अपडेट 23
सुबह जब देवा की आँख खुली तो उसके पास कोई नहीं था।
न रत्ना और न देवकी वो सबसे पहले फ्रेश होने चला जाता है।
बाथरूम से नहा के जब वो जिस्म पे सिर्फ टॉवल लपेट के बाहर निकलता है ।
तो सामने कुरसी पे कौशल्या बैठी मिलती है।
कौशलया;देवा को ऐसे देख शरमा के अपना चेहरा दूसरी तरफ कर लेती है।
देवा;झट से अपनी क़मीज़ पहन लेता है।
भाभी कुछ काम था क्या।
कौशल्या;नहीं मै तो वो नाश्ते का पुछने के लिए आई थी
यहाँ ले आऊँ या बाहर लगा दुं।
देवा;माँ कहाँ है।
कौशल्या;वो ममता दीदी के साथ पास के सुषमा काकी के यहाँ गई है।
देवा; अच्छा ऐसा करो आप यही ले आओ नाशता।
कौशल्या;मुस्कुराते हुए नाश्ता लाने चली जाती है।
घर में सन्नाटा पसरा हुआ था।
आम तौर पे गांव के सभी लोग सुबह सुबह ही खेत में काम करने चले जाते थे और शाम ढले वापस आ जाते थे।
देवा;नाश्ता करते करते कौशल्या से पूछता है।
मामी और रामु भाई कही नज़र नहीं आ रहे।
कौशल्या;वो हमारे नए खेत में गए है वहां कुंवे की खुदाई का काम शुरू है।
देवा;अरे वाह मुझे भी खेत में कुंवा खुदवाना है।
आप मुझे खेत ले चलिये न मुझे आपका नया खेत पता नहीं है।
कौशल्या;नहीं मै नहीं आ सकती।
देवा;पर क्यूँ ।
कौशल्या;मुझे घर में बहुत काम है आप पूछते पूछते चले जाना।
देवा;अरे भाभी आप मुझे खेत दिखा के वापस आ जाना।
कौशल्या;कुछ देर खामोश रहती है फिर कुछ सोचते हुए कहती है।
ठीक है पर आप उनसे या माँ से ये मत कहना की मै आपके साथ खेत तक आई थी।
देवा;कुछ हैरान होता है पर कहता कुछ नही।
ठीक है नहीं कहूँगा।
नाशते के बाद कौशल्या और देवा खेत की तरफ चल देते है।
देवा;भाभी एक बात पुछु।
कौशल्या;हाँ पुछो ना।
देवा;नहीं जाने दो आप बुरा मान जाएगी।
कौशल्या; ओफ़ हो देवरजी पूछ भी लो नहीं मानूगी बुरा।
देवा;वो मै ये पूछ्ना चाहता था की जबसे मै यहाँ आया हूँ तबसे मै गौर कर रहा हूँ की आप मुझे अजीब नज़रें से क्यों देख रही है।
कौशल्या;मुस्कुरा देती है।
बात ये है की आपकी सुरत मेरे भैया से बहुत मिलती जुलती है ।
जब भी आपको देखती हूँ मुझे ये महसूस होता है की मै भैया को देख रही हूँ।
देवा;ओह्ह तो ये बात है।
मै भी ना।
कौशल्या;क्या।
देवा;नहीं कुछ भी तो नही।
आपके भैया आपसे मिलने आते है।
कौशल्या;खेत आ गया अब मै चलती हूँ।
देवा;अरे रुको न ।
वैसे यहाँ तो कोई नज़र नहीं आ रहा कहाँ है मामी और भाई।
कौशल्या;घबराये हुए आवाज़ में चलो घर चलते है। शायद वो घर चले गए होंगे।
देवा: मैं ज़रा झोंपडी में देख लेता हूँ।
कौशल्या;नहीं नहीं देवरजी वहां मत जाओ।
देवा;अजीब नज़रों से कौशल्या को देखता है और चुपचाप झोपडे के पास चला जाता है वो बस झोपडे का दरवाज़ा खोलने ही वाला था की अंदर से आती आवाज़ सुनके उसके हाथ दरवाज़े पर ही रुक जाते है।
कौशल्या;भागते हुए देवा के पास आ जाती है
और धीमे आवाज़ में कहती है । चलो यहाँ से।
देवा;कौशल्या का हाथ पकड़ के उसे झोंपडे में बनी खिड़की के पास ले जाता है वो समझ रहा था की अंदर गांव के कोई लैला मजनु अपने रास लीला में मगन है।
जैसे ही वो खिड़की के पास पहुँच के अंदर झाँकता है उसके हाथ पैर सुन्न पड़ जाते है।
झोंपडी के अंदर देवकी और रामु थे।
रामु;चारपाई पे लेटा हुआ था और उसके पास देवकी बैठी उसके पैर दबा रही थी।
ये देख देवा को कुछ अजीब सा लगता है क्यूंकि देवकी के हाथ रामु के जांघ के पास थे और वो जांघ को दबाते दबाते लंड को भी छु रही थी।
देवा और कौशल्या ऑखें फाड़े ये देख रहे थे।
रामु;माँ आज रहने दो न बदन बहुत दर्द कर रहा है।
देवकी; इसीलिए तो तेरे बदन की मालिश कर रही हूँ जानती हूँ न मै वो तेरी पत्नी कौशल्या तुझे रात भर सोने नहीं देती है ना और दिन में मेरे पास आने के बाद तेरा जिस्म दर्द करने लगता है।
रामु;अरे माँ ऐसी बात नहीं है।
देवकी;बस बस रहने दे सब जानती हूँ मै वैसे भी बूढी औरत किसे अच्छी लगती है।
तेरा बापु तो किसी काम के अब रहे नहीं। दो तीन धक्कों में सो जाते है।
बेटा है पर वो भी अब अपने जवान बीवी की ओखली में मुंह डाले पड़ा रहता है।
रामु; चुप कर साली 18 साल की उम्र से तुझे पेल रहा हूँ अभी तक तेरी चूत की आग नहीं बुझी।
देवकी; बेटा ये आग मरने के बाद ही बुझती है।
देख न मेरी चूचि भी कैसे सुख गई है बिना पानी के ।
रामु;देवकी को निचे गिरा देता है और देवकी के लटके हुए ब्रैस्ट को अपने मुंह में भर के चुसने लगता है । गलप्प गलप्प गप्प्पप्पलपल्लल्लल्ल
आह्ह्ह्ह।
देवकी;आहह चूस ले बेटा रोज़ बस एक बार ही तो माँगती हूँ तुझसे ।
उसमेँ भी तो आना कानी करने लगा है आह्ह्ह्ह्ह्ह।
रामु;माँ तू बहुत गलप्प कमिनी है रोज़ रोज़ करने के बाद भी रोती रोती रहती है। वो देख कौशल्या को कई कई हफ्ते उसे हाथ तक नहीं लगाता फिर भी मुंह से एक लफ़्ज़ भी नहीं कहती। गलप्प गलप्प्पप्पप्प।
देवकी;कहाँ से बोलेगी बोलके तो देखे फिर देख क्या करती हूँ मै उसका आह्हह्हह्हह्हह।सालीईईईईईईई
रंडीईईईईईईईईईईई।
रामु;अपनी ज़ुबान देवकी के मुंह में डालके उसके ज़ुबान चुसने लगता है गलप्प गलप्प।
देवकी;आहह श बेटा मुंह में डाल ना अपना लंड। बड़ा मीठा है तेरा लंड आःह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्।।
रामु;खड़ा हो के अपनी पेंट निचे सरका देता है और देवकी के काँधे को पकड़ के उसे थोड़ा ऊपर उठाता है।
देवकी;अपना मुंह जैसे ही खोलती है रामु अपने लंड को उसके मुंह में पेल देता है और देवकी भी बड़े चाव से रामु के लंड को चुसने लगती है। गलप्प अहह गलप्प....
रामु;आहह माँ इतने ज़ोर से मत खीचो न आह्ह्ह्ह्ह्ह।
देवकी;रामु की बातों की तरफ ध्यान दिए बिना रामु के लंड को चूस चूस के खड़ा कर देती है।
और झट से अपनी दोनों टाँगे खोल के लेट जाती है।
चल आजा रात भर से तड़प रही हूँ लंड के लिये।
रामु;पहले थोड़ा रस पान तो करने दो माँ।
वो देवकी की पेंटी निकालने लगता है और देवकी दोनों हाथों से सिसकारियां भरते हुए अपनी ब्रैस्ट मसलने लगती है आह्हह्हह्हह्हह।
रामु;अपनी माँ की चूत पे झुकता है और उसी वक़्त देवा भी अपनी मामी की चूत के दर्शन कर लेता है। ये सब देख के उसका लंड भी तम्बू बन चुका था । कौशल्या की साँसे तेज़ चल रही थी उसके ब्रैस्ट बार बार देवा की पीठ को छुने लगते है।
अंदर रामु अपनी माँ देवकी की चूत पे जूबान घुमाने लगता है और देवकी कमर उछालते हुए रामु के सर को अपनी चूत पे दबाने लगती है आह्ह्ह्ह्ह्ह।
उपर ऊपर की मलाई क्या खा रहा है असली माल तो अंदर है । घुसा दे ज़ुबान अंदर आह्ह्ह्ह्ह्ह बेटे।
रामु अपनी माँ की आज्ञा का पालन करते हुए अपनी ज़ुबान देवकी की चूत के अंदर तक पेल देता है।
देवकी; आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह।
देवकी;आहह बेटा तू मुझे एक दिन इस तरह से मार देंगा आअह्हह्हह्हह।
बस भी कर देखता नहीं माँ की चूत क्या चाहती है।
रामु;देवकी की ऑंखों में देखते हुए।
क्या चाहती है माँ की चूत।
देवकी; अपने बेटे रामु का लंड चाहती है मेरी चूत। आह्ह्ह्हह्ह्ह्ह दाल दे ना रे।
रामु देवकी के दोनों पैर खोल देता है और अपने लंड पे थोड़ा सा देवकी की चूत से निकला पानी लगाता है और देवकी की ऑखों में देखते हुए
ले माँ आअह्हह्हह्हह।
देवकी; हाय मर गई रामू।
रामु का लंड देवा के लंड की तरह नहीं था पर इतना बड़ा था की किसी भी औरत को संतुष्ट कर सके।
वो देवकी की चूत के अंदर तक लंड डालके उसे चोदने लगता है।
और देवकी अपने बेटे से चिपक के निचे से कमर उछालने लगती है।
देवकी;आहह काश मुझे एक और बेटा होता तो दोनों बेटो को एक साथ आगे पीछे से लेती आह्ह्ह्ह्ह्ह।
रामु;क्यूँ मेरा कम पड़ता है क्या माँ आहह तुझे।
देवकी;नहीं रे तू नहीं समझेगा। आह्ह्ह्ह्ह्ह।
कौशल्या की चूत खड़े खड़े पानी छोड़ने लगती है और वो देवा का हाथ पकड़ के उसे खेत से बाहर ले आती है।
वो दोनों कुछ दूर चलके एक कुंवे के पास जाके बैठ जाते है।
दोनो एक दूसरे को नहीं देख रहे थे और न कुछ बोल रहे थे।
कुछ देर बाद कौशल्या मौन व्रत तोड़ती है।
इसलिए मै तुम्हें यहाँ नहीं ला रही थी।
देवा; तो क्या आपको पहले से सब पता था।
कौशल्या;हाँ जब मै शादी करके नई नई इस घर में आई थी उसके चार दिन बाद ही मुझे माँ ने उनके और तुम्हारे भैया के रिश्ते के बारे में सब कुछ बता दी थी।
देवा;आप फिर भी यहाँ रही। अपने माँ बाप के घर नहीं गई।
कौशल्या;शादी के बाद लड़की का ससुराल ही उसका सब कुछ होता है देवा। वो मर के ही वहाँ से निकलती है।
देवा;मुझे तो अभी तक विश्वास नहीं हो रहा की एक बेटा अपनी माँ के साथ ये सब भी कर सकता है।
कौशल्या;दुनिया में हर प्रकार के लोग रहते है देवा ।
देवा; कैसा लगता होंगा जब एक बेटा अपनी माँ के साथ ये सब करे। मुझे तो सोच के ही अजीब सा लग रहा है।
कौशल्या; अच्छा ही लगता होगा वरना एक आदमी अपनी बीवी को छोड के माँ के ऊपर नहीं चढ़ता।
देवा; कौशल्या की ऑखों में आये ऑसू देख लेता है।
देवा;भाभी आपको कैसा लगता है।
कौशल्या; हाँ चलो बहुत देर हो रही है तुम्हारी माँ भी वापस आ गई होंगी।
देवा;खड़ा हो जाता है और चलने लगता है।
कौशल्या; एक मिनट तुम ज़रा अपना मुंह उस तरफ करो।
देवा; क्यूं।
कौशल्या; करो भी मुझे पिशाब ज़ोर से लगी है।
देवा;अपना मुंह दूसरी तरफ कर लेता है और कुछ देर बाद फिर से सर घुमा के उस तरफ देखता है जहाँ कौशल्या खड़ी थी।
कौशल्या;मुस्कुराते हुए देवा को देखती है और फिर अचानक अपनी सलवार का नाडा खोल के निचे बैठ के देवा की तरफ देख के मुतने लगती है।
वो फिर से देवा को दूसरी तरफ देखने के लिए नहीं कहती।
पेशाब करने के बाद वो खडी होती है और अपना नाडा भी देवा को देखते हुए बाँधने लगती है।
कौशल्या; चलो।
एक बात बताओ तुम्हें अपनी माँ कैसी लगती है।
देवा; मतलब अच्छी है।
कौशल्या;देखो बुरा मत मानना। अब हमने इतना सब कुछ देख लिया है तो तुम मुझसे एक दोस्त की तरह बात कर सकते हो। मै वादा करती हूँ किसी को कुछ नहीं कहूँगी।
देवा;ठीक है।
कौशल्या;तो बताओ तुम्हें तुम्हारी माँ कैसी लगती है।
देवा;सच कहूं तो मुझे माँ साडी में बहुत अच्छी लगती है।
मा का पेट। हिलते हुए कमर मुझे हमेशा से अच्छे लगते है।
कौशल्यक; हम्म इसका मतलब।
देवा;इसका कोई मतलब नहीं निकलता भाभी आप अपना दिमाग बेकार में ऐसे वैसे बातों में मत लगाओ चलो वैसे भी घर आ गया है। मै कुछ काम निपटाके आता हूँ।।
कौशल्या;कमर हिलाते हुए घर में चली जाती है।
रात का खाना खाने के बाद रामु और देवा बाहर घुमने निकल जाते है।
देवा; चुपचाप चल रहा था।
रामु;अरे देवा बड़ा गुमसुम है कुछ बोल भी।
देवा;क्या बोलूं भाई आपसे कुछ छुपा तो है नही।
साला इतना बड़ा जिस्म हो गया है पर अभी तक कोई लौंडिया हाथ नहीं आई।
रामु हंसने लगता है और देवा को पास के एक शराब के दुकान पे ले जाता है।
देवा;शराब नहीं पीता था पर रामु जी भर के पीता था और वो पीता चला जाता है।
जब उसका कोटा पूरा हो जाता है और वो ठीक से चल भी नहीं पाता तो देवा उसे अपने काँधे के सहारे से घर वापस लाने लगता है।
रामु;शराब के नशे में बड़बड़ाने लगता है।
अरे तू साले बच्चा का बच्चा ही रहेगा तुझे कभी चूत नहीं मिलने वाली । मुझे देख एक से बढ़कर एक माल है मेरे पास।
देवा;हाँ शादी कर ली है ना आपने कम उम्र में । आप तो यही कहोंगे।
रामु;कौन तेरी भाभी अरे वो छिनाल तो जूठन है अपने भाई की।
देवा;क्या मतलब।
रामु;मतलब ये की वो अपने भाई के साथ लगी हुई थी उसके माँ बाप ने जूठन को मेरे गले बांध दिया साली अपने भाई से चुदती थी हरामज़ादी।
देवा के दिमाग की नसे फड़फडाने लगती है।
कौशल्या भाभी अपने सगे भाई के साथ ।
उसे यक़ीन नहीं होता।
देवा;भाई आप झूठ बोल रहे हो ना।
रामु;अरे देवा अगर मेरी बात झूठी निकले ना तो मूत देना मेरे मुंह पे।
देवा;रामु को उसके कमरे में ले जाता है।
कौशल्या;कमरे में साडी पहन रही थी।
रामु को नशे में देख कौशल्या उसे सहारा देने आगे बढ़ती है पर रामु उसका हाथ झटक देता है और धडाम से बिस्तर पे गिर जाता है और कुछ ही पलों में घर्राटे भरने लगता है।
कौशल्या;अभी भी ऐसे ही पल्लु निचे गिरा हुआ नरम नरम रसदार ब्रैस्ट दीखाते खड़ी थी।
देवा;एक नज़र कौशल्या पे ड़ालता है और जाने लगता है।
कौशल्या;देवर जी आप सोने जा रहे हो ना।
देवा;हाँ ।
कौशल्या;कुछ चाहिए।
मेरा मतलब है भूख तो नहीं लगी है न।
देवा; कौशल्या की ब्रैस्ट को घुरते हुए कहता है नहीं अभी नहीं लगी।
कौशल्या;अपना पल्लू ठीक करती है और देवा को जाते देखती है।
देवा;पलट के एक मर्तबा फिर से कौशल्या की तरफ देखता है।
और कौशल्या अपनी कातिल नज़रों से देवा को फिर से घायल कर देती है।