Incest हाय रे ज़ालिम................

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रानी;ऐसे नहीं हम्म एक काम करो मुझे होठो पे चुमो।

देवा;नहीं न छोटी मालकिन।

रानी;जल्दी और अभी वरना......

देवा;न चाहते हुए भी उस आग के कुंवे में गिरता चला जा रहा था । जिससे आज तक कोई ज़िंदा वापस नहीं आया था।

वो रानी के होठो को अपने मुंह में लेके चुसने लगता है
रानी सिसकारियां भरने लगती है और देवा का हाथ पकड़ के अपनी दोनों ब्रैस्ट पे रख देती है।

देवा;हलके हलके ब्रैस्ट दबाते हुए रानी को किस करने लगता है तकरीबन 10 मिनट तक रानी देवा को अपने से अलग नहीं होने देती।।

देवा;अपने होंठ जब रानी के होठो से अलग करता है तो उसके जिस्म में एक बदलाव महसूस करता है वो रानी को चुमने से तो मना कर रहा था पर इस सबसे उसका लंड पेंट के अंदर पूरी तरह खड़ा हो गया था।

और वो रानी को चुभ भी रहा था । रानी अपने सीट पे बैठ जाती है और मुस्कुराते हुए देवा की तरफ देखने लगती है।

देवा;घर चले मालकिन।

रानी;मालकिन के बच्चे नखरे तो बड़े दिखा रहा था और ये तेरे पेंट में क्या है जो मुझे चूभ रहा था । बता मुझे देखने दे कही चाकू तो नहीं छुपा रखा है मुझे मारने के लिये।

देवा;शर्म के मारे पानी पानी हुआ पड़ा था वो क्या बोलता की मालकिन ये मेरा लंड है जो आपके चूत पे रगड खा रहा था।

रानी;आगे बढ़ती है और देवा का पेंट खोल देती है देवा मना करता रह जाता है पर ज़िद्दी रानी किसकी सुनती थी जो वो देवा की बात मानती।

रानी;बाप रे ये क्या है रे।



रानी के हाथ में देवा का चमकता हुआ तेज़ धार वाला लंड आ जाता है उसके लंड के सुपाडे पे दूधिया पानी के कुछ क़तरे चमक रहे थे जिसे रानी अपनी ऊँगली से वापस देवा के लंड पे मल देती है।
 
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रानी;तू तो बड़ा कमीना निकला मालकिन पे डोरे ड़ालता है अभी तेरी खबर लेती हूँ।
वो दोनों हाथो में देवा के लंड को पकड़ के ज़ोर ज़ोर से हिलाने लगती है।

देवा की नज़रें रानी के आधे नंगे ब्रैस्ट पे टीक जाती है
और जिस्म ऐठने लगता है रानी के नाज़ुक हाथ देवा के लंड पे कहर बरपा रहे थे। वो इतनी अदा से लंड को मुठिया रही थी की देवा कुछ देर बाद ही पानी छोड़ने लगता है

आह मालकिन आहह नहीं ये पाप है मालकिन ऐसा मत करो आहह आह।

रानी के दोनों हाथ देवा के लंड से निकले पानी से भर चुके थे।
वो देवा की ऑखों में देखते हुए अपनी उँगलियों को एक एक करके चाटने लगती है।

देवा :ये आप क्या कर रही है मालकिन ये गन्दा है।

रानी;प्यार करती हूँ तुझसे और प्यार में कुछ गन्दा नहीं होता।

देवा ख़ामोशी से रानी को देखने लगता है। रानी के इस हरकत से उसके दिल में भी प्यार का एक छोटा सा दिया जगमगाने लगा था।

रानी;देवा को घर चलने के लिए कहता है और देवा मुस्कराता हुआ हवेली की तरफ कार दौड़ा देता है।

हवेली पहुंच के रानी देवा का हाथ पकड़ के अपने रूम में ले जाती है।

देवा;मना करता जाता है पर रानी उसकी एक नहीं सुनती।

रूम में पहुँच के रानी दरवाज़ा बंद कर देती है।

देवा;छोटी मालकिन मुझे बहुत डर लग रहा है आप दरवाज़ा तो खोल दो वरना किसी ने हमें ऐसे देख लिया तो क्या समझेगा।

रानी;देवा के गले में बाहें डाल देती है।
मेरी आँखों में देखो इस में सिर्फ प्यार है देवा। ढेर सारा प्यार और जानते हो ये किसके लिए है।तुम्हारे लिए तो जब तक तुम मेरे साथ हो कोई तुम्हारा कुछ नहीं बिगाड सकता।


देवा;पर मालकिन।

रानी;देवा के शब्द पूरे नहीं होने देती और एक बार फिर से उसके होठो को अपने होठो में भरकर चूसने लगती है।गल्पप गलप्प।

रानी;देवा ज़रा मेरे काँधे तो दबा दो बहुत दर्द कर रहा है।

देवा;क्या करता नौकर जो था जो मालिक कहेंगे वो नौकर करेगा।

वो रानी के बिस्तर पे बैठ के उसके काँधे दबाने लगता है।

रानी; अच्छा एक बात बता । मै तुझे अच्छी लगती हूँ न सच सच बोलना तुझे मेरी कसम है देवा।

देवा;मालकिन आप बहुत खूबसूरत हो । आपके जैसी लड़की मैंने आज तक नहीं देखा। पर मालकिन मै आपसे प्यार नहीं करता। आप आसमानो में उड़ने वाली परी हो और मै ठहरा ज़मीन का एक कीडा।आपका और मेरा कोई मेंल नहीं है मालकिन।

रानी के दिल में आज पहली बार कुछ हुआ था वो देवा को कुछ कुछ जानने लगी थी।

अच्छा वो सब छोड़ ये बता तुझे कैसी लड़की पसंद है।

देवा;मालकिन आप भी न मुझे शर्म आती है।

रानी;हाय मेरे शरमीले तू क़ितना बड़ा बेशरम है मै अच्छी तरह जान चुकी हूँ।

देवा; मालकिन।

हिम्मत राव;रानी कहाँ हो तुम यहाँ आओ।
 
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दोनो हिम्मत राव की आवाज़ सुनके अपने बात बीच में बंद कर देते है । देवा की गण्ड फिर से फ़टने लगती है और वो रानी को कल आने का कह के पीछे के दरवाज़े से घर की तरफ निकल जाता है।


वो जब घर पहुँचता है तो पप्पू उसे उसका इंतज़ार करता हुआ मिलता है वो देवा को बताता है की वैध जी के यहां से दवा लाना है।

देवा;पप्पू से कहता है की वो दवा ला देगा।
पप्पू घर चला जाता है।देवा खाना खाके कुछ देर आराम करके अपने खेत में चला जाता है।

उसका दिमाग चारो तरफ घुम रहा था कभी उसे पदमा याद आती तो कभी रानी।
और वैध जी के घर जाने का सोच के किरण।

वो बेहद खुश था एक वक़्त ऐसा था की वो पप्पू के गाण्ड से काम चला रहा था और अब वो वक़्त आ गया था की हर तरफ हरियाली ही हरियाली नज़र आ रही थी।

वो अपना ट्रेक्टर लेके वैध जी के घर की तरफ निकल जाता है रस्ते में उसे पदमा मिलती है।

पदमा;कहाँ जा रहा है देवा।


पदमा के नशीली ऑखें देवा को साफ़ साफ़ बता रही थी की पदमा क्या चाहती है कहाँ कहाँ और कितना चाहती है।
 
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अपडेट 16

पदमा की नशीली ऑखें देवा को साफ़ साफ़ बता रही थी की वो क्या चाहती है।

देवा;क्या बात है काकी आज तो क़यामत ढा रही हो।

पदमा;चोली को ठीक करते हुए ।
क्या करूँ जिस मुये पे दिल आया है वो दिन रात बस काम करता रहता है।
आम सामने पड़े है और अँगूर ढूँढ़ता रहता है।

देवा;चल आजा बैठ जा ट्रेक्टर में।

पदमा;खुश हो जाती है और झट से ट्रेक्टर में बैठ जाती है।
कही खेत में तो ले जाने का मन तो नहीं है तेरा।

देवा;पहले वैध से दवाये लेते है उसके बाद देखेंगे ।

और देवा ट्रेक्टर को वैध के घर की तरफ मोड देता है।

रास्ते भर पदमा अपनी जवानी देवा को दिखाती रही और बीच बीच में देवा के लंड को पेंट के ऊपर से सहलाती रही।
जीसकी वजह से देवा का लंड ऐसे खड़ा हुआ की बैठने का नाम ही नहीं ले रहा था।

वैध जी का घर भी आ जाता है पर देवा का लंड सोने को तैयार नहीं था।

पदमा;हँसते हुए देवा के लंड की तरफ ईशारे करते हुए कहती है।
ज़रा इस मुये को थोडी देर सुला दे वरना कही वैध ने देख लिया तो सारे गांव में तेरे हथियार के बारे में बोल देगा।

देवा;साली तेरी वजह से इसका ये हाल हुआ है । जितना दबाता हूँ उतना खड़ा हो जाता है।
वो वैध जी के घर का दरवाज़ा खटखटाता है।

कुछ देर बाद किरण छोटे से चोली घागरा पहने बाहर आती है।
देवा पे जब उसकी नज़र पडती है तो चोली के छोटे छोटे कसी हुए रसियां और ज़्यादा कसती चली जाती है।

चुचे सामने की तरफ चोली को धकेलने लगते है।
 

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