Incest हाय रे ज़ालिम................

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बुरी तरह घबराई हुई रुक्मणी देवा से चिपक जाती है वो रोये जा रही थी और देवा को उसकी जान बचाने के लिए शुक्रिया पे शुक्रिया कहती जा रही थी।

देवा;मालकिन चलिये घर चलते हैं।

रुक्मणी;देवा के साथ कार में जाके बैठ जाती है।
देवा अगर तुम आज वक़्त पर नहीं आते तो पता नहीं क्या हो जाता।

देवा;कुछ नहीं होता मालकिन आपको लगा होगा की मै कपडे लेने में वयस्त हो गया हूँ ।नही मालकिन आपकी जान मेरे लिए अपनी जान से भी ज़्यादा कीमती है।

ये भोलेपन में कहे गए शब्द रुक्मणी के दिल में हलचल मचाने के लिए काफी थे।
अब दोनों के बीच की ख़ामोशी ख़त्म हो चुकी थी और दोनों एक दूसरे से हँस हँस के बातें करने लगते है।

देवा;मालकिन एक बात पुछो।

रुक्मणी; पुछो।

देवा;आप डॉ के पास क्यों गई थी।?आपकी तबियत ख़राब है क्या ?

रत्ना; अब तुमसे क्या छुपाना देवा।
सच बात तो ये है की तुम्हारे मालिक मुझसे शादी करके फँस गए है मै उन्हें सन्तान का सुख नहीं दे सकती । देवा मुझ जैसे अभागन को कितने प्यार से रखते है तुम्हारे मालिक। तुम नहीं जानते वरना उनके जगह कोई और होता तो कबका मुझे छोड चूका होता।

रुक्मणी के चेहरे पे उदासी आ जाती है।


देवा;अरे मालकिन आप भी न ऐसे उदास उदास बिलकुल अच्छी नहीं लगती।
इन्सान को मरते दम तक हिम्मत नहीं छोड़नी थी।
जहां चाह वहां राह मिलते है मालकिन।

रुक्मणी;हम तुम बातें बहुत अच्छे करते हो देव।

देवा;मालकिन मेरी एक बात मानोगी आप।

रुक्मणी;हाँ ज़रूर बोलो क्या बात है।

देवा;मालकिन एक बार आप मेरे साथ उस दूसरी डॉ के पास चलेंगे। आपको पता है मेरी बहन को बहुत आराम मिला था वहाँ।।वो बार बार पेट में दर्द से तड़प उठती थी पर जबसे उस डॉ के पास से इलाज करवा के लाया हूँ उसका दर्द ग़ायब हो गया है।

बस मेरी खातिर एक बार आप उस डॉ के दवा लेके देख लीजिये।

रुक्मणी; अच्छा बाबा चले जाएंगे।बस खुश।

देवा खुश हो जाता है और कार हवेली पहुँच जाती है।
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कार से उतर कर रुक्मणी देवा को अंदर चल के चाय पीने के लिए कहती है।पर देवा जल्द से जल्द घर जाना चाहता था वो जो कपडे लाया था वो ममता और रत्ना को देना चाहता था।

देवा;मालकिन मै बाद में चाय पी लूँगा अभी मुझे घर जाना है उसके चेहरे की ख़ुशी रुक्मणी पढ़ लेती है वो देवा को जाने देती है और खुद हवेली के अंदर चली जाती है।

रानी;अपने रूम में अभी भी नंगी पडी हुए थी मालिश से उसका बदन और ज़्यादा अकड गया था । चूत की नसें उसे खींची खींची महसूस हो रही थी।

रुक्मणी; सीधा अपने कमरे में चले जाती है वो थकान महसूस कर रही थी। वो बिस्तर पे लेट जाती है।
बदन में थकान थी पर ऑखों में नींद दूर दूर तक नहीं थी । बार बार दिमाग में कुछ देर पहले हुए हादसा घूम रहा था । उसका दिल बार बार उसे एक ही बात याद दिला रहा था की अगर सही वक़्त पे देवा वहां नहीं आता तो पता नहीं क्या हो जाता।

वो अपनी ऑंखें बंद कर लेती है की तभी देवा का चेहरा उसके ऑंखों के सामने आ जाता है।
देवा;के वो शब्द अब भी रुक्मणी के कानो में गूंज रहे थे की मेरी जान से ज़्यादा मुझे आपकी जान प्यारी मालकिन।

रुक्मणी के चेहरे पे हलके से मुसकान आ जाती है।
आखीर जब कोई अपनी जान से ज़्यादा दूसरे की जान की परवाह करे तो ऐसे आदमी पे भला किसे प्यार नहीं आयेगा।

देवा;अपने घर की तरफ जा रहा था रास्ते में पदमा का घर पडता था।
वो अभी अभी नहा के आँगन में आई थी और अपने बाल सुखा रही थी।
की उसकी नज़र देवा पे पडती है वो फ़ौरन देवा को आवाज़ देती है।

देवा;मुस्कराता हुआ पदमा के बारामदे में आ जाता है।

देवा;क्या बात है काकी क्यों बुलाया मुझे।

पदमा;शहर से आ रहा है न तु।

देवा;हाँ अभी अभी लौटा हूँ बस घर ही जा रहा था।

पदमा;यहाँ आना कुछ देर मेरे पास बैठ।

देवा;नहीं काकी मै ज़रा जल्दी में हूँ।

पदमा;जल्दी तो मुझे भी है देवा। बस थोड़ी देर।

देवा; काकी मै बाद में आ जाऊंगा ।
अभी चलता हूँ ये कहके देवा जैसे ही घर की तरफ पैर आगे बढाता है।

पदमा;उसे आवाज़ देती है।

देवा;मूडता है और देखता ही रह जाता है।
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पदमा;ज़ालिम अपनी पदमा को छोड के कहाँ जा रहा है ज़रा आम का रस तो पी ले।

देवा;के मुंह में बड़े बड़े आम देख के पानी तो आ रहा था पर घर जाने की जल्दी उसे बहुत थी। वो रत्ना और ममता के चेहरे देखना चाहता था जब वो अपने अपने कपडे देख के उछल पडेंगी।

पदमा;आगे बढ़ती है।
क्या हुआ देवा पेट भर गया या भूख नहीं है।

देवा;दोनों बातें नहीं है काकी आप बात समझ नहीं रही हो।

पदमा;देवा के हाथ में के कपडो के बैग खीच के एक तरफ रख देती है।
कबसे देख रही हूँ तू बडे नखरे कर रहा है ।
पहले तो लेने के लिए बड़ा उतावला हो रहा था अब देने वाली तैयार है तो तू सता रहा है।

देवा;पदमा को कुछ कहता उससे पहले पदमा देवा के ऊपर टूट पड़ती है और उसे घास पे अपने ऊपर गिरा देती है।

पदमा;देवा बहुत तड़प रही हूँ रे कुछ करता क्यों नहीं ये कैसी आग तूने बदन में लगा दिया है मेरे।जितना बुझाने की कोशिश करती हूँ भडकती जाती है। कुछ कर देवा अपनी पदमा को फिर से पीस दे अपने नीचे।

देवा;पदमा की ऑखों में उतरे नशे को देख चूका था। वो पदमा के ब्रैस्ट मसलता हुआ उसके होंठों पे अपने होंठ रख देता है और उसके नीचले होंठ को काटने लगता है। गलप्प गलप्प ........



पदमा;अपना हाथ नीचे की तरफ करके देवा के पेंट की ज़िप खोलने लगती है पर देवा उसका हाथ पकड़ लेता है।

देवा;नहीं अभी नहीं बाद में।

पदमा;बौखला जाती है और देवा को अपने ऊपर से धक्का दे देती है।

देवा;क्या हुआ काकी नाराज मत हो।

पदमा;अपने घर के कमरे में जाते हुए।
चला जा यहाँ से और दूबारा मुझे अपनी सुरत मत दिखाना। अगर दिखाई भी दिया न तो मुझसे बुरा कोई नहीं होंगा ।
ये कहके पदमा घर का दरवाज़ा अंदर से बंद कर देती है।
MAST POST
 
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पदमा के रवैये में आये इस अचानक बदलाव से देवा हैरान रह जाता है।

वो कुछ देर दरवाज़े को देखता रहता है और फिर अपना बैग उठाके अपने घर चला जाता है।

पदमा;घर के अंदर ज़मीन पे पड़ी अपनी चूत को मसलते हुए रोने लगती है।

हिम्मत राव;रंडीबाज़ी करके हवेली आ चुका था वो सबसे पहले रुक्मणी को ढूँढ़ता है।

रुक्मणी उसे किचन में काम करते हुए मिलती है।

हिम्मत राव;अरे आप इतनी जल्दी आ गये रुकिये।

रुक्मणी;हाँ वो डॉ साहब दूसरे गांव गइ हुई थी

हिम्मत राव;अरे ये तो बहुत बुरा हुआ कोई बात नहीं बाद में चले जाना।

रुक्मणी;सुनिये।

हिम्मत राव;पलट के रुक्मणी की तरफ देखता है।
क्या बात है रुको।हिम्मत राव उसे प्यार से रुको बुलाता है।

रुक्मणी;एक पतिवरता औरत थी अपने पति से बेहद प्यार करने वाली रुक्मणी हिम्मत राव से हर काम पुछके करती थी।

रुक्मणी; वो देवा कह रहा था की शहर में एक और दूसरी डॉ है जो बहुत अच्छे से इलाज करते है। देवा की बहन को भी बहुत फायदा पहुंचा है ।
अगर आप कहें तो मै उस डॉ के पास दिखा दुं।

हिम्मत राव;के कान खड़े हो जाते है।
वो कुछ देर चुप रहने के बाद कहता है।
रुको हमे दूसरे डॉ के पास दिखाने की कोई ज़रूरत नहीं है।।वो भी वही दवाये देँगी जो ये देती है।
तुम्हारी बीमारी इतनी जल्दी ठीक होने वाली नहीं है अगर हम किसी के भी कहने पे ऐसे डॉ बदलते रहे तो
तुम्हे बहुत परेशानी होंगी।
और ये मै बिलकुल नहीं चाहता ....रुको।
जहां इलाज शुरू है वही रहने दो कोई ज़रुरत नहीं किसी दूसरे डॉ के पास जाने की।

रुक्मणी;ठीक है जैसा आप कहे।
WOW YE THAKUR KA PYAR
 
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नीलम देवा को तड़पा के वहां से अपने घर भाग जाती है मगर देवा की कोई इच्छा नहीं थी अपने घर वापस जाने का।
शालु और पप्पू दूर खड़े देवा के बारे में ही बातें कर रहे थे। दोनो माँ बेटे सलाह करके देवा के पास आते है और शालु देवा को घर चल के खाना खाने के लिए कहती है।
देवा;मना करता है मगर शालु उसे ज़बर्दस्ती अपने घर ले आती है।
खाना खाने के बाद देवा आराम करने पीछे के रूम में चला जाता है और पप्पू अपने खेत में काम करने के लिए निकल जाता है।
शालु और नीलम घर में साफ़ सफाई कर रहे थे।
शालु;अरे नीलम बेटी वो ज़रा देवा को हल्दी वाला दूध का एक गिलास दे दो।
नीलम;ठीक है माँ। नीलम एक गिलास में दूध डालके उस में थोडी सी हल्दी मिलाके देवा के पास जाती है।
देवा उस वक़्त बिस्तर पर लेटा अपनी माँ और बहन के बारे में सोच रहा था । नीलम को देख वो उठके बैठ जाता है।
नीलम;शर्माते हुए दूध का गिलास देवा की तरफ बढाती है देवा गिलास लेने के बहाने नीलम का नाज़ुक हाथ दबा देता है।
नीलाम; बनावटी ग़ुस्से से देवा को घुरने लगती है।
देवा;इशारे से नीलम को बैठने के लिए कहता है।
नीलम;चुप चाप एक कोने में बैठ जाती है।
एक बात पुछु।
देवा;हाँ पूछ ना।
नीलम;वो वो आप माँ से नाराज़ क्यों है।
देवा;माँ मेरी शादी करवाना चाहती है उनके रिश्तेदार की लड़की से।
नीलम;चौंक के देवा की तरफ देखती है।
क्या।
देवा;हाँ नीलम बस इसी बात को ले के माँ और मेरे बीच तू तू मै मै हो गई थी।
नीलम की ऑखों में ऑंसू आ जाते है वो अपने ऑसू छूपाने के लिए सर झुका लेती है।
देवा;क्या हुआ।
नीलम;कुछ नही।
आप क्या चाहते है।
देवा;माँ को मै नाराज़ नहीं देख सकता नीलम।
नीलाम;ये सुनके सिसक पडती है।
देवा; अरे अरे रोती क्यों है।
नीलम;देवा का हाथ झटक के खड़ी हो जाती है।
देवा;अरे पगली रो मत मै तो मज़ाक़ कर रहा था।
माँ कोई मेरी शादी वादी नहीं करवाना चाहती वो तो बस एक छोटी सी बात पर माँ और मेरे बीच बहस हो गई थी । तू भी न पगली कही की।
नीलम ;दना दन देवा की छाती पर मुक्कों की बरसात कर देती है।
और देवा हँसता हुआ नीलम को अपने बाहों में समेट लेता है।

नीलम; आइन्दा ऐसी बात मुँह से निकली भी न मेरे सिवा किसी और के बारे में सोचना भी मत।
देवा;और अगर सोचा तो।
नीलम;जान से मार दुंगी।
देवा; किसे मुझे।
नीलाम;नहीं आपको नहीं उसे और फिर खुद भी मर जाऊँगी बोल देती हूँ।
देवा;नीलम को अपनी छाती से और कस के चिपका लेता है।
मेरे दिल के एक एक धड़कन में तू बसी है नीलम मुझे तेरे सिवा कोई नहीं भाता।
अरे मेरी जान ऐसे ही नहीं कहता मै तुझे।
नीलम;सब झूठ है।
हमेशा सताते रहते हो मुझे।
देवा;एक ही है ना मुँह लगाने को। दो चार होती तो इतना नहीं सताता।
नीलम;एक से ही काम चलाना पडेगा।
देवा;नीलम की ऑखों में देखने लगता है।
नीलम;ऐसे क्या देख रहे हो जी।
देवा;अपने आप को देख रहा हूँ।
नीलम;ऑंखें बंद कीजिये।
देवा;क्यूं।

नीलम;बंद करो ना।
देवा;ऑखें बंद कर देता है।
और उसकी ऑखें बंद होते ही नीलम के नाज़ुक होंठ देवा को अपने गालों पर महसूस होते है।
नीलम; धीरे से देवा के कान में कहती है।
मै आपसे बहुत प्यार करती हूँ देवेन्द्र।
देवेन्द्र ;देवा का असली नाम । कोई भी उसे इस नाम से ना जानता था और न पुकारता था। बस नीलम उसे कभी कभी इस नाम से पुकारती थी।
और देवा समझ जाता था की नीलम को क्या चाहिए।
देवा;ऑखें खोल के दोनों हाथों में नीलम के चेहरे को थाम लेता है और उसके होठो पर अपने होंठ रख के उसे एक डीप किस करके होंठ हटा लेता है।
नीलम उसी बेहोशी की आलम में बिना कुछ कहे वहां से बाहर चली जाती है।
अजीब मोहब्बत थी दोनों की।
एक देवा जिसे औरत में सिर्फ दो चीज़ें नज़र आते थी चूत और गाँड।
मगर नीलम के मामले में वो बिलकुल किसी बच्चे की तरह पेश आता था नीलम के साथ।
एक नीलम बहुत खामोश तबियत लड़की।
अपने दुनिया में रहने वाली उसकी दुनिया का राजकुमार था उसका देवा।
जो उसे एक दिन घोड़े पर बैठा के दूर किसी दूसरी दुनिया की सैर करवाने ले जाने वाला था अपने मोहब्बत के लिए वो दुनिया से भी लड जाए ऐसी थी नीलम।

रात घिरने लगती है और ममता देवा से मिलने शालु के घर आती है।

ममता;काफी देर से देवा के पास बैठी उसे समझाने की कोशिश कर रही थी मगर देवा था की चलने को तैयार नहीं था।
ममता ;भैया अगर आप मेरे साथ नहीं आएंगे न तो मै अपनी जान दे दूंगी सच्ची । वो बोलते सिसक सिसक के रो पडी।
देवा;तू जानती है ना ममता मै वहां कैसे किस मुँह से जाऊँ। माँ को देखते ही मुझे वो सब याद आ जायेगा।

ममता ;भैया माँ ने कहा है की तुम घर आ जाओ वो तुम्हें कुछ नहीं कहेंगी।
तुम्हेँ जैसा रहना है वैसे रहो बस घर लौट आओ।
तुम्हे अपनी बहन की कसम।
देवा;ऐसा कहा माँ ने।
ममता ;हाँ बिलकुल ऐसे ही वो खुद तुम्हें लेने आने वाली थी मगर तुम्हारा ग़ुस्सा देख नहीं आई। चलो न भैया घर चलो ना।
देवा;तू जा मै कल सुबह आ जाऊँगा।
ममता ;अभी क्यों नही।
देवा;जा बोला न दिमाग ख़राब मत कर।
ममता ;देवा का पारा चढ़ता देख खड़ी हो जाती है।
कल कितने बजे लेने के लिए आऊँ मै फिर....
देवा;जा मै आ जाऊंगा सुबह खेत से सीधा घर आऊँगा।
ममता ;ठीक है।
वो अपने ऑंसू पोछते हुए वहां से अपने घर लौट जाती है।
शालु;देवा के पास आके बैठ जाती है।
क्या कह रही थी ममता।
देवा;कुछ नहीं मुझे घर चलने के लिए कह रही थी।
शालु;क्या कहा तुमने उससे।
देवा;यही के कल आऊँगा।
शालु; अच्छा चलो रात बहुत हो गई है तुम पिछे वाले रूम में जा के सो जाओ।
देवा;तुम नहीं चलोगी।
शालु;धत बेशरम जा मुझे भी नींद आ रही है।
शालु नीलम और पप्पू के पास जाके लेट जाती है।
और देवा उठके रूम में जाके लेट जाता है।
रात का अँधेरा गहरा होने लगता है।
देवा ;को नींद नहीं आ रही थी।
की तभी उसके रूम का दरवाज़ा खुलता है।
वो दरवाज़े की तरफ देखता है और
उसके मुँह से बस इतना ही निकल पाता है तुम यहाँ इस वक़्त।
 
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अपडेट 32

देवा सुबह सवेरे अपने खेत में चला जाता है पिछले कुछ दिनों से वो अपने खेत में हल चलाने के बजाये कही और ही हल चला रहा था और बीज बो रहा था जिससे उसके खेत में सूर्य फूल की फसल धीरे धीरे करके बर्बाद हो रही थी।।

सुबह से ही वो फसल पे फर्टीलाइज़र्स और कीटनाशक का छिडकाव कर रहा था।
और इसी चक्कर में उसे दोपहर हो जाती है।।

वो हाथ मुंह धोके कुंवे के मुंडेर पे बैठा ही था की उसे पप्पू आता दिखाई देता है।

पप्पू;अरे भाई देवा कहाँ हो आज कल जबसे मां के घर से आये हो न मिलते हो न बातचीत हो पा रही है तुमसे।

देवा;बैठ यहाँ।
कुछ नहीं यार मां के यहाँ कुछ दिन रुक क्या गया। देख फसल पे कीड़े लगने लगे है।।गन्ने की फसल तो कट गए बस ये सूर्य फूल बाकी है अब।।
अच्छा तू बता तू क्यों नहीं दिखाई दे रहा है । मै तो दो तीन बार तेरे घर भी आया था।

पप्पू;वही खेती के काम।
और सुना मां के घर गया था तो वहां गांव में कोई चक्कर वक्कर चलाया की नही।

देवा;हंस पड़ता है
जब घर में गरम रोटी खाने को मिले तो कोई बाहर की सुखी रोटी क्यों खाये।

पप्पू;क्या मतलब।

देवा;अब तुझसे क्या छुपान।मामा के घर जाने में मेरा बहुत फायदा हो गया भाई।
मामी भी मिल गई और भाभी को भी ठोक आया।

पप्पू का मुंह खुला का खुला रह जाता है।
क्या बोल रहा है तू भाई। सच में मामी को कैसे।

देवा;पप्पू को सारी बात सुना देता है वो सुनके पप्पू की गाण्ड की सिट्टी बजने लगती है।

पप्पू;बड़ा कमीना है रे तू देवा।।यहाँ पदमा काकी और वहां मामी।
और एक मै हूँ जिसे कोई भाव तक नहीं देता।
पता नहीं मेरे दिल की मुराद कब पूरी होंगी।

देवा;कौन सी मुराद बे।

पप्पू के मुंह से ये दो लफ़्ज़ अचानक ही निकल गए थे। वो देवा से अपनी ये बात कभी भी शेयर करना नहीं चाहता था।।


देवा;अबे बोल भी कौन से दिल की मुराद।

पप्पू;नहीं वैसे ही बस एक आध लड़की को चोदने की भाई।

देवा;पप्पू के कमर पे दो हाथ जड़ देता है।
साले मुझसे छुपा रहा है चल जल्दी बोल मै तेरे दिल की मुराद पूरी करने में मदद करूँगा।

पप्पू;वो पहले तू मेरी कसम खा की तू ये बात किसी को नहीं बतायेगा।।

देवा पप्पू की कमर पे हाथ घुमा देता है।
ले बस तेरी गाण्ड की कसम जिसे मैंने कई बार लिया है नहीं कहुंगा किसी से भी।

पप्पू;देवा तुझे पता है मेरा दिल हमेशा से ये चाहता है की मै किसी अपने को चोदूँ। कोई मेरा सगा खून वाला रिश्ते में तेरे मुंह से तेरी मामी के बारे में सुना तो मुझे भी यक़ीन हो गया की दुनिया में ऐसा भी होता है।।

देवा का मुंह खुला का खुला रह जाता है।
इसका मतलब तू अपनी माँ और बहन को।

पप्पू देवा के मुंह पे हाथ रख देता है।
धीरे बोल कोई सुन न ले।

देवा;तू तो बड़ा छुपा रुस्तम निकला बे साले।

पप्पू;हाँ भाई सच में मेरा दिल करता है की मै अपनी माँ शालु के साथ बस ज़्यादा नहीं एक बार रात गुज़ारूँगा।

देवा;सोचने लगता है की कही इसने जोश जोश में आके किसी दिन नीलम को ही ठोक दिया तो।

पप्पू;क्या हुआ किस सोच में पड़ गया।क्या तू करेगा मेरी मदद।

देवा;हाँ हाँ करुँगा न मगर मेरी दो शर्तें है भाई।

पप्पू;कैसी शर्तें।

देवा;पहली ये की तू तेरी माँ और बडी बहन रश्मि के साथ कुछ भी कर ले। मगर नीलम को गलत नज़र से देखा भी तो मुझसे बुरा कोई नही।
क्यूंकि मै नीलम से प्यार करता हूँ और उससे शादी भी करुँगा।

दूसरा ये की तेरी मदद करने से मुझे क्या मिलेंगा।


पप्पू;सच में तू नीलम से शादी करेगा। ये तो बहुत अच्छी बात है अरे भाई मै तो सिर्फ माँ के बारे में बोल रहा था । बहनो के बारे में नही।

और तुझे क्या चाहिए बोल जो तो कहेगा वो दूँगा।।

देवा;फिर से पप्पू के कमर पे हाथ घुमाने लगता है।
जब तेरा काम बन जाये तो बहती नदी में मुझे भी डूबकी लगाने देना।

पप्पू;आहह कमीना कही का चल ठीक है।

देवा;पप्पू का सर पकड़ के अपनी तरफ खीचता है और पप्पू नज़रें झुकाता हुआ उसके होठो के क़रीब पहुँच जाता है।

पप्पू;अभी नहीं कोई देख न ले।

देवा;मुझे अभी चाहिए देता है या नही।

पप्पू;अपनी ऑंखें बंद करके थोड़ा सा मुंह खोल देता है।

और देवा अपनी ज़ुबान को पप्पू के मुंह में डालके उसके होठो को चुस्ने लगता है। गलपप गलप्प.....

पप्पू के हाथ देवा के पेंट की ज़िप खोल देते है और पप्पू अपने हाथ में देवा का लंड लेके हिलाने लगता है।

तभी दूर से देवा को रश्मि आती दिखाई देती है।

देवा;तेरी बहन आ रही है।

पप्पू; डर के मारे देवा के लंड को छोड देता है और झोंपडे के पीछे जा के चुप जाता है।

रश्मी;देवा के पास आके खड़ी हो जाती है।
देवा भैया तुमने मेरे भाई को कही देखा है क्या।

देवा;हाँ देखा है न।

रश्मी;कहाँ है।

देवा;यहाँ।
वो रश्मि को अपने पेंट की ज़िप की तरफ इशारे से बताता है।

रश्मी; दाँत पीस के रह जाती है।
बेशरम।
वो दिखे तो कहना माँ बुला रही है।

देवा रश्मि का हाथ पकड़ के उसे अपने पास बैठा देता है।

कुछ देर यहाँ भी बैठ जा। शादी के बाद तो तू दिखाई भी नहीं देगी हमें।

रश्मी; अब ऐसी भी बात नहीं है भैया आऊँगी ना आपको मिलने।

देवा;अपना एक हाथ रश्मि के काँधे पे रख देता है।

जीसे पहले रश्मि झटक देती है।

देवा फिर से अपना हाथ वहाँ रख देता है।

और इस बार रश्मि चुप चाप बैठी रहती है।

देवा; अच्छा एक बात बता तूने अपने होने वाले पति को देखा भी है या नही।

रश्मी शर्मा जाती है।मुझे जाने दो बहुत काम है।

देवा;सच में यार किस्मत वाला होंगा वो इंसान जिसे तू मिलेगी।

रश्मी;वो कैसे।

देवा;अरे इतनी सुन्दर सुशील लड़की किस्मतवालो को मिलती है।
तेरी जैसी खूबसूरत लड़की पूरे गांव में नहीं है अपने।

रश्मी;चने के झाड पे चढने लगती है।
बस बस रहने दो अब इतनी भी अच्छी नहीं दिखती हूँ मैं।

देवा;अपने हाथ का जादू रश्मि के गरदन पे चलाने लगता है और धीरे धीरे रश्मि की गरदन को अपनी उँगलियों से सहलाने लगता है।

रश्मी;तुम्हें सबसे अच्छा क्या लगता है मुझ में।

देवा;तू तो सर से पांव तक खूबसूरत है और सबसे अच्छी चीज़ तो तूने छुपा रखी है।

रश्मी; वो क्या।

देवा; एक मिनट तू यहाँ लेट जा मै तुझे देखता हूँ।

रश्मी;नहीं नहीं तुम फिर से कोई शैतानी करोगे।

देवा;ठीक है तो फिर तू जा।

रश्मी;अब बुरा मत मानो अच्छा बाबा लेट गई अब बोलो।

देवा;पहले ऑखें बंद कर।

रश्मी;उस वक़्त देवा के चने के झाड पे इतनी ऊपर तक चढ़ गई थी की उतरना मुश्किल था।।
अखीर वो भी एक भारतीये लड़की थी।।ज़रा सी तारीफ कर दो लड़की खुद बा खुद चली आती है।

देवा;रश्मि के ऑंखें बंद करते ही धीरे धीरे उसकी कमीज ऊपर करने लगता है और रश्मि के कुछ कहने से पहले अपने होंठ रश्मि के काँपते पेट पे रख देता है।


रश्मी; उईईईईई माँ।


देवा;अपने मज़बूत हाथों से रश्मि के पेट को सहलाते हुए चुमने लगता है जिससे रश्मि तड़प उठती है। जबसे उसकी सगाई हुई थी तबसे उसकी चूत गीली रहने लगी थी। ऊपर से देवा की हरकतें उसे आये दिन सपने में परेशान करते रहती थी।।

आज देवा ने उस जगह अपनी ज़ुबान रखा था की वो खुद चाह के भी उसे रोक नहीं पा रही थी।

रश्मी;देवा ये गलत है ऐसा मत करो ना।

देवा;कुछ भी तो नहीं कर रहा हूँ मै गलप्प गलप्प्प।

देवा;सरकते सरकते रश्मि के होठो के पास आ जाता है और रश्मि के होठो पे होंठ लगा देता है।

पहले रश्मि अपने होंठ नहीं खोलती मगर देवा के उसे मसलने से उसका मुंह अपने आप खुल जाता है और ज़ुबान थोडी सी बाहर निकल जाती है।

उसी वक़्त दोनों की ज़ुबान एक दूसरे से और होंठ एक हो जाते है।गल्पप गलप्प।


रश्मी कुंवारी थी और कुँवारी चूत धक्का भी बर्दाश्त नहीं करती रश्मि भल भल करके पानी छोड देती है और पानी निकलते ही हर किसी का जो हाल होता है वही रश्मि का भी हो जाता है वो अपनी दोनों बंद आँखें खोल देती है और जल्दी से उठके खड़ी हो जाती है।

देवा;अरे रुक न कहाँ जा रही है।

रश्मी;तुम्हारे माँ के पास तुम्हारे कारनामे सुनाने।

देवा;मेरी कसम याद है ना तुझे।

रश्मी;कसम मेरी जुती।
और वो वहां से भाग जाती है।

उसके जाने के बाद पप्पू जो काफी देर से ये सब देख देख रहा था थोड़ा ग़ुस्से और थोड़ा गरम हो चुका था बाहर निकल आता है।


देवा;उसके चेहरे के हाव भाव देख समझ जाता है की एक भाई जग गया है।

पप्पू;ये तुम ठीक नहीं कर रहे हो देवा।

देवा;देख भाई मै तेरी बहन नीलम से शादी करुँगा इस नाते रश्मि मेरी क्या हुए साली और साली तो आधी घर वाली होती है ना इस में गलत क्या है बोल।।

पप्पू;इसलिए तुम मुझे हमेशा साला साला कहते हो।

देवा;हाँ अब समझा तू सही बात।

पप्पू: मैं चलता हूँ माँ इंतज़ार कर रही होंगी।

देवा; अबे सुन तो कब देगा।

पप्पू;बाद में।

देवा;क्या साले तू लड़कियों की तरह भाव खाता है।

पप्पू;रात में।

देवा;एक थप्पड पप्पू के कमर पे लगा देता है।
चल मै भी साथ चलता हूँ मुझे हवेली जाना है।

ओर दोनों साथ चल पडते है

देवा;यार एक बात समझ नहीं आती की औरत जल्दी चूत दे देती है और ये लड़कियां इतनी क्यों भाव खाती है।

पप्पू;भाई तुमने अब तक कितनी लड़कियों का ढक्कन खोला है।

देवा;एक भी नहीं सब पहले से खुली हुई थी

पप्पू;बस यही तो बात है न।
औरत को कितना भी चोदो उसे इतना फर्क नहीं पड़ता मगर लड़की जब तक नहीं खुल जाती वो बस दबाने देगी। कुछ करने जाओ तो लंड पे लात मार के भाग जाएंगी।

देवा;सही कहा तूने क्या बात है साले। मेरे पानी से तो काफी समझदार होता जा रहा है

पप्पू;देवा को पेट में मुक्का मारता हुआ अपने घर की तरफ बढ़ जाता है और देवा हवेली के तरफ।

जब वो हवेली के अंदर जाता है तो उसे सामने के कमरे में रुक्मणी साडी पहनती दिखाई देती है।


सफेद गोरा चिट्टा पेट देख देवा के कदम वही दरवाज़े पे रुक जाते है।
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आज देवा ने उस जगह अपनी ज़ुबान रखा था की वो खुद चाह के भी उसे रोक नहीं पा रही थी।

रश्मी;देवा ये गलत है ऐसा मत करो ना।

देवा;कुछ भी तो नहीं कर रहा हूँ मै गलप्प गलप्प्प।

देवा;सरकते सरकते रश्मि के होठो के पास आ जाता है और रश्मि के होठो पे होंठ लगा देता है।

पहले रश्मि अपने होंठ नहीं खोलती मगर देवा के उसे मसलने से उसका मुंह अपने आप खुल जाता है और ज़ुबान थोडी सी बाहर निकल जाती है।

उसी वक़्त दोनों की ज़ुबान एक दूसरे से और होंठ एक हो जाते है।गल्पप गलप्प।


रश्मी कुंवारी थी और कुँवारी चूत धक्का भी बर्दाश्त नहीं करती रश्मि भल भल करके पानी छोड देती है और पानी निकलते ही हर किसी का जो हाल होता है वही रश्मि का भी हो जाता है वो अपनी दोनों बंद आँखें खोल देती है और जल्दी से उठके खड़ी हो जाती है।
 
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देवा रुक्मणी को देखता ही रह जाता है।

अचानक रुक्मणी की नज़र दरवाज़े की तरफ जाती है
वो झट से अपनी साडी ठीक कर लेती है।

रुक्मणी;अरे देवा आओ आओ अंदर आओ।

देवा;नहीं वो मै तो मालकिन बस ऐसे ही.....
देवा डर भी गया था और थोड़ा सकपका भी गया था।
उसे कुछ नहीं सुझ रहा था की रुक्मणी से क्या कहे।

रुक्मणी;वहां क्यों खड़े हो अंदर तो आओ।

देवा कमरे के अंदर चला जाता है और रुक्मणी दरवाज़ा की कुण्डी लगा देती है।

रुक्मणी;तुम ने तो कल कमाल ही कर दिया मेरी कमर का दर्द बहुत कम हो गया है । बस थोड़ा सा बाकी है।अच्छा हुआ तुम आ गये ज़रा दबा दोगे।

देवा;ठीक है देवा को तो जैसे दिल की बात हो गई थी। वो तो रुक्मणी के गोरे चिट्टे जिस्म को छुना चाहता था।

रुक्मणी;बिस्तर पे लेट जाती है।

देवा उसकी कमर के पास बैठ जाता है
कहाँ दर्द हो रहा है मालकिन ।

रुक्मणी;इशारे से अपने कमर के बीच की दरार में देवा को दिखाती है।
यहाँ पर.....

देवा रुक्मणि को देखता रह जाता है।
वो अपना एक हाथ उसी जगह रखता है जहाँ रुक्मणी ने उसे दिखाई थी।
उभरे हुए कमर पे दोनों कमर के बीच में नरम नरम गाण्ड पे।
आम तौर पे उस जगह दर्द नहीं होता क्यूंकि वहां सबसे ज़्यादा माँस होता है।

देवा के हाथ रखते ही रुक्मणी अपनी कमर को थोडा ऊपर की तरफ उठा लेती है और देवा दोनों हाथों से उसे नीचे की तरफ दबा देता है।
यहाँ ना मालकिन

रुक्मणी; हाँ वही दबाते जा आह्ह्ह्ह्ह।


देवा का तो रुक्मणी की मोटी गांड देख के ही पेंट के अंदर खड़ा हो गया था।
उपर से चूतड दबाने से उसके लंड को अब पेंट में रहना मुश्किल सा हो गया था।

रुक्मणी पेट के बल लेटी हुई थी और देवा उसकी कमर के पास।


रुक्मणी की साँसे फुलने लगती है उसे भी लंड चाहिए था हिम्मत राव तो उसे चोदता नहीं था और करता भी था तो बस कुछ देर के लिये ।वो अंदर ही अंदर सुलगते भट्टे की तरह थी।।

देवा; अच्छा लग रहा है ना मालकिन।

रुक्मणी; हाँ बहुत अच्छा है।
ये कहते हुए रुक्मणी पीठ के बल हो जाती है और अपने दोनों पैर खोल देती है।
उसकी ऑखें अभी भी बंद थी।
आह थोडी जांघ में भी दर्द है रे।

देवा;अपनी मालकिन का वफादार अपने हाथों का जादू रुक्मणी के जांघो पे भी चलाने लगता है।

जैसे जैसे देवा के हाथ ऊपर की तरफ चढ़ते है रुक्मणी अपने होठो पे ज़ुबान फेरने लगती है।

दोनो जानते थे की हो क्या रहा है मगर दोनों अपने अपने सीमा में रह कर खेलना चाहते थे।

रुक्मणी एक औरत थी वो भी भारतीय। वो कभी अपने मुँह से ये नहीं कहती की देवा मेरी ले ले।

देवा का लंड अब उसके पेंट में इस कदर फूल चुका था की उसे बाहर हवा में निकाल के थोडी साँस लेने देना बहुत ज़रूरी था वरना उसके घुट के अकड़ने का डर था।

वो कुछ सोचता है और अपने हाथों को धीरे धीरे रुक्मणी की जांघ पर से ऊपर चढाता हुआ उसके पेट को छुते हुए दोनों हाथ रुक्मणी के नरम मुलायम ब्रैस्ट पे रख के जल्दी से दोनों आम को मसल देता है।

एक हलकी से चीख रुक्मणी के मुँह से निकलती है वो एक पल के लिए ऑखें खोलती है और अगले ही पल बंद कर देती है।

देवा रुक्मणि के दोनों ब्रैस्ट को मसलते हुए उसके गरदन को चुमने लगता है।


मालकिन आप बहुत सुन्दर हो गलप्प गलप्प।

रुक्मणी; उन्हह आह्ह्ह्ह
मेरी जान बचाने वाले देवता आहह कुछ करना आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह।

देवा डरते ड़रते रुक्मणी के ब्लाउज के दोनों बटन खोलने लगता है और रुक्मणी नंगी होने के एहसास से ही कांप जाती है।

दोनो ब्रैस्ट सामने आते ही देवा अपने ज़ुबान को उसे चुमने से रोक नहीं पाता और अपना पूरा मुँह खोले गलप्प गलप्प दोनों को बारी बारी चुसने लगता है।


रुक्मणी अभी भी अपनी ऑंखें बंद किये देवा के बालों को सहला रही थी और उसके सर को अपनी छाती पे दबा रही थी।

देवा;एक निप्पल को मुँह में ले के ज़ोर से काट देता है।

जीससे रुक्मणी की चिख निकलने लगती है पर सही वक़्त पे देवा अपने होंठ रुक्मणी के होठो से लगा के उसकी आवाज़ बंद कर देता है और रुक्मिणी के रसीले होठो को गलप्प गलप्प चूसने लगता है।


रुक्मणी अपनी कमर को ऊपर निचे करने लगती है और फिर अचानक वो एकदम शांत पड़ जाती है और झटके से देवा को अपने ऊपर से ढकेल देती है।

देवा;क्या हुआ मालकीन।

रुक्मणी;चला जा यहाँ से मै अपने पति को धोखा नहीं दे सकती।।
चला जा अभी के अभी वरना मुझसे बुरा कोई नही।

देवा को यक़ीन नहीं होता की एक ही पल में रुक्मणी की सोच को क्या हुआ अभी वो देवा को कुछ करने के लिए बोल रही थी और फिर अचानक वो उसे जाने के लिए कह रही है।

रुक्मणी के अंदर की पतिवरता औरत जाग गई थी।।

देवा को कुछ समझ नहीं आता और वो अपने लंड को पेंट में किसी तरह इधर उधर एडजस्ट कर के घर जाने लगता है।

वो जैसे ही हवेली से बाहर निकल के कच्चे रास्ते पे आता है उसे रास्ते में हिम्मत राव और रानी आते दिखाई देते है।
उन दोनों को देख देवा घबरा जाता है और खुद को किसी तरह क़ाबू में करने लगता है।।

हिम्मत राव;उसके पास आके।
कहाँ से आ रहे हो देवा।

देवा;वो मालिक बस ऐसे ही आपके तरफ आ गया था।

हिम्मत राव; अच्छा हुआ तुम मुझे मिल गए।
देखो देवा मै एक हफ्ते के लिए गांव से बाहर जा रहा हूँ शहर में कुछ काम है मुझे।।

यहाँ हवेली में रानी बिटिया और रुक्मणी अकेली रह जाएंगी।।
मै ये चाहता हूँ की तुम रात में यहाँ सोने आ जाया करो।

पास के गांव में चोरी हुई है मै नहीं चाहता की ऐसा कुछ यहाँ भी हो।।

तूम्हे कोई दिक्कत तो नहीं है न।

देवा;मालिक मेरे घर पे भी तो कोई नहीं है मरद मेरे सिवा।

हिम्मत राव;तुम्हारे घर कौन चोरी करने आयेंगा।।
नंगा नहायेगा क्या और निचोड़ेगा क्या।
ये ताना देवा को अंदर तक चूभ ज़रूर गया था मगर वो कुछ कहता नही।

हिम्मत राव;क्या सोच रहे हो।

देवा;कुछ नहीं मालिक।

हिम्मत राव; तो ठीक है कल से रात में यहाँ सोने आ जाना और हवेली के बाहर ही बिस्तर डाल के सोना ठीक है।

देवा;जी मालिक।

पास खड़ी रानी की आँखों में चमक आ जाती है और वो देवा को घुरने लगती है।

हिम्मत राव अपने हवेली के तरफ चल देता है और देवा अपने घर के तरफ।

हिम्मत राव और रानी जब
कमरे में पहुँचते है तो हिम्मत राव कमरे का दरवाज़ा बंद कर देता है और जैसे ही रानी खुश होके हिम्मत राव की तरफ देखती है।
एक ज़ोरदार थप्पड हिम्मत राव रानी के मुंह पे जड़ देता है।

रानी;चक्कर खाके बिस्तर पर पेट के बल जा गिरती है।

हिम्मत राव ;आगे बढ़के उसके बाल पकड़ लेता है।
साली हरामज़ादी कितने दिन से तुझसे एक काम नहीं होता।
एक लौंडा तुझसे नहीं पट सकता। क्या कर रही है तू कही तेरा दिल तो नहीं आ गया देवा पर।

रानी की ऑखों में ऑंसू आ जाते है।

हिम्मत राव रोना मत और सुन ले ये एक हफ्ते में अगर तूने देवा को हमारा काम करने के लिए राजी नहीं किया न तो तुझे शहर हमेशा के लिए छोड आउँगा।

रानी अपने गाल पे हाथ फेरने लगती है।
ठीक है बापु अब आप देखते जाओ मै क्या करती हूँ।।

हिम्मत राव वहां से चला जाता है।

देवा अपने सोच में घर जा रहा था की उसे शालु उसका पति और नीलम कही जाते दिखाई देते है।


देवा;अरे काकी ये कहाँ जा रहे हो तुम सब।

शालु;देवा वो रश्मि के होने वाले ससुर की तबियत बहुत ख़राब है।।
अभी उनके गांव से संदेशा आया है।हम वही जा रहे है।

रश्मी की सास का कहना है की एक हफ्ते में वो रश्मि को उनके घर की बहु बनाना चाहते है।
रश्मि के ससुर के भी यही आखिरी इच्छा है।
पता नहीं इतनी जल्दी सब कैसे होंगा।

देवा;अरे तो इस में कौन से घबराने की बात है तुम अभी जाओ और शाम ढले वापस आ जाना । जवान लड़की साथ में है।

नीलम;मुस्कुरा देती है।

शालु;हाँ बेटा पप्पू रश्मि के पास है अब तुम दोनों को ही सब संभालना है।

देवा;सब हो जाएगा काकी तुम जाओ मै ज़रा पप्पू से मिलके आता हूँ।।

शालु;ठीक है और तीनो रश्मि के ससुराल चल देतें है।

देवा;शालू के घर जब पहुँचता है तो पप्पू बाहर ऑगन में लेटा हुआ था।

देवा;बिना उसे जगाये घर के अंदर चला जाता है।

रश्मी;अपने कमरे में बिस्तर पे लेटी हुई थी उस
वक़्त वो देवा के बारे में ही सोच रही थी वो यूँ तो देवा से भागती फिरती थी मगर जब देवा उसके पास नहीं होता तो वो उसके यादों में खोई रहती थी।

देवा;खंखारता है।

और रश्मि अपने खवाबों के राजकुमार को अपने ऑखों के सामने देख चौंक जाती है।

रश्मी;तुम इस वक़्त यहाँ।

देवा;हाँ मैंने सुना है एक हफ्ते में तेरी शादी होने वाली है तो सोचा अपना वादा क्यों न पूरा कर दूँ वरना मुझे ज़िन्दगी भर कुँवारा न रहना पड जाए।

रश्मी का दिल ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगता है वो जानती थी देवा किस वादे की बात कर रहा है।


रश्मी;कैसे वादा। तुम जाओ यहाँ से भाई घर पे है।

देवा; अच्छा कौन सा वादा। अभी बताता हूँ।।

रश्मी; पीछे हट जाती है।
देखो देवा भैया ये ठीक बात नहीं है मै चिल्लाऊंगी समझे।

देवा;चिल्ला पर मुझे बिना शादी के नहीं मरना।

रश्मी; मैं भाई को बुलाऊँगी।

देवा हंस पडता है उस भाई को जिसका मै कई बार गाण्ड मार चुका हूँ।

रशमी के पैर ये बात सुनके अपनी जगह जम जाते है और इस बात का फायदा उठाके देवा रश्मि को अपने बाहों में भर लेता है।

रश्मी;आहह छोड दो देवा भैया।

देवा;रश्मि सच में तू मुझे बहुत पसंद है।
एक बार अपने गुलाबी होठो का रस पीने दे मुझे।

देवा का लंड उसे ये सब करने पे मजबूर कर रहा था रुक्मणी ने उसके खड़े लंड पे लात मारके उसे हवेली से निकाल दी थी।।
वो अपने आप को तो सँभाल सकता था मगर अपने खड़े लंड को जब तक किसी की चूत या गाण्ड में नहीं डाल देता उसका लंड चैन से नहीं बैठता था।।

रश्मी;भाई आ जायेगा।

देवा;डरती क्यों है कुछ नहीं होगा।

रश्मी;नहीं मुझे डर लगता है।

देवा;उसे अपनी छाती से कस के छिपा लेता है और रश्मि की साँस अटक सी जाती है।
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रुक्मणी; हाँ बहुत अच्छा है।
ये कहते हुए रुक्मणी पीठ के बल हो जाती है और अपने दोनों पैर खोल देती है।
उसकी ऑखें अभी भी बंद थी।
आह थोडी जांघ में भी दर्द है रे।

देवा;अपनी मालकिन का वफादार अपने हाथों का जादू रुक्मणी के जांघो पे भी चलाने लगता है।

जैसे जैसे देवा के हाथ ऊपर की तरफ चढ़ते है रुक्मणी अपने होठो पे ज़ुबान फेरने लगती है।

दोनो जानते थे की हो क्या रहा है मगर दोनों अपने अपने सीमा में रह कर खेलना चाहते थे।

रुक्मणी एक औरत थी वो भी भारतीय। वो कभी अपने मुँह से ये नहीं कहती की देवा मेरी ले ले।

देवा का लंड अब उसके पेंट में इस कदर फूल चुका था की उसे बाहर हवा में निकाल के थोडी साँस लेने देना बहुत ज़रूरी था वरना उसके घुट के अकड़ने का डर था।

वो कुछ सोचता है और अपने हाथों को धीरे धीरे रुक्मणी की जांघ पर से ऊपर चढाता हुआ उसके पेट को छुते हुए दोनों हाथ रुक्मणी के नरम मुलायम ब्रैस्ट पे रख के जल्दी से दोनों आम को मसल देता है।

एक हलकी से चीख रुक्मणी के मुँह से निकलती है वो एक पल के लिए ऑखें खोलती है और अगले ही पल बंद कर देती है।

देवा रुक्मणि के दोनों ब्रैस्ट को मसलते हुए उसके गरदन को चुमने लगता है।


मालकिन आप बहुत सुन्दर हो गलप्प गलप्प।

रुक्मणी; उन्हह आह्ह्ह्ह
मेरी जान बचाने वाले देवता आहह कुछ करना आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह।

देवा डरते ड़रते रुक्मणी के ब्लाउज के दोनों बटन खोलने लगता है और रुक्मणी नंगी होने के एहसास से ही कांप जाती है।

दोनो ब्रैस्ट सामने आते ही देवा अपने ज़ुबान को उसे चुमने से रोक नहीं पाता और अपना पूरा मुँह खोले गलप्प गलप्प दोनों को बारी बारी चुसने लगता है।


रुक्मणी अभी भी अपनी ऑंखें बंद किये देवा के बालों को सहला रही थी और उसके सर को अपनी छाती पे दबा रही थी।

देवा;एक निप्पल को मुँह में ले के ज़ोर से काट देता है।

जीससे रुक्मणी की चिख निकलने लगती है पर सही वक़्त पे देवा अपने होंठ रुक्मणी के होठो से लगा के उसकी आवाज़ बंद कर देता है और रुक्मिणी के रसीले होठो को गलप्प गलप्प चूसने लगता है।


रुक्मणी अपनी कमर को ऊपर निचे करने लगती है और फिर अचानक वो एकदम शांत पड़ जाती है और झटके से देवा को अपने ऊपर से ढकेल देती है।

देवा;क्या हुआ मालकीन।

रुक्मणी;चला जा यहाँ से मै अपने पति को धोखा नहीं दे सकती।।
चला जा अभी के अभी वरना मुझसे बुरा कोई नही।
 
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रश्मी;उन्हह देवा छोड दे ना भाई आ जाएगा ।
उईईईईई माँ वहां हाथ मत लगा।

देवा;रश्मि की गरदन चुमते हुए एक हाथ से रश्मि की चूत को सहला देता है जिससे रश्मि सिसक उठती है।

रश्मी;देवा आहह ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्।

देवा;आज ये रस पी लेने दे रश्मि बहुत तड़पाया है तूने मुझे।

रश्मी; नहीं ना।।
वह सिर्फ मुँह से देवा को मना कर रही थी ।
हाथ देवा की पीठ पे कसे जा रहे थे और ब्रैस्ट देवा की छाती में दबने को तैयार बैठे थे।

देवा रश्मि की कमीज निकलने लगता है

रश्मी :नहीं ऐसा मत कर मुझे दर्द होंगा।

देवा;पहले पहले होगा रश्मि बाद में तुझे भी बहुत मज़ा आएगा।

रश्मी;नही।
इससे पहले रश्मि और कुछ कहती देवा अपने होठो से उसकी आवाज़ बंद कर देता है गलप्प गलप्प।

देवा;अपने हाथ से रश्मि के सलवार का नाड़ा खोल देता है और सलवार निचे ज़मीन पे गिर जाती है।

रश्मी;बस अब नाम को देवा को कुछ करने से रोक रही थी । कई दिनों से सुलगता हुआ लावा आज फुट पडने को तैयार था।

देवा की दोनो उँगलियाँ रश्मि की पेंटी के अंदर जा चुकी थी और चूत के किनारे को कुरेदने लगती है।

रश्मी;अपना मुँह थोड़ा और खोल देती है जिससे उसकी ज़ुबान भी देवा के मुँह में चली जाती है।

देवा रश्मि के जिस्म की गर्मी को भाँप के उसे निचे लिटा देता है और एक झटके में उसके जिस्म से पेंटी और कमीज अलग कर देता है।

रश्मी;पुरी तरह नंगी हो जाती है।

शरम के मारे वो एक हाथ अपनी चूत पे और दुसरा हाथ अपने ऑखों पे रख देती है।

थोड़ी देर बाद उसे अपने हाथ पे जो उसने छूट पे रखी थी देवा की चिपचिपी ज़ुबान महसूस होती है।

देवा;उसके हाथ को चाट रहा था।

रश्मी से भी बर्दश्त नहीं होता और वो भी पहली मर्तबा अपनी चुत को चटवाने के लालच में अपना हाथ चूत के ऊपर से हटा देती है।

हाथ हटते ही देवा की ज़ुबान रश्मि की चूत से चिपक जाती है।



रश्मी;ज़ोर ज़ोर से सिसकारियां भरने लगती है उसकी आँखें बंद थी और उसकी आवाज़ से ऑगन में लेटा हुआ पप्पू उठके घर के अंदर चला जाता है।

सामने का नज़ारा देख उसके हाथ पैर काम करना बंद कर देते है।

देवा रश्मि की कमर को दोनों हाथों से पकड़ के अपने ज़ुबान को जीतनी अंदर जा सकती थी उतनी अंदर डाल के उसकी बहन की कुँवारी चूत चुसे जा रहा था।

चूत का पर्दा होने के कारन देवा ज़्यादा अंदर नहीं जा पा रहा था।

देवा इशारे से पप्पू को कपडे उतारने के लिए कहता है
और पप्पू अपने सारे कपडे उतार के रश्मि के चेहरे के पास जाके बैठ जाता है।

उसका लंड रश्मि के गाल को छुता है और रश्मि ऑंखें खोल देती है।
पहले तो वो बुरी तरह डर जाती है मगर अपने भाई को भी नंगा देख उसका डर थोड़ा कम हो जाता है।

मगर उसे दुसरा डर सताने लगता है कही ये दोनों मिलके तो ।

देवा इतने बुरी तरह रश्मि की चूत को चाट रहा था की रश्मि न बोल सकती थी न हिल सकती थी वो ऑखें फाड़े पप्पू को देखती रहती है।

अचानक पप्पू अपना लंड रश्मि के होठो के सामने करता है।

और रश्मि ऑखें बंद करके मुँह खोल देती है।
उसे भी अपने भाई का लंड स्वीकार था।

छोटा सा मगर खूबसूरत सा पप्पू का लंड रश्मि के मुंह में चला जाता है।


आज भाई बहन का रिश्ता बदल रहा था आज एक कली फूल बनने जा रही थी वो भी अपने भाई के सामने।

देवा और रश्मि को रोक पाना अब नामुमकिन था।

रशमी की चूत चाट चाट के लाल कर देने के बाद देवा उसे उठा के बैठा देता है और दोनों उसके पास खड़े होके अपने लंड को उसके गाल पे मारने लगते है।

रश्मी की ऑखों में उस वक़्त सिर्फ वासना भरी हुई थी न कोई भाई और ना चूत का क़ीमती पर्दा फ़टने का डर।

वो दोनों के लौडों को अपने मुंह में बारी बारी ले के चुसने लगती है। गलप्प गलप्प गलप्प गलप्प गलप्प गलप्प।गप्प।

देवा;रश्मि को लिटा देता है और उसकी चूत को फिर से चाटने लगता है ताकि वो इस कदर गरम हो जाये के चूत फ़टने से उसे दर्द का एहसास भी न हो।

पप्पू देवा के झुलते हुए लंड को अपने हाथ में पकड़ लेता है और निचे लेट के उसे अपने मुंह में ले लेता है और गलप्प गलप्प चूसने लगता है।

देवा रश्मि के चूत चाटने लगता है और पप्पू देवा का लंड तीनो चुदाई के लिए पूरी तरह तैयार थे।

रश्मी;अपने भाई पप्पू को देवा का लंड चुसते देख पूरी तरह संतुष्ट हो जाती है की पप्पू ये बात किसी को भी नहीं बतायेगा और उसे ये देख के थोड़ा अजीब भी लग रहा था की पप्पू लंड के साथ साथ देवा की गाण्ड को भी चाट रहा था। तीनो अजीब आवाज़ें निकाल रहें थे।

देवा;अपना लंड पप्पू के मुंह से निकाल देता है।
पप्पू ने उसे काफी गीला कर दिया था और रश्मि की चूत भी चाटने से बहुत गीली हो चुकी थी।

देवा पप्पू से रश्मि के दोनों ब्रैस्ट मसलने के लिए कहता है और खुद रश्मि के जांघ के पास आ जाता है यही वो पल था जब रश्मि देवा को मना कर सकती थी मगर वो तो जल्द से जल्द उसे अपने अंदर लेना चाहती थी।

रशमी; खुद देवा के लंड को अपने चूत के उस सुराख़ पे लगा देती है जहाँ से अब तक कोई भी लंड अंदर नहीं गया था।

देवा रश्मि की ऑखों में देख के मुस्कुरा देता है और रश्मि जैसे ही मुस्कुराती है उसका मुंह खुलता चला जाता है।


रश्मि ;उईईईईईईई माँ आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह आअह्हह्हह्हहहह आहह देवा भैया ओह्ह्ह्ह्ह।

एक ही झटके में देवा का आधे से ज्यादा लंड अंदर जाकर रश्मि की चूत की झिल्ली को फाड़ देता है।

खून से सना हुआ देवा का लंड रश्मि की चूत में अंदर बाहर होने लगता है रश्मि ज़ोर ज़ोर से चीखने लगती है और पप्पू अपने मुंह से उसकी आवाज़ बंद करने की कोशिश करता है मगर दर्द के मारे रश्मि पप्पू के होठो को ही काट लेती है।

रश्मी;आहह इसे बाहर निकाल दो देवा आहह मुझ पे कुछ तो तरस खाओ ना आह्ह्ह नही।

मगर देवा अगर रुक जाता तो रश्मि की चूत अंदर तक नहीं खुल पाती
वो भी खून देख के थोड़ा डर सा गया था मगर पदमा और रानी को कई बार चोदने से उसकी हिम्मत बँधी हुई थी।

वो धीरे धीरे अपने लंड को रश्मि की चूत के अंदर बाहर करते रहता है और रश्मि रोते रोते सिसकने लगती है। उसका दर्द बहुत कम हो चुका था और चूत की जलन भी अब सता नहीं रही थी।

देवा;उसे बड़े प्यार से चुमते हुए चोदने लगता है अपने पहले प्यार को अपने पहले लंड को कोई भी लड़की भुला नहीं सकती।

पप्पू पास में बैठा रश्मि को चुदते देख रहा था वो उठके एक गीला कपडा ले आता है और देवा को अपना लंड बाहर निकालने के लिए कहता है।

मगर रश्मि उसे बाहर निकालने नहीं देती।

पप्पू ऐसे ही चूत में लंड आते जाते दोनों को देवा के लंड को और अपनी बहन की चूत को साफ़ करने लगता है।

अब देवा रश्मि को घोड़ी बना देता है और पीछे से उसकी कमर पकड़ के अपने लंड को अंदर पेल देता है।

कफी देर चुप रहने के बाद रश्मि देवा को धीरे धीरे करने के लिए कहती है।

पप्पू अपने बहन के मुंह के सामने जाके बैठ जाता है और रश्मि बड़े प्यार से अपने भाई के लंड को अपने मुंह में ले लेती है।पीछे से पडते हुए देवा के धक्को से वो हिलने लगती है और पप्पू का लंड उसकी मुँह में अंदर बाहर होने लगता हैं।

रश्मी; आहह आखिर तूने आहह अपना वादा पूरा कर ही दिया ना देवा । लगा दिया मेरी चूत पे तेरा ठप्पा। (स्टाम्प)


देवा;अभी तो पप्पू का ठप्पा बाकी है रश्मि आहह इतने छोटी चूत मुझे आज तक नहीं मिली आअह्हह्हह्हह।

रश्मी;उन्हह जानवर नहीं हूँ मै धीरे से कर ना आह्ह्ह्ह्ह्।

देवा;अबे साले देख क्या रहा है चल आजा चढ़ जा अपनी बहन पे।

रश्मी;अपने भाई को देखती है और पप्पू रश्मि को।

पप्पू रश्मि के पीछे जहाँ देवा था वहां चला जाता है और देवा अपने लंड को बाहर निकाल लेता है।

रश्मी सीधे लट जाती है वो अपने भाई को देखना चाहती थी चुदते हुए।

पप्पू थोड़ा घबरा रहा था। देवा उसकी गाण्ड पे थप्पड मारता है।

देवा अब सामने खाना पड़ा है और तू सोच रहा है जब रश्मि को कोई दिक्कत नहीं तो तू क्यों डर रहा है ।

पप्पू;अपनी बहन की टाँगें खोल के अपने छोटे से लंड को उसकी चूत पे टीकाता है। देवा तो पहले ही सुरँग खोद चुका था बचा खुचा काम पप्पू करने लगता है।

वो हमेशा से अपने घर वालों को चोदने के इच्छा रखता था ।आज देवा की वजह से उसके दिल की तमन्ना पूरी हो रही थी।

देवा;अपने लंड को रश्मि के मुंह में अटका देता है और पप्पू धीरे धीरे रश्मि को चोदने लगता है।



देवा;हंसने लगता है।

रश्मी; उन्हह बहुत बूरे हो तुम देवा आहह एक बहन के चूत में भाई का लंड डलवा के हँस रहे हो आहह ।

पप्पू भी जोश में आके दना दन अपने लंड को रश्मि की चूत में अंदर बाहर करने लगता है।

रश्मी तो आज पहली बार चूदी थी। उसे तो हर धक्का बहुत आनन्द दे रहा था। वो नहीं जानती थी की असली चुदाई क्या होती है।

देवा आज रश्मि को अपने अंदाज़ में नहीं चोदना चाहता था । वो जानता था की अगर उसने रश्मि को उसी तरह चोदा जिस तरह वो पदमा को या दूसरी औरतों को चोदता है तो शायद रश्मि सह न पाये और बेहोश ना हो जाये इसलिए वो ज़्यादा से ज़्यादा पप्पू को चोदने के लिए कह रहा था।


देवा को पता था कुछ दिन बाद रश्मि खुद चूत और गाण्ड में लेने उसके पास आयेंगी और उस दिन वो अपनी सारी भडास उसकी चूत और गाण्ड पे निकालेगा।

मगर इस वक़्त उसके लंड में ना चोदने की वजह से दर्द सा हो रहा था ।

सामने पप्पू अपने बहन को चुमते हुए अपने लंड को ठण्डक देने में लगा हुआ था उसके चमकती हुई गाण्ड देवा के मुँह के सामने थी।

देवा पप्पू के गाण्ड पे थूक देता है और उसी थूक में लंड को गीला करके दोनों हाथों से पप्पू के कमर को चौडी कर देता है।

दोनो भाई बहन दोनों चिपके हुए थे। पप्पू को पता था की देवा क्या करने वाला है मगर रश्मि अन्जान थी।

वो होश में तब आते है जब पप्पू दर्द से चिल्ला उठता है क्यूंकि देवा का लंड पप्पू के गाण्ड में पहुँच चुका था और वो रश्मि को चोद भी नहीं पा रहा था।

देवा अपने दोनों हाथों से पप्पू की कमर पकड़ लेता है और अपने लंड को अंदर तक घूसाने लगता है

उसके झटके रश्मि को अपनी चूत में महसूस हो रहे थे।

वो मुस्कुराते हुए देवा को देखने लगती है और पप्पू दर्द और ख़ुशी के मारे अपनी कमर को भी आगे पीछे करने लगता है।

देवा;आहह साले दोनों भाई बहन एक जैसे हैं आहह मेरा लंड फँसा जा रहा है।

पप्पू पानी छोड देता है और उसे तरह रश्मि की चूत में लंड डाले पड़ा रहता है उसे अब गाण्ड मरवाने में जो सुख प्राप्त हो रहा था वो तो रश्मि को चोदने में भी नहीं मिला था।

कुछ देर बाद देवा अपना लंड पप्पू के गाण्ड से निकल लेता है और प्यासी रश्मि को अपनी गोद में बैठा लेता है।

वो रश्मि को अपने लंड की आदत डाल देना चाहता था।

रश्मी भी दोनों टाँगें खोल के देवा के लंड पे उछलने लगती है।

रश्मी आह्ह माँ मार देगा आज तू मुझे। आहह इतनी अंदर तक जा रहा है तेरा की आह्ह्ह्ह।



देवा;रश्मि को लिटा देता है।
उससे ऐसे चुदाई नहीं हो पा रही थी रोज़ रोज़ हिरन का शिकार करने वाला शेर आज घाँस फूस नहीं खा सकता था।

देवा रश्मि के दोनों पैरों को अपने काँधे पे रख देता है और इस बार पूरा का पूरा लंड रश्मि की चूत में एक झटके में उतार देता है।

रश्मी की ऑंखें बाहर की तरफ निकल आती है ये लंड जो पहले आधा ही उसके चूत में जा रहा था अचानक से इतना बड़ा हो के उसकी चूत को चिरता फाड़ता हुआ अंदर चला गया था।

देवा आहह रश्मि मेरी जान आहह देख तेरा देवा कैसे तुझे चोदता है अब।

रश्मी; आह्ह माँ नहीं नहीं मुझे नहीं लेना निकाल ले इसे। आहह मेरी चूत फ़ट जायेगी वहां से उईई आहः


असली खून अब रश्मि की चूत से निकल रहा था । चूत के किनारे लंड से चिरे जा रहे थे और उनसे खून बाहर ज़मीन पे गिरने लगता है।

देवा रश्मि को अपने नीचे पूरी तरह दबा के अपने लंड को उसकी चूत की गहराइयों में उतारता चला जाता है।

रश्मी बुरी तरह रोनी लगती है और उसका रोना देख देवा को उस पे तरस आ जाता है और वो अपना लंड बाहर निकाल लेता है।

रश्मी;उन्हह माँ वो।
उसकी चूत चिर गई थी और खून बंद नहीं हो रहा था।

देवा अपने लंड को रश्मि के मुंह में डाल देता है।

और रश्मि उसे चुसते हुए खाली कर देती है।

देवा तो शांत हो गया था मगर रश्मि से खड़ा भी नहीं हुआ जा रहा था।

देवा और पप्पू उसे खड़ा करके कपडे पहनाते है और उसे उसके कमरे में लिटा देते है।

रश्मी; रोते रोते थकान के मारे सो जाती है।

पप्पू वो किसी को बतायेगी तो नहीं न । वरना माँ हम दोनों को मार देगी देवा।

देवा कुछ नहीं होंगा तू बस घबरा मत।

मै घर जा रहा हूँ मुझे रात में आके मिल जब तेरी माँ घर आ जाएगी।

और रश्मि को हल्दी वाला दूध पीने को दे देना।

पप्पू;ठीक है।

देवा अपने घर चला जाता है।
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देवा की दोनो उँगलियाँ रश्मि की पेंटी के अंदर जा चुकी थी और चूत के किनारे को कुरेदने लगती है।
रश्मी;अपना मुँह थोड़ा और खोल देती है जिससे उसकी ज़ुबान भी देवा के मुँह में चली जाती है।
रश्मी;पुरी तरह नंगी हो जाती है।

शरम के मारे वो एक हाथ अपनी चूत पे और दुसरा हाथ अपने ऑखों पे रख देती है।
थोड़ी देर बाद उसे अपने हाथ पे जो उसने छूट पे रखी थी देवा की चिपचिपी ज़ुबान महसूस होती है।
देवा;उसके हाथ को चाट रहा था।
रश्मी से भी बर्दश्त नहीं होता और वो भी पहली मर्तबा अपनी चुत को चटवाने के लालच में अपना हाथ चूत के ऊपर से हटा देती है।
हाथ हटते ही देवा की ज़ुबान रश्मि की चूत से चिपक जाती है।

देवा इशारे से पप्पू को कपडे उतारने के लिए कहता है

और पप्पू अपने सारे कपडे उतार के रश्मि के चेहरे के पास जाके बैठ जाता है।
उसका लंड रश्मि के गाल को छुता है और रश्मि ऑंखें खोल देती है।
पहले तो वो बुरी तरह डर जाती है मगर अपने भाई को भी नंगा देख उसका डर थोड़ा कम हो जाता है।
मगर उसे दुसरा डर सताने लगता है कही ये दोनों मिलके तो ।
देवा इतने बुरी तरह रश्मि की चूत को चाट रहा था की रश्मि न बोल सकती थी न हिल सकती थी वो ऑखें फाड़े पप्पू को देखती रहती है।
अचानक पप्पू अपना लंड रश्मि के होठो के सामने करता है।
और रश्मि ऑखें बंद करके मुँह खोल देती है।
उसे भी अपने भाई का लंड स्वीकार था।
छोटा सा मगर खूबसूरत सा पप्पू का लंड रश्मि के मुंह में चला जाता है।

रशमी; खुद देवा के लंड को अपने चूत के उस सुराख़ पे लगा देती है जहाँ से अब तक कोई भी लंड अंदर नहीं गया था।
देवा रश्मि की ऑखों में देख के मुस्कुरा देता है और रश्मि जैसे ही मुस्कुराती है उसका मुंह खुलता चला जाता है।

रश्मि ;उईईईईईईई माँ आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह आअह्हह्हह्हहहह आहह देवा भैया ओह्ह्ह्ह्ह।
एक ही झटके में देवा का आधे से ज्यादा लंड अंदर जाकर रश्मि की चूत की झिल्ली को फाड़ देता है।
खून से सना हुआ देवा का लंड रश्मि की चूत में अंदर बाहर होने लगता है रश्मि ज़ोर ज़ोर से चीखने लगती है और पप्पू अपने मुंह से उसकी आवाज़ बंद करने की कोशिश करता है मगर दर्द के मारे रश्मि पप्पू के होठो को ही काट लेती है।
रश्मी;आहह इसे बाहर निकाल दो देवा आहह मुझ पे कुछ तो तरस खाओ ना आह्ह्ह नही।

देवा;अपने लंड को रश्मि के मुंह में अटका देता है और पप्पू धीरे धीरे रश्मि को चोदने लगता है।



देवा;हंसने लगता है।

रश्मी; उन्हह बहुत बूरे हो तुम देवा आहह एक बहन के चूत में भाई का लंड डलवा के हँस रहे हो आहह ।

पप्पू भी जोश में आके दना दन अपने लंड को रश्मि की चूत में अंदर बाहर करने लगता है।

रश्मी तो आज पहली बार चूदी थी। उसे तो हर धक्का बहुत आनन्द दे रहा था। वो नहीं जानती थी की असली चुदाई क्या होती है।
 
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देवा अपने घर चला जाता है।

देवा जब घर पहुँचता है तो उसे घर के ऑगन में ममता और नूतन बातें करती दिखाई देती है वो भी उनके पास बैठ जाता है।

ममता; भाई आप कहाँ थे। माँ कबसे आपके बारे में पूछ रही थी।

देवा;क्यूँ कुछ काम था क्या।

ममता; मुझे क्या पता शायद दुकान से कुछ सामान लाना था।

नुतन ; चुपके चुपके देवा को ही देख रही थी।

देवा की नज़र जब उसपे जाती है तो नूतन घबरा के अपनी नज़रें चुरा लेती है।

नुतन ; देवा भैया तो अपनी धुन में लगे रहते है । न हमे कही घुमाने ले जाते है और न हमसे बातें करते है।

देवा; अच्छा तो ये बात है।

ममता; हाँ देखो न नूतन को यहाँ आये कितने दिन हो गये है ।
बेचारी घर में बैठे बैठे सुख के कांटा हो गई है।

नुतन; ममता को चुमटी काट लेती है।

देवा;सुख के काँटा। मुझे तो हट्टी कट्टी दिखाई दे रही है।

ममता; बड़े गौर से देखा है भाई ने तुझे। लगता है।

दोनो लड़कियाँ खिलखिलाके हंसने लगती है।

देवा;नूतन तू इसके सोहबत में रहेगी ना तो तू भी बहकी बहकी बाते करने लग जाएगी।।ये तो पूरी पागल है।

ममता; क्या मै आपको पागल दिखाई देती हूँ भइया।

देवा; ममता के चोटी (हेयर) खीचता है।

ममता; तिलमिला के रह जाती है और नूतन हंसने लगती है।

आज नूतन के हाव भाव कुछ बदले बदले से दिखाई दे रहे थे।

जबसे देवा ने उसे उस हालत में देखा था तब से नूतन जब भी देवा के सामने आती या उसे देखती उसके जिस्म पे चीटियाँ रेंगने लगती।

पत्थर पे पत्थर घीसने से उस में चिंगारी पैदा हो जाती है
यहाँ तो ममता और नूतन रोज़ चूत पे चूत घिस रहीं थी।

देवा; ममता को पानी लाने के लिए कहता है और ममता घर के अंदर पानी लेने चली जाती है।

नुतन देवा को ही देख रही थी।

देवा;नूतन को अपने तरफ देखते हुए उसे अचानक बोल बैठता है।
वैसे नूतन अब तू भी जवान हो गई है।
मामी से बोल के तेरे लिए लड़का ढूँढ़ना पडेंगा।

नुतन ; आपको कैसे पता मै जवान हो गई हूँ।।

देवा; मैंने देखा है न तुझे।
वो बोल तो बैठा मगर फिर चुप सा हो गया।

नुतन से वहां बैठना मूहाल हो जाता है और वो भाग के घर के अंदर चली जाती है।

ममता पानी का गिलास लेके देवा को देती है।
ये नूतन क्यों भाग गई।

देवा; (धीरे से)उसे शायद सुसु आई थी।

ममत; क्या आई थी।

देवा;कुछ नहीं माँ कहाँ है।

ममता'; वो नहा रही है।
ये बोल के ममता नूतन के पास चली जाती है।

और देवा घर के अंदर चला जाता है वो जैसे ही अपनी माँ रत्ना के कमरे में जाता है उसी वक़्त रत्ना के कमरे में बने बाथरूम का दरवाज़ा खुलता है और रत्ना बाहर आ जाती है।



देवा की नज़र और रत्ना की नज़र एक हो जाती है और देवा अपनी खूबसूरत माँ को देखता ही रह जाता है।

आज से पहले उसने कभी रत्ना को ऐसी हालत में नहीं देखा था।

इतना गदराया हुआ जिस्म उसकी ऑखों में जैसे नूर भर देता है।

रत्ना अपने आप को उस गीली साडी से छूपाने की कोशिश करती है और देवा अपने सर को खुजाता हुआ जल्दी से रत्ना के कमरे से बाहर निकल जाता है।

रत्ना;देवा के कमरे से जाने के बाद आइने के सामने खड़ी होके अपने जिस्म को पोंछने लगती है।



रत्ना को महसूस होता है की कोई उसे खिडकी से देख रहा है वो जैसे ही मुड के खिडकी की तरफ देखती है कोई वहां से भागता हुआ उसे दिखाई देता है।

वो सोच में पड़ जाती है की कौन हो सकता है।
अचानक ही उसके चेहरे पे हलकी सी मुस्कान आ जाती है।

थोड़ी देर बाद जब रत्ना साडी पहन के देवा के पास जाके बैठती है तो उसे आज पहली बार अपने बेटे के पास बैठते हुए शर्म सी आ रही थी।

देवा; माँ ममता बता रही थी तुम मुझे ढूंढ रही थी कुछ सामान लाना था क्या।

रत्ना; कहाँ ग़ायब रहने लगे हो तुम बस अभी आता हूँ बोल के गए तो अब आ रहे हो इतनी देर से । खेत में भी पास के मुन्ना को भीजवाई थी मैंने । उसने कहा देवा भैया तो खेत में है ही नही।

देवा;अरे माँ तुम्हे पता है रश्मि की एक हफ्ते बाद शादी होने वाली है।

रत्ना; हाय दैया इतनी जल्दी तुझे कैसे पता।

देवा;वो रास्ते में शालु काकी मिली थी मुझे। उन्होने ही बताया की रश्मि के होने वाले ससुर की तबियत बहुत ख़राब है इसलिए वो रश्मि को मरने से पहले बहु के रूप में देखना चाहते है।

रत्ना;शुभ शुभ बोल बेटा ऐसा नहीं कहते।
भगवान ना करे रश्मि के ससुर को कुछ हो।
पर तू कहाँ था सुबह से।

देवा;वही तो बता रहा हूँ मै चला गया था काकी के घर पप्पू से मिलने । अरे माँ शादी का घर है काकी का। कितने काम करने है इतने कम वक़्त में।।
तूम इतनी खोज बीन क्यों कर रही हो मेरी।

रत्ना;तेरे पांव ज़मीन पे नहीं टिकते है ना इसलिये।

देवा; खुद के पांव को देखने लगता है।
ज़मीन पे ही तो है।
माँ तुम भी ना।

देवा;अपनी माँ रत्ना के गले में बाहें डालके उसे अपने से चिपका लेता है।


रत्ना के बिना ब्रा वाली चूचियाँ देवा की छाती में धँस सी जाती है।

रत्ना;आहह क्या करता है बच्चा नहीं है तु।
रात में क्या खायेगा बता दे अभी।

देवा;अरे हाँ माँ। रात से याद आया वो कल से मुझे रात में हवेली जाना पड़ेगा।
मै वही सो जाऊँगा।

रत्ना;क्यूँ ऐसी क्या मुसीबत आ गई की तुझे वहां सोना पडेगा।

देवा;वो मालिक शहर जाने वाले है कल एक हफ्ते के लिए। तो मुझे बोले की हवेली में कोई आदमी चाहिए। आस पड़ोस के गांव में चोरियॉँ हो रही है।

रत्ना;बेटा तू क्यों जाता है उस मुये सुनसान हवेली में मुझे तो वो जागिरदार और उसकी हवेली से बड़ा डर लगता है।
तूने देखा नहीं कितनी वीरान है वो जगह।

देवा;माँ जागिरदार गांव के सरपंच है।
और क्या बुराई है वहां सोने में ।

रत्ना;और यहाँ कौन रहेगा घर में।

देवा; मैं मुन्ना से बोल दूंगा वो आ जाएगा यहाँ सोने।

रत्ना;देख देवा आखिरी बार बोल रही हूँ तो दूर रह उन हवेली वालो से अरे गांव का कोई भी वहां नहीं जाता।

देवा;ठीक है माँ नहीं कह दिया करुँगा आगे से कोई भी काम देंगे तो वो मुझे।
अब जल्दी से खाना खिला दो बहुत भूख लगी है।

रत्ना;तू बैठ मै अभी खाना लगाती हूँ।

देवा;खाना खाके थोडी देर सो जाता है शाम ढले उसकी आँख खुलती है।

पप्पू उसे बुलाने आया था ।
पप्पू को देख देवा की गाण्ड फट जाती है।
उसे लगने लगता है की शालु को रश्मि के बारे में पता चल गया है।

और उसे बुझाने वाला बाहर बैठा हुआ था।

एक बार लड़की खुल जाये तो उसे जल्द से जल्द लंड चाहिए। अगर ना मिले तो वो पागल सी हो जाती है।

देवा तो अपने घर जा के चैन की नींद सो जाता है मगर रश्मि रात भर जागती रहती है । उसे रह रह के बस देवा और उसका वो ज़ालिम लंड याद आ रहा था।


दूसरे दिन सुबह देवा अपने खेत में चला जाता है थोड़ा बहुत काम निपटाने के बाद जब वो अपने घर की तरफ जाने लगता है तो उसे पप्पू मिलता है।

देवा;अरे कहाँ जा रहा है ।

पप्पू;देवा भाई तू घर चला जा मेरे।

देवा;क्यूँ सब ठीक तो है न।

पप्पू;नहीं रश्मि को बहुत तेज़ बुखार चढा है।
माँ और बापु भी घर पे नहीं है।

देवा;नीलम कहाँ है।

पप्पू;वो भी माँ के साथ गई है उसे चूडियां और पता नहीं क्या क्या लेना था शादी के लिये।

देवा;तू भी चल न ।

पप्पू;नहीं मुझे खेत में काम है समझ ना भाई ।

देवा;हंस देता है और बड़े बड़े कदम भरता हुआ रश्मि के घर पहुँच जाता है।

रश्मी को उसकी चूत की आग इतना सता रही थी की वो सुबह से दो बार अपने बदन पे ठण्डा ठण्डा पानी डाल चुकी थी मगर आग थी की बढ़ती ही जा रही थी।

देवा;घर में चला जाता है और कुन्डी लगा देता है।

वो जैसे ही रश्मि के कमरे में पहुँचता है उसे रश्मि गीले कपडो में लिपटी हुए बिस्तर पे बैठी हुई दिखाई देती है।



देवा;मैंने सुना है तुझे बहुत तेज़ बुखार आया हुआ है।

रश्मी;आया है तुझे क्या । मै जिऊँ या मरु।

देवा;मेरे पास तेरा इलाज है।

रश्मी;मुझे नहीं करवाना तुझसे इलाज जा यहाँ से।

देवा;रश्मि के कमरे का दरवाज़ा बंद कर देता है और रश्मि के सुलगते हुई ऑखों में देखते हुए पहले अपना शर्ट फिर पेंट उतार देता है।

रश्मी की ऑंखों के सामने वो था जिसे सोच सोच के वो रात भर सो नहीं पाई थी ।
वो दौड के आती है और देवा की छाती से चिपक जाती है।

देवा;उसे अपने बदन से चिपका लेता है।

रश्मी;ओह्ह देवा मेरे देवा ये तूने क्या सितम ढाया है मुझपे।

देख न ये मेरी सुनती ही नहीं जितना इसे समझाती हूँ उतना मुझे परेशान करती है । रात भर मुझे सोने नहीं नहीं देती इसने। देवा कुछ कर मेरे देवा मुझे मार दे या इसका इलाज कर दे ।

देवा;रश्मि के गरदन को चुमने लगता है।
किसका इलाज कर दूँ रश्मि।

रश्मी;देवा के लंड को अपने नाज़ुक हाथ में पकड़ के उसे अपनी गरम चूत पे घीसने लगती है आहह इसका देवा।

देवा;किसका ।

रश्मी;उन्ह मेरी चूत का ।जिसे तूने कल फाड़ के रख दिया । चोद मुझे आज मै तुझे कह रही हूँ भर दे मेरी चूत के अंदर तक इसे आहहह्ह्ह्हह्ह।
मै मर भी जाऊँ तो रुकना मत तू चोदता जा मुझे। माँ ये लंड मुझे अभी चाहिए मेरे अंदर आह्ह्ह्ह्ह्।

देवा;रश्मि के गीले कपडे उसके जिस्म से निकाल देता है और उसे निचे बैठा देता है।
मुँह खोल।

रश्मी;अपना मुँह खोल देती है।
और देवा अपने लंड को उसके मुँह में पेल देता है।

रश्मी;बच्चे के तरह अपने उस खिलौने को जिसे वो इस वक़्त सबसे ज़्यादा प्यार करने लगी थी चुस्ने लगती है गलप्प गलप्प।

देवा बिस्तर पे लेट जाता है और रश्मि उसके लंड को निचे से ऊपर तक चाटने लगती है चुसने लगती है। गलप्प गलप्प।



कुछ पलों में ही रश्मि देवा के लंड को चूस चूस के खड़ा कर देती है वो एक हाथ से अपने चूत को भी मसले जा रही थी।

रश्मी;उन्हह चोद ना मुझे आह्ह्हहह जल्दी से देवा आआआआआआआआ।

देवा;रश्मि को लिटा देता है और उसकी टाँगें खोल देता है।मगर वो अपना लंड उसके चूत पे लगने के बजाये अपने ज़ुबान से उसकी चूत चाटने लगता है।

रश्मी को ऐसे लगता है जैसे किसी ने ताज़ी जखम पे नमक छिडक दिया हो । वो तिलमिला जाती है अपने दोनों हाथों से अपनी चूचि मसलने लगती है देवा का सर पकड़ के उसे अपनी चूत पे दबाने लगती है।

आह माँ ओह्ह नहीं ।पहले मुझे चोद ले एक बार बस एक बार अंदर डाल दे देवा। उसके बाद जो करना है कर ले देवा।
आह क्यों तड़पा रहा है हाय रे ज़ालिम।

देवा;हटने का नाम नहीं ले रहा था रश्मि की चूत की गर्मी अब उसके दिमाग तक पहुँच चुकी थी वो पागल पन के आखरी मुकाम पर पहुँच चुकी थी।

रश्मी;आहह हरामी कुत्ते साले दम नहीं है क्या तेरे लंड में जो बस चूस रहा है भडवे आहह
मेरी चूत में आग लगी हुई है और तू कुत्ते की तरह चाटते जा रहा है ।

देवा जान चुका था की लोहा पूरी तरह गरम हो चुका है। अब हथोड़ा नहीं मारा तो गलत हो जायेगा।
वो रश्मि की दोनों टाँगें हवा में उठाके अपने लंड को जैसे ही चूत पे टीकाता है रश्मि ऑंखें बंद कर लेती है।

पर अगले ही पल उसके ऑखें फटी की फटी रह जाती है देवा अपनी पूरी ताकत से से रश्मि की चूत में अपना लंड घुसा देता है अआआहः



रश्मी को जो चाहिये था वो उसके अंदर था । आज रश्मि देवा को पसीने छुड़ाने की ठान चुकी थी वो अपने कमर को जीतना ऊपर उठा सकती थी उतना ऊपर उठाके देवा के लंड का साथ देने लगती है।

देवा;जितनी ताकत से उसकी चूत को अपने लंड से दबाता रश्मि भी उतने ही ताकत से अपनी गाण्ड को ऊपर उठाती।

दोनो में जैसे जंग छिड़ी हुई थी की कौन कितनी ज़ोर से चोद सकता है और कौन कितनी ज़ोर से चुदा सकती है।



देवा;आहह ऐसे चाहिये ना तुझे साली आहह मुझे भड़वा बोलती है देख अब तेरी चूत का क्या हाल करता हूँ आह्ह्ह्ह्ह्।

रश्मी;आह्ह्ह्ह्ह् माँ नहीं रे इतने ज़ोर से आहह धीरे धीरे कर ना आह्ह्ह्ह।

देवा;चुप कर साली रंडी तुझे पता नहीं । मै बिस्तर पर कभी नहीं शरमाता और ना किसी पे रहम करता हूँ आह्ह्ह्ह।

रश्मी;मेरी चूत चीर जायेगी।

देवा;चिरने दे साली बहुत नाटक करती है तू आह्ह्ह्हहः


देवा का उसूल था न धीरे करो और न रहम करो चूत को अंदर तक चोद दो । उस वक़्त वो वही कर रहा था रश्मि की चूत देवा के लंड को अंदर तक लेने लगती है।

चूत के जलन में उसने जो देवा को भड़का दी थी उसी की सजा वो अब भुगत रही थी।

देवा उसकी चूचि को मरोड़ता हुआ अपने लंड को उसकी चूत में किसी पिस्टन की तरह आगे पीछे करने लगता है।

रश्मी;किसी कुतिया की तरह मुँह खोल के चिल्लाने लगती है मगर उस वक़्त उसकी गुहार सुनने वाला वहां न कोई था और न कोई उसे देवा से बचा सकता था।

रश्मी;को उस वक़्त और ज़्यादा दर्द होने लगता है जब देवा चूत मारते मारते अपने लंड का सुपाडा रश्मि की गाण्ड में पेल देता है।



रश्मी की गाण्ड अभी इसके लिए तैयार नहीं थी वो अपने हाथ से देवा के लंड को पकड़ के झट से गाण्ड से बाहर खीच लेती है और उसे वापस चूत में डाल देती है।


देवा सटासट अपने लंड को आगे पीछे करने लगता है।

और देखते ही देखते रश्मि की चूत ढेर सारा पानी छोड़ देती है।
साथ में देवा भी झडने लगता है।

पहली बारिश जिस तरह बंजर ज़मीन पे पडती है। एक भीनी भीनी खुशबु हर तरफ फैला देती है। उसी तरह रश्मि की चूत से बहता देवा का पानी पूरे कमरे में अपनी महक फैला देता है।।

रश्मी देवा के ऊपर चढ़ जाती है और उसके सीने पे दो तीन मुक्के मारते हुए उसके होठो को चुमने लगती है।
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देवा;रश्मि को लिटा देता है और उसकी टाँगें खोल देता है।मगर वो अपना लंड उसके चूत पे लगने के बजाये अपने ज़ुबान से उसकी चूत चाटने लगता है।

रश्मी को ऐसे लगता है जैसे किसी ने ताज़ी जखम पे नमक छिडक दिया हो । वो तिलमिला जाती है अपने दोनों हाथों से अपनी चूचि मसलने लगती है देवा का सर पकड़ के उसे अपनी चूत पे दबाने लगती है।

आह माँ ओह्ह नहीं ।पहले मुझे चोद ले एक बार बस एक बार अंदर डाल दे देवा। उसके बाद जो करना है कर ले देवा।
आह क्यों तड़पा रहा है हाय रे ज़ालिम।

देवा;हटने का नाम नहीं ले रहा था रश्मि की चूत की गर्मी अब उसके दिमाग तक पहुँच चुकी थी वो पागल पन के आखरी मुकाम पर पहुँच चुकी थी।

रश्मी;आहह हरामी कुत्ते साले दम नहीं है क्या तेरे लंड में जो बस चूस रहा है भडवे आहह
मेरी चूत में आग लगी हुई है और तू कुत्ते की तरह चाटते जा रहा है ।

देवा जान चुका था की लोहा पूरी तरह गरम हो चुका है। अब हथोड़ा नहीं मारा तो गलत हो जायेगा।
वो रश्मि की दोनों टाँगें हवा में उठाके अपने लंड को जैसे ही चूत पे टीकाता है रश्मि ऑंखें बंद कर लेती है।

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रश्मी;को उस वक़्त और ज़्यादा दर्द होने लगता है जब देवा चूत मारते मारते अपने लंड का सुपाडा रश्मि की गाण्ड में पेल देता है।



रश्मी की गाण्ड अभी इसके लिए तैयार नहीं थी वो अपने हाथ से देवा के लंड को पकड़ के झट से गाण्ड से बाहर खीच लेती है और उसे वापस चूत में डाल देती है।


देवा सटासट अपने लंड को आगे पीछे करने लगता है।

और देखते ही देखते रश्मि की चूत ढेर सारा पानी छोड़ देती है।
साथ में देवा भी झडने लगता है।
 

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