Incest हाय रे ज़ालिम................

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अरे माँ डरने की क्या बात है जागिरदार मुझे खा थोड़ी जायेगा।

रत्ना;शुभ शुभ बोल बेटा। वो देवा के मुंह पे हाथ रख देती है और इस वजह से वो देवा से एकदम चिपक सी जाती है।

रत्ना;के बदन से आती भीनी भीनी पसीने की खुशबु जब देवा के नाक तक पहुँचती है तो उसका दिल ज़ोरों से धड़कने लगता है ऊपर से नरम नरम जिस्म जो उसके इतने पास होकर भी दूर था।

वो एक हाथ रत्ना के कमर पे रख के उसके पेठ को हलके से दबाता है।
और अपने मुंह पे लगा हुआ रत्ना का हाथ हटा के धीरे से कहता है।
कुछ नहीं होगा माँ डरो मत।

दोनो एक दूसरे के ऑंखों में देखने लगते है।

ये नज़रों का खेल था या जिस्म की भूख दोनों एक दूसरे से अलग होने को तैयार नहीं थे।
तभी बाहर से पदमा के खाँसने की आवाज़ से दोनों होश में आते है और देवा बहार चला जाता है।

थोड़ी देर बाद रत्ना चाय का कप ले के बाहर आती है
और देवा चाय का कप ले तो लेता है पर उसकी कुछ उँगलियाँ रत्ना के हाथ से अनजाने में टकरा जाती है।

इस थोड़े से छुवन से ही रत्ना के जिस्म में सरसराहट पैदा हो जाती है।

बेचारी रत्ना कई सालो से अपने बेटे को देख देख कर आहें भर रही थी।
पर देवा उसपे कोई ध्यान नहीं देता था।
ये पिछले एक महिने से देवा के रवैये में थोड़ा बहुत बदलाव आया था।
जबसे उसने रत्ना को नहाते हुए देखा था।

देवा;चाय पीने के बाद पदमा के साथ पैदल सेठ के हवेली की तरफ निकल जाता है।

पदमा;कमर मटकाते हुए सामने चल रही थी।
रास्ता बिलकुल सुनसान था। गांव का रहन सहन ही कुछ इस तरह का होता है शाम ढले सभी अपने अपने घर को लौट जाते है और कोई गली मोहल्ले में नज़र नहीं आता।

देवा;की नज़र पदमा के हिलते कमर पे ही थी।
आगे आगे चलते हुए पदमा आज थोड़ा ज़्यादा ही कमर मटका रही थी।

कुछ देर बाद दोनों हवेली पहुँच जाते है।
DEVA KI NIYAT APNE MAA PE BHI KHARAB HAI
 

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पदमा;देवा को एक कमरे में बैठा के अंदर चली जाती है।

देवा;इधर उधर देखने लगता है।
तभी वहां सेठ हिम्मत राव की पत्नी रुक्मणी आती है
और आके एक कुरसी पे बैठ जाती है।



देवा के मुंह में पानी आने लगता है।
नमस्ते मालकिन।

रुक्मणी बला की खूबसूरत तो थी नहीं पर रंग रूप ऐसा था की बूढ़े भी जवानी के दुआ मांगे।
नमस्ते देवा कैसे हो आज कल इधर आते ही नही।

देवा;वो बस मालकिन काम में उलझा रहता हूँ।

वो कुछ बोलने ही वाली थी की सेठ हिम्मत राव वहां आ जाते है।

देवा;उन्हें देख खड़ा हो जाता है।

हिम्मत राव;अरे बैठो बैठो देवा।
अच्छा हुआ तुम आ गये।

देवा;कुछ काम था मालिक।

हिम्मत राव;अरे हाँ तुम तो जानते हो हमारी बिटिया रानी शहर से पढाई करके अभी अभी गांव आई है हम उससे उसके जनम दिन पे एक कार भेंट करना चाहते है पर उससे कार चलाना नहीं आता । तुम ट्रेक्टर चला लेते हो तो हमने सोचा की क्यों न तुम रानी को कार चलाना सीखा दो।
हम तुम्हें इसके पैसे भी देंगे।

देवा;मालिक आपका हुकुम सर आँखों पर हम ज़रूर मालकिन को कार चलाना सीखा देंगे।

हिम्मत राव खुश हो जाते है और देवा को एक चाभी थमा देते है। ये लो देवा ये हमारे कार की चाभी है इसे तुम अपने पास ही रखो। कल से आ जाना मै रानी से कह दूंगा।
ये कहके हिम्मत राव बाहर निकल जाते है।

देवा जाने लगता है तभी वहां पदमा आती है और देवा से कहती है की रानी मालकिन तुम्हें बुला रही है ।

देवा अंदर की तरफ चला जाता है पदमा उसे रानी का कमरा दिखाती है और खुद रुक्मणी के पास चली जाती है।

जब देवा कमरे में पहुंचता है तो हाथ पैर सुन्न पड़ जाते है।

रानी;अपने बिस्तर पे लेटी हुई थी।
WOW DEVA GADI CHALANA SIKHAYEGA RANI KO
 

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रानी;अरे वहां क्यों खड़े हो अंदर आओ।
तुम्हारा नाम देवा है।

देवा: जी मालकिन।

रानी;हम्म बस मै तुम्हें देखना चाहती थी। अब तुम जाओ और कल वक़्त पे आ जाना।

देवा;जी मालकिन।

इसके जात का बैदा मारू। साली क्या देखना चाहती थी । पर कुछ भी कहो माल एकदम शीशे के बर्तन की तरह लगता है मजा आयेंगा ।
वो दिल ही दिल में सोचता हुआ बाहर आ जाता है।

पदमा; अच्छा मालकिन मै भी चलती हूँ। खाना मैंने बना दिया है ज़रा भैंस को चारा डाल आती हूँ।

रुक्मणी;देवा के जिस्म पे नज़र घुमाते हुए ठीक है जल्दी आना।

पदमा: जी मालकिन
फिर पदमा और देवा दोनों हवेली से बाहर निकल जाते है।अंधेरा हो चुका था। रास्ते में पदमा का घर भी पडता था।

पदमा;देवा की तरफ देखते है हुए कहती है।
अरे देवा ज़रा मेरे घर चलके भैंस को खुटे से ठीक से बांध दे मुझसे तो बांधी भी नहीं जाती मुई।

देवा;ठीक है और दोनों पदमा के घर की तरफ चल देते है।

पदमा का घर गांव के एक तरफ था वो अपने पति सुखी राम के साथ रहती थी।
सुखि;एक शराबी किस्म का आदमी था । हर रात शराब पीना उसका शौक था। वो घर में कम और नाली के कचरे में ज़्यादा पड़ा मिलता था।

देवा;भैंस का खुट्टा ठीक से ज़मीन में गाड के भैंस को बाँध देता है।
लो अब ये खुट्टा कभी नहीं उखडेगा।

पदमा;कितना अच्छा खुट्टा ठोंकता है देवा तु।

देवा;मुझे ठोकना ज़्यादा अच्छा लगता है

पदमा;आगे बढ़ती है और देवा के पेंट के ऊपर से उसका लंड पकड़ के कहती है ये खुट्टा ठोकेगा।

देवा;की तो जैसे लौटरी निकल आई थी
वो पदमा का चेहरा देखने लगता है।

पदमा देवा का हाथ पकड़ के घर के अंदर ले जाती है।

लालटेन के रोशनी में पदमा की लाल साडी चमक रही थी वो पीछे मुड के अपनी साडी को ठीक करती है।
WOW DEVA KI TO NIKAL PADI PADMA KHUD CHUDNE KO TIYAR HAI
 

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देवा;पीछे से जाके पदमा को अपने बाहों में जकड लेता है।

पदमा;आहः के सिसकी के साथ सहम जाती है।

देवा;अपना हाथ धीरे धीरे पदमा के पेट पे फेरने लगता है।

पदमा अपने बदन को ढिला छोड देती है वो चाहती थी की हर काम देवा करे वो आज खुल के देवा से पिसना चाहती थी।

देवा की पकड़ पेट पे बढ़ने लगती है और वो अपने मुंह को पदमा के कानो में डालके उसकी कान चुमने लगता है।
धीरे धीरे पदमा की पीठ पे अपनी जुबान फेरने लगता है। उसे पसीने की खुशबु बहुत पसंद थी।


पदमा;सिर्फ सिसक रही थी और देवा अपना काम करने में लगा हुआ था।

देवा;पदमा को घुमा के अपने तरफ कर देता है और उसके गोल गोल मोटे मोटे नरम ब्रैस्ट को ब्लाउज के ऊपर से चुमने दबाने लगता है।

पदमा;आह उई माँ।



आहह जल्दी कर न देवा... मुझे वापस हवेली भी जाना है।

देवा;को आज वो चीज़ मिली थी जिसे वो बचपन से पाना चाहता था एक चूत। वो बिलकुल भी जल्द बाज़ी में नहीं था वो दोनों हाथों से पदमा के चुचे मसलने लगता है।

कड़क हाथों में आते ही पदमा के नाज़ुक चुचे किसी मखन की तरह पिघलने लगते है।

देवा;पदमा के ऑखों में देखने लगता है।
दोनो की धड़कने तेज चल रही थी।
WOW MAST EROTIC UPDATE
 

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देवा;नीचे बैठ के पदमा के गोरे गोरे पेट पे ज़ुबाँन रख देता है और उसे चूसने चाटने लगता है। गलप्प गलप्प।

पदमा तड़प के रह जाती है आज देवा ने उस जगह छुआ था जहाँ आज से पहले किसी ने नहीं छुआ। पदमा का शरीर ठण्डा पड़ चूका था और चूत आग की भट्टी के तरह तप रही थी।



पदमा;आह देवा जल्दी से ठोक दे खुट्टा आह रहा नहीं जाता रे।
उसकी आवाज़ में कंपकपाहट थी और चेहरे पे हवस।

देवा;पदमा की साडी पकड़ के खोलता चला जाता है।



जीस्म से साडी अलग होने के बाद देवा उसे बिस्तर पे बैठा देता है और दोनों चूचियों कोअपने पंजे में भर के ऐसे मसलने लगता है जैसे कोई आता गूंथ रहा हो।

पदमा;आह बस कर आहः।



पदमा;देवा को पीछे ढ़केलती है और देवा पीछे गिर जाता है।
पदमा;हँसते हुए उसकी तरफ देखने लगती है।
बस निचोड़ेंगा ही या खाएँगा भी।



देवा;पदमा पे टूट पड़ता है और उसके ऊपर चढ़ के उसके जिस्म के हर हिस्से को मसलते हुए उसके मुंह में मुंह डालके होठो को चुमने लगता है गलप्प गलप्प।

दोनो रास लीला के उस मुकाम तक आ चुके थे। जहाँ से लौटना नामुमकिन था।

देवा;पदमा के ऊपर चढ़ के उसके ब्लाउज को खोलने के लिए अपने हाथ पीछे की तरफ ड़ालता है।



की तभी बाहर से सुखीराम की गालियों की आवाज़ आती है आज वो शराब पिके घर आ गया था और नशे में बडबडाये जा रहा था।

पदमा;घबराके अपनी साडी ठीक करती है और देवा को पीछे के दरवाज़े से बाहर कर देती है।
DEVA KA TO SARA MJA KHARAB HO GYA
 

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देवा;अपने खड़े लंड को किसी तरह पेंट में दबाते हुए सुखीराम को गालियां देते हुए घर की तरफ निकल जाता है।
उससे रास्ते में शालु का ख्याल आता है।
उसने सुबह कहा था की लड़कियां और उसका पति शहर गए है। वो ये सोचके की चलो वहां कुछ बात बन जाये शालु के घर पे चला जाता है।

शालु;घर पे अकेली थी वो देवा को इस वक़्त घर पे देख के पहले थोड़ा हैरान हो जाती है।

शालु;अरे देवा तुम इस वक़्त।

देवा;वो मै पप्पू से मिलने आया था काकी।
शालु;वो तो घर पे नहीं है।

देवा;अच्छा काकी थोड़ा पानी मिलेंगा।

शालु;अभी लाई। वो पानी लाके देवा को दे देती है।
देवा;पानी पीते हुए शालु के भरे भरे गोलाइयों को देखने लगता है।

शालु;उसके नज़र का पीछा करती है और हैरान रह जाती है।
ऐसे क्या देख रहा है।

देवा;बिना कुछ कहे शालु के पास आ जाता है और उसे अपने छाती से लगा लेता है।

शालु;आह छोड क्या हो गया है तुझे । पागल तो नहीं हो गया तू देवा।

देवा;हाँ मै पागल हो गया हूँ । वो शालु को दिवार से चिपका देता है और उसके गालो को चुमने लगता है।



शालु;आह छोड देवा क्या हो गया है ।

देवा के दिमाग में पदमा घूम रही थी वो शालु के गाल को दोनों हाथ में पकड़ के उसके रसीले होंठों पे अपने होंठ रख देता है और उसे बुरी तरह चुसने लगता है।



गुं गुं की आवाज़ शालु के मुंह से निकलने लगती है।

शालु;एक झटके से देवा को अपने से अलग कर देती है और उसी वक़्त पप्पू घर में दाखिल होता है।
AAJ TO DEVA KE KHADE LUND PE DANDA HI LAGE JA RAHA HAI
 
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विक्रान्त;देवा को अधमरी हालत में छोड़ कर वहां से सीधा हवेली चला आता है।
वो हिम्मत राव के रूम में चला जाता है हिम्मत उस वक़्त अपने चेयर पर बैठा सिगरेट पी रहा था।
हिम्मत;क्या हुआ विक्रांत इतनी जल्दी में क्यों आये हो।
विक्रान्त;सेठ आपका काम हो गया।
देवा को मैंने मार दिया।
हिम्मत के हाथ से सिगरेट नीचे गिर जाता है और वो मारे ख़ुशी के विक्रांत की तरफ लपकता है।
क्या कह रहे हो तुम विक्रांत। तुमने देवा को जान से मार दिया।
विक्रान्त;हाँ सेठ साला मुझे ऑंखें दिखा रहा था ।
सुबह से उसकी ताक में था मै की कब मुझे अकेले में मिलता है।
ऐसा वार किया है साले के सर पर की बचने का कोई चांस नही।
मुझे मेरे पैसे दे दो मुझे अभी शहर निकलना है।
गांव वालों के आने से पहले।
हिम्मत;अरे हाँ बाबा तू बैठ। मै अभी आता हूँ।
हिम्मत अंदर जाता है और हाथ में विक्रांत को देने के लिए पैसे ले आता है।
ये ले बाबा तेरे पैसे मुझे तो यक़ीन नहीं हो रहा की इतनी जल्दी इतनी आसानी से तूने सब कर दिया।
विक्रान्त;सेठ वो मरते मरते बहुत ज़ोर से चीखा था।
गांव वाले आ गये होंगे उसकी लाश के पास। मुझे गांव के बाहर छोड़ दो कार में।
हिम्मत;हाँ चल मै तुझे इतनी दूर छोड़ दूंगा की तुझ तक कोई पहुँच ना पाए।
हिम्मत;विक्रांत को लेकर अपनी कार में शहर की तरफ निकल जाता है।
विक्रान्त और हिम्मत बहुत खुश थे।
हिम्मत को अपने ख्वाब पूरे होते नज़र आ रहे थे मगर वो नहीं जानते थे कि बुराई कभी अच्छाई को हरा नहीं सकती।
देवा के सर से खून बह रहा था आस पास की ज़मीन भी खून में नहा चुकी थी।
मगर देवा अब भी ज़िंदा था उसे चक्कर आ रहे थे।
वो अपनी ऑंखें खोलता है और लडख़ड़ाता हुआ अपने घर आता है।
देवा; माँ आआआआआआआआ.....

वो घर के दरवाज़े पर आकर चक्कर खाकर गिर पडता है उसकी आवाज़ सुनकर नीलम रत्ना और ममता बाहर निकल आती है।

रत्ना;देवा मेरे बच्चे क्या हुआ तुझे । ऑखें खोल मेरे लाल मेरे देवा किसने किया ये सब।
नीलम;ऑंखें खोलो देवा।
माँ इनके सर से कितना खून बह रहा है।
नीलम;नंगे पांव अपने घर की तरफ भागती है अपने भाई पप्पू को बुलाने वो रोती हुए इतनी तेजी से अपने घर पहुँचती है की उसे इस बात की भी परवाह नहीं रहती की उसके पांव कांच चुभने से ज़ख्मी हो गए है वो अपनी माँ और पप्पू को देवा की हालत के बारे में बताती है।
पप्पू और शालु कुछ गांव वालों के साथ रत्ना के घर की तरफ लपकते है
रत्ना और ममता देवा को अपने बाजू में पकडे रो रही थी
वो समझ बैठी थी की देवा अब इस दुनिया में नहीं रहा।
शालु;देवा की गर्दन के पास हाथ लगाकर देखती है।
जीस्म अब भी गरम था।
शालु : रत्ना रो क्यों रही हो देवा ज़िंदा है इसे वैध के पास ले जाना होगा जल्दी।
रत्ना;मगर मेरे बच्चे के साथ किसने किया ये।
पप्पू;अरे काकी ये बातें इस वक़्त मत करो इसे जल्द से जल्द वैध के पास ले चलो।
दूसरे गांव वाले भी देवा को सहारा देते है और उसे वैध के घर ले जाते है।
ममता और नीलम के ऑंसू थे की रुक्ने का नाम नहीं ले रहे थे।
किरण और उसका ससुर जब देवा की हालत देखते है तो समझ जाते है की उन्हें क्या करना है।
वो पहले देवा के सर को साफ़ करते है
विक्रान्त ने इतने ज़ोर से वार किया था की देवा का सर चीर गया था।
इसी वजह से वो बेहोश हो गया था।
वैध;वो ज़ख़्म पर मरहम पट्टी कर देता है और देवा को लिटा देते है।
बैध;खून बहुत ज़्यादा बह गया है।
ये बेहोश है जब तक होश में नहीं आता कुछ कहना मुश्किल है।
रत्ना;ऐसा ना कहिये बैध जी मेरे देवा को होश में लाइए।
मै इसके बिना नहीं जी सकती।
देवा उठ ना रे बेटा क्या हो गया है तुझे।
ममता;भइया उठो न देखो ऐसे चुप चुप रहोंगे तो मै भी तुम्हारे साथ मर जाऊँगी भइया।
नीलम;रत्ना और ममता को सँभालती है मगर देवा की बेहोशी उसे भी अंदर ही अंदर खाए जा रही थी।
रात बस किसी तरह कट जाती है और सुबह का सूरज आशा की नए किरण के साथ निकलता है।

देवा को होश आ जाता है।
उससे होश में देख गांव के हर एक आदमी हो या औरत उसकी ऑंखों में ऑंसू छलक जाते है।
देवा था ही ऐसा इंसान हर किसी के बूरे में भले में मदद करने वाला।
सबके सुखा दुःख बाँटने वाला और अब जब उसकी जान खतरे में थी तो गांव के हर इंसान की ज़ुबान पर उसकी सलामते के लिए प्रार्थना थी।
और ऊपर वाले ने उन सभी की प्रार्थना सुन भी लिया था। देवा होश में आ चुका था मगर खून ज़्यादा बहने के कारण वो बहुत कमजोर लग रहा था।
बैध;अब कैसा लग रहा है देवा।
देवा; ये सब कैसे हो गया वैध जी।
रत्ना;हाँ देवा हम भी यही जानना चाहते है आखिर ये सब हुआ कैसे।
देवा;पता नहीं माँ मै शालु काकी के घर से अपने घर आ रहा था की किसी ने पीछे से मेरे सर पर इतनी ज़ोर से लाठी से वार किया की मुझे एकदम से चक्कर आ गया। उसके बाद मुझे कुछ भी ठीक से याद नहीं मै कैसे यहाँ पहुँचा मुझे कुछ याद नहीं माँ।
रत्ना;तू आराम कर बेटा जिसने भी ये नीच हरकत किया है ना वो नहीं बचेगा।
देवा को रात में घर ले आते हैं वो बहुत कमज़ोर लग रहा था ।
वो अपने रूम में लेटा हुआ था और उसके पांव के पास नीलम बैठी उसके पांव दबा रही थी।
नीलम के ऑंसू तो थम चुके थे मगर दिल में डर बैठ गया था की उसके देवा का कोई दुश्मन भी गांव में मौजूद है।
रत्ना;नीलम कुछ खा ले बेटा सुबह से तू भूखी है।
नीलम;भूख नहीं है काकी।
ममता ;माँ नीलम ने देवा की सलामती के लिए ब्रत रखी है दो दिन वो नहीं खाने वाली कुछ भी।
रत्ना;बड़े प्यार से नीलम के सर पर हाथ फेरते हुए सोचती है कितना खुश नसीब है देवा की उसे सब इतना प्यार करते है।
सारे गांव में खबर आग की तरह फैल गई थी की देवा पर जन लेवा हमला हुआ है मगर किसने किया।
इस हमले के पीछे कौन है ये सब जानना चाहते थे मगर जवाब किसी के पास नहीं था।

रानी और रुक्मणी को भी पदमा से ये बात पता चल गई थी की देवा पर जानलेवा वार हुआ है।

सुबह सुबह जब हिम्मत हवेली पहुँचता है तो उसे ये पता चलता है की देवा पर किसी ने हमला किया मगर वो बच गया है। ये सुनकर हिम्मत का खून खौल जाता है और वो उलटे पांव विक्रांत से मिलने चला जाता है।

रानी और रुक्मणी पदमा के साथ देवा से मिलने उसके घर आती है।
देवा;अपने घर के ऑंगन में बैठा हुआ था। रत्ना और गांव के कुछ और औरतें भी देवा के पास बैठी हुई थी।
रत्ना;अरे बडी मालकिन छोटी मालकिन आप यहाँ।
रुक्मणी;हाँ मुझे पता चला देवा के बारे में तो हमने सोचा। चलो देख आते है।
देवा;नमस्ते मालकिन आइये न बैठिये।
गांव की दूसरे औरतें चली जाती है और रुक्मणी रानी देवा के पास बैठ जाती है।
रत्ना: मैं कुछ लाती हूँ।
रुक्मणी;अरे नहीं इसकी कोई ज़रूरत नहीं है।
रत्ना;ऐसे कैसे ज़रूरत नहीं है।
पदमा ज़रा मेरे साथ आना तो।
रुक्मणी और रानी को क्या पसंद है वो बननाने के लिए रत्ना पदमा को अपने साथ किचन में बुला लेती है।
रुक्मणी;अब कैसा लग रहा है देवा।
देवा;बस थोड़ा दर्द है सर में और कुछ नहीं पता नहीं उस मारने वाले को क्या दुश्मनी थी मुझसे।
रुक्मणी;वो तुम्हारा नहीं तुम्हारे खानदान का भी दुश्मन है देवा।
देवा;चौंकते हुए रुक्मणी की तरफ देखता है।
क्या कह रही है आप मालकिन आप जानती है उसे जिसने ये सब किया है मेरे साथ।
रुक्मणी;हाँ मगर मै उसका नाम एक शर्त पर तुम्हें बतांउगी अगर ये बात हम तीनो तक रहेगी तब।
देवा: मैं वादा करता हूँ मालकिन किसी को नहीं बोलुंगा।
रुक्मणी;तुम पर हमला विक्रांत नाम के आदमी ने किया है और उस विक्रांत से ये सब करवाने वाला और कोई नहीं बल्कि मेरा पति हिम्मत राव है।
देवा की ऑंखें खुली की खुली रह जाती है।
मालकिन ये आप क्या कह रही है।
रानी;हाँ देवा माँ सही कह रही है।
इस सब के पीछे बापू है।
वो तुम्हें और तुम्हारे घर वालों को जान से मारना चाहते है।तूम सोच रहे होंगे हम तुम्हें ये सब क्यों बता रहे है
सच कहें तो देवा जितना प्यार हम तुमसे करते है उतना बापू से भी नहीं करते और सिर्फ यही वजह नहीं है वो इंसान इंसान नहीं जानवर है।
पता नहीं कितनी लाशों को अपने पाँव के नीचे कुचल कर वो यहाँ तक पहुंचा है।
रानी;मुझे तो घिन आती है उस इंसान को अपना बापू कहते हुए।
देवा: मैं उसे ज़िंदा नहीं छोड़ूँगा मालकिन ज़मीन में ज़िंदा गाड दूंगा मै उसे।
रुक्मणी;अभी नहीं देवा।
अभी नहीं पदमा बता रही थी की तुम्हारी बहन की शादी होने वाली है।
पहले अपनी बहन को ख़ुशी ख़ुशी बिदा कर दो उसके बाद हम पुलिस का सहारा लेकर हिम्मत राव का सर्वनाश कर देंगे।
देवा;नहीं मालकिन हिम्मत से मुझे भी बहुत कुछ पूछ्ना है और उसे मेरे हर सवाल का जवाब देना होगा।
आपका बहुत बहुत शुक्रिया जो आपने मुझे अपना समझा।

रत्ना खाने का सामान बाहर ले आती है और उनके साथ बैठ कर बातें करने लगती है।

कुछ देर बाद रानी और रुक्मणी हवेली लौट जाते है।
वो तो लौट जाते है मगर देवा के दिल में ऐसी आग सुलगा जाते है जो सिर्फ हिम्मत के खून से बुझेगी।
देखते ही देखते पूरा एक हफ्ता गुज़र जाता है और देवा पूरी तरह ठीक भी हो जाता है।
वो अपने घर में बैठा हुआ था।
की तभी उसके पास रत्ना आकर बैठ जाती है और देवा को गौर से देखने लगती है।
देवा;क्या देख रही हो माँ।
रत्ना;कुछ नहीं। सोच रही हूँ अगर तझे कुछ हो जाता तो.....।
देवा;कुछ नहो होगा माँ मुझे । तुम मुझसे इतना प्यार जो करती हो।
रत्ना;सर झुका लेती है।
रत्ना को इन दिनों एहसास हो गया था की देवा न सिर्फ इस घर के लिए बल्कि उसके लिए भी कितना
महत्व रखता है। देवा से उसकी साँसें चल रही थी और देवा के बिना वो कुछ भी नहीं थी।
देवा रत्ना का हाथ अपने हाथों में ले लेता है।
माँ एक बात कहूँ।
रत्ना; हां बोल।
देवा; मैं जो मंगलसूत्र लाया था वो तुमने अब तक नहीं पहना।
रत्ना;कुछ नहीं कहती बस उसके होंठ सूखने लगते है
जीन्हें गीला करने के लिए वो अपनी ज़ुबान अपने सुखे होठो पर फेरने लगती है।
उस वक़्त उन दोनों के अलावा वहां कोई तीसरा नहीं था।
देवा;के सामने उसके सपनों की परी बैठी हुई थी
जीसे देवा दिलो जान से चाहता था।
देवा;अपना हाथ आगे बढा कर रत्ना की कमर के अंदर डाल कर उसे अपनी तरफ खीच लेता है।
रत्ना;उन्हह क्या कर रहा है बेटा।
देवा;माँ सच कहूं तेरे बिना मेरी ज़िन्दगी अधुरी है अगर तू मुझे नहीं मिली न मै सच कहता हूँ किसी दिन मर जाऊँगा।
रत्ना;अपना हाथ देवा के मुँह पर रख देती है।
मरे तेरे दुशमन।
देवा;रत्ना का हाथ चूम लेता है।
रत्ना; आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह।
मत कर ऐसा बेटा देवा मै तेरी माँ हूँ।
देवा;माँ तू भी जानती है मै तुझे माँ नहीं अपनी पत्नी समझता हूँ और तुझे पत्नी के सारे सुख देना चाहता हूँ।
देवा अपने हाथ को रत्ना के पेट पर से घुमाते हुए ऊपर ब्रैस्ट के थोड़े नीचे ले आता है।
रत्ना का जिस्म थर थराने लगता है।
वो इधर उधर देखने लगती है।

की तभी अचानक देवा अपना एक हाथ रत्ना की एक ब्रैस्ट पर रख कर ज़ोर से दबा देता है।
रत्ना; हाय रे.....
वो सँभल पाती इससे पहले देवा अपने होठो को रत्ना की गर्दन पर रख उसकी गर्दन को चूमते हुए ब्रैस्ट को मसलने लगता है।
रत्ना;आहह मत कर ज़ालिम।
उह्ह्ह्ह।
ममता ;माँ कहाँ हो तुम।
रत्ना;ममता की आवाज़ सुनकर देवा के पास से उठकर दूसरे रूम में भाग जाती है।
और उसे जाता देख देवा के चेहरे पर मुस्कान फ़ैल जाती है।
 

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