने काकी को चूमेगा।

देवा;आहहहह क्यों इसमें बुराई क्या है।
कहो तो अभी चुम लूँ।

शालु;चल हट बेशरम कही का । सब जानती हूँ तेरे करतूतों को मैं।
देवा;हाय काकी कभी मुझे भी जानने दो ना आपके बारे में।

शालु;तू चुप चाप नाश्ता करता है या नही।

और देवा हँसता हुआ नाश्ता ख़तम करने लगता है।

शालु;दोपहर का खाना तू घर आके खा लेना ठीक है।
अरे हाँ एक बात तो मै तुझे बताना भूल ही गई।
वो आज दोपहर में लड़के वाले आ रहें है।

देवा;किसलिये।

शालु;अरे बाबा रश्मि नहीं तो नीलम दोनों में से किसी एक को पसंद करने बस एक बार दोनों की अच्छे से शादी हो जाये तो समझो मैंने गंगा नहा ली।

नीलम का नाम सुनते ही देवा के चेहरे का रंग उड़ जाता है।

शालु तो बर्तन उठाके चली जाती है पर देवा वही चारपाई पे बैठ जाता है।

नीलम देवा का बचपन का प्यार।
पुरे गांव में नीलम जैसे लड़की नहीं थी । शरीफ समझदार ।
देवा को वो बचपन से पसंद थी और कही न कही नीलम भी देवा को चाहती थी पर दोनों सिर्फ आँखों के इशारो में एक दूसरे की खैर ख़ैरियत पूछा करते थे।

न देवा में हिम्मत होती उससे बात करने की ना नीलम कभी कोशिश करती।
 
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बचपन की मोहब्बत धीरे धीरे परवान चढ़ती रही और जब शालु ने नीलम की शादी की बात की तो देवा के दिल में बहुत ज़ोर का दर्द हुआ था।

वो फैसला कर लेता है की चाहे कुछ भी हो जाये वो नीलम को किसी और की होने नहीं देगा पर सबसे पहले उसे अपने दिल की बात नीलम को बतानी थी।

वो उदास दिल से अपने खेत में चला जाता है।

उसे खेत में काम करते करते ११ बज जाते है।
उसे रानी का ख्याल आता है आज उसका दिल हवेली में जाने को नहीं कर रहा था पर वो जानता था की अगर वो नहीं गया तो हिम्मत राव कही नाराज़ न हो जाए।

वो धीमे कदमों से हवेली पहुँचता है।

हवेली में सन्नाटा पसरा हुआ था बाहर दो कार में से सिर्फ एक कार खडी थी। वो हवेली के अंदर चला जाता है।

जैसे ही वो रानी के कमरे के दरवाज़े के सामने पहुँचता है उसे अंदर से रानी की आवाज़ आती है।

रानी;अंदर आ जाओ देवा।

देवा;हैरान होके रूम के अंदर चला जाता है।
मालकिन आपको कैसे पता की मै बाहर खड़ा हूँ।।

रानी;मेरे दिल ने कहा की तू बाहर खड़ा है देवा और मेरा दिल मुझसे कभी झूठ नहीं कहता।
अरे बुधू मैंने तुझे खिडकी से देख ली थी।

अच्छा ये बता कैसी लग रही हूँ मैं।



पतली सी चोली घाघरे में रानी सचमूच क़यामत लग रही थी
कुछ पलों के लिए तो देवा नीलम को भी भूल जाता है।

देवा;बहुत खूबसूरत छोटी मालकिन।

रानी;मालकिन नहीं रानी बोलो मुझे।

देवा;मालकिन मेरा मतलब है रानी । चलिये कार सीखने चलते है।

रानी;नहीं आज नहीं वैसे भी माँ और बापू शहर गए है डॉ को माँ की तबियत दिखाने । तो हम दोनों बिलकुल अकेले है इसका मतलब समझते हो तुम।

देवा;नहीं मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा मै चलता हूँ।।

रानी;जल्दी से दरवाज़ा बंद कर देती है।
जब देखो वही घर जाना । इधर आओ मेरे पास और अगर तुमने मेरी किसी भी बात से इंकार किया तो जानते हो ना मै किस से तुम्हारी शिकायत करुँगी।

देवा;बिस्तर पे बैठ जाता है।
 

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