Incest हाय रे ज़ालिम................

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हिम्मत राव;रुक्मणी के पेशानी पे चुमता हुआ रानी के कमरे की तरफ चला जाता है।

रानी के रूम में किसी को आने की परमीशन नहीं थी रुक्मणी को भी नही।
सिर्फ हिम्मत राव कही भी आ जा सकता था।

एक बार रुक्मणी ऐसे ही किसी काम से उसके रूम में चली गई थी तो उस बात पे रानी ने इतना हंगामा किया थी की उस दिन से रुक्मणी ने कान पकड़ी थी की आज के बाद कभी भी रानी के रूम में नहीं जाएंगी।

यही वजह थी की रानी अपने रूम में किसी भी हालत में सोई रहती थी। बस पदमा साफ़ सफाई करने उसके रूम में जाया करती थी।

रानी;बिस्तर पे नंगी सोई हुई थी उसे अभी अभी नींद लगी थी।

हिम्मत राव;रानी को ऐसी हालत में देख राल टपकाने लगता है और आगे बढ़ के रानी की चूत के पास बैठ जाता है।

वो बड़े गौर से रानी की चिकने चूत को देखने लगता है।

कुछ देर देखने के बाद वो रानी के चूत के दोनों लिप्स को अपने उँगलियों से मसलने लगता है और उसे दबोच लेता है।



रानी नींद से जाग जाती है।
आह बापू क्या करते हो उन्हह।

हिम्मत राव;कुछ भी तो नहीं बिटिया बस देख रहा हूँ।

रानी;अपनी चूत के दाने को सहलाने लगती है उसकी चूत में तो काफी देर से जलन हो रही थी।
हिम्मत राव;क्या हुआ रानी दर्द हो रहा है कही पे।

रानी;हाँ बाबू यहाँ।



हिम्मत राव;अरे बिटिया पहले क्यों नहीं बोली तू कहे तो मलहम लगा दुं।

रानी;कोई ज़रूरत नहीं कुछ लगाने की मरहम दर्द कम करने के लिए लगता है।
तूम तो दर्द और बढा देते हो बापु।
 
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हिम्मत राव;रानी की चूत को अपनी उँगलियों से सहलाने लगता है।
बिटिया अपनी ज़ुबान से मलहम लगा देता हूँ जल्दी आराम मिलेगा तुझे।

रानी;आहह कैसे बापु।

हिम्मत राव;रानी की चूत पे झुक जाता है और अपनी ज़ुबान रानी की चूत पे रख के उसे अंदर तक चाटने लगता है गलप्प गलप्प ......



रानी;आहह बापू और अंदर तक लगाओ न आहह हाँ बापु आहः

हिम्मत राव;रानी की चूत को चाटता चला जाता है।
और रानी कमर को और ऊपर उछाल उछाल के हिम्मत राव से अपनी चूत चटवाती जाती है।

कुछ देर बाद रानी हाँफने लगती है और एक चीख़ के साथ झड़ जाती है।

कि तभी बाहर से रुक्मणी की आवाज़ आती है।

रुक्मणी;अजी सुनते हो ज़रा यहाँ आओ न।

हिम्मत राव;बुरा सा मुंह बनाके बाहर निकल जाता है।
 
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देवा;घर पहुँच चूका था । घर में रत्ना और ममता उसी का इंतज़ार कर रही थी उनके चेरे पे परेशानी साफ़ देखी जा सकती थी।
जब वो देवा को दरवाज़ा खोल के अंदर आता देखतीं हैं तो खुश हो जाते है।

रत्ना;बडी देर लग गई बेटा।

देवा;हाथ मुंह धोते हुए हाँ माँ वो कपडे लेने में देर हो गई।

ममता; भाई शहर से मेरे लिए क्या लाये।

रत्ना;बस कर लड़की। भाई अभी घर आया नहीं खाने का पूछा नहीं की मेरे लिए क्या लाये।
जा जाके खाना ला दे।

ममता ; फुले हुए मुंह के साथ किचन में चली जाती है।उसने देवा के हाथ में बैग तो देख ही ली थी बस दिल जल्द से जल्द उन्हें खोल के देखने को कर रहा था।

देवा;खाना खाने लगता है।
रत्ना उसके पास बैठ के हाथ के पंखे से हवा करने लगती है।

रत्ना;बहुत थका थका सा लग रहा है देवा । तू क्यों इतना काम करता है।

देवा;उफ़ माँ कहाँ थका हुआ हूँ बिलकुल ठीक तो हूँ।तुम भी ना।
वो खाना खाने के बाद बैग खोलता है और उस में से पहले एक साडी निकालता है जो वो रत्ना के लिए लाया था।
साड़ी बहुत अच्छी थी रतना उसे खोल के देखती है उसके चेहरे के हाव भाव देवा को बता देतें है की साडी रत्ना को बेहद पसंद आई है।

ममता; भाई ये दूसरे बैग में क्या है।

देवा; हाँ हाँ मै समझ गया । ये ले तेरे लिए एक शलवार कुर्ता और ये रात में पहनने के लिए कुछ कपडे लाया हूँ।।

ममता; झट से कपडे हाथ में ले के बाथरूम में घुस जाती है।
वो इतनी उतावली हो रही थी कपडे पहन के देखने के लिए की बस जल्दी जल्दी वो अपना कुर्ता निकाल के फ़ेंक देती है।
 
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देवा;माँ तुम भी साडी पहन के देख लो अगर अच्छी नहीं लगी तो वापस कर देंगे।

रत्ना;कल पहन लुंगी बेटा।

देवा;नहीं माँ मुझे अभी देखना है।

रत्ना;रोज़ तो देखता है तु।

देवा;आज अच्छे से देखना है पहन लो न माँ।

रत्ना; अच्छा बाबा तू देखे बिना मानने वाला तो है नही।
रत्ना उठके अपने रूम चली जाती है

ममता ; नाईट ड्रेस पहनके जब देवा के सामने इतराते हुए आती है तो देवा देखता रह जाता है।
कैसी लग रही हूँ भैया।वो इधर उधर घुम घुम के देवा को अपने अलग अलग भाग के एक तरह से दर्शन करवाने लगती है।

देवा;उठके उसके पास जाता है।
ज़रा बता मुझे हम्म एकदम मस्त बिलकुल फिट आएँ है ना कपडे तुझ पे।
एक मिनट यहाँ से थोड़ा ढिला है क्या ।

वो ममता को पीछे घुमा के उसके कमर की फिटिंग देखने लगता है।
और अनजाने में उसका हाथ ममता के कमर पे चला जाता है।



ममता के मुंह से आहह निकल जाता है।

देवा समझ के भी अन्जान बन जाता है।
क्या हुआ ममता।

ममता ; कुछ नहीं भाई ।

तभी वहां रत्ना साडी पहनके आती है वो साडी रत्ना पे बहुत जंच रही थी देवा तो उसे देखता ही रह जाता है।



मोते मोटे रस से भरे हुए सुडौल ब्रैस्ट आज देवा को साफ़ साफ़ दिखाई दे रहे थे। उसकी नज़र आज रत्ना की ब्रैस्ट से हटने का नाम नहीं ले रही थी।

ममता ; खंखारती है और दुसरा ड्रेस पहनने वापस बाथरूम में घुस जाती है।

रत्ना;अभी भी चुप चाप देवा के मुंह से तारीफ सुनने के लिए खड़ी थी।

देवा;आगे बढ़के रत्ना के पास आता है।
बहुत सुन्दर लग रही हो माँ तुम।
 
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रत्ना;धत बदमाश अब इस उम्र में मै क्या अच्छी लगूँगी बेटा।

देवा;मैंने कहा न मेरी बात पर विश्वास नहीं है तुम्हें।

रत्ना;अरे नहीं वो बात नहीं अच्छा ये बता तूने साडी तो ले आया पर अंदर पहनने के लिए कुछ नहीं लाया।

देवा;तुम ऐसे ही अच्छी लगती हो।ये शब्द उसके मुंह से निकल तो गए थे पर ये दोनों माँ बेटे के चेहरे को शर्म से लाल भी कर गए थे।

रत्ना;अपने रूम में चली जाती है और देवा खटिया पे बैठ जाता है ।
वो सोचने लगता है कही माँ को बुरा तो नहीं लग गया होगा।



कुछ देर बाद जब रत्ना बाहर आती है तो वो बिलकुल नार्मल लग रही थी । ये देख देवा की जान में जान आती है और वो चैन की नींद सो जाता है।

सुबह के 7 बजे।
देवा;तैयार हो चुका था और वो नाश्ता करके खेत की तरफ चला जाता है।

आज खेत में उसे मज़दूरों से काम लेना था वो जो सुबह से काम में लगता है तो 11 बज जाते है।

गर्मी के कारण मज़दूर अपने अपने घर को चले जाते है देवा वही कुंवे पर हाथ मुंह धोने लगता है तभी उसे शालु अपनी कमर मटकाते हुए आती दिखाई देती है।

शालु;सीधा देवा के खेत में आती है । आज उसके साथ बकरियाँ नहीं थी वो अकेली ही आई थी।

देवा;क्या बात है काकी आज तुम अकेली आई हो मेरा मतलब है बकरियाँ चराने नहीं लाई।

शालु;अरे पप्पू ले गया है नदी पर उन्हें। मै तो यहाँ आम तोड़ने आई थी अच्छा हुआ तू मिल गया ज़रा कुछ कच्ची कैरिया तोड़ दे मुझे।

देवा;शालु को नीचे से ऊपर तक देखने लगता है और सोचता है साली खुद तो पका पकाया आम है जितना निचोड़ो उतना कम ।

शालु;देवा के ऑंखों की गर्मी अपने शरीर पे महसूस कर चुकी थी।
क्या हुआ नहीं तोड़ना हो तो बोल दे।
 

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