Incest हाय रे ज़ालिम................

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देवा;अपने खड़े लंड को किसी तरह पेंट में दबाते हुए सुखीराम को गालियां देते हुए घर की तरफ निकल जाता है।
उससे रास्ते में शालु का ख्याल आता है।
उसने सुबह कहा था की लड़कियां और उसका पति शहर गए है। वो ये सोचके की चलो वहां कुछ बात बन जाये शालु के घर पे चला जाता है।

शालु;घर पे अकेली थी वो देवा को इस वक़्त घर पे देख के पहले थोड़ा हैरान हो जाती है।

शालु;अरे देवा तुम इस वक़्त।

देवा;वो मै पप्पू से मिलने आया था काकी।
शालु;वो तो घर पे नहीं है।

देवा;अच्छा काकी थोड़ा पानी मिलेंगा।

शालु;अभी लाई। वो पानी लाके देवा को दे देती है।
देवा;पानी पीते हुए शालु के भरे भरे गोलाइयों को देखने लगता है।

शालु;उसके नज़र का पीछा करती है और हैरान रह जाती है।
ऐसे क्या देख रहा है।

देवा;बिना कुछ कहे शालु के पास आ जाता है और उसे अपने छाती से लगा लेता है।

शालु;आह छोड क्या हो गया है तुझे । पागल तो नहीं हो गया तू देवा।

देवा;हाँ मै पागल हो गया हूँ । वो शालु को दिवार से चिपका देता है और उसके गालो को चुमने लगता है।



शालु;आह छोड देवा क्या हो गया है ।

देवा के दिमाग में पदमा घूम रही थी वो शालु के गाल को दोनों हाथ में पकड़ के उसके रसीले होंठों पे अपने होंठ रख देता है और उसे बुरी तरह चुसने लगता है।



गुं गुं की आवाज़ शालु के मुंह से निकलने लगती है।

शालु;एक झटके से देवा को अपने से अलग कर देती है और उसी वक़्त पप्पू घर में दाखिल होता है।
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रानी;बापू ये क्या कर रहे हो गोली चल जाएगी।
हिम्मत; अच्छा देखता हूँ क्या सच में गोली चलती भी है या नहीं बहुत दिन से किसी का शिकार नहीं किया मैने।
रानी;बापू मज़ाक़ छोड़ो सच में गोली चल जाएगी।
हिम्मत;एक मिनट हिलना मत रानी।
वो बन्दूक की नाल को रानी के सर की तरफ रख के ऊँगली ट्रीगर पर रख देता है।
रानी हिल भी नहीं पाती ज़रा ची चूक उसका भेजा उड़ा सकती थी।
उसे अपने बाप पर बिलकुल भरोसा नहीं था शराब के नशे में हिम्मत कुछ भी कर सकता था।
रुक्मणी;ऑंखें फाड़े कभी हिम्मत को तो कभी रानी के पसीने में तरबतर चेहरे को देखने लगती है।
रानी;बापु।
हिम्मत की ऊँगली ट्रीगर पर दब जाती है।
रुक्मणी;भागते हुए रूम में अंदर आ जाती है रानी
रानी।
गोली रानी की कनपट्टी के पास से होकर गुज़री थी उस गोली की गूंज से रानी सुन्न पड़ गई थी।
अपने सर के इतने क़रीब से गोली गुज़रने से रानी जैसे बेसुध सी हो गई थी।
और सामने बैठा हिम्मत राव खिलखिला कर हँस रहा था।
रुक्मणी;अपने पति को ज़हरीली नजरों से देखने लगती है।
हिम्मत; ये क्या देख रही है हाँ क्या देख रही है साली। मादरचोद की बच्ची ऑखें दिखाती है।
वो रुक्मणी के मुँह पर सटा सट थप्पड़ों की बरसात कर देता है। थप्पड़ों की आवाज़ से रानी को होश आता है
और वो रुक्मणी को हिम्मत के हाथों पिटता देख हिम्मत का हाथ पकड़ लेती है।
रानी; बस बापू क्यों गोबर पर तलवार मार रहे हो।
माँ कुछ नहीं कहती इसका मतलब ये नहीं की वो बेजान है।
जाओ यहाँ से हमे अपने हाल पर छोड दो।
हिम्मत;रानी और रुक्मणी को घूरता हुआ हवेली के बाहर निकल जाता है।
रानी;माँ चुप हो जाओ चुप हो जाओ माँ।
बापु पागल हो गये हैं देवा को बताना पड़ेगा वरना वो पता नहीं क्या कर बैठेंगे।
रुक्मणी का दिल भी धड़कने लगता है हिम्मत बन्दूक लेकर गांव में गया था।

उधर से देवा अपने खेत से काम करके अपने घर की तरफ लौट रहा था।
और इधर से हिम्मत अपने कार में शराब पीता हुआ उसी रास्ते पर आ रहा था।
अचानक दोनों एक दूसरे के आमने सामने आ जाते है।
चररररर चरर की आवाज़ के साथ हिम्मत ब्रेक लगा देता है।
देवा बस कार के नीचे आते आते ही बचता है।
देवा;हिम्मत की तरफ देखता है और बिना कुछ बोले सर झुकाये आगे बढ़ जाता है।
हिम्मत;कार से उतरता है और देवा के सामने आ जाता है।
क्यूं बे कुत्ते अभी कार के नीचे आ जाता तो....
देवा;माफ़ करना मालिक मैंने आपकी कार देखी नही।
हिम्मत;शराब के नशे में धुत्त था।
मालिक के बच्चे हरामी साले कहाँ देख के चल रहा था। आईन्दा मेरे सामने दिखाई भी दिया न तो....
इस में की सारी गोलिया तेरे भेजे में उतार दूँगा।
देवा;दोनों हाथ जोड के हिम्मत से माफ़ी माँगता है।
हिम्मत की आवाज़ सुनके आस पास के खेत में काम करने वाले भी वहां जमा हो जाते है।
इसलिए हिम्मत राव बात को आगे नहीं बढाता।
वो तो बस चाहता था की देवा कुछ उल्टा सीधा कहे या कुछ बोले के वही उसका काम तमाम कर दे....

मगर लोगों की मौजूदगी को देखते हुए हिम्मत अपने कार में बैठ के बिजली की तेजी से वहां से चला जाता है।
लोग हिम्मत को उसके जाने के बाद बुरा भला कहते है मगर देवा बिना कुछ कहे अपने घर की तरफ चल देता है।
हिम्मत;दिल ही दिल में सोचते हुए इस हरामी के लिए मुझे शहर ही जाना पडेगा।
अब बहुत हुआ। हाँ बहुत हुआ। वो कार शहर की तरफ मोड देता है।
जब देवा घर पहुँचता है तो ममता भागते हुए देवा से आके लिपट जाती है।
ममता;माँ देखो ना भैया आ गये है।
रत्ना;भी दौड़ते हुए देवा के क़रीब आ जाती है।
दोनो एक दूसरे की ऑखों में देखने लगते है।
मगर दोनों कुछ नहीं कहते।
रत्ना जैसे सारे गिले शिकवे भूलने को तैयार थी उसका बेटा देवा जो घर आ गया था।
ममता ;अब्ब यही खड़े रहोगे या अंदर भी चलोगे। आओ मैंने तुम्हारे लिए गरम गरम हलवा बनाई हूँ।
देवा;अपने रूम में चला जाता है और नहा धोके खाना खाने बैठ जाता है।
खाना खाते खाते भी सिर्फ ममता बड़ बड करती है। देवा और रत्ना चुप चाप खाना खाते है।
मगर रत्ना बार बार चोर नज़रों से देवा को देखती रहती है।
रत्ना खाना ख़तम करके अपने रूम में चलि जाती है।
ममता भी खाने के प्लेटें साफ़ करने बैठ जाती है।

देवा ममता को देखता हुआ रत्ना के रूम में चला जाता है
देवा; माँ...
रत्ना; उस वक़्त आइने के सामने अपने बाल संवार रही थी देवा के मुँह से माँ सुनके वो मुड के देखती है।
और भागते हुए देवा की छाती से जाके लिपट जाती है।
रत्ना;क्यूँ चला गया था तू मुझे छोड के।
इतना बड़ा हो गया है तू की अपनी माँ से नाराज़ होके चला गया कितनी परेशान थी मै। तुझे पता है।


देवा;रत्ना को अपनी बाहों में समेट लेता है।
नही माँ मै तुमसे नाराज़ नहीं था।
बस उस वक़्त पता नहीं क्या हो गया था । मुझे घर आने को दिल नहीं कर रहा था अब आ गया हूँ ना । अब कही नहीं जाऊँगा।
रत्ना;कभी मुझे छोड के मत जाना अरे सब कुछ तो तेरा है ये घर सारी ज़मीन जायदाद ममता मैं.....
रत्ना के मुँह से अचानक ही निकल जाता है मैं....
देवा और रत्ना की ऑखें टकराती है।
और देवा की पकड़ रत्ना की कमर पर थोड़े कस जाता है।
उन दोनों के होंठ एक दूसरे के इतने क़रीब थे की दोनों एक दूसरे की साँसें भी महसूस कर सकते थे।
देवा; धीरे से कहता है।
सब कुछ मेरा है माँ।

इससे पहले की रत्ना कुछ कहती ममता के क़दमों की आहट दोनों के कानो में आ जाती है और
रत्ना देवा से अलग होकर बाहर निकल जाता है।
देवा एक तरफ खुश था की उसकी माँ पहले जैसा बर्ताव उसके साथ कर रही है।
मगर दूसरी तरफ देवा को बहुत ज़्यादा उत्सुक्ता भी थी ये जानने की आखिर रत्ना के दिल में है क्या।
ममता ;भैया आपका बिस्तर लगा दी हूँ । आप आराम करो।
देवा;ममता का हाथ पकड़ के अपने पास खीच लेता है
तू नहीं चलेंगी।
ममता ;देवा के मुँह पर हाथ रखते हुए माँ सुन लेगी धीरे बोलो।
देवा;सुनने दे चल मेरे साथ।
ममता; नहीं तुम अभी जाओ मै रात में माँ के सोने के बाद आती हूँ।

देवा;जल्दी आजा।
देवा; अपने रूम में जाने लगता है तो रत्ना उसे आवाज़ दे के अपने पास बुला लेती है।
रत्ना;अरे बेटा वो जहाँ ममता के रिश्ते की बात चल रही है ना वहां कल तुझे जाना है।
उन लोगों के कई बार बुलावा भेज चुके है तुझे याद कर रहे थे । जा एक दो दिन के लिए मिल आ। देवकी से भी और उन लोगों के बारे में भी पता कर लेना।
देवा;ठीक है माँ मै कल सुबह चला जाऊँगा।
रत्ना;ठीक है।
रत्ना और ममता एक रूम में आस पास सोई हुई थी। दोनों को लेटे हुए एक घण्टा बीत चूका था।
ममता उठके रत्ना की तरफ देखती है और रत्ना को गहरी नींद में सोता देख चुपचाप उठके अपने भाई के रूम में चली जाती है।
ममता के रूम में घुसते ही रत्ना टक से अपनी ऑखें खोल देती है। शायद वो देखना चाहती थी की ममता जाती है या नहीं अपने भाई से मिलने
रत्ना भी चुपचाप उठके देवा के रूम की खिडके के पास जाके खड़ी हो जाती है।
अंदर देवा और ममता एक दूसरे से लिपटे हुए एक दूसरे के मुँह में मुँह डाले एक दूसरे को मसल रहे थे।
ममता; भैया कहाँ थे इतने दिनों से । देखो न मेरी चूत सुख गई है आपके रस के बिना।
देवा;मेरा भी मुर्झा सा गया है बहना तेरी चूत के बिना।
ममता; इसे तो मै अभी गरम कर देती हूँ।
वो नीचे बैठ के देवा का पजामा उतार देती है और अपने हाथ में देवा का लंड पकड़ के पहले उसे चुमती है
और फिर मुँह में लेकर उसे गीला कर देती हैं गलप्प गलप्प्प।
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देवा अपने बिस्तर पर लेट जाता है और ममता के कपडे भी निकाल के उसे पूरी नंगी कर देता है।
बाहर खड़ी रत्ना को अपने बेटी की हरक़तों पर यक़ीन नहीं होता मगर इस बार रत्ना की नज़र मे
ममता की चूत नहीं बल्कि देवा का वो मुसल लंड था। जिस पर से रत्ना की नज़र नहीं हट पा रही थी।
और ममता थी की बिना रुके देवा के लंड को मुँह में अंदर बाहर किये जा रही थी।
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गलप्प गलप्प गलप्प करके चूस रही थी चाट रही थी।
देवा की नज़र अचानक ही खिडकी की तरफ जाती है और वहां खड़ी रत्ना उसे दिख जाती है।
देवा;आहह तेरी माँ रत्ना को चोदूँ धीरे धीरे चूस
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ममता।
आह मेरा लौडा कैसा है ममता।
ममता;बहुत मीठा है भइया।
देवा;माँ को पसंद आएगा ऐ।
रत्ना की चूत से पहला पानी का कतरा निकल जाता है।
ममता; हाँ। माँ की चूत भी अभी जवान है गलप्प गलप्प।
ये तो हर किसी को पसंद आने जैसा है गलप्प गलप्प।
देवा; बस कर अब नहीं रुका जाता।
देवा ममता को लिटा देता है और उसकी चूत को सहलाने लगता है।

ममता; आहह क्या कर रहे हो भाई।
देवा; आज तो बहुत चिकनी लग रही है तेरी चूत ममता।।

ममता ;आपको ऐसे ही पसंद है ना भाई।
देवा; हाँ बस एक बार माँ की मिल जाए मुझे। फिर तुम दोनों माँ बेटी को रात भर नंगा करके चोदुँगा मैं।
ममता ;अभी बहन चोद लो माँ को बाद में पेल देना। आओं अंदर डाल दो भैया मेरी चूत में चींटियां रेंग रही हैं।

देवा;ममता को अपने ऊपर खीच लेता है।
आज तू मेरी सवारी कर चल चढ़ जा मेरे लंड पर।
ममता अपनी कमर उठाके अपने भाई के लौडे को अपनी चूत से मिलाती है और घच से
लंड पर धीरे धीरे बैठने लगती है जिससे लंड चूत में घुसता चला जाता है।
ममता; हाय मर गयी उन्हह।
देवा;चल चोद अपने भाई को आह्ह्ह्ह।
ममता; हाँ ऐसे न आहहह्ह्ह मेरी
आह माँ आह्ह्ह्ह्ह्ह।
ममता देवा के ऊपर सवार होके सटा सट उसके लंड को अपनी चूत की गहराइयों में लेने लगती है।

ये नज़ारा देख रत्ना का जिस्म इतना गरम हो जाता है जैसे अभी अभी वो भट्टी में से तप के आई हो।
रत्ना की चूत थी की पिघलते जा रही थी और पिघला हुआ गरम गरम पानी रत्ना के जांघो से होता हुआ नीचे गिर रहा था।
की तभी देवा और रत्ना की नज़र एक हो जाती है
और रत्ना मुँह पर हाथ रख के वहां से अपने रूम में भाग जाती है।



इधर शालु के घर पर सभी गहरी नींद में सो चुके थे।
सबसे पहले नीलम के बापु उसके पास नीलम कुछ दूरी पर शालु और उसके पास पप्पू सोया था।
जहां एक तरफ शालु की चूत उसे सोने नहीं दे रही थी वही पप्पू का लंड भी पायजामे के अंदर चीख चीख के माँ माँ बुला रहा था।
पप्पू अपनी एक टाँग शालु के जांघ पर रख देता है।
शालु गर्दन घुमा के पप्पू की तरफ देखती है।
पप्पू आगे सरकता है और शालु के पीछे से चिपक जाता है।
पप्पू का लंड शालु की गाण्ड के दरार में आगे पीछे होने लगता है।
देवा की लंड से मार खा चुकी शालु की गण्ड जग जाती है और शालु सिसकारियां भरने लगती है।
पप्पू अपने एक हाथ से शालु के ब्रैस्ट मसलने लगता है।
और धीरे से शालु के कान में कहता है।
माँ दूसरे रूम में चलो ना।
शालु;अहह तू पहले जा मै आती हूँ।

पप्पू;उठके दूसरे रूम में चला जाता है और वहां जाके अपने सारे कपडे उतार देता है और वो नंगा होके शालु का इंतज़ार करने लगता है।
कुछ देर बाद शालु भी वहां आ जाती है और दरवाज़ा बंद करके अपने कपडे पप्पू को देखते हुए निकाल देती है।
शालु पप्पू के ऊपर आके चिपक जाती है।
ले आ गई तेरी माँ ।बोल क्यों बुलाया है।


पप्पू;तुझे चोदना है माँ।
शालु;तो चोद ना । रोका किसने है दोनों माँ बेटे एक दुसरे से चिपक जाते है।
और शालु अपनी ज़ुबान पप्पू के मुँह में डालके उससे ज़ुबान चुसवाने लगती है।
पप्पू;का लंड शालु अपने हाथ में ले के उसे सहलाने लगती है।
पप्पू;आहह ज़्यादा मत हिला माँ झड जाऊँगा।
शालु;तेरा लंड मेरी चूत को ठन्डा नहीं कर पाएगा बेटा।
इसे देवा जैसा मरद चाहिए।
पप्पू;कर लुँगा माँ तुम बस देखते जाओ।
पप्पू;शालू की दोनों टाँगें खोल देता है और उसके पैरों के बीच जाके अपने लंड को शालु की चूत पर घीसने लगता है।
शालु; सुबह से बेचैन थी देवा ने रात भर उसे चोद के उसे पागल सा बना दिया था।
उपर से पप्पू बिना घुसाए ऊपर ऊपर रगड रहा था।
शालु;आहह हरामी घुसाता क्यों नही।
पप्पू;जल्दी से अपना लंड शालु की चूत में घूस्सा देता है
और उसके ऊपर लेट के लंड अंदर बाहर करने लगता है।।

शालू; आहह और अंदर घुसाता क्यों नही आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्।
पप्पू;ज़ोर ज़ोर से लंड को अपनी माँ की चूत के अंदर तक पेलने लगता है।
शालु;पीछे से ले मेरी। बेटा।
शालु कुतिया बन जाती है और पप्पू अपने लंड को हाथ में पकड़ के पीछे आ जाता है।
जैसे ही पप्पू शालु की चूत पर लंड लगाता है शालु उससे कहती है।
शालु;वहाँ नहीं गाण्ड में पेल दे बेटा।
और पप्पू अपना लंड पीछे से शालु की गाण्ड में पेल देता है।

शालु;आहह मेरी गाण्ड में ठीक से जाता है तेरा आहह मारते जा रे....और जोर जोर से अपनी माँ की गांड मार बेटा। पेल जोर जोर से मेरी गाँड में बहुत खुजली हो रही है बेटा आह्ह्ह्ह।
पप्पू;दोनों हाथों में अपनी माँ की कमर पकड़ के सटा सट पीछे से शालु की गाण्ड मारने लगता है और शालु भी कमर हिलाते हुए पप्पू का लंड गाण्ड में लेती चली जाती है।

ज्यादा देर भी नहीं गुज़रती की पप्पू के धक्के बढ़ जाते है और एक चीख़ के साथ पप्पू अपना माल शालु की गाण्ड में छोड़ने लगता है।

शालु;आहह हरामी तू किसी काम का नहीं है।
शालु;अपनी दोनों टाँगें खोल के लेट जाती है और पप्पू का सर पकड़ के अपनी चूत से लगा देती है।
मेरी चूत में अपनी ज़ुबान घूस्सा अब।
पप्पू;अपनी माँ के ग़ुस्से को शांत करने के लिए ऐसा ही करता है और शालु की चूत को और गाण्ड को अपनी जीभ से चाटने लगता है गलप्प गलप्प्पप्प।
शालु;आहह ऐसे ही मेरे लल्ला आहह।
चाट मेरी चूत को उसे तैयार कर देवा के लंड के लिये।
आह मेरी गाण्ड में भी तेरी ज़ुबान घूस्सा दे रे।
शालु;कमर उछालते हुए पप्पू की ज़ुबान का मज़्ज़ा लेने लगती है और फिर पप्पू के बालों को पकड़ के
उसे अपनी चूत पर दबाते हुए चीख़ पडती है आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह।
एक तेज़ धार पप्पू के मुँह पर छूटने लगता है और शालु निढाल से पड़ जाती है।


उधर हिम्मत राव शहर में अपने खास आदमी से जाके मिलता है।
वो खास आदमी था।
विक्रांत
विक्रान्त एक पेशेवर कातिल था उसका काम लोगों को लूटना डकैती और खून करना था।
पूलिस की फाइल्स में विक्रांत के नाम पर कई गुनाह दर्ज थे।
और हिम्मत राव विक्रांत की मदद से रुक्मणी और देवा का काम तमाम करना चाहता था।
विक्रान्त हिम्मत से मिलता है।
विक्रान्त;कैसे हैं जागीरदार साहब।
हिम्मत;ठीक तुम कैसे हो।
विक्रान्त;दुआ है आपकी और कैसे आना हुआ आपका।
हिम्मत;किसी का काम करना था तुम्हारे हाथो।
विक्रान्त; हो जाएंगा। काम जो आप चाहे किमत जो मै चाहूँ।
हिम्मत;मंज़ूर है।
दोनो बातें करने बैठ जाते है और हिम्मत विक्रांत को सारी बात समझा देता है।
हिम्मत की बात ख़तम होने पर
विक्रान्त: कहता है आप फिकर ना करें जागिरदार सहाब
मै अगले हफ्ते आपके गांव आऊँगा आप मुझे उन दोनों के हुलिये बता देना समझ लो आपका सर दर्द हमेशा हमेशा के लिए खतम।
हिम्मत;विक्रांत को कुछ एडवांस पैसे दे कर वहां से चला जाता है।
हिम्मत और विक्रांत बहुत पुराने दोस्त थे। जब भी हिम्मत को किसी को अपने रास्ते से हटाना होता तो उसे विक्रांत याद आता।
हिम्मत बहुत खुश था की कुछ ही दिनों में देवा और रुक्मणी का काम हमेशा हमेशा के लिए ख़तम होने वाला है।
 
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आज देवा ने उस जगह अपनी ज़ुबान रखा था की वो खुद चाह के भी उसे रोक नहीं पा रही थी।

रश्मी;देवा ये गलत है ऐसा मत करो ना।

देवा;कुछ भी तो नहीं कर रहा हूँ मै गलप्प गलप्प्प।

देवा;सरकते सरकते रश्मि के होठो के पास आ जाता है और रश्मि के होठो पे होंठ लगा देता है।

पहले रश्मि अपने होंठ नहीं खोलती मगर देवा के उसे मसलने से उसका मुंह अपने आप खुल जाता है और ज़ुबान थोडी सी बाहर निकल जाती है।

उसी वक़्त दोनों की ज़ुबान एक दूसरे से और होंठ एक हो जाते है।गल्पप गलप्प।


रश्मी कुंवारी थी और कुँवारी चूत धक्का भी बर्दाश्त नहीं करती रश्मि भल भल करके पानी छोड देती है और पानी निकलते ही हर किसी का जो हाल होता है वही रश्मि का भी हो जाता है वो अपनी दोनों बंद आँखें खोल देती है और जल्दी से उठके खड़ी हो जाती है।
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रुक्मणी; हाँ बहुत अच्छा है।
ये कहते हुए रुक्मणी पीठ के बल हो जाती है और अपने दोनों पैर खोल देती है।
उसकी ऑखें अभी भी बंद थी।
आह थोडी जांघ में भी दर्द है रे।

देवा;अपनी मालकिन का वफादार अपने हाथों का जादू रुक्मणी के जांघो पे भी चलाने लगता है।

जैसे जैसे देवा के हाथ ऊपर की तरफ चढ़ते है रुक्मणी अपने होठो पे ज़ुबान फेरने लगती है।

दोनो जानते थे की हो क्या रहा है मगर दोनों अपने अपने सीमा में रह कर खेलना चाहते थे।

रुक्मणी एक औरत थी वो भी भारतीय। वो कभी अपने मुँह से ये नहीं कहती की देवा मेरी ले ले।

देवा का लंड अब उसके पेंट में इस कदर फूल चुका था की उसे बाहर हवा में निकाल के थोडी साँस लेने देना बहुत ज़रूरी था वरना उसके घुट के अकड़ने का डर था।

वो कुछ सोचता है और अपने हाथों को धीरे धीरे रुक्मणी की जांघ पर से ऊपर चढाता हुआ उसके पेट को छुते हुए दोनों हाथ रुक्मणी के नरम मुलायम ब्रैस्ट पे रख के जल्दी से दोनों आम को मसल देता है।

एक हलकी से चीख रुक्मणी के मुँह से निकलती है वो एक पल के लिए ऑखें खोलती है और अगले ही पल बंद कर देती है।

देवा रुक्मणि के दोनों ब्रैस्ट को मसलते हुए उसके गरदन को चुमने लगता है।


मालकिन आप बहुत सुन्दर हो गलप्प गलप्प।

रुक्मणी; उन्हह आह्ह्ह्ह
मेरी जान बचाने वाले देवता आहह कुछ करना आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह।

देवा डरते ड़रते रुक्मणी के ब्लाउज के दोनों बटन खोलने लगता है और रुक्मणी नंगी होने के एहसास से ही कांप जाती है।

दोनो ब्रैस्ट सामने आते ही देवा अपने ज़ुबान को उसे चुमने से रोक नहीं पाता और अपना पूरा मुँह खोले गलप्प गलप्प दोनों को बारी बारी चुसने लगता है।


रुक्मणी अभी भी अपनी ऑंखें बंद किये देवा के बालों को सहला रही थी और उसके सर को अपनी छाती पे दबा रही थी।

देवा;एक निप्पल को मुँह में ले के ज़ोर से काट देता है।

जीससे रुक्मणी की चिख निकलने लगती है पर सही वक़्त पे देवा अपने होंठ रुक्मणी के होठो से लगा के उसकी आवाज़ बंद कर देता है और रुक्मिणी के रसीले होठो को गलप्प गलप्प चूसने लगता है।


रुक्मणी अपनी कमर को ऊपर निचे करने लगती है और फिर अचानक वो एकदम शांत पड़ जाती है और झटके से देवा को अपने ऊपर से ढकेल देती है।

देवा;क्या हुआ मालकीन।

रुक्मणी;चला जा यहाँ से मै अपने पति को धोखा नहीं दे सकती।।
चला जा अभी के अभी वरना मुझसे बुरा कोई नही।
THANKS FOR YOUR VALUABLE COMMENTS
 
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SABSE BEST UPDATE
देवा की दोनो उँगलियाँ रश्मि की पेंटी के अंदर जा चुकी थी और चूत के किनारे को कुरेदने लगती है।
रश्मी;अपना मुँह थोड़ा और खोल देती है जिससे उसकी ज़ुबान भी देवा के मुँह में चली जाती है।
रश्मी;पुरी तरह नंगी हो जाती है।

शरम के मारे वो एक हाथ अपनी चूत पे और दुसरा हाथ अपने ऑखों पे रख देती है।
थोड़ी देर बाद उसे अपने हाथ पे जो उसने छूट पे रखी थी देवा की चिपचिपी ज़ुबान महसूस होती है।
देवा;उसके हाथ को चाट रहा था।
रश्मी से भी बर्दश्त नहीं होता और वो भी पहली मर्तबा अपनी चुत को चटवाने के लालच में अपना हाथ चूत के ऊपर से हटा देती है।
हाथ हटते ही देवा की ज़ुबान रश्मि की चूत से चिपक जाती है।

देवा इशारे से पप्पू को कपडे उतारने के लिए कहता है

और पप्पू अपने सारे कपडे उतार के रश्मि के चेहरे के पास जाके बैठ जाता है।
उसका लंड रश्मि के गाल को छुता है और रश्मि ऑंखें खोल देती है।
पहले तो वो बुरी तरह डर जाती है मगर अपने भाई को भी नंगा देख उसका डर थोड़ा कम हो जाता है।
मगर उसे दुसरा डर सताने लगता है कही ये दोनों मिलके तो ।
देवा इतने बुरी तरह रश्मि की चूत को चाट रहा था की रश्मि न बोल सकती थी न हिल सकती थी वो ऑखें फाड़े पप्पू को देखती रहती है।
अचानक पप्पू अपना लंड रश्मि के होठो के सामने करता है।
और रश्मि ऑखें बंद करके मुँह खोल देती है।
उसे भी अपने भाई का लंड स्वीकार था।
छोटा सा मगर खूबसूरत सा पप्पू का लंड रश्मि के मुंह में चला जाता है।

रशमी; खुद देवा के लंड को अपने चूत के उस सुराख़ पे लगा देती है जहाँ से अब तक कोई भी लंड अंदर नहीं गया था।
देवा रश्मि की ऑखों में देख के मुस्कुरा देता है और रश्मि जैसे ही मुस्कुराती है उसका मुंह खुलता चला जाता है।

रश्मि ;उईईईईईईई माँ आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह आअह्हह्हह्हहहह आहह देवा भैया ओह्ह्ह्ह्ह।
एक ही झटके में देवा का आधे से ज्यादा लंड अंदर जाकर रश्मि की चूत की झिल्ली को फाड़ देता है।
खून से सना हुआ देवा का लंड रश्मि की चूत में अंदर बाहर होने लगता है रश्मि ज़ोर ज़ोर से चीखने लगती है और पप्पू अपने मुंह से उसकी आवाज़ बंद करने की कोशिश करता है मगर दर्द के मारे रश्मि पप्पू के होठो को ही काट लेती है।
रश्मी;आहह इसे बाहर निकाल दो देवा आहह मुझ पे कुछ तो तरस खाओ ना आह्ह्ह नही।

देवा;अपने लंड को रश्मि के मुंह में अटका देता है और पप्पू धीरे धीरे रश्मि को चोदने लगता है।



देवा;हंसने लगता है।

रश्मी; उन्हह बहुत बूरे हो तुम देवा आहह एक बहन के चूत में भाई का लंड डलवा के हँस रहे हो आहह ।

पप्पू भी जोश में आके दना दन अपने लंड को रश्मि की चूत में अंदर बाहर करने लगता है।

रश्मी तो आज पहली बार चूदी थी। उसे तो हर धक्का बहुत आनन्द दे रहा था। वो नहीं जानती थी की असली चुदाई क्या होती है।
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देवा;रश्मि को लिटा देता है और उसकी टाँगें खोल देता है।मगर वो अपना लंड उसके चूत पे लगने के बजाये अपने ज़ुबान से उसकी चूत चाटने लगता है।

रश्मी को ऐसे लगता है जैसे किसी ने ताज़ी जखम पे नमक छिडक दिया हो । वो तिलमिला जाती है अपने दोनों हाथों से अपनी चूचि मसलने लगती है देवा का सर पकड़ के उसे अपनी चूत पे दबाने लगती है।

आह माँ ओह्ह नहीं ।पहले मुझे चोद ले एक बार बस एक बार अंदर डाल दे देवा। उसके बाद जो करना है कर ले देवा।
आह क्यों तड़पा रहा है हाय रे ज़ालिम।

देवा;हटने का नाम नहीं ले रहा था रश्मि की चूत की गर्मी अब उसके दिमाग तक पहुँच चुकी थी वो पागल पन के आखरी मुकाम पर पहुँच चुकी थी।

रश्मी;आहह हरामी कुत्ते साले दम नहीं है क्या तेरे लंड में जो बस चूस रहा है भडवे आहह
मेरी चूत में आग लगी हुई है और तू कुत्ते की तरह चाटते जा रहा है ।

देवा जान चुका था की लोहा पूरी तरह गरम हो चुका है। अब हथोड़ा नहीं मारा तो गलत हो जायेगा।
वो रश्मि की दोनों टाँगें हवा में उठाके अपने लंड को जैसे ही चूत पे टीकाता है रश्मि ऑंखें बंद कर लेती है।

पर अगले ही पल उसके ऑखें फटी की फटी रह जाती है देवा अपनी पूरी ताकत से से रश्मि की चूत में अपना लंड घुसा देता है अआआहः

रश्मी;को उस वक़्त और ज़्यादा दर्द होने लगता है जब देवा चूत मारते मारते अपने लंड का सुपाडा रश्मि की गाण्ड में पेल देता है।



रश्मी की गाण्ड अभी इसके लिए तैयार नहीं थी वो अपने हाथ से देवा के लंड को पकड़ के झट से गाण्ड से बाहर खीच लेती है और उसे वापस चूत में डाल देती है।


देवा सटासट अपने लंड को आगे पीछे करने लगता है।

और देखते ही देखते रश्मि की चूत ढेर सारा पानी छोड़ देती है।
साथ में देवा भी झडने लगता है।
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