Incest हाय रे ज़ालिम................

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देवा;नीचे बैठ के पदमा के गोरे गोरे पेट पे ज़ुबाँन रख देता है और उसे चूसने चाटने लगता है। गलप्प गलप्प।

पदमा तड़प के रह जाती है आज देवा ने उस जगह छुआ था जहाँ आज से पहले किसी ने नहीं छुआ। पदमा का शरीर ठण्डा पड़ चूका था और चूत आग की भट्टी के तरह तप रही थी।



पदमा;आह देवा जल्दी से ठोक दे खुट्टा आह रहा नहीं जाता रे।
उसकी आवाज़ में कंपकपाहट थी और चेहरे पे हवस।

देवा;पदमा की साडी पकड़ के खोलता चला जाता है।



जीस्म से साडी अलग होने के बाद देवा उसे बिस्तर पे बैठा देता है और दोनों चूचियों कोअपने पंजे में भर के ऐसे मसलने लगता है जैसे कोई आता गूंथ रहा हो।

पदमा;आह बस कर आहः।



पदमा;देवा को पीछे ढ़केलती है और देवा पीछे गिर जाता है।
पदमा;हँसते हुए उसकी तरफ देखने लगती है।
बस निचोड़ेंगा ही या खाएँगा भी।



देवा;पदमा पे टूट पड़ता है और उसके ऊपर चढ़ के उसके जिस्म के हर हिस्से को मसलते हुए उसके मुंह में मुंह डालके होठो को चुमने लगता है गलप्प गलप्प।

दोनो रास लीला के उस मुकाम तक आ चुके थे। जहाँ से लौटना नामुमकिन था।

देवा;पदमा के ऊपर चढ़ के उसके ब्लाउज को खोलने के लिए अपने हाथ पीछे की तरफ ड़ालता है।



की तभी बाहर से सुखीराम की गालियों की आवाज़ आती है आज वो शराब पिके घर आ गया था और नशे में बडबडाये जा रहा था।

पदमा;घबराके अपनी साडी ठीक करती है और देवा को पीछे के दरवाज़े से बाहर कर देती है।
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देवा;अपने खड़े लंड को किसी तरह पेंट में दबाते हुए सुखीराम को गालियां देते हुए घर की तरफ निकल जाता है।
उससे रास्ते में शालु का ख्याल आता है।
उसने सुबह कहा था की लड़कियां और उसका पति शहर गए है। वो ये सोचके की चलो वहां कुछ बात बन जाये शालु के घर पे चला जाता है।

शालु;घर पे अकेली थी वो देवा को इस वक़्त घर पे देख के पहले थोड़ा हैरान हो जाती है।

शालु;अरे देवा तुम इस वक़्त।

देवा;वो मै पप्पू से मिलने आया था काकी।
शालु;वो तो घर पे नहीं है।

देवा;अच्छा काकी थोड़ा पानी मिलेंगा।

शालु;अभी लाई। वो पानी लाके देवा को दे देती है।
देवा;पानी पीते हुए शालु के भरे भरे गोलाइयों को देखने लगता है।

शालु;उसके नज़र का पीछा करती है और हैरान रह जाती है।
ऐसे क्या देख रहा है।

देवा;बिना कुछ कहे शालु के पास आ जाता है और उसे अपने छाती से लगा लेता है।

शालु;आह छोड क्या हो गया है तुझे । पागल तो नहीं हो गया तू देवा।

देवा;हाँ मै पागल हो गया हूँ । वो शालु को दिवार से चिपका देता है और उसके गालो को चुमने लगता है।



शालु;आह छोड देवा क्या हो गया है ।

देवा के दिमाग में पदमा घूम रही थी वो शालु के गाल को दोनों हाथ में पकड़ के उसके रसीले होंठों पे अपने होंठ रख देता है और उसे बुरी तरह चुसने लगता है।



गुं गुं की आवाज़ शालु के मुंह से निकलने लगती है।

शालु;एक झटके से देवा को अपने से अलग कर देती है और उसी वक़्त पप्पू घर में दाखिल होता है।
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देवा;नहाने चला जाता है और रत्ना परेशान हो जाती है...........

रत्ना;का ध्यान बार बार भटक रहा था एक तो वो खुद के रवैये को लेकर परेशान थी की उसे हो क्या गया है। वो जो नहीं चाहती थी वो खुद अपनी मर्ज़ी से कर रही है।
और देवा को उसकी मर्ज़ी भी करने दे रही है।
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नही नहीं अब मै देवा को अपने क़रीब नहीं आने दूंगी।
वो कुछ सोच कर ये बात अपने मन में ठान लेती है।
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देवा;नहाकर बाथरूम से बाहर आता है और आते ही अपनी माँ के कमर में पीछे से चिपक जाता है।
वो सिर्फ टॉवल लपेटे हुए था।
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और उस टॉवल के पीछे का शैतान अपनी जगह की तलाश में रत्ना की चूतड़ पर ठोकर मारने लगता है।

अपने जज़बातों को एक तरफ रख कर रत्ना देवा की तरफ घुम जाती है।
उसकी आँखें कुछ और बता रही थी और वो कुछ और ठान चुकी थी।
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देवा;क्या बात है मेरी जान।

देवा;पूरा भी नहीं कह पाता की रत्ना एक थप्पड देवा के गाल पर जड़ देती है।

देवा;की सिट्टी पिट्टी गूंज उठती है।
वो अपने गाल को सहलाते हुए रत्ना को देखने लगता है
कुछ देर पहले जो औरत अपनी चूत का मीठा पानी पीला रही थी उसे अचानक क्या हो गया है।

रत्ना;अपनी हद में रह लड़के।
आइन्दा मेरे क़रीब भी मत आया।
तो मुझसे बुरा कोई न होगा।

रत्ना की ऑंखों में उठा वो ज्वाला देवा देख लेता है और बिना कुछ बोले वापस अपने रूम में जाकर कपडे पहनने लगता है।

रत्ना;देवा के लिए खाना बनाने लगती है
उसके दिल में फिर से हलचल शुरू हो जाती है
क्या मैंने सही किया।
मुझे देवा को नहीं मारना चाहिए था।
वो मुझसे नाराज़ न हो जाए।
कही वो फिर से घर छोड कर न चला जाए।

कई सारे सवाल रत्ना को परेशान करने लगते है मगर उन् सब सवालों की वजह खुद देवा था।वो अपनी माँ रत्ना से प्यार की बात भी करता था और बाहर की औरतों की लेने को भी पीछे नहीं हटता था।

रत्ना; जानती थी आज मारे गए थप्पड देवा को सही रास्ती पर ले आयेगी।
और वो सिर्फ उसके और उसकी होने वाली पत्नी नीलम के बारे में सोचेगा।

देवा;कपडे पहनकर बाहर जाने लगता है।

रत्ना;अरे कहाँ जा रहा है । खाना तो खा ले।
मगर जिसके गाल पर थप्पड़ पडा हो उसे खाना भी अच्छा नहीं लगता।
देवा;सीधा अपने खेतों की तरफ बिना रत्ना को जवाब दिए निकल जाता है।

खेत में जाने के बाद अपने खेत के कुँवें पर जाकर देवा बैठ जाता है।
उसे उस वक़्त रत्न पर बहुत ग़ुस्सा आ रहा था।
आखीर उसने उसे मारा क्यों । यही बात देवा को परेशान कर रही थी।

मै माँ को इतना प्यार करता हूँ मगर माँ मुझे हमेशा परेशान करती है।
ठीक है अब माँ को बताऊंगा की मुझे उसकी नहीं उसे मेरी ज़रूरत है।
माँ नहीं चाहती न मै उसके क़रीब जाऊँ।
मै नहीं जाऊँगा।
जब तक वो खुद चल कर मेरे पास नहीं आती।
देवा;खुद से बातें करने लगता है।

इधर रत्ना की देवा की सोच से बिलकुल उलटी सोच हो रही थी।
वो देवा को नाराज़ नहीं करना चाहती थी। बस वो ये चाहती थी की देवा अपनी ज़िम्मेदारियाँ समझे। इस तरह गांव में खुले सांड की तरह न घुमता रहे।

रत्ना;अपनी सोचों में ही गुम थी की कोई उसे आवाज़ देता है।
जने पहचानी आवाज़ सुनकर रत्ना चौंक जाती है और दरवाज़े की तरफ देखने लगती है।

दरवाज़े पर तीन औरतें खड़ी थी।

ममता ;माँ......

रत्ना;ममता मेरी बच्ची आ गई तू। मै तुझे लाने के लिए देवा को आज भेज ही रही थी।रत्ना अपनी ममता को अपने ममता के आँचल में समेट लेती है।

कोमल;अरे समधन जी आप सोच रही थी लो हम अपनी बेटी को उसकी माँ से मिलाने ले भी आए।

रत्ना;कोमल और साथ में आये प्रिया को भी अंदर ले आती है।
उन्हें नाश्ता पानी देने के बाद वो उन्ही के पास बैठ जाती है।

रत्ना;सच में मुझे तो विश्वास नहीं हो रहा अभी भी।
की मेरी ममता मेरी ऑंखों के सामने है।

कोमल;देख लो समधन।
आपकी अपनी ममता ही है।
और हाँ ये आपकी बेटी थी अब मेरी दूसरी बेटी है।
मै ममता को प्रिया से कम थोड़े प्यार करती हूँ।
मुझे कह रही थी माँ से मिल कर आती हूँ।
मैने कहा चल मै ही तुझे वहां छोड़ आती हूँ।
एक दो दिन मै रहूँगी तुझे जितना रहना है रह लेना।
प्रिया को भी साथ ले आए।
दोनो साथ में वापस आ जाएंगी।

रत्ना;ये तो अपने बहुत अच्छा सोचा समधन।
सच में ममता को आप मुझसे ज़्यादा चाहती है। ये बात तो साबित हो गई।

रत्ना;अरे प्रिया बिटिया बड़ी गुमसुम से बैठी हो।
मगर एक बात कहूँगी बड़ी सुन्दर लग रही हो इन कपडो में। शादी में तो ठीक से मिल भी नहीं पाई थी तुम से। अब एक दो हफ्ते यही रहो मेरे पास।

प्रिया;मुस्कुरा देति है।

ममता;माँ भैया कहीं दिखाई नहीं दे रहे।

रत्ना;देवा वो अभी अभी बाहर गया है आ जायेगा।
देवा;का नाम सुनकर तीन चुतों में जैसे पानी सा आ जाता है।
अपने भाई की छिनाल बहन ममता बेक़रार थी अपने भैया यानी सैयां से मिलने को।
वही कोमल की गाण्ड भी खुल बंद हो रही थी।
उसके नीचे पिस जाने को
और जो सबसे चुपचाप बैठी थी प्रिया उसकी चूत का पर्दा सबसे ज़्यादा उतेजित था देवा को देखने के लिये।

रत्ना;समधन जी आप लोग थक गए होगे।
आराम कर लो तब तक मै खाना बना लेती हूँ।।

ममता;माँ मै तुम्हारी मदद करती हूँ।

कोमल;चल प्रिया तू भी थोड़ा आराम कर ले।

कोमल और प्रिया रूम में आराम करने चलि जाती है और ममता अपनी माँ से ससुराल की बातें करने बैठ जाती है।

दोनो माँ बेटी धीमी आवाज़ में खाना पकाते हुए बातें करने लगती है।

देखते ही देखते सुबह से शाम और शाम से रात हो जाती है मगर देवा का न ग़ुस्सा कम होता है और न वो घर जाता है।

रत्ना; जानती थी देवा इतनी देर नहीं लगाता। आज उसके चाँटे की वजह से देवा घर नहीं आया है उसकी चिंता और बढ़ने लगती है की तभी देवा की आवाज़ सुनकर उसकी जान में जान आती है।

देवा;जैसे ही घर में दाखिल होता है उसे बीच के रूम में प्रिया बैठे हुए नज़र आती है।

एक पल के लिए देवा ठिठक सा जाता है
ओ प्रिया को पहचान ही नहीं पाता।
सलवार कमीज में रहने वाली प्रिया आज चोली घाघरे में उसके सामने बैठी हुई थी।


उसके बाजु में कोमल और उसके पास ममता को देख देवा खुश हो जाता है । उसका सारा ग़ुस्सा जैसे उड्डन छु हो जाता है।

ममता; भइया....
वह भागते हुए आकर अपने देवा से लिपट जाती है
कोमल और प्रिया के लिए ये एक भाई बहन की मोहब्बत थी मगर देवा और ममता के लिए ये बिछड़े हुए प्रेमियों का मिलन था।

देवा;भी अपनी बहन को अपनी बाहों में समेट लेता है
कैसी है मेरी गुडिया।

ममता ;ठीक हूँ भइया।

देवा;कोमल और प्रिया के सामने अपना कोई भी राज़ नहीं खोलना चाहता था क्यूंकि उसकी कोई भी गलती ममता की आने वाली ज़िन्दगी ख़राब कर सकती थी।

देवा;ममता से अलग होकर कोमल और प्रिया से मिलता है।

कोमल के साथ साथ प्रिया की ऑंखें भी चमक उठती है। थोड़ी देर बातें करने के बाद देवा अपने रूम में चला जाता है।

रत्ना;देवा के लिए चाय बनाकर उसके रूम में जाने लगती है मगर ममता उसे पीछे से आवाज़ देकर रोक लेती है।

ममता;लाओ माँ भइआ को मै चाय दे आती हूँ तुम अम्मा और प्रिया के पास बैठो।

रत्ना;देवा से बात करके उसे मना लेना चाहती थी मगर जो वो चाह रही थी वो वैसे नहीं हो पा रहा था।

ममता;चाय लेकर देवा के रूम में चलि जाती है और कप टेबल पर रख कर देवा से लिपट जाती है अपने भाई के पूरे चेहरे को ममता चुमती चलि जाती है और ममता और देवा भी अपनी बहन के हर एक अंग अंग को अपने हाथों से मसलने लगता है।

ममता;भैया मेरे देवा कितनी याद आई मुझे तुम्हारी मुआहहहह मुआह....

देवा;मुझे भी तू बहुत याद आती है ममता मेरी जान।
दोनो एक दूसरे के होठो को चुमने लगते है।
ममता ;अपने भाई की मज़बूत बाहों में खुद को ढिला छोड देती है और देवा उसे बड़ी आसानी से सँभाल लेता है।

देवा; ये बता तेरी सास और ननद यहाँ कैसे।

ममता ;अम्मा तो मुझे यहाँ छोडने आई है वो दो दिन बाद चलि जाएगी।
प्रिया यहीं रुकेंगी और मेरे साथ बाद में जाएंगी।

देवा;और सुना सब कैसे चल रहा है वहाँ।

ममता; तुम्हारे बिना कैसे चल सकता है भइया।
सब है वहां मगर जहाँ तुम नहीं वहां मुझे अधूरापन लगता है।

देवा;फिर से अपनी बहन को अपनी बाहों में जकड लेता है ।कोई बात नहीं आज तुझे जम कर पुरानी बातें याद दिला दूँगा।

ममता;नहीं नहीं अभी नहीं। अम्मा के जाने के बाद
वरना मेरा जीना मुश्किल हो जाएगा वहां....

अम्मा के जाने के बाद जो करना है करो जैसे करना है करो।
बस दो दिन और.....

देवा;दिल ही दिल में सोचने लगता है चलो अच्छा हुआ तूने खुद कह दिया वैसे भी दो दिन देवा का पूरा ध्यान कोमल की मोटी गाण्ड और चूत मारने पर था ।

ममता ;क्या सोच रहे हो।

देवा;कुछ नहीं तू जा। मै आता हूँ।

ममता बहार चलि जाती है और देवा अपने लंड को सहलाते हुए कुछ सोचने लगता है।

कुछ देर बाद देवा बाहर आकर कोमल और प्रिया के पास बैठ जाता है और उनसे हँस हँस के बातें करने लगता है । वो रत्ना को ऐसे बता रहा था जैसे उसे रत्ना की कोई परवाह ही नहीं है और ममता के आ जाने से उसे सारी खुशियाँ मिल गई है।



रत्ना;दूर से ये सब देख अंदर ही अंदर जल भून रही थी। जब से देवा घर आया था उसने रत्ना की तरफ एक बार भी नहीं देखा था न उससे कोई बात किया था।
बस ममता और कोमल में खोया हुआ था देवा।

औरत चाहे कोई भी हो जब वो किसी से प्रेम करने लगती है तो वो बस ये चाहती है की उसका प्रेमी सिर्फ उसे देखे उससे बात करे और किसी भी दूसरी लड़की की तरफ आँख उठाकर भी न देखे मगर देवा वो सब कर रहा था जिस चीज़ से औरतों को नफरत होती है।

रत्ना;खाना खाने का मन नहीं है क्या।

ममता ;अरे हाँ देखो न माँ । भैया की बातों में कुछ याद नहीं रहा।
चलिये खाना खा लेते है।
प्रिया आओ।
ममता अपनी सास और प्रिया को खाना खाने ले जाती है। उनके जाने के बाद रत्ना देवा के पास आकर बैठ जाती है।

देवा;उठकर जाने लगता है मगर रत्ना उसका हाथ पकड़ लेती है।
मुझे तुमसे बात करनी है।

देवा;कुछ नहीं कहता।

रत्ना;सुन रहे हो न तुम।

देवा;नहीं मुझे तुमसे कोई बात नहीं करनी।
दूर रहना चाहती हो ना तुम मुझे। ठीक है दूर रहूँगा मै भी।
देवा ये केहकर कोमल और ममता की तरफ चल देता है और रत्ना की ऑंखों में हज़ारों दिए टिमटिमा जाते है।

कहते है मोहब्बत इम्तहान लेती है।
कभि कभी मोहब्बत करने वालों की जान भी लेती है।
यहाँ सवाल जान का नहीं था।
मगर देवा की हरकतें रत्ना को तिल तिल मार ज़रूर रही थी।
मेहमान घर में थे। इसलिए रत्ना कुछ कह भी नहीं सकती थी।
मगर देवा की बेरुख़ी उसे अंदर ही अंदर खाए जा रही थी। उसे एक और डर सताने लगा था की ममता के आ जाने से देवा उसे सच में भूल न जाए।

मगर देवा के दिल का हाल सिर्फ देवा जानता था और कोई नही।

रात के खाने के बाद ममता अपनी माँ के रूम में सोने चली जाती है। देवा अपने रूम में और कोमल प्रिया के साथ एक रूम में सोने।
 
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WOW MAST HOT EROTIC UPDATE
मुझे बस अंदर ड़ालने दो अभी।
सासू माँ।
शालु;तुम्हें नीलम की कसम जब तक मै न कहूं अंदर मत घुसाना आह्ह्ह्ह।
बस ऐसे ही।
दोनो हाथों से देवा इतनी ज़ोर से शालु के चूतड़ को दबाने लगता है की शालु की चूत से पानी निकलने लगता है।
और वो सीधा देवा के लंड पर गिरने लगता है। शालु देवा से चिपक जाती है और झटके खाते हुए झरने लगती है।

जब थोडी देर बाद शालु शांत होती है तो उसे अपने चूत के मुहाने पर अंदर जाता हुआ देवा का लंड महसूस होता है शालु हाथ से देवा के लंड को पकड़ लेती है।
शालु;नहीं अभी नही सुनो न जवाई राजा।
देवा;मेरा लंड दर्द करता है अगर उसे चूत नहीं मिली तो।
शालु;नीचे नहीं ऊपर से करो मुझे।
देवा;ऊपर से कहाँ से।
शालु;देवा के लंड के पास अपना मुँह ले आती है और उसे खोल देती है।
यहाँ मुँह में लंड डाल के अपनी सासु माँ के मुँह को चूत समझ के चोदो।
देवा;अपने लंड को शालु के मुँह में डाल देता है।

शालु;गलप्प गलप्प गलप्प....
अपनी चूत को सहलाते हुए देवा के लंड को थोडी बहुत राहत देने लगती है।

देवा;आहह साली चूत दिखाती है मगर देती नहीं। साली तू ले तेरे मुँह में
THANKS FOR YOUR VALUABLE COMMENTS
 

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